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गदयाांश -2
किा जाता िै कक िमारा लोकतंत्र यहद किीं कमजोर िै तो उसकी एक बड़ी वजि िमारे
राजनीततक दल िैं। वे प्रायः अव्यवष्स्ित िैं, अमयाषहदत िैं और अधिकांशतः तनटठा और कमषठता
से संपन्न निीं िैं। िमारी राजनीतत का स्तर प्रत्येक दृष्टि से धगरता जा रिा िै । लगता िै उसमें
योग्य और सच्चररत्र लोगों के ललए कोई स्िान निीं िै । लोकतंत्र के मूल में लोकतनटठा िोनी
चाहिए, लोकमंगल की भावना और लोकानभ
ु तू त िोनी चाहिए और लोकसंपकष िोना चाहिए।िमारे
लोकतंत्र में इन आिारभूत तत्वों की कमी िोने लगी िै इसललए लोकतंत्र कमजोर हदखाई पड़ता
िै। िम प्रायः सोचते िैं कक िमारा दे श-प्रेम किााँ चला गया, दे श के ललए कुछ करने, मर लमिने
की भावना किााँ चली गई? त्याग और बललदान के आदशष कैसे, किााँ लुप्त िो गए? आज िमारे
लोकतंत्र को स्वािाांिता का घुन लग गया िै। तया राजनीततज्ञ, तया अफसर, अधिकांश यिी
सोचते िैं कक वे ककस तरि से ष्स्ितत का लाभ उठाएाँ, ककस तरि एक दस
ू रे का इस्तेमाल करें ।
आम आदमी अपने आपको लाचार पाता िै और ऐसी ष्स्ितत में उसकी लोकतांत्रत्रक आस्िाएाँ
डगमगाने लगती िैं। लोकतंत्र की सफलता के ललए िमें समिष और सक्षम नेतत्ृ व चाहिए, एक
नई दृष्टि एक नई प्रेरणा, एक नई संवेदना, एक नया आत्मववश्वास, एक नया संकल्प और
समपषण आवश्यक िै । लोकतंत्र की सफलता के ललए िम सब अपने आप से पछ
ू ें कक िम दे श
के ललए, लोकतंत्र के ललए तया कर सकते िैं और िम लसफष पूछकर िी न रि जाएाँ बष्ल्क
संगहठत िोकर समझदारी वववेक और संतुलन से लोकतंत्र को सफल और सािषक बनाने में लग
जाएाँ।
(क)िमारे िोकतांत्र की कमजोरी का कारण िै
I. िमारे कमजोर नागररक III. िालमषक संस्िाएाँ
II. िमारे राजनीततक दल IV. िमारी न्यायपाललका
(ि)िोकतांत्र का मि
ू तत्ि निीां िै
I. लोकमंगल के प्रतत उपेक्षा II. लोक तनटठा की अपेक्षा
काव्याांश -2
यत्न से पुरुर्ािष से, सब लक्ष्य आते िैं तनकि,
सच्चाई यि िै कक
केवल ऊाँचाई िी काफी निीं िोती
सबसे अलग-िलग
पररवेश से पि
ृ क
अपनों से किा-बाँिा
शन्
ू य में अकेला खड़ा िोना
पिाड़ की मिानता निीं मजबरू ी िै
ऊाँचाई और गिराई में
आकाश पाताल की दरू ी िै ।
जो ष्जतना ऊाँचा
उतना िी एकाकी िोता िै ,
