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H1861 05
H1861 05
H1861 05
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िाराओं का क्रम
_________
िाराएं
उद्देलिका ।
1. लिर्वचि खण्ड ।
2. बि का गठि ।
3. राज्य सरकार में अिीक्षण लिलित िोगा ।
4. पुलिस मिालिरीक्षक आदि ।
5. मिालिरीक्षक की िलतयां । िलतयों का प्रयोग ।
6. पुलिस अलिकाररयों को मलिस्टरेट की िलतयां ।
7. अर्र अलिकाररयों की लियुलत और पिच्युलत इत्यादि ।
8. पुलिस अलिकाररयों को प्रमाणपत्र ।
प्रमाणपत्र का अभ्यपवण ।
9. पुलिस अलिकारी लबिा इिाित या िो मास की सूचिा के पि-त्याग ििीं करें गे ।
10. पुलिस अलिकारी अन्य लियोिि में ििीं िगेंगे ।
11. पुलिस अलिर्ार्षवकी लिलि ।
12. मिालिरीक्षक की लियम बिािे की िलत ।
13. व्यलतगत खचव पर लियोलित अलतररत पुलिस अलिकारी ।
14. रे ि और अन्य कमों के आसपास अलतररत बि की लियुलत ।
15. लर्क्षुब्ि या संकटपूणव लििों में अलतररत पुलिस रखिा ।
15क. लिर्ालसयों या भूलम में लितबद्ध व्यलतयों के िुराचरण से पील़ितों को प्रलतकर अलिलिणीत करिा ।
16. िारा 13, 14, 15 और 15क के अिीि संिय
े ििों की र्सूिी और र्सूिी िोिे पर उिका व्ययि ।
17. लर्िेष पुलिस अलिकारी ।
18. लर्िेष पुलिस अलिकाररयों की िलतयां ।
19. लर्िेष पुलिस अलिकारी के रूप में सेर्ा करिे से इन्कार ।
20. पुलिस अलिकाररयों द्वारा प्रयोग दकया िािे र्ािा प्रालिकार ।
21. ग्राम पुलिस अलिकारी ।
फोटव लर्लियम की प्रेंलसडेंसी में पुलिस चौकीिार ।
22. पुलिस अलिकारी सिैर् कतवव्यारूढ़ िोंगे और लििे के दकसी भी भाग में लियोलित दकए िा सकें गे ।
23. पुलिस अलिकाररयों के कतवव्य ।
24. पुलिस अलिकारी इलििा इत्यादि कर सकें गे ।
25. पुलिस अलिकारी लबिा िार्े र्ािी सम्पलि को अपिे भारसािि में िेंगे और इसके व्ययि की बाबत मलिस्टरे ट के आिेिों
के अिीि िोंगे ।
26. मलिस्टरेट सम्पलि को लिरुद्ध कर सके गा और उिघोषणा लिकाि सके गा ।
ii
िाराएं
27. यदि कोई िार्ेिार उपसंिात ििीं िोता, तो सम्पलि का अलििरण ।
28. पुलिस अलिकारी ि रििे पर प्रमाणपत्र इत्यादि का पररिाि करिे से इन्कार करिे र्ािे व्यलत ।
29. कतवव्य इत्यादि की उपेक्षा के लिए िालस्टतयां ।
30. िोक िमार्ों और िुिूसों का लर्लियमि और उिके लिए अिुज्ञलत िेिा ।
30क. अिुज्ञलत की ितों का अलतक्रमण करिे र्ािे िमार्ों और िुिूसों के सम्बन्ि में िलतयां ।
31. पुलिस िोक स़िकों इत्यादि पर व्यर्स्टथा बिाए रखेगी ।
32. ठीक पूर्वर्ती तीि िाराओं के अिीि लिकािे गए आिेिों की अर्ज्ञा के लिए िालस्टत ।
33. लििे के मलिस्टरेट के लियंत्रण की व्यार्ृलि ।
34. स़िकों पर कलतपय अपरािों के लिए िण्ड इत्यादि—पुलिस अलिकाररयों की िलतयां ।
ढोर र्ि, बेतिािा सर्ारी आदि ।
िीर्-िन्तु के साथ लििवयता ।
यालत्रयों को बािा पहंचािा ।
लर्क्रय के लिए र्स्टतुओं को अलभिर्िवत करिा ।
मागव पर िूि फें किा ।
मि या बिर्ात्मक पाया िािा ।
िरीर का अलिष्ट अलभििवि ।
संकटपूणव स्टथािों के संरक्षण में उपेक्षा ।
35. अलिकाररता ।
36. अन्य लर्लि के अिीि अलभयोलित करिे की िलतयां प्रभालर्त ििीं िोंगी ।
37. मलिस्टरेट द्वारा अलिरोलपत िालस्टतयों और िुमाविों की र्सूिी ।
38. [लिरलसत] ।
39. [लिरलसत] ।
40. [लिरलसत] ।
41. [लिरलसत] ।
42. कायवर्ालियों के लिए पररसीमा ।
अलभतुलष्ट की लिलर्िा ।
43. यि अलभर्चि दक कायव र्ारन्ट के अिीि दकया गया था ।
44. पुलिस अलिकारी डायरी रखेंगे ।
45. राज्य सरकार लर्र्रलणयों का प्ररूप लर्लित कर सके गी ।
46. अलिलियम की पररलि ।
47. पुलिस के लििा अिीक्षक का ग्राम पुलिस पर प्रालिकार ।
1
[पुलिस अलिलियम, 1861]
(1861 का अलिलियम संखयांक 5)
[22 माचव, 1861]
पुलिस के लर्लियमि के लिए
अलिलियम
उद्देलिका—यत: पुलिस को पुिगवरठत करिा और अपरािों को लिर्ाररत करिे तथा उिका पता िगािे के लिए उसे और
अलिक िक्ष उपकरण बिािा समीचीि िै; अत: लिम्िलिलखत रूप में यि अलिलियलमत दकया िाता िै :—
1. लिर्वचि खण्ड—िब तक दक कोई बात लर्षय या सन्िभव में ऐसे अथावन्र्यि के लर्रुद्ध ि िो, इस अलिलियम में
लिम्िलिलखत िब्िों और पिों का र्िी अथव िोगा िो उन्िें दिया गया िै, अथावत—
“लििे का मलिस्टरे ट” से र्ि मुखय अलिकारी अलभप्रेत िै लिस पर लििे के कायवपालिक प्रिासि का भार िै और िो
मलिस्टरेट की िलतयों का प्रयोग करता िै चािे ऐसे कायवपालिक प्रिासि से भाररत मुखय अलिकारी दकसी भी पिालभिाि से
ज्ञात िो;
“मलिस्टरेट” िब्ि के अन्तगवत मलिस्टरेट की सब या दकन्िीं िलतयों का प्रयोग करिे र्ािे सािारण पुलिस लििे के सब व्यलत
आते िैं;
“पुलिस” िब्ि के अन्तगवत र्े सब व्यलत आते िैं िो इस अलिलियम के अिीि भती दकए गए िैं;
1
संलक्षत िाम, भारतीय संलक्षत िाम अलिलियम, 1897 (1897 का 14) द्वारा दिया गया िै ।
यि अलिलियम—
संथाि परगिा व्यर्स्टथापि लर्लियम, 1872 (1872 का 3) की िारा 3 द्वारा संथाि परगिा को,
किकिा पुलिस अलिलियम, 1898 (1898 का बंगाि अलिलियम संखयांक 1) द्वारा उपान्तरण सलित किकिा ििर और उसके उपिगरों को,
खोंडमि लर्लि लर्लियम, 1936 (1936 का 4) की िारा 3 और अिुसूची द्वारा खोंडमि ििपि को,
आंगि ु लर्लि लर्लियम, 1936 (1936 का 5) की िारा 3 और अिुसूची द्वारा आंगि ु ििपि को,
उ़िीसा लर्लि लर्लियम, 1936 (1936 का 1) द्वारा मद्रास प्रेलसडेन्सी से उ़िीसा को अन्तररत क्षेत्रों को,
िागू दकया ।
अिुसूलचत ििपि अलिलियम, 1874 (1874 का 14) की िारा 3(क) के अिीि अलिसूचिा द्वारा यि घोलषत दकया गया िै दक यि अलिलियम लिम्िलिलखत
अलिसूलचत ििपिों में प्रर्ृि िै, अथावत :—
ििारीबाग ििपि, िोिारडगा (अब रांची ििपि, िेलखए किकिा गिट, 1899, भाग 1, पृष्ठ 44) और मािभूम और परगिा िािभूम और ससंिभूम ििपि
में कोल्िि, िेलखए गिट आफ इं लडया, 1831, भाग 1, पृष्ठ 504, और ससंिभूम ििपि में पोरिाट एस्टटेट, िेलखए गिट आफ इं लडया, 1897, भाग 1, पृष्ठ 1089 ।
उसी अलिलियम की िारा 5 के अिीि अलिसूचिा द्वारा इसका लर्स्टतार कु मायूं और गढ़र्ाि ििपिों को दकया गया, िेलखए गिट आफ इं लडया, 1891,
भाग 1, पृष्ठ 185 और (िारा 5 के अपर्ाि सलित) कु मव के अिुसूलचत ििपि को, िेलखए गिट आफ इं लडया, 1914, भाग 2, पृष्ठ 2347 । िारा 15, िारा 15क, िारा 16,
िारा 30, िारा 30क, िारा 31 और िारा 32 को गंिम और लर्िगापतिम के अिुसूलचत ििपिों में लर्स्टताररत दकया गया, िेलखए फोटव सेंट िािव गिट, 1898, भाग 1,
पृष्ठ 667 और गिट आफ इं लडया, 1898, भाग 1, पृष्ठ 873 । सम्पूणव अलिलियम का लर्स्टतार िलक्षणी किावटक ििपि से संबद्ध अमीििीर्ी द्वीप को दकया गया, िेलखए
फोटव सेंट िािव गिट, 1935, भाग 1, पृष्ठ 1202 ।
लर्िलयत राज्य (लर्लि) अलिलियम, 1949 (1949 का 59) द्वारा इसका लर्स्टतार लर्िलयत राज्यों और भोपाि, लबिासपुर, लिमाचि प्रिेि और कच्छ राज्यों
