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लोकपर्व - व - जनजातीय - पर्व - Team Examdays
लोकपर्व - व - जनजातीय - पर्व - Team Examdays
PSC ACADEMY
HISTORY OF CHHATTISGARH
By RAKESH SAO
WWW.PSCACADEMY.IN
छत्तीसगढ़ी लोकपर्व
छत्तीसगढ़ी लोक पर्व
बस्तर का रथयात्रा ( गोंचा पर्व )
बस्तर का दशहरा
ू व र्स्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
महत्र्पर्
मुख्य परीक्षा आधाररत महत्र्पर् ू व प्रश्नोत्तर
म
15 नदि ( कृष्ण पक्ष ) 15 नदि ( शुक्ल पक्ष )
1 – 14 15 र्ां नदि 1 – 14 15 र्ां नदि
चंद्रमा का लघुयाि अम र्स्य चंद्रमा का दीघव याि पूहणवम
लोकपर्व
क्र. म पक्ष हदन पर्व
कृ ष्र् प्रथमा होली
रामिर्मी
1 चैत्र िर्मी माटी नतहार ( बस्तर अंचल )
शुक्ल
सरहु ल नतहार ( सरगुजा अंचल )
पूनर्व मा माटी नतहार र् सरहु ल नतहार का समापि
अक्ती या अक्षय तृतीया
अरर्ा तीज
तृतीया
2 र्ैशाख शुक्ल पुतरा – पुतरी नर्र्ाह
परशुराम जयंती
पूनर्व मा बुद्ध पूनर्व मा ( बुद्ध महोत्सर् )
3 जेष्ठ None
नितीया बस्तर का रथयात्रा ( गोंचा पर्व )
4 आषाढ़ शुक्ल गुरु पूनर्व मा
पूनर्व मा
गोंचा पर्व का समापि
तृतीया भोजली ( कजररया तीज )
कृ ष्र् हरे ली ( हररयाली )
अमार्स्या
5 सार्ि ( श्रार्र् ) बस्तर दशहरा का प्रारं भ
पंचमी िागपंचमी
शुक्ल
पूनर्व मा रक्षाबंधि
ोली
आयोजि - चैत्र कृ ष्र् पक्ष प्रथमा
संज्ञा - भारतीय िर्र्षव
गीत -फग
िृत्य - डिंड री ( बस्तर आनदर्ासी )
र मनर्मी
आयोजि - चैत्र शुक्ल पक्ष प्रथमा से चैत्र शुक्ल पक्ष िर्मी
पूजि - मनहषासुर मनदव िी र् भगर्ाि राम
मेला - चैत्र िर्रात्र
परम्परा - जोत – जर्ांरा ( जोत जलािा )
अक्ती ( अक्षय तत
ृ ीय य आख तीज )
आयोजि - र्ैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया
संज्ञा - आखा तीज
प्रधािता - कृनष प्रधाि पर्व
उद्दे श्य - िये फसल की शुरुर्ात
परम्परा - इस नदि नकसाि खेतों में थोड़ा सा बीज डालकर फ़सल बोर्ाई की शुरुर्ात करता है |
पूजि - पुतर पुतरी हर्र्
- गांधारी र् धृतराष्र की शादी से पहले नमट्टी के गुड्डा र् गुनड़या की शादी की गयी थी |
जयंती - परशुर म जयिंती
गीत - हब र् गीत
अरर् तीज
आयोजि - र्ैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया
उद्दे श्य - अक्षय तृतीया के अर्सर पर कुंर्ारी कन्याओं िारा योग्य र्र की कामिा हेतु उपर्ास
नर्शेष - छत्तीसगढ़ में तीज या तीजा के िाम से 2 अलग त्यौहार मिाया जाता है :
न गपिंचमी
आयोजि - सार्ि शुक्ल पक्ष पंचमी
खेल - कुश्ती प्रनतयोनगता का आयोजि
मेला - दलहा पहाड़ ( जांजगीर चाम्पा ) में िागपंचमी मेला का आयोजि
पूजि - िाग दे र्ता की पूजा
भोजली
आयोजि - सार्ि कृ ष्र् तृतीया से भाद्र कृष्र् पक्ष प्रथमा
नदि - 28 नदि
उद्दे श्य - युर्नतयों िारा अच्छी र्षाव एर्ं भरपूर अन्ि भण्डार देिे र्ाली फ़सल की कामिा
परम्परा - एक टोकरी में अन्ि बोकर कुछ नदिों बाद उसे तालाब में नर्सनजव त कर नदया जाता है |
मान्यता - भोजली नजस र्षव तेज बढ़ता है उस र्षव फसल उतिा ही अच्छा होगा |
पूजि - अन्ि के दािों के पौधे रुपी भोजली माता
गीत - भोजली , लहर तुरंगा , अहो दे र्ी गंगा
प्रचलि - भोजली नर्सजव ि करिे के नलए जाते समय मनहलाओं िारा भोजली गीत का गायि
पोल ( पोर )
आयोजि - भाद्र अमार्स्या
संज्ञा - नपठौरी अमार्स्या
पूजि - बैल की पूजा
परम्परा - बैल दौड़ का आयोजि
व्यंजि - ठेठरी ( बेसि – िमकीि )
PSC ACADEMY Page 9
RAIPUR - GOL CHOWK , NEAR NIT RAIPUR
BILASPUR - MASJID CHOWK , CONTACT - 9302766733 , 9827112187 Prepared By RAKESH SAO
HISTORY OF CHHATTISGARH
नर्र हत्र
आयोजि - आनिि शुक्ल पक्ष प्रथमा से आनिि शुक्ल पक्ष िर्मी
पूजि - मनहषासुर मनदव िी
मेला - क्र्ांर िर्रात्र
परम्परा - जोत – जर्ांरा ( जोत जलािा )
हर्जय दशमी ( दश र )
आयोजि - अनिि शुक्ल पक्ष 10 र्ीं
कारर् - राम िारा रार्र् का र्ध
परम्परा - रार्र् दहि
पूजि - भगर्ाि राम
िृत्य - गोंच ( बस्तर आनदर्ासी ) , हबल्म ( बैगा )
स्र्णव पत्र - नर्जयादशमी पर्व पर हबम्ब जी भोंसले िे स्र्र्व पत्र दे िे की शुरुर्ात की |
गोर्िवन पज
ू ( अन्न कूट )
आयोजि - कानतव क शुक्ल पक्ष प्रथमा
संज्ञा - अन्ि कूट , मातर पूजा
जानत - राउत जानत
पूजि - श्रीकृष्र् र् कोडहर देर् ( लाठी ) की पूजा
परम्पर
साज सज्जा और गाजे बाजे के साथ गाय गोबर का गोर्धव ि पर्व त तैयार नकया जाता है |
गोर्धव ि पर्व त को एक गाय बनछया से रौंदाया जाता है |
अब इस गोबर से नतलक नकया जाता है |
इसके प्रमुख 3 भाग है - सु ई ब िंिन , म तर पूज र् क छन चढ़ न
नर्शेष - इसी नदि बस्तर अंचल में हदय री त्यौ र का आयोजि नकया जाता है |
म तर पज
ू
आयोजि - कानतव क शुक्ल पक्ष प्रथमा
अर्सर - गोर्धव ि पूजा के नदि
जानत - राउत जानत
पूजि - कोडहर दे र् ( लाठी ) की पूजा
आिंर्ल नर्मी
आयोजि - कानतव क शुक्ल पक्ष िर्मी
आराध्य दे र्ता - नर्ष्र्ु जी
पूजि - आंर्ला र्ृक्ष की पूजा
हत्रपरु ी पूहणवम
आयोजि - कानतव क पूनर्व मा
मान्यता - भगर्ाि नशर्जी िे हत्रपुर सुर िामक असुर का अंत नकया |
पूजि - नशर्जी की पूजा
परम्परा - गंगा िदी में स्िाि
छेरछेर ( छेरत )
आयोजि - पौष पूनर्व मा
संज्ञा - छे रता ( छे रता का अथव – धरती )
परम्पर
बच्चे घर – घर जाकर धाि मांगते है |
पुरािे खाते बंद करके नये ब ी ख ते बिाये जाते है |
नकसाि लेख और ह स ब हकत ब का बंदोबस्त करते है |
गीत -तर ( मनहला )
- छेरत ( पुरुष )
- लोकडी ( सामूनहक )
िृत्य - डिंड नृत्य ( बस्तर आनदर्ासी )
- सैल ( पंडो )
- करमा ( बैगा )
- सुआ ( लड़नकयां )
व्यंजि - नखचड़ी र् नचर्ड़ा , गुड र् नतल
प्रमुख गीत - “छे रछे रा , माई कोठी के धाि ला हे रते हेरा”
प्रचलि - गोंड़ , भूमका , पिका
नर्शेष - कृनष कायव िहीं नकया जाता है |
म हशर्र हत्र
आयोजि - माघ पूनर्व मा से फाल्गुि कृ ष्र् चतुदवशी तक
नदि - 15 नदि
माघ पूनर्व मा - नशर्जी का बारात प्रस्थाि
फाल्गुि कृ ष्र् 14 - नशर् - पार्व ती नर्र्ाह
म घ पूहणवम से फ ल्गुन कृष्ण चतुथव ( म हशर्र हत्र ) तक मेल
रतिपुर मेला
मल्हार मेला
नशर्रीिारायर् मेला
रानजम मेला
नसरपुर मेला
दामाखेड़ा मेला
ोहलक द न
आयोजि - फाल्गुि पूनर्व मा
गीत -फग
िृत्य - डिंड री ( बस्तर आनदर्ासी )
बस्तर क दश र
बस्तर दश र
प्रारं भ - 1468
प्रारं भ कताव - पुरुषोत्तम दे र्
आयोजि स्थल - नसरहासार ( जगदलपुर )
आराध्य दे र्ी - दंतेिरी दे र्ी ( मार्ली देर्ी )
आयोजि - सार्ि अमार्स्या ( हरे ली अमार्स्या ) से अनिि शुक्ल पक्ष त्रयोदशी
