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संस्था के निवर्तमान - अध्यक्ष पद के कर्तृत्व की कलम से श्री लिखने के पूर्व चौबीस

तीर्थंकरों को विनम्र भाव से पंचांग प्रणति पुर्वक वंदना करती हूं। तेरापंथ की उज्ज्वलतम
सुशोभित यशस्वी आचार्य परम्परा को नमन। तेरापंथ के आद्य प्रवर्तक आचार्य श्री भिक्षु
को कोटि कोटि नमन।

शाश्वत्संसारतामभीष्टफलदं पादारविन्दद्वयं ।
नाम नाममनारतम् सुमतिभिस्तोष्ट्रय्यमानं गुरोः ॥
स्मरण करने वाले को हमेशा अभीष्ट फल देने वाले, सुबुद्धिवानों से स्तुति किये जाने वाले परमतेजस्वी
परमपूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी के चरणों में अनन्त अनन्त कृ तज्ञता भाव से श्रद्धाप्रणत वन्दना।

मुख्य मुनिश्री महावीर मुनि, प्रबुद्ध चिन्तक, सहज सौम्य धैर्य एवं गांभीर्य की मूरत साध्वी प्रमुखाश्रीजी
विश्रुतः विभाजी, साध्वी वर्या श्री संबुद्धयशाजी के श्रीचरणों में भावभरी वंदना तथा जिनकी प्रेरणा पाथेय से
संस्था निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है ऐसी संस्था के विकास में योगभूत बन रही मंडल की आध्यात्मिक
पर्यवेक्षक "शासन गौरव" साध्वी श्री कल्पलता जी के प्रति अभ्यर्थना व्यक्त करती हूं।

अष्ट सिद्धियों से शोभित असाधारण साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा जी एक, विलक्षण प्रतिभा की धनी व
दया, ममता एवं करुणा की प्रतिमूर्ति वे देदीप्यमान शासन माता थीं, जो शरीर से हमारे बीच नहीं हैं लेकिन
उनके गुण अजर-अमर होकर हमारे पास ही हैं। उनका आत्मीयता भाव व आभामंडल पवित्र था, उनमेंं वचन
सिद्धि थी, जीवन में पुरुषार्थ की लौ निरंतर प्रज्ज्वलित रहती थी, गुरु के प्रति समर्पण भाव अद्भुत था। साध्वी
प्रमुखा के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम उनके गुणों को, उनकी शिक्षा को आत्मसात करेंगे।
वे पूरे धर्म संघ की शान थी। शासन देव और देवियों को हमने नहीं देखा पर महाश्रमणी जी के रूप में सबने
शासन माता को निश्चित रूप से देख लिया।

तेरापंथ धर्म संघ के समस्त चरित्र आत्माओं के चरणों में सभक्ति वन्दना। शासनश्री साध्वी श्री कं चन
प्रभाजी ठाणा 5, साध्वी श्रीजी लावण्या श्रीजी ठाणा 4, साध्वीश्री प्रमीलाकु मारजी ठाणा 5, विद्वान मुनिश्री
अर्हत कु मारजी ठाणा 3, मुनिश्री रश्मिकु मारजी ठाणा 2, शासनश्री साध्वी श्री शिवमालाजी ठाणा 4, साध्वी श्री
गवेषणाश्रीजी ठाणा 2 के चरणों में सभक्ति वंदना व बेंगलोर में विराजित मुनिश्री हिमान्शु कु मारजी ठाणा 2
मुनिश्री दीपकु मारजी ठाणा 2 के श्री चरणों में भावभरी वन्दना। इस कार्यकाल में शासनश्री साध्वी श्री कं चन
प्रभाजी एवं विद्वान मुनिश्री अर्हत कु मारजी का विशेष विशेष आशीर्वाद और मार्गदर्शन मिला।