िर भार को स्वयं िी ढोता िै
चेिरे पर मस्
ु कानें धचपका
मन िी मन रोता िै
िाच्य
प्रश्न1--कतशि
ृ ाच्य िोता िै-
(क) जब वातय में कताष की प्रिानता िोती िै
(ख) जब वातय में कमष की प्रिानता िोती िै
(ग) जब भाव की प्रिानता िोती िै
(घ) जब वातय में कमष व कताष दोनों की प्रिानता िोती िै
प्रश्न2- कक्रया का लिांग ििन कमश के अनुसार िोने पर िाच्य िोता िै
(क) कतषव
ृ ाच्य (ग) भावाच्य
(ख) कमषवाच्य (घ) कतषरर प्रयोग
प्रश्न3-जब कायश अिानक अनिािे िो जाए तो ििाँ कक्रया का िाच्य िोगा -
(क) कतषव
ृ ाच्य (ग) भाववाच्य
(ख) कमषवाच्य (घ) पूणषवाच्य
प्रश्न4 -िाच्य के सांबध
ां में में अनप
ु यक्
ु त कथन िन
ु े-
(क) कतषव
ृ ाच्य में कक्रया सकमषक और अकमषक दोनों िो सकती िै
(ख) कमषवाच्य में कक्रया सदै व सकमषक िोती िै
(ग) भाववाच्य में कक्रया सदै व सकमषक िोती िै
(घ) भाव वाच्य में कक्रया सदै व अकमषक िोती िै
प्रश्न5 -िाच्य का सांबांध िोता िै -
(क) कक्रया के रूप से (ग) ववशेर्ण के रूप से
(ख) संज्ञा के रूप से (घ) अव्यय के रूप से
प्रश्न6 -भाि िाच्य में िाच्य त्रबद
ां _
ु ______ िोता िै तथा कक्रया____ का प्रयोग िोता िै।
ररक्त स्थान िे तु क्रमश: सिी विकल्प िनु नए –
पद –पररिय
प्रश्न 1-िाक्य में प्रयुक्त शब्द कििाता िै –
(क) पद (ख) वातय (ग) समास (घ) अव्यय
प्रश्न2 –पद पररिय कििाता िै –
(क) पदों का ववस्तत
ृ व्याकरणणक पररचय दे ना
(ख) पदों का वातयों में प्रयोग करना
(ग) पदों के ववर्य में संक्षेप में जानकारी दे ना
(घ) पदों की वातयों में ष्स्ितत पर गौर करना
प्रश्न 3–सांज्ञा, सिशनाम, कक्रया ि विशेषण िोते िैं –
(क) ववकारी शब्द (ग) अव्यय शब्द
(ख) अववकारी शब्द (घ) संकर शब्द
प्रश्न 4– अविकारी शब्दों का उचित समि
ू िनु नये –
रस
1-विभािानभ
ु ािव्यलभिाररसांयोगाद्रसननष्पवत्त:’ यि िाक्य िै-
(क) ववश्वनाि का (ग) काललदास का
(ख) भरत मतु न का (घ) तल
ु सीदास का
2-विभाि के अांतगशत आते िैं-
(क) आलम्बन व उद्दीपन (ग) अनुभाव व आलंबन
(ख) अनुभाव व उद्दीपन (घ) अनुभाव व ववभाव
3-अनुभाि का सांबध
ां िोता िै -
(क) आश्रय के शारीररक ववकारों से
(ख) ववर्य के शारीररक ववकारों से
(ग) आश्रय व ववर्य दोनों के मानलसक ववकारों से
(घ) ववर्य के मानलसक ववकारों से
4-ककस रस को रसराज किा जाता िै ?