कुल अर्नध - 75 नदि ( नर्ि का सबसे लम्बी अर्नध तक मािाये जािे र्ाला पर्व ) [CGPSC SEE 2017]
प्रथम कायव क्म - पाटा जात्रा
प्रमुख रस्म - 14 नदि तक ( आनिि अमार्स्या से अनिि शुक्ल पक्ष त्रयोदशी )
प्रथम रस्म - कानछिगादी
अंनतम रस्म - ओड़ाड़ी ( गंगामुर्ा जात्रा )
हर्शेि
बस्तर दशहरा छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर अंचल में आयोनजत होिे र्ाले पारं पररक पर्ों में सर्व श्रेष्ठ पर्व है |
बस्तर दशहरा सम्पूर्व भारत में आयोनजत दशहरा से नभन्ि है |
सम्पूर्व भारत में दशहरा का आयोजि राम िारा रार्र् के र्ध को समनपव त है |
बस्तर दशहरा दिंतश्वे री म त द्व र मह ि सुर के र्ि को समनपव त है |
बस्तर के गोंचा तथा बस्तर दशहरा में रथ चलािे की प्रथा है |
क्र. दश र क रण आयोजन
भारत का दशहरा
1 राम िारा रार्र् का र्ध अनिि शुक्ल पक्ष 10 र्ीं
( नर्जय दशमी )
दंतेिरी माता िारा सार्ि अमार्स्या ( हरे ली अमार्स्या ) से
2 बस्तर का दशहरा
मनहषासुर का र्ध अनिि शुक्ल पक्ष त्रयोदशी
बस्तर दश र की प्रमख
ु रस्में
क्र. अर्सर प्रथ क यवक्रम
सार्ि अमार्स्या
1 पाटा जात्रा लकड़ी की पूजा र् रथ का निमाव र्
( हरे ली अमार्स्या )
आनिि अमार्स्या कानछि दे र्ी को गद्दी प्रदाि करके रथ पररचालि
2 कानछिगादी
( नपतृमोक्ष अमार्स्या ) र् दशहरा पर्व की अिुमनत प्राप्त करिा
हल्बा जानत का एक व्यनक्त िारा नसरहासार में 9 नदि तक
आनिि शुक्ल पक्ष प्रथमा
3 जोगी नबठाई व्रत रखकर योग साधिा में बैठिा
( िर्रात्र का प्रथम नदर्स )
( कलश स्थापिा )
आनिि शुक्ल नितीया से रथ जात्रा दंतेिरी माता को रथ में नर्रानजत कर प्रनतनदि शाम
4
आनिि शुक्ल सप्तमी ( रथ पररक्मा ) को िगर की पररक्मा करिा |
आनिि शुक्ल अष्टमी निशाजात्रा निशाजात्रा में भक्तों का जुलुस इतर्ारी बाज़ार से
5
( दुगाव अष्टमी ) ( दुगाव अष्टमी ) पूजा मण्डप तक पहु चंता है |
9 नदि पूर्व योग साधिा में बैठे जोगी को भेंट प्रदाि
6 जोगी उठाई
आनिि शुक्ल िर्मी करके योग साधिा से उठाया जाता है |
7 मार्ली परघार् मार्ली माता का स्र्ागत करिा
आनिि शुक्ल दशमी मार्ली माता को 8 पनहयें र्ाला रै िी रथ ( पूर्वर्ती रथ )
8 भीतर रै िी
( नर्जयादशमी ) िारा कुम्हड़ाकोट ले जािा
मार्ली माता को 8 पनहयें र्ाला रै िी रथ ( पूर्वर्ती रथ )
9 आनिि शुक्ल एकादशी बानहर रै िी
िारा कुम्हड़ाकोट से नसंहिार ले जािा
10 आनिि शुक्ल िादशी मुररया दरबार आमसभा का आयोजि
ओहाड़ी
11 आनिि शुक्ल त्रयोदशी मार्ली माता की नर्दाई
( गंगा मुर्ा यात्रा )
प ट ज त्र
अर्सर - स र्न अम र्स्य ( रे ली अम र्स्य )
प्रारं भ - बस्तर दशहरा का प्रथम प्रथा
प्रथा - रथ निमाव र् हे तु हबलोरी जिंगल से साल लकड़ी लाकर उसकी पूजा की जाती है |
अपव र् - 7 म िंगरु मछहलयों की बनल
कायव - रथ निमाव र्
क हछनग दी
अथव - कानछि दे र्ी को गद्दी प्रदाि करिा
अर्सर - आनिि अमार्स्या ( नपतृमोक्ष अमार्स्या )
पूजा - कानछि दे र्ी ( महरा जानत की इष्ट दे र्ी ) [CGVyapam FCPR 2016]
कानछिगादी - बेल कांटों से तैयार झुला
कानछि दे र्ी - नमरगाि जानत की 9 र्षव की कुंर्ारी बानलका
प्रथा - क हछनग दी पर नमरगाि जानत की 9 र्षव की कंु र्ारी बानलका क हछन देर्ी के रूप में
बैठकर रथ पररच लन र् पर्व की अिुमनत देती है |
प्रारं भ - बस्तर दशहरा का प्रथम रश्म
जोगी हबठ ई
अथव - हल्बा जानत का एक व्यनक्त नसरासार में 9 नदि तक व्रत रखकर योग साधिा में बैठता है
नजसे जोगी नबठाई कहते है |
अर्सर - आनिि शुक्ल पक्ष प्रथमा ( िर्रात्र का प्रथम नदर्स )
स्थाि - नसरहासार ( जगदलपुर )
जोगी - हल्बा जानत का एक व्यनक्त
प्रमुख रस्म - कलश स्थापिा [CGVyapam RI 2017]
रथ ज त्र ( रथ पररक्रम )
अर्सर - आनिि शुक्ल नितीया से आनिि शुक्ल सप्तमी
कुल अर्नध - 6 नदि
प्रथा - दंतेिरी माता को रथ में नर्रानजत कर प्रनतनदि शाम को िगर की पररक्मा करिा |
प्रमुख रस्म - दंतेिरी माता की आराधिा
लोकिृत्य - मुण्डा जानत िारा म र नृत्य
क्र. रथ पह य खींचनें क क यव
1 फू ल रथ 4 अगरर्रा र् कचोरापाटी परगिा के लोग
2 रै िी रथ 8 नकलेपाल के मानड़या
ु व अष्टमी )
हनश ज त्र ( दग
अर्सर - आनिि शुक्ल अष्टमी ( दुगाव अष्टमी )
प्रथा - निशाजात्रा में भक्तों का जुलस
ु इतर्ारी बाज़ार से पूजा मण्डप तक पहु चंता है |
प्रमुख रस्म - दंतेिरी माता की आराधिा
जोगी उठ ई
अर्सर - आनिि शुक्ल िर्मी
प्रथा - 9 नदि पूर्व योग साधिा में बैठे जोगी को भेंट प्रदाि करके योग साधिा से उठाया जाता है |
म र्ली परघ र्
अथव - मार्ली माता का स्र्ागत करिा
अर्सर - आनिि शुक्ल िर्मी [CGPSC SEE 2017]
प्रथा - दंतेिरी माता की बड़ी बहि मार्ली माता की प्रनतमा को दंतेर्ाड़ा से बस्तर 4 मानड़या
व्यनक्तयों िारा डोली में लाया जाता है |
भीतर रै नी
अथव - मार्ली माता को कुम्हड़ाकोट ले जािा
अर्सर - आनिि शुक्ल दशमी ( नर्जयादशमी )
मान्यता - दंतेिरी दे र्ी िारा मनहषासुर का र्ध
प्रथा - 8 पनहयें र्ाला रै िी रथ ( पूर्वर्ती रथ ) को िगर पररक्मा करर्ाकर कुम्हड़ाकोट ले जाते है |
ब ह र रै नी
अथव - मार्ली माता को कुम्हड़ाकोट से नसंहिार ले जािा
अर्सर - आनिि शुक्ल एकादशी
प्रथा - 8 पनहयें र्ाला रै िी रथ ( पूर्वर्ती रथ ) को कुम्हड़ाकोट से नसंहिार ले जाते है |
मरु रय दरब र
अथव - आमसभा का आयोजि
अर्सर - आनिि शुक्ल िादशी
स्थाि - नसरहासार ( जगदलपुर )
कायव क्म - मुररया दरबार में िामर्ानसयों की समस्याओं पर चचाव करके निराकरर् करिा |
ओ ड़ी ( गिंग मण
ु य त्र )
अथव - मार्ली माता की नर्दाई
अर्सर - आनिि शुक्ल त्रयोदशी
कायव क्म - गंगा मुर्ा यात्रा में दंतेर्ाड़ा से लायी गई मार्ली माता को बस्तर से दंतेर्ाड़ा नर्दा नकया
जाता है |
सर ु ल पर्व
जिजानत - उरांर् CGPSC ITI PRINCIPAL 2016
आयोजि - चैत्र िर्मी से चैत्र पूनर्व मा
उद्दे श्य - सरिा दे र्ी ( साल र्ृक्ष ) की पूजा CGVyapam PATWARI 2014
नर्शेष - सूयव दे र् र् धरती माता का नर्र्ाह करर्ाया जाता है |
िृत्य - सरहु ल िृत्य
ब ली परब
जिजानत - हल्बा , भतरा
अर्सर - बाली परब
दे र्ता - भीमदेर्
हर्शेि
बाली परब पर्व लग त र तीन म तक मिाया जाता है |
सेमल - सेमल का एक नर्शेष प्रकार का स्तम्भ स्थानपत नकया जाता है |
ब सी हत र
जिजानत - बस्तर अंचल के जिजानत
अर्सर - फाल्गुि माह
हर्शेि - बासी नतहार पर्व र्षव में आिे र्ाले सभी त्यौहारों का अंनतम पड़ार् होता है |
पूजा
खेल - िाररयल फेंक प्रनतयोनगता 11. छत्तीसगढ़ में नकसािों का सबसे महत्र्पूर्व त्यौहार
िृत्य - गेड़ी ( नडटोंग ) निम्िनलनखत में से कौि सा है ?