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सभी चरित्र आत्माओं के प्ररेणा पाथेय एवं निर्देशन से मेरे अध्यक्ष कार्यकाल में आत्मिक तोष एवं
आध्यात्मिक उर्जा प्राप्त होने से हमारा 2 वर्ष का आध्यात्मिक सफर सफलतम सिद्ध हुआ सभी चारित्र
आत्माओं के प्रति हार्दिक कृ तज्ञता एवं वन्दना ज्ञापित करती हूं।

श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ महिला मंडल, बेंगलोर के 38वें वार्षिक अधिवेशन के वर्ष 2021-23
के लिए महिला मंडल के अध्यक्ष पद पर कार्य सेवा करने का जो महत्वपूर्ण दायित्व आपने मेरे कं धों पर डाला
उसके में आप सभी का आभार ज्ञापित करती हूं, पद भार ग्रहण करने के साथ ही महिला मंडल बेंगलोर को
आध्यात्मिक, सृजनात्मक एवं रचनात्मक दिशा की ओर अग्रसर करने का जो मैंने संकल्प लिया था, परम श्रदेय
आचार्य प्रवर से प्राप्त उर्जा एवं आप सभी के सहयोग से मैं उस संकल्प को पूर्ण कर पाई, यह बताते हुए मुझे
सात्विक गर्व की अनुभूति हो रही है।

मैं स्वयं को भाग्यशाली समझती हूँ जिसे स्वयं के विकास के लिए महिला मंडल का सशक्त मंच
मिला। हृदय के अंतःकरण से आभार अभिव्यक्ति पूर्वाध्यक्ष श्रीमती शान्ति जी सकलेचा का स्नेह भरा साथ मिला
जिन्होंने सदा मार्गदर्शन के साथ-साथ प्रोत्साहित किया एवं दो वर्ष के कार्यकाल की सुखद यात्रा जीवंत बनी।

मैं आभारी हूँ मंत्री श्रीमती सरस्वती बाफना, कोषाध्यक्ष श्रीमती सुनीता मालू, वरिष्ट उपाध्यक्ष
श्रीमती सुनीता गांधी, उपाध्यक्ष श्रीमती संतोष सोलंकी, सहमंत्री श्रीमती ज्योति संचेती, सहमंत्री श्रीमती मीणा
अच्छा, सहमंत्री श्रीमती लता कोचर, श्रीमती पिंकी, सभी पदाधिकारियों, एवं कार्यक़ारिणी, के प्रत्येक सदस्य
का श्रम एवं कर्मठता सफलता की आधारशीला बनी, जिनके सहयोग से इन दो वर्ष के कार्यकाल में किये
जानेवाले कार्य को हम अंजाम दे सके । मैं आभारी हूँ सभी संयोजिका, संरक्षिकायें, परामर्शक एवं विशेष
सम्मानिय, आदरणीय बहिनों की जिनका मार्गदर्शन आयोजन में समय समय पर महिला मंडल को मिलता रहा।

मैं आभारी हूँ हमारी सभी पूर्वाध्यक्ष अध्यक्ष श्रीमती निर्मला सोलंकी, श्रीमती निर्मला गादिया,
श्रीमती पुष्पा गन्ना, श्रीमती कांता लोढा, श्रीमती लता जैन, जिन्होंने मुझे समय समय पर सहयोग दिया। मैं
सहृदय आभारी हूँ तेरापंथ सभा के निवर्तमान अध्यक्ष श्री सुरेशजीदक की जिन्होंने मातृसा सम्मान दिया। मैं
आभारी हूँ सभी दानदाताओं की जिनके अर्थ सहयोग से अध्यात्मिक उन्नयन हेतु आयोजनो में सहयोग प्राप्त
हुआ।

