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II गुरुदे व भगवान श्री नीमकरोली जी के आशीवााद से लोकर्पात II

I र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह I

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित


II ॐ II ॐ II ॐ II

卐 ॐ 卐
II गुरू ब्रह्मम गु रू डवष्णु, गुरु दे वो र्हे श्वरम II
II गुरु समिमत परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नर्: II
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II वक्रतुण्ड र्हमकमय सूयाकोडि सर्प्रभ II
II डनडवाघ्नं कुरु र्े दे व सवाकमये षु सवादम॥
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II ॐ गं गणपतये नर्: II
II ॐ हे र्वणमा यै ऋद्धये नर्: II
II ॐ सवाज्ञमनभूडषतमयै नर्: II
II ॐ सौभमग्य प्रदमय धन-धमन्ययु क्तमय िमभमय नर्: II

卐 ॐ 卐
II ॐ पूणमा य पू णार्दमय शुभमय नर्: II
II श्री डसध्धीडवनमयक नर्ो नर्: II
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ॐ भूभुाव: स्व: तत्सडवतुवारेण्यं
भगो दे वस्य धीर्डह डधयो यो न: प्रचोदयमत्। (11 बमर)
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ॐ त्र्यम्बकं यजमर्हे सुगन्धं पुडिवधानर्् ।
उवमा रुकडर्व बधनमन्मृत्योर्ुािीय र्मऽर्ृतमत् ॥ (11 बमर)
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ॐ नर्ः डशवमय -- (21 बमर)
ॐ नर्ो भगवते वमसुदेवमय -- (21 बमर)
ॐ श्री श्यमर् दे वमय नर्ः -- (21 बमर)

卐 ॐ 卐
ॐ श्री समईं नमथमय नर्ः -- (21 बमर)
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हरे रमर् हरे रमर् रमर् रमर् हरे हरे
हरे कृष्णम हरे कृष्णम कृष्णम कृष्णम हरे हरे -- (11 बमर)
हे रमर्, रमर्, रमर्, रमर्, रमर्, रमर्, रमर्, रमर्, रमर्, रमर् -- (5 बमर)
श्री रमर्, रमर्, रमर्, रमर्, रमर्, रमर्, रमर्, रमर्, रमर्, रमर् -- (5 बमर)
श्री रमर् जय रमर् जय जय रमर् -- (11 बमर)

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-2
II ॐ र्नोजवं र्मरुततुल्यवेगं डजतेन्न्द्रयं बुन्द्धर्तमं वररष्ठं ।

卐 ॐ 卐
वमतमत्मजं वमनरयूथर्ु ख्यं श्रीरमर्दू तं शरणं प्रपद्ये II

ॐ हं हनुर्त्ये नर्ो नर्ः ॥


श्री हनुर्त्ये नर्ो नर्ः ॥
जय जय हनुर्त्ये नर्ो नर्ः ॥
श्री रमर् दु तमय नर्ो नर्ः ॥

॥ ॐ हं हनु र्ते रुद्रमत्मकमय हं फि् ॥

ॐ र्हमबिमय वीरमय डचरं डजवीन उद्दते।


हमररणे वज्र दे हमय चोिंन्ितर्हमव्यये।।

हनुर्मनञ्जनसूनुवमा युपुत्रो र्हमबिः ।

卐 ॐ 卐
रमर्ेिः फमल्गुनसखः डपङ्गमिोऽडर्तडवक्रर्ः ॥१॥
उदडधक्रर्णश्चै व सीतमशोकडवनमशनः ।
िक्ष्मणप्रमणदमतमश्च दशग्रीवस्य दपाहम ॥२॥

ॐ हनु र्मन ॥
ॐ अंजनीसुत ॥
ॐ वमयुपुत्र ॥
ॐ र्हमबि ॥
ॐ रमर्ेि ॥
ॐ फमल्गुनसखम ॥
ॐ डपंगमि ॥

卐 ॐ 卐
ॐ अडर्तडवक्रर् ॥
ॐ उदडधक्रर्ण ॥
ॐ सीतमशोकडवनमशन ॥
ॐ िक्ष्मण प्रमणदमतम ॥
ॐ दशग्रीवदपा हम ॥
ॐ हं हनुर्त्ये नर्ो नर्ः

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-3
श्री हनुमान चालीसा

卐 ॐ 卐 दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, डनजर्न र्ु कुरु सुधमरर।
बरनउं रघुबर डबर्ि जसु, जो दमयक फि चमरर।।
बुन्द्धहीन तनु जमडनके, सुडर्रौं पवन-कुर्मर।
बि बुडध डबद्यम दे ह र्ोडहं , हरह किेस डबकमर।।

चौपाई
जय हनु र्मन ज्ञमन गुन समगर। जय कपीस डतहं िोक उजमगर।।
रमर् दू त अतुडित बि धमर्म। अंजडन-पु त्र पवनसुत नमर्म।।
र्हमबीर डबक्रर् बजरं गी। कुर्डत डनवमर सु र्डत के संगी।।

卐 ॐ 卐
कंचन बरन डबरमज सुबेसम। कमनन कुण्डि कुुँडचत केसम।।
हमथ बज्र औ ध्वजम डबरमजे। कमं धे र्ूंज जने उ समजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन। ते ज प्रतमप र्हम जग वंदन।।
डबद्यमवमन गुनी अडत चमतुर। रमर् कमज कररबे को आतुर।।
प्रभु चररत्र सुडनबे को रडसयम। रमर् िखन सीतम र्न बडसयम।।
सूक्ष्म रूप धरर डसयडहं डदखमवम। डबकि रूप धरर िंक जरमवम।।
भीर् रूप धरर असुर सं हमरे । रमर्चन्द्र के कमज संवमरे ।।
िमय सजीवन िखन डजयमये। श्री रघुबीर हरडष उर िमये।।
रघुपडत कीन्ही बहत बडमई। तुर् र्र् डप्रय भरतडह सर् भमई।।
सहस बदन तु म्हरो जस गमवैं। अस कडह श्रीपडत कण्ठ िगमवैं।।
सनकमडदक ब्रह्ममडद र्ुनीसम। नमरद समरद सडहत अहीसम।।

