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कक्षा – दस

विषय –हिन्दी (002)


प्रश्न 1-ननम्नलिखित अपहित गदयाांशों को पढ़कर पछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तर लिए उचित
विकल्प िुननए।
गदयाांश -1
भारतवर्ष ने कभी भी भौततक वस्तुओं के संग्रि को बिुत अधिक मित्व निीं हदया। उसकी दृष्टि
में मनुटय के भीतर जो आंतररक तत्व ष्स्िर भाव से बैठा िुआ िै, विी चरम और परम िै ।
लोभ-मोि, काम-क्रोि आहद ववकार मनुटय में स्वाभाववक रूप से ववद्यमान रिते िैं, पर उन्िें
प्रिान शष्तत मान लेना और अपने मन और बद्
ु धि को उन्िीं के इशारे पर छोड़ दे ना, बिुत
तनकृटि आचरण िै । भारतवर्ष ने उन्िें सदा संयम के बंिन में बााँि कर रखने का प्रयत्न ककया
िै । इस दे श की कोहि-कोहि दररद्र जनों की िीन अवस्िा को सुिारने के ललए अनेक कायदे
कानन
ू बनाए गए। ष्जन लोगों को इन्िें कायाषष्न्वत करने का काम सौंपा गया। वे अपने कतषव्यों
को भूल कर अपनी सुख-सुवविा की ओर ज्यादा ध्यान दे ने लगे। वे लक्ष्य की बात भूल गए
और लोभ-मोि जैसे ववकारों में फाँस कर रि गए। आदशष उनके ललए मजाक का ववर्य बन गया
और संयम को दककयानूसी मान ललया गया। पररणाम जो िोना िा, वि िो रिा िै- लोग लोभ
और मोि में पड़कर अनिष कर रिे िैं, इससे भारतवर्ष के पुराने आदशष और भी अधिक स्पटि
रूप से मिान और उपयोगी हदखाई दे ने लगे िैं। अभी आशा की ज्योतत बुझी निीं िै । मिान
भारतवर्ष को पाने की संभावना बनी िुई िै, बनी रिेगी।
(क)- िेिक के अनस
ु ार ननकृष्ट आिरण का स्िरूप िै –
I. व्यष्तत का दश्ु चररत्र िोना और आदशों से पतन
II. स्वािष िे तु दस
ू रों के कायष में बािा
III. मन और बुद्धि पर लोभ-मोि का तनयंत्रण
IV. कानन
ू के उल्लंघन द्वारा
V. सामाष्जक अव्यवस्िा
(ि)-िोभ-मोि आहद विकारों के ननयांत्रण का साधन िै -
I. िमष III. संयम
II. कानन
ू IV. सत्संगतत
(ग)-करोडों गरीबों की दशा सध
ु ारने के प्रयास सफि निीां िुए क्योंकक िागू करने िािे-
I. स्वािष वश अपना कतषव्य भूल गए
II. काम परू ा न कर सके

हिन्दी (002) Page 1


III. सफलता के प्रतत शंकालु िो गए
IV. पयाषप्त िन न िोने से असफल िो गए
(घ) आदशश एिां स्ियां को दककयानूसी मानने का दष्ु पररणाम िै –
I. दे श में फैली अराजकता III. लोभ और मोि से िो रिे अनिष
II. समाज में व्याप्त नैततकता IV. भ्रटि सािनों से अष्जषत िन
(ङ)-‘दककयानस
ू ी’ का पयाशय िै-
I. भाग्यवादी III. साम्यवादी
II. रूह़िवादी IV. ववस्तारवादी

गदयाांश -2
किा जाता िै कक िमारा लोकतंत्र यहद किीं कमजोर िै तो उसकी एक बड़ी वजि िमारे
राजनीततक दल िैं। वे प्रायः अव्यवष्स्ित िैं, अमयाषहदत िैं और अधिकांशतः तनटठा और कमषठता
से संपन्न निीं िैं। िमारी राजनीतत का स्तर प्रत्येक दृष्टि से धगरता जा रिा िै । लगता िै उसमें
योग्य और सच्चररत्र लोगों के ललए कोई स्िान निीं िै । लोकतंत्र के मूल में लोकतनटठा िोनी
चाहिए, लोकमंगल की भावना और लोकानभ
ु तू त िोनी चाहिए और लोकसंपकष िोना चाहिए।िमारे
लोकतंत्र में इन आिारभूत तत्वों की कमी िोने लगी िै इसललए लोकतंत्र कमजोर हदखाई पड़ता
िै। िम प्रायः सोचते िैं कक िमारा दे श-प्रेम किााँ चला गया, दे श के ललए कुछ करने, मर लमिने
की भावना किााँ चली गई? त्याग और बललदान के आदशष कैसे, किााँ लुप्त िो गए? आज िमारे
लोकतंत्र को स्वािाांिता का घुन लग गया िै। तया राजनीततज्ञ, तया अफसर, अधिकांश यिी
सोचते िैं कक वे ककस तरि से ष्स्ितत का लाभ उठाएाँ, ककस तरि एक दस
ू रे का इस्तेमाल करें ।
आम आदमी अपने आपको लाचार पाता िै और ऐसी ष्स्ितत में उसकी लोकतांत्रत्रक आस्िाएाँ
डगमगाने लगती िैं। लोकतंत्र की सफलता के ललए िमें समिष और सक्षम नेतत्ृ व चाहिए, एक
नई दृष्टि एक नई प्रेरणा, एक नई संवेदना, एक नया आत्मववश्वास, एक नया संकल्प और
समपषण आवश्यक िै । लोकतंत्र की सफलता के ललए िम सब अपने आप से पछ
ू ें कक िम दे श
के ललए, लोकतंत्र के ललए तया कर सकते िैं और िम लसफष पूछकर िी न रि जाएाँ बष्ल्क
संगहठत िोकर समझदारी वववेक और संतुलन से लोकतंत्र को सफल और सािषक बनाने में लग
जाएाँ।
(क)िमारे िोकतांत्र की कमजोरी का कारण िै
I. िमारे कमजोर नागररक III. िालमषक संस्िाएाँ
II. िमारे राजनीततक दल IV. िमारी न्यायपाललका
(ि)िोकतांत्र का मि
ू तत्ि निीां िै
I. लोकमंगल के प्रतत उपेक्षा II. लोक तनटठा की अपेक्षा

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III. लोकसंपकष की इच्छा IV. लोक के सख
ु -दख
ु की अनभ
ु तू त
(ग)आम आदमी की िोकताांत्रत्रक आस्थाएँ डगमगाती िैं
I. अफसरों की कतषव्यतनटठा दे खकर
II. राजनीततज्ञों की जनसेवा दे खकर
III. लोकतंत्र की धगरती मयाषदा के समक्ष स्वयं को वववश दे खकर
IV. लोकतंत्र की धगरती मयाषदा के समक्ष स्वयं को सबल दे खकर
(घ)िोकतांत्र की सफिता और साथशकता आधाररत निीां िै
I. नई दृष्टि, प्रेरणा और संवेदना पर
II. वववेक और संतुलन की प्रववृ ि पर
III. संकल्प और समपषण की प्रववृ ि पर
IV. संगठन और आत्मववश्वास के अभाव पर
(ङ) िमारे राजनैनतक दिों की विशेषता निीीँ िै
I. िमारे राजनैततक दल अमयाषहदत िैं
II. राजनैततक दल अव्यवष्स्ित िैं
III. िमारे राजनैततक दल तनटठा और कमषठता रहित िैं
IV. िमारे राजनैततक दल दे श के प्रतत पूणषत: समवपषत िैं
गदयाांश - 3
दोपिर के समय सूयष की ककरणों से पथ्
ृ वी जल रिी िी। कोिर में बैठा चातक पत्र
ु प्यास से
अतत व्याकुल िा। वपता ने पत्र
ु को िैयष िारण करने को किा। उसने बताया कक िम केवल
घनश्याम का िी जल ग्रिण करते िैं। यि िमारे कुल का व्रत िै।चातक पत्र
ु ने अपने वपता की
बात का ववरोि ककया और किा,“मैं इस व्रत को तोड़ दाँ ग
ू ा। मारे प्यास के मेरे प्राण कंठ तक
आ गए िैं। मैं घनश्याम की प्रतीक्षा पर निीं कर सकता, उनके स्िान पर ककसी अन्य स्िान
से जल ग्रिण करूाँगा। “चातक पुत्र ने इस पर ववचार ककया िी निीं िा कक उसके जल ग्रिण
करने का प्रकार कैसा िोगा। चातक-पत्र
ु चपु । चातक ने सोचा कमजोरी यिी िै और कमजोरी
पर वार करना ववजय की पिली सी़िी िै । वपता ने कफर पछ
ू ा, “तया उस पोखरी से जल ग्रिण
करोगे जिााँ से अनेक पशु पक्षी और मनुटय जल पीते िैं?चातक पुत्र की पोखरी के गंदे जल के
स्मरण से िी फुरिरी आ गई। वि बोला, मैं गंगा जल ग्रिण करूाँगा” वपता ने उसे समझाया
कक गंगाजी यिााँ से 5 हदन की उड़ान पर िैं। यहद तू निीं मानता तो जा पर रास्ते में किीं
एक बद
ूाँ भी ग्रिण मत करना। चातक-पुत्र उड़ गया। वि तीसरे हदन की िकान लमिाने के
ललए बुद्िन के आाँगन में खड़े नीम के पेड़ पर ववश्राम करने के ललए उतरा
(क) -वपता ने पत्र
ु से धैयश धारण करने के लिए क्यों किा
I. चातक जातत का दस
ू रे स्िान का जल पीना अच्छा निीं िोता िै

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II. चातक अपने कुल के व्रत को तोड़ना निीं चािता िा
III. व्रत को तोड़ना प्राणीहित में समझता िा
IV. चातक ववशेर् पक्षी िोता िै

(ख)क्या पोिरी का जि ग्रिण करोगे जातक के इस प्रश्न पर िातक पत्र


ु िुप क्यों था ?
I. तयोंकक जल ग्रिण करने का प्रकार कैसा िोगा इस पर उसने ववचार िी निीं ककया
िा
II. तयोंकक जल ग्रिण करने के बाद उसका स्वास्थ्य कैसा रिे गा इसके बारे में उसने
सोचा निीं िा
III. तयोंकक वि जानता िा कक यहद कुछ बोलेगा तो भी वपताजी तकष करें गे
IV. वि कुछ भी बताना निीं चािता िा
(ग)क्या पोिरी का जि ग्रिण करोगे ऐसा प्रश्न वपता ने क्यों ककया था ?
I. तयोंकक चातक जानता िा कक कमजोरी पर वार करना ववजय की पिली सी़िी िै
II. गंदा जल पीने के प्रतत साविान करना चािता िा
III. वपता के कतषव्य का तनवाषि कर रिा िा
IV. उसकी योग्यता के पर करना चािता िा
(घ)िातक-पत्र
ु बदु धन के आांगन में नीम के पेड पर क्यों उतरा?
I. उसे बिुत भूख लगी िी अतः वि भोजन की तलाश में उतरा
II. उसे बिुत प्यास लगी िी अतः वि पानी की तलाश में उतरा
III. बुद्िन और उसके पुत्र की किानी सुनने के ललए उतरा
IV. चातक बिुत अधिक िक गया िा अतः िकान उतारने का ववश्राम करने के ललए
उतरा
(ङ)पशु –पक्षी में समास बताएँ
I. द्ववगु III. कमषिारय
II. द्वंद्व IV. अव्ययीभाव
गदयाांश – 4
दस
ू रे िमारी क्षमता का ववश्वास करें और िमारी सफलता को तनष्श्चत मानें , इसके ललए
आवश्यक शतष यि िै कक िमारा अपनी क्षमता और सफलता में अखंड ववश्वास िो। िमारे भीतर
उगा भय, शंका और अिैयष ऐसे डायनामाइि िैं जो िमारे प्रतत दस
ू रों के ववश्वास को खंडडत कर
दे ते िैं। िमारे ववद्यालय में, जो नगर से दरू जंगल में िा, चौदि वर्ष का एक बालक अपने
घर से अकेला प़िने आया करता िा। कुछ मिीने बाद दस
ू रा वाला भी उसके साि आने
लगा।वि दस
ू रा बालक बिुत डरपोक िा। वि भूतों और चोरों की किातनयााँ उसे सुनाया करता।

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इसका ऐसा प्रभाव पड़ा कक पिला बालक भी डरपोक िो गया और वे दोनों मेरी प्रतीक्षा करते
रिते कक मैं चलाँ ू,तो वे भी मेरे साि चलें।
सूत्र यि बनता िै कक ितोत्साहित,तनराशावादी और डरपोकों और सदा असफलता की िी मलसषया
प़िने वालों के संपकष से दरू रिो। नीतत का वचन िै कक जिााँ अपनी, अपने कुल की और
अपने दे श की तनंदा िो और उसका मुाँि तोड़ उिर दे ना संभव न िो तो विााँ से उठ जाना चाहिए
तयोंकक इसमें आत्म गौरव और आत्मववश्वास की भावना खंडडत िोने का भय रिता िै ।
(क)-दस
ू रे िोग िमारी सफिता और क्षमता पर कब विश्िास करने िगते िैं
I. जब िम अपने बातों से उन पर प्रभाव जमा लेते िैं
II. जब िमारे प्रतत उनमें अखंड ववश्वास जाग उठता िै
III. जब िम दस
ू रों के सामने खूब परे शान करते िैं
IV. जब िमारा स्ियां का अपनी क्षमता और सफिता में विश्िास िो
(ि)-भय, शांका और अधैयश को डायनामाइट क्यों किा गया िै ?
I. तयोंकक यि ववस्फोि जैसे प्रभावी िोते िैं
II. तयोंकक यि िमारे ववश्वास खंडडत करते िैं
III. तयोंकक यि ववश्वास खंडन करने के बाद सज
ृ न करते िैं
IV. इनमें से कोई
(ग)-जिाँ अपने कुि दे श,आहद की ननांदा िो ििाँ से क्यों उि जाना िाहिए
I. अपने कुल और दे श की तनंदा निीं सुनना चाहिए
II. तनंदक की बातों को उसका स्वभाव समझना चाहिए
III. इससे िमारा आत्मगौरव और आत्मववश्वास ब़ि जाता िै
IV. इससे िमारा आत्मववश्वास और आत्म गौरव खंडडत िो सकता िै
(घ)-गदयाांश से िमें क्या लशक्षा लमिती िै ?
I. िमें अपना आत्मववश्वास बनाए रखना चाहिए
II. िमें कायरों तिा असफलता का गण
ु गान करने वालों से दरू रिना चाहिए
III. िमें तनराशावाहदयों का उत्साि ब़िाना चाहिए
IV. िमें ितोत्साहित िा तनराशावाहदयों को अपना लमत्र बनाना चाहिए
(ङ) इसका ऐसा प्रभाि पडा कक पििा बािक भी डरपोक िो गया। रे िाांककत अांश के उपिाक्य
का भेद बताइए-
I. संज्ञा उपवातय III. सवषनाम उपवातय कक्रया
II. ववशेर्ण उपवातय IV. ववशेर्ण उपवातय
गदयाांश -5

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अच्छे बरु े का तनमाषण िम स्वयं करते िैं। िमारे आपके संकल्प दस
ू रों के संकल्पों से िकरा कर
तद्नुसार वातावरण बनाने के ललए िोते िैं। िमें सदैव शुभ संकल्प िी करने चाहिए।यजव
ु ेद के
एक मंत्र में यिी प्रािषना की गई िै कक मेरे मन के संकल्प ‘भद्रं भद्रं न आभर’ िे प्रभु! िमें
बराबर कल्याण को प्राप्त कराइए।यिााँ कल्याण शब्द का प्रयोग व्यापक अिष िुआ िै। केवल
भौततक संसािनों की उपलष्ब्ि निीं, वरन ् परमाधिषक सत्य की लसद्धि िी सच्चे अिों में कल्याण
िै। संत सभा के सेवन तिा िररगन
ु गायन से िी इसकी उपलष्ब्ि संभव िै। सफलता के ललए
केवल संकल्प पयाषप्त निीं िै तद्नरूप आचरण एक ऐसे दपषण के समान िै ष्जसमें िर
मनटु य को अपना प्रततत्रबंब हदखाई दे ता िै। मनटु य के कमष िी उसके ववचारों की सबसे अच्छी
व्याख्या िैं। िम ष्जस वस्तु की कामना करते िैं उसी से िमारे कमष की उत्पवि िै। ‘गीता में
कमष की व्याख्या के रूप में किा गया िै कक इस प्रकृतत में जो कुछ पररवततषत िोता िै वि
कक्रया िै और कक्रयाओं का पुंज पदािष िै। वे िी कमष चािे कातयक िों या वाधचक अिवा मानलसक
इटि, अतनटि तिा लमधश्रत फल दे ने वाले िोते िैं।उन कमों में करने के जो भाव िैं, वे कताष में
िी रिते िैं। ये ‘कमष’ और भाव शुभ और अशुभ दोनों िोते िैं। शुभ कमष और भाव मुष्तत दे ने
वाले तिा अशुभ कमष और भाव पतन करने वाले िोते िैं।‘
(क)मनष्ु यके वििारों की सबसे अच्छी व्याख्या करते िैं-
I. मनुटय के अपने सुववचार और उनका प्रकिीकरण
II. िमारे पौराणणक िालमषक ग्रंि जैसे गीता, रामायण
III. िालमषक ग्रंि गीता
IV. मनुटय के अपने कमष
(ि)जजसमें िर मनुष्य को अपना प्रनतत्रबांब हदिाई देता िै िि िै-
I. स्वच्छ, तनमषल जल वाला तालाब ष्जसमें प्रततत्रबम्ब हदखाई दे ता िै
II. दपषण
III. मनुटय का अपना आचरण
IV. संतसभा और िरर गण
ु गान
(ग)कल्याण का व्यापक अथश िै –
I. भौततक संसािनों की उपलष्ब्ि िी परम कल्याण िै
II. भौततक संसािनों की उपलष्ब्ि निीं वरन ् परमाधिषक सत्य की लसद्धि िी परम
कल्याण िै
III. कल्याण तो आष्त्मक सुख से संबंि रखता िै वि भौततक भी िै और अभौततक भी
IV. कल्याण का संबि
ं शारीररक सुख से िै ।
(घ)गीता के अनस
ु ार कानयक,िाचिक मानलसक कमश तीनों िी फि दे ने िािे िोते िैं-
I. इटि और शुभ II. इटि,अतनटि और अशुभ

