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मध्यकालीन भारत

वििेकानंद इंस्टिट्यि
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मध्यकालीन भारत

 भारतीय क्षेत्रों पर प्रथम सफल आक्रमण 712 ईसवी में मोहम्मद बबन काबसम के नेतत्ृ व में हुआ।
 इस समय बसिंध का शासक दा बहर था।
 ऄरबों के अक्रमण के विषय में पयााप्त सूचना फुतुल - ऄल बलदान एिं चचनामा से वमलती है।
 अरबों ने बिबकत्सा, दशशनशास्त्र, नक्षत्र बवज्ञान, गबणत और शासन प्रबधिं बशक्षा भारतीयों से ली।
 बगदाद के खलीफाओ िं ने भारतीय बवद्वान को सिंरक्षण प्रदान बकया।
 मसिं रू के समय में ऄरब विद्वान भारत से बगदाद अपने साथ दो पस्ु तक लेकर गए ब्रह्मगुप्त का
ब्रह्मवसद्ांत तथा खंडखाद्य।
 अरब आक्रमणकारी मोहम्मद वबन कावसम ने वसध ं ु िावसयों से जवजया नामक कर पहली बार
िसूल की।
 अरब आक्रमणकाररयों में महमदू गजनवी और मोहम्मद गोरी बवशेष उल्लेखनीय है।

महमूद गजनिी

 यावमनी िंश का संस्थापक ऄलप्तवगन था बजसने गजनी को ऄपनी राजधानी बनाया।


 ऄलप्तवगन का दमाद सुबुक्तगीन प्रथम तुकी शासक था बजसने भारत पर आक्रमण बकया।
 इसी के समय में गजु रात के शासक जयपाल ने गजनी पर हमला बकया था।
 सुबुक्तगीन के बाद उसका पत्रु एविं ईत्तरावधकारी महमूद गजनिी (998 – 1030इ.) गजनी की गद्दी
पर बैठा।
 गजनी ने भारत पर 1000 – 1027 ई. तक 17 बार आक्रमण बकया वजसका ईल्लेख हेनरी आवलयट ने
वकया है।
 महमदू का सिाावधक ईल्लेखनीय अक्रमण गुजरात में सोमनाथ के मंवदर (1025) पर था।
 उस समय वहािं का शासक भीम प्रथम था।
 महमदू के दरबारी इबतहासकार ईत्बी ने ईसके अक्रमणों को वजहाद की संज्ञा दी है।
 बजसके अनसु ार महमूद के अक्रमणों का ईद्देश्य इस्लाम का प्रसार है और बतु परस्ती को समाप्त करना है।
 महमदू गजनी ने बुतवशकन (मूवता भंजक) की ईपावध धारण की थी।
 महमदू के दरबार में ऄलबरूनी, वफरदौसी, ईत्बी और फारूखी आबद बवद्वान थे।
 वफरदौसी ने शाहनामा की रचना की।
 ऄलबरूनी महमूद के समय भारत आया बजसने वकताब ईल वहदं और महमूद के जीिन पर
अधाररत तारीख ए यावमनी की रचना की।

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महमूद के समय प्रमुख राज्य और शासक

 मुल्तान एिं वसध


ं मुवस्लम राज्य
 ईत्तर पविमी भाग जयपाल
 कश्मीर ब्राह्मण िंश (रानी वदद्दा)
 कन्नौज प्रवतहार िशं (राज्यपाल)
 बंगाल पाल िंश (मवहपाल प्रथम)

मुआजद्दु ीन मोहम्मद गौरी

 12 वीं शताब्दी के मध्य में गौरी वश


िं का उदय हुआ।
 गौरी साम्राज्य का आधार उत्तर-पबिम अफगाबनस्तान था।
 आरिंभ में गौरी गजनी के अधीन था।
 मोहम्मद गौरी शंसबनी िंश का था।
 भारत पर मोहम्मद गौरी का प्रथम अक्रमण एक 1175 इ. में मल्ु तान पर हुआ।
 1178 में गौरी ने गज
ु रात पर अक्रमण वकया बकिंतु भीम वद्वतीय ने ईसे ऄवन्हलिारा के युद् में
परावजत वकया।
 ऄवन्हलिारा के युद् में पराजय गौरी की भारत में पहली पराजय थी।

प्रमुख युद् िषा शासक पररणाम


तराआन का 1191 मोहम्मद गौरी पृथ्िीराज चौहान (राय मोहम्मद गौरी की पराजय
प्रथम युद् वपथौरा)
तराआन का 1192 मोहम्मद गौरी पृथ्िीराज चौहान पृथ्िीराज की पराजय
वद्वतीय युद्
चंदािर का युद् 1194 मोहम्मद गौरी कन्नौज के शासक जयचंद की पराजय।
जयचंद

 चंदािर के युद् के बाद मोहम्मद गौरी ने विवजत क्षेत्रों को कुतुबुद्दीन ऐबक को सौंप कर िापस
गजनी िला गया।
 मोहम्मद गौरी के साथ प्रवसद् संत शेख मुआनुद्दीन वचश्ती भारत है बजसने वचश्ती संप्रदाय की

स्थापना की।
 मोहम्मद गौरी के सेनापबत बवततयार वखलजी ने बिंगाल और बबहार में लट ू की तथा नालंदा
विश्वविद्यालय को जला बदया।

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 मोहम्मद गौरी के वसक्कों पर एक ओर कलमा खुदा रहता था और दूसरी ओर लक्ष्मी की अकृवत


ऄंवकत रहती थी।
 13 माचा 1206 को मोहम्मद गौरी की हत्या कर दी गइ।
 1206 ई. में गौरी की मृत्यु के पिात ऐबक ने भारत में गुलाम िंश की स्थापना की।

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2. वदल्ली सल्तनत

मामलूक िंश / गुलाम िंश (1206 – 1290)

गुलाम िंश के प्रमुख शासक


प्रमुख शासक काल शासक काल
कुतुबुद्दीन ऐबक 1206 – 1210
आल्तुतवमश 1210 – 1236
रवजया सुल्तान 1236 – 1240
मोआजुद्दीन बहराम शाह 1240 – 1242
ऄलाईद्दीन मसूद शाह 1242 – 1246
नसीरूद्दीन महमूद 1246 – 1265
बलबन 1265 – 1287
कै कुबाद 1287 – 1290

कुतुबुद्दीन ऐबक

 ऐबक को 1208 ई. में बगयासद्दु ीन के पत्रु महमदू से दास मबु ि पत्र प्राप्त हुआ।
 बसिंहासन पर बैठने पर उसने सल् ु तान की उपाबध नहीं ग्रहण की बबल्क मबलक और बसपहसालार की पदबवयों
से ही सिंतष्टु रहा।
 ऐबक ने हसन वनजामी और फक्र ए मुदब्बीर को संरक्षण बदया।

 वह लाखों में दान वदया करता था तथा अपनी ऄसीम ईदारता के वलए ईसे लाख बतश कहा गया।

 ऐबक की राजधानी लाहौर थी।

 उसने प्रबसद्ध सूफी संत तिाजा कुतुबुद्दीन बवततयार काकी के नाम पर वदल्ली में कुतुब मीनार की

नींि रखी बजसे इल्ततु बमश ने परू ा बकया।


 बफरोजशाह तग ु लक ने भी इसकी मरम्मत कराई थी।
 1210 ई. में चौगान खेलते समय घोडे से बगर जाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।

 ऐबक के बाद उसका अयोग्य पत्र ु आरामशाह उत्तराबधकारी बना बजसे इल्ततु बमश ने अपदस्थ करके
बसहासन पर अबधकार कर बलया।

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आल्तुतवमश

 यह ऐबक का दास और दामाद था।


 आल्तुतवमश को दास का दास कहा जाता है।
 इल्ततु बमश ही वदल्ली सल्तनत का िास्तविक संस्थापक था।
 इल्ततु बमश ने सुल्तान के पद को िंशानुगत बनाया।
 1229 ई. में उसे बगदाद के अब्बासी खलीफा से मान्यता का अबधकार प्राप्त हुआ।
 आल्तुतवमश आक्ता सस्ं था का प्रयोग भारतीय समाज की सामतिं वादी व्यवस्था को समाप्त करने तथा
साम्राज्य के दरू स्थ भागों को कें द्र के साथ सिंयि
ु करने की एकमात्र साधन के रूप में प्रयोग बकया।
 इल्ततु बमश ने तुकाान ए चहलगानी या चालीसा दल की स्थापना की।
 आल्तुतवमश के समय ख्वाररज्म के अबिं तम शासक जलालद्दु ीन मगिं बरनी का पीछा करते हुए 1212 इ में
चंगेज खान वसंध पहच ं ा।
 इल्ततु बमश ने वसक्कों पर टकसाल के नाम वलखिाने की परंपरा शुरू की।
 इल्ततु बमश ने शद् ु ऄरबी वसक्के चलाए।ं चांदी का वसक्का टंका और तांबे का जीतल ईसी ने
अरंभ करिाए।ं
 इल्ततु बमश ने अपने ईत्तरावधकारी के रूप में जेष्ठ पुत्र का चयन करने की सामान्य प्रथा को तोड़
वदया और ऄपनी पुत्री रवजया को ऄपना ईत्तरावधकारी वनयुक्त वकया।
 आल्तुतवमश ने वमनहाजुद्दीन वसराज और मवलक ताजुद्दीन को सरं क्षण वदया।
 इल्ततु बमश ने लाहौर के स्थान पर वदल्ली को राजधानी बनाई।
 भारत में संभित पहला मकबरा वनवमात करने का श्रेय भी आल्तुतवमश को वदया जाता है।
 ऄजमेर की मवस्जद का वनमााण इल्ततु बमश ने ही करवाया था।
 आल्तुतवमश का मकबरा वदल्ली में है।

रवजया सुल्तान

 वह भारत की प्रथम मवहला और मुवस्लम शावसका थी।


 सल्ु तान की शबि एविं सम्मान में वृबद्ध के बलए रबजया ने पदाा प्रथा का त्याग वकया।
 वह परुु षों के समान कूबा (कोट) और कुलाह (टोपी) पहनकर दरबार में बैठती थी।
 13 अक्टूबर 1240 को अमीरों ने रबजया की हत्या कर बहराम शाह को बदल्ली का शासक बनयि ु बकया।

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मुआजुद्दीन बहराम शाह

 इस के शासनकाल में एक महत्िपूणा पद नायब या नायब ए ममवलकात का सृजन हअ।


 इसके द्वारा सल्ु तान से शासन की िास्तविक शवक्त नायब के पास अ गइ।
 वमनहाजुद्दीन वसराज की तबाकत ए नावसरी नसीरुद्दीन महमदू को समबपशत है।
बलबन

 बलबन आल्तुतवमश का दास था वह आल्बरी तुका था बजस के बचपन का नाम बहाईद्दीन था।
 बलबन बदल्ली सल्तनत का एक ऐसा व्यवक्त था जो सल्ु तान ना होते हए भी सल्ु तान के छत्र का
ईपयोग करता था।
 बलबन ने सल्ु तान की प्रबतष्ठा को स्थाबपत करने के बलए रक्त एिं लौह की नीवत ऄपनाइ।
 बलबन के अनसु ार सल्ु तान पथ्ृ िी पर इश्वर का प्रवतवनवध है।
 बलबन ने खदु को शाहनामा में वबणशत अफराबसयाब के वश िं ज से सिंबिंध स्थाबपत बकया।
 बलबन ने चालीसा दल का दमन वकया इसने सैन्य विभाग दीिान ए ऄजा की स्थापना की।
 बलबन ने अपने दरबार में इरानी प्रथा वसजदा और पैबोस को लागू बकया तथा इरानी त्योहार नौरोज
प्रथा भी आरिंभ की।
विवभन्न सुल्तानों के काल में बलबन द्वारा धाररत पद

1. खासदार खासदार आल्तुतवमश


2. ऄमीर ए वशकार रवजया
3. ऄमीर ए ऄखुर (ऄश्व साला) बहराम शाह
4. ऄमीर ए हावजब मसदू शाह
5. नायब ए ममवलकात नसीरूद्दीन महमूद

वखलजी िंश (1290 – 1320)

प्रमुख शासक शासन काल


जलालद्दु ीन वफरोज वखलजी 1290 – 96
ऄलाईद्दीन वखलजी 1296 – 1316
कुतुबद्दु ीन मुबारक शाह वखलजी 1316 – 1320
खुसरो शाह 1320

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 वखलजी िंश का संस्थापक जलालद्दु ीन बफरोज बखलजी था।


 कै कु बाद द्वारा बनवाए गए अपणू श बकलोखडी के महल में जलालद्दु ीन ने अपना राज्याबभषेक करवाया।

ऄलाईद्दीन वखलजी

 अलाउद्दीन का बचपन का नाम ऄली गरु शास्प था।


 अलाउद्दीन ने यामीन उल बखलाफत नाबसरी अमीर उल मोबमनीन की उपाबध धारण की।
 अलाउद्दीन बखलजी के शासन काल में मंगोलों के सिाावधक अक्रमण हए और इस आक्रमण से
वनपटने के वलए ईसने रक्त और लौह की नीवत अपनाई।
 आक्रमण के दौरान महत्िपूणा सेनापवत जफर खान मारा गया।
 पांड्य राजाओ ं ने ऄलाईद्दीन का कभी अवधपत्य स्िीकार नहीं वकया और ना ही कोइ कर बदया।
 गजु रात बवजय के दौरान नसु रत खान ने मबलक काफूर को 1000 बदनार में खरीदा था इसीबलए मबलक
काफूर को हजार बदनारी भी कहा जाता था।
 अलाउद्दीन ने कभी भी राजनीबत को धमश से प्रभाबवत नहीं होने बदया।
 अलाउद्दीन ने खलीफा की सत्ता को मान्यता दी लेबकन प्रशासन में उनके हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं बकया।
 अवमर खस ु रो ऄलाईद्दीन का समकालीन था।
 अलाउद्दीन के समय गुप्तचर विभाग का मुतय ऄवधकारी बारीद ए मुमावलक था।
 अलाउद्दीन ने घोड़ों को दागने एिं सैवनकों के हवलया वलखे जाने के बवषय में नवीन बनयम बनाए।िं
 अलाउद्दीन बखलजी ने विशाल सेना के रखरखाि के वलए बाजार सध ु ार लागू बकए।
 तेलंगना पर अक्रमण के समय ही वहािं का शासक प्रताप रूद्र देि ने मवलक काफूर को कोवहनूर
हीरा वदया था।
 अलाउद्दीन ने वसकंदर ए सानी की ईपावध धारण की थी।

ऄलाईद्दीन वखलजी का प्रमुख विजय ऄवभयान

राज्य शासक िषा वखलजी सरदार


गुजरात रायकरन िघेला 1298 ईलूग खााँ और नुसरत खााँ
वचत्तौड़ रतन वसंह 1303 ऄलाईद्दीन वखलजी
देिवगरी रामचंद्र देि 1296 ऄलाईद्दीन वखलजी
िारंगल प्रताप रूद्र देि 1309 मवलक काफूर
दवक्षण भारत के सभी ऄवभयान मवलक काफूर के नेतृत्ि में हअ

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 मुबारक शाह ने स्ियं को खलीफा घोवषत बकया।


 बरनी के अनस
ु ार मबु ारक सा कभी-कभी राज्य दरबार में बस्त्रयों के वस्त्र पहनकर आ जाता था।
 खुसरो शाह प्रथम भारतीय मुसलमान था जो बदल्ली का शासक बना।

तुगलक िंश (1320 - 1414 इ.)