卐 ॐ 卐
जर् कुबे र डदगपमि जहमं ते। कडब कोडबद कडह सके कहमं ते।।
तुर् उपकमर सु ग्रीवडहं कीन्हम। रमर् डर्िमय रमज पद दीन्हम।।
तुम्हरो र्ंत्र डबभीषन र्मनम। िंकेश्वर भए सब जग जमनम।।
जुग सहस्र जोजन पर भमनु । िील्यो तमडह र्धुर फि जमनू ।।
प्रभु र्ुडद्रकम र्ेडि र्ुख र्महीं। जिडध िमं डघ गये अचरज नमहीं।।
दु गार् कमज जगत के जे ते। सु गर् अनुग्रह तु म्हरे तेते।।
रमर् दु आरे तुर् रखवमरे । होत न आज्ञम डबनु पै समरे ।।

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-4
सब सुख िहै तुम्हमरी सरनम। तुर् रच्छक कमहू को िर नम।।

卐 ॐ 卐
आपन तेज सम्हमरो आपै। तीनों िोक हमं क तें कमं पै।।
भूत डपसमच डनकि नडहं आवै। र्हमबीर जब नमर् सुनमवै।।
नमसै रोग हरे सब पीरम। जपत डनरन्तर हनु र्त बीरम।।
संकि तें हनुर्मन छु डमवै। र्न क्रर् बचन ध्यमन जो िमवै।।
सब पर रमर् तपस्वी रमजम। डतन के कमज सकि तुर् समजम।।
और र्नोरथ जो कोई िमवै। सोई अडर्त जीवन फि पमवै।।
चमरों जुग परतमप तुम्हमरम। है परडसद्ध जगत उडजयमरम।।
समधु संत के तु र् रखवमरे ।। असुर डनकन्दन रमर् दु िमरे ।।
अिडसन्द्ध नौ डनडध के दमतम। अस बर दीन जमनकी र्मतम।।
रमर् रसमयन तु म्हरे पमसम। सदम रहो रघुपडत के दमसम।।
तुह्मरे भजन रमर् को पमवै। जनर् जनर् के दु ख डबसरमवै।।

卐 ॐ 卐
अंत कमि रघुबर पु र जमई। जहमं जन्म हररभक्त कहमई।।
और दे वतम डचत्त न धरई। हनु र्त सेइ सबा सु ख करई।।
सङ्कि किै डर्िै सब पीरम। जो सुडर्रै हनु र्त बिबीरम।।
जय जय जय हनुर्मन गोसमईं। कृपम करह गुरुदे व की नमईं।।
जो सत बमर पमठ कर कोई। छूिडह बन्न्द र्हम सुख होई।।
जो यह पढै हनु र्मन चमिीसम। होय डसन्द्ध समखी गौरीसम।।
तुिसीदमस सदम हरर चेरम। कीजै नमथ हृदय र्हं िे रम।।

दोहा
पवनतनय सं कि हरन, र्ं गि र्ूरडत रूप।
रमर् िखन सीतम सडहत, हृदय बसह सु र भू प।।
जय श्रीरमर्, जय वीर हनु र्मन, जय बजरं ग बिीहनुर्मन।

卐 ॐ 卐
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जय जगन्नमथ II जय जगन्नमथ II जय जगन्नमथ II


जगन्नमथः स्वमर्ी नयन पथ गमर्ी भवतु र्े II

नर्स्तेस्तु र्हमर्मये, श्रीपीठे सु रपूडजते |


शंखचक्रगदमहस्ते , र्हमिक्ष्मी नर्ोस्तुते || १ ||

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-5
नर्स्ते गरुिमरूढे , कोिमसुरभयंकरी |

卐 ॐ 卐
सवापमपहरे दे वी र्हमिक्ष्मी नर्ोस्तुते || २ ||

सरस्वती वंदना
यम कुन्दे न्दु तुषमरहमर धविम यम शुभ्रवस्त्रमवृतम।
यम वीणमवर दण्डर्न्ण्डतकरम यम श्वेतपद्ममसनम॥
यम ब्रह्ममच्युतशं कर प्रभृडतडभदें वै: सदम वन्न्दतम।
सम र्मं पमतु सरस्वती भगवती डनः शेषजमड्यमपहम॥

शुक्मं ब्रह्मडवचमरसमरपरर्मर्मद्यमं जगद्व्यमडपनीं I


वीणमपुस्तकधमररणीर्भयदमं जमड्यमधकमरमपहमर्् II
हस्ते स्फमडिकर्मडिकमं च दधतीं पद्ममसने संन्थथतमं I

卐 ॐ 卐
वन्दे तमं परर्ेश्वरीं भगवतीं बुन्द्धप्रदमं शमरदमर्् II

ॐ सवार्ंगिर्मं गल्ये डशवे सवमा थासमडधके ।


शरण्ये त्र्यम्बके गौरर नमरमयडण नर्ोऽस्तु ते ॥

यम दे वी सवाभूतेषु शन्क्त रूपे ण संन्थथतम। नर्स्तस्यै नर्स्तस्यै नर्स्तस्यै नर्ो नर्:।।


यम दे वी सवा भूतेषू र्मतृ रूपे ण संन्थथतम । नर्स्तस्यै-नर्स्तस्यै-नर्स्तस्यै नर्ो नर्: ।।

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॥ अगाला स्तोत्र ॥
डवडनयोग – ॐ अस्य श्रीअगािमस्तोत्रर्न्त्रस्य डवष्णुऋाडषः , अनु ष्िु प् छन्दः ,
श्रीर्हमिक्ष्मीदे वतम, श्रीजगदम्बमप्रीतये सप्तशतीपमठमङ्गत्वे न जपे डवडनयोगः ॥

卐 ॐ 卐
ॐ नर्श्चन्ण्डकमयै ॥ [र्मकाण्डे य उवमच]