को और भाग ग राज्य (लर्लि) अलिलियम, 1950 (1950 का 30) द्वारा मलणपुर, लत्रपुरा और सर्ंध्य प्रिेि राज्यों को दकया गया ।
इसे लिम्िलिलखत पर लर्स्टताररत दकया गया :—
(1) 1963 के लर्लियम 6 की िारा 2 और अिुसूची 1 द्वारा, 1-7-1965 से िािरा और िागर िर्ेिी में प्रर्ृि दकया गया ।
(2) 1965 के लर्लियम 8 की िारा 3 और अिुसूची द्वारा 1-10-1967 से िक्षद्वीप, लमलिकाय और अमीििीर्ी द्वीप में प्रर्ृि दकया गया ।
(3) 1958 के मध्य प्रिेि अलिलियम संखयांक 23 द्वारा (अलिसूचिा की तारीख से) सम्पूणव मध्य प्रिेि ।
(4) 1962 के लर्लियम 12 की िारा 3 और अिुसूची द्वारा उपान्तरणों सलित गोर्ा, िमण और िीर् ।
मद्रास, मुम्बई और बंगाि के लिम्ितर प्रान्तों में लर्िेष अलिलियलमलतयों के प्रर्तवि और िारा 46 द्वारा प्रर्ृि िलत के अिीि इस अलिलियम के लर्स्टतार के
संबंि में, उस िारा की रटपणी िेलखए ।
राज्यों के कलतपय भागों में प्रर्ृि सैलिक, फ्रंरटयर या ग्राम्य पुलिस के लिए लर्िेष अलिलियलमलतयों के संबंि में, िारा 8 का पाि रटपण िेलखए ।
िो या अलिक प्रान्तों के भागरूप लर्िेष पुलिस, ििपिों के सृिि और राज्य के दकसी भाग में दकसी पुलिस बि के सिस्टयों की िलत और अलिकाररता का
उिके प्रत्येक भाग में अपर्िवि के लिए, पुलिस अलिलियम, 1888 (1888 का 3) िेलखए ।
यि अलिलियम लिम्िलिलखत को िागू करिे के लिए—
सी०पी० और बरार को 1937 के सी०पी० और बरार अलिलियम सं० 3 द्वारा; मद्रास को 1948 के मद्रास अलिलियम सं० 13; यू०पी० को 1939 के यू०पी०
अलिलियम सं० 2, 1944 के अलिलियम सं० 2 और 1952 के अलिलियम सं० 32 द्वारा; पंिाब को 1948 के ई०पी० अलिलियम सं० 30 द्वारा; पांलडचेरी को 1968 के
पांलडचेरी अलिलियम सं०7 द्वारा, पलचमी बंगाि को 1973 के पलचमी बंगाि अलिलियम सं० 5 द्वारा; उ़िीसा को 1976 के उ़िीसा अलिलियम सं० 5 और 1976 के
अलिलियम सं० 34 द्वारा; तथा लसलकम को 1980 के लसलकम अलिलियम सं० 7 द्वारा, संिोलित दकया गया ।
यि अलिलियम बेल्िारी लििे को िागू िोिे में 1955 के मैसूर अलिलियम सं० 14 द्वारा लिरलसत दकया गया ।
2
“सािारण पुलिस लििा” में कोई 1प्रेलसडेन्सी, राज्य या स्टथाि या दकसी प्रेलसडेन्सी, राज्य या स्टथाि का कोई भाग आता िै,
लिसमें इस अलिलियम को प्रभार्ी करिे के लिए आिेि दिया गया िै;
2[“लििा अिीक्षक” और “लििा पुलिस अिीक्षक” िब्िों के अन्तगवत सिायक लििा अिीक्षक या अन्य व्यलत आता िै लिसे
दकसी लििे में लििा पुलिस अिीक्षक के सब कतवव्यों या उिमें से दकसी का पािि करिे के लिए इस अलिलियम के अिीि राज्य सरकार
के सािारण या लर्िेष आिेि द्वारा लियुत दकया गया िै;]
“सम्पलि” िब्ि के अन्तगवत कोई िंगम सम्पलि, िि या मूल्यर्ाि प्रलतभूलत आती िै;
3
* * * * *
“व्यलत” िब्ि के अन्तगवत कम्पिी या लिगम आता िै;
“मास” िब्ि से किेण्डर मास अलभप्रेत िै;
4
“ढोर” िब्ि के अन्तगवत सीगों र्ािे ढोरों के अलतररत िाथी, ऊंट, घो़िे, गिे, खच्चर, भेडें, बकररयां और सूअर आते िैं ।
5
[पुलिस बि की अिीिस्टथ पंलतयों के प्रलत लििेिों का अथव यि िगाया िाए दक र्े लििेि उस बि के उपअिीक्षक की पंलत
के िीचे र्ािे सिस्टयों के प्रलत िैं ।]
2. बि का गठि—इस अलिलियम के प्रयोििाथव राज्य सरकार के अिीि समस्टत पुलिस स्टथापि एक 7पुलिस बि समझा
6
िाएगा और रीलतत: भती दकया िाएगा और र्ि अलिकाररयों और पुलिसिि की ऐसी संखया से लमिकर बिेगा और ऐसी रीलत से
गरठत िोगा 8*** िैसा 9*** राज्य सरकार समय-समय पर आिेि करे ।
[इस अलिलियम के उपबन्िों के अिीि रिते हए, दकसी पुलिस बि की अिीिस्टथ पंलत के सिस्टयों का र्ेति और सेर्ा की
5
1
के न्द्रीय सरकार, पुलिस अलिलियम, 1888 (1888 का 3) की िारा 2 के अिीि, इस उपबन्ि के िोते हए भी िो या अलिक राज्यों के भागों को लमिाकर दकसी लर्िेष
पुलिस लििे का सृिि कर सके गी ।
दिल्िी राज्य के लर्षय में, िेलखए—भारत का रािपत्र, 1912, भाग 1, पृ० 1105 ।
2
1895 के अलिलियम सं० 8 की िारा 1 द्वारा अन्त:स्टथालपत ।
3
1914 के अलिलियम सं० 10 की िारा 3 और अिुसूची II द्वारा “संखया” और “सिंग” से संबंलित पररभाषाएं, लिरलसत की गई ।
4
पिु अलतचार अलिलियम, 1871 (1871 का 1) की िारा 3 में “पिु” की स्टपष्ट पररभाषा िै ।
5
भारत सरकार (भारतीय लर्लि अिुकूिि) आिेि, 1937 द्वारा अन्त:स्टथालपत ।
6
बंगाि पुलिस अलिलियम, 1869 (1869 का बंगाि 7) द्वारा िारा 2 का, ििां तक यि बंगाि के उपराज्यपाि के प्रिासिािीि प्रान्तों से संबंलित था, लिरसि
दकया गया ।
7
कु छ स्टथािों में पुलिस बि के अभ्यार्ेिि के लर्षय में िारा 8 के िीचे रटपण िेलखए ।
8
भारत िासि (भारतीय लर्लि अिुकूिि) आिेि, 1937 द्वारा “और ऐसे बि के सिस्टय ऐसा र्ेति प्रात करें ग”े िब्िों का िोप दकया गया ।
9
भारत िासि (भारतीय लर्लि अिुकूिि) आिेि, 1937 द्वारा कलतपय िब्िों का िोप दकया गया ।
10
भारत िासि (भारतीय लर्लि अिुकूिि) आिेि, 1937 द्वारा “लियुत” का िोप दकया गया ।
11
किकिा ििर और उसके उपिगरों में पुलिस प्रिासि “पुलिस आयुत” में लिलित िैं, िेलखए—किकिा पुलिस अलिलियम, 1866 (1866 का बंगाि 4) की िारा 3 ।
12
भारत िासि (भारतीय लर्लि अिुकूिि) आिेि, 1937 द्वारा िोप दकया गया ।
3
7. अर्र अलिकाररयों की लियुलत और पिच्युलत इत्यादि—1[2[संलर्िाि के अिुच्छे ि 311 के उपबन्िों के और ऐसे लियमों
के ,] िो राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर इस अलिलियम के अिीि बिाए िाएं , 2[अिीि रिते हए] पुलिस मिालिरीक्षक,
उपमिालिरीक्षकगण, सिायक मिालिरीक्षकगण, और लििा अिीक्षकगण, दकसी समय अिीिस्टथ पंलतयों के ऐसे दकसी अलिकारी को,
पिच्युत, लििलम्बत या अर्ित कर सकें गे] लिसे र्े अपिे कतवव्य के लिर्विि में लिलथि या उपेक्षार्ाि पाएं या िो उस पि के लिए
अयोग्य समझे िाएं,
3
[या 4[अिीिस्टथ पंलतयों के ] ऐसे दकसी पुलिस अलिकारी को िो अपिे कतवव्य का अिर्िािता या उपेक्षापूणव रीलत से
लिर्विि करता िै या िो स्टर्कायेण अपिे कतवव्य के लिर्विि के लिए स्टर्त: को अयोग्य कर िेता िै, लिम्ि िण्डों में से कोई एक या अलिक
िे सके गा, अथावत :—
(क) एक मास के र्ेति से अिलिक दकसी रालि का िुमाविा;
(ख) िण्ड रूप लिि, अलतररत पिरा, अलतश्रम या अन्य कायव के सलित या रलित पंद्रि दििों से अिलिक कािार्लि
के लिए र्ाटवर परररोि;
(ग) सिाचरण र्ेति से र्ंलचत करिा;
(घ) लर्लिष्ट या लर्िेष उपिलब्ि के दकसी पि से िटािा ।]5
8. पुलिस अलिकाररयों को प्रमाणपत्र—6[िारा 4 में र्र्णवत अलिकारी से लभन्ि] प्रत्येक पुलिस अलिकारी को 7[पुलिस बि में
लियुलत] पर, मिालिरीक्षक या ऐसे अन्य अलिकारी की, लिसे मिालिरीक्षक लियुत करे मुद्रांदकत, इस अलिलियम से उपाबद्ध प्ररूप में
एक प्रमाणपत्र लमिेगा लिसके फिस्टर्रूप ऐसे प्रमाणपत्र को िारण करिे र्ािे व्यलत में पुलिस अलिकारी की िलतयां, कृ त्य और
लर्िेषालिकार लिलित िोंगे ।
