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कक्षा - दसव ीं
ववषय - ह द
ीं ी

पाठ - 9
दो कलाकार
(मन्नू भंडारी)
अभ्यास
(क) विषय-बोध
1) विम्नवलखित प्रश्ों के उत्तर एक-दो पंखियों में दीविए:
(1) छात्रािास में रहिे िाली दो सहे वलयों के िाम क्या थे?
उत्तर- छात्रावास में रहने वाली दो सहे ललयोों के नाम अरुणा और लित्रा थे।
(2) वित्रा कहािी के आरम्भ में अरुणा को क्यों िगाती है ?
उत्तर- लित्रा कहानी के आरम्भ में अरुणा को अपने द्वारा बनाया हुआ लित्र लदखाने के ललए जगाती है ।
(3) अरुणा वित्रा के वित्रों के बारे में क्या कहती है ?
उत्तर- अरुणा लित्रा के लित्रोों के बारे में कहती है लक "कागज़ पर इन बे जान लित्रोों को बनाने की बजाय दो-िार की लज़न्दगी क्ोों नही ों बना
दे ती।"
(4) अरुणा छात्रािास में रात को दे र से लौटती है तो शीला उसके बारे में क्या कहती है ?
उत्तर- अरुणा छात्रावास में रात को दे र से लौटती है तो शीला उसके बारे में कहती है लक वह बहुत गु णी है । वह दू सरोों के बारे में सोिने वाली
समाज से लवका है ।
(5) वित्रा के वपता िी िे पत्र में क्या वलिा था?
उत्तर- लित्रा के लपता जी ने पत्र में ललखा था लक जैसे ही उसकी पढाई खत्म हो जाएगी, वह लवदे श जा सकती है ।
(6) अरुणा बाढ़ पीव़ितों की सहायता करके स्वयं सेिकों के दल के साथ वकतिे वदिों वदिों बाद लौटी ं?
उत्तर- अरुणा बाढ पील़ितोों की सहायता करके स्वयों सेवकोों के दल के साथ 15 लदनोों बाद लौटीों।
(7) विदे श में वित्रा के वकस वित्र िे धूम मिाई थी?
उत्तर- लवदे श में लित्रा के लिखमोंगी और दो अनाथ बच्ोों के लित्र ने धू म मिाई थी।
विम्नवलखित प्रश्ों के उत्तर तीि-िार पंखियों में वलखिए :-
प्रश् 1. अरुणा के समाि सेिा के कायों के बारे में वलखिए।
उत्तर - अरुणा एक सच्ी समाज से लवका है । वह छात्रावास में रहते हुए सदा समाज से वा के कायों में जुटी रहती है । वह वहााँ रहकर िपरालसयोों,
दाइयोों आलद के बच्ोों को मुफ्त पढाती है । बाढ पील़ितोों की से वा के ललए बहुत लदन छात्रावास से बाहर रहती है । फुललया के बीमार बच्े की
से वा में लदन रात एक कर दे ती है। लिखाररन के मरने के बाद वह उसके दोनोों बच्ोों का पालन पोषण करती है । इस तरह वह सदा समाज
से वा के कायों में लगी रहती है ।
प्रश् 2. मरी हुई वभिाररि और उसके दोिों बच्ों को उसके सू िे शरीर से विपक कर रोते दे ि वित्रा िे क्या वकया?
उत्तर - लित्रा जब वापस लौट रही थी तो उसने दे खा लक लिखाररन मर िुकी है और उसके दोनोों बच्े उसके सू खे शरीर से ललपट कर रो रहे
हैं । लित्रा के सों वेदनशील मन से रहा नही ों गया। उसके अोंदर का कलाकार जाग उठा। वह वही ों रुक गई और उस दृश्य को उसने कागज़ पर
उतार कर एक लित्र का रूप दे लदया।
प्रश् 3. वित्रा की हॉस्टल से विदाई के समय अरुणा क्यों िही ं पहुुँ ि सकी ?
उत्तर - जब लित्रा ने आकर अरुणा को मरी हुई लिखाररन और उसके रोते हुए बच्ोों के बारे में बताया तो अरुणा यह सु नकर स्वयों को रोक
नही ों पाई और वह उसी समय उस लिखाररन के बच्ोों के पास पहुाँ ि गयी। उन बच्ोों को सों िालने में व्यस्त होने के कारण ही वह लित्रा की
लवदाई के समय वहााँ पर पहुाँ ि नही ों पाई।
प्रश् 4 - प्रदशशिी में अरुणा के साथ कौि से बच्े थे ?
