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नवमहों के मन्
न्ऽ

िज िकसी व्य
िजस यिक्त को कोई मह भारी हो तो वह िनत्य क । शीय ूभ
य एक माला जप अवँय करें भाव

े के िलये 40 हज़ार से एक लाख


ल तक जाप
प करने से सफ़ ती है । अिधक लाभ के
फ़लता िमलती


सम्बिन्धत वारर का ोत रख

ें और बतायें अनुसार भोज र धारण करेंरें ।
जन करें तथा रत्न

1.. सूयर् मन्ऽ


ॐ ॑ीं ॑ीं सूयाय
ार् नमः
( 3 या 5 मालाा का जप ूित
ितिदन )
रत्न
त्न - मािणक्य
य . भोजन - नमक रिहत गेँहू से बना .

2.. चन्ि मन्ऽ


ॐ ौीं बीं चं चन्िाय
च नमः
( 3 माला का जाप ूितिदन
न )
रत्न
त्न - मोती . भोजन - नम
मक रिहत दहीी, चावल, दध
ू , इत्यािद .

3.. मंगल मन्ऽ


ॐ हुं ौीं मंगलाय
ल नमः
( 3 माला का जाप
ज ूितिदन )
रत्न
त्न - मूंगा . भोजन
भ - नमक
क रिहत बेसन से बना .

4.. बुध मन्ऽ


ॐ ऐं स्तर्ीं ौीं बु
बधाय नमः
( 5 माला का जाप
ज अवँय करें
क )
रत्न
त्न - पन्ना . भोजन- नमक
क रिहत मूंग से बना.
5. बृहःपित मन्ऽ
ॐ बृं बृहःपतये नमः
(3 माला का जाप ूितिदन)
रत्न - पुखराज . भोजन नमक रिहत बेसन से बने पीले पदाथर् .

6. शुब मन्ऽ
ॐ ॑ीं ौीं शुबाय नमः
(5 माला का जाप आवँयक)
रत्न हीरा. भोजन - नमक रिहत चावल, दध
ू दही इत्यािद

7. शिन मन्ऽ
ॐ ऐं हीं ौीं श्नैश्चराय नमः
(5 माला का जाप करें )
रत्न- नीलम . भोजन - उड़द व तेल से बने पदाथर्

8. राहू मन्ऽ
ॐ ऐं ह्नीं राहवे नमः
( 3 माला का जाप करें )
रत्न - गोमेद . भोजन - मीठी रोटी, रे वड़ी, ितल से बने पदाथर् .
केतु मन्ऽ
ॐ ॑ीं केतव नमः
(3 माला का जाप करें )
रत्न - लहसुिनया. भोजन - नमक रिहत गेहूँ व ितल से बना हुआ.
लआमी मन्ऽ ।।

हालआम्यै नमः ।
ॐ ौी मह

।। ःवाः न्ऽ ।।
ःथ्य ूािप्त मन्

अच्युतानन्
न्द गोिवन्द

नामोच्चाररण भेषजात ।

नँयिन्त सकला
स रोगाः

सत्यंसत्यं वदाम्यहम ् ।।

।। सफ़ल न्ऽ ।।
लता ूािप्त मन्

कृ ंण कृ ंण
ण महायोिगन
न्

भक्तानाम भयंकर

गोिवन्द परमानन्द
प सव नय ।।
व मे वँयमान
र्

।। सम्प न्ऽ ।।
पित्त ूािप्त मन्

आयुदेर्िह धनं द्यां दे िह महे श्विर ।


ध दे िह िवद्या

समःतमिख िह मे परमेश्विर ।।
िखलां दे िह दे िह
।। दख
ु िवनाशक मन्ऽ ।।

1. ॐ अनन्ताय नमः ।

2. ॐ गोिवन्दाय नमः ।

।। िनिवर्घ्न िनिा मन्ऽ ।।

हे पद्मनाभं सुरेशं ।

हे पद्मनाभं सुरेशं ।

।। मुकदमें में िवजय का मन्ऽ ।।

हे चबधर !

हे चबपािण !!

हे चबायुधधारी !!!

