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का म

( मोद सो के पास ख आ );(जीवनलाल वेश करते ए)

मोद-बाबूजी य या आपने?
जीवनलाल- दा न होगी।
मोद-पर बाबूजी य कमला को ना ए घर गया तो माँ दय ट जाएगा।
जीवनलाल- अपना य सूना चुका कमला दा न होगी।जब तक तुम पाँचह र नगद इस हाथ पर रख न दोगे तब तक कमला दा न होगी।
मोद-परंतु बाबूजी यह तो सरासर अ य । उस भोली-भाली ल ने आपका ग , जो दा न करके आप उससे बदला ले र । और बेटी वाला समझकर
ही आप मेरा अपमान कर र तु यह न भू ए आप भी बेटी वाले । और रमेश बाबू होते तो…
जीवनलाल-हाँ! हम भी बेटी वाले ! ले न हमने छले महीने ही गौरी शादी थी और इतना द ज या था खने वा ने दा तले उँ ग याँ दबा ली।ले न हम
तु री तरह न ।और हाँ! कहते हो रमेश बाबू होते तो.. तो कर लेता वह? मे सामने मुँह खोलने तन उसमे।वह तु री तरह ब के मुँह लगने
बदतमी करने वाला कोई आवारा छोकरा न ।(तभी जीवन लाल वहाँ से चला जाता )

(तभी राजे री वेश करती और पूछती )


राजे री- आ मोद कहा इ ने कमला दाई के ए?
मोद-माँजी बाबूजी कमला दाई जब ही क गे जब तक उनके हाथ पर पाँच ह र पए रख न ता।
राजे री- न होगी मे रहते कमला दा। स तरह गौरी राह ख रही उसी तरह तु री माँ भी कमला राह ख रही होगी। तु पए ती ।
(यह कमला चुप-चाप रोते ए ख रही होती तभी राजे री कमला को ख लेती और कहती )
राजे री- वहाँ ख हो कमला इधर आओ(कमला राजे री के पास आती )(राजे री अपनी कमर से चा का गु कालकर कमला और ब ती ) और ये लो जाकर
जोरी से पए काल लाओ।
कमला(गु लेने के ए हाथ आगे न ब ती और माँजी कहकर सक- सक कर रोने लगती )
(तभी जीवनलाल लाल कर और वहाँ आकर कहता अ सुनती हो गौरी के आने का समय हो गया और तुम यहाँ ख हो जाओ जाकर उनके गत तैयारी करो। जरा ये भी
ख नाक वाले अपनी बेटी का गत कैसे करते ।

(तभी वहाँ रमेश न करता )


जीवनलाल-अ रमेश बेटा तुम आ गये और गौरी.. गौरी न आयी?
रमेश-(धीमे र )वह न आयी। उ ने दा न या और कह या द ज पूरा न या ।
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जीवनलाल-हमने तो जीवन भर कमाई दी थी और उन न र द ज पूरा न या। लोभी क के! उ ने मेरा ब त अपमान kiya ।
राजे री-तुम भी तो सी बेटी को दा न करके उनका अपमान कर र हो। जो वहार अपनी बेटी के ए तुम स से चाहते हो, वही स बेटी को भी दो।

(इस कार जीवनलाल ल त होते और मोद से कहते )


जीवनलाल-ठहरो मोद! मुझे और ल त न करो। मेरी चोट इलाज बेटी ससुराल वा ने सरी चोट से या ।

(इस कार जीवनलाल ल त होता और ब धूम धाम से कमला दाई करता )


Dhanyawad
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