उत्तर - प्रदशशनी में अरुणा के साथ जो दो बच्े थे, वे उसी मरी हुई लिखाररन के बच्े थे जो अपनी मााँ के मरने के बाद बे सहारा हो गये थे।
लजन बच्ोों का लित्र बनाकर लित्रा ने प्रलसद्धि प्राप्त की थी ,उन्ीों बच्ोों को अरुणा ने मााँ की तरह पाल पोस कर ब़िा लकया था। प्रदशशनी में
अरुणा के साथ वही दोनोों बच्े थे।
प्रश् - विम्नवलखित प्रश्ों के उत्तर छह या सात पंखियों में दीविए :-
प्रश् - 1 'दो कलाकार’ कहािी का उद्दे श्य स्पष्ट कीविए।
उत्तर - 'दो कलाकार’ मन्नू िों डारी द्वारा ललद्धखत एक उद्दे श्यपूणश कहानी है । इस कहानी में लेद्धखका ने मानवीय गु णोों को कला से बढकर माना
है । कहानी में अरुणा और लित्रा दो सहे ललयााँ हैं । लित्रा एक प्रलसि लित्रकार है । वह अपने लित्रोों से दे श-लवदे श में प्रलसद्धि पाती है । मरी हुई
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लिखाररन व उसके साथ लिपक कर रोते हुए बच्ोों का लित्र बनाकर वह बहुत नाम कमाती है , लेलकन अरुणा उन्ीों बच्ोों को पाल पोस कर
ब़िा करती है और उन्ें मााँ का प्यार दे ती है । इस कारण वह लित्रा से िी ब़िी कलाकार कहलाती है । अतः इस कहानी में ले खक का उद्दे श्य
यह बताना है लक कलाकार में मानवीय गु णोों का होना अलत आवश्यक है ।
प्रश् 2 ‘दो कलाकार’ के आधार पर अरुणा का िररत्र वित्रण करें ।
उत्तर: अरुणा ‘दो कलाकार’ कहानी की एक मुख्य पात्रा है । वह एक सच्ी समाज से लवका है । वह मानवीय गु णोों से िरपूर है । छात्रावास में
रहते हुए ग़रीबोों, िपरालसयोों आलद के बच्ोों को वह लन:शुल्क पढाती है । लकसी के दु :ख को दे खकर द्रलवत हो उठती है । फुललया दाई के बीमार
बच्े की से वा करती है । बच्े की मृत्यु के पश्चात बहुत दु ः खी होती है । लजस लिखाररन के लित्र को बनाकर उसकी सहे ली लित्रा दे श-लवदे श में
ख्यालत पाती है , अरुणा उन्ी ों बच्ोों का मााँ बनकर पालन-पोषण करती है । इस तरह वह अपनी महानता का पररिय दे ती है । इस प्रकार अरुणा
अपने मानवीय गु णोों के कारण लित्रा से िी ब़िी कलाकार बन जाती है ।
प्रश् 3 वित्रा एक मं झी हुई वित्रकार है , आप इस कथि से कहाुँ तक सहमत हैं ?
उत्तर. लित्रा एक मोंझी हुई लित्रकार है । हम इस कथन से पूणशतया सहमत है । लित्रा को लित्रकला का बहुत शौक है । वह अपना अलधकतर
समय लित्र बनाने में व्यतीत करती है । अत्योंत सों वेदनशील होने के कारण वह अपने लित्रोों में जान िर दे ती है । मरी हुई लिखाररन और उसके
रोते हुए बच्ोों का लित्र बनाकर वह दे श लवदे श में प्रलसद्धि पाती है । उसकी कला सों वेदनशीलता का उदाहरण है । इस तरह हम कह सकते हैं
लक लित्रा एक मोंझी हुई लित्रकार है ।
प्रश् 4 ‘दो कलाकार’ कहािी के शीषश क की साथशकता को स्पष्ट कीविए ।
उत्तर - 'दो कलाकार' शीषशक हमारे लविार में पूणशतया साथशक है । अरुणा और लित्रा दोनोों सद्धखयोों को लेद्धखका ने दो कलाकार माना है । लित्रा
अपनी लित्रकला के कारण एक कलाकार का दजाश पाती है , वही अरुणा अपने मानवीय गु णोों के कारण लित्रा से िी ब़िी कलाकार कहलाती
है । लजस लिखाररन और उसके रोते हुए बच्ोों का लित्र बनाकर लित्रा दे श-लवदे श में प्रलसद्धि पाती है , उन्ीों अनाथ बच्ोों का पालन पोषण कर
अरुणा लित्रा से िी ब़िी कलाकार कहलाती है । इस तरह इस कहानी का शीषशक ‘दो कलाकार’ पूणशतया उपयु क्त शीषशक है ।

