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t=1364761

ननद क े नंग
ले ख़का – कोमल_komaalrani (यूट_रानी)

#ह%द& फॅा%ट- jaunpur

दोत, यह कहानी मुझे बहुत अ,छ. लगी। िजसे रानी कौर ने ‘8यूटरानी_69’ के नाम से (ग़ा@शप पर कोमल
रानी) याहू Dुप-FहंदH_लव_मेJकं ग_टोरHस पर रोमन FहंदH मK @लखी थी। मN इसे FहंदH (दे वनागरH) @लPप मK Qतत

कर रहा हूँ। उTमीद करता हूँ Jक आप लोग भी इस कहानी का मज़ा लKगे और कमK ट दे ते रहK गे।

धZयवाद।

***** *****

छोट छोट जोबना दाबे म0 मजा दे य,


ननद& हमार&, अरे बहना तु5हार& चोदै म0 मजा दे य।

मN अपने सैयां के सामने अपनी ननद डालH के @लये लH, Pपंक टHन-^ा लहराकर उZहK छे ड़ रहH थी। वो `ाईव कर
रहे थे। उनके पैZट मK उभरते बbज को सहलाते हुए मN बोलH- “अरे उसकe ^ा दे खकर ये हाल हो रहा है , तो
अZदर का माल दे खोगे तो 8या हाल होगा?”

“अरे वो अभी छोटH है …” Qोटे ट करते हुए वो बोले।

“छोटH है या तुTहारा मतलब है Jक उसका छोटा है । अरे पZhह Fदन रहोगे ना अबकe तो मसल-मसलकर मींज-
मींज कर बड़ा कर दे ना। मेरा भी तो तम
ु ने शादH के एक साल के अंदर हH 34सी से बढ़ाकर 36डी कर Fदया
था…” अदा से अपना जोबन उभारकर उZहK ललचाते हुए, उनसे और सटकर मN बोलH।

हम लोग उनकe किजन @सटर नीता (जो डालH कe मझलH बहन थी) कe शादH के @लये शाPपंग करके लौट रहे
थे। हमK कल सुबह हH उनके ‘मायके’ शादH के @लये जाना था। मNने अपनी ननद डालH के @लये, शादH के @लये
कुछ बहुत से8सी kरवी@लंग `ेसेज़ लH थीं, उसी के साथ एक पुश-अप, िकन टाईट लगभग पारदशl लेसी ^ा भी
लH थी और उZहK Fदखाकर पछ ू ा- 8य पसंद है ?

वह बेचारे , उZहने समझा Jक मेरे @लये है तो हँसकर कहा- “बहुत से8सी लगेगी…”

“और 8या गुmडी के (डालH का घर का नाम गुmडी था) उभार उभरकर सामने आएंगK…” मNने उZहK छे ड़ा। और तब
से मN उZहK छे ड़ रहH थी- “8य 8या याद आ रहH है उसकe, सोचने से इoता तZना रहा है तो कल दे खने पे 8या
होगा? पर इसका दोष नहHं है , वह सालH माल हH इoती मत है …” उनके जीZस पे उभरे बbज को मNने अपने लंबK
नाखून से कसकर रगड़ते हुए, गाल से गाल सहलाकर बोला।

राजीव से अब नहHं रहा गया। उसने कसकर मेरे टाईट कुतq के ऊपर से मेरे sनपbस को पकड़कर खूब कसकर
मसल Fदया।

“उई आईई…” मN tचbलाई- “गलती करे कोई, भरे कोई। याद तT


ु हK मेरH ननद के जोबन कe आ रहH है और मसले
मेरे जा रहे हN। पर कोई बात नहHं, कल पहुँच रहे हN ना… मN तुमसे अपनी ननद कe चुदाई करवा के रहूंगी…”

तब तक गाड़ी `ाईव-वे के अंदर घस ु गयी थी। गाड़ी रोकते हुये राजीव ने मुझे कसकर पकड़ते हुए कहा- “अभी
दे खो ननद कe चुदाई होती है या भाभी कe?”

1
अभी uम के अZदर पहुँचकर मNने सामान के पैकेट रखे भी नहHं थे कe राजीव ने पीछे से कुतq के ऊपर से मेरे
मत मTमे कसकर पकड़ @लये।

मN- “हे हे … बेडuम मK चलते हN ना, 8य बेसबरे हो रहे हो। माना अपने माल कe याद आ रहH है …”

पर राजीव को कहां सबर थी। एक हाथ से मेरे मTमे कस-कसकर मसल रहे थे और दस
ू रे से वह मेरH तंग
शलवार का नाड़ा खोल रहे थे। पल भर मK मेरH शलवार खुलकर मेरे घट
ु न मK फँस गयी थी और मेरा कुताw भी
^ा के ऊपर उठ गया था। मNने झुक कर अपने दोन हाथ सोफे पे रख Fदये थे, और मेरे कसे भारH sनतंब उसकe
जीZस से बिbक उसके खुंटे से रगड़ खा रहे थे। लग रहा था Jक उसका बेताब हtथयार उसकe जींस और मेरH
पNटH फाड़कर अंदर घुस जायेगा। उसका एक हाथ कस-कसकर मेरH लेसी हाफ-^ा के ऊपर से हH मेरे मTमे खूब
कस-कसकर मसल रहा था और दस
ू रा मेरH थांग पNटH के ऊपर से, मेरे लव हठ को सहला रहा था।

राजीव कe यह बात मुझे बहुत पसंद थी। हमारH शादH के साल भर से थोड़ा yयादा हH हो गये थे, पर अभी भी
वह कभी भी कहHं भी, `ाzग uम, बाथuम, Jकचेन, पोचw मK, कार मK , सुबह, शाम, Fदन दहाड़े, एकदम से मेरा
Fदवाना था। एक बार तो हम लोग उसके एक दोत के यहां गये थे, दो चार पेग yयादा लगा @लया और… उसी
के यहां बाथuम मK मN लाख ना नक
ु ु र करती रहH पर वह कहां छोड़ने वाला था। स{ताहांत मK तो अ8सर दो-दो
Fदन हम दोन कपड़े हH नहHं पहनते थे, खाना बनाते, खाते, नहाते।

मेरH |ांट ओपेन ^ा उसने खोल दH थी और मेरे कड़े खड़े गल


ु ाबी sनपल कसकर मसले जा रहे थे और अब मेरH
पNटH के अंदर उँ गलH मेरH गीलH योsन के अंदर रगड़-रगड़ के जा रहH थी। मNने अपने मत sनतंब उसके खूंटे पे
रगड़ते हुये, छे ड़ा- “अभी तो अपने माल के बारे मK सोचकर इसका ये हाल है। कल जब वह सामने पड़ेगी तो
इसका 8या हाल होगा?”

राजीव- “कल कe कल दे खी जायेगी, अभी तो अपनी बचाओ…”

उसकe जींस और ^ीफ अब नीचे उतर चुकe थी और एक झटके मK उसने मेरH लेसी पNटH भी नीचे सरका दH। अब
उसका मोटा ल~ड सीधे मेरH गुलाबी फुदफुदाती बरु को रगड़ रहा था। उसने मेरे नीचे वाले दोन गीले हठ को
फैलाकर, अपने पहाड़ी आलू ऐसे मोटे सुपाड़े को, सीधे फंसा Fदया और कसकर एक बार मेरे sनपल और ि8लट
दोन Pपंच कर @लये।

“ऊईई…ई…ई…ई…” कुछ ददw और कुछ मजे से मN tचbला पड़ी।

पर उसे कुछ फकw नहHं पड़ना था। उसने मेरH पतलH कमर अब कसकर पकड़ी और एक बार मK अपना परू ा मस
ू ल
कसकर ढकेल Fदया।

उइई… मN Jफर चीख पड़ी। बना वैसलHन के अभी भी लगता था। पर मुझे अब अपने tचढ़ाने कe पूरH सजा
@मलनी थी। उसने मेरा चेहरा खींचकर अपनी ओर Jकया और कसकर मेरे गुलाबी रसीले हठ अपने हठ मK भींच
@लये और एक बार Jफर दोन हाथ से कमर को पकड़कर कसकर ध8का मारा। चार पांच जबदw त ध8क के बाद
अब परू ा अंदर था। थोड़ी हH दे र मK मNने महसूस Jकया Jक मेरH जब
ु ान, उनकe जीभ से लड़ कर मजे ले रहH है ,
और मेरे चूतड़ धीमे-धीमे आगे पीछे हो रहे हN। मुझे भी अब खूब रस आने लगा था। मेरH चूत उनके ल~ड को
हbके-हbके भींच रहH थी।

उZहने अपना ल~ड सुपाड़े तक बाहर sनकालकर Jफर धीमे-धीमे, रस लेते हुये, मेरH कसी बुर मK कसकर रगड़ते
हुए, अZदर पेलना शu
ु Jकया। मजे मK मेरH चtू चयां कड़ी होकर पoथर कe तरह हो गयी थीं। एक हाथ से उZहने
मेरे रसीले जोबन का रस लेना शुu Jकया और दस
ू रे से मेरH मत होती ि8लट को कसकर छे ड़ना शुu Jकया।

2
उ‚ह… उ‚ह… उ‚‚ह… रस मK मN @ससक रहH थी। अब मN भी रह-रह के उनके ल~ड को अपनी चूत मK कसकर
@सकोड़ ले रहH थी, और उनके हर ध8के का जवाब मेरे चत
ू ड़ ध8के से दे रहे थे।

उनके ध8क कe रƒतार भी धीरे -धीरे बढ़ रहH थी, और थोड़ी हH दे र मK धका-पेल चुदाई चालू हो गयी। ओ‚ह…
आ‚ह… उƒफ सटासट सटासट कभी वह जोर-जोर से आbमोट बाहर तक sनकालकर परू ा एक झटके मK अZदर
डाल दे ते और कभी परू ा अंदर घस
ु ेड़कर वह @सफw ध8के दे ते कभी थोड़ा ल~ड बाहर sनकालकर, मुठठ. मK पकड़कर
कसकर मेरH बुर मK गोल-गोल घम
ु ाते। मेरH दोन चूtचयां कस-कसकर अब रगड़ी, मसलH जा रहH थीं। कभी मती
मK आकर मेरे भरे -भरे गल
ु ाबी गाल को काट भी लेते। मNने भी कसकर सोफे को पकड़ रखा था और खब
ू कस-
कसकर पीछे कe ओर उनके ध8के के साथ ध8का लगाती। आधे घZटे से भी yयादा फुल पीड मK इस तरह
चोदने के बाद जाकर वो कहHं झड़े।

मेरH हालत खराब थी। मNने कुतq को ठ.क करने कe को@शश कe पर उZहने मुझे कपड़े पहनने नहHं Fदया और
उसी हालत मK अपनी गोद मK उठाकर बेडuम मK लेजाकर बेड पर @लटा Fदया। खुद वो वहHं पेग बनाने लगे- “छोटा
चाFहये या बड़ा?” मुझसे उZहने पछ
ू ा।

“मेरे @लये पFटयाला बनाना…” शरारत से गोल-गोल आँखK नचाकर मN बोलH। और हां कल अपने मायके के @लये दो
बड़ी बोतल, ओbड मांक और िजन कe रख लेना।

“वहां Jकसके @लये?”

“तT
ु हारH बहन और मेरH sछनाल ननद के @लये, उZहK रमोला बनाकर और @लTका मK @मलाकर Pपलाऊँगी और
चूतड़ मटका मटकाकर नचवाऊँगी…”

“तT
ु हारH गुmडी के रसीले उभार के नाम पर…” कहकर मNने जाम टकरा कर tचयसw Jकया, और पेग खतम होते हH
राजीव को अपने बगल मK @लटा @लया। मN उठकर उसकe टांग के बीच मK आधे खड़े ल~ड के पास गयी।

ओ‚ह… मNने अपने बारे मK तो बताया हH नहHं, मN 5’6” लTबी, एकहरे बदन कe पर गदरायी, गद
ु ाज मांसल, गोरH
हूं। मेरे काले लTबे बाल मेरे sनतTब तक आते हN। मेरH Jफगर 36डी-30-38 है और मेरे उभार बना ^ा के भी
उसी तरह तने रहते है , और… वहां मN कभी उसे F‡म रखती हूं और कभी सफाचट। और हां… वह अभी भी इoती
कसी है ना Jक ‘उZहK ’ उoती हH मेहनत करनी पड़ती है , िजoती हनीमून मK करनी पड़ती थी।

मNने अपने घने लंबे काले बाल से उनके @शˆन को सहलाया और Jफर उसे, अपने रे शमी जुbफ मK बांध कर
{यार से हbके से सहलाया। थोड़ी हH दे र मK वह उoतेिजत हो उठा। पर मN इoती आसानी से थोड़े हH छोड़ने वालH
थी। मNने अपने रसीले गुलाबी हठ से धीरे -धीरे , उनके सुपाड़े से चमड़े को हटाया। सुपाड़ा, खूब मोटा, गुसे से
लाल कड़ा, लग रहा था। मNने उसे पहले तो {यार से एक छोटH सी चुTमी दH और Jफर जीभ से उसे हbके-हbके
चाटना शu
ु कर Fदया।

उoतेजना से राजीव कe हालत खराब थी।

पर मN कहां ‰कने वालH थी। मNने थोड़ी दे र उसे अपने मत हठ के बीच लेकर लालH पाप कe तरह चूसा और
Jफर जीभ कe नोक उनके सप
ु ाड़े के ‘पी-होल’ मK घस
ु ाकर उZहK और तंग करना शu
ु कर Fदया। मN जैसे उनके
उoतेिजत ल~ड से बात कर रहH हऊँ, वैसे कहने लगी- “हे , बहुत मत हो रहे हो ना, कल तT
ु हK एक नया माल
Fदलवाऊँगी, एकदम से8सी टHन माल है …”

“8या बोल रहH हो?” राजीव ने पूछा।

“तम ु चुपचाप पड़े रहो, मN अपने ‘इससे’ बात कर रहH हूं, तT


ु हारे मायके पहुँच कर इसे 8या @मलेगा, ये बता रहH
हूं…” मN मुˆकुराकर बोलH।
3
“अरे तुम गुmडी के पीछे पड़ी रहती हो, वह अभी छोटH है , भोलH है अभी तो इंटर मK पहुंची है।

“चोर कe दाढ़H मK sतनका, अरे मNने उसका नाम तो @लया नहHं तुमने खुद कबूल कर @लया कe वह माल वहH है ,
और Jफर ‘इंटर मK पहुँची है ’ इसका मतलब? इंटरकोसw के लायक हो गयी है …”

उoतेजना से मेरे दोन जोबन और sनपbल भी एकदम कड़े हो गये थे। उनके ल~ड को अपने रसीले जोबन के
बीच करके दबाते हुये मNने कहा। मती से वह एकदम लोहे का खंभा हो रहा था। एक बार Jफर मNने अपने sनपल
से उनके सुपाड़े को छे ड़ा और जैसे मN चोद रहH हूं, उनके थरथराते, पी-होल पे अपने sनपल को डालकर रगड़ना
शुu कर Fदया।

राजीव कe हालत दे खने लायक थी। उoतेजना से वो कांप रहे थे और अपने चूतड़ ऊपर कe ओर उछाल रहे थे।

मN उनके ऊपर आ गयी और उनके दोन हाथ कसकर पकड़कर, मNने अपने sनचले गल
ु ाबी हठ उनके मोटे सुपाड़े
पर रगड़ना शुu कर Fदया। तभी, मुझे एक शरारत सूझी। मNने उनके सुपाड़े का उपरH Fहसा अपनी कसी योsन मK
लेकर हbके से दबाया और अपने उभार से उनके गाल को सहलाते हुए कहा- “मेरH एक शतw है , अगर मN शतw
जीत गयी…”

“हां हां तT
ु हारH जो भी शतw हो मंजरू है पर {लHज़ करो ना…” उoतेजना से उनकe हालत खराब थी।

मNने थोड़ा और दबाव बढ़ाया और अब पूरा जोश मK भरा सुपाड़ा मेरH चूत के अंदर था। मNने कसकर उसे पूरH
ताकत से चूत मK भींचा, और उनके हठ पर एक हbकe सी चुTमी लेते हुए कहा- “शतw है ये मेरे जानू, तTु हारH
‘वो’ बड़ी भोलH है ना… हां तो अगले पंhह Fदन मK मN उसे प8कe sछनार बना दं ग
ू ी और अगर मNने उसे sछनार
बना Fदया तो तुTहK उसे चोदना होगा…”

“हां हां जानम, तT


ु हारH हर शतw मुंझे मंजरू है पर पहले अभी तुम मुझे चोदो…” मती मK राजीव पागल हो रहे थे
और उZहK कुछ सूझ नहHं रहा था।

उनके दोन हाथ कसकर पकड़कर मNने अब पूरा जोर लगाया और अब उनके कुतुबमीनार पे, मेरH कसी चूत,
रगड़ते, Jफसलते, उतरने लगी। कुछ हH दे र मK उनका पूरा मोटा बoते भर का मूसल मेरे अंदर था। मNने अब उसे
हbके से अपने sनचले गल
ु ाबी हठ से 8वीज़ Jकया। उनकe नशे से अधमुदH पलक पर चुTमी लेकर उसे बंद
Jकया और उनके सीने पे लेटकर कान कe ललरH को धीरे से काट @लया। अपनी जीभ उनके कान मK सहलाते हुये
मNने कहा- “अब अगले 10 @मनट तक जैसे मN तुTहारा मायके वाला ‘वो माल’ हूँ, उस तरह करो…” और मNने
अपनी कमर, बना उनका @शˆन जरा भी sनकाले, गोल-गोल घम
ु ाना शu
ु कर Fदया और उनका हाथ पकड़कर
अपने रसीले जोबन पे रख Fदया।

वह भी @सफw मेरे तनाD को पकड़कर इस तरह हbके-हbके दबा रहे थे जैसे वह Jकसी टHनेजर कe उभरती
चूtचयां ह।

मN भी अब उसी मूड मK आ गयी। धीरे -धीरे , अपनी कमर ऊपर उठाते हुये, @ससकते हुये जैसे मN डालH हूं, वैसे
बोल रहH थी- “हां हां अ,छा लग रहा है ओ‚ह… ओ‚ह… बहुत मोटा है , लगता है …”

और वो भी @सफw मेरे जोबन के उपरH Fहस को दबाते, मसलते, रगड़ते, मेरH पतलH कमर पकड़कर कभी अपने
मोटे ल~ड के ऊपर करते और कभी नीचे। 10 @मनट तक चुदाई का हमने ऐसे हH मज़ा @लया। Jफर अचानक
राजीव ने मझ
ु े पकड़कर नीचे @लटा Fदया, और मेरH दोन लTबी गोरH टांगK कंधे तक मोड़कर, मझ
ु े दोहरा कर
Fदया और इoती जोर से ध8का मारा कe उसका सुपाड़ा, सीधे मेरH ब,चेदानी से जा टकराया।

“उ‚‚ह…” कुछ ददw से कुछ मजे से मेरH चीख sनकल गयी।

4
पर राजीव ‰कने वाला नहHं था। उसने कसकर मेरH पoथर सी कड़ी चूची के उपरH भाग मK काटा।

“उउŠयी उŠयी…” मN Jफर tचbलायी। पर उसने Jफर मेरे sनपbस को मुँह मK लेकर कसकर चुभलाना शुu कर
Fदया। उसकe उं ग@लयां कभी पूरH ताकत से मेरे sनपbस को Pपंच करतीं और कभी ि8लट को िƒलक करतीं। कभी
वह अपना मूसल जैसा ल~ड बाहर sनकालकर एक ध8के मK परू ा अंदर घस
ु ेड़ दे ता और कभी जड़ तक अंदर Jकये
मेरH खड़ी, उoतेिजत ि8लट पर रगड़ता। मN भी कस-कसकर अपने मोटे चूतड़ पटक रहH थी। मN पता नहHं Jकoती
बार झड़ी पर वह एक घंटे उसी तरह चोदने के बाद हH झड़ा। उस रात दो बार मNने और मूसल घटा, एक बार
पीछे भी।

सुबह उनके ‘मायके’ चलते समय मNने बैग मK दे खा तो ओbड मांक कe दो बड़ी बोतलK और दो िज़न कe बोतलK
रखी थीं। मNने राजीव कe ओर दे खा तो वह आंख मK मुˆकुरा पड़ा और मN भी। तभी मुझे “कुछ और पेशल
tगƒट” याद आया।

और शरारत से मN बोलH- “राजीव, वो बोतल रख लH थी, tगƒटपैक, तT


ु हारH ‘उसके’ @लये…”

राजीव- “अभी रखता हूं…”

रात भर कe थकान, कार मK मN सोती हH रहH। जब मेरH ससुराल आने वालH थी, तभी मेरH नींद खुलH। शहर के
बाहरH Fहसे मK वहां का रे ड लाईट एkरया पड़ता था, कालHन गंज। वहां अभी भी कुछ रं ‹डयां सज-धज के बैठ.
थीं। मN उZहK Œयान से दे ख रहH थी।

राजीव ने मुˆकुराकर कहा- “8या, दे ख रहH हो?”

“उसी को कहHं तुTहारH बहन, तT


ु हारा माल यहां तो नहHं है …”

राजीव कुछ जवाब दे ते उसके पहले हम लोग घर पहुँच गये।

जैसे हH झुक कर उZहने अपनी भाभी का पैर छूने कe को@शश कe तो उZहने उZहK tचढ़ाते हुये आ@शवादw Fदया-
“सदा सुहाtगन रहो, दध
ु ो नहाओ, पूतो फलो…”

और मुझसे बोलHं- “जरा अपनी उस ननद डालH का, इनके माल का कुछ इंतजाम करो…” मुझसे मुˆकुराकर मेरH
जेठानी ने कहा।

“8य दHदH…” उनकe ओर tचढ़ाने वालH नजर डालते हुए, मN बोलH।

“अरे उसके च8कर मK , शहर मK कNडल और बैगन के दाम बढ़ गये हN…” भाभी ने हँ सकर कहा।

थोड़ी दे र घर मK रहकर हम लोग शादH के घर मK गये। पहले ‘वहH’ @मल गयी। एकदम ‘बेबी डाल’ लग रहH थी,
ाक मKम गोरH, छरहरH, छोटे -छोटे उभार, पतलH कमर पर गजब ढा रहे थे। टHन, tचकने गुलाबी गाल पे लन
ु ायी
छा रहH थी और Jकशोर sनतंब भी गदरा रहे थे।

आँख नचाकर वो बोलH- “भाभी, हम लोग आपका हH इंतज़ार कर रहे थे…”

“मेरा, या अपने भैया का? झूठ.…” और उसके नमते का जवाब उसे अपनी बांह मK भरकर Fदया- “भाभी से
नमते नहHं करते, गले @मलते हN…” और उसके भैया को Fदखाते हुये उसके उभार को कसकर दबाकर पछ
ू ा- “बड़े
गदरा रहे हN, Jकसी से दबवाना शu
ु कर Fदया 8या?”

“धoत, भाभी…” शरमाने से उसके गाल और गुलाबी लगने लगे। ाक थोड़ी छोटH थी और उसकe गोरH जांघK साफ
Fदख रहH थीं। नीचे, उसके ाक के बीच मK मNने अपने हाथ से कसकर उसकe ‘गौरै या’ को दबोचकर, राजीव को
सुनाते हुये छे ड़ा- “इस बु… मेरा मतलब बल
ु बुल ने अभी तक चारा घटा कe नहHं?”

5
“नहHं भाभी, कहां आपको मेरH तो Jफकर हH नहHं…” हँसकर, अबकe उसने मजाक का जवाब दे ने कe को@शश कe।

“चलो कोई बात नहHं, अबकe इंतज़ाम करवा दं ग


ू ी, पर तुम नखड़े मत करना…” यह कहते हुए मNने ‘वहां’ कसकर
मसल Fदया। तब तक और लोग आ गये और हम लोग कमरे के अंदर पंहुच गये। हँसी मजाक चालू हो गया।
मNने जो tगƒट और `ेसेज सबके @लये ले आई थी Fदखाना शu
ु कर Fदया।

दb
ु हन के @लये `ेस के साथ मैtचंग लेसी ^ाइडल ^ा सेट और डालH के @लये तो खास तौर पे से8सी और
kरवी@लंग `ेसेज थीं। उसकe पुश-अप ^ा Fदखाते हुये मNने कहा- “अरे ये तो तुTहारे भैया कe खास पसंद है …”

राजीव शरमा गये।

तभी मुझे कुछ ‘वो पेशल tगƒट’ याद आया और मNने उनसे कहा- “हे , वो पेशल tगƒट जो आपके बैग मK रखी
है , sनकालो ना…”

राजीव ने tगƒट-पैक बोतल sनकालकर बढ़ायी।

“खोलो, इसको…” मNने बोतल डालH कe ओर बढ़ायी।

“8या है इसमK भाभी?” डालH ने बड़ी उoसुकता से पूछा।

“अरे , खोलकर ऊपर जो @लखा है पढ़ो ना…” मN बोलH।

वह भोलH, उसने खोलकर पढ़ना शुu Jकया- “सुडौल तन के शीŽ Pवकास के @लये, उZनत और कसे-कसे
आकषwक व, लगाकर मा@लश करK …” शमाwकर वह ‰क गयी।

“अपने भैया से मा@लश करवाना दग


ु ुना असर होगा…”

उसकe बड़ी बहन, िजसकe शादH थी, बोलH- “भाभी, आप तो रोज करवाती हगी?”

“और 8या तभी तो इoते बड़े हो गये हN। पर तीन Fदन कe बात है , उसके बाद तो तुTहारा @मयां भी रोज मा@लश
करे गा, लौटकर आओगी तो चेक कuंगीं…” मN बोलH।

मN चाहती थी कe डालH के @लये जो शादH के Fदन पहनने के @लये मN `ेस लाई थी, वो एकदम टाईट Jफट हो,
इस@लये उसे उसके नाप से थोड़ा आbटर करना पड़ेगा। मNने उससे पूछा कe वहां कोई अ,छा लेडीज टे लर है ।

वह बोलH- हां भाभी, एक है तो ‘बाबीज टे लर’ पर अब तो @सफw दो Fदन हH ◌ः◌ै◌ं और उसके पास कम से कम
7-8 Fदन लगते हN…”

‘बाबीज’ या बू’ज? अरे मेरH इस {यारH ननद के @लये तो कोई भी कुछ भी करने को तैयार हो जायेगा, तम
ु चलो
मेरे साथ। मN खद
ु कार `ाईव करके उसके साथ sनकलH।

उसके घर के बाहर कुछ लड़के बैठे थे, एक ने Jफकरा कसा- “रे शमा, जवान हो गयी, तीर कमान हो गयी…”

“अरे डालH, तेरे मुहbले के लड़क को तेरा नाम भी नहHं मालूम, 8या बात है ?” उनको सुनाते हुए मNने उसे
tचढ़ाया। राते मK मNने उससे बोला कe टे लर के यहां मN जो कहूंगी वो उसे करना होगा और उसके कान मK कुछ
बोला।

पहले तो उसने बहुत ना नुकुर कe Jफर तैयार होकर कहा- “ठ.क है भाभी, आप जो कहK …”

मNने उसके चूtचयां कसकर Pपंच करते हुये कहा- “अरे बZनो, अगर इसी तरह तुम मेरH सारH बातK मान लो ना तो
दे खना मN तT
ु हK कैसे िजंदगी के सारे मजे Fदलवाती हूं…”

6
तब तक हम लोग बाबी टे लसw के सामने पहुँच गये। खलHल खान टे लर, पठान, खूब कसरती बदन। सामने
पहुँचते हH डालH ने अदा से एक रस भरH अंगड़ाई लH और मुˆकुराकर मझ
ु से पkरचय कराया- “मेरH भाभी…”

उसके दे खते हH मेरा आंचल अपने आप ढलक गया और मुˆकुराकर उसे ठ.क करते हुये मNने उसे अपने जोबन का
भरपरू दशwन करा Fदया। मुˆकाराकर मN बोलH- “आप हH बब
ू … माफ कeिजयेगा बाबी टे लसw हN? िजनकe इस शहर
कe सारH लड़Jकयां दHवानी हN…”

“हां हां आपने सहH फरमाया, बाबीज कe टे लkरंग मK हH तो असलH कमाल है …”

“और इसी@लये तो हम आपके पास आये हN। ये मेरH से8सी ननद, मN चाहती हूं आपकe टाइल से ये `ेस ऐसी
टाईट Jफट हो जाये कe ये शहर मK आग लगा दे …” मN बोलH।

खलHल- “चाजw और कब तक दे ना होगा…”

“खलHल भाई, चाजw तो जो आप कहK गK मN उससे 100 ‰पया yयादा दं ग


ू ीं और बाकe बातK बाद मK … पहले आप
इसकe नाप तो ले लHिजये । गुmडी दे ख 8या रहH हो जाओ चK ज uम मK …”

और गुmडी बड़ी शोख अदा से खलHल को दे खते हुए चK ज uम मK चलH गयी।

“आपके @सले हुए मNने जो `ेसेज दे खK है मNने, 8या हाथ पाया है आपने मन करता है चूम लूं… एकदम सहH Jफट
कFटंग परफे8त। वैसे मNने भी FदbलH से फैशन ‹डजाइsनंग का कोसw Jकया है इस@लए मN समझ सकती हूं।ि◌ इस
`ेस के साथ जो उसे ^ा पहननी है ना, वह वहH पहनकर आई है, और नाप ^ा के हH ऊपर से लHिजयेगा, िजससे
`ेस खूब टाईट Jफट आये, यहH समझाने के @लये मNने उसे हटा Fदया है …” मN झुक कर बात कर रहH थी और मेरा
आंचल परू ा अ,छ. तरह से ढलक गया था और मेरे गहरे वी-कट गले वालH चालH से मेरे उभार साफ Fदख रहे थे।

मNने अपनी बात जारH रखी- “दे “खये, इसके बेस से (मेरे हाथ अब मेरे उभार के बेस पे थे) सKटर और दोन (अब
मेरे हाथ मेरे खड़े sनपbस पर थे) के बीच, िजससे उभार और गहराई दोन… ओह सारH (अचानक मNने आंचल को
सTहाला जैसे मेरा Œयान उधर हो हH नहHं) आप समझ गये ना… आप तो खुद ए8पटw हN…” और मNने नीचे दे खा
तो उसका खूंटा तना था।

और मुझे वहां दे खकर मुˆकुराता हुआ, खलHल भी मुˆकारने लगा।

“अरे जाइये ना, मेरH ननद बचारH इंतज़ार कर रहH होगी। ठ.क से अ,छ. तरह से नाप ले लHिजयेगा, हर जगह
कe…” पांच @मनट दस @मनट मN सोच रहH थी खलHल नाप ले रहा है या?

पूरे पZhह @मनट बाद वह बाहर sनकला और उसके पीछे डालH। बाहर sनकलकर उसके सामने हH उसने शमाwते
हुये अपने टाप के बटन बंद Jकये।

मN खलHल को समझाने लगी कe गला थोड़ा और गहरा पर डालH बोल उठ.- “नहHं भाभी, बहुत हो जायेगा, एकदम
खुला-खुला सा…”

खलHल खुद बोला- “आप सहH कह रहH हN पर अगर ये मना कर रहH हN…”

मN उस समय तो मान गयी।

उसने कहा- हां और मNने नीचे कe भी नाप ले लH है , वहां भी थोड़ा टाईट कर Fदया है , पर दे ना कब है ?

जैसे हH मNने कहा परस तो वह उछल पड़ा- “अरे शादH का सीज़न है , मN…”

पर उसकe बात काटते हुये मNने कहा- “अरे आपने इoती अ,छ. तरह उसकe नाप ले लH है , अब वह बेचारH कहां
जायेगी? आपसे अ,छा तो कोई है नहHं। Jफर आपने मुझे भाभी कहा है , इoती सी बात…”

7
तो बेचारा मान गया।

मNने गुmडी को चलने का इशारा Jकया और उसके जाते हH पसw से 100 का एक पoता sनकालकर उसको नजर
करते हुये कहा- “और गहराई जैसा मNने कहा था ना, वैसा हH बनाना। और तम
ु नीचे वाले के बारे मK 8या कह
रहे थे?”

“मN वहां भी कह रहा था कe Jकतना टाईट कर दं …


ू ”

“पूरा, एकदम Fहप हtगंग…”

जैसे हH मN चलने लगी तो वो बोला- “भाभी जी आपको ’लाउज नहHं @सलवाना?”

मN मुड़कर बोलH- “एकदम @सलवाना है , लेJकन अगर शादH मK आपकe इस `ेस ने आग लगा दH ना तो अगले हH
Fदन मN आऊँगी और हां मN कभी-कभी ^ा के बना ’लाउज़ पहनती हूं इस@लये नाप भी वैसे हH…”

बेचारा पठान का छोरा, खलHल।

गाड़ी मK पहुँचते हH गुmडी ने मुझे पकड़कर कहा- “वाकई मान गये भाभी आपको, आपने तो कमाल कर Fदया…”

“अरे , कमाल मNने नहHं, इसने Jकया…” Jफर उसकe चूtचय को कसकर Pपंच करते हुए मN बोलH- “तम
ु इसकe
मFहमा जानती नहHं, सीख लो कब उभारना चाFहये, कब sछपाने कe को@शश करते हुए भोलेपन से लोग कe
sनगाह उधर खींचनीं चाFहये ? जो औरतK बार-बार अपना आंचल ठ.क करती हN ना… वो वहH करती हN लोग कe
sनगाह को दावत दे ती हN। हाईड ऐंड सीक, थोड़ा sछपाओ, थोड़ा Fदखाओ, कभी झुक के, कभी हbके से दप
ु ”ा
tगरा के, मुˆकुरा के, कुछ नहHं तो साईड से चtू चय का उभार Fदखा के। अरे यार, जवानी आई है तो जोबन का
उभार आया है , कुछ Fदखा दोगी तो तुTहारा तो कुछ घटे गा नहHं, उन बेचार का Fदन बन जायेगा…” टाप के ऊपर
से उसके जोबन को हbके से मसलते हुये मNने कहा।

वह हbके से मुˆकुरा दH।

“जानती हो डांस करते समय कैसे हHरोईनK इसको उभारती हN…” अपनी मसbस को उठाकर सीना कसकर उभारते
हुए मNने कहा- “दे खो ऐसे अब तम
ु करो…”

उसने थोड़ा अपने Jकशोर उभार को पश


ु Jकया। हम दोन हँसने लगे।

“थोड़ा और हां… बस दे खना, मN तुTहK ऐसे @सखा दं ग


ू ी ना Jक तुम धक-धक मK माधरु H दH•त को भी मात कर
दोगी…” तब तक हम लोग घर पहुँच गये थे। गलH के बाहर मNने गाड़ी पाकw कe और हम लोग बाहर sनकले तो
वो लड़के Jफर खड़े थे और वो लंबा सा लड़का, िजसने Jफकरा कसा था, Œयान से दे ख रहा था।

मNने गुmडी से कहा- “Fदखा दो आज इस बेचारे को भी उभार और तुTहारा भी टे ट हो जायेगा…”

उसकe ओर दे खकर गुmडी ने अपने उभार को पुश Jकया और ऐसी कटHलH मुˆकान दH Jक उस बेचारे को 440
वोbट का झटका लगा। हँ सते हुए हम दोन घर मK पहुँचK। वहां शादH कe रˆमK शुu होने वालH थी। हँसी मजाक
गालH गाना, थोड़ी दे र बाद हम दोन ऊपर उसके कमरे मK पहुँच गये, कमरे को खालH करके तैयार करने के @लये।
शाम से और मेहमान आने वाले थे।

मN उसकe JकताबK हटा रहH थी कe एक के अंदर से एक tच–ी tगरH। मNने पढ़ा तो Jकसी लड़के ने उसे लव लेटर
@लखा था- “मेरा Qेम प— पढ़ के नाराज ना होना, Jक तुम मेरH िजंदगी हो, Jक तुम मेरH…”

“हे भाभी {लHज़, दे दHिजये ना tच–ी…” गुmडी ने मेरे हाथ से छ.नने कe को@शश कe।

8
पर वह कहां सफल होती। उसे सुनाते हुए मNने पूरH tच–ी पढ़H और अपने ’लाउज के अंदर sछपा @लया। और
उसके शमाwते गाल पे कसकर tचकोटH काटते हुए मNने कहा- “अरे , ये तो अ,छ. बात है Jक भ˜रे लगने लगे। मN
तो सोच रहH थी कe मेरे ससुराल के सारे Fहजडे या गांडू हH होते हN जो मेरH ये {यारH ननद अब तक अछूती बची
है । कौन है बताओ ना?”

उसने बताया कe ये वहH लड़का है जो गलH के बाहर था, और उसे दे खकर बोल रहा था, 4-5 महHने से पीछे पड़ा
है । पर उसने उसको कोई @लƒट नहHं दH है ना हH उसकe tच–ी का कोई जवाब Fदया है , ऐसे हH है। तभी मेरH
sनगाह अbमारH मK लगे अखबार के नीचे पड़ी। वहां कुछ उभरा सा Fदख रहा था।

मNने उसे उठाया तो 5-6 और लेटर थे, मNने सब क’जे मK कर @लये।

गुmडी- “हे हे भाभी। मेरे हN {लHज दे दHिजये ना…” वह tगड़tगड़ाई।

ना, लेटर पढ़ते हुए मN बोलH- “चांदनी चांद से होती है @सतार से नहHं… मुह’बत एक से होती है हजार से नहHं…
अ,छा तो जनाब शायर भी हN, दे दो ना बचारा इतना तड़प रहा है …”

गुmडी- “भाभी {लHज, दे दHिजये ना Jकसी को पता चल गया ना तो मN बदनाम हो जाऊँगी…”

“पता तो चलेगा हH… मN तुTहारे भैया को और सबको बताती हूं, ये च8कर…” मN बनावटH गुसे मK बोलH।

गुmडी- “नहHं भाभी मेरा कोई च8कर नहHं है , उसे मNने आज तक एक लेटर भी नहHं @लखा। मN Tयिू जक सीखने
जहां जाती हूं, राते मK खेत पड़ता है। वहHं उसने अपनी कसम Fदलाकर लेटर Fदया था। मNने उसे अपनी ओर से
कोई @लƒट नहHं दH…” बेचारH ‰ं वासी हो गयी।

“अगर तम
ु चाहती हो कe मN Jकसी को ये बात न बताऊँ तो मेरH दो शत™ हN…” मN उसी टोन मK बालH।

गुmडी- “8या? मुझे मंजरू है । बस भाभी Jकसी को पता ना चले…”

“पहलH शतw ये है कe तुम उस बेचारे के लेटर का जवाब भी दोगी और @लƒट भी और वह जो मांगेगा सब कुछ
दोगी…” अब मेरे @लये मुˆकुराहट रोकना मुिˆकल हो गया।

गुmडी- “ठ.क है और दस
ू रH?” बेचारH बोलH।

उसके कटw के अंदर हाथ डालकर उसकe जांघ के बीच चmढH पर कसकर दबोच कर रोबदार आवाज मK मNने
कहा- “बहoतर घंटे के अंदर इस tच‹ड़या को चारा घटना होगा वरना…”

गुmडी- “जो हुकुम, पर Jकसके साथ?” अब मेरा मूड समझकर बेचारH के चेहरे पे मुˆकान आई।

“उं उं … कल तो तुTहारे जीजा आ रहे हN ना जीत और वैसे भी सालH पे पहला हक तो जीजा का हH होता है …”
उसकe चmढH के ऊपर से हbके-हbके मसलते हुये मNने उसे खूब ‹डटे ल मK सुनाया Jक मN अपने किजन कe शादH
मK जब गयी थी, तो कैसे मेरे जीजा ने मेरे साथ आगे से, पीछे से और Jफर जब दस ू रे जीजा आ गये तो उन
दोन ने एक साथ आगे से, पीछे से, चूची के बीच, चेहरे पे (परू H कहानी इट है पेनड मK पढK )। वह उoतेिजoत हो
गयी थी।

गुmडी- “पर भाभी आप तो जानती हN Jक मNने उZहK होलH मK … तब से वह थोड़े…”

“अरे ये मुझ पे और इन पे छोड़ दो…” उसके उभार को मNने {यार से सहलाते हुये कहा। तम
ु इनका जाद ू नहHं
जानती। बस एक बार खुद अपने इन टHन गुलाबी गाल पे जीजा को Jकसी दे दे ना और उनका हाथ यहां पकड़ा
दे ना Jफर Jकस मदw कe FहTमत है कe मेरH इस {यारH ननद को मना कर दे …”

9
उसने लेटर के @लये हाथ बढ़ाया, पर मNने सारे लेटर अपने पसw मK रख @लये और कहा- “उं हूं… यहां ये yयादा सेफ
हN और जब तम ु दोन शत™ परू H करोगी तभी वापस @मलKगK ये…”

गुmडी- “भाभी, मेरH तो जान हH sनकल गयी थी…” हँसकर वो बोलH।

“अरे बुšू मN तT
ु हारH भाभी होने के साथ तुTहारH सहे लH भी हूं…” कहकर मNने उसे अपनी बांह मK जकड़ @लया,
और अपनी चूtचय से उसके छोटे -छोटे जोबन दबा Fदये। तब तक नीचे से राजीव कe आवाज आई और मN शाम
को जbदH आने का वादा करके घर वापस चल दH।

शाम को राजीव के साथ मेरH जेठानी और गुलाबो भी आई। गुलाबो घर मK काम करने वाले रामू कe बीबी थी।
मजाक करने और गालH गाने मK उसका कोई सानी नहHं था। और वह बहू होने के नाते भाभी का हH दजाw पाती
थी इस@लये हम लोग का साथ दे ती थी। जbदH-जbदH काम खतम करके हम लोग गाने के @लये बैठे। मN एक
बZनी गा रहH थी।

तभी मNने दे खा कe गुmडी के साथ एक बड़ी हH खूबसूरत, गोरH tच–ी, शुu के पेड़ कe तरह लTबी, जोबन उसके
तो इoते उभरे थे Jक उसका कुताw फाड़ रहे थे, और चत
ू ड़ भी बस (›Pवंकल खZना समझ लHिजये), लेटH
शलवार-कुतq मK गजब कe लग रहH थी।

उसने पkरचय कराया- “भाभी, ये मेरH सबसे प8कe सहे लH है अbपना कौर हम उसे अbपी कहते हN…”

मNने उसे गले से लगा @लया। तब तक कन“खय से मNने दे खा कe राजीव उसे ललचाई नजर से दे ख रहे हN। मNने
अपने बड़े-बड़े जोबन से उसके उभार को खूब कसकर दबाते हुये, उसकe पीठ कe ओर, अपनी दो उँ गलH से गोला
बनाकर एक उँ गलH से अंदर-बाहर करके राजीव से इशारे मK पूछा- “चोदना है , 8या?”

और उZहने कसकर वीकारोि8त मK सर Fहलाया।

वह दोन मेरे पास बैठ गयीं और बZनी गाने मK मेरा साथ दे ने लगीं। इoती से8सी दो-दो ननदK मेरे पास मK बैठ.
ह और मN… मNने दोन से कहा- “ये गाना तुम लोग के @लये है …” और चालू हो गयी।

बार-बार ननद& दरवाजे दौड़ी जाये,


अरे बार-बार, गु<डी और अ?पी दरवाजे दौड़ी जाय0, कहना ना माने रे ,
हलवैया का लड़का तो ननद& जी का यार रे , अरे वो तो अ?पी का यार रे ,
लड़डू पे लड़डू खलाये चला जाये, कहना ना माने रे ,
अरे वो तो चमचम पे चमचम चस
ु ाये चला जाये, कहना ना माने रे
अरे , दजC का लड़का, तो ननद& जी का यार रे , अरे वो तो ग<
ु डी जी का यार रे ,
चोल& पे चोल& Dसलवाये चल& जाये, कहना ना माने रे ,
अरे बाडी पे बाडी नपवाये चल& जाये, कहना ना माने रे ,
अर& मेर& सासू जी का लड़का सब ननदE का यार रे ,
अर& मेर& अ5मा जी का लड़का सब ननदE का यार रे ,
सेजE पे मौज उड़ाये चला जाये, कहना ना माने रे ,
अरे गु<डी और अ?पी टांग उठाये चल& जाय0, कहना ना माने रे

मNने Jफर ढोलक दस


ू रे कe ओर बढ़ा दH।

“अरे , एक हH गाने का टाक था, 8या भाभी…” गुmडी बोलH।

10
बाहर मNने दे खा तो राजीव मुˆकुरा रहे थे। उनकe ओर दे खते हुये मNने कहा- “सुनाती हूँ, अपने सैयां कe बहन का
हाल…” और मNने Jफर ढोलक थाम लH। मेरH जेठानी और गल ु ाबो भी मेरा साथ दे रहHं थीं। मNने दस
ू रा गाना शuु
कर Fदया-

ऊँचे चबुतरा पे बैठे हमारे सैयां कर0 अपनी बहनन का मोल,


अरे ऊँचे चबत
ु रा पे बैठे राजीव लाला, कर0 अपनी बहनन का मोल,
मेरH जेठानी ने जोड़ा-

अरे तूती बोलत है , कर0 अपनी बहनन का मोल, कर0 अपनी गु<डी और अ?पी का मोल, अरे तूती बोलत है ,
अरे गु<डी का मांग0 पांच JKपैया, अरे गु<डी का मांग0 पांच JKपैया, अरे अ?पी हमार अनमोल,
अरे तत
ू ी बोलत है ,
अरे अ?पी के जोबना का मांग0 पांच JKपैया, अरे LबDलया बड़ी अनमोल,

साफ-साफ बोलो ना, गुलाबो ने जोड़ा-

अरे बुMरया बड़ी अनमोल, तूती बोलत है,


अरे ब#हनी ब#हनी मत कर भड़ुये, ब#हनी तो पेट रखाय
अरे ब#हनी ब#हनी मत कर गंड़ुये, ब#हनी तो पेट रखाय, तूती बोलत है।

दल
ु ारH, जो वहां नाईन थी पर kरˆते मK ननद हH लगती थी, अब गुmडी और अbपना के साथ आ गयी और बोलH-
“हे … तम
ु लोग 8या मुँह बंद करके बैठ. हो, दो ना तगड़ा सा जवाब वरना हम हH दे ते हN…”

“अरे मझ
ु े मालूम है ये अपने मँुह मK अपने भैया का तगड़ा सा घट के बैठ. है । अगर FहTमत है तो सुनाओ,
तुमको भी कसकर जवाब @मलेगा…” मN हँसकर उसको उकसाते हुये बोलH।

दल
ु ारH चालू हो गयी-

Lबन बादर के Lबजल& कहां चमक, Lबन बादर,


अरे र&नू भाभी के गाल चमके, अरे नीलू भाभी के गाल चमके,
उनक चोल& के भीतर अनार झलके, अरे गुलाबो के दोनE जोबन झलके,
अरे Lबन बादर के Lबजल& कहां चमक, Lबन बादर,
अरे हमर& भाभी के जांघन के बीच दरार झलके, Lबन बादर।

तब तक हमारH सास लोग भी वहां आ गयीं। Jकसी ने कहा- “अरे जरा अपनी सास लोग को भी तो सुनाओ…”

और मN Jफर शुu हो गयी-

मोती झलके लाल& बेसMरया म0 , मोती झलके,


हमरे सQया क अ5मा ने, बआ
ु ने, हमार& सास ने, एक Tकया दो Tकया, साढ़े तीन Tकया,
#हंद ू मूसलमान Tकया, कोइर& चमार Tकया, सारा पाTकWतान Tकया,
अरे 900 गंड
ु े मथुरा के, अरे 900 पंडे बनारस के, मोती झलके
मोती झलके लाल& बेसMरया म0 , मोती झलके,
अरे हमर& ननद रानी ने, गु<डी साल& ने, अ?पी छनार ने,
एक Tकया, दो Tकया, साढ़े तीन Tकया,
#हंद ू मूसलमान Tकया, कोइर& चमार Tकया, सारा पाTकWतान Tकया,

11
900 भंड़ुए काल&न गंज के, अरे 900 गदहे अलवल के, (मेर& ननद का मुह?ला, वहां गधे रहते थे।)
मोती झलके लाल& बेसMरया म0 , मोती झलके।

अब गुलाबो ने मेरे हाथ से ढोलक ले लH और बोलH- “अरे गालH तो असलH गालH होनी चाFहये, अब मN सुनाती हूं
इन ननद sछनाल को एक…” मN भी उसका साथ दे रहH थी।

अरे खेतE म0 सरसE फुलाई, अरे पील&-पील& सरसE फुलाई।


अरे हमर& ननद& क, राजीव क बहना क, गु<डी साल& क हुई चुदाई।
अरे हमर& ननद& क, अ?पी छनरौ क हुई चदु ाई।
अरे हमरे सैयां से चुदवाई, हमरे भैया से चुदवाई,
अरे खेतE म0 सरसE फुलाई, अरे पील&-पील&, सरसE फुलाई।

“8य मजा आया, नान-वेज गालH का?” मNने दोन से पूछा। मN दे ख रहH थी Jक दोन ननद कe हालत खराब थी।

पर तब भी FहTमत करके वो बोलH- “अरे भाभी, आपने तो नहHं सुनाया…”

“अ,छा सुनना है ? चलो…” और अबकe मN गा रहH थी और गुलाबो साथ दे रहH थी।

अरे या-या अमाये, या-या समाये, हमर& ननद& क LबDलया म0 ,


अरे अ?पी छनार, अरे गु<डी छनार क LबDलया म0 उनक बMु रया म0 ,
अरे या-या अमाये, या-या समाये, अरे भाभी हमर& LबDलया म0 , हमर& बMु रया म0 ,
तु5हरे सैयां समाय0, तु5हरे सैयां के सब साले समाय0,
तु5हरे मैके के सब छै ला समाय0, हमर& बMु रया म0 ।

तब तक राजीव ने कहा Jक चलने कe @लये दे रH हो रहH है । दल


ु ारH ने मेरH तारHफ कe और कहा- “भाभी मजा आ
गया लेJकन कल खालH असलH वालH गालH होगी और नाच भी, आपको भी नचायKगे…”

गल
ु ाबो बोलH- “अरे , आज शu
ु आत मजेदार हो गयी, लेJकन कल ननद sछनार को ऐसी गालH सुनाऊँगी और
नचाऊँगी…”

मNने और जोड़ा- “अरे दल


ु ारH, बbकe इनको भी पेटHकोट खोलकर नचायKगK, पूरा रात-जगा होगा…” अbपना से मNने
कहा कe कल वह रतजœगे कe तैयारH से आये।

तय यह हुआ Jक राजीव मेरे साथ चलकर अbपना को उसके घर छोड़ दK गे Jफर हम लोग लौटकर गुलाबो जेठानी
और सासू जी के साथ घर वापस चलKगे।

गुmडी भी अbपना को छोड़ने के @लये, साथ चलने के @लये गाड़ी मK आकर बैठ गयी। हम तीन पीछे बैठे और
आगे @सफw राजीव `ाईव कर रहे थे। बार-बार अbपना को राजीव ललचाई sनगाह से kरयर यू @मरर मK दे ख रहे
थे और अb{ना भी उनकe मीठ. sनगाह का मतलब समझकर अ,छ. तरह मजा ले रहH थी।

***** *****02 भाग दो

अbपना ने मुझसे पछ
ू ा- “भाभी, आपने तो आज जबदw त गा@लयां सुनायीं। कल 8या होगा?”