प्रमाणपत्र का अभ्यपवण—8[िब कभी प्रमाणपत्र में िालमत व्यलत दकसी कारण से पुलिस अलिकारी ििीं रिता िै तब ऐसा
प्रमाणपत्र प्रभार्िीि िो िाएगा और उसके अलिकारी ि रििे पर उसके द्वारा प्रमाणपत्र प्रात करिे के लिए सित अलिकारी को
तुरन्त अभ्यर्पवत दकया िाएगा ।]
पुलिस अलिकारी अपिे पि से लििलम्बत िोिे के कारण पुलिस अलिकारी बिे रििे से पररलर्रत ििीं िो िाएगा; ऐसे
लििम्बि की अर्लि में र्े िलतयां, कृ त्य और लर्िेषालिकार, िो पुलिस अलिकारी के रूप में उसमें लिलित िैं, प्रास्टथलगत रिेंग,े दकन्तु
र्ि उन्िीं उिरिालयत्र्ों, अिुिासि और िलतयों और उन्िीं प्रालिकाररयों के अिीि रिेगा, मािो र्ि लििलम्बत ििीं हआ िै ।]
9. पुलिस अलिकारी लबिा इिाित या िो मास की सूचिा के पि-त्याग ििीं करें गे—िब तक लििा अिीक्षक या ऐसी
अिुमलत िेिे के लिए प्रालिकृ त कोई अन्य अलिकारी अलभव्यतत: अिुज्ञा ि िे िे, कोई पुलिस अलिकारी अपिे पि के कतवव्यों से अपिे
को प्रत्याहृत करिे के लिए या िब तक र्ि अपिे र्ररष्ठ अलिकाररयों को त्यागपत्र िेिे के आिय की लिलखत सूचिा िो मास से अन्यू ि
अर्लि के लिए ि िे िे, लबिा लििा अिीक्षक की इिाित के त्यागपत्र िेिे के लिए स्टर्तंत्र ि िोगा ।
10. पुलिस अलिकारी अन्य लियोिि में ििीं िगेंगे—िब तक मिालिरीक्षक ऐसा करिे के लिए अलभव्यतत: उसे लिलखत रूप
में अिुज्ञा ि िे िे, कोई पुलिस अलिकारी इस अलिलियम के अिीि र्ािे अपिे कतवव्यों से लभन्ि दकसी लियोिि या पि में ििीं िगेंगे ।
1
भारत िासि (भारतीय लर्लि अिुकूिि) आिेि, 1937 द्वारा कलतपय िब्िों के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
2
लर्लि अिुकूिि आिेि, 1950 (सं०आ० 29 द्वारा यथासंिोलित) द्वारा “ऐसे लियमों के अिीि रिते हए” के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
3
1895 के अलिलियम सं० 8 की िारा 2 द्वारा कलतपय िब्िों के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
4
भारत िासि (भारतीय लर्लि अिुकूिि) आिेि, 1937 द्वारा अन्त:स्टथालपत ।
5
यू०पी० के कु छ स्टथािों पर स्टथालपत िागू खण्ड (ङ) के स्टथाि पर िेलखए—1944 का यू०पी० अलिलियम 2 ।
6
लिम्िलिलखत के अभ्यार्ेिि, अिुरक्षण और अिुिासि और लर्षय में :—
(1) (क) अण्डमाि और लिकोबार द्वीप समूि में लियोलित सेिा पुलिस बि, िेलखए—अण्डमाि और लिकोबार द्वीपसमूि सेिा (भंग करिा) लर्लियम, 1946
(1946 का 3),
(ख) असम में लियोलित सेिा पुलिस बि, िेलखए—असम रायफल्स अलिलियम, 1941 (1941 का 5),
(ग) बंगाि में लियोलित सेिा पुलिस बि, िेलखए—पूर्ी सीमान्त राइफल्स (बंगाि बटालियि) अलिलियम, 1920 (1920 का 2),
(2) पंिाब सीमान्त पुलिस अलिकारी, िेलखए—पंिाब सीमान्त पुलिस अलिकारी लर्लियम, 1893 (1893 का 7),
(3) किकिा और उपिगरीय पुलिस, िेलखए—किकिा पुलिस अलिलियम, 1866 (1866 का बंगाि 4) और किकिा उपिगरीय पुलिस अलिलियम, 1866
(1866 का बंगाि 2);
(4) उिर प्रिेि में िगरपालिका क्षेत्रों में पुलिस स्टथापि, िेलखए—उिर प्रिेि िगरपालिका अलिलियम, 1916 (1916 का यू०पी० 2);
(5) पंिाब में िगरपालिका क्षेत्रों में पुलिस स्टथापि, िेलखए—पंिाब िगरपालिका अलिलियम, 1911 (1911 का पंिाब 3);
(6) संथाि परगिा में ग्रामीण पुलिस, िेलखए—संथाि परगिा ग्रामीण पुलिस लर्लियम, 1910 (1910 का 4);
(7) छोटा िागपुर ग्रामीण पुलिस, िेलखए—छोटा िागपुर ग्रामीण पुलिस अलिलियम, 1914 (1914 का बी० एण्ड ओ० 1);
(8) यू०पी० लर्िेष सिस्टत्र पुलिस, िेलखए—उिर प्रिेि लर्िेष सिस्टत्र पुलिस अलिलियम, 1942 (1942 का यू०पी० 5);
(9) दिल्िी लर्िेष पुलिस स्टथापि, िेलखए—दिल्िी लर्िेष पुलिस स्टथापि अलिलियम, 1946 (1946 का 25); और
(10) दिल्िी पुलिस, िेलखए—दिल्िी पुलिस अलिलियम, 1978 (1978 का 34) ।
7
भारत िासि (भारतीय लर्लि अिुकूिि)आिेि, 1937 द्वारा “लियुत दकया” िब्िों के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
8
1895 के अलिलियम सं० 8 की िारा 3 द्वारा मूि िूसरे पैरा के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
4
11. [पुलिस अलिर्ार्षवकी लिलि ।] लिरसि अलिलियम, 1874 (1874 का 16) की िारा 1 और अिुसूची, भाग 1 द्वारा
लिरलसत ।
12. मिालिरीक्षक की लियम बिािे की िलत—पुलिस मिालिरीक्षक पुलिस बि के संगठि, र्गीकरण और लर्तरण से, उि
स्टथािों से, लििमें बि के सिस्टय लिर्ास करें गे, और बि के सिस्टयों द्वारा की िािे र्ािी लर्लिष्ट सेर्ाओं से, उिके लिरीक्षण, उन्िें दिए
िािे र्ािे आयुिों, साि-सज्िा और अन्य आर्यक र्स्टतुओं के र्णवि से उिके द्वारा गुत र्ाताव और िािकारी के संग्रिण और संसूचिा से
सम्बद्ध ऐसे आिेि और लियम लिन्िें र्ि समीचीि समझे, और पुलिस बि से सम्बद्ध ऐसे सब अन्य आिेि और लियम लिन्िें
मिालिरीक्षक कतवव्य के िुरुपयोग या उपेक्षा के लिर्ारण के लिए, और ऐसे बि को अपिे कतवव्यों के लिर्विि में िक्ष बिािे के लिए
समय-समय पर समीचीि समझे, राज्य सरकार के पूर्ाविुमोिि के अिीि समय-समय पर बिा सकता िै ।
13. व्यलतगत खचव पर लियोलित अलतररत पुलिस अलिकारी—पुलिस मिालिरीक्षक या दकसी उपमिालिरीक्षक या सिायक
मिालिरीक्षक या लििा अिीक्षक के लिए लििे के मलिस्टरे ट के सािारण लििेिि के अिीि रिते हए यि लर्लिपूणव िोगा दक र्ि उसकी
आर्यकता िर्िवत करिे र्ािे दकसी व्यलत के आर्ेिि पर सािारण पुलिस लििे के अन्िर दकसी स्टथाि पर िालन्त बिाए रखिे के लिए
और ऐसे समय के लिए िो उलचत समझा िाए, पुलिस अलिकाररयों की कोई अलतररत संखया प्रलतलियुत कर िे । ऐसा बि अिन्यत:
लििा अिीक्षक के आिेिों के अिीि िोगा और उसका भार आर्ेिि करिे र्ािे व्यलत पर िोगा :
परन्तु उस व्यलत के लिए, लिसके आर्ेिि पर ऐसा प्रलतलियोिि दकया गया िै, यि लर्लिपूणव िोगा दक र्ि मिालिरीक्षक,
उप मिालिरीक्षक, या सिायक मिालिरीक्षक, या लििा अिीक्षक को एक मास की लिलखत सूचिा िे कर यि अपेक्षा करे दक इस प्रकार
प्रलतलियुत पुलिस अलिकारी प्रत्याहृत दकए िाएं, और ऐसा व्यलत ऐसे अलतररत बि के भार से ऐसी सूचिा के अर्साि पर अर्मुत
िो िाएगा ।
14. रे ि और अन्य कमों के आसपास अलतररत बि की लियुलत—िब कभी कोई रे ि, ििर या अन्य िोककमव या कोई
लर्लिमावणिािा या र्ालणलज्यक समुत्थाि िेि के दकसी भाग में चिाया िाए या दक्रयािीि िो और मिालिरीक्षक को यि प्रतीत िो दक
ऐसे कमव, लर्लिमावणिािा या समुत्थाि में लियोलित व्यलतयों के आचरण या ऐसे आचारण की युलतयुत आिंका के कारण ऐसे स्टथाि
में अलतररत पुलिस बि का लियोिि आर्यक िै, तब मिालििेिक के लिए यि लर्लिपूणव िोगा दक र्ि राज्य सरकार की सिमलत से
ऐसे स्टथाि में अलतररत बि प्रलतलियुत कर िे और िब तक ऐसी आर्यकता बिी रिे तब तक उसे र्िां लियोलित रखे और ऐसे कमव ,
लर्लिमावणिािा या समुत्थाि को चिािे में प्रयुत लर्लियों का लियंत्रण या अलभरक्षा लिस व्यलत के िाथ में िै उसे अलतररत बि के