ॐ जयन्ती र्ङ्गिम कमिी भद्रकमिी कपमडिनी ।


दु गमा िर्म डशवम धमत्री स्वमहम स्वधम नर्ोऽस्तु ते ॥ 1 ॥

जय त्वं दे डव चमर्ुण्डे जय भूतमडताहमररडण ।


जय सवागते दे डव कमिरमडत्र नर्ोऽस्तु ते ॥ 2 ॥

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-6
र्धुकैिभडवद्रमडवडवधमतृवरदे नर्ः ।

卐 ॐ 卐
रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 3 ॥

र्डहषमसुरडनणमा डश भक्तमनमं सु खदे नर्ः ।


रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 4 ॥

रक्तबीजवधे दे डव चण्डर्ुण्डडवनमडशडन ।
रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 5 ॥

शुम्भस्यैव डनशु म्भस्य धूम्रमिस्य च र्डदा डन ।


रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 6 ॥

वन्न्दतमङ्घ्डियुगे दे डव सवासौभमग्यदमडयडन ।
रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 7 ॥

卐 ॐ 卐
अडचन्त्यरूपचररते सवाशत्रुडवनमडशडन ।
रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 8 ॥

नतेभ्यः सवादम भक्त्यम चन्ण्डके दु ररतमपहे ।


रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 9 ॥

स्तुवद्भ्यो भन्क्तपूवं त्वमं चन्ण्डके व्यमडधनमडशडन ।


रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 10 ॥

चन्ण्डके सततं ये त्वमर्चायन्तीह भन्क्ततः ।


रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 11 ॥

दे डह सौभमग्यर्मरोग्यं दे डह र्े परर्ं सुखर्् ।

卐 ॐ 卐
रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 12 ॥

डवधेडह डद्वषतमं नमशं डवधेडह बिर्ुच्चकैः ।


रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 13 ॥

डवधेडह दे डव कल्यमणं डवधेडह परर्मं डश्रयर्् ।


रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 14 ॥

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-7
सुरमसुरडशरोरत्नडनघृिचरणेऽन्म्बके ।

卐 ॐ 卐
रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 15 ॥

डवद्यमवन्तं यशस्वन्तं िक्ष्मीवन्तं जनं कुरु ।


रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 16 ॥

प्रचण्डदै त्यदपा घ्ने चन्ण्डके प्रणतमय र्े ।


रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 17 ॥

चतुभुाजे चतुवाक्त्रसंस्तुते परर्े श्वरर ।


रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 18 ॥

कृष्णेन सं स्तुते दे डव शश्वद्भक्त्यम सदमन्म्बके ।


रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 19 ॥

卐 ॐ 卐
डहर्मचिसुतमनमथसंस्तुते परर्े श्वरर ।
रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 20 ॥

इन्द्रमणीपडतसद्भमवपूडजते परर्ेश्वरर ।
रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 21 ॥

दे डव प्रचण्डदोदा ण्डदै त्यदपाडवनमडशडन ।


रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 22 ॥

दे डव भक्तजनोद्दमर्दत्तमनन्दोदयेऽन्म्बके ।
रूपं दे डह जयं दे डह यशो दे डह डद्वषो जडह ॥ 23 ॥

पत्नीं र्नोरर्मं दे डह र्नोवृत्तमनु समररणीर्् ।

卐 ॐ 卐
तमररणीं दु गासंसमरसमगरस्य कुिोद्भवमर्् ॥ 24 ॥

इदं स्तोत्रं पडठत्वम तु र्हमस्तोत्रं पठे न्नरः ।


स तु सप्तशतीसंख्यमवरर्मप्नोडत सम्पदमर्् ॥ ॐ ॥

॥ अगािम स्तोत्र सम्पूणा ॥

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-8
श्री दु गाा चालीसा

卐 ॐ 卐
नर्ो नर्ो दु गे सुख करनी । नर्ो नर्ो अम्बे दु ः ख हरनी ॥
डनरं कमर है ज्योडत तुम्हमरी । डतहूुँ िोक फैिी उडजयमरी ॥
शडश ििमि र्ु ख र्हमडवशमिम । नेत्र िमि भृ कुिी डबकरमिम ॥
रूप र्मतु को अडधक सुहमवे । दरश करत जन अडत सुख पमवे ॥
तुर् संसमर शन्क्त िय कीनम । पमिन हे तु अन्न धन दीनम ॥
अन्नपूणमा तुर् जग पमिम । तु र् ही आडद सु न्दरी बमिम ॥
प्रियकमि सब नमशनहमरी । तुर् गौरी डशवशंकर प्यमरी ॥
डशव योगी तुम्हरे गुन गमवें । ब्रह्मम डवष्णु तुम्हें डनत ध्यमवें ॥
रूप सरस्वती कम तुर् धमरम । दे सुबुडध ऋडष-र्ुडनन उबमरम ॥
धर्यो रूप नरडसंह को अम्बम । परगि भईं फमड कर खम्बम ॥
रिम करर प्रहिमद बचमयो । डहरनमकुश को स्वगा पठमयो ॥

卐 ॐ 卐
िक्ष्मी रूप धरो जग जमनी । श्री नमरमयण अं ग सर्मनी ॥
िीरडसधु र्ें करत डबिमसम । दयमडसधु दीजै र्न आसम ॥
डहं गिमज र्ें तु म्हीं भवमनी । र्डहर्म अडर्त न जमत बखमनी ॥
र्मतंगी धूर्मवडत र्मतम । भुवने श्वरर बगिम सु खदमतम ॥
श्री भैरव तमरम जग-तमररडण । डछन्न-भमि भव-दु ः ख डनवमररडण ॥
केहरर वमहन सोह भवमनी । िमं गुर वीर चित अगवमनी ॥
कर र्ें खप्पर-खि् ग डबरमजै । जमको दे ख कमि िर भमजै ॥
सोहै अस्त्र डवडवध डत्रशूिम । जमते उठत शत्रु डहय शूिम ॥
नगरकोि र्ें तु म्हीं डबरमजत । डतहूुँ िोक र्ें िं कम बमजत ॥
शुम्भ डनशुम्भ दमनव तुर् र्मरे । रक्तबीज-सं खन संहमरे ॥
र्डहषमसुर नृ प अडत अडभर्मनी । जेडह अघ भमर र्ही अकुिमनी ॥