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III. इटि, अतनटि लमधश्रत तीनों फल IV. केवल वि शारीररक और मानलसक
दे ने वाले िोते िैं फल दे सकते िैं
(ङ) शुभ ि अशुभ कमश तथा भाि के सांबांध में अनप
ु युक्त कथन िुननये –
I. शुभ कमष और भाव पतन करने वाले तिा अशुभ कमष और भाव मुष्तत देने वाले िोते
िैं।‘
II. शभ
ु कमष और भाव मष्ु तत दे ने वाले तिा अशभ
ु कमष और भाव पतन करने वाले िोते
िैं।‘
III. शभ
ु कमष और भाव कटि देने वाले तिा अशभ
ु कमष और भाव सख
ु प्रदान करने वाले
िोते िैं।‘
IV. शुभ कमष और भाव सुख देने वाले तिा अशुभ कमष और भाव कटि दे ने वाले िोते िैं।‘
गदयाांश -6
ईश्वर को मानने वालों का किना िै कक ईश्वर के ववरुद्ि कोई ककतना िी मजबूत तकष दे दे ,
लेककन उनकी ईश्वर में आस्िा कभी भी कमजोर निीं पड़ेगी । तकष वे सुन सकते िैं लेककन
ईश्वर निीं िै, यि वि ककसी भी िालत में स्वीकार निीं कर सकते। उनका मानना िै कक तकष
से भी ईश्वर को निीं पा सकते, यि तो वक्रोतीत िैं दस
ू री तरफ ष्जन्िोंने ईश्वर में अपनी
आस्िा खो दी िै उनका किना िै कक उन्िोंने अपने नाष्स्तकता के कारण अपने पररवार और
समाज में अकेला पड़ जाने का खतरा भी उठाया िै लेककन िीरे -िीरे अपने पररवार में उन्िोंने
ऐसी ष्स्ितत पैदा कर ली िै कक उन्िें इस रूप में स्वीकार ककया जाने लगा िै
पाया गया िै कक ईश्वर में व्यष्तत की आस्िा को कायम रखने के ललए तमाम तरि के
संस्िागत समिषन तनरं तर लमलता रिता िै जबकक इसके ववपरीत नाष्स्तकों के साि ऐसी ष्स्ितत
निीं िै। वे संस्िाएाँ भी ईश्वर और िमष के प्रतत प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आस्िा पैदा और
मजबत
ू करने की कोलशश करती िै ष्जनका कक प्रत्यक्ष रूप से िमष से कोई संबंि निीं िै। जैसे
पररवार, आस-पड़ोस स्कूल, अदालतें, काम की जगिें आहद। एक सािी ने बताया कक वे एक
ऐसे कॉलेज में काम करते िैं जिााँ रोज ईश्वर की प्रािषना कराई जाती िै , ष्जससे छात्र तो बच
भी सकते िैं लेककन अध्यापक निीं अगर वि बचने की कोलशश करें तो उनकी नौकरी खतरे में
पड़ सकती िै ।
(क)ईश्िर को मानने िािों का यि किना कक िे-
I. ईश्वर के ववरुद्ि कोई तकष निीं सन
ु ेंगे
II. ईश्वर के ववरुद्ि मजबूत तकष से िी नाष्स्तकता की ओर झुकेंगे
III. ईश्वर के प्रतत मजबूत आष्स्तकता बनाए रखेंगे
IV. ईश्वर सवोपरर िै।
(ि)नाजस्तक िो जाने से व्यजक्त क्या िानन उिाता िै ?

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I. वि आष्स्तकों का ववरोिी िो जाता िै
II. पररवार एवं समाज में अपमातनत िो जाता िै
III. पररवार एवं समाज में एकाकी पड़ जाता िै
IV. पररवार एवं समाज में सम्मान का पात्र बन जाता िै
(ग)धमश से अप्रत्यक्ष सांबांध रिने िािी सांस्थाएँ ईश्िर और धमश के प्रनत क्या करती िैं?
I. िमारी आस्िा को मजबत
ू करती िैं
II. िमारी आस्िा को कमजोर करती िैं
III. िमारे अंदर अनास्िा को जन्म दे ती िैं
IV. िमारे भीतर अववश्वास पैदा करती िैं
(घ)िक्रोतीत का अथश िै-
I. तकष संगत III. तकष युतत
II. तकष पूणष IV. तकष से परे
(ङ)ननम्न में उपसगश युक्त शब्द िै –
I. प्रत्यक्ष III. ववपरीत
II. आस-पड़ोस IV. आस्िा
प्रश्न -ननम्नलिखित अपहित काव्याांशों को पढ़कर पछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तर के लिए उचित
विकल्प िनु नए
काव्याांश -1
अरे ! चािते जूठे पिे ष्जस हदन दे खा मैंने नर को
उस हदन सोचा, तयों न लगा दाँ ू आज आग इस दतु नया भर को?
यि भी सोचा तयों न िे िुआ घोिा जाए स्वयं जगपतत का
ष्जसने अपने िी स्वरूप को रुप हदया इस घणृ णत ववकृतत का ।
जगपतत किााँ? अरे सहदयों से वि तो िुआ राख की ढे री
वरना समता संस्िापन में लग जाती तया इतनी दे री
छोड़ आसरा अलख शष्तत का रे नर स्वयं जगपतत तू ,िै
यहद तू जूठे पिे चािे तो तुझ पर लानत िै िू िै।
ओ लभखमंगे अरे पराष्जत, ओ मजलूम अरे धचर दोहित
तू अखंड भंडार शष्तत का, जाग और तनद्रा सम्मोहित,
प्राणों को तड़पाने वाली िुाँकारों से जल िल भर दे ।
अनाचार के अंबारों में अपना ज्वललत पलीता भर दे ।
भख
ू ा दे ख तझ
ु े गर उमड़े आाँसू नयनों में जग-जन के
तू कि दे निीं चाहिए िमको रोने वाले जनखे,

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तेरी भख
ू असंस्कृतत तेरी यहद न उभाड़ सके क्रोिानल,
तो कफर समझाँूगा कक िो गई सारी दतु नया कायर तनबषल।
(क)कवि क्या दे ि कर दनु नया भर में आग िगा दे ना िािता िै?
I. भूखे प्यासे मनुटय को जूठे पिों में खाने के ललए कुछ खोजता दे खकर
II. भूखे प्यासे पशु को जूठे पिों में खाने के ललए कुछ खोजता दे खकर
III. भख
ू े प्यासे बच्चे को जठ
ू े पिों में खाने के ललए कुछ खोजता दे खकर
IV. भूखे प्यासे पक्षी को जूठे पिों में खाने के ललए कुछ खोजता दे खकर
(ि)‘िि तो िुआ राि की ढेरी’ कवि ऐसा ककसे और क्यों कि रिा िै ?
I. सरकार को तयोंकक यहद सरकार अपना काम कर रिी िोती तो दतु नया में कोई भूखा
ना िोता
II. भगवान को तयोंकक यहद भगवान अपना काम कर रिे िोते तो दतु नया में समानता
आने में इतनी देरी निीं लगती
III. लोगों को तयोंकक यहद लोग अपना काम कर रिे िोते तो दतु नया में अनाज की कमी
निीं िोती
IV. स्वयं को तयोंकक यहद कभी अपना काम कर रिे िोते तो दतु नया में गरीबी निीं िोती
(ग)कवि भूिे नांगे िोगों को उनकी शजक्त का भान ककस तरि से निीां कराना िािता िै
I. उन्िें परमात्मा की शरण में जाने को कि रिा िै
II. उन्िें खुद िी जगपतत िोने की बात कि रिा िै ताकक वि अपनी शष्तत पिचाने
III. अदृश्य शष्तत का सिारा त्यागने की बात कि रिा िै
IV. दस
ू रों का मुाँि ताकते िुए जीना छोड़ें
(घ)दनु नया कायर और ननबशि िो गई िै कवि ऐसा कब सोिेगा?
I. जब कुछ लोगों को भख
ू ा नंगा दे खकर लोग आाँसू बिाने के लसवा कुछ निीं करते िैं
तब
II. कुछ लोगों को भख
ू ा नंगा दे खकर व्यवस्िा पररवतषन के ललए लोगों के आगे आने पर
III. परमात्मा की शरण में जाने पर
IV. दस
ू रों का मुाँि ताकते िुए जीवन जीने पर
(ङ) प्रश्न ‘सम्मोहित’ शब्द की रिना का सिी विकल्प िै
I. सं+मोि+इत III. स+मोि+इत
II. स+म्मोि+ईत IV. सम्मोिन+इत

काव्याांश -2
यत्न से पुरुर्ािष से, सब लक्ष्य आते िैं तनकि,

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इंसातनयत सवु वचार से घिती समस्याएाँ ववकि।
रष्श्म रवव की चीरती िैं वक्ष काली रात का,
शौयष– सािस- शील-बल ,समझो उदय िै प्रात का।
वीर संयमशील मानव, कामना आस्वाद की।
िै निीं करते उन्िें धचंता सदा मयाषद की।
सामथ्यष यहद तनज पास िो शंका न िो अवसाद की।
वीरभोग्य वसुंिरा िी, मूल पुण्य प्रसाद की।
कीततष- यश-सम्मान के अवसर सिज लमलते निीं,
व्यस्त वीरों के कदम आपवि में डडगते निीं।
िम बढें संकल्प लें, गंतव्य भी लमल जाएगा,
लगन के आगे न कोई दख
ु भला हिक पाएगा।
ववफलता का भूत लेकर उत्कर्ष लमल सकता निीं ,
कहठन व्रत सािे त्रबना कोई सफल िोता निीं।
(क)-व्यजक्त को िक्ष्य प्राप्त िोता िै –
I. अभीटि मागष चन
ु लेने से III. उत्कर्ष की ओर बढ्ने से
II. प्रयत्न और परु
ु र्ािष से IV. ववफलता से बचने के प्रयास से
(ि)-ककस मनष्ु य को अिसाद की शांका निीां िोती ?
I. जो सामथ्यषवान िो। III. जो तनभषय व तनदषय िो
II. जो सामथ्यषवान न िो । IV. जो तनदषय व ववचारशील िो
(ग)-शौयश,सािस ,शीि आहद गुण ककसके सूिक िैं ?
I. जीवन की संकल्पना के III. जीवन मे नई सुबि के आगमन के
II. जीवन मे ववफलता के आगमन के IV. घनेरी अंिेरी रात के
(घ) जीिन की कहिन समस्याओां का समाधान ननहित िै –
I. मानवता और सवु वचार में
II. उदार चररत्र और प्रेम में
III. सुचारु रूप से कायष सम्पन्न करने में
IV. योजना बद्ि ढं ग में
(ङ) सफिता के लिए कवि ने क्या शतश रिी िै ?
I. ववफलता का भूत सर पर लेकर ष्जयो ।
II. मात्र सफलता के बारे मे सोचो।
III. कहठन व्रत सािक बनो।
IV. सफलता की ओर ले जाने वाले कहठन मागष पर मत चलो ।

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काव्याांश -3
उसके बाद सहदषयााँ आ जाएाँगी।
और मैंने दे खा कक सहदषयााँ जब भी आती िैं
तो मााँ िोड़ा और झक
ु जाती िै
अपनी परछाई की तरफ
ऊन के बारे में उसके ववचार
बिुत सख्त िैं
मत्ृ यु के बारे में बेिद कोमल
पक्षक्षयों के बारे में
वि कभी कुछ निीं किती
िालााँकक नींद में
जब वि बिुत ज्यादा िक जाती िैं
तो उठा लेती िै सुई और तागा
मैंने दे खा िै कक जब सब सो जाते िैं
तो सई
ु चलाने वाले उसके िाि
दे र रात तक
समय को िीरे-िीरे लसलते िैं
जैसे वि मेरा फिा िुआ कुताष िो
वपछले साठ बरसों से
एक सुई और िागे के बीच
दबी िुई िै मााँ
िालांकक वो खद
ु एक करघा िै
ष्जस पर साठ बरस बन
ु े गए िैं
िीरे-िीरे ति पर ति
खूब मोिे और गणझन और खरु दरे
साठ बरस
(क)‘सहदशयाँ जब भी आती िैं तो माँ थोडा और झुक जाती िै ’ पांजक्त का आशय ननम्नलिखित
में से क्या िै?
I. सहदषयों में काम के बोझ से मााँ दब जाती िैं
II. वद्
ृ ि मााँ के स्वास्थ्य के ललए सहदषयााँ उपयुतत निीं रिती िैं
III. सहदषयों में मााँ के झक
ु कर चलने की आदत बन गई िै।
IV. सहदषयों में मााँ खुशी के मारे झुककर चलने लगती िै।

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(ख)‘िािाांकक िि िद
ु एक करघा िै’ से कवि का क्या तात्पयश िै?
I. मााँ करघे पर काम करती िै
II. करघे के त्रबना उसका काम निीं िोता
III. करघे घर पर सूत कातना उसकी ष्जंदगी का एक हिस्सा िै ।
IV. मााँ प्रततक्षण कायों में व्यस्त रिती िै
(ग)सहदशयाँ आते िी कवि को ककस बात की चिांता िो जाती िै ?
I. उस ब़िती सदी में मााँ के स्वास्थ्य की
II. मााँ और अपने फिे िुए वस्त्रों के लसलने की
III. सहदषयों के बाद गलमषयों के आने की
IV. सहदषयों में मााँ के स्वास्थ्य व घर के काम की
(घ)माँ ककसके बारे में कभी कुछ निीां किती ?
I. मत्ृ यु और ऊन के बारे में
II. मत्ृ यु और पक्षक्षयों के बारे में
III. पक्षक्षयों के बारे में
IV. पक्षक्षयों और नींद के बारे में
(ङ) धीरे –धीरे में अिांकार िै -
I. यमक
II. अनुप्रास
III. पुनरुष्तत प्रकाश
IV. रूपक
काव्याांश -4
सौदागर कुछ भी खरीद सकते िैं पर तया वि जानता िै ?
दतु नया में सभी चीजें खरीदी निीं जाती !
मिाँगा पलंग खरीद सकते िैं
पर नींद निीं - व्यंजन खरीद सकते िैं
पर भूख निीं-संवेदना का मल्
ू य किााँ रिा
तभी तो ककसी ने किा- सपने वे बड़े निीं िोते,
जो सोने के बाद आते िैं, सपने वे बड़े िोते िैं, जो सोने निीं दे ते |
अपने वे निीं िोते, जो रोने के बाद आते िैं,
अपने वे िोते िैं , जो रोने निीं दे ते|
आपने कभी - कभी दे खा ?
संवेदना स्िोसष, अपनत्व सेंिर, अिसास कॉनषर

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यि सब हदल के अंदर रखा जाता िै ,
जो न बेचा जाता िै और न खरीदा जाता िै |
िम आज सवु विा के ललए सब कुछ खरीदना चािते िैं
पर तैयार निीं - असवु विाओं के ललए- िम समिष िैं, िे लीकॉप्िर से
केदारनाि- बद्रीनाि जा सकते िैं |
पर तया ईश्वर के करीब आ सकते िैं?
अमीरी का िें शन उसी समय तक िै- जब तक गरीबी िै |
अगर िो रोते चेिरे पर सैकड़ों खचष कर
मुस्कान आएगी- तो उस हदन आप की खरीदारी सफल िो जाएगी |
प्रश्न -1 सौदागर गाँि में पैसा िोने पर भी निीां िरीद सकतािै-
I. ततजोरी का जेवर
II. मिाँगी- मिाँगी साडड़यााँ
III. नींद और भूख
IV. ककताबें और उपिार
प्रश्न - 2 “सपने िे बडे िोते िैं, जो सोने निीां दे ते” पांजक्त का आशय िै-
I. बड़े सपने इंसान को सोने निीं दे ते |
II. श्रेटठ ववचार व्यष्तत को चेतनता प्रदान करते िैं |
III. मिान लक्ष्य मानव को तनरं तर कमषशील बनाए रखते िैं |
IV. बड़े सपनों से नींद बाधित िोती िै |
प्रश्न - 3 कविता में उसी व्यजक्त को अपना माना गया िै , जो
I. रोने के बाद संवद
े ना प्रकि करता िै
II. रोने के क्षणों में आाँसू पोछता िै
III. रोने के कारणों का तनवारण करता िै
IV. साि रोता िै
प्रश्न - 4 आज का समथश व्यजक्त िरीद निीां सकता-
I. सांसाररक सुख सािनों को
II. जीवन की समस्त सवु विाओं को
III. भौततक उपलष्ब्ियों को
IV. परमेश्वर की परम कृपालत
ु ा को
प्रश्न- 5 िरीदारी की सफिता आधाररत िै -
I. सख
ु - सवु विा के सािन जि
ु ाने से
II. जीवन की समस्त असवु विाओं को दरू करने में
III. दख
ु ी व्यष्तत के चेिरे पर मुस्कान लाने में
iv िके रािगीर को छाया देने में