लिए िो इस प्रकार आर्यक िो गया िै, संिाय करिे के लिए समय-समय पर आिेि िे, और तिुपरर ऐसा व्यलत तििुसार संिाय
कराएगा ।
[15. लर्क्षुब्ि या संकटपूणव लििों में अलतररत पुलिस रखिा—(1) राज्य सरकार के लिए यि लर्लिपूणव िोगा दक र्ि रािपत्र
1
में अलिसूलचत की िािे र्ािी उिघोषणा द्वारा और ऐसी अन्य रीलत में लिसे राज्य सरकार लिर्िवष्ट करे , यि घोलषत कर िे दक उसके
प्रालिकार के अिीि कोई क्षेत्र लर्क्षुब्ि या संकटमय अर्स्टथा में पाया गया िै या ऐसे क्षेत्र के लिर्ालसयों या उिके दकसी र्गव या अिुभाग
के आचारण से यि समीचीि िो गया िै दक पुलिस की संखया बढ़ाई िाए ।
(2) तिुपरर पुलिस मिालिरीक्षक या इस लिलमि राज्य सरकार द्वारा प्रालिकृ त अन्य प्रालिकारी के लिए यि लर्लिपूणव िोगा दक
र्ि यथापूर्ोत घोषणा में लर्लिर्िवष्ट क्षेत्रों में रखे िािे के लिए उस लियत सामान्य संखया के अलतररत, पुलिस बि राज्य सरकार की
मंिूरी से लियोलित करे ।
(3) इस िारा की उपिारा (5) के उपबन्िों के अिीि, ऐसे अलतररत पुलिस बि का खचव उिघोषणा में र्र्णवत क्षेत्र के
लिर्ालसयों द्वारा र्िि दकया िाएगा ।
(4) लििे का मलिस्टरे ट ऐसी िांच के पचात िो र्ि आर्यक समझे, ऐसे खचव का प्रभािि उि लिर्ालसयों के बीच करे गा िो
यथापूर्ोत, उसे र्िि करिे के िालयत्र्ािीि िैं और लिन्िें ठीक उिरर्ती उपिारा के अिीि छू ट ििीं िी गई िै । ऐसा प्रभािि ऐसे
लिर्ालसयों के ऐसे क्षेत्र में उिके साििों की बाबत मलिस्टरे ट के लिणवय के अिुसार दकया िाएगा ।
(5) राज्य सरकार के लिए यि लर्लिपूणव िोगा दक र्ि आिेि द्वारा ऐसे खचव के दकसी भाग को र्िि करिे के िालयत्र् से दकन्िीं
व्यलतयों या ऐसे लिर्ालसयों के दकसी र्गव या अिुभाग को छू ट िे ।
(6) इस िारा की उपिारा (1) के अिीि िारी की गई प्रत्येक उिघोषणा में र्ि कािार्लि कलथत िोगी लिसमें र्ि प्रर्ृि
रिेगी दकन्तु र्ि दकसी भी समय प्रत्याहृत की िा सके गी या ऐसी और कािार्लि या कािार्लियों के लिए समय-समय पर चािू रखी
िा सके गी, लिन्िें राज्य सरकार प्रत्येक मामिे में लिर्िवष्ट करिा ठीक समझे ।
स्टपष्टीकरण—इस िारा के प्रयोििों के लिए “लिर्ालसयों” के अन्तगवत र्े व्यलत िैं, िो ऐसे क्षेत्र के अन्िर भूलम या अन्य
स्टथार्र सम्पलि स्टर्यं या अपिे अलभकतावओं या सेर्कों द्वारा अलिभोग में रखते िैं या िारण करते िैं और र्े भूिारक िैं िो ऐसे क्षेत्र में
सीिे रै य्यतों या अलिभोलगयों से स्टर्यं या अपिे अलभकतावओं या सेर्कों द्वारा भाटक संगृिीत करते िैं, इस बात के िोते हए भी दक र्े
र्स्टतुत: र्िां लिर्ास ििीं करते िैं ।]
1
1895 के अलिलियम सं० 8 की िारा 4 द्वारा मूि िारा के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
5
1
[15क. लिर्ालसयों या भूलम में लितबद्ध व्यलतयों के िुराचरण से पील़ितों को प्रलतकर अलिलिणीत करिा—(1) यदि ऐसे
दकसी क्षेत्र में, लिसकी बाबत ठीक पूर्वर्ती िारा के अिीि अलिसूलचत कोई उिघोषणा प्रिि िै, ऐसे क्षेत्र के लिर्ालसयों या उिके दकसी
र्गव या अिुभाग के िुराचरण के कारण या ऐसी कोई मुत्यृ या घोर उपिलत या सम्पलि की िालि या िुकसाि उद्भूत हई या हआ िै तो
ऐसे क्षेत्र के लिर्ासी ऐसे दकसी व्यलत के लिए िो यि िार्ा करता िै दक उसे िुराचरण से क्षलत उठािी प़िी िै, क्षलत की तारीख से एक
मास, या ऐसी न्यूितर कािार्लि के अन्िर, िो लर्लित की िाए, उस लििे या लििे के उपखण्ड के , लिसके अन्िर ऐसा क्षेत्र लस्टथत िै,
मलिस्टरेट से प्रलतकर के लिए आर्ेिि करिा लर्लिपूणव िोगा ।
(2) तिुपरर लििे के मलिस्टरे ट के लिए यि लर्लिपूणव िोगा दक र्ि ऐसी िांच के पचात, िो र्ि आर्यक समझे, और चािे
ऐसे क्षेत्र में ठीक पूर्वर्ती िारा के अिीि कोई अलतररत पुलिस बि रखा गया िो या ििीं, राज्य सरकार की मंिूरी से,—
(क) उि व्यलतयों को घोलषत कर िे, लिन्िें ऐसे िुराचरण से उद्भूत, या उसके कारण क्षलत हई िै;
(ख) ऐसे व्यलतयों को िी िािे र्ािी प्रलतकर की रालि, और र्ि रीलत लिसमें उसका उिमें लर्तरण दकया िाएगा,
लियत कर िे; और
(ग) र्ि अिुपात लििावररत कर िे लिसमें र्ि रालि आर्ेिक से लभन्ि ऐसे क्षेत्र के उि लिर्ालसयों द्वारा िी िाएगी
लिन्िें संिाय करिे के िालयत्र् से छू ट ठीक पचात्र्ती उपिारा के अिीि ििीं िी गई िै :
परन्तु मलिस्टरेट इस उपिारा के अिीि कोई घोषणा या लििावरण ििीं करे गा िब तक दक उसकी यि राय ि िो दक
यथापूर्ोत क्षलत ऐसे क्षेत्र के अन्िर बिर्े या लर्लिलर्रुद्ध िमार् से उत्पन्ि हई थी और लिि घटिाओं से ऐसी क्षलत हई थी उि
घटिाओं के लर्षय में र्ि व्यलत, लिसे क्षलत उठािी प़िी िै, िोषरलित था ।
(3) राज्य सरकार के लिए यि लर्लिपूणव िोगा दक र्ि आिेि द्वारा ऐसे प्रलतकर के दकसी भाग के संिाय के िालयत्र् से दकन्िीं
व्यलतयों या ऐसे लिर्ालसयों के दकसी र्गव या अिुभाग को छू ट िे िे ।
(4) लििे के मलिस्टरे ट द्वारा उपिारा (2) के अिीि की गई प्रत्येक घोषणा या लििावरण या दिया गया आिेि उस खण्ड के
आयुत या राज्य सरकार के पुिरीक्षण के अध्यिीि िोगा दकन्तु यथापूर्ोत के लसर्ाय र्ि अलन्तम िोगा ।
(5) ऐसी दकसी क्षलत के लिए लिसके लिए इस िारा के अिीि प्रलतकर अलिलिणीत हआ िै लसलर्ि र्ाि ििीं चिेगा ।
(6) स्टपष्टीकरण—इस िारा में “लिर्ालसयों” िब्ि का र्िी अथव िै िो ठीक पूर्वर्ती िारा में िै ।]
[16. िारा 13, 14, 15 और 15क के अिीि संिय
2
े ििों की र्सूिी और र्सूिी िोिे पर उिका व्ययि—(1) िारा 13, 14, 15
और 15क के अिीि िेय सब िि लििे के मलिस्टरे ट द्वारा उस रीलत में, िो 3िण्ड प्रदक्रया संलिता, 1882 (1882 का 10) की िारा 386
और 387 द्वारा िुमािों की र्सूिी के लिए उपबलन्ित िै, या दकसी सक्षम न्यायािय में र्ाि द्वारा र्सूि दकए िा सकें गे ।
4
* * * * *
(3) िारा 15क के अिीि संिि या र्सूि दकए गए सब िि, लििे के मलिस्टरेट द्वारा उि व्यलतयों को, लििको और उि
अिुपातों में, लििमें र्े इस िारा के अिीि संिेय िैं, दिए िाएंगे ।]
17. लर्िेष पुलिस अलिकारी—िब यि प्रतीत िो दक कोई लर्लिलर्रुद्ध िमार् या बिर्ा या िालन्त भंग हई िै या युलतयुत
रूप से िोिे की आिंका िै और िालन्त के परररक्षण के लिए सामान्यतया लियोलित पुलिस बि उस स्टथाि में, ििां ऐसा लर्लिलर्रुद्ध
िमार् या बिर्ा या िालन्त भंग हई िै या िोिे की आिंका िै, िालन्त के परररक्षण के लिए और लिर्ालसयों के संरक्षण और सम्पलि की
सुरक्षा के लिए पयावत ििीं िै तब लिरीक्षक की पंलत से अलिम्ि पंलत के दकसी पुलिस अलिकारी के लिए यि लर्लिपूणव िोगा दक र्ि
लिकटतम मलिस्टरेट से यि आर्ेिि करे दक आसपास के इतिे लिर्ासी, लितिे पुलिस अलिकारी अपेक्षा करे , ऐसे समय के लिए और ऐसी
सीमाओं के अन्िर िैसा दक र्ि आर्यक समझे, लर्िेष पुलिस अलिकाररयों के रूप में कायव करिे के लिए लियुत कर दिए िाएं और