卐 ॐ 卐
रूप करमि कमडिकम धमरम । सेन सडहत तु र् तेडह संहमरम ॥
परी गमढ सन्तन पर जब-जब । भई सहमय र्मतु तुर् तब तब ॥
अर्र पु री अरू बमसव िोकम । तव र्डहर्म सब रहें अशोकम ॥
ज्वमिम र्ें है ज्योडत तुम्हमरी । तुम्हें सदम पूजें नर-नमरी ॥
प्रेर् भन्क्त से जो यश गमवै । दु ख-दमररद्र डनकि नडहं आवै ॥
ध्यमवे तुम्हें जो नर र्न िमई । जन्म-र्रण तम कौ छु डि जमई ॥
योगी सुर-र्ुडन कहत पु कमरी । योग न हो डबन शन्क्त तुम्हमरी ॥

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-9
शंकर आचमरज तप कीनो । कमर्-क्रोध जीडत डतन िीनो ॥

卐 ॐ 卐
डनडशडदन ध्यमन धरो शं कर को । कमहू कमि नडहं सुडर्रो तु र्को ॥
शन्क्त रूप को र्रर् न पमयो । शन्क्त गई तब र्न पडछतमयो ॥
शरणमगत ह्वै कीडता बखमनी । जय जय जय जगदम्ब भवमनी ॥
भई प्रसन्न आडद जगदम्बम । दई शन्क्त नडहं कीन डविम्बम ॥
र्ोको र्मतु कि अडत घेरो । तुर् डबन कौन हरे दु ख र्े रो ॥
आशम तृष्णम डनपि सतमवैं । ररपु र्ू रख र्ोडह अडत दर पमवे॥
शत्रु नमश कीजै र्हरमनी । सुडर्रौं इकडचत तु म्हें भवमनी ॥
करह कृपम हे र्मतु दयमिम । ऋन्द्ध-डसन्द्ध दै करह डनहमिम ॥
जब िग डजओं दयम फि पमवौं । तुम्हरो यश र्ैं सदम सुनमवौं ॥
दु गमा चमिीसम जो कोई गमवै । सब सुख भोग परर्पद पमवै ॥
दे वीदमस शरण डनज जमनी । करह कृपम जगदम्ब भवमनी ॥

卐 ॐ 卐
॥इडत श्रीदु गमा चमिीसम सम्पूणा ॥

ज़ोर से बोिो ~ जय र्मतम दी शेरमवमिी र्मतम तेरी सदम ही जय ॥

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ॐ यिमय कुबे रमय वैश्रवणमय धनधमन्यमडधपतये ,


धनधमन्यसर्ृन्द्धं र्े दे डह दमपय स्वमहम॥ (11 बमर)

ॐ श्रीं ह्ीं श्रीं कर्िे कर्िमिये प्रसीद प्रसीद


ॐ श्रीं ह्ीं श्रीं र्हमिक्ष्मयै नर्:॥ (8 बमर)

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卐 ॐ 卐
श्री नरर्संह कवच
डवनयोग: ॐ अस्य श्रीिक्ष्मीनृडसंह कवच र्हमर्ंत्रस्य,
ब्रह्ममडऋषः , अनुष्िु प् छन्दः , श्रीनृडसंहोदे वतम,
ॐ िौ बीजर््, ॐ रौं शन्क्तः , ॐ ऐं क्ीं कीिकर््
र्र् सवा रोग, शत्रु, चौर, पन्नग, व्यमि, वृडश्चक, भूत-प्रेत, डपशमच, िमडकनी-
शमडकनी, यन्त्र र्ंत्रमडद, सवा डवघ्न डनवमरमणमथे श्री नृडसहं कवचर्हमर्ंत्र जपे डवनयोगः ।।
(एक आचर्न जि छोड दें )

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-10
अथ ऋष्यमडदन्यमस –

卐 ॐ 卐
ॐ ब्रह्ममऋषये नर्ः डशरडस। ॐ अनुष्िु प् छन्दसे नर्ो र्ुखे।
ॐ श्रीिक्ष्मी नृडसंह दे वतमये नर्ो हृदये।
ॐ िौं बीजमय नर्ोनमभ्यमर््। ॐ शक्तये नर्ः कडिदे शे।
ॐ ऐं क्ीं कीिकमय नर्ः पमदयोः ।
ॐ श्रीनृडसंह कवचर्हमर्ंत्र जपे डवनयोगमय नर्ः सवमा ङ्गे॥

अथ करन्यमस
ॐ िौं अगुष्ठमभ्यमं नर्ः । ॐ प्रौं तजानीभ्यमं नर्ः ।
ॐ ह्ौं र्ध्यर्मभयमं नर्ः । ॐ रौं अनमडर्कमभ्यमं नर्ः ।
ॐ ब्रौं कडनडष्ठकमभ्यमं नर्ः । ॐ जौं करतिकर पृ ष्ठमभ्यमं नर्ः ।

अथ हृदयमडदन्यमस

卐 ॐ 卐
ॐ िौ हृदयमय नर्ः । ॐ प्रौं डशरसे स्वमहम। ॐ ह्ौं डशखमयै वषि् ।
ॐ रौं कवचमय हर््। ॐ ब्रौं ने त्रत्रयमय वौषि् । ॐ जौं अस्त्रमय फि् ।

नृडसंह ध्यमन –
ॐ सत्यं ज्ञमन सुखस्वरूप र्र्िं िीरमन्ि र्ध्ये न्थथत्। योगमरूढर्डत प्रसन्नवदनं भूषम
सहस्रोज्विर््। तीक्ष्णं चक्र पीनमक शमयकवरमन् डवभ्रमणर्काच्छडव। छडत्र
भूतफडणन्द्रडर्न्दु धविं िक्ष्मी नृडसंह भजे॥