 तगु लक वशिं की स्थापना गयासद्दु ीन तुगलक ने की थी।


 तुगलक िंश में कुल 8 शासक हुए।
 बदल्ली सल्तनत के काल में तुगलक िंश के शासकों ने सबसे ऄवधक समय तक शासन बकया।

गयासुद्दीन तुगलक (1320 – 1325)

 गयासद्दु ीन का मूल नाम गाजी तुगलक था जो तक ु ों की करौना शाखा से सबिं बिं धत था।
 राज्य की आबथशक बस्थबत को ठीक करने के बलए लगान व्यवस्था को पनु ः व्यवबस्थत बकया।
 अलाउद्दीन बखलजी द्वारा लागू की गई भूवम लगान तथा बाजार व्यिस्था का त्याग कर वदया।
 उसने कृवष में ईत्पादन को प्रोत्साहन देने के वलए नहर वसंचाइ पद्वत का विकास बकया।
 गयासद्दु ीन प्रथम सुल्तान था वजसने नहर का वनमााण करिाया तथा डाक व्यिस्था की शुरुअत की।
 सिाप्रथम गयासद्दु ीन तुगलक के समय में ही दवक्षण के राज्यों को वदल्ली सल्तनत में वमलाया
गया।
 वनजामुद्दीन औवलया ने गयासुद्दीन तुगलक के विषय में कहा था वदल्ली ऄभी दूर है।

मोहम्मद वबन तुगलक 1325 – 51 इ.

 गयासद्दु ीन तगु लक के मृत्यु के पिात उसका पुत्र जौना खााँ मोहम्मद वबन तुगलक के नाम से वदल्ली
का सल्ु तान बना।
 वह बदल्ली सल्तनत के सुल्तानों में सिाावधक विलक्षण एिं प्रवतभाशाली सुल्तान था।
 मोहम्मद बबन तगु लक ने 200 ग्रेन का एक सोने का वसक्का वदनार तथा 140 ग्रेन का एक चांदी का
वसक्का ऄदली िलाया।
 मोहम्मद तगु लक ने उलेमा वगश को प्रशासबनक कायों से दरू रखा।
 मोहम्मद बबन तगु लक ने कृवष की ईन्नवत के वलए एक निीन विभाग की स्थापना की बजसके बलए नए
मंत्री ऄमीर एक कोही को वनयुक्त बकया।

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 वसंचाइ के वलए सैकड़ों कुअं खुदिाया तथा ऄकाल ग्रस्त कृषकों को कृवष ऊण (तकािी) प्रदान
की।
 मोहम्मद बबन तगु लक ने सवशप्रथम ऄकाल ग्रस्त लोगों के वलए ऄकाल सवं हता तैयार करवाई।
 मोहम्मद बबन तगु लक के समय में सबसे ऄवधक 34 विद्रोह हए वजसमें 27 ऄके ले दवक्षण भारत में
हए।
 मोहम्मद बबन तगु लक के समय प्रवसद् जैन विद्वान वजन प्रभु सूरी तथा राजशेखर थे।
 वह बदल्ली का प्रथम सल्ु तान था बजसने कृवष भूवम के अकलन के वलए रवजस्टर तैयार करवाया।
 मोहम्मद बबन तगु लक के शासन काल में मोरक्को यात्री आब्नबतूता भारत आया।
 इब्नबततू ा की प्रमुख पुस्तक रेहाला है।

 मोहम्मद वबन तुगलक की विवभन्न योजनाएं

1.दोअब कर िृवद् – 1327


2. राजधानी पररिता न – 1328

 मोहम्मद वबन तुगलक ने ऄपनी राजधानी को वदल्ली से हटाकर दौलताबाद स्थावपत की।
3. सांकेवतक मुद्रा का प्रचलन 1329

4. खुरासान का ऄवभयान 1330

5. कराचील का सैवनक ऄवभयान 1332

वफरोजशाह तुगलक (1351 – 1388)

 उसने मोहम्मद बबन तगु लक द्वारा प्रदत्त समस्त तकािी ऊणों को माफ कर वदया
 उसने सल्ु तान को भेंट देने की प्रथा को समाप्त कर बदया।
 बफरोज शाह के समय में के िल चार कर खराज, जकात जवजया और खुम्स थे।
 बफरोजशाह तगु लक ने ब्राह्मणों पर भी जवजया कर अरोवपत बकया।
 हाब ए शबा नामक वसच ं ाइ कर लगाया जो भबू म उपज का 10% होता था।
 बफरोजशाह तगु लक ने सैवनक और ऄसैवनक पदों को िंशानुगत बनाया।
 बफरोज शाह के शासनकाल में वखजराबाद (वचत्तौड़) और मेरठ से ऄशोक के दो स्तंभ लेखों को
लाकर वदल्ली में स्थावपत वकया गया।
 इसने एक दान विभाग दीिाने खैरात की स्थापना की।
 बफरोज तगु लक ने शसगनी (चांदी), ऄद्दा (वमश्र धातु), िीख (वमश्र धातु) नाम के वसक्के िलाए।िं
 बफरोजशाह तगु लक ने फतेहाबाद, वफरोजाबाद, वहसार, वफरोजपुर और जौनपुर नामक नगरों की
स्थापना की।

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 बफरोजशाह तगु लक ने ज्वालामख ु ी मबिं दर के पस्ु तकालय से लटू े गए 1300 ग्रिंथों में से कुछ का फारसी में
बवद्वान अलाउद्दीन द्वारा दलायले वफरोजशाही नाम से ऄनुिाद करवाया।
 बफरोज ने अपनी अत्मकथा फतूहात ए वफरोजशाही की रिना की यह वदल्ली सल्तनत के सल्ु तानों
की पहली अत्मकथा थी।
 बरनी ने फतिा ए जहां दारी एिं तारीख ए वफरोजशाही की रचना की।
 तारीख ए वफरोजशाही में समय जानने के बलए ताश घवड़याल नामक यंत्र का ईल्लेख था।
 बफरोज को मध्यकालीन भारत का पहला कल्याणकारी वनरंकुश शासक कहा जाता है।

वफरोज के ईत्तरावधकारी

 बफरोज का उत्तराबधकारी ईसका पत्रु तुगलक शाह था जो गयासद्दु ीन तुगलक वद्वतीय के नाम
से गद्दी पर बैठा।
 तगु लक वश िं का ऄंवतम शासक नसीरुद्दीन महमूद हुआ।
 इसके शासनकाल में मध्य एवशया के महान मंगोल सेनानायक तैमूर ने 1398 इ. में भारत पर
अक्रमण बकया।
सैयद िंश (1414 – 1451 इ)

 िं की जानकारी का एकमात्र स्रोत यावहया वबन ऄहमद सर वहदं ी की पुस्तक तारीख ए


सैयद वश
मुबारकशाही है।

शासक शासन काल


वखज्र खां 1414 – 1421
मुबारक शाह 1421 – 1434
मोहम्मद शाह 1434 – 1443
ऄलाईद्दीन अलम शाह 1443 – 1451

वखज्र खां

 सैयद िंश के संस्थापक वखज्र खां ने मगिं ोल आक्रमणकारी तैमरू को सहयोग बदया था।
 तैमरू ने बखज्र खािं को लाहौर, मुल्तान एिं दीपालपुर की सबु ेदारी सौपी।
 बखज्र खािं ने सल्ु तान की उपाबध धारण नहीं थी वह रैयत ए अला की ईपावध से ही सतं ुष्ट था।
 उसने अपने बसक्कों पर तगु लक शासकों का ही नाम रहने बदया और मंगोल के नाम से खुतबा पढ़िाया।

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मुबारक शाह

 मबु ारक शाह ने शाह की उपाबध धारण की और अपने नाम से खतु बा पढ़वाया।
 मबु ारक शाह ने यावहया वबन ऄहमद सर वहदं ी को संरक्षण बदया।
 तारीख ए मुबारक शाही का संबंध मुबारक शाह के शासनकाल से है।
 ु में ईसने जैनल
1420 ई. में कश्मीर के गृह यद्ध ु ाब्दीन का पक्ष वलया।
 यमनु ा नदी के बकनारे उसने मुबारक शाह नामक नगर की स्थापना की।

ऄलाईद्दीन अलम शाह

 ऄलाईद्दीन अलम शाह सैयद िंश का ऄंवतम शासक था।


 इसके समय में यह कहाित लोकवप्रय हो गई “देखो शाह ए अलम का राज्य वदल्ली से पालम
तक।“
लोदी िश
ं (1451 – 1526)

प्रमुख शासक शासन काल ऄिवध


बहलोल लोदी 1451 – 1489 38 िषा
वसकंदर शाह लोदी 1489 – 1517 28
आब्रावहम लोदी 1517 – 1526

बहलोल लोदी

 लोदी िंश का संस्थापक बहलोल लोदी था।


 बहलोल लोदी ने हुसैन शाह शकी को जौनपरु से खदेड कर अपने पत्रु बड़बक शाह को बनयि
ु बकया।
 बहलोल लोदी ने बहलोली वसक्का िलाया।

वसकंदर शाह लोदी

 बसकिंदर शाह का प्रारंवभक नाम वनजाम शाह था।


 इसने सल्ु तान को सवोच्ि मानने के बलए बाध्य बकया।
 वसकंदर लोदी ने स्ियं कहा था यबद मैं ऄपने गुलाम को भी पालकी में वबठा दूं तो मेरी अदेश पर
मेरे सभी सरदार ईसे ऄपने कंधों पर ईठा ले जाएगं े।
 यह लोदी वश िं का सवशश्रेष्ठ शासक साबबत हुआ इसने वबहार को वदल्ली सल्तनत का ऄंग बना वलया।

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 1504 इस्िी में आसने अगरा नगर की स्थापना की।


 1506 ईस्वी में अगरा को वसकंदर ने राजधानी बनाया।
 बसकिंदर लोदी ने भबू म में गडे हुए खजाने में कोई बहस्सा नहीं बलया।
 नाप के वलए एक पैमाना गजे वसकंदरी उसी के समय में प्रारिंभ हुआ जो प्रायः 30 आच
ं का होता था।
 उसने महु रश म और ताबजया बनकालना बदिं करा बदया था ।
 बसकिंदर लोदी ने वहदं ु ओ ं पर जवजया कर पुनः लगा बदया।
 इस के शासनकाल में अयुिेवदक ग्रथ ं फरहगं ए वसकंदरी और भारतीय सगं ीत पर अधाररत पहला
फारसी ग्रंथ लज्जत ए वसकंदर शाही की रचना हुई।

आब्रावहम लोदी

 यह लोदी िंश का ऄंवतम शासक था।


 इसी के समय में 1526 इ. में पानीपत का प्रथम युद् हुआ बजसमें बाबर ने आब्रावहम लोदी को
परावजत कर भारत में नए राजवश िं मगु ल वश
िं की स्थापना की।
 पिंजाब का शासक दौलत खान लोदी एविं इब्राबहम लोदी के िािा आलम खााँ ने काबल ु के तैमरू वश
िं ी
शासक बाबर को भारत पर आक्रमण के बलए बनमत्रिं ण बदया।
 इब्राबहम लोदी के काल में घटाली का युद् हुआ बजसमें राणा सांगा की जीत और लोवदयों की
पराजय हुई थी।
वदल्ली सल्तनत के प्रमुख िश
ं ों की ऄिवध घटते क्रम में

 तुगलक िश ं 94 साल
 गुलाम िंश 84 साल
 लोदी िंश 75 साल
 सैयद िंश 37 साल
 वखलजी िश ं 30 साल

वदल्ली सल्तनत के प्रमुख शासक की शासनािवध

 बहलोल लोदी 38 साल


 वसकंदर लोदी 28 साल
 आल्तुतवमश 26 साल
 मोहम्मद वबन तुगलक 26 साल

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सल्तनत काल के प्रमख


ु ऄवधकारी तथा ईनके काया

ऄवधकारी का नाम काया


अररज ए मुमावलक सैन्य विभाग
आस
ं ा ए मुमावलक पत्राचार विभाग
रसालत ए मुमावलक विदेश विभाग
सर ए जानदार सल्ु तान के ऄंग रक्षकों का प्रधान
ऄमीर ए बाहर नौकायान और जल मागों पर वनयंत्रण
मुस्तौफी ए मुमावलक महालेखा परीक्षक
दीिान ए ररयासत बाजार पर वनयंत्रण
शहना ए मंडी बाजार मूल्य वनयंत्रण
मुहतवसब लोगों के अचरण पर नजर रखना
बरीद ए मुमावलक सूचना दाता एिं गुप्तचर विभाग
सद्र ईस सदु ू र धमा सबं ध
ं ी कायों का प्रमुख
काजी ईल कुजात न्याय विभाग का प्रमुख
मुफ्ती धमा की व्यातया करता था।

सल्तनत काल के प्रमुख विभाग और नाम

प्रमुख विभाग नाम


दीिान ए विजारत िजीर का विभाग
दीिान ए ऄजा सैन्य विभाग
दीिान ए ररसालत विदेश विभाग
दीिान ए आशं ा पत्राचार विभाग
दीिान ए ऄमीर कोही (मोहम्मद वबन तुगलक द्वारा स्थावपत) कृवष विभाग
दीिान ए मुस्तखराज (ऄलाईद्दीन वखलजी द्वारा स्थावपत) राजस्ि विभाग
दीिान ए खैरात (वफरोजशाह तुगलक द्वारा स्थावपत) दान विभाग
दीिान ए बंद गान ( वफरोजशाह तुगलक द्वारा स्थावपत) दास विभाग
दीिान ए िकूफ (जलालुद्दीन वखलजी द्वारा स्थावपत) व्यय विभाग
नाआब ए मामवलकात (बहराम शाह द्वारा स्थावपत) SUPREME POWER

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 सल्तनत काल में पत्थर एविं आग फें कने की मशीन को मगररब तथा ऄराादा कहा जाता था।
 बफरोजशाह तगु लक ने सैवनकों को ऄनुिांवशक अधार पर आक्ताएाँ प्रदान की।
 मोहम्मद गौरी ने भारत में आक्ता प्रथा की शरुु अत की तथा आल्तुतवमश ने आसे ठोस रूप वदया।
 रहट का पहला विस्तृत वलवखत वििरण 16 िीं शताब्दी में बाबरनामा में वमलता है ।
 पवू श मध्यकालीन भारत में कुछ ग्रथिं ों में इसका ईल्लेख ऄरहट के नाम से वमलता है जो बसि
िं ाई के कायश में
प्रयिु बकया जाता था।
सल्तनत कालीन प्रमख
ु कर
1. ईश्र – मुसलमानों से वलया जाने िाला भूवम कर (5 – 10%)
2. खराज – गैर मुसलमानों पर भूवम कर (1/3 – 1/2 )
3. खुम्स – लूट, खानों तथा भूवम में गड़े हए खजानो से प्राप्त धन वजसके 1/5 भाग पर राज्य का
ऄवधकार था शेष 4 / 5 भाग पर सैवनकों का ऄवधकार होता था वफरोज तुगलक को छोड़कर शेष
सभी ने (ऄलाईद्दीन गयासद्दु ीन तथा मोहम्मद वबन तुगलक) 4 / 5 भाग ऄपने वलए रखा।
4. जकात – मुसलमानों पर धावमाक पर (2.5%) तथा ईन्हीं के भलाइ के वलए व्यय वकया जाता था।
5. चरी – मिेवशयों पर लगने िाला कर
6. घरी – गृह कर
7. हबा ए शबा – वसंचाइ कर
8. जजारी – कसाआयों से वलया जाने िाला कर
ऄन्य प्रमुख तथ्य