लिस मलिस्टरेट से ऐसा आर्ेिि दकया िाता िै र्ि, िब तक दक इसके प्रलतकू ि कारण दिखाई ि प़िे आर्ेिि का अिुर्तवि करे गा ।
18. लर्िेष पुलिस अलिकाररयों की िलतयां—इस प्रकार लियुत प्रत्येक लर्िेष पुलिस अलिकारी की िलतयां,
लर्िेषालिकार और पररत्राण पुलिस के सामान्य अलिकारी के समाि िोंगे और र्ि पुलिस के सामान्य अलिकारी के समाि र्ैसे िी
कतवव्यों का पािि करिे के िालयत्र्ािीि िोगा और र्ैसी िी िलतयों और र्ैसे िी अलिकाररयों के अिीिस्टथ िोगा ।
19. लर्िेष पुलिस अलिकारी के रूप में सेर्ा करिे से इन्कार—यदि कोई व्यलत यथापूर्ोत लर्िेष पुलिस अलिकारी लियुत
दकए िािे पर पयावत प्रलतिेतु के लबिा ऐसी सेर्ा करिे में या ऐसी लर्लिपूणव आज्ञा या लििेि का, िो उसे, उसके कतवव्यों के पािि के
लिए दकया िाए, अिुर्तवि करिे में उपेक्षा या इं कार करता िै तो र्ि दकसी मलिस्टरे ट के समक्ष िोषलसलद्ध पर ऐसी प्रत्येक उपेक्षा, इन्कार
या अर्ज्ञा करिे के लिए पचास रुपए से अिलिक िुमाविे से िण्डिीय िोगा ।
1
1895 के अलिलियम सं० 8 की िारा 5 द्वारा अन्त:स्टथालपत ।
2
1895 के अलिलियम सं० 8 की िारा 6 द्वारा मूि िारा के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
3
अब िण्ड प्रदक्रया संलिता, 1973 (1974 का अलिलियम सं० 2) की िाराएं 421 और 422 िेलखए ।
4
भारत िासि (भारतीय लर्लि अिुकूिि) आिेि, 1937 द्वारा उपिारा (2) का िोप दकया गया । तथालप भारत, बमाव (अस्टथायी उपबन्ि) आिेि, 1937 का पैरा 4 िेलखए ।
6
20. पुलिस अलिकाररयों द्वारा प्रयोग दकया िािे र्ािा प्रालिकार—इस अलिलियम के अिीि भती दकए गए पुलिस
1
अलिकारी इस अलिलियम और िण्ड प्रदक्रया को लर्लियलमत करिे के लिए इसके पचात पाररत दकसी अलिलियम के अिीि पुलिस
अलिकारी के लिए उपबलन्ित प्रालिकार के लसर्ाय दकसी प्रालिकार का प्रयोग ििीं करें गे ।
21. ग्राम पुलिस अलिकारी—इस अलिलियम में कोई बात दकसी आिुर्ंलिक या अन्य ग्राम पुलिस अलिकारी को प्रभार्ी ििीं
करे गी िब तक दक र्ि अलिकारी इस अलिलियम के अिीि पुलिस अलिकारी के रूप में भती ििीं दकया िाए । इस प्रकार भती दकए
िािे पर ऐसा अलिकारी ठीक पूर्वर्ती िारा के उपबन्िों से आबद्ध िोगा । कोई आिुर्ंलिक या अन्य ग्राम पुलिस अलिकारी लबिा अपिी
सम्मलत के और लबिा उिकी सम्मलत के , लिन्िें िामलििेिि का अलिकार िै, भती ििीं दकया िाएगा ।
फोटव लर्लियम की प्रेंलसडेंसी में पुलिस चौकीिार—यदि 1856 के अलिलियम 202 के अिीि (बंगाि में फोटव लर्लियम की
प्रेलसडेन्सी में िगरों, ििरों, स्टटेििों, िगरांचि और बािारों में पुलिस चौकीिारों को लियुत करिे और बिाए रखिे के लिए अलिक
अच्छा उपबन्ि करिे के लिए) लियुत कोई पुलिस अलिकारी उस लििे के बािर लियोलित दकया िाता िै, लिसके लिए र्ि उस
अलिलियम के अिीि लियुत दकया गया िै तो उसको उस लििे के लिए उत अलिलियम के अिीि उद्गृिीत स्टथािीय करों में से संिाय
ििीं दकया िाएगा ।
22. पुलिस अलिकारी सिैर् कतवव्यारूढ़ िोंगे और लििे के दकसी भी भाग में लियोलित दकए िा सकें गे —प्रत्येक पुलिस
अलिकारी इस अलिलियम में अन्तर्र्वष्ट सब प्रयोििों के लिए, सिैर् कतवव्यारूढ़ मािा िाएगा और दकसी भी समय सािारण पुलिस
लििे के दकसी भी भाग में पुलिस अलिकारी के रूप में लियोलित दकया िा सके गा ।
23. पुलिस अलिकाररयों के कतवव्य—प्रत्येक पुलिस अलिकारी का यि कतवव्य िोगा दक र्ि दकसी सक्षम प्रालिकारी द्वारा उसे
लर्लिपूणवत: िारी दकए गए सब आिेिों और र्ारन्टों का सत्र्र पािि और लिष्पािि करे , िोक िालन्त को प्रभालर्त करिे र्ािी गुत
र्ाताव का संग्रिण और संसूचिा करे , अपरािों और िोक न्याय के लिए दकए िािे का लिर्ारण करे , अपरालियों का पता चिाए और
न्यायािय के समक्ष िाए गए उि सब व्यलतयों को पक़िे, लिन्िें पक़ििे के लिए र्ि र्ैित: प्रालिकृ त िै और लििको पक़ििे के लिए
पयावत आिार लर्द्यमाि िैं, और प्रत्येक पुलिस अलिकारी के लिए इस िारा में र्र्णवत प्रयोििों में से दकसी के लिए दकसी मदिरािय,
िुआघर, या भ्रष्ट या उच्छृ न्खि व्यलतयों के समागम के अन्य स्टथाि में लबिा र्ारण्ट प्रर्ेि करिा और उसका लिरीक्षण करिा लर्लिपूणव
िोगा ।
24. पुलिस अलिकारी इलििा इत्यादि कर सकें गे—दकसी पुलिस अलिकारी के लिए यि लर्लिपूणव िोगा दक र्ि कोई इलििा
मलिस्टरेट को िे, और समि, र्ारं ट, तिािी र्ारन्ट या अन्य ऐसी लर्लिक आिेलिका के लिए, िो अपराि करिे र्ािे दकसी व्यलत के
लर्रुद्ध लर्लि के अिुसार लिकािी िा सकती िै, आर्ेिि करे 3*** ।
25. पुलिस अलिकारी लबिा िार्े र्ािी सम्पलि को अपिे भारसािि में िेंगे और इसके व्ययि की बाबत मलिस्टरे ट के आिेिों
के अिीि िोंगे—और प्रत्येक पुलिस अलिकारी का यि कतवव्य िोगा दक र्ि सब लबिा िार्े र्ािी सम्पलि को अपिे भारसािि में िे और
उसकी तालिका लििे के मलिस्टरेट को िे ।
पुलिस अलिकारी ऐसी सम्पलि के व्ययि के लर्षय में ऐसे आिेिों के मागवििवि िेकर कायव करें गे िो उन्िें लििे के मलिस्टरे ट से
प्रात िों ।
26. मलिस्टरेट सम्पलि को लिरुद्ध कर सके गा और उिघोषणा लिकाि सके गा—(1) लििे का मलिस्टरे ट सम्पलि को लिरुद्ध कर
सके गा, और उि र्स्टतुओं का लििके रूप में र्ि िै लििेि करते हए और यि अपेक्षा करते हए उिघोषणा लिकाि सके गा दक कोई व्यलत
िो उस पर कोई िार्ा रखता िै, ऐसी उिघोषणा की तारीख से छि मास के अन्िर उपसंिात िोकर उस पर अपिा अलिकार
स्टथालपत करे ।
4
[(2) 5िण्ड प्रदक्रया संलिता, 1882 (1882 का 10) की िारा 525 के उपबन्ि, इस िारा में लिर्िवष्ट सम्पलि को िागू िोंगे ।]
[27. यदि कोई िार्ेिार उपसंिात ििीं िोता, तो सम्पलि का अलििरण—(1) यदि कोई व्यलत ऐसी सम्पलि पर, या यदि
6
र्ि बेच िी गई िै तो उसके आगमों पर, उस कािार्लि के अन्िर, िो अिुज्ञात की गई िै, िार्ा ििीं करता िै, तो यदि र्ि ठीक पूर्वर्ती
िारा की उपिारा (2) के अिीि पििे िी बेच ििीं िी गई िै तो र्ि लििे के मलिस्टरे ट के आिेिों के अिीि बेच िी िाएगी ।
1
कु छ मामिों में, लििमें िारा 20 का िागू िोिा लिबवलन्ित दकया गया, िेलखए—असम पुलिस अलिकारी लर्लियम, 1883 (1883 का 2) और पंिाब सीमान्त पुलिस
अलिकारी लर्लियम, 1893 (1893 का 7) की िारा 2 ।
2
बंगाि चौकािारी अलिलियम, 1856 ।
3
1882 का अलिलियम सं० 10 की िारा 2 और अिुसूची 1(ख) द्वारा “और ऐसे व्यलत के , अलन्तम लिणवय तक, अलभयोििाथव” िब्िों का लिरसि दकया गया ।
4
1895 के अलिलियम सं० 8 की िारा 7 द्वारा अन्त:स्टथालपत ।
5
अब िण्ड प्रदक्रया संलिता, 1973 (1974 का 2) की िारा 459 िेलखए ।
6
1895 के अलिलियम सं० 8 की िारा 8 द्वारा मूि िारा के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
7
(2) पूर्वर्ती उपिारा के अिीि बेची गई सम्पलि के लर्क्रय आगम और िारा 26 के अिीि बेची गई सम्पलि के आगम लिि पर
कोई िार्ा स्टथालपत ििीं हआ िै, 1[राज्य सरकार के व्ययिािीि िोंगे ।]
