Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 4

Pallava Architecture (Mahabalipuram Rathas)

Dr. Dilip Kumar


Assistant Professor (Guest)
Dept. of Ancient Indian History & Archaeology,
Patna University, Patna
Paper – III, B.A. 2nd Year

महाबल पु रम के रथ (Ratha’s of Mahabalipuram) – प लव

थाप य के थम समू ह के तीय भवन नमाण शैल नर सं ह वमन के काल म वक सत

हु ई िजसम मंडप के साथ – साथ रथ का भी नमाण हु आ I जैसा क सव व दत है क

इसने अपने नाम पर महाबलपु र नामक एक नगर बसाया था जो म ास से 32 मील

द ण पलार नद के मु हाने पर ि थत है I इसके उतर द ण आ नेय च ान क एक

व तृ त ृ ंखला है I इसी मा लय शैल के भवन न मत है, मंडप क सं या 10 है I

नर सं ह वमन ारा न मत रथ के साथ – साथ प लव थाप य शैल म तीय चरण का

सू पात होता है I इन भवन क बा य परे खा रथ के स य है, अतः इनका योग

दे वालय के प म होता है I

मंडप क भां त रथ का नमाण च ान को काटकर एवं खोखला बनाकर कया

गया है क तु दोन क नमाण प त म या त अ तर है I मंडप च ान को खोदकर

बनाया गया है जब क रथ एका मक है, ये कसी संरचना मक भवन क तरह तीत होते

है I सामा य आकार के इन रथ क सं या आठ है, इसम ौपद रथ के अ त र त अ य

सात रथ का नमाण योजना चै य एवं वहार के स य है, इस लए ये स त पेगोडा के

नाम से व यात है I इन सात रथ म धमराज रथ, भीम रथ, अजु न रथ और सहदे व रथ

का नमाण पवत के द णी छोड़ पर कया गया तथा गणेश रथ उतर छोड़ पर न मत है

I पवत के उतर – पू व छोड़ पर वलैयन कु ई – रथ और पीदर रथ ि थत है , ले कन


वा तु कला के ि टकोण से ये दोन रथ वशेष के नह ं है I थाप य कला के ि टकोण से

ये सारे रथ बौ धम से स बं धत दखते है I ले कन साथ ह साथ गज, सं ह तथा वृ षभ

क उ क ण मू त याँ शैव धम क धानता सा बत करती है या इसपर शैव एवं बौ दोन

धम का भाव मानना चा हए, यथात यह है इस पर कसी भी धम का भाव नह ं है I

तीन चै य क वाले भवन क छत के तकोने भाग म तीका मक वषय के अंकन तथा

येक दे वालय म अं कत व भ न कार क कथाव तु इसक संपु ि ट करती है I ये रथ

धम नरपे है I इन सभी रथ क थाप य शैल एक है I इनका नमाण ोत भी एक ह

है I

महाब लपु रम ि थत रथ म सबसे बड़ा धमराज रथ है I इसक योजना वगाकार है I

इसक ल बाई 42 फुट, चौड़ाई 35 फुट और ऊंचाई 40 फुट है I रथ क नमाण योजना

बौ वहार से भा वत लगता है I बौ वहार म एक क और परांगन क यव था

रहती थी I भ ुओं क सं या म वृ के साथ भीतर भाग को त भ यु त सपाट छत

से ढक दया I बाद म आव यतानु सार इसम उपर भी क बनाये गए िजनक छत

गु बजाकर होती थी I धमराज रथ क मू ल योजना इस कार क है जो यह मा णत

करता है क कस कार बौ वहार को कालांतर म शायद ह दू दे वालय म प रव त त

कर दया गया I यह रथ पू ण त: न मत है I इसका बा य भाग थाप य शैल क ि ट से

उ कृ ट है तो भीतर भाग बनावट क ि ट से I उपर भाग दो खंडो म नयोिजत है (१)