।। मह पीड़ा-नक्षऽ दोष दरू करने का मन्ऽ ।।

नारायणं सवर्कालं क्षुत ूःखलनािदषु ।

मह नक्षऽ पीडाषु दे व बाधाषु सवर्तः ।।

।। सन्तान सुख मन्ऽ ।।

हे जगन्नाथ ! हे जगदीश !!

हे जगत ् पित !! हे जगदाधार !!


।। भय से मुिक्त मन्ऽ ।।

हृिषकेश गोिवन्द हरे मुरारी !

हे ! हृिषकेश गोिवन्द हरे मुरारी !!

।। आपदाओं से ऽाण पाने का मन्ऽ ।।

हे वासुदेव !

हे नृिसंह !

हे आपादा उद्धारक !

।। ौी राम के जप मन्ऽ ।।

1. ॐ राम ॐ राम ॐ राम ।

2. ॑ीं राम ॑ीं राम ।

3. ौीं राम ौीं राम ।

4. क्लीं राम क्लीं राम ।

5. फ़ट् राम फ़ट् ।

6. रामाय नमः ।

7. ौी रामचन्िाय नमः ।

8. ौी राम शरणं मम ् ।

9. ॐ रामाय हुँ फ़ट् ःवाहा ।


10. ौी राम जय राम जय जय राम ।

11. राम राम राम राम रामाय राम ।

।। ःनान मन्ऽ ।।

गंगे च यमुने चैव गोदाविर सरःवित ।

नमर्दे िसन्धु कावेिर जलऽिःमन्सिन्निधं कुरु ।।

।। सूयर् अघ्यर् मन्ऽ ।।

एिह सूयर् सहस्तर्ांशो तेजोराशे जगत्पते ।

अनुकम्पय मां दे वी गृहाणाघ्यर्ं िदवाकर ।।

।। आसन व शरीर शुिद्ध मन्ऽ ।।

ॐ अपिवऽः पिवऽो वा सवार्वःथां गतो5िप वा ।

यः ःमरे त पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुिचः ।।

।। चरणामृत मन्ऽ ।।

अकालमृत्युहरणं सवर्व्यािधिवनाशनम ् ।

िवंणोः पादोदकं पीत्वा पुनजर्न्म न िवद्यते ।।

।। चन्ि अध्यर् मन्ऽ ।।

क्षीरोदाणर्वसम्भूत अिऽगोऽसमुद् भव ।
गृहाणाध्यर्ं शशांकेदं रोिहण्य सिहतो मम ।।

।। सूयर् दशर्न मन्ऽ ।।

कनकवणर्महातेजं रत्नमालािवभूिषतम ् ।

ूातः काले रिव दशर्नं सवर् पाप िवमोचनम ् ।।

।। ितलक लगाने का मन्ऽ ।।

केशवानन्न्त गोिवन्द बाराह पुरुषोत्तम ।

पुण्यं यशःयमायुंयं ितलकं मे ूसीदतु ।।

कािन्त लआमीं धृितं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम ् ।

ददातु चन्दनं िनत्यं सततं धारयाम्यहम ् ।।

।। माला जपते समय का मन्ऽ ।।

अिनध्यं कुरु माले त्वं गृह् णािम दिक्षणे करें ।

जापकाले च िसद्धयथेर्ं ूसीद मम िसद्धये ।।

।। िशखा बाँधने का मन्ऽ ।।

िचििू पिण महामाये िदव्यतेजः समिन्वते ।

ितष्ठ दे िव िशखामध्ये तेजोवृिद्ध कुरुव मे ।।


।। तुलसी ःतुित मन्ऽ ।।

र् िचर्तािस मुनीश्वरै ः ।
दे वी त्वं िनिमर्ता पूवम

नमो नमःते तुलसी पापं हर हिरिूये ।।

।। तुलसी तोड़ने का मन्ऽ ।।

मातःतुलिस गोिवन्द हृदयानन्द कािरणी ।

नारायणःय पूजाथर्ं िचनोिम त्वां नमो5ःतुते ।।

पीपल मे जल दे ने का मन्ऽ ।

कुलानामयुतं तेन तािरतं नाऽ संशयः।

यो5श्वत्थमूलमािसंचेत्तोयेन बहुना सदा ।।

।। पीपल पूजन ।।