28. पुलिस अलिकारी ि रििे पर प्रमाणपत्र इत्यादि का पररिाि करिे से इन्कार करिे र्ािे व्यलत—इस अलिलियम के
अिीि भती दकया गया पुलिस अलिकारी ि रििे पर प्रत्ये क व्यलत, िो अपिा प्रमाणपत्र और र्स्टतु, साि-सज्िा, लियुलतयों और अन्य
आर्यक र्स्टतुओं को, िो उसे उसके कतवव्य के लिष्पािि के लिए प्रिाय की गई थी, तत्काि पररिाि ििीं करता िै, मलिस्टरेट के समक्ष
िोषलसलद्ध पर िो सौ रुपए से अिलिक िालस्टत या छि मास से अिलिक कािार्लि के लिए कठोर श्रम सलित या रलित कारार्ास से या
िोिों से िण्डिीय िोगा ।
29. कतवव्य इत्यादि की उपेक्षा के लिए िालस्टतयां—प्रत्येक पुलिस अलिकारी, िो कतवव्य के दकसी अलतक्रमण या सक्षम
अलिकारी द्वारा बिाए गए दकसी लियम या लर्लियम या दिए गए लर्लिपूणव आिेि को िािबूझकर भंग या उपेक्षा करिे का िोषी िै या
िो अपिे पि के कतवव्यों से लबिा अिुज्ञा के या लबिा िो मास की कािार्लि की पूर्व सू चिा दिए प्रत्यािरण करता िै 2[या िो छु ट्टी पर
अिुपलस्टथत िोिे पर ऐसी छु ट्टी के अर्साि पर, लबिा युलतयुत कारण के कतवव्य पर उपलस्टथत ििीं िोता िै] या िो लबिा प्रालिकार के
अपिे पुलिस कतवव्य से लभन्ि दकसी लियोिि में िगता िै या िो कायरता का िोषी िै या िो अपिी अलभरक्षा में के दकसी व्यलत के प्रलत
अर्ैि िारीररक सिंसा करता िै, मलिस्टरेट के समक्ष िोषलसलद्ध पर, तीि मास के र्ेति से अिलिक िालस्टत या तीि मास से अिलिक
कािार्लि के लिए कठोर श्रम सलित या रलित कारार्ास से या िोिों से िण्डिीय िोगा ।
3
[30. िोक िमार्ों और िुिस ू ों का लर्लियमि और उिके लिए अिुज्ञलत िेिा—(1) पुलिस का लििा अिीक्षक या सिायक
लििा अिीक्षक, िोक स़िकों पर या िोक मागों पर या आम रास्टतों में सब िमार् और िुिूसों के आचरण को अर्सर पर यथा अपेलक्षत
रूप में लिर्िवष्ट कर सके गा और र्े मागव लििसे और र्े समय, लिि पर ऐसे िुिूस िा सकें गे, लर्लित कर सके गा ।
(2) र्ि, यि समािाि िोिे पर दक दकन्िीं व्यलतयों या दकन्िीं व्यलतयों के र्गव का दकसी ऐसी स़िक, मागव या आम रास्टतें में
ऐसा कोई िमार् बुिािे या एकत्र करिे या ऐसा कोई िुिूस बिािे का आिय िै, लिसकी बाबत लििे के या लििे के उपखण्ड के
मलिस्टरेट का यि लर्चार िै दक यदि र्ि अलियंलत्रत रिा तो िांलत भंग िोिे की संभाव्यता िै, सािारण या लर्िेष सूचिा द्वारा यि
अपेक्षा कर सके गा दक ऐसे सम्मेिि को बुिािे या एकत्र करिे र्ािे या ऐसे िुिूस का लििेिि या संप्रर्तवि करिे र्ािे व्यलत अिुज्ञलत
के लिए आर्ेिि करें ।
(3) ऐसा आर्ेिि दकए िािे पर र्ि अिुज्ञलतिारी के िामों को लर्लिर्िवष्ट करके और उि ितों को पररलिलचत करके , लिि
पर िी ऐसा िमार् करिे या ऐसा िुिूस बिािे के लिए अिुज्ञा िी गई िै, और उस िारा से अन्यथा प्रभार्ी करिे र्ािी अिुज्ञलत
िे सके गा :
परन्तु ऐसी दकसी अिुज्ञलत के लिए आर्ेिि या उसके अिुिाि पर कोई फीस ििीं िगाई िाएगी ।
(4) मागों में संगीत—र्ि त्यौिारों और समारोिों के अर्सर पर, मागों में दकतिा संगीत िो उसको भी लर्लियलमत
कर सके गा ।]
[30क. अिुज्ञलत की ितों का अलतक्रमण करिे र्ािे िमार्ों और िुिस
4
ू ों के सम्बन्ि में िलतयां—(1) कोई मलिस्टरेट या
पुलिस का लििा अिीक्षक या पुलिस का सिायक लििा अिीक्षक या पुलिस लिरीक्षक, या थािे का भारसािक पुलिस अलिकारी ऐसे
दकसी िुिूस को, िो अलन्तम पूर्वगामी िारा के अिीि अिुिि दकसी अिुज्ञलत की ितों का अलतक्रमण करता िै, रोक सके गा और उसे या
ऐसे दकसी िमार् को, िो दकन्िीं यथापूर्ोत ितों का अलतक्रमण करता िै, लबखर िािे का आिेि िे सके गा ।
(2) िो कोई िुिूस या िमार् अलन्तम पूर्वर्ती उपिारा के अिीि दिए गए दकसी आिेि के पािि करिे में उपेक्षा करता िै या
इन्कार करता िै र्ि लर्लिलर्रुद्ध िमार् समझा िाएगा ।]
31. पुलिस िोक स़िकों इत्यादि पर व्यर्स्टथा बिाए रखेगी—पुलिस का यि कतवव्य िोगा दक र्ि िोक स़िकों पर और िोक
मागों, आम रास्टतों, घाटों और उतरिे के स्टथािों और िोक समागम के अन्य सब स्टथािों में व्यर्स्टथा बिाए रखे और िमार्ों और िुिूसों
के िोिे के अर्सर पर िोक स़िकों और िोक मागों में िोक उपासिा के समय उपासिा स्टथािों के आसपास और दकसी भी अर्स्टथा में,
िब दकसी स़िक, मागव, आम रास्टता, घाट या उतरिे के स्टथाि पर भी़ि िो या उसमें बािा िोिे की सम्भाव्यता िो, बािाओं का
लिर्ारण करे ।
32. ठीक पूर्वर्ती तीि िाराओं के अिीि लिकािे गए आिेिों की अर्ज्ञा के लिए िालस्टत—ठीक पूर्वर्ती 5[तीि] िाराओं के
अिीि लिकािे गए आिेिों का लर्रोि या अर्ज्ञा करिे र्ािा या संगीत के लिए या िमार्ों और िुिूसों के आचरण के लिए पुलिस के
1
भारत िासि (भारतीय लर्लि अिुकूिि) आिेि, 1937 द्वारा “सरकार के व्ययिािीि” के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
2
1895 का अलिलियम सं० 8 की िारा 9 द्वारा अन्त:स्टथालपत ।
3
1895 के अलिलियम सं० 8 की िारा 10 द्वारा मूि िारा के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
4
1895 का अलिलियम सं० 8 की िारा 11 द्वारा अन्त:स्टथालपत ।
5
1895 का अलिलियम सं० 8 की िारा 12 द्वारा “िो” के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
8
लििा अिीक्षक या सिायक लििा अिीक्षक द्वारा अिुिि दकसी अिुज्ञलत की ितों का अलतक्रमण करिे र्ािा प्रत्येक व्यलत मलिस्टरेट
के समक्ष िोषलसलद्ध पर िो सौ रुपए से अिलिक िुमाविे से िण्डिीय िोगा ।
33. लििे के मलिस्टरे ट के लियंत्रण की व्यार्ृलि—ठीक पूर्वर्ती 1[चारों] िाराओं की दकसी बात की बाबत यि ि समझा
िाएगा दक र्ि उिमें लिर्िवष्ट मामिों पर लििे के मलिस्टरे ट के सािारण लियंत्रण में िस्टतक्षेप िै ।
34. स़िकों पर कलतपय अपरािों के लिए िण्ड इत्यादि—पुलिस अलिकाररयों की िलतयां—कोई व्यलत िो ऐसे दकसी ििर
की सीमाओं के अन्िर, लिस पर इस िारा का लर्स्टतार राज्य सरकार िे लर्िेषतया दकया िै, दक स़िक पर या दकसी 2[खुिे स्टथाि या]
मागव या आम रास्टते में लिम्ि अपरािों में से कोई अपराि करता िै लिससे 3[लिर्ालसयों या यालत्रयों] को बािा, असुलर्िा, क्षोभ, िोलखम,
संकट या िुकसाि पहंचता िै, र्ि मलिस्टरे ट के समक्ष िोषलसलद्ध पर पचास रुपए से अिलिक िुमाविे या 4[कठोर पररश्रम सलित या रलित]
आठ दिि से अिलिक कारार्ास से िण्डिीय िोगा; और दकसी पुलिस अलिकारी के लिए यि लर्लिपूणव िोगा दक र्ि दकसी ऐसे व्यलत
को िो उसके सामिे ऐसे अपरािों में से कोई अपराि करता िै लबिा र्ारण्ट के अलभरक्षा में िे िे, अथावत :—
प्रथम—ढोर र्ि, बेतिािा सर्ारी आदि—कोई व्यलत िो दकसी ढोर का र्ि करता िै या दकसी पिु िर् को साफ करता िै
कोई व्यलत, िो अन्िािुन्ि या बेतिािा दकसी ढोर पर सर्ारी करता िै या उसे िांकता िै या दकसी घो़िे या अन्य पिुओं को फे रता या
लिकािता िै ।