कवच पमठ
ॐ नर्ोनृडसंहमय सवा दु ि डवनमशनमय सवंजन र्ोहनमय सवारमज्यवश्यं कुरु कुरु स्वमहम।
ॐ नर्ो नृडसंहमय नृडसंहरमजमय नरकेशमय नर्ो नर्स्ते ।
ॐ नर्ः कमिमय कमि द्रिरमय करमि वदनमय च।

卐 ॐ 卐
ॐ उग्रमय उग्र वीरमय उग्र डवकिमय उग्र वज्रमय वज्र दे डहने रुद्रमय रुद्र घोरमय भद्रमय
भद्रकमररणे ॐ ज्रीं ह्ीं नृडसंहमय नर्ः स्वमहम !!ॐ नर्ो नृडसंहमय
कडपिमय कडपि जिमय अर्ोघवमचमय सत्यं सत्यं व्रतं र्होग्र प्रचण्ड रुपमय।

ॐ ह्मं ह्ीं ह्ौं ॐ ह्ुं ह्ुं ह्ुं ॐ क्ष्मं क्ष्ीं क्ष्ौं फि् स्वमहम।

ॐ नर्ो नृडसंहमय कडपि जिमय र्र्ः सवा रोगमन् बध बध, सवा ग्रहमन
बध बध, सवा दोषमदीनमं बध बध, सवा वृडश्चकमडदनमं डवषं बध बध,

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-11
सवा भूत प्रेत, डपशमच, िमडकनी शमडकनी, यंत्र र्ंत्रमदीन् बध बध,

卐 ॐ 卐
कीिय कीिय चूणाय चूणाय, र्दा य र्दा य, ऐं ऐं एडह एडह,
र्र् येये डवरोडधन्स्तमन् सवमा न् सवातो हन हन, दह दह,
र्थ र्थ, पच पच, चक्रेण, गदम, वज्रेण भष्मी कुरु कुरु स्वमहम।
ॐ क्ीं श्रीं ह्ीं ह्ीं क्ष्ीं क्ष्ीं क्ष्ौं नृडसंहमय नर्ः स्वमहम।
ॐ आं ह्ीं क्ष्ौं क्रौं ह्ुं फि् ।
ॐ नर्ो भगवते सुदशान नृडसं हमय र्र् डवजय रुपे कमये ज्वि ज्वि
प्रज्वि प्रज्वि असमध्यर्े नकमया शीिं समधय समधय

एनं सवा प्रडतबधकेभ्यः सवातो रि रि हं फि् स्वमहम।

ॐ िौं नर्ो भगवते नृडसंहमय एतद्दोषं प्रचण्ड चक्रेण जडह जडह स्वमहम।
ॐ नर्ो भगवते र्हमनृडसंहमय करमि वदन दं िरमय र्र् डवघ्नमन् पच पच स्वमहम।

卐 ॐ 卐
ॐ नर्ो नृडसंहमय डहरण्यकश्यप विथथि डवदमरणमय डत्रभुवन व्यमपकमय भूत-प्रेत डपशमच
िमडकनी-शमडकनी कमिनोन्मूिनमय र्र् शरीरं स्तम्भोद्भव सर्स्त दोषमन्
हन हन, शर शर, चि चि, कम्पय कम्पय, र्थ र्थ, हं फि् ठः ठः ।
ॐ नर्ो भगवते भो भो सुदशा न नृडसंह ॐ आं ह्ीं क्रौं क्ष्ौं हं फि् ।
ॐ सहस्त्रमर र्र् अंग वतार्मन र्र्ुक रोगं दमरय दमरय दु ररतं हन हन पमपं
र्थ र्थ आरोग्यं कुरु कुरु ह्मं ह्ीं ह्ुं ह्ैं ह्ौं ह्ुं ह्ुं फि् र्र् शत्रु
हन हन डद्वष डद्वष तद पचयं कुरु कुरु र्र् सवमा थं समधय समधय।

ॐ नर्ो भगवते नृडसंहमय

ॐ क्ष्ौं क्रौं आं ह्ीं क्ीं श्रीं रमं थरें ब्ुं यं रं िं वं षं स्त्रमं हं फि् स्वमहम।
ॐ नर्ः भगवते नृडसंहमय नर्स्तेजस्तेजसे अडवरमडभभाव वज्रनख

卐 ॐ 卐
वज्रदं िर कर्मा शयमन् रं धय रं धय तर्ो ग्रस ग्रस ॐ स्वमहम।
अभयर्भयमत्मडन भूडयष्ठमः ॐ िौर््। ॐ नर्ो भगवते
तुभ्य पुरुषमय र्हमत्मने हररं ऽद् भुत डसंहमय ब्रह्मणे परर्मत्मने।

ॐ उग्रं उग्रं महार्वष्ुं सकलाधारं सवातोमुखम्।


नृर्संह भीषणं भद्रं मृत्युं मृत्युं नमाम्यहम्। -- (5 बार)

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-12
ब्रह्मम र्ुरमरी डत्रपुरमं तकमरी भमनु: शडश भूडर् सुतो बुधश्च।

卐 ॐ 卐
गुरुश्च शुक्र शडन रमह केतव सवे ग्रहम शमं डत करम भवंतु॥

सोर्वमर

॥ र्शवजी की आरती ॥
ॐ जय डशव ओंकमरम,स्वमर्ी जय डशव ओंकमरम।
ब्रह्मम, डवष्णु, सदमडशव,अद्धमं गी धमरम॥ ॐ जय डशव…॥

एकमनन चतुरमनन पंचमनन रमजे ।


हं समनन गरुडमसन वृषवमहन समजे ॥ ॐ जय डशव…॥

卐 ॐ 卐
दो भुज चमर चतुभुाज दस भुज अडत सोहे ।
डत्रगुण रूपडनरखतम डत्रभुवन जन र्ोहे ॥ ॐ जय डशव…॥

