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प्रति वेद्य

उच्च म न्यायालय के समक्ष

आपराति क अपीलीय क्षेत्राति कार

आपराति क अपील संख्या - 978 /2022

जि# ेंद्र नाथ मिमश्रा… अपीलक ा+

बनाम

उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य प्रत्यथ3

मिन र्ण+ य

माननीय न्याया ीश दीपांकर दत्त

1. यह अपील, मिवशेष अनुमति द्वारा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 1 #ून,


2022 के आदेश पर आपत्तित्त # ा ी है। आक्षेमिप आदेश के द्वारा अनुसूतिA
#ाति और अनुसूतिA #न#ाति (अत्याAार मिनवारर्ण अति मिनयम, 1989
(इसके बाद 1989 अति मिनयम) की ारा 14 ए (1) के ह अपीलक ा+
द्वारा दायर अपील को खारिर# कर मिदया गया। जि#समें दंड प्रमिLया संमिह ा की
ारा 319 (इसके बाद दंड प्रमिLया संमिह ा) द्वारा प्रदान की गई शमिO का
प्रयोग कर े हुए 1989 के अति मिनयम के ह संबंति मिवशिशष्ट न्यायालय
द्वारा 16 अक्टूबर, 2021 का पारिर एक सम्मन आदेश को उO अपील में
Aुनौ ी दी गयी थी।

2. शिशकाय क ा+ द्वारा दी गई #ानकारी के आ ार पर खलीलाबाद पुत्तिलस


स्टेशन, जि#ला सं कबीर नगर में भार ीय दंड संमिह ा की ारा

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419,420,323,406 और 506 और 1989 अति मिनयम की ारा 3 (1)
(आर) और (एस) के ह एक प्रथम सूAना रिरपोट+ (ए स्मिस्मनपश्चा 'एफ.
आई. आर.') द#+ की गई। (1) म^द्र नाथ मिमश्रा ( ए स्मिस्मनपश्चा ' म^द्र');
(2) म^द्र के भाई; और (3) एक 'अज्ञा व्यमिO' के त्तिखलाफ शिशकाय क ा+
और उसकी पत्नी पर हमला करने और दव्ु य+ वहार करने के आरोप लगाए
गए, #ो उपरोO प्राव ानों के ह दंडनीय अपरा ों के बराबर है। प्राथमिमकी
की #ाँA दण्ड प्रमिLया संमिह ा की ारा 173 (2) के ह आरोप-पत्र के
रूप में समाप्त हुई , जि#से दायर मिकया गया है जि#समें मgन्द्र को एकमात्र
आरोपी के रूप मिदखाया गया था।1989 के अति मिनयम के ह गमिh
मिवशिशष्ट अदाल ने अपरा का संज्ञान त्तिलया और म^द्र के त्तिखलाफ आरोप
य मिकए, जि#सके बाद मुकदमा शुरू हुआ।बेशक, शिशकाय क ा+ और उसकी
पत्नी ने Lमशः पीडब्लू-1 और पीडब्लू-2 के रूप में गवाही दी।उनके
अनुसार, म^द्र और अपीलक ा+ ने एक अज्ञा व्यमिO के साथ मिमलकर #ाति
संबं ी गात्तिलयां देने के अलावा उन पर हमला मिकया था।

3. इस स् र पर, मिवशिशष्ट न्यायालय ने एक 16.10.2021 मिदनांमिक आदेश


पारिर मिकया जि#समें अपीलाथ3 के साथ साथ मgन्द्र को भार ीय दण्ड
संमिह ा की ारा 323,504 और 506 एवं 1989 के अति मिनयम की ारा 3
(1) (आर) और (एस) के ह दण्डनीय अपरा के त्तिलए बुलाया गया।
16 अक्टू बर, 2021 मिदनांमिक के उO आदेश को अपीलक ा+ द्वारा उच्च
न्यायालय के समक्ष असफल रूप से Aुनौ ी दी गई थी , जि#सने 1 #ून,
2022 मिदनांमिक के अपने आदेश द्वारा 1989 के अति मिनयम की ारा 14 ए
(1) के ह अपीलक ा+ की अपील को खारिर# कर मिदया, #ैसा मिक ऊपर
उल्लेत्तिख मिकया गया है।

