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पाठ - 6 कक्षा -10
पाठ - 6 कक्षा -10
श्लोक -1- आलस्य मिुष्य के शरीर में रहिे वाला महाि शत्रु होता है ।
पररश्रम के समाि कोई ममत्र िहीीं होता है , जिसे करके मिुष्य कभी दख
ु ी
िहीीं होता है।
श्लोक -2 - गण
ु वाि गण
ु के महत्व को िािता है , मख
ू ख िहीीं िािता है ।
श्लोक -5- क्रोध मिष्ु य का प्रथम शत्रु होता है , िो शरीर में रहकर शरीर
का ही षविाश कर दे ता है।
जिस प्रकार लकडी में जस्थत आग ही उस लकडी का षविाश कर दे ती
है ।।
श्लोक - 6 – हहरि हहरिों के साथ रहते हैं, गाय गायों के साथ और घोडे
घोडों के साथ रहते हैं।
मख
ू ख व्यजतत मख
ू ों के साथ और बद्
ु धधमाि व्यजतत बद्
ु धधमािों के साथ
रहते हैं। सच ही कहा गया है कक समाि स्वभाव और आदत वालों में
ममत्रता होती है।।
श्लोक -8 -