अिर्मिम बनर्मिम रुण्डर्मिम धमरी ।


चंदन र्ृगर्द सोहै भमिे शडशधमरी ॥ ॐ जय डशव…॥

श्वेतमम्बर पीतमम्बर बमघम्बर अंगे ।


सनकमडदक गरुणमडदक भूतमडदक संगे ॥ ॐ जय डशव…॥

कर के र्ध्य कर्ंििु चक्र डत्रशूि धतमा ।


जगकतमा जगभतमा जगसंहमरकतमा ॥ ॐ जय डशव…॥

ब्रह्मम डवष्णु सदमडशव जमनत अडववेकम ।

卐 ॐ 卐
प्रणवमिर र्ध्ये ये तीनों एकम ॥ ॐ जय डशव…॥

कमशी र्ें डवश्वनमथ डवरमजत नन्दी ब्रह्मचमरी ।


डनत उडठ भोग िगमवत र्डहर्म अडत भमरी ॥ ॐ जय डशव…॥

डत्रगुण डशवजीकी आरती जो कोई नर गमवे ।


कहत डशवमनन्द स्वमर्ी र्नवमं डछत फि पमवे ॥ ॐ जय डशव…॥

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-13
र्ंगिवमर व शडनवमर

卐 ॐ 卐 ॥ श्री हनुमान जी की आरती ॥

आरती कीजै हनुर्मन ििम की । दु ि दिन रघुनमथ किम की ॥

जमके बि से डगरवर कमुँ पे । रोग-दोष जमके डनकि न झमुँ के ॥

अंजडन पुत्र र्हम बिदमई । संतन के प्रभु सदम सहमई ॥

दे वीरम रघुनमथ पठमए । िंकम जमरर डसयम सुडध िमये ॥

िंकम सो कोि सर्ुद्र सी खमई । जमत पवनसु त बमर न िमई ॥

卐 ॐ 卐
िंकम जमरर असुर संहमरे । डसयमरमर् जी के कमज सुँवमरे ॥

पैडठ पतमि तोरर जर्कमरे । अडहरमवण की भुजम उखमरे ॥

बमईं भुजम असु र दि र्मरे । दमडहने भुजम संतजन तमरे ॥

सुर-नर-र्ुडन जन आरती उतरें । जय जय जय हनु र्मन उचमरें ॥

कंचन थमर कपू र िौ छमई । आरती करत अंजनम र्मई ॥

जो हनुर्मनजी की आरती गमवे । बसडहं बै कुंठ परर् पद पमवे ॥

िंक डवध्वंस डकये रघुरमई । तुिसीदमस स्वमर्ी कीडता गमई ॥

आरती कीजै हनुर्मन ििम की । दु ि दिन रघुनमथ किम की ॥

卐 ॐ 卐
॥ इडत संपूणंर्् ॥

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-14
बुधवमर

卐 ॐ 卐 आरती: श्री गणेश जी


जय गणेश जय गणेश, जय गणेश दे वम ।
र्मतम जमकी पमवाती, डपतम र्हमदे वम ॥

एक दं त दयमवंत, चमर भुजम धमरी ।


र्मथे डसंदूर सोहे , र्ूसे की सवमरी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश दे वम ।


र्मतम जमकी पमवाती, डपतम र्हमदे वम ॥

पमन चढे फि चढे , और चढे र्ेवम ।

卐 ॐ 卐
िि् िुअन कम भोग िगे, संत करें सेवम ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश दे वम ।


र्मतम जमकी पमवाती, डपतम र्हमदे वम ॥

अंधन को आं ख दे त, कोडढन को कमयम ।


बमं झन को पु त्र दे त, डनधान को र्मयम ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश दे वम ।


र्मतम जमकी पमवाती, डपतम र्हमदे वम ॥

'सूर' श्यमर् शरण आए, सफि कीजे सेवम ।


र्मतम जमकी पमवाती, डपतम र्हमदे वम ॥

卐 ॐ 卐
दीनन की िमज रखो, शंभु सुतकमरी ।
कमर्नम को पू णा करो, जमऊं बडिहमरी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश दे वम ।


र्मतम जमकी पमवाती, डपतम र्हमदे वम ॥

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-15
सुखकतमा दु खहतमा वमतमा डवघ्नमची। नुरवी पु रवी प्रेर् कृपम जयमची॥

卐 ॐ 卐
सवमं गी सुंदर उिी शेंदुरमची। कंठी झळके र्मळ र्ु क्तमफळमं ची॥
जय दे व, जय दे व, जय र्ंगिर्ूती, हो श्री र्ं गिर्ूती
दशानर्मत्रे र्न कमर्नमपुती
् जय दे व, जय दे व

रत्नखडचत फरम तूज गौरीकुर्रम। चंदनमची उिी कुंकुर् केशरम।


डहरे जडडत र्ु कुि शोभतो बरम। रुणझुणती नूपुरे चरणी घमगरीयम॥
जय दे व, जय दे व

िंबोदर पीतमं बर फणीवर बंधनम। सरळ सोंि वक्रतुण्ड डत्रनयनम।


दमस रमर्मचम वमि पमहे सदनम। संकिी पमवमवें, डनवमा णी रिमवे, सुरवरवंदनम॥
जय दे व, जय दे व

卐 ॐ 卐
जय दे व, जय दे व, जय र्ंगिर्ूती, हो श्री र्ं गिर्ूती
दशानर्मत्रे र्न कमर्नमपुती
् जय दे व, जय दे व

घमिीन िोिमं गण, वंडदन चरण। िोळ्मं नी पमडहन रूप तुझे।


प्रेर्े आडिंगीन आनंदे पुडजन। भमवें ओवमडळन म्हणे नमर्म॥

त्वर्ेव र्मतम च डपतम त्वर्ेव, त्वर्ेव बंधुश्च सखम त्वर्ेव॥


त्वर्ेव डवद्यम द्रडवणं त्वर्ेव, त्वर्ेव सवा र्र् दे वदे व॥

कमयेन वमचम र्नसेंडद्रयैवमा , बुध्दमत्मनम वम प्रकृडतस्वभमवमत्।


करोडर् यद्यत् सकिं परस्मै नमरमयणमयेडत सर्पायमडर्॥

अच्युतं केशवं रमर्नमरमयणं , कृष्णदमर्ोदरं वमसुदेवं हरर।


श्रीधरं र्मधवं गोडपकमवल्लभं , जमनकीनमयकं रमर्चंद्रं भजे॥

卐 ॐ 卐
हरे रमर् हरे रमर्, रमर् रमर् हरे हरे ।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे ॥