4. अपीलक ा+ की ओर से उपस्मिस्थ मिवद्वान अति वOा श्री पांडे ने


मिनम्नत्तिलत्तिख क+ मिदयेः

(i) प्राथमिमकी द#+ होने में बहु देरी हो ी है।हालाँमिक हमले और अपशब्द
कहे #ाने की घटना कशिथ रूप से 30 जिस ब ं र, 2017 को हुई थी, लेमिकन
शिशकाय क ा+ द्वारा प्राथमिमकी 28 फरवरी, 2018 की देरी से द#+ कराई

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गई। शिशकाय द#+ कराने में हुई देरी के त्तिलए कोई hोस स्पष्टीकरर्ण नहीं है
और यह एक संके है मिक प्राथमिमकी की सामग्री पूर्ण+ रूप से गल है।

(ii) पीडब्लू-1 और पीडब्लू-2 के कथानको में ास्मित्वक मिवरो ाभास हैं।


#बमिक पीडब्लू -1 ने बयान मिदया मिक म^द्र , उनके भाई (अथा+ ,
अपीलक ा+) और एक अज्ञा व्यमिO एक कार में यात्रा कर रहे थे , #ब
उन्होंने पीडब्लू-1 और उनके परिरवार के सदस्यों को रोका, जि#सके बाद
हमला और दव्ु य+ वहार की कशिथ घटना हुई, पीडब्लू-2 ने बयान मिदया मिक
अशिभयुO ( म^द्र, अपीलक ा+ और एक अज्ञा व्यमिO) दो मोटरसाइमिकलों
पर सवार होकर घटना स्थल पर पहुA ं े।इसत्तिलए, पीडब्लू-1 और पीडब्लू-2
के बयान पूर्ण+ रूप से अ ार्किकक और अमिवश्वसनीय हैं।

(iii) पीडब्लू-1 और पीडब्लू-2 के कथानकों में यह पाया #ा ा है मिक वे


2015 से अपीलक ा+ को व्यमिOग रूप से #ान े थे ; इसत्तिलए, प्राथमिमकी में
अपीलक ा+ का नाम नहीं मिदया और इसके ब#ाय यह बयान मिदया मिक म^द्र
के भाई ने भी कशिथ हमले और अपशब्द कहने में खुद को शामिमल मिकया था
और केवल साक्ष्य द#+ करने के दौरान सह-अशिभयुO के रूप में अपीलक ा+
का नाम लेना एक स्पष्ट अलंकरर्ण है , जि#से अपीलक ा+ को अनावश्यक
मुकदमे का सामना करने के त्तिलए खींAकर परेशान करने के उद्देश्य से बनाया
गया है।

(iv) अपीलक ा+ और म^द्र मिनस्संदेह भाई -बहन हैं; लेमिकन उनके ीन


अन्य भाई-बहन हैं।यमिद वास् व में अपीलक ा+ कई सह -अशिभयुOों में से
एक था, ो यह इस कारर्ण की अवहेलना कर ा है मिक शिशकाय क ा+
अपीलक ा+ को अच्छी रह से #ान े हुए उसका नाम क्यों नहीं लेगा और
अस्पष्ट रूप से आरोप लगा ा है मिक म^द्र के भाई ने भी शिशकाय क ा+ पर
हमला मिकया था और दव्ु य+ वहार मिकया था।

(v) पीडब्लू-1 और पीडब्लू-2 के कथानको की असत्य ा प्रकट होगी यमिद


कोई उनके बयानों को पढ़ ा है।मुकदमे को #न्म देने वाली घटना 30
जिस ब
ं र, 2017 को दोपहर 1 ब#े हुई, #ो दशहरा का मिदन था।हालांमिक, यह