 सल्तनत कालीन सल्ु तानों में बलबन ने सैन्य विभाग की स्थापना की तथा ऄलाईद्दीन वखलजी को
एक स्थाइ सेना के गठन का श्रेय वदया जाता है।
 बखलजी काल में मंगोलों में प्रचवलत दशमलि प्रणाली पर आधाररत सैबनक वगीकरण था।
वखलजी में सैन्य िगीकरण
1. सर खेल = 10 घड़ु सिारों की टुकड़ी का प्रधान
2. वसपहसालार = 10 सरखेल का प्रधान (100 घुड़सिार)
3. ऄमीर = 10 वसपहसालार (1000 घुड़सिार)
4. मवलक = 10 ऄमीर (10,000 घड़ु सिार)
5. खान = 10 मवलक (100,000 घुड़सिार)
6. सुल्तान सिोच्च सेनापवत।

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सल्तनत कालीन स्थापत्य

स्थापत्य स्थान वनमााणकताा


कुतुब ईल आस्लाम मवस्जद वदल्ली कुतुबुद्दीन ऐबक
ऄड़ाइ वदन का झोपड़ा ऄजमेर कुतुबद्दु ीन ऐबक
कुतुब मीनार वदल्ली कुतुबुद्दीन ऐबक
वनजामुद्दीन औवलया का मकबरा वदल्ली आल्तुतवमश
ऄलाइ दरिाजा वदल्ली ऄलाईद्दीन वखलजी
तुगलकाबाद का वकला वदल्ली गयासुद्दीन तुगलक
मोती मवस्जद वदल्ली िजीर मुअ मुवखया

सल्तनत काल की प्रमुख रचनाएं

सावहत्यकार रचना विवशष्ट तथ्य


हसन वनजामी ताज ईल मावसर आसे कुतुबद्दु ीन ऐबक ने सरं क्षण वदया गौरी के भारत
अक्रमणों की जानकारी आसके लेखन से प्राप्त होती
है
वमनहाजुद्दीन तबाकत ए नावसरी सल्ु तान नसीरुद्दीन महमूद के सरं क्षण में रहा और
वसराज ईसी को यह ग्रंथ समवपात है।
ऄमीर हसन फिाद ईल फिाद बलबन के संरक्षण में रहा। यह वनजामुद्दीन औवलया
देहलिी का वशष्य था।
तारीख ए वफरोजशाही यह 17 िषों तक मोहम्मद वबन तुगलक से संरक्षण में
फतिा ए जहांदारी रहा। तारीख ए वफरोजशाही में आसने वफरोज तुगलक
वजयाईद्दीन बरनी कुित ईल तिारीख को अदशा सल्ु तान बताया है आसमें बलितं से लेकर
सना ए मोहम्मदी वफरोजशाह तुगलक के सुल्तानों का िणान है।
हसरत नामा
शम्स ए वसराज तारीख ए वफरोजशाही वफरोजशाह तुगलक के संरक्षण में रहा।
ऄफीक
यावहया वबन तारीख ए मुबारक शाही यह सैयद शासक मुबारक शाह के सरं क्षण में रहा
ऄहमद सरवहदं ी और ईसी को यह रचना समवपात है।
बद्र ए चाच शाहनामा मोहम्मद वबन तुगलक के संरक्षण में रहा और ईसकी
प्रशस
ं ा में कसीदे वलखें।

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ऄबुल फजल & तारीख ए मसूदी मोहम्मद गजनिी के दरबार आवतहास अवद का
मोहम्मद वबन वििरण
हसैन ऄल बैहाकी
तिाजा आसामी फूतूह ईस सलातीन यह पुस्तक बहमनी िंश के प्रथम शासक ऄलाईद्दीन
बहमन शाह को समवपात है।
वफरोज तुगलक फतूहात ए वफरोजशाही वफरोज शाह की अत्मकथा और ऄध्यादेशों का
संग्रह।
ऄज्ञात लेखक सीरत ए वफरोजशाही वफरोजशाह तुगलक के बारे में िणान
वकरान ईस सादेन वमफ्ताह
ईल फतह
नहू वसपेहर
अवशका ईल ऄनिर
तुगलकनामा
ऄमीर खुसरो लैला मजनू
वसरी फरहाद
अइन ए वसकंदरी
हस्त बवहश्त
तारीख ए वदल्ली

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3. प्रांतीय राजिंश

1. जौनपुर

 जौनपुर की स्थापना बफरोजशाह तगु लक ने अपने भाई जौना खान की स्मृवत में की थी।
 जौनपरु में स्ितंत्र शकी राजिंश की स्थापना मवलक सरिर (तिाजा जहान) ने की थी।
 ख्वाजा जहान को मवलक ईस शका (पिू ा का स्िामी) की उपाबध 1394 में बफरोज शाह तगु लक के पत्रु
सल्ु तान महमदू ने दी थी।
 जौनपुर के ऄन्य प्रमुख शासक थे
मुबारक शाह, शमसद्दु ीन आब्रावहम शाह, महमूद शाह और हसैन शाह।
 लगभग 75 वषश तक स्वतिंत्र रहने के बाद जौनपुर पर बहलोल लोदी ने कब्जा कर वलया।
 शकी शासन के अतिं गशत बवशेषकर आब्रावहम शाह के समय में जौनपुर में सावहत्य एिं स्थापत्य कला
के क्षेत्र में हए विकास के कारण जौनपुर को भारत के वसराज के नाम से जाना गया।
 ऄटाला देिी की मवस्जद का बनमाशण 1408 में शकी सुल्तान आब्रावहम शाह द्वारा बकया गया था।
 अटाला देवी मबस्जद का बनमाशण कन्नौज के राजा विजय चंद्र द्वारा वनवमात ऄटाला देिी मंवदर को
तोड़कर बकया गया था।
 जामी मवस्जद का वनमााण 1470 में हसैन शाह शकी के द्वारा बकया गया था।

2. कश्मीर

 सहू ादेि नामक एक वहदं ू ने 1301 ई. में कश्मीर में वहदं ू राज्य की स्थापना की थी।
 1339 – 40 ई. में कश्मीर में शाह मीर के द्वारा प्रथम मुवस्लम िंश की स्थापना की गइ।
 शाह मीर ने अपनी राजधानी आद्रं कोट में स्थाबपत की थी।
 अलाउद्दीन ने राजधानी आद्रं कोट से हटाकर ऄलाईद्दीनपरु (श्रीनगर) में स्थावपत की।
 बहदिं ू मबिं दरों एविं मबू तशयों को तोडने के कारण सुल्तान वसकंदर को बुतवशकन कहा गया।
 1420 ई. में जैनुलाब्दीन वसंहासन पर बैठा इसकी धाबमशक सबहष्णतु ा के कारण इसे कश्मीर का ऄकबर
कहा गया।
 जैनल ु ाब्दीन ने महाभारत एिं राज तरंवगणी को फारसी में ऄनुिाद करवाया।
 1528 ई. में अकबर ने कश्मीर को मुगल साम्राज्य में वमला वलया।

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3. बगं ाल

 आवततयार ईद्दीन मोहम्मद वबन बवततयार वखलजी ने बगं ाल को वदल्ली सल्तनत में वमलाया।
 गयासुद्दीन तुगलक ने बंगाल को तीन भागों में विभावजत बकया लखनौती (ईत्तर बंगाल), सोनार
गांि (पूिी बंगाल), सत गांि (दवक्षण बंगाल)
 पांडुना में ऄदीना मवस्जद का वनमााण 1364 में सुल्तान वसकंदर शाह ने करवाया।
 बिंगाल का शासक गयासद्दु ीन आजमशाह अपनी न्याय बप्रयता के बलए प्रबसद्ध था।
 महाप्रभु चैतन्य ऄलाईद्दीन के समकालीन थे अलाउद्दीन ने सत्य पीर नामक आदिं ोलन की शरुु आत की।
 नसीरुद्दीन नुसरत शाह ने गौड में बडा सोना एविं कदम रसल
ू मबस्जद का बनमाशण करवाया

4. मालिा

 वदलािर खान ने 1401 में मालवा को स्वतत्रिं घोबषत बकया।


 बदलावर का पत्रु ऄलप खााँ हशगं शाह की ईपावध धारण कर 1405 में मालवा का शासक बना। इसने
ऄपनी राजधानी धारा से मांडू स्थानािंतररत की।
 मांडू के वकले का वनमााण हशंग शाह ने करिाया था इस बकले में सवाशबधक महत्वपणू श है बदल्ली
दरवाजा।
 बाज बहादुर एिं रूपमती का महल का वनमााण सुल्तान नसीरुद्दीन शाह द्वारा करिाया गया था।
 वहडं ोला भिन या दरबार हॉल का वनमााण हशंग शाह के द्वारा करवाया गया था।
 जहाज महल का वनमााण गयासुद्दीन वखलजी ने मािंडू में करवाया था।
 कुश्क महल को महमूद वखलजी ने फतेहाबाद नामक नगर पर बनिाया था।

5. गुजरात

 गजु रात के शासक राजा कणा को परावजत कर ऄलाईद्दीन ने 1297 इ. में आसे वदल्ली सल्तनत में
वमला बदया।
 1391 ई. में मोहम्मद शाह तुगलक द्वारा वनयुक्त गजु रात का सबू ेदार जफर खााँ ने सुल्तान मुजफ्फर
शाह की ईपावध धारण 1407 में गजु रात का स्ितंत्र सल्ु तान बना।
 गुजरात के प्रमुख शासक थे
ऄहमद शाह (1411 – 1452) महमूद शाह बेगड़ा और बहादुर शाह (1526 – 1537)
 ऄहमदशाह ने असावल के बनकट साबरमती नदी के बकनारे अह्मदाबाद नामक नगर बसाया
 गुजरात का सबसे प्रवसद् शासक महमूद बेगड़ा था।
 1572 इ. में ऄकबर ने गुजरात को मुगल साम्राज्य में वमला बलया।

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6. मेिाड़

 ऄलाईद्दीन वखलजी ने 1303 इ. में मेवाड के गवु हलौत राजिश ं के शासक रतन वसहं को परावजत
कर मेिाड़ को वदल्ली सल्तनत में वमला वलया।
 िं की एक शाखा वससोवदया िंश के हम्मीर देि ने मुहम्मद वबन तुगलक को हराकर पूरे
गबु हलौत वश
मेिाड़ को स्ितंत्र करा वलया।
 राणा कुंभा ने 1448 ई. में वचत्तौड़ में एक विजय स्तंभ की स्थापना की।
 खानिा का युद् 1527 इ. में राणा सांगा एिं बाबर के बीच हअ वजसमें बाबर विजयी हअ।
 1576 इ. में हल्दीघाटी का युद् राणा प्रताप और ऄकबर के बीच हअ वजसमें ऄकबर विजयी
हुआ।
 मेिाड़ की राजधानी वचत्तौड़गढ़ थी जहांगीर ने मेिाड़ को मुगल साम्राज्य में वमला वलया।

7. खानदेश

 तुगलक िंश के पतन के समय वफरोजशाह तुगलक के सूबेदार मवलक ऄहमद रजा फारूकी ने
नमादा एिं ताप्ती नवदयों के बीच 1382 इ. में खानदेश की स्थापना की।
 खानदेश की राजधानी बरु हानपरु थी। आसका सैवनक मुतयालय ऄसीरगढ़ था।
 1601 इ. में ऄकबर ने खानदेश को मुगल साम्राज्य में वमला वलया।

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4. विजयनगर साम्राज्य
 विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ई. में हररहर एिं बुक्का नामक दो भाआयों ने की थी।
 हररहर एविं बक्ु का ने बवजयनगर की स्थापना विद्यारण्य सतं के अशीिााद प्राप्त कर की थी।
 हररहर एविं बक्ु का ने अपने बपता सिंगम के नाम पर संगम राजिंश की स्थापना की थी।
 बवजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी थी जो तुंगभद्रा नदी के तट पर वस्थत है इसकी राजभाषा
तेलगु ू थी।
 हररहर और बक्ु का पहले िारंगल के काकातीय शासक प्रताप रूद्र देि के सामंत थे।
 बवजयनगर साम्राज्य पर क्रमशः वनम्न िंश ने शासन वकया

राजिंश संस्थापक शासन काल


संगम िंश हररहर प्रथम एिं बुक्का 1336 – 1485
सुलुि िंश नरवसंह सुलुि 1485 – 1505
तुलुि िंश िीर नरवसंह 1505 – 1570
ऄररविडु वतरुमल 1570 – 1650
िंश

1. सगं म िश

संगम िंश के प्रमुख शासक

1. हररहर प्रथम
2. बुक्का प्रथम

3. हररहर वद्वतीय

4. देिराय फस्टा

5. देिराय वद्वतीय

6. मवल्लकाजाुन

7. विरुपाक्ष वद्वतीय

 बुक्का प्रथम ने िेद प्रवतष्ठापक की ईपावध धारण की।


 हररहर वद्वतीय ने सिंगम शासकों में सबसे पहले महाराजावधराज की ईपावध धारण की थी।

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 आटली का यात्री वनकोलो काण्टी बवजयनगर की यात्रा पर देिराय प्रथम के शासनकाल में आया।
 देिराय प्रथम ने तुमभद्रा नदी पर नहर वनमााण के बलए एक बाधिं बनवाया।
 सिंगम वश िं का सबसे प्रतापी राजा देिराय वद्वतीय था।
 फारसी राजदूत ऄब्दुल रज्जाक देिराय वद्वतीय के शासनकाल में बवजयनगर आया था।
 मबल्लकाजनशु को प्रौढ़ देवराय भी कहा जाता है।
 प्रबसद्ध तेलगु ू कबव श्रीनाथ कुछ बदनों तक देवराय बद्वतीय के दरबार में रहा।
 एक अबभलेख में देिराय वद्वतीय को जग बेटकर (हावथयों का वशकारी) कहा गया है।
 देिराय वद्वतीय ने संस्कृत ग्रंथ महान नाटक सुधा वनवध एिं ब्रह्मसूत्र पर भाष्य बलखा।
 इसके समय चीनी यात्री माहअन भारत आया।
 इस वश िं का ऄंवतम शासक विरुपाक्ष वद्वतीय था।

2. सालिु िश

 इस वश
िं की स्थापना 1485 में नरबसिंह सालवु ने की थी।

3. तुलिु िश

 इस वश िं का महान शासक कृष्णदेि राय था वह 8 ऄगस्त 1509 इ. को शासक बना।
 बाबर ने अपनी आत्मकथा में इसे भारत का सवाशबधक शबिशाली शासक कहा है।
 कृ ष्णदेव राय ने तेलुगु में ऄमुक्तमाल्यद एिं संस्कृत में जामिंती कल्याणम की रचना की।
 कृष्णदेि राय के शासनकाल में पुतागाली यात्री डोवमनगो पायस और क्रुअइ बारगोस भारत आया।
 कृ ष्णदेव राय के दरबार में तेलुगु के 8 महान कवि वजन्हें ऄष्ट वदग्गज कहा जाता था रहते थे।
 पांडुरंगा महात्म्यम की रिना तेनालीराम रामकृष्ण ने की थी।
 नागलपुर नामक नया नगर हजारा एिं विट्ठल स्िामी मंवदर का वनमााण कृष्णदेि राय ने करिाया था।
 कृष्ण देि राय ने अध्र ं भोज, ऄवभनि भोज, अध्र ं वपतामह आबद की उपाबध धारण की थी।
 ऄच्युत देि राय कृ ष्ण देव राय का नामजद उत्तराबधकारी था।
 नूनीज कुछ समय आस के दरबार में रहा था।
 सदावशि राय के शासनकाल में 23 जनिरी 1565 को प्रवसद् तालीकोटा का युद्ध हुआ।
 इस यद्धु में विजय नगर के विरुद् एक महासंघ बना बजसमें ऄहमदनगर, बीजापुर, गोलकुंडा और
बीदर शावमल थे जबबक बरार आस संघ में सवम्मवलत नहीं हुआ।
 सयं ुक्त ने मोचे का नेतृत्ि ऄली अवदलशाह कर रहा था।