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काव्याांश -5
जैसे ििके आग ग्रीटम के लाल पलाशों के फूलों में,
वैसी आग जगाओ मन में वैसी आग जगाओ रे ।
जीवन की िरती तो रुखी मि मैली िी िोती िै,
तन-तरू- मूल लसंचाई अतल की गिराई में िोती िै।
ककं तु कोपलों जैसे ज्वाला में भी शीश उठाओ रे ,
ऐसी आग जगाओ मन में ऐसी आग जगाओ रे ।
एक आग िोती िै मन को जो कक राि हदखलाती िै ,
सघन अंिेरे में मशाल बन हदलश का बोि कराती िै ,
ककं तु द्वेर् की धचंगारी से मत घर द्वार जलाओ रे ।
ऐसी आग जगाओ मन में ऐसी आग जगाओ रे
आज ग्रीटम की उर्ाकाल को ररमणझम राग सुनाएगी,
ताप मई दोपिरी संध्या को बयार ले आएगी
रसघन आंगन में हिलकोरे ऐसा ताप रचाओ रे
ऐसी आग जगाओ मन में ऐसी आग जगाओ रे
(क) कवि ने ककन से कैसी ज्िािा जगाने के लिए का कि रिा िै
I. दे श के लशशओ
ु ं से ग्रीटम ऋतु में िड़कते पलाश के फूलों सी क्रांतत जगाने के ललए ख
रिा िै ।
II. दे श के नव युवकों से शीत ऋतु में िड़कते पलाश के लाल फूलों सी क्रांतत जगाने के
ललए कि रिा िै ।
III. दे श के नव युवकों से ग्रीटम ऋतु में िड़कते पलाश के लाल फूलों सी क्रांतत जगाने के
ललए कि रिा िै।
IV. दे श के प्रौ़िो से ग्रीटम ऋतु में िड़कते पलाश के लाल फूलों सी क्रांतत जगाने के ललए
कि रिा िै।
(ख) िक्ष
ृ ों की कोपिें िमें क्या प्रेरणा देती िै
I. िमें ज्वालाओं में भी लसर जलाते रिने की प्रेरणा दे ती िैं
II. िमें कहठनाइयों में भी लसर ऊंचा उठाए रखने की प्रेरणा दे ती िैं
III. िमें ज्वालाओं में लसर बचाए रखने की प्रेरणा दे ती िैं
IV. िमें ज्वालाओं में भी लसर ऊंचा ना उठाए रखने की प्रेरणा दे ती िैं
(ग) जीिन की धरती तो रुिी मटमैिी िो सकती िै का भाि क्या िै
I. जीवन रूपी िरती तो सदै व संघर्ों से यत
ु त िोती िै
II. जीवन रूपी िरती तो सदै व सािनों से युतत िोती िै

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III. जीवन रूपी िरती तो सदै व अभावों से यत
ु त िोती िै
IV. जीवन रूपी िरती तो सदै व संस्कारों से युतत िोती िै
(घ) कवि ने दो प्रकार की आग का उल्िेि ककया िै । कविता के सांदभश में स्पष्ट कीजजए
I. पिली दया की आग ष्जससे मन को हदशा हदख जाती िैं दस
ू री द्वेर् की ज्वाला
ष्जससे ककसी का घर जल सकता िै
II. पिली ज्ञान की आग ष्जससे मन को हदशा हदख जाती िैं दस
ू री द्वेर् की ज्वाला
ष्जससे ककसी का घर जल सकता िै
III. पिली ज्ञान की आग ष्जससे मन को हदशा हदख जाती िैं दस
ू री क्रांतत की ज्वाला
ष्जससे ककसी का घर जल सकता िै
IV. पिली तन की आग ष्जससे मन को हदशा हदख जाती िैं की आग दस
ू री द्वेर् की
ज्वाला ष्जससे ककसी का घर जल सकता िै
(ङ) क्राांनत का क्या पररणाम िोगा ?
I. क्रांतत का पररणाम सुखद िोगा िर घर आंगन में खश
ु ी का वातावरण िोगा
II. क्रांतत का पररणाम बिुत कटिकारी िोगा
III. क्रांतत जीवन को तिस-निस कर दे गी
IV. क्रांतत लोगों के ललए दख
ु और एकाकीपन लेकर आएगी
काव्यान्श-6

सच्चाई यि िै कक
केवल ऊाँचाई िी काफी निीं िोती
सबसे अलग-िलग
पररवेश से पि
ृ क
अपनों से किा-बाँिा
शन्
ू य में अकेला खड़ा िोना
पिाड़ की मिानता निीं मजबरू ी िै
ऊाँचाई और गिराई में
आकाश पाताल की दरू ी िै ।
जो ष्जतना ऊाँचा
उतना िी एकाकी िोता िै ,
िर भार को स्वयं िी ढोता िै
चेिरे पर मस्
ु कानें धचपका
मन िी मन रोता िै

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जरूरी यि िै ऊाँचाई के साि ववस्तार भी िो
ष्जससे मनुटय ठूाँठ-सा खड़ा न रिे
औरों से घुले लमले ककसी को साि ले
ककसी के संग चले
भीड़ में खो जाना
यादों में डूब जाना
अष्स्तत्व को अिष
जीवन को सग
ु ंि दे ता िै
(क)कवि के अनुसार पिाड की क्या वििशता िै ?
I. पिाड़ का अत्यधिक ऊाँचा िोना
II. पिाड़ का संसार की लोगों की दृष्टि में मिान िोना
III. पिाड़ का सबसे अलग-िलग एकाकी खड़ा िोना
IV. पिाड़ का गिराई से दरू िोना
(ि)कवि के अनुसार क्या आिश्यक िै ?
I. संसार में सबके चेिरों पर मस्
ु कानें धचपकाना
II. अपने जीवन को ववशेर् अष्स्तत्व न प्रदान करना
III. जीवन में अलग-िलग िोकर एकाकी रिना
IV. ऊाँचाई के साि ववस्तार भी िोना चाहिए
(ग)प्रस्तुत काव्याांश का प्रतीकाथश क्या िो सकता िै?
I. यि कववता प्रकृतत के अंगों नदी, पिाड़, फूलों से जुड़ी िै
II. इस कववता में मुख्यत: पिाड़ की वववशता को दशाषया गया िै ।
III. कववता में एकाकीपन के सख
ु द आनंद का वणषन ककया गया िै ।
IV. कववता मनुटय के जीवन में ऊाँचाई आने पर भी सबका साि न छोड़ने की ओर संकेत
करती िै
(घ)कवि के अनुसार भीड में िो जाना िमारे जीिन में क्या पररितशन िाता िै
I. िमारे अष्स्तत्व को लमिाता िै और जीवन में सुगंि भर दे ता िै
II. िमें उस भीड़ का एक हिस्सा बना दे ता िै िमें यादों में डूबो दे ता िै
III. िमारे अष्स्तत्व के ललए अिषपूणष िैं और िमारे जीवन में सुगंि भर दे ता िै
IV. िमें पररवार से अलग कर दे ता िै और सदा के ललए उनकी याद िमारे मन में छोड़
जाता िै
(ङ) एकाकी का अथश िै -
I. नािक का एक प्रकार

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II. जो सबके साि लमल कर चले
III. एक और एक
IV. अकेला
(व्याििाररक व्याकरण)
रिना के आधार पर िाक्य भेद
प्रश्न1-शब्दों का क्रमबदध साथशक समूि -------कििाता िै।
(क) वातय (ग) वविेय
(ख) उद्देश्य (घ) संरचना
प्रश्न2-िाक्य के प्रमुि अांग ------िैं।
(क) सरल ,जहिल (ग) उद्देश्य,ववलोम
(ख) प्रयोग,वविेय (घ) उद्देश्य,वविेय
प्रश्न3-रिना के आधार पर िाक्य के भेदों की सांख्या और नामों का उचित विकल्प िुनें -
िोतेिैं।
(क) चार-सरल, संयत
ु त, संकेत, लमश्र (ग) तीन-सरल ,संयत
ु त, लमश्र
(ख) दो –सरल, संयुतत (घ) तीन–सरल, संयुतत, संकेत
प्रश्न4-सांयक्
ु त िाक्यों को जोडते िैं -
(क)समानाधिकरण योजक (ग) कक्रयाववशेर्ण
(ख) व्यधिकरण योजक (घ) ववशेर्ण
प्रश्न5- लमश्र िाक्यों को जोडने िािे योजक कििातेिैं--
(क) व्यधिकरण (ग) ववकल्पक
(ख) समानाधिकरण (घ) संयोजक
प्रश्न6-लमश्र िाक्य में िोते िैं
(क) सभी वातय प्रिान
(ख) एक प्रिान एवं अन्य उसके आधश्रत
(ग) सभी वातय गौण िोते िैं
(घ) सभी वातय स्वतंत्र िोते िैं
प्रश्न7-प्रायः" कक" समुच्ियबोधक अव्यय से जुडने िािे िाक्य िोते िैं-
(क) लमश्र (ग) सरल
(ख) संयुतत (घ) ववस्मयाहदबोिक
प्रश्न8- प्रधान उपिाक्य ------िोता िै।
(क) स्वतंत्र (ग) ववशेर्ण
(ख) आधश्रत (घ) कक्रयाववशेर्ण

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प्रश्न9-‘सरू दास भजक्तकाि की सगण
ु काव्यधारा के कृष्ण-भक्त कवि िैं।‘ िाक्य भेद बताएँ ?
(क) संयुतत (ग) सरल
(ख) लमश्र (घ) सन्दे िवाचक
प्रश्न10- ‘लशि धनष
ु तोडने िािा सभा से अिग िो जाए अन्यथा सारे राजा मारे जाएांगे।‘
िाक्य भेद बताएँ।
(क) लमश्र (ग) जहिल
(ख) सरल (घ) संयुतत
प्रश्न11- ‘अांदर जाओ और कुसी िाओ।‘ िाक्य भेद बताएँ?
(क) लमश्र (ग) संयुतत
(ख) सरल (घ) ववस्मयाहदबोिक
प्रश्न12- ननम्नलिखित िाक्य का सरि िाक्य में पररितशन िोगा।
"जब तुम आओगे तब मैं िाना िाऊँगा "
(क) तुम्िारे आने पर मैं खाना खाऊाँगा।
(ख) तुम आओगे और मैं खाना खाऊाँगा।
(ग) जैसे िी तम
ु आओगे मैं खाना खाऊाँगा।
(घ) तुम्िारे आ जाते िी मैं खाना खा लाँ ग
ू ा।
प्रश्न13- ननम्नलिखित िाक्य को लमश्र में बदलिए-
‘फ़सि पकते िी ककसान िुश िो गए’
(क) फसल पकी और ककसान खुश िो गए।
(ख) जैसे िी फसल पकी, ककसान खुश िो गए।
(ग) ककसान के खुश िोते िी फ़सल पक गई।
(घ) फसल पकेगी और ककसान खश
ु िोंगे ।
प्रश्न14- सांयुक्त िाक्य में बदलिए----
"िि आते िी बैि गया "
(क) वि आया और बैठ गया।
(ख) जैसे िी वि आया वैसे िी बैठ गया।
(ग) वि आकर बैठ गया।
(घ) वि आकर बैठेगा।
प्रश्न15-ककस िाक्य में एक िी मुख्य कक्रया िोती िै?
(क) सरल (ग) लमश्र
(ख) संयत
ु त (घ) जहिल वातय
प्रश्न16- ‘भगत कबीर को अपना सािब मानते थे।‘ यि िाक्य िै-/

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(क) लमश्र (ग) सरल
(ख) संयुतत (घ) ववशेर्ण
प्रश्न17-ननम्नलिखित िाक्यों में से सांयुक्त िाक्य पििाननए-
(क) आपके बुलाने पर वि आ जायेगा।
(ख) जब भीड़ कम िोगी तब मैं बाजार जाऊाँगा।
(ग) यहद तम
ु आओगे तो मै,, तम्
ु िारे साि चलाँ ग
ू ा।
(घ) घण्िी बजी,और बच्चे घर की ओर चल हदये।
प्रश्न18- ननम्नलिखित लमश्रिाक्य का सरि िाक्य में रिनान्तरण िोगा–
‘जो िडका पेड के पास िडा िै,िि मेरा लमत्र िै।‘
(क)लड़का पेड़ के पास खड़ा िै और मेरा लमत्र िै।
(ख) पेड़ के पास खड़ा िुआ लड़का मेरा लमत्र िै।
(ग) वि लड़का जो पेड़ के पास खड़ा िै मेरा लमत्र िै।
(घ) पेड़ के पास खड़ा िो जाने वाला लड़का मेरा लमत्र िै।
प्रश्न19- रे िाांककत आचश्रत उपिाक्य का नाम बताइये---
जैसा मै किूँ वैसा करते ििो।
(क)कक्रया ववशेर्ण आधश्रत उपवातय।
(ख) संज्ञा आधश्रत उपवातय ।
(ग) ववशेर्ण आधश्रत उपवातय।
(घ) सवषनाम आधश्रत उपवातय।
प्रश्न20- ननम्नलिखित िाक्य का भेद पििाननए--
‘क्या िोगा उस कौम का जो अपने दे श की िानतर घर गि
ृ स्थी जिानी ज ांदगी सब कुछ िोम
दे ने िािों पर िँसती िै।‘
(क)संयुतत वातय (ग) लमश्रवातय
(ख) सरलवातय (घ) इनमें से कोई निीं
प्रश्न21- ‘हिरण दौडकर झाड़डयों में नछप गया।‘
उपयुशक्त िाक्य को सांयुक्त िाक्य में बदिने पर रूप बनेगा।
(क) हिरण दौड़ा और झाडड़यों में तछप गया।
(ख) हिरण दौड़ते िुए झाडड़यों में तछप गया।
(ग) जब हिरण दौड़ा तब झाडड़यों में तछप गया।
(घ) दौड़ने वाला हिरण झाडड़यों में तछप गया।
प्रश्न22-’जिाँ िि रिता िै, ििाँ बिुत शाांनत िै।‘
उपयुशक्त िाक्य में से प्रधान उपिाक्य िोगा

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(क) शांततिै। (ग) जिााँ बिुत शांतत िै।
(ख) जिााँ वि रिता िै। (घ) विााँ बिुत शांतत िै।
प्रश्न23-ननम्नलिखित विकल्पों में से कौन सा भेद आचश्रत उपिाक्य के अांतगशत निी आएगा।
(क) संज्ञा उपवातय । (ग) सवषनाम उपवातय
(ख) ववशेर्ण उपवातय। (घ) कक्रयाववशेर्ण उपवातय।
प्रश्न24- "जैसे िी मिादे िी जी ने गौरा को दे िा, उसे पािने का ननश्िय कर लिया" यि िाक्य ,
िाक्य रिना के ककस भेद के अांतगशत आएगा?
(क) सरल (ग) लमश्र
(ख) संयुतत (घ) वविानवाचक
प्रश्न25-मुझे िाय और त्रबस्कुट बिुत पसांद िै । िाक्य भेद िै -
(क) लमश्र (ग) संयुतत
(ख) सन्दे ि (घ) सरल
प्रश्न26- ‘जब िसांत ऋतु आती िै, तब कोयि बोिने िगती िै।‘
इस िाक्य में आचश्रत उपिाक्य का भेद िोगा-
(क) कक्रयाववशेर्ण आधश्रत उपवातय (ग) ववशेर्ण उपवातय
(ख) संज्ञा आधश्रत उपवातय (घ) प्रिान वातय
प्रश्न27-‘ििाँ एक गाँि था। िि गाँि छोटा सा था।‘ उसके िारों ओर घना जांगि था। इन
िाक्यों से लमश्र िाक्य बनाइये ।
(क) विााँ एक छोिा सा गााँव िा और उसके चारों ओर घना जंगल िा।
(ख) छोिे गााँव के चारों ओर घना जंगल िा।
(ग) वि गााँव छोिा सा िा इसललए उसके चारों ओर घना जंगल िा।
(घ) विााँ एक छोिा सा गााँव िा ष्जसके चारों ओर घना जंगल िा।
प्रश्न28-माता जी को परू ा विश्िास था कक वपता जी िुनाि जीत जाएांगे िाक्य को सरि
िाक्य मे बदिने पर िोगा-
(क) माता जी को वपता जी के चन
ु ाव जीतने का परू ा ववश्वास िा ।
(ख) जब माता जी को ववश्वास िा तभी वपता जी चुनाव जीते ।
(ग) तयोंकक माता जी को ववश्वास िा इसललए वपता जी चुनाव जीते ।
(घ) माता जी को वशवास िा अतः वपता जी चुनाव जीते ।
प्रश्न29–निाब सािब ने तौलिया झाड कर सामने त्रबछा हदया । िाक्य को सयुांक्त िाक्य में
बदिने पर िोगा –
(क) नवाब सािब ने तौललया झाड़ा सामने त्रबछाने के ललए।
(ख) नवाब सािब ने तौललया झाड़ने के बाद सामने त्रबछा हदया।

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(ग) नवाब सािब ने तौललया झाड़ा इसललए सामने त्रबछा हदया ।
(घ) नवाब सािब ने तौललया झाड़ा और सामने त्रबछा हदया।
प्रश्न30 काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन और अद्भुत परं परा िै । वातय को लमश्र
वातय में बदलने पर िोगा –
(क) काशी में संगीत आयोजन िोता िै और यि प्राचीन और अद्भुत परं परा िै ।
(ख) काशी में संगीत आयोजन की जो परंपरा िै , वि प्राचीन और अद्भत
ु िै ।
(ग) काशी की प्राचीन और अद्भुत परं परा संगीत आयोजन की िै ।
(घ) काशी में संगीत आयोजन िोता रिता िै अतः यि एक प्राचीन और अद्भत
ु परंपरा
िै ।

िाच्य
प्रश्न1--कतशि
ृ ाच्य िोता िै-
(क) जब वातय में कताष की प्रिानता िोती िै
(ख) जब वातय में कमष की प्रिानता िोती िै
(ग) जब भाव की प्रिानता िोती िै
(घ) जब वातय में कमष व कताष दोनों की प्रिानता िोती िै
प्रश्न2- कक्रया का लिांग ििन कमश के अनुसार िोने पर िाच्य िोता िै
(क) कतषव
ृ ाच्य (ग) भावाच्य
(ख) कमषवाच्य (घ) कतषरर प्रयोग
प्रश्न3-जब कायश अिानक अनिािे िो जाए तो ििाँ कक्रया का िाच्य िोगा -
(क) कतषव
ृ ाच्य (ग) भाववाच्य
(ख) कमषवाच्य (घ) पूणषवाच्य
प्रश्न4 -िाच्य के सांबध
ां में में अनप
ु यक्
ु त कथन िन
ु े-
(क) कतषव
ृ ाच्य में कक्रया सकमषक और अकमषक दोनों िो सकती िै
(ख) कमषवाच्य में कक्रया सदै व सकमषक िोती िै
(ग) भाववाच्य में कक्रया सदै व सकमषक िोती िै
(घ) भाव वाच्य में कक्रया सदै व अकमषक िोती िै
प्रश्न5 -िाच्य का सांबांध िोता िै -
(क) कक्रया के रूप से (ग) ववशेर्ण के रूप से
(ख) संज्ञा के रूप से (घ) अव्यय के रूप से
प्रश्न6 -भाि िाच्य में िाच्य त्रबद
ां _
ु ______ िोता िै तथा कक्रया____ का प्रयोग िोता िै।
ररक्त स्थान िे तु क्रमश: सिी विकल्प िनु नए –