“अरे , आज तो कुछ नहHं था, कल तो इससे भी बढ़कर खालH नान-वेज गा@लयां हगी और तुTहK नचाऊँगी भी
तुTहारH शलवार का नाड़ा खोलकर। जो ननद के भाई रोज हम लोग के साथ करते हN ना, कल वह खुbलम
खb
ु ला भा@भयां तम
ु sछनाल ननद के साथ करK गी। कंडोम मK कN डल डालकर परू H रात भर रात-जगा होगा,
वैसलHन लगाकर आना…” उसको tचढ़ाते हुये फुसफुसाकर मNने कहा।

12
अbपना तो @सहर गयी। उसने मुझसे पछ
ू ा- “कोई राता है , इससे बचने का?”

मुˆकारकर मN बोलH- “हां 8य नहHं? तम


ु ‹डफे8ट कर जाओ। मतलब भा@भय कe ओर आ जाओ…”

अbपना-“मतलब?”

“मतलब कe तम
ु मेरH छोटH बहन बन जाओ…”

अbपना- “एकदम दHदH…” मुˆकुराकर उसने मुझे पकड़ @लया और गुmडी कe ओर इशारा करती बोलH- “और Jफर
हम लोग @मलकर इस ननद को गा@लयां सुनायKगK…”

“हां…” लेJकन राजीव कe ओर दे खकर मN बोलH- “तT


ु हारे जीजू बन जायKगK…”

अbपना- “तो ठ.क तो है ना…” चहक कर वो बोलH।

“अरे सालH के ताले मK जीजा कe तालH लगती है …” मNने tचढ़ाया।

अbपना- “अरे तो लगवा लंूगी दHदH, ये सालH डरने वालH नहHं…” अbपना हँसकर बोलH।

गुmडी ने हँसकर उसे छे ड़ा- “अरे भाभी, असलH बात यहH है Jक इसे तालH चाFहये थी। गालH से डरने कe बात तो
वैसे हH थी…”

“अरे तो तू 8य जलती है ? ये जीजा और सालH के बीच कe बात है …” अbपना ने हँसकर कहा।

“अरे , इसे भी खुजलH मचती होगी। ठ.क है तम


ु से और मुझसे बचेगा तो इसको भी चखा दK गK…” मNने कहा।

तब तक अbपना का घर आ गया था। राजीव ने कहा Jक वह गाड़ी मK हH ‰कKगK और हम लोग अbपना को उसके
घर छोड़कर आ जायK।

अbपना ने अपनी मां से मुझसे पkरचय कराया और ये भी बताया Jक मNने उसे छोटH बहन बना @लया है ।

मN उनका पैर छूने के @लये झुकe तो उZहने मुझे रोक @लया और कहा- “अरे आज से तो तू मेरH बड़ी बेटH है …”
और गले से लगा @लया।

तब तक अbपना कe छोटH बहन भी बाहर sनकल आई। वह भी ये जानकर बड़ी खुश हुई। वह अभी छोटH थी,
12-13 साल कe, 8वीं मK पढ़ती थी लेJकन छोटH-छोटH चूtचय का उभार थोड़ा-थोड़ा Fदखने लगा था। वह भी
अपने जीजू से @मलने को बेताब थी। मNने उसे समझाया Jक कल तT
ु हारH अbपना दHदH को लेने आयKगK तब @मल
लेना।

घर पहुँचने तक मNने राजीव को कुछ नहHं बताया। बेड‰म मK पहुँचते हH मNने राजीव के खड़े तTबू कe ओर इशारा
करके उसे tचढ़ाना शुu कर Fदया। साड़ी उतारते हुये मNने पछ
ू ा- “8य पसंद आ गयी वो पंजाबी कुड़ी?”

राजीव- “अरे स,ची यार, 8या मत माल है ? कैसे खड़े-खड़े मTमे हN और चूतड़ भी Jकoते मत…”

अब तक मN साया ’लाउज उतारकर ^ा पNटH मK आ गयी थी और मNने राजीव के भी सारे कपड़े उतार Fदये थे।

“और गाल कैसे मत गुलाबी हN कचकचा कर काटने के लायक…” राजीव मेरH ^ा उतारते हुये बोल रहे थे।

मN उनकe गोद मK बैठ. थी और मेरH पNटH और उनकe चmढH पहले हH उतर चुकe थी। उनका तZनाया हtथयार मेरे
चूतड़ के बीच ठोकर मार रहा था।

मNने और आग मK घी डाला- “एकदम क,ची कलH है 16 साल कe अनचुदH अभी तक उँ गलH भी अंदर नहHं गयी
है …” मारे जोश के उनका ल~ड फौलाद का हो रहा था और मेरे sनचले गुलाबी हठ पर कसकर रगड़ रहा था। मN
अपनी गोरH जांघK परू H तरह फैलाकर उनकe गोद मK बैठ. थी।

13
जोश मK आकर उZहने मेरे कड़े-कड़े मTमे कसकर मसल Fदये।

“8य अbपी कe याद आ रहH है 8या? Fदलवाऊँ, लोगे उसकe…” मNने उनके हठ को चूमते हुए कसकर काट @लया
और, पूछा।

राजीव- “नेकe और पछ
ू -पूछ… कैसे बताओ ना?” और उनका पहाड़ी आलू जैसा फूला मोटा सुपाड़ा मेरH बुर मK
घस
ु ने के @लये बेताब था।

“आज से वो तT
ु हारH सालH है । तम
ु कहते थे ना Jक तुTहारH कोई छोटH सालH नहHं है तो अब लो उसके साथ
जीजा-सालH का पूरा मजा…”

जवाब मK , मेरH पतलH कमर पकड़कर उZहने ऐसा करारा ध8का मारा Jक एक बार मK हH उनका मोटा लाल
सप
ु ाड़ा मेरH बरु मK रगड़ते हुए अंदर घस
ु गया।

मेरH तो @ससकe sनकल गयी।

राजीव- “स,ची…” उZहने जोश मK मेरे खड़े sनपल भी काट @लये।

“हां एकदम, लेJकन उसकe एक शतw है । सालH बनने कe…”

राजीव- “अरे 8या बोल ना उस सालH को Jक उसकe हर शतw उसके जीजा को मंजरू है…” और अबकe उZहने जो
कसकर ध8का लगाय तो आधा मूसल मेरH बरु मK था।

मN भी अपनी बरु को कसकर @सकोड़ के परू ा मजा ले रहH थी, कहा- “पैकेज डील है। तुTहK उसकe सहे लH कe भी
लेनी पड़ेगी, प8कe सहे लH है उसकe दोन हर काम साथ-साथ करती हN…”

राजीव- “अरे ले लूंगा उसकe सहे लH कe भी। अरे उसकe सहे लH है तो वो भी तो मेरH सालH हH हुई, चोद दं ग
ू ा
उसको भी…” और अबकe लगातार दो ध8क मK उनका पूरा ल~ड मेरH बुर के अंदर था।

मNने भी कसकर अपनी चूत भींची और अपनी चूची उनके सीने पे रगड़ते हुये पछ
ू ा- “तो चोदोगे ना उसकe सहे लH
को? है मंजूर? ऐन व8त पे पीछे मत हट जाना…”

राजीव- “अरे यहां पीछे हटने वाला कोई नहHं, चोद-चोद के उसकe भी चूत का भोसड़ा ना बना दं ू तो कहना।
तुTहारH कसम…” और उZहने कस-कसकर दो ध8के मारे ।

“प8का, लाक Jकया जाय…” मNने भी ध8क का जवाब ध8क से दे ते हुये पछ


ू ा।

“एकदम लाक Jकया जाय, चोद-चोदकर tचथड़े बना दं ग


ू ा उसकe सहे लH कe चूत के। वैसे है कौन वो?” कसकर
मुझे tचपटाते हुए उZहने पूछा।

“और कौन? उसकe सहे लH है , तT


ु हारH बहन गुmडी। अब तो तT
ु हK उसकe चूत को चोदकर भोसड़ा बनाना है अभी
तुमने Qो@मस Jकया है …” मNने tचढ़ाते हुए पूरH ताकत से अपनी चूत को उनके ल~ड पे भींच @लया।

राजीव- “अ,छा सालH, तेरH बहन कe फुŸी माuं मुझे बहनचोद बनाने का पूरा {लान है…” पूरH ताकत से कस-
कसकर चोदते हुये वो बोले।

मNने अपने हाथ उनके sनतTब के नीचे करके, कसकर उनकe गा~ड को भींच @लया और एक उँ गलH गा~ड के छे द
पे, छे ड़ती मN बोलH- “अरे , मेरH बहन तो तैयार हH है फुŸी मरवाने के @लये, अब तो तT
ु हK अपनी बहन कe चूत का
भोसड़ा बनाना है वनाw मN तुTहारH गा~ड मार लूंगी…”

मेरH बरु मK ल~ड डाले-डाले वो मझ


ु े उठाकर पलंग पे ले गये और वहां लेटाकर बोला- “अरे पहले अपनी बरु का
भोसड़ा बनवा लो, और गा~ड मरवा लो Jफर मेरH बहन के च8कर मK पड़ना…” और मेरH टांग मोड़कर मुझे

14
दोहराकरके सुपाड़े तक ल~ड sनकालकर उZहने वो करारा ध8का मारा Jक मेरH ब,चेदानी पर वो जबदwत चोट
पड़ी कe मN @सहर उठ.। अब उZहने वो धका-पेल चद
ु ाई शu
ु कe, Jक मेरH ऐसी कe तैसी हो गयी। कभी कस-
कसकर वो मेरH दोन चूtचय को एक साथ रगड़ते, कभी चूची पकड़कर सुपाड़े तक अपना मूसल जैसा ल~ड बाहर
sनकालकर एक ध8के मK पूरा अंदर घस
ु ेड़ दे ते।

जब उZहने मेरे एक sनपल को मुँह मK लेकर कसकर चूसना शुu Jकया और दस


ू रे कड़े उoतेिजत sनपल को पूरH
ताकत से अपनी उं ग@लय के बीच लेकर मसलना शुu Jकया और दस
ू रे अंगूंठे से मेरH ि8लट वो रगड़ने लगे तो
मN मारे मती के कस-कसकर चत
ू ड़ पटकने लगी। मNने कस-कसकर उनको अपनी बांह मK भींच @लया और अपने
लTबे नाखून उनके चौड़े कंध पर दबाने लगी। जोश मK मN भी अपनी बरु उनके मोटे ल~ड पर भींच रहH थी और
उनके हर ध8के का जवाब ध8के से दे रहH थी।

अब वो भी कभी मेरH भरH-भरH रसीलH चूtचयां मुँह मK लेकर कसकर काट लेते, कभी गुलाबी गाल पर दांत को
गड़ाकर sनशान बना दे ते।

“उई… 8या करते हो? ये sनशान शादH तक नहHं छूटK गK मेरH सारH ननदK मुझे tचढ़ायKगीं…”

“अरे यहH तो मN चाहता हूं जानम, सबको मालूम हो Jक सैयां के साथ रजईया मK 8या हुआ और Jफर जब
चुदवाने मK शरम नहHं तो sनशान Fदखाने मK कैसी शरम…” और यह कहकर उZहने एक बार Jफर कसकर मेरH
चच
ू ी के उपरH Fहसे पे और कसकर काट @लया, जो मेरH लो-कट चोलH मK एकदम साफ Fदखता था। Jफर तो
आसन बदल बदल के, कभी मुझे अपने ऊपर ले के, कभी गोद मK बैठा के, कभी मेरH जांघK परू H तरह फैलाकर
ि8लट को मसलते रगड़ते, उZहने इस तरह चोदा Jक जब हम झड़े तो थक कर चूर हो गये थे और मेरH चूत मK
ल~ड डाले-डाले हH वो सो गये।

सुबह जब भोर कe पहलH Jकरण ने मेरे गुलाबी गाल पे tचकोटH काटकर मुझे जगाया, तो मNने दे खा Jक मेरे सैयां
का @शˆन एक बार Jफर मेरH रात भर कe चुदH गुलाबी बुर मK , कसकर खड़ा हो गया है । मNने उनके हठ पे हbके
से चुTमी लH और धीरे से अपनी चूत को उनके तZनाये ल~ड पे भींचा। बस, सोये-सोये हH उZहने अपनी कमर
Fहलानी चालू कर दH और बगल मK लेटे-लेटे हH चुदाई शुu कर दH। मNने भी टांग उठाकर उनकe कमर पे रख दH,
और ध8क का जवाब ध8क से दे ना चालू कर Fदया। वह मेरH चूची पकड़कर कसकर ध8के लगा रहे थे और मN
उनकe कमर पकड़कर कस-कसकर जवाब दे रहH थी।

मNने tचढ़ाया- “हे जbदH करो सबेरा हो गया है , और अभी तुTहारH नयी छोटH सालH से @मलना है । अरे , कुछ
अपनी सालH के @लये तो बचा के रखो…”

सालH का नाम सुनते हH उZहK दोहरा जोश आ गया और वो मेरH कमर पकड़कर कस-कसकर मेरा योsन मंथन
करने लगे, कभी परू ा ल~ड अंदर Jकये-Jकये गोल-गोल घम
ु ाते, कभी सुपाड़े तक बाहर sनकालकर परू ा एक ध8के
मK अंदर पेल दे ते।

मNने Jफर tचढ़ाया- “सालH का नाम सुनकर बहुत जोश आ गया या सालH कe सहे लH, मेरH ननद सालH कe याद?”

मेरH बात काटकर उZहने मुझे नीचे @लटा Fदया और मेरH दोन लTबी टांगK अपने मजबूत म8यल
ू र कंध पर रख
लH। सुबह कe सुनहलH धूप उनके चेहरे और काले बाल से खेल रहH थी और चौड़े सीने पे फैलH थी। उZहने मेरH
कोमल कलाइय को कसकर पकड़कर इoती जोर का ध8का मारा Jक, पहले हH ध8के मK मेरH चार चू‹ड़यां टूट
गयीं और उनका सुपाड़ा जाकर सीधे मेरH ब,चेदानी से टकराया।

15
उनके हर ध8के के साथ मेरा जोश भी बढ़ रहा था। कुछ दे र बाद उZहने मेरH पतलH कमर पकड़कर सटासट-
सटासट परू H तेजी के साथ, जैसे कोई Pपटन फुल पीड के साथ अंदर-बाहर जा रहा हो, मेरH चtू चयां उनके चौड़े
सीने से दबी, मसलH जा रहH थीं और मेरे नाखून भी उनके कंधK मK पैबत थे।

मेरH दोन टांगK उनकe कमर मK @लपटH थीं और मेरे चत


ू ड़ भी परू H तरह उछल-उछलकर उनके ध8के का जवाब दे
रहे थे। हम दोन कगार पे थे। मेरH एक हाथ कe उँ गलH उनके sनतTब के बीच छे ड़छाड़ कर रहH थी। मेरH चूत
कस-कसकर उनका ल~ड भींच रहH थी। तभी मेरH आँखK मुदनी शुu हो गयीं और मेरा आरगैyम चालू हो गया।
अपने आप मेरH उँ गलH उनकe गद
ु ा मK घस
ु कर लगता है उनकe Jकसी जगह टच हुआ और वो भी झड़ना शुu हो
गये। एक के बाद एक लहर आ रहH थी। थोड़ी दे र बाद जाकर वो ‰के।

तभी मNने Œयान Fदया Jक बाहर खट-खट हो रहH थी। मNने झट से साड़ी Jकसी तरह लपेटH, मेरH गोरH जांघ पर
उनका वीयw बहा हुआ था, पर उस ओर Œयान न दे कर मNने उZहK रजाई मK ढका और जाकर दरवाजा खोला।
दरवाजे पे मेरH िजठानी बेड-टH लेकर खड़ी थीं।

मुझे उस हाल मK दे खकर tचढ़ाते हुए वो बोलHं- “लगता है सुबह-सुबह ‘गुड माsन¡ग’ हो गया…”

उनके हाथ से ‡े लेते मN बोलH- “दHदH, आपके दे वर हN हH ऐसे कहHं भी, कभी भी…”

“अरे बेचारे मेरे दे वर को 8य बदनाम करती हो? ये तुTहारे मत हN हH ऐसे…” साड़ी के ऊपर से मेरे खड़े sनपल
को दबाती वो बोलHं।

“और Jफर तT
ु हK मN चुन के शादH करा के लाई हH इसी@लये थी। इस@लये अब @शकायत 8या करना? हां राजीव को
बोल दे ना Jक जरा जbदH तैयार होकर तT
ु हारे साथ sनकल लेगा, जनवासे का भी इZoजाम उसे हH पूरा दे खना
है …” यह कहकर वो sनकल गयी।

अbपना को भी लेने जाना था, इस@लये वो तो झट से नहा धोकर तैयार हो गये और आज जबदw त आƒटर शेव
और लेडी Jकलर परƒयम
ू भी लगाया था।

अbपना घर मK अपने कूल `ेस मK , नेवी ’लू कटw और टाप मK बहुत से8सी लग रहH थी। राजीव ने जैसे हH
अbपना कe मां का पैर छूने कe को@शश कe उZहने रोक Fदया और बोलH- “अरे दामाद से कैसे पैर…” और उZहK
उठा Fदया। मेरH ओर दे खकर बोलHं- “लगता है बेटH दामाद से बहुत मेहनत कराती है …” उनकe sनगाह मेरे लो-कट
’लाउज से साफ Fदखते रात के sनशान पर थी।

और उनका मतलब समझ के मN शरमा गयी।

Jफर वो बोलHं- “लेJकन दामाद का काम हH है मेहनत करना…”

तब तक अbपना एक बड़े tगलास मK गरम दध


ू ले आई और बोलH- “अरे , इसी@लये तो मN गरमा-गमw दध
ू ले आई
कe बेFटय के साथ जो भी मेहनत करना हो करK …”

“अरे नहHं, मN दध
ू नहHं पीता और मN नाˆता करके आया हूं…” राजीव ने मना Jकया।

“अरे ससुराल मK तो थोड़ा नखड़ा FदखायKगे हH… लो सालH दे रहH है , पी लो…” मN बोलH और फुसफुसाकर उनसे
कहा- “सालH दे रहH है , मना ना करो…”

“अरे सालH का दध
ू , Jकसकe FहTमत है मना करने कe…” अbपी कe गदरायी चtू चय कe ओर बेशमl से दे खते वो
बोले।

शरमा कर अbपी मुड़ गयी और कहने लगी कe मN अभी कपड़े चK ज करके आती हूं।

वो बोले- “अरे नहHं, तम


ु इसी मK अ,छ. लग रहH हो…”
16
“और 8या? और दोपहर मK तो तुम लौट हH आओगी। हां Jफर तैयार होकर रात मK ‰कने कe तैयारH के साथ
आना…” मNने भी राजीव कe बात का साथ Fदया।

अbपी कe मां कe ओर मNने दे खा तो वो हbके-हbके मुˆकुरा रहHं थी। मNने उनसे इजाजत मांगी- “मTमी, आज
शादH का काम बहुत है , सारH रˆमK होनी हN और रात मK दे र तक गाना-वाना। अगर आप कहK तो मN उसको रात
मK रोक लूं…”

“अरे बेटH, तT
ु हारH छोटH बहन है और Jफर शाFदय मK तो जान पहचान बढ़ती है , लड़Jकयां सब कुछ सीखती हN
और आगे से दब
ु ारा मुझसे मत पूछना, मN बुरा मान जाऊँगी…”

“गलती हो गयी, मTमी और हां कTमो कहां है ?” मुˆकुराकर अbपी कe छोटH बहन के बारे मK मNने पूछा।

“वो कूल गयी है दोपहर मK आयेगी, वो भी बेताब थी अपने जीजू से @मलने के @लये…”

तब तक अbपना और राजीव बाहर sनकल आये थे। कार का Pपछला दरवाजा खोलकर मNने कहा- “तम
ु दोन
आज पीछे बैठो, मN आज `ाईव करती हूं…” और मN `ाइव करने लगी। Jफर पीछे दे खकर मNने कहा- “अब जीजा-
सालH, अ,छ. तरह मुलाकत कर लK…”

राजीव ने उसे अपनी ओर खींच @लया। @मरर मK दे खकर, मुˆकुराते हुए मN बोलH- “अbपी, अपनी दHदH का नाम
मत डुबोना…”

हँसते हुए उसने अपने गुलाबी हठ बढ़ा Fदये और बोलH- “नहHं, एकदम नहHं…” और अपने जीजा कe गोद मK बैठ
गयी। मNने सारH “खड़Jकय के ’लैक Fटंटेड शीशे पहले हH चढ़ा Fदये थे। 5 @मनट का राता मNने खब
ू च8कर
लगाकर आधे घंटे मK परू ा Jकया। और मN रह रहकर शीशे मK दे ख रहH थी। पहले थोड़ी दे र बाहर से, Jफर उसके
कूल `ेस के टाईट ’लाउज़ के अंदर हाथ डालकर राजीव ने अ,छ. तरह उसके Jकशोर उभार कe नाप तौल कe।
अbपी भी बढ़ चढ़कर अपने जीजू का साथ दे रहH थी। राजीव का एक हाथ उसकe चूtचयां दबाता और दस
ू रा
कटw के अंदर जाकर उसकe गोरH-गोरH जांघ को सहलाते हुये पNटH के अंदर छे ड़खानी कर रहा था। जींस के अंदर
तना उनका बbज साफ-साफ Fदख रहा था।

पहले हम जनवासे पहुंचे और वहां का काम दे खकर घर। वहां गुmडी इंतेजार कर रहH थी 8यJक उसे शाPपंग के
@लये जाना था। मN उतरकर घर मK चलH गयी और राजीव दोन को लेकर शाPपंग के @लये।

मNने अbपी से कहा- “शाPपंग के @लये ले जा रहK हN तो अपने जीजू कe जेब अ,छ. तरह से खालH करवाना। उZहK
बहुत Fदन से इंतजार था छोटH सालH का…”

“एकदम दHदH…” हँसते हुए अbपना बोलH।

घर मK शादH का परू ा माहौल था, हँसी मजाक, गाने, शादH के काम सब एक साथ चल रहे थे। मN भी उस कमरे
मK जाकर बैठ गयी जहां मेरH जेठानी, गुलाबो और बाकe औरतK बैठ.ं थीं। तभी दल
ु ारH कe बल
ु ंद आवाज मK गालH
गाने कe आवाज सुनायी पड़ी,

“अरे आया बहनचोद आया, अरे नंदोई भंड़ुआ आया,


अपनी बहना, अरे अपनी हे मा चुदाता आया…”

मेरH जेठानी ने कहा- “लगता है जीत और लालH (गुmडी कe सबसे बड़ी बहन और उसके जीजा) आ गये।

और तब तक वो दोन लोग कमरे मK आ गये।

17
बड़ी ननद लालH का पैर छूकर जैसे हH मN नZदोई जी का पैर छूने बढ़H तो उZहने मुझे पकड़कर गले लगा @लया,
और बोले- “अरे सलहज से तो गले @मलना चाFहये…” गले लगाकर उनका एक हाथ मेरे से8सी भरे -भरे sनतंब को
सहला रहा था।

मN उनका मतलब अ,छ. तरह समझ रहH थी। शरारत से मNने अपना आंचल थोड़ा tगरा Fदया और अब मेरे गहरे
लो-कट ’लाउज़ से उZहK मेरH गोलाईयां अ,छ. तरह Fदख रहHं थी। यहH नहHं मNने अपने भारH उभार कसकर उनके
चौड़े सीने पे दबा Fदये।

वह 8य चूकते, साईड से उZहने मेरे जोबन हbके से मसल Fदये। मNने भी अपनी जांघ के बीच उनके तZनाते
खूंटे को हbके से दबा Fदया।

मेरH ननद लालH मुझे Œयान से दे ख रहH थीं। मुझे छे ड़ते हुये, मुˆकुराकर वो बोलHं- “लगे रहो… लगे रहो…”

“नंदोई जी, आपको नहHं लगता है कहHं कुछ सुलग रहा है …” उनको और कसकर भींचते हुये मN मुˆकुराकर ननद
को दे खती बोलH।

“अरे साफ-साफ 8य नहHं कहती कe ननद रानी कe झांटK सुलग रहH हN…” गुलाबो 8य चुप रहती।

“मेरH ओर से खुलH छूट है , आ“खर मेरH {यारH छोटH भाभी है …” हँसकर लालH बोलH।

“तो ठ.क है ननद जी, जब तक आप लोग हN, मN आपके सैयां के साथ खुलकर मजा लेती हूं और आप मेरे सैयां
यानी अपने भैया के साथ मजा लK, दोन का वाद बदल जायेगा, 8य नंदोई जी ठ.क है ना…” छे ड़ते हुये मN
बोलH। अब तक मेरा आंचल परू H तरह ढलक चुका था और नंदोई जी अपन परू े तZनाये खूंटे को मेरH जांघ के
बीच लगाये हुए थे।

“अरे नहHं, मेरे सैयां का भी तुम मजा लो और मेरे भैया का भी…” घबड़ाकर ननद जी बोलHं।

“नहHं ननद जी, आप जैसी ताकत सब मK थोड़े हH होती है और Jफर तो मेरे सैयां बचारे का उपवास हो जायेगा।
कर लHिजये ना अदला बदलH…” मNने उZहK और रगड़ा।

“अरे इसके सैयां के ल~ड मK कौन सा कांटा लगा है , मान जाइये ना…” गुलाबो भी मेरH तरफदारH मK बोलH।

“अरे लालH बीबी को अ,छ. तरह मालूम है कe कैसा है ? बचपन मK अपने भैया के साथ बहुत नसw डा8टर खेला
है …” मेरH िजठानी भी हँसकर उZहK छे ड़ती बोलHं।

मN और नंदोई जी अब तक एक साथ रजाई मK बैठ चुके थे। उनका एक हाथ अभी भी मेरे कंधे पे था और मेरे
उभार के पास तक छे ड़ रहा था।

पर मNने उसे हटाने कe कोई को@शश नहHं कe। दलु ारH तब तक गमw चाय लेकर आई। मNने चाय लेते हुए उसे
उकसाया- “अरे नZदोई जी का वागत तो तम ु ने गालH से कर Fदया पर ननद जी तो बची हN उनको भी तो एकाध
सुना दो…”

गरम होकर दल
ु ारH बोलH- “अ,छा, हमसे हमारH बहन को हH गालH सुनवा रहH हो। अरे 8या भा@भय के पास कुछ
बचा नहHं है या मुँह मK कुछ भरा हुआ है ? कल तो बहुत चहक रहH थी Jक आज हम @मलकर जवाब दK गK…”

“लगता है , मझ
ु े हH सुनाना पड़ेगा…” मN बोलH।

“एकदम, सुनाओ ना ये ननद रानी 8य सूखी रह जायK…” मेरH िजठानी ने चढ़ाया।

और मN चालू हो गयी-

“ननद& रानी, अरे ननद& रानी Wवागत करते बारं बार।


18
यE बैठ` हQ मंुह लटकाये, यार नह&ं Dमले या दो चार…”

एक से काम नहHं चलेगा, कम से कम दो चार चाFहये, मNने उZहK और छे ड़ा।

“अरे एक दो से तो काम चूत वा@लय का चलता है । इनका तो पूरा भोसड़ा है , एक दो का 8या पता चलेगा?”
गुलाबो ने अपनी टाइल मK और छे ड़ा।

“अरे इनका तो मायका है , दो-चार 8या, दस-बीस @मल जायKगK। कोई आगे से कोई पीछे से…” जेठानी जी भी उZहK
तंग करने मK शा@मल हो गयीं।

उन लोग का आपस मK कसकर शुš दे सी भाषा मK मजाक चालू हो गया और मN जीत, मेरे नZदोई से धीमे-धीमK
बातK करने लगी- “8य नंदोई जी, आपको तो गम हH होगा, परस सालH चल जायेगी साजन के हवाले…”

“सहH कहती हN भाभी और छोटH वालH तो @लƒट हH नहHं दे ती…” वो बोले।

“अरे 8य tचतां करते हN सलहज के रहते। अगर मN उससे @लƒट 8या… जो आप को चाFहये वो सब Fदलवा दं ू
तो? पर मेरH भी दो शत™ हN…”

“अरे नेकe और पूछ-पूछ, अरे दो 8या दो सौ शत™ मानने को मN तैयार हूं। पर बताईये 8या करना होगा?” वो खुश
होकर बोले।

“अरे वहH करना होगा जो एक जीजा को अपनी सालH के साथ करना चाFहये और जो आपको बहुत पहले उस
सालH के साथ कर दे ना चाFहये था। मेरH पहलH शतw है कe 48 घंटे मK उस सालH गुmडी का भरतपरु लट
ु जाय,
मझलH के पहले छोटH कe सुहागरात हो जाय…”

“मंजरू , और दस
ू रH?”

रजाई के अंदर मेरा हाथ उनके बbज पर हH था और अब तंबू पूरH तरह तन गया था। मNने एक हाथ से उसे
दबाया और दस
ू रे हाथ से उनका हाथ थोड़ा और खींचकर ठ.क से खुलकर अपने जोबन पे रखकर दबा Fदया और
धीमी आवाज मK बोलH- “दस
ू रH यहH कe िजस तरह मेरे सीने पे हाथ रखे हN ना… खुलकर उससे भी बढ़कर अपनी
सालH का सबके समने खुलकर जोबन मदwन कeिजये , खासकर उसके भाई के सामने गोरे गाल का रस लFू टये,
एकदम खुलकर अपने माल कe तरह प8कe sछनाल बना दे ना सालH को…”

“अरे सारH शत™ मंजरू हN बस आप दे खती जाइये। बस एक बार आप @लƒट Fदला दHिजये Jफर दे “खये sछनाल भी
मात हो जायेगी उससे…” नZदोई जी मेरे कान मK बोले।

अब खलु कर मेरा दस
ू रा जोबन भी उनकe tगरƒत मK था। Pवजयी भाव से मNने अपनी बड़ी ननद को दे खते हुये
Qताव दोहराया- “ननद रानी, एक बार Jफर सोच लHिजये… आ“खरH आफर, अदला-बदलH कर लHिजये। अरे जो
आपने उनका बचपन मK दे खा होगा अब वैसा नहHं है , पूरा मूसल हो गया है । एक बार ‡ाई करके दे ख लHिजये
मेरा सैयां को…”

झुंझलाकर वो बोलHं- “अरे तुTहारा मूसल तT


ु हHं को मुबारक, मेरा भी रख लो अपना भी घटो…”

“अरे ननद जी, फट गयी 8या मूसल के नाम से? चख कर तो दे “खये?”

“अरे 8या फट गयी? गा~ड फट गयी साफ-साफ खोलकर बोलो ना, 8या आधी-तीहH बात बोलती हो…” गुलाबो
Jफर अपने रं ग मK आ गयी।

“अरे तो 8या गा~ड अब तक नZदोई जी से बची थी फटने को?” भोलेपन से िजठानी जी ने छे ड़ा।

19
“हां… आपके नZदोई जी इoते सीधे हN जो छोड़Kगे…” हँसकर लालH बोलH और मेरH ओर मोचाw खालते हुये बोलH-
“और रHनू भाभी, तT
ु हारH बची है 8या?”

“हां… आपके भाई ईoते सीधे हN जो छोड़Kगे…” मुˆकुराकर उसी अंदाज मK मNने भी बोला। और हम सब लोग हँसने
लगे।

तब तक दल
ु ारH आई कe मंडप मK उड़द छूने कe रˆम के @लये हम लोग का इंतजार हो रहा है और हम लोग
चल Fदये। काफe समय रˆम और शादH के काम मK बीत गया।

तब तक मNने दे खा Jक गुmडी शाPपंग से आ गयी है । उसने बताया कe राजीव और अbपना उसे छोड़कर जनवासे
के इंतजाम के @लये चले गये हN। मN उसे सबसे ऊपर वालH मंिजल पे उस कमरे मK ले गयी जहां हमने सब
सामान रख रखा था और कोई आता जाता नहHं था।

मNने उसके कंधे पे हाथ रखकर {यार से समझाया- “दे खो गुmडी, तT ु हारे जीजा बहुत नाराज थे, वो तो मNने बहुत
मुिˆकल से उZहK समझाया ◌ः◌े। अब आगे तT ु हारे हाथ मK है, तT
ु हK हH सब पहल करनी पड़ेगी, सब शमw @लहाज
छोड़कर। मNने तT
ु हK समझाया है ना कैसे? दे खो अbपी ने तो आज हH उनको जीजा बनाया है और कैसे सबके
सामने खुलकर मजे ले रहH है। तुम उससे भी दो हाथ आगे बढ़ जाओ, अपने हाथ से उनका हाथ पकड़कर अपने
कबत
ू र को पकड़वाओ। अरे एक बार उनका गुसा खतम हो गया ना तो Jफर तो खुद हH तT
ु हK नहHं छोड़Kगे…”
और मNने उसको सारH बातK खोलकर समझा दH।

गुmडी- “हां भाभी, आप बहुत अ,छ. हN। बस एक बार आप दोती करवा दHिजये , Jफर आप दे “खये…”

“ठ.क है , तो मN उनको लाने जाती हूं, तम


ु यहHं रहना और तुTहK वो शतw तो याद हH होगी कe अगर तT
ु हारH
tच‹ड़या ने 24 घंटे के अंदर चारा नहHं घटा तो?” और मN नीचे जाकर नZदोई जी को ले आई। नीचे सब लोग
काम मK यत थे कe Jकसी ने Œयान हH नहHं Fदया कe हम लोग कहां हN।

जीत को दे खते हH जब तक वह कुछ समझK, गुmडी ने उZहK @लपटा @लया। उनकe तो चांदH हो गयी। उZहने भी
जवाब मK उसे कसकर भींच @लया। उZहने उसका सर पकड़कर अपनी ओर खींचा तो उसने खुद अपने Jकशोर
हठ अपने जीजा के हठ पे रख Fदये। अब तो जीत पागल हो गये। वो कसकर उसके गुलाबी हठ को कभी
चूमते, कभी अपने हठ मK दबाकर उसका रस लेते। उZहने अपनी जीभ उसके मत रसीले हठ के बीच मK डाल
दH और कस-कसकर रस लेने लगे।

जब उZहने अपने हठ से उसको आजाद Jकया तो मNने आंख से गुmडी को कुछ इशारा Jकया।

उसने @शकायत भरे वर मK अपने जीजा का हाथ पकड़कर कहा- “जीजू, आप इoते लेट 8य आये ? आपको सालH
कe जरा भी याद नहHं आती। दे “खये आपकe याद मK आपकe सालH का सीना Jकoता जोर से धड़क रहा है …” और
यह कहकर उसने अपने जीजा का हाथ सीधे अपने टाप पे चूtचयां के ऊपर रख Fदया और कसकर दबा Fदया।

जीत कe तो हालत खराब थी। Jफर भी उZहने मौके का फायदा उठाकर बोल हH Fदया- “ये तो टाप है , सालH जी
सीना तो दे खK कैसे धड़क रहा है मेरH याद मK …”

“लHिजये जीजू, आप भी 8या याद कkरयेगा Jकस सालH से पाला पड़ा था…” और उसने खुद अपने हाथे से उनका
हाथ पकड़कर अपने टाप के अंदर घुसाकर सीधे , अपनी टHन चूtचयां के ऊपर रख Fदया।

मNने मौके का फायदा उठाकर कहा- “अब मNने जीजा-सालH को @मलवा Fदया है , अब मN चलती हूं…” और बाहर
sनकलकर मN चौकe दार कe तरह थी, कe कोई और आये तो मN उZहK आगाह कर दं ू और वहां से मुझे अंदर का
सीन भी Fदख रहा था। आधे घंटे से भी yयादा, जैसे मNने समझाया था, िजजा ने सालH का खूब चुTबन @लया,

20
जोबन मदwन Jकया, बbकe अ,छ. तरह टाप उठाकर जोबन दशwन भी Jकया और गोद मK अपने खड़े खूंटे पे
बैठाया।

जब वह बाहर sनकले तो जीजा का हाथ सालH के उभार पे था और सालH भी खुलकर बना Jकसी शमw के जुबना
का रस अपने जीजा को दे रहH थी। कभी खद
ु उनके गाल से गाल रगड़ती, कभी उZहK Fदखाकर अदा से अपने
जोबन को कस-कसकर उभारती।

मेरे {लान का पहला भाग परू ा हो चुका था।

गुmडी अपने जीजू से ऐसे tचपक गयी थी जैसे, @लफाफे से Fटकट। मंडप मK , आंगन मK कहHं भी जहां उसके जीजा
जाते साथ-साथ वह और मेरे नZदोई जी भी मौके का पूरा फायदा उठा रहे थे, कभी उनके हाथ उसके गोर-गोरे
गाल सहलाते, कभी जोबन का रस लेते और अब वह हमारे खुले मजाक मK भी बना शमाwये पूरा Fहसा ले रहH
थी। मंडप मK वह एक रˆम मK बैठ. थी पर sनगाह उसकe अपने जीजू पे थी।

मN उनके साथ बैठ. दरू से उसे tचढ़ा रहH थी। नZदोई जी का एक हाथ मेरे कंधे पे था। उZहने मेरे गाल से गाल
सटाकर धीरे से कहा- “सलहज जी, आप जाद ू जानती हN, मN तो सोच भी नहHं सकता था…”

“अरे नZदोई जी, जाद ू कe छड़ी तो आपके पास है । अभी मेरH छोटH ननद को अपनी ये लTबी, मोटH जाद ू कe
छड़ी पकड़ायी कe नहHं?” उनकe बात काटकर मN बोलH। मेरे उं ग@लयां उनके पाजामे के उपरH Fहसे पे सहला रहHं
थीं, जहां हbका-हbका तंबू तना था।

“नहHं, हां, ‹ड’बे के ऊपर से जाद ू कe छड़ी को जuर छुलाया था…” हँसकर वो बोले।

“अरे ऊपर से 8य? ‹ड’बा खोलकर परू ा पकड़ा दे ना चाFहये था। अरे दे “खये ना उसके गल
ु ाबी हाथ मK मKहदH कैसे
रच रहH है , और डंडे को पकड़कर तो मK हदH का रं ग और भी sनखर आता। जब एक बार उस मोटे जाद ू के डंडे को
पकड़कर, सहलाकर, अपनी मु–ी मK दबाकर दे खेगी ना तो उसके मन से डंडे का डर sनकल जायेगा, और उससे
खल
ु वा कर अ◌ापके मोटे पहाड़ी आलू को भी। मN तो कहती हूं Jक उसको खल
ु कर बेशमw बना डा@लये तभी असलH
मजा अयेगा। बहुत तड़पाया है इस सालH ने आपको, अब आपका Fदन है …” अब मेरH उँ गलH तने तंबू के ठ.क
ऊपर थी।

“हां, सलहज जी आप ठ.क कहती हN। अब बस आप दे खती जाइये , दो Fदन के अंदर एकदम बदल दं ग
ू ा इसको…”

जैसे हH वह मंडप से sनकलH, नंदोई जी ने इशारा Jकया और उनके पीछे वह बंधी-बंधी चलH गयी, ऊपर उस
कमरे कe ओर जहां अभी थोड़ी दे र पहले उनकe मNने मुलाकात करवायी थी। मN मुˆकुराकर रह गयी कe मेरH
शमlलH ननद कe ‡े sनंग का एक और अŒयाय आगे बढ़ रहा होगा।

तभी मNने दे खा Jक राजीव और अbपना आ गये हN। अbपना एक मत टाप मK बहुत से8सी लग रहH थी। हbके
नीले रं गे के खब
ू कसे-कसे टाप मK उसके मत उभार समा नहHं पा रहे थे, जैसे कभी-कभी खुशी मन से ¢लक
आती है , वैसे हH उसके Jकशोर जोबन छलक रहे थे। यहां तक कe उसके चूचुक भी हbके-हbके Fदख रहे थे। टाप
थोड़ा छोटा था और उसकe पतलH गोरH कमर और नाभी भी कुछ-कुछ Fदख रहे थे। जीZस लो-कट भी थी और
Fहप हtगंग भी।

मुड़ कर उसने Fदखाया और पूछा- “8य दHदH, कैसी लगती है नयी टाप और जीZस?”

