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यह सबसे कठिन समय नह ीं है

प्र. यह कठिन समय नह ीं है ?” यह बताने के लिए कविता में कौन-कौन से तकक प्रस्तत
ु ककए गए हैं?
स्पष्ट कीजिए।

उ. “यह कठिन समय नह ीं है ?” – यह बताने के लिए कवि ने ननम्नलिखित तकक ठिए हैं –
1. अभी भी चिड़िया िोंि में नतनका िबाए उिने को तैयार है क्योंकक िह नीि का ननमाकण करना
िाहती है ।
2. एक हाथ झिती हुई पत्ती को सहारा िे ने के लिए बैिा है ।
3. अभी भी एक रे िगािी गींतव्य अथाकत ् पहुुँिने िािे स्थान तक जाती है ।
4. नानी की कथा का अखिर ठहस्सा बाकी है ।
5. अभी भी एक बस अींतररक्ष के पार की िनु नया से बिे हुए िोगों की िबर िाएगी।
6. अभी भी कोई ककसी को कहता है कक जल्ि आ जाओ, सूरज डूबने का समय हो ििा है ।

प्र. चिड़िया िोंि में ततनका दबाकर उिने की तैयार में क्यों है ? िह ततनकों का क्या करती होगी?
लिखिए।

उ. चिड़िया अपनी िोंि में नतनका िबाकर उिने की तैयार में है क्योंकक सूरज डूबने का समय हो िक
ु ा
है उसके डूबने से पहिे चिड़िया अपने लिए घोंसिा बनाना िाहती है । िह नतनके से अपने लिए
घोंसिा तैयार कर उसमें अपने बच्िों के साथ रहे गी। घोंसिा उसके पररिार को सुरक्षा प्रिान करता
है ।

प्र. कविता में कई बार ‘अभी भी’ का प्रयोग करके बातें रिी गई है । अभी भी का प्रयोग करते हुए तीन
िाक्य बनाइए और दे खिए उसमे िगातार, तनरीं तर, बबना रुके ििनेिािे ककसी कायक का भाि तनकि
रहा है या नह ?ीं

उ. 1. मुझे अभी भी लसरििक है ।


2. अभी भी गाुँि में बच्िे कई मीि पैिि ििकर स्कूि जाते हैं।
3. हम अभी भी अींग्रेजी सीि रहे हैं।
तीनों िाक्यों में ननरीं तरता का भाि ननकि रहा है ।
प्र. “नह ”ीं और “अभी भी” को एक साथ प्रयोग करके तीन िाक्य लिखिए और दे खिए ‘नह ’ीं ‘अभी भी’ के
पीछे कौन-कौन से भाि तछपे हो सकते हैं?
उ. 1. नह ,ीं अभी भी मेर पर क्षा की तैयार कम है ।
2. नह ,ीं अभी भी इमारत का ननमाकण नह ीं हुआ है ।
3. नह ,ीं अभी भी मेहमान के आने में िे र हैं।
अभी भी, ननरीं तर ििने िाि प्रकिया का बोध कराता है तथा नह ीं से कायक के न होने का पता
ििता है ।

प्र. आप िब भी घर से स्कूि िाते हैं कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा होता है । सरू ि डूबने का समय भी
आपको िेि के मैदान से घर िौट ििने की सि
ू ना दे ता है कक घर में कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा
है – प्रतीक्षा करनेिािे व्यजक्त के विषय में आप क्या सोिते हैं ? अपने वििार लिखिए।
उ. प्रतीक्षा करनेिािे व्यक्क्त हमारे वप्रयजन ह हो सकते हैं। मेरे तो ठिन की शरु
ु आत और अींत माुँ के
प्यार से ह होता है । सुबह में प्यार से माथा िम
ू कर जगाने में माुँ का प्यार, नाश्ते में बनी पसींि की
िीजों में माुँ का प्यार, भिे-बुरे की डाुँट में माुँ का प्यार, सूरज डूबने के साथ िेि के मैिान से घर
िौट ििने की सूिना िे ता माुँ का प्यार तथा जीने का सि का लसिाता माुँ का प्यार।

गह
ृ कायक
प्र. घर के बिे-बूढ़ों द्िारा बच्िों को सुनाई िाने िाि ककसी ऐसी कथा की िानकार प्राप्त कीजिए
जिसके आखिर ठहस्से में कठिन पररजस्थयों से िीतने का सींदेश हो।

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