मान्यता - क ली र त : भूत प्रेत के आिे का खतरा (A) हरे ली (B) भोजली
नचत्रकारी - सर्िाही (C) तीजा (D) बहु रा-चौथ
घर के िार पर शेर बाघ नचता की नचत्रकारी, भुत प्रेत को (E) इिमें से कोई िहीं
भागिे के नलए [CGPSC ADPO 2013]
व्यंजि - गुरहा चीला उत्तर (A)
हर्शेि
इसी नदि बस्तर दश र का प्रारं भ होता है | रे ली ( ररय ली / गेड़ी पर्व / न ररयल फेंक पर्व )
लो र ज हत के लोग घर के िार पर कील
लगाते है | आयोजि - सार्ि अमार्स्या
र उत ज हत के लोग नीम पत्त लगाते है | संज्ञा - गेड़ी पर्व , िाररयल फेंक पर्व
प्रधािता - कृनष प्रधाि पर्व
उद्दे श्य - फसल के प्रथम चरर् के समापि
10. निम्िनलनखत में से कौि सा पर्व इस राज्य के नकसािों
परम्परा - फ़सल की अच्छी पैदार्ार एर्ं सुख
िारा श्रार्र् माह की अमार्स्या को मिाया जाता है ?
समृनद्ध की कामिा हे तु |
(A) िर्ान्ि (B) हरे ली
पूजि - कृ नष उपकरर्ों र् देर्ी कुटकी द ई की
(C) हरतानलका (D) अरर्ा तीज
(E) इिमें से कोई िहीं पूजा
खेल - िाररयल फेंक प्रनतयोनगता
[CGVyapam E. Chemist 2016]
िृत्य - गेड़ी ( नडटोंग )
उत्तर (B)
मान्यता - क ली र त : भूत प्रेत के आिे का खतरा
नचत्रकारी - सर्िाही
रे ली ( ररय ली / गेड़ी पर्व / न ररयल फेंक पर्व )
घर के िार पर शेर बाघ नचता की नचत्रकारी, भुत प्रेत को
आयोजि - सार्ि अमार्स्या भागिे के नलए
संज्ञा - गेड़ी पर्व , िाररयल फेंक पर्व व्यंजि - गुरहा चीला
हर्शेि
रे ली ( ररय ली / गेड़ी पर्व / न ररयल फेंक पर्व )
इसी नदि बस्तर दश र का प्रारं भ होता है |
लो र ज हत के लोग घर के िार पर कील आयोजि - सार्ि अमार्स्या
लगाते है | संज्ञा - गेड़ी पर्व , िाररयल फेंक पर्व
र उत ज हत के लोग नीम पत्त लगाते है | प्रधािता - कृनष प्रधाि पर्व
उद्दे श्य - फसल के प्रथम चरर् के समापि
12. नकस त्यौहार में छत्तीसगढ़ के नकसाि अपिे कृ नष परम्परा - फ़सल की अच्छी पैदार्ार एर्ं सुख
औजारों की पूजा करते है ? समृनद्ध की कामिा हेतु |
(A) हरे ली (B) दशहरा पूजि - कृनष उपकरर्ों र् देर्ी कुटकी द ई की
(C) दीपार्ली (D) होली पूजा
(E) इिमें से कोई िहीं खेल - िाररयल फेंक प्रनतयोनगता
[CGPSC (Asst. Dir. Sericulture) 2017] िृत्य - गेड़ी ( नडटोंग )
उत्तर (A) मान्यता - क ली र त : भूत प्रेत के आिे का खतरा
नचत्रकारी - सर्िाही
रे ली ( ररय ली / गेड़ी पर्व / न ररयल फेंक पर्व ) घर के िार पर शेर बाघ नचता की नचत्रकारी, भुत प्रेत को
भागिे के नलए
आयोजि - सार्ि अमार्स्या व्यंजि - गुरहा चीला
संज्ञा - गेड़ी पर्व , िाररयल फेंक पर्व हर्शेि
प्रधािता - कृनष प्रधाि पर्व इसी नदि बस्तर दश र का प्रारं भ होता है |
उद्दे श्य - फसल के प्रथम चरर् के समापि लो र ज हत के लोग घर के िार पर कील
परम्परा - फ़सल की अच्छी पैदार्ार एर्ं सुख लगाते है |
समृनद्ध की कामिा हे तु | र उत ज हत के लोग नीम पत्त लगाते है |
पूजि - कृ नष उपकरर्ों र् देर्ी कुटकी द ई की
पूजा 14. निम्िनलनखत में से कौि-सा पर्व छत्तीसगढ़ के नकसािों
खेल - िाररयल फेंक प्रनतयोनगता िारा मिाया जाता हैं ?
िृत्य - गेड़ी ( नडटोंग ) (A) हरे ली (B) हलछट
मान्यता - क ली र त : भूत प्रेत के आिे का खतरा (C) हरतानलका (D) हरार्ल
नचत्रकारी - सर्िाही (E) इिमें से कोई िहीं
घर के िार पर शेर बाघ नचता की नचत्रकारी, भुत प्रेत को [CGPSC CMO 2010]
भागिे के नलए उत्तर (A)
व्यंजि - गुरहा चीला
हर्शेि
रे ली ( ररय ली / गेड़ी पर्व / न ररयल फेंक पर्व )
इसी नदि बस्तर दश र का प्रारं भ होता है |
लो र ज हत के लोग घर के िार पर कील आयोजि - सार्ि अमार्स्या
लगाते है | संज्ञा - गेड़ी पर्व , िाररयल फेंक पर्व
र उत ज हत के लोग नीम पत्त लगाते है | प्रधािता - कृनष प्रधाि पर्व
उद्दे श्य - फसल के प्रथम चरर् के समापि
13. छत्तीसगढ़ में “हरे ली” त्यौहार में नकसकी पूजा करते हैं ? परम्परा - फ़सल की अच्छी पैदार्ार एर्ं सुख
(A) गाय (B) बैल समृनद्ध की कामिा हे तु |
(C) भैंस (D) कृ नष उपकरर् पूजि - कृ नष उपकरर्ों र् देर्ी कुटकी द ई की
(E) इिमें से कोई िहीं पूजा
[CGPSC AMO 2017] खेल - िाररयल फेंक प्रनतयोनगता
उत्तर (D) िृत्य - गेड़ी ( नडटोंग )
मान्यता - क ली र त : भूत प्रेत के आिे का खतरा
नचत्रकारी - सर्िाही 16. छत्तीसगढ़ में अच्छी फसल के नलए मािसूि हे तु कौि सा
घर के िार पर शेर बाघ नचता की नचत्रकारी, भुत प्रेत को त्यौहार मिाया जाता है नजसमे दे र्ी कुटकी दाई की पूजा
भागिे के नलए अचव िा की जाती है ?
व्यंजि - गुरहा चीला (A) हरे ली (B) दई
हर्शेि (C) भगोररया (D) िर्ाखािा
इसी नदि बस्तर दश र का प्रारं भ होता है | (E) इिमें से कोई िहीं
लो र ज हत के लोग घर के िार पर कील
[CGVyapam RBOS Sanyukta 2017]
लगाते है |
उत्तर (A)
र उत ज हत के लोग नीम पत्त लगाते है |
22. छत्तीसगढ़ में खमरछठ व्रत निम्िनलनखत में से नकस 24. नकस त्यौहार में पसहर चार्ल का उपयोग अनिर्ायव होता
उद्दे श्य से रखा जाता है ? है ?
(A) घर की सुरक्षा (B) पशुधि की र्ृनद्ध (A) िर्रानत्र (B) रक्षाबंधि
(C) अच्छी फसल (D) पुत्र की आयु र्ृनद्ध (C) िर्ाखाई (D) खमरछठ
(E) इिमें से कोई िहीं (E) इिमें से कोई िहीं
[CGPSC (ADAVS) 2013] [CGPSC SSE 2016]
उत्तर (D) उत्तर (D)
उत्तर (D)
म तर पूज
आयोजि - कानतव क शुक्ल पक्ष प्रथमा
गोर्िवन पूज ( अन्न कूट )
अर्सर - गोर्धव ि पूजा के नदि
आयोजि - कानतव क शुक्ल पक्ष प्रथमा
जानत - राउत जानत
संज्ञा - अन्ि कूट , मातर पूजा
पूजि - कोडहर देर् ( लाठी ) की पूजा
जानत - राउत जानत
पूजि - श्रीकृष्र् र् कोडहर दे र् ( लाठी )
की पूजा
परम्पर 42. मातर त्यौहार कौि मिाते है ?
साज सज्जा और गाजे बाजे के साथ गाय (A) कृषक (B) यादर् (राउत)
गोबर का गोर्धव ि पर्व त तैयार नकया जाता है | (C) मछुआरा (D) बुिकर
गोर्धव ि पर्व त को एक गाय बनछया से रौंदाया (E) इिमें से कोई िहीं
जाता है | [CGPSC Pre 2016]
अब इस गोबर से नतलक नकया जाता है |
उत्तर (B)
इसके प्रमुख 3 भाग है - सु ई ब िंिन ,
म तर पूज र् क छन चढ़ न
नर्शेष - इसी नदि बस्तर अंचल में हदय री म तर पूज
त्यौ र का आयोजि नकया जाता है | आयोजि - कानतव क शुक्ल पक्ष प्रथमा
अर्सर - गोर्धव ि पूजा के नदि
जानत - राउत जानत
म तर पूजि - कोडहर देर् ( लाठी ) की पूजा
44. छत्तीसगढ़ में ‘कानतव क शुक्ल िर्मी’ के नदि नकस र्ृक्ष देर्उठनी एक दशी ( जेठउनी )
की पूजा होती है ?