वह इoती कसी थी कe उसके बड़े-बड़े कसे हुये चूतड़ साफ sनकलकर बाहर आते लग रहे थे और उनके बीच कe
दरार भी साफ Fदख रहH थी। लो-कट होने के नाते उसकe Pपंक पNटH कe ि‡ं ग भी हbकe सी Fदख रहH थी।

तब तक मेरH बड़ी ननद लालH भी वहां आ गयी थीं।

21
अbपना बोलH- “आज मNने जीजाजी कe जेब ढHलH करवा लH। अ,छ. है ना? जीजू कe पसंद है …” हँसकर वो बालH।

“अरे तुमने तो जीजू से जेब ढHलH करवायी है आगे दे खो वो तुTहारH 8या-8या ढHलH करते हN…” हँसकर मेरH ननद
ने उसे छे ड़ा।

“अरे करने दHिजये ना, ये सालH डरने वालH नहHं। लेJकन आप 8य जल रहH हN?” उसने भी पलटकर जवाब Fदया।

“अरे ननद जी पास मK हो ओखलH, तो मूसल से 8या डरना…” मNने भी उसका साथ Fदया।

राजीव अbपी को छोड़ने जा रहे थे। मNने उसे समझाया कe कुछ डांस कe सी॰डी॰ ले आयK और और लौटते हुए घर
जाकर मN जो वी॰सी॰डी॰ ‘कांटा लगा का’ ले आई थी वो जuर ले आयK…”

“पर घर मK तो ताला बंद होगा, सब लोग तो यहHं हN…” राजीव ने कहा।

“हां… और इससे चेक करवा लेना, अbपी वहां ढे र सारH वी॰सी॰डी॰ हN जो सबसे मत होगी खुद चेक करके ले
आना…” और जाने के पहले मNने अbपी के कान मK कुछ समझाया।

अbपी मुˆकारने लगी।

तब तक ऊपर से मेरे नZदोई और गुmडी उतर रहे थे, जीजू के हाथ गुmडी के के कंधे पे थे। मुझे लगा शायद
राजीव को सामने दे खकर शमाw के गुmडी उनका हाथ अपने कंधे से हटा दे गी। पर वह कुछ कर पाती, उसके पहले
हH जीत ने अपना हाथ खुलकर उसके उभार पर रख Fदया, बbकe राजीव को Fदखाते हुये हbके से दबा भी Fदया।

गुmडी का चेहरा गल
ु ाबी हो गया, पर जीत ने अपना हाथ और कसकर उसके जोबन पे दबा Fदया और गुmडी से
अbपी के बारे मK पूछा- “ये से8सी…”

उनकe बात काटते हुए, मुˆकुराकर गुmडी ने कहा- “आपके साले कe सालH है …”

उधर राजीव ने भी तंग टाप से उसके छलकते उभार को हbके से टHप कर कहा- “जbदH करो सालH जी…”

अbपना ने चलते हुए जीत से कहा- “लौट के @मलते हN डबल


ु जीजाजी, अभी आपके साले उतावले हो रहे हN…”
और मुˆकुराकर चल दH।

नZदोई जी ने इशार -इशार मK बताया कe अपना जाद ू का डंडा तो उZहने खोलकर गुmडी को अ,छ. तरह पकड़ा
Fदया। पर बात कुछ और आगे बढ़ती कe Jकसी काम से उZहK खोजते हुये दल
ु ारH वहां पहुँच गयी।

शाम को अbपी और राजीव बहुत दे र से आये। राजीव तो तरु ं त हH चले गये जनवासे। अभी सब लोग थक कर
लेटे थे, तो ऊपर हाल मK मN अbपी और गुmडी को लेकर चलH गयी डांस कe सी॰डी॰ दे खने।

गुmडी उसे छे ड़ रहH थी- “हे इoती दे र कैसे लग गई? 8या भैया के साथ? और तेरे गाल आज कुछ yयादा हH
चमक रहे हN चख के दे खती हूं…” और उसने उसे चूम @लया।

हम लोग सी॰डी॰ लगाकरके डांस करने लगे। एक लोक गीत कe धुन लगाकरके हम लोग डांस कर रहे थे कe
गुmडी ने कहा- “भाभी, आप कह रहHं थीं ना, कल राते मK कe Jफbम मK कैसे आपने वो धक-धक…”

“अरे रानी, साफ-साफ 8य नहHं पूछती कe अपनी चूtचयां कैसे उछालते हN? लो बताती हूं…” तब तक अbपना ने
‘धक-धक करने लगा’ का कैसेट लगा Fदया था और मNने डांस करते हुये उZहK Fदखाया और Jफर बताया कe कैसे
अदा से जोबन को उभारते हN, कैसे उसे ऊपर पुश करते हN कैसे नीचे झुक करके 8लHवेज कe झलक Fदखाते हN
और कैसे उसे Fहलाते हN। यहH नहHं गुmडी और अbपी को मNने वैसे बार-बार करवा के हर टे प कe अ,छ. Qैि8टस
करा दH।

22
इसके बाद रH-@म8स गान कe वी॰सी॰डी॰ जो अbपी घर से लाई थी, उसको चलाकर एकदम से8स करने कe मुhा
मK हमलोग Qैि8टस कर रहे थे। तभी मझ
ु े लगा कe अbपना को टांगK फैलाने मK थोड़ी तकलHफ हो रहH है तो मNने
गुmडी को बताया तो वह पीछे हH पड़ गयी। आ“खरकार उसने कबूला कe tच‹ड़या ने चारा खा @लया है । बहुत
मुिˆकल से वह सब बताने पे राजी हुई वो भी इस शतw पे कe जब गुmडी कe फटे गी तो वो भी सब बात खुलकर
हम दोन को बतायेगी।

अbपना ने कहना शुu Jकया- “दHदH, जो आपने सलाह दH थी ना वो बहुत सहH थी…”

उसकe बात काटकर गुmडी बोलH- “अरे शुu से बताओ ना और सब चीज खुलकर…”

“हां… लेJकन शाटw मK । सीधे मुŸे पे, असलH बात पे। कपड़े उतरने के बाद…” मN भी उoसुक थी।

“जीजू ने मझ
ु े जब छूना शुu Jकया तो उनकe उं ग@लयां मेरे सीने पे हbके-हbके Jफसल रहHं थीं। थोड़ी दे र ऐसे हH
छे ड़ने के बाद उनके हाथ मेरH छाती के बेस पे जाते और धीरे -धीरे ऊपर आते, लेJकन sनपल के पास आने के
पहले हH वो ‰क जाते। कुछ दे र तक तो उसके बेस पे वो उँ गलH Jफराते रहे और जब मेरा मन मचल रहा होता
था Jक वो उसे पकड़ लK तो वो हाथ हटा दे ते। बहुत दे र तक ऐसे तंग करने के बाद अचानक उZहने मेरे सीने को
कसकर पकड़ @लया और लगे रगड़ने, मसलने। उनका दस ू रा हाथ मेरH जांघ पर था। मारे शरम के तो मN शुu मK
कसकर अपनी जांघ को भींच के बैठ. थी। पर जब उनका हाथ मेरH जांघ पर हbके से सहलाते हुये ऊपर बढ़ने
लगा तो लग रहा था Jक मेरH जांघ के बीच गरम लावा दौड़ रहा है और वह अपने आप खल ु ने लगी। उनका एक
हाथ मेरे उरोज पे और दस
ू रा जांघ के एकदम उपरH Fहसे मK लगभग वहHं। दHदH, जीजू कe उँ ग@लयां तो लग रहा
था कe वह Jकसी वा¤य-यं— के तार छे ड़ रहे ह और वो वा¤य यं— मN होऊँ। मेरा पूरा शरHर कांप रहा था…”

मNने गुmडी कe ओर दे खा तो उoतेजना के मारे उसका पूरा शरHर तन गया था। उसके उरोज भी जोश मK आकर
पoथर हो रहे थे। बड़ी मुिˆकल से उसने थूक घटा और बोलH- “Jफर?”

अbपी- “उनके एक हाथ कe उँ ग@लय ने मेरे sनपल को पकड़कर िƒलक करना शुu कर Fदया, और दस
ू रा हाथ
मेरH जांघK, अब परू H तरह खुल चुकe थीं। वो ‘उसके’ अगल-बगल सहला रहे थे और मN जोश के मारे पागल हो
रहH थी। मेरा मन कह रहा था Jक वो मुझे ‘वहां’ छुयK, पर जैसे उZहK मुझे तड़पाने मK मजा आ रहा था। उनकe
उँ गलH ने जब बहुत दे र तड़पाने के बाद मेरे नीचे वाले बाहरH हठ छुये ना तो मुझे लगा जैसे मुझे 440 वोbट का
झटका लगा हो, पर उZहने हाथ हटा @लया। मN अब खद ु कमर Fहला रहH थी। उZहने दस ू रा हठ छुआ और
अबकe वह अपनी उँ ग@लय मK लेकर दोन भगो¥ठ सहलाने लगे। कुछ दे र बाद उZहने अपनी उँ गलH कe Fटप
थोड़ा सा अंदर डालH। मNने अपनी दोन जांघK पूरH तरह फैला रखीं थीं, इoता अ,छा लग रहा था Jक बस बता नहHं
सकती। मेरH आंखK मजे मK बंद हो गयीं Jफर अचानक उZहने अपनी उँ गलH और अZदर कर दH और उसे गोल-
गोल घम
ु ाने लगे। थोड़ी दे र इस तरह तंग करने के बाद, sनकालकर मुँह मK डाल @लया और उसे मुझे Fदखाकर
चाटने लगे…”

“चाटने लगे?” गुmडी बोलH और जोश के मारे उसकe हालत खराब थी।

“अ,छा ये बता Jक वहां बाल तन


ू े साफ Jकये था या?” मNने मुˆकुराकर अbपी से पूछा।

“हां दHदH, आपने मुझे जीजू कe पसंद बता दH थी Jक उZहK tचकनी, साफ-सूफ अ,छ. लगती है तो घर जाके मNने
एन-|Kच कe परू H बोतल… वहां एक रोआं भी नहHं बचा था, और पीछे भी…” Jफर गुmडी से पूछा- अ,छा गुmडी तू
बता तेरH कैसी है ?

गुmडी- “मेरH तो F‡म हH है , मेरे जीजू को तो F‡म झांटK हH पसंद हN…” झटके मK वो बोल उठ.।

“अ,छा तो अब बZनो को ये भी पता चल गया कe उनके जीजू को कैसी झांटK पसंद हN…” मNने उसे tचढ़ाया।

23
पर गुmडी शमाwकर अbपी से बोलH- “हे बताओ ना… 8या हुआ आगे ?”

अbपना ने बात आगे बढ़ायी- “जीजू ने थोड़ी दे र वहां उँ गलH करने के बाद, तJकये के नीचे से वैसलHन कe बोतल
sनकालH और अपनी उँ गलH मK लेकर अ,छ. तरह लथेड़ के अंदर डाल दH, और धीरे -धीरे करके उZहने आधी शीशी
वैसलHन मेरे वहा अZदर लगा दH। अब उनका अंगठ
ू ा मेरे ि8लट को छू रहा था, कभी वह हbके से दबाते और
कभी कसकर मसल दे ते, उधर उनका दस
ू रा हाथ अब मेरे सीने को कस-कसकर मसल रहा था। उनकe वैसलHन
मK सनी उँ गलH रगड़ती हुई तेजी से अंदर-बाहर हो रहH थी। मुझे लग रहा था कe मN अब गयी कe तब गयी। तीन
चार बार ऐसे होने के बाद…”

गुmडी- “तो 8या तुTहारा हुआ?” मती से गुmडी कe हालत खराब थी।

अbपी ने बात जारH रखी- “कहां, जीजू मुझे कगार तक ले जाते Jफर ‰क जाते और थोड़ी दे र मK उनके हठ चालू
हो गये, कभी मेरे चूtचयां चूसते, कभी sनपल, और Jफर जब नीचे जाके मेरे लव हठ…”

गुmडी- “अरे साफ-साफ बोलो ना चुसवाने मK शरम नहHं… और यहां कभी ‘वह’ बोल रहH हो कभी लव हठ…”

“हां ठ.क हH तो कह रहH है गुmडी। जब चुदवाने, चुसवाने मK शमw नहHं तो चूत, बुर बोलने मK 8या शरम? और
आज रात मK गाने मK तो यहH सब बोलना होगा…” मN भी गुmडी का साथ दे ती बोलH।

अbपी- “थोड़ी दे र तक तो वो मेरH चूत Jकस करते रहे Jफर जमकर चूसने लगे, और जब उZहने अपनी जीभ मेरे
ि8लट पे छुआई तो मN तो मती मK पागल हो गयी और चूतड़ उछालने लगी। वो उसे हbके-हbके चूसने लगे और
जब मN झड़ने के कगार पे पहुंची तो वो ‰क गये , ऐसा उZहने Jफर तीन चार बार Jकया Jफर उZहने के॰वाई॰
जेलH कe एक टयबू sनकालH और उसकe नोजल मेरH चूत मK लगाकर, दबाकर, आbमोट खालH कर दH और बाकe
अपने उoतेिजत @शˆन पे लगा लH।

“Jफर?” उoतेिजत गुmडी कe जांघK अपने आप फैल गयीं थीं, उसके खड़े sनपल साफ Fदख रहे थे।

अbपी- “Jफर उZहने मेरे चूतड़ के नीचे दो तीन मोटे -मोटे कुशन लगा Fदये और मेरH टांगK अपने कंधे पे रख लH।
दHदH, जैसा आपने कहा था ना, मNने टांगK खूब अ,छ. तरह फैला रखीं थीं और एकदम ऊपर कर रखीं थीं। उनके
ल~ड का सप
ु ाड़ा इoता मोटा लग रहा था जैसे पहाड़ी आलू। उZहने मेरH कलाई पकड़कर, कसकर मेरा चुTबन
@लया और थोड़ी दे र मK अपनी जोभ मेरे मुँह मK घस
ु ेड़ दH। उनका खुला सुपाड़ा मेरH चूत कe ि8लट रगड़ रहा था
और मN Jफर नशे मK पागल हो रहH थी। मेरH चूत मK जैसे हजार चींFटयां दौड़ रहHं थी। Jफर अचानक उZहने पूरH
ताकत से ल~ड अंदर ढकेल Fदया…”

अbपी ने Jफर कहा- “मेरH तो चीख sनकल गयी पर उनकe जीभ मेरे मुँह मK थी और मN खालH ग-ग कe आवाज
sनकाल पा रहH थी। दो तीन ध8क मK उनका पूरा सुपाड़ा अंदर था। अब वो थोड़ा ‰क गये। मN कसकर अपना
चूतड़ पटक रहH थी, गा~ड उछाल रहH थी, पर सुपाड़ा अंदर तक धंसा था और ल~ड बाहर नहHं sनकल सकता
था। धीरे -धीरे ददw थोड़ा कम हो गया पर मुझे 8या मालूम था कe असलH ददw अभी बाकe है । मेरे गाल, माथा और
बाल {यार से सहलाने के बाद एक बार Jफर उZहने कसकर के मेरH कलाई पकड़ी। उनकe जीभ और हठ ने तो
मेरे मुँह को बंद कर हH रखा था। सुपाड़ा थोड़ा सा बाहर sनकालकर मेरH कलाई को कसकर पकड़कर उZहने
अबकe इतनी जोर का ध8का मारा Jक मेरH आंख के आगे @सतारे नाचने लगे। मुझे लगा कe मN ददw से बेहोश हो
जाऊँगी।

मेरा मँुह बंद होने के बाद भी जोर से ग-ग कe आवाज sनकलH, तभी उZहने दस
ू रा ध8का मारा और मेरH फट
गयी। मेरH सारH चू‹ड़यां टूट गयीं, मेरH सील टूट गयी थी। मेरH आंखK बंद थीं। बस ये अहसास था कe कोई मोटा
सा Pपटन मेरH चूत मK जबरन ठे ल रहा है । लेJकन वो पांच-छ ध8के मारने के बाद हH ‰के।

24
थोड़ी दे र मK मेरH सांस मK सांस आई। Jफर उZहने जब मेरे मुँह से जीभ sनकाला तो मNने आँखK खालHं। उनके
चेहरे कe खुशी दे खकर हH मेरा आधा ददw खतम हो गया। और जब उZहने छोटH चुTमी मेरे गाल, आंख और
sन{पbस पर लHं तो रहा सहा ददw भी खतम हो गया। 4-5 @मनट मK मN खुद हH अपने चूतड़ उचकाने लगी।
मुˆकुराते हुए अब उZहने मेरH कलाई छोड़कर दोन Jकशोर जोबन पकड़ @लये और उसे मसलते, रगड़ते हbके-
हbके ध8का लगाने लगे। अब मझ ु े भी मजा @मल रहा था और थोड़ी दे र मK मN भी उनके ध8के का जवाब ध8के
से दे ने लगी। जीजू अब पूरH तरह से चालू हो गये थे। उनके हठ कभी मेरे गाल चूसते, कभी sनपल। उनके हाथ
कभी कसकर मेरH चूtचयां मसलते, कभी मेरH ि8लट छे ड़ते और जब उनका मोटा मूसल ऐसा ल~ड बाहर
sनकलकर मेरH कसी चत
ू मK रगड़ते हुये घस
ु ता ना तो ऐसा मजा आ रहा था ना गुmडी कe पछ
ू ो मत…”

गुmडी तो रस मK ऐसी डूबी थी कe वह बोलने के काबल नहHं थी और ऐसी चुदवासी लग रहH थी कe उस समय
तो अगर कोई भी उसे @मलता तो चद
ु वाये बना छोड़ती नहHं।

अbपी ने बात जारH रखी- “थोड़ी दे र ऐसे चोदने के बाद, उZहने मुझे आbमोट दोहरा कर Fदया मेरH टांग को
मोड़कर और Jफर ल~ड एकदम बाहर sनकालकर एक झटके मK पूरा पेल Fदया। ददw तो हुआ पर मजा भी खूब आ
रहा था, ख,चा-ख,च सटासट ल~ड अंदर जा रहा था, गपागप मेरH चूत मोटे केले कe तरह अंदर घट रहH थी…”

तभी जीजू ने मुझसे कहा- “अरे अbपी जरा उधर तो दे ख…”

ू मँुह फैलाकर
“और मNने दे खा कe `े@संग टे बल मK साफ Fदख रहा था Jक उनका इoता मोटा ल~ड, कैसे मेरH चत
गपा-गप लHल रहH थी। कुछ बाहर भी था पर आधे से yयादा अंदर था। मुझे पता नहHं मN Jकoती बार झड़ी, पर
जीजू 40-45 @मनट चोदने के बाद झड़े और उनके झड़ते हH मNने एक बार Jफर झड़ना शुu कर Fदया और मेरे
चत
ू ड़ अपने आप उछल रहे थे। मN ‰कती और Jफर चालू हो जाती। उZहने मेरे चत
ू ड़ ऊपर उठा रखे थे, िजससे
कe वीयw कe एक भी बूंद मेरH बरु के बाहर ना आये। तब भी कुछ बूंदK छलक कर मेरH गोरH जांघ पे आ गयीं।
बहुत दे र तक उZहने ल~ड अंदर रखा, और बाहर sनकालने के बाद उZहने मुझे अपनी गोद मK बठा @लया और
एक इTपोटq ड लंबी सी चाकलेट मेरे गल
ु ाबी हठ के बीच ग{प से डाल दH…”

“तो 8या उसके बाद उZहने तुझे छोड़ Fदया…” गुmडी कe तो हालत खराब थी।

अbपी- “अरे , इतने सते मK छोड़ने वाले थे वो… पर गुmडी मजा बहुत आया, ददw तो थोड़ा हुआ। एक @मनट के
@लये तो जान हH sनकल गयी पर उसके बाद जब चत ू के अंदर ल~ड रगड़कर जाता था ना तो इoता मजा आता
था। बस तू भी फड़वा ले अपनी…”

“हां, आगे बताओ- “मेरा मन भी मन कर रहा कe राजीव ने Jफर 8या Jकया।

अbपी- “जीजू ने मुझसे कहा कe मN अपनी चूत कसकर भींचे रहूं िजससे उनका वीयw मेरH बुर मK हH रहे । वो मेरH
चुTमी लेने लगे और चुTमी लेते-लेते उZहने अपनी जीभ मेरे मह
ुँ मK डाल दH। अब मझ
ु े भी मजा आ रहा था
और मN कस-कसकर उनकe जीभ चूस रहH थी। जीजू खूब मजे से मेरे जोबन का रस भी ले रहे थे। जीभ चूसते-
चूसते मNने भी अपनी जीभ और मेरा खाया बचा हुआ चाकलेट भी उनके मुँह मK डाल Fदया और उसे वो खूब
वाद ले-लेकर चूसने लगे…”

Jफ़र मेरा sनपल चूसते हुए बोले- “अbपी इसे 8या कहते हN?”

और जब मNने कहा- “सीना…”

तो उZहने कसकर काट Jकया और कहा- “जब तक तुम खुलकर नहHं बोलोगी मN कसकर तुTहK काटूंगा…”

मNने बोला- “बूब…”

25
तो Jफर कचाक से काटकर वो बोले- “नहHं, अपनी जब
ु ान मK …”

और जब मNने कहा- “मTमे…”

तो वो खुश होकर बोले- “हां…” और मझ


ु से उZहने चच
ू ी कहलवा के हH दम @लया।

और उसके बाद उZहने कसकर नीचे पकड़कर मुझसे जोर से फूŸी, बुर, चूत, चूतड़, गा~ड सब कहलवाया। और
जब उZहने मुझसे अपना मोटा हtथयार पकड़वाया तो बना Jकसी शमw के मN खुद खुलकर बोलH- “जीजू, आपका
ल~ड बड़ा मत है …”

गुmडी, उनका ल~ड इoता बड़ा था, कम से कम मेरे बoते के बराबर तो होगा हH और मोटा इतना कe मेरH मु–ी
मK नहHं समा पा रहा था।

वो बोले- “सालH जी, मेरH सालH को बस ऐसी हH भाषा बोलनी चाFहये, िजसने कe शरम उसके फूटे करम…”

जीजाजी ने मुझसे ल~ड को कसकर मु§ठ. मK पकड़कर आगे पीछे करने को कहा, और तरु ं त जैसे बटन दबाते हH
कोई चाकू sनकल जाये, वैसे हH वो खड़ा हो गया। मN भी मजे मK आगे पीछे कर रहH थी, छूने मK इoता अ,छा
लग रहा था… इoता कड़ा, एकदम लोहे कe तरह।

जीजू ने मुझसे कहा Jक मN उनकe चमड़ी खोलूं और खोलते हH मोटा, लाल पहाड़ी आलू ऐसा बड़ा सुपाड़ा बाहर
sनकल आया। अभी भी उसमK उनका वीयw @लथड़ा था। जीजू का भी एक हाथ, मेरH नारं tगय को खब
ू कस-कसकर
मसल रहा था और दस
ू रा मेरH चूत को ऊपर से {यार से सहला रहा था।

Jफर जीजू ने मेरे गल


ु ाबी गाल को काटते हुए कहा- “जानती हो सालHजी, बरु के @लये सबसे अ,छा ल^
ु ीकKट कौन
सा होता है ?”

मNने भोलेपन से पछ
ू ा- कौन सा?

तो मेरH ि8लट को Pपंच करते बोले- “जो तुTहारH बरु मK है , जीजा का वीयw और इस@लये मNने तT
ु हK अपनी चूत
भींचकर रखने को कहा था…”

मN बेवकूफ थी, मNने उनसे पछ


ू @लया- “और जीजू नंबर दो?”

तो वो हँसकर बोले- “सालH के मुँह का थूक, तT


ु हारा सैलाइवा, मेरे ल~ड के @लये…”

इतना सुनना था Jक मNने झुक कर उनका ल~ड अपने मुँह मK ले @लया। बड़ी मुिˆकल से मNने पूरा मुँह फैलाया तो
खालH सुपाड़ा बड़ी मुिˆकल से अंदर घस
ु सका। उनके वीयw का वाद मN महसूस कर रहH थी। लेJकन मN कस-
कसकर चाटती रहH, चूसती रहH। नीचे से मेरH जब
ु ान रगड़ रहH थी और चार ओर से मेरे कोमल हठ।

“Jफर तो तम
ु ने उनका अपने मुँह मK …” गुmडी ने बड़ी मुिˆकल से थूक घटा और पछ
ू ा।

“और 8या? अरे एक बार चूस के तो दे खो 8या मजा आता है , मN तो अपने जीजू के @लये कुछ भी कर सकती
हूं। जीजू ने थोड़ी दे र बाद ल~ड sनकालकर मझ
ु े बतर पे @लटा Fदया और पछ
ू ा- “चाFहये…”

“हां, लेJकन परू ा…” मNने दे खा था कe PपछलH बार जीजा ने आधे से थोड़ा yयादा ल~ड डाला था।

“लेJकन तTु हK बहुत ददw होगा, अbपी…” {यार से वो बोले। मुझे मालूम था Jक मन तो उनका कर रहा था, पर मेरे
ददw के डर से।

“होने दHिजये ना, लेJकन परू ा…” मNने उनको अपनी बांह मK भरकर खूब नखड़े से कहा- “जीजू मेरH एक शतw है …”

“8या, बोलो सालH जी, सालH कe तो हजार शत™ मंजरू हN एक 8या?”

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“चाहे मेरH tचथड़े-tचथड़े हो जाय, चाहे खून-ख,चर हो जाय, चाहे मN ददw से बेहोश 8य ना हो जाऊँ, पर आज
मेरH चत
ू मK परू ा ल~ड डालकर चोदK गे, अगर आप अपनी सालH को जरा भी {यार करते हN तो…”

“अभी लो सालH जी…” और मेरH दोन टांगK कंधे पर रखकर उZहने आसन बदल-बदल कर ऐसी जबदw त चुदाई
कe कe पूछो मत। और अबकe मN शीशे मK हर बार जब ल~ड को घस
ु ते दे खती तो उसी तरह चूतड़ उठाकर उनके
ध8के का जवाब दे ती। मेरH चूtचयां तो उZहने मसलकर रख दHं। अगर मN ये कहूं कe ददw नहHं हो रहा था तो
झूठ होगा। पर गुmडी, मजा इoता आ रहा था कe उस समय ददw का कुछ पता नहHं था। बस मन कर रहा था Jक
जीजू चोदते रहK , चोदते रहK । जब उZहने मझ
ु े दोहरा करके मेरे कंधे पकड़कर अपना परू ा मस
ू ल घस
ु ेड़ा तो मेरH तो
जान sनकल गयी। ददw के मारे मNने अपने हठ काट @लये पर जब उनके ल~ड के बेस ने मेरH ि8लट पर sघसा
दे ना शुu Jकया तो मेरH Jफर एक बार जान sनकल गयी अबकe मजे से… और Jफर मN ऐसा झड़ी, ऐसा झड़ी कe
बस झड़ती हH रहH।

जीजू थोड़ी दे र ‰क कर Jफर चालू हो गये और अबकe तो कम से कम घंटे भर चोदा होगा उZहने मुझे। और
उनके वीयw कe धार चूत मK पड़ते हH मN Jफर झड़ने लगी। मN एकदम लथ-पथ थी। उZहने सहारा दे कर उठाया।
उनका गाढ़ा-गाढ़ा सफेद वीयw मेरH चूत मK भरा था और sनकलकर मेरH जांघ पर बह रहा था। उZहने थोड़ा सा
वीयw अपनी उँ गलH मK लेकर मेरH चूtचय पर मसल Fदया और हँसकर बोले- “उठती चूtचय के @लये ये सबसे
अ,छा टाsनक है …”

और मुˆकुराकर मेरH बरु मK उँ गलH डालकर Jफर ढे र सारा अपना वीयw sनकालकर मेरे गाल पर खब
ू मल Fदया
और बोला- “हे , दे खो कैसे चमक रहH है , सबसे अ,छ. फे@सयल ¨eम है ये…” और जब मNने साफ करने कe
को@शश कe तो अपनी कसम दे कर मना कर Fदया। इसी@लये मेरे गाल œलो कर रहे हN।

गुmडी झKप गयी लेJकन वह अपने को रोक नहHं पायी और बोलH- “सच बताओ, ददw बहुत हुआ?”

अbपना ने मुˆकुराकर उसके भरे -भरे गाल पर tचकोटH काट लH और बोलH- “हां, मN ये तो नहHं कहूंगी कe ददw
नहHं हुआ, बहुत हुआ, लेJकन बस थोड़ी दे र और उसके बाद तो इतना मजा आया, इतना मजा आया Jक मN बता
नहHं सकती। तू भी जbदH से ले-ले ये असलH मजा। मN तो कहती हूं Jक लड़Jकयां झूठे नखड़े Fदखाती हN। मN तो
कहती हूं Jक हमK लड़क के पीछे घमू ना चाFहये, इoता मजा ल~ड मK है। अगर तुTहारे जीजा न कर रहे ह न तो
मN अपने जीजू से बात कuं, 8य?”

गुmडी शरमा गयी और बोलH- “धoत…”

लेJकन अbपी कहां छोड़ने वालH थी वो बोलH- “अरे इसमK धoत कe 8या बात है ? अरे तुम मेरH सबसे प8कe
सहे लH हो ना…”

“हां, वो तो हूं…” गुmडी बोलH।

अbपी- “तो Jफर मेरे जीजू तेरे जीजू हुए कe नहHं? तो Jफर चुदा ले मेरे जीजू से…”

गुmडी बेचारH बुरH तरह झKप गयी।

मN उसकe बचत मK आते हुये बोलH- “अरे अbपी, इसका मतलब है Jक ये पहले अपने जीजा से चुदवायेगी उसके
बाद तुTहारे जीजा से। तो गुmडी, कब QोDाम है तुTहारा चुदवाने का अपने जीजा से?”

“वो जब चाहK …” गुmडी ने बोल तो Fदया पर अपना जवाब सन


ु कर खुद शमाw गयी।

तब तक दल ु ारH उन दोन को ढूँढ़ते हुए वहां आई- “अरे तुम यहां बैठ. हो और तुTहारे जीजा नीचे तT
ु हK तलाश
कर रहK हN…”

27
मN बोलH- “लगता है , तेरा नंबर आ गया और हां जरा जैसे @सखाया है , चूतड़ मटका के तो जाना…”

गुmडी हँसते हुए उठ. और kर@म8स कe लड़“खय कe तरह कसकर चूतड़ मटकाते हुए चलH गयी।

दल
ु ारH ने अbपना से कहा- “अरे तुTहारH भी खोज हो रहH है , भैया ढूँढ़ रहे हN…”

जब वो जाने लगी तो दल
ु ारH ने छे ड़ा- “अरे तुम भी तो जरा अपने ये मोटे -मोटे चूतड़ मटका के Fदखाओ…”

अbपी पीछे रहने वालH नहHं थी। उसने अपनी पतलH कमर और टाईट जीZस से छलकते भरे -भरे चूतड़ यूँ
मटकाये कe बस।

दल
ु ारH- “हे 8या मत चूतड़ हN… आज रात को जuर गाने के समय, तुTहारH गा~ड बना मारे छोड़ूग
ं ी नहHं…”

“और 8या तT
ु हारH बच जायेगी?” मुड़कर अपने जोबन उभारकर बड़ी अदा से अbपी ने जवाब Fदया और
“खल“खलाते हुए राजीव से @मलने चलH गयी।

शाम होते हH मेहमान का आने का @सल@सला बढ़ गया। मेरे नंदोई जीत कe बहन हे मा भी अपने माता Pपता के
साथ आ गयी थी। खूब चहल पहल थी। आज गाने के @लये बरामदे मK परदा लगाने का इंतेजाम था, िजससे मद©
को कम से कम Fदखायी तो ना पड़े कe अZदर औरतK 8या कर रहH हN? िजतनी Qोढ़ औरतK थीं या काम करने
वा@लयां थीं वो और खुलकर @सफw गालH मK मजाक कर रहH थी और दल
ु ारH और गुलाबो सबसे आगे थीं। काम भी
बहुत था।

मेरH सास ने मुझसे बुलाकर कहा- “ऊपर छत पे मद© के खाने का इंतेजाम करवा दं ू और हां सबसे पहले नंदोई
और लालH के ससरु ाल वाल को “खला दं …
ू ”

सब इतजाम हो गया और मNने गुmडी और अbपी को भी बुला @लया, खाना परोसने के @लये। दोन ने अपने दप
ु ”े
कमर मK बांध @लये।

जीत tचढ़ा कर बोल रहे थे- अरे जरा ठ.क से झुक के दो।

मN उनकe ¤Pवअथl बात का मतलब तो समझ गयी और ये भी कe झुकने से उभार और ि8लवेज उनको साफ
Fदखते, और tचढ़ाकर बोलH- “अरे ठ.क से डालो ना… नंदोई जी कe कटोरH मK परू ा भर के। हां… और बगल मK
उनकe बहन को…”

मेरा इशारा काफe था, गुmडी ने कुbहड मK पानी डालते हुए सीधे हे मा कe जाघ के बीच tगरा Fदया और दोन
हँसकर बोलH- “अरे आपको इoती जोर से आ रहH थी तो बाथuम मK चलH जातीं, यहHं अपने भईया के सामने?
खाना कहHं भागा तो जा नहHं रहा था…”

अbपी ने हँसकर बोला- “अरे गुmडी, इनके यहां भाई बहन के बीच सब कुछ खोलकर होता है , कोई परदा नहHं
है …” और हे मा को तौ@लया दे ने के @लये उसके साथ नीचे चलH गयी।

तभी मेरH सास ऊपर आयीं और बोलHं- “अरे बहू, तT


ु हारे नZदोई खाना खा रहे हN और वो भी सूखे-सूखे… जरा
कुछ गालH-वालH तो सुनाओ…”

मNने चार ओर दे खा तो मेरH जेठानी, गुलाबो, दल


ु ारH मेरा साथ दे ने के @लये कोई नहHं था। @सफw मN और मेरH
ननद गुmडी थे।

मौका दे खकर मेरे नZदोई जी भी चहके- “अरे , आपकe बहू को कुछ आता वाता तो है नहHं, गालH 8या सुनायेगी,
नये जमाने कe बहुयK…”

28
मुझे भी जोश आ गया। मNने गुmडी से कहा- “आ जा, चल सुनाते हN तT
ु हारे जीजा को उनका और उनकe बहन
का हाल…”

जीत ने Jफर छे ड़ा- “अरे Jफbमी गाने कe बात नहHं हो रहH, गालH कe बात हो रहH है …”

“अरे नZदोई जी अपना कान या जो कुछ भी खोलना हो खोलकर र“खये अब सलहज और सालH कe बारH है ,
गालH भी जबरदत दं ग
ू ी और गालH का नेग भी जबदw त लूंगी…” और हम दोन चालू हो गये-

“अरे हमरे न%दोई जी, अरे जीत जी, खाने को बैठे, अरे कोने म0 बैठे, अरे कोने म0 लगे तaतैया,
अरे जीत जी क, न%दोई जी क अ5मा क Lबल म0 अरग समाये, सरग समाये, घोड़ा-गाड़ी को प#हया,
अरे न%दोई जी क बहना क Lबल म0 अरग समाये, सरग समाये, घोड़ा-गाड़ी को प#हया,
अरे हेमा जी क बरु म0 , बैल को सींग, भQस को चूतर, ल5बा बांस मोटा को?हू घोड़ा-गाड़ी को प#हया…”

तब तक खाने मK बंडे कe स’जी और खाने के अंत मK खkरका परोसा गया।

और हमने अगला गाना शुu कर Fदया-

“अरे न%दोई साले, अरे उनक बहना छनार खाने को बैठे, खाने म0 Dमल गया बंडा,
अरे जीत भंड़ुये क ब#हनी को, अरे हे मा छनार को चोद0 सारे ग%
ु डा,
अरे न%दायी साले, अरे उनक ब#हना छनार खाने को बैठे, खाने म0 Dमल गया खर&का,
अरे जीत गंड़ुये क ब#हनी क, अरे हेमा छनार क बरु चोद0 सब गंड
ु ा…”
तब तक गुलाबो हमारे साथ आ गयी। गुmडी खुलकर अपने जीजा और उनकe बहन को गालH दे रहH थी। उसने
हँसकर गुलाबो से कहा- “अरे गुलाबो भौजी, जरा कसकर जीजा को एक असलH वालH सुना दो…”

गुलाबो हँसकर बोलH- “एकदम ननद रानी, लेJकन तम


ु को भी उसी तरह खुलकर साथ दे ना होगा…”

“एकदम…” गुmडी बोलH और Jफर हम तीन शुu हो गये-

“गंगा जी तु5हरा भला कर0 गंगा जी,


अरे न%दोई सा?ले तु5हर& ब#हनी क बुMरया, हे मा साल& क बुMरया तालE ऐसी, पोखMरया ऐसी,
उसम0 900 छै ले नहाया कर0 , अरे 900 गुcडे नहाया कर0 , बरु चोदा कर0 , मजा लूटा कर0 ,
अरे न%दोई साले, तु5हर& अ5मा क बुMरया, अरे उनका भोसड़ा, बटुDलया ऐसी पतीDलया ऐसी,
िजसम0 9 मन चावल पका करे , भंड़ुये खाया कर0 , मजा लुटा कर0 , गंगा जी तु5हरा भला कर0 , गंगा जी”

तब तक सब लोग खाना खाकर उठकर खड़े हो गये। नीचे से Jकसी ने गुहार लगाई कe गाने के @लये सब लोग
बुला रहे हN। गुलाबो, हे मा और कुछ औरतK नीचे चलH गयीं।

मNने गुmडी से कहा- “अरे , अपने जीजाजी को पान तो “खला दो…”

जब उसने पान बढ़ाया तो मNने Jफर टोका- “अरे एक नहHं, दो जोड़ा पान “खलाओ…”

हँसते हुए उसने Jफर एक जोड़ा पान और अपने कोमल हाथ से जीजाजी के हठ मK पकड़ा Fदया।

मNने tचढ़ाया- “अरे जोड़ा बना रहे हो, जीजा-सालH का…”

हँसकर, पान चुभलाते हुए, उZहने अपने हाथ से जोड़ा पान गुmडी को “खलाने कe को@शश कe।

तो वो पीछे हट गयी, और बोलH- “नहHं जीज,ू मुझे पान अ,छा नहHं लगता, मNने कभी नहHं खाया…”

29
मै जीत का चेहरा दे ख रहH थी। एक पल के @लये वहां नाराजगी झलक गयी। मौके को संभालते हुए मN बोलH-
“अरे नंदोई जी, आप हमेशा सालH के च8कर मK पड़े रहते हN, सलहज को @लƒट हH नहHं दे ते। लाइये ये पान…”
और मNने सीधे अपने हठ मK उनके हाथ से पान ले @लया और मजाक मK उनकe उँ गलH भी हbके से काट लH।

वो बोले- “सलहज जी, आप बहुत कसकर काटती हN…”

तो गुmडी ने हँसकर जवाब Fदया- “तो 8या आप समझते हN Jक आप हH काट सकते हN…”

और माहौल एक बार Jफर हbका हो गया। मNने नZदोई जी के कान मK एक बात कहH और उनका चेहरा चमक
उठा।

गुmडी ने हँसकर कहा- “भाभी, इनसे गालH का नेग तो मांग लHिजये…”

मNने हँसकर उनसे बोला- “सालH कुछ मांग रहH है और हां मेरे Fहसे का नेग भी उसे हH दे दHिजयेगा…”

“हां… आज आप लोग ने वातव मK जबदw त गालH गायी और खास कर तम


ु ने…” पान चुभलाते हुये उZहने गुmडी
कe तारHफ कe।

“जीजाजी, खालH तारHफ से काम नहHं चलेगा नेग sनका@लये…” वो हँसकर बोलH।

नीचे से गान कe आवाजK और तेज हो रहHं थी।

“8य सलहज जी दे Fदया जाय, नेग?” हँसकर उZहने पछ


ू ा।

“एकदम…” मN बोलH।

और उZहने गुmडी को पकड़कर उसका सर झुकाकर अपने पान से @लपटे हठ उसके Jकशोर हठ से कसकर सटा
Fदये और एक जोरदार चुTमी ले लH। इतना हH नहHं, उनकe जीभ उसके मुँह मK घस
ु गयी और दे रे तक पान के
रस मK लसी @लपटH जब
ु ान उसे चस
ु वाने के बाद उZहने अपना अधखाया, चुभलाया पान उसके मह
ँु मK दे Fदया।
वह पीछे कe ओर मुड़ी थी, और उZहने एक हाथ से उसका सर और दस
ू रे से उसकe कमर इoती कसकर पकड़
रखी थी Jक बचारH Fहल हH नहHं सकती थी।

गुmडी सर Fहलाते हुए ग-ग करती रहH पर उZहने पूरा जोड़ा पान, उनके थूक से @लथड़ा, कुछ घल
ु ा, कुछ
कुचाया, अधखाया, उसके मुँह मK ठे ल कर हH दम @लया। पान के रस कe एक बूंद sनकलकर गुmडी कe ठुmडी के
पास के जहां काला sतल था, टपक गयी। उसके बाद भी वह उसी तरह उसके गुलाबी हठ का रस लेते रहे , जब
तक Jक गुmडी ने उनका अधखाया पान, चुभलाना नहHं शुu Jकया।

मNने उसे मुˆकारते हुये tचढ़ाया- “8य ननद रानी, अब आया जीजा के रस के साथ पान का मजा?”

वहां कुछ काम करने वा@लयां भी बैठ.ं थीं। उZहने उसकe ओर दे खते हुए, हँसते हुए आंचल से अपना मुँह ढक
@लया। नZदोई जी ने जीभ बाहर sनकालकर उसके दोन हठ अपने हठ से कसकर दबा @लया और चस ू ते हुए,
कसकर अपने दांत गड़ा कर, उसके हठ पर अपने sनशान बना Fदया और पूछा- “8य सालH जी @मल गया ना
नेग गालH का?”

“धoत जीजू, आप बहुत वो हN…” पान का रस लेते हुये इठलाकर गुmडी बोलH।

“अरे , पान तो मुँह कe शान है , लेJकन आपने अपना सारा पान तो सालH को दे Fदया, लHिजये अब थोड़ा सा
सलहज का ले लHिजये , और ये कहकर उनके हठ को चूमते हुए मNने थोड़ा सा पान अपने मुँह का दे Fदया। और
वह खुशी से उसे चुभलाने लगे।

नीचे गाने कe आवाजK अब काफe तेज हो गयीं थीं।

30
नीचे से दल
ु ारH आई कe गाने के @लये सब बुला रहे हN।

गुmडी बोलH- भाभी च@लये ना…

लेJकन उसके जीजू ने उसे Jफर पकड़ @लया और बोले- “अरे जाना, पहले नेग तो परू ा लेती जाओ…” और उसे
कसकर पकड़कर उसके भरे -भरे गाल अपने पान से भरे मुँह मK रख @लया और चभ
ु लाने लगे। एक हाथ खुलकर
कस-कसकर उसकe चूtचयां टाप के ऊपर से दबा रहा था, और दस
ू रा sनतंब कe गोलाई नाप रहा था। और Jफर
उसका sनपल कसकर Pपंच करते हुये उZहने कचकचाकर उसके फूले-फूले गुलाबी गाल काट @लये।

जब उZहने छोड़ा तो उसके गाल पे अ,छ. तरह पान का दाग लगा था और दांत के sनशान खूब साफ Fदख रहे
थे। जब उसने गाल के sनशान साफ करने कe को@शश कe तो मNने उसका हाथ रोक Fदया और कहा- “चलो, गाने
मK सब लोग इंतजार कर रहे हN और शादH का घर है , जीजा-सालH मK तो ये सब चलता हH है …”

***** *****03 भाग-3

नीचे गाना परू H जोर से चल रहा था। बचारH अbपना को अकेलH पाकर सब लोग रगड़ रहे थे, खासकर मेरH बड़ी
ननद लालH। मुझे दे खते हH उसकe जान मK जान आई और अbपना ने गुmडी को छे ड़ना शुu कर Fदया- “गाल पे
हN Jकसके sनशान?”

और मेरH एक kरˆते कe दे वरानी गुंजा, िजसकe शादH तीन चार महHने पहले हH हुई थी और जो शाम को गांव से
आई थी, ने जवाब Fदया- “हठ Jकसी पे मेहरबान…” और एक गाना शुu Jकया-

“अरे सब कुछ तो लै Dलहला गाल िजन काटा, हे जीजा बहुते खराब तु त बाटा…”

Jकसी ने और छे ड़ा- “अरे गुmडी, तम


ु तो पान नहHं खाती थी…”

तो मN बोलH- “अरे बस दे खती जाइये, मेरH ये छोटH ननद 8या-8या घटती है ?”

कोई और बोला- “पान का रं ग बड़ा कसकर चढ़ा है …”

तो मN बोलH- “अरे दे “खये अभी गुmडी जी के ऊपर 8या-8या चढ़ता है ?”

गुंजा ने मेरH बात काटकर, पूछा- “अरे , आदमी हH चढ़े गा या…”

“अरे गदहा, घोड़ा, सब कुछ…” मN हँसते हुए बोलH और गाने के @लये ढोलक अपनी ओर खींचा।

अbपी मेरH बड़ी ननद लालH कe ओर इशारा करके बोलH- “दHदH, आप नहHं थी ना तो मुझे अकेले…”

“अ,छा तो अब सुनाती हूं इनका हाल…” मN बोलH।

गुंजा, मेरH जेठानी, गुलाबो सब मेरा साथ दे रहH थीं। मNने लालH को sनशाना बना करके सुनाना शुu Jकया-

“अरे हमर& ननद& पक छनार, अरे हमर& लाल&, हमर& गु<डी पक छनार,
अरे ननद& रानी के, लाल& साल& के, गु<डी छनार के दो-दो दआ
ु र,
एक जाये आगे, दस
ू र eपछवाड़े, बचा नह&ं कोई नऊवा कहार,
हमर& ननद& रानी के दस-दस हQ यार, अरे हमर& ननद& पक छनार…”

“अरे Pपछवाड़े से भी, साथ-साथ या…” उZहK tचढ़ाते हुये, अbपी ने मेरH दे वरानी गुंजा से पछ
ू ा।

“अरे साथ-साथ, अगर बारH-बारH से मरवाना होता तो, बुर हH ना चुदवा लेतीं ननद रानी…” वो बोलH।

“अरे तुTहK पता नहHं इनके इस मत चूतड़ के सारे दHवाने हN…” मेरH बड़ी ननद लालH कe ओर इशारा करके मेरH
एक जेठानी हँसते हुये बोलH।
31
“अरे मN तो समझती थी कe मेरे ससुराल के मदw हH @सफw गंड़ुये हN पर ननदK भी गा~ड मरवाने कe र@सया हN,
आज पता चला…” हँसते हुये मN बोलH।

“अरे तो इसमK बुरा 8या है ? हम लोग कe ननदK सालH मानती हN कe- कबीरा गा~ड मराईये, तीन फायदा होय,
मजा @मले, पैसा @मले और दत खुलासा होय…” गल
ु ाबो अब अपने लेवल पे आ गयी थी।

लालH और सब ननद कe हालत खराब थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। tचढ़ाते हुए मNने Jफर पूछा- “अ,छा
ननद रानी, तभी शाम को PपछलH बार आपका पेटखराब था लेJकन सुबह एकदम ठ.क हो गया, रात मK नZदोई
जी से Jकतनी बार मरवाया था, बड़ा अ,छा इलाज है ये तो…”

सब लोग खुलकर हँसने लगे। मेरH बड़ी ननद हँसकर मेरे चूतड़ पे tचकोटH काटती, बोलHं- “अरे रHनू तT
ु हारा मन
कर रहा है तो अपने नZदोई जी से गा~ड मरवा ले, वैसे भी जबसे वो आये हN तेरH इस मत रसीलH गा~ड के
पीछे पड़े हN…”

गुmडी कe ओर मीठ. sनगाह से दे खती मN बोलH- “अरे हम सबको पता है वो Jकसके पीछे पड़े हN, गाल के sनशान
बता रहे हN और नZदोई जी 8या मेरH गा~ड मारK गे मN उनकe गा~ड मार लंग
ू ी…”

“कैसे भाभी…” गुmडी के मुँह से अचानक sनकल पड़ा।

“अरे अपनी इन बड़ी-बड़ी चूtचय से और तू बीच मK आई ना तो तेरH भी मार लूंगी…” तब तक मेरH sनगाह गुmडी
के साथ बैठ., जीत कe बहन हे मा पर पड़ी और मNने पNतरा बदलकर बोला- “अ,छा ननद जी, आप भी 8या याद
करK गी, मN आपकe बात मान लेती हूं। दे खती हूं Jकतना दम है नZदोई जी मK लेJकन मेरH भी एक शतw है ? मानना
पड़ेगा…”

“8या…” मुˆकुराकर मेरH बड़ी ननद बोलHं।

हे मा कe ओर इशारा करते मN बोलH- “अरे ये जो मत माल आया है ना अपके मायके से, मेरे सारे दे वर इसके
बड़े दHवाने हN बस ये मेरे दे वर का मन रख दे और मN आपके साजन का…”

हे मा को छे ड़ती मेरH ननद बोलHं- “अरे इसमK 8या मुिˆकल है , अरे हे मा मान ले मेरे भाई भी खुश हो जायKगे और
तेरे भाई भी…”

“और 8या? और ठ.क 9 महHने बाद आपके मायके मK सोहर होगा और आप भी मामी बन जायKगी…” गुंजा भी
बोलH।

“और दध
ू का इंतेजाम हो जायेगा सो अलग, इसके जोबन दे खकर तो लगता है खूब दध
ू दे गी और दहु ने के @लये
जो गा@भन करे गा ना, उसी को बुला लेना…” गुलाबो चालू हो गयी।

अbपी भी मौका 8य चूकती। मेरे आने के पहले लालH उसकe खूब “खंचाई कर रहH थीं। वह भोलेपन से बोलH-
“दHदH, गुmडी कह रहH थी Jक उसके जीजू कुछ बेकार नहHं करते। उसके साथ करने के बाद वो खुद उसकe मलाई
चाट चट
ू कर साफ कर दे ते हN और अपनी उसको चटा दे ते हN…”

गुmडी बेचारH ना नुकुर करती रहH कe उसने ऐसा नहHं कहा था पर सुनता कौन।

अbपी चालू रहH- “पर आपके जब वो Pपछवाड़े करते हN तो?”