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(क) कताष-अकमषक (ग) भाव-अकमषक
(ख) कताष-सकमषक (घ) भाव-सकमषक
प्रश्न7 -ननम्न में से कतशि
ृ ाच्य का िाक्य िुननये-
(क) चश्मे वाले को लोग कैप्िन किते िे ।
(ख) राम से प़िा निीं जाता ।
(ग) राम से खब
ू प़िा गया।
(घ) रोगी को भोजन हदया गया।
प्रश्न8- ‘मजदरू ों से पत्थर निीां तोडे जा रिे ।‘ िाक्य का कति
श ृ ाच्य में पररिनतशत करने पर रूप
िोगा–
(क) मजदरू पत्िर निीं तोड़ेगे।
(ख) मजदरू ों ने पत्िर निीं तोड़े।
(ग) मजदरू पत्िर निीं तोड़ते।
(घ) मजदरू पत्िर निीं तोड़ रिे ।
प्रश्न9-ननम्नलिखित में से कमशिाच्य का िाक्य िुननए-
(क) िालदार सािब मतू तष को ध्यान से दे खते िे।
(ख) अब िालदार सािब को बात कुछ-कुछ समझ में आई।
(ग) पान वाला नया पान खा रिा िा।
(घ) िालदार सािब द्वारा चश्मे वाले की दे शभष्तत का सम्मान ककया गया।
प्रश्न10- ‘धान के पानी भरे िेतों में बच्िे उछि रिे िैं।‘ िाक्य भेद बताएँ।
(क) कतषव
ृ ाच्य (ग) भाववाच्य
(ख) कमषवाच्य (घ) अकतषव
ृ ाच्य
प्रश्न11- ‘बािगोत्रबन भगत कबीर को अपना सािब मानते थे।‘ िाक्य को िाच्य के ककस भेद
में बदिा जा सकता िै ?
(क) कमषवाच्य में (ग) कतष ृ व कमष दोनों में
(ख) भाववाच्य में (घ) कतषव
ृ ाच्य
प्रश्न12- ‘भोर में िोगों ने गीत निीां सुना।‘ िाक्य को कमशिाच्य में बदिने पर रूप िोगा-
(क) भोर में लोग गीत निीं सुन पाए।
(ख) भोर में लोगों के द्वारा गीत निीं सुना गया।
(ग) भोर में लोगों से गीत निीं सुना जा रिा िै।
(घ) भोर में लोगों से गीत निीं सुना जाएगा।
प्रश्न13- ‘बािगोत्रबन भगत प्रभानतयाँ गाते थे’ िाक्य में िाच्य िै-
(क) कतषव
ृ ाच्य (ख) कमषवाच्य

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(ग) भाववाच्य (घ) अकतषव
ृ ाच्य
प्रश्न14--ननम्नलिखित में से कतशि
ृ ाच्य का िाक्य िै –
(क) चलो, आज ववद्यालय घुमा जाए।
(ख) चलो, आज ववद्यालय चलें।
(ग) आज घुमा जाए।
(घ) चलो, आज यिीं रि जाए।
प्रश्न15- ‘पेन से उसने चित्र बनाया।‘ िाक्य में िाच्य िै –
(क) कमष वाच्य (ग) भाव वाच्य
(ख) कतषव
ृ ाच्य (घ) अकतषव
ृ ाच्य
प्रश्न16- ‘वपताजी ने मेरी बात मान िी।‘ िाक्य को बदिा जा सकता िै -
(क) कतषव
ृ ाच्य में
(ख) भाव वाच्य में
(ग) कमषवाच्य में
(घ) वाच्य के ककसी भी भेद में
प्रश्न17- ‘दपशण मझ
ु से चगरा हदया गया।‘ िाक्य का िाच्य भेद िै-
(क) भाववाच्य (ग) कतषव
ृ ाच्य
(ख) कमषवाच्य (घ) अन्य
प्रश्न18-ननम्न में से कमशिाच्य िािा िाक्य िुननए-
(क) वि अपनी छोिी सी दक
ु ान में उपलब्ि धगने-चुने फ्रेमों में से नेता जी की मूततष पर
फ्रेम कफि कर दे ता िा।
(ख) चलो अब सोते िैं।
(ग) अब नानी द्वारा किातनयााँ निीं सन
ु ाई जाती िैं ।
(घ) मैं दे ख निीं सकती।
प्रश्न19-ननम्न में से भाििाच्य िािा िाक्य िनु नए-
(क) अब सो सकते िैं।
(ख) अब सोते िैं।
(ग) अब सोया जाए।
(घ) अब सो जाओ।
प्रश्न20- ‘नेता जी ने दे श के लिए अपना सब कुछ त्याग हदया’ िाक्य को कमशिाच्य में
बदिने पर िोगा –
(क) नेता जी ने दे श के ललए सब कुछ त्यागा।
(ख) नेताजी के द्वारा दे श के ललए अपना सब कुछ त्याग हदया गया।

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(ग) नेताजी से सब कुछ त्यागा जा रिा िै।
(घ) नेताजी से दे श के ललए अपना सब कुछ त्यागा जाएगा।
प्रश्न21- ‘भगत की पत्र
ु िधू उन्िें अकेिे छोडकर निीां जाना िािती थी।‘ िाच्य भेद बताएँ-
(क) कतषव
ृ ाच्य (ग) भाववाचक
(ख) कमषवाच्य (घ) अकतषव
ृ ाच्य
प्रश्न22- ‘भि
ू से मैं रात भर तडपती रिी।‘ िाच्य भेद िै-
(क) भाववाच्य (ग) कतषव
ृ ाच्य
(ख) कमषवाच्य (घ) अकतषव
ृ ाच्य
प्रश्न23-कमशिाच्य का प्रयोग सामान्यतः िोता िै –
अ -जिााँ कताष अज्ञात िो ।
ब-जिााँ उद्दे श्य कताष को न प्रकि करना िो ।
स-सरकारी आदे श तनदे श में
द-जिााँ इच्छा सिमतत अनुमतत प्राप्त की जाती िै
विकल्प:-
(क) ववकल्प अ और ब सिी िै
(ख) ववकल्प अ,ब,स सिी िै।
(ग) ववकल्प द सिी िै ।
(घ) ववकल्प अ,ब ,स और द चारों सिी िै।
प्रश्न24- िि िि भी निीां पाता। िाक्य को बदिा जा सकता िै
(क) कतषव
ृ ाच्य में
(ख) भाव वाच्य में
(ग) कमषवाच्य में
(घ) वाच्य के ककसी भी भेद में निीं
प्रश्न25 -ननम्नलिखित िाक्य में कति
श ृ ाच्य का िाक्य िन
ु े-
(क) वि तो सो भी निीं पाता।
(ख) सुरेश से िी शैतानी की गई िी।
(ग) मुझसे अब और निीं जागा जाता।
(घ) तुम्िारे द्वारा िी मेरा हदमाग घुमा हदया गया िा।
प्रश्न26-ननम्नलिखित में से कौन सा कक्रया का प्रयोग निीां िोता
(क) भावे प्रयोग (ग) कतषरर प्रयोग
(ख) कमषणण प्रयोग (घ) सवषनाम्नी प्रयोग
प्रश्न27-ननम्न में से कौन सा िाक्य कतशि
ृ ाच्य में बदिा जा सकता िै ?

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(क) चलो िोड़ी दे र सो लेते िैं।
(ख) यि तनबंि शुतला जी द्वारा ललखा गया िै।
(ग) आप इस बगीचे से फूल तोड़ेंगे।
(घ) बच्चे अब से यिााँ निीं खेलेंगे ।
प्रश्न28-ननम्न में से कौन सा िाक्य भाििाच्य में बदिा जाएगा ?
(क) वि तो अब चल भी निीं सकता।
(ख) मैं तो अब दि
ू भी निीं पीता।
(ग) उससे तो खाना त्रबल्कुल भी निीं खाया जाता िै।
(घ) वि तो गीत निीं ललखता
प्रश्न29- ‘घायि पक्षी न उडा।‘ िाक्य का भाििाच्य में पररितशन िोगा-
(क) घायल पक्षी से उड़ा न गया।
(ख) घायल पक्षी से निीं उड़ा जाएगा।
(ग) घायल पक्षी निीं उड़ता िै ।
(घ) घायल पक्षी िो निीं पा रिा िै।

प्रश्न30-आओ आज निर में तैरें। भाििाच्य में बदिें।

(क) आओ आज निर में तैरते िैं।


(ख) आओ आज निर में तैरा जाए।
(ग) आओ आज निर में तैरने चला जाए।
(घ) आज निर में तैरेंगे

पद –पररिय
प्रश्न 1-िाक्य में प्रयुक्त शब्द कििाता िै –
(क) पद (ख) वातय (ग) समास (घ) अव्यय
प्रश्न2 –पद पररिय कििाता िै –
(क) पदों का ववस्तत
ृ व्याकरणणक पररचय दे ना
(ख) पदों का वातयों में प्रयोग करना
(ग) पदों के ववर्य में संक्षेप में जानकारी दे ना
(घ) पदों की वातयों में ष्स्ितत पर गौर करना
प्रश्न 3–सांज्ञा, सिशनाम, कक्रया ि विशेषण िोते िैं –
(क) ववकारी शब्द (ग) अव्यय शब्द
(ख) अववकारी शब्द (घ) संकर शब्द
प्रश्न 4– अविकारी शब्दों का उचित समि
ू िनु नये –

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(क) कक्रया ववशेर्ण, संबंि बोिक, ववस्मयाहदबोिक ,संज्ञा
(ख) संज्ञा, सवषनाम, कक्रया,ववशेर्ण
(ग) कक्रया ववशेर्ण, संबंि बोिक, ववस्मयाहद बोिक, सवषनाम
(घ) संबंिबोिक, समुच्चयबोिक, ववस्मयाहदबोिक, कक्रया ववशेर्ण, तनपात,
प्रश्न5- सांज्ञा पद के पररिय में बताया जाता िै -
(क) भेद, ललंग, वचन, कारक, कक्रया से संबंि
(ख) भेद, ललंग, वचन, कारक, काल, कक्रया से संबंि
(ग) भेद, ललंग, वचन, कारक, वाच्य, कक्रया से संबि

(घ) भेद, ललंग, वचन, कारक, िातु, कक्रया से संबंि
प्रश्न6-विशेषण पद के पररिय में बताया जाता िै -
(क) ववशेर्ण का भेद,ललंग, वचन, कारक
(ख) ववशेर्ण का भेद,ललंग, वचन, ववशेटय
(ग) ववशेर्ण का भेद,ललंग, वचन, वाच्य
(घ) ववशेर्ण का भेद,ललंग, वचन,िातु
प्रश्न7- कक्रयाविशेषण पद के पररिय में बताया जाता िै -
(क) भेद ,ललंग, वचन, पुरुर्
(ख)भेद, ष्जस कक्रया की ववशेर्ता बता रिा िै उसका उल्लेख
(ग) भेद, ललंग, वचन, ष्जस कक्रया की ववशेर्ता बता रिा िै उसका उल्लेख
(घ) भेद, ललंग, वचन,कारक, ष्जस कक्रया की ववशेर्ता बता रिा िै उसका उल्लेख
प्रश्न8–राम और श्याम ने किा कक िे दोनों साथ रिें गे । िाक्य में ‘और’ तथा ‘कक’ के पररिय
में क्या अांतर िै ?
(क) ’और’ अव्यय िै लेककन ‘कक’ अव्यय निीं िै ।
(ख) ‘और’ व्याधिकरण योजक िै जबकक ‘कक’ समानाधिकरण समुच्चयबोिक िै
(ग) ‘और’ समानाधिकरण समच्
ु चयबोिक व्याधिकरण योजक िै जबकक ‘कक’ व्याधिकरण
समुच्चयबोिक िै।
(घ) ‘और’ संबंिबोिक िै जबकक ‘कक’व्याधिकरण योजक समुच्चयबोिक िै।
प्रश्न9- कुछ के लिए भोजन पयाशप्त िै। उसके िाथ में कुछ तो िै। प्रयोग के आधार पर
‘कुछ’ शब्द के पररिय में जो लभन्नता िै ,उसके आधार पर उत्तर दें -
(क) पिले वातय में ‘कुछ’ ववशेर्ण िै दस
ू रे में सवषनाम
(ख) पिले वातय में ‘कुछ’ संज्ञा िै दस
ू रे में सवषनाम
(ग) पिले वातय में कुछ सवषनाम िै दस
ू रे में संज्ञा
(घ) पिले वातय में कुछ संबि
ं बोिक िै िै दस
ू रे में सवषनाम

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प्रश्न10-पररश्रम के त्रबना सफिता निीां लमिती। रे िाांककत पद का पररिय दीजजये
(क) अव्यय ,रीततवाचक कक्रयाववशेर्ण,’लमलती’ कक्रया की ववशेर्ता बता रिा िै ।
(ख) अव्यय ,कालवाचक कक्रयाववशेर्ण,’लमलती’ कक्रया की ववशेर्ता बता रिा िै ।
(ग) अव्यय तनपात, ‘लमलती’ कक्रया की ववशेर्ता बता रिा िै ।
(घ) ववशेर्ण,’लमलती’ कक्रया की ववशेर्ता बता रिा
प्रश्न11-आजकि प्रदष
ू ण तेजी से फैि रिा िै । रे िाांककत पद िै -
(क) जाततवाचक संज्ञा (ग) व्यष्ततवाचक संज्ञा
(ख) भाववाचक संज्ञा (घ) दृव्यवाचक संज्ञा
प्रश्न12. िे कक्रयाविशेषण शब्द जो कक्रया के िोने की विचध या तरीका बताते
िैं............कििाते िैं। ररक्त स्थान के लिए उचित विकल्प िुननए-
(क) रीततवाचक कक्रयाववशेर्ण (ग) स्िान वाचक कक्रयाववशेर्ण
(ख) कालवाचक कक्रयाववशेर्ण (घ) पररमाणवाचक कक्रयाववशेर्ण
प्रश्न13. ‘पररश्रम के त्रबना सफिता प्राप्त निीां िोती’ रे िाांककत पद व्याकरण की दृजष्ट से
कौन- सा पद िै?
(क) समुच्चयबोिक (ग) कक्रया
(ख) संबंिबोिक (घ) ववशेर्ण
प्रश्न14 -ननम्नलिखित व्याकरखणक पररिय ककस रे िाांककत पद का िै ?
पररमाणिािक विशेषण, एकििन, स्त्रीलिांग
(क) मैंने िोड़ी सी लमची खा ली।
(ख) हितांशी खूब बोलती िै।
(ग) संसार में बिुत बेईमानी ब़ि गई िै।
(घ) तुमने बह़िया बात किी।
प्रश्न15- िि शाम को घर पिुांिा।
पुरुषिािक सिशनाम, ------, पुजल्िांग, एकििन, कताशकारक, पिुांिा कक्रया से सांबांध
रे िाांककत पद के पररिय को पूणश करने िे तु उचित विकल्प िन
ु ें –
(क) उिम पुरुर् (ग) मध्यम पुरुर्
(ख) अन्य परु
ु र् (घ) प्रिम पुरुर्
प्रश्न16- राजनीनत में विभीषणों की कमी निीां िै। रे िाांककत पद क्या िै?
(क) व्यष्ततवाचक संज्ञा (ग) ववशेर्ण
(ख) जाततवाचक संज्ञा (घ) सवषनाम
प्रश्न17–मनुष्यता मनुष्य का प्रमुि गुण िै । िाक्य में मनुष्यता ि मनुष्य िैं ।

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(क) ‘मनटु यता’ भाववाचक संज्ञा िै जबकक ‘मनटु य’ जाततवाचक संज्ञा िै ।
(ख) ‘मनुटयता जाततवाचक संज्ञा’ िै जबकक ‘मनुटय’ भाववाचक संज्ञा िै ।
(ग) ‘मनुटयता’ भाववाचक संज्ञा िै जबकक ‘मनुटय’ व्यष्ततवाचक संज्ञा िै ।
(घ) ‘मनुटयता’ भाव िै जबकक ‘मनुटय’ भाववाचक संज्ञा िै ।
प्रश्न18-मुझे बार-बार अपने दे श की याद आती िै । रेिाांककत पद का पररिय दीजजये
(क) तनजवाचक सवषनाम,पष्ु ल्लंग,एकवचन, कताष कारक
(ख) मध्यम परु
ु र्वाचक सवषनाम,पुष्ल्लंग,एकवचन, कताष कारक
(ग) उिम परु
ु र्वाचक सवषनाम, पष्ु ल्लंग,एकवचन, कताष कारक
(घ) अन्य परु
ु र्वाचक सवषनाम,पुष्ल्लंग,एकवचन, कताष कारक
प्रश्न19- फादर को सभी ने श्रदधाांजलि अवपशत की। रेिाांककत पद का पररिय दीजजये-
(क) भाववाचक संज्ञा, स्त्रीललंग, एकवचन, कमष कारक
(ख) गुणवाचक ववशेर्ण, स्त्रीललंग, एकवचन, ‘अवपषत की’ ववशेटय
(ग) जाततवाचक संज्ञा, स्त्रीललंग, एकवचन,कमष कारक
(घ) सावषनालमक ववशेर्ण, स्त्रीललंग, एकवचन, ‘अवपषत की’ ववशेटय
प्रश्न20- िि बाजार से गरम समोसे िाया था। रे िाांककत पद का पररिय दीजजये-
(क) सकमषक कक्रया, पुष्ल्लंग, एकवचन, भूतकाल, कतषव
ृ ाच्य,’ला’ िातु
(ख) अकमषक कक्रया, पष्ु ल्लंग, एकवचन, भत
ू काल, कतषव
ृ ाच्य,’ला’ िातु
(ग) अकमषक कक्रया, पुष्ल्लंग, बिुवचन, भूतकाल, कतव
ष ृ ाच्य,’ला’ िातु
(घ) अकमषक कक्रया, पुष्ल्लंग, बिुवचन, भूतकाल, कमषवाच्य,’ला’ िातु
प्रश्न-21 –नछः! यिाँ बिुत गांदगी िै। रे िाांककत पद का पररिय दीजजये-
(क) ववस्मयाहदबोिक, घण
ृ ा का भाव
(ख) ववस्मयाहदबोिक, अनादर का भाव
(ग) ववस्मयाहदबोिक, आदर का भाव
(घ) ववस्मयाहदबोिक, चेतावनी का भाव
प्रश्न22-िि मुझे पििानती तक निीां िै । रे िाांककत पद िै –
(क) संबंिबोिक (ग) ववस्मयाहदबोिक
(ख) समुच्चयबोिक (घ) तनपात
प्रश्न23 –मािविका की तुिना में माधरु ी अचधक सद
ांु र िै। रे िाांककत पद िै –
(क) संबंिबोिक (ग) ववस्मयाहदबोिक
(ख) समुच्चयबोिक (घ) ववकारी शब्द
प्रश्न-24 सडक पर बाईं ओर ििना िाहिए। रे िाांककत पद का पररिय दीजजये-
(क) स्िानवाचक कक्रया ववशेर्ण ,चलना कक्रया की ववशेर्ता