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 30 जनवरी 1565 में सिंयि ु में विजयनगर की


ु सेनाओ िं ने तालीकोटा (रक्षसी तिंगडी या बनी हट्टी) के यद्ध
सेना को बुरी तरह परावजत वकया 70 वषीय रामराय िीरता पूिाक लड़ा वकंतु ईसे घेर कर मार डाला
गया।
 ताबलकोटा यद्ध ु के बाद सदावशि ने वतरुमल के सहयोग से पेनुकोंडा को राजधानी बनाकर शासन
प्रारंभ बकया।
 विजय नगर की चौथी राजिंश ऄराविडु िंश की स्थापना वतरुमल ने सदावशि को ऄपदस्थ कर

पेनक ु ोंडा में बकया।


 इस िंश का ऄंवतम शासक रंग तृतीय था।

 अराबवडु शासक िेंकट वद्वतीय के शासनकाल में िोडेयार ने 1612 इ. में मै सूर राज्य की स्थापना की।

 बवजयनगर साम्राज्य की प्रशासवनक आकाइ का क्रम (घटते हुए) इस प्रकार था

 प्रांत (मंडल)> कोट्टम या िलनाडू (वजला)> नाडू> मे लाग्राम (50 गांि का समूह)> उर (ग्राम)

 बवजय नगर कालीन सेना नायकों को नायक कहा जाता था यह नायक िस्तुतः भूसामंत थे बजन्हें राजा

िेतन के बदले भूखडं देते थे जो ऄमरम कहलाता था।


 बवजय नगर में दास प्रथा प्रचवलत थी। मनष्ु यों के क्रय विक्रय को बेस बाग कहा जाता था।

 बवजयनगर साम्राज्य की चार राजधावनयां रहीं

ऄनैगोंडी, विजयनगर, विनुगोंडा, चंद्रवगरी।


 प्रताप या फणम् सोने का छोटा वसक्का था।

 बवजयनगर साम्राज्य की मुद्रा पेगोडा थी।

 कल्याण मंडप बवजयनगर साम्राज्य के मंवदरों की प्रमुख विशेषता थी।

1. अयंगर व्यिस्था
 बवजय नगर काल में ग्रामीण प्रशासन की महत्िपूणा विशेषता आयिंगर व्यवस्था थी।

 इस प्रशासन के वलए 12 शासकीय व्यवक्तयों को वनयुवक्त बकया जाता था इसी समूह को अयंगर भी
कहा जाता था।
 अयंगरों के पद ऄनुिांवशक होते थे।

 आयग िं र व्यवस्था की बवबशष्टता थी की भबू म द्वारा बवशेष आवटिं न तथा वनवित नकद भुगतान पहली बार
ग्राम में सेिकों को वकया गया।
2. नायंकर व्यिस्था
 बवजयनगर साम्राज्य की बवबशष्ट व्यवस्था नायक िं र व्यवस्था थी साम्राज्य की समस्त भूवम तीन भागों में
विभावजत थी।
A. भंडारिाद भूवम – यह राजकीय भूवम थी

B. ऄमरम् भूवम – यह भूवम सैवनक सेिा के बदले ऄमर नायकों और पलाइ गारों को दी जाती थी

C. मान्या भूवम – यह भूवम ब्राह्मणों , मंवदरों ि मठों को दान दी जाती थी।

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 नायंकर व्यिस्था की स्थापना विजय नगर शासकों द्वारा समुद्री व्यापार तथा ऄश्व व्यापार पर
प्रभािी वनयंत्रण स्थावपत करने के वलए की गइ थी।

विजयनगर अने िाला प्रमख


ु विदेशी यात्री

यात्री देश काल शासक


वनकोलो कोंटी आटली 1420 देिराय प्रथम
इ.
ऄब्दुराज्जाक फारस 1442 देिराज वद्वतीय
नूनीज पुतागाल 1450 मवल्लकाजाुन
डोवमंग पायस पुतागाल 1515 कृष्ण देि राय
बारबोसा पुतागाल 1516 कृष्ण देि राय

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5.बहमनी साम्राज्य
 दक्कन में अमीरान ए सदह के बवद्रोह के पररणाम स्वरूप मोहम्मद वबन तुगलक के शासन काल के
ऄंवतम वदनों में बहमनी साम्राज्य की स्थापना हुई।
 जफर खान नामक सरदार ने ऄलाईद्दीन हसन बहमन शाह की ईपावध धारण कर बहमनी साम्राज्य की
स्थापना की।
 उसने गलु बगाा को ऄपनी राजधानी बनाया तथा उसका नाम ऄहसनाबाद रखा।
 अपने साम्राज्य को आसने 4 प्रांतों में विभावजत बकया गुलबगाा, दौलताबाद, बरार और बीदर।

1. मोहम्मद शाह प्रथम


 इसके काल की प्रमुख घटना विजय नगर तथा िारंगल से युद् था बजसमें बहमनी साम्राज्य को बवजय
प्राप्त हुई।
 इसके काल में यद्ध ु में प्रथम बार बारूद का प्रयोग बकया गया।
 वफरोजशाह ने दौलताबाद में एक िेद्यसाला बनवाई।
 सुल्तान ताजुद्दीन वफरोज ने भीमा नदी के वकनारे वफरोजाबाद नगर की नींि डाली।
 वह गल ु बगाा युग के सल्ु तानों में ऄंवतम सल्ु तान था।

2. शहाबुद्दीन ऄहमद
 शहाबद्दु ीन अहमद प्रथम ने ऄपनी राजधानी गल ु बगाा के स्थान पर बीदर को बनाइ और उसका नाम
मोहम्मदाबाद रखा।
 ऄलाईद्दीन हमायूं को इसकी क्रूरता एविं जाबलम स्वभाव के कारण दक्कन का नीरो कहा जाता है।
 महमूद गिा एक इरानी था बजसे शमसद्दु ीन मोहम्मद तृतीय ने प्रधानमत्रिं ी बनाया।
 महमदू तृतीय के काल में राजद्रोह की आशक िं ा के कारण महमदू गवा को मृत्यदु डिं बदया गया।
 मोहम्मद तृतीय के समय में बहमनी राज्य पााँच छोटे -छोटे राज्यों में बट गया।
दक्कन के प्रमुख राज्य राजधावनयां एिं संस्थापक

राज्य राजधानी राजिशं सस्ं थापक


खानदेश बुरहानपुर फारूकी िंश मवलक रजा 1399 फतहईल्लाह आमाद
(आमादशाही) एवलचपुर आमाद शाही शाह 1489
बीजापरु नौरसपरु अवदलशाही युसफ
ू अवदलशाह (1489 – 90)
(अवदलशाही)

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ऄहमदनगर जुन्नार वनजाम शाही मवलक ऄहमद (1490)


(वनजामशाही) ऄहमदनगर
गोलकुंडा गोलकुंडा कुतुबशाही कुली कुतुब शाह (1512 से 18)
(कुतुब शाही)
बीदर बीदर बरीदशाही ऄमीर ऄली फरीद (1526 – 27)
बरीदशाही

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6. भबि एविं सफ
ू ी आदिं ोलन

 भबि आदिं ोलन के दो पक्ष रहे हैं प्रथम प्रपवत ऄथिा समथान मागा तथा वद्वतीय प्रेम मागा
 समपाण मागा में ईश्वर तथा भिों का सिंबिंध स्िामी तथा दास जैसा था।
 प्रेम मागश में ईश्वर तथा भिों का सबिं धिं समानता पर आधाररत था।
 इसी प्रेम आधाररत भबि के अतिं गशत बशव एविं बवष्णु की प्रेम पणू श भबि दबक्षण में छठी से दसवीं शताब्दी
तक का भावपणू श रहने वाले भबि आदिं ोलन का आधार बनी।
 भवक्त का िास्तविक विकास सातिीं और बारहिीं सवदयों के बीच दवक्षण भारत में हअ। इस
अदं ोलन के प्रथम प्रचारक शक ं राचाया माने जाते हैं।
 दबक्षण भारत में जनबप्रय आदिं ोलन के रूप में िैष्णि ऄलिार और शैि नयनार संतो के द्वारा भवक्त
अदं ोलन प्रारंभ हुआ।
 नयनार भक्तों की संतया 63 है बजनके भवक्त गीतों को देिाराम में संकवलत वकया गया है।

वनगाुण भवक्त सतं

1. कबीर (1440 - 1510 इ.)

 कबीर वसकंदर लोदी के समकालीन थे उन्होंने ऄपने गुरु रामानंद के सामावजक दशान को सुवनवित
रूप बदया।
 कबीर बहदिं ू मबु स्लम एकता के बहमायती थे।
 कबीर के इश्वर वनराकार और वनगाण ु थे।
 कबीर की वशक्षाएं बीजक में संग्रवहत है।

2. गुरु नानक (1469 – 1538 इ.)

 गरुु नानक का जन्म तलिडं ी अधुवनक ननकाना (पज ं ाब) में एक खत्री पररिार में हुआ था।
 गरुु नानक के ईपदेशों को अवद ग्रंथ के रूप में प्रकावशत बकया गया।

3. रविदास

 रविदास या रैदास रामानंद के प्रवसद् वशष्यों में से एक थे।


 बसक्खों के गुरु ग्रंथ सावहब में संग्रवहत रविदास के 30 से ऄवधक भजन है।

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4. दादू (1544 – 1603 इ.)

 इनका जन्म ऄहमदाबाद में एक जुलाहा पररिार में हुआ था।


 दादू के अनेक वशष्यों में सुंदरदास, रज्जब तथा सूरदास प्रमख
ु थे।

सगण
ु भवक्त सतं

शक ं राचाया
 इनका जन्म के रल प्रांत के कलादी ग्रामों में 788 इ. में हुआ था।
 इनका वसद्ांत ऄद्वैतिाद के नाम से वितयात है।
 शक िं रािायश ने भारत की चारों वदशाओ ं में ईत्तर में के दारनाथ दवक्षण में श्रृंगेरी, पूिा में पुरी तथा
पविम में द्वाररका मठों की स्थापना की ।
रामानज ु (1017 – 1137 इ.)
 रामानजु का जन्म तबमलनाडु के पेरिंबदरू में हुआ था।
 इन्होंने विवशष्टाद्वैत दशान का प्रवतपादन बकया।
 इनका सिंप्रदाय श्री वैष्णव सिंप्रदाय था।

प्रमुख दशान और प्रवतपादक

प्रमुख दशान प्रवतपादक


ऄद्वैतिाद शंकराचाया
विवशष्टाद्वैतिाद रामानुज
द्वैताद्वैतिाद वनंबाकााचाया
द्वैतिाद माधिाचाया
शुद्ाद्वैतिाद (पुष्टीमागा) िल्लभाचाया

रामानंद

 रामानजु के बशष्य रामानिंद भारत के पहली महान सिंत थे बजनका जन्म प्रयाग में हुआ था।
 इन्होंने राम की भवक्त पर बल बदया।
 रामानिंद ने दबक्षण और उत्तर भारत के भबि आदिं ोलन के बीि सेतु का काम बकया।
 इन्होंने आदिं ोलन में वनम्न िगों के साथ-साथ वियों को भी प्रिेश बदया।
 उन्होंने सवशप्रथम वहदं ी को ऄपनी प्रिचन की भाषा बनाया।

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तुलसीदास (1532 – 1623 इ.)

 ु सीदास मुगल शासक ऄकबर के समकालीन थे।


तल
 तलु सीदास ने ऄिधी में रामचररतमानस की रचना की।

सरू दास (16िीं – 17िीं शताब्दी)

 इनका जन्म आगरा मथरु ा मागश पर रुनकता ग्राम में हुआ था।
 यह ऄकबर और जहांगीर के समकालीन थे।

 सरू दास ने ब्रज भाषा में सरू सरािली, सरू सागर एिं सावहत्य लहरी की रिना की।

मीराबाइ (1498 – 1546)

 मीराबाई बाबर और हमायूं के समकालीन थी।


 यह मेडता की राजा रतन वसंह राठौड़ की एकलौती संतान थी।
 इनका वििाह राणा सांगा के पुत्र भोजराज के साथ हुआ था।
 िैतन्य का जन्म 1486 ई. में नवद्वीप या नाबदया बिंगाल में हुआ था।
 भक्त कवियों में चेतन एकमात्र ऐसे कवि थे वजन्होंने मूवता पूजा का विरोध नहीं वकया।
 इन्होंने ऄवचंत भेदाभेद संप्रदाय की स्थापना की।

शंकरदेि (1449 - 1568 इ.)

 ये मध्यकालीन ऄसम के महान धावमाक सध ु ारक थे।


 इनके द्वारा स्थाबपत सिंप्रदाय एकशरण संप्रदाय के रूप में प्रबसद्ध है।
 यह ऄके ले कृष्ण मागी िैष्णि संत थी जो मूवता के रूप में कृष्ण की पूजा के विरोधी थे।
 नरसी मेहता गजु रात के प्रबसद्ध सिंत थे।
 महात्मा गािंधी का वप्रय भजन िैष्णि जन तो तेने कवहए के रिबयता नरसी मेहता ही थे।

महाराष्र में भवक्त अदं ोलन

 महाराष्र के भक्त पंढरपुर में मुतय देिता विठोबा या विट्ठल के मंवदर के चारों ओर कें वद्रत था।
 बवट्ठल या बवठोबा को कृष्ण का ऄितार माना जाता था।
 बवठोबा पिंथ के 3 महान गरुु ज्ञानेश्वर या ज्ञानदेि, नामदेि और तुकाराम थे।
 महाराष्र में भवक्त अदं ोलन मुतय रूप से दो संप्रदायों में बवभि था

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संप्रदाय बार करी ऄथाात पंढरपुर के विट्ठल भगिान के भक्त


1.