हम सब लोग मुˆकुराते रहे पर गुलाबो ने जवाब दे Fदया- “अरे , साफ-साफ 8य नहHं कहती कe जब नंदोई जी
इनकe गा~ड मारते हN तो? अरे ये सब साफ सूफ कर दे ती हN चाट चूट कर उनकe मलाई भी और अपना म8खन
भी, अरे Pपछवाड़े के हलव
ु े कe तो ये चटोरH हN…” सब लोग हँसने लगे।

32
“बहुत म8खन चाटने का शौक है ना? तम ु को ना चटवाया अपने भैया से तो कहना, तेरH ये मत गा~ड भी
मारK गK और म8खन भी चटायKगे…” लालH अbपी से बोलH।

तब तक दल
ु ारH ने ढोलक सTहाल लH थी और अब ननदK चालू हो गयीं। हमारे पीछे गुmडी, मेरH बड़ी ननद और
बाकe सब kरˆते कe नZदK साथ दे रहH थीं-

नील& सी घोड़ी गज नीम से बंधी कोई दे ख तो ले, अरे कोई दे ख तो ले,


अरे , हमर& भाभी छनार, अरे र&नू छनार, अरे गज
ंु ा छनार चल& दे खने,
वो तो चढ़ गयी तत
ू , उनक खुल गयी साड़ी और #दख गयी चत
ू ,
अरे कोई दे ख तो ले, नील& सी घोड़ी गज नीम से बंधी कोई दे ख तो ले, अरे कोई दे ख तो ले,
अरे हमर& अ?पना छनार, हमर& गुलाबो छनार, चल& दे खने,
वो तो चढ़ गयीं खजुर, उनक #दख गयी बरु , अरे कोई दे ख तो ले,
नील& सी घोड़ी गज नीम से बंधी कोई दे ख तो ले, अरे कोई दे ख तो ले।

“8य, Jकसको तम
ु लोग अपनी चूत और बुर Fदखा रहH हो?” हँसकर मेरH एक ननद ने पछ
ू ा।

गुजा ने ढोलक ले लH। मNने उससे कहा- “अरे जरा चने के खेत वाला सुना दे इन sछनाल ननद को। और हां
जरा मेरH इस {यारH नयी sछनाल का खास खयाल रखना…” गुmडी के गाल सहलाते हुए मN बोलH।

हां एकदम दHदH और गुंजा चालू हो गयी और जोर-जोर से मN और अbपी भी उसका साथ दे रहे थे-

चल मेरे घोड़े चने के खेत म0 , चने के खेत म0 ,


चने के खेत म0 बोया था ग%ना, हमर& सासू को ले गया बभना,
दबावे दोनE जोबना, चने के खेत म0 ,
चल मेरे घोड़े चने के खेत म0 , चने के खेत म0 ।
चने के खेत म0 बोयी थी, घुमची,
अरे ननद& साल& को, लाल& छनार को ले गया मोची,
दबावे दोनE चूची, चने के खेत म0 ,
चल मेरे घोड़े चने के खेत म0 , चने के खेत म0 ,
चने के खेत म0 पड़ी थी राई, गु<डी छनार को ले भागा नाई,
अरे रात भर करे चुदाई, चने के खेत म0 ,
चने के खेत म0 , पड़ा था रोड़ा, गु<डी छनार पे चढ़ गया घोड़ा,
रात भर घEटे लौड़ा चने के खेत म0,
अरे चने के खेत म0 पड़ा था ततैया, गु<डी साल& को चोदे उनका भैया, चने के खेत म0 ,

गंज
ु ा ने छे ड़ा- “अरे गुmडी, अपने भैया से भी? दHदH लगता है , आपके सैयां, प8के बहनचोद हN…”

मेरH जेठानी भी हँसकर बोलHं- “सहH कहा, मेरे सारे दे वर नTबरH बहनचोद हN…”

हे मा भी गुmडी को tचढ़ाने लगी- “अरे मेरे भैया से भी, अपने भैया से भी…”

और मN भी बोलH- “और मेरे भैया से भी, असल मK ये मेरH छोटH ननद बहुत सीधी हN, Jकसी को मना नहHं कर
पाती…”

33
“अरे मेरे जीजू को झुठे हH बदनाम कर रहH हN, बहनचोद कहकर। असल मK sछनार तो आपकe ननद है जो सब
मद© को फंसाती है …” हँसकर अbपी बोलH।

“चलो, मN सुनाती हूं अपने ननद रानी कe अस@लयत, 8य गुलाबो, सुना दK कसकर एक…” मN गुलाबो से बोलH।
गंज
ु ा Jफर ढोलक बजाने लगी और मN और गुलाबो, परू े जोश मK चालू हो गये-

अरे हमरे सैयां बोले, राजीव सा?ला बोले,


हमर& ब#हनी क, हमर& गु<डी क LबDलया म0 कुछहूं ना जाय,
DसंTकयE ना जाय, टु%मुनयE ना जाय,
अरे हमर& न%द& क LबDलया म0 गु<डी क बुMरया म0 , मोटा-मोटा मूसल जाय, लंबा-लंबा बांस समाय,
अरे , राजीव बहनचोद बोले, राजीव गंड़ुआ,
हमर& ब#हनी क, हमर& गु<डी क LबDलया म0 कुछहूं ना जाय,
अरे गु<डी छनरो क बMु रया म0, राजीव भंड़ुआ जाय, उसके सब साले समाय, सालE के भी सा?ले
समायं।
अरे राजीव सा?ला बोले, हमर& ब#हनी क, हमर& लाल& क LबDलया म0 कुछहूं ना जाय,
अरे हमर& न%द& के भEसड़े म0 , अरे लाल& हरामजाद& के भोसड़े म0 ,
गदहे समाय, घोड़े समाय, काल&नगंज के सब भंड़ुये समाय,
अरे ऊँट Lबचारा गोता खाय।

“अरे 8या कैपीसीटH है आपकe…” लालH को tचढ़ाती अbपी बोलH।

“अरे तभी तो मN सुबह कह रहH थी कe इनका केले से 8या होगा कम से कम खीरा चाFहये ननद जी को…” गुंजा
ने भी जोड़ा।

तब तक दल
ु ारH ने गुलाबो का हाथ पकड़कर खींचा नाचने के @लये और उसके साथ हH मुहbले कe कुछ औरतK
गाने लगीं-

अरे सेजE पे Dमल0गे दोनE जने, अरे सेजE पे Dमल0गे दोनE जने,
तुम Kयार& द?
ु हन, हम Kयारे द?
ू हा, धका लगाय0गे दोनE जने,
अरे सेजE पे Dमल0गे दोनE जने,
तुम Kयार& कुतया, हम Kयारे कुaते, कातक म0 Dमलंगे दोनE जने

पहले तो दल
ु ारH हH दb
ू हा बनी थी और वह गुलाबो को दबोचे थी पर अगलH लाईन पे, गुलाबो ने पलटH मार के
उसको झुकाकर कुsतया बना Fदया और और खुद कुoता बनकर लगी ध8के मारने।

और जैसे बाद मK कुoते का फूलकर अटक जाता है , उसने वो िऐ8टं ग कe कe हँसते-हँसते सबकe हालत खराब हो
गयी। उसके बाद तो घर कe काम वा@लय, मुहbले कe औरत मK इतनी खुलकर घमासान हुआ कe मजा आ
गया। कुछ भी नहHं छोड़ा उन लोग ने और हर बार गुmडी और राजीव को जोड़कर जuर गालH दH जाती, कोई
Jकसी का सीना दबाता तो कोई Jकसी का साया उठा दे ता, कोई भाभी Jकसी ननद को खुलकर उँ गलH हH कर
दे ती।

थोड़ी दे र मK दल
ु ारH ने मुझे घेरा- “हे रHनू भाभी, रात भर Jकससे चुदवाया है जो नाचने के @लये उठ नहHं पा रहH
हो?”

34
“अरे मN तो तैयार हूं, अपनी बFहनी को तो उठाओ…” लालH कe ओर इशारा करके मN बोलH और वो कुछ समझ
पातीं, उसके पहले मNने उZहK नाचने के @लये खींचकर उठा @लया।

गुंजा ने ढोलक संहालH और गाना शुu कर Fदया-

“अरे ननद& तोर भैया बड़ा रे खलवाड़ी,


पहले पहल हम अइल&ं गवनवां, रतया म0 सत
ु ल& अकेले भवनवां
सुतले म0 खोललै, चोल& के बंधनवा, कसकर दबावे हमरा जोबनवां

(तब तक मेरH ननद ने ’लाउज के ऊपर से कसकर मेरा जोबन पकड़ने कe को@शश कe, लेJकन मN तैयार थी और
झुक कर उनसे बच गयी, और उनकe कमर पकड़कर Jफर नाचना शुu कर Fदया)

धीरे से उठावे हमर& साड़ी, नइहर क लूट Dलहै फुलवाड़ी,


अरे ननद तोर भैया बड़ा रे खलवाड़ी…”

और अबकe मेरH ननद नहHं बच पायीं। मNने उनकe साड़ी थोड़ी सी गाने के साथ ऊपर कe पर गंुजा और गल
ु ाबो
पहले से तैयार थीं और उZहने अ,छ. तरह से उनकe साड़ी और साया ऊपर उठा Fदया। वो बेचारH बहुत FहलH-
डुलH पर हम तीन के आगे उनकe नहHं चलH। उनका चूतड़ कसकर पकड़कर मNने सबको Fदखाकर दो-तीन च8कर
Fदलाये और बैठ गयी।

गुलाबो ने पूछा- “अब और कौन आयेगा नाचने?”

तो गुंजा गुmडी कe ओर इशारा करके बोलH- “अरे कालHन गंज कe सबसे मत रं डी तो अभी बाकe है , इसके पैर
मK घंघ
ू uं बांधो…” और उसके मना करते-करते भी गंुजा और मNने @मलकर उसे घंघ
ु u पहना Fदये।

तब तक हमने दे खा कe एक यंग सरदार आया। एकदम पास मK आने पर हH मN पहचान पायी कe वह अbपी थी।
अपने लTबे बाल मोड़कर उसने सर पे जड़
ू ा बना @लया था। शटw और जीZस राजीव कe थी और पK@सल से हbकe
मूंछे, एकदम ‘Jकशोर’ लग रहा था।

उसने मझ
ु से गुmडी कe ओर इशारा करके कहा- “हे , मझ
ु े ये माल पसंद आ गया, 8या रे ट है इसका?”

“Jकस तरह से? एक बार का, एक घंटे का या पूरH रात का? वैसे अगर तुम इसको नचा सको तो समझो |e…”
मN बोलH।

उसने गुmडी का हाथ पकड़कर खींचा और अपने सीने से लगा @लया, और नचाना शu
ु कर Fदया। तब तक पीछे
से हे मा ने उसकe पगड़ी खींच दH और उसके लंबे बाल उसके पीठ पे फैल गये। गुंजा और मNने गाना शुu Jकया-

“लगाय जाओ राजा धके पे धका, लगाय जाओ,


दो-दो बटन हQ कसकर दबाओ, लगाय जाओ।

(गुmडी नाचते समय झक


ु -झक
ु कर इस अदा से अपने उभार और ि8लवेज़ Fदखा रहH थी कe मेरH सारH ‡े sनंग
काम आ गयी, और अb{ना ने तो पहले उसकe कमर पकड़ी और Jफर एक हाथ से खुलकर गुmडी कe चूtचयां
कस-कसकर दबानी शुu कर दHं, और हम लोग और जोर-जोर से गाने लगे)

अरे डनलप क गgी लगी है नीचे, लगाये जाओ राजा धके पे धका,
पहले सटाओ, Tफर अंदर घुसाओ, सटासट, लगाय जाओ राजा धके पे धका…”

दोन kर@म8स डांससw को मात दे रहH थीं और वो पंजाबी कुड़ी तो, िजतने आसन उसने सुने थे सबके सब Fदखा
Fदये, और अंत मK उसने गुmडी कe एक टांग उठाकर इस तरह अपनी कमर से लपेट लH कe गुmडी कe पNटH तक

35
साफ Fदख रहH थी। Jफर तो एक हाथ से उसकe चूची कसकर दबाते हुए उसने वो जोर-जोर से ध8के मारे कe
कोई मदw भी 8या मारे गा। खब
ू हंगामे के बीच उसका डांस खतम हुआ। दे र रात हो गयी थी, मोहbले कe औरतK
अपने-अपने घर गयीं और बाकe लोग सोने।

अbपी ने मझ
ु से पछ
ू ा- “दHदH, आप तो कह रह थीं कe रात-जगा होगा परू H रात, मTमी से भी यहH कहकर…”

“अरे तेरा तो रात-जगा होगा हH, दे ख तेरा कौन इंतजार कर रहा है ? जा उसके साथ…” मN बोलH।

कोने मK राजीव खड़े उसको दे खकर मुˆकुरा रहे थे। आज रात उनको उसी होटे ल मK रहना था जहां जनवासा था,
और अbपी को भी वह वहHं ले जा रहे थे। अbपी को मNने समझाया- “हे , अपने जीजू का पूरा ªयाल रखना…”

वो मुˆकुराकर रह गयी।

तो मNने राजीव को छे ड़ा- “हे , मेरH बहन को रात भर मK परू H तरह से खुश कर दे ना, कुछ भी @शकायत न करे ये
मुझसे…”

“एकदम…” वो बोले।

जब तक वो दोन sनकल हH रहे थे कe, गुmडी आ गयी। उसे बांह मK लेकर मNने कहा- “और अगर तुमने उसे
खुश कर Fदया तो इनाम मK मN अपनी छोटH {यारH ननद दे दं ग
ू ी…”

बना सुने वो बोले- “ठ.क है …” और sनकल गये।

गुmडी शमाw गयी।

“चल यार तेरH सहे लH तो sनकल गयी अपने जीजू के साथ चुदवाने, हम लोग काम खतम करते हN…” सब लोग
के सोने का इंतेजाम करना था, जहां अभी गाना हो रहा था वह जगह ठ.क करनी थी। सोने के इंतजाम के बाद
हम दोन सफाई पे जट
ु गये। उसने अपना दप
ु ”ा कमर पे बांधा और मNने भी अपना आंचल कमर मK खसा और
लग गयी। घंटे भर बाद जब हम खालH हुए और सोने कe जगह तलाश करने लगे तो सारे कमरे भरे थे, जरा भी
जगह नहHं थी कहHं। मNने `ाzग uम मK झांका जहां हमने सब फनीचwर @शƒट Jकये थे तो मझ
ु े एक चौड़ा सा
सोफा-कम-बेड Fदखा।

मN उससे बोलH- “चल यार, यहHं सो लेते हN रात हH Jकतनी बची है , और Jफर तम
ु इoती दब
ु लH हो, बस जरा सा
जाके टोर से एक रजाई ले आओ…” वह जब तक रजाई ले आई मNने सोफे को चौड़ा करके बेड बना Fदया था
और साड़ी उतार रहH थी।

“हे , भाभी आप साड़ी…”

“अरे साड़ी पहनकर मुझे नींद नहHं आती, बbकe जब से शादH हुई है शायद हH Jकसी Fदन मN कुछ पहनकर सोई
हूं। Jफर इस सोफे पे कपड़े खराब भी हो जायKगे। चल मN टापलेश हो गयी हूं, तू भी हो जा…” साड़ी संभालकर
रखते हुये मNने उसे छे ड़ा।

“अरे भाभी, आप कहां टापलेश हुई हN ’लाउज तो आपने पहन हH रखा है …” बoती बंद करते हुये हँसते हुये वो
बोलH।

“चल तू भी 8या याद करे गी?” और मNने अपना ’लाउज भी उतार Fदया और जैसे हH वो पास आई उसका भी
टाप खींचकर उतार Fदया और उसे अपने साथ रजाई मK खींच @लया और कसकर भींच @लया। अब हम दोन ^ा
मK थे। उसकe ^ा ऊपर से दबाते हुये मNने पछ
ू ा- “हे , जीजू ने दबाया 8या?”

“और 8या छोड़Kगे? भाभी, मसलकर रख Fदया…”

36
“दे ख तेरH सहे लH तझ
ु से पहले चुद गयी और अब होटे ल के कमरे मK रात भर चुद रहH होगी…” उसकe नंगी पीठ
सहलाते हुये मNने छे ड़ा।

“अरे भाभी, चुद तो मN उससे भी पहले जाती, पर वो दल


ु ारH जो आ गयी, जीजू तो बेताब हो रहे थे…”

“चुदने से तो तुम बचने से रहH, कल तो फट हH जाना है इसे, पर मेरH दस


ू रH शतw तो तम
ु भूल हH गयी…” कटw
के ऊपर से उसकe बुलबुल को {यार से दबोचते हुये मN बोलH।

“कौन सी दस
ू रH शतw भाभी?”

“अरे , भूल गयी अपने उस Qेमी को। बेचारा इoते Fदन से लगा है । अरे तुTहK उसके Qेम प— का जवाब भी तो
दे ना है । जीजा तो दो Fदन मK चले जायKगे, रोज तो उसी को सPवw@संग करना है …” और मNने कसकर उसकe चूत
मसल दH।

“हां… वो तो पर…” अभी भी वो FहचJकचा रहH थी।

“मेरH बZनो, दो बातK हमेशा Œयान रखना, Jकसी भी च8कर मK कोई सबत
ू लड़के के हाथ मK नहHं छोड़ना चाFहये।
इस@लये, Qेम प— कभी अपनी हNड राइFटंग मK ना @लखो और दस
ू रा उसके अंत मK कभी अपना नाम मत @लखो।
तुTहारH जान, तT
ु हारH Fदलuबा कुछ भी @लखो और हो सके तो उसका भी नाम मत @लखो, मेरे सपन के
राजकुमार, जानम और tच–ी मK भी कुछ भी ऐसा मत @लखो िजसमK Jकसी Jक, Jकसी जगह के बारे मK पता
चले…” पीठ पे हाथ सहलाते, उसकe ^ा खोलते हुये मN बोलH।

“पर भाभी मेरH tच–ी…”

“अरे मN हूं ना, मN सुबह हH एक से8सी लव लेटर @लखती हूं, जब `ेस लेने चलKगK तब तुम उसके सामने `ाप कर
दे ना…” हbके से उसके उभार सहलाती मN बोलH।

मNने अपनी भी ^ा खोल दH थी और अब हम दोन के जोबन एक दस


ू रे से रगड़ खा रहे थे।

उसके {यारे गाल पर एक हbकe सी चुTमी लेती मN बोलH- “दे खो, जवानी बार-बार नहHं आती और तुम तो इoती
सुंदर हो। बस तुTहK आना चाFहये कe तीर कैसे चलायK, जैसे पतंग कe ढHल दे कर झटका दे ते हN ना बस उसी तरह
करो तो लड़क कe तो लाईन लग जायेगी, मेरH {यारH ननद के @लये। आंख से बस एक बार दे ख लो, और पलक
झुका लो और जब झटका दे ना हो तो बस एक sतरछ. नजर का इशारा काफe है । हठ भी अगर Jकसी को
दे खकर एक बार लरज जायं तो Jफर अपने गीले हठ पर जब
ु ान फेर दो या हbके से हठ काटकर इशारा कर
दो…”

“भाभी आप तो पूरH ए8पटw हN…” हँसकर वो बोलH।

“और 8या तT
ु हारे तरकश मK इoते तीर हN लेJकन तुTहK मालूम हH नहHं हN। पर सबसे बड़ा हtथयार है , तT
ु हारे ये
रसीले रस कलश…” उसके जोबन को कसकर मसलती मN बोलH।

कुछ भी पहनो, इसका कटाव साफ Fदखना चाFहये, थोड़ा Fदखाओ, थोड़ा sछपाओ, चाहे दप
ु ”ा हH ओढ़ो। Jफbमी
ऐ8‡े स को दे खो, और गोलाई के साथ गहराई भी Fदखा दो तो कहना हH 8या? और जब डोर खींचनी हो तो बस
एक बार झुक के अपना जलवा Fदखा दो…” अब मN कसकर उसके उभार सहला रहH थी, दबा रहH थी और उसका
एक हाथ खींचकर मNने अपने सीने पे रख @लया था।

उसके sनपल कड़े हो रहे थे। मN अपनी दोन उँ ग@लय के बीच मK उसे रोल कर रहH थी। जोश मK उसके जोबन
पoथर हो रहे थे और sनपल भी। बात बदलने के @लये उसने पूछा- “भाभी, आप तो कहती हN कe आप भैया को
कभी उपवास नहHं करातीं इस@लये कल ‰कe नहHं… पर आज?”

37
उसका हाथ पकड़कर मN अपनी चूत मK ले गयी और उसकe एक उँ गलH अपनी चूत मK घस
ु ेड़कर पछ
ू ा- “कुछ गीला-
गीला लग रहा है 8या?”

“हां भाभी, पर…”

“ये तT
ु हारे भैया का Qसाद है , गाने के बीच मK मN बाथuम गयी थी ना… वहHं पीछे -पीछे वो भी आ गये थे बस
वहHं हम लोग ने कबmडी खेल लH…” और मNने भी अब अपने दस
ू रे हाथ से उसकe चूत दबोच लH और कसकर
सहलाने लगी। अ,छ. तरह गीलH थी वो। थोड़ी दे र सहलाने, मसलने के बाद मNने हbके से उसकe बुर के पपोट
को फैलाकर, हbके से अपनी उँ गलH घस
ु ा दH और आगे पीछे करने लगी। अब मेरH चूची कसकर उसकe Jकशोर
चूची को मसल रहH थी और मेरH उँ गलH चूत मंथन कर रहH थी। दस
ू रे हाथ से मNने उसके चूतड़ कसकर दबोच
रखे थे।

“भाभी उँ गलH {लHज…” वो बोलH।

“अरे तुमने जब मेरH चूत मK उँ गलH कe तो नहHं सोचा। अरे मुझे तुTहारे जीजू का खयाल है वरना दो-दो उँ गलH
परू H तरह से घस
ु ेड़कर अभी तुTहारH ये कंु वारH चूत फाड़ दे ती, पर ये मजा उनका है । एक बार कल तुTहारH चत

का कल उ¤घाटन हो जाये तो दे खो इसके अंदर 8या-8या डालती हूं…”

“और 8या-8या भाभी?” शमाwते हुए वो बोलH।

“अरे ननद रानी, ये चूत सब कुछ घटे गी, उँ गलH, कNडल, मोटे बैगन, और उँ गलH 8या परू ा हाथ, अरे िजस चूत से
इoता बड़ा ब,चा sनकल जाता है , उसकe कैPपसीटH मK कोई कमी नहHं होती। अरे दे खना मN तT
ु हK , मोमबoती और
बैगन घटने कe इतनी अ,छ. ‡े sनंग दं ग
ू ी कe बस…” उसकe कंु वारH चूत मK उँ गलH अंदर-बाहर करते हुये मN बोलH।
अब उसको खुलकर अ,छा लग रहा था और वह @ससJकयां ले रहH थी। मNने उसकe उँ गलH को भी अपनी बुर मK
अंदर-बाहर करने को कहा।

“ओ‚ह… ओ‚ह… पर भाभी परू ा हाथ…”

“अरे , मN आंख दे खी कह रहH हूं। दो साल पहले होलH मK मेरH अTमा और चाची ने @मलकर बआ ु को न @सफw पूरH
तरह नंगा करके पटक के रं ग लगाया बbकe पहले दो Jफर धीरे -धीरे करके, सारH उं ग@लयां डाल दHं और Jफर मु–ी
बनाकर खूब रगड़-रगड़ के चोदा…” मN अपनी उँ गलH अब गोल-गोल उसकe कंु वारH मखमलH कसी-कसी चूत मK घुमा
रहH थी और अंगूठे से कसकर ि8लट भी रगड़ रहH थी।

गुmडी को अब पूरा मजा आ रहा था और वह नीचे से अपने चूतड़ उठा-उठा के उँ गलH से चुदवाने का मजा ले रहH
थी और मेरH बुर मK भी उँ गलH अंदर-बाहर कर रहH थी।

मNने धीरे से अपनी बुर उसकe उँ गलH पर भींच लH। मेरा दस


ू रा हाथ अब कसकर गुmडी कe चूची रगड़ मसल रहा
था।

“हे भाभी, ये 8या कर रहH हो? मेरH उँ गलH…”

“हां सीख ले, ऐसा भींचने से राजीव को बहुत मजा आता है , कई बार तो जब मN ऊपर चढ़कर चादती हूं ना तो
बहुत दे र तक ल~ड ऐसे हH बुर मK भींचती रहती हूं, जैसे पेशाब रोकने के @लये चूत @सकोड़ते हN ना बbकूल वैसे
हH। रोज-रोज Qैि8टस करोगी ना तो Jकतना भी चद
ु वाओ सब
ु ह-शाम, चत
ू वैसे हH कसी बनी रहे गी और चद
ु ाई के
समय करोगी तो ल~ड को जो मजा आयेगा वो अलग…”

अब मेरH ननद झड़ने के कगार पे पंहुच रहH थी पर मN उससे थोड़ा अभी और खेलना चाहती थी, इस@लये मNने
ग{प से उँ गलH बाहर sनकाल लH।

38
“हे भाभी…” वो बोलH।

“अरे ‰क ना… अब मN तT ु हK बताती हूं कe तुTहारे भैया मुझे कैसे रोज चोदते हN। आज तेरे कंु वारे पन कe आ“खरH
रात है , जरा मN भी इस रसीले कंु वारे िजˆम का मजा ले लूं…” अब मN सीधे उसके ऊपर आ गयी और एक चूची
मंह
ु े मK और दस
ू रH हाथ मK लेकर मजा लेने लगी। मेरH बरु उसकe चत
ू पे धीरे -धीरे sघसा मार रहH थी। थोड़ी हH
दे र मK वह भी नीचे से ध8का मारने लगी।

उसका रसीला जोबन दबाते हुए मNने कहा- “तT ु हK मालूम है , तT


ु हारे भैया का तेरे बारे मK सोचकर खड़ा हो जाता
है , जब वह दो तीन बार चोद लेते हN ना… तो उसके बाद भी अगर मN तT ु हारा नाम लेकर उZहK छे ड़ती हूं तो
उनका मूसल झट से खड़ा हो जाता है , और Jफर तो वो एसे चोदते हN, ऐसे चोदते हN…” और मN कस-कसकर
अपनी चूत से उसकe चूत रगड़नी शुu कर दH और एक हाथ से उसकe ि8लट छे ड़ने लगी।

वो भी अब खूब खुलकर मजा ले रहH थी।

“हे बता ना… तT


ु हारे भैया से कुछ च8कर था 8या तुTहारा…” उसके कड़े sनपल कसकर Pपंच करते मNने पूछा।

“नहHं नहHं, भाभी ऐसा कुछ नहHं…”

“इसका मतलब कुछ तो था…” मNने अबकe कसकर उसके sनपल मरोड़ Fदये। मेरH एक उँ गलH उसकe चूत मK और
दस
ू रH ि8लट पे कसकर रगड़ाई कर रहH थी।

“उई भाभी हां… ना… हां… बस मN उनको अ,छ. लगती थी और वो मुझको…” मती मK वो बोलH।

“अरे तो चद
ु वा 8य नहHं लेती? तझ
ु े सौतन बनाने मK मझ
ु े कोई एतराज नहHं है , चल ये सोच कe तेरे भैया तझ
ु े
कस-कसकर चोद रहे हN, तेरH चूtचयां मसल रहे हN…” और अब मNने उसे रगड़-रगड़ के चोदना शुu कर Fदया। मेरH
चूत गोल-गोल खूब कसकर sघसा मार रहH थी, उँ गलH चूत के अTदर बाहर हो रहH थी और ि8लट भी रगड़ी जा
रहH थी।

वो भी अब पूरH तरह से चूतड़ उछाल रहH थी। और अबकe जब उसने झड़ना शुu Jकया तो मNने उसे रोका नहHं।
दे र तक वो झड़ती रहH। जब उसकe आँखK खुलHं तो मNने उसके हठ को चूमकर पूछा- “हे बोल… जब झड़ रहH थी
तो Jकसके बारे मK सोच रहH थी? अपने भैया के ल~ड के बारे मK ना?”

“धoत भाभी…” शमाw करके उसने कबूल कर @लया। लेJकन उससे रहा नहHं गया और उसने पूछ हH @लया- “भाभी
शाम को जो अbपना उनके बारे मK कह रहH थी वो सच था, या ऐसे हH?”

“अरे बZनो, पता नहHं पर साइज़ तो वो ठ.क हH बता रहH थी, पूरे बoते भर का है उनका और मोटा भी खूब है
और उनसे चुदवाने मK मजा भी खूब आता है । और वो बाहर कe लड़कe आज Fदन मK दो बार उनसे चुदा गयी
और इस समय होटे ल मK चद
ु वा रहH होगी। और तम
ु घर का माल होकर और तुTहारा तो परु ाना च8कर भी था।
अरे कल से तम
ु राजीव को खुलकर लाइन मारो और Jफर दे खना। जीजा से कल चुदवा लो लेJकन जीजा तो दो
Fदन मK चले जायKगे। तुम जरा सा @लƒट दे दो, Jफर दे खना कैसे राजीव तुTहारे पीछे -पीछे Jफरते हN…” और ये
कहकर मNने कसकर उसके गल
ु ाबी हठ चूम @लये और Jफर मेरे शरारती हठ, पहले तो उसकe Jकशोर चtू चय को
कस-कसकर चूसते रहे , रस लेते रहे और Jफर उसकe गोरH-गोरH जांघ के बीच, मNने हbके से उसकe कंु वारH चूत
के पपोट को चूम @लया। जब तक वो सTहलती मNने कसकर उसकe चूत को अपने हठ के बीच दबाकर चूसना
शu
ु कर Fदया जैसे कोई संतरे कe पतलH फांक को चस ू े, बहुत रस था उसमK । मNने अपनी जीभ भी उसकe चत
ू के
अंदर घुसेड़कर कस-कसकर जब ु ान से चोदना शुu कर Fदया।

“उ‚ह… उ‚ह… हां हां… बहुत मजा आ रहा है भाभी…” वह तड़प रहH थी मचल रहH थी।

39
और जब वह Jफर झड़ने के कगार पे पहुँच गयी तो मNने हठ हटा @लये।

“भाभी बहुत अ,छा लग रहा था…” वो बोलH।

“हां ननद रानी, चत


ू और ल~ड दोन चस
ू ने और चस
ु वाने मK बड़ा मजा आता है …”

“sछ: भाभी ल~ड भी, उससे तो?”

“अरे एक बार चूस लोगी ना तो Jफर छोडोगी नहHं। कुछ Fदन पहले मN अपने किजन कe शादH मK मौसी के यहां
गयी थी। वहां एक Fदन मेरे जीजा ने मझ
ु े पहले तो तीन बार कस-कसकर चोदा और Jफर कुsतया बनाकर मेरH
गा~ड कसकर मारH। उसके बाद वो गा~ड से sनकालने के बाद सीधे बाथuम गये, उZहK कसकर पेशाब आ रहH
थी। चुपके से पीछे -पीछे मN भी गयी। वो आँखK बंद करके मूत रहे थे। मNने अपनी चूtचय से उनकe पीठ पे रगड़ा
और मजे से उनका खंट
ू े जैसा खड़ा ल~ड पकड़ @लया।

उZहने पीछे मुड़कर मेरH ओर दे खा तो मN हँसकर बोलH- “अरे , 8य शरमा रहे हो? सबसे पहले तो तT
ु हारH अTमा
ने पकड़ा होगा तब तो नहHं शरमाते थे…”

“अरे 8या बोलती हो?” वो बोले।

“अरे और 8या? तT
ु हारा सुपाड़ा खोलकर बचपन मK खब
ू तेल लगाया होगा तभी तो ये नूनी से इतना माटा ल~ड
बना…” और ये कहते हुये मNने उनका सप
ु ाड़ा खोल Fदया। मत
ू कe आखीरH धार बची होगी तभी मNने आगे जाकर
ग{प से उनका पहाड़ी आलू ऐसा मोटा सुपाड़ा अपने मुँह मK भर @लया और लगी चूसने, वो लाख मना करते रहे ।
पर थोड़ी दे र मK जीजू को भी मजा आने लगा और उZहने जबरदत मेरे मुँह कe चुदाई कe। जब मNने अपनी एक
उँ गलH उनकe गा~ड मK कe तब वो झड़े। और परू ा का परू ा वीयw मNने अपने मँुह मK लेकर गड़प कर @लया। उZहने
मुझसे लाख कहा कe मN मुँह साफ कर लूं पर इठलाकर मNने मना कर Fदया Jक इतना अ,छा सवाद मN गवाऊँगी
नहHं और हम दोन ने वैसे हH नाˆता Jकया।

“पर भाभी उसमK तो…”

“अरे कुछ नहHं, थोड़ा सा खारा-खारा लगा था, पर उसका भी अपना अलग मजा है। घबड़ा मत अबकe मN पZhह
Fदन के @लये हूं, तT
ु हK हर चीज मK ‡े Zड कर दं ग
ू ी। पर चल आज तुझे 69 @सखाती हूं, मN तुTहारH चूत चूसग
ूं ी तू
मेरH चूस…” और Jफर मN उसके ऊपर आ गयी और अपनी चूत उसके मुँह मK दे Fदया। आधे घंटे तक @स8टH
नाईन का मजा लेने के बाद हम दोन साथ-साथ झड़े और Jफर एक दस
ू रे से वैसे हH tचपक कर सो गये। अगला
Fदन शादH का Fदन था, इस@लये, सब लोग सुबह से हH बहुत बजी थे।

दे र सुबह राजीव Fदखे और मेरे बना कुछ पूछे हH कहने लगे- “अbपी को छोड़कर आ रहा हूं, कTमो @मलH थी…”

“कैसी लगी? मNने कहा था ना Jक अभी छोटH है अभी उसका चौदहवां लगने मK भी दो तीन महHने बचे हगे…” मN
बोलH।

“अरे नहHं, चtू चय का उठान बहुत मत है , छोटH हN पर उभरती हुई चtू चय का अलग मजा है । उसके पीरHयड
अभी शुu हुये कe नहHं?” कुछ सोचकर उZहने पूछा।

“हाँ… तीन चार महHने हो गये हN। मुझे मालूम था कe तुम पूछोगे इस@लये मNने पता लगा रखा था…” हँसकर मN
बोलH।

“उसकe झांटK भी अभी हbकe-हbकe बस आना हH शुu हुई हN…”

“अ,छा तो आप झांट तक भी पहुँच गये…” tचढ़ाते हुए मN बोलH- “ठ.क है , होलH मK आओगे ना तो ‡ाई कर
लेना…” मNने जोड़ा।

40
“अरे बस दो चार Fदन पहले उँ गलH क‰ं गा उसकe गुलाबी कंु वारH चूत मK और Jफर ल~ड का वाद चखा दं ग
ू ा,
बहुत मत माल है …” वो बोले।

तभी मNने दे खा Jक मेरH ननद चलH आ रहH है , टाईट शलवार कुतq मK मत लग रहH थी। दप
ु ”ा था पर उभार
साफ उभरकर सामने आ रहे थे। मN उसे Fदखाते हुए बोलH- “अरे इधर दे खो 8या मत माल आ रहा है …”

गुmडी- “अरे भाभी, `ेस लेने चलना है, बाबी टे लर के यहां आप भूल गयीं 8या, भैया के च8कर मK । और हां भैया,
डी॰जे॰ का 8या हुआ, शाम के @लये?”

“अरे डी॰जे॰ वो तो मN भल
ू हH गया, हां अभी कुछ करता हूं…” वो बोले।

मNने दे खा तो वो, जैसे मNने समझाया था, अपने उभार, उभारकर खड़ी थी। और नीचे दोन हाथ लगाकर उसने
अपने टे sनस बाल साइज कe कड़ी-कड़ी चtू चयां कसकर ऊभार रखी थी और मेरे सैयां कe आँखK भी उसके दोन
टHन जोबन पर गड़ी थीं।

गुmडी- “अरे मझ
ु े सब मालूम है , नयी-नयी सालH @मलH है ना, इस@लये आप सब भल
ू गये है …” आँख नचाकर बड़ी
अदा से वो बोलH।

तब तक मेरH दे वरानी गुंजा आ गयी और वह भी उसे छे ड़ती, बोलH- “अरे नये माल के आगे परु ाने माल को
भूलना नहHं चाFहये…”

“अरे ये भी तो नया tचकना माल है , और Jफर सालH कe सहे लH होने के नाते, एक तरह से तम
ु भी तो सालH
हुई…” गुmडी के गोरे -गोरे गाल सहलाते हुये मN बोलH।

“च@लये भाभी, आप भी मौका @मलते हH…” और अपने मत चूतड़ मटकाते हुये मुझे लेकर चल दH।

मNने पीछे मुड़कर दे खा तो राजीव उसकe रसीलH से8सी गा~ड sनहार रहे थे। बाहर sनकलते हH दे खा तो उसका
यार खड़ा था। मNने उससे पूछा- “हे , ‘चारा’ लाई है 8या…” सुबह हH मNने एक बहुत गरम-गरम Qेम प— उसकe ओर
से तैयार Jकया था और ये तय हुआ था Jक वो आज उसको मौका sनकालकर दे दे गी।

“हां भाभी…” मुˆकुराकर वो बोलH।

“त,ू यहHं इंतेजार कर, मN गाड़ी sनकालकर आती हूं।

मNने दे खा कe जब वो लड़का उसकe ओर बढ़ा तो वो FहलH नहHं, बbकe दप


ु ”ा ठ.क करने के बहाने अब उसको
गले से tचपका @लया और खुलकर टाईट कुतq से अपने जोबन का नजारा अपने यार को दे रहH थी। जैसे हH मN
कार लेकर पास आई तो वो झुकe और अपना ‰माल और उसमK @लपटा लव लेटर tगरा Fदया, और उठते हुये उसे
दे खकर खल
ु कर मुˆकुरा दH। जैसे हH वो कार के अंदर बैठ., लड़के ने एक कंकड़ के साथ, एक लेटर खुलH “खड़कe
से अंदर फKका। मN सीधे दे खने का बहाना कर रहH थी। गुmडी ने उस लेटर को उसे Fदखाकर @लPपटक लगे हठ
से चूमा और Jफर कुतq मK अपने सीने के पास रख @लया।

“हे आज तो तेरा यार च8कर खा गया…” मNने {यार से उसके गाल पे tचकोटH हुये काटते बोला।

“भाभी आ“खर आपकe टुडKट हूं…” हँसकर वो बोलH।

थोड़ी दे र मK हH हम लोग बाबी टे लसw के पास पहुँच गये। खलHल ने हम लोग को दे खते हH `ेस sनकालकर रख
दH। जब मN पैसे दे ने लगी तो वो मुˆकुराकर मेरH ननद को घरू ते हुये बोला- “नहHं भाभीजी, आपने कहा था ना Jक
शादH मK ऐस `ेस मK आग लगा दK , तो आज ये आग लगा दK तो कल आप पैसा भी दHिजयेगा और इनाम भी…”

“भाभी, कैश या काइंड?” अपने दप


ु ”े को सTहालने के बहाने अपने जोबन का जबदwत नजारा खलHल को दे ते हुये
वो बोलH।
41
“फeस कैश मK और इनाम काइंड मK। खलHल भाई, बना इनाम @लये छो‹ड़येगा नहHं मेरH इस ननद को और आग
तो ये लगायेगी हH आपकe बनाई `ेस मK …” मN बोलH।

“अगर बुरा ना माsनये तो बोलूं, आज आपकe ननद बला कe लग रहH हN, आग तो अभी लगा रहH हN…” उसके
हुˆन के दHवाने होकर खलHल भाई बोले। उसके पैजामK से उनकe हालत का अहसास हो रहा था।

हम दोन मुˆकुराते हुए वहां से चल Fदये।

राते मK मुझे लगा Jक इसके `ेस के साथ जंक yवेलरH अ,छ. लगेगी। पूछने पे उसने बताया कe एक लेडीज
टोर है , वहां बहुत अ,छ. ऐ8सेसरHज़ @मलती हN लेJकन थोड़ा महं गा है ।

मNने उसके मTम को दबाकर उसे tचढ़ाया- “अरे ये चेक-बुक तो है ना हमारे पास…”

बाहर से दे खने से हH वह बहुत बड़ी और फैशनेबल दकु ान Fदखती थी। दक ु ान मK एक बहुत हH ख़ूबसूरत जवान
लड़का बैठा था। पर उसे दे खते हH मN च˜क गयी- “अरे नीरज, ये तT
ु हारH दकु ान है …” नीरज हमारे घर के ठ.क
बगल वाले घर मK रहता था, और पड़ोस का लड़का होने के नाते दे वर भाभी कe हमारH छे ड़खानी चलती रहती थी।

“नहHं भाभी, आप लोग कe…” बोल वह मुझसे रहा था पर मN दे ख रहH थी कe उसकe sनगाह मेरH Jकशोर ननद पे
गड़ी थी।

मुˆकुरा के मN बोलH- “चलो मN तुम दोन का पkरचय कराती हूं, ये है मेरH ननद डालH और ये है नीरज। तT
ु हारे
शहर मK चांद “खला है और तुTहK पता हH नहHं…”

“मेरH बदJकˆमती भाभी, लेJकन आपका बहुत शJु ¨या कe आपने मल


ु ाकात करवा दH…”

मN दे ख रहH थी कe अब उसकe sनगाहK , उसके खूब सूरत चेहरे से नीचे आकर उसके रसीले उभार का रसपान कर
रहH थीं।

“च@लये अब तो आपकe Jकˆमत खुल गयी…” बड़ी अदा से अपने Jकशोर उभार को थोड़ा और उभार के डालH
बोलH।

“अरे अब तो ये तम
ु दोन के हाथ मK है Jक 8या तम
ु खल
ु वाती हो और 8या-8या ये खोलता है …” अब खल
ु कर
मजाक करते हुए मN बोलH। Jफर मNने उससे जंक yवेलरH और ए8सेसरHज़ के @लये कहा, जो उसने तरु ं त मंगा दH।

जब वो अपने हाथ से पहनाने लगा तो वो @सहर गयी। मNने फुसफुसाके उससे कहा… “गनीमत है Jक तम
ु ^ा
और पNटH नहHं खरHद रहH हो, नहHं तो वो भी…”

पर नीरज ने सुन @लया और हँसकर बोला- “वो भी है मंगवाऊँ?” Jफर उसने मुझसे पछ
ू ा- “कुछ ठं डा गरम
चलेगा?”

“अरे िजससे पछ
ू ना चाहते हN उससे खुलकर पsू छये ना? मेरH ननद को काक-कोला, ओह… मेरा मतलब है
कोकाकोला पसंद है …” दक
ु ान अभी-अभी खुलH थी इस@लये yयादा भीड़ नहHं थी। कोक पीते हुए मेरH sनगाह बाकe
सामान पर दौड़ रहH थी। एक सामान दे खकर मNने पछ
ू ा- “आप ए@शयन काई शाप का सामान भी रखते हN
कया?”

मेरH sनगाह दे खकर वह समझ गया था और हँसकर बोला- “अरे आप खल


ु कर 8य नहHं पूछतीं? ‘बौब-मसाजर’
कe बात कर रहH हN पर आप दोन को दे खकर तो लगता नहHं कe आपको इसकe जuरत है , बbकe इˆतेमाल के
बाद कe माड@लंग आप अ,छ. तरह कर सकती हN। लHिजए ये मेरH ओर से आपको tगƒट है …” और ये कहकर
उसने उसे उतारकर गुmडी के हाथ मK पकड़ा Fदया। उसकe sनगाहK बेशमl से, उसके दोन जोबन को घरू रहH थीं।

“अरे पूछ लो कैसे इˆतेमाल करते हN, वरना बाद मK Jफर आओगी अकेले यहH पूछने…” मNने कहा।
42
“@संपल… ^ा के अंदर नीचे लगा लHिजये…” वो उससे बोला।

मN- “अरे लगाकरके बता दो ना…”

अब नीरज के शरमाने कe बारH थी। नीरज ने Jफर एक और पैकेट sनकाला ‘टाईट अगेन’ और मझ
ु े मˆु कुराते हुये
दे Fदया और कहा- “ये आपके @लये…”

हँसते हुये हम दोन बाहर आ गये। yवेलरH और बाकe सामान पर भी उसने 50% ‹डˆकाउं ट Fदया था। उसकe
दकु ान से |e मK @मलH इTपोटq ड रम-चाकलेट चुभलाते हुए हम दोन वापस लौटे । मNने हँसकर कहा- दे खा ‡े sनंग
का फायदा?”

वह भी मुˆकुराकर बोलH- “हां भाभी…”

मNने उसके गाल पे Pपंच करके कहा- “मेरH बात मानती जाओ, दे खना शहर के सारे लड़के तेरे दHवाने हो जायKगK…”

जब हम लोग घर पहुँचे तो राजीव सबको दल


ु हन के @लये लाई yवेलरH Fदखा रहे थे। मेरH जेठानी, दे वरानी गुंजा,
गुलाबो, अbपी और घर कe ढे र सारH औरतK और लड़Jकयां भी थीं। चांदH कe पायल बहुत हH सुंदर थी और उसमK
ढे र सारे घघ
ुं u लगे थे। इसी तरह करधनी मK सोने के घघ
ूं u लगे थे।

गुmडी ने बहुत भोलेपन से पूछा- “भाभी, इसमK इoते घुंघu 8य लगे हN?”

सब औरतK मुशकुराने लगीं और गुंजा हँसकर बोलH- “अरे , अपने भैया से पूछ लो, वहH तो लाये हN। 8या सोचकर
लाये हN?”

गुलाबो- “अरे मN बताती हूं… पायल मK घघ


ुं u इस@लये लगे हN Jक जब तT ु हारH बहना नीचे होगी, और तT
ु हारे जीजा
इनकe टांगK कंधे पे रखकर कस-कसकर चोदK गK तो पायल के घघ ंु u हर ध8के के साथ बजKगे, और जब वह खुद
ऊपर चढ़कर कमर से ध8का लगा-लगा के चोदK गी तो, करधनी के घुंघu बजKगे…” गुलाबो हँसकर बोलH।

और मेरH ननद बेचारH शमाw गयी। Jफर बात बदलने के @लये वो बोलH- “भैया डी॰जे॰ का 8या हुआ?”

उZहने बोला- “हो गया…”

गुंजा ने Jफर tचढ़ाया- “और 8या? इनकe बहन चूतड़ मटका के नाचेगी और ये साथ दK गK…”

हँसते हुए उसे लेकर मN ऊपर छत पे गयी, Jकसी काम से। वहां नZदोई जी खड़े थे। मNने उZहK tचढ़ाया- “8य
नZदोई जी Jकसका इंतेजार कर रहे हN, अपनी बहन हे मा का?”

“नहHं आपकe इस छोटH ननद का… सुबह से तो आपके हH साथ है …” हँसकर वो बोले, Jफर इशारे से उZहने
बताया Jक @सगरे ट पीने ऊपर आये हN 8यकe नीचे सब बड़े लोग हN।

मNने उZहK छे ड़ा- “अरे तो अपने इस माल से सुलगवाइये ना… सालH Jकस Fदन काम आयेगी…”

उZहने @सगरे ट sनकालकर गुmडी को दH। वह उसे हाथ मK पकड़ी हH थी Jक मNने बोला- “अरे ऐसे नहHं, हठ के
बीच लेकर सुलगाओ…”

उसने हठ के बोच लेकर सुलगाने कe को@शश कe पर नहHं सुलगी।

तो वो बोले- “अरे जरा जोर से सु”ा मारो…” और Jफर वह सल


ु ग गयी।

जब तक वो जीत को दे ती Jक उZहने दस
ू रH sनकालकर उसकe @सगरे ट से सुलगा लH और मजे मK बोले- “उसे
तुम पी लो…”

उसने हँसकर Jफर एक कश @लया और बोलH- “अरे जीज,ू वो सालH 8या जो मना कर दे जीजा कe बात को…”

43
जीत उससे सटकर कंधे पर हाथ रखकर खड़े थे और उसकe बात पर खुश होकर कसकर उसकe चूtचयां दबा दH।
तब तक नीचे से राजीव और अbपी आ गये छत पे। गुmडी के उभार पर से बना हाथ हटाये, जीत ने पछ
ू ा-
“8य साले जी @सगरे ट पीनी है ?”