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(ख) कालवाचक कक्रया ववशेर्ण ,चलना कक्रया की ववशेर्ता
(ग) पररमाणवाचक कक्रया ववशेर्ण ,चलना कक्रया की ववशेर्ता
(घ) ववशेर्ण ,सड़क की ववशेर्ता
प्रश्न-25 ये पुस्तकें मैंने िी अिमारी में रिी थीां रेिाांककत पद का पररिय दीजजये-
(क) सावषनालमक ववशेर्ण, पुष्ल्लंग, बिुवचन, पस्
ु तकें ववशेटय
(ख) सावषनालमक ववशेर्ण, स्त्रीललंग,बिुवचन, पस्
ु तकें ववशेटय
(ग) सावषनालमक ववशेर्ण, स्त्रीललंग,बिुवचन, अलमारी ववशेटय
(घ) सावषनालमक ववशेर्ण, स्त्रीललंग,एकवचन, पस्
ु तकें ववशेटय
प्रश्न 26. मोिन यिाँ रिता िै। रे िाांककत पद का व्याकररणक पररिय िोगा-
(क) संबंिबोिक, स्िानवाचक
(ख) समुच्चयबोिक
(ग) स्िानवाचक कक्रया ववशेर्ण, ’रिता िै’ कक्रया की ववशेर्ता
(घ) उपयुषतत तीनों सिी निीं िै।
प्रश्न27.िि प्रनतहदन बाजार जाता िै और ताजी सब्जी िाता िै। रे िाांककत पद का व्याकररणक
पररिय िोगा-
(क) संयोजक समुच्चयबोिक, दो वातयों को जोड़ रिा िै
(ख) ववरोिदशषक समच्
ु चयबोिक, दो वातयों को जोड़ रिा िै
(ग) ववरोिदशषक समुच्चयबोिक, दो शब्दों को जोड़ रिा िै
(घ) ववकल्पक समुच्चयबोिक, दो वातयों को जोड़ रिा िै
प्रश्न28.िि िौथे मकान में रिता िै। रे िाांककत पद का व्याकररणक पररिय िोगा-
(क) तनष्श्चत संख्यावाचक ववशेर्ण, पुष्ल्लंग, एकवचन, मकान ववशेटय
(ख) अतनष्श्चत संख्यावाचक ववशेर्ण, पष्ु ल्लंग, एकवचन, मकान ववशेटय
(ग) तनष्श्चत संख्यावाचक ववशेर्ण, स्त्रीललंग , एकवचन, मकान ववशेटय
(घ) तनष्श्चत संख्यावाचक ववशेर्ण, पष्ु ल्लंग, बिुवचन, मकान ववशेटय
प्रश्न29- ककसी ने अिानक घांटी बजाई और भाग गया । रे िाांककत पद का पररिय िोगा-
(क) तनश्चयवाचक सवषनाम पुष्ल्लंग,एकवचन, कताष कारक
(ख) अतनश्चयवाचक सवषनाम पुष्ल्लंग,एकवचन, कताष कारक
(ग) तनश्चयवाचक सवषनाम पुष्ल्लंग,बिुवचन, कताष कारक
(घ) तनश्चयवाचक सवषनाम पुष्ल्लंग,एकवचन, कमष कारक

प्रश्न30 ऐसा िग रिा था मानो भक


ू ां प आ जाएगा। रेिाांककत पद का पररिय दीजजये –
(क) अव्यय ,पररमाणवाचक कक्रयाववशेर्ण, ‘आगया िो’ कक्रया की ववशेर्ता

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(ख) अव्यय, संबि
ं बोिक, ‘आगया िो’ कक्रया की ववशेर्ता
(ग) अव्यय,समुच्चयबोिक, ‘आगया िो’ कक्रया की ववशेर्ता
(घ) अव्यय,व्याधिकरण समुच्चयबोिक, दो उपवातयों को जोड़ने का कायष कर रिा िै ।

रस
1-विभािानभ
ु ािव्यलभिाररसांयोगाद्रसननष्पवत्त:’ यि िाक्य िै-
(क) ववश्वनाि का (ग) काललदास का
(ख) भरत मतु न का (घ) तल
ु सीदास का
2-विभाि के अांतगशत आते िैं-
(क) आलम्बन व उद्दीपन (ग) अनुभाव व आलंबन
(ख) अनुभाव व उद्दीपन (घ) अनुभाव व ववभाव
3-अनुभाि का सांबध
ां िोता िै -
(क) आश्रय के शारीररक ववकारों से
(ख) ववर्य के शारीररक ववकारों से
(ग) आश्रय व ववर्य दोनों के मानलसक ववकारों से
(घ) ववर्य के मानलसक ववकारों से
4-ककस रस को रसराज किा जाता िै ?
(क) श्रंग
ृ ार (ग) वीर
(ख) िास्य (घ) रौद्र
5-विषय की िेष्टाओां और बाह्य िातािरण जो स्थायीभाि को तीव्र करते िैं, उन्िें किते िैं-
(क) उद्दीपन (ग) ववर्य
(ख) अनभ
ु ाव (घ) संचारी भाव
6-सांिारी भािों के सांबांध में अनुपयुक्त कथन िन
ु ें-
(क) इन्िें व्यलभचारी भाव भी किते िैं।
(ख) इनकी संख्या 35 िै
(ग) यि पानी के बुलबुलों के समान उठते िैं व स्िायी भाव को रस की पररपतवता तक
पिुाँचाकर शांत िो जाते िैं।
(घ) एक िी संचारी भाव कई रसों के साि िो सकता िै।
7-श्रांग
ृ ार रस के सांबांध में अनप
ु यक्
ु त कथन िन
ु ें
(क)श्रंगार के दो पक्ष िैं संयोग व ववयोग
(ख) जिााँ नायक नातयका के लमलन या ववरि का वणषन िो विााँ श्रंगार रस िोता िै।

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(ग) श्रंग
ृ ार रस का स्िायी भाव रतत िै ।
(घ) पराक्रम पूणष वचन श्रंग
ृ ार रस के अनुभाव िो सकते िैं।
8-िीभत्स रस का स्थायी भाि िोता िै-
(क) घण
ृ ा (ग) क्रोि
(ख) िास्य (घ) उत्साि
9-ननम्न पांजक्तयों में स्थायी भाि िै
सांकटों से िीर घबराते निीां, आपदाएँ दे ि नछप जाते निीां।
(क) उत्साि (ग) क्रोि
(ख) तनवेद (घ) ववस्मय
10-काव्य पांजक्तयाँ पढ़कर रस का स्थायी भाि का सिी जोडा िुननए-
किीां िाश त्रबिरी गलियों में, किीांिीि बैिी िाशों में,
(क) वीभत्स- जुगुप्सा (ग) रौद्र- क्रोि
(ख) वीर - उत्साि (घ) भष्तत- दे व ववर्यक रतत
11-यि ऐसा सांसार िै, जैसा सेमि फूि
हदन दस के व्यििार में, झि
ू े रां गना भि
ू ।
रस ि स्थायी भाि का सिी जोडा िुनें
(क) शांत रस - तनवेद (ग) भष्ततरस- दे वता ववर्यक रतत
(ख) िास्य रस - िास (घ) अद्भुत - ववस्मय
12-शत्रु को सामने दे िने पर कौन सा रस िस्थायी भाि जागत
ृ िोता िै?
(क) वात्सल्य - वत्सल (ग) भयानक - भय
(ख) रौद्र - अमर्ष (घ) अद्भुत-ववस्मय
13-दे ि यशोदा लशशु के मि
ु में, सकि विश्ि की माया
क्षण भर को िि बनी अिेतन, हिि न सकी कोमि काया।
उपयशक्
ु त उदािरण के सांबांध में अनप
ु यक्
ु त कथन िन
ु ें-
(क) वात्सल्य रस िै । (ग) अद्भुत रस िै ।
(ख) जड़ता संचारी भाव िै । (घ) ववस्मय स्िायी भाव िै
14-दश
ु ासन का द्रोपदी की साडी िीांिते दे ि भीम ििकार उिना। इसमें उददीपन क्या िै ?
(क) भीम (ग) साड़ी खींचना
(ख) द्रौपदी (घ) ललकारना
15-ननम्न में से करुण रस का उदािरण छाँटे-
(क) राम नाम रस पीजै मनुआ राम नाम रस पीजै
(ख) जो भूरर भाग्य भरी ववहदत िी अनुपमेय सुिाधगनी

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िे हृदय वल्लभ! िूाँविीं अब मैं यिााँ ितभधगनी
(ग) ककलक अरे मैं नेि तनिारूाँ इन दातों पर मोती वारूाँ
(घ) मन रे तन कागज का पुतला
लगे बूंद ववनलस जाएक्षण में,गरब करें तयों इतना
16-ननम्न पांजक्तयों में उददीपन विभाि के लिए सिी विकल्प क्या िै ?
एकाएक अरथी पर माँ को पडी दे िकर
जीजी की गोद से कूद पडने के लिए
करके करुण रो रो कर िगाने िगी परू ा जोर
जाते िैं किाँ िे माँ को लिए
(क) मत
ृ शरीर को अिी पर ले जाना (ग) बच्चे का रोना
(ख) गोद से कूदने की कोलशश करना (घ) बच्ची का शोक ग्रस्त िोना
17-भयानक रस में अनुभाि का सिी विकल्प िुननए
(क) कााँपना, पसीना आना, मूछाष (ग) कााँपना, लजाना, रोना
(ख) कााँपना, भुजाएाँ फड़कना, शमाषना (घ) कााँपना, कााँपना,प्रलाप, गजषना करना
18-मोक्ष और अध्यात्म से जजस रस की उत्पवत्त िोती िै िि िोता िै –
(क) वीर रस का (ग) करुण रस
(ख) शांत रस (घ) वात्सल्य रस
19-कौरिों का श्रादध करने के लिए या कक रोने को चिता के सामने
शेष अब िै रि गया कोई निीां एक िद
ृ धा एक अांधे के लसिा
उपयुशक्त पांजक्त में रस िै
(क) करुण (ग) वीभत्स
(ख) वात्सल्य (घ) ववयोग श्रंग
ृ ार
20-यि दे ि गगन मुझमें िय िै
यि दे ि पिन मझ
ु में िय िै
मुझमें वििीन झांकार सकि
मुझमें िय िै सांसार सकि
अमरत्ि फूिता िै मुझमें
सांिार झूिता िै मुझमें
काव्याांश पढ़कर अनुपयुक्त विकल्प िन
ु ें
(क) शांत रस िै (ग) अद्भुत रस िै
(ख) कृटण का ववराि रूप आलंबन िै (घ) ववस्मय स्िायी भाव िै
21-भए प्रगट कृपािा दीन दयािा कौशल्या हितकारी

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िवषशत मितारी मनु न मन िारी अदभत
ु रूप त्रबिारी
काव्य पांजक्तयों में रस िै
(क) श्रंग
ृ ार (ग) अद्भुत
(ख) भष्तत (घ) वात्सल्य
22-ननम्नलिखित उदािरणों में से वियोग श्रांग
ृ ार रस का उदािरण िुने-
(क) एक पल मेरी वप्रया के दृग पलक िे उठे ऊपर सिज नीचे धगरे
सफलता के इस ववकंवपत पुलकसे दृ़ि ककया मानो प्रणय संबंि िा
(ख) दे णख सद
ु ामा की दीन दशा करुणा करके करुणा तनधि रोए
(ग) राम नाम की लि
ू िै लूि सके तो लूि
अंत काल पछतायेगा जब प्राण जाएंगे छूि
(घ) ववरि का जलजात, जीवन ववरि का जलजात
वेदना में जन्म करुणा में लमला आवास
अश्रु चुनता हदवस इसका,अश्रु धगनती रात।
जीवन ववरि का जलजात।
23-तनम्नललणखत काव्य पंष्ततयों में रस बताएं?
भुजबल भूलम भूप त्रबनु कीन्िीं
(क) वीर (ग) अद्भत

(ख) शांत (घ) रौद्र
24-तनम्नललणखत काव्य पंष्तत में रस और अनुभाव का सिी ववकल्प चुनें
जागत सोवत स्वप्न हदवस तनलस कान्ि कान्ि जकरी
(क)संयोग श्रंग
ृ ार रस िै रात अनुभाव िै
(ख) ववयोग श्रंग
ृ ार रस िै कान्िा कान्िा का जप करना अनुभाव िै
(ग) करुण रस िै सोना अनुभाव िै
(घ) अद्भत
ु रस िैं स्वप्न अनभ
ु ाव िै।
ननम्नलिखित चित्र को दे ि कर 25 से 27 तक के प्रश्नों के उत्तर दीजजये

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प्रश्न25 चित्र को दे िकर सम्बदध उदािरण िुननए-
(क) रण बीच चौकड़ी भर भर कर चेतक बन गया तनराला िा
(ख) चमक उठी सन सिावन में वि तलवार परु ानी िी
खूब लड़ी मदाषनी वि तो झांसी वाली रानी िी
(ग ) राणा ने दे खा इस बार तब तक चेतक िा उस पार
(घ) साि दो बच्चे भी िैं सदा िाि फैलाए
बाएाँ से वे मलते िुए पेि को चलते
प्रश्न26-प्रस्तुत चित्र से सांबदध उदािरण को ध्यान मे रिकर सांिारी भाि का उचित विकल्प
िुननये –
(क) दै न्य (ग) गवष
(ख) मूछाष (घ) ववर्ाद
प्रश्न 27-चित्र से सांबदध करते िुए रस और स्थायी भाि का उचित विकल्प िनु नये
(क) वीर – उत्साि (ग) भष्ततरस- दे वता ववर्यक रतत
(ख) िास्य रस - िास (घ) अद्भत
ु - ववस्मय
➢ ननम्नलिखित चित्र को दे ि कर 28 से 30 तक के प्रश्नों के उत्तर दीजजये

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प्रश्न28 -इसमें से कौन सा उदािरण उपयशक्
ु त चित्र से सांबदध िै
(क) मैया मोरी कबिी ब़िे गी चोिी
(ख) अणखल भव
ु न चर-अचर सब, िरर मख
ु में लणख मात।ु
चककत भई गदगद वचन, ववकलसत दृग पुलकातु।
(ग) ककलकत कान्ि घि
ु ु रुवन आवत
(घ) वप्रय पतत वि मेरा प्राण प्यारा किााँ िै
प्रश्न 29-यशोदा का श्री कृष्ण के मुि में अखिि ब्रह्माांड का दृश्य दे िकर िककत िोना िै -
(क) अनभ
ु ाव (ग) संचारी भाव
(ख) उद्दीपन (घ) ववभाव
प्रश्न 30 -चित्र को दे िकर आश्रय के सांबांध में उचित विकल्प िन
ु े
(क) यशोदा (ग) ब्रहमांड
(ख) कृटण (घ) चककत िोना

पाठ्य-पस्
ु तक क्षक्षनतज
सूरदास के पद
1.सूरदास का काि ि शािा िै:-
(क) भष्ततकाल - ज्ञानमागी शाखा (ग) भष्ततकाल - राममागी शाखा
(ख) भष्ततकाल - प्रेममागी शाखा (घ) भष्ततकाल - कृटणमागी शाखा
2.सूरदास दिारा रचित पदों की भाषा िै:-
(क) अविी भार्ा (ग) ब्रजभार्ा
(ख) खड़ीबोली (घ) सिुतकड़ी

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3.गोवपयों ने उदधि की भाग्य िीनता को ककन उदािरणों के माध्यम से लसदध ककया िै –
(क) कमल के पिे और तेल की मिकी के द्वारा
(ख) गुड़ और चींिी के द्वारा
(ग) िाररल पक्षी के द्वारा
(घ) कड़वी काकड़ी के द्वारा
4.-सरू दास के पद किाँ से सांकलित ककए गए िैं?