2. दूसरा संप्रदाय धरकरी संप्रदाय या भगिान राम के भक्त के रूप में ।

 तुकाराम ने िारकरी सप्र ं दाय की स्थापना की।


 रामदास वशिाजी के अध्यावत्मक गुरु थे।इन्होंने अपनी अबत महत्िपूणा रचना दासबोध में

आध्याबत्मक जीवन के समन्वयवादी बसद्धातिं के साथ बवबवध बवज्ञान एविं कलाओ िं बक अपने बवस्तृत ज्ञान
को सिंयि
ु रूप में प्रस्ततु बकया।

सूफी अदं ोलन

 इस्लाबमक बविारधारा में रहस्य िावदयों को सफ ू ी कहा गया है।


 इस्लाम में सूफी िही कहलाता है जो तसत्िुफ का ऄनुयाइ और सभी धमों से प्रेम करने िाला हो।
 सूफी शब्द ऄरबी के शब्द सफा से बनकला है।
 कुरान की रूवढ़िादी व्यातया शरीयत कहलाती है तथा इसकी ईदारिादी व्यातया तरीक कहलाती है।
 सफू ी तरीकत से जडु ा हुआ है। इसका मानना है बक हक (परमात्मा) तथा खलक (जीव) दोनों एक ही है।
 भारत में अने िाला प्रथम सूफी संत ऄल हज्जिीरी या दाता गंज बतश थे। इन्होंने कश्प ईल
महजूब की रिना की।

सूफी अदं ोलन के प्रमुख वसद्ांत

 सफ ू ी बविारधारा में गुरु (पीर) और वशष्य (मुरीद) के बीच संबंध का बहुत अबधक महत्व है।
 प्रत्येक पीर ऄपना ईत्तरावधकारी (िली) वनयुक्त करता है।
 सफ ू ी दशशन एके श्वरिाद में वसफा विश्वास करता है।
 सूफी वसलवसला मुतयत: दो िगों में विभावजत है
1. बा-शरा ऄथाात जो आस्लावमक विधान को मानते थे।
2. बे-शरा ऄथाात जो आस्लामी विधान से बंधे हए नहीं थे।
 बे-शरा ऄवधकतर घुमक्कड़ सूफी संत होते थे।
 मंसरू हल्लाज प्रथम साधक था बजसने अपने को ऄन हलक घोवषत वकया और प्राण न्योछािर कर
वदए।
 बा-शरा आस्लामी विधान को मानने िाले बसलबसले में से के वल दो ही उत्तर भारत में अबधक प्रिबलत
हुए हैं यह वसलवसले थे वचश्ती और सुहरा िदी।
 सफ ू ी संत के वनिास स्थान को खानकाह कहा जाता है।

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1. वचश्ती संप्रदाय

 बिश्ती भारत का प्राचीन सफ ू ी वसलवसला है तिाजा मोआनद्दु ीन वचश्ती ने (1192 इ. में मोहम्मद
गोरी की सेना के साथ भारत अए ) बिश्ती परिंपरा की नींव डाली।
 ख्वाजा मोइनद्दु ीन वचश्ती की समावध ऄजमेर में तिाजा साहब के नाम से प्रबसद्ध है।
 मोइनद्दु ीन बिश्ती के वशष्यों में तिाजा कुतुबद्दु ीन बवततयार काकी एिं हमीदुद्दीन नागौरी प्रमुख थे।
 तिाजा कुतुबुद्दीन बवततयार काकी आल्तुतवमश के समकालीन थे और उन्हीं की याद में कुतुब
मीनार का वनमााण कराया गया था।
 बदल्ली में बवततयार काकी के ईत्तरावधकारी शेख फरीदुद्दीन गज ं ए शकर हुए।
 इन्हें वसख परंपरा में बाबा फरीद के नाम से जाना जाता है।
 यह बलवन के दामाद थे और उनका महत्िपूणा योगदान गुरु ग्रंथ सावहब की रचना में है।
 बिश्ती सिंतों में सबसे प्रवसद् है वनजामुद्दीन औवलया (1238 – 1325) और नसीरूद्दीन वचराग ए
वदल्ली।
 शेख वनजामुद्दीन औवलया सल्ु तान गयासुद्दीन तुगलक के समकालीन थे।
 शेख बनजामद्दु ीन औबलया के अबतशय लोकबप्रयता से भयभीत होकर गयासद्दु ीन तगु लक ने उन्हें बदल्ली
छोडने का आदेश बदया था।
 शेख नसीरुद्दीन महमूद, शेख वनजामुद्दीन औवलया के ईत्तरावधकारी थे।
 शेख नसरुद्दीन महमूद वचराग ए वदल्ली के नाम से लोकवप्रय हुए।
 बिश्ती शाखा के महत्िपण ू ा सतं शेख सलीम वचश्ती थे।
 उन्हें shaikh-ul-hind की संज्ञा से विभूवषत बकया गया था।
 उन्होंने सीकरी में ऄपना खानकाह बनाया यहीं पर ऄकबर ने फतेहपुर वसकरी की स्थापना की तथा
अपने पुत्र का नाम सलीम रखा।
 दवक्षण में बिश्ती बसलबसले की नींव शेख बुरहानुद्दीन गरीब ने रखी थी जो वनजामुद्दीन औवलया का
वशष्य था। इन्होंने दौलताबाद को ऄपना स्थाइ वनिास बनाया।
 शेख कद्दूस गंगोही, हाजी रूमी, सैयद मुताजा, शेख हसैनी गेसूदराज अवद महत्िपूणा संत थे।

2. सुहरािदी संप्रदाय

 वशहाबुद्दीन सुहरािदी आस वसलवसले के संस्थापक थे।


 भारत में सहु रावदी बसलबसले को सदृु ढ़ तथा लोकवप्रय बनाने का मुतय श्रेय उनके वशष्य बहाईद्दीन
जकाररया तथा जलालुद्दीन तबरीजी को है।
 हमीदुद्दीन नागौरी आस वसलवसले के प्रमुख संत थे।

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 सहु रावदी का मुतयालय मुल्तान था। बहाउद्दीन जकाररया ने कुबािा के बवरुद्ध इल्ततु बमश को सहायता
दी थी इसी कारण इल्ततु बमश ने उसे शेख उल इस्लाम की उपाबध दी थी।

3. शान्तारी संप्रदाय

 लोदी काल में शाह ऄब्दुल्ला ने इस बसलबसले की स्थापना की।


 इस बसलबसले के सबसे प्रमुख सतं मोहम्मद गौस थे।

4. कावदरी संप्रदाय

 इसकी स्थापना शेख ऄब्दुल कावदर वजलानी ने की शेख मीर, मोहम्मद वमयां मीर आस वसलवसले
के प्रमुख संत थे।
 दारा वशकोह कादरी वसलवसले का ऄनुयाइ था और उसने लाहौर में बमयािं मीर से भेंट की थी।

5. वफरदौसी संप्रदाय

 इस बसलबसले के संस्थापक समरकंद के शेख बदरुद्दीन थे।


 यह सहु रािदी सप्रं दाय की ही एक शाखा थी बजसका प्रभाि क्षेत्र वबहार एिं बगं ाल में था।
 इस बसलबसले के सबसे प्रवसद् संत सरफुद्दीन यावहया मनेरी थे िहदत ईल िजूद के प्रबल समथाक
थे।

6. नक्शबंदी संप्रदाय

 छह प्रमख ु बसलबसले में अबिं तम नक्शबंदी वसलवसले की स्थापना तिाजा बाकी वबल्लाह ने की थी।
 शेख ऄहमद सरवहदं ी नक्शबदं ी वसलवसले के प्रमुख सतं थे।
 सबू फयों में यह सबसे अबधक कट्टरवादी बसलबसला था।
 ऄकबर एिं जहांगीर के समकालीन
 शेख अहमद सर बहदिं ी में ईश्वर (अल्लाह) के साथ आकत्ि िजहत ईल िजूद के रहस्यवादी दशशन पर
आक्षेप बकया तथा उसे अस्वीकार कर बदया उसके स्थान पर उसने प्रत्यक्षिादी दशान िजहत ईल शूद
का प्रवतपादन बकया

7. कलंदरी वसलवसला

 इस बसलबसले के संत घुमक्कड़ फकीर होते थे तथा वे आस्लामी कानूनों का पालन नहीं करते थे।
 इनका कोई अध्यावत्मक गरुु ऄथिा सगं ठन नहीं था ये नाथपथ ं ी योवगयों से प्रभावित थे।

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 सवशप्रथम कलिंदररया शब्द का प्रयोग ऄब्दुल ऄजीज मक्की के नाम में वमलता है।
 इस शाखा के संत वसर मुड़ाते थे तथा वहदं ू नागाओ ं की भााँवत अपने हाथ पैर खान तथा शरीर के अन्य
अगिं ों में लोहे के धल्ले डालते थे।
 भारत में कलंदररया शाखा की स्थापना वनजामुद्दीन कलंदर ने बकया।

प्रमुख सूफी संप्रदाय तथा ईनके संस्थापक

सप्रं दाय सस्ं थापक काल


वचश्ती तिाजा मोआनुद्दीन वचश्ती (12 िीं शताब्दी)
सहु रािदी वशहाबद्दु ीन सहु रािदी (12 िीं शताब्दी)
कावदरी शेख ऄब्दुल कावदर वजलानी (16 िीं शताब्दी)
शत्तारी शाह ऄब्दुल्लाह शत्तारी (15 िीं शताब्दी)
वफरदौसी शेख बदरुद्दीन
नक्शबंदी तिाजा बाकी वबल्लाह (16 िीं शताब्दी)।
नोट :- गरुु ग्रथ
ं सावहब में रविदास रामानदं कबीर नामदेि भगत वभखान और शेख फरीद के
शब्द भी संकवलत है।

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7.मुगल साम्राज्य

बाबर (1526 – 1530)

 जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर का जन्म 14 फरिरी 1483 को रांस ऑक्सीयाना में हुआ था।
 बाबर बपतृ वश िं की ओर से तैमरू का पािंिवा वशिं ज तथा मातृवश
िं की ओर से ििंगजे खान का 14 वािं वश
िं ज
था।
 बाबर ने बजस नवीन राजवश िं की नींव डाली वह तुकी नस्ल का चगताइ िंश था।
 बाबर ने 1504 ई. में काबल ु पर अबधकार कर बलया और पररणाम स्वरूप उसने 1507 इ. में पाद शाह की
ईपावध धारण की।
भारत पर बाबर का अक्रमण
 बाबर के आक्रमण के समय भारत राजनीबतक रूप से अबस्थर था।

 बाबर को भारत पर अक्रमण करने का वनमंत्रण अलम खााँ, आब्रावहम लोदी का चाचा

वदलािर खााँ एिं राणा सांगा ने वदया था।


 भारत पर बाबर ने पहला अक्रमण 1519 इ. में यूसुफजइ जावत के बाजौर पर वकया था।

 इसी यद्ध ु के दौरान बाबर ने सिाप्रथम बारूद का आस्तेमाल कर भेरा के बकले को जीता।

1. पानीपत का प्रथम युद् (21 ऄप्रैल 1526)


 पानीपत का प्रथम युद् आब्रावहम लोदी और बाबर के मध्य हुआ
 ु में बाबर के विजय का मुतय कारण तुलु गामा युद् पद्वत तथा तोपों को
इस यद्ध
सजाने की उस्मानी बवबध (रूमी बवबध) थी।

2. खानवा और िदिं रे ी का यद्ध



 खानिा का युद् राणा सांगा और बाबर के बीि 16 माचा 1527 को हअ।
 ु में राणा सांगा की ओर से हसन खान मेिाती, महमूद लोदी, अलम खान
इस यद्ध
लोदी तथा मेदनी राय ने भाग बलया था।
 ु में अपने सैबनकों का मनोबल बढ़ाने के बलए बाबर ने वजहाद का नारा वदया और
इस यद्ध
युद् में विजय प्रावप्त के बाद बाबर ने गाजी की ईपावध धारण की।
 बाबर ने 29 जनिरी 1528 को चंदेरी पर अक्रमण कर मेदनी राय को परावजत बकया।

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3. घाघरा का यद्ध

 बाबर ने 6 मइ 1529 में घाघरा के युद् में वबहार तथा बंगाल की संयुक्त ऄफगान
सेना को पराबजत बकया।
 यह बाबर का ऄंवतम युद् था।
 26 वदसंबर 1530 में अगरा में बाबर की मृत्यु हो गइ।

 बाबर को अगरा के नूर ऄफगान (अधुवनक अरामबाग) बाग में दफना वदया गया

परंतु बाद में ईसे काबुल में ईसी के द्वारा चुने गए स्थान पर दफनाया गया।
 बाबर ने अपनी आत्मकथा तज ु क
ु ए बाबरी तक ु ी भाषा में बलखी।
 बाबर ने बलखा है बक उसकी बवजय के समय भारत में 5 मुवस्लम और दो वहद ं ू शासक
राज्य करते थे उसमें आब्रावहम लोदी, दौलत खान लोदी, अलम खान और राणा
सांगा के बारे में बववरण बदया है।

हमायूं 1530 - 1556 इ.

 बाबर के चार पुत्रों (हमायूं, कामरान, ऄस्करी, वहन्दाल) में हमायूं सबसे बड़ा था बजसका जन्म 6
मािश 1508 को हुआ था।
 बाबर की मृत्यु के बाद नसरुद्दीन मोहम्मद हमायूं 23 वषश की आयु में 30 बदसिंबर 1530 को बहदिं स्ु तान
के बसिंहासन पर बैठा।
 हमायूं ने ऄपने साम्राज्य का विभाजन करते हए भाई कामरान को काबल ु एविं शानदार अस्करी को
सिंभल तथा बहडिं ाल को अलवर की जागीर दी।
 हमायूं ने ऄपना पहला अक्रमण कावलंजर के शासक प्रताप रुद्रदेि पर बकया।
 हुमायिंू का ऄफ़गानों से पहला मुकाबला महमदू लोदी के साथ 1532 ई. में दोहररया नामक स्थान पर
हुआ बजसमें अफगान पराबजत हुए।

शेरखान से संघषा

 शेरखााँ या शेर शाह के विरुद् हमायूं ने ऄपना पहला अबभयान 1532 इ. में चुनार में घेरा डालकर
वकया।
 4 महीने के घेरे के पिात शेरखााँ ने हुमायिंू की अधीनता स्वीकार कर ली।
 शेर खााँ ने 1534 में सरू जगढ़ तथा 1536 में बगिं ाल को जीत बलया।
 शेरखान की शबि बनयिंबत्रत करने के बलए हुमायिंू बिंगाल की ओर बढ़ा और 1538 में चुनारगढ़ पर ऄपना
दूसरा घेरा डाल बदया।
 हमायूं ने चुनारगढ़ का नाम जन्नताबाद रखा।

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 बगिं ाल से लौटते समय हमायूं एिं शेरखान के बीच बक्सर के वनकट चौसा नामक स्थान पर 28 जनू
1539 को यद्ध ु हुआ बजसमें हमायूं बुरी तरह परावजत हुआ।
 अपनी इस बवजय के ईपलक्ष्य में शेर खााँ ने शेर शाह की ईपावध धारण की।
 17 मइ 1540 में कन्नौज वबलग्राम के युद् में हमायूं पुनः परास्त हो गया।
 इस यद्धु के बाद हुमायिंू ईरान की ओर पलायन कर गया अपने 15 िषा के वनिाासन काल के दौरान ही
हमायूं ने हमीदा बानो बेगम से वििाह बकया।

हमायूं द्वारा पुनः राज्य प्रावप्त

 1545 ई. में हुमायिंू ने काबल ु और किंधार पर अबधकार कर बलया।


 बहदिं स्ु तान पर पनु ः अबधकार करने के बलए हुमायिंू 5 बदसिंबर 1554 को पेशावर 1555 में लाहौर पर
अबधकार कर बलया।
 15 मई 1555 में मगु लों एविं अफगान सरदार नसीब खान एविं तातार खान के नेतत्ृ व में मछीिाड़ा युद् के
फलस्िरुप मुगलों ने सपं ण ू ा पज
ं ाब पर ऄवधकार कर वलया।
 22 जून 1555 को सरवहदं नामक स्थान पर हमायूं ने ऄफगान सेना को परावजत वकया।
 23 जल ु ाई 1555 में हुमायिंू एक बार बफर से बदल्ली के तख्त पर बैठा।
 बदल्ली में वदनपनाह भिन में वस्थत पस्ु तकालय की सीवढ़यों से वगरकर जनिरी 1556 में ईसकी
मृत्यु हो गइ।
 लेन पुल के ऄनुसार हमायूं वजंदगी भर लुढ़कता रहा और ऄंततः लुढ़क कर ही मर गया।

