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ठाकुर का कुआँ
ठाकुर का कुआँ
गॊगी प्रततददन शाभ ऩानी बय लरमा कयती थी । कुआॉ दयू था, फाय-फाय जाना भुश्ककर था । कर वह ऩानी रामी, तो उसभें फू
बफरकुर न थी, आज ऩानी भें फदफू कैसी ! रोटा नाक से रगामा, तो सचभुच फदफू थी । जरुय कोई जानवय कुएॉ भें गगयकय भय
गमा होगा, भगय दस
ू या ऩानी आवे कहाॉ से?
ठाकुय के कुएॉ ऩय कौन चढ़ने दे गा ? दयू से रोग डाॉट फतामेंगे । साहू का कुआॉ गाॉव के उस लसये ऩय है , ऩयॊ तु वहाॉ बी कौन ऩानी
बयने दे गा ? कोई तीसया कुआॉ गाॉव भें है नह ॊ।
जोखू कई ददन से फीभाय है। कुछ दे य तक तो प्मास योके चुऩ ऩडा यहा, फपय फोरा- अफ तो भाये प्मास के यहा नह ॊ जाता । रा,
थोडा ऩानी नाक फॊद कयके ऩी रॉ ू ।
गॊगी ने ऩानी न ददमा । खयाफ ऩानी से फीभाय फढ़ जामगी इतना जानती थी, ऩयॊ तु मह न जानती थी फक ऩानी को उफार दे ने से
उसकी खयाफी जाती यहती हैं । फोर - मह ऩानी कैसे पऩमोगे ? न जाने कौन जानवय भया है। कुएॉ से भैं दस
ू या ऩानी रामे दे ती हूॉ।
ठाकुय औय साहू के दो कुएॉ तो हैं। क्मा एक रोटा ऩानी न बयने दें गे?
'हाथ-ऩाॉव तुडवा आमेगी औय कुछ न होगा । फैठ चुऩके से । ब्रह्भ-दे वता आशीवायद दें गे, ठाकुय राठी भाये गें, साहूजी एक के ऩाॉच
रें गे । गय फों का ददय कौन सभझता है ! हभ तो भय बी जाते है , तो कोई दआ
ु य ऩय झाॉकने नह ॊ आता, कॊधा दे ना तो फडी फात है।
ऐसे रोग कुएॉ से ऩानी बयने दें गे ?'
इन शब्दों भें कडवा सत्म था । गॊगी क्मा जवाफ दे ती, फकन्तु उसने वह फदफूदाय ऩानी ऩीने को न ददमा ।
कुप्ऩी की धुॉधर योशनी कुएॉ ऩय आ यह थी । गॊगी जगत की आड भें फैठी भौके का इॊतजाय कयने रगी । इस कुएॉ का ऩानी
साया गाॉव ऩीता है । फकसी के लरए योका नह ॊ, लसपय मे फदनसीफ नह ॊ बय सकते ।
गॊगी का पवद्रोह ददर रयवाजी ऩाफॊददमों औय भजफूरयमों ऩय चोटें कयने रगा- हभ क्मों नीच हैं औय मे रोग क्मों ऊॉच हैं ? इसलरए
फक मे रोग गरे भें तागा डार रेते हैं ? महाॉ तो श्जतने है , एक- से-एक छॉ टे हैं । चोय मे कयें , जार-पये फ मे कयें , झूठे भुकदभे मे
कुएॉ ऩय फकसी के आने की आहट हुई । गॊगी की छाती धक-धक कयने रगी । कह ॊ दे ख रें तो गजफ हो जाम । एक रात बी तो
नीचे न ऩडे । उसने घडा औय यस्सी उठा र औय झुककय चरती हुई एक वऺ
ृ के अॊधेये सामे भे जा खडी हुई । कफ इन रोगों
को दमा आती है फकसी ऩय ! फेचाये भहॉगू को इतना भाया फक भह नो रहू थक
ू ता यहा। इसीलरए तो फक उसने फेगाय न द थी ।
इस ऩय मे रोग ऊॉचे फनते हैं ?
'खाना खाने चरे औय हुक्भ हुआ फक ताजा ऩानी बय राओ । घडे के लरए ऩैसे नह ॊ हैं।'
'हभ रोगों को आयाभ से फैठे दे खकय जैसे भयदों को जरन होती है ।'
'हाॉ, मह तो न हुआ फक करलसमा उठाकय बय राते। फस, हुकुभ चरा ददमा फक ताजा ऩानी राओ, जैसे हभ रौं डमाॉ ह तो हैं।'
'रौ डॊमाॉ नह ॊ तो औय क्मा हो तुभ? योट -कऩडा नह ॊ ऩातीॊ ? दस-ऩाॉच रुऩमे बी छीन- झऩटकय रे ह रेती हो। औय रौ डमाॉ कैसी
होती हैं!'
'भत रजाओ, द द ! तछन-बय आयाभ कयने को जी तयसकय यह जाता है। इतना काभ फकसी दस
ू ये के घय कय दे ती, तो इससे कह ॊ
आयाभ से यहती। ऊऩय से वह एहसान भानता ! महाॉ काभ कयते- कयते भय जाओ; ऩय फकसी का भॉह
ु ह सीधा नह ॊ होता ।'
उसने यस्सी का पॊदा घडे भें डारा । दामें-फामें चौकन्नी दृश्टट से दे खा जैसे कोई लसऩाह यात को शिु के फकरे भें सुयाख कय यहा
हो । अगय इस सभम वह ऩकड र गमी, तो फपय उसके लरए भापी मा रयमामत की यत्ती-बय उम्भीद नह ॊ । अॊत भे दे वताओॊ को
माद कयके उसने करेजा भजफूत फकमा औय घडा कुएॉ भें डार ददमा ।
घडे ने ऩानी भें गोता रगामा, फहुत ह आदहस्ता । जया बी आवाज न हुई । गॊगी ने दो- चाय हाथ जल्द -जल्द भाये ।घडा कुएॉ के
भॉह
ु तक आ ऩहुॉचा । कोई फडा शहजोय ऩहरवान बी इतनी तेजी से न खीॊच सकता था।
गॊगी झुकी फक घडे को ऩकडकय जगत ऩय यखे फक एकाएक ठाकुय साहफ का दयवाजा खुर गमा । शेय का भॉह
ु इससे अगधक
बमानक न होगा।
गॊगी के हाथ से यस्सी छूट गमी । यस्सी के साथ घडा धडाभ से ऩानी भें गगया औय कई ऺण तक ऩानी भें दहरकोये की आवाजें
सन
ु ाई दे ती यह ॊ ।