आयोजि - कानतव क शुक्ल पक्ष एकादशी
(A) आम (B) आंर्ला
परम्परा - तुलसी नर्र्ाह
(C) बेल (D) बरगद
पूजि - गन्िा की पूजा
(E) इिमें से कोई िहीं
िृत्य - राउत िाचा
[CGPSC ITI PRINCIPAL 2016]
व्यंजि - फर ( चार्ल आटा , गन्िा रस )
उत्तर (B)
नर्शेष - पशुओ िं में सु ई ब िंिन
आिंर्ल नर्मी
आयोजि - कानतव क शुक्ल पक्ष िर्मी 47. देर्ऊठिी कब मिाते हैं ?
आराध्य देर्ता - नर्ष्र्ु जी (A) माघ शुक्ल पक्ष एकादशी
पूजि - आंर्ला र्ृक्ष की पूजा (B) कानतव क शुक्ल पक्ष एकादशी
(C) सार्ि शुक्ल पक्ष एकादशी
(D) आनिि शुक्ल पक्ष एकादशी
(E) इिमें से कोई िहीं
45. आंर्ला की पूजा कब की जाती है ?
(A) माघ शुक्ल पक्ष िर्मी
उत्तर (B)
(B) कानतव क शुक्ल पक्ष िर्मी
(C) सार्ि शुक्ल पक्ष िर्मी
(D) आनिि शुक्ल पक्ष िर्मी देर्उठनी एक दशी ( जेठउनी )
(E) इिमें से कोई िहीं आयोजि - कानतव क शुक्ल पक्ष एकादशी
परम्परा - तुलसी नर्र्ाह
उत्तर (B) पूजि - गन्िा की पूजा
िृत्य - राउत िाचा
आिंर्ल नर्मी व्यंजि - फर ( चार्ल आटा , गन्िा रस )
नर्शेष - पशुओ िं में सु ई ब िंिन
आयोजि - कानतव क शुक्ल पक्ष िर्मी
आराध्य देर्ता - नर्ष्र्ु जी
पूजि - आंर्ला र्ृक्ष की पूजा 48. तुलसी नर्र्ाह कब नकया जाता है ?
(A) माघ शुक्ल पक्ष एकादशी
(B) कानतव क शुक्ल पक्ष एकादशी
(C) सार्ि शुक्ल पक्ष एकादशी
(D) आनिि शुक्ल पक्ष एकादशी
(E) इिमें से कोई िहीं
उत्तर (B)
जाते है |
देर्उठनी एक दशी ( जेठउनी ) नकसाि लेख और ह स ब हकत ब का
बंदोबस्त करते है |
आयोजि - कानतव क शुक्ल पक्ष एकादशी गीत -तर ( मनहला )
परम्परा - तुलसी नर्र्ाह - छेरत ( पुरुष )
पूजि - गन्िा की पूजा - लोकडी ( सामूनहक )
िृत्य - राउत िाचा िृत्य - डिंड नृत्य ( बस्तर )
व्यंजि - फर ( चार्ल आटा , गन्िा रस ) - सैल ( पंडो )
नर्शेष - पशुओ िं में सु ई ब िंिन - करमा ( बैगा )
- सुआ ( लड़नकयां )
परम्परा - गंगा िदी में स्िाि
हत्रपरु ी पूहणवम व्यंजि - नखचड़ी र् नचर्ड़ा , गुड र् नतल
प्रमुख गीत - “छे रछे रा , माई कोठी के धाि ला
49. नत्रपुरी पूनर्व मा का आयोजि कब नकया जाता है ? हे रते हे रा”
(A) आषाढ़ पूनर्व मा (B) माघ पूनर्व मा प्रचलि - गोंड़ , भूमका , पिका
(C) कानतव क पूनर्व मा (D) सार्ि पूनर्व मा नर्शेष - कृ नष कायव िहीं नकया जाता है |
(E) इिमें से कोई िहीं
प्रमुख गीत - “छे रछे रा , माई कोठी के धाि ला (A) 1 एर्ं 2 (B) 2 एर्ं 3
हेरते हे रा” (C) 1 एर्ं 3 (D) 2 एर्ं 4
प्रचलि - गोंड़ , भूमका , पिका (E) इिमें से कोई िहीं
नर्शेष - कृनष कायव िहीं नकया जाता है | [CGPSC MI 2010]
उत्तर (B)
52. निम्ि में से कौि सा कथि छत्तीसगढ़ के छे रछे रा पर्व के
छत्तीसगढ़ के लोकनप्रय एर्ं मूल पर्व हरे ली र् छे रछे रा है |
संबंध में सत्य िहीं है :
(A) यह पौष पूनर्व मा को मिाया जाता है |
(B) इस नदि बच्चें घर – घर जाकर धाि एकत्र करते है | हर्हर्ि
(C) इस अर्सर पर कृनष उपकरर्ों की पूजा होती है |
(D) इस नदि लड़नकयााँ सुआ िृत्य करती है | 54. ‘गोबर-बोहरािी’ का प्रचलि है -
(E) इिमें से कोई िहीं (A) मकड़ी नर्कास खण्ड
[CGPSC CMO (P-2) 2010] (B) फरसगांर् नर्कास खण्ड
उत्तर (C) (C) नछं दगढ़ नर्कास खण्ड
(D) कटेकल्यार् नर्कास खण्ड
छेरछेर ( छेरत ) (E) बस्तर नर्कास खण्ड
आयोजि - पौष पूनर्व मा [CGPSC Egg.GRADE – 2 2014]
संज्ञा - छे रता ( छे रता का अथव – धरती ) उत्तर (C)
परम्पर
बच्चे घर – घर जाकर धाि मांगते है | ‘गोबर-बोहरािी’ का प्रचलि है - नछं दगढ़ नर्कास खण्ड
पुरािे खाते बंद करके नये ब ी ख ते बिाये में है |
जाते है |
नकसाि लेख और ह स ब हकत ब का 55. आषाढ के प्रथम नदर्स पर सांस्कृ नतक आयोजि निम्ि
बंदोबस्त करते है |
में से नकस िंथ से संबंनधत है ?
गीत -तर ( मनहला )
(A) उत्तर रामचररत (B) कुमार संभर्
- छेरत ( पुरुष )
- लोकडी ( सामूनहक ) (C) श्रीमद भागर्त (D) मेघदूत
िृत्य - डिंड नृत्य ( बस्तर ) (E) इिमें से कोई िहीं
- सैल ( पंडो ) [CGPSC ITI AP 2016]
- करमा ( बैगा ) उत्तर (D)
- सुआ ( लड़नकयां )
परम्परा - गंगा िदी में स्िाि आषाढ के प्रथम नदर्स पर सांस्कृ नतक आयोजि
व्यंजि - नखचड़ी र् नचर्ड़ा , गुड र् नतल मेघदूत से संबंनधत है |
प्रमुख गीत - “छे रछे रा , माई कोठी के धाि ला
हे रते हे रा” 56. चौका आरती नकससे संबंनधत है ?
प्रचलि - गोंड़ , भूमका , पिका (A) कबीरपंथ (B) सतिाम पंथ
नर्शेष - कृनष कायव िहीं नकया जाता है | (C) अघोरपंथ (D) सिाति
(E) इिमें से कोई िहीं
53. छत्तीसगढ़ के लोकनप्रय एर्ं मूल पर्व निम्िनलनखत है : [CGPSC AP 2017]
(1) छठ (2) हरे ली उत्तर (B)
(3) छे रछे रा (4) िर्ाखाई
चौका आरती सतिाम पंथ के संस्थापक गुरु घासीदास
सही उत्तर चुनिये : को समनपव त है |
60. गोंचा पर्व नकस माह में मिाया जाता है - 62. निम्िनलनखत में से कौि सा पर्व छत्तीसगढ़ राज्य से
(A) ज्येष्ठ (B) आषाढ संबंनधत है :
(C) श्रार्र् (D) भाद्रपद (A) गोंचा (B) जोंजबील मेला
(E) इिमें से कोई िहीं (C) बैशागु नबह (D) बोहाग नबह
[CGPSC Pre 2014] (E) चेमांगकि
उत्तर (B) [CGPSC ADHIS 2014]
उत्तर (A)
बस्तर क रथय त्र ( गोंच पर्व )
गोंचा उत्सर् छत्तीसगढ़ राज्य से संबंनधत है |
आयोजि - चैत्र कृ ष्र् पक्ष प्रथमा
प्रारं भ - 1468
प्रारं भ कताव - पुरुषोत्तम दे र् ( 1468 – 1534 )
आयोजि - आषार् शुक्ल पक्ष नितीया
स्थल - नसरहासार ( जगदलपुर )
आराध्य देर्ता - जगन्िाथ
कुल अर्नध - 14 नदि
िृत्य - गोंचा िृत्य
बस्तर दश र बस्तर दश र
प्रारं भ - 1468 प्रारं भ - 1468
प्रारं भ कताव - पुरुषोत्तम देर् प्रारं भ कताव - पुरुषोत्तम देर्
स्थल - नसरहासार ( जगदलपुर ) स्थल - नसरहासार ( जगदलपुर )
आराध्य देर्ी - दंतेिरी देर्ी ( मार्ली दे र्ी ) आराध्य देर्ी - दंतेिरी देर्ी ( मार्ली दे र्ी )
आयोजि - सार्ि अमार्स्या ( हरे ली अमार्स्या ) आयोजि - सार्ि अमार्स्या ( हरे ली
से अनिि शुक्ल पक्ष त्रयोदशी अमार्स्या ) से अनिि शुक्ल पक्ष त्रयोदशी
कुल अर्नध - 75 नदि कुल अर्नध - 75 नदि
कायव क्म - पाटा जात्रा कायव क्म - पाटा जात्रा
प्रमुख रस्म - 14 नदि तक ( आनिि प्रमुख रस्म - 14 नदि तक ( आनिि
अमार्स्या से अनिि शुक्ल पक्ष त्रयोदशी ) अमार्स्या से अनिि शुक्ल पक्ष त्रयोदशी )
प्रथम रस्म - कानछिगादी प्रथम रस्म - कानछिगादी
अंनतम रस्म - ओड़ाड़ी ( गंगामुर्ा जात्रा ) अंनतम रस्म - ओड़ाड़ी ( गंगामुर्ा जात्रा )
64. बस्तर दशहरा का आयोजि नकतिें नदिों तक होता है ? 66. मार्ली परघार् का आयोजि कब नकया जाता है ?