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आरोप लगाया गया था मिक अशिभयुO व्यमिOयों ने शिशकाय क ा+ और उसकी
पत्नी के घर लौटने के दौरान साव+ #मिनक स्थान पर उन पर हमला मिकया
और दव्ु य+ वहार मिकया, लेमिकन हमले और दव्ु य+ वहार के अशिभयो#न मामले को
सामिब करने के त्तिलए मिकसी अन्य साव+ #मिनक गवाह का हवाला नहीं मिदया
गया है।इसत्तिलए, यह स्पष्ट रूप से गल मिनमिह ाथ+ का मामला है।

5. इस रह की दलीलों के आ ार पर, श्री पांडे ने क+ मिदया मिक मिवशिशष्ट


न्यायालय द्वारा दण्ड प्रमिLया संमिह ा की ारा 319 के ह शमिOयों का
प्रयोग मनमाना है और यह मिक उच्च न्यायालय ने अपीलीय अति कार क्षेत्र के
प्रयोग में ऐसे आदेश में हस् क्षेप नहीं करने में कानून के साथ -साथ थ्यों
पर भी ऋुमिट की है।इस प्रकार, उन्होंने 1 #ून, 2022 को उच्च न्यायालय
द्वारा पुमिष्ट मिकए #ाने के बाद से मिवशिशष्ट न्यायालय के 16 अक्टू बर, 2021 के
आदेश को रद्द करने का अनुरो मिकया।

6. अपील का मिवरो कर े हुए, उत्तर प्रदेश राज्य का प्रति मिनति त्व करने
वाले मिवद्वान वरिरष्ठ अति वOा श्री सिंसह ने क+ मिदया मिक मिकसी व्यमिO को
आरोपी के साथ मुकदमा Aलाने के त्तिलए बुलाने से संबंति कानून अब
एकीकृ नहीं है।उन्होंने इस न्यायलय के संमिव ान पीh के फैसले हरदीप
सिंसह बनाम पं#ाब राज्य बनाम (2014) 3 एस. सी. सी. 92 की ओर हमारा
ध्यान आकर्किष मिकया एव इस मिनर्ण+ य के पैराग्राफ संख्या 117.4 एवं
117.6 का अवलंब त्तिलया।यह उनका क+ था मिक मिवशिशष्ट न्यायालय ने
शिशकाय क ा+ और उसकी पत्नी द्वारा प्रस् ु मौत्तिखक साक्ष्य पर मिवति व
मिवAार मिकया और अपीलक ा+ को दंड प्रमिLया संमिह ा की ारा 319 के
ह लब मिकया। इस प्रकार इस रह का आदेश मिकसी भी अवै ा से
ग्रस्
नहीं है , या बहु कम अवैद्य ा है।उन्होंने यह भी क+ मिदया मिक
ु ं का
अपीलक ा+ द्वारा आक्षेमिप आदेश को अपास् करने के त्तिलए जि#न बिंबद ओ
आग्रह मिकया गया है, वे ऐसे बिंबद ु हैं जि#न पर वह मिवशिशष्ट न्यायालय के समक्ष
बAाव में आग्रह कर सक े हैं।उनके अनुसार , मिवशिशष्ट न्यायालय के समन
आदेश की पुमिष्ट करने वाले उच्च न्यायालय के आक्षेमिप आदेश में मिकसी भी

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हस् क्षेप की आवश्यक ा नहीं है और इस प्रकार, उन्होंने अनुरो मिकया मिक
अपील को खारिर# आदेश मिदया #ाए।

7. हमने पक्षों को सुना है और रिरकॉड+ पर उपस्मिस्थ दस् ावे#ों का


अवलोकन मिकया है।

8. प्रति द्वंद्वी दावों पर उतिA मिवAार करने के बाद , हमारा मिवAार है मिक
अपीलक ा+ की ओर से आग्रह मिकए गए प्रत्येक बिंबद ु पर मिवAार कर े समय
हमारी मिकसी भी अशिभव्यमिO के परिरर्णामस्वरूप पूवा+ग्रह हो सक ा है और इस
रह एक मिनष्पक्ष सुनवाई में बा ा आ सक ी है , इसत्तिलए एक स क+
दृमिष्टकोर्ण अपना े हुए, हम अपने मिवAार को केवल इस प्रश्न क सीमिम
रखने का प्रस् ाव कर े हैं मिक क्या शिशकाय क ा+ और उसकी पत्नी द्वारा
अपने बयानों को द#+ करने के दौरान प्रस् ु मिकए गए साक्ष्य ने मिवशिशष्ट
न्यायालय को आदेश देने के त्तिलए उतिA hहराया।