(क) सरू सागर के भ्रमरगीत से

(ख) तुलसीदास की ववनय पत्रत्रका से

(ग) तुलसीदास के रामचररतमानस से

(घ) वाल्मीकक की रामायण से

5. पहित पदों के आधार पर गोवपयों की विशेषताओां के सांबांध में उचित विकल्प िनु नये –

(क) तकष शील, वातपिु ,राजनीतत-ज्ञाता, भावक


ु , कृटण की अनन्य प्रेलमका

(ख) तकष शील, दं भी,राजनीतत-ज्ञाता, भावक


ु , कृटण की अनन्य प्रेलमका

(ग) तकष शील, दं भी,राजनीतत-ज्ञाता, संवेदनिीन , कृटण की अनन्य प्रेलमका

(घ) तकष शील, राजनीतत-ज्ञाता, बलशाली , कृटण की अनन्य प्रेलमका

6.गोवपयों के तकों में िै-


(क) वैराग्य का भाव (ग) भष्तत का भाव
(ख) प्रेम की पीड़ा का भाव (घ) वात्सल्य का भाव
7.गोवपयों ने कृष्ण पर क्या किकर कटाक्ष ककया िैं:-
(क) अनरु ागी (ग) राजनीततज्ञ
(ख) वैरागी (घ) योगी
8.'सरू दास' अब धीर धरहिां क्यों पांजक्त ककसने किी?
(क) उद्िव (ग )सूरदास
(ख) श्रीकृटण (घ) गोवपयां
9.गोवपयों की विरिाजग्न और अचधक क्यों बढ़ गई?
(क) उद्िव को दे खकर (ग )कृटण-प्रेम में लीन िोकर
(ख) योग-संदेश को सन
ु कर। (घ) सगण
ु ब्रहम की उपालसका िोने पर

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10.गोवपयों का 'योग-सांदेश' के प्रनत दृजष्टकोण िै:-
(क) योग-संदेश आनंददायी िै।
(ख) वि नीरस व अरुधचकर िै।
(ग) वि गोवपयों की ववरिाष्ग्न को शांत करने वाला िै।
(घ) वि प्रेम का स्िान ले सकता िै।
11.उदधि गोवपयों को लसिाने आए थे:-
(क) प्रेम (ग) योग
(ख) वेदना (घ) भोग
12.योग की आिश्यकता उन्िें िोती िै:-
(क) ष्जनके मन ष्स्िर िों (ग) ष्जनके मन अष्स्िर िों
(ख) ष्जनके मन चंचल न िों (घ) ष्जनके मन एकाग्र िों
13.गोवपयों के अनुसार उदधि का योग-सांदेश ककसके समान िै?
(क) शारीररक रोग (ग) कड़वी ककड़ी
(ख) मानलसक रोग (घ) गुड़ व चींिी
14. सरू दास के सांकलित पदों के आधार पर भ्रमरगीत की विशेषता िै-

(क) ववयोग श्रंग


ृ ार का मालमषक धचत्रण

(ख) सगण
ु भष्तत की तनगषण
ु भष्तत पर ववजय

(ग) गोवपयों का एक तनटठ प्रेम

(घ) उपयुषतत सभी

15.श्रीकृष्ण के प्रनत गोवपयों के अनन्य प्रेम को व्यक्त करने िािा सिी कथन िै:-
(क) वे सोते-जागते,रात-हदन कृटण का िी नाम जपती िैं
(ख) उन्िें श्रीकृटण से प्रेम निीं िै
(ग) वे तनगुषण ब्रहम की पक्षिर िैं
(घ) वे कृटण को िाररल पक्षी समझती िैं
16.'नांद-नांदन' विशेषण ककसके लिए प्रयुक्त िुआ िै?
(क) उद्िव के ललए (ग) नंद के ललए
(ख) गोवपयों के ललए (घ) श्रीकृटण के ललए
17.'मधुकर' शब्द का पयाशय िै:-

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(क) योग (ख) उद्िव
(ग) भंवरा (घ) कवव
18.'िरर िैं राजनीनत पहढ़ आए'-पांजक्त का मख्
ु य स्िर िै:
(क) िास्य (ख) प्रेम
(ग) क्रोि (घ) व्यंग्य
19.गोवपयाां कृष्ण को क्या उिािना दे रिी िैं?
(क) योग-संदेश भेजने का (ख) स्वयं न आने का
(ग) प्रेम की मयाषदा का पालन न करने का (घ) कृटण के आगमन का
20.गोवपयों के मन की बात मन में िी रि गई क्योंकक:
(क) उन्िोंने उसे निीं बताया।
(ख) कृटण विां निीं आए।
(ग) उद्िव को वे पसंद निीं करती िीं।
(घ) उद्िव पर कृटण के प्रेम का कोई प्रभाव निीं पड़ा।
21.सूरदास दिारा रचित पदों में रस िै:-
(क) वात्सल्य रस (ख) संयोग शंग
ृ ार रस
(ग) िास्य रस (घ) ववयोग शंग
ृ ार रस
22.गोवपयों ने ककसके सिारे विरि-व्यथा सिी:-
(क) उद्िव के आने की आशा में (ख) कृटण के आने की आशा में
(ग) कृटण के मिुरा जाने पर (घ) योग-संदेश के सिारे
23.श्रीकृष्ण का गोवपयों के प्रनत दानयत्ि िै:-
(क) गोवपयों को ववस्मत
ृ करना। (ख) उनके प्रेम का उपिास करना।
(ग) उनके आत्मसम्मान की रक्षा करना। (घ) योग-संदेश को माध्यम बनाना।
24॰गोवपयों को ऐसा क्यों िगता िै की कृष्ण अब बिुत ज्ञानी िो गए िैं –
(क) योग संदेश भेजने के कारण (ख) लौि कर न आने के कारण
(ग) परमािी िोने के कारण (घ) राजा िोने के कारण
25.'हदिस-ननलस' युग्म शब्द िैं:-
(क) समानािी (ख) ववपरीतािी
(ग) एकािी (घ) अनेकािी
➢ . ननम्नलिखित काव्याांश को ध्यानपि
ू शक पढ़कर हदए गए प्रश्नों के विकल्पों में से सिी
विकल्प का ियन कीजजए:-

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काव्याांश-1
िमारे िरर िाररल की लकरी।
मन क्रम वचन नंद-नंदन उर, यि दृ़ि करर पकरी।
जागत सोवत स्वप्न हदवस-तनलस कान्ि-कान्ि जक री।
सन
ु त जोग लागत िै ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी।
सु तौ ब्याधि िमकौं ले आए, दे खी सन
ु ी न करी।
यि तो 'सरू ' ततनिुं लै सौंपौ, ष्जनके मन चकरी।
(1) उदधि ने गोवपयों को ककसका उपदे श हदया?
(क) सगुण ब्रहम का (ख) तनगुषण ब्रहम का
(ग) साकार रूप का (घ) प्रेम का
(2) 'िाररि' ि 'िकडी' किा गया िै:-
(क ) उद्िव व कृटण को (ख ) गोवपयों व कृटण को
(ग) कृटण व उद्िव को (घ) कृटण व गोवपयों को
(3) गोवपयों ने अपनी तुिना िाररि पक्षी से की िै क्योंकक:
(क) िाररल पक्षी सदै व लकड़ी ललए उड़ता िै (ख) गोवपयों को िाररल पक्षी पसंद िै
(ग ) श्रीकृटण के प्रतत अपने एकतनटठ प्रेम के कारण (घ) श्रीकृटण के प्रतत नाराजगी के
कारण
(4) 'नांद-नांदन' में समास िै:-
(क) तत्पुरुर् समास (ख) द्वंद्व समास
(ग) द्ववगु समास (घ) बिुव्रीहि समास
(5.)'कान्ि-कान्ि' में ककस अिांकार का प्रयोग िै?
(क) अनुप्रास (ख) उपमा
(ग ) पुनरुष्तत प्रकाश (घ) रूपक
काव्याांश-2
ऊिौ तम
ु िौ अतत बड़भागी

अपरस रित स्नेि तागा तें , नाहिन मन अनरु ागी ।

पुरइतन पात रित जल भीतर, ता रस दे ि न दागी।

ज्यौं जल मांि तेल की गागरर, बूाँद न ताकौ लागी।

प्रीतत नदी में पााँऊ न बोरयो, दृष्टि न रूप परागी ।

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‘सरू दास’ अबला िम भोरी, गरु चााँिी ज्यौं पागी ।

1- 'अपरस रित सनेि तगा तैं ' पांजक्त में अिांकार िै:-
(क) उपमा अलंकार (ख) अनुप्रास अलंकार
(ग) रूपक अलंकार (घ) श्लेर् अलंकार
2.गोवपयों ने स्ियां को किा िै:-
(क) अष्स्िर मन वाली (ख) अबला और भोली
(ग) तेल की गागर (ग) प्रेम की मयाषदा में न रिने वाली
3-गड
ु ि िीांटी ककनके प्रतीक िैं? सिी जोडा बताएां:-
(क) गोवपयां व कृटण (ख) श्रीकृटण व गोवपयां
(ग) श्रीकृटण व उद्िव (घ) सूरदास व श्रीकृटण
4-गोवपयों के अनुसार उदधि का दभ
ु ाशग्य िै:-
(क) वे कृटण के परम लमत्र िैं।
(ख) वे कृटण के साष्न्नध्य में रिकर भी प्रेम से वंधचत रिे ।
(ग )वे सगण
ु ब्रहम के उपासक िैं
(घ) वे प्रेमी स्वभाव के िैं।
5.कमि पत्र की विशेषता िोती िै:-
(क) वि पानी में रिता िै।
(ख) उस पर पानी का कोई प्रभाव निीं पड़ता।
(ग) उस पर जल की बद
ूं ें हदखाई दे ती िैं।
घ) उसका ववकास रुक जाता िै।

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‘राम-िक्ष्मण-परशुराम सांिाद’

उपयुशक्त चित्र को दे िकर ननम्नलिखित 1से पाँि तक के प्रश्नों के उत्तर दीजजये- -


प्रश्न1-उपयुशक्त चित्र ककस घटना क्रम से सांबदध िै ?
(क) द्रौपदी स्वयंवर (ख) सीता स्वयंवर
(ग) सवषश्रेटठ िनुिाषरी प्रततयोधगता (घ)राम-लक्ष्मण की िनुववषद्या से
प्रश्न2- राम-िक्षमण ककसके दरबार में ककसके साथ आए िैं ?
(क) राजा जनक के दरबार में परशुराम के साि
(ख) राजा जनक के दरबार में गुरु ववश्वालमत्र के साि
(ग) राजा जनक के दरबार में वपता दशरि के साि
(घ) राजा जनक के दरबार में अपने अन्य भाइयों के साि
प्रश्न3-सभा में परशरु ाम के अिानक आ कर क्रोचधत िोने का क्या कारण था-
(क) वि लशव को अपना आराध्य मानते िे और लशव का िनुर् भंग िुआ िा।
(ख) वि ववटणु को अपना आराध्य मानते िे और ववटणु का िनर्
ु भंग िुआ िा।
(ग) वि भ्रगु को अपना आराध्य मानते िे और भ्रगु का िनुर् भंग िुआ िा।

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(घ) वि राम को अपना आराध्य मानते िे और राम ने िनर्
ु भंग ककया िा। प्रश्न4 -बाि
ब्रह्मिारी , अनत क्रोधी, क्षत्रत्रय कुि का द्रोिी -यि समस्त विशेषताएां चित्र में हदिाई दे रिे ककस
व्यजक्त से सम्बदध िैं-
(क) कौलशक (ख) रघव
ु ंशमणण श्री राम
(ग) लक्ष्मण (घ) भग
ृ क
ु ु ल केतु परशरु ाम
प्रश्न5 -राम, िक्ष्मण, परशुराम क्रमशः धारण करते िैं-
(क) फरसा ,िनुर् ,िनुर् (ख) िनुर्, फरसा ,िनुर्
(ग) फरसा ,िनर्
ु ,फरसा (घ)िनर्
ु , िनर्
ु ,फरसा
प्रश्न6.प्रस्तत
ु पाि ‘राम-िक्ष्मण-परशरु ाम सांिाद’ के सम्बन्ध में उपयुक्त तथ्य िै-
(क) तुलसीदास-ववनय पत्रत्रका-बालकाण्ड
(ख) सूरदास-सूरसागर-ब्रज किा
(ग) तुलसीदास-रामचररतमानस-बालकाण्ड
(घ) सरू दास-भ्रमरगीत-मिरु ा किा
प्रश्न7 -इस प्रसांग की भाषा एिां छां द के लिए सिी विकल्प िै-
(क) ब्रज – दोिा/चौपाई
(ख) अविी-चौपाई/दोिा
(ग) खड़ी बोली- दोिा/चौपाई
(घ) मैधिली – चौपाई/दोिा
प्रश्न8- ननम्नलिखित कथनों में से अनुपयुक्त कथन छाांहटए-
(क) परशरु ाम ऋवर् जमदष्ग्न के पत्र
ु िे|
(ख) सिस्रबािु का परू ा नाम कातषवीयष सिस्रबािु िा |
(ग) ऋवर् जमदष्ग्न ने कामिेनु गाय का बलपूवषक अपिरण ककया िा |
(घ) परशरु ाम सिस्रबािु के परम शत्रु िे |
प्रश्न9 .धनष
ु टूटने से क्रोचधत परशुराम ने राम से क्या निीां किा?
(क) सेवक वि िै जो सेवा का कायष करे ।
(ख) शत्रुता का कायष करके उसने वैर िी मोल ललया जाता िै।
(ग) ष्जसने भी लशव िनुर् तोड़ा िै वि सिस्रबािु के समान मेरा दश्ु मन िै।
(घ) राम ने वीरता का कायष ककया िै|
प्रश्न10 “न त मारे जैिहिां सब राजा’-परशुराम के मि
ँु से ऐसा सुनकर िक्ष्मण की क्या
प्रनतकक्रया निीां रिी?
(क) सारे राजाओं के मारे जाने की बात सन
ु कर लक्ष्मण मुसकराने लगे।
(ख) बचपन में मैंने बिुत-सी िनुहियााँ तोड़ी िी, तब तो आपने ऐसा क्रोि कभी निीं ककया।

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(ग) िमें िनर्
ु तोड़ने का आदे श हदया गया िा|
(घ) इस िनर्
ु से आपका इतना मोि तयों िै?
प्रश्न1 .परशरु ाम के अनस
ु ार, िक्ष्मण क्या भि
ू कर रिे थे?
(क) संसार के सभी िनर्
ु ों और लशव िनर्
ु को एक समान समझने की |
(ख) अन्य िनर्
ु ों को ववशेर् मििा दे ने की ।
(ग) परशरु ाम का अपमान करने की |
(घ) जनक का पक्ष लेने की |
प्रश्न12 .िक्ष्मण दिारा की गई भूि का परशुराम ने क्या कारण बताया?
(क)िक्ष्मण को घमांड िो गया िै|
(ख)-लक्ष्मण काल के वश में िोने से ऐसा कि रिे िैं।
(ग) लक्ष्मण राम के अनज
ु िोने पर इतरा रिे िैं|
(घ) लक्ष्मणववश्वालमत्र के लशटय िोने का फायदा उठा रिे िैं|
प्रश्न13 .धनुष टूटने पर श्रीराम दिारा परशुराम को जो उत्तर हदया गया उसके आधार पर
राम की िाररत्रत्रक विशेषताएँ िोंगीां-
अ-राम विनम्र िैं|
ब-उनमें लशष्टता और उच्ि सिनशीिता िै |
स-िे मद
ृ भ
ु ाषी िैं|
द-राम िािाि िैं
विकल्प
(
क) ववकल्प अ और ब सिी िै (ग) ववकल्प अ,ब स और द चारों सिी िैं
(ख) ववकल्प अ,ब और स तीनों सिी िैं (घ) केवल ववकल्प ब सिी िै
प्रश्न14 .धनुष टूटने पर िक्ष्मण ककन तकों के आधार पर राम को ननदोष लसदध करने का
प्रयास कर रिे थे? अनुपयुक्त कथन िुननये-
क-िनुर् बिुत परु ाना और कमजोर िा जो राम के छूते िी िूि गया िा।
ख- राम ने तो इसे नया समझकर उठाया िा।
ग- ऐसा परु ाना िनर्
ु िूिने से िमारा तया लाभ।
घ- अब कोई इस िनर्
ु का प्रयोग निीं करता
प्रश्न15 .परशरु ाम को अपने फरसे पर ककस िजि से घमांड निीां था-
क-इसी फरसे के बल पर उन्िोंने सिस्रबािु को िराया िा।
ख-उनका फरसा अत्यंत भयानक और कठोर िै।
ग-यि फरसा गभष में पल रिे बच्चों का भी वि कर डालता िै।
घ-यि फरसा सबका वप्रय िधियार िा।

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प्रश्न16- परशरु ाम जी ने िक्ष्मण जी के लिए क्या निीां किा-
क-यि बालक बड़ा िी कुबधु ि उदं ड, तनडर और मख
ू ष िै।
ख-यि कुहिल एवं काल के वशीभत
ू िोकर अपने िी कुल का नाश करने वाला िै।
ग-यि सय
ू षवंश रूपी चंद्रमा पर कलंक िै।
घ- यि परशरु ाम का लशष्य िोने का िाभ िे रिा िै |
प्रश्न17.िक्ष्मण ने परशरु ाम और उनके सय
ु श पर ककस तरि व्यांग्य ककया? -
अ -आपके सय
ु श का िणशन आपके अिािा दस
ू रा कोई निीां कर सकता िै।
ब -आप अपने मुँि से अपनी बडाई बार-बार कर िुके िैं।
स - इतने पर भी सांतोष न िुआ िो तो कफर से कुछ कि डालिए।
द -आप ऐसे िी अपने सय ु श का िणशन करते रहिए िमें बिुत अच्छा िग रिा िै
विकल्प:-
(क) ववकल्प द सिी िै (ग) ववकल्प अ ,ब, स और द चारों सिी िैं
(ख) ववकल्प अ,ब और स सिी िै (घ) ववकल्प अ और द सिी िै
प्रश्न18.िक्ष्मण और श्रीराम के ििनों में मख्
ु य अांतर क्या था?
(क) लक्ष्मण के वचनों में उद्दं डता, व्यंग्यात्मकता तिा उग्रता का जबकक श्रीराम के वचनों में
ववनम्रता और ववनयशीलता का भाव िा |
(ख) राम के वचनों में उद्दं डता, व्यंग्यात्मकता तिा उग्रता का जबकक लक्ष्मण के वचनों में
ववनम्रता और ववनयशीलता का भाव िा |
(ग) लक्ष्मण के वचनों में चापलूसी िी जबकक राम के वचनों में स्पटिता |
(घ) राम के वचनों में चापलूसी िी जबकक लक्ष्मण के वचनों में स्पटिता |
प्रश्न19.‘राम-िक्ष्मण-परशरु ाम सांिाद’ पाि में क्या सांदेश हदया गया िै-
क-िमें क्रोि करना चाहिए तयोंकक यि िमारे आत्म सम्मान के ललए आवश्यक िै
ख- िमें बड़ों से व्यंग्य पूणष भार्ा में बात करनी चाहिए
ग- िमें क्रोध के स्थान पर विनम्र, शाांत एिां कोमि व्यििार करना िाहिए,ऐसे व्यििार से
िमें सम्मान की दृजष्ट से दे िा जाता िै।
घ-िमें अन्याय को सिन कर लेना चाहिए ।
घ-बड़ी –बड़ी बातें करके सबको अपने सामथ्यष का ज्ञान अवश्य कराना चाहिए
प्रश्न20- ‘गाचधसन
ू ु कि ह्रदय िँलस’ पांजक्त में गाचधसनू ु प्रयक्
ु त िुआ िै-
(क) परशरु ाम जी के ललए (ग) लक्ष्मण के ललए
(ख) श्री राम के ललए (घ) ववश्वालमत्र के ललए
प्रश्न21-िक्ष्मण के कुि के िोग ककस पर प्रिार निीां करते-
अ-ष्स्त्रयों पर
ब-ईश्वर भततों व ब्राहमणों पर