(क) श्रंग
ृ ार (ग) वीर
(ख) िास्य (घ) रौद्र
5-विषय की िेष्टाओां और बाह्य िातािरण जो स्थायीभाि को तीव्र करते िैं, उन्िें किते िैं-
(क) उद्दीपन (ग) ववर्य
(ख) अनभ
ु ाव (घ) संचारी भाव
6-सांिारी भािों के सांबांध में अनुपयुक्त कथन िन
ु ें-
(क) इन्िें व्यलभचारी भाव भी किते िैं।
(ख) इनकी संख्या 35 िै
(ग) यि पानी के बुलबुलों के समान उठते िैं व स्िायी भाव को रस की पररपतवता तक
पिुाँचाकर शांत िो जाते िैं।
(घ) एक िी संचारी भाव कई रसों के साि िो सकता िै।
7-श्रांग
ृ ार रस के सांबांध में अनप
ु यक्
ु त कथन िन
ु ें
(क)श्रंगार के दो पक्ष िैं संयोग व ववयोग
(ख) जिााँ नायक नातयका के लमलन या ववरि का वणषन िो विााँ श्रंगार रस िोता िै।
पाठ्य-पस्
ु तक क्षक्षनतज
सूरदास के पद
1.सूरदास का काि ि शािा िै:-
(क) भष्ततकाल - ज्ञानमागी शाखा (ग) भष्ततकाल - राममागी शाखा
(ख) भष्ततकाल - प्रेममागी शाखा (घ) भष्ततकाल - कृटणमागी शाखा
2.सूरदास दिारा रचित पदों की भाषा िै:-
(क) अविी भार्ा (ग) ब्रजभार्ा
(ख) खड़ीबोली (घ) सिुतकड़ी
5. पहित पदों के आधार पर गोवपयों की विशेषताओां के सांबांध में उचित विकल्प िनु नये –
(ख) सगण
ु भष्तत की तनगषण
ु भष्तत पर ववजय
15.श्रीकृष्ण के प्रनत गोवपयों के अनन्य प्रेम को व्यक्त करने िािा सिी कथन िै:-
(क) वे सोते-जागते,रात-हदन कृटण का िी नाम जपती िैं
(ख) उन्िें श्रीकृटण से प्रेम निीं िै
(ग) वे तनगुषण ब्रहम की पक्षिर िैं
(घ) वे कृटण को िाररल पक्षी समझती िैं
16.'नांद-नांदन' विशेषण ककसके लिए प्रयुक्त िुआ िै?
(क) उद्िव के ललए (ग) नंद के ललए
(ख) गोवपयों के ललए (घ) श्रीकृटण के ललए
17.'मधुकर' शब्द का पयाशय िै:-
1- 'अपरस रित सनेि तगा तैं ' पांजक्त में अिांकार िै:-
(क) उपमा अलंकार (ख) अनुप्रास अलंकार
(ग) रूपक अलंकार (घ) श्लेर् अलंकार
2.गोवपयों ने स्ियां को किा िै:-
(क) अष्स्िर मन वाली (ख) अबला और भोली
(ग) तेल की गागर (ग) प्रेम की मयाषदा में न रिने वाली
3-गड
ु ि िीांटी ककनके प्रतीक िैं? सिी जोडा बताएां:-
(क) गोवपयां व कृटण (ख) श्रीकृटण व गोवपयां
(ग) श्रीकृटण व उद्िव (घ) सूरदास व श्रीकृटण
4-गोवपयों के अनुसार उदधि का दभ
ु ाशग्य िै:-
(क) वे कृटण के परम लमत्र िैं।
(ख) वे कृटण के साष्न्नध्य में रिकर भी प्रेम से वंधचत रिे ।
(ग )वे सगण
ु ब्रहम के उपासक िैं
(घ) वे प्रेमी स्वभाव के िैं।
5.कमि पत्र की विशेषता िोती िै:-
(क) वि पानी में रिता िै।
(ख) उस पर पानी का कोई प्रभाव निीं पड़ता।
(ग) उस पर जल की बद
ूं ें हदखाई दे ती िैं।