सुखकतमा दु खहतमा वमतमा डवघ्नमची। नुरवी पु रवी प्रेर् कृपम जयमची॥


जय दे व, जय दे व, जय र्ंगिर्ूती, हो श्री र्ं गिर्ूती
दशानर्मत्रे र्न कमर्नमपुती
् जय दे व, जय दे व

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-16
गुरुवमर व रडववमर

卐 ॐ 卐 श्री र्वष्ु जी की आरती ॥

ॐ जय जगदीश हरे , स्वमर्ी जय जगदीश हरे ।


भक्त जनों के संकि, दमस जनों के संकि, िण र्ें दू र करे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे ..॥

जो ध्यमवे फि पमवे, दु ः ख डबनसे र्न कम,


स्वमर्ी दु ः ख डबनसे र्न कम । सुख सम्पडत घर आवे,
सुख सम्पडत घर आवे, कि डर्िे तन कम ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे ..॥

र्मत डपतम तुर् र्ेरे, शरण गहूं डकसकी,

卐 ॐ 卐
स्वमर्ी शरण गहूं र्ैं डकसकी । तुर् डबन और न दू जम,
तुर् डबन और न दू जम, आस करू
ं र्ैं डजसकी ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे ..॥

तुर् पू रण परर्मत्मम, तुर् अन्तयमा र्ी, स्वमर्ी तुर् अन्तयमा र्ी ।


पमरब्रह्म परर्ेश्वर, पमरब्रह्म परर्ेश्वर, तुर् सब के स्वमर्ी ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे ..॥

तुर् करुणम के समगर, तुर् पमिनकतमा , स्वमर्ी तुर् पमिनकतमा ।


र्ैं र्ू रख फिकमर्ी, र्ैं सेवक तुर् स्वमर्ी, कृपम करो भतमा ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे ..॥

तुर् हो एक अगोचर, सबके प्रमणपडत, स्वमर्ी सबके प्रमणपडत ।


डकस डवडध डर्िूं दयमर्य, डकस डवडध डर्िूं दयमर्य, तुर्को र्ैं कुर्डत ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे ..॥

दीन-बधु दु ः ख-हतमा , ठमकुर तु र् र्े रे, स्वमर्ी रिक तु र् र्े रे ।

卐 ॐ 卐
अपने हमथ उठमओ, अपने शरण िगमओ, द्वमर पडम तेरे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे ..॥

डवषय-डवकमर डर्िमओ, पमप हरो दे वम, स्वर्ी पमप(कि) हरो दे वम ।


श्रद्धम भन्क्त बढमओ, श्रद्धम भन्क्त बढमओ, सन्तन की सेवम ॥ ॐ जय जगदीश हरे ..॥

ॐ जय जगदीश हरे , स्वमर्ी जय जगदीश हरे ।


भक्त जनों के संकि, दमस जनों के संकि, िण र्ें दू र करे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे ..॥

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-17
शुक्रवमर

卐 ॐ 卐 श्री महालक्मी जी की आरती


र्हमिक्ष्मी नर्स्तुभ्यं, नर्स्तु भ्यं सुरेश्वरर । हरर डप्रये नर्स्तु भ्यं, नर्स्तुभ्यं दयमडनधे ॥
पद्ममिये नर्स्तु भ्यं, नर्स्तुभ्यं च सवादे । सवा भूत डहतमथमा य, वसु सृडिं सदम कुरुं ॥

ॐ जय िक्ष्मी र्मतम, र्ैयम जय िक्ष्मी र्मतम ।


तुर्को डनसडदन सेवत, हर डवष्णु डवधमतम ॥ ॐ जय िक्ष्मी र्मतम...॥

उर्म, रर्म, ब्रम्हमणी, तुर् ही जग र्मतम ।


सूया चद्रं र्म ध्यमवत, नमरद ऋडष गमतम ॥ ॐ जय िक्ष्मी र्मतम...॥

दु गमा रुप डनरं जडन, सुख-संपडत्त दमतम ।

卐 ॐ 卐
जो कोई तुर्को ध्यमतम, ऋन्द्ध-डसन्द्ध धन पमतम ॥ ॐ जय िक्ष्मी र्मतम...॥

तुर् ही पमतमि डनवमसनी, तुर् ही शुभदमतम ।


कर्ा-प्रभमव-प्रकमशनी, भव डनडध की त्रमतम ॥ॐ जय िक्ष्मी र्मतम...॥

डजस घर तुर् रहती हो, तमुँ डह र्ें हैं सद् गुण आतम ।
सब सभंव हो जमतम, र्न नहीं घबरमतम ॥ ॐ जय िक्ष्मी र्मतम...॥

तुर् डबन यज्ञ नम होतम, वस्त्र न कोई पमतम ।


खमन पमन कम वैभव, सब तुर्से आतम ॥ॐ जय िक्ष्मी र्मतम...॥

शुभ गुण र्ंडदर सुंदर, िीरोदडध जमतम ।


रत्न चतुदाश तु र् डबन, कोई नहीं पमतम ॥ ॐ जय िक्ष्मी र्मतम...॥

卐 ॐ 卐
र्हमिक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गमतम ।
उुँ र आं नद सर्मतम, पमप उतर जमतम ॥ ॐ जय िक्ष्मी र्मतम...॥