 1545 में शेरशाह ने अपना ऄंवतम अक्रमण कावलंजर के शासक कीरत वसंह के विरुद् बकया।
 इसी अबभयान के समय ईक्का नामक अग्नेयाि िलाते समय गोले फट जाने के कारण शेरशाह की
मृत्यु हो गई।

शेरशाह कालीन प्रशासन

 शेरशाह ने अपने सपं ण


ू ा साम्राज्य को 47 सरकारों में विभावजत वकया था।
 प्रत्येक सरकार को एक सैबनक अबधकारी बशकदार के बनयिंत्रण में छोड बदया गया था और उसकी सहायता
के बलए एक असैबनक अबधकारी उम्मीद ए बगिं ाल की बनयबु ि की गई थी।
 प्रत्येक सरकार परगनों में बाँटी होती थी बजसमें एक वशकदार, एक मुंवसफ, एक फोतदार (खजांची)
तथा 2 कारकून होते थे।
 शेरशाह ने सैवनकों को नकद िेतन वदया और सरदारों को जागीर दी जाती थी।

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 बेईमानी को रोकने के बलए उसने घोडों को दागने की प्रथा तथा सैबनकों की हुबलया बलखे जाने की प्रथा को
अपनाया था।
 शेरशाह ने ईत्पादन वकया अधार पर भूवम को तीन श्रेवणयों में विभावजत बकया ऄच्छी, मध्यम और

खराब।
 शेरशाह ने लगान वनधाा रण के वलए मुतयत: तीन प्रणावलयां ऄपनाइ
1. गला बक्शी ऄथिा बटाइ,

2. नश्क या मुक्ताइ

3. कनकूत नकदी ऄथिा जब्ती

 शेरशाह ने भूवम की माप के वलए गज ए वसकंदरी का प्रयोग शरू ु बकया।


 माप की इकाई के बलए शेरशाह ने जरीब का प्रयोग बकया।

 शेरशाह ने परु ानी वघसी वपटी वसक्के के स्थान पर शद्ध ु चांदी का रुपया (180 ग्रेन) और तांबे का दाम
(322 ग्रेन) िलाया।
 उसने 164 ग्रेन के सोने के वसक्के ऄशफी जारी की।

 शेरशाह के समय में 23 टकसाली थी।

 शेरशाह ने ग्रैंड रंक रोड का वनमाा ण करवाया जो बग िं ाल से बदल्ली, लाहौर होते हुए पजिं ाब में अटक तक
है।
 शेरशाह ने वबहार के सासाराम में ऄपना मकबरा बनिाया बजससे स्थापत्य कला की एक नवीन शैली

का प्रारिंभ हुआ।
 शेरशाह में हमायूं द्वारा वनवमा त वदनपनाह को तुड़िाकर कर ईसके ध्िस ं ािशेषों से वदल्ली में परु ाने
वकले का वनमााण करिाया।
 बकले के अद िं र शेर शाह ने बकला ए कुहना का बनमाशण करवाया।

ऄकबर (1542 – 1605)

 जलालद्दु ीन मोहम्मद ऄकबर का जन्म ऄमरकोट के राणा िीर साल के महल में 15 ऄक्टूबर 1942
को हुआ था।
 अकबर की माता का नाम हमीदा बानो बेगम था।
 अकबर का राज्याबभषेक 14 फरवरी 1556 को बमजाश अब्दल ु काबसम ने बकया था।
 1556 इ. में ऄकबर ने बैरम खां को ऄपना िकील वनयुक्त कर उसे खान ए खाना की ईपावध प्रदान
की।
 बैरम खान का सिंबिंध फारस के बशया सिंप्रदाय से था।
 पानीपत का वद्वतीय यद्धु 5 नवबिं र 1556 को बैरम खान के नेतृत्ि में ऄकबर और हेमू के बीि लडा
गया।
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 इस यद्ध
ु में हेमू की हार हुई।
 हेमू ने वदल्ली पर ऄवधकार के बाद विक्रमावदत्य की ईपावध धारण की थी वह वदल्ली पर बैठने
िाला ऄंवतम वहदं ू शासक था।

ऄकबर के समय महत्िपूणा सैन्य ऄवभयान


क्षेत्र समय परावजत शासक नेतृत्ि कताा
अमेर 1562 भारमल ने स्िेच्छा से ऄधीनता स्िीकार की।
मेिाड़ 1568 ईदय वसहं ऄकबर
रणथम्भौर 1569 सुरजन राय हाड़ा भगिान दास, ऄकबर
मारिाड़ 1570 चंद्रसेन स्िेच्छा से ऄधीनता स्िीकार की।
जैसलमेर 1570 हार राय स्िेच्छा से ऄधीनता स्िीकार की
बीकानेर 1570 राय कल्याणमल स्िेच्छा से स्िीकार की।
गजु रात 1571 मुजफ्फर खा 3rd वमजाा ऄजीज कोका
बंगाल 1574 दाउद खााँ मुनीम खााँ
वबहार 1576 दाउद खााँ मुनीम खााँ
हल्दीघाटी 1576 महाराणा प्रताप असफ खााँ, मानवसंह
काबुल 1581 हकीम वमजाा मानवसंह और ऄकबर
ऄसीरगढ़ 1601 मीर बहादुर यह ऄकबर की ऄंवतम विजय

 अकबर के समय में 1564 इ. में ईजबेकों ने विद्रोह कर बदया इसी विद्रोह के दौरान बीरबल की मृत्यु
हुई।
 1586 में सलीम (जहागिं ीर) के इशारे पर ओरछा के बुंदेला सरदार िीर वसंह देि ने ऄबुल फजल की
हत्या कर दी थी।
 अकबर अपनी राजपतू नीबत के पररणाम स्वरूप 1563 में तीथा यात्रा कर तथा 1564 में जवजया कर को
समाप्त कर बदया।
 अकबर ने दाशावनक एिं धावमाक विषयों पर वाद बववाद के बलए अपनी राजधानी फतेहपुर सीकरी में
एक आबादत खाना की स्थापना 1575 में करायी।
ऄकबर के दरबार में निरत्न
ऄबुल फजल बीरबल टोडरमल
फै जी हकीम हमाम राजा मानवसहं
तानसेन मुला दो प्याजा ऄब्दुल रहीम खानखाना

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आबादत खाने में अमंवत्रत धमााचाया

वहदं ू धमा देिी एिं पुरुषोत्तम


जैन धमाहरर, विजय सूरी, वजनचंद्र सूरी, विजयसेन सूरी, तथा शांवत चंद
पारसी धमा दस्तूरमेहरजी राणा
इसाइ धमा एकाबीिा और मोंसेरात।

 अकबर ने 1579 में महजरनामा या एक घोषणा जारी करवाई बजससे ईसने धमा के मामले में स्ियं को
सिोच्च बना वलया।
 अकबर ने सभी धमों में सामंजस्य स्थावपत करने के वलए 1582 इ. में दीन ए आलाही या तौहीद ए
आलाही का प्रवतपादन बकया।
 अकबर ने 1584 में एक नए कै लेंडर आलाही संित को जारी बकया ऄकबर ने आसे वहजरी संित के
स्थान पर जारी बकया था।
 अकबर ने झरोखा दशान तुलादान तथा पायबोस जैसी पारसी परंपराओ ं को अरंभ बकया।
 तुलसीदास, ऄमर दास और शेख सलीम वचश्ती, ऄकबर के समकालीन थे।
 अकबर ने वसखों के तीसरे गुरु ऄमरदास से भेंट की
 अकबर ने वसख गरुु रामदास को 1577 ई. में 500 बीघा जमीन प्रदान की बजसमें एक प्राकृवतक
तालाब भी था।
 अकबर ने सती प्रथा को रोकने का प्रयास वकया तथा लड़के एिं लड़वकयों के वििाह की अयु 16
और 14 िषा वनधााररत की।

जहांगीर (1605 – 1627 इ.)

 सलीम (जहांगीर) का जन्म 30 अगस्त 1569 को फतेहपुर सीकरी में हुआ था।
 इसका नाम सफ ू ी सतं शेख सलीम वचश्ती के नाम पर था । अकबर प्यार से उसे शेखू बाबा पकु ारता था।
 अकबर की परिंपरा को स्थाबपत रखते हुए जहांगीर ने न्याय का घंटा स्थावपत करिाया।
 जहागिं ीर में अपनी अत्मकथा तुजुक ए जहांगीरी बलखी।
 जहािंगीर के शासनकाल का पहला विद्रोह बसखों के पांचिें गरुु ऄजाुन देि के सहयोग से खस ु रो द्वारा
वकया गया था।
 ऄजाुन देि पर जहांगीर ने राजद्रोह का आरोप लगाकर फासिं ी की सजा दी।

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 नरू जहािं के बढ़ते प्रभाव के कारण शाहजहािं ने मबलक अबिं र की सहायता से जहािंगीर के बखलाफ बवद्रोह
बकया बजसे महावत खािं एविं परवेज ने दबा बदया।
 जहांगीर ने सिाप्रथम मराठों को मुगल ऄमीर िगा में शावमल बकया।
 जहािंगीर के काल में ही ऄफगावनयों और शेखजादा (भारतीय मुसलमान) को भी मनसबदारी प्रदान
की जाने लगी।
 जहािंगीर के शासनकाल में ही कंपनी के प्रवतवनवध के रूप में कै प्टन हॉवकंस (1608 – 11 ई.) और
सम्राट जेम्स के दूत के रूप में सर टॉमस रो (1615 – 19 इ.) भारत आए।
 जहािंगीर ने कै प्टन हॉवकंस को 400 का मनसब प्रदान बकया।

नूरजहां

 इस के बचपन का नाम मेहरूवन्नसा था।


 उसके वपता ग्यास बेग (बजसे जहांगीर ने एत्माद्दौला की ईपावध दी थी) एविं माता ऄसमत बेगम
फारस के रहने वाले थे।
 1594 में नूरजहां का वििाह ऄली कुली बेग से हुआ जहांगीर से वििाह के पिात उसे नूरजहां की
ईपावध बमली।

शाहजहां (1627 – 1658)

 शाहजहां का जन्म लाहौर में 5 जनवरी 1592 को मारिाड़ के मोटा राजा ईदय वसंह की पुत्री जगत
गोसाइ के गभश से हुआ था।
 शाहजहां का वििाह 1611 में असफ खां की पुत्री ऄजाुमन्द बानो बेगम से हुआ जो बाद में मुमताज
महल के नाम से बवख्यात हुई।
 1631 ई. में प्रसव पीडा के कारण ममु ताज महल की मृत्यु हो गई।
 अगरा में ईसके शि को दफनाकर उसकी याद में ताजमहल का बनमाशण बकया गया।
 शाहजहािं के ऄंवतम 8 िषा अगरा के वकले के शाहबुजा में एक बिंदी की तरह व्यतीत हुआ इस समय
ईसकी बड़ी पुत्री जहांअरा ने ईसकी सेिा की।
 शाहजहािं की मृत्यु 1666 इ. में हुई और उसे भी ताजमहल में उसकी पत्नी की कब्र के बनकट साधारण
नौकरों द्वारा दफना बदया गया।
 शाहजहािं ने 1632 में पुतागावलयों के व्यापाररक कें द्र हगली को घेर बलया और उस पर अबधकार कर
बलया।
 शाहजहािं ने आलाही संित को समाप्त कर पुन: वहजरी संित प्रारंभ वकया
 दरबार में वसजदा की प्रथा समाप्त की और इसके स्थान पर चहार तस्लीम प्रणाली प्रारंभ की।

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शाहजहां की प्रमुख विजय


क्षेत्र िंश िषा शासक
ऄहमदनगर वनजामशाही 1633 सुल्तान हसैन शाह
गोलकुंडा कुतुब शाही 1636 कुतुब शाह
बीजापुर अवदलशाही 1636 अवदल शाह प्रथम

औरंगजेब (1658 – 1707 इ.)

 मोबहउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब का जन्म 3 नवबिं र 1618 को उज्जैन के बनकट हुआ था।
 18 मई 1637 को औरिंगजेब का वििाह फारस राजघराने की राजकुमारी वदलरास बानो बेगम (रवबया
बीबी) हुआ था।
 साम्राज्य पर अपनी दािेदारी के वलए औरंगजेब को पांच युद् लडने पडे बजससे ईत्तरावधकार का युद्
कहा जाता है।

औरंगजेब की प्रमुख विजय

क्षेत्र सुल्तान िषा


बीजापरु ऄंवतम शासक वसकंदर अवदलशाह 1686
गोलकुंडा शहजादा शाह अलम 1687

 बशवाजी को दबिं डत करने के बलए औरंगजेब ने 1660 इ. में शाआस्ता खां को तथा 1665 इ. में राजा
जयवसंह को भेजा।
 जयबसिंह ने वशिाजी को परावजत कर 22 जून 1665 को उन्हें पुरंदर की संवध के बलए बववश कर बदया।
 औरिंगजेब आस्लामी कानूनों को ऄक्षरश: पालन करने के कारण अपनी कट्टर सुन्नी प्रजा के वलए वजंदा
पीर तथा शाही दरिेश के रूप में जाना जाता था।
 औरिंगजेब ने वसक्कों पर कलमा खुदिाना , पारसी नििषा निरोज का आयोजन सावशजबनक संगीत
समारोह भांग ईत्पादन शराब पीने तथा जुअ खेलने पर प्रवतबध ं लगा बदया।
 1663 इ. में सती प्रथा पर प्रवतबंध लगा बदया तथा वहदं ु ओ ं पर तीथा यात्रा कर लगाया।
 औरिंगजेब ने मुहतवसब (सािाजवनक कदाचार वनरीक्षक) या धमा ऄवधकारी नामक एक अबधकारी की
वनयुवक्त भी की।
 अपने शासन के 11िें िषा में झरोखा दशान एविं 12 िषा में तुलादान (प्रथा बादशाह को सोने चांदी से
तलना) को समाप्त कर बदया।

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 औरंगजेब के समय वहदं ू मनसबदारों की संतया 33% थी जबबक शाहजहािं के समय यह मात्र 24.7 %
थी।
 औरिंगजेब के समय अमेर (जयपरु ) के राजा जयवसहं , मेिाड़ के राजा राजवसहं और जोधपरु के राजा
जसिंत वसंह प्रमख
ु राजपतू राजा थे।

मुगलकालीन प्रशासन

ऄवधकारी विभाग काया


िकील प्रधानमंत्री संपूणा प्रशासन का पयािेक्षण करता था।
मीर बक्शी सैन्य विभाग ऄकबर के काल में शुरू िह मनसबदारों की वनयुवक्त की ऄनुशंसा एिं जागीर
की ऄनुशंसा करता था।
मीर ए समााँ कारखाने के सगं ठन और प्रबध ं का स्ितंत्र प्रभार
सद्र ईस सुदूर धावमाक आसे शेख ईल आस्लाम भी कहा जाता था
परामशादाता
मुतय काजी काजी ईल न्याय विभाग का प्रधान।
कुज्जात
मुहतवसब माप तौल का वनरीक्षण मूल्य वनयंत्रण जनता के नैवतकता चरणों का वनरीक्षण करता था और यह
देखता था वक शरीयत के ऄनुसार काया हो रहा है या नहीं।
िावकया निीस समाचार लेखक
परिानची ऐसी अज्ञाओ ं को वलखने िाला वजस पर सम्राट के मोहर की अिश्यकता नहीं पड़ती थी।
मुशरराफ लेखा ऄवधकारी यह राज्य की अय-व्यय का लेखा-जोखा रखता था।
मुस्तौफी लेखा परीक्षक
मुसद्दी यह बंदरगाहों के प्रशासन की देखभाल करता था।