घ) उसका ववकास रुक जाता िै।
प्रश्न23-‘इिाँ कुम्िडबनतया कोउ नािीां’ पांजक्त में कुम्िडबनतया शब्द का प्रयोग िक्ष्मण ने
अपनी ककस विशेषता को बताने के लिए ककया िै -
क-वे कमजोर व्यष्तत निीं िैं जो डराने से डर जाएाँ |
ख-वे ववश्वालमत्र के लशटय िैं |
ग-वे राम के भ्राता िैं |
घ-वे रघुवंशी िैं |
प्रश्न24 -परशरु ाम जी ने लशि धनुष को भांग करने िािे को ककसके समान अपना शत्रु बताया िै-
क-सिस्रबािु के समान ग-त्रत्रपुरारर के समान
ख़-सुबािु के समान घ-रावण के समान
प्रश्न25- "अरर करनी करर कररअ िराई" में अिांकार िै -
क-यमक ग-उपमा
ख़ अनुप्रास घ-मानवीकरण
प्रश्न26 -िक्ष्मण ने धनुिी बता कर उपिास ककया-
(क)राम के िनर्
ु का (ग) राजाओं के िनुर् का
(ख) लशव िनुर् का (घ) परशुराम के िनुर् का
प्रश्न27- तजशनी हदिाने मात्र से िी मुरझा जाती िै-
(क)कुम्िड़बततया (ग) लौकी की बततया
(ख) कदली फल (घ) ककड़ी की बततया
प्रश्न28 - परशरु ाम जी के ििन करोडों िज्र के समान िैं अतः िक्ष्मण जी के अनुसार उन्िें निीां धारण
करना िाहिए-
(क)िनर्
ु , बाण,कृपाण (ग) कुठार, कृपाण, जनेऊ
(ख) बाण,जनेऊ, (घ) िनर्
ु , बाण, कुठार
नेता जी का िश्मा
प्रश्न 1 िािदार सािब को कांपनी के काम के लसिलसिे में कस्बे से ककतने हदन में गुजारना
पडता था ?
(क) िर पन्द्रिवें हदन में (ग) िर दसवें हदन
(ख) िर सातवें हदन (घ) िर रवववार के हदन
प्रश्न 2 'नेताजी का िश्मा' पाि में कस्बे में मौजूद सवु िधाओां का सिी समूि िुने।
(क) दो स्कूल,एक सीमेंि का कारखाना, दो ओपन एयर लसनेमाघर,एक नगरपाललका
(ख) एक स्कूल, दो सीमेंि के कारखाने, एक ओपन एयर लसनेमा घर
(ग) एक नगरपाललका,एक स्कूल तिा दो ओपन एयर लसनेमा घर
(घ) दो स्कूल, दो ओपन एयर लसनेमाघर, दो सीमेंि के कारखाने
प्रश्न 3 कस्बे में नगरपालिका दिारा ककए जाने िािे कायों का उचित समूि िुने-
(क) सड़कें, पेशाबघर, कबूतरों की छतरी बनवाना तिा कवव सम्मेलन करवाना
(ख) सड़कें, पुस्तकालय, कबत
ू रों की छतरी बनवाना तिा कवव सम्मेलन करवाना
(ग) िोिल, पेशाबघर, कबूतरों की छतरी बनवाना तिा कवव सम्मेलन करवाना
(घ) सड़कें, मंहदर, कबूतरों की छतरी बनवाना तिा कवव सम्मेलन करवाना
प्रश्न4-‘क्या कैप्टन िश्मे िािा नेताजी का साथी िै ? या आजाद हिांद फौज का भत
ू पि
ू श
लसपािी?’ यि कथन ककसने ककससे किा ?
(क) पान वाले ने िालदार सािब से किा
(ख) िालदार सािब ने कस्बे के नागररकों से किा
(ग) िालदार सािब ने पान वाले से किा
(घ) फेरीवाले ने िालदार सािब से किा
प्रश्न5-ननम्नलिखित शब्दों में से कौन सा ‘आगत’ शब्द िै?