अश्वत्थाय वरे ण्याय सवैर्श्वयर्दाियने ।

अनन्तिशवरुपाय वृक्षराजाय ते नमः ।।

।। शंख पूजन मन्ऽ ।।

त्वं पुरा सागरोत्पन्नो िवंणुना िवधृतः करें ।

िनिमर्तः सवर्देवैश्च पाञ्चजन्य नमो5ःतुते ।।

।। ूदिक्षणा मन्ऽ ।।
यािन कािन च पापािन जन्मान्तरकृ तािन च ।

तािन तािन ूणँयिन्त ूदिक्षण पदे पदे ।।

।। नवमह मन्ऽ ।।

ॐ ॄह्मा मुरािरिस्तर्पुरान्तकारी, भानुः शशी भूिमसुतो बुधश्च ।

गुरुश्च शुबः शिनराहु केतवः, सवेर् महा शािन्तकरा भवन्तु ।।

।। अन्नपूणार् मन्ऽ ।।

अन्नपूणेर् सदा पूणेर् शंकरूाणवल्लभे ।

ज्ञानवैराग्यिसद्ध्य िभक्षां दे िह च पावर्ित ।।

।। भोग लगाने का मन्ऽ ।।

त्वदीयं वःतु गोिवन्द तुभ्यमेव समपर्ये ।

गृहाण सम्मुखो भूत्वा ूसीद परमेश्वर ।।

।। अिग्न िजमाने का मन्ऽ ।।

ॐ भूपतये ःवाहा, ॐ भुवनप, ॐ भुवनपतये ःवाहा ।

ॐ भूतानां पतये ःवाहा ।।

कहकर तीन आहूितयाँ बने हुए भोजन को डालें ।

या
।। ॐ नमो नारायणाय ।।

कहकर नमक रिहत अन्न को अिग्न में डालें ।

।। भोजन से पूवर् बोलने का मन्ऽ ।।

ॄह्मापर्णं ॄह्महिवॄर्ह्माग्नौ ॄह्मणा हुतम ् ।

ॄह्मैव तेन गन्तव्यं ॄह्मकमर् समािधना ।।

।। भोजन के बाद का मन्ऽ ।।

अन्नाद् भविन्त भूतािन पजर्न्यादन्नसंभवः ।

यज्ञाद भवित पजर्न्यो यज्ञः कमर् समुद् भवः ।।

।। सायं दीप ःतुित मन्ऽ ।।

सायं ज्योितः परं ॄह्म दीपो ज्योितजर्नादर् नः ।

दीपो हरतु मे पापं सन्ध्यादीप नमोऽःतु ते ।।

शुभं करोतु कल्याणं आरोग्यं सुखसम्पदाम ् ।

मम बुिद्धूकाशं च दीपज्योितनर्ऽःतु ते ।।

।। क्षमा ूाथर्ना मन्ऽ ।।

मन्ऽहीनं िबयाहीनं भिक्तहीनं जनादर् न ।

यत्पूिजतं मया दे व पिरपूणर्ं तदःतु मे ।।


।। शयन का मन्ऽ ।।

जले रक्षतु वाराहः ःथले रक्षतु वामनः ।

अटव्यां नारिसंहश्च सवर्तः पातु केशवः ।।

।। ौी गंगा जी की ःतुित ।।

गांगं वािर मनोहािर मुरािरचरणच्युतम ् ।

िऽपुरािरिशरश्चािर पापहािर पुनातु माम ् ।।

।। वेद ःतुित ।।

नमः शम्भवे च मयोभवे च नमः शंकाराय च ।

मयःकराय च नमः िशवाय च िशवतराय च ।।

।। काली ःतुित ।।

काली काली महाकाली कािलके परमेश्वरी ।

सवार्नन्दकरी दे वी नारायिण नमोऽःतुते । ।

।। शीतला ःतुित ।।

शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत ् िपता ।

शीतले त्वं जगद्धाऽी शीतलायै नमो नमः ।।


।। चामुण्डा मन्ऽ ।।

ॐ ऐं ॑ीं क्लीं चामुण्डायै िवच्चे ।।

।। ौी दग
ु ार् गायऽी मन्ऽ ।।

ु ार्यै धीमिह तन्नो दे वी ूचोदयात ् ।।


ॐ महादे व्यै िवह्महे दग

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