ॐ जय िक्ष्मी र्मतम, र्ैयम जय िक्ष्मी र्मतम ।


तुर्को डनसडदन सेवत, हर डवष्णु डवधमतम ॥ ॐ जय िक्ष्मी र्मतम...॥

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-18
संतोषी माता की आरती

卐 ॐ 卐
जय सन्तोषी र्मतम, र्ैयम जय सन्तोषी र्मतम । अपने सेवक जन की, सुख सम्पडत दमतम ॥
ॐ जय सन्तोषी र्मतम,॥
सुन्दर चीर सु नहरी, र्मं धमरण कीन्हो । हीरम पन्नम दर्के, तन श्रृंगमर िीन्हो ॥
ॐ जय सन्तोषी र्मतम,॥
गेरू िमि छिम छडब, बदन कर्ि सोहे । र्ंद हं सत करुणमर्यी, डत्रभुवन जन र्ोहे ॥
ॐ जय सन्तोषी र्मतम,॥
स्वणा डसंहमसन बैठी, चंवर दु रे प्यमरे । धूप, दीप, र्धु, र्ेवम, भोज धरे न्यमरे ॥
ॐ जय सन्तोषी र्मतम,॥
गुड अरु चनम परर् डप्रय, तमर्ें संतोष डकयो । संतोषी कहिमई, भक्तन वैभव डदयो ॥
ॐ जय सन्तोषी र्मतम,॥

卐 ॐ 卐
शुक्रवमर डप्रय र्मनत, आज डदवस सोही । भक्त र्ंििी छमई, कथम सुनत र्ोही ॥
ॐ जय सन्तोषी र्मतम,॥
र्ंडदर जग र्ग ज्योडत, र्ंगि ध्वडन छमई । डवनय करें हर् से वक, चरनन डसर नमई ॥
ॐ जय सन्तोषी र्मतम,॥
भन्क्त भमवर्य पूजम, अंगीकृत कीजै । जो र्न बसे हर्मरे , इन्च्छत फि दीजै ॥
ॐ जय सन्तोषी र्मतम,॥
दु खी दमररद्री रोगी, संकि र्ु क्त डकए । बह धन धमन्य भरे घर, सुख सौभमग्य डदए ॥
ॐ जय सन्तोषी र्मतम,॥
ध्यमन धरे जो ते रम, वमं डछत फि पमयो । पूजम कथम श्रवण कर, घर आनन्द आयो ॥
ॐ जय सन्तोषी र्मतम,॥
चरण गहे की िज्जम, रन्खयो जगदम्बे । संकि तू ही डनवमरे , दयमर्यी अम्बे ॥

卐 ॐ 卐
ॐ जय सन्तोषी र्मतम,॥
सन्तोषी र्मतम की आरती, जो कोई जन गमवे । ररन्द्ध डसन्द्ध सुख सम्पडत, जी भर के पमवे ॥
ॐ जय सन्तोषी र्मतम,॥
जय सन्तोषी र्मतम, र्ैयम जय सन्तोषी र्मतम । अपने सेवक जन की, सुख सम्पडत दमतम ॥
ॐ जय सन्तोषी र्मतम,॥

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-19
प्रडतडदन

卐 ॐ 卐
श्री अम्बे माता की आरती
जय अंबे गौरी, र्ैयम जय श्यमर्म गौरी। तुर्को डनडशडदन ध्यमवत, हरर ब्रह्मम डशवरी॥
ओर् जय अंबे गौरी ॥
र्मं ग डसन्दू र डवरमजत, िीको र्ृ गर्द को। उज्जवि से दोउ नैनम, चन्द्रवदन नीको॥
ओर् जय अंबे गौरी ॥
कनक सर्मन किेवर, रक्तमम्बर रमजै। रक्तपुष्प गि र्मिम, कण्ठन पर समजै॥
ओर् जय अंबे गौरी ॥
केहरर वमहन रमजत, खि् ग खप्परधमरी। सु र-नर-र्ुडन-जन सेवत, डतनके दु खहमरी॥
ओर् जय अंबे गौरी ॥
कमनन कुण्डि शोडभत, नमसमग्रे र्ोती। कोडिक चन्द्र डदवमकर, सर् रमजत ज्योडत॥
ओर् जय अंबे गौरी ॥

卐 ॐ 卐
शुम्भ-डनशुम्भ डबदमरे , र्डहषमसुर घमती। धूम्र डविोचन नैनम, डनडशडदन र्दर्मती॥
ओर् जय अंबे गौरी ॥
चण्ड-र्ुण्ड सं हमरे , शोडणत बीज हरे । र्धु-कैिभ दोउ र्मरे , सुर भयहीन करे ॥
ओर् जय अंबे गौरी ॥
ब्रहर्मणी रुद्रमणी तुर् कर्िम रमनी। आगर्-डनगर्-बखमनी, तुर् डशव पिरमनी॥
ओर् जय अंबे गौरी ॥
चौंसठ योडगनी र्ंगि गमवत, नृ त्य करत भैरू
ं । बमजत तमि र्ृ दंगम, अरु बमजत िर्रु॥
ओर् जय अंबे गौरी ॥
तुर् ही जग की र्मतम, तुर् ही हो भरतम। भक्तन की दु :ख हरतम, सुख सम्पडत्त करतम॥
ओर् जय अंबे गौरी ॥
भुजम चमर अडत शोडभत, वर-र्ु द्रम धमरी। र्नवमन्न्छत फि पमवत, सेवत नर-नमरी॥

卐 ॐ 卐
ओर् जय अंबे गौरी ॥
कंचन थमि डवरमजत, अगर कपूर बमती। श्रीर्मिकेतु र्ें रमजत, कोडि रतन ज्योडत॥
ओर् जय अंबे गौरी ॥
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गमवै। कहत डशवमनन्द स्वमर्ी, सुख सम्पडत्त पमवै॥
ओर् जय अंबे गौरी ॥
जय अंबे गौरी, र्ैयम जय श्यमर्म गौरी। तुर्को डनडशडदन ध्यमवत, हरर ब्रह्मम डशवरी॥
ओर् जय अंबे गौरी ॥

पंडित श्री डितीशचन्द्र दे वशर्मा द्वमरम संकडित II र्नत्य पूजा मंत्र संग्रह II पृष्ठ-20
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