(क) अवसर (ग) कमलसन
(ख) दृष्टि (घ) तनटकर्ष
प्रश्न6- ननम्नलिखित शब्दों में से 'बस्ट' का सिी अथश िुननए
(क) बिुत अच्छा (ग) सवोिम
(ख) आवक्ष (घ) सवषश्रेटठ
प्रश्न 15- (अ )बोडश की शासनािचध/ (ब) समाप्त िोने की घड़डयों में / (स) ककसी बडे
किाकार को िी/ (द) अिसर दे ने का ननणशय ककया गया िोगा
विकल्प :-
(क) अ, ब, स तीनों भागों में त्रुहि िै ।
(ख) केवल स भाग में त्रुहि िै ।
(ग) ब, स भाग में त्रुहि िै ।
(घ) केवल ब भाग में त्रहु ि िै ।
प्रश्न 16-(अ) उसने पीछे मड
ु कर/ (ब) मँि
ु का पान नीिे थक
ू ा और/ (स )लसर झक
ु ाकर अपने
धोती के लसरे से/ (द) िाथ पोछता िुआ बोिा
(क) अ, ब, स तीनों भागों में त्रहु ि िै ।
(ख) केवल द भाग में त्रहु ि िै ।
(ग) ब, स भाग में त्रहु ि िै ।
(घ) केवल ब भाग में त्रहु ि िै ।
प्रश्न17-मूनतश पर सरकांडे का िश्मा क्या उम्मीद जगाता िै?
(क) बच्चों में कलात्मक प्रततभा िै।
(ख) बच्चे मिापुरुर्ों का आदर निीं करते।
(ग) शरारत करना बच्चों का स्वभाव िै।
(घ) दे श की भावी पी़िी में दे शभष्तत की भावना मौजूद िै।
प्रश्न18- 'नेताजी का िश्मा' पाि के माध्यम से िेिक 'स्ियां प्रकाश' ने पािकों को क्या सांदेश
हदया िै
(क) िमें मिापुरुर्ों का आदर करना चाहिए।
(ख) िमें सैतनक बनना चाहिए।
(ग) िमें अपने कस्बे या नगर में मूततष स्िावपत करनी चाहिए।
(घ) िम केवल बड़े कायों द्वारा िी दे श सेवा कर सकते िैं ।
प्रश्न19- िौरािे की अचधकाांश दक
ु ानें बांद थी। िाक्य का तात्पयश िै-
बािगोत्रबन भगत
प्रश्न 1 'बािगोत्रबन भगत' पाि की विधा एिां िेिक से सांबांचधत उचित विकल्प िन
ु े
(क) किानी, स्वयं प्रकाश (ग) रे खाधचत्र, रामवक्ष
ृ बेनीपरु ी
(ख) संस्मरण रामवक्ष
ृ बेनीपरु ी (घ) तनबंि, यशपाल
प्रश्न 2 'बािगोत्रबन भगत' की िेशभूषा से सांबांचधत सिी समूि िुने-
(क) लसर पर लाल िोपी, काली कमली, मस्तक पर रामानंदी चंदन , की माला
(ख)लसर पर गांिी िोपी, काली कमली, रामानंदी चंदन , गले में रुद्राक्ष की माला
(ग)लसर पर कनफिी िोपी, काली कमली, मस्तक पर रामानंदी चंदन , गले में तुलसी की जड़ों की
बेडौल माला
(घ)लसर पर गांिी िोपी, काली कमली, रामानंदी चंदन , िाि में तुलसी की माला
प्रश्न 3 'बािगोत्रबन भगत'आजीविका का साधन क्या था?
(क) भजन गाना (ग) पज
ू ा पाठ करना
(ख) खेती-बाड़ी (घ) तीिष यात्रा कराना
प्रश्न 4 ननम्नलिखित कथन में से उचित कथन िन
ु े?
(क) बालगोत्रबन ने अपनी पत्र
ु विू के पन
ु ववषवाि की बात उसके चाचा से की
(ख) बालगोत्रबन भगत मीरा के पद गाते िे
(ग) बालगोत्रबन भगत का गंगा स्नान का उद्दे श्य संत समागम लोक दशषन िोता िा
(घ) बालगोत्रबन भगत ने पुत्र को अष्ग्न अपनी पोती से हदलवाई