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घासवाली
घासवाली
भुलरमा हयी-हयी घास का गट्ठा रेकय आमी, तो उसका गेहुआॉ यॊ ग कुछ तभतभामा हुआ था औय फडी-फडी भद-बयी आॉखो भें शॊका
सभाई हुई थी। भहावीय ने उसका तभतभामा हुआ चेहया दे खकय ऩूछा- क्मा है भुलरमा, आज कैसा जी है।
भहावीय ने सभीऩ आकय ऩूछा- क्मा हुआ है , फताती क्मों नहीॊ? ककसी ने कुछ कहा है, अमभाॉ ने डाॉटा है, क्मों इतनी उदास है?
भुलरमा इस ऊसय भें गुराफ का पूर थी। गेहुआॉ यॊ ग था, दहयन की-सी आॉखें, नीचे खखॊचा हुआ चचफुक, कऩोरों ऩय हरकी रालरभा,
फडी-फडी नुकीरी ऩरकें, आॉखो भें एक ववचचत्र आर्द्रता, जजसभें एक स्ऩष्ट वेदना, एक भूक व्मथा झरकती यहती थी। भारूभ नहीॊ,
चभायों के इस घय भें वह अप्सया कहाॉ से आ गमी थी। क्मा उसका कोभर पूर-सा गात इस मोग्म था कक सय ऩय घास की
टोकयी यखकय फेचने जाती? उस गाॉव भें बी ऐसे रोग भौजूद थे, जो उसके तरवे के नीचे आॉखें बफछाते थे, उसकी एक चचतवन के
लरए तयसते थे, जजनसे अगय वह एक शब्द बी फोरती, तो ननहार हो जाते; रेककन उसे आमे सार-बय से अचधक हो गमा, ककसी ने
उसे मुवकों की तयप ताकते मा फातें कयते नहीॊ देखा। वह घास लरमे ननकरती, तो ऐसा भारभ
ू होता, भानो उषा का प्रकाश, सुनहये
आवयण भें यॊ जजत, अऩनी छटा बफखेयता जाता हो। कोई गजरें गाता, कोई छाती ऩय हाथ यखता; ऩय भुलरमा नीची आॉख ककमे अऩनी
याह चरी जाती। रोग हैयान होकय कहते - इतना अलबभान! भहावीय भें ऐसे क्मा सुयखाफ के ऩय रगे हैं, ऐसा अच्छा जवान बी तो
नहीॊ, न जाने मह कैसे उसके साथ यहती है!
भगय आज ऐसी फात हो गमी, जो इस जानत की औय मुवनतमों के लरए चाहे गुप्त सॊदेश होती, भुलरमा के लरए रृदम का शर
ू थी।
प्रबात का सभम था, ऩवन आभ की फौय की सुगॊचध से भतवारा हो यहा था, आकाश ऩथ्
ृ वी ऩय सोने की वषार कय यहा था। भुलरमा
लसय ऩय झौआ यक्खे घास छीरने चरी, तो उसका गेहुआॉ यॊ ग प्रबात की सुनहयी ककयणों से कुॊदन की तयह दभक उठा। एकाएक
मुवक चैनलसॊह साभने से आता हुआ ददखाई ददमा। भुलरमा ने चाहा कक कतयाकय ननकर जाम; भगय चैनलसॊह ने उसका हाथ ऩकड
लरमा औय फोरा- भलु रमा, तझ
ु े क्मा भझ
ु ऩय जया बी दमा नहीॊ आती?
भुलरमा का वह पूर-सा खखरा हुआ चेहया ज्वारा की तयह दहक उठा। वह जया बी नहीॊ डयी, जया बी न खझझकी, झौआ जभीन ऩय
चगया ददमा, औय फोरी- भुझे छोड दो, नहीॊ भैं चचल्राती हूॉ।
चैनलसॊह को आज जीवन भें एक नमा अनुबव हुआ। नीची जातों भें रूऩ-भाधुमर का इसके लसवा औय काभ ही क्मा है कक वह ऊॉची
जातवारों का खखरौना फने। ऐसे ककतने ही भाकर उसने जीते थे; ऩय आज भुलरमा के चेहये का वह यॊ ग, उसका वह क्रोध, वह
अलबभान दे खकय उसके छक्के छूट गमे। उसने रजज्जत होकय उसका हाथ छोड ददमा। भुलरमा वेग से आगे फढ़ गमी। सॊघषर की
गयभी भें चोट की व्मथा नहीॊ होती, ऩीछे से टीस होने रगती है। भलु रमा जफ कुछ दयू ननकर गमी, तो क्रोध औय बम तथा अऩनी
फेकसी को अनुबव कयके उसकी आॉखो भें आॉसू बय आमे। उसने कुछ दे य जब्त ककमा, कपय लससक-लससक कय योने रगी। अगय
वह इतनी गयीफ न होती, तो ककसी की भजार थी कक इस तयह उसका अऩभान कयता! वह योती जाती थी औय घास छीरती जाती
दस
ू ये ददन भुलरमा घास के लरए न गमी। सास ने ऩूछा- तू क्मों नहीॊ जाती? औय सफ तो चरी गमीॊ?
भुलरमा ने औय बी लसय झुका लरमा औय दफी हुई आवाज से फोरी- सफ भुझे छे डते हैं।
सास ने डाॉटा- न तू औयों के साथ जामगी, न अकेरी जामगी, तो कपय जामगी कैसे! वह साप-साप क्मों नहीॊ कहती कक भैं न
जाऊॉगी। तो महाॉ भेये घय भें यानी फन के ननफाह न होगा। ककसी को चाभ नहीॊ प्माया होता, काभ प्माया होता है। तू फडी सॊद
ु य है ,
तो तेयी सुॊदयता रेकय चाटूॉ ? उठा झाफा औय घास रा!
द्वाय ऩय नीभ के दयख्त के सामे भें भहावीय खडा घोडे को भर यहा था। उसने भलु रमा को योनी सयू त फनामे जाते दे खा; ऩय कुछ
फोर न सका।उसका फस चरता तो भलु रमा को करेजे भें बफठा रेता, आॉखो भें नछऩा रेता; रेककन घोडे का ऩेट बयना तो जरूयी
था। घास भोर रेकय खखरामे, तो फायह आने योज से कभ न ऩडे। ऐसी भजदयू ी ही कौन होती है। भुजश्कर से डेढ़-दो रुऩमे लभरते
हैं, वह बी कबी लभरे, कबी न लभरे। जफ से मह सत्मानाशी रारयमाॉ चरने रगी हैं; एक्केवारों की फचधमा फैठ गमी है। कोई सेंत
बी नहीॊ ऩूछता। भहाजन से डेढ़-सौ रुऩमे उधाय रेकय एक्का औय घोडा खयीदा था; भगय रारयमों के आगे एक्के को कौन ऩूछता है।
भहाजन का सूद बी तो न ऩहुॉच सकता था, भूर का कहना ही क्मा! ऊऩयी भन से फोरा- न भन हो, तो यहने दो, दे खी जामगी।
आज उसने कर का यास्ता छोड ददमा औय खेतों की भेडों से होती हुई चरी। फाय-फाय सतकर आॉखो से इधय-उधाय ताकती जाती
थी। दोनों तयप ऊख के खेत खडे थे। जया बी खडखडाहट होती, उसका जी सन्न हो जाता कहीॊ कोई ऊख भें नछऩा न फैठा हो।
भगय कोई नमी फात न हुई। ऊख के खेत ननकर गमे, आभों का फाग ननकर गमा; लसॊचे हुए खेत नजय आने रगे। दयू के कुएॉ ऩय
ऩुय चर यहा था। खेतों की भेडों ऩय हयी-हयी घास जभी हुई थी। भुलरमा का जी ररचामा। महाॉ आधा घॊटे भें जजतनी घास नछर
सकती है, सूखे भैदान भें दोऩहय तक न नछर सकेगी! महाॉ दे खता ही कौन है। कोई चचल्रामेगा, तो चरी जाऊॉगी। वह फैठकय घास
छीरने रगी औय एक घॊटे भें उसका झाफा आधे से ज्मादा बय गमा। वह अऩने काभ भें इतनी तन्भम थी कक उसे चैनलसॊह के
आने की खफय ही न हुई। एकाएक उसने आहट ऩाकय लसय उठामा, तो चैनलसॊह को खडा दे खा।
भुलरमा की छाती धक् से हो गमी। जी भें आमा बाग जाम, झाफा उरट दे औय खारी झाफा रेकय चरी जाम; ऩय चैनलसॊह ने कई
गज के पासरे से ही रुककय कहा- डय भत, डय भत, बगवान जानता है! भैं तझ
ु से कुछ न फोरॉ ग
ू ा। जजतनी घास चाहे छीर रे , भेया
ही खेत है।
भुलरमा के हाथ सुन्न हो गमे, खुयऩी हाथ भें जभ-सी गमी, घास नजय ही न आती थी। जी चाहता था; जभीन पट जाम औय भैं
सभा जाऊॉ। जभीन आॉखो के साभने तैयने रगी।
चैनलसॊह ने एक कदभ आगे फढ़ामा औय फोरा- तू भुझसे इतना डयती क्मों है! क्मा तू सभझती है, भैं आज बी तुझे सताने आमा
हूॉ? ईश्वय जानता है , कर बी तझ
ु े सताने के लरए भैंने तेया हाथ नहीॊ ऩकडा था। तझ
ु े दे खकय आऩ-ही-आऩ हाथ फढ़ गमे। भझ
ु े कुछ
सुध ही न यही। तू चरी गमी, तो भैं वहीॊ फैठकय घॊटों योता यहा। जी भें आता था, हाथ काट डारॉ ।ू कबी जी चाहता था, जहय खा
रॉ ।ू तबी से तुझे ढूॉढ़ यहा हूॉ आज तू इस यास्ते से चरी आमी। भैं साया हाय छानता हुआ महाॉ आमा हूॉ। अफ जो सजा तेये जी भें
आवे, दे दे । अगय तू भेया लसय बी काट रे, तो गदर न न दहराऊॉगा। भैं शोहदा था, रुच्चा था, रेककन जफ से तुझे दे खा है, भेये भन से
सायी खोट लभट गमी है। अफ तो मही जी भें आता है कक तेया कुत्ता होता औय तेये ऩीछे -ऩीछे चरता, तेया घोडा होता, तफ तो तू
अऩने हाथों से भेये साभने घास डारती। ककसी तयह मह चोरा तेये काभ आवे , भेये भन की मह सफसे फडी रारसा है। भेयी जवानी
काभ न आवे, अगय भैं ककसी खोट से मे फातें कय यहा हूॉ। फडा बागवान था भहावीय, जो ऐसी दे वी उसे लभरी।
भुलरमा चुऩचाऩ सन
ु ती यही, कपय नीचा लसय कयके बोरेऩन से फोरी- तो तुभ भुझे क्मा कयने को कहते हो?
भलु रमा ने लसय उठाकय उसकी ओय दे खा। उसकी रज्जा न जाने कहाॉ गामफ हो गमी। चब
ु ते हुए शब्दों भें फोरी- तभ
ु से एक फात
कहूॉ, फुया तो न भानोगे? तुमहाया ब्माह हो गमा है मा नहीॊ?
चैनलसॊह ने दफी जफान से कहा- ब्माह तो हो गमा, रेककन ब्माह क्मा है, खखरवाड है।
भुलरमा के होठों ऩय अवहे रना की भुसकयाहट झरक ऩडी, फोरी- कपय बी अगय भेया आदभी तुमहायी औयत से इसी तयह फातें
कयता, तो तुमहें कैसा रगता? तुभ उसकी गदर न काटने ऩय तैमाय हो जाते कक नहीॊ? फोरो! क्मा सभझते हो कक भहावीय चभाय है तो
उसकी दे ह भें रहू नहीॊ है , उसे रज्जा नहीॊ है, अऩने भमारदा का ववचाय नहीॊ है? भेया रूऩ-यॊ ग तुमहें बाता है। क्मा घाट के ककनाये
भझ
ु से कहीॊ सद
ॊु य औयतें नहीॊ घभ
ू ा कयतीॊ? भैं उनके तरवों की फयाफयी बी नहीॊ कय सकती। तभ
ु उसभें से ककसी से क्मों नहीॊ दमा
भाॉगते! क्मा उनके ऩास दमा नहीॊ है ? भगय वहाॉ तुभ न जाओगे; क्मोंकक वहाॉ जाते तुमहायी छाती दहरती है। भुझसे दमा भाॉगते हो,
इसलरए न कक भैं चभारयन हूॉ, नीच जानत हूॉ औय नीच जानत की औयत जया-सी घुडकी-धभकी वा जया-सी रारच से तुमहायी भुट्ठी
भें आ जामगी। ककतना सस्ता सौदा है। ठाकुय हो न, ऐसा सस्ता सौदा क्मों छोडने रगे?
चैनलसॊह रजज्जत होकय फोरा- भूरा, मह फात नहीॊ। भैं सच कहता हूॉ, इसभें ऊॉच-नीच की फात नहीॊ है। सफ आदभी फयाफय हैं। भैं
तो तेये चयणों ऩय लसय यखने को तैमाय हूॉ।
भलु रमा- इसीलरए न कक जानते हो, भैं कुछ कय नहीॊ सकती। जाकय ककसी खतयानी के चयणों ऩय लसय यक्खो, तो भारूभ हो कक
चयणों ऩय लसय यखने का क्मा पर लभरता है। कपय मह लसय तुमहायी गदर न ऩय न यहे गा।
चैनलसॊह भाये शभर के जभीन भें गडा जाता था। उसका भॉह
ु ऐसा सख
ू गमा था, भानो भहीनों की फीभायी से उठा हो। भॉह
ु से फात न
ननकरती थी। भलु रमा इतनी वाक् -ऩटु है, इसका उसे गभ
ु ान बी न था।
भुलरमा कपय फोरी- भैं बी योज फाजाय जाती हूॉ। फडे-फडे घयों का हार जानती हूॉ। भुझे ककसी फडे घय का नाभ फता दो, जजसभें
कोई साईस, कोई कोचवान, कोई कहाय, कोई ऩॊडा, कोई भहायाज न घुसा फैठा हो? मह सफ फडे घयों की रीरा है। औय वह औयतें जो
भुलरमा ने उसी गवर से बये हुए स्वय भें कहा- रेककन भेयी एक नहीॊ, दोनों आॉखें पूट जामें, तफ बी वह भुझे इसी तयह यक्खेगा।
भुझे उठावेगा, फैठावेगा, खखरावेगा। तुभ चाहते हो, भैं ऐसे आदभी के साथ कऩट करूॉ? जाओ, अफ भुझे कबी न छे डना, नहीॊ अच्छा न
होगा।
जवानी जोश है , फर है, दमा है, साहस है, आत्भ-ववश्वास है, गौयव है औय सफ कुछ जो जीवन को ऩववत्र, उज्ज्वर औय ऩूणर फना दे ता
है। जवानी का नशा घभॊड है , ननदर मता है, स्वाथर है , शेखी है , ववषम-वासना है, कटुता है औय वह सफ कुछ जो जीवन को ऩशत
ु ा,
ववकाय औय ऩतन की ओय रे जाता है। चैनलसॊह ऩय जवानी का नशा था। भलु रमा के शीतर छीॊटों ने नशा उताय ददमा। जैसे
उफरती हुई चाशनी भें ऩानी के छीॊटे ऩड जाने से पेन लभट जाता है , भैर ननकर जाता है औय ननभरर, शद्ध
ु यस ननकर आता है।
जवानी का नशा जाता यहा, केवर जवानी यह गमी। कालभनी के शब्द जजतनी आसानी से दीन औय ईभान को गायत कय सकते हैं ,
उतनी ही आसानी से उनका उद्धाय बी कय सकते हैं।
चैनलसॊह उस ददन से दस
ू या ही आदभी हो गमा। गस्
ु सा उसकी नाक ऩय यहता था, फात-फात ऩय भजदयू ों को गालरमाॉ दे ना, डाॉटना
औय ऩीटना उसकी आदत थी। असाभी उससे थय-थय काॉऩते थे। भजदयू उसे आते दे खकय अऩने काभ भें चुस्त हो जाते थे; ऩय
ज्मों ही उसने इधय ऩीठ पेयी औय उन्होंने चचरभ ऩीना शरू
ु ककमा। सफ ददर भें उससे जरते थे, उसे गालरमाॉ दे ते थे। भगय उस
ददन से चैनलसॊह इतना दमार,ु इतना गॊबीय, इतना सहनशीर हो गमा कक रोगों को आश्चमर होता था।
कई ददन गुजय गमे थे। एक ददन सॊध्मा सभम चैनलसॊह खेत दे खने गमा। ऩुय चर यहा था। उसने दे खा कक एक जगह नारी टूट
गमी है, औय साया ऩानी फहा चरा जाता है। क्मारयमों भें ऩानी बफरकुर नहीॊ ऩहुॉचता, भगय क्मायी फनाने वारी फुदढ़मा चुऩचाऩ फैठी
है। उसे इसकी जया बी कपक्र नहीॊ है कक ऩानी क्मों नहीॊ आता। ऩहरे मह दशा दे खकय चैनलसॊह आऩे से फाहय हो जाता। उस
औयत की उस ददन भजूयी काट रेता औय ऩुय चरानेवारों को घुडककमाॉ जभाता, ऩय आज उसे क्रोध नहीॊ आमा। उसने लभट्टी रेकय
नारी फाॊध दी औय खेत भें जाकय फदु ढ़मा से फोरा- तू महाॉ फैठी है औय ऩानी सफ फहा जा यहा है।
फुदढ़मा घफडाकय फोरी- अबी खुर गमी होगी। याजा! भैं अबी जाकय फॊद ककमे दे ती हूॉ।
मह कहती हुई वह थयथय काॉऩने रगी। चैनलसॊह ने उसकी ददरजोई कयते हुए कहा- बाग भत, बाग भत। भैंने नारी फॊद कय दी।
फुढ़ऊ कई ददन से नहीॊ ददखाई ददमे, कहीॊ काभ ऩय जाते हैं कक नहीॊ?
फुदढ़मा गद्गद होकय फोरी- आजकर तो खारी ही फैठे हैं बैमा, कहीॊ काभ नहीॊ रगता।
चैनलसॊह ने नम्र बाव से कहा- तो हभाये महाॉ रगा दे । थोडा-सा सन यखा है, उसे कात दें ।
ककसी के भॉह
ु से आवाज न ननकरी। सहसा साभने से दोनों भजयू धोती के एक कोने भें फेय बये आते ददखाई ददए। खश
ु -खश
ु फात
कयते चरे आ यहे थे। चैनलसॊह ऩय ननगाह ऩडी, तो दोनों के प्राण सूख गमे। ऩाॉव भन-भन बय के हो गमे। अफ न आते फनता है ,
न जाते। दोनों सभझ गमे कक आज डाॉट ऩडी, शामद भजूयी बी कट जाम। चार धीभी ऩड गमी। इतने भें चैनलसॊह ने ऩुकाया फढ़
आओ, फढ़ आओ, कैसे फेय हैं, राओ जया भुझे बी दो, भेये ही ऩेड के हैं न?
दोनों औय बी सहभ उठे । आज ठाकुय जीता न छोडेगा। कैसा लभठा-लभठाकय फोर यहा है। उतनी ही लबगो-लबगोकय रगामेगा।
फेचाये औय बी लसकुड गमे।
अफ दोनों बगोडों को कुछ ढायस हुआ। सबी ने जाकय सफ फेय चैनलसॊह के आगे डार ददए औय ऩक्के -ऩक्के छाॉटकय उसे दे ने रगे।
एक आदभी नभक राने दौडा। आधा घॊटे तक चायों ऩयु फॊद यहे । जफ सफ फेय उड गमे औय ठाकुय चरने रगे, तो दोनों अऩयाचधमों
ने हाथ जोडकय कहा- बैमाजी, आज जान फकसी हो जाम, फडी बूख रगी थी, नहीॊ तो कबी न जाते।
चैनलसॊह ने नम्रता से कहा- तो इसभें फुयाई क्मा हुई? भैंने बी तो फेय खामे। एक-आधा घॊटे का हयज हुआ मही न? तुभ चाहोगे, तो
घॊटे बय का काभ आधा घॊटे भें कय दोगे। न चाहोगे, ददन-बय भें बी घॊटे-बय का काभ न होगा।
एक ने कहा- भालरक इस तयह यहे , तो काभ कयने भें जी रगता है। मह नहीॊ कक हयदभ छाती ऩय सवाय।
दस
ू या- भैंने तो सभझा, आज कच्चा ही खा जामेंगे।
ऩहरा- तभ
ु तो हो गोफय-गनेस। आदभी का रुख नहीॊ ऩहचानते।
दस
ू या- अफ खूफ ददर रगाकय काभ कयें गे।
तीसया- औय क्मा! जफ उन्होंने हभाये ऊऩय छोड ददमा, तो हभाया बी धयभ है कक कोई कसय न छोडें।
चौथा- भझ
ु े तो बैमा, ठाकुय ऩय अफ बी ववश्वास नहीॊ आता।
भहावीय लसय झुकाकय फोरा- खेती के लरए फडा ऩौरुख चादहए भालरक! भैंने तो मही सोचा है कक कोई गाहक रग जाम, तो एक्के
को औने-ऩौने ननकार दॉ ,ू कपय घास छीरकय फाजाय रे जामा करूॉ। आजकर सास-ऩतोहू दोनों छीरती हैं। तफ जाकय दस-फायह
आने ऩैसे नसीफ होते हैं।
भहावीय रजाता हुआ फोरा- नहीॊ बैमा, वह इतनी दयू कहाॉ चर सकती है। घयवारी चरी जाती है। दोऩहय तक घास छीरती है ,
तीसये ऩहय फाजाय जाती है। वहाॉ से घडी यात गमे रौटती है। हरकान हो जाती है बैमा, भगय क्मा करूॉ, तकदीय से क्मा जोय।
चैनलसॊह कचहयी ऩहुॉच गमे औय भहावीय सवारयमों की टोह भें इधय-उधय इक्के को घुभाता हुआ शहय की तयप चरा गमा। चैनलसॊह
ने उसे ऩाॉच फजे आने को कह ददमा।
कोई चाय फजे चैनलसॊह कचहयी से पुयसत ऩाकय फाहय ननकरे। हाते भें ऩान की दक
ु ान थी, जया औय आगे फढ़कय एक घना फयगद
का ऩेड था, उसकी छाॉह भें फीसों ही ताॉगे; एक्के, कपटनें खडी थीॊ। घोडे खोर ददए गमे थे। वकीरों, भुख्तायों औय अपसयों की
सवारयमाॉ महीॊ खडी यहती थीॊ। चैनलसॊह ने ऩानी वऩमा, ऩान खामा औय सोचने रगा कोई रायी लभर जाम, तो जया शहय चरा जाऊॉ
कक उसकी ननगाह एक घासवारी ऩय ऩड गमी। लसय ऩय घास का झाफा यक्खे साईसों से भोर-बाव कय यही थी। चैनलसॊह का रृदम
उछर ऩडा मह तो भुलरमा है! फनी-ठनी, एक गुराफी साडी ऩहने कोचवानों से भोर-तोर कय यही थी। कई कोचवान जभा हो गमे
थे। कोई उससे ददल्रगी कयता था, कोई घूयता था, कोई हॉसता था।
एक कारे-करट
ू े कोचवान ने कहा- भर
ू ा, घास तो उडके अचधक से अचधक छ: आने की है।
भुलरमा ने उन्भाद ऩैदा कयने वारी आॉखो से दे खकय कहा- छ: आने ऩय रेना है , तो साभने घलसमारयनें फैठी हैं, चरे जाओ, दो-चाय
ऩैसे कभ भें ऩा जाओगे, भेयी घास तो फायह आने भें ही जामगी।
एक अधेड कोचवान ने कपटन के ऊऩय से कहा- तेया जभाना है, फायह आने नहीॊ एक रुऩमा भाॉग। रेनेवारे झख भायें गे औय रें गे।
ननकरने दे वकीरों को, अफ दे य नहीॊ है।
चैनलसॊह को ऐसा क्रोध आ यहा था कक इन दष्ु टों को जूते से ऩीटे । सफ-के-सफ कैसे उसकी ओय टकटकी रगामे ताक यहे हैं, आॉखो
से ऩी जामेंगे। औय भुलरमा बी महाॉ ककतनी खुश है। न रजाती है , न खझझकती है, न दफती है। कैसा भुसककया-भुसककयाकय, यसीरी
आॉखो से दे ख-दे खकय, लसय का अॊचर खखसका- खखसकाकय, भॉह
ु भोड-भोडकय फातें कय यही है। वही भुलरमा, जो शेयनी की तयह तडऩ
उठी थी।
इतने भें चाय फजे। अभरे औय वकीर-भुख्तायों का एक भेरा-सा ननकर ऩडा। अभरे रारयमों ऩय दौडे। वकीर-भुख्ताय इन सवारयमों
की ओय चरे। कोचवानों ने बी चटऩट घोडे जोते। कई भहाशमों ने भुलरमा को यलसक नेत्रों से दे खा औय अऩनी-अऩनी गाडडमों ऩय
जा फैठे।
एकाएक भुलरमा घास का झाफा लरमे उस कपटन के ऩीछे दौडी। कपटन भें एक अॊग्रेजी पैशन के जवान वकीर साहफ फैठे थे।
उन्होंने ऩावदान ऩय घास यखवा री, जेफ से कुछ ननकारकय भुलरमा को ददमा। भुलरमा भुस्कयाई, दोनों भें कुछ फातें बी हुईं, जो
चैनलसॊह न सुन सके।
ऩानवारे ने सहानुबनू त ददखाकय कहा- इसकी दवा कयो ठाकुय साहफ, मह फीभायी अच्छी नहीॊ है!
ऩानवारा फोरा- कैसी फीभायी! आधा घॊटे से महाॉ खडे हो जैसे कोई भुयदा खडा हो। सायी कचहयी खारी हो गमी, सफ दक
ु ानें फॊद हो
गमीॊ, भेहतय तक झाडू रगाकय चर ददमे; तुमहें कुछ खफय हुई? मह फुयी फीभायी है , जल्दी दवा कय डारो।
चैनलसॊह ने छडी सॉबारी औय पाटक की ओय चरा कक भहावीय का एक्का साभने से आता ददखाई ददमा।
कुछ दयू एक्का ननकर गमा, तो चैनलसॊह ने ऩूछा- आज ककतने ऩैसे कभामे भहावीय?
भहावीय ने हॉसकय कहा- आज तो भालरक, ददन बय खडा ही यह गमा। ककसी ने फेगाय भें बी न ऩकडा। ऊऩय से चाय ऩैसे की
फीडडमाॉ ऩी गमा।
चैनलसॊह ने जया दे य के फाद कहा- भेयी एक सराह है। तुभ भुझसे एक रुऩमा योज लरमा कयो। फस, जफ भैं फुराऊॉ तो एक्का रेकय
चरे आमा कयो। तफ तो तुमहायी घयवारी को घास रेकय फाजाय न जाना ऩडेगा। फोरो भॊजूय है ?
भहावीय ने सजर आॉखो से दे खकय कहा- भालरक, आऩ ही का तो खाता हूॉ। आऩकी ऩयजा हूॉ। जफ भयजी हो, ऩकड भॉगवाइए।
आऩसे रुऩमे…
कई ददनों के फाद सॊध्मा सभम भुलरमा चैनलसॊह से लभरी। चैनलसॊह असालभमों से भारगुजायी वसूर कयके घय की ओय रऩका जा
यहा था कक उसी जगह जहाॉ उसने भुलरमा की फाॉह ऩकडी थी, भुलरमा की आवाज कानों भें आमी। उसने दठठककय ऩीछे दे खा, तो
भुलरमा दौडी आ यही थी। फोरा- क्मा है भूरा! क्मों दौडती हो, भैं तो खडा हूॉ?
भुलरमा ने हाॉपते हुए कहा- कई ददन से तुभसे लभरना चाहती थी। आज तुमहें आते दे खा, तो दौडी। अफ भैं घास फेचने नहीॊ जाती।
'हाॉ, एक ददन दे खा था। क्मा भहावीय ने तुझसे सफ कह डारा? भैंने तो भना कय ददमा था।'
दोनों एक ऺण चुऩ खडे यहे । ककसी को कोई फात न सूझती थी। एकाएक भुलरमा ने भस्
ु कयाकय कहा- महाॉ तुभने भेयी फाॉह ऩकडी
थी।
भुलरमा गद्गद् कॊठ से फोरी- उसे क्मों बूर जाऊॉ। उसी फाॉह गहे की राज तो ननबा यहे हो। गयीफी आदभी से जो चाहे कयावे।
तुभने भुझे फचा लरमा। कपय दोनों चुऩ हो गमे।
जया दे य के फाद भुलरमा ने कपय कहा- तुभने सभझा होगा, भैं हॉसने-फोरने भें भगन हो यही थी?
चैनलसॊह ने फरऩूवक
र कहा- नहीॊ भुलरमा, भैंने एक ऺण के लरए बी नहीॊ सभझा।