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11.

22 4:49 pm
ताजमहल या तेजो महालय
जय श्री राम दोस्तो, "समय यातरा इतिहास कि" youtub चाइनल में आपका स्वागत है। आज हम बात करेंगे ताजमहल
के बारें में।
ताजमहल जिसे कोई शाहजहाँ और मुमजात के महोबत के प्रतिक मानता है। तो कोई भगवान शंकर के मंदिर के रूपमे देखते है। जिसे शाहजहाँ ने कबरिस्थान
बना दिया।

हमे बचपन से हि बताया गया। की ताजमहल का निर्मान, शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज महल के याद में करवाया था। पर हमे बहुत सारे बात नहीं तो
कोई इतिहासकार ने हमे बताया। और नहीं कोई फिल्म या सिरियल बनाने बालो ने,

ताजमहल को लेकर लम्बे समय से बहस चल रहा है, कु छ साल पहले सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया था। कि
ताजमहल मूल रूप से एक वैदिक मंदिर था, जिसे खारिच कर दिया गया था।

हाला कि इस मुद्दे पर लम्बे समय से बहस चल रहा है। लेकिन बहुत सारे लोग इससे अनजान थे। यह मुदत तब सबके सामने आया जब पी एन ओल ने
एक किताब लिखे थे। "ताजमहल एक सच्ची कहानी" जिसने उन्होंने तर्क दिये है। कि ताज महल मूल रूप से सक हिन्दू मंदिर था।

आइए समझते है। कि पूरा मामला क्या है। और क्यो कई लोग ने कहा है, कि ताज महल असल मे तेजो महालय है। न कि मुगल शासक शाहजहाँ की
पत्नी मुमताज की कब्र।

तो चलिए सबसे पहले सुरुआत करते हैं इसके नाम से। ताजमहल शब्द का उल्लेख शाहजहाँ के बीटा औरंगजेब जो मुगल साम्राज्य की अंतिम सास्क था।
उसके समय में भी किसी भी मुगलीया दरबारी दस्तावेज या इतिहास में कही भी
जिक्र नहीं है।

" महल" कभी भी मुस्लिम शब्द हो हि नहीं सकता। क्योकि अफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक आप दुनिया के किसी भी मुस्लिम देश में चले जाय
आपको " महल" नाम के न तो कोई इमारत मिलेगा नहीं कोई मसजिद या मकबरा।
काई लोगो को लगता होगा की।
ताजमहल शब्द की उत्पत्ति मुमताज महल से हुई है, जो उसमें दफन है। तो उसे बता दू की, उसका नाम कभी मुमताज महल नहीं था बल्कि मुमताज-
उल-ज़मानी था।
लगता है कि आाहजहाँ सब बदल दिया। होगा पर नाम बदलना भूल गया होगा।

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