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MD de 18
MD de 18
इनका रख यान, नह तो रपोट हो सकती है गलत सीटी कन यानी क यूटड टोमो फी कन। इसे सकता है। इसम सीटी मशीन या कनर से शरीर क इसक काम करने का तरीका
हम ए स-रे का अडवां ड वजन कह सकते ह। भीतरी िह स क अलग-अलग तर पर कई फोटो
दूसरे श द म जहां पर ए स-रे का काम ख म िलए जाते ह। इसक बाद उन त वीर को क यूटर जैसे हम िकसी डे की लाइस काटते ह, उसी
ड
ॉ टर या टि शन जो भी िनदश द, उसका अ
गर नािभ से नीचे पेट क िह से का ए स-रे
होता है, िसटी- कन का काम वह से शु होता है। की मदद से ऐसे िमला िदया जाता है िक शरीर क तरह सीटी कनर भी कन क दौरान शरीर क
पालन पूरी तरह कर। कराना हो तो पेट खाली होना ज री रहता है। अंद नी अंग क कई लाइस जमा करता है।
ज
ब भी ए स-रे या ए स-रे िस ांत पर ढीले कपड़ पहन। दरअसल, यह भी ए स-रे क िस ांत पर ही काम िकसी खास अंग की साफ त वीर बन जाती है। जो
करता है। इसम ए स-रेज का ही इ तेमाल होता है। जानका रयां ए स-रे से नह िमल पात , वे सभी सीटी क यूटर ारा इन फोटो यानी लाइस को
आधा रत ट ट कराने जाएं, यह पूछ ल िक ऐसे कपड़ पहन िजसम मेटल यानी धातु
िमलाकर साफ और बड़ी त वीर बना
ए स-रे मशीन सामा य है या िडिजटल। नह लगी हो। मेटल क गहने भी न ह । जब चोट या ज म की थित का ए स-रे से नह कन से िमल जाती ह। शरीर क िकसी भी अंग का
चल पाता तब इसका नंबर आता है। इसकी मदद से सीटी कन िकया जा सकता है। यह कई तरह का िदया जाता है। इससे डॉ टर को
िडिजटल मशनी म िप चर कछ बेहतर होती है। अगर िकसी श स क शरीर क भीतर कोई मेटल
परेशानी समझने म आसानी होती है।
इन िप चस को कोई चाहे तो पेन ाइव म JPEG लेट या रॉड, जो हि य क सपोट क िलए िफट शरीर क अंदर क अंग को बेहतर तरीक से देखा जा होता है, जैसे पेट सीटी, सीटी एमआरआई आिद।
या DICOM फॉमट म ले भी सकता है की जाती है, मौजूद हो तो डॉ टर और टि शन
प
छू इन िप चस को ज र बताएं।
ए
स-रे टि शन िजस एंगल से या िजस तरह लेटने अ
गर ड का कन कराने जा रहे ह तो 24 घंट पहले अ छी मशीन की पहचान ि
दमाग से जुड़ी बीमा रय जैसे कछ समय क िलए या
पूरी तरह लकवा मारना, बेहोशी, दुघटना आिद।
या बड़ी हो चुकी निलका की सही थित का पता
यह ने , हाट, पेट और पैर की
िकया जाता है।
या बैठने क िलए कह, उसी तरह का पॉ चर बनाएं। तक क शयम स लमट नह लेना चािहए। िजस मशीन की मता िजतनी यादा लाइस बनाने नस की थित को देखने म काम आता है।
िसर म चोट, िदमाग क अंदर खून जमा हो जाना,
की होती है, वह उतनी यादा श तशाली और मॉडन
मानी जाती है। पहले 16 लाइस बनाने वाली मशीन िदमाग म गांठ ( यूमर) होने का शक, पाइनल प
हले इस जांच म यादा खून बहता था य िक पैर कछ भी न छपाएं
