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Vlohdj K
Vlohdj K
बनाम
मिन र्ण+ य
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419,420,323,406 और 506 और 1989 अति मिनयम की ारा 3 (1)
(आर) और (एस) के ह एक प्रथम सूAना रिरपोट+ (ए स्मिस्मनपश्चा 'एफ.
आई. आर.') द#+ की गई। (1) म^द्र नाथ मिमश्रा ( ए स्मिस्मनपश्चा ' म^द्र');
(2) म^द्र के भाई; और (3) एक 'अज्ञा व्यमिO' के त्तिखलाफ शिशकाय क ा+
और उसकी पत्नी पर हमला करने और दव्ु य+ वहार करने के आरोप लगाए
गए, #ो उपरोO प्राव ानों के ह दंडनीय अपरा ों के बराबर है। प्राथमिमकी
की #ाँA दण्ड प्रमिLया संमिह ा की ारा 173 (2) के ह आरोप-पत्र के
रूप में समाप्त हुई , जि#से दायर मिकया गया है जि#समें मgन्द्र को एकमात्र
आरोपी के रूप मिदखाया गया था।1989 के अति मिनयम के ह गमिh
मिवशिशष्ट अदाल ने अपरा का संज्ञान त्तिलया और म^द्र के त्तिखलाफ आरोप
य मिकए, जि#सके बाद मुकदमा शुरू हुआ।बेशक, शिशकाय क ा+ और उसकी
पत्नी ने Lमशः पीडब्लू-1 और पीडब्लू-2 के रूप में गवाही दी।उनके
अनुसार, म^द्र और अपीलक ा+ ने एक अज्ञा व्यमिO के साथ मिमलकर #ाति
संबं ी गात्तिलयां देने के अलावा उन पर हमला मिकया था।
(i) प्राथमिमकी द#+ होने में बहु देरी हो ी है।हालाँमिक हमले और अपशब्द
कहे #ाने की घटना कशिथ रूप से 30 जिस ब ं र, 2017 को हुई थी, लेमिकन
शिशकाय क ा+ द्वारा प्राथमिमकी 28 फरवरी, 2018 की देरी से द#+ कराई
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गई। शिशकाय द#+ कराने में हुई देरी के त्तिलए कोई hोस स्पष्टीकरर्ण नहीं है
और यह एक संके है मिक प्राथमिमकी की सामग्री पूर्ण+ रूप से गल है।
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आरोप लगाया गया था मिक अशिभयुO व्यमिOयों ने शिशकाय क ा+ और उसकी
पत्नी के घर लौटने के दौरान साव+ #मिनक स्थान पर उन पर हमला मिकया
और दव्ु य+ वहार मिकया, लेमिकन हमले और दव्ु य+ वहार के अशिभयो#न मामले को
सामिब करने के त्तिलए मिकसी अन्य साव+ #मिनक गवाह का हवाला नहीं मिदया
गया है।इसत्तिलए, यह स्पष्ट रूप से गल मिनमिह ाथ+ का मामला है।
6. अपील का मिवरो कर े हुए, उत्तर प्रदेश राज्य का प्रति मिनति त्व करने
वाले मिवद्वान वरिरष्ठ अति वOा श्री सिंसह ने क+ मिदया मिक मिकसी व्यमिO को
आरोपी के साथ मुकदमा Aलाने के त्तिलए बुलाने से संबंति कानून अब
एकीकृ नहीं है।उन्होंने इस न्यायलय के संमिव ान पीh के फैसले हरदीप
सिंसह बनाम पं#ाब राज्य बनाम (2014) 3 एस. सी. सी. 92 की ओर हमारा
ध्यान आकर्किष मिकया एव इस मिनर्ण+ य के पैराग्राफ संख्या 117.4 एवं
117.6 का अवलंब त्तिलया।यह उनका क+ था मिक मिवशिशष्ट न्यायालय ने
शिशकाय क ा+ और उसकी पत्नी द्वारा प्रस् ु मौत्तिखक साक्ष्य पर मिवति व
मिवAार मिकया और अपीलक ा+ को दंड प्रमिLया संमिह ा की ारा 319 के
ह लब मिकया। इस प्रकार इस रह का आदेश मिकसी भी अवै ा से
ग्रस्
नहीं है , या बहु कम अवैद्य ा है।उन्होंने यह भी क+ मिदया मिक
ु ं का
अपीलक ा+ द्वारा आक्षेमिप आदेश को अपास् करने के त्तिलए जि#न बिंबद ओ
आग्रह मिकया गया है, वे ऐसे बिंबद ु हैं जि#न पर वह मिवशिशष्ट न्यायालय के समक्ष
बAाव में आग्रह कर सक े हैं।उनके अनुसार , मिवशिशष्ट न्यायालय के समन
आदेश की पुमिष्ट करने वाले उच्च न्यायालय के आक्षेमिप आदेश में मिकसी भी
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हस् क्षेप की आवश्यक ा नहीं है और इस प्रकार, उन्होंने अनुरो मिकया मिक
अपील को खारिर# आदेश मिदया #ाए।
8. प्रति द्वंद्वी दावों पर उतिA मिवAार करने के बाद , हमारा मिवAार है मिक
अपीलक ा+ की ओर से आग्रह मिकए गए प्रत्येक बिंबद ु पर मिवAार कर े समय