कभी संघर्षों की झड़ी लगी, पर सभी बाधाओं को सरलता और सहजता से सुलझाते-सुलझाते एक


नई पहचान मिली। परिकल्पना से परिणीति तक के सफ़र में अनेक उपलब्धिया प्रेरणा बनी।

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श्रीमती सरला जी श्रीमाल का साथ सुनहरे पल की तरह सदैव स्मरण रहेगा उनका साथ सुनहरे
पल की तरह नैनों से निहारा तो आरोहण की यात्रा प्रवर्धमान रही एवं आप मेरे अध्यात्मिक उन्नयन हेतु निमित्त
बने यह स्मृति आजीवन मानस पटल पर रेखांकित रहेगी। श्रीमती बीन्दू रायसोनी लेखनी की सरिता सुझ बुझ
की धनी सहज व्यक्तित्व जीटो में उच्च पदासिन, श्रीमती नीता गादिया, श्रीमती लता गदिया, श्रीमती किरण
गिलूण्डिया, श्रीमती प्रमिला धोका, श्रीमती सुरेखा पोकरणा, श्रीमती सुरेखा पोकरणा, श्रीमती प्रेषिता अच्छा,
श्रीमती पवन गादिया, श्रीमती पुष्पा दुधेड़िया, श्रीमती संतोष सेठिया, श्रीमती संगीता आंचलिया, श्रीमती
सूर्यकला, श्रीमती संतोष, श्रीमती वनिता, श्रीमती गीता संचेती। श्रीमती स्नेहा नौलखा, श्रीमती इंदु खिवेंसरा,
श्रीमती जम्बू गादिया, श्रीमती वीणा पोरवाल, श्रीमती वसंता रायसोनी, श्रीमती रेखा भंसाली, श्रीमती लक्मी
बोहरा, श्रीमती बिंदु नाहर जिन्होंने संपूर्ण कार्यकाल में हर आयोजन के समय समय पर सहयोग किया।

मेरे श्वसुर जी श्रद्धानिष्ठ श्रावक श्री मान कन्हैयालाल जी पोकरणा भुतपुर्व सभाध्यक्ष बैंगलौर, का
अनुपम, अनुकरणीय एवं अचिंत्य आलंबन शब्दों में व्यक्त करने में मैं सक्षम नहीं हूँ। वर्ष बीतते चले गए। गुजरे
हुए समय के साथ स्मृति मानस पटल पर बनती गयी। मेरे सासुमा, माता पिता के संस्कारो के कारन मै सक्षम
बनी।
एक पल के लिए मैंने सोचा, क्या मन के भावों को अपनी लेखनी से शब्दों में पिरो पाना संभव है?
क्योंकि कई बार भाव मिल जाते है पर शब्द नहीं जुड़ते॥ प्रयास ऐसा है कि, मेरे द्वारा अव्यक्त शब्द भी आपके
हृदय को ज्ञात हो जाये। शब्द रहे या ना रहे— मौन सब कु छ कह जाये।

मैं आभारी हूँ वर्तमान सभा अध्यक्ष, मंत्री, अध्यक्ष तेरापंथ ट्रस्ट, अध्यक्ष तेरापंथ युवक परिषद,
अध्यक्ष अणुव्रत समिती, अध्यक्ष टी.पी.एफ. व ज्ञानशाला प्रभारी जिन्होनें समय समय पर सहयोग दिया। इस
मौके पर मैं अपने परिवार का अतुल्य सहयोग कभी भी विस्मृत नहीं कर सकती जिनका सहयोग मुझे हर समय
मिलता रहा है, विशेषकर, मेरे जीवन साथी श्रीमान् अशोकजी पोकरणा, पुत्री प्रेषिता अच्छा जमाई नविन जी
अच्छा, व मेरे पुत्रवधु श्वेता पोकरणा पुत्र प्रणव पोकरणा ने निस्वार्थ भाव से पूर्ण सहयोग कर इस संपूर्ण यात्रा में
निमित्तभूत बने। अंत में पूज्यवरों के चरणों में विनय भाव से कृ तज्ञता ज्ञापित करती हुई प्रार्थना करती हैं कि
प्रभो! आपकी कृ पा बेंगलोर तेरापंथ महिला मंडल व तेरापंथ समाज पर सदैव इसी प्रकार बनी रहे। भविष्य में
अपने लिए यही मंगल कामना करती हूँ कि, संघ व संघपति के प्रति सदा समर्पित भाव से कार्य कर स्वयं को
निखार सकूँ ।

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