दो ए स-रे क बीच िकतना हो फासला आती थ । वह अब 64, 120, 366 लाइस तक की
फ
कॉड (रीढ़) संबधं ी सम या आिद म।
फड़ , िलवर आिद क कसर की िविभ
म यूब डाली जाती थी।
अ
ब हाथ म इसी यूब को डाला जाता है इसिलए
क
भी-कभी सीटी ट ट क िलए आयोडीनयु त
इंजे शन या आयोडीन यु त दवा दी जाती है।
मशीन आ रही ह। ऐसे म जब भी सीटी कन या पेट खून की बबादी कम होती है।
ए
स-रे म इमेिजंग ट ॉलजी का इ तेमाल होता है कम से कम 3 महीने का फक रखने क िलए कहते कन कराने जाएं यह ज र पता कर ल िक िकतनी अव था की जानकारी भी िमल जाती है। इससे मरीज को थोड़ी बेचनै ी या कभी-कभी
और अंग की त वीर ख चने क िलए रेिडयोऐ टव थे। अब यह सीमा ख म कर दी गई है। कई बार आ
ज भी यही ट ट लॉकज पता करने का सबसे एलज हो सकती है, परंतु ऐसा बहुत कम
िकरण की ज रत पड़ती है। इसिलए ये सेहत क तो गंभीर मामल म एक िदन म 2 से 3 बार तक
लाइस वाली मशीन का इ तेमाल िकया जा रहा है।
िजतनी यादा लाइस होगी, त वीर भी उतना ही PET/CT और PET/MRI हर तरह क हाट पेशटं की यही
सही ज रया है। होता है।
िलहाज से खतरनाक ह। ज रत से यादा मा ा म ए स-रे करना पड़ता है। िफर भी िबना वजह ए स-रे कसर का पता लगाने क िलए पहले िसफ PET जांच होती है। खच: 14 से 15 हजार पये अ
गर आयोडीन से एलज क बारे म पहले से
बिढ़या होगी।
इन िकरण की वजह से कसर तक होने का खतरा नह कराना चािहए। जब भी कोई डॉ टर ए स-रे क (पोिज ोन इिमशन ोमो फी) इ तेमाल होती थी, मालूम हो तो डॉ टर को ज र बता देना चािहए।
रहता है। लेिकन यह भी सच है िक अब मशीन िलए िलखे तो उसे यह ज र बताएं िक आिखरी बार
खच: 5000 से 10000 पये तक
लेिकन अब PET/CT या PET/MRI भी होती ह। CT-एंिजयो फी को भी जान अ
गर े ट लेडी का सीटी कन करना है तो
अ छी तकनीक वाली आ गई ह तो ऐसी घटनाएं न ए स-रे कब करवाया था। ब और े ट मिहला ये कबाइंड अ ोच से काम करती ह और बेहतर रज ट इ
सम भी ए स-रे ट ॉलजी का इ तेमाल कर िदल डॉ टर को ज र बताएं य िक सीटी कन म
क बराबर होती ह। पहले डॉ टर दो ए स-रे क बीच को ए स-रे कम से कम कराना चािहए। कोरोना म भी बहुत उपयोगी देती ह। इनसे पूरी बॉडी की किनंग हो जाती है। कह और निलका की थित का पता लगाया जाता है। भी ए स-रे (रेिडएशन) की कछ मा ा शरीर
क
ोरोना क मामल म िसटी कन का काफी भी कसर सेल बढ़ रहे ह तो जानकारी िमल जाती है। य ह न े , हाट, पेट और पैर आिद की नस की म जाती है।
नया या है ए स-रे म इ तेमाल हो रहा है। फफड़ की थित देखने क खच: PET/CT: करीब 20,000 पये
इ
थित को देखने म काम आता है।
स ट ट को िकडनी क मरीज पर नह करते य िक
अ
गर नािभ से िनचले िह से पेट का कन कराना
हो तो पेट खाली रख यानी कछ भी खाएं नह ।