(A) 72 नदि (B) 73 नदि (A) आनिि शुक्ल िर्मी (B) आनिि शुक्ल दशमी
(C) 74 नदि (D) 75 नदि (C) आनिि शुक्ल अष्टमी (D) कानतव क शुक्ल िर्मी
(E) इिमें से कोई िहीं (E) कानतव क शुक्ल दशमी
[CGPSC SEE 2017] [CGPSC SEE 2017]
उत्तर (E) उत्तर (A)
क कस र पर्व सर ु ल पर्व
जिजानत - अबूझमानड़या जिजानत - उरांर्
जानत - राउत जानत आयोजि - चैत्र िर्मी से चैत्र पूनर्व मा
उद्दे श्य - अच्छी फ़सल की कामिा हे तु उद्दे श्य - सरिा दे र्ी ( साल र्ृक्ष ) की पूजा
गोत्र दे र् की पूजा नर्शेष - सूयव दे र् र् धरती माता का नर्र्ाह
देर्ता - गोत्र दे र् करर्ाया जाता है |
िृत्य - सरहु ल िृत्य
“गेड़ी पर्व ” र् “िाररयल फेंक पर्व ” की संज्ञा से सुसनज्जत हरे ली पर्व का आयोजि सार्ि अमार्स्या के अर्सर पर नकया
जाता है | फ़सल की अच्छी पैदार्ार एर्ं सुख समृनद्ध की कामिा हेतु कृनष उपकरर्ों र् दे र्ी कुटकी दाई की पूजा की
जाती है | इसमें िाररयल फेंक प्रनतयोनगता का आयोजि नकया जाता है | िृत्य गेड़ी ( नडटोंग ) िृत्य इस पर्व की प्रमुखता
है | भूत प्रेत से रक्षा हे तु घर के िार पर सर्िाही नचत्रकारी की जाती है | इसका प्रमुख व्यंजि गुरहा चीला है |
“गेड़ी पर्व ” र् “िाररयल फेंक पर्व ” की संज्ञा से सुसनज्जत हरे ली पर्व का आयोजि सार्ि अमार्स्या के अर्सर पर नकया
जाता है | फसल के प्रथम चरर् के समापि का पररचायक है | फ़सल की अच्छी पैदार्ार एर्ं सुख समृनद्ध की कामिा हे तु
कृ नष उपकरर्ों र् दे र्ी कुटकी दाई की पूजा की जाती है |
इसमें िाररयल फेंक प्रनतयोनगता का आयोजि नकया जाता है | िृत्य गेड़ी ( नडटोंग ) िृत्य इस पर्व की प्रमुखता है | भूत
प्रेत से रक्षा हेतु घर के िार पर सर्िाही नचत्रकारी की जाती है | इसका प्रमुख व्यंजि गुरहा चीला है | इसी नदि बस्तर
दशहरा का प्रारं भ होता है | लोहार जानत के लोग घर के िार पर कील लगाते है | राउत जानत के लोग िीम पत्ता लगाते है |
मूल्य िंकन - यह एक कृनष प्रधाि पर्व है | यह नर्िसिीय छत्तीसगढ़ का पररचायक है | यह छत्तीसगढ़ की एकता र्
अखण्डता का प्रतीक है |
Question 3. छत्तीसगढ़ लोकपर्व भोजली पर हटप्पणी कीहजये | ( अिंक : 8 , शब्द सीम : 100 )
[CGPSC MAINS 2015]
“कजररया तीज” की संज्ञा से सुसनज्जत भोजली का आयोजि प्रनतर्षव सार्ि कृ ष्र् तृतीया से भाद्र कृ ष्र् पक्ष प्रथमा के
अर्सर पर नकया जाता है | इसका प्रारं भ सार्ि कृ ष्र् तृतीया को एक टोकरी में भोजली माता रुपी अन्ि को बोकर
नकया जाता है | इसका समापि भाद्र कृष्र् पक्ष प्रथमा को भोजली नर्सजव ि िारा होता है | युर्नतयों िारा अच्छी र्षाव एर्ं
भरपूर अन्ि भण्डार देिे र्ाली फ़सल की कामिा हेतु भोजली माता की पूजा की जाती है | मान्यतािुसार भोजली नजस
र्षव तेज बढ़ता है उस र्षव फसल उतिा ही अच्छा होगा | भोजली नर्सजव ि करिे के नलए जाते हु ए मनहलाएं भोजली , लहर
तुरंगा , अहो देर्ी गंगा गीत गाती हैं |
मूल्य िंकन - भोजली छत्तीसगढ़ राज्य में आयोनजत होिे र्ाले पारं पररक पर्ों में महत्र्पूर्व पर्व है | यह पर्व सुख – समृनद्ध
एर्ं नर्कास का पररचायक है | यह एक कृनष प्रधाि पर्व है | यह नर्िसिीय छत्तीसगढ़ का पररचायक है | यह छत्तीसगढ़
की एकता र् अखण्डता का प्रतीक है |
हलषष्ठी देर्ी को समनपव त कमरछठ ( हलषष्ठी ) का आयोजि प्रनतर्षव ‘भाद्र कृष्र् पक्ष षष्ठी’ के अर्सर पर नकया जाता
है | इसमें मााँ िारा अपिे बच्चों के लम्बी उम्र की कामिा हे तु निजव ला उपर्ास रखा जाता है | मान्यतािुसार ‘बलराम
जयंती’ के उपलक्ष्य में इसे मिाया जाता है | इसका प्रमुख व्यंजि ‘पसहर चांर्ल’ है | इस नदि ‘हल की जुताई’ र् ‘गाय
की दुग्ध सामिी’ का सेर्ि िहीं नकया जाता है |
“नपठौरी अमार्स्या” की संज्ञा से सुसनज्जत पोला का आयोजि प्रनतर्षव ‘भाद्र अमार्स्या’ के अर्सर पर नकया जाता है |
इसमें बैल की पूजा की जाती है | परम्परािुसार बैल दौड़ प्रनतयोनगता का आयोजि नकया जाता है | इसमें बेसि से बिी
ठे ठरी का भोग लगाया जाता है |
मूल्य िंकन – पोला छत्तीसगढ़ राज्य में आयोनजत होिे र्ाले पारं पररक पर्ों में महत्र्पूर्व पर्व है | यह पर्व सुख – समृनद्ध एर्ं
नर्कास का पररचायक है | यह एक कृनष प्रधाि पर्व है | यह नर्िसिीय छत्तीसगढ़ का पररचायक है | यह छत्तीसगढ़ की
एकता र् अखण्डता का प्रतीक है |
“छत्तीसगढ़ का करर्ा चौथ” की संज्ञा से सुसनज्जत हरतानलका तीज का आयोजि भाद्र शुक्ल पक्ष तृतीया के अर्सर पर
नकया जाता है | इसमें नर्र्ानहत मनहलाओं िारा अपिे पनत की लम्बी उम्र की कामिा हे तु निजव ला उपर्ास रखा जाता है |
इसमें नर्र्ाह के बाद पहला तीज मायके में मिािे की परम्परा है | इसमें नशर् – पार्व ती का नर्र्ाह उत्सर् के प्रनतरूप में
नशर् – पार्व ती की पूजा की जाती है | नशर् – पार्व ती की हरतानलका नचत्रकारी की जाती है | इसका प्रमुख व्यंजि खुरमी
है | नशर् – पार्व ती की आराधिा हे तु मनहलाओं िारा धिकुल गीत गाया जाता है |
“छत्तीसगढ़ का करर्ा चौथ” की संज्ञा से सुसनज्जत हरतानलका तीज का आयोजि भाद्र शुक्ल पक्ष तृतीया के अर्सर पर
नकया जाता है | इसमें नर्र्ानहत मनहलाओं िारा अपिे पनत की लम्बी उम्र की कामिा हे तु निजव ला उपर्ास रखा जाता है |
इसमें नशर् – पार्व ती का नर्र्ाह उत्सर् के प्रनतरूप में नशर् – पार्व ती की पूजा की जाती है | नशर् – पार्व ती की हरतानलका
नचत्रकारी की जाती है | इसका प्रमुख व्यंजि खुरमी है |
कृ नष प्रधाि पर्व छे रछे रा का आयोजि प्रनतर्षव पौष पूनर्व मा के अर्सर पर नकया जाता है | इसमें मनहलाओं िारा तारा गीत
, पुरुषों िारा छे रता गीत , सामूनहक गीत लोकडी का संपादि नकया जाता है | बस्तर आनदर्ानसयों िारा डं डा िृत्य , पंडो
जिजानत िारा सैला िृत्य , बैगा जिजानत िारा करमा िृत्य इसका उत्कृष्ट उदाहरर् है | “छे रछे रा , माई कोठी के धाि
ला हे रते हे रा” गीत का संपादि करते बच्चे घर – घर जाकर धाि मांगते है |
होनलका दहि का आयोजि ‘फाल्गुि पूनर्व मा’ र् होली का आयोजि ‘चैत्र शुक्ल पक्ष प्रथमा’ के अर्सर पर नकया जाता
है | फ़ाग होनलका दहि र् होली के अर्सर पर गाया जािे र्ाला एक लोकगीत है | यह मूलरूप से उत्तरप्रदेश का
लोकगीत है | इसे छत्तीसगढ़ में भी गाया जाता है | सामान्य रूप से फ़ाग में राधाकृष्र् के प्रेम का र्र्व ि होता है | बस्तर
आनदर्ानसयों िारा फ़ाग गीत के साथ डंडारी का संपादि नकया जाता है |
Question 10. छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीज त्यौ रों क र्णवन कीहजए | ( अिंक : 20 , शब्द सीम : 250 )
[CGPSC MAINS 2012]
नमट्टी की सोंधी महक छत्तीसगढ़ की संस्कृनत में नर्द्यमाि है | संस्कृनत को प्रर्ाहमाि बिािे में लोकपर्ों का अतुल्िीय