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स-दे वताओं व गाय पर
द-दानवों पर
विकल्प :-
(क) ववकल्प अ और स सिी िै (ग) ववकल्प अ, ब और स सिी िै
(ख) ववकल्प ब और स सिी िै (घ) केवल ववकल्प द सिी िै
प्रश्न22 -तम्
ु ि तौ काि िाँक --------िािा| इस पांजक्त के ररक्त स्थान में उत्प्रेक्षा
अिांकार की दृजष्ट से कौन सा शब्द उपयक्
ु त िोगा?
क-सम ग-जनु
ख-सररस घ-सरीखा

प्रश्न23-‘इिाँ कुम्िडबनतया कोउ नािीां’ पांजक्त में कुम्िडबनतया शब्द का प्रयोग िक्ष्मण ने
अपनी ककस विशेषता को बताने के लिए ककया िै -
क-वे कमजोर व्यष्तत निीं िैं जो डराने से डर जाएाँ |
ख-वे ववश्वालमत्र के लशटय िैं |
ग-वे राम के भ्राता िैं |
घ-वे रघुवंशी िैं |
प्रश्न24 -परशरु ाम जी ने लशि धनुष को भांग करने िािे को ककसके समान अपना शत्रु बताया िै-
क-सिस्रबािु के समान ग-त्रत्रपुरारर के समान
ख़-सुबािु के समान घ-रावण के समान
प्रश्न25- "अरर करनी करर कररअ िराई" में अिांकार िै -
क-यमक ग-उपमा
ख़ अनुप्रास घ-मानवीकरण
प्रश्न26 -िक्ष्मण ने धनुिी बता कर उपिास ककया-
(क)राम के िनर्
ु का (ग) राजाओं के िनुर् का
(ख) लशव िनुर् का (घ) परशुराम के िनुर् का
प्रश्न27- तजशनी हदिाने मात्र से िी मुरझा जाती िै-
(क)कुम्िड़बततया (ग) लौकी की बततया
(ख) कदली फल (घ) ककड़ी की बततया
प्रश्न28 - परशरु ाम जी के ििन करोडों िज्र के समान िैं अतः िक्ष्मण जी के अनुसार उन्िें निीां धारण
करना िाहिए-
(क)िनर्
ु , बाण,कृपाण (ग) कुठार, कृपाण, जनेऊ
(ख) बाण,जनेऊ, (घ) िनर्
ु , बाण, कुठार

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प्रश्न29- विश्िालमत्र जी के लिए प्रयक्
ु त अन्य नाम िैं -
(क)भग
ृ ु,कौलशक (ग) गाधि, नप

(ख) गाधिसूनु, कौलशक (घ) मुतन, गाधि
प्रश्न 30 - शरू िीर यद
ु ध भलू म में शत्रु के समक्ष अपनी िीरता का प्रदशशन कमों से करता िै ,ककां तु कायर -
(क)अपने शील का वणषन करता िै
(ख) युद्ि करता िै
(ग) कुछ निीं करता िै
(घ) अपने यश और शष्तत का केवल बखान करता िै
प्रश्न 31-अयमय और अभशक शब्दों के क्रमशः अथश िै -
(क)लोिे से तनलमषत, बच्चा (ग) खांडसारी, पत्र

(ख) फौलाद, मनुटय (घ) इनमें से कोई निीं
प्रश्न32 - परशरु ाम जी के बार-बार ििकारने एिां शजक्त का प्रदशशन करने पर विश्िालमत्र जी मन िी
मन मस्
ु कुरा रिे थे क्योंकक-
(क) वे परशरु ाम के क्रोि को जानते िे
(ख) वे परशरु ाम की शष्तत को जानते िे
(ग) वे परशरु ाम की ना समझी पर िंस रिे िे
(घ) वे परशुराम के शील स्वभाव को जानते िे
➢ ननम्नलिखित पदयाांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजजए-
पदयाांश-1
सुतन किु वचन कुठार सुिारा। िाय िाय सब सभा पक
ु ारा।।
भग
ृ ुबरू परसु दे खाबिु मोिी।त्रबप्र त्रबचारर बचों नप
ृ द्रोिी।।
लमले न कबिु सुभि रन गा़िे ।द्ववज दे वता घरहि के बा़िे ।।
अनधु चत कहि सबु लोग पक
ु ारे ।रघप
ु तत सयनहि लखनु नेवारे ।।
लखन उतर आिुतत सररस भग
ृ ुबर कोपु कृसानु।
ब़ित दे णख जल सम वचन बोले रघक
ु ु लभान।ु ।
प्रश्न1-भग
ृ ु श्रेष्ि की क्रोधाजग्न को बढ़ता दे िकर जि के समान ििन बोिे-
(क) लक्ष्मण (ग) राम
(ख) जनक (घ) परशुराम
प्रश्न 2- काव्याांश में 'ब्राह्मण'के लिए प्रयुक्त शब्द िैं-
(क) राम, द्ववज दे वता (ग) ववप्र, परशरु ाम
(ख) ववप्र, द्ववज देवता (घ) ववप्र, भग
ृ ु

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प्रश्न3 -"िाय िाय"में प्रयक्
ु त अिांकार िै -
(क) उपमा (ग) अनुप्रास
(ख) पुनरुष्तत प्रकाश (घ) रूपक
प्रश्न4 - यज्ञ में डािी जाने िािी आिुनत के समान िैं-
(क) राम के वचन (ग) ववश्वालमत्र के वचन
(ख) परशुराम के वचन (घ) लक्ष्मण के वचन
प्रश्न5 - अांनतम पांजक्तयों में प्रयक्
ु त छां द िै 2-
(क) दोिा (ग) पद
(ख) चौपाई (घ) रोला
➢ ननम्नलिखित पदयाांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजजए-
पदयाांश-2
बालक बोलल बिौ नहिं तोिी ।केवल मुतन जड़ जानहि मोिी।।
बाल ब्रहमचारी अतत कोिी ।त्रबश्वत्रबहदत क्षत्रत्रय कुल द्रोिी।।
भुजबल भूलम भूप त्रबनु कीन्िीं।त्रबपुल बार महिदे वन्ि दीन्िी।।
सिस्रबािुभुज छे दतनिारा।परसु त्रबलोकु मिीपकुमारा।।
प्रश्न1. परशरु ाम िक्ष्मण का िध ना करने का क्या कारण बता रिे िैं?
(क) बालक िोने के कारण
(ख) राजा का पत्र
ु िोने के कारण
(ग) ववश्वालमत्र का लशटय िोने के कारण
(घ) अत्यधिक शष्ततशाली िोने के कारण
प्रश्न2. प्रस्तत
ु काव्य पांजक्तयों में छां द िै –
(क) दोिा
(ख) चौपाई
(ग) सवैया
(घ) सोरठा
प्रश्न3. परशरु ाम ने सभा में अपने विषय में क्या बताया?
वि बाल ब्रहमचारी िैं।
वि क्षत्रत्रयों के शत्रु िैं।
वि अत्यंत क्रोिी स्वभाव के िैं।
उपयुषतत सभी
प्रश्न4. परशरु ाम ने अनेकों बार धरती ककसे दान में दे दी?

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(क) गरीबों को (ग) संतो को
(ख) ब्राहमणों को (घ) आश्रमों को
प्रश्न5-. भूप का अथश िै-
(क) राजा (ग) भूलम
(ख) प्रजा (घ) फरसा

नेता जी का िश्मा

प्रश्न 1 िािदार सािब को कांपनी के काम के लसिलसिे में कस्बे से ककतने हदन में गुजारना
पडता था ?
(क) िर पन्द्रिवें हदन में (ग) िर दसवें हदन
(ख) िर सातवें हदन (घ) िर रवववार के हदन
प्रश्न 2 'नेताजी का िश्मा' पाि में कस्बे में मौजूद सवु िधाओां का सिी समूि िुने।
(क) दो स्कूल,एक सीमेंि का कारखाना, दो ओपन एयर लसनेमाघर,एक नगरपाललका
(ख) एक स्कूल, दो सीमेंि के कारखाने, एक ओपन एयर लसनेमा घर
(ग) एक नगरपाललका,एक स्कूल तिा दो ओपन एयर लसनेमा घर
(घ) दो स्कूल, दो ओपन एयर लसनेमाघर, दो सीमेंि के कारखाने
प्रश्न 3 कस्बे में नगरपालिका दिारा ककए जाने िािे कायों का उचित समूि िुने-
(क) सड़कें, पेशाबघर, कबूतरों की छतरी बनवाना तिा कवव सम्मेलन करवाना
(ख) सड़कें, पुस्तकालय, कबत
ू रों की छतरी बनवाना तिा कवव सम्मेलन करवाना
(ग) िोिल, पेशाबघर, कबूतरों की छतरी बनवाना तिा कवव सम्मेलन करवाना
(घ) सड़कें, मंहदर, कबूतरों की छतरी बनवाना तिा कवव सम्मेलन करवाना
प्रश्न4-‘क्या कैप्टन िश्मे िािा नेताजी का साथी िै ? या आजाद हिांद फौज का भत
ू पि
ू श
लसपािी?’ यि कथन ककसने ककससे किा ?
(क) पान वाले ने िालदार सािब से किा
(ख) िालदार सािब ने कस्बे के नागररकों से किा
(ग) िालदार सािब ने पान वाले से किा
(घ) फेरीवाले ने िालदार सािब से किा
प्रश्न5-ननम्नलिखित शब्दों में से कौन सा ‘आगत’ शब्द िै?
(क) अवसर (ग) कमलसन
(ख) दृष्टि (घ) तनटकर्ष
प्रश्न6- ननम्नलिखित शब्दों में से 'बस्ट' का सिी अथश िुननए
(क) बिुत अच्छा (ग) सवोिम
(ख) आवक्ष (घ) सवषश्रेटठ

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प्रश्न7कैप्टन क्या कायश करता था?
(क) पान बेचता िा (ग) फेरी लगाकर चश्मा बेचता िा
(ख) मतू तष बनाता िा (घ) पानी बेचता िा
प्रश्न8-कैप्टन लसर पर कौन सी टोपी िगाता था?
(क) कनफिी िोपी (ग) गांिी िोपी
(ख) फौजी िोपी (घ) कक्रकेिर िोपी
प्रश्न9 -ननम्नलिखित शब्दों में से अनचु ित शब्दाथश िन
ु े
(क) दरकार - आवश्यकता (ग) प्रततमा - मूततष
(ख) समक्ष - सामने (घ) कमलसन - बदसूरत
प्रश्न10-सूिी1 का सूिी 2 से लमिान कीजजए हदए गए कूट से सिी उत्तर िन
ु े-
सूिी 1 सूिी 2
(अ)पानिािा (1) सुभाषिांद्र बोस
(ब) मास्टर (2) िश्मे िािा
(स) नेताजी (3) मोतीिाि
(द) कैप्टन (4) िुशलमजाज व्यजक्त
कूट
अ ब स द
क 1 2 3 4
ि 4 3 1 2
ग 2 1 3 4
घ 4 2 1 3
प्रश्न11-बेमेि जोडा िन
ु े-
(क) 'नेताजी का चश्मा' पाठ के लेखक - स्वयं प्रकाश
(ख) नेताजी का चश्मा पाठ की वविा -किानी
(ग) कला अध्यापक- मोिनलाल
(घ) नगरपाललका - कस्बा
प्रश्न12-िािदार सािब अटें शन की मद्र
ु ा में िडे िो गए क्योंकक -
(क) राटरगान िो रिा िा
(ख) वे िमेशा ऐसा करते िे
(ग) वे मतू तष के प्रतत सम्मान प्रकि करना चािते िे
(घ) कैप्िन को सम्मान दे ना चािते िे
प्रश्न 13-एक सामान्य और सिमि
ु के िश्मे का िौडा -----------मनू तश को पिना हदया गया।
उपयुशक्त िाक्य में ररक्त स्थान की पूनतश करें –
(क) चौकोर फ्रेम (ख) काला फ्रेम

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(ग) गोल फ्रेम (घ) सफेद फ्रेम
प्रश्न14ररक्त स्थान की पनू तश करें ।
मनू तश की आँिों पर--------से बना छोटा सा िश्मा रिा िुआ था जैसा बच्िे बना िेते िैं |
क) लकड़ी ग) प्लाष्स्िक
ख) सरकंडे घ) पत्िर
➢ नीिे हदए गए प्रश्न सांख्या 15 ि 16 में प्रत्येक िाक्य िार भागों में (अ),(ब),(स),(द)
में विभक्त िै जजनमें से एक भाग में 'नेताजी का िश्मा' पाि के आधार पर त्रहु ट िै।
त्रुहट िािा भाग पििानें।

प्रश्न 15- (अ )बोडश की शासनािचध/ (ब) समाप्त िोने की घड़डयों में / (स) ककसी बडे
किाकार को िी/ (द) अिसर दे ने का ननणशय ककया गया िोगा
विकल्प :-
(क) अ, ब, स तीनों भागों में त्रुहि िै ।
(ख) केवल स भाग में त्रुहि िै ।
(ग) ब, स भाग में त्रुहि िै ।
(घ) केवल ब भाग में त्रहु ि िै ।
प्रश्न 16-(अ) उसने पीछे मड
ु कर/ (ब) मँि
ु का पान नीिे थक
ू ा और/ (स )लसर झक
ु ाकर अपने
धोती के लसरे से/ (द) िाथ पोछता िुआ बोिा
(क) अ, ब, स तीनों भागों में त्रहु ि िै ।
(ख) केवल द भाग में त्रहु ि िै ।
(ग) ब, स भाग में त्रहु ि िै ।
(घ) केवल ब भाग में त्रहु ि िै ।
प्रश्न17-मूनतश पर सरकांडे का िश्मा क्या उम्मीद जगाता िै?
(क) बच्चों में कलात्मक प्रततभा िै।
(ख) बच्चे मिापुरुर्ों का आदर निीं करते।
(ग) शरारत करना बच्चों का स्वभाव िै।
(घ) दे श की भावी पी़िी में दे शभष्तत की भावना मौजूद िै।
प्रश्न18- 'नेताजी का िश्मा' पाि के माध्यम से िेिक 'स्ियां प्रकाश' ने पािकों को क्या सांदेश
हदया िै
(क) िमें मिापुरुर्ों का आदर करना चाहिए।
(ख) िमें सैतनक बनना चाहिए।
(ग) िमें अपने कस्बे या नगर में मूततष स्िावपत करनी चाहिए।
(घ) िम केवल बड़े कायों द्वारा िी दे श सेवा कर सकते िैं ।
प्रश्न19- िौरािे की अचधकाांश दक
ु ानें बांद थी। िाक्य का तात्पयश िै-

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(क) ज्यादातर दक
ु ानें खल
ु ी िीं और कुछ दक
ु ानें बंद िीं।
(ख) ज्यादातर दक
ु ानें खुली िीं।
(ग) ज्यादातर दक
ु ानें बंद िीं।
(घ) कोई दक
ु ान निीं खुली िी।
प्रश्न20- पान िािे ने आँसू पोंछते िुए कैप्टन की मत्ृ यु का समािार हदया। इससे प्रकट िोती
िै
(क) सहिटणुता (ग) संवेदनशीलता
(ख)कमषठता (घ) सिनशीलता
• ननम्नलिखित गदयाांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सिी विकल्प िुननए-
गदयाांश - I
जैसा कक किा जा चुका िै ,मूततष संगमरमर की िी। िोपी की नोक से कोि के दस
ू रे बिन तक
कोई दो फुि ऊाँची। ष्जसे किते िैं बस्ि ।और सद
ंु र िी। नेताजी सद
ंु र लग रिे िे। कुछ-कुछ
मासम
ू और कमलसन। फौजी वदी में । मतू तष को दे खते िी 'हदल्ली चलो' और 'तम
ु मझ
ु े खन
ू दो-
--- 'वगैरि याद आने लगते िे। इस दृष्टि से यि सफल और सरािनीय प्रयास िा। केवल एक
चीज की कसर िी जो दे खते िी खिकती िी। नेताजी की आाँखों पर चश्मा निीं िा। यानी
चश्मा तो िा ,लेककन संगमरमर का निीं िा। एक सामान्य और सचमच
ु के चश्मे का चौड़ा
काला फ्रेम मतू तष को पिना हदया गया िा ।िालदार सािब जब पिली बार इस कस्बे से गज
ु रे
और चौरािे पर पान खाने रुके तभी उन्िोंने इसे लक्षक्षत ककया और उनके चेिरे पर एक को
कौतुक भरी मुस्कान फैल गई । वाि भई! यि आइडडया भी ठीक िै। मूततष पत्िर की, लेककन
चश्मा ररयल!
प्रश्न1- नेताजी की मूनतश ककस िीज की बनी थी?
(क) लोिे की (ग) संगमरमर
(ख) सीमेंि (घ) चीनी लमट्िी
प्रश्न2- िािदार सािब ने क्या िक्षक्षत ककया ?
(क)कस्बा बिुत बड़ा िै
(ख) गांिी जी की मूततष पर चश्मा निीं िै
(ग) कस्बे का पान बिुत प्रलसद्ि िै
(घ) नेताजी की मूततष पत्िर की िै पर चश्मा असली लगा िै
प्रश्न3-ननम्नलिखित में से नेता जी की मूनतश के सांबध
ां में असत्य कथन िन
ु े।
(क) मूततष दो फुि ऊाँची िी। (ग) बस्ि मूततष िी।
(ख) मूततष आदमकद िी। (घ) मूततष लसर से सीने तक बनी िी।
प्रश्न4-- प्रस्तुत गदयाांश में 'नेताजी' सांबोधन ककस मिापुरुष के लिए प्रयुक्त िुआ िै?
(क) जवािरलाल नेिरू