“हां, एकदम…” राजीव बोले और जीत ने एक राजीव को भी दे दH। मेरH ननद भी बेधड़क, अपने भाई के सामने
अपने जीजू से उभार दबवा रहH थी, और सु”ा लगा रहH थी।

तब तक शादH का Pव‹डयो वाला Fदख गया और उZहने उसे बुलाकर कहा- “अरे जरा जीजा-सालH कe फोटो तो
खींच दो…”

Jफर सबने साथ-साथ फोटो “खंचवायी। और @सगरे ट खतम करके सब नीचे आ गये। जीत को Jकसी रˆम के
@लये बल
ु ा @लया गया।

तब तक मेरH दे वरानी गुंजा का भाई, अजय भी वहां आ गया। वह गांव का था, लेJकन बड़ा हH तगड़ा और गबu
जवान, मांसपे@शयां साफ झलकती थीं। गुmडी को दे खकर उसने छे ड़ा- “बहुत जम रहH हो…”

अब मेरH ननद भी बोलने लगी थी- “अरे जाकर गुंजा भाभी को दे खो, मुझसे भी yयादा जम रहH हN…” सीना उभार
के वो बोलH।

तब तक अजय ने झटके से उसके उभार को सहला Fदया और भाग @लया। वो भी उसके पीछे दौड़ी। थोड़ी दे र मK
राजीव मेरे पास आ गये, और उधर से अजय भी।

अजय राजीव से बोला- “आज जीजाजी थोड़े दख


ु ी लग रहK हN…”

“8य?” भोलेपन से मNने पूछा।

अजय- “अरे इनका एक माल जो जा रहा है , आज…”

मN- “अरे तो 8या हुआ? माल का परमानKट इंतेजाम तो हो गया। हां, अब एक माल बचा है …” तब तक मेरH ननद
जो मेरे पास आकर खड़ी हो गयी थी, उसकe ओर इशारा करके मN बोलH।

अजय- “अरे उसकe 8या tचंता मेरे साथ Fठकाने लगा दK , मN तो हमेशा से तैयार हूं…” उसके कंधे पे हाथ रखकर
अजय ने छे ड़ा।

“हां हां… जरा मँुह धोके आओ…” तन


ु क कर कंधे पर से हाथ “झड़कते हुए वो बोलH।

“अरे मुँह 8या तुम जो-जो कहोगी मेरा भाई धोके आयेगा। और आप कह रहे थे कe अजय आज बहुत काम कर
रहा है , तो दे Fदिजये ना इनाम मK अपनी ये सो काbड बहन। और हां अजय, ये गारं टH दे ना कe ठ.क 9 महHने मK
इZहK मामा बना दे ना…” मN राजीव से बोलH।

वो tचढ़ रहH थी और हमK उसे tचढ़ाने मK मजा आ रहा था।

अजय- “मN सब समझता हूं साbले, तमु इसी बहाने अपनी बहन को सलहज बनाकर उनसे मजा लोगे…” और हम
सब हँसते हुये वहां से चल Fदये।

थोड़ी दे र मK शाम होने लगी और हम सब तैयार होने लगे।

“भाभी, आज आप मेरा मेक-अप कर दHिजये ना…” इठला के मेरH छोटH ननद बोलH।

“एकदम…” और मNने उसका खूब गहरा से8सी मेक-अप Jकया, हाई चीक-बोZस, गुलाबी गाल पे uज, आँख पे
मकारा, आइलैशेज़, और हbका सा काजल, और हठ पे लाल @लPपटक, लTबे नाखून पे गाढ़H नेल पा@लश
और Jफर मNने जबरदती करके उसके सारे कपड़े उतरवा Fदये और कहा- “अरे खास जगह पर भी तो मेक-अप

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होना चाFहये…” और वहां भी मNने, ¨eम, और हbकe सी उं ग@लय मK लेकर मजाक मK @लPपटक लगाकर गुलाबी
लेसी, खब
ू पतलH थांग पहना दH जो उसकe चत
ू कe पिु oतय को भी परू ा नहHं ढक रहH थी। और पीछे तो मNने
उसके चूतड़ फैलाकर सीधे गा~ड कe दरार के बीच फंसा दH। Jफर उसकe `ेस के साथ जो मैtचंग िकन कलर
कe पश
ु -अप ^ा लाई थी, वो पहना दH। इससे उसके उभार तो उभर के सामने आ हH रहे थे, गहराई भी खूब बन
रहH थी। वह लेसी तो थी हH, और जोबन से इतनी tचपकe थी कe पता हH नहHं चलता था कe उसने ^ा पहन
रखी है ।

Jफर मझ
ु े कुछ याद आया और मNने चच
ू ी मसाजर, जो चच
ू ी उभारने का भी काम करता था, उसके ऊभार के
नीचे लगा Fदया और Jफर तो उसके उभार उभरकर और मत हो गये। चोलH टाईप टाप जो खलHल, बाबी टे लर
ने ठ.क Jकया था पहनकर तो वातव मK वह आग लगाने लगी। वह बैकलेस तो था हH, आbमोट परू H गोरH पीठ
Fदखती थी। पर उभार का परू ा कटाव, और sनपbस तक, जरा सा झक
ु ने पे Fदख सकते थे। मNने लंहगे ऐसी `ेस,
नाभी के बहुत नीचे कुbहे पे बांध के पहनायी और उसके साईड ि{लट से गोरH-गोरH Pपंड@लय का भी नजारा
साफ झलकता था, और Jफर जंक yवेलरH, बाल भी खूब सताय@लश। ऊपर से `ेस मK जो चुZनी थी वो भी ऐसी
रखी कe बस एक जोबन आधा ढं का था और दस
ू रा पूरा झलक रहा था।

तब तक अbपना अपनी छोटH बहन कTमो के साथ आई। Jफरोजी लंहगK चोलH मK , वह कमाल कe लग रहH थी।
और उससे भी बढ़कर कTमो, टाप और कटw मK , अ,छ. खासी बड़ी लग रहH थी। तबतक मुझे जो मN ओbड मांक
और िजन कe बोतलK ले आई थी उसका Œयान आया और मNने अbपना के कान मK कुछ समझा के कहा और वो
मुˆकुराकर चल दH। तब तक राजीव आये और कTमो उनसे ऐसे tचपक के गले @मलH कe और वो उसको लेकर
चल Fदये।

“हाय… 8या बात है ?” नZदोई जी ने कसकर सीटH मारH, गुmडी को दे खकर।

उसने भी एक च8कर मार के, झुक के अपने जोबन का पूरा नजारा Fदखाते हुए, हँसकर बोला- “बोलो जीज,ू मN
कैसी लगती हूं?”

तब तक अbपना, रमोला और िजन @मला @लTका का ‹`ंक ले आई और एक-एक œलास गुmडी और जीत को दे
Fदया। जीत ने जबरदती करके अbपी को भी एक कोला Pपला Fदया। अbपी ने मुझसे कान मK कुछ कहा और
मNने उससे कहा कe जीत से कहे ।

अbपी बोलH- “आपकe सालH से8सी आईटम लग रहH है , पर एक कसर है जीजू…”

“8या?” वो बोले।

और उसने उनके कान मK कुछ फुसफुसाया।

“अभी लो…” और गुmडी को कसकर अपनी बांह मK बांध के उसके भरे -भरे गाल कचकचा के काट @लये। और जब
तक वो कुछ बोलती, उसके दस
ू रे गाल पे अपने दांत के sनशान बना Fदये।

“जीजा के दांत के sनशान के बना सालH के गाल का t­ंगार अधूरा है …” हँसकर मNने उसे tचढ़ाया।

बरात आ गयी बरात आ गयी, चार ओर शोर हुआ, हम लोग भी बाहर भागे। मेरे नZदोई अपनी सालH के ठ.क
पीछे थे। मNने उनका Œयान उसके से8सी चूतड़ कe ओर Fदलाया। झलकते, `ेस मK उसके मखमलH मुलायम गोल-
गोल चत
ू ड़ साफ झलक रहे थे, और पNटH भी गा~ड कe दरार मK थी इस@लये सब कुछ झलक रहा था। उZहने उस
भीड़ मK शरारत से कसकर उसके चूतड़ दबोच @लये और गा~ड मK उँ गलH करते हुए tचकोटH काट लH। वो पीछे
मुड़कर मुˆकुरा दH और सामने दे खने लगी।

बारात कe लड़Jकयां, औरतK, लड़के खूब जम के नाच रहे थे।


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“हे चलो जरा लड़के वाल को Fदखा दK Jक डांस 8या होता है । उनके यहां कe लड़Jकयां सोच रहHं हN कe वहH नाच
सकती हN…” अbपी उसको खींचकर ले गयी और पीछे -पीछे उसके जीजू और राजीव भी पहुँच गये।

“एकदम जरा कसकर जलवा Fदखाना लड़कe वाल का…” मNने भी जोश Fदलाया।

वहां पहुँच के सबके साथ नाचने लगे। थोड़ी दे र बाद मNने दे खा कe गुmडी अपने जीजू के साथ डांस कर रहH है ,
और बाकe सब लोग Jकनारे खड़े गोल घेरा बनाकर ता@लयां बजा रहे हN।

तब तक गाना शुu हुआ- “मेरH बेरH के बेर मत तोड़ो…” kर@म8स कe धुन पे।

और Jफर वो इस तरह अपने उभार उछाल-उछाल के मटका रहH थी, चूतड़ Fहला रहH थी, और जीत भी उसके
साथ। गुलाब का फूल लेकर उसने चोलH मK खस Fदया और गाना जब पीक पे पहुंचा तो जीत ने अपने हठ से
वो फूल sनकाल @लया और उसके उभार को सबके सामने हbके से चूम @लया और इसके बाद अbपी और राजीव
शुu हो गये।

ढोल वाले बजा रहे थे और गाना था- “Fदल ले गयी कुड़ी पंजाब दH, Fदल ले गयी…”

अbपना ने, फूल अपने लहं गे मK खस @लया। अबकe राजीव का नंबर था। नाचते-नाचते उZहने अbपी को अपनी
बांह मK उठा @लया। उधर बारात ¤वारपूजा पे पहुँच गयी थी और वागत मK गुलाबो, दल
ु ारH, गुंजा सब औरतK
गालH सुना रहHं थीं

“हाथी-हाथी शोर कइले, गदहा लेकर अईले रे ,


द?
ू हा क बहना को गदहा चोदे , आपन नाक कटवौले रे ,
रं डी-रं डी शोर कइले, ब#हन नचावत अईले रे ,
तोर& बहन क फुgी चोदं ,ू गाcड मरावत अईले रे …”

जयमाल के बाद, डी॰जे॰ के साथ तो कुछ तो रमोला का असर, कुछ जवानी का नशा, कुछ जोबन का उभार,
नाचने मK आईटम लड़“खय को भी उZहने मात कर Fदया। और चZ
ु नी तो उसने बाराsतय के सामने हH नाचते
समय गले से उतारकर कमर मK बांध लH थी, इस@लये उसके जोबन के उभार खुbलम खुbला Fदख रहे थे, जब वो
कुbहे मटका-मटकाकर जोबन उभार के नाचती। थोड़ी दे र तो उसने अपने जीजू के साथ, Jफर दb
ू हे के साथ। और
राजीव भी अbपना और Jफर कTमो के साथ। आज वह परू H तरह मत लग रहH थी। और न @सफw अपने जीजू
के साथ, बरात मK आये लड़क के साथ, दb
ू हे के साथ, यहां तक कe घर के लड़क के साथ आज वो खुलकर
अपने जलवे Fदखा रहH थी।

नाच के बाद खाने के समय कभी, ऐसे Fदखा-Fदखाकर साƒटH का कोन चूसती जैसे कोई ए8पटw ल~ड चूस रहH
हो, कभी Jकसी के {लेट से कुछ sनकाल लेती, कभी Jकसी के मज़ाक पे खुलकर हँसती और उसके `ेस से तो…
जोबन के उभार तो गजब ढा हH रहे थे, पतलH कमर, गोरा बदन और तेज लाईट मK कभी `ेस के अंदर भी
झलक जा रहा था।

मN सोच रहH थी आज Fदन मK जो मNने उसे समझाया था, कैसे जवानी के जलवे ढाये जायं। ए”ीटयड
ू , बाडी
लNœवेज, कभी हँसना, कभी शरमाना, कभी हbके से अदा से जोबन के जलवे Fदखाना, कभी Fदखाकर sछपा लेना,
और सबसे बढ़कर Jकसी को भी मना ना करना। लेJकन उसी के साथ ये भी Jक कोई न समझे कe वो आसानी
से पट जाने वालH है ।

मNने उससे कहा था- “मान लो अगर कोई एकदम हमेशा कोbड लुक दे गा, तो लड़के उसको छोड़कर दस
ू रे के
च8कर मK पड़ जायKगे कe यहां तो कोई फायदा है नहHं और अगर तम
ु आसानी से yयादा @लƒट दे दोगी तो वो
समझKगे Jक ये पता नहHं Jकससे पटH हो और Jफर इसे तो जब चाहK गK तब पटा लKगK। और अगर एक के साथ
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च8कर चल भी रहा हो तो दो-तीन को पbलू मK बांध के रखो…” और आज वो एकदम मेरH @सखायी हुई बात पे
अमल कर रहH थी। वो जहां होती लड़के वहHं पहुँच जाते। शादH जbदH शu
ु होने वालH थी इस@लये खाने के बाद
हम लोग तुरंत अंदर चले गये।

***** *****04 ननद कe ‡े sनंग_Nanad Ki Training भाग-4

उसके गाल पे tचकोटH काटकर मN बोलH- “आज तो बड़े जलवे Fदखाये तम


ु ने?”

तो वो हँसकर बोलH- “भाभी, ये सब आपकe ‡े sनंग का नतीजा है , वरना मN हमेशा कोने मK खड़ी रहती थी, मुझे
कौन पूछता…”

“मेरH ‡े sनंग के साथ-साथ इसका नतीजा है …” उसकe चोलH खोलकर लेसी िकन कलर ^ा के ऊपर से उसके
उभार को दबाते हुए मN हँसकर बोलH।

“भाभी, अभी मN 8या पहनूं?” `ेस उतारते हुए वो बोलH।

“दे ती हूं…” कहकर मNने उसके @लये एक लाई¨ा ऐसी टाप और कटw sनकालH और Jफर उसकe ओर दे खकर उसकe
^ा और थांग उतार दH।

“अरे भाभी…” वो बोलH।

मN, अbपी, वो, सब एक साथ तैयार हो रहे थे। मNने कहा- “अरे ये इससे मैच नहHं करती, तम
ु पहले कटw पहनो,
मN ढूँढ़ती हूं…”

तब तक बाहर से Jकसी ने आवाज लगाई- “अरे जbदH करो, लड़के वाले आ गये हN…”

मNने उससे कहा- “हे टाप भी पहन लो, Jकसी को 8या पता चलेगा? जब तक तम
ु खोलकर Fदखाओगी नहHं…”
और जbदH-जbदH हम लोग तैयार होकर बाहर sनकले।

मNने जानबूझ के उसे ^ा और पNटH नहHं पहने दH थी। लाई¨ा ऐसा टाप एकदम उसके दे ह से tचपका था और
उसके उभार का कटाव एकदम साफ-साफ Fदख रहा था, और वह ठ.क उसकe पतलH कमर पे आकर खतम हो
रहा था, इस@लये कमर कe भी परू H झलक @मल रहH थी। दस
ू रा फायदा ये था Jक मेरे नंदोई को yयादा समय न
लगे कपड़े उतारने मK । अगर yयादा जbदH हो तो कटw उठाकर और टाप ऊपर सरकाकर भी काम चल जाय।
कटw भी खूब टाईट थी, िजससे उसके से8सी चूतड़ साफ पता चल रहे थे।

अbपी ने ‘तेरा पेट बहुत Fदख रहा है ’ कहते हुए कटw और ऊपर खींच दH। कमर तो खैर अभी भी Fदख रहH थी
लेJकन अब उसकe गोरH tचकनी जांघK भी एकदम खुलकर Fदख रहH थीं। अbपी आज जम के शरारत के मूड मK
थी- “8या मत कबत
ू र हN तेरे?” कहके कसकर उसने उसके उभार को तो दबाया हH, कसकर दोन sनपल भी
Pपंच कर Fदये।

अब तो कबत
ू र कe चच भी साफ-साफ उसके टाप से Fदख रहH थी। जब तक वो अपने को एडजट करती, हम
शादH के मंडप मK पहुँच गये। लड़के वाल मK सब लड़क कe sनगाहK उसके उभार और गोरH tचकनी जांघ को घरू
रहH थीं। दb
ु हन के पीछे हम लोग बैठ गये। ठं डक थी इस@लये हम लोग ने पैर पर रजाई डाल रखी थी। तब
तक उसके जीजा आकर गुmडी कe बगल मK बैठ गये और राजीव भी अbपी कe बगल मK घस
ु गये। गाने चालू हो
गये थे।

बाराती सा?ले आ गये छै ल iचकनयां,

हम लोग के आते हH ढोलक हम लोग कe ओर बढ़ा दH गयी। मNने उससे कहा- “हे शुuआत तुम लोग करो मN
बाद मK गाऊँगी…” पर उसके इसरार करने पे मNने कहा- “अ,छा चलो, तम
ु ढोलक बजाओ, एक गाने के साथ मN
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शुu करती हूं Jफर तम
ु लोग गाना और मN साथ दं गू ी…” तब तक दb
ू हा और उसकe बहनK भी मंडप मK आ गयी
थीं उसने ढोलक पे थाप दH और मN चालू हो गयी-

बड़ी धम
ू डगर से आया रे ब%ना, अरे माल& क गल& से आया रे ब%ना,
लोग कह0 , अरे लोग कह0 मDलया का जना,
बड़ी धूम डगर से आया रे ब%ना, अरे सुनरा क गल& से आया रे ब%ना,
लोग कह0 , अरे लोग कह0 , सुनरा का जना,
बड़ी धूम डगर से आया रे ब%ना, अरे धोबी क गल& से आया रे ब%ना,
अरे लोग कह0 , अरे लोग कह0 , धोLबया का जना, अरे लोग कह0 गदहा का जना।

Jकसी ने बरात के लोग मK से उसकe ओर इशारा करके कहा- “अरे सालH को नहHं आता 8या?”

और मNने उससे कहा- “जरा सुनो दो इन लोग को…” अब वो ढोलक के साथ गा रहH थी और हम लोग साथ दे
रहे थे-

मेरा सुंदर ब%ना, मेरा Kयारा ब%ना, ब%ने के सर पे मौरा सोहे ,


ब%ने क अ5मा का यार मDलया ले आया,
मेरा सुंदर ब%ना, मेरा Kयारा ब%ना, ब%ने के तन पे सट
ू सोहे
ब%ने क बआ
ु का यार, बजजवा ले आया,
मेरा सुंदर ब%ना, मेरा Kयारा ब%ना, ब%ने के कान म0 कंु डल सोहे,
ब%ने क भाभी का यार, सुनरा ले आया।
मेरा सुंदर ब%ना, मेरा Kयारा ब%ना, ब%ने के पैरE म0 जूता सोहे,
ब%ने क बहना का यार, मोची ले आया।

उसके दोन हाथ ढोलक मK लगे थे। मौके का फायदा उठाकर मNने रजाई के अंदर उसके कटw मK हाथ डाल Fदया
और गाते हुए, उसकe जांघ सहलाने लगी।

जब मेरा हाथ ऊपर बढ़ा तो मNने पाया कe एक हाथ और उसे सहला रहा था। जब मNने नंदोई जी कe ओर दे खा
तो वो मुˆकुरा पड़े और मN समझ गयी। Jफर हbके-हbके हम दोन ने उसे तंग करना शu
ु कर Fदया और थोड़ी हH
दे र मK नंदोई जी कe उँ गलH उसकe कंु वारH बरु मK घुसकर छे ड़ रहH थी और मN उसकe पिु oतय को पहले बाहर से
और Jफर उसकe ि8लट को।

मती मK उसकe हालत खराब हो रहH थी, जोबन पoथर कe तरह कड़े हो रहे थे, जो उसकe दे ह से tचपके टाप से
साफ Fदख रहे थे और थोड़ी दे र मK हH उसकe चूत भी अ,छ. तरह से गीलH हो गयी थी। पर उस बेचारH के दोन
हाथ ढोलक मK फँसे थे, इस@लये वो करती 8या।

अब गंज
ु ा गा@लयां रहH थी और हम सब साथ दे रहे थे-

छोटे दाने वाला घंघ


ु j अजबे ब%ना, छोटे दाने वाला,
वो घुंघj पहने, ब%ने क बहना,
अरे अरवट बाजे, करवट बाजे, लड़का को दध
ू eपलावत बाजे,
अरे सेिजया पे, हमरे भैया से रोज चुदावत बाजे,

तब तक मझ
ु े आंख मK इशारा करके नंदोई जी उठ गये कe उZहK नींद आ रहH है । थोड़ी दे र मK हH मNने उससे
बोला- “हे , जाओ जरा लड़के वाल के @लये चाय बनाकर ले आओ…”

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और वह भी उठकर चल दH।

मNने कन“खय से दे खा कe मेरे नZदोई सीढ़H के पास उसका इंतज़ार कर रहे थे और जैसे हH वह पंहुची, दोन
ऊपर चल Fदये। शादH कe गहमा-गहमी, गाने के शोर मK Jकसी का Œयान उधर नहHं था। गाना पूरा होते हH मNने
दल
ु ारH और गल
ु ाबो से कहा- “हम लोग बहुत दे र से गा रहे हN, अब तम
ु लोग जरा अ,छ. वालH लड़के वाल को
सुनाओ…” और मN भी उठकर चल दH।

ऊपर एक कमरा हम लोग नK बंद कर रखा था Jक अगर लड़के वाल के साथ जो लड़Jकयां, औरतK आयीं थीं
उनमK से Jकसी को जuरत पड़े, और उसकe चाभी मेरे पास थी। वह मNने नZदोई जी को दे दH थी। ऊपर जब मN
सीढ़Hय पे जा रहH थी तो नीचे से गुलाबो और दल
ु ारH कe आवाज मK एक बहुत पुरानी गालH कe आवाज छन-छन
के आ रहH थी-

iचkी आइ गयी शहर बनारस से, iचkी आइ गयी,


द?
ू हा बहनचोद iचkी बंचले क ना, iचkी पढ़ले क ना,
तु5हर& अ5मा छनार, तु5हर& ब#हना छनार, कइल&ं दस-दस भतार।

ऊपर पंहुचकर जब मNने “खड़कe से झांका तो शो शुu हो चुका था। नZदोई जी ने गुmडी कe कटw उतारकर अलग
कर दH थी और टाप उठा Fदया था। उसकe लंबी गोरH टांगK उनके कंधे पे थीं और tचकनी गोरH जांघK अ,छ. तरह
फैलH थीं। उनका सुपाड़ा थोड़ा सा उसकe चूत मK घस
ु ा था और वो उसकe दोन छोटH-छोटH Jकशोर चूtचयां कस-
कसकर दबा रहे थे। नZदोई जी का ल~ड राजीव इoता लंबा तो नहHं लग रहा था, पर बहुत मोटा था। उZहने
थोड़ी दे र उसकe चूची कe रगड़ाई करने के बाद, एक करारा ध8का मारा।

मेरH ननद कe चीख sनकल जाती पर वो बहुत ए8पटw थे। उZहने ऐन मौके पे उसके दोन हठ अपने हठ के
बीच भरकर कसकर दबा @लये और अपनी जीभ उसके मँुह मK घस ु ेड़ दH। अब उZहने उसकe दोन कलाइयां
कसकर पकड़ लH और दो तीन ध8के कसकर मारे । ददw के मारे गुmडी कe हालत खराब थी। दो @मनट के @लये
वो ‰के तो उसने जैसे-तैसे सांस लH।

पर मN जानती थी कe अब 8या होने वाला है , उZहने ल~ड थोड़ा सा बाहर Jकया और अब Jफर एक बार उसकe
कलाई कसकर पकड़कर परू H ताकत से एक ध8का मारा। अबकe तो वो ददw से वो बलबला उठ.। पर वो ‰के
नहHं और कस-कसकर ध8के मारते रहे । वो बेचारH कमर Fहला रहH थी, चत
ू ड़ पटक रहH थी, पर उसके जीजू पे
काई असर नहHं था।

मN समझ गयी कe अब उसकe फट गयी है । मेरे नंदोई बेरहमी से उसे चोद रहे थे। मN मुˆकुरा पड़ी। मुझे याद
आया कe मNने नZदोई जी से यहH कहा था कe गुmडी कe मN उZहK Fदलवा दग
ू ी पर वो इतनी रगड़-रगड़ के चोदK कe
जब वो चुदवा के आये तो जो भी उसे दे खे, उसे पता चल जाये कe सालH चुदवा के आ रहH है । चूची गाल हर
जगह चुदाई के sनशान रहK ।

तो वो हँसकर बोले थे- “एकदम सलहज जी, मेरे आपके खयाल एकदम @मलते हN। सालH ने बहुत तड़पाया है ,
इतनी सीधी बनती थी कe जरा सी छाती छूने मK नखड़े Fदखाती थी। एक बार मेरे नीचे आने तो दHिजये। दो Fदन
तक टांगK फैलाकर चलेगी। ऐसा रगड़ के चोदं ग
ू ा कe सारा sछनालपन भूल जायेगी बहुत इंतजार कराया है सालH
ने…”

जब मNने Jफर “खड़कe से Œयान Fदया तो उसके जीजा का मोटा पूरा ल~ड उसकe चूत घट चुकe थी। मेरे नZदोई
भी अब चोदना रोक कर, एक उँ गलH से उसकe ि8लट छे ड़ रहे थे, और दस
ू रे हाथ से चtू चयां सहला रहे थे। चत

के बाहर हbकe सी खून कe बद
ूं े बता रहH थीं कe उसका योsन का पदाw फट गया था। थोड़ी दे र मK जब उसका ददw
कम हुआ तो उZहने हbके-हbके Jफर चोदना शुu Jकया, लेJकन ि8लट वो लगातार रगड़ रहे थे। अब एक हाथ से
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कमर पकड़कर वो चुदाई कर रहे थे। मNने दे खा कe अब उसके चेहरे पे ददw कe जगह मजे ने @लए @लया था और
वह धीरे -धीरे चत
ू ड़ उठा-उठा के मजे ले रहH थी।

Jफर 8या था, नंदोई जी ने भी अब दोन हाथ से उसकe कमर पकड़ी और कसकर चोदने लगे। अब वह भी जांघK
फैलाकर, चत
ू ड़ उठाकर मजे ले रहH थी। मझ
ु े अपने पsत, राजीव कe बात याद आ रहH थी कe ब,ची है , अभी
छोटH है , बड़ी भोलH है । अगर वह दे खते कe उनकe वह {यारH छोटH भोलH बहना कैसे चूतड़ उठा-उठा के गपागप
ल~ड के मजे ले रहH है , तो उZहK पता चलता।

अचानक मुझे हNडीकैम कe याद आई, उसमK नाईट Pवजन और ज़म


ू भी था, और अभी मN उससे शादH के फोटो ले
रहH थी, वो मेरे पसw मK हH था। मNने हNडीकैम उठाकर जूम Jकया, और दे खा कe नZदोई जी उसके गाल कसकर
चूम चूस रहे थे और अचानक उZहने कचाकच कसकर काट @लया। उनके हाथ जैसे कोई जस
ू र मK नारं गी sनचोड़े,
कस-कसकर उसकe चूtचयां sनचोड़ रहे थे। लेJकन वह अब जैसे पूरH तरह चोदाई के नशे मK आ गयी हो और
कस-कसकर अपनी गा~ड उठाकर सटासट ल~ड घट रहH थी।

वो भी कभी पूरH ताकत से उसके कड़े sनपल मसल दे ते, कभी ि8लट। और ल~ड तो उनका Jकसी मोटे Pपटन
कe तरह लगातार गुmडी कe बरु मK अंदर-बाहर हो रहा था। मNने थोड़ी दे र वी‹डयो लेने के बाद उसकe Jकशोर चत

मK मोटे ल~ड का, मसलH जा रहH चूtचय का 8लोज-अप िटल भी @लया और कई ऐसे िजसमK पूरH तरह उसका
चेहरा साफ-साफ आये।

अब उसने अपनी दोन टांगK अपने जीजा कe कमर मK बांध लH थी और वह िजस तरह ध8के लगा रहH थी, उससे
साफ था कe वह बस झड़ रहH है और नZदोई जी भी िजस तरह से खचाखच चोद रहे थे, बस वह भी कगार पर
थे। तभी मझ
ु े याद आया कe अगर कोई उसे खोजने Jकचेन मK पहुँच गया, 8यकe वह तो चाय बनाने आई थी।
इस@लये मNने एक फाईनल शाट @लया और नीचे Jकचन कe ओर चल पड़ी।

अभी भी गा@लय कe बाहर बह रहH थी और सारे बराती भी खूब मजे ले-लेकर सुन रहे थे और उकसा रहे थे Jक
इनका नाम लेकर सुनाओ। और हम लोग ने तो सारH बराsतय कe मFहलाओं के नाम तक पता करके रखे थे,
इस@लये नाम ले-लेकर भी गा@लयां हो रहH थीं। मNने चाय चढ़ा दH।

गुंजा, मेरH जेठानी और गुलाबो कe आवाज सुनायी पड़ रहH थी-

चमचम बटुआ, रे शम का बटुआ केकरे केकरे घरे जाई क वाह,


ये बटुआ जाये द?
ू हा के घर म0 जेकर बहना, जेकर मीनू बड़ी गोर& क वाह वाह,
अरे उनक बहना चुदाये, अरे मीनू चुदाये, दौड़ी दौड़ी,
अरे अपने भैया भतारन से iचर& चोर& वाह वाह।

जब चाय उबल रहH थी, तब तक गुmडी आ गयी। कोई भी उसकe शकल दे खकर कह सकता था कe खूब हचक
के चद
ु ाई हुई है । गाल पे दांत के गहरे ताजा sनशान, हbके बखरे से बाल, टाप भी थोड़ा @सकुड़-मक
ु ु ड़ गया था,
पर उसके sनपल अभी भी खड़े थे और टाप से बाहर sनकलने को बेताब थे। और वह िजस तरह से दोन टांगK
हbके से फैलाकर खड़ी थी Jक मNने झटके से उसकe कटw उठा दH। पNटH तो उसने शुu से हH नहHं पहनी थी।
उसकe गुलाबी चत
ू ल~ड का ध8का खाकर लाल हो गयी थी और वीयw से @लपटH थी।

मNने उसे {यार से बांह मK भर @लया और गाल चूमकर बोलH- “चलो अब तम


ु मेरH और अbपना कe बरादरH मK
शा@मल हो गयी। साफ-सूफ तो नहHं Jकया?”

गुmडी- “नहHं भाभी, दे र हो रहH थी और Jफर जीजू ने भी कहा कe कहHं कोई कमरे मK ना आ जाय…”

तब तक बाहर से Jकसी ने गुहार लगाई- “हे चाय बन गयी या बीरबल कe “खचड़ी हो रहH है …”
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मेरे इशारे पे वो बोलH- “हां, हो गयी है अभी लाती हूं…”

मNने उससे कहा- “यार, अब साफ करने का टाईम नहHं है। बस तुम कसकर अपनी चूत भींच लो, वैसे भी अbपी
ने कहा था ना कe पहलH चुदाई के बाद तT
ु हारे भैया ने एक बूंद भी बाहर नहHं sनकलने Fदया था, कe ये सबसे
अ,छा ल^ु ीकKट होता है । बस भींचे रहो। थोड़ी दे र मK बरु सब सोख लेगी और अगलH चद
ु ाई मK बहुत कम ददw
होगा…”

और उसने कसकर अपनी चूत भींच लH। उसने मुझसे मुˆकुराकर शरारत से पूछा- “भाभी, इसमK चीनी तो नहHं
डालH…”

मN उसका मतलब समझ के मुˆकुराने लगी और उसकe ओर नमक कe शीशी बढ़ा दH। उसने एक छोटH केटलH मK
चाय उड़ेलकर उसमK नमक @मला Fदया, और हँसकर बोलH- “जो दHदH के दे वर लोग बहुत बन रहे थे ना…”

“हां, लेJकन अपनी दHदH कe ननद को भी मत छोड़ना…” मN हँसकर बोलH।

बाहर गालH कe आवाज अभी भी आ रहH थी-

अरे द?
ू हा क बहना चल&ं, अरे मीनू छनार चल&ं फुलवा तोड़े, iगर& पड़ीं Lबछलायी जी,
अरे उनक बMु रया म0 घस
ु गयी लकlड़या जी, अरे गंlड़या म0 घुस गयी लकlड़या जी,
दौड़ा दौड़ा, दल
ु हे भैया, मुंहवा से खींचा लकlड़या जी।
पं‹डत और नाऊ को भी नहHं बªशा जा रहा था, दल
ु ारH तो खास तौर पे नाऊ के पीछे पड़ी थी।

जब हम लोग चाय लेकर बाहर पहुँचे, भांवर कe तैयाkरयां शुu हो गयी थीं। अbपना भी आ गई थी चाय बंटवाने।
मNने दोन से इशारे से पूछा कe जत
ू ा चुराने का 8या हुआ?

गुmडी ने हँसकर कहा- “कTमो के पास है । दल


ु हे के पंहुचते हH उसने पार कर Fदया था…” आ“खर सबसे छोटH
सालH है । मNने दे खा कe वो राजीव के पास tचपट के बैठ. है ।

अbपना और गुmडी ने जैसे हH चाय बांटना शुu Jकया, बारात के िजतने लड़के थे उनमK हलचल हो गयी। Jकसी
ने पछ
ू ा- “अरे यार चाय गमw है कe नहHं?”

“अरे जब बांटने वा@लयां इoती गरम हN तो चाय तो गरम होगी हH…” कोई बोला- “अरे यार, अगर इनके हाथ से
जहर भी @मल जाय तो पी लूं…”

जब गुmडी झुकती तो लड़क कe आँखK एकदम उसके टाप फाड़ते उभार पे गड़ जातीं। तब तक एक-दो चुकe के
बाद कोई बोला- “अरे ये तो नमकeन है …”

अbपना ने हँसकर जवाब Fदया- “अरे आप हH लोग तो कह रहे थे कe बांटने वा@लयां जैसी होगी, तो अगर बांटने
वा@लयां नमकeन हN तो चाय भी नमकeन हो गयी होगी…”

तब तक चाय दे ते-दे ते, गुmडी दस


ू रे Jकनारे पे पहुँच गयी थी और वहHं से वह बोलH- “अरे अभी तो आप लोग कह
रहे थे कe हमारे हाथ से जहर भी पी लKगK, तो ये तो थोड़ा नमक हH है । अरे इससे पता चल गया कe Jकतनी
मदाwनगी है बरात के लड़क मK और नमक तो इस@लये Pपलाया है िजससे आप लोग नमकहरामी ना करK …”

सब लोग हँस पड़े और सबकe आँखK गुmडी और अbपना कe हH ओर थीं।

मN भी बोलH- “ठ.क है , ये लोग एक बार ये चाय खतम करके अपनी मदाwनगी साबत कर दK तो मीठ. Pपला दे …”
तब तक मNने दे खा कe वीयw का एक कतरा उसकe बरु से sनकलकर उसकe tचकनी गोरH जांघ से Jफसलता हुआ
घट
ु ने पे आ गया। मNने दे खा कe राजीव और मेरH जेठानी कe sनगाहK भी उसकe जांघ पे हN और जब हम तीन कe

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sनगाहK @मलH तो सब कुछ समझ के हम तीन मुˆकुरा Fदये। तब तक भांवर खतम हो गयीं थी और कोहबर मK
दb
ू हे को छK कने के @लये हम सब लोग चल Fदये।

सुबह बारात जbद हH Pवदा होनी थी, और बाराsतय के @लये पै8ड लंच बनकर पैक होने थे। कोहबर के बाद मNने
उसे भेजा कe वहां नZदोई जी हगे, उनसे जाकर कहे कe एक घंटK मK पैकेट बन जाये और उसके बाद जनवासे मK
जाके उसे बंटवा दK , खास तौर से औरत मK वह खुद दे ख लK कe सबको पैकेट @मल गये कe नहHं।

Pवदाई होने मK थोड़ी दे रH थी इस@लये मN अपने कमरे मK जाकर बैठ गयी। सुबह हो हH रहH थी। मNने सोचा कe
नहा धोकर |ेश हो जाऊँ, 8यकe थोड़ी हH दे र मK Pवदाई कe हड़बड़ शुu हो जाये गी। बाथटब मK पानी भरकर मN
बाहर आई तो दे खा Jक वो… और जब मNने उसकe हालत दे खी तो मुˆकुराये बना नहHं रह सकe। कोई भी दे खे तो
यहH कहता Jक जबदw त चुदवा के आ रहH है । बाल बखरे , गाल पे दांत के sनशान, टांगK फैलH, और गोरH जांघ
पे वीयw के दाग कपड़े @लथड़े।

मNने पछ
ू ा- “हे 8या तम
ु जनवासे नहHं गयी और 8या दब
ु ारा…”

“हां भाभी, हम लोग पैकेट लेकर sनकल हH रहे थे कe दHदH कe जेठानी @मल गयीं। वो जनवासे जा रहHं थीं।
उZहने सारे पैकेट ले @लये और कहा Jक वो बंटवा दK गी। और दब
ु ारा जीजू के पास आपने भेजा था तो वो तो
होना हH था। भूखे शेर के पास आप @शकार भेजKगी तो वो 8या छोड़ेगा…” हँसकर वो बोलH।

“अ,छा चल नहा के |ेश हो जा, मN भी नहाने जा रहH थी। Jफर बताना शेर ने @शकार कैसे Jकया…” और बाथuम
मK जाकर मNने उसका टाप एक झटके मK खींचकर उतार Fदया।

उफ… एक रात मK हH उसके जोबन पे फकw आ गया था। मसल-मसलकर उसके जीजा ने लाल कर Fदया था और
sनपल भी और उनके दांत के sनशान, खूब कसकर उभर के कई जगह पे थे। और तब तक उसने खुद अपनी
कटw सरका के उतार दH। मNने नीचे दे खा तो चूत कe पुिoतयां उभर के सामने आ गयी थीं और ल~ड के ध8क
से चूत अ,छ. तरह लाल हो गयी थी, गाढ़े सफेद थ8क मK वीयw जगह-जगह जमा था। चूतड़ पर @म”ी लगी थी।
मNने उसे टब मK @लटा Fदया और खुद |ेश होने लगी।

मN बोलH- “थोड़ी दे र टब मK लेटH रहोगी तो थकान भी @मट जायेगी और सफाई भी हो जायेगी। हां, जांघK अ,छ.
तरह फैला ले, िजससे अंदर तक सफाई हो जाये…” मNने भी अपना मेक-अप उतारना शu
ु कर Fदया।

बना पूछे वो @शकार कe कहानी सुनाने लगी- “जब मN वहां पहुँची तो जीजा कैटरसw के पास बैठे थे। खूब मौज
मती चल रहH थी। जीजू पकौड़ा टे ट कर रहे थे। मNने उZहK tचढ़ाया- 8य जीजू, अकेले-अकेले…”

“अरे नहHं, तम
ु भी खाओ…” वो बोले और अपने मुँह से अधखाया पकौड़ा sनकालकर मेरे मुँह मK डाल Fदया और
मN गड़प भी कर गयी। उZहने खींचकर मुझे अपने पास सटाकर, थोड़ा अपनी गोद मK करके बैठा @लया। उनका
एक हाथ मेरे कंधे पे था।

मुझे दे खकर शांत हो गये लोग से वो बोले- “अरे गाओ ना यार… अपना हH माल है …” और जैसे अपनी बात पे
जोर दे ते हुये, उनका हाथ सरक कर मेरे कंधे से मेरे उभार पर आ गया और उZहने कसकर दबा Fदया।

जैसे, मौन सहमती दे ते हुए मN और उनसे tचपक गयी। तब तक एक वेटर कटलेट ले आया। जीजू ने Jफर थोड़ा
खाकर मेरे हठ के बीच दे Fदया। अब मN भी मूड मK आ गयी थी। मNने रोल को अपने गुलाबी हठ के बीच
घम
ु ाया और Jफर थोड़ा-थोड़ा करके, जैसे मN कोई मोटा @शˆन चसू रहH हूँ, अपने मँुह मK ले @लया। उसका वाद
एकदम अलग था, वैसा मNने पहले कभी नहHं खाया था, बहुत टे टH लग रहा था। उधर जीजू अब खुलकर टाप के
ऊपर से मेरे जोबन का मजा ले रहे थे।

और कैटरHंग वाले भी मती मK एक पुराने Jफbमी गाने कe पैरोडी गा रहे थे-


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र5मैया वaता वैया, मQने बरु तुझको #दया, मQने बरु तुझको #दया,

मN भी जीजा के साथ गाने पे ताल दे रहH थी।

तभी वेटर ने मुझसे पछ


ू ा- “कैसा टे ट था, मटन कटलेट का?”

“8या मटन था? नान-वेज था…” मNने घबड़ा कर पूछा। (बेचारH मेरH ननद वह एकदम {योर वेज थी।)

“और 8या, और पकौड़ा जो तुमने इoते वाद से खाया, वह भी तो tचकेन पकौड़ा था। 8या तT
ु हारा धरम ³¥ट
हो गया? अरे धरम तो तुTहारा थोड़ी दे र पहले हH मNने ³¥ट हH कर Fदया था, अब बचा हH 8या है ? और एक
बार ³¥ट हो गया तो अब परू ा मजा लो…”

Jफर सबके सामने खुलकर मेरH चूची मीजते हुए, वेटर से बोलो- “जरा Jफश-चाप भी तो टे ट करा दो, ले आओ…”
मेरे लाख ना-नक
ु ु र करते हुये भी उZहने मुझे “खला के खुद बाकe ले @लया और नीचे रखी एक बोतल उठाकर
िजसमK दाu लग रहH थी, पी और Jफर मेरH ओर बढ़ा दH।

मN FहचJकचा रहH थी।

पर उZहने मेरे मुँह मK लगाकर बड़े {यार से इसरार Jकया- “अरे मेरH जान, मेरे कहने से दो घट
ूं … बस दो घूंट…”

और जैसे हH मNने हठ खोलकर बोतल लगाई Jक उZहने अपने तगड़े हाथ से मेरH ठुmडी पकड़कर मेरा चेहरा ऊपर
उठा Fदया और परू H ताकत से बोतल उठा दH। धीरे -धीरे करके मेरे हलक से वह नीचे उतरने लगी। जैसे तेजाब सी
तेज थी, और एक sतहाई बोतल वो खालH करवा के माने।

Jफर {यार से मेरे गाल पे चुTमा लेकर बोले- “अरे मेरH जान, yयादा नखड़ा नहHं Fदखाते वरना जबरदती करना
पड़ता है …” और Jफर उZहने एक {लेट मटन बरयानी भी मंगायी और अपने हाथ से और दाu के साथ, दो घूंट
वो लेते, दो घूंट मN। थोड़ी हH दे र मK मN खुद अपने हाथ से खाने लगी। मN सब कुछ भूल सा गयी। मेरे पूरे तन
बदन मK एक मत आग सी लग गयी थी। भाभी, जीजू ने मुझे अपनी गोद मK अब पूरH तरह बठा @लया था,
खूब खुलकर मेरH चूtचयां मसल रहे थे और पाजामे मK उनका खूंटा अ,छ. तरह खड़ा था। उZहने मेरे हाथ मK उसे
पकड़ाने कe को@शश कe तो थोड़ा मN “झझकe पर उZहने जबदw ती पकड़ा Fदया। एकदम कड़ा लग रहा था, और
खूब लTबा…”

“अरे असलH बात बताओ Jक तुम चुदH कैसे?” मNने हँसकर पूछा।

बताती हूं भाभी… थोड़ी दे र मK कैटरसw ने टोर कe चाभी मांगी तो उZहने मुझे चाभी दे कर कहा- “जाओ खोलकर
दे दो इनको जो मांगे…”

मN कमरे मK गयी।

“वहH छोटा सा कमरा ना िजसमK @मठायी और बाकe सब सामान रखा है , @म”ी का फशw है …” मNने पछ
ू ा।

“हां वहH… जब वो सब सामान sनकालकर गया तो मNने दे खा कe पीछे से जीजू आ गये और उZहने अंदर से
कमरा बंद कर @लया और मझ
ु े पीछे से कसकर बांह मK भर @लया। मेरH कटw उठाकर वो मेरे रसीले चूतड़ को
सहला रहे थे। हम दोन वहH दे ख रहे थे, पर कोई जगह नहHं Fदख रहH थी। तभी एक बKच पर उनकe sनगाह पड़ी
और वो मझ
ु े झक
ु ाकर टूल पकड़ने के @लये बोले और मेरH कटw कमर तक उठा दH, और जोर से बोले- सालH,
sनहुर…”

मN अपना चत
ू ड़ और ऊपर उठाकर झुक गयी तो मेरे चत
ू ड़ पे दो हाथ कसकर मार के वो बोले- “अरे सालH, जैसे
कुsतया चुदवाती है ना, वैसे चुदवा…”

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और जब मNने अपना मुँह पीछे करके उनसे आँख से ये कहने कe को@शश कe, Jक जीजू बाहर सब लोग सुन रहे
हगे।

तो उZहने जबरन मेरा सर नीचे दबाकर मेरा टाप भी पूरH तरह से उठा Fदया और कसकर चूची मसलते हुये
बोले- “अरे सालH को चुदवाने मK शरम नहHं और चद
ु ाई के बारे मK सुनने मK शरम है…”

उZहने एक हाथ मेरH जांघ के बीच मK करके मेरH बुर कसकर मसल दH। कसकर चूची और बुर दोन कe रगड़ाई
से, मेरH जांघK अपने आप फैल गयीं। उनके पाजामे के नीचे उतरने कe सरसराहट से मN समझ गयी कe… लेJकन
उZहने अपनी एक उँ गलH मेरH बरु मK धीरे -धीरे करके पेल दH और Jफर उसे अंदर-बाहर करने लगे। उनका दस
ू रा
हाथ कसकर मेरH चूtचय को रगड़ रहा था। जbद हH मेरH चूत गीलH हो गयी पर वो उसे बना ‰के जैसे उँ गलH
से हH मेरH चूत चोदकर मुझे झाड़ना चाहते ह, कस-कसकर चोदते रहे ।

मN भी मती मK चूतड़ Fहला रहH थी, कुछ दे र मK जब मN आbमोट झड़ने के कगार पे पहुँच गयी तो ग{प से
उZहने अपनी उँ गलH sनकाल लH और मेरे हठ से सटाकरके कसकर बोले- “ले चूस, चाट अपनी चूत का रस…”

मN भी भाभी एकदम बेशरम होकर उसे चस


ू ने लगी और Jफर उZहने अपनी दस
ू रH उँ गलH भी चस
ु वानी शu
ु कर
दH, और कुछ दे र मK दोन उँ गलH sनकालकर उZहने मेरH बरु मK घस
ु ेड़ दH।

“नहHं जीजू, नहHं एक साथ दोन नहHं…” मN चीखी।

“अरे दे खती जा तू…” वो बोले और पहले Fटप Jफर बीच के पोर तक उZहने दोन उं ग@लयां जोर लगाकरके घस
ु ेड़
दHं और Jफर उसे धीरे -धीरे गोल-गोल मेरH बुर मK घम
ु ाने लगे। थोड़ी दे र मK मती के मारे मेरH बुरH हालत हो
गयी। नशे मK मेरH आँखK बंद हो रहH थीं। वह कभी गोल-गोल, कभी कसकर अंदर-बाहर ल~ड कe तरह… मेरH चूत
पानी-पानी हो रहH थी। बस मन कर रहा था Jक जीजू चोद दK । उनका मोटा कड़ा ल~ड अब मेरे चूतड़ से ठोकर
भी मार रहा था।

अब मझ
ु से रहा नहHं गया और बोल पड़ी- “जीजू, {लHज करो ना…”

“8या कuं? खुलकर बोल, सालH…”

“डाल दो ना, जीजू चोद दो ना…”

“अरे कसकर बोल ना, मुझे सुनाई नहHं पड़ता खुल के…” और जीजा ने कसकर मेरH ि8लट भी मसल दH।

अब तो मेरH चत
ू मK आग लग गयी। मN कसकर बोल पड़ी- “जीजू, अरे कसकर चोदो… चोद दो अपनी सालH कe
चूत… {लHज जीजू चोदो…”

जीजू आस-पास ल^
ु ीकKट ढूँढ़ रहे थे, पर कुछ नजर नहHं आ रहा था। पास मK मलाई रखी थी तो उZहने वहH
लेकर अपने मोटे मूसल मK खूब पोत लH, और Jफर मेरH चूत मK लगाकरके कसकर ध8का मारा। एक हH ध8के मK
उनका मोटा सुपाड़ा मेरH चूत मK समा गया। ददw से मेरH चीख sनकल गयी। पर वह कस के ढकेलते रहे , घस
ु ेड़ते
रहे , जब तक उनका परू ा मोटा ल~ड मेरH चत
ू मK नहHं समा गया। अब वह कस-कसकर मेरH चच
ू ी मीजते, दबाते,
कभी मेरH ि8लट छे ड़ते। जbद हH मेरा ददw मजे कe @ससJकय मK बदल गया। भाभी, जीजू इoती जबदwत चुदाई
कर रहे थे कe पूछो मत… पूरा ल~ड बाहर तक sनकालकर एक ध8के मK पूरा अंदर तक ठे ल दे ते। जब चूत के
अंदर सट-सटकर रगड़-रगड़कर जाता मजे और ददw से मेरH जान sनकल जाती।

“Jफर 8या हुआ…” मN भी उoतेिजत हो गयी थी और कपड़े उतारकर उसके साथ टब मK घस


ु गयी।

“थोड़ी दे र बाद उZहने मुझे वैसे हH, ल~ड अंदर डाले-डाले उठा @लया और जमीन पे @लटा Fदया। और उZहने मुझे
आbमोट दोहरा कर Fदया। मेरH चत
ू एकदम tचपक गयी थी और अब जैसे हH उZहने सप
ु ाड़ा पेला तो ददw के

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मारे मेरH चीख sनकल गयी। भाभी, जीजू इoते द¥ु ट है Jक उZहने @मठायी कe एक ‡े से लड़डू sनकालकर मेरे
मँुह मK डाल Fदया। अब मN चीख भी नहHं सकती थी। अब वो परू े ताकत से चोद रहे थे। उस Fदन आप और
अbपी कह रहH थीं ना कe दस
ू रH बार कe चुदाई मK yयादा टाईम लगता है , बस वहH। ददw से मN गा~ड पटक रहH
थी, @म”ी मK अपने चूतड़ रगड़ रहH थी। पर वो… कभी परू ा ल~ड मेरH बुर मK डाले गोल-गोल घम
ु ाते, अपनी कमर
से रगड़ते और कभी परू ा sनकाल-sनकालकर फचाफच चोदते और साथ मK कसकर मेरH चूची मसलकर रगड़ के…”

मNने उसके उभार को कसकर दबाकर पूछा- “8य ऐसे?”