 मुगल सैवनक दल को चार श्रेवणयों में विभावजत बकया गया था


1. ऄधीनस्थ राजाओ ं की सेनाए ं

2. मनसबदारों की सैन्य टुकवड़यााँ

3. अहदी सैवनक बादशाह के सैवनक होते थे

4. दावखली सैवनक मनसबदारों की सेिा में रखा जाता था।

 मुगलकालीन शासक गांि को एक स्िायत्त संस्था मानते थे।


 गािंव का मुतय ऄवधकारी ग्राम प्रधान होता था वजसे खतु , मुकद्दम, चौधरी कहा जाता था उसकी
सहायता के बलए एक पटवारी होता था।

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मनसबदारी व्यिस्था

 मनसब फारसी शब्द है वजसका ऄथा होता है पद।


 इस व्यवस्था को ऄकबर ने ऄपने ऄपने शासन की 11 में िषा में लागू की जो मंगोलों की दशमलि
पद्वत पर अधाररत थी।
 मनसबदारों को वनम्नवलवखत श्रेवणयों में बांटा गया था
1. 10 से 500 के नीचे तक----- मनसबदार

2. 500 जात से ऄवधक वकंतु 2500 से कम-------- ऄमीर

3. 2500 जात तथा आससे उपर------- ऄमीर ए ईम्दा

 ऄबुल फजल ने अइने ऄकबरी में 66 मनसबों का ईल्लेख बकया है।


 5000 से उपर के मनसब के वल शहजादे तथा राजिंश के लोगों को बदया जाता था।
 जहांगीर और शाहजहां के काल में सरदारों को 8000 तक के तथा शाहजादों को 40000 के मनसब
बदए जाने लगे।
 मनसबदारों को नकद ि जागीर के रूप में िेतन वमलता था बकिंतु जागीर से ईन्हें के िल राजस्ि प्रावप्त
का ही ऄवधकार होता था भूवम पर प्रशासवनक ऄवधकार नहीं।
 जहािंगीर ने एक ऐसी प्रथा चलाइ बजसमें वबना जात पद बढ़ाए ही मनसबदारो को ऄवधक सेना रखने
को कहा जाता था।
 जहागिं ीर ने यक ऄस्पा, वद्व ऄस्पा और वसंह ऄस्पा मनसबदारी प्रणाली को शरू
ु की।

जागीरदारी व्यिस्था

 मनसबदारों को जब नकद िेतन के बदले वकसी भूवम क्षेत्र का राजस्ि अिंवटत वकया जाता था। तो
वह उनकी जागीर या बतयल ू कही जाती थी जागीर प्राप्तकताा को जागीरदार कहा जाता था।
 जागीरदारों को इस भूवम क्षेत्र से लगान एिं ऄन्य करों की िसूली का ऄवधकार होता था जागीरो को
हस्तांतररत वकया जा सकता था।
 जागीर की ऄनमु ावनत अय को जमा या जमादानी तथा िास्तविक रूप से प्राप्त होने िाली अय को
हाल ए हावसल कहा जाता था।
 जागीरें कइ प्रकार की होती थी जैसे – तनतिाह जागीर, मशरूत जागीर (शता पर दी गइ जागीर),
ितन जागीर, आनाम जागीर (पुरस्कार स्िरूप दी गइ जागीर),

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महाल ए पैबाकी

 उस जागीर वाली भबू म को कहा जाता था बजसे परु ाने जागीरदार से दडं स्िरूप छीन कर नए मनसबदार
को अिंवटत करने के बलए सरु बक्षत रख बलया जाता था।

मुगलकालीन राजस्ि व्यिस्था

 मगु ल काल में राज्य की आय का मख्ु य स्त्रोत भू राजस्व था।


 जकात, जवजया, खुम्स मुतय कर थे।

 सप ं णू ा भू भाग तीन भागों में विभावजत थी


1. खालीसा भूवम – िह सही भूवम होती थी वजसका संपूणा राजस्ि शाही खजाने में जमा होता था।

2. जागीर भूवम – जो राज्य के प्रमुख सरदारों या व्यवक्तयों को ईनके िेतन की एिज में दी जाती

थी।
3. सयूरगाल या मदद ए मास भूवम – जो ऄनुदान के रूप में विद्वानों एिं धावमा क व्यवक्तयों को वदया

जाता था और आस पर िंशानुगत ऄवधकार होता था।


 प्रारिंभ में अकबर ने शेरशाह द्वारा अपनाई गई जब्ती प्रणाली को अपनाया।

भूवम के प्रकार

मुगल काल के ऄंतगात भूवम को वनम्नवलवखत श्रेवणयों में बांटा गया था

1. पोलज – िह जमीन थी जहााँ हर िषा खेती होती रहती थी । आस पर पूरा भू राजस्ि


िसल ू ा जाता था।
2. परती – िह भूवम जो साल भर से परती पड़ी रहती थी ।पूरा भू राजस्ि िसूला जाता
था।
3. चाचर – यह िह भूवम थी जो तीन चार साल से परती पड़ी होती थी।
4. बज
ं र – यह खेती योग्य जमीन नहीं होती थी।

राजस्ि वनधाारण पद्वत

 राजस्व बनधाशरण की चार प्रणावलयों प्रचवलत थी


1. जब्ती या दहसाला प्रणाली

2. बटाँइ गल्ला बतशी या मओली

3. कानकूत नस्क

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 मगु ल काल में कृषक िगा स्पष्ट रूप से 3 िगों में विभावजत था
1. खुदकाश्त – वकसान िे वकसान होते थे जो ईसी गांि की भूवम पर खेती करते थे

वजसके भी वनिासी होते थे।


2. पाहीकाश्त – िे वकसान होते थे जो दूसरे गांि में ऄस्थाइ रूप से अकर बटाइदार

के रूप में खेती करते थे।


3. मजाररयान – कृषकों के पास आतनी कम भूवम होती थी वक िे ईस भूवम में ऄपने

पररिार के कुल श्रम का भी ईपयोग नहीं कर पाते थे।

मुगल कालीन वसक्के


मुहर यह एक सोने का वसक्का था। वजसे ऄकबर ने ऄपने शासनकाल के प्रारंभ में चलाया
था। यह मुगल काल का सबसे ऄवधक प्रचवलत वसक्का था। आसे शहनशाह कहा जाता
था।
शंसब यह ऄकबर द्वारा चलाया गया सबसे बड़ा सोने का वसक्का था। जो 101 तोले का था
और बड़े लेन-देन में में प्रयुक्त होता था।
आलाही यह ऄकबर द्वारा चलाया गया सोने का गोलाकार वसक्का
रुपया यह शुद् चांदी का वसक्का शेरशाह द्वारा प्रिवतात था वजसका िजन 175 ग्रेन था।
जलाली यह चांदी का िगााकार वसक्का
दाम ऄकबर द्वारा चलाया गया तांबे का वसक्का था।
जीतल यह तांबे का सबसे छोटा वसक्का था
वनसार यह जहांगीर द्वारा चलाया गया तांबे का वसक्का
अना छोटी मूल्य का चांदी का वसक्का वजसका प्रारंभ शाहजहां के काल में हअ।

माप की आकाइ
वसकंदरी गज
ं 39 ऄंगलु या 32 आच

आलाही 41 ऄंगुल या 33 आच

गज

 ऄकबर के वसक्कों पर राम सीता की अकृवत तथा सयू श िद्रिं मा की मबहमा में वबणशत कुछ पद भी बमलते
हैं।
 अकबर ने ऄसीरगढ़ विजय की स्मृवत में अपने वसक्कों पर बाज की अकृवत अबिं कत करवाई।
 औरिंगजेब ने वसक्कों पर कलमा खुदिाना बंद करा बदया।

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 औरंगजेब के कुछ वसक्कों पर मीर ऄब्दुल बाकी शाहबाइ द्वारा रवचत पद ऄंवकत है।

स्थापत्य कला

 मगु लकालीन स्थापत्य की मख्ु य बवशेषता वपत्रादुरा (संगमरमर के पत्थर पर हीरे जिाहरात से की गइ
जड़ािट) एविं महलों तथा बवलास भवनों में बहते पानी का उपयोग है।
 मगु लकालीन स्थापत्य कला की शरुु अत बाबर के समय से होती है उसने पानीपत के वनकट काबल ु ी
बाग में एक मवस्जद बनवाई थी।
 बाबर ने ज्यावमतीय विवध पर अधाररत एक ईद्यान आगरा में लगवाया बजसे उसने नूर ऄफगान
ऄथिा अरामबाग नाम बदया।
 हुमायिंू ने 1553 ई. में वदल्ली में दीनपनाह नामक एक नगर का वनमााण करवाया।
 ऄकबर कालीन स्थापत्य कला भारतीय एिं आरानी शैवलयों का सुंदर समन्िय है।
 इसमें अबधकािंशतः त्रावियत शैली का प्रयोग हुआ है बकिंतु सजावट के बलए इस्लाम की ऄरकुएट शैली
का भी प्रयोग हुआ है।
 जहांगीर कालीन स्थापत्य में सजावट पर बवशेष बल बदया गया है।
 जहांगीर कालीन प्रमुख आमारतें हैं – वसकंदरा में वस्थत ऄकबर का मकबरा, वदल्ली वस्थत ऄब्दुल
रहीम खानखाना का मकबरा।
 एत्माद्दौला के मकबरे को ताजमहल और हमायूं के मकबरे की बीच की कड़ी कहा जाता है।
 वपत्रादुरा का प्रथम प्रयोग एत्मादद्दु ौला के मकबरे में हुआ है।
 शाहजहां के काल में मुगल स्थापत्य कला में सिंगमरमर का बडे पैमाने पर प्रयोग बकया गया।
 उसने आगरा तथा बदल्ली में अनेक भवनों का बनमाशण कराया।
 अगरा में दीिान ए खास, रंग महल, शीश महल, खास महल मच्छी महल, नगीना मवस्जद, मोती
मवस्जद है।
 आगरा की स्मारकों में सिाावधक महत्िपूणा ताजमहल है बजसे उसने अपनी वप्रय पत्नी मुमताज की
स्मृवत में बनवाया।
 शाहजहां ने वदल्ली में 1640 ई. में शाहजहानाबाद नामक नगर बसाया यही लाल बकला और जामा
मबस्जद बनवाए गए।
 वदल्ली में लाल वकला में दीिान ए अम, दीिान ए खास, हीरा महल, रंग महल, तिाबगाह का
आबद बनबमशत कराए गए।
 औरंगजेब के शासनकाल में सिंदु र भवनों में लाहौर की बादशाही मबस्जद, बदल्ली के लाल बकले की
मोती मबस्जद और औरिंगाबाद में रवबया दुराानी या बीिी का मकबरा प्रमुख है।

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वचत्रकला

वचत्रकार ईपावध / प्रमुख तथ्य

हमायूं
1. मीर सैयद ऄली तबरीजी - नावदर ईल ऄस्र की ईपावध
2. तिाजा ऄब्दुलस्समद
मुगल शैली का संस्थापक माना जाता है।

ऄकबर
ऄकबर ने वचत्रकला के वलए ऄलग विभाग खोला और आसका ऄध्यक्ष ऄब्दुलस्समद को बनाया।
मीर सैयद ऄली
ऄब्दुलस्समद वमस्कीन यूरोपीय शैली का वचत्रकार
फारुख बेग व्यंग वचत्रकार
बसािन
दसिंत
मुगल काल की महत्िपूणा कृवत दास्तान ए ऄमीर हम्जा (हम्जानामा) का वचत्रांकन आसी काल में
हअ।

जहांगीर
 बित्रकला प्रेमी था इस काल को मगु ल बित्रकला का स्वणश यगु कहा जाता है।
 जहाग िं ीर के समय में इरानी के स्थान पर यूरोपीय शैली का प्रभाव बढ़ा तथा प्राकृ बतक बित्रण को
प्रमख
ु ता दी गई।
 जहािंगीर के समय में पशु पवक्षयों और िनस्पवतयों को प्रमुखता दी गई।

ऄकाररत्रा
ऄबुल हसन नावदर एल जमााँ
दौलत नावदर ईल ऄस्र
मंसरू पशु पक्षी तथा प्राकृवतक वचत्रण
विशन दास
फारुख बेग
ऄबुल हसन व्यवक्त वचत्र में वसद्हस्त थे।

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संगीत कला

 बाबर एविं हुमायिंू ने भी सिंगीत को प्रोत्साहन बदया बकिंतु यह अकबर के काल में अपने बशखर पर पहुििं ी।
 ऄबुल फजल के ऄनुसार अकबर के दरबार में 36 गायकों को राज्य आश्रय प्राप्त था।
 ऄकबर स्ियं बहत ऄच्छा नगाड़ा बजाता था।
 तानसेन अकबर के नौ रत्नों में से एक था।
 अकबर ने तानसेन को कंठा भरणिाणी विलास की ईपावध प्रदान की थी।
 ऄकबर के काल के प्रमुख संगीतज्ञ थे तानसेन, बाज बहादुर, बैजबतत, गोपाल, हररदास,
रामदास, सज ु ान खान, वमयां चांद, तथा वमयां लाल एिं बैजू बािरा।
 जहांगीर के काल में प्रमुख संगीतज्ञ में तानसेन के पुत्र वबलास खााँ, छतर खान, मक्खू तथा हम्जान
ु थे जहागिं ीर ने एक ग़ज़ल गायक शौकी को अनंद खााँ की ईपावध दी।
प्रमख
 शाहजहािं अत्यिंत रबसक एविं सिंगीत ममशज्ञ था।
 शाहजहां के काल के प्रमुख सगं ीतज्ञ थे लाल खााँ, खश ु हाल खााँ और विशराम खााँ।
 शाहजहािं ने लाल खान को गुण समुद्र की ईपावध दी थी।
 औरंगजेब ने संगीत को आस्लाम विरोधी मानकर पाबंदी लगा दी थी बकिंतु ईसी के काल में फारसी
भाषा में भारतीय शािीय सगं ीत पर सिाावधक पस्ु तके बलखी गई।
 औरंगजेब एक कुशल िीणा िादक था।
 औरिंगजेब के काल में फकीर ईल्लाह ने मान कुतूहल का ऄनुिाद राग दपाण नाम से करके औरिंगजेब
को समबपशत बकया।
 औरंगजेब के काल की प्रमुख संगीतज्ञ रसबैन खान, सुखी सेन कलािंत, हयात, सरसनैन और
वकरपा।

वशक्षा एिं सावहत्य

 मगु ल काल में मकतब और मदरसों की व्यवस्था थी जहािं वशक्षा दी जाती थी।
 बाबर के समय में एक विभाग सहु रमे अम होता था जो स्कूल एविं कॉलेज की व्यवस्था करता था।
 हुमायिंू ज्योबतष एविं भगू ोल कक्षा ज्ञाता था उसने एक पस्ु तकालय भी बदल्ली में बनवाई।
 महाम मनागा ने बदल्ली में मदरसा ए बेगम की स्थापना की थी।
 शाहजहािं ने बदल्ली में एक नए कॉलेज का बनमाशण करवाया तथा दारुल बकाश नामक कॉलेज की मरम्मत
करवाई।
 मुगल राज पररिार का सिाावधक विद्वान शहजादा दारा वशकोह था।
 बाबर ने अपनी अत्मकथा बाबरनामा तुकी भाषा में बलखी।
 दरबारी आवतहास वलखने की परंपरा ऄकबर ने शरू ु की।

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 अकबर ने फै जी के अधीन एक अनवु ाद बवभाग की स्थापना की थी।