लद्वतीय—िीर्-िन्तु के साथ लििवयता—कोई व्यलत िो दकसी िीर्-िन्तु को स्टर्ैररता या लििवयता से मारता िै, िुरुपयोग
करता िै या यातिा िेता िै ।
तृतीय—यालत्रयों को बािा पहंचािा—कोई व्यलत िो दकसी ढोर या दकसी प्रकार के प्रर्िण को उस पर माि िाििे या उस
पर से माि उतारिे या यालत्रयों को िािे या उतारिे के लिए अपेलक्षत समय से अलिक समय के लिए ख़िा करता िै या िो दकसी प्रर्िण
को इस तरि छो़ि िेता िै लिससे ििता को असुलर्िा िोती िै या संकट पैिा िोता िै ।
चतुथव—लर्क्रय के लिए र्स्टतुओं को अलभिर्िवत करिा—कोई व्यलत, िो लर्क्रय के लिए दकन्िीं र्स्टतुओं को अलभिर्िवत
करता िै ।
पंचम—मागव पर िूि फें किा—कोई व्यलत िो दकसी ककव ट, गन्िगी, कू ़िा या दकन्िीं पत्थरों या इमारती सामग्री को फें कता
या डािता िै या िो दकसी गौिािा या अर्िािा तत्सिृि सलन्िमावण करता िै या िो दकसी गृि, कारखािे, गोबर या अन्य पिुओं के
मि के ढेर या तत्सिृि से कोई संतापकारी पिाथव बिाता िै ।
पष्ठ—मि या बिर्ात्मक पाया िािा—कोई व्यलत िो मि या बिर्ात्मक पाया िाता िै या अपिी सम्भाि करिे में
असमथव िै ।
सतम—िरीर का अलिष्ट अलभििवि—कोई व्यलत िो िािबूझकर और अलिष्टता से अपिे िरीर को या दकसी संतापकारी
अंग लर्कार या रोग को अलभिर्िवत करता िै या दकसी तािाब या ििािय में , िो उस प्रयोिि के लिए पृथक ििीं रखा गया िै, मिमूत्र
त्याग, स्टिाि या िोिे की दक्रया द्वारा न्यूसेन्स करता िै ।
अष्टम—संकटपूणव स्टथािों के संरक्षण में उपेक्षा—कोई व्यलत िो कु एं, तािाब या अन्य संकटपूणव स्टथाि या संरचिा को बा़ि
िगािे या सम्यकरूपेण संरलक्षत करिे में उपेक्षा करता िै ।
35. अलिकाररता—5*** इस अलिलियम के अिीि कांस्टटे बि की पंलत से ऊपर के पुलिस अलिकारी के लर्रुद्ध दकसी आरोप
की िांच और अर्िारण 6मलिस्टरेट की िलतयों का प्रयोग करिे र्ािे अलिकारी द्वारा िी दकया िाएगा ।
36. अन्य लर्लि के अिीि अलभयोलित करिे की िलतयां प्रभालर्त ििीं िोंगी—इस अलिलियम में अन्तर्र्वष्ट दकसी बात का
यि अथव ििीं िगाया िाएगा दक र्ि इस अलिलियम द्वारा िण्डिीय दकए गए दकसी अपराि के लिए दकसी अन्य लर्लियम या
अलिलियम के अिीि अलभयोिि दकए िािे से या दकसी अन्य लर्लियम या अलिलियम के अिीि इस अलिलियम द्वारा ऐसे अपराि के
लिए उपबलन्ित से लभन्ि या उच्चतर िालस्टत या िण्ड के लिए िालयत्र्ािीि िोिे से दकसी व्यलत को लिर्ाररत करती िै :
परन्तुक—परन्तु कोई व्यलत उसी अपराि के लिए िो बार िलण्डत ििीं दकया िाएगा ।
[37. मलिस्टरेट द्वारा अलिरोलपत िालस्टतयों और िुमाविों की र्सूिी—भारतीय िण्ड संलिता, (1860 का 45) की िारा 64 से
7
70 तक के , िोिों िाराओं सलित, और 8िण्ड प्रदक्रया संलिता, 1882 (1882 का 10) की िारा 386 से िेकर 389 तक के , िोिों िाराओं
1
1895 का अलिलियम सं० 8 की िारा 12 द्वारा “तीिों” के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
2
1895 का अलिलियम सं० 8 की िारा 13 द्वारा अन्त:स्टथालपत ।
3
1895 का अलिलियम सं० 8 की िारा 13 द्वारा “लिर्ासी और यात्री” के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
4
1903 के अलिलियम सं० 1 की िारा 3 और अिुसूची 2 द्वारा अन्त:स्टथालपत ।
5
1882 के अलिलियम सं० 10 की िारा 2 और अिुसूची I(ख) द्वारा कलतपय िब्ि लिरलसत ।
6
िैसे दक प्रथम श्रेणी के दकसी मलिस्टरेट द्वारा :— िेलखए—िण्ड प्रदक्रया संलिता, 1973 (1974 का अलिलियम सं० 2) की िारा 3(1) ।
7
1895 के अलिलियम सं० 8 की िारा 14 द्वारा िारा 37 से 40 के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
8
अब िेलखए—िण्ड प्रदक्रया संलिता, 1973 (1974 का 2) की िारा 421 से 424 ।
9
सलित, िुमाविों से सम्बलन्ित उपबन्ि मलिस्टरेट के समक्ष िोषलसलद्ध पर इस अलिलियम के अिीि अलिरोलपत िालस्टतयों और िुमाविों को
िागू िोंगे :
परन्तु प्रथम र्र्णवत संलिता की िारा 65 में दकसी बात के िोते हए भी, इस अलिलियम की िारा 34 के अिीि िुमाविे से
िण्डादिष्ट कोई व्यलत, ऐसे िुमाविे के संिाय में व्यलतक्रम करिे पर आठ दिि से अिलिक दकसी कािार्लि के लिए कारार्ालसत दकया
िा सके गा ।]
38. [िब तक लर्र्रणी ििीं िी िाती िै तब तक करस्टथम-र्ारण्ट के लिए प्रदक्रया ।] पुलिस अलिलियम (1861) संिोिि
अलिलियम, 1895 (1895 का 8) की िारा 14 द्वारा लिरलसत ।
39. [यदि करस्टथम पयावत ििीं िै तो कारार्ास ।]—पुलिस अलिलियम (1861) संिोिि अलिलियम, 1895 (1895 का 8) की
िारा 14 द्वारा लिरलसत ।
40. [यूरोपीय लिरटि प्रिा से िुमाविों का उिग्रिण ।]—पुलिस अलिलियम (1861) संिोिि अलिलियम, 1895 (1895 का 8)
की िारा 14 द्वारा लिरलसत ।
41. [पुलिस और भेदियों के इिाम सािारण पुलिस लिलि को संिय
े ।]—भारत िासि (भारतीय लर्लि अिुकूिि) आिेि,
19371 द्वारा लिरलसत ।
42. कायवर्ालियों के लिए पररसीमा—दकसी व्यलत के लर्रुद्ध र्े सब कायवर्ालियां और अलभयोिि, िो इस अलिलियम के
2
उपबन्िों के अिीि की गई या दकए िािे के लिए आिलयत या एतिद्वारा िी गई सािारण पुलिस िलतयों के अिीि की गई दकसी बात
के लिए, र्ैित: दकए िा सकते िैं, पररर्ादित कायव के दकए िािे के पचात तीि मास के अन्िर ि दक अन्यथा आरम्भ दकए िाएंगे और
ऐसे र्ाि की, और उसके िेतुक की, लिलखत सूचिा प्रलतर्ािी को या उस लििे के लिसमें कायव दकया गया था, लििा अिीक्षक या सिायक
लििा अिीक्षक को र्ाि के आरम्भ से कम से कम एक मास पूर्व िी िाएगी ।
अलभतुलष्ट की लिलर्िा—ऐसे र्ाि के चिाए िािे से पूर्व यदि प्रलतर्ािी के द्वारा या लिलमि पयावत अलभतुलष्ट की लिलर्िा की
गई िै या यदि ऐसे र्ाि के चिाए िािे के पचात िि की पयावत रालि न्यायािय में संिाय कर िी गई िै तो कोई पररर्ािी ऐसे दकसी
र्ाि में प्रत्युद्धरण रालि ििीं पाएगा और चािे दकसी ऐसे र्ाि में पररर्ाि के पक्ष में लडक्री िी गई िो तो भी, िब तक र्ि न्यायािीि,
लिसके समक्ष लर्चारण हआ िै, यि प्रमालणत कर िे दक कायवर्ािी को उसका अिुमोिि प्रात िै ऐसे पररर्ािी को प्रलतर्ािी के लर्रुद्ध
कोई खचाव ििीं दिया िाएगा :
परन्तुक—परन्तु सिैर् यि दक उस ििा में कोई कायवर्ािी ििीं िोगी ििां ऐसे अलिकाररयों का उसी कायव के लिए आपरालिक
अलभयोिि िो चुका िै ।
43. यि अलभर्चि दक कायव र्ारन्ट के अिीि दकया गया था—िब दकसी पुलिस अलिकारी के लखिाफ कोई कायवर्ािी या
अलभयोिि, अलिकारी की िैलसयत से उसके द्वारा दकए गए दकसी कायव के लिए चिाया िाए या कोई कायवर्ालियां की िाएं तो उसके
लिए यि अलभर्चि करिा लर्लिपूणव िोगा दक उसिे ऐसा कायव मलिस्टरे ट द्वारा लिकािे गए र्ारन्ट के प्रालिकार के अिीि दकया था ।
ऐसा अलभर्चि उस कायव का लििेि िेिे र्ािा और ऐसे मलिस्टरे ट द्वारा लिसका िस्टताक्षररत िोिा तात्पर्यवत िै ऐसा र्ारं ट पेि
करके लसद्ध दकया िाएगा । और तब प्रलतर्ािी, ऐसे मलिस्टरेट की अलिकाररता में कोई त्रुरट िोिे पर भी अपिे पक्ष में लडक्री पािे का