हँस के दन
ू ी ताकत से वो मेरH चूची दबाकर बोलH- “नहHं भाभी ऐसे… भाभी, मN कम से कम दो बार झड़ी होउँ गी,
उसके बाद जीजू झड़े। और बहुत दे र झड़ने के बाद भी जब उZहने ल~ड बाहर sनकाला तो उसमK इoता वीयw बचा
था कe उसे दबाकर उZहने मेरे चेहरे और जोबन पे कसकर वीयw को मसल Fदया। जब हम लोग बाहर sनकले तो
पैJकं ग पूरH हो गयी थी और जैसा मNने कहा कe दHदH कe जेठानी ने कहा कe वो बांट दK गी, तो मN यहां आ गयी…”

“अ,छा चलो, अब तT
ु हK साफ सुथरा तो कर दं …
ू ” और साबुन लेकर उसकe चूtचय, चूतड़ हर जगह मNने कस-
कसकर मला और Jफर ठं डे पानी के शावर से हम दोन साथ-साथ नहाये। नोजल लेकर चूत कe दरार के बीच
मNने खास करके साफ Jकया। जगह-जगह वीयw के sनशान थे, उसे रगड़ के साफ Jकया। मल
ु ायम तौ@लये से रगड़
के हम लोग ने एक दस
ू रे को सुखाया। Jफर मNने उसके गाल, चूची हर जगह ¨eम लगाई और जहां नाखून और
दांत के sनशान थे, वहां नो माकwस लगा Fदया।

हां… जानबझ
ू कर गाल पे जो सबसे बड़ा sनशान था और चूtचय पे ऊपर के Fहसे पे जो sनशान थे, वो छोड़
Fदये। आ“खर कुछ तो sनशान रहे जीजा से चुदाई का। मNने एक ¨eम sनकालH, जो मेरH भाभी ने दH थी, मेरH
सुहागरात के पहले, अगले Fदन सब
ु ह लगाने को। उसकe बरु फैलाकर मNने कसकर अंदर तक ¨eम लगाई, और
कुछ बाहर उसकe पुिoतय पर भी लथेड़ दH।

मNने उसे बताया कe इस ¨eम के तीन फायदे हN, एक तो इससे ददw एकदम खतम हो जाता है । और दस
ू रे , Jकoता
भी चुदवाओ, इससे चूत वैसे हH टाईट बनी रहती है , साथ-साथ इसमK पमwसाइडल असर भी होता है और वह भी
ऐसा Jक चुदाई के 12 घंटे बाद भी लगाओ तो पेट ठहरने का खतरा नहHं रहता। हां… एक बात मNने उसे नहHं
बतायी कe इससे चूत के अंदर एक मीठ.-मीठ. खुजलH उठती है और लगाने के बाद लड़कe एकदम चुदवासी रहती
है ।

गुmडी ने एक धानी रं ग का शलवार सूट पहना और अंदर एक सफेद टHन, हाफ कप पुश-अप ^ा जो उसके उभार
को और उभार के Fदखा रहH थी। मNने हbका सा उसका मेक-अप भी कर Fदया, हbकe गुलाबी @लपिटक, थोड़ा
सा गाल पे uज और पतला सा काजल और उसके चूतड़ तक उसकe चोटH तो गजब ढा रहH थी। जब तक मN
तैयार हुई, बाहर दरवाजे से मेरH जेठानी और दे वरानी गुंजा ठकटक कर रहH थीं। जैसे हH उZहने हम दोन को
साथ दे खा तो tचढ़ाने लगीं- “अ,छा… ननद के साथ अकेले-अकेले मजा लूटा जा रहा था…”

मN हँसकर बोलH- “नहHं नहHं, आप लोग भी आईये ना…”

तब तक बाहर से आवाज आई कe लड़के वाले Pवदाई के @लये आ रहे हN। Jफर उन लोग को तैयार होने के @लये
छोड़कर हम दोन बाहर sनकल आये। मN मंडप मK Pवदाई कe तैयारH करने मK जट
ु गयी। थोड़ी हH दे र मK दb
ू हा,
अपने भाईय, बहन के साथ आया। मN मंडप मK लड़कe के साथ हH बैठ. थी। उधर मNने दे खा कe गुmडी दb
ू हे के
उस किज़न के साथ बात कर रहH थी जो रात मK उसे छे ड़ रहा था। सादे शलवार-सूट मK वह गजब कe लग रहH
थी। उसका कैशोयw, भोलापन और जवानी कe आहट, गदw न कe जरा सी जिु Tबश Jक अदा, और वह बार-बार
अपना दप
ु ”ा िजस तरह संभालती, हbके से मुˆकुराती। उधर मंडप Fहलाने और Pवदाई कe बाकe रˆमK चल रहH
थी, साथ हH रोना भी चालू हो गया।

55
मNने उधर Œयान Fदया कe 8या बातK हो रहHं थीं?

वो लड़का बोला- “अरे , दHदH कe इoती याद आ रहH है तो तम


ु भी साथ चलो ना…”

“अरे दHदH तो जीजाजी के साथ tचपकe रहK गी, और मN?” मुˆकुरा के, दप
ु ”े को मुँह मK दबाकर वो बड़ी अदा से
बोलH।

“अरे मN हूं ना… तम


ु मेरे साथ tचपकe रहना…”

“धoत…” वो शमाw गयी और लyजा से उसके गाल पे गुलाब “खल गये।

तब तक दb
ू हा दb
ु हन भी बाहर sनकलने के @लये वहां आ गये। उस लड़के ने दb
ू हे से कहा- “भैया इनको अपने
दHदH कe बहुत याद आ रहH है , इनको भी साथ ले चलK?”

दb
ू हे ने हँसकर कहा- “मN तो अपनी सालH जी का साथ दं ग
ू ा, इनको ले चलना है तो तT
ु हK शहनाई और बाजे के
साथ आना होगा…”

सब लोग हँसने लगे और वह और झKप गयी। बात बदल कर उसने दb


ू हे से कहा- “जीजाजी होलH मK जuर
आइयेगा, कुछ हH Fदन मK तो है …”

“और, इसको भी साथ ले आऊँगा…” और दb


ू हे ने हामी भरते हुए, उस लड़के कe ओर इशारा करते हुए कहा।
दb
ू हा और बाकe सब लोग आगे बढ़ गये और वो दोन पीछे रह गये। मN जोर लगाकर उनकe मजेदार छे ड़छाड़
सुन रहH थी।

“होलH मK आऊँगा तो बना डाले छोड़ूग


ं ा नहHं, मना तो नहHं करोगी?” वो हbके से बोला।

“जैसे कe बड़े सीधे हN, मेरे मना करने से मान जायKगे…” वो हँसकर बोलH।

“डरोगी तो नहHं मेरH PपचकारH से?” अब वह खल


ु कर ¤वीअथl डायलाग बोल रहा था और उससे tचपक गया था।

“मN नहHं डरने वालH, ना तुमसे ना तT


ु हारH PपचकारH से। होलH मK दे खना 8या हालत करती हूं तुम लोग कe, दे खा
जायेगा कौन डालेगा और कौन डलवायेगा, भल ू गये वो नमक कe चाय और जबदw त गा@लयां…” आँख नचाकर
मुˆकुराकर वो अदा से बोलH।

“हां, तT
ु हारा नमक खाया है , तम
ु से Jकया वादा कैसे तोड़ सकता हूं, पर होलH तक इंतज़ार करना पड़ेगा…”

“इंतजार का फल मीठा होता है …” वो बड़ी अदा से बोलH।

तब तक दल
ु हा-दल
ु हन कार मK बैठ चुके थे और दोन दौड़कर आगे आ गये।

मौका दे खकर मNने अपने नZदोई जी से पूछा- “कल तो आपने दब


ु ारा नंबर लगा Fदया…”

हँस के वो बोले- “और 8या? और खूब रगड़कर और अब तT ु हारH ननद Jकतनी चुदवासी है पूरे शहर मK मशहूर हो
जायेगा, जब वो मत होकर चीखकर चुदवा रहH थी तो सब कैटरसw सुन रहे थे और कई तो झांक भी रहे थे,
और ये तो सबके घर पाट´ मK जाते हN और खबर फैलाते हN। इस@लये 10 Fदन मK दे खना…”

Pवदाई होने के साथ हH एक-एक करके सारे kरˆतेदार जाने लगे और घर जो इoता भरा-भरा लग रहा था, एकदम
खालH लगने लगा।

जब नZदोई जी जा रहे थे तो वो गले @मले और कान मK बोले- “मान गये तT


ु हK , मेरH गुu हो…”

“तो मेरH गु‰द•णा?”

56
“होलH मK आऊँगा तो दं ग
ू ा, और होलH मK आओगी ना?” और कसकर अपने @शˆन को मेरH कमर के नीचे रगड़ते
हुये बोले।

तब तक राजीव वहां आ गये थे। उZहने मेरH ओर से जवाब Fदया कe होलH मK हम लोग जuर आयKगK। मN समझ
गयी, कTमो के बारे मK जो उनकe {लाsनंग थी।

मNने भी कहा- “हां…”

मNने दे खा कe मेरH छोटH ननद अपने कमरे मK उदास अकेले बैठ. थी। मNने उसकe ठुmडी पकड़कर उठाकर कहा-
“अरे मेरH बZनो, दHदH के जाने से उदास हो या जीजू के…”

“धoत, भाभी आपको तो हमेशा मजाक सूझता है …” हbके से हँसकर वो बोलH।

“अरे पगलH, अभी खलHल के पेमKट के @लये भी जाना है , और वो राते मK तुTहारा यार @मलेगा, उसके कल के
खत का जवाब भी तो दे ना है चल उठ…”

“हां भाभी, मN तो भूल हH गयी थी, मN लेटर-पैड sनकालती हूं और जरा कामुक @ल“खयेगा…” अब उसके चेहरे पे
चमक वापस आ गयी थी।

लेटर @लखकर मNने उसकe ओर बढ़ाया- “हे , चल साईन कर…”

“पर भाभी, आपने तो मेरH हNड राईFटंग मK मना Jकया था…”

“अरे बš
ु ू, हठ से साईन कर ना…” मN हँसकर बोलH और लेटर बढ़ा Fदया।

उसने अपने @लपिटक लगे हठ को कसकर लेटर के अंत मK दबाकर साईन कर Fदया। जब हम लोग बाहर
sनकले तो मNने उससे कहा कe हे चल आज kर8शे से चलते हN तेरे यार का साथ रहे गा। और सचमुच जैसे हH हम
लोग kर8शे से sनकले, थोड़ी हH दे र मK पीछे साईJकल पे वो था। मNने कन“खय से दे खा Jक वो बार-बार पीछे
मुड़कर दे ख रहH थी और नैन-मट8का चालू हो गया था।

मNने फुसफुसा कर बोला- “हे चारा डाल…”

उसने आंख से इशारा Jकया, और दे खते-दे खते वो हम लोग के kर8शे के बगल मK आ गया था। अब वह बहुत
बोbड हो गया था, और उसने हbके से उसके दप ु ”े को पकड़ @लया। गुmडी ने, जैसे मेरH आँख बचाकर, tच–ी
sनकालH और उसे Fदखाकर ‰माल मK रखकर पहले तो अपने सीने से लगाया और Jफर चूमकर उसे हाथ बढ़ाकर
पकड़ा Fदया।

बीच मK भीड़-भाड के कारण वो शायद पीछे हो गया, पर हमारे बाबी टे लसw तक पहुँचने के पहले वह Jफर हमारे
साथ था। अब मेरH ननद भी बेताब होकर बार-बार मुड़-मुड़कर दे ख रहH थी। पास आकर उसने उसकe ओर एक
गुलाब कe कलH फKकe जो सीधे उसके उभार पे लगी। हँसकर मेरH ननद ने उस गुलाब को पहले तो हठ से लगा
@लया और Jफर उसे Fदखाते हुये अपने कुतq कe टाप बटन खोलकर अपनी ^ा के अंदर रख @लया।

जब हम लोग टे लर के यहां पहुंचे तो वो बाहर खड़ा रहा।

हमK , खास तौर पे मेरH ननद को दे खकर खलHल के चेहरे पे चमक दौड़ गयी। हमने बहुत तारHफ कe। मNने पेमKट
करते हुए कहा- “ये तो आपकe फeस है , इनाम मेरH ननद से वसलू कर लHिजयेगा, काइंड मK …”

उस समय दक
ु ान पे कई और लोग बैठे थे। बेचारा खलHल… वो ललचाई नजर से दे ख रहा था।

“बाद मK इनाम दे दं ग
ू ी, बकाया नहHं रखूंगी…”

“मN इं‡ेट के साथ लूंगा…” उसके Jकशोर उभार को घूरते हुए, वो धीमे से बोला।

57
“मुझे मालूम है कe मेरे ननद कe Jकस-Jकस चीज मK आपको इं‡ेट है , जbद हH मN आऊँगी अपने ’लाउज का
नाप दे ने और इसको भी टाप @सलवाना है …”

जब हम बाहर sनकले तो वो खड़ा था तो मNने उसे छे ड़ा- “तेरे यार मK खड़े रहने कe ताकत काफe मालूम होती
है …”

“और 8या भाभी, असलH चीज तो वहH है , Jकoती जbदH और Jकoती दे र खड़ा रह सकता है …” हँसकर वो बोलH।

“पूरH ए8सपटw हो गयी है …”

“भाभी, आपकe ‡े sनंग का नतीजा है …”

हम लोग ने तय Jकया कe पास के Jकसी रे टोरां मK चलकर समोसे खाते हN। उसने बताया कe पास मK भारत
रे टोरK ट है , वहां के समोसे अ,छे होते हN, हम लोग वहां चलकर बैठे। जैसा हम लोग सोच रहे थे, थोड़ी दे र मK वो
भी आ गया और पास कe एक टे बल पे बैठ गया।

हम लोग ने आडरw Fदया और कुछ दे र मK उसको सुनाकर वो बोलH- “भाभी, कल Pप8चर चलते हN ना, 12 से 3
सूरज टाकeज मK …”

“नहHं नहHं, कल तT
ु हारे भैया भी नहHं रहK गK…” मNने नखड़ा बनाया।

“मेरH अ,छ. भाभी, {लHज भैया नहHं रहK गK तो और अ,छा है । हम लोग मौज मती करK गK। परस से तो मेरा
कूल चालू हो जायेगा…”

“अ,छा ठ.क है , तू इoता कह रहH है तो… पर Pप8चर कौन सी लगी है ?”

“दे खती हूं, ‘kरवाbवर कe रानी’ अरे भाभी मजा आयेगा कोई भी Pप8चर हो और इसमK तो भीड़ भी नहHं होगी…”
टे बल पर पड़े, एक लोकल अखबार मK दे खते हुए वो बोलH।

“ठ.क है , तेरH मजl…” समोसा खतम करते हुये मN बोलH।

“कल 12 से 3, सरू ज टाकeज…” उसको सुनाते हुए वो बोलH।

जब मN काउं टर पर बल दे रहH थी, तो वो उसके टे बल के पास ‰क गयी, जैसे उसकe कोई चीज tगर गयी हो
और फुसफुसाकर, बोलH- “कल 12 से 3, सरू ज टाकeज…”

***** *****05 भाग-5

अगले Fदन सुबह हH गुmडी हमारे घर आ गयी। मेरे जेठ जेठानी और सभी लोग पZhह Fदन के @लये, Pवदाई वाले
Fदन कe शाम को हH बाहर चले गये थे। @सफw मN और राजीव बचे थे, इस@लये मNने kर8वेट Jकया Jक मझ
ु े
अकेलापन लगेगा तो गुmडी कुछ Fदन मेरे साथ रह ले। उसका कूल भी हमारे घर के पास था। सब लोग मान
गये और अगले Fदन सुबह हH वो आ गयी। उसका कमरा मNने नीचे गेटuम मK सेट Jकया, िजसका एक दरवाजा
सीधे बाहर खल
ु ता था। राजीव को भी आज आJफस के काम से बाहर जाना था और हमीं दोन घर मK थे।

उसने मुझसे मुˆकुराकर आँख नचाकर कहा- “भाभी, 12 से 3 भूलH तो नहHं…”

“कैसे भूल सकती हूं, Pपया @मलन को जाना… चल नहा के आ, Jफर मN तझ


ु े तैयार करती हूं…” उसके गाल पे
कसकर tचकोटH काटकर मN बोलH।

जब वह नहा के लौटH तो आज रोज से भी गोरH लग रहH थी। लगता था, खूब मल-मल के नहाया है । मNने उसके
@लये जींस और गल
ु ाबी टH-शटw sनकालकर रखी थी। पर पहले मNने उसे लेसी थांग पहनाया, जो उसके चूतड़ के
बीच मK फँसी थी और Jफर एक लेसी पुश-अप |ांट ओपेन, हाफ कप ^ा। जींस एकदम Fहप हtगंग और टाइट

58
थी। उसके रसीले चूतड़ साफ-साफ Fदख रहे थे। टH-शटw भी मNने उससे कहा कe जींस के अंदर टक करके पहने।
कसी टH-शटw और टाईट हो गयी और उसके उभार खल
ु कर ¢लक रहे थे।

“भाभी बड़ी टाईट है …” वो बोलH।

“8य tचंता करती हो वो ढHला कर दे गा…” पर मNने शटw कe ऊपर कe दो बटन खोल दHं। ढHलH तो yयादा नहHं
हुई, पर उसके गोरे मदमाते जोबन कe झलक साफ-साफ Fदखने लगी और गहराई भी। Jफर मNने उसके बाल भी
खींचकर बन कe तरह बांध Fदये, िजससे उसकe गोरH सुराहHदार लंबी गरदन भी साफ-साफ Fदख रहH थी। उसके
गुलाबी हठ पे गुलाबी @लPपटक, हbकe सी ¨eम, बड़ी-बड़ी आंख मK हbका सा काजल और आई शैडो, और
सबसे आ“खर मK एक एरोFटक इंपोटq ड परƒयूम थोड़ा सा लगाया और उसके जोबन कe गहराई के बीच भी हbका
सा लगा Fदया।

“तझ
ु े दे खकर खड़ा हो जायेगा उसका…” उसके sनपbस को कसकर Pपंच करते हुए मNने बोला।

जब हम लोग पहुंचे तो वो खड़ा था, Pप8चर ऐसी थी कe जैसा मNने सोचा था। Pप8चर हाल मK सZनाटा था- “हे
Fटकट कहां @मलेगा? लाईन मK लगना पड़ेगा, कोई पkरtचत होता तो…” मN बनकर बोलH।

“भाभी, ये हN अंशू, मेरे मुहbले के हH हN…” गुmडी ने उसकe ओर इशारा Jकया।

“अरे तो Jफर 8या, {लHज जरा बाbकनी के…” कहकर मNने पैसे उसकe ओर बढ़ाये।

“पर ये तो yयादा हN, दो Fटकट के तो…”

“अरे तो 8या तुTहK Pप8चर नहHं दे खनी है , तीन Fटकट ले लेना, और कोने का @मले तो और अ,छा…”

मNने दे खा कe वो बात तो मुझसे कर रहा था, पर उसकe sनगाहK मेरH ननद के चेहरे पर गड़ी थीं और बार-बार
Jफसलकर उसकe शटw से छलकते उभार पे आ जा रहH थीं। और वो बड़ी मुिˆकल से अपनी मुˆकान दबा पा रहH
थी। हम लोग अंदर पहुंचे तो हाल खालH था। मN जाकर पीछे वालH लाइन मK सबसे कोने वालH कुसl पे बैठ गयी।
मेरे बगल मK गुmडी और उसकe बगल मK वो बैठा। बालकनी पूरH खालH थी। Pप8चर शुu होने के बाद एक दो
लोग आये और वो लोग आगे कe ओर बैठ गये।

पदq पे Pप8चर चालू हो गयी थी, पर मN तो हाल मK हो रहH Pप8चर मK इं‡ेटे ड थी और वो भी थोड़ी दे र मK शुu
हो गयी। सीट के हoथे पे गुmडी ने हाथ रखा था, उसपर उसने भी हाथ रख Fदया। जैसा मNने समझाया था, गुmडी
ने कुछ दे र मK अपना हाथ हटा @लया। सामने एक रोमांFटक सीन चल रहा था। कुछ दे र बाद जब Jफर गुmडी ने
हoथे पे वापस हाथ रखा, तो कुछ दे र बाद जैसे अनजाने मK उसका हाथ पड़ गया हो, उसने हाथ रख Fदया। जब
अबकe गुmडी ने हाथ नहHं हटाया तो थोड़ी दे र मK वह उसकe उं ग@लयां सहलाने लगा। हम तीन बड़े Œयान से
सामने पदq पे दे ख रहे थे, जैसे कुछ ना हो रहा हो।

गुmडी कुछ सरक कर और उसकe ओर बैठ गयी। अब उसकe FहTमत बढ़ गयी। उसने उसकe कलाई कसकर
पकड़ लH और धीरे -धीरे उसका हाथ सहलाते हुए ऊपर बढ़ने लगा। जब गुmडी ने कुछ रे िज़ट नहHं Jकया तो कुछ
दे र ‰क कर उसने उसकe कुहनी पकड़ लH और हbके से Qेस करने लगा। कुछ दे र मK हH उसकe उं ग@लयां टH-शटw
से sनकलH सुंदर गोरH बांहो पर Jफसल रहHं थीं।

सीट पे अपने को एडजट करने के @लये, वो थोड़ा और उसकe ओर सरक गयी और उसकe ओर दे खकर हbके से
मुˆकुरा दH।

बस 8या था, जैसे गलती से उसकe उं ग@लयां छू गयी ह, उसने उसके चूtचयां के उभार को साइड से छू Fदया।
गुmडी को जैसे 440 वोbट का करK ट लग गया हो। वो @सहर उठ. और उसने तरु ं त अपनी उँ गलH हटा लH। पर

59
थोड़ी दे र मK गुmडी ने Jफर उसकe ओर मुˆकुराकर दे खा और अपनी टांगK एक पे एक रख लHं और खुद उसका
हाथ पकड़ @लया। अब पछ
ू ना 8या था। उसने दब
ु ारा उसका हाथ सहलाना शu
ु कर Fदया और अबकe जब उसकe
उं ग@लयां, चूtचयां के साइड मK पहुंची तो हटH नहHं, हbके-हbके उसे सहलाती रहHं।

“हे , मN रात भर ठ.क से सो नहHं पायी थी, मझ


ु े नींद सी आ रहH है। मN अगर सो जाऊँ, तो तुम खराwट से ‹डटबw
तो नहHं होगी…” मN पुशबैक चेयर को पीछे कe ओर ढकेलती, आँखK बंद करती बोलH।

“नहHं भाभी, वैसे मुझे मालूम है कe आप रात भर 8य नहHं सो पायीं, और Jफर रात को भैया लौट हH आयKगK,
इस@लये Jफर आप एक झपकe ले हH लेिजये। मN जरा भी ‹डटबw नहHं होऊँगी और Pप8चर कe कहानी भी आपको
सुना दं ग
ू ी…” मुझे छे ड़ती हुई मेरH ननद बोलH।

थोड़ी हH दे र मK मेरH नाक बोलने लगी। अब 8या था उसकe तो चांदH हो गयी। उसने अपना दस
ू रा हाथ उसके
कंधे पे रख @लया और गुmडी ने भी अपना हाथ उसके कंधे पे रख Fदया। अब जो उँ ग@लयां, चुपके से उसकe
चूtचयां के साइड को छे ड़ रहH थीं, बोbड होकर सीधे उसके उभार पे आ गयीं। गुmडी ने भी उसकe FहTमत को
बढ़ाते हुये उसका हाथ अपने उरोज पे हbके से दबा Fदया। बस अब 8या था। उसका दस
ू रा हाथ उसके दस
ू रे
जोबन को भी हbके-हbके सहलाने लगा और एक हाथ तो कस-कसकर उसके उभार का रस ले हH रहा था। गुmडी
उससे कसकर tचपक के बैठ. थी। जोबन का रस लेते-लेते, उसने हbके से उसके गुलाबी गाल पे चुTमी भी ले
लH।

“धoत 8या करते हो, बेशरम…” गुmडी ने हbके से उसे “झड़का।

जवाब मK उसने उसे और अपनी ओर खींच @लया और अब खुलकर कसकर उसके जोबन को दबाने लगा और
Jफर एक चुTमी ले लH। थोड़ी दे र तक शटw के ऊपर से वो उसके दोन कबूतर का रस लेता रहा। मN समझ गई
कe मेरे रहते ये इसके आगे बढ़ने कe FहTमत नहHं कर पायKगK। अंगड़ाई लेकर मN उठ.।

वो दोन ठ.क से बैठ गये।

“मेरा पेट गड़बड़ लग रहा है , यहां पता नहHं टायलेट कैसे हगK , मN जरा घर जाके आती हूं। इंटरवल तक आ
जाऊँगी…” मN बोलते हुये उठ.।

“ठ.क है , भैया रात को आयKगे तो इलाज करवा लHिजयेगा…” चहकती हुई वो बोलH।

मN बाहर sनकलकर Jफर पीछे के दरवाजे से आकर थोड़ा दरू ऐसी सीट पे बैठ गयी जहां से पूरा नजारा साफ-साफ
@मल रहा था।

सब कुछ से बेखबर वो अब खुलकर चालू हो गया था। बीच का आमw रे ट खुल जाता था। उसे उसने खोल Fदया
और गुmडी को कसकर अपनी ओर खींच @लया और वह भी उसकe बांह मK आ गयी थी। एक हाथ अब खुलकर
उसके उभार को दबा, सहला, मसल रहा था और दस
ू रे ने बना Jकसी दे र के उसकe गल
ु ाबी टH-शटw के बचे-खच
ु े
बटन खोल Fदये और अंदर घुस गया।

“नहHं नहHं, {लHज खोलो नहHं, ऊपर से बस…” वो मना कर रहH थी। पर वो अब कहां मानने वाला था। जवाब मK
उसने उसे पास मK खींच @लया और अब वह आधी उसकe गोद मK थी। वह बार-बार उसके {यारे गुलाबी गाल चूम
रहा था। उसका हाथ खुलकर शटw के अंदर उसके जोबन मसल रहे थे।

टH-शटw उसने ऊपर खींच @लया। कुछ हH दे र मK उसके दोन हाथ अंदर थे। साफ था कe उसने उसकe ^ा भी खोल
दH थी और कसकर अब वह तन मदw न कर रहा था। गुmडी के चेहरे से लग रहा था कe वह भी अब एकदम
जोश मK है । अब वह भी उसके चुTबन का जवाब दे रहH थी। कुछ दे र मK हH उसने एक हाथ गुmडी कe जींस मK

60
भी डाल Fदया। दस
ू रा हाथ अभी भी खुलकर उसकe चूtचयां रगड़ मसल रहा था और वह भी उसी मती से चूची
मसलवा रहH थी।

तब तक अचानक इंटरवल हो गया, और मN जbदH से sनकलकर बाहर आ गयी।

मN गेट से ऐसे घस
ु ी जैसे अभी आ रहH हूं। दोन नैक बार पे खड़े थे। मझ
ु े दे खकर एक बार वो झKप सी गयी।
उसकe टH-शटw अब जींस से बाहर थी। मNने उन दोन के @लये कोक और अपने @लये काफe बोलH। मNने दे खा कe
कोक पीते-पीते गुmडी ने जानबूझ कर बोतल बदल लH और जहां उसके यार के हठ लगे थे, वहHं उसे Fदखाकर
हठ लगा करके पी रहH थी। मNने टाल वाले को, ¨eम रोल और पाप कानw के @लये आडरw Fदया और हम दोन
लेडीज टायलेट मK चले गये।

अंदर घुसते हH मNने उससे पछ


ू ा- “हे मैडम जी, आपकe टH-शटw बाहर 8य है ?”

“भाभी वो असल मK ये बहुत टाइट थी। इस@लये मNने…”

“अ,छा, बताती हूं, मझ


ु े मालूम है …” और, मNने उसके दोन मTमे कसकर दबोच @लये- “sछनाल, परू H बात बतानी
पड़ेगी और @सफw बतानी नहHं पड़ेगी बbकe इंटरवल के बाद भी वहH चलना चाFहये, मेरे सामने जो अब तक चल
रहा था। वरना तेरH शटw खोलकर तेरे यार के हाथ मK तेरे मTमे पकड़ा दं ग
ू ीं…” अब मN पूरे रं ग मK आ गयी थी।

“अरे भाभी, वो तो खुश हो जायेगा। ठ.क है , जैसा आप बोलK…” तब तक Pप8चर शुu हो गयी।

अंदर पहुँचकर हम लोग पापकानw खाने लगे। थोड़ी दे र मK मNने दे खा कe गुmडी ने जो रोल वो खा रहा था वह
उसके हाथ से लेकर रोल उसे Fदखाते हुए ऐसा चाटा जैसे वो कोई मोटा @शˆन चाट रहH हो। उसको tचढ़ाते हुये,
रोल का ऊपर का Fहसा, खबू बड़ा सा मँुह खोलकर जैसे ल~ड चस ू रहH हो, गड़प कर गयी। मN अपनी मुˆकान
नहHं रोक पायी। मNने अपना शाल sनकलकर ओढ़ @लया और उन दोन से भी कहा कe ओढ़ लK, जाड़ा लग रहा है ।
थोड़ी हH दे र मK शाल के अंदर उनका काय¨wम Jफर चालू हो गया।

घर लौटकर मNने उससे एक-एक बात खोद-खोद कर पूछ.। उसने माना कe उसकe जींस के अंदर उसके यार ने
हाथ डाला था। पर जब मNने ये पूछा कe उसने उसका हtथयार पकड़ा था Jक नहHं और Jकतना मोटा और बड़ा है ?
तो वो शरमा गयी। मN कहां छोड़ने वालH थी। उसने अंत मK कबल
ू Jकया कe पNट के ऊपर से उसने पकड़वाया था
और उसने हbके से दबाया भी था। जीजा के हH साइज़ का लग रहा था और बहुत कड़ा था।

उसका कमरा मNने सेट कर Fदया था। एक फुल साइज @मरर वाला `े@संग टे बल िजसपर मेक-अप के सारे सामान,
“खड़Jकय पे गुलाबी परदे , बेड पे एक @सbकेन गुलाबी बेडशीट, और Jफर मN अपनी ‘Jकताब’ का कले8शन ले
आई, और उसकe टे 8ट बु8स कe जगह लगा Fदया।

उसने पास आकर पूछा- “भाभी ये कौन सी Jकताबे हN?”

“जब तक तम
ु यहां हो यहH तT
ु हारH टे 8ट बु8स हN और रोज तT
ु हK Œयान लगाकर पढ़ना है और मN रोज तT
ु हारा
टे ट लूंगी, और हां एक Jकताब रोज अपने कूल बैग मK भी ले जाना। िजससे जब समय @मले तो वहां भी पढ़ाई
कर सको…” हँसकर मN बोलH।

उसने दे खा Jक Jकताब मK , हाउ टू बकम ए सेZसुअस वीमेन, आटw आफ से8स, हाउ टू {लHज ए मैन, सtच—
कामस—
ू , असलH कोक शा—, ऐसी ढे र सारH Jकताब के साथ-साथ, एक दजwन मतराम कe कहाsनयां और चद
ु ाई
के कई एbबम, {ले’वाय, हसलर, ‚यम
ू न डाईजेट और अंगड़ाई ऐसी मैगजीनK थी।

उसकe टे बल पर भी मNने Qेम प— कैसे @लखK, रख Fदया। एक कN‹डल टNड मK एक खूब मोटH सी एक फुट लTबी
मोमबoती लगा दH। और उसके गाल पे tचकोटH काटकर बोलH- “और बZनो, ये मोमबoती, जलाने के @लये नहHं

61
आग बुझाने के @लये है …” और बगल मK वैसलHन का जार रखती हुई बोलH- “और हां कुछ भी डालने के पहले इसे
इˆतेमाल करना मत भल ू ना…”

शाम को राजीव थोड़ी दे रH से आये लेJकन आते हH उतावले हो गये। हम लोग ने जbदH-जbदH ‹डनर Jकया और
ऊपर जाते हुए वो बोले- “हे जbदH आना…”

उनकe बेताबी दे खकर वो अपनी मुˆकान नहHं रोक पायी। जbदH काम समेट के मN दध
ू का एक œलास लेकर
अपनी ननद के कमरे मK गयी।

वो बोलH- “भाभी, मN दध
ू नहHं पीती और आज आप इoती जbदH 8या बात है ?”

“अरे दध
ू नहHं Pपयोगी, तो यार को दध
ू कैसे Pपलाओगी मेरH जान…” उसके मTम को मसलती मN बालH। और
उसकe Jकताब बंद करके मNने अbमारH मK रख दH और वहां से मतराम कe दो JकताबK sनकालकर दे ते हुये कहा-
“अब रानी बायोलाजी बंद करके से8सोलाजी पढ़ो। और हां सोने के पहले उँ गलH करना मत भूलना। और ये
तुTहारे ऊपर है Jक तुम अपने यार के बारे मK सोचती हो या मेरे सैयां के बारे मK …”

अगले Fदन कूल से जब वह लौटH तब मNने कहा- “चलो आज से तुTहारH रे गुलर ‡े sनंग शुu। पहलH चीज है
अपने शरHर को जानो। आज तम
ु सारे कपड़े उतारकर कम से कम एक घंटे शीशे के सामने खड़ी रहो। हर अंग
को छुओ और सोचो और बोलो- मेरH आँखK Jकतनी संद
ु र हN, मेरे हठ Jकतने संद
ु र हN और हां जब अपने जोबन
को छुओ ना तो साफ-साफ बोलो, मेरH चूtचयां Jकoती से8सी हN। सीना, उभार, छाती कुछ नहHं @सफw चूtचयां…
बोलो मेरे सामने…”

“चूची…” बहुत धीरे से वो बोलH।

“उं ह… ऐसे नहHं जोर से…” मNने हड़काया।

“चच
ू ी…” अबकe वो कुछ जोर से बोलH।

“हां ऐसे… और उसको, नीचे से पहले धीरे -धीरे सहलाना और Jफर परू े जोबन पे और सबसे अंत मK sनपbस को
अंगूठे और उँ ग@लय के बीच लेकर पहले हbके-हbके सहलाना और Jफर कसकर मसलना। सोचना कe वो तT
ु हारा
यार मसल रहा है । और इसी तरह चूत पे भी, पहले बाहर कe ओर छूना Jफर अपने हठ को और हठ को
फैलाकर अंदर भी, और शीशे मK ि8लट को जuर दे खना। हां… अपने चूतड़ भी दे खना शीशे मK । तT
ु हारH गा~ड
वातव मK बहुत मत है । और झुक कर चूतड़ फैलाकर शीशे मK गा~ड का छे द भी दे खना…”

“ठ.क है , भाभी…” वो मुˆकुराकर बोलH।

“हां… एक चीज और? मNने तुTहK केजेल के बारे मK बताया था ना, पेशाब रोकते समय जैसे बुर भींचते हN, तम
ु हर
दो घंटे मK , चाहे कहHं भी रहो, 8लास uम मK भी दस बार अपनी बरु भींचोगी कस-कसकर, कम से कम 30 सेकKड
के @लये हर बार, और उस समय तुTहारा परू ा Œयान अपनी बरु पे रहना चाFहये। और Jफर एक @मनट ‰क के, 7
बार। Jफर और समय तुTहK सोचना होगा कe तेरH बुर मK Jकसी का ल~ड है और तू उसे भींच रहH है कस-कस के।
और तT
ु हारा समय शu
ु होता है अब… आज तो तुTहारा Tयिू जक का 8लास भी होगा ना, तो वो @मलेगा। तू आ
मN नाˆता बना रहH हूं…”

जब वह एक घंटे बाद sनकलH तो एकदम ‘गरम’ लग रहH थी। जbदH-जbदH नाˆता करके वो sनकल गयी।

जब वो लौट के आई तो मNने पूछा- “8य @मला था तेरा यार?”

“हां भाभी, लेJकन…”

62
“लेJकन 8या? बात नहHं हुई 8या? मुझे तो लग रहा है चुTमा चाटH भी कसकर हुई है …” उसके गाल कe ओर
दे खते हुये मN बोलH।

“हां भाभी, लेJकन वो कह रहा था कहHं @मलने के @लये, जहां हम लोग खुलकर बातचीत कर सकK, एकाध घंटे।
बहुत kर8वेट कर रहा था…”

“पर अभी तो… कल तम


ु दोन Pप8चर हाल मK तो…” मNने कहा।

“हां भाभी लेJकन… मNने कहा उससे, पर बहुत @मZनत कर रहा था…”

“अरे कुछ तड़पा उसको, तेरा भी मन कर रहा है 8या उससे @मलने को?”

सर Fहला के उसने हामी भरH।

“ठ.क है , कल कुछ {लान करते हN। कल तो तेरा Tयिू जक 8लास है ना। वो तो @मलेगा हH तब उसे बता दे ना…”
मुˆकुराहट रोकते हुए मNने कहा- “और तू आज से सोने के पहले ये नाइटH पहनेगी…”

जब रात मK मN उसे दध
ू दे ने गयी तो वो नाइटH मK हH थी और आज दध
ू पीने मK उसने कोई ना नुकुर नहHं कe।
जब मNने उसकe नाइट रH‹डंग के बारे मK पछ
ू ा तो मुˆकुराकर उसने एक ऐbबम और मतराम कe Jकताब
sनकालकर Fदखायी।

खुश होकर मNने उसे चूम @लया और चलने के पहले बोलH- “हां, एक बात और… आज से तुम हर चार घंटे पे,
एक बार कम से कम 7 @मनट के @लये अपनी बुर मK उँ गलH करोगी। पहले तम
ु थोड़ी दे र पNटH के ऊपर से हbके-
हbके सहलाओगी, और Jफर अगर तम
ु 8लास मK हो या कहHं बैठ. हो तो पNटH साइड से सरका के उँ गलH अंदर
डालकर सहलाओगी और Jफर Fटप अंदर करोगी। और उसके बाद 7 @मनट तक धीरे -धीरे । Œयान रखना तुTहK
झड़ना नहHं है , और तम
ु अपने यार के बारे मK , उसके ल~ड के बारे मK , उससे चुदवाने के बारे मK सोचोगी। आज
से तुम सोते समय कुछ नहHं पहनोगी और जब हम लोग का ‘कायw¨म’ चालू होता है तो तुTहK पता चल जाता है
8या?”

“और 8या? आप इoती जोर से आवाज करती हN और भैया भी… और पलंग कe आवाज…” वो मुˆकुराकर बोलH।

“द¥ु ट… आज जब हम लोग चालू हगे तो तू भी उँ गलH करना। पर पहले उसे गीलH कर लेना, वैसलHन लगाकर।
पहले धीरे -धीरे , Jफर पीड से, जैसे तेरा यार कस-कसकर चोद रहा हो। और हां, अगर तन
ु े मेरH सब बातK मानी
ना तो… जbद हH तेरे यार से तेरा @मलन करा दं ग
ू ी…”

अगल Fदन सुबह मNने उससे पूछा- “8य कल रात Jकसके बारे मK सोचकर उँ गलH कe, अपने यार के या मेरे?”

वो शमाw गयी।

“अरे अगर राजीव के बारे मK सोचा तो 8या हुआ, आ“खर वो भी तो तेरे पुराने यार हN… और वैसे भी जानती हो
कल रात उZहने दो बार मुझे, तTु हK मानकर चोदा और 8या जबदw त चुदाई कe? एक बार चुदवा ले ना राजीव से
भी…” मNने उसे छे ड़ा।

^ेकफाट पे मNने दे खा Jक दोन एक दस


ू रे को नयी sनगाह से दे ख रहे थे। जब वह कूल के @लये जा रहH थी
तो मNने उसके उभार को नीचे से छूकर दे खा, और बोलH।\- “सब चकाचक है ना?”

वह मुˆकुराने लगी।

मN राजीव को सुना कर बोलH- “मN दे ख रहH थी चच


ू ी मसाजर है कe नहHं…”

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उस Fदन शाम को वो कूल से लौटH तो बहुत उoतेिजत थी। बोलH- “भाभी, वो @मला था और बहुत kर8वेट कर
रहा था और उसने tच–ी भी दH है । कह रहा था Jकसी तरह कहHं भी @मल लो बस थोड़ी दे र को…”

मNने tच–ी उससे लेकर पढ़H। @लखा था- “खत @लखता हूं, खून से याहH मत समझना, मरता हूं तेरे {यार मK …”

“मान गयी। चल कुछ करती हूं। तू भी 8या याद करे गी। आज तो @मलेगा ना, Tयुिजक 8लास के राते मK …”

उसने हामी भरH।

“ठ.क है , मN तुTहK `ाप कर दं ग


ू ी। आज इसी कूल `ेस मK चलH चलना, पर ये पNटH पहन लो। मN नाˆता लगती
हूं…” मNने उसे एक ¨ाचलेश पNटH दे दH। नाˆते के समय हH मN उसकe कटw उठाकर उसकe बरु सहलाने लगी।
राते मK कार मK उसकe ¨ाचलेश पNटH मK मN उँ गलH कर रहH थी और उसे समझा रहH थी कe उसे 8या कहना है ।
थोड़ी हH दे र मK वह अ,छ.-खासी गीलH हो गयी।

मNने उसे समझाया- “दे ख, अपने इन उभार के बारे मK जuर उससे बात करना। थोड़ा तड़पाना, अदायK Fदखाना,
और Jफर @मलने के @लये मान जाना…” उसके मTम को मसलकर और sनपbस को Pपंच करते मNने कहा। जोश
से उसकe चूtचयां एकदम पoथर हो रहHं थीं और sनपbस भी खड़े-खड़े Fदख रहे थे। अब मN कस-कस के, उसकe
कसी चूत मK उँ गलH कर रहH थी। वो @ससJकयां भर रहH थी। मNने अपने अंगूंठे से उसके ि8लट को रगड़ना शुu
कर Fदया। वह एकदम झड़ने के कगार पे थी। तभी हम वहां पहुँच गये जहां उसे उतरना था। उसका यार इंतजार
कर रहा था।

मNने उसे उतारते हुये कहा- “जा, अब आगे का काम उसी से करवा…”

वह मेरे दे खते-दे खते अपने शाटw कट से चल दH, जो लंबे-लंबे गZने के खेत के बीच से जाता था। मेरे घर लौटने
के थोड़ी दे र बाद, वो वापस आ गयी।

“हे 8या हुआ, 8लास नहHं हुआ 8या?”

गुmडी- “नहHं भाभी, आज गु‰जी कहHं बाहर गये थे। इसीलHये…”

“अ,छा, तो Jफर तझ
ु े इoता समय कहां लग गया। कहHं गZने के खेत मK? अ,छा चल बता 8या बातK हुई?”
उसके Jकशोर उभार को छे ड़ते हुये मुˆकुराकर मNने कहा।

गुmडी- “भाभी पहले तो मNने मना कर Fदया तो वह बेचारा इoता उदास हो गया कe Jफर मNने हँसकर कहा- “ठ.क
है , कल @मलते हN। कल भैया Fदन मK घर पे नहHं हN, मेरH भी छु”ी है और भाभी को कल दो बजे से दो घंटे के
@लये जाना है , तम
ु बाहर खड़े रहना और जब भाभी चलH जांयK तो आ जाना… हां, लेJकन तम
ु ने बातचीत के @लये
कहा है , इस@लये @सफw बातचीत करना। तंग जरा भी मत करना। PपछलH बार तुमने Pप8चर हाल मK इoता तंग
Jकया था Jक अब तक ददw हो रहा है …” मNने अपने उभार कe ओर दे खते हुए बोला।

“तो 8या हुआ, आगे बोलो ना…” मN बड़ी बेताब थी।

गुmडी- “अरे भाभी, वो इoता खुश हुआ कe जैसे उसकe लाटरH लग गयी हो। मुझे पकड़कर कस-कसकर चूमना
शुu कर Fदया…”

“अरे कल लाटरH तो लगेगी हH, बोल दे गी कe नहHं उसको?”