वगाकार भाग िजसके नीचे त भ यु त मंडप है (११) शु डाकार भाग जो गभगृ ह के उपर

न मत है I धमराज रथ का आधार भाग अलंकृ त है I इसके साथ ह साथ सं ह त भ

यु त मंडप तथा शखर यु त छत भी भ य है I

बौ चै य प त पर न मत सहदे व रथ, भीम रथ और गणेश रथ क थाप य

शैल भी उ कृ ट है I इन आयताकार रथ म दो या दो से अ धक मंिजल क योजना है I


इनक छत पीपे क भां त खोखला है और उपर भाग जहाज क पद जैसा है िजसका शीष

भाग तकोना है I भु वने वर के बैताल दे वल और वा लयर के तेल के मि दर से इन रथ

क सा यता है I इन तीनो रथ म गणेश रथ क बनावट भ न है, व तु तः इसम भीम

और सहदे व दोन रथ क नमाण शैल का समावेश है I अंतर केवल इतना है क गणे श

रथ का वे श ार त भयु त मंडप म खु लता है I इसे दे खकर ऐसा तीत होता है क

वड़ थाप य शैल के मु ख अंग गोपु रम क क पना इन वेश ार से क गई है I

वा तव म ये तीन रथ मि दर के ह एक प है जो भ व य म द ण भारत के नवीन

थाप य शैल के प म वक सत हु ए I

इन रथ म ौपद रथ का आकर सबसे छोटा है, यह पू ण तथा न मत है I इसक

बनावट त बू के स य तकोना है I हो सकता है क इसे शोभा या ा के तक व प

बनाया गया होगा I अलंकरण का आभाव इस रथ क वशेषता है, थाप य नवीनता के

कारण अपने समू ह के रथ से यह पृ थक ेणी का दखता है, इसके आधार भाग म सं ह

और गज क मू त याँ नयोिजत है I इसको इस ढं ग से नयोिजत कया गया है मान रथ

का भार हण कर रहे थे I

इन रथ के व लेषण से थाप य स ब धी वा तु वशेष के लए सम या पैदा

करते है (i) रथ के भीतर भाग अधू रे य है (ii) रथ म उनके त प य अं कत है

(iii) येक रथ वतं प से न मत कये गये I क तपय व ानो का यह मत है क इन

रथ के मा यम से शि पय ने नजी भावना को अ भ य त कया है I कुछ अ य व ान

के अनु सार रथ के नमाण म दाश नक भावना न हत थी, ले कन प ट होकर कुछ कहना

क ठन है I माम लपु रम के एका मक तथा च ान को खोदकर बनाये गए भवन का

नमाण पु ण तः वह हो सका I संभवतः राजनै तक उथल – पु थल के कारण शि पय को

अपना यवसाय बंद करना पड़ा, हालाँ क यह स य है क इ तहास ऐसी कसी घटना का
उ लेख नह ं करता I एक संभावना यह है क 647 ई. म नर सं ह माम ल क मृ यु के

कारण माम ल/माम य थाप य शैल का अंत हो गया I आगे का काय शायद इसी कारण

से क गया I

माम ल/माम य शैल के इन भवन के अ त र त कुछ अ य भवन के भी

भ नावशेष मले है I वा तु कला के अ ययन के लए ये अ त उपयोगी है I इन भ नावशेष

म एक दु ग का अवशेष अब भी वतमान है I यह एक राज साद था िजसक नींव ऊँची और

ठोस थी, संभवतः यह ईट और लकड़ी का बना है I इसक द वार म संभवतः ला टर

कया गया था I इन महल म अ त भ का योग भी दखता है I इसके आधार पर

यह भी न कष नकालने का यास हु आ है क शायद धा मक भवन च ान को काटकर

या खोदकर बनाये जाते थे, जब क लौ कक भवन का नमाण ईट और लकड़ी से कया

जाता था I

धा मक भवन म पु कण या जलकु ड क योजना मु ख अंग के प म क गई है

I भारतवष के कुछ मं दर म माम य शैल का यह भाव प ट प से ल त होता है I

भारत के अ त र त अंकोरवाट, जावा और बोरोबु द ु र के मि दर भी इस शैल से भा वत है

I प लव थाप य शैल क सबसे बड़ी वशेषता यह है क इसम ायः सभी मंडप और रथ

कला मक मू त य से सु सि जत है I एलोरा के कैलाशनाथ और ए लफै टा म भी इस कार

क मू त य का अलंकरण है, क तु ये बाद क रचनाएँ है I अतएव, इ ह प लव थाप य

क दन कहना अ धक उपयु त होगा I माम लपु रम क मू त य म उ तेजना एवं ती णता

है I इनक वतं मू त याँ सौ य, प र कृ ट एवं प रमािजत है I ये मू त याँ अ यंत सजीव

एवं कला मक है I पस ाउन महोदय का मत है क प लव शैल पर आधृ त होने के

कारण ह जावा और क बो डया क मू त याँ उ कृ ट एवं कला मक है I

लती है l

You might also like