हमारी मिकसी भी अशिभव्यमिO के परिरर्णामस्वरूप पूवा+ग्रह हो सक ा है और इस
रह एक मिनष्पक्ष सुनवाई में बा ा आ सक ी है , इसत्तिलए एक स क+
दृमिष्टकोर्ण अपना े हुए, हम अपने मिवAार को केवल इस प्रश्न क सीमिम
रखने का प्रस् ाव कर े हैं मिक क्या शिशकाय क ा+ और उसकी पत्नी द्वारा
अपने बयानों को द#+ करने के दौरान प्रस् ु मिकए गए साक्ष्य ने मिवशिशष्ट
न्यायालय को आदेश देने के त्तिलए उतिA hहराया।
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आ ार पर यांमित्रक रूप से प्रथमदृष्टया काय+ नहीं करना Aामिहए मिक कु छ
साक्ष्य रिरकॉड+ पर आए हैं जि#समें व्यमिO को सम्मन भे#े #ाने की मांग की गई
है; इसके ह आदेश से पहले इसकी सं ुमिष्ट प्रथम दृष्ट्या से अति क होनी
Aामिहए #ैसा मिक आरोप लगाए #ाने के Aरर्ण में बनाई गई थी और इस हद
क सं ुमिष्ट से कम होनी Aामिहए मिक साक्ष्य , यमिद अप्रमाशिर्ण हो , ो
दोषजिसतिŠ का कारर्ण बन सक ा है।
10. व + मान मामले में, प्राथमिमकी म^द्र, उनके भाई और एक अज्ञा व्यमिO
द्वारा मिकए गए अपरा ों के बारे में ब ा ी है।शिशकाय क ा+ और उसकी पत्नी
दोनों ने, अदाल के समक्ष गवाही दे े हुए, म^द्र और अपीलक ा+ द्वारा मिकए
गए हमले के रीके और म^द्र और अपीलक ा+ द्वारा इस् ेमाल मिकए गए
बयानों का वर्ण+ न मिकया, जि#समें अन्य बा ों के साथ साथ , शिशकाय क ा+
और उसकी पत्नी #ाति सम्बन् ी अपशब्द भी कहा गया था।कम से कम ,
प्रथमदृष्टया इस बिंबद ु पर, कोई मिवरो ाभास नहीं प्र ी हो ा है।इस मामले में
एफआईआर ऐसी नहीं है , #हां मिकसी को म^द्र के भाई का कोई संदभ+ न
मिमले, #ो शिशकाय क ा+ के साथ मारपीट और दव्ु य+ वहार करने में म^द्र के
साथ शामिमल था या मिक आरोप पूरी रह से म^द्र केंमिद्र हैं और इसमें मिकसी
और की कोई भूमिमका नहीं है।ऐसा नहीं है मिक अपरा में म^द्र के भाई की
संत्तिलप्त ा का जि#L पहली बार न्यायालय में मिकया #ा रहा है।यह सA है मिक
अपीलक ा+ का नाम एफ़. आई. आर. में नहीं था, लेमिकन इसे अपने आप में
मिनर्णा+यक नहीं माना #ा सक ा है।एक बार #ब यह स्वीकार कर त्तिलया #ा ा
है मिक अपीलक ा+ म^द्र का भाई है और उसे हमलावरों में से एक के रूप में
नामिम मिकया #ा ा है, ो अपेतिक्ष सं ुमिष्ट बनाने के त्तिलए सामग्री को
अस्मिस् त्वहीन नहीं कहा #ा सक ा है।सीआरपीसी की ारा 319 के ह
आदेश पारिर करने के उद्देश्य के त्तिलए, यह हरदीप सिंसह (उपरोO) में मिनर्ण+ य
के पैराग्राफ 106 में इंमिग प्रकृति की सं ुमिष्ट के त्तिलए पया+प्त है। थ्यों और
परिरस्मिस्थति यों के आ ार पर हम सं ुष्ट हैं मिक मिवशिशष्ट न्यायालय ने अपीलक ा+
को म^द्र के साथ मुकदमे का सामना करने के त्तिलए बुलाने से पहले
आवश्यक रूप से सं ुष्ट था।
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11. इस मामले को देख े हुए, मिवशिशष्ट पीh के आदेश मिदनांक 16 अक्टू बर,
2021 और उच्च न्यायालय के मिदनांक 1 #ून, 2022 के आक्षेमिप आदेश में
इसकी पुमिष्ट नहीं की #ा सक ी।
14. मिवशिशष्ट न्यायालय को मुकदमे में े#ी लाने के त्तिलए प्रोत्सामिह मिकया
#ा ा है। लेमिकन, इस प्रमिLया में सीआरपीसी की ारा 319 के ह अपने
आदेश को उच्च न्यायालय और इस न्यायालय द्वारा बरकरार रखे #ाने के
कारर्ण मिबना मिकसी प्रभाव के आगे बढ़ेगा। अपीलक ा+ की ओर से उhाए गए
बिंबद,ु #ो ऊपर द#+ मिकए गए हैं , यमिद उसके समक्ष उhाए गए हैं और अन्य
बिंबद,ु यमिद कोई हैं, ो उन पर मिवAार मिकया #ाएगा जि#नके वे हकदार हैं।
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नई मिदल्ली;
2 #ून, 2023
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