गुmडी- “धoत भाभी, कल दे खा जायेगा, वैसे वो बेचारा छ: महHने से yयादा से पीछे पड़ा है …” और शरमाती हुई
वो कपड़े बदलने चलH गयी।

अगले Fदन सुबह से हH वो उतावलH थी, खूब जमकर नहाया। और मNने उसका हbका लेJकन जबदw त मेक-अप
भी कराया। उसने अपने कूल कe यूनीफामw हH पहन रखी थी पर वो परु ानी होने के कारण कसी-कसी थी और
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उसके उभार उभर के Fदख रहे थे। दो बजे मN घर से बाहर sनकलH उसे बता के कe मN 6:00 बजे तक आऊँगी।
राजीव तो थे हH नहHं और उZहK दे र शाम लौटना था। sनकलने के तरु ं त बाद वो आया।

“ग{पू है 8या…” उसने पहले से तय कोड पूछा।

गुmडी- “नहHं, पर उसकe बहन है …” गुmडी ने इठलाते हुये दरवाजा खोलकर कहा।

“उसी से काम चल जायेगा…” उसने उसे बांह मK भरते हुए कहा।

गुmडी- “बड़े बेसबरे हो, जरा दरवाजा तो बंद कर लेने दो…” और उसने बाहर का दरवाजा बंद कर Fदया। वह उसे
अपने साथ घर के अंदर ले आई- “एक @मनट ‰को, भाभी अभी-अभी गयी हN, मN जरा पीछे का दरवाजा तो चेक
कर लूं…”

दरवाजा तो बंद था पर उसका मतलब @सफw ये Fदखाने को था कe घर मK कोई नहHं है ।

गुmडी- “अ,छा चलो अपने कमरे मK बैठते हN और हां मNने तुTहारे @लये ये गुलाब जामुन बनाये हN, ये तो ले लँ ू…”
कहकर J|ज़ से एक डगK मK रखे गुलाब-जामुन sनकाले और उसे लेकर अपने कमरे मK चल दH। उसे सोफे पे
बठाकर सामने डगा रख Fदया और खुद सटकर बैठ गयी। और कहा- “ये गुलाब-जामुन मNने खुद तT
ु हारे @लये
बनाये हN। चलो पहले अपनी शटw sनकालो, कहHं बš
ु ू जी अपनी शटw पे रस ना tगरा लK…” ये कहते हुए उसने खुद
अपने हाथ से उसकe शटw sनकालकर ऊपर टांग दH।

“मुझे मालूम है कe रस कहां tगराना है …” मुˆकुराकर, tचढ़ाते हुए वो बोला।

“द¥ु ट, चालू हो गये, तम


ु नहHं सुधरोगे। तम
ु ने Qो@मस Jकया था कोई शरारत नहHं। लो मेरे हाथ से खाओ…”
कहकर उसने अपनी मीठ. उं ग@लय से एक पूरा गुलाब-जामुन उसके हठ के बीच डाल Fदया।

ग{प से वो पूरा घट गया।

गुलाब-जामुन मK भांग कe डबल डोज़ थी और ये बात गुmडी को भी नहHं मालूम थी। भांग से जो दोन मK थोड़ी
बहुत Fहचक शमw बाकe होगी, वो भी मNने सोचा था कe खतम हो जायेगी।

“हे , तम
ु भी तो खाओ…” वो चुभलाते हुए बोला।

“लेती हूं, पर आज तम
ु मेरे मेहमान हो और मेहमान को खुश करना चाFहये लो एक और…” और ये कहकर उसने
एक और उसके मँुह मK दे Fदया।

पर अबकe उसने आधा हH मुंह के अंदर Jकया और उसे पकड़कर बाकe अपने हठ से गुmडी के हठ के बीच डाल
Fदया। उसके हठ गुलाब-जामुन “खलाने के साथ हH उसके हठ का रस लेने लगे। जbद हH गुmडी उसकe गोद मK
थी और वो कस-कसकर उसके हठ चूम रहा था। उसकe जीभ मुँह मK अंदर घुसकर रस ले रहH थी। गुmडी ने
थोड़ा बहुत छुड़ाने कe को@शश कe पर वो जानता था कe वो को@शश Jकoती असलH है । उसके शरारती हठ, अब
बेताब होकर कभी उसके गाल को चूमते, कभी हठ का रस चूसते।

उससे छुड़ाते हुए वो बोलH- “हे लो एक और खाओ…”

“ठ.क है पर ऐसे नहHं…”

उसका इशारा समझकर गुmडी ने गुलाब-जामुन अपने गुलाबी हठ के बीच लेकर उसकe ओर बढ़ाया। अबकe
उसने अपने दोन हाथ से उसका सर पकड़कर कसकर अपनी ओर खींचकर उसके दोन मत हठ को अपने
हठ के बीच लेकर कसकर दबा-दबा के चूसना शu
ु कर Fदया। अब वह भी धीरे -धीरे चुTबन का जवाब दे रहH
थी। और उसके हठ, मुँह मK घुसी जीभ को हbके से चूसने लगे। ये kरपांस पाकर वो और भी उoतेिजत हो गया
और टाप के ऊपर से उसने कसकर उसके उभार को दबाना शुu कर Fदया।
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मजे से गुmडी के उभार भी एकदम कड़े हो रहे थे। एक हाथ टाप के ऊपर से रगड़न मसलन कर रहा था और
दस
ू रा धीरे से टाप के अंदर घस
ु गया। लेसी ^ा का पशw पाकर उसका खंट
ू ा एकदम तन के खड़ा हो गया और
लगा रहा था कe वो पNट फाड़कर sनकल जायेगा। जोश मK उसने, कस-कस के ^ा के ऊपर से हH उसके उभार को
पकड़कर सहलाना, दबाना शुu कर Fदया। गुmडी का टाप काफe ऊपर उठ गया था। अब हठ को छोड़कर उसके
गले को चूम रहे हठ नीचे आकर ^ा मK बंद उसके कबूतर को छे ड़ने लगे।

गुmडी ने नीचे दे खा तो पारभासी लेसी, पुश-अप ^ा से उसके उभार खुलकर झांक रहे थे। शरमाकर उसने अपनी
आँख बंद कर लH। कटw हट जाने से उसकe Jकशोर गोरH जांघK झांक रहH थीं।

उसका एक हाथ अब खुलकर उसके Jकशोर जोबन का रस ले रहा था और दस


ू रा गोरH गुदाज जांघ पे आ गया।
अपने आप उसने कसकर जांघK @सकोड़ लHं। पर जबरन सहलाते-सहलाते उसका हाथ धीरे -धीरे आगे बढ़ने लगा।
गुmडी ने कसकर उसके हाथ पे अपनी जांघK भींच लHं। उसके एक उरोज हाथ से दबाये मसले जा रहे थे और दस
ू रे
के sनपल को ^ा के ऊपर से हH वो चूस रहा था। अंगूठा {यार से जांघ को दबा रहा था और हाथ धीरे -धीरे आगे
Jफसल रहा था।

जैसे वागत मK कोई बांहK फैला दे , गुmडी कe जांघK अपने आप हbके-हbके खल


ु गयीं। उसके यार कe उं ग@लयां
पहले तो लेसी डीप-कट पNटH के Jकनारे से छे ड़ती रहHं, और Jफर एक बार मK हH उसने अचानक पNटH के ऊपर से
हH उसकe चुZमुsनया को पकड़कर दबोच @लया।

गुmडी मती से गनगना गयी।

पNटH के ऊपर से हH वह थोड़ी दे र सहलाता रहा, और Jफर हbके से पNटH सरका कर एक उँ गलH से वह मती लेने
लगा और Jफर उZहK फैलाकर उँ गलH का Fटप गुmडी कe रसीलH योsन के अंदर कर Fदया। वह हbके से अंदर-बाहर
कर रहा था।

मती से गुmडी कe हालत खराब थी। उसके उभार पoथर कe तरह कड़े हो रहे थे, नीचे भी वो गीलH हो रहH थी।
Jकसी तरह उसने अपने को छुड़ाया और उठकर खड़ी हो गयी। वो सवाल भरH sनगाह से उसे दे खता रहा, जैसे
Jकसी ब,चे के हाथ से @मठायी sछन गयी हो।

गुmडी बोलH- “मेरे बेसबरे बालम कहHं भागी नहHं जा रहH हूं, जरा इसको रख आऊँ, अभी आती हूं…” उसके हठ पे
गुmडी ने एक छोटH सी चुTमी दH और गुलाब-जामुन का डगा उठाकर चूतड़ मटकाते चल दH। लौट के जब वह
आई तो उसने मुड़ के, दरवाजे कe @सटकeनी अ,छ. तरह बंद कर दH। जब वह मुड़ी तो उसकe नाचती आँखK, और
गल
ु ाबी हठ पे ताजा लगी, गाढ़H, लाल @लपिटक से उसके इरादे साफ थे। शरारत भरे अंदाज़ मK वह जाकर
सीधे, घट
ु ने मोड़कर पलंग पे बैठ गयी।

“हे मेरे पास आओ ना, यहां बैठो…” बल


ु ाते हुये वो बोला।

गुmडी- “ना बाबा ना, तम


ु बहुत तंग करते हो, तम
ु ने Qो@मस Jकया था कe @सफw बात करोगे लेJकन तुम तो चालू
हो गये…” अपने जोबन को और उभारते, शरारत से वो बोलH।

“डरती हो 8या मझ
ु से?”

गुmडी- “तम
ु से नहHं… लेJकन तT
ु हारे उससे…” अपने घट
ु ने और फैलाकर, उसके पNट फाड़ते उिoथत @शˆन कe ओर
इशारा करते हुए, वो मुˆकुराकर बोलH। कटw @समटकर जांघ के बलकुल ऊपर आ गयी थी। और जांघK परू H तरह
फैलने से, उसकe जांघ के बीच के sनचले हठ अब अ,छ. तरह Fदख रहे थे।

(मNने हH उसे ये F‡क बतायी थी झलक Fदखाने कe और उसने जैसा मNने बताया था, वहां थोड़ा @लपिटक भी
लगा लH थी और उसके बाद कोई भी लड़का ‰क नहHं सकता था।)
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और यहH हुआ, जैसे हH उसकe नजर वहां पड़ी, उसकe हालत खराब हो गयी। वो बोला- “अब इससे डरने से काम
नहHं चलेगा और तम
ु 8या सोचती हो Jक मN वहां पहुँच नहHं सकता?” यह कहते हुये वो पलंग कe ओर बढ़ा।

कातर Fहरनी कe तरह वह बतर पे एक कोने मK दब


ु क गयी और उसने तJकया उठाकर एक Jकनारे कर Fदया।
तकeये के नीचे वैसलHन कe शीशी रखी थी। वैसलHन कe शीशी खल
ु े आमं—ण से भी बढ़कर उसके इरादे को बता
रहH थी।

पलंग पर पहुँच के उसने उसे दबोच @लया। गुmडी ने एक चादर उठाकर उसके अंदर sछपने कe को@शश कe। पर
उसने वहां उसके अंदर घस
ु कर उसे अपनी बांह मK भर @लया और कस-कसकर चूमने लगा। जैसे हH उसने अपना
हाथ टाप के अंदर Jकया तो वहां ^ा न पाकर वो खुशी से पागल हो गया। उसका टाप उठाकर उसने कस-कसकर
उसके छोटे -छोटे Jकशोर उभार को दबाना मसलना शुu कर Fदया। जैसे Jकसी ब,चे को उसका tचर Qती•त
“खलौना @मल गया हो, वह कभी उसे सहलाता, कभी दबाता, कभी चूमता, कभी अपने हठ उसकe चूtचय के
बीच लेजाकर रगड़ता और उसने थोड़ी हH दे र मK उसके टाप को हटाकर बाहर फKक Fदया।

“हे मुझे तो टापलेश कर Fदया और खुद…” गुmडी ने भी उसकe बsनयान को पकड़कर उतार फKकe।

अब उसने कसकर एक बार Jफर गुmडी को अपनी बांहो मK ले @लया और उसकe चौड़ी छाती कस-कसकर उसके
उभार को दबा रहH थी। कभी वो उसे चूम रहा था, कभी उसके उभार दबा, मसल रहा था और कभी उसके हठ,
खड़े उoतेिजत sनपल को कस-कसकर चस
ू रहे थे। Jफर उसने एक हाथ गोरH Jकशोर जंघाओं पे रखकर सहलाना
शुu Jकया।

शरमाकर गुmडी ने अपनी जांघ को कसकर भींचने कe को@शश कe, पर जब मन हH सरK डर कर चुका हो तो शरHर
कe 8या बसात। और अब तो पNटH का कवच भी नहHं था। थोड़ी हH दे र मK उसकe चुZमुsनया, उसके यार के पंज
मK थी।

थोड़ी दे र तक {यार से सहलाने के बाद उसने अपनी एक उँ गलH से उसके sनचले गुलाबी हठ को थोड़ा सा
फैलाया और उँ गलH अंदर पैबत कर दH। पहले धीरे -धीरे , Jफर तेजी से वो उसकe Jकशोर कलH को फैला रहा था।
इस रगड़ाई मसलाई से अब वो भी नशे मK आ गयी। उसके मुँह से कस-कसकर @ससJकयां sनकल रहHं थीं। उसने
गुmडी का हाथ पकड़कर अपने @लंग पे रखा।

शरमाते, “झझकते गुmडी ने उसे पकड़ @लया। खूब मोटा और एकदम कड़ा। वैसलHन कe शीशी खोलकर उसके यार
ने पहले उसकe गुलाबी कसी योsन मK लगाया और Jफर अपने मोटे ल~ड पे। उसकe गुलाबी सहे लH पे लगाकरके
उसने पछ
ू ा- “आप हमK आदे श करK तो हम {यार का…”

“धoत…” शमाwकर गुmडी बोलH और अपनी बड़ी-बड़ी आँखK बंद कर लH।

उसकe गोरH जांघK अ,छ. तरह फैलाकर उसने टांगK कंधे पे रखकर उसकe कसी-कसी चूत कe पुिoतय को फैलाया
और अपना मोटा सुपाड़ा सटाकर, कसकर एक ध8का मारा। दो तीन ध8क मK उसका सुपाड़ा अंदर था। ददw के
मारे उसकe हालत खराब थी। पहले तो Jकसी तरह अपने हठ दांत से काट उसने Jकसी तरह रोका, पर चीख
sनकल हH गयी।

(मेरे कहने पे, Pपछले तीन Fदन से वो लगातार टाईट अगेन लगा रहH थी और उँ गलH भी बंद कर रखी थी।)

लेJकन वो आधा ल~ड अंदर डालकर हH ‰का और Jफर {यार से उसके गाल, जोबन सहलाने लगा। थोड़ी दे र मK
जब ददw कम हुआ तो उसने पछ
ू ा- 8य?

और गुmडी हbके से मुˆकुरा पड़ी।

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इतना काफe था। अब तो उसने उसकe पतलH कमर पकड़कर धका-पेल चुदाई शुu कर दH। ददw तो अभी भी हो
रहा था पर जब सप
ु ाड़ा और ल~ड चत
ू के अंदर रगड़ के घस
ु ता तो अब गुmडी को भी कसकर मजा आने लगा
और वो भी हbके-हbके अपने चूतड़ ऊपर उठाने लगी। कभी वो कस-कसकर चोदता, कभी ‰क के उसकe चूtचय
और ि8लट को रगड़ता और कभी परू ा ल~ड बाहर sनकालकर ध8के दे ता। आधे घंटे से yयादा चोदने के बाद कहHं
वो झड़ा।

जब उसने अपना ल~ड बाहर sनकाला तो वीयw कe सफेद धार sनकलकर उसकe गोरH जांघ पे बह गयी। बहुत दे र
तक वो दोन ऐसे हH tचपके पड़े रहे । कुछ दे र बाद जब वो अलग हुये तो गुmडी उसके ऊपर चढ़कर लेट गयी। वो
घड़ी कe ओर दे ख रहा था। घड़ी मK साढ़े तीन बज रहे थे।

गुmडी ने उसकe पलक पे चूमकर उसकe आँखK बंद कर दHं। Jफर गुmडी के रसीले हठ, उसके गाल को हbके-
हbके चूमने लगे। गुmडी ने, अपने यार के दोन हाथ पकड़ रखे थे और हbके से उसके कान के लोब चूमकर
काट @लये और उसकe जीभ कान मK सहलाने लगी। थोड़ी दे र मK उसके हठ को कसकर चूमने के बाद, वो कुछ
नीचे सरकe और उसके गले पे उसने चुTबन जड़ Fदये। चŸर कब कe सरक चुकe थी। अब सजनी के उभार
साजन कe छाती को दबा रहे थे।

थोड़ा और नीचे आकर उसने Jफर अपनी गुलाबी जब


ु ान से उसके एक sनपल को हbके से छे ड़ Fदया, (मNने उसे
अ,छ. तरह समझा Fदया था कe मदw के sनपल भी उसी तरह सेिZसFटव होते हN जैसे हम औरत के) जब तक वो
बेचारा सTहले, उसके दोन होठ के बीच उसका sनपल था। वह चस
ू ने के साथ, जीभ से छे ड़ भी रहH थी। और
इoते से हH उसे संतोष नहHं था, लाल नेल-पा@लश लगे नाखून उसके दस
ू रे sनपल को भी िƒलक कर रहे थे। बारH-
बारH से दोन sनपल को वो वैसे हH तंग करती रहH और जbदH हH गुmडी कe गोरH जांघ के बीच दबा उसका
हtथयार Jफर जोश मK आ गया।

थोड़ा और नीचे सरक कर उसने एक चुTमी उसके पेट पे सीधे नाभी पे लH और Jफर बना ‰के और नीचे आकर
उसने उसके लगभग परू H तरह उoतेिजत @लंग को गीला करके, उसके बेस, कालH घघ
ंु रालH झांट पे, छोटH-छोटH
कई चुTमी ले लHं। और Jफर, दोन हाथ को उसके चूतड़ के नीचे लगाकर दो चुTमी उसके बाbस पे भी ले लH।
अब तो उसकe हालत एकदम खराब हो गयी। और Jफर उसे उसी हालत मK छोड़कर गुmडी उसके ऊपर आ गयी।
उसकe Jकशोर जांघ के बीच ठ.क उसकe योsन के नीचे, बेचारे का परू H तरह जोश मK खड़ा ल~ड दबा था। वह
हbके-हbके अपनी जांघ से उसे दबा भी रहH थी।

उसकe आँखK एक बार Jफर घड़ी पे थीं। घड़ी मK पौने चार बज रहे थे- “भाभी कब लौटती हN, तम
ु ने 8या बताया
था?” उसने पूछा।

गुmडी- “चार बजे…” गुmडी के चेहरे पे एक मुˆकान तैर गयी। उसके हठ को उसने एक बार कसकर चूमकर
बोला- “हे एक बात कहूंगी बरु ा तो नहHं मानोगे ?”

“नहHं बोलो ना, बुर वालH कe बात का 8या बुरा मानना और तुमने तो आज मझ
ु े खुश कर Fदया है …”

गुmडी- “गुसा तो नहHं होगे?”

“नहHं…” कसकर उसने अपनी बांह मK भींच @लया।

गुmडी- “भाभी रोज चार बजे लौटती थीं, लेJकन आज पौने छ: बजे आयKगी, मNने तुTहK पूरH बात नहHं बतायी थी…
और अभी भी तुTहारे पास परू े दो घंटे बचे हN…” अपनी मत Jकशोर चtू चयां उसकe छाती पे कसकर रगड़ के और
बुर को उसके खड़े ल~ड पे सहला के, वो शरारत से बोलH।

मारे जोश के उसका यार उठकर बैठ गया और उसे अपनी गोद मK बठाकर कसकर दबोच के बोला- “Jफर तो…”

68
गुmडी- “और 8या…” वो मुˆकुराकर हामी भरती बोलH। वो {यार से उसके गोद मK बैठ. थी। सामने शीशे मK साफ-
साफ Fदख रहा था, उसके Jकशोर उभार के नीचे उसका यार हाथ लगाकरके हbके-हbके सहला रहा था, और
उसका खड़ा खूंटा भी उसकe जांघ के बीच झलक रहा था।

“इZहने बहुत तड़पाया मझ


ु े, मेरा बहुत मन करता था कe…” उसके Jकशोर उरोज को सहलाते वो बाला।

गुmडी- “मालूम है मुझे, अब लो ना, कसकर सहलाओ, दबाओ, रगड़ो, मसलो, जो चाहे वो करो, अब ये तुTहारे हN।
कर लो अपने मन कe, दे दो सजा इZहK इoते Fदन तड़पाने कe…” उसका हाथ खींचकर अपने रसीले जोबन पे
रखकर दबाते हुये वो बोलH।

बस अब 8या था। अब तो कसकर वह उसकe चूची कभी दबाता, कभी मसलता, कभी कस-कसकर रगड़ता, कभी
कसकर उसके उoतेिजत खड़े sनपल भी खींच लेता। थोड़ी दे र मK उसने अपनी एक उँ गलH गुmडी के sनचले हठ के
बीच भी डाल दH और अZदर बाहर करने लगा। शीशे मK ये सब दे खकर वो और जोश मK आ गयी और @ससJकयां
लेने लगी। अब उसको उठाकर उसके यार ने मोड़कर गोद मK बैठा @लया िजसस गुmडी का मुँह उसके सामने हो
गया और Jफर दोन कस-कसकर एक दस
ू रे को चूमने लगे। उसका एक हाथ अभी भी कसकर जोबन रगड़ रहा
था और दस
ू रा उसकe कसी Jकशोर चत
ू के अंदर-बाहर तेजी से उँ गलH कर रहा था।

उसके हठ पे कसकर चुTमा लेती, वो बोलH- “हे , मुझे दो बातK कहनी हN…”

“बोलो ना…” उसे वो अपनी बाह मK कसकर भींचते हुये बोला।

गुmडी- “पहलH तो ये Jक तुम मेरे साथ जो कुछ, जैसे भी, िजतनी बार, जहां भी, जो भी सब कुछ कर सकते हो,
बना पूछे और हां अगर तुमने पूछा ना तो मN गुसा हो जाऊँगी। ये सब, मेरH सारH दे ह, मेरा सब कुछ तT
ु हारा
हH है …” उसके हाथ को अपने उभार पे से लेकर अपनी बुर तक ले जाकर वो बोलH।

उसके यार ने कसकर उसे अपनी बाह मK भींच @लया।

तो गुmडी ने अपनी चूत को उसमK घस


ु ी उँ गलH पे @सकोड़ @लया- “और… और जाने दो मुझे शरम लगती है …” वो
शरमाकर बोलH।

“8या बोलो ना अब 8या शरम?”

गुmडी- “तम
ु मुझे {यार करते हो ना?”

“ये भी कोई पूछने कe बात है? हां बहुत…” उसे कसकर चूमते हुये वो बोला।

गुmडी- “तT
ु हK मेरे {यार कe कसम, अब आगे से ना, चाहे मुझे Jकoता भी ददw 8य ना हो, चाहे खून sनकल आये,
चाहे मN ददw से चीखंू, tचbलाऊँ, बेहोश हो जाऊँ पर… पर तुम ‰कना मत, बस तुTहK जो भी अ,छा लगे, परू H
ताकत से, मन भर, पूरा अंदर तक, चाहे जैसे, जहां चाहे करना। मN रोकंू भी उस समय तो जबरदती…” और ये
कहकर उसने कसकर चूम @लया।

“तो कuं?” मुˆकुराकर वो बोला।

गुmडी- “एकदम…” और अबकe वो खुद लेट गयी अपनी गोरH-गोरH टांगK फैलाकर।

उसने वैसलHन कe शीशी से थोड़ा वैसलHन sनकालकर, गुmडी कe चत


ू मK लगाना शu
ु कर Fदया। और मुˆकुराकर
गुmडी ने भी वैसलHन लेकर उसके मोटे कड़े ल~ड पे खुद लगा Fदया। उसके यार ने, अपने हाथ से उसकe चूत के
पपोट को थोड़ा फैलाया और Jफर अपना मोटा ल~ड सटाकरके कमर पकड़कर कसकर ध8का लगाया। अबकe
ध8का इoता करार था कe एक बार मK हH परू ा सप
ु ाड़ा अंदर चला गया। गुmडी के मँुह से चीख sनकल गयी पर
उस पे कोई असर नहHं हुआ और वो उसी तरह कमर पकड़कर कस-कसकर ध8के लगाता रहा।

69
थोड़ी हH दे र मK आधा से yयादा ल~ड उसकe चूत मK था। अब िजस तरह सुपाड़ा, उसकe चूत मK रगड़ता, घस
ु रहा
था गुmडी को भी खूब मजा आने लगा। और वो “हां हां… ऐसे हH ओह… ओह…” @ससJकयां ले रहH थी।

अबकe उसके यार को कोई जbदH नहHं थी। जैसे Jकसी भूखे को बहुत Fदन के बाद खाना @मले और वह पहले तो
खब
ू जbदH-जbदH खाये और Jफर एक-एक sनवाले को मजा ले-लेकर खाये वहH हालत उसके यार कe हो रहH थी।
वह कभी उसे चूमता, कभी उसकe रसीलH Jकशोर चूtचय को दबाकर कस-कसकर रस लेता, कभी ि8लट छे ड़ता।
जbद हH गुmडी को उसने दHवानी बना Fदया था और वह खुद चूतड़ उठा-उठा के उसका साथ दे रहH थी। थोड़ी दे र
तक इस तरह चोदने के बाद उसने गुmडी कe टांग मोड़कर दोहरा कर Fदया, और कंधा पकड़कर ल~ड को पहले
सुपाड़े तक बाहर sनकालकर Jफर एक झटके मK पूरH ताकत से घुसाया और दो चार ध8क मK जड़ तक पेल
Fदया।

बेचारH गुmडी… अबकe वो tचbला भी नहHं सकती थी, 8यकe उसने न @सफw उसके हठ अपने हठ के बीच दबा
Fदया था बbकe अपनी जीभ भी उसके मुँह मK घस
ु ा रखी थी, वह गtगया करके रह गयी। अब जब दब
ु ारा उसने
Jफर उसी तरह से कसकर घस
ु ेड़ा तो सुपाड़ा सीधे उसकe ब,चेदानी से टकराया और ददw और मजे से वो कराह
उठ.।

अब तो धका-पेल चुदाई शुu हो गयी। कभी वो कस-कसकर, िजन जवान रसीले उभार के @लये अब तक पल
पल तरसता था, उसे कचकचा के काट लेता, कभी ि8लट को मसल दे ता, कभी चूtचय को खरच लेता।

और गुmडी भी पीछे नहHं थीं। वह भी कसकर अपने लाल नेल पा@लश लगे लंबे नाखून से उसकe पीठ पे, सीने पे
कसकर sनकोट रहH थी, नीचे से चूतड़ उठा-उठा के उसके ध8क का जवाब दे रहH थी। पूरा ल~ड Jफसलकर बार-
बार अंदर-बाहर हो रहा था। वो पोज बदल-बदल के चोद रहा था। उसकe कम@सन मल
ु ायम छोटH-छोटH चtू चयां
पकड़कर कभी गोद मK बैठाकर चोदता, कभी {यार से, कभी कसकर रगड़ के चोदता, और वो एक बार झड़ चुका
था तो घंटे भर रस लेकर चोदने के बाद हH वो झड़ा।

और गुmडी तब तक कम से कम दो-तीन बार झड़ चुकe थी।

बहुत दे र तक दोन ऐसे हH tचपके रहे पर जब अचानक अबकe गुmडी कe sनगाह घड़ी पे पड़ी तो साढ़े पांच बज
रहे थे। उसने उसको हटाया तो ल~ड बाहर sनकलने के साथ ढे र सारा वीयw गुmडी कe गोरH थकe जांघ पे tगर
पड़ा। चलने से पहले उसने कसकर गुmडी को अपनी बाह मK भरकर एक चुTमा @लया। उसके जाते हH उसने
Jकसी तरह अपनी कटw और टाप पहनी और बतर पे लेट गयी।

जब मN लौटH तो वो उसी तरह लेटH थी। जब मNने उसका टाप उठाया तो उसके कुचले मसले जोबन दे खकर मझ
ु से
नहHं रहा गया और मNने उसके sनपल चूम @लये।

उसने आँखK खोल दHं।

“हे , लगता है यार ने कसकर चोदा है …”

बना कुछ बोले वो मुˆकुरा दH। उसकe थकe-थकe मुˆकान हH सारH कहानी कह रहH थी। मNने उसका कटw जब
उठाने कe को@शश कe तो उसने रोकना चाहा, पर वो इoती थकe थी कe मNने एक झटके मK कटw उठा दH। ताजी
चुदH बुर को दे खने का अपना अलग हH मजा है । ल~ड के ध8के खा-खाकर उसकe चूत लाल हो गयी थी। पपोटे
थोड़े खुले थे और हbकe छोटH झांट के बीच सफेद गाढ़ा वीयw लगा था। मNने एक उँ गलH से उसकe चूत फैलायी
और थोड़ी सी उँ गलH अंदर डाल दH और हbके-हbके अंदर-बाहर करने लगी।

“हे भाभी, 8या कर रहH हN? {लHज sनकाल लHिजये ना…” वो बोलH।

70
“सालH sछनार, अभी यार का ल˜डा हँस-हँसकर घट रहH थी, और अब जरा सा उँ गलH से tचहुंक रहH है …”
मुˆकुराकर मN बोलH।

वो भी मुˆकुराने लगी।

“8य Jकoता बड़ा, Jकoता मोटा था?” मNने पछ


ू ा।

“मोटा था और लंबा भी…” हँसकर वो बोलH।

तभी मझ
ु े याद आया कe लौटते हुए मN स’जी भी ले आई थी और उसमK एक सफेद पतला बNगन भी था। उसे
sनकालकर उसे Fदखाते हुए मNने पछ
ू ा- “8य, ऐसा था 8या?”

“हां भाभी, लेJकन थोड़ा मोटा yयादा था…” वो बोलH।

मNने बैगन को उसकe बुर के मुँह पे लगा Fदया और थोड़ा सा जोर लगाकरके उसे अंदर घुसेड़ Fदया।

तो वह tचंहुकने लगी।

“चल मN तझु े बताती हूं Jक तेरे भैया कम सैयां कैसे चोदते हN…” और ये कहकर मNने उसकe टांगK चौडीं कe और
बीच मK बैठकर बैगन को थोड़ा और घस ु ेड़ा और कभी गोल-गोल घम ु ाके, कभी अंदर-बाहर करके चोदने लगी। मN
दस
ू रे हाथ से उसका sनपल और ि8लट भी छे ड़ रहH थी। Jफर अचानक एक बार मNने बाहर sनकालकर, एक बार
मK हH पूरा अंदर ढकेल Fदया।

“उई…” वह चीख पड़ी।

“अरे सालH अभी कह रहH थी कe तेरे यार का इससे भी मोटा था और हँस-हँसकर दो बार चुदवाया, तो इस पतले
बैगन से 8य sछनालपना Fदखा रहH है , घट चुपचाप। अरे अभी तो तुझे मोटा केला घुटवाऊँगी। तब जाके राजीव
का घट पाओगी। उनका तो इससे दोगुना मोटा है और 8या ताकत से चोदते हN…” अब मN हचक के पूरH पीड से
चोद रहH थी।

थोड़ी हH दे र मK मुझे लगा कe वह झड़ने के कगार पे पहुँच गयी है तो मN ‰क गयी। और उसका गाल सहला के
पच
ु कार के कहने लगी- “हे एक बार राजीव से चुदवा ले ना तो असलH मजा @मलेगा चद ु ाई का। अरे मN कहती हूं
शादH के पहले और बाद मK भी मNने बहुत से चुदवाया, लेJकन जो मजा उनसे चुदवाने का @मलता है ना Jक पूछो
मत… और एक बार उनका ल~ड घट लेगी ना तो Jफर… और तम ु लोग कe तो पुरानी यारH भी है …”

“धoत भाभी…” शरमाकर वो बोलH। पर उसके खड़े sनपल बता रहे थे कe उसे Jकoता मजा आ रहा है ।

“मन मन भावे मूड़ Fहलावे… अरे मन तो कर रहा होगा कe कैसे चुदवाऊँ भैया से। चल तझ
ु े बताती हूं कe तेरे
भैया कैसे हर रात मुझे चोदते हN…” और Jफर मNने हचक के उसे गपागप चोदना शुu कर Fदया और वो भी चूतड़
उठाकर लHल रहH थी। आँखK बंद थीं और शायद वो सोच रहH हो कe भैया कम बचपन के यार से चुदवाने मK कैसा
लगेगा। मN भी शरारत के मूड मK थी। दो तीन बार मN उसे झड़ने के कगार पे ले जाती और Jफर रोक दे ती। अब
वो बलबला रहH थी।

पर मN कहां मानने वालH थी। मNने पूरा बNगन उसकe बरु मK घुसाकर छोड़ Fदया और बोलH- “अब तT
ु हारा टे ट है ,
मNने तम
ु से कहा था कe तुम रोज अपनी चूत 8वीज करने कe Qैि8टस करो।

“करती हूं भाभी…” बात काटकर वो बोलH।

“तो ऐसे हH अपनी चत


ू मK इस बैगन को डाले-डाले Jकचन तक मेरे साथ चलो…” Jकचन मK जाकर मेरे Fदमाग मK
एक आइ‹डया आया। उसकe कटw उठाकर मNने चेक Jकया तो बैगन वातव मK अंदर था और वो चूत को कसकर
@सकोड़े थी। मNने ि8लट को छे ड़ना शुu Jकया और वो तरु ं त हH झड़ गयी।
71
उसकe बुर से बैगन बाहर sनकालकर मN बोलH- “राजीव को बैगनी बहुत पसंद है , इस बैगन कe तुम उनके @लये
बनाओ। मN पकौड़ी का बाकe सामान तैयार करती हूं…”

“ठ.क है भाभी…” हँसकर बैगन लेते हुये वो बोलH।

वो `ेस ठ.क करने लगी तो मNने मना कर Fदया और कहा कe तुम बना ^ा और पNटH के हH जैसे हो वैसे हH
रहोगी, ये मेरा हु8म है , और उसके टाप के जो बटन उसने बंद Jकये थे वो सब मNने खोल Fदये। राजीव के आने
पे मNने नाˆता लगाया। बैगनी थोड़ा सा हH खाकर मुझे दे खकर बोले- “वाह… 8या टे ट है , मन करता है बनाने
वाले का हाथ चूम लूं…”

“अरे हाथ 8या जो चाहते हN, वो चूम लHिजये, आ“खर माल आपका है …” हँसकर मN बोलH। और मNने आवाज
लगाई- “गुmडी आना जरा, दे खो तT
ु हारे भैया बल
ु ा रहे हN…”

उसको दे खते हH उनकe हालत खराब हो गयी। टाप के खुले बटन से उसकe गहराई, कटाव सब Fदख रहे थे और
उसके उठे हुए उभार भी, छोटH कटw से उसकe गोरH-गोरH जांघK गजब ढा रहH थीं। उनकe sनगाहK तो जैसे उसके
Jकशोर जोबन से tचपक गयीं थीं। मNने ‘वहां’ हाथ लगाया तो उनका ‘हtथयार’ 90° ‹डDी खड़ा था। मNने शरारत
से उसे हbके से दबा Fदया।

“8या भैया?” उसने बड़े भोलेपन से पछ


ू ा।

“ये तम
ु ने बनाया है ?” उZहने पूछा।

“आपको पसंद है ?” उसने बड़ी अदा से अपने दोन उभार को और उभार के पूछा।

राजीब कe आँखK तो उसके रसीले मTम पे लगी थीं, थूक गटकते हुए वो बोले- “हां…” जैसे उसके Jकशोर उभार
कe तरHफ कर रहे ह।

“चल तेरH चीज तेरे भैया को पसंद है तो गुmडी, कल से तू हH दे ना…” उसे छे ड़ते हुए मN बोलH।

“और 8या भाभी आप सोचती हN कe आप हH भैया को खुश कर सकती हN, दे “खये मेरH चीज भी भैया को Jकoती
अ,छ. लगती है …” और ये बोलती हुई जब वह बड़ी अदा से {लेट उठाने के @लये झुकe तो खुले टाप से उसका
पूरा 8लHवेज और गोलाईयां उनको उसने Fदखा Fदया।

मN भी उनकe शाटw के अंदर हाथ डालकर उनकe उoतेजना पूरH तरह नाप रहH थी। वह पूरH तरह खड़ा था।

“और है ? ऐसी बैगनी मNने पहले कभी नहHं खायी…” उZहने पूछा।

“नहHं भैया, भाभी एक हH बैगन लाई थीं…” वो बोलH।

“चल मN कल ढे र सारे बैगन लाऊँगी। इसी टाइल से बनाकर मन भर, अपने भैया को “खलाना…” हँसकर मN
बोलH।

“एकदम…” गुmडी मुड़कर बोलH। उनकe sनगाहK उसके छोटे -छोटे मटकते चत
ू ड़ पे लगी थीं।

रात को सोने से पहले जब मN गुmडी के @लये दध


ू लेकर गयी तो वो आटw आफ सेZसुअस वीमेन पढ़ रहH थी। मN
उससे बोलH- “इसमK ‘आटw आफ ओरल से8स’ वाला अŒयाय ठ.क से पढ़ लेना, कल मN टे ट लंग
ू ी और हां ये दध

के साथ ये खजरू भी खा लेना, इससे ये तेरे थन और जbदH बड़े और मत हो जायKगे…” और, मNने उसकe
चूtचयां भी दबा दHं।

अगले Fदन मN दोपाहर मK लेटH अपने बेडuम मK एक ’लू Jफbम दे ख रहH थी, तभी स’जीवालH कe आवाज आई
और टHवी बंद करके मN नीचे आ गयी।

72
स’जी खरHदते समय मेरH नजर सफेद बैगन पे पड़ी और मुझे गुmडी कe याद आ गयी और मN मुˆकुरा पड़ी।
तभी मNने सामने दे खा तो, ‘tथंक आफ डेPवल’ सामने से वो चलH आ रहH थी।

“8य कूल मK मन नहHं लग 8या? चलो ठ.क टाईम पे आ गयी हो अपनी पसंद का बैगन खरHद लो…”

वो बोलH- “नहHं भाभी, आज कूल मK छु”ी जbदH हो गयी थी…”

“अरे मेरे पास लंबा भी है और मोटा भी कैसा चाFहये और तुम तो मेरH ननद लगोगी। sछनाल ननद के @लये
पेशल कंसेसन है …” स’जीवालH ने भी उसे छे ड़ा।

बाकe स’जी उठाकर घर मK आते मN बोलH- “अरे इसे तो लंबा भी चाFहये और मोटा भी। हां, मN ऊपर बेडuम मK हूं
तू सीधे वहHं आ जाना…” और Jकचन मK स’जी रखकर मN ऊपर आ गयी।

कुछ हH दे र मK गुmडी भी बेडuम मK आ गयी, उसके हाथ मK दो लंबे मोटे सफेद बNगन भी थे। गुmडी ने पूछा-
“8य भाभी Pप8चर दे ख रहH थीं, अकेले-अकेले…”

“हां आ जा रजाई मK , तझ
ु े भी Fदखाती हूं…” मN हँसकर बोलH और उसे अपने पास खींचकर टHवी Jफर से आन कर
Fदया।

Jफbम के शुu मK एक ख़ूबसूरत लंबा आदमी आया और उसने अपने कपड़े उतारने शुu कर Fदये। उसकe तगड़ी
पावरफुल मसbस दे खकर गुmडी बोलH- “Jकoती पावरफुल मसbस हN…”

मN हँसकर बोलH- “अरे अभी असलH मसल दे खोगी तो बोलना…” और जब उसने अपनी चmढH खोलH, तो उसका
बoते भर से भी बड़ा मोटा ल~ड झटके से बाहर sनकल आया।

गुmडी अवाक रह गयी और थोड़ी दे र मK जब उसने हाथ से दबाया तो वो और बड़ा और मोटा हो गया। उसकe
नजरK वहHं गड़ी थी।

“8य पसंद है, घटोगी इoता बड़ा?” मNने छे ड़ा।

गुmडी- “धoत भाभी मुझे Pवˆवास नहHं है कe इoता लंबा और मोटा हो सकता है पर…” वो बोलH।

“अरे तुम जब चाहे तब Fदलवा दं ,ू राजीव का इoता हH बड़ा और मोटा है …” मN बोलH।

और जैसे उसे Pवˆवास Fदलाने के @लये एक लड़कe भी ¨eन पे आ गयी। उसने अपने कपड़े उतारे और उसके
मोटे ल~ड के सुपाड़े पे Jकस Jकया। धीरे -धीरे चूमकर उसने सुपाड़ा अपने हठ के बीच कर @लया।

मN इधर गुmडी कe पीठ सहला रहH थी और पीठ सहलाते-सहलाते, मNने उसकe ^ा के हुक खोलकर उतार Fदया।
अब मेरे हाथ उसके छोटे नरम उरोज को सहला रहे थे।

सामने टHवी पे वो लड़कe अब पूरा सुपाड़ा घट चुकe थी। वो मदw उसका सर पकड़कर कसकर दबा रहा था और
धीरे -धीरे उसने आधा ल~ड अंदर ढकेल Fदया। वह गपागप चूस रहH थी, और एक हाथ से उसके ल~ड के बेस को
पकड़कर हbके से दबा रहH थी। कभी-कभी वह उसके पेbहड़ (बाbस) को भी छे ड़ दे रहH थी।

गुmडी के sनपbस पूरH तरह खड़े थे िजससे पता चल रहा था वह Jकतनी उoतेिजत है । उसके जोबन दबाते-दबाते
एक हाथ मN नीचे ले गयी और जब तो वो सTहलती, मNने उसकe लेसी पNटH नीचे खींच दH और उसकe चत
ू हाथ
से दबा दH और उसकe tचकनी चूत सहलाते हुये मN बोलH- “हे ये 8या? एकदम सफाचट… तम
ु ने अपनी झांटK कब
साफ कर दHं, 8य?”

वो बस चुपके से मुˆकुरा दH।

73
“अ,छा मN समझी। तुTहK मालूम है कe राजीव को tचकनी पसंद है , इस@लये…” उसकe चूत मK एक उँ गलH हbके से
धंसाती मN बोलH।

“भाभी, आपको तो सब मालूम हH हो जाता है तो Jफर पूछती हH 8य हN?” शरमाती हुई हbके से मुˆकुराती वो
बोलH।

उधर ¨eन पे अब वो लड़कe लगभग परू ा @लंग घट चुकe थी, और खुश sनगाह से उस आदमी को दे ख रहH
थी। उस लड़कe का एक हाथ ल~ड के बेस पे और दस
ू रा उसके बाbस पे था।

मNने गुmडी से पूछा- “अ,छा चल अब तेरा टे ट लेती हूं, कल तन


ू े आटw आफ ओरल से8स पढ़ा था ना, चल ये
बता Jक ये लड़कe अपने Jकस-Jकस अंग का इˆतेमाल ओरल से8स मK कर रहH है ?”