9. सी आर. पी. सी की ारा 319 के ह #ो एक मिववेका ीन शमिO की


परिरकल्पना कर ा है, न्यायालय को मिकसी भी ऐसे व्यमिO के त्तिखलाफ
मुकदमा Aलाने का अति कार दे ा है जि#से आरोपी के रूप में नहीं मिदखाया
गया है या उसका उल्लेख नहीं मिकया गया है , अगर यह सबू से प्र ी हो ा
है मिक ऐसे व्यमिO ने कोई अपरा मिकया है जि#सके त्तिलए उस पर उस आरोपी
के साथ मुकदमा Aलाया #ाना Aामिहए #ो मुकदमे का सामना कर रहा है।इस
रह की शमिO का प्रयोग न्यायालय द्वारा एक ऐसे व्यमिO के त्तिलए मिकया #ा
सक ा है जि#सका नाम प्राथमिमकी में नहीं है , या जि#सका नाम प्राथमिमकी में
नहीं है , लेमिकन आरोप-पत्र में आरोपी के रूप में नहीं मिदखाया गया है।
इसत्तिलए, दंड प्रमिLया संमिह ा की ारा 319 के ह शमिO के प्रयोग के त्तिलए
क्या आवश्यक है। यह है मिक अशिभलेख पर साक्ष्य मिकसी अपरा में मिकसी
व्यमिO की संत्तिलप्त ा को दशा+ ा है और उO व्यमिO, जि#से अशिभयुO के रूप में
आरोमिप नहीं मिकया गया है , को पहले से ही आरोमिप अशिभयुO के साथ
मुकदमे का सामना करना Aामिहए। थामिप, यमिद न्यायालय मिकसी मिवAारर्ण को
रोकना Aाह ा है ो इसका ात्पय+ हे मिक वह दंड प्रमिLया संमिह ा की ारा
319 द्वारा प्रदत्त शमिO का प्रयोग करने का इरादा रख े है , को केवल इस

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आ ार पर यांमित्रक रूप से प्रथमदृष्टया काय+ नहीं करना Aामिहए मिक कु छ
साक्ष्य रिरकॉड+ पर आए हैं जि#समें व्यमिO को सम्मन भे#े #ाने की मांग की गई
है; इसके ह आदेश से पहले इसकी सं ुमिष्ट प्रथम दृष्ट्या से अति क होनी
Aामिहए #ैसा मिक आरोप लगाए #ाने के Aरर्ण में बनाई गई थी और इस हद
क सं ुमिष्ट से कम होनी Aामिहए मिक साक्ष्य , यमिद अप्रमाशिर्ण हो , ो
दोषजिसतिŠ का कारर्ण बन सक ा है।