 अकबर के समय में महाभारत का फारसी भाषा में रज्जनामा नाम से अनवु ाद बकया गया।
 इसके अबतररि वसहं ासन बत्तीसी तथा पचं तंत्र का कवलला एिं वदमना नाम से तथा ऄबलु फजल ने
कावलया दमन का यार ए दावनश नाम से अनवु ाद बकया।

ऄकबर के शासन काल में फारसी में ऄनिु ावदत पस्ु तक

1. बदायूनी रामायण
2. राजा टोडरमल भागित पुराण
3. आब्रावहम सरवहदं ी ऄथिािेद
4. फै जी गवणत की पुस्तक लीलािती
5. मुकम्मल खा गुजराती – ज्यवतष तजक (जहााँन ए जफर)
6. ऄब्दुल रहीम खानखाना तुजुक ए बाबरी
7. पायंनदा खााँ जुजुके बाबरी
8. मौलाना शाह मोहम्मद शहाबादी राजतरंवगणी (कश्मीर के आवतहास)

मुगलकालीन रचनाएं

रचना भाषा रचनाकार


तुजुक ए बाबरी (बाबरनामा) तुकी बाबर (अत्मकथा)
हमायूंनामा फारसी गुलबदन बेगम
तारीख ए रसीदी फारसी वमजाा हैदर दोगलत
तारीख ए ऄल्फी फारसी मुल्ला दाउद
ऄकबरनामा फारसी ऄबल ु फजल
तबाकत ए ऄकबरी फारसी वनजामुद्दीन ऄहमद
मुंतखाब ईल तिारीख फारसी ऄब्दुल कादरी बदायूनी
तुजुक ए जहांगीरी फारसी जहांगीर/ मौतमीद खान
आकबाल नामा ए जहांगीरी फारसी मौतवमद खान
पादशाहनामा फारसी ऄब्दुल हमीद लाहौरी
शाहजहांनामा फारसी आनायत खान
ऄलमगीरनामा फारसी कावजम वसराजी
फतुहात ए अलमवगरी फारसी इश्वरदास नागर
मावसर ए ऄलमगीरी फारसी साकी मुतसआद खान

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मुंतखाब ईल लुबाब फारसी खाफी खान


नुक्सा ए वदलखुशा फारसी भीमसेन सक्सेना
मज्म ईल तिाररख फारसी दारा वशकोह
 पहली बार बाबर ने अबग्न अस्त्र तोडे दार बदिं क
ू का इस्तेमाल बकया।
 नरू जहां की मां ऄसमत बेगम ने गल ु ाब जल से आत्र बनाने का अविष्कार वकया।

मुगल शासकों के मकबरे

 िं के प्रथम शासक बाबर का मकबरा काबुल में और ऄंवतम शासक बहादुर शाह जफर का
मगु ल वश
मकबरा रंगून में बस्थत है।
 चारबाग पद्वत से सिंगमरमर से बनबमशत दोहरे गुंबद िाले हमायूं के मकबरे का वनमााण उसकी विधिा
हमीदा बानो बेगम ने वदल्ली में करवाया।
 हमायूं के मकबरे को ताजमहल का पूिागामी माना जाता है।
 मुगल िंश के सिाावधक लोग जैसे – हमीदा बानो बेगम, दारावशकोह, जहााँदार शाह, फरूाखवसयर,
रफीईद्दरजात, रफीईद्दौलाह और अलमगीर वद्वतीय को हमायूं के मकबरे में दफनाया गया है।

मुगल शासक मकबरा


बाबर काबुल
हमायूं वदल्ली
ऄकबर वसकंदरा (अगरा)
जहांगीर लाहौर
शाहजहां अगरा
औरंगजेब औरंगाबाद

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8. मराठों का ईत्कषा
 मराठा साम्राज्य का संस्थापक वशिाजी थे।
 बशवाजी का जन्म 6 ऄप्रैल 1627 इ. में वशिनेर दुगा में हुआ था।

 बशवाजी के वपता का नाम शाहजी भोंसले एविं माता का नाम जीजाबाइ था।

 वशिाजी के गुरु कोंडदेि थे।

 अध्यावत्मक क्षेत्र में बशवाजी के अचरण पर गरु ु रामदास का काफी प्रभाव था।
 बशवाजी का वििाह साइ ं बाइ वनंबालकर से 1640 इ. में हुआ था।

 शाह जी ने वशिाजी को पूना की जागीर प्रदान कर स्ियं बीजापुर ररयासत में नौकरी कर ली।

 अपने सैन्य अबभयान के अत िं गशत 1644 ई. में वशिाजी ने सिाप्रथम बीजापरु के तोरण नामक पहाड़ी
के वलए पर ऄवधकार बकया।
 1656 इ. में वशिाजी ने रायगढ़ को ऄपनी राजधानी बनाया।

 बीजापुर के सुल्तान ने अपने सेनापवत ऄफजल खान को बशवाजी को पराबजत करने के बलए भेजा

लेवकन वशिाजी ने ऄफजल खान की हत्या कर दी।


 बशवाजी ने सरू त को 1664 ई. एविं 1679 इ. में लट ू ा।
 पुरंदर की संवध 1665 ई. में महाराजा जय वसंह एिं वशिाजी के मध्य संपन्न हुई।

 1672 इ. में बशवाजी ने पन्हाला दग ु श को बीजापरु से छीना।


 5 जन ू 1674 ई. को बशवाजी ने रायगढ़ में वाराणसी के प्रबसद्ध बवद्वान श्री गंगा भट्ट द्वारा राज्यावभषेक
करवाया।
 बशवाजी को औरंगजे ब ने मइ 1666 आसी में जयपरु भिन में कै द कर बलया जहािं से वे 16 ऄगस्त

1666 को भाग वनकले।


 मात्र 53 वषश की आयु में 3 ऄप्रैल 1680 श्री को वशिाजी की मृत्यु हो गई।

 बशवाजी के मंवत्रमंडल को ऄष्टप्रधान कहा जाता था ऄष्टप्रधान में पेशिा का पद सिाा वधक

महत्िपूणा एिं सम्मान का होता था।


 बशवाजी ने दरबार में मराठी को भाषा के रूप में प्रयोग बकया।

 बशवाजी की सेना तीन महत्िपूणा भागों में विभक्त थी


1. पागा सेना – वनयवमत घड़ ु सिार सैवनक
2. वसलहदार – ऄस्थायी घुड़सिार सैवनक

3. पैदल सेना

 वशिाजी की कर व्यिस्था मवलक ऄंबर की कर व्यिस्था पर आधाररत थी।

 बशवाजी ने माप के वलए काठी एिं मानक छड़ी के प्रयोग को आरिंभ बकया।

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 बशवाजी के समय कुल ईपज का 33% भाग राजस्ि के रूप में वसल ू ा जाता था जो बढ़कर 40% हो
गया था।
 चौथ एिं सरदेशमुखी नामक कर बशवाजी के द्वारा लगाया गया।
 चौथ – वकसी एक क्षेत्र को बबााद न करने के बदले दी जाने िाली रकम
 सरदेशमुखी – आसकी हक का दािा करके वशिाजी स्ियं को सिाश्रेष्ठ देशमुख प्रस्तुत करना चाहते
थे।

ऄष्टप्रधान
1. पेशिा – प्रधानमंत्री – राज्य का प्रशासन एिं ऄथाव्यिस्था की देखरेख
2. सर ए नौबत – सेनापवत – सैन्य प्रधान

3. ऄमात्य – राजस्ि मंत्री – अय-व्यय का लेखा-जोखा

4. िाकया निीस – सूचना गुप्तचर – संवध विग्रह के विभागों का ऄध्यक्ष

5. वचटवनस – राजकीय पत्रों को पढ़कर ईसकी भाषा शैली को देखना

6. सुमंत – विदेश मंत्री

7. पंवडतराि – धावमा क कायों के वलए वतवथ का वनधाा रण

8. न्यायाधीश – न्याय विभाग का प्रधान

 वशिाजी ने वकले की सुरक्षा के वलए वनम्नवलवखत ऄवधकाररयों को वनयुक्त वकया


1. हिलदार – वकले की अत ं ररक व्यिस्था की देखरेख
2. सर ए नौबत – वकले की सेना का नेतृत्ि

3. सिवनस – वकले की ऄथा व्यिस्था पत्र व्यिहार एिं भंडार की देखरे ख

वशिाजी का ईत्तरावधकारी

 वशिाजी का ईत्तरावधकारी संभाजी था।


 सभिं ाजी ने उज्जैन के बहदिं ी एविं सस्िं कृ त के प्रकाडिं बवद्वान कवि कलश को ऄपना सलाहकार वनयुक्त
बकया।
 मािश 1689 ई. को मुगल सेनापवत मखरा ब खा ने सभ ं ाजी एिं कवि कलश को वगरफ्तार कर ईसकी
हत्या कर दी।
 सभ िं ाजी के बाद 1689 इ. में राजाराम को नए छत्रपवत के रूप में राज्याबभषेक बकया गया।
 राजाराम ने ऄपनी दूसरी राजधानी सतारा को बनाया।

 राजाराम मग ु लों से सिंघषश करता हुआ 2 मािश 1700 में मारा गया।

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 राजा राम की मृत्यु के बाद उसकी विधिा पत्नी ताराबाइ ऄपने 4 िषीय पुत्र वशिाजी वद्वतीय का
राज्याबभषेक करवाकर मराठा साम्राज्य की वास्तबवक सरिं बक्षका बन गई।
 1707 ई. में औरिंगजेब की मृत्यु के बाद सभ ं ाजी के पत्रु साहू जो औरिंगजेब के कब्जे में था भोपाल के
बनकट के मगु ल बशबवर से वापस महाराष्र आया।
 साहू एिं ताराबाइ के बीच 1707 ई. में खेड़ा का युद् हुआ बजसमें साहू विजयी हुआ।
 साहू ने 22 जनिरी 1708 इ. को सतारा में अपना राज्य अबभषेक करवाया।
 साहू के नेतत्ृ व में नवीन मराठा साम्राज्य िाद के प्रिताक पेशिा लोग थे जो साहू के पैतृक प्रधानमंत्री
थे पेशिा पद पहले पेशिा के साथ ही िंशानुगत हो गया था।
 1713 में साहू ने बालाजी विश्वनाथ को पेशिा बनाया इसकी मृत्यु 1720 ई. में हुई इसके बाद पेशिा
बाजीराि प्रथम हुए।
 पेशवा बाजीराि प्रथम ने मगु ल साम्राज्य की कमजोर हो रही बस्थबत का फायदा उठाने के बलए साहू को
ईत्सावहत करते हए कहा वक अओ आस पुरानी िृक्ष के खोखले तने पर प्रहार करें शाखाएं तो स्ियं
वगर जाएगं ी हमारे प्रयत्नों से मराठा पताका कृष्णा नदी से ऄटक तक फहराने लगेगी ईत्तर में साहू
ने कहा वनवित रूप से ही अप आसे वहमालय के पार गाड़ देंगे वनसंदेह अप योग्य वपता के योग्य
पुत्र हैं।
 पाल खेड़ा का युद् 7 माचा 1728 इ. में बाजीराि प्रथम एिं वनजाम ईल मुल्क के बीच हुआ बजसमें
वनजाम की हार हइ बनजाम के साथ मूंगी वशिागांि की संवध।
 वदल्ली पर अक्रमण करने िाला प्रथम पेशिा बाजीराि प्रथम था बजसने 29 मािश 1737 ई. को
बदल्ली पर आक्रमण बकया।
 उस समय मुगल बादशाह मोहम्मद शाह बदल्ली छोडने के बलए तैयार हो गया था।
 बाजीराि प्रथम मस्तानी नामक मवहला से संबंध होने के कारण िबिशत रहा था।
 1740 इस्िी में बाजीराि प्रथम की मृत्यु हो गई।
 बाजीराव प्रथम की मृत्यु के बाद बालाजी बाजीराि 1740 ई. में पेशवा बने।
 बालाजी बाजीराि को नाना साहब के नाम से भी जाना जाता है।
 1750 इ. में संगोला संवध के बाद पेशवा के हाथ में सारे अबधकार सरु बक्षत हो गए।
 झलकी की सवं ध हैदराबाद के वनजाम एिं बालाजी बाजीराि के मध्य हुई।
 बालाजी बाजीराि के समय में ही पानीपत का तृतीय युद् हुआ बजसमें मराठों की हार हइ इस हार
को नहीं सह पाने के कारण बालाजी की मृत्यु 1761 में हो गई।
 माधिराि नारायण प्रथम 1761 ई. में पेशवा बना इसने मराठों की खोई हुई प्रबतष्ठा को पनु ः प्राप्त करने
का प्रयास बकया।
 माधिराि ने इस्ट आवं डया कंपनी की पेंशन पर रह रहे मुगल बादशाह शाह ऄलम वद्वतीय को पुनः
वदल्ली की गद्दी पर बैठाया मुगल बादशाह ऄब मराठों का पेंशनभोगी बन गया।

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 पेशवा नारायण राव की हत्या ईसके चाचा रघुनाथ राि के द्वारा कर दी गई।
 पेशिा माधिराि नारायण वद्वतीय की अल्पायु के कारण मराठा राज्य की देखरे ख बारह भाइ सभा
नाम के 12 सदस्यों की एक पररषद करती थी इस पररषद के दो महत्िपण ू ा सदस्य थे महादजी
वसंवधया एिं नाना फडणिीस।
 नाना फडणिीस को मराठों का मैवकयािेली कहा जाता है।
 अबिं तम पेशिा राघोबा का पुत्र बाजीराि वद्वतीय था जो अग्रिं ेजों की सहायता से पेशवा बना था।
 मराठों के पतन में सिाावधक योगदान बाजीराि वद्वतीय का था । यह सहायक सवं ध स्िीकार करने
िाला प्रथम मराठा सरदार था।
 प्रथम अग्ं ल मराठा युद् 1775 से 82 ई. तक िला।
 इसके बाद 1776 इ. में परु ंदर की सवं ध हुई इसके तहत किंपनी ने रघनु ाथ राि के समथान को िापस
बलया।
 वद्वतीय अग्ं ल मराठा युद् 1803 से 5 ईसवी में हुआ।
 इसमें भोंसले ने ऄंग्रेजों को चुनौती दी इसके फलस्िरूप 7 वसतंबर 1803 को देिगांि की सवं ध हुई।
 तृतीय अग्ं ल मराठा युद् 1816 से 18 ई. में हुआ।
 आस युद् के बाद मराठा शवक्त और पेशिा के िंशानुगत पद को समाप्त कर वदया गया।
 पेशिा बाजीराि वद्वतीय ने कोरेगांि एिं ऄष्टी के युद् में हारने के बाद फरवरी 1818 इसी में मेल्कम
के सम्मुख अत्मसमपाण कर बदया।
 अग्रिं ेजों ने पेशिा के पद को समाप्त कर बाजीराि वद्वतीय को कानपुर के वनकट वबठूर में पेंशन पर
जीने के वलए भेज वदया यहािं 1853 इ. में आनकी मृत्यु हो गई।

ऄंग्रेज मराठा सघं षा के ऄंतगात होने िाली प्रमुख सवं धयां

संवधयां िषा संवधयां िषा


सूरत की संवध 1775 सुरजी ऄजाुन गांि की संवध 1803
पुरंदर की संवध 1776 राजापुर घाट की संवध 1804
बड़गांि की सवं ध 1779 नागपरु की सवं ध 1816
सालबाइ की संवध 1782 ग्िावलयर की संवध 1817
बसीन की सवं ध 1802 पणु े की सवं ध 1817
देिगांि की संवध 1803 मंडसौर की संवध 1818

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