(ि) भाषा-बोध
विम्नवलखित मु हािरों के अथश समझ कर इिका अपिे िाक्यों में प्रयोग कीविए-
मु हािरा अथश िाक्य
राह दे ििा बे सब्री से इन्तजार करिा मैं अपने िाई की राह दे ख रही थी।
रोब िािा प्रभाि या हस्ती माििा सोहन का घर में सिी रोब खाते हैं ।
आुँ िें छलछला आिा आुँ सू विकल आिे उसके घर की ग़रीबी को दे खकर मेरी आाँ खें छलछला आईों।
पीठ थपथपािा हौसला, शाबाशी दे िा कक्षा में प्रथम आने पर अध्यापक ने मेरी पीठ थपथपाई।
धूम मििा प्रवसखि होिा लवदे श में लित्रा के लिखमोंगी और दो अनाथ बच्ोों के लित्र ने
धू म मिाई हुई थी।
(2) विम्नवलखित शब्ों के विपरीत शब् वलिें :-
बे िकूफी िालाकी, समझदारी धिी लनधश न

बं धि मु क्ति बीमार स्वस्थ

गुण अवगु ण आदशश यथाथथ

विदे श स्वदे श शोहरत बदनामी

विरक्षरता साक्षरता वजन्दगी मौत

विम्नवलखित का वहं दी में अिुिाद कीविए-


(1) "ਮੇਰੇ ਬੱਚੇ ਹਨ, ਹੋਰ ਕਿਸਦੇ। ਇਹ ਤੁ ਹਾਡੀ ਕਚਤਰਾ ਮਾਸੀ ਹੈ, ਨਮਸਤੇ ਿਰੋ ਆਪਣੀ ਮਾਸੀ ਨੂੰ ' ਅਰੁਣਾ ਨੇ ਹੁਿਮ ਕਦੱਤਾ ।
उत्तर- "मेरे बच्े हैं , और लकसके! ये तु म्हारी लित्रा मासी है , नमस्ते करो अपनी मासी को" अरुणा ने आदे श लदया।
(2) ਸੱਚ ? ਹੈਰਾਨੀ ਨਾਲ ਬੱਚੀ ਬੋਲ ਪਈ। ਕਿਰ ਤਾਾਂ ਮਾਸੀ, ਤੁ ਸੀ ਾਂ ਜ਼ਰਰ ਕਚੱਤਰਿਲਾ ਕਿਚ ਪਕਹਲਾ ਨੂੰਬਰ ਕਲਆਉਦੀ ਾਂ ਹੋਿੇਗੀ। ਮੈਂ ਿੀ ਪਕਹਲਾਾਂ
ਨੂੰਬਰ ਕਲਆਉਦੀ ਾਂ ਹਾਾਂ।
उत्तर- "सि?" आश्चयश से बच्ी बोल प़िी। तब तो मासी, तु म ज़रूर लित्रकला में पहला नम्बर लाती होगी। मैं िी पहला नम्बर लाती हाँ ।
(3) ਕਚੱਤਰਾਾਂ ਨੂੰ ਨਹੀ,ਾਂ ਕਚਤਰਾ ਨੂੰ ਿੇਖਣ ਆਈ ਸੀ। ਤੂੰ ਤਾਾਂ ਇਿਦਮ ਭੁ ੱਲ ਹੀ ਗਈ।
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उत्तर- लित्रोों को नही, लित्रा को दे खने आई थी। तु म तो एकदम िू ल ही गई।

प्रस्तत
ु कताा सींयोजक संशोधक

हरदमनदीप स हिं राजन ववनोद कुमार


रकारी हाई स्कूल , डी.एम.हहिंदी डी.एम.हहिंदी
घल
ु ाल,लधु ियाना अमृतसर लधु ियाना

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