योगदाि है | छत्तीसगढ़ी लोकपर्व एकता र् अखण्डता का पररचायक है |
छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकपर्व – (1) अक्ती ( अक्षय तृतीय ) – “आखा तीज” की संज्ञा से सुसनज्जत कृ नष प्रधाि पर्व
अक्षय तृतीया का आयोजि ‘र्ैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया’ को नकया है | इस उपलक्ष्य में पुतरा पुतरी नर्र्ाह तथा परशुराम
जयंती का आयोजि भी नकया जाता है | (2) अरर् तीज – इसका आयोजि ‘र्ैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया’ को नकया जाता
है | इस अर्सर पर कुंर्ारी कन्याओं िारा योग्य र्र की कामिा हेतु उपर्ास रखा जाता है | (3) बस्तर क रथय त्र (
गोंच पर्व ) – भगर्ाि जगन्िाथ को समनपव त गोंचा पर्व का आयोजि प्रनतर्षव ‘आषार् शुक्ल पक्ष नितीया’ के अर्सर
पर नकया जाता है | गोंचा पर्व में भगर्ाि जगन्िाथ की रथयात्रा का आयोजि नकया जाता है |
(4) रे ली – “गेड़ी पर्व ” र् “िाररयल फेंक पर्व ” की संज्ञा से सुसनज्जत हरे ली पर्व का आयोजि सार्ि अमार्स्या को
नकया जाता है | िृत्य गेड़ी ( नडटोंग ) िृत्य इस पर्व की प्रमुखता है | भूत प्रेत से रक्षा हे तु घर के िार पर सर्िाही
नचत्रकारी की जाती है | इसका प्रमुख व्यंजि गुरहा चीला है | (5) न गपिंचमी - िाग देर्ता को समनपव त िागपंचमी का
आयोजि सार्ि शुक्ल पक्ष पंचमी को नकया जाता है | (6) भोजली - “कजररया तीज” की संज्ञा से सुसनज्जत भोजली का
आयोजि प्रनतर्षव सार्ि कृष्र् तृतीया से भाद्र कृष्र् पक्ष प्रथमा के अर्सर पर नकया जाता है | इसका समापि भाद्र
कृ ष्र् पक्ष प्रथमा को भोजली नर्सजव ि िारा होता है |
(7) लिष्ठी - हलषष्ठी देर्ी को समनपव त कमरछठ ( हलषष्ठी ) का आयोजि प्रनतर्षव ‘भाद्र कृ ष्र् पक्ष षष्ठी’ के अर्सर
पर नकया जाता है | इसमें मााँ िारा अपिे बच्चों के लम्बी उम्र की कामिा हे तु निजव ला उपर्ास रखा जाता है | इसका प्रमुख
व्यंजि ‘पसहर चांर्ल’ है | (8) कृष्ण जन्म ष्टमी – भगर्ाि श्रीकृ ष्र् को समनपव त इस पर्व का आयोजि भाद्र कृ ष्र् पक्ष
अष्टमी के अर्सर पर नकया जाता है | इस पर्व में आठे कन्हैया अपिी सांस्कृनतक दृनष्ट का पररचायक है | (9) पोल (
पोर ) - “नपठौरी अमार्स्या” की संज्ञा से सुसनज्जत पोला का आयोजि प्रनतर्षव ‘भाद्र अमार्स्या’ के अर्सर पर नकया
जाता है | इसमें बैल की पूजा की जाती है |
(10) तीज ( रत हलक तीज ) - “छत्तीसगढ़ का करर्ा चौथ” की संज्ञा से सुसनज्जत हरतानलका तीज का आयोजि
भाद्र शुक्ल पक्ष तृतीया के अर्सर पर नकया जाता है | इसमें नर्र्ानहत मनहलाओं िारा अपिे पनत की लम्बी उम्र की
कामिा हेतु निजव ला उपर्ास रखा जाता है | (11) हपतर पक्ष ( श्र द्ध पक्ष ) – नपतरों का तपव र् हे तु नपतर पक्ष का आयोजि
अनिि कृष्र् पक्ष के अर्सर पर नकया जाता है | इसमें बरा प्रमुख व्यंजि है | (12) नर्र हत्र - मनहषासुर मनदव िी को
समनपव त िर्रानत्र का आयोजि आनिि शुक्ल पक्ष प्रथमा से आनिि शुक्ल पक्ष िर्मी के अर्सर पर नकया जाता है |
(13) हर्जय दशमी ( दश र ) – भगर्ाि राम िारा रार्र् के र्ध के उपलक्ष्य में अनिि शुक्ल पक्ष दशमी के अर्सर पर
इसका आयोजि नकया जाता है | बस्तर आनदर्ासी गोंचा िृत्य र् बैगा जिजानत िारा नबल्मा िृत्य सांस्कृनतक परम्परा
का पररचायक है | इस पर्व के अर्सर पर नबम्बाजी भोंसले िे स्र्र्व पत्र देिे की शुरुर्ात की | (14) शरद पूहणवम – इस पर्व
का आयोजि आनिि पूनर्व मा के अर्सर पर नकया जाता है | इसमें तसमई प्रमुख व्यंजि है | (15) दीप र्ली ( गौरी –
गौर पर्व ) – भगर्ाि राम के अयोध्या र्ापस लौटिे के उपलक्ष्य में कानतव क अमार्स्या के अर्सर पर इसका आयोजि
नकया जाता है | इसमें सुआ िृत्य ( गौरी – गौरा िृत्य ) र् सुआ गीत सांस्कृ नतक परम्परा का पररचायक है | इसमें प्रमुख
व्यंजि चौसेला र् चौकपूर्ाव नचत्रकारी इसकी प्रमुखता है | (16) गोर्िवन पूज - श्रीकृ ष्र् को समनपव त गोर्धव ि पूजा का
आयोजि कानतव क शुक्ल पक्ष प्रथमा के अर्सर पर राउत जानत िारा नकया जाता है | (17) म तर पूज - कोडहर देर् (
लाठी ) को समनपव त मातर पूजा का आयोजि कानतव क शुक्ल पक्ष प्रथमा के अर्सर पर राउत जानत िारा नकया जाता है |
(18) आिंर्ल नर्मी – भगर्ाि नर्ष्र्ु जी को समनपव त इस पर्व का आयोजि कानतव क शुक्ल पक्ष िर्मी के अर्सर पर
नकया जाता है | इसमें आंर्ला र्ृक्ष की पूजा की जाती है | (19) देर्उठनी एक दशी ( जेठउनी ) - तुलसी नर्र्ाह को
समनपव त इस पर्व का आयोजि कानतव क शुक्ल पक्ष एकादशी के अर्सर पर नकया जाता है | इसमें गन्िा की पूजा की
जाती है | (20) हत्रपुरी पूहणवम - भगर्ाि नशर्जी िारा नत्रपुरासुर िामक असुर के र्ध के उपलक्ष्य में कानतव क पूनर्व मा के
अर्सर पर इस पर्व का आयोजि नकया जाता है |
(21) छेरछेर ( छेरत ) - कृ नष प्रधाि पर्व छे रछे रा का आयोजि प्रनतर्षव पौष पूनर्व मा के अर्सर पर नकया जाता है |
“छे रछे रा , माई कोठी के धाि ला हे रते हे रा” गीत का संपादि करते बच्चे घर – घर जाकर धाि मांगते है | (22)
म हशर्र हत्र - नशर् - पार्व ती नर्र्ाह को समनपव त महानशर्रानत्र का आयोजि फाल्गुि कृ ष्र् चतुदवशी के अर्सर पर
नकया जाता है | (23) ोहलक द न - फाल्गुि पूनर्व मा के अर्सर पर आयोनजत होनलका दहि छत्तीसगढ़ राज्य का
अंनतम पर्व है | इसमें फाग गीत र् बस्तर आनदर्ानसयों िारा डंडारी िृत्य इसकी प्रमुखता है |
मूल्य िंकन – छत्तीसगढ़ राज्य में आयोनजत होिे र्ाले पारं पररक पर्व अिेकता में एकता का पररचायक है | लोकपर्व सुख
– समृनद्ध एर्ं नर्कास का पररचायक है | यह नर्िसिीय छत्तीसगढ़ का पररचायक है |
Question 11. छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीज त्यौ रों क र्णवन कीहजए | ( अिंक : 40 , शब्द सीम : 500 )
नमट्टी की सोंधी महक छत्तीसगढ़ की संस्कृनत में नर्द्यमाि है | संस्कृनत को प्रर्ाहमाि बिािे में लोकपर्ों का अतुल्िीय
योगदाि है | छत्तीसगढ़ी लोकपर्व एकता र् अखण्डता का पररचायक है |
छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकपर्व – (1) अक्ती ( अक्षय तृतीय ) – “आखा तीज” की संज्ञा से सुसनज्जत कृ नष प्रधाि पर्व
अक्षय तृतीया का आयोजि ‘र्ैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया’ को नकया है | यह िये फसल की शुरुर्ात का प्रतीक है |
परम्परािुसार इस नदि नकसाि खेतों में थोड़ा सा बीज डालकर फ़सल बोर्ाई की शुरुर्ात करता है | इस उपलक्ष्य में
पुतरा पुतरी नर्र्ाह तथा परशुराम जयंती का आयोजि भी नकया जाता है | नबहार् गीत इसकी प्रमुख नर्शेषता है |
(2) अरर् तीज – इसका आयोजि ‘र्ैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया’ को नकया जाता है | इस अर्सर पर कुंर्ारी कन्याओं िारा