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(ख) सभ
ु ार्चंद्र बोस
(ग) मिात्मा गांिी
(घ) भगत लसंि
प्रश्न5- 'मनू तश पत्थर की तथा िश्मा ररयि 'यि कथन िै-
(क) सामान्य किन (ग) प्रश्नवाचक किन
(ख) आश्चयष सच
ू क किन (घ) व्यंग्यात्मक किन
गदयाांश –II
• ननम्नलिखित गदयाांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सिी विकल्प िुननए-
बार-बार सोचते, तया िोगा उस कौम का जो अपने दे श की खाततर घर- गि
ृ स्िी -जवानी -
ष्जंदगी सब कुछ िोम कर देने वाले पर िाँसती िै और अपने ललए त्रबकने के मौके ढूाँढती िै
।दख
ु ी िो गए। पन्द्रि हदन बाद कफर उसी कस्बे से गज
ु रे ।कस्बे में घुसने से पिले खयाल आया
कक कस्बे की हृदयस्िली में सुभार् की प्रततमा अवश्य प्रततस्िावपत िोगी ,लेककन सुभार् की
आाँखों पर चश्मा निीं िोगा ।….तयोंकक मास्िर बनाना भूल गया ।...और कैप्िन मर गया। सोचा
,आज विााँ रुकेंगे निीं ,पान भी निीं खाएाँगे, मूततष की तरफ दे खेंगे भी निीं, सीिे तनकल जाएाँगे
ड्राइवर से कि हदया, चौरािे पर रुकना निीं, आज बिुत काम िै, पान आगे किीं खा लेंगे ।
लेककन आदत से मजबरू चौरािा आते िी मूततष की तरफ उठ गईं ।कुछ ऐसा दे खा कक चीखें
रोको! जीप स्पीड में िी, ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे ।रास्ता चलते लोग दे खने लगे। जीप रुकते
- न रुकते िालदार सािब जीप से कूदकर तेज- तेज कदमों से मूततष की तरफ़ लपके और उसके
सामने जाकर अिें शन में खड़े िो गए।
प्रश्न1 कस्बे की हृदयस्थिी से क्या तात्पयश िै ?
(क) कस्बे का मुख्य चौरािा
(ख) पान वाले की दक
ु ान
(ग) नगरपाललका का कायाषलय
(घ) कस्बे की प्रलसद्ि जगि
प्रश्न2- "बार-बार सोिते, क्या िोगा उस कौम का जो अपने दे श की िानतर घर- गि
ृ स्थी -
जिानी -जजांदगी सब कुछ िोम कर देने िािे पर िँसती िै और अपने लिए त्रबकने के मौके
ढूँढती िै ।"
उपयशक्
ु त पांजक्त में ककसका ,ककसके प्रनत ,कौन- सा भाि में ननहित िै?
(क)िालदार सािब का दे शभततों के प्रतत तनराशा का भाव
(ख) कैप्िन का कस्बे के लोगों के प्रतत व्यंग्य का भाव
(ग) पानवाले का िालदारसािब के प्रतत क्रोि का भाव
(घ) िालदार सािब का दे श के स्वािी एवं मिापरु
ु र्ों के प्रतत उदासीन लोगों के प्रतत
तनराशा का भाव
प्रश्न3- नेताजी की मूनतश पर िश्मा निीां िोगा । ऐसा िािदार सािब ने क्यों सोिा?

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(क) चश्मा त्रबक चक
ु ा िा (ग) कैप्िन मर गया िा
(ख) मास्िर बनाना भल
ू गया (घ) मतू तष ििा दी गई िी
प्रश्न4- िािदार सािब ने ड्राइिर को िौरािे पर रुकने के लिए मना क्यों ककया?
(क) उन्िें बिुत काम िा
(ख) उन्िें पान निीं खाना िा
(ग) वे त्रबना चश्मे की मतू तष दे खना निीं चािते िे।
(घ) वे दफ्तर जल्दी पिुाँचना चािते िे।
प्रश्न5 िािदार सािब अटें शन की मुद्रा में िडे िो गए क्योंकक -
(क) राटरगान िो रिा िा
(ख) वे िमेशा ऐसा करते िे
(ग) वे मूततष के प्रतत सम्मान प्रकि करना चािते िे
(घ) कैप्िन को सम्मान दे ना चािते िे

बािगोत्रबन भगत
प्रश्न 1 'बािगोत्रबन भगत' पाि की विधा एिां िेिक से सांबांचधत उचित विकल्प िन
ु े
(क) किानी, स्वयं प्रकाश (ग) रे खाधचत्र, रामवक्ष
ृ बेनीपरु ी
(ख) संस्मरण रामवक्ष
ृ बेनीपरु ी (घ) तनबंि, यशपाल
प्रश्न 2 'बािगोत्रबन भगत' की िेशभूषा से सांबांचधत सिी समूि िुने-
(क) लसर पर लाल िोपी, काली कमली, मस्तक पर रामानंदी चंदन , की माला
(ख)लसर पर गांिी िोपी, काली कमली, रामानंदी चंदन , गले में रुद्राक्ष की माला
(ग)लसर पर कनफिी िोपी, काली कमली, मस्तक पर रामानंदी चंदन , गले में तुलसी की जड़ों की
बेडौल माला
(घ)लसर पर गांिी िोपी, काली कमली, रामानंदी चंदन , िाि में तुलसी की माला
प्रश्न 3 'बािगोत्रबन भगत'आजीविका का साधन क्या था?
(क) भजन गाना (ग) पज
ू ा पाठ करना
(ख) खेती-बाड़ी (घ) तीिष यात्रा कराना
प्रश्न 4 ननम्नलिखित कथन में से उचित कथन िन
ु े?
(क) बालगोत्रबन ने अपनी पत्र
ु विू के पन
ु ववषवाि की बात उसके चाचा से की
(ख) बालगोत्रबन भगत मीरा के पद गाते िे
(ग) बालगोत्रबन भगत का गंगा स्नान का उद्दे श्य संत समागम लोक दशषन िोता िा
(घ) बालगोत्रबन भगत ने पुत्र को अष्ग्न अपनी पोती से हदलवाई

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प्रश्न 5 भादो मास ककस ऋतु से सांबांचधत िै?
(क) वसंत ऋतु (ग) िे मंत ऋतु
(ख) शरद ऋतु (घ) पावस ऋतु
प्रश्न 6 बािगोत्रबन भगत ककस िादय यांत्र की ताि पर गाते थे?
(क) ढोलक (ग) तबला
(ख) खंजड़ी (घ) िारमोतनयम
प्रश्न 7-बािगोत्रबन भगतके सांगीत के प्रभाि के सांबांध में सिी कथन निीां िै ?
(क) औरतें गुनगुनाने लगती िीं
(ख) मोर नाचने लगते िे
(ग)बच्चे झम
ू उठते िे
(घ)लोग सुि-बुि खो बैठते िे
प्रश्न 8 ‘गोदी में वपयिा िमक उिे सखियाां चििुँक उिे ना’ पांजक्त में वपयिा ककसका प्रतीक िै
(क) आत्मा (ग) गुरु
(ख) परमात्मा (घ) लेखक
प्रश्न 9 तेरी गिरी में िागा िोर मस
ु ाकफर जाग जरा यि पांजक्तयाँ ककसकी िै तथा इसमें मस
ु ाकफर ककसे
किा गया िै
(क) कबीर दास जी की -मनुटय को
(ख) बालगोत्रबन भगत की-लेखक को
(ग) लेखक की बालगोत्रबन -भगत को
(घ)सरू दास जी की- ईश्वर को
प्रश्न 10 ननम्नलिखित में से अनुचित विकल्प िुनें
(क) तनस्तब्िता – सन्नािा (ग) कलेवा - दोपिर का भोजन
(ख) आवत
ृ - ढका िुआ (घ) कमली - कंबल
प्रश्न 11 सूिी 1का सूिी 2 से लमिान कीजजए हदए गए कूट से सिी उत्तर िन
ु े-
सि
ू ी1 सि
ू ी2
(अ) बािगोत्रबन भगत (1) सुबि गाए जाने िािे भजन
(ब) पतोिू (2) एक प्रकार की घास
(स) प्रभाती (3) कुशि प्रबांचधका
(द) कुश (4) कबीरपांथी साधु
कूट

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अ ब स द
क 1 2 3 4
ख 4 3 1 2
ग 2 1 3 4
घ 4 2 1 3
प्रश्न 12- ननम्नलिखित में से अनचु ित कथन िन
ु े
(क) बालगोत्रबन भगत के घर से कबीरपंिी मठ 4 कोस दरू िा
(ख) बालगोत्रबन भगत प्रततहदन 5 मील दरू नदी स्नान को जाते िे
(ग) बालगोत्रबन भगत िर वर्ष गंगा स्नान के ललए जाते िे
(घ) बालगोत्रबन भगत के घर से गंगा नदी लगभग 30 कोस दरू ी पर िी
प्रश्न 13- भिा इससे बढ़कर आनांद की कौन सी बात ? पांजक्त में ककस आनांद की बात की गई िै
(क) आत्मा का परमात्मा से लमल जाने का आनंद
(ख) भगत के गीतों से लमलने वाला आनंद
(ग) गंगा स्नान के समय लमलने वाला आनंद
(घ) संतो के दशषन करने पर लमलने वाला आनंद
प्रश्न 14 बािगोत्रबन भगत की आखिरी दिीि क्या थी?
(क) वे कभी गंगा स्नान के ललए निीं जाएंगे
(ख) यहद उनकी पत्र
ु विू भाई के साि मायके निीं जाएगी तो वि घर छोड़ दें गे
(ग) वे कबीर के पद निीं गाएंगे
(घ) पत्र
ु विू को भाई के साि निीं भेजेंगे
प्रश्न 15-भगत जब गांगगा स्नान के लिए जाते थे तो उपिास रिते थे क्योंकक
(क) उनका मानना िा कक गि
ृ स्ि को लभक्षा व सािु को संबल निीं लेना चाहिए।
(ख) उनका मानना िा कक साल में लगभग पााँच हदन उपवास रखना िी चाहिए।
(ग) उनका मानना िा कक उपवास से स्वस्ि रिते िैं
(घ) उनका मानना िा कक गि
ृ स्ि को उपवास रखना चाहिए
प्रश्न16-कथन-बािगोत्रबन भगत ने अपनी पुत्रिधू का पुनविशिाि कराने का ननणशय लिया
कारण- िि समाज की रूहढ़िादी परां पराओां को निीां मानते थे ।
(क) किन सिी कारण गलत (ग) किन व कारण दोनों सिी िै
(ख) कारण सिी किन गलत (घ) किन व कारण दोनों गलत
प्रश्न 17 कथन-भगत अपने पत्र
ु की मत्ृ यु पर प्रसन्न िोकर नाि रिे थे।

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कारण-िि अपने सस्
ु त और बोदे पत्र
ु से बिुत परे शान िो िक
ु े थे।
(क) किन सिी कारण गलत (ग) किन व कारण दोनों सिी िै
(ख) कारण सिी किन गलत (घ) किन व कारण दोनों गलत
प्रश्न18-कथन-भगत अपनी फसि जैन तीथंकरों को दान कर दे ते थे।
कारण- िि जैन धमाशििांबी थे।
(क) किन सिी कारण गलत (ग) किन व कारण दोनों सिी िै
(ख) कारण सिी किन गलत (घ) किन व कारण दोनों गलत
प्रश्न19- भगत की सांगीत साधना की पराकाष्िा से सांबांचधत घटनाक्रम िै –
(क)िान की रोपाई के समय गीत गाना।
(ख)पत्र
ु की मत्ृ यु पर गीत गाना ।
(ग)काततषक की ठं ड में गीत गाना ।
(घ)गलमषयों की शाम में उनके गीतों पर सबका मुग्ि िोना।
प्रश्न20-भगत की पुत्रिधू अपने भाई के साथ क्यों निीां जाना िािती थी ?
(क) दस
ू री शादी के भय से
(ख) भगत की जायदाद के लोभ के कारण
(ग) भगत के प्रतत सेवा भाव रखने के कारण
(घ) समाज के लोगों के डर से
➢ ननम्नलिखित गदयाांश को पढ़कर नीिे हदए गए प्रश्नों के सिी विकल्प िुननए-
गदयाांश-1
काततक आया निीं कक बालगोत्रबन भगत प्रभाततयााँ शरू
ु िुई, जो फागन
ु तक चला करतीं। इन हदनों का
सबेरे िी उठते। न जाने ककस वतत जब तक वि जाने वि नदी- स्नान को ,जाते गााँव से दो मील दरू ! विााँ
से निा- िोकर लौिते और गााँव के बािर िी, पोखरे के ऊंचे लभंडे पर, अपनी णखचड़ी लेकर जा बैठते और
गाने िे रने लगते, मैं शुरू से िी देर तक सोने वाला िूं ककं तु एक हदन, माघ की उस दााँत ककिकिाने वाली
भोर में भी उनका संगीत मझ
ु े पोखरे पर ले गया िा। अभी आसमान के तारों के दीपक बझ
ु े निीं िे। िााँ
परू ब में लोिी लग गई िी ष्जसकी लाललमा को शक्र
ु तारा ब़िा रिा िा। खेत,बगीचा घर- सब पर कोिरा छा
रिा िा। सारा वातावरण अजीब रिस्य से आवत
ृ मालूम पड़ता िा ।उस रिस्यमय वातावरण में एक कुश
की चिाई पर, परू ब मुाँि काली कमली ओ़िे , बालगोत्रबन भगत अपनी खंजड़ी ललए बैठे िे। उनके मुाँि से
शब्दों का तााँता लगा िा, उनकी अंगुललयााँ खंजड़ी पर लगातार चल रिी िीं। गाते- गाते इतने मस्त िो
जाते, इतने सरू
ु र में आते ,उिेष्जत िो उठते की मालम
ू िोता, अब खड़े िो जाएाँगे। कमली तो बार बार कफर
से नीचे सरक जाती। मैं जाड़े से काँ पकाँ पा रिा िा ककं तु तारे की छााँव में भी उनके मस्तक के श्रमत्रबंद ु जब-
तब, चमक िी पड़ते।

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प्रश्न1- उनका सांगीत मझ
ु े पोिरे पर िे गया पांजक्त में उनका तथा मझ
ु े शब्द ककसके लिए प्रयक्
ु त िुआ
िै?
(क) उनका बालगोत्रबन भगत के ललए तिा मुझे लेखक के ललए प्रयुतत िुआ िै।
(ख) मुझे बालगोत्रबन भगत के ललए तिा उनका लेखक के ललए प्रयुतत िुआ िै
(ग)) उनका कबीर भगत के ललए तिा मझ
ु े लेखक के ललए प्रयत
ु त िुआ िै।
(घ) उनका पत्र
ु विू के ललए तिा मझ
ु े बालगोत्रबन भगत के ललए प्रयत
ु त िुआ िै।.
प्रश्न2- ननम्नलिखित शब्दों में से कौन सा आगत शब्द िै?
(क) उिेष्जत (ग) अजीब
(ख) श्रमत्रबद
ं ु (घ) आवि

प्रश्न 3-िातािरण को रिस्यमई क्यों किा गया िै
(क) कोिरे की ओि में स्पटि न हदखाई दे ने के कारण।
(ख) कोिरे में साफ हदखाई दे ने के कारण
(ग) भयंकर सदी िोने के कारण
(घ) रात्रत्र का समय िोने के कारण
प्रश्न4- परू ब में िोिी िग गई थी जजसकी िालिमा को शक्र
ु तारा बढ़ा रिा था पांजक्त में िोिी शब्द का
उचित अथश िोगा?
(क) दीपक का प्रकाश (ग) प्रातः काल की लाललमा
(ख) चंद्रमा की रोशनी (घ) आग लगना
प्रश्न5- बािगोत्रबन भगत के प्रभनतयाँ कब से कब तक ििती थी?
(क) आर्ा़ि से सावन तक (ग) काततषक से फागन
ु तक
(ख) माघ से फागुन तक (घ) सावन से भादो तक
गदयाांश -2
ऊपर की तस्वीर से यि निीं माना जाए कक बाल गोत्रबन भगत सािि
ु े। निीं, त्रबल्कुल गि
ृ स्ि। उनकी
गि
ृ णीकी तो मुझे याद निीं,उनके बेिे और पतोिू को तो मैंने दे खा िा। िोड़ीखेतीबारीभी िी। एक अच्छा
साफ सि
ु रा मकान भी िा। ककं तु खेती-बाड़ी करते, पररवार रखते भी बाल गोत्रबन भगत सािु िे सािु
की सब पररभार्ा में खरे उतरने वाले। कबीर को सािब मानते िे ।उन्िीं के गीतों को गाते, उन्िीं के
आदे शों पर चलते। कभी झूठ निीं बोलते, खरा व्यविार करते, ककसी से भी दो िूक बात करने में
संकोच निीं करते।न ककसी से खामखाि झगड़ा मोल लेते ,ककसी की चीज निीं छूते, ना त्रबना पूछे
व्यविार में लाते। इस तनयम को कभी-कभी इतनी बारीकी तक ले जाते िे कक लोगों को कुतूिल िोता
िा।

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प्रश्न1-िेिक ककन त्रबांदओ
ु ां के आधार पर बािगोत्रबन भगत को साधु निीां गि
ृ स्थ मानते।
(क) उनका पिनावा सािुओं जैसा निीं िा
(ख) उनका जीवन सुख सुवविाओं से भरा िुआ िा
(ग) वि सबसे लमल जुल कर रिते िे
(घ) उनके एक बेिा, पतोिू िी, खेती बारी करते और एक मकान भी िा
प्रश्न2-िोगों को भगत की ककस बात पर आश्ियश िोता था
(क) उनके बेिे को दे खकर (ग) उनके पववत्र व्यविार पर
(ख) उनके खेती करने पर (घ) उनके घर को दे खकर
प्रश्न3-दो टूक बात करने से तात्पयश िै
(क) घुमा कफरा कर बोलना (ग) दो शब्दों में बात कि दे ना
(ख) बिुत कम बोलना (घ) स्पटि बात किना
प्रश्न4-िेिक के अनुसार भगत के घर में कौन कौन था ?
(क)उनकी पत्नी, एक पतोिू, एक बेिा
(ख) उनकी पत्नी, एक पतोिू, दो बेिे
(ग) एक बेिा और एक पतोिू
(घ) दो पतोिू, दो बेिे, और पत्नी
प्रश्न 5 बािगोत्रबन भगत ककस पांथ के अनुयाई थे?
(क) वैटणव पंि (घ) तल
ु सी पंि
(ख) वल्लभ पंि
(ग )कबीर पंि

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