िकिार िोगा, िब तक न्यायािय को ऐसे मलिस्टरे ट के िस्टताक्षर के असिी िोिे पर िंका का कारण ि िो, उसके िस्टताक्षर को लसद्ध
करिा आर्यक ि िोगा :
परन्तुक—परन्तु सिैर् दक यि ऐसा र्ारन्ट लिकाििे र्ािे प्रालिकारी के लखिाफ िो कोई उपचार पक्षकार को प्रात िै र्ि
इस िारा में अन्तर्र्वष्ट दकसी बात से प्रभालर्त ििीं िोगा ।
44. पुलिस अलिकारी डायरी रखेंगे—प्रत्येक पुलिस थािे के भारसािक पिालिकारी का यि कतवव्य िोगा दक र्ि ऐसे प्ररूप में,
िो राज्य सरकार समय-समय पर लर्लित करे , एक सािारण डायरी रखे और दकए गए सब पररर्ािों और आरोपों को, लगरफ्तार दकए
गए सब व्यलतयों के िामों को, पररर्ादियों के िामों को उिके लर्रुद्ध आरोलपत अपरािों को, उि आयुिों या सम्पलि को, िो उिके
कब्िे से अन्यथा िी गई िो, और उि सालक्षयों के िामों को, लििकी परीक्षा की गई िै, उिमें अलभलिलखत करे ।
लििे का मलिस्टरेट ऐसी डायरी को मंगर्ािे और उसका लिरीक्षण करिे के लिए स्टर्तंत्र िोगा ।
45. राज्य सरकार लर्र्रलणयों का प्ररूप लर्लित कर सके गी—राज्य सरकार यि लििेि िे सके गी दक मिालिरीक्षक और अन्य
पुलिस अलिकारी ऐसी लर्र्रलणयां भेिें, िो राज्य सरकार को उलचत प्रतीत िों, और राज्य सरकार र्ि प्ररूप लर्लित कर सके गी लिसमें
ऐसी लर्र्रलणयां िी िाएंगी ।
1
िेलखए—तथालप, भारत और बमाव (अस्टथायी उपबन्ि) आिेि, 1937, िारा 41 लिम्िलिलखत रूप में पढ़ी िाए :—
“पुलिस अलिकाररयों” द्वारा आिेलिका की तामीि पर संिि सब रकमों और सब पुरस्टकारों, समपिरणों और िालस्टतयों या पुरस्टकारों, समपिरणों और िालस्टतयों के अंि
का, िो लर्लि द्वारा भेदियों का संिेय िों, िब दक सूचिा दकसी पुलिस अलिकारी द्वारा िी गई िै, सािारण पुलिस लिलि में संिि दकया िा सके गा ।
2
1871 के अलिलियम सं० 9 की िारा 2 और अिुसूची 1 द्वारा िारा 42 का, उस सीमा तक (मोटे िब्िों में), ििां तक र्ािों की पररसीमा से संबंलित िै, लिरसि दकया
गया ।
10
[46. अलिलियम की पररलि—(1) यि अलिलियम अपिे िी प्रर्तवि से दकसी 2[प्रेलसडेन्सी] राज्य या स्टथाि में प्रभार्िीि ििीं
1
िोगा । दकन्तु 3[राज्य सरकार] रािपत्र में प्रकालित दकए िािे र्ािे आिेि द्वारा इस सम्पूणव अलिलियम या उसके दकसी भाग का
लर्स्टतार दकसी प्रलसडेन्सी, राज्य या स्टथाि पर कर सके गी और यि सम्पूणव अलिलियम या इसका उतिा भाग, ऐसे आिेि में लर्लिर्िवष्ट
िो, तिन्तर ऐसी प्रेलसडेन्सी, राज्य या स्टथाि में प्रभार्िीि िोगा ।
(2) िब यि सम्पूणव अलिलियम या इसका कोई भाग इस प्रकार लर्स्टताररत कर दिया िाएगा तब राज्य सरकार—
(क) इस अलिलियम द्वारा या उसके अिीि उि पर अलिरोलपत दकसी कतवव्य के लिर्विि में मलिस्टरे ट और पुलिस
अलिकाररयों द्वारा अिुसरण की िािे र्ािी प्रदक्रया को लर्लियलमत करिे के लिए;
(ख) समय, रीलत और उि ितों को, लििके अन्िर और लििके अिीि िारा 15क के अिीि प्रलतकर के लिए िार्े
दकए िािे िैं, ऐसे िार्ों में कथि की िािे र्ािी लर्लिलष्टयों को, र्े लिस रीलत में सत्यालपत की िािी िैं उसको और उिके
पररणामस्टर्रूप िो कायवर्ालियां (लििके अन्तगवत, यदि आर्यक िो तो स्टथािीय िांच िै) की िािी िैं उन्िें लर्लित करिे के
लिए; और
(ग) सािारणत: इस अलिलियम के उपबन्िों को प्रभार्ी करिे के लिए, रािपत्र में अलिसूचिा द्वारा समय-समय पर
इस अलिलियम से संगत लियम बिा सके गी ।
(3) इस अलिलियम के अिीि बिाए गए सब लियम समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा संिोलित, पररर्र्िवत या रद्द दकए िा
सकें गे ।]
47. पुलिस के लििा अिीक्षक का ग्राम पुलिस पर प्रालिकार—राज्य सरकार के लिए यि लर्लिपूणव िोगा दक र्ि ऐसी राज्य
सरकार के अिीि के राज्यक्षेत्र के दकसी भाग में इस अलिलियम को प्रभार्िीि करिे में यि घोलषत करे दक िो प्रालिकार लििे का
मलिस्टरेट पुलिस के प्रयोििों के लिए दकसी ग्राम चौकीिार या अन्य ग्राम पुलिस अलिकारी पर प्रयोग करता िै या कर सकता िै उसे
पुलिस का लििा अिीक्षक लििे के मलिस्टरे ट के सािारण लियंत्रण के अिीि, प्रयोग करे गा ।
प्ररूप
(िारा 8 िेलखए)
क ख 1861 के अलिलियम 5 के अिीि पुलिस बि का सिस्टय लियुत दकया गया िै और उसमें पुलिस अलिकारी की िलतयां,
कृ त्य और लर्िेषालिकार लिलित दकए गए िैं ।
_____
1
1895 के अलिलियम सं० 8 की िारा 15 द्वारा मूि िारा के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।
2
मद्रास और बम्बई राज्यों में लर्िेष पुलिस अलिलियम िैं, िेलखए मद्रास लििा पुलिस अलिलियम, 1859 (1859 का 24) और बम्बई लििा पुलिस अलिलियम, 1867
(1867 का 7) । बंगाि के लिचिे प्रान्तों में 1869 का बंगाि अलिलियम 7, 1861 का अलिलियम 5 के भाग के रूप में पढ़ा और िािा िाएगा;, िेलखए—पूर्र् व ती
अलिलियम की िारा 6 ।
इस अलिलियम का, मूि िारा द्वारा प्रिि िलत के अिीि, लिम्िलिलखत पर लर्स्टतार दकया गया :—
(1) उिर प्रिेि, अिमेर और मेरर्ा़िा सलित िो दक तत्समय उस सरकार के अिीि थे, िेलखए—उिर पलचमी प्रान्तों का गिट, 1861, पृ०सं०
634 में अलिसूचिा सं० 964 ।
[1895 के अलिलियम सं० 8 की िारा 16 द्वारा मूि िारा 46 के पैरा 2 (िैसा दक उस िारा के पैरा 1 के अिीि सम्पूणव प्रान्त पर
अलिलियम के लर्स्टतारण के पचात िै) के अिीि उिर प्रिेि के 27 लििों, िमीरपुर, िािौि, झांसी, िलितपुर, िैिीताि (तराई परगिा सलित)
और अल्मो़िा तथा गढ़र्ाि में, अलिलियम के अभ्यार्ेिि के लर्षय में आिेि, प्रर्ृि रिे ।]
(2) अर्ि, िेलखए—उिर पलचमी प्रान्त रािपत्र, 1861, पृ०1758 में अलिसूचिा सं० 34 ।
(3) इिािाबाि और िबिपुर के मध्य भू-भाग पर कु छ िेिी राज्यों द्वारा प्रभुसिा का पूणवतया पररत्याग दकया गया ।
(4) मध्य प्रान्त, िागपुर के लििों, रायपुर, भण्डारा, चान्िा और लछन्िर्ा़िा, लसरोंचा, िीमार ।
(5) बंगाि और असम ।
(6) पंिाब में कई लििे, िेलखए—किकिा, रािपत्र तारीख 18 मई, 1861, पृ० 1302, अलिसूचिा सं० 971, तारीख 15 मई, 1861 ।
िारा, िैसी दक यि 1 अप्रैि, 1937 से पििे थी, द्वारा प्रिि िलत के अिीि इसका लर्स्टतार लिम्िलिलखत पर दकया गया—
(1) मद्रास; अलिलियम की िारा 15, 15क, 16, 30, 30क, 31 और 32 का सम्पूणव मद्रास प्रेलसन्डेसी पर लर्स्टतार दकया गया, िेलखए—अलिसूचिा
सं० 728, तारीख 31 अतूबर, 1895, भारत का रािपत्र, 1895, भाग 1, पृ० 876 ।
(2) गौआिपा़िा लििे में पूर्ी िोआसव, िेलखए—अलिसूचिा सं० 230, भारत का रािपत्र, 1897, भाग 1, पृ० 198 ।
(3) पूर्व और िलक्षण िुिाई पिाल़ियां और (अब िुिाई पिाल़ियों के रूप में िािा िािे र्ािा) िेर्िागरी सलित रति पुईया गांर् के रूप में िािा
िािे र्ािा भू-भाग, िेलखए—भारत का रािपत्र 1898, भाग 1, पृ० 370 ।
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भारत िासि (भारतीय लर्लि अिुकूिि) आिेि, 1937 द्वारा “सपररषि गर्िवर ििरि” के स्टथाि पर प्रलतस्टथालपत ।