योग्य र्र की कामिा हे तु उपर्ास रखा जाता है | (3) बस्तर क रथय त्र ( गोंच पर्व ) – भगर्ाि जगन्िाथ को
समनपव त गोंचा पर्व का आयोजि प्रनतर्षव ‘आषार् शुक्ल पक्ष नितीया’ के अर्सर पर नकया जाता है | गोंचा पर्व में भगर्ाि
जगन्िाथ की रथयात्रा का आयोजि नकया जाता है | इस पर्व में गोंचा िृत्य अपिी सांस्कृ नतक दृनष्ट का पररचायक है |
(4) रे ली – “गेड़ी पर्व ” र् “िाररयल फेंक पर्व ” की संज्ञा से सुसनज्जत हरे ली पर्व का आयोजि सार्ि अमार्स्या को
नकया जाता है | फ़सल की अच्छी पैदार्ार एर्ं सुख समृनद्ध की कामिा हे तु कृ नष उपकरर्ों र् देर्ी कुटकी दाई की पूजा
की जाती है | इसमें िाररयल फेंक प्रनतयोनगता का आयोजि नकया जाता है | िृत्य गेड़ी ( नडटोंग ) िृत्य इस पर्व की
प्रमुखता है | भूत प्रेत से रक्षा हेतु घर के िार पर सर्िाही नचत्रकारी की जाती है | इसका प्रमुख व्यंजि गुरहा चीला है |
(5) न गपिंचमी - िाग देर्ता को समनपव त िागपंचमी का आयोजि सार्ि शुक्ल पक्ष पंचमी को नकया जाता है | इसमें
कुश्ती प्रनतयोनगता का आयोजि नकया जाता है | दलहा पहाड़ ( जांजगीर चाम्पा ) में िागपंचमी मेला इसकी प्रमुखता है |
(6) भोजली - “कजररया तीज” की संज्ञा से सुसनज्जत भोजली का आयोजि प्रनतर्षव सार्ि कृ ष्र् तृतीया से भाद्र कृ ष्र्
पक्ष प्रथमा के अर्सर पर नकया जाता है | इसका प्रारं भ सार्ि कृ ष्र् तृतीया को एक टोकरी में भोजली माता रुपी अन्ि
को बोकर नकया जाता है | इसका समापि भाद्र कृष्र् पक्ष प्रथमा को भोजली नर्सजव ि िारा होता है | युर्नतयों िारा
अच्छी र्षाव एर्ं भरपूर अन्ि भण्डार दे िे र्ाली फ़सल की कामिा हे तु भोजली माता की पूजा की जाती है | मान्यतािुसार
भोजली नजस र्षव तेज बढ़ता है उस र्षव फसल उतिा ही अच्छा होगा | भोजली नर्सजव ि करिे के नलए जाते हु ए मनहलाएं
भोजली , लहर तुरंगा , अहो दे र्ी गंगा गीत गाती हैं |
(7) लिष्ठी - हलषष्ठी दे र्ी को समनपव त कमरछठ ( हलषष्ठी ) का आयोजि प्रनतर्षव ‘भाद्र कृ ष्र् पक्ष षष्ठी’ के अर्सर
पर नकया जाता है | इसमें मााँ िारा अपिे बच्चों के लम्बी उम्र की कामिा हे तु निजव ला उपर्ास रखा जाता है |
मान्यतािुसार ‘बलराम जयंती’ के उपलक्ष्य में इसे मिाया जाता है | इसका प्रमुख व्यंजि ‘पसहर चांर्ल’ है | इस नदि
‘हल की जुताई’ र् ‘गाय की दुग्ध सामिी’ का सेर्ि िहीं नकया जाता है |
(8) कृष्ण जन्म ष्टमी – भगर्ाि श्रीकृ ष्र् को समनपव त इस पर्व का आयोजि भाद्र कृ ष्र् पक्ष अष्टमी के अर्सर पर नकया
जाता है | इस पर्व में आठे कन्हैया अपिी सांस्कृनतक दृनष्ट का पररचायक है | (9) पोल ( पोर ) - “नपठौरी अमार्स्या”
की संज्ञा से सुसनज्जत पोला का आयोजि प्रनतर्षव ‘भाद्र अमार्स्या’ के अर्सर पर नकया जाता है | इसमें बैल की पूजा
की जाती है | परम्परािुसार बैल दौड़ प्रनतयोनगता का आयोजि नकया जाता है | इसमें बेसि से बिी ठे ठरी का भोग
लगाया जाता है |
(10) तीज ( रत हलक तीज ) - “छत्तीसगढ़ का करर्ा चौथ” की संज्ञा से सुसनज्जत हरतानलका तीज का आयोजि
भाद्र शुक्ल पक्ष तृतीया के अर्सर पर नकया जाता है | इसमें नर्र्ानहत मनहलाओं िारा अपिे पनत की लम्बी उम्र की
कामिा हे तु निजव ला उपर्ास रखा जाता है | इसमें नर्र्ाह के बाद पहला तीज मायके में मिािे की परम्परा है | इसमें नशर्
– पार्व ती का नर्र्ाह उत्सर् के प्रनतरूप में नशर् – पार्व ती की पूजा की जाती है | नशर् – पार्व ती की हरतानलका नचत्रकारी
की जाती है | इसका प्रमुख व्यंजि खुरमी है | नशर् – पार्व ती की आराधिा हे तु मनहलाओं िारा धिकुल गीत गाया जाता
है |
(11) हपतर पक्ष ( श्र द्ध पक्ष ) – नपतरों का तपव र् हे तु नपतर पक्ष का आयोजि अनिि कृ ष्र् पक्ष के अर्सर पर नकया
जाता है | इसमें बरा प्रमुख व्यंजि है | (12) नर्र हत्र - मनहषासुर मनदव िी को समनपव त िर्रानत्र का आयोजि आनिि
शुक्ल पक्ष प्रथमा से आनिि शुक्ल पक्ष िर्मी के अर्सर पर नकया जाता है | इसमें जोत – जर्ांरा सांस्कृ नतक परम्परा
का पररचायक है | (13) हर्जय दशमी ( दश र ) – भगर्ाि राम िारा रार्र् के र्ध के उपलक्ष्य में अनिि शुक्ल पक्ष
दशमी के अर्सर पर इसका आयोजि नकया जाता है | बस्तर आनदर्ासी गोंचा िृत्य र् बैगा जिजानत िारा नबल्मा िृत्य
सांस्कृ नतक परम्परा का पररचायक है | इस पर्व के अर्सर पर नबम्बाजी भोंसले िे स्र्र्व पत्र दे िे की शुरुर्ात की |
(14) शरद पूहणवम – इस पर्व का आयोजि आनिि पूनर्व मा के अर्सर पर नकया जाता है | इसमें तसमई प्रमुख व्यंजि है |
परम्परािुसार शरद पूनर्व मा को घर के छत पर तसमई को रखा जाता है | (15) दीप र्ली ( गौरी – गौर पर्व ) – भगर्ाि
राम के अयोध्या र्ापस लौटिे के उपलक्ष्य में कानतव क अमार्स्या के अर्सर पर इसका आयोजि नकया जाता है | इसमें
सुआ िृत्य ( गौरी – गौरा िृत्य ) र् सुआ गीत सांस्कृ नतक परम्परा का पररचायक है | इसमें प्रमुख व्यंजि चौसेला र्
चौकपूर्ाव नचत्रकारी इसकी प्रमुखता है |
(16) गोर्िवन पूज - श्रीकृ ष्र् को समनपव त गोर्धव ि पूजा का आयोजि कानतव क शुक्ल पक्ष प्रथमा के अर्सर पर राउत
जानत िारा नकया जाता है | (17) म तर पूज - कोडहर देर् ( लाठी ) को समनपव त मातर पूजा का आयोजि कानतव क शुक्ल
पक्ष प्रथमा के अर्सर पर राउत जानत िारा नकया जाता है | (18) आिंर्ल नर्मी – भगर्ाि नर्ष्र्ु जी को समनपव त इस पर्व
का आयोजि कानतव क शुक्ल पक्ष िर्मी के अर्सर पर नकया जाता है | इसमें आंर्ला र्ृक्ष की पूजा की जाती है |
(19) देर्उठनी एक दशी ( जेठउनी ) - तुलसी नर्र्ाह को समनपव त इस पर्व का आयोजि कानतव क शुक्ल पक्ष एकादशी के
अर्सर पर नकया जाता है | इसमें गन्िा की पूजा की जाती है | परम्परािुसार पशुओ ं में सुहई बांधिा इसकी प्रमुखता को
दशाव ता है | राउत िाचा र् फरा व्यंजि सांस्कृनतक परम्परा का पररचायक है | (20) हत्रपुरी पूहणवम - भगर्ाि नशर्जी
िारा नत्रपुरासुर िामक असुर के र्ध के उपलक्ष्य में कानतव क पूनर्व मा के अर्सर पर इस पर्व का आयोजि नकया जाता है |
परम्परािुसार गंगा िदी में स्िाि करिा सांस्कृनतक परम्परा का पररचायक है |
(21) छेरछेर ( छेरत ) - कृनष प्रधाि पर्व छे रछे रा का आयोजि प्रनतर्षव पौष पूनर्व मा के अर्सर पर नकया जाता है | इसमें
मनहलाओं िारा तारा गीत , पुरुषों िारा छे रता गीत , सामूनहक गीत लोकडी का संपादि नकया जाता है | बस्तर
आनदर्ानसयों िारा डं डा िृत्य , पंडो जिजानत िारा सैला िृत्य , बैगा जिजानत िारा करमा िृत्य इसका उत्कृष्ट
उदाहरर् है | “छे रछे रा , माई कोठी के धाि ला हे रते हे रा” गीत का संपादि करते बच्चे घर – घर जाकर धाि मांगते है |
(22) म हशर्र हत्र - नशर् - पार्व ती नर्र्ाह को समनपव त महानशर्रानत्र का आयोजि फाल्गुि कृष्र् चतुदवशी के अर्सर पर