िलए यह सबसे सही तरीका है। खासकर कोरोना क PET/MRI: करीब 55,000 पये
अब पोटबल ए स-रे मशीन आ गई ह। ऐसे मरीज िजनक िलए िहलना या िफर उ ह ए स-रे मशीन तक ले ऐसे मामल म जहां RT-PCR ट ट म भी रपोट इसम इ तेमाल होने वाला रंग (डाई) रेिडयोऐ टव अगर िकसी वजह से पेट म गैस की परेशानी हो
जाना मु कल नह होता है, उनक िलए बेड पर ही ए स-रे की सुिवधा आ गई है। ए स-रे होने क साथ ही नेगिे टव हो, लेिकन मरीज म कोरोना क ल ण एंिजयो फी होता है और िकडनी पर बुरा असर डालता है। गई हो तो उस िदन इसे टाल द।
उसकी िफ म िमल जाती है और डॉ टर को बीमारी की असल थित का पता चल जाता है। मौजूद ह । जैस:े सांस की परेशानी, सीने म बलगम ए
स-रे तकनीक का इ तेमाल िकया जाता है। क छ हद तक रेिडएशन का खतरा होता है। अ
गर िकसी श स क शरीर क भीतर कोई
िकतना व त लगता है: 10 से 15 िमनट आिद। रपोट देखने क बाद डॉ टर इलाज शु य
ह िदल, र त निलका की असल थित का पता ए ज
ं ाइना या हाट अटक का शक होने पर यह ट ट मेटल लेट या रॉड मौजूद हो तो डॉ टर और
खच: 200 से 1000 पये करते ह। करने क िलए िकया जाता है। िसकड़ी, बंद हो चुकी कराना बेहतर है। खच: 14 से 15 हजार पये टि शन को बताएं।
अ ासाउड...आवाज म जादू है
जैसा िक नाम से ही साफ है। इसम रेज़ यानी बीम की जगह भीतरी अंग की साफ त वीर बनाने क िलए िकया जाता है।
MRI यानी आकषण से पड़ताल
मै िे टक रेजनंस इमेिजंग यानी एमआरआई की मदद से भी भीतरी अंग की त वीर ख ची जाती है। हां,
साउड वेव का इ तेमाल इमेज बनाने क िलए िकया जाता इसकी एक और खास बात है िक यह लाइव त वीर भी डॉ टर फक यह ज र है िक ए स-रे म जहां िकरण का उपयोग होता है, वह एमआरआई म मै िे टक फी ड
है। इसिलए ए स-रे की तुलना म इसे कम खतरनाक माना और मरीज को िदखा देता है जबिक यह सुिवधा आमतौर पर और रेिडयो वे स का। शरीर म मांसपेिशय की छोटी से छोटी सम या जानने म एमआरआई बेहतरीन है।
जाता है। इसे सोनो फी भी कहा जाता है। ए स-रे क बाद ए स-रे म नह िमलती।
अ ासाउड ही वह तकनीक है िजसका इ तेमाल शरीर क खच: 500 से 2000 पये
ज री बात का रख यान, नह तो रपोट गलत भी
इन बात का रख यान, नह तो रपोट होगी गलत मै िे टक फी ड म हादस की वजह
अमूमन मेटल की मौजूदगी होती
रॉड हो तो परेशानी नह होती, िफर यह
बात बताना ज री है।
ज
ब अ ासाउड नािभ क िनचले िह से लग जाएं। है। इसिलए इसका यान रखना ए मआरआई से पहले सभी कपड़
यानी िकडनी, आंत या पेट, गभाशय का जांच क पर जांच म िकतनी देर लगेगी िकन बीमा रय म उपयोगी ज री है। बदलने होते ह, अंडर गारम स
कराना हो तो पेट खाली रख। क े फट यह पूछ ल। जब आपकी बारी आने म कछ खास बात इसका इ तेमाल ने , बो स और मांसपेिशय , सॉ ट िट यू, चे ट, ट
ि शन जो भी सवाल पूछ उनका भी। दरअसल, टि शन कोई भी