गुmडी- “भाभी, हठ का और जीभ का…”

“और…” मNने Jफर पूछा।

गुmडी- “और हाथ का…”

“शाबास और…”

गुmडी- “आँख…” कुछ सोचकर वो बोलH।

“एकदम सहH…” कसकर उसकe चूची दबाते हुए मNने तारHफ कe- “िजस तरह से वो खुशी भरH आंख से दे ख रहH है
वो मदw का मजा दन
ू ा कर दे ती है …” और मNने उसे लो कर Fदया Jक वो ठ.क से दे ख सके। अब ¨eन पे उसने
ल~ड काफe बाहर sनकाल @लया था और हbके-हbके चूस रहH थी।

“पहले पढ़ के सीख, Jफर दे ख कैसे करते हN, और Jफर Qैि8टस…” मNने उसे समझाया।

गुmडी- “पर भाभी, Qैि8टस कैसे…” उसकe आँखK टHवी पे गड़ी थी कe वो कैसे चूस और चाट रहH है ।

“बताती हूं…” और मNने Jफbम को पाज़ करके `ाअर खोला। उसमK तरह-तरह के डीbडो, वाई^ेटर, लोशन और
से8स ›वाय रखे थे। मNने दो तीन ‹डbडो sनकाले। एक मोटा सा जो एकदम ल~ड के शेप का था यहां तक कe
उसमK ‘बाbस’ भी थे, उसे Fदया और बोलH- “इसे मुँह मK लेकर तू चूस… कम से कम दस @मनट तक को@शश कर
yयादा से yयादा अंदर लेने का। धीरे -धीरे 20 @मनट तक कम से कम मुँह मK लेने कe Qैि8टस होनी चाFहये ।
पहले जो सप
ु ाड़ा है , उसे हbके-हbके चाट…”

उसने उसे लेकर पहले तो चाटा Jफर मुँह मK घस


ु ेड़ @लया।

“हां और थोड़ा अंदर, थोड़ा सा और मNने उसकe FहTमत बढ़ायी। हां, ऐसे हH करे गी तो कुछ हH Fदन मK उस
लड़कe जैसे Qैि8टस हो जायेगी…” (उसका मुँह बंद करने कe अ,छ. F‡क थी।)

अब मNने एक पतला सा ‹डbडो लेकर उसकe बुर मK हbका सा घुसेड़ Fदया, और Jफbम Jफर चला दH। टHवी मK
ल~ड कe चस
ु ाई दे खते हुए, वो कस-कसकर {लािटक का ल~ड-नम
ु ा ‹डbडो चस
ू रहH थी।

मNने उसे समझाना शुu Jकया- “दे ख, ल~ड चूसते समय ये Œयान रखते हN कe पहले तो तT
ु हK खुद कTफटq बल
होना चाFहये, पहले उसको हाथ से पकड़ो, छुओ, थोड़ा सहलाओ, और Jफर सप
ु ाड़ा हठ से खोलो, और हां अपने
हठ का खास ªयाल रखो, अगर तम
ु गाढ़े लाल या गुलाबी रं ग कe @लPपटक और वेट-लुक के साथ लगाओगी
तो और अ,छा लगेगा। तो पहले सुपाड़े को चूमो, पी-होल को जीभ से छे ड़ो, जीभ से सुपाड़े को हbके-हbके चाटना
शu
ु करो, जैसे आईस¨eम कोन को करते हN। और हां सप
ु ाड़े का Pपछला भाग जो बाकe ल~ड से @मलता है , उसे
|ेनल
ु म कहते हN। (Jफर मNने उसे एक ल~ड कe आकृsत का बना ‹डbडो Fदखाया कe कैसे सुपाड़े के पीछे एक
कार सा होता है ) वो जगह बहुत सKसीFटव होती है , उसे जीभ से छे ड़ो।
74
और हां, एक बात और मुँह मK लेते समय Œयान रखो कe हठ को थोड़ा सा दांत के ऊपर कर लो िजससे Jकसी
भी हालत मK ल~ड पे दांत न लगने पाये…”

उसने ल~ड के माडेल के ‹डbडो को Œयान से दे खते हुए वीकृती मK सर Fहलाया।

और मNने उसे समझाना जारH रखा- “और दे खो, चूसने से पहले चाटना जuरH है , सुपाड़े मK सबसे yयादा नवw
एं‹डंœस होती हN इस@लये पहले हbके-हbके, Jफर कसकर उससे चाटो। उस समय एक हाथ से उसके ल~ड का बेस
या बाbस पकड़ो और बाbस हमेशा हbके से पकड़ना चाFहए। yयादातर मदw , खुद बोलKगK कe उZहK कहां चटवाना
अ,छा लगता है । इसके बाद धीरे -धीरे ल~ड अंदर लो। उसे धीरे से Jफसलकर आने दो। Œयान रखो कe तT
ु हारे
हठ उसके ल~ड को हbके से रगड़ते रहK और नीचे से जीभ से उसे तुम चाटो। और सहारे के @लये ल~ड को
अपने हाथ से पकड़े रखो। लड़क को लड़कe के हाथ मK ल~ड का एहसास बहुत अ,छा लगता है । और उसका एक
दस
ू रा फायदा ये है कe जब वह झड़ने के करHब होगा तो तम
ु बेस पे जो ये नस है (मNने ‹डbडो पे उसे Fदखाया),
उसे तम
ु दबा सकती हो और Jफर वो झड़ नहHं पायेगा। एक दो बार ऐसे रोकने से जब वह फाइनलH झड़ेगा तो
उसे बहुत मजा आयेगा। और एक बात ये है कe तम ु Jकoता दे र ल~ड मुँह मK रख सकती हो। yयादातर लड़Jकयां
4-5 @मनट मK हH थक जाती हN। पर Qैि8टस से तम
ु 15-20 @मनट तक भी चूस सकती हो। रोज ये ‹डbडो जो
तुम चूस रहH हो उसे चूस करके टाईम बढ़ा सकती हो। पर जब मुँह थक जाय ना तो उसे sनकालकर, उसे साईड
से, बाल तक चूम चाट सकती हो, ये दे खो सामने…”

सामने ¨eन पे वो लड़कe ल~ड बाहर sनकालकर पहले तो चाट रहH थी Jफर उसने अपनी दोन मत चूtचय के
बीच दबाकर रगड़ना शुu Jकया और कुछ दे र करने के बाद Jफर मुँह मK ले @लया।

“हां ऐसे हH, इससे मदw को कभी ये नहHं लगेगा कe तम


ु थक गयी हो। और हां yयादातर लड़Jकयां परू ा ल~ड मँह

मK नहHं ले पाती 8यकe मुँह 3 से 4 इंच तक गहरा होता है और कहHं तT
ु हारे भैया ऐसा ल~ड हो तो और… उसके
@लये Qैि8टस चाFहये। गले मK एक गैग kरƒले8स होता है, उसे ओवरकम करने कe Qैि8टस होनी चाFहये। हां ऐसे
और ऐंगल जरा ठ.क से। हां इससे करो Jफर क,चे केले से। 7-8 इंच तक तो मN घट सकती हूं, तुम भी घट
लोगी…”

तब तक ¨eन पे सीन बदल गया था। वह झुक के अपने पैर और हाथ के बल होकर ल~ड चूस रहH थी। तब
तक पीछे से एक और आदमी आ गया, वैसा हH तगड़ा, और उसका ल~ड खूंटे सा खड़ा था। उसने पीछे से उसकe
कमर पकड़ी और उसकe चूत के मुहाने पे रगड़ने लगा।

गुmडी का मुँह तो ‹डbडो से भरा था, उसने हाथ के इशारे से कहा- “दो-दो…”

मN मुˆकुरायी। उसके मुँह पे थकान के sनशान लग रहे थे तो मNने कहा- “अब sनकाल लो, 7-8 @मनट हो गये हN
चूसते हुये। पहलH बार के @लये काफe है , लेJकन रे गुलर Qैि8टस करो तो कम से कम 10-15 @मनट तक चूस
सकती हो। हां इसके @लये तT ु हK गाल कe मसbस और जबड़े कe कुछ रे गल ु र कसरत करनी पड़ेगी, वो मN तT
ु हK
@सखा दं ग
ू ी…” उसके गाल को सहलाते मN बोलH।

गुmडी- “भाभी, एक साथ दो-दो, बड़ी ताकत है इसमK …” चJकत होकर वो बोलH।

“अरे तुम मेरH ननद को कम समझती हो 8या? जbद हH तम


ु भी एक साथ दो 8या तीन-तीन को घांटने
लगोगी…” मNने उसे tचढ़ाया। उधर वो लड़कe Jफbम मK कसकर चूस रहH थी। उसने पूरा ल~ड घट @लया था और
दस
ू रH ओर उसकe चूत मK भी दस
ू रे आदमी ने अपना मोटा ल~ड पैबत कर Fदया था।

“दे ख कैसे उसने कम से कम 8 इंच घट @लया है । पूरे हलक तक इसे हH डीप ¸ोट कहते हN, मद© को इसमK
बहुत मजा @मलता है , तT
ु हारे भैया को तो पूछो मत, जब तम
ु उनका चूसोगी…”

75
गुmडी- “भाभी, 8या मN भी इoता मोटा ले पाऊँगी?” हbकe अवाज मK वो बोलH।

“एकदम… बस तम
ु मेरH बात मानती जाआ। और मN जैसे ‡े sनंग दं ू वैसे सीखो…”

“हां भाभी…” वो बोलH।

तब तक उस आदमी ने झड़ना शुu कर Fदया था। थोड़ी दे र तो वो उसके मुँह मK झड़ा और कुछ गाढ़े सफेद वीयw
कe बद
ूं K tगर के उसकe ठुmडी से होते हुए चूtचय तक पहुँच गयीं। Jफर उसने अपनी मोटH PपचकारH कe तरह के
ल~ड को बाहर sनकालकर उसके मुँह और चूtचय पे सारा रस बरसा Fदया। वो हँसकर उसे ले रहH थी।

“हां, एक बात और… ल~ड झड़ते समय कभी उसे sनकालने कe जbदH नहHं करनी चाFहये, 8यकe उसी समय मदw
को असलH मजा @मलता है । और खूब मजे ले-लेकर, वाद के साथ उसे घट लेना चाFहये और कहHं इधर-उधर
tगरे भी ना, तो उसे लेकर चाट लेना चाFहये या चtू चय पे मसल लेना चाFहये। चtू चय के @लये बहुत अ,छा
टाsनक है ये …” समझा के मNने कहा।

Jफbम मK भी, जैसे वो हमारH बात सुन रहH थी, उसने अपने गाल से गाढ़े वीयw का एक बड़ा सा थ8का हटाया
और उसे अपने गुलाबी हठ पे लगाकरके चाट @लया। पीछे कe उसकe चुदाई चालू थी। ल~ड सटासट अंदर जा
रहा था। मNने भी गुmडी कe चूत मK ‹डbडो अंदर-बाहर करना शुu कर Fदया। पर तभी मेरH sनगाह सामने रखे
बैगन पे पड़ी और उसे पकड़कर, ‹डbडो sनकालकर अंदर कर Fदया। चत
ू अ,छ. तरह गीलH थी इस@लये एक
झटके मK आधा बैगन अंदर चला गया।

उधर Jफलम मK वो लड़कe िजस मदw ने उसके मुँह मK चोदा था, उसके ल~ड को पकड़कर सहला रहH थी।

“दे खो, कैसे {यार से हbके-हbके सहला रहH है । याद रखो, ल~ड को चाहे हाथ मK लो या मँुह मK या चत
ू मK , उसे
बहुत {यार से ‡Hट करना चाFहये…” मN मुˆकुराकर बोलH।

गुmडी- “हां भाभी, इoता मजा जो दे ता है , हमK…” हँसकर वो बोलH।

पर उसकe sनगाहK चुदाई पे हH लगी थीं। कैसे उसकe चूत गपागप ल~ड घट रहH थी, कैसे वो लड़कe खुद पीछे से
ध8के दे रहH थी। 8लोज अप मK लग रहा था कe जैसे कोई Pपटन अंदर-बाहर हो रहा हो। मNने गुmडी के हाथ मK
बैगन पकड़ा Fदया और अब वो िजस तरह से ल~ड अंदर-बाहर हो रहा था उसी पीड से अपनी चूत मK उसे घस
ु ेड़
रहH थी। मN गुmडी कe उoतेिजत चूtचय को कसकर मसल रहH थी। तभी वो लड़कe पोज बदलकर आदमी के ऊपर
अ गयी।

गुmडी- “भाभी ये ?”

“अरे दे खती जाओ…” मN बोलH।

दे खते-दे खते वो ऊपर से सारा ल~ड घट गयी और Jफर 8लोज अप मK वो Fदखा रहH थी कe कैसे फुल पीड मK
ल~ड गपागप जा रहा था।

गुmडी भी उसी तरह अपनी बुर मK बैगन को अंदर-बाहर फुल पीड मK कर रहH थी।

तभी उस आदमी ने उसे अपने पैर से बांध @लया और पहला आदमी पीछे आकर खड़ा हो गया। अब उसने
अपना Jफर से खड़ा ल~ड उस लड़कe कe गा~ड मK लगा Fदया था। दोन हाथ से जबदw ती गा~ड tचयार के उसने
मोटा सप
ु ाड़ा उसकe दब
ु दब
ु ाती गा~ड पे लगा Fदया और कमर पकड़कर इoता कसकर ध8का मारा कe एक बार मK
हH वो पूरा सुपाड़ा लHल गयी। लड़कe के चेहरे पे हbका-हbका ददw साफ झलक रहा था। लेJकन बना ‰के उसने
दो तीन ध8के और कसकर मारे और आधा ल~ड बड़ी बेरहमी से घुसेड़ Fदया। 8लोज अप मK कसी गा~ड मK मोटा
मस
ू ल सा घस
ु ता ल~ड…

76
गुmडी कe sनगाहK वहHं tचपकe थीं और गुmडी हbके से बोलH- “भाभी, घट पायेगी ये इतना मोटा, Pपछवाड़े…”

“अरे दे खती जाओ मेरH बZनो, हम औरतK 8या-8या कहां-कहां लHल सकती हN, ये हमीं जानती हN और हां अगर
कोई ना-नक
ु ु र करे ना तो इसका मतलब है Jक वो sछनारपना कर रहH है और जबरदती उसको पेलना चाFहये।
तुTहारे भैया तो कहते हN- “भरपेट हो… तो गा~ड मारने का मजा हH और है …” उसकe चच
ू ी दबाते-दबाते, sनपल
कसकर खींचकर मN बोलH।

गुmडी- “मतलब, भाभी…”

तभी Jफbम मK उसने गा~ड से ल~ड सुपाड़े तक बाहर sनकाल @लया। 8लोज़ अप मK ल~ड मK लगी गा~ड कe
म8खन मलाई भी हbकe-हbकe Fदख रहH थी। उसने उस लड़कe कe दोन चूtचय को कसकर रगड़ते मसलते, एक
झटके मK ऐसा पेला कe उसका परू ा ल~ड जड़ तक समा गया और उसने धका-पेल गा~ड मराई शुu कर दH। अब
वो लड़कe भी, कस-कसकर पीछे कe ओर ध8के का जवाब ध8के से दे रहH थी।

“समझी मतलब मेरH बZनो, अपने भैया कe बात का… जब एक बार ल~ड अ,छ. तरह से गा~ड मK घस
ु जाता है
तो अंदर का ल^
ु ीकKट उसे अपने आप @मल जाता है । इस@लये वो कहते हN कe इoता अ,छा नेचरु ल ल^
ु ीकKट कहां
@मलेगा। बस एक बार गा~ड मK घस
ु ने कe दे र थी, दे ख अब कैसे सटासट गा~ड मरा रहH है …” उसकe ि8लट को
छे ड़ते हुये मN बोलH।

अब वो दोन ओर से कस-कसकर चुदा रहH थी। जब नीचे का ल~ड बरु मK अंदर जाता तो गा~ड मK घस
ु ा ल~ड
बाहर आ जाता और जब वो गा~ड मK परू H ताकत से अपना मूसल अंदर ठे लता तो नीचे वाला बुर से बाहर
sनकाल लेता।

गुmडी कe आँखK वहHं गड़ी थी और उसका हाथ अपने आप बैगन को उसी तरह फुल पीड मK बुर मK अंदर-बाहर
कर रहा था। मN {यार से उसके दोन Jकशोर उभार सहला रहH थी।

“सालH कैसे गपागप ल~ड घट रहH है…” गुmडी बोलH।

मN मन हH मन बहुत खुश हुई कe अब वो भी मेरH भाषा बोलने लगी है , अपने आप हH- “अरH बZनो, दे खना एक
Fदन तू भी ऐसे हH सटासट घटे गी। बस तू मेरH बात मानती रहH तो तझ
ु े तो मN ऐसी ‡े Zड कuंगी कe बड़ी से
बड़ी चुद8कड़ रं डी भी मात खा जाये…”

मेरH ओर मुड़के सहमsत मK उसने मीठ. sनगाह से दे खा और मNने कसकर उसके गुलाबी हठ का चुTमा ले @लया।
वह कसकर अपने चूतड़ उछाल रहH थी। थोड़ी दे र मK सामने Jफbम मK दोन मदw झड़ने लगे और उसी के साथ वो
भी कसकर झड़ गयी और दे र तक झड़ती रहH।

सामने दोन मद© ने अपने झड़ते हुये ल~ड बाहर sनकाले और उसकe चूtचय और चेहरे पे वीयw कe बाkरश कर
दH। और Jफbम मK उस लड़कe ने भी मजे ले-लेकर दोन का ल~ड, उसमK लगी म8खन मलाई, खब ू {यार से चाट
चूट के साफ कर Fदया।

गुmडी का झड़ना जैसे हH ‰का, शरारत से मNने उसकe ि8लट कसकर रगड़ दH और वो दब
ु ारा झड़ने लगी। मNने
दे खा कe बैगन उसकe गुलाबी चूत आbमोट पूरा घट चुकe थी। जब वो ‰क गयी तो मNने हbके से उसकe चूत
से रस से @लथड़ा, बैगन sनकालकर मेज पे रख Fदया। मNने {यार से उसे अपनी बांह मK बांध @लया था, मN उसे
दल
ु रा सहला रहH थी। और सामने ¨eन पे एक नया सीन चालू हो गया था।

एक लड़कe अपने को छू रहH थी, थोड़ी दे र उसने अपनी चत


ू पे अपनी हथेलH रगड़ी, दस
ू रा हाथ उसकe चूची पे
था। और Jफर थोड़ी दे र मK जब वो जोश मK आ गयी तो उसने अपनी बीच कe उं गलH अपनी चूत मK डाल दH और
बाकe दोन उँ ग@लयां चूत के साथ दोन भगो¥ठ को सहला रहHं थी।
77
गुmडी कe चूत दबोचती मN बोलH- “दे ख ये उं गलH कैसे कर रहH है ? सीख ले उँ गलH करना। तुTहारे भैया भी उँ गलH
बहुत अ,छ. करते हN। कभी तेरH कe है कe नहHं?”

तब तक Jफbम मK लड़कe ने अपना अंगूठा ि8लट पे लगाकर रगड़ना शुu कर Fदया।

गुmडी- “धoत, लेJकन भाभी भैया को आपको उँ गलH करने कe जuरत कैसे पड़ गयी?”

“अरे एक बार हम लोग बस मK जा रहे थे, रात का समय था। बस तुTहारे भैया, उZहने मेरे ऊपर मेरH शाल से
ढं का और लगे उँ गलH करने, पर मN 8य उZहK छोड़ती। मNने भी उनके पाजामK मK हाथ डालकर… पूरH खचाखच भरH
बस मK हम दोन झड़ गये…”

गुmडी- “पर भाभी, आपका ठ.क है लेJकन भैया का…”

“अरे पाजामे से बाहर sनकालकर शाल मK ढं के, मNने उनका अपनी अंजरू H मK रोप @लया…”

गुmडी- “Jफर?”

“Jफर 8या, मN गटक गयी सीधे अंजरू H से…” और हम दोन हँसने लगे।

अब सामने सीन मK एक लड़का भी आ गया था। पहले तो वह उसका ल~ड चूसती रहH Jफर उसके बाbस और
धीरे -धीरे वह बाbस और उसके Pपछवाड़े के बीच कe जगह कस-कसकर चाटने लगी।

गुmडी- “भाभी ये 8या?”

“हां… अरे ये जगह तो लड़क के @लये सबसे सK@सFटव है । पेरHsनयम, इसे हbके-हbके चाटकर पूरH तरह गीला कर
दो, दे खना गा~ड भी मजे मK आकर कैसे बुर कe तरह दब
ु कती है …”

तब तक मुझे सामने रखा दस


ू रा बैगन Fदख गया। उसे लाकर मNने सीधे गुmडी कe बुर मK हँसकर घुसा Fदया, ये
कहते हुये कe इसे भी तो मैkरनेट करना है । Jफर मNने उसे समझाया- “इसे अंदर-बाहर मत करना, जैसे तT
ु हK
समझाया है ना, बस कस-कसकर अपनी चूत @सकोड़ के छोड़ना, बना छुये। और हां सामने दे ख, सीख बड़ी
अ,छ. चीज है ये …”

अब वो आदमी पेट के बल था और लड़कe ऊपर। वह उसको कमर से चूमते हुये सीधे उसके sनतTब तक पहुँच
गयी और वहां कस-कसकर चूमने चाटने लगी। उसने कसकर दोन sनतTब को फैलाकर बीच मK सीधे उसकe
गा~ड पे चुTमा ले @लया।

गुmडी- “भाभी, वो तो उसकe…”

“अरे दे खती जा मद© को बहुत अ,छा लगता है इस तरह…” तब तक उसने उसकe गा~ड फैला दH थी और एक
छोटे से ल~ड कe तरह जीभ से उसकe गा~ड सहला रहH थी। चेहरे से लग रहा था कe वो आदमी Jकतना
उoतेिजत है , उसका ल~ड परू H तरह खड़ा हो गया था। उस लड़कe ने अचानक उसकe गा~ड, अपनी कोमल
उं ग@लय से फैलाकर अपनी जब
ु ान अंदर घस
ु ा दH और अंदर-बाहर करने लगी। धीरे -धीरे उसकe सारH जब
ु ान अंदर
थी और 8लोज मK साफ Fदख रहा था कe वो जीभ को गा~ड के अंदर-बाहर कर रहH है ।

गुmडी- “भाभी, वो तो… उसने तो जीभ उसकe गा~ड मK डाल दH…”

“दे ख, अरे वो मदw जोश से कैसे पागल हो रहा है …” मNने जवाब Fदया।

गुmडी- “पर भाभी गा~ड के अंदर और वो भी जब


ु ान अंदर, वो सब लोग…”

“अरे पगलH उस समय ये सब नहHं सझ


ू ता। तेरे भैया को भी बहुत अ,छा लगता है ये। और मN तT
ु हK बता दं ू कe
उoतेिजत करने कe सबसे तगड़ी तरकeब है ये। जब PवयाDा भी न काम करे तो ये काम आती है , एिZलगुअस।

78
एक बार तो तुTहारे भैया मुझे चोद-चोद के थक चुके थे, 3-4 बार कस-कसकर चोदा होगा उZहने और लग रहा
था कe अबकe Jफर से खड़ा होने मK टाइम लगेगा, लेJकन मNने यहH Jकया। उZहK छे ड़ते-छे ड़ते परू H तरह उनकe
गा~ड मK जीभ डाल दH और कसकर चाटा, चूसा, और उस समय डर, “झझक, sघन सब गायब हो जाती है बस
मजा आता है @सफw मजा और वैसे तो ल~ड भी कोई इसी बहाने मुँह मK लेने से मना कर सकता है , उससे भी
तो?”

गुmडी- “सच भाभी, भैया को अ,छा लगता है ?”

“बहुत… कई बार तो वो आJफस से जब थक के आते हN तो उनकe पीठ पे मसाज करने के साथ, जब मN उनकe
गा~ड का रगड़ के मसाज करती हूं और Jफर उZहK छे ड़ते हुए वहां चूमकर एन@लंगुअस करती हूं ना तो उनकe
सारH थकान तो गायब हो हH जाती है , वो उbटे पटक के मुझे चोद दे ते हN…”

गुmडी- “तो ये कहHये ना Jक आप चुदवाने के @लये ये सब करती हN। बेकार मK मेरे भैया को बदनाम कर रहH हN…”
हँसकर वो बोलH।

“अरे ये कहो कe इसी बहाने मN तेरे भैया कe गा~ड मार लेती हूं। हां, एक बात और… गा~ड मK उँ गलH करवाने का
भी अलग मजा है । जब वह बहुत दे र तक कभी नहHं झड़ते हN ना और चुदवा-चुदवा के मN थक जाती हूं ना, तब
उनकe गा~ड मK उँ गलH डालकर मN उनका Qो‡े ट दबा दे ती हूं, ’लैडर के ठ.क नीचे होता है ये और Jफर वो ऐसा
झड़ते हN, झड़ते हN कe पछ
ू ो मत…” उसकe ि8लट छे ड़ते मN बोलH।

इन मजेदार बात से और सामने चल रहे सीन से उसकe चूत ने कसकर पानी फKक Fदया था। अ,छ. तरह गीलH
हो गयी थी वो।

सामने सीन बदल गया था। एक औरत एक कम@सन लड़कe (गुmडी के बराबर कe उमर कe लग रहH थी वो) के
साथ {यार कर रहH थी, उसे बांहो मK भर के। कभी वो उसे चूम लेती हठ पे, कभी कंधे पे और हbके से उसका
गाल सहला रहH थी। धीरे से उसने उसके छोटे -छोटे उभार को सहलाना शुu Jकया और अब वो लड़कe भी
kरपांड कर रहH थी।

अनजाने मK हम दोन भी वहH फालो करने लगे, हमने भी एक दस


ू रे को Jकस करना शुu कर Fदया और जब उस
औरत के हठ उसकe कसी चत ू तक पहुँच गये थे तो मेरH sनगाह घड़ी पे पड़ी। उƒफ… शाम हो गयी थी और
राजीव के आने का समय होने वाला था तो मN उठ गयी।

***** *****06 भाग-6

गुmडी- “भाभी आपने अभी ये पाठ तो पढ़ाया हH नहHं…” उन दोन के चूत चाटने के ¹ˆय कe ओर इशारा करके
वो बोलH।

“वो भी बता दं ग
ू ी पर अभी इस बैगन से चलकर अपने भैया-कम-यार के @लये बैगनी तो बना, उनके आने का
समय होने वाला है …” और ये कहकर मNने उसकe चूत से बैगन खींच @लया, ‘ग{प’ कe आवाज के साथ। तो वो
sनकल आया पर उसकe चूत अभी भी पानी से भरH थी। मुझे एक शरारत सूझी और मNने एक पतलH कNडल पे
उसकe लेसी पNटH लपेट दH और परू H तरह उसकe चत
ू मK घस
ु ेड़ दH। थोड़ी दे र मK उसने सारा रस सोख @लया।
उसकe चूत कe दHवार से रगड़-रगड़ के मNने उसका सारा पानी पNटH मK लपेट Fदया, और sनकालकर अपने बेड के
पास रख Fदया और हम दोन नीचे Jकचन मK आ गये।

गुmडी ने जbदH से बेसन घोला और अपनी चूत के रस से @लपटे दोन बैगन काटने लगी। लेJकन मN उसको उसी
तरह छे ड़ रहH थी। उसकe कटw उठाकर कभी उसके गोरे चूतड़ को सहलाती, कभी जांघ के बीच मK हाथ डाल के,
चत
ू के दाने को छे ड़ दे ती।

79
गुmडी- “भाभी करना है तो ठ.क से कkरये ना ये 8या…” बनावटH गुसे से वो बोलH।

“ठ.क है , मेरH बZनो चल तू अपना काम कर, मN अपना काम…” और मN उसकe टांग के बीच बैठ गयी और उसने
भी अ,छ. तरह अपनी टांगK फैला दHं। Jफ़र मNने उसकe गोरH-गोरH जांघ पे एक छोटH सी चुTमी लH और Jफर
धीरे -धीरे उसे सताते, छे ड़ते आगे बढ़ने लगी। मेरH जीभ उसकe जांघ को सहलाती उसके sनचले गल
ु ाबी हठ तक
पहुँच गयी। मNने जानबूझ कर सीधे उसकe योsन को नहHं छे ड़ा बbकe जीभ से उसके भगो¥ठ को Jकनारे से
सहलाती रहH और ऊपर जाके ि8लट को छे ड़ Fदया।

बेचारH वो… वो tचbला पड़ी- “भाभी {लHज, कkरये ना…”

“8या, मेरH बZनो…” भोलH बनकर मNने पूछा।

गुmडी- “च@ू सये ना कसकर मेरH मेरH चत


ू …”

मN कौन होती थी अपनी {यारH ननद कe इ,छा न परू H करने वालH। मNने अब एक झटके मK कसकर उसकe कसी
Jकशोर चत
ू को अपने हठ के बीच मK दबा @लया और लगी कस-कसकर चस
ू ने।

थोड़ी हH दे र मK बेचारH कe हालत खराब थी।

पर मN, मुझे भी मजा आ रहा था उसकe @ससJकं या सुनने मK और मNने उँ गलH से उसके भगो¥ठ फैलाकर उसकe
चत
ू मK अपनी मोटH जीभ घस ु ेड़ दH। सच, बहुत अ,छा लग रहा था उसकe गीलH चत
ू का वाद, मN जीभ को
गोल-गोल अंदर घुमा रहH थी, कभी ल~ड कe तरह उसे कसकर अंदर-बाहर करके जीभ से हH चोदती। अपने हठ
से हH मN ि8लट भी छे ड़ रहH थी। थोड़ी दे र तक मN इसी तरह से रस लेती रहH। Jफर मNने जीभ sनकालकर उसकe
चत
ू के पीछे चाटना शu
ु Jकया और जब तक वो संभलती, मेरH जीभ उसकe गा~ड तक पहुँच गयी थी और वहां
भी मNने कस-कसकर चुTमी लH।

बेचारH गुmडी… और उस समय मेरH उं ग@लयां उसकe ि8लट छे ड़ रहH थीं। वह खुद अब अपनी चत
ू से ध8के मार
रहH थी। मेरे हठ ने एक बार Jफर उसकe चूत कe ओर Œयान Fदया। वह झड़ने के कगार पे थी। उसकe चूत
अ,छ. तरह गीलH हो गयी थी। पर मN अपनी {यारH ननद को इoते सते मK थोड़ी छोड़ने वालH थी। जब मुझे
लगा कe बस अब वो झड़ने वालH है तो मN ‰क गयी और वो बेचारH पानी से बाहर मछलH कe तरह तड़पती रहH।
जब वो थोड़ा ‰कe तो मNने Jफर से कस-कस के चूसना शुu कर Fदया। उसकe चूत अब पानी-पानी हो गयी थी।
दो-तीन बार कगार तक पहुंचा के मN ‰क गयी पर अब वो इoती दHवानी हो गयी थी कe उसने अपने बेसन लगे
हाथ से हH मेरे सर को पकड़कर अपनी चतू कस-कसकर मेरे मँुह पे रगड़नी शu
ु कर दH।

अब वह कस-कस के लाज शरम छोड़कर चीख रहH थी- “भाभी, ओ‚ह… ओ‚ह… {लHज चूसो… और कसकर… हां
ऐसे हH चूस लो मेरH चूत… हां हां कसकर चूसो…”

तभी बाहर घंटH बजी। राजीव आ गये थे।

लेJकन ऐसे मK घंटH कe आवाज कहां सुनायी पड़ती। मNने कसकर उसकe ि8लट चूस लH और अब वह कस-कसकर
झड़ रहH थी। उसकe चत
ू के पानी से मेरे हठ, मेरा चेहरा सब भर गया था। मNने अपनी जीभ उसकe चत
ू मK
डालकर अंदर का भी सब रस चाट @लया। और चूत दब
ु ारा पानी फKकने लगी। एक-एक बद
ूं मNने अपने हठ से पी
@लया। तब तक दब
ु ारा घंटH बजी।

“आती हूं…” मN बोलH। पर उठने के पहले एक बार बचा-खुचा चूत-रस, मNने Jफर से चाट @लया। जोश मK गुmडी कe
चूtचयां भी पoथर हो रहH थी, और कड़े sनपल तो… साफ-साफ टाप फाड़ रहे थे। मNने कसकर उसके sनपल Pपंच
Jकये और बाहर आ गयी। राजीव कुछ पूछते, उसके पहले हH मNने उZहK अपनी बांह मK भरकर कसकर चूमना शुu
कर Fदया।
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उनकe बहन का सारा चूत का रस जो मेरे हठ पे लगा था, उनके हठ पे @लथेड़ Fदया और अपनी जीभ भी
उनके मँुह मK घस
ु ेड़ दH। थोड़ी हH दे र मK वो भी कस-कसकर मेरे चत
ू -रस से लगे हठ को कस-कसकर चस
ू ने
लगे। शलवार-सूट मK मेरे कसे-कसे जोबन, मेरे टाइट कुतq से झांक रहे थे। मNने उZहK कसकर अपनी बांह मK भर
@लया और लगी अपने उभार उनके सीने पे रगड़ने। उनका खूंटा भी उनके जींस के अंदर से पूरH तरह सर उठा
रहा था। मNने उसे कसकर अपनी जांघ से रगड़ के अपने इरादे का अहसास करा Fदया।

तब तक गुmडी Jकचेन से sनकलकर आ गयी। अभी भी उसके उoतेिजत कड़े-कड़े Jकशोर sनपल, टाप को फाड़ रहे
थे और ^ा के बना जोबन का उभार साफ झलक रहा था। और उसके दोन हाथ मK बेसन लगा था।

मN थोड़ा अलग हो गयी। और राजीव… उनकe sनगाहK तो उसकe चूtचय को ऐसे घरू रहHं थी बस लग रहा था Jक
टाप फाड़ के अभी चूस लKगK। उसके बेसन लगे हाथ कe ओर उZहने दे खा और Jफर मेरे सर मK लगे बेसन कe
ओर और वो भी जैसे ललचाई नजर से जींस मK उठे उनके बbज को दे ख रहH थी।

“8य, चाFहए 8या?” उनके अब पूरH तरह खड़े खूंटे को मNने हाथ से पकड़कर उसे Fदखाते हुए पूछा।

गुmडी- “धoत…” वो बोलH।

और दोन झKप गये।

गुmडी- “मN तो @सफw ये बताने आई थी कe पकौड़ी बनने मK अभी थोड़ा टाईम है …”

“कोई बात नहHं, तब तुTहारे भैया कपड़े चK ज कर लKगK…”

जब वो मुड़ी तो मNने आँखK नचाके उनसे पछ


ू ा- “8य, कैसा लगा वाद?”

अबकe उZहने मुझे बांह मK भर @लया और कसकर मेरK हठ पे बचे-खुचे रस को चूमकर गुmडी के मटकते चूतड़
को घरू ते हुये बोले- “बहुत वाFद¥ट…” और अपने हठ पे जीभ फेर लH।

जींस के ऊपर से उनका ल~ड पकड़े पकड़े मN उZहK कमरे मK ले गयी और पैर से मारकर दरवाजा उठं गा Fदया। मN
उनके घुटन के बीच बैठ गयी और उZहने अपने पैर फैला Fदये। ल~ड तो लग रहा था कe जींस फाड़ के हH दम
लेगा। मN उनका इरादा अ,छ. तरह समझ रहH थी पर मN भी शरारत के मूड मK थी।

पहले मNने उनके जत


ू े उतारे , Jफर मोजे। Jफर मNने उनके तलुओं पे Jकस Jकया Jफर पैर पे, Jफर जींस के ऊपर से
Jकस करते हुए मN उनके बbज तक पहुंची और बbज के चार ओर Jकस Jकया पर ‘वहां’ नहHं। उनकe हालत
दे खने लायक थी। मNने Jफर धीरे -धीरे उनकe शटw के बटन खोले और Jफर एक साथ शटw और बsनयाइन उतार दH।
मN अब खड़ी हो गयी थी। उनकe पलक पे Jकस करके मNने उसे मूंद Fदया और Jफर हbके से कान के लो’स को
काट @लया। मेरH जबु ान उनके कान के अंदर छे ड़ रहH थी और वहां से चुTमी लेते हुए मN सीधे उनके सीने पे आ
गयी। जीभ से मNने उनकर sनपल के चार ओर हbके-हbके सहलाया, और Jफर {यार से खड़े sनपल को हbके से
काट @लया। वो मती से @ससJकयां भर रहे थे। थोड़ी दे र इसी तरह उZहK तड़पाने के बाद मN Jफर उनके पैर के
बीच बैठ गयी और हथेलH से जींस के ऊपर से हH उनके खूंटे को कसकर दबा Fदया। Jफर झुक के मNने अपने
हठ से उनकe िजप खोल दH। उधर मेरे हाथ बेbट ढHलH कर रहे थे।

उनका ल~ड इoते झटके से बाहर sनकला कe मN भी च˜क गयी। मती के मारे उसकe हालत खराब थी। लेJकन
मNने भी पहले उनके उिoथत @लंग के बेस पे एक चुTमी लH। छोटH-छोटH चुTमी लेते हुये सप
ु ाड़े के ठ.क पहले
आकर ‰क गयी। सुपाड़ा गुसे से जैसे फूल के आग हो रहा था। मNने उनके बाbस को चूमना, जीभ बाहर
sनकालकर कस-कसकर चाटना शुu Jकया और मेरा एक हाथ उनके Pवशालकाय ल~ड को सहला रहा था। वो
इoता मोटा था कe बड़ी मुिˆकल से मेरH मु–ी मK आरहा था। मNने कुछ दे र उनकe एक बाल को मुँह मK लेकर
चूसा।
81
पर मN दे ख रहH थी कe जोश के मारे वो इoता कड़ा हो गया था कe उसकe एक-एक नस साफ Fदख रहH थी। अब
मेरा मन भी ललच रहा था। मNने अपने रसीले, लाल @लPपटक लगे हठ से हH उनके सप
ु ाड़े को पकड़कर, उसके
चमड़े को धीरे से हटाया, जैसे कोई सुहागरात को दb
ू हन का घूंघट हटाये। एक हbकe सी चुTमी मNने उनके लाल
मोटे सुपाड़े पे लH और Jफर अपनी जीभ से उनके पी-होल को छे ड़ा। मेरH जीभ नीचे जाके सुपाड़े के sनचले Fहसे
को चाट रहH थी और Jफर मNने एक झटके मK होठ से उनके सप ु ाड़े को रगड़ते हुए एक बार मK परू ा सप
ु ाड़ा ग{प
कर @लया। मेरे हठ उनके कोरोना (जहां सुपाड़ा बाकe ल~ड से जड़ ु ता है ) को कसकर रगड़ रहे थे और नीचे से
जीभ लपालप चाट रहH थी। मेरे हाथ कभी उनका ल~ड सहलाते कभी बाbस।

उoतेिजत होकर मेरा सर पकड़कर मेरे सैयां ने जो ध8का मारा कe एक बार मK हH उनका आधा ल~ड मेरे मुँह मK
समा गया। मN कस-कसकर उसे चूस रहH थी चाट रहH थी और मेरा एक हाथ ल~ड के बेस से दबाते हुए उसे ऐसे
sनचोड़ रहा था जैसे कोई गाय के थन से दध
ू दहू े । थोड़ी दे र मK हH आँख बंद करके वो कस-कसकर @ससJकयां
भर रहे थे। काफe दे र पूरH ताकत से चूसने के बाद मNने ल~ड मुँह से बाहर sनकाला तो एक हbकe सी आवाज ने
मेरा Œयान दरवाजे कe ओर खींचा।

वहां गुmडी खड़ी थी और खूब Œयान से दे ख रहH थी।

मNने उसके भैया के ल~ड को मु–ी मK पकड़कर उसे Fदखाते हुए इशारे से पूछा- चाFहये?

उसने मुˆकुराकर सर Fहला के उसी तरह, इशारे से जवाब Fदया- “हां…”

मNने उसे Fदखाकर पूरा सुपाड़ा हठ के बीच लेकर चूस @लया और Jफर उसे Fदखाया।

उसने भी अपने हठ गोल करके उसी तरह ऐ8शन Jकया मानो वहH चूस रहH हो। उसे Fदखाते हुए मN साईड से
चूम रहH थी िजससे उसे अपने भैया के ल~ड का पूरा दशwन @मले। मNने अपने कुतq के बटन भी खोल @लये थे
और Jफर मNने ल~ड को अपनी चूtचय के बीच हbके से रगड़ना चालू Jकया। Jफर गुmडी को Fदखाकर मNने अब
आधा ल~ड गड़प कर @लया और कस-कसकर चूसना शुu कर Fदया।

उसने दरू से ल~ड को एक ƒलाइंग Jकस Jकया और वापस Jकचेन मK चलH गयी।

अब वो झड़ने के बहुत करHब थे। मN भी कस-कसकर चस ू रहH थी। उनका लगभग परू ा ल~ड अंदर था और मN
अपने हलक पे उनके सुपाड़े कe चोट महसूस कर रहH थी। दो चार बंद
ू K Qी-कम Jक sनकलHं और ल~ड मK
सुरसुराहट महसूस होने से मN समझ गयी कe अब वो झड़ने के करHब हN। मNने थोड़ा सा ल~ड बाहर sनकाला और
उसके बेस के पास दबाकर कस-कसकर चस
ू ने लगी। जैसे हH मNने Qेशर थोड़ा हbका Jकया, ल~ड से गाढ़े सफेद
¨eम ऐसी वीयw कe धार फूट पड़ी। मNने सब अपने मुँह मK ले @लया पर घटा नहHं। वीयw से मेरे गाल फूल के
कु{पा हो गये। मेरH शरारती उं ग@लय ने, पीछे जाके उनकe गा~ड पे छे ड़ Fदया और वो Jफर दब
ु ारा झड़ने लगे।
अबकe बहुत रोकने पे भी कुछ मेरे हठ से होता हुआ ठुmडी पे पहुँच गया। मNने उसे भी उँ गलH से लपेट के अपने
हठ पे लगा @लया और Jकचेन मK पहुँच गयी।

वहां गुmडी को पकड़कर अपनी बाह मK भीच के, मNने उसे कसकर चूम @लया और अपने हठ उसके हठ से
सटाकर सारा का सारा उसके भैया का वीयw उसके मुँह मK ढकेल Fदया। मेरH जीभ उसके मुँह के अंदर थी और मेरे
एक हाथ ने उसके टाप के सब बटन खोलकर उसकe चूtचय को कसकर मसलना रगड़ना भी शुu कर Fदया था।
वो भी नंबरH sछनार। उसने मजे से सब गटक @लया। जब मNने मुँह हटाया तो कुछ उसकe ठुmडी पे लगा था और
एक धार गले पे भी थी। मNने सब समेटकर उसके हठ पे लगा Fदया और टाप के अंदर हाथ डालकर उसके एक
sनपल को कसकर Pपंच कर Fदया।

82
मेरे मायके मK Jकसी ने… शायद मेरH मTमी ने हH बताया था कe अगर Jकसी लड़के को लड़कe के चूत का और
लड़कe को लड़के के ल~ड का रस चखा दो तो वो उसका दHवाना हो जाता है । और ये तो… अगर @सफw लड़कe के
चूत से लगा कपड़ा भी लड़के को लगा दो या लड़कe को लड़के के रस से लगा कपड़ा, तो भी वो दोन एक दस
ू रे
के दHवाने हो जाते हN और शमw @लहाज भूलकर एक दस
ू रे को चोदते हN। कोहबर मK ये F‡क मेरH बुआ और भाभी
ने राजीव के साथ कe थी। उनको कोहबर मK जो पान “खलाया था, उसमK मेरे रस से @लथड़ी सप
ु ाड़ी डालH हुई थी।
मुझे प8का अंदाज था Jक इस टोटके का असर गुmडी और मेरे सइयां पर भी होगा।

हम लोग ने @मल-जल
ु के नाˆता लगाया और मN राजीव को बल
ु ाने के @लये चलH गयी। वो मह
ँु धोकर sनकले तो
मNने दे खा Jक जो छोटा सा बमुड
w ा और एक ‡ाZलुसKट लHलेस टH-शटw sनकालकर गयी थी, वहH वो पहने थे।
नाˆते कe मेज पे मN उनके बगल मK बैठ. थी और गुmडी ठ.क सामने। उनकe sनगाहK गुmडी के खुले टाप से
झांकती गहराईय और उभार पे गड़ी थीं।

गुmडी ने अपनी उस ‘खास’ बैगनी को {लेट मK sनकालते हुए झुक के Fदया- “भैया, ये आपको कल पसंद आयीं थी
ना आज मNने ढे र सारH बनाई है , मन भरकर लHिजये…”

और जब उसने ये कहा तो दोन कe sनगाहK @मल गयी। जैसे दोन ने एक साथ उसका दोहरा मतलब समझ
@लया हो, दोन शरमा गये।

पर मN कहां छोड़ने वालH थी- “हां, मन भरकर लेना, आज तुम लेते-लेते थक जाओगे पर ये दे ते-दे ते नहHं
थकेगी…” और ये कहते हुए मNने बारमुडा के अंदर हाथ डालकर उनके ल~ड को हbके से दबा Fदया और अब वह
Jफर टनटनाने लगा।

गुmडी- “धoत भाभी आप तो बस…” शरमाकर वो बोलH

“वाकई बहुत अ,छा है , आज तो मN मन भरकर खांउगा…” बैगनी खाते हुये वो बोले

“यहH बात तो मN भी कह रहH थी पर आपकe ये बहन ना, िजसके मन मK चोर होता है वो वैसा हH समझता है …”
मNने जड़ा।

मN दे ख रहH थी कe न @सफw राजीव उसके Jकशोर उभार को मन भरकर घरू रहे थे बbकe वो भी उनकe बाइसे{स
और तगड़ी मसbस को Qशंसा भरH sनगाह से दे ख रहH थी। अबकe जब वो दे ने के @लए झुकe तो कुछ जuरत से
yयादा हH झुक गयी थी। और राजीव के @लये तो सुनहला मौका था। उसका पूरा कटाव और 8लHवेज Fदख रहा
था। गहराई के बीच मK फंसा एक सफेद बड़ा सा थ8का फंसा था। गुmडी ने परू H {लेट खालH कर दH और बेचारे
को खाना पड़ा।

“दे ख तम
ु दे रहH हो तो कैसे {यार से…”

गुmडी- “अरे भाभी और 8या आप तो मेरे भैया से @सफw मेहनत करवाती हN “खलाती तो हN नहHं…”

“तो ठ.क है आज खाना तुTहHं बनाना और अपने भैया को खूब {यार से दे ना…”

“नहHं मुझे भूख नहHं है और जbदH से सोना है …” वो बात काटकर बोले।

गुmडी- “भैया सोने कe जbदH है या भूख कम है …” वो बड़ी अदा से बोलH।

मेरH ओर दे खकर बड़े अथw पण


ू w ढं ग से वो बोले- “दोन…”

उनका मतलब समझ के मNने बमुड


w ा मK उनके ल~ड को इस तरह से कसकर खींचा कe सुपाड़े से चमड़ा हट गया
और अब तो वो परू H तरह से Jफर खड़ा हो गया था।

83
गुmडी- “कोई बात नहHं भैया, अभी मN बस आधे घंटे मK चाइनीज़ बना दे ती हूं। मुझे मालूम है आपको बहुत पसंद
है बस आप लोग को बेडuम मK कोई दे र नहHं होगी…”

वो अपने कमरे मK चले गये और हम दोन Jकचेन मK। उसके चूतड़ पे कसकर मार के मN बोलH- “भैया कe दल
ु ारH,
चलH हN जbदH से…”

गुmडी- “अरे भाभी, भैया को वो वालH भूख नहHं है। लगता है Jकसी और चीज कe भूख है…” मुझे कसकर पकड़कर
वो बोलH।

“अरे तू ये वालH भूख @मटाने मK एकपटw हो गयी है तो वो वालH भी @मटा दे ना…” मNने tचढ़ाया।

गुmडी- “@मटा दं ग
ू ी भाभी, @मटा दं ग
ू ी। बस दे खती रFहये अपनी इस ननद को…” कड़ाहH मK नूडल डालते हुये वो
बालH।

मN ऊपर आई बेडuम ठ.क करने पर उZहने पकड़ @लया- “हे जbदH आना ना…”

“अरे बाबा अभी घंटे भर भी नहHं हुयK हगे। इसका मन भरता हH नहHं…” बमुड
w ा के ऊपर से शरारत से उनके ल~ड
को सहलाते मN बोलH।

“बहुत मन कर रहा है …” वो बोले। वातव मK उनका ल~ड लोहे कe राड कe तरह सªत था।

“मुझे मालूम है 8य कर रहा है , अपने उस Jकशोर माल के उभार दे खकर, कहो तो उसी को भेज दं ू िजसने
इसका ये हाल Jकया है …” मNने बमुड
w ा के अंदर हाथ डालकर कसकर उसे दबाते हुए कहा।

“खाना तैयार है …” नीचे से जोर से गुmडी कe आवाज आई।

‹डनर टे बल पे अबकe मN उनके और गुmडी के बीच बैठ. थी।

“तम
ु ने तो कमाल कर Fदया…” वो बोले- “वाकई, नड
ू bस, |ाईड राईस, tचलH पनीर सब कुछ और इoती जbदH…”

उसने राजीव कe {लेट मK थोड़ा-थोड़ा Fदया।

“हे भैया को दे ने मK इoती कंजस


ू ी कर रहH हो…” मNने उसे छे ड़ा।

गुmडी- “अरे तो आप दे दHिजये ना…” अब वो भी ¤वीअथl संवाद बोलने मK ए8पटw हो रहH थी।

जब वो मेरH {लेट मK डालने लगी तो राजीव बोले- “आज अपनी भाभी को भर पेट “खलाना…”

वो समझ गयी। Fदन मK मNने उससे खुद कहा था Jक जब राजीव का मेरे Pपछवाड़े का मन होता है तो मुझे
जबरदती करके खब
ू “खलाते हN, िजससे उसने आँख नचाकर अथपण
ूw w ढगw से कहा- “अरे भाभी, पती कe बात नहHं
टालते…” और मेरH {लेट मK ढे र सारा नड
ू bस और राइस उड़ेल Fदया।

उन दोन ने @मलकर मुझे जबरदती करके यहां तक कe अपने हाथ से इसरार करके, खूब “खलाया। लेJकन मN
उसका बदला राजीव से ले रहH थी। मेरे हाथ ने उनका ल~ड बमुड
w ा से बाहर sनकाल @लया था, और कसकर रगड़
मसल रहH थी। बाद मK राजीव के @लये वो चांदH के œलास मK दध
ू ले आई और अपने हाथ से Pपलाया। उसमK ढे र
सारH जड़ी-बूटH पड़ी थी। मN समझ गई। मNने हH उसे @सखाया था कe इसका असर PवयाDा से भी दन
ू ा होता है ।
इसके बाद वो Jफर मेरे बगल मK आकर बैठ गयी।

“बहुत वाFद¥ट चाइनीज़ था…” राजीव बोले।

“अरे तो इसको इनाम भी तो दHिजये ना…” मN बोलH।

“अरे तो बोलो ना… जो मांगो, वो @मलेगा…”

84
“उसे तो बस यहH चाFहये …” मNने गुmडी का हाथ पकड़कर राजीव के पूरH तरह खड़े मोटे ल~ड पे रखकर उसे
पकड़ाते हुए कहा।

गुmडी- “धoत भाभी…” हाथ छुड़ाते हुए वो बोलH।

पर मN भी जब तक उसने एक बार कसकर पकड़ नहHं @लया, ल~ड उसके Jकशोर हाथ से दबाये रहH। वो ऊपर
खाने के बाद बेडuम मK चले गये और मN गुmडी के साथ लगकर जbदH-जbदH Jकचेन समेटने चलH गयी। मुझे
जbदH करते दे खकर वो मुˆकुराकर बोलH- “भाभी, आज बड़ी जbदH है …”

मN 8या बोलती। मNने बात बदल के पलट वार Jकया- “8य दे ख @लया ना मेरे सैयां का, उनका बड़ा था या उस
Jफbम मK , जो उसे दे खकर तुम घबड़ा रहH थी…”

गुmडी- “19-20 रहा होगा। भाभी…”

“Jकसका 20 रहा होगा…”

गुmडी- “मेरे भैया का भाभी, 20 8या 22 होगा, पर भाभी मान गये आपको। इoता लंबा और मोटा घट लेती हN
हँस-हँस के…”

“अरH बZनो तू भी घट लेगी जbद हH। रस तो आज सटक हH गयी पूरा…” ऊपर से कसकर उसकe चूत दबोचते
हुये मN बोलH।

अब बात बदलने कe उसकe बारH थी। उसