Professional Documents
Culture Documents
दिल की रानी
दिल की रानी
जजन वीय तुकों के प्रखय प्रताऩ से ईसाई-दनु नमा काॉऩ यही थी, उनहीॊ का यक्त आज कुस्तुनतुननमा की गलरमों भें फह यहा है। वही
कुस्तुनतुननमा जो सौ सार ऩहरे तुकों के आतॊक से आहत हो यहा था, आज उनके गभम यक्त से अऩना करेजा ठॊ डा कय यहा है।
औय तक
ु ी सेनाऩनत एक राख लसऩादहमों के साथ तैभयू ी तेज के साभने अऩनी ककस्भत का पैसरा सन
ु ने के लरमे खडा है।
तैभूय ने ववजम से बयी आॉखें उठाई औय सेनाऩनत मजदानी की ओय दे ख कय लसॊह के सभान गयजा- क्मा चाहते हो जजॊदगी मा
भौत ?
मजदानी ने गवम से लसय उठाकाय कहा- इज्जत की जजॊदगी लभरे तो जजॊदगी, वयना भौत।
तैभूय का क्रोध प्रचॊड हो उठा। उसने फडे-फडे अलबभाननमों का लसय नीचा कय ददमा था। मह जफाफ इस अवसय ऩय सुनने की उसे
ताव न थी । इन एक राख आदलभमों की जान उसकी भुट्ठी भें है। इनहें वह एक ऺण भें भसर सकता है। उस ऩय इतना
अलबभान ! इज्जत की जजॊदगी ! इसका मही तो अथम है कक गयीफों का जीवन अभीयों के बोग-ववरास ऩय फलरदान ककमा जाम, वही
शयाफ की भजलरसें, वही अयभीननमा औय काप की ऩरयमाॉ। नहीॊ, तैभूय ने खरीपा फामजीद का घभॊड इसलरमे नहीॊ तोडा है कक तुकों
को कपय उसी भदाॊध स्वाधीनता भें इस्राभ का नाभ डुफाने को छोड दे । तफ उसे इतना यक्त फहाने की क्मा जरूयत थी । भानव-
यक्त का प्रवाह सॊगीत का प्रवाह नहीॊ, यस का प्रवाह नहीॊ- एक फीबत्स दृश्म है, जजसे दे खकय आॉखें भॉह
ु पेय रेती हैं दृश्म लसय
झुका रेता है। तैभूय दहॊसक ऩशु नहीॊ है , जो मह दृश्म दे खने के लरमे अऩने जीवन की फाजी रगा दे ।
वह अऩने शब्दों भें धधक्काय बयकय फोरा- जजसे तुभ इज्जत की जजॊदगी कहते हो, वह गुनाह औय जहननुभ की जजॊदगी है।
मजदानी को तैभूय से दमा मा ऺभा की आशा न थी। उसकी मा उसके मोद्धाओॊ की जान ककसी तयह नहीॊ फच सकती। कपय मह
क्मों दफे औय क्मों न जान ऩय खेरकय तैभूय के प्रनत उसके भन भें जो घण
ृ ा है , उसे प्रकट कय दे । उसने एक फाय कातय नेत्रों से
उस रूऩवान मुवक की ओय दे खा, जो उसके ऩीछे खडा, जैसे अऩनी जवानी की रगाभ खीॊच यहा था। सान ऩय चढे हुए, इस्ऩात के
सभान उसके अॊग-अॊग से अतर
ु क्रोध की धचनगारयमाॉ ननकर यही थीॊ। मजदानी ने उसकी सयू त दे खी औय जैसे अऩनी खीॊची हुई
तरवाय म्मान भें कय री औय खून के घूॉट ऩीकय फोरा- जहाॉऩनाह इस वक्त पतहभॊद हैं रेककन अऩयाध ऺभा हो तो कह दॉ ू कक
अऩने जीवन के ववषम भें तुकों को तातारयमों से उऩदे श रेने की जरूयत नहीॊ। दनु नमा से अरग, ताताय के ऊसय भैदानों भें न
त्माग औय व्रत की उऩासना की जा सकती है औय न भमस्सय होने वारे ऩदाथों का फदहष्काय ककमा जा सकता है ; ऩय जहाॉ खुदा
ने नेभतों की वषाम की हो, वहाॉ उन नेभतों का बोग न कयना नाशक्र
ु ी है। अगय तरवाय ही सभ्मता की सनद होती, तो गार कौभ
योभनों से कहीॊ ज्मादा सभ्म होती।
तैभूय जोय से हॉसा औय उसके लसऩादहमों ने तरवायों ऩय हाथ यख लरमे। तैभूय का ठहाका भौत का ठहाका था मा धगयनेवारे वज्र
का तडाका ।
तुभ कहते हो, खुदा ने तुम्हें ऐश कयने के लरमे ऩैदा ककमा है। भैं कहता हूॉ, मह कुफ्र है। खुदा ने इनसान को फॊदगी के लरमे ऩैदा
ककमा है औय इसके खखराप जो कोई कुछ कयता है, वह काकपय है , जहननुभी है। यसूरेऩाक हभायी जजॊदगी को ऩाक कयने के लरमे,
उसने तातायी लसऩहसाराय की तयप कानतर नजयों से दे खा औय तत्ऺण एक दे व-सा आदभी तरवाय सौंतकय मजदानी के लसय ऩय
आ ऩहुॉचा। तातायी सेना बी तरवायें खीॊच-खीॊचकय तुकी सेना ऩय टूट ऩडी औय दभ-के-दभ भें ककतनी ही राशें जभीन ऩय पडकने
रगीॊ।
सहसा वही रूऩवान मुवक, जो मजदानी के ऩीछे खडा था, आगे फढकय तैभूय के साभने आमा औय जैसे भौत को अऩनी दोनों फॉधी
हुई भुदट्ठमों भें भसरता हुआ फोरा- ऐ अऩने को भस
ु रभान कहने वारे फादशाह! क्मा मही वह इस्राभ है ,जजसकी तफरीग का तूने
फीडा उठामा है ? इस्राभ की मही तारीभ है कक तू उन फहादयु ों का इस फेददी से खून फहामे, जजनहोंने इसके लसवा कोई गुनाह नहीॊ
ककमा कक अऩने खरीपा औय भल्
ु क की दहभामत की।
चायों तयप सननाटा छा गमा। एक मुवक, जजसकी अबी भसें बी न बीगी थीॊ; तैभूय जैसे तेजस्वी फादशाह का इतने खुरे हुए शब्दों
भें नतयस्काय कये औय उसकी जफान तारू से न खखॊचवा री जाम ! सबी स्तॊलबत हो यहे थे औय तैभूय सम्भोदहत-सा फैठा , उस
मव
ु क की ओय ताक यहा था।
मुवक ने तातायी लसऩादहमों की तयप, जजनके चेहयों ऩय कुतूहरभम प्रोत्साहन झरक यहा था, दे खा औय फोरा- तू इन भुसरभानों को
काकपय कहता है औय सभझता है कक तू इनहें कत्र कयके खुदा औय इस्राभ की खखदभत कय यहा है ? भैं तुभसे ऩूछता हूॉ, अगय
वह रोग जो खद
ु ा के लसवा औय ककसी के साभने लसजदा नहीॊ कयते, जो यसर
ू ेऩाक को अऩना यहफय सभझते हैं, भस
ु रभान नहीॊ हैं
तो कौन भुसरभान है ? भैं कहता हूॉ, हभ काकपय सही रेककन तेये तो हैं क्मा इस्राभ जॊजीयों भें फॊधे हुए कैददमों के कत्र की
इजाजत दे ता है ? खुदा ने अगय तुझे ताकत दी है, अजख्तमाय ददमा है तो क्मा इसीलरमे कक तू खुदा के फॊदों का खून फहामे ? क्मा
गुनाहगायों को कत्र कयके तू उनहें सीधे यास्ते ऩय रे जामगा? तूने ककतनी फेहयभी से सत्तय हजाय फहादयु तुकों को धोखा दे कय
सुयॊग से उडवा ददमा औय उनके भासूभ फच्चों औय ननयऩयाध जस्त्रमों को अनाथ कय ददमा, तूझे कुछ अनुभान है। क्मा मही
कायनाभे हैं, जजन ऩय तू अऩने भुसरभान होने का गवम कयता है। क्मा इसी कत्र, खून औय फहते दरयमा से तू दनु नमा भें अऩना
नाभ योशन कये गा ? तन
ू े तक
ु ों के खन
ू फहते दरयमा भें अऩने घोडों के सभ
ु नहीॊ लबगामे हैं, फजल्क इस्राभ को जड से खोदकय पेंक
ददमा है। मह वीय तुकों का ही आत्भोत्सगम है, जजसने मूयोऩ भें इस्राभ की तौहीद पैराई। आज सोकपमा के धगयजे भें तूझे अल्राहो
अकफय की सदा सुनाई दे यही है , साया मूयोऩ इस्राभ का स्वागत कयने को तैमाय है। क्मा मह कायनाभे इसी रामक हैं कक उनका
मह इनाभ लभरे। इस खमार को ददर से ननकार दे कक तू खूॉयेजी से इस्राभ की खखदभत कय यहा है। एक ददन तुझे बी
ऩयवयददगाय के साभने अऩने कभों का जवाफ दे ना ऩडेगा औय तेया कोई उज्र न सुना जामगा; क्मोंकक अगय तुझभें अफ बी नेक
औय फद की तभीज फाकी है , तो अऩने ददर से ऩूछ। तूने मह जजहाद खुदा की याह भें ककमा मा अऩनी हववस के लरमे औय भैं
जानता हूॉ, तझ
ु े जो जवाफ लभरेगा, वह तेयी गदम न शभम से झक
ु ा दे गा।
खरीपा अबी लसय झुकामे ही था कक मजदानी ने काॉऩते हुए शब्दों भें अजम की- जहाॉऩनाह, मह गुराभ का रडका है। इसके ददभाग
भें कुछ कपतूय है। हुजूय इसकी गुस्ताखखमों को भआ
ु प कयें । भैं उसकी सजा झेरने को तैमाय हूॉ।
तैभूय उस मुवक के चेहये की तयप जस्थय नेत्रों से दे ख यहा था। आज जीवन भें ऩहरी फाय उसे ननबीक शब्दों को सुनने का अवसय
लभरा। उसके साभने फडे-फडे सेनाऩनतमों, भॊत्रत्रमों औय फादशाहों की जफान न खुरती थी। वह जो कुछ कहता था, वही कानून था,
मजदानी ने उसी स्वय भें कहा- जहाॉऩनाह, इसकी फदजफानी का खमार न पयभावें ।
तैभूय ने तुयॊत तख्त से उठकय मजदानी को गरे से रगा लरमा औय फोरा- काश, ऐसी गुस्ताखखमों औय फदजफाननमों के सुनने का
ऩहने इत्तपाक होता, तो आज इतने फेगुनाहों का खून भेयी गदम न ऩय न होता। भुझे इस जवान भें ककसी परयश्ते की रूह का
जरवा नजय आता है , जो भुझ जैसे गभ
ु याहों को सच्चा यास्ता ददखाने के लरमे बेजी गमी है। भेये दोस्त, तुभ खुशनसीफ हो कक ऐसे
परयश्ता-लसपत फेटे के फाऩ हो। क्मा भैं उसका नाभ ऩूछ सकता हूॉ।
मजदानी ऩहरे आतशऩयस्त था, ऩीछे भुसरभान हो गमा था; ऩय अबी तक कबी-कबी उसके भन भें शॊकाएॉ उठती यहती थीॊ कक
उसने क्मों इस्राभ कफूर ककमा। जो कैदी पाॉसी के तख्ते ऩय खडा सूखा जा यहा था कक एक ऺण भें यस्सी उसकी गदम न भें ऩडेगी
औय वह रटकता यह जामगा, उसे जैसे ककसी परयश्ते ने गोद भें रे लरमा। वह गद्गद् कॊठ से फोरा- उसे हफीफ कहते हैं।
तैभूय ने मुवक के साभने जाकय उसका हाथ ऩकड लरमा औय उसे आॉखों से रगाता हुआ फोरा- भेये जवान दोस्त, तुभ सचभुच
खुदा के हफीफ हो, भैं वह गुनाहगाय हूॉ, जजसने अऩनी जहारत भें हभेशा अऩने गुनाहों को सवाफ सभझा, इसलरमे कक भुझसे कहा
जाता था, तेयी जात फेऐफ है। आज भूझे मह भारूभ हुआ कक भेये हाथों इस्राभ को ककतना नुकसान ऩहुॉचा। आज से भैं तुम्हाया ही
दाभन ऩकडता हूॉ। तम्
ु हीॊ भेये खखज्र, तम्
ु हीॊ भेये यहनुभा हो। भझ
ु े मकीन हो गमा कक तम्
ु हाये ही वसीरे से भैं खद
ु ा की दयगाह तक
ऩहुॉच सकता हूॉ।
मह कहते हुए उसने मुवक के चेहये ऩय नजय डारी, तो उस ऩय शभम की रारी छामी हुई थी। उस कठोयता की जगह भधुय सॊकोच
झरक यहा था।
मुवक ने लसय झुकाकय कहा- मह हुजूय की कदयदानी है, वयना भेयी क्मा हस्ती है।
तैभूय ने उसे खीॊचकय अऩनी फगर के तख्त ऩय त्रफठा ददमा औय अऩने सेनाऩनत को हुक्भ ददमा, साये तुकम कैदी छोड ददमे जामें
उनके हधथमाय वाऩस कय ददमे जामॉ औय जो भार रूटा गमा है, वह लसऩादहमों भें फयाफय फाॉट ददमा जाम।
वजीय तो इधय इस हुक्भ की ताभीर कयने रगा, उधय तैभूय हफीफ का हाथ ऩकडे हुए अऩने खेभे भें गमा औय दोनों भेहभानों की
दावत का प्रफॊध कयने रगा। औय जफ बोजन सभाप्त हो गमा, तो उसने अऩने जीवन की सायी कथा यो-योकय कह सुनाई, जो आदद
से अॊत तक लभधश्रत ऩशत
ु ा औय फफमयता के कृत्मों से बयी हुई थी। औय उसने मह सफ कुछ इस भ्रभ भें ककमा कक वह ईश्वयीम
आदे श का ऩारन कय यहा है। वह खुदा को कौन भॉह
ु ददखामेगा। योते-योते उसकी दहचककमाॉ फॊध गमीॊ।
मजदानी ने अयज की- हुजूय इतनी कदयदानी पयभाते हैं, तो आऩकी इनामत है , रेककन अबी इस रडके की उम्र ही क्मा है।
वजायत की खखदभत मह क्मा अॊजाभ दे सकेगा । अबी तो इसकी तारीभ के ददन हैं।
इधय से इॊकाय होता यहा औय उधय तैभयू आग्रह कयता यहा। मजदानी इॊकाय तो कय यहे थे, ऩय छाती पूरी जाती थी । भस
ू ा आग
रेने गमे थे, ऩैगॊफयी लभर गमी। कहाॉ भौत के भॉह
ु भें जा यहे थे, वजायत लभर गमी, रेककन मह शॊका बी थी कक ऐसे अजस्थय-धचत्त
आदभी का क्मा दठकाना ? आज खुश हुए, वजायत दे ने को तैमाय हैं, कर नायाज हो गमे तो जान की खैरयमत नहीॊ। उनहें हफीफ की
लरमाकत ऩय बयोसा था, कपय बी जी डयता था कक त्रफयाने दे श भें न जाने कैसी ऩडे, कैसी न ऩडे। दयफायवारों भें षड्मॊत्र होते ही
यहते हैं। हफीफ नेक है , सभझदाय है, अवसय ऩहचानता है ; रेककन वह तजयफा कहाॉ से रामेगा, जो उम्र ही से आता है।
उनहोंने इस प्रश्न ऩय ववचाय कयने के लरमे एक ददन की भुहरत भाॉगी औय रूखसत हुए।
ऐसी मुवती के चाहनेवारों की क्मा कभी। उसके साथ के ककतने ही अपसय, याज ऩरयवाय के ककतने ही मुवक उस ऩय प्राण दे ते थे
, ऩय कोई उसकी नजयों भें न जॉचता था । ननत्म ही ननकाह के ऩैगाभ आते थे , ऩय वह हभेशा इॊकाय कय दे ती थी। वैवादहक
जीवन ही से उसे अरूधच थी- कक मव
ु नतमाॉ ककतने अयभानों से ब्माह कय रामी जाती हैं औय कपय ककतने ननयादय से भहरों भें फॊद
कुस्तुनतुननमा भें ककतनी खुलशमाॉ भनामी गमीॊ, हफीफ का ककतना सम्भान औय स्वागत हुआ, उसे ककतनी फधाइमाॉ लभरी, मह सफ
लरखने की फात नहीॊ। शहय तफाह हुआ जाता था। सॊबव था आज उसके भहरों औय फाजायों से आग की रऩटें ननकरती होतीॊ।
याज्म औय नगय को उस कल्ऩनातीत ववऩजत्त से फचानेवारा आदभी ककतने आदय, प्रेभ श्रद्धा औय उल्रस का ऩात्र होगा, इसकी तो
कल्ऩना बी नहीॊ की जा सकती । उस ऩय ककतने पूरों औय ककतने रार-जवाहयों की वषाम हुई, इसका अनुभान तो कोई कवव ही
कय सकता है। औय नगय की भदहराएॉ हृदम के अऺम बॊडाय से असीसें ननकार- ननकारकय उस ऩय रट
ु ाती थी औय गवम से पूरी
हुई उसका भॉह
ु ननहायकय अऩने को धनम भानती थीॊ । उसने दे ववमों का भस्तक ऊॉचा कय ददमा था।
यात को तैभूय के प्रस्ताव ऩय ववचाय होने रगा। साभने गद्देदाय कुसी ऩय मजदानी था- सौम्म, ववशार औय तेजस्वी। उसकी दादहनी
तयप उसकी ऩत्नी थी, ईयानी लरफास भें, आॉखों भें दमा औय ववश्वास की ज्मोनत बये हुए। फामीॊ तयप उम्भत
ु र
ु हफीफ थी, जो इस
सभम यभणी-वेष भें भोदहनी फनी हुई थी, ब्रह्भचमम के तेज से दीप्त।
मजदानी ने प्रस्ताव का ववयोध कयते हुए कहा- भैं अऩनी तयप से कुछ नहीॊ कहना चाहता , रेककन मदद भझ
ु े सराह दे ने का
अधधकाय है , तो भैं स्ऩष्ट कहता हूॉ कक तम्
ु हें इस प्रस्ताव को कबी स्वीकाय न कयना चादहए , तैभयू से मह फात फहुत ददन तक
नछऩी नहीॊ यह सकती कक तुभ क्मा हो। उस वक्त क्मा ऩरयजस्थनत होगी , भैं नहीॊ कह सकता। औय महाॉ इस ववषम भें जो कुछ
टीकाएॉ होंगी, वह तुभ भुझसे ज्मादा जानती हो। महाॉ भै भौजूद था औय कुत्सा को भॉह
ु न खोरने दे ता था ऩय वहाॉ तुभ अकेरी
यहोगी औय कुत्सा को भनभाने, आयोऩ कयने का अवसय लभरता यहे गा।
उसकी ऩत्नी स्वेच्छा को इतना भहत्व न दे ना चाहती थी । फोरी- भैंने सुना है, तैभूय ननगाहों का अच्छा आदभी नहीॊ है। भैं ककसी
तयह तुझे न जाने दग
ू ीॊ। कोई फात हो जाम तो सायी दनु नमा हॉसे। मों ही हॉसनेवारे क्मा कभ हैं ?
भाता ने छाती ऩय हाथ यखकय कहा- मह क्मा गजफ कयती है फेटी। सोच तो दनु नमा क्मा कहे गी।
मजदानी बी लसय थाभकय फैठ गमे , भानो हृदम भें गोरी रग गमी हो। भॉह
ु से एक शब्द बी न ननकरा।
हफीफ त्मोरयमों ऩय फर डारकय फोरी- अम्भीजान , भैं आऩके हुक्भ से जौ-बय बी भॉह
ु नहीॊ पेयना चाहती। आऩको ऩूया अजख्तमाय
है, भुझे जाने दें मा न दें रेककन भुल्क की खखदभत का ऐसा भौका शामद भुझे जजॊदगी भें कपय न लभरे। इस भौके को हाथ से खो
दे ने का अपसोस भझ
ु े उम्र-बय यहे गा । भुझे मकीन है कक अभीय तैभूय को भैं अऩनी ददमानत, फेगयजी औय सच्ची वपादायी से
इनसान फना सकती हूॉ औय शामद उसके हाथों खद
ु ा के फॊदो का खन
ू इतनी कसयत से न फहे । वह ददरेय है , भगय फेयहभ नहीॊ ।
कोई ददरेय आदभी फेयहभ नहीॊ हो सकता । उसने अफ तक जो कुछ ककमा है , भजहफ के अॊधे जोश भें ककमा है। आज खुदा ने
भुझे वह भौका ददमा है कक भैं उसे ददखा दॉ ू कक भजहफ खखदभत का नाभ है, रूट औय कत्र का नहीॊ। अऩने फाये भें भुझे भुतरक
अॊदेशा नहीॊ है। भै अऩनी दहपाजत आऩ कय सकती हूॉ । भुझे दावा है कक अऩने पजम को नेकनीमती से अदा कयके भैं दश्ु भनों की
जुफान बी फॊद कय सकती हूॉ, औय भान रीजजए भझ
ु े नाकाभी बी हो, तो क्मा सचाई औय हक के लरमे कुफामन हो जाना जजॊदगीॊ की
सफसे शानदाय पतह नहीॊ है। अफ तक भैंने जजस उसूर ऩय जजॊदगी फसय की है , उसने भुझे धोखा नहीॊ ददमा औय उसी के पैज से
आज भझ
ु े मह दजाम हालसर हुआ है, जो फडे-फडो के लरमे जजॊदगी का ख्वाफ है। भेये आजभामे हुए दोस्त भझ
ु े कबी धोखा नहीॊ दे
सकते । तैभूय ऩय भेयी हकीकत खुर बी जाम, तो क्मा खौप । भेयी तरवाय भेयी दहपाजत कय सकती है। शादी ऩय भेये खमार
आऩको भारूभ हैं। अगय भुझे कोई ऐसा आदभी लभरेगा, जजसे भेयी रूह कफूर कयती हो, जजसकी जात अऩनी हस्तीक को खोकय भैं
अऩनी रूह को ऊॉचा उठा सकूॉ, तो भैं उसके कदभों ऩय धगयकय अऩने को उसकी नजय कय दग
ू ीॊ।
मजदानी ने खुश होकय फेटी को गरे रगा लरमा । उसकी स्त्री इतनी जल्द आश्वस्त न हो सकी। वह ककसी तयह फेटी को अकेरी
न छोडेगी । उसके साथ वह बी जामगी।
कई भहीने गज
ु य गमे। मव
ु क हफीफ तैभयू का वजीय है, रेककन वास्तव भें वही फादशाह है। तैभयू उसी की आॉखों से दे खता है, उसी
के कानों से सुनता है औय उसी की अक्र से सोचता है। वह चाहता है , हफीफ आठों ऩहय उसके ऩास यहे । उसके साभीप्म भें उसे
स्वगम का-सा सुख लभरता है। सभयकॊद भें एक प्राणी बी ऐसा नहीॊ, जो उससे जरता हो। उसके फतामव ने सबी को भुग्ध कय लरमा
है, क्मोंकक वह इनसाप से जौ-बय बी कदभ नहीॊ हटाता। जो रोग उसके हाथों चरती हुई नमाम की चक्की भें वऩस जाते हैं, वे बी
उससे सद्बाव ही यखते हैं, क्मोंकक वह नमाम को जरूयत से ज्मादा कटु नहीॊ होने दे ता।
सॊध्मा हो गमी थी। याज्म कभमचायी जा चुके थे । शभादान भें भोभ की फजत्तमाॉ जर यही थीॊ। अगय की सुगॊध से साया दीवानखाना
भहक यहा था। हफीफ उठने ही को था कक चोफदाय ने खफय दी- हुजूय जहाॉऩनाह तशयीप रा यहे हैं।
हफीफ इस खफय से कुछ प्रसनन नहीॊ हुआ। अनम भॊत्रत्रमों की बाॉनत वह तैभूय की सोहफत का बूखा नहीॊ है। वह हभेशा तैभूय से दयू
यहने की चेष्टा कयता है। ऐसा शामद ही कबी हुआ हो कक उसने शाही दस्तयखान ऩय बोजन ककमा हो। तैभूय की भजलरसों भें बी
वह कबी शयीक नहीॊ होता। उसे जफ शाॊनत लभरती है , तफ एकाॊत भें अऩनी भाता के ऩास फैठकय ददन-बय का भाजया उससे कहता
है औय वह उस ऩय अऩनी ऩसॊद की भुहय रगा दे ती है।
हफीफ का हृदम धक से हो उठा । कहीॊ अभीय ऩय नायीत्व का यहस्म खुर तो नहीॊ गमा। उसकी सभझ भें न आमा कक उसे क्मा
जवाफ दे । उसका कोभर हृदम तैभूय की इस करूण आत्भग्रानन ऩय द्रववत हो गमा । जजसके नाभ से दनु नमा काॉऩती है , वह उसके
साभने एक दमनीम प्राणी फना हुआ उससे प्रकाश की बीऺा भाॉग यहा है। तैभूय की उस कठोय ववकृत शष्ु क दहॊसात्भक भुद्रा भें उसे
एक जस्नग्ध भधुय ज्मोनत ददखाई दी, भानो उसका जाग्रत वववेक बीतय से झाॉक यहा हो। उसे अऩना जस्थय जीवन, जजसभें ऊऩय
उठने की स्भनृ त ही न यही थी, इस ववपर उद्मोग के साभने तच्
ु छ जान ऩडा।
उसने भुग्ध कॊठ से कहा- हजूय इस गुराभ की इतनी कद्र कयते है , मह भेयी खुशनसीफी है, रेककन भेया शाही भहर भें यहना
भुनालसफ नहीॊ ।
'इसलरमे कक जहाॉ दौरत ज्मादा होती है , वहाॉ डाके ऩडते हैं औय जहाॉ कद्र ज्मादा होती है , वहाॉ दश्ु भन बी ज्मादा होते है।'
'भै खुद अऩना दश्ु भन हो जाऊॉगा। आदभी का सफसे फडा दश्ु भन गरूय है।'
तैभूय को जैसे कोई यत्न लभर गमा। उसे अऩनी भन्तुजष्ट का आबास हुआ। आदभी का सफसे फडा दश्ु भन गरूय है इस वाक्म को
भन-ही-भन दोहया कय उसने कहा- तुभ भेये काफू भें कबी न आओगे हफीफ। तुभ वह ऩरयॊदा हो, जो आसभान भें ही उड सकता है।
उसे सोने के वऩॊजडे भें बी यखना चाहो तो पडपडाता यहे गा। खैय, खुदा हाकपज।
वह तुयॊत अऩने भहर की ओय चरा, भानो उस यत्न को सुयक्षऺत स्थान भें यख दे ना चाहता हो। मह वाक्म ऩहरी फाय उसने न
सुना था ऩय आज इससे जो ऻान, जो आदे श जो सत्प्रेयणा उसे लभरी, वह कबी न लभरी थी।
तैभूय भुस्कयामा- भेयी जान की तुम्हायी जान के भुकाफरे भें कोई हकीकत नहीॊ है हफीफ ।कपय भैंने तो कबी जान की ऩयवाह न
की। भैंने दनु नमा भें कत्र औय रूट के लसवा औय क्मा मादगाय छोडी। भेये भय जाने ऩय दनु नमा भेये नाभ को योमेगी नहीॊ, मकीन
भानो। भेये जैसे रट
ु े ये हभेशा ऩैदा होते यहें गे , रेककन खद
ु ा न कये , तम्
ु हाये दश्ु भनों को कुछ हो गमा, तो मह सल्तनत खाक भें लभर
जामगी, औय तफ भुझे बी सीने भें खॊजय चुबा रेने के लसवा औय कोई यास्ता न यहे गा। भै नहीॊ कह सकता हफीफ तुभसे भैंने
ककतना ऩामा। काश, दस-ऩाॉच सार ऩहरे तुभ भुझे लभर जाते, तो तैभूय तायीख भें इतना रूलसमाह न होता। आज अगय जरूयत ऩडे,
तो भैं अऩने जैसे सौ तैभूयों को तुम्हाये ऊऩय ननसाय कय दॉ ू । मही सभझ रो कक भेयी रूह को अऩने साथ लरमे जा यहे हो। आज
भै तुभसे कहता हूॉ हफीफ कक भुझे तुभसे इश्क है इसे भैं अफ जान ऩामा हूॉ । भगय इसभें क्मा फुयाई है कक भै बी तुम्हाये साथ
चरॉ ।ू
हफीफ ने धडकते हुए हृदम से कहा- अगय भैं आऩकी जरूयत सभझॉ ग
ू ा तो इत्तरा दॊ ग
ू ा।
तैभूय ने दाढी ऩय हाथ यखकय कहा- जैसी तुम्हायी भजी रेककन योजाना कालसद बेजते यहना, वयना शामद भैं फेचैन होकय चरा
आऊॉ।
तैभयू ने ककतनी भह
ु ब्फत से हफीफ के सपय की तैमारयमाॉ की। तयह-तयह के आयाभ औय तकल्रप
ु की चीजें उसके लरमे जभा कीॊ।
उस कोदहस्तान भें मह चीजें कहाॉ लभरेंगी। वह ऐसा सॊरग्न था, भानों भाता अऩनी रडकी को ससुयार बेज यही हो।
जजस वक्त हफीफ पौज के साथ चरा, तो साया सभयकॊद उसके साथ था औय तैभूय आॉखों ऩय रूभार यखे, अऩने तख्त ऩय ऐसा
लसय झक
ु ामे फैठा था, भानो कोई ऩऺी आहत हो गमा हो।
इस्तखय अयभनी ईसाईमों का इराका था, भुसरभानों ने उनहें ऩयास्त कयके वहाॉ अऩना अधधकाय जभा लरमा था औय ऐसे ननमभ
फना ददमे थे, जजससे ईसाइमों को ऩग-ऩग अऩनी ऩयाधीनता का स्भयण होता यहता था। ऩहरा ननमभ जजजए का था, जो हये क
ईसाई को दे ना ऩडता था, जजससे भस
ु रभान भक्
ु त थे। दस
ू या ननमभ मह था कक धगयजों भें घॊटा न फजे। तीसया ननमभ भददया का
था, जजसे भस
ु रभान हयाभ सभझते थे। ईसाईमों ने इन ननमभों का कक्रमात्भक ववयोध ककमा औय जफ भुसरभान अधधकारयमों ने
शस्त्र-फर से काभ रेना चाहा, तो ईसाइमों ने फगावत कय दी, भुसरभान सूफेदाय को कैद कय लरमा औय ककरे ऩय सरीफी झॊडा
उडने रगा।
हफीफ को महाॉ आज दस
ू या ददन है ; ऩय इस सभस्मा को कैसे हर कये । उसका उदाय हृदम कहता था, ईसाइमों ऩय इन फॊधनों का
कोई अथम नहीॊ । हये क धभम का सभान रूऩ से आदय होना चादहए , रेककन भुसरभान इन कैदों को हटा दे ने ऩय कबी याजी न
होगें । औय मह रोग भान बी जाएॉ तो तैभूय क्मों भानने रगा। उसके धालभमक ववचायों भें कुछ उदायता आई है , कपय बी वह इन
कैदों को उठाना कबी भॊजूय न कये गा, रेककन क्मा वह ईसाइमों को सजा दे कक वे अऩनी धालभमक स्वाधीनता के लरमे रड यहे हैं।
जजसे वह सत्म सभझता है, उसकी हत्मा कैसे कये । नहीॊ, उसे सत्म का ऩारन कयना होगा, चाहे इसका नतीजा कुछ बी हो। अभीय
सभझेगें भैं जरूयत से ज्मादा फढा जा यहा हूॉ। कोई भज
ु ामका नहीॊ।
भुसरभानों भें तहरका ऩड गमा। मह कुफ्र है, हयाभऩयस्ती है। अभीय तैभूय ने जजस इस्राभ को अऩने खून से सीॊचा, उसकी जड
उनहीॊ के वजीय हफीफ ऩाशा के हाथों खुद यही है। ऩाॉसा ऩरट गमा। शाही पौज भुसरभानों से जा लभरी। हफीफ ने इस्तीखय के
ककरे भें ऩनाह री। भस
ु रभानों की ताकत शाही पौज के लभर जाने से फहुत फढ गमी थी। उनहोंने ककरा घेय लरमा औय मह
सभझकय कक हफीफ ने तैभूय से फगावत की है, तैभूय के ऩास इसकी सूचना दे ने औय ऩरयजस्थनत सभझाने के लरमे कालसद बेजा।
आधी यात गुजय चुकी थी। तैभूय को दो ददनों से इस्तखय की कोई खफय न लभरी थी। तयह-तयह की शॊकाएॉ हो यही थीॊ। भन भें
ऩछतावा हो यहा था कक उसने क्मों हफीफ को अकेरा जाने ददमा । भाना कक वह फडा नीनतकुशर है , ऩय फगावत कहीॊ जोय ऩकड
गमी तो भुट्ठी-बय आदलभमों से वह क्मा कय सकेगा । औय फगावत मकीनन जोय ऩकडेगी । वहाॉ के ईसाई फरा के सयकश है। जफ
उनहें भारूभ होगा कक तैभूय की तरवाय भें जॊग रग गमा औय उसे अफ भहरों की जजॊदगी ऩसॊद है, तो उनकी दहम्भत दन
ू ी हो
जामगी। हफीफ कहीॊ दश्ु भनों से नघय गमा, तो फडा गजफ हो जामगा।
तैभूय ने त्मोरयमाॉ चढाकय ऩूछा- क्मा खफय रामा है। तीन ददन के फाद आमा बी तो इतनी यात गमे।
'हाॉ खुदाफॊद।'
'ककसने।'
'हूॉ।'
'हूॉ।'
'हूॉ।'
'हुजूय हभाये भालरक हैं। अगय हभायी कुछ भदद न हुई तो वहाॉ एक भुसरभान बी जजॊदा न फचेगा।'
औय इसलरमे भेये वपादाय इस्राभ के खाददभों ने उनहें कैद कय यखा है। भुभककन है , भेये ऩहुॉचते-ऩहुॉचते उनहें कत्र बी कय दें ।
फदजात, दयू हो जा भेये साभने से। भुसरभान सभझते है, हफीफ भेया नौकय है औय भै उसका आका हूॉ। मह गरत है, झूठ है। इस
सल्तनत का भालरक हफीफ है, तैभूय उसका अदना गुराभ है। उसके पैसरे भें तैभूय दस्तॊदाजी नहीॊ कय सकता । फेशक जजजमा
भआ
ु प होना चादहए। भझ
ु े भजाज नहीॊ कक दस
ू ये भजहफ वारों से उनके ईभान का तावान रॉ ।ू कोई भजाज नहीॊ है ; अगय भजस्जद
भें अजान होती है , तो करीसा भें घॊटा क्मों फजे। घॊटे की आवाज भें कुफ्र नहीॊ है। काकपय वह है , जा दस
ू यों का हक छीन रे जो
गयीफों को सतामे, दगाफाज हो, खुदगयज हो। काकपय वह नहीॊ, जो लभट्टी मा ऩत्थय के एक टुकडे भें खुदा का नूय दे खता हो, जो
नददमों औय ऩहाडों भे, दयख्तों औय झाडडमों भें खुदा का जरवा ऩाता हो। वह हभसे औय तुभसे ज्माकदा खुदाऩयस्त है , जो भजस्जद
भें खुदा को फॊद सभझते हैं। तू सभझता है, भैं कुफ्र फक यहा हूॉ ? ककसी को काकपय सभझना ही कुफ्र है। हभ सफ खुदा के फॊदे हैं,
सफ । फस जा औय उन फागी भस
ु रभानों से कह दे , अगय पौयन भुहासया न उठा लरमा गमा, तो तैभूय कमाभत की तयह आ
ऩहुॉचेगा।
कालसद हतफुवद्ध-सा खडा ही था कक फाहय खतये का त्रफगुर फज उठा औय पौजें ककसी सभय-मात्रा की तैमायी कयने रगीॊ।
भगय मह क्मा फात है। शाही पौज सपेद झॊडा ददखा यही है। तैभूय रडने नहीॊ सुरह कयने आमा है। उसका स्वागत दस
ू यी तयह
का होगा। ईसाई सयदायों को साथ लरमे हफीफ ककरे के फाहय ननकरा। तैभूय अकेरा घोडे ऩय सवाय चरा आ यहा था। हफीफ घोडे
से उतयकय आदाफ फजा रामा। तैभूय घोडे से उतय ऩडा औय हफीफ का भाथा चूभ लरमा औय फोरा- भैं सफ सुन चुका हूॉ हफीफ।
तुभने फहुत अच्छा ककमा औय वही ककमा जो तुम्हाये लसवा दस
ू या नहीॊ कय सकता था। भुझे जजजमा रेने का मा ईसाइमों से
भजहफी हक छीनने का कोई भजाज न था। भै आज दयफाय कयके इन फातों की तसदीक कय दॉ ग
ू ा औय तफ भैं एक ऐसी तजवीज
फताऊॉगा जो कई ददन से भेये जेहन भें आ यही है औय भझ
ु े उम्भीद है कक तभ
ु उसे भॊजयू कय रोगे। भॊजयू कयना ऩडेगा।
हफीफ के चेहये का यॊ ग उड यहा था। कहीॊ हकीकत खुर तो नहीॊ गमी। वह क्मा तजवीज है ; उसके भन भें खरफरी ऩड गमी।
हफीफ ने शयभाते हुए कहा- हक के साभने अभीय तैभयू की बी कोई हकीकत नहीॊ।
फेशक-फेशक ! तुभभें परयश्तों का ददर है, तो शेयों की दहम्भत बी है, रेककन अपसोस मही है कक तुभने मह गुभान ही क्मों ककमा
कक तैभूय तुम्हाये पैसरे को भॊसूख कय सकता है। मह तुम्हायी जात है , जजसने भुझे फतरामा है कक सल्तनत ककसी आदभी की
जामदाद नहीॊ फजल्क एक ऐसा दयख्त है , जजसकी हये क शाख औय ऩत्ती एक-सी खयु ाक ऩाती है।
दोनों ककरे भें दाखखर हुए। सूयज डूफ चूका था । आन-की-आन भें दयफाय रग गमा औय उसभें तैभूय ने ईसाइमों के धालभमक
अधधकायों को स्वीकाय ककमा।
चायों तयप से आवाज आमी- खुदा हभाये शाहॊशाह की उम्र दयाज कये ।
'दोस्तों, उन हकों के साथ-साथ भैं आऩकी सल्तनत बी आऩको वाऩस कयता हूॉ क्मोंकक खुदा की ननगाह भें सबी इनसान फयाफय है
औय ककसी कौभ मा शख्स को दस
ू यी कौभ ऩय हुकूभत कयने का अजख्तमाय नहीॊ है। आज से आऩ अऩने फादशाह है। भझ
ु े उम्भीद
है कक आऩ बी भुजस्रभ आफादी को उसके जामज हकों से भहरूभ न कयें गे । भगय कबी ऐसा भौका आमे कक कोई जात्रफय कौभ
आऩकी आजादी छीनने की कोलशश कये , तो तैभूय आऩकी भदद कयने को हभेशा तैमाय यहे गा।
10
सहसा तैभूय ने कहा- हफीफ, भैंने आज तक तुम्हायी हये क फात भानी है। अफ भै तुभसे मह तजवीज कयता हूॉ जजसका भैंने जजक्र
ककमा था। उसे तुम्हें कफूर कयना ऩडेगा।
'नहीॊ, तभ
ु भेये भालरक हो, भेयी जजॊदगी की योशनी हो, तभ
ु से भैंने जजतना पैज ऩामा है, उसका अॊदाजा नहीॊ कय सकता । भैंने अफ
तक सल्तनत को अऩनी जजॊदगी की सफसे प्मायी चीज सभझा था। इसके लरमे भैंने वह सफ कुछ ककमा जो भुझे न कयना चादहए
था। अऩनों के खून से बी इन हाथों को दागदाय ककमा गैयों के खून से बी। भेया काभ अफ खत्भ हो चुका। भैंने फुननमाद जभा दी
इस ऩय भहर फनाना तुम्हाया काभ है। भेयी मही इल्तजा है कक आज से तुभ इस फादशाहत के अभीय हो जाओ, भेयी जजॊदगी भें
बी औय भयने के फाद बी।
हफीफ ने आकाश भें उडते हुए कहा- इतना फडा फोझ। भेये कॊधे इतने भजफूत नहीॊ हैं।
तैभयू ने दीन आग्रह के स्वय भें कहा- नहीॊ भेये प्माये दोस्त , भेयी मह इल्तजा भाननी ऩडेगी।
हफीफ की आॉखों भें हॉसी थी, अधयों ऩय सॊकोच । उसने आदहस्ता से कहा- भॊजूय है।
'कफ से ?'