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*l ओशो के

११ व णम सूl *

१ अभी और यह

मनुय या तो अपनेबीतेए पल म खोया रहता है या फर अपने भ व य क चता म डू बा रहता है


। दोन सू
रत म वह
खी रहता है। ओशो कहते ह क वा त वक जीवन वतमान म है
। उसका संबं
ध कसी बीतेए या आने वालेकल सेनह है

जो वतमान म जीता हैवही हमे
शा खुश रहता है

२ भागो नह , जागो

हम हमेशा अपनेख और ज मे दा रय से भागते


रहतेह, उनसे
बचने के
बहानेखोजते रहते
ह। अपनी गल तय और क मय
केलए सर को ज मे दार ठहरातेरहतेह, लेकन ऐसा करकेभी हम खु
श नह रह पाते
। ओशो कहतेह क प र थ तय से
भागना नह चा हए।

३ म नह , सा ी भाव

मनुय केख का एक कारण यह भी हैक वह कसी भी चीज को, फर वह इं सान हो या प र थ त, य का य नह


वीकारता। वह उसम अपनी सोच अव य जोड़ दे ता है
, जसके कारण वह उसका ह सा बनने से
चूक जाता है
और खी हो
जाता है
। ओशो कहते ह क जो हो रहा है
, उसे
होनेदे
ना चा हए, कोई अवरोध नह बनना चा हए।

४ दमन, नह सृ
जन

मनु य सदा तनाव म रहता है


। कभी ई या से
तो कभी ोध सेभरा ही रहता है
। उसम भटकने
और आ ामक होनेक
सं
भावना हमे शा छु
पी रहती है
। वह चाहकर भी आनंदत और सु
खी नह रह पाता। ओशो कहतेह क मनु
य एक ऊजा है
। हम
य द उस ऊजा को दबाएं गेतो वह कह न कह कसी और वराट प म कट होगी ही।

५ शकायत नह , ध यवाद

ऐसा कौन है, जसका मन शकायत से नह भरा! घर हो या द तर, भगवान हो या सं


बं
ध, हम हमे
शा सबसेशकायत ही करते
ह। हमारी नजर हमेशा इस बात पर होती हैक हम हमारेअनु सार या नह मला। ओशो कहते ह क हमारी नजर सदा उस
पर होनी चा हए जो हमको मला है।

६ यान एकमा समाधान

अपनी इ छा के पू
रा होने
केलए लोग हमेशा सेाथना, पू जा व कमकां
ड आ द को ाथ मकता दे
तेरहे
ह। यान तो लोग
केलए एक नीरस या उदास कर दे
ने
वाला काम है
, तभी तो लोग पूछते
ह क यान करनेसेहोगा या? ओशो नेयान को
जीवन म सबसे
ज री बताया,यहां
तक क यान को जीवन का आधार भी माना।

७ सरे
को नह , खु
द को बदल

दे
खा जाए तो परो प से
मनुय केतमाम ख और तकलीफ का आधार यह सोच रही हैक मे
रेख का कारण सामने
वाला है
। हम प र थ तय या क मत केसाथ भी यही रवै
या रखते
ह क वह बदल हम नह ।

८ अ त मण नह , सं
तु
लन

अ त हर चीज क बुरी होती है


। यह बात जानतेए भी मनु
य हर चीज क अ त सु
ख को पाने
या बनाए रखने
केलए करता
है
। ओशो कहते ह सु
ख क चाह ही ख क जड़ है । सु
ख अपनेसाथ ख भी लाता है
। ओशो कहतेह न पाने
का सु
ख हो, न
खोनेका ख, यही अव था सं यास क अव था है

९ धम नह , धा मकता

मनुय नेअपनी पहचान को धम क पहचान से कर रखा है । कोई ह है, कोई मु


सलमान, कोई सख तो कोई ईसाई। धम
केनाम पर आपसी भेदभाव ही बढ़े
ह। नतीजा यह हैक आज धम पहले है
मनु य और उसक मनु यता बाद म। वह कहते
ह,
आनंद मनु य का वभाव है
और आनं द क कोई जा त नह उसका कोई धम नह ।

१० सह नह , वीकार

बचपन से ही हम सहना सखाया जाता है


। सहने
को एक अ छा गु
ण कहा जाता है
। बरस से
यही दोहराया जाता रहा हैक
य द हर कोई सहनशील हो जाए तो न के
वल व्

य गत तौर पर ब क वैक तौर पर धरती पर शां


त हो सकती है
, ले
कन आज प रणाम सामने
है
। ओशो बोध के
प म ह।

११ जीवन ही हैभु

ओशो कहते ह क आदमी ब त अजीब है , वह इं


सान क बनाई चीज को तो मानता व पू
जता है
लेकन वयं को, ई र क
बनाई सृ और उसम मौजूद कृ त क तरफ कभी भी आं ख उठाकर नह दे खता। सच यह हैक परमा मा को माननेका
मतलब ही हर चीज केलए ‘हां
’, पू
ण वीकार भाव और यह ज म जीवन उसका जीता-जागता सबू त है

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