Moot Court

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मूट कोटट मूल रूप से एक वास्तववक अदालत की प्रवतकृवत की होती है, जहाां

कानूनी कार्टवाही और परीक्षण होता है, और इस प्रकार इसे मॉक कोटट के


रूप में भी जाना जा सकता है, जहाां कानून की पढाई करने वाले छात्र पेशेवर
के रूप में कार्ट करते हैं , और अपनी भू वमका के अनुसार सभी वजम्मे दाररर्ोां
और कतटव्ोां को दे खते हैं ।कोटट एक तरह से एक छात्र को एक उवित वकील
के रूप में तैर्ार करता जाता है । र्ह वववि के छात्रोां को व्वहाररक ज्ञान दे ने
के आिुवनक तरीकोां में से एक है , जो उन्हें एक वास्तववक अदालत के समान
काल्पवनक स्थिवत में डालते हैं , और विर इसमें एक तरि की दो पक्ष
काल्पवनक मामलोां पर बहस करती हैं , और उवित काल्पवनक सबूत और
गवाहोां को पेश करती हैं । मूट कोटट , अब एक सबसे बडा और कुशल स्रोत है ,
जहााँ से वववि के छात्र प्रर्ोगात्मक रूप में वशक्षा प्राप्त करते हैं , और उन सभी
गु णोां और कौशलोां को आत्मसात करते हैं , जो एक वकील की सवोच्च
आवश्यकता होती है ।मूट कोटट में क्या - क्या होता है ?

1. इसमें वववि के छात्रोां द्वारा वकसी काल्पवनक, वववशष्ट वाद र्ा ववषर् को िुना
जाता है , और विर उसी वाद/ ववषर् में वाद वववाद होता है ।

2. कुछ वववि के छात्रोां के द्वारा अविवक्ता, वादी प्रवतवादी और साक्षी की


भू वमका वनभाई जाती है , और वे न्यार्ालर् के समक्ष आते है ।

3. वववि के छात्रोां में से ही एक कोई छात्र न्यावर्क अविकारी की भू वमका


वनभाता है , और न्यार्ालर् की कार्ाटवाही को आगे बढाता है ।

4. छात्रोां को वसववल केस में वाद पत्र तैर्ार करने, सावक्षर्ोां के परीक्षण एवां
प्रवतपरीक्षण करने के साि वजरह / बहस करने का भी मौका / अवसर होता है ।

5. आपराविक मामलो में पररवाद और आरोप पत्र तैर्ार करने का ज्ञान प्राप्त
होता है ,

6. न्यार्ालर् में कैसे पेश होना होता है , कैसे केस दार्र वकर्ा जाता है , और केस
की शुरुआत कैसे करनी इसका भी ज्ञान होता है ।
7. न्यार्ालर् के समक्ष बोलने में जो सां कोि और डर मन में होता है , वह मूट कोटट
के जररर्े समाप्त हो जाता है ।

मूट कोटट से वववि के छात्रोां को क्या सीखने को वमलता है ?

1. न्यार्ालर् में प्रस्तुत होना का ढां ग।

2. अवभविन का प्रारूप।

3. वादपत्र की ववरिना।

4. वलस्खत किन एवां इसका प्रारूप।

5. वविारण से पहले की तैर्ारी।

6. वविरण की कार्ाटवाही।

7. अवभविन प्रस्तुत करने का ढां ग।

8. न्यार्ालर् की कार्ाटवाही और उससे सम्बांवित वशष्टािार कैसा होना िावहए।

9. न्यार्ालर् में न्यार्ािीश के समक्ष अपनी बात को प्रस्तुत करने का ढां ग।

10. न्यार्ालर्ोां में होने वाली वववभन्न कार्टवावहर्ोां का ज्ञान।

11. वजरह व् बहस करने का ज्ञान और ढां ग।


12. पक्षकारो और साविर्ोां से वकर्े जाने वाले व्वहार का ढां ग।

13. न्यार्ालर् की गररमा को बनार्े रखने का ज्ञान।

14. व्ावसावर्क वशष्टािार का ज्ञान।

15. सुसांगत ववविर्ोां का ज्ञान।

16. अविवक्ताओ की आिार सां वहता आवद।

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