भी न कर और न ही ऐसा कछ खाएं 5 से 10 िमनट बाकी ह तब यादा पानी यूमर-कसर, ोक, िडमिशया, माइ ने , धमिनय क लॉकज सही जवाब द। चाहे कोई दांत मेटल र क नह लेना चाहता।
े सी क दौरान अ ासाउड कराने की सलाह ही
िजससे पेट म गैस या एिसिडटी हो। पी ल। और जेनिे टक िडसऑडर का पता लगाने म होता है। पहली बार का बना हो तो यह भी ज र बताएं। एमआरआई क दौरान जूलरी, िस क, घड़ी
अगर गैस या एिसिडटी की परेशानी हो या पेट म पानी की मा ा िजतनी अ छी होगी
यादा दी जाती है य िक इसम रेज का इ तेमाल एमआरआई का इ तेमाल साल 1977 म कसर की जांच म हुआ था। य
ह मशीन बहुत यादा ताकतवर मै िे टक कछ भी न पहन।
िफर गलती से खा िलया हो तो अ ासाउड को और यू रन का श े र िजतना यादा होगा, अ ासाउड नह होता। फी ड बनाती है। अगर िकसी क पास कोई अगर मेटल क दांत ह तो वे भी िनकालने
टालने की कोिशश कर। की रपोट उतनी ही अ छी आएगी। ह ाट, िकडनी म परेशानी और टोन, पेट की
परेशािनय आिद म यही कारगर होता है।
आने वाली है छोटी मशीन िस का मौजूद हो तो वह बुलट (बंदकू की होते ह।
घर से िनकलते समय एक िगलास पानी पी ल और ढीले कपड़ पहनकर जाएं य िक यह ट ट शरीर इसम रेिडयो ाफर ट ट करता है। गोली) की र तार से भी तेज िनकलता है। नकली बाल भी िनकालने होते ह। कछ
क छ बायो सी म भी अ ासाउड का इ तेमाल
रा तेभर घूटं -घूटं करक पानी पीते रह। इससे बहुत क सीधे संपक करने से ही कराया जाता है, इसिलए एक बड़ी-सी यूब म लेटना होता है। जान क साथ-साथ मशीन का नुकसान भी मामल म ऐसा देखा गया है िक नकली
यादा यू रन का श े र नह बनेगा। िजस भाग का अ ासाउड करना होता है, वहां से िकया जाता है। पहले इस यूब म तेज आवाज होती थी, अब नई मशीन म ऐसी कर सकता है। बाल म मेटल की मौजूदगी होती है जो
इसं ानी कान और ने 20 ह ज से 20 िकलो ह ज
कई बार अ ासाउड सटर पर जाकर इंतजार कपड़ा हटाना पड़ता है। परेशानी काफी कम हो गई है। क
छ भी न छपाएं, जैसे शरीर क बाहरी भाग खतरनाक हो सकाता है।
करना पड़ता है। ऐसे म यादा यू रन का दबाव अगर नािभ क ऊपरी िह से यानी लं स आिद का
तक की साउड वेव को सुन और समझ सकते ऐ
सी उ मीद है िक एक से डढ़ साल क अंदर पोटबल एमआरआई म या अंदर कोई मेटल लेट या रॉड तो खच: 3 हजार से 25 हजार तक, िकस अंग
होने से मजबूरी म यू रन क िलए जाना पड़ता है। अ ासाउड कराना हो तो अमूमन पानी पीने की ह। 20 िकलो ह ज से यादा की वेव को ही मशीन आ जाएगी िजससे गंभीर बीमार लोग की एमआरआई बेड मौजूद नह है। की एमआरआई करनी है, इस पर भी खच
िफर अगला श े र आने म मुमिकन है िक 2-3 घंट ज रत नह पड़ती। अ ासोिनक वेव कहा जाता है। पर ही हो जाएगी। अ
गर शरीर क अंदर टाइटिनयम की लेट या िनभर करता है।