10. व + मान मामले में, प्राथमिमकी म^द्र, उनके भाई और एक अज्ञा व्यमिO
द्वारा मिकए गए अपरा ों के बारे में ब ा ी है।शिशकाय क ा+ और उसकी पत्नी
दोनों ने, अदाल के समक्ष गवाही दे े हुए, म^द्र और अपीलक ा+ द्वारा मिकए
गए हमले के रीके और म^द्र और अपीलक ा+ द्वारा इस् ेमाल मिकए गए
बयानों का वर्ण+ न मिकया, जि#समें अन्य बा ों के साथ साथ , शिशकाय क ा+
और उसकी पत्नी #ाति सम्बन् ी अपशब्द भी कहा गया था।कम से कम ,
प्रथमदृष्टया इस बिंबद ु पर, कोई मिवरो ाभास नहीं प्र ी हो ा है।इस मामले में
एफआईआर ऐसी नहीं है , #हां मिकसी को म^द्र के भाई का कोई संदभ+ न
मिमले, #ो शिशकाय क ा+ के साथ मारपीट और दव्ु य+ वहार करने में म^द्र के
साथ शामिमल था या मिक आरोप पूरी रह से म^द्र केंमिद्र हैं और इसमें मिकसी
और की कोई भूमिमका नहीं है।ऐसा नहीं है मिक अपरा में म^द्र के भाई की
संत्तिलप्त ा का जि#L पहली बार न्यायालय में मिकया #ा रहा है।यह सA है मिक
अपीलक ा+ का नाम एफ़. आई. आर. में नहीं था, लेमिकन इसे अपने आप में
मिनर्णा+यक नहीं माना #ा सक ा है।एक बार #ब यह स्वीकार कर त्तिलया #ा ा
है मिक अपीलक ा+ म^द्र का भाई है और उसे हमलावरों में से एक के रूप में
नामिम मिकया #ा ा है, ो अपेतिक्ष सं ुमिष्ट बनाने के त्तिलए सामग्री को
अस्मिस् त्वहीन नहीं कहा #ा सक ा है।सीआरपीसी की ारा 319 के ह
आदेश पारिर करने के उद्देश्य के त्तिलए, यह हरदीप सिंसह (उपरोO) में मिनर्ण+ य
के पैराग्राफ 106 में इंमिग प्रकृति की सं ुमिष्ट के त्तिलए पया+प्त है। थ्यों और
परिरस्मिस्थति यों के आ ार पर हम सं ुष्ट हैं मिक मिवशिशष्ट न्यायालय ने अपीलक ा+
को म^द्र के साथ मुकदमे का सामना करने के त्तिलए बुलाने से पहले
आवश्यक रूप से सं ुष्ट था।

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11. इस मामले को देख े हुए, मिवशिशष्ट पीh के आदेश मिदनांक 16 अक्टू बर,
2021 और उच्च न्यायालय के मिदनांक 1 #ून, 2022 के आक्षेमिप आदेश में
इसकी पुमिष्ट नहीं की #ा सक ी।

12. #हाँ क प्राथमिमकी को द#+ करने के देरी के मिबन्द ु पर, शिशकाय क ा+


एवं उसकी पत्नी द्वारा मिदए गये कथानकों मे ास्मित्वक मिवरो ाभास है ,
परिरस्मिस्थति यों एवे लोक साक्षी के अभाव में यह मिक अपीलाथ3 एवं उसकी
पत्नी शिशकाय क ा+ को 2015 से #ान े थे। इन्हें मिवशिशष्ट न्यायालय के
समक्ष काय+ वाही के दौरान अपीलक ा+ द्वारा आग्रह करने के त्तिलए खुला छोड़
मिदया गया है।13. अपील में कोई योग्य ा नहीं है , और इसे खारिर# कर मिदया
#ा ा है।

14. मिवशिशष्ट न्यायालय को मुकदमे में े#ी लाने के त्तिलए प्रोत्सामिह मिकया
#ा ा है। लेमिकन, इस प्रमिLया में सीआरपीसी की ारा 319 के ह अपने
आदेश को उच्च न्यायालय और इस न्यायालय द्वारा बरकरार रखे #ाने के
कारर्ण मिबना मिकसी प्रभाव के आगे बढ़ेगा। अपीलक ा+ की ओर से उhाए गए
बिंबद,ु #ो ऊपर द#+ मिकए गए हैं , यमिद उसके समक्ष उhाए गए हैं और अन्य
बिंबद,ु यमिद कोई हैं, ो उन पर मिवAार मिकया #ाएगा जि#नके वे हकदार हैं।

15. अपील खारिर# होने के कारर्ण, स्थगन के त्तिलए आवेदन पर मिनर्ण+ य के


त्तिलए कुछ भी नहीं बAा है। इस प्रकार का कोई अन्य आवेदन, यमिद हो, ो
इसके साथ खारिर# मिकया #ा ा है।

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न्यायमूर्ति दीपांकर दत्त

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न्यायमूर्ति पंक# मिमत्तल

नई मिदल्ली;

2 #ून, 2023

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