नकया जाता है | माघ पूनर्व मा से महानशर्रानत्र तक रतिपुर , मल्हार , नशर्रीिारायर् , रानजम , नसरपुर र् दामाखेड़ा में
मेला का आयोजि नकया जाता है | (23) ोहलक द न - फाल्गुि पूनर्व मा के अर्सर पर आयोनजत होनलका दहि
छत्तीसगढ़ राज्य का अंनतम पर्व है | इसमें फाग गीत र् बस्तर आनदर्ानसयों िारा डंडारी िृत्य इसकी प्रमुखता है |
मूल्य िंकन – छत्तीसगढ़ राज्य में आयोनजत होिे र्ाले पारं पररक पर्व अिेकता में एकता का पररचायक है | लोकपर्व सुख
– समृनद्ध एर्ं नर्कास का पररचायक है | यह नर्िसिीय छत्तीसगढ़ का पररचायक है |
Question 12. गोंच पर्व की ऐहत हसक पृष्ठभूहम पर स िंस्कृहतक पररदृश्य को रे ख िंहकत कीहजये |
( अिंक : 8 , शब्द सीम : 100 )
पुरुषोत्तम दे र् िे 1468 में जगन्िाथ पुरी की यात्रा पेट के बल पहु ंचकर भगर्ाि जगन्िाथ का दशव ि नकया | पुरी के
शासक िे पुरुषोत्तम दे र् को ‘लाहरू रथपनत’ की उपानध से सुसनज्जत नकया तथा 16 पनहयों र्ाला रथ प्रदाि नकया |
पुरुषोत्तम दे र् िे 4 पनहएं भगर्ाि जगन्िाथ को अनपव त कर नदए और 12 पनहएं के रथ साथ बस्तर र्ापस आये | उिका
बस्तर में भव्य स्र्ागत नकया गया | पुरुषोत्तम दे र् िे 1468 में बस्तर का दशहरा तथा बस्तर का रथयात्रा ( गोंचा पर्व )
का प्रारं भ नकया | बस्तर का दशहरा तथा गोंचा पर्व में रथ चलािे की प्रथा की शुरुर्ात की |
गोंचा पर्व का आयोजि प्रनतर्षव आषार् शुक्ल पक्ष नितीया के अर्सर पर नकया जाता है | यह पर्व भगर्ाि जगन्िाथ को
समनपव त है | गोंचा पर्व में भगर्ाि जगन्िाथ की रथयात्रा का आयोजि नकया जाता है | इस पर्व में गोंचा िृत्य अपिी
सांस्कृ नतक दृनष्ट का पररचायक है |
मूल्य िंकन - यह बस्तर दशहरा के बाद बस्तर का दूसरा प्रमुख पर्व है | यह पर्व छत्तीसगढ़ िहीं र्रि सम्पूर्व भारत के
श्रद्धालुओ ं की आस्था का पररचायक है | इसे बस्तर की रथयात्रा की संज्ञा से भी सुशोनभत नकया जाता है |
Question 13. बस्तर दश र की ऐहत हसक पृष्ठभूहम पर स िंस्कृहतक पररदृश्य को रे ख िंहकत कीहजये |
( अिंक : 8 , शब्द सीम : 100 )
अथर्
बस्तर दश र पर हनबिंि हलहखए |
( अिंक : 8 , शब्द सीम : 100 ) [CGPSC MAINS 2017]
अथर्
बस्तर के दश र पर हटप्पणी कीहजये |
( अिंक : 8 , शब्द सीम : 100 ) [CGPSC MAINS 2015]
पुरुषोत्तम दे र् िे 1468 में जगन्िाथ पुरी की यात्रा पेट के बल पहु ंचकर भगर्ाि जगन्िाथ का दशव ि नकया | पुरी के
शासक िे पुरुषोत्तम दे र् को ‘लाहरू रथपनत’ की उपानध से सुसनज्जत नकया तथा 16 पनहयों र्ाला रथ प्रदाि नकया |
पुरुषोत्तम दे र् िे 4 पनहएं भगर्ाि जगन्िाथ को अनपव त कर नदए और 12 पनहएं के रथ साथ बस्तर र्ापस आये | उिका
बस्तर में भव्य स्र्ागत नकया गया | पुरुषोत्तम दे र् िे 1468 में बस्तर का दशहरा तथा बस्तर का रथयात्रा ( गोंचा पर्व )
का प्रारं भ नकया | बस्तर का दशहरा तथा गोंचा पर्व में रथ चलािे की प्रथा की शुरुर्ात की |
बस्तर दशहरा का आयोजि प्रनतर्षव सार्ि अमार्स्या ( हरे ली अमार्स्या ) से अनिि शुक्ल पक्ष त्रयोदशी के अर्सर पर
नसरहासार ( जगदलपुर ) में नकया जाता है | इसका आयोजि 75 नदिों तक होता है अथाव त् यह नर्ि का सबसे लम्बी
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HISTORY OF CHHATTISGARH
अर्नध तक मािाये जािे र्ाला पर्व है | यह पर्व दंतेिरी दे र्ी ( मार्ली दे र्ी ) को समनपव त है | बस्तर दशहरा में मार्ली देर्ी
की रथयात्रा का आयोजि नकया जाता है | इस पर्व में मुण्डा जिजानत िारा ‘मार िृत्य’ अपिी सांस्कृ नतक दृनष्ट का
पररचायक है |
मूल्य िंकन - बस्तर दशहरा छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर अंचल में आयोनजत होिे र्ाले पारं पररक पर्ों में सर्व श्रेष्ठ पर्व है |
बस्तर दशहरा सम्पूर्व भारत में आयोनजत दशहरा से नभन्ि है | सम्पूर्व भारत में दशहरा का आयोजि राम िारा रार्र् के
र्ध को समनपव त है जबनक बस्तर दशहरा दंतेिरी माता िारा मनहषासुर के र्ध को समनपव त है |
पाटा जात्रा बस्तर दशहरा का प्रथम प्रथा है | इसका अथव - लकड़ी की पूजा र् रथ का निमाव र् | इसका प्रारं भ सार्ि
अमार्स्या ( हरे ली अमार्स्या ) के अर्सर पर नसरहासार ( जगदलपुर ) में नकया जाता है | इसमें रथ निमाव र् हे तु नबलोरी
जंगल से साल लकड़ी लाकर उसकी पूजा की जाती है | इसमें 7 मांगुर मछनलयों का अपव र् नकया जाता है | सामान्यतया
रथ बिािे र्ाले बढ़ई झार उमरगांर् के , रथ बिािे र्ाले लोहार बेड़ा उमरगांर् के तथा रथ खींचिे र्ाली रस्सी का
निमाव र् करिे र्ाले केशपाल , करं जी , सोिाबाल गांर् के होते है |
मूल्य िंकन - बस्तर दशहरा छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर अंचल में आयोनजत होिे र्ाले पारं पररक पर्ों में सर्व श्रेष्ठ पर्व है |
कानछिगादी बस्तर दशहरा में आयोनजत होिे र्ाला प्रथम रस्म है | इसका अथव - कानछि देर्ी को गद्दी प्रदाि करिा |
कानछिगादी एक बेल कांटों से तैयार झुला होता है | इसका आयोजि बस्तर दशहरा के दौराि आनिि अमार्स्या के
अर्सर पर नसरहासार ( जगदलपुर ) में नकया जाता है | इसमें कानछि देर्ी की पूजा की जाती है | कानछिगादी पर
नमरगाि जानत की 9 र्षव की कुंर्ारी बानलका कानछि दे र्ी के रूप में बैठकर रथ पररचालि र् पर्व की अिुमनत दे ती है |
मूल्य िंकन - बस्तर दशहरा छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर अंचल में आयोनजत होिे र्ाले पारं पररक पर्ों में सर्व श्रेष्ठ पर्व है |
जोगी नबठाई बस्तर दशहरा में आयोनजत होिे र्ाली एक प्रमुख रस्म है | इसका अथव - हल्बा जानत का एक व्यनक्त
नसरासार में 9 नदि तक व्रत रखकर योग साधिा में बैठता है नजसे जोगी नबठाई कहते है | इसका आयोजि बस्तर
दशहरा के दौराि आनिि शुक्ल पक्ष प्रथमा ( िर्रात्र का प्रथम नदर्स ) के अर्सर पर नसरहासार ( जगदलपुर ) में नकया
जाता है | इसमें प्रमुख रस्म “कलश स्थापिा” है |
मार्ली परघार् बस्तर दशहरा में आयोनजत होिे र्ाली एक प्रमुख रस्म है | इसका अथव - मार्ली माता का स्र्ागत करिा
| इसका आयोजि बस्तर दशहरा के दौराि आनिि शुक्ल िर्मी के अर्सर पर नसरहासार ( जगदलपुर ) में नकया जाता
है | इसमें दंतेिरी माता की बड़ी बहि मार्ली माता की प्रनतमा को दंतेर्ाड़ा से बस्तर 4 मानड़या व्यनक्तयों िारा डोली में
लाया जाता है |
“बस्तर का हरतानलका तीज” की संज्ञा से सुसनज्जत धिकुल पर्व ( जगार पर्व ) का आयोजि भाद्र शुक्ल पक्ष तृतीया के
अर्सर पर नकया जाता है | यह हल्बा र् भतरा जिजानत का महत्र्पूर्व पर्व है | इसमें नर्र्ानहत मनहलाओं िारा अपिे पनत
की लम्बी उम्र की कामिा हे तु निजव ला उपर्ास रखा जाता है | इसमें मनहलाओं िारा शुद्ध हल्बी भाषा में धिकुल गीत
गाया जाता है | इस पर्व में घड़ा , धिुष , सूप र् बांस की खपच्ची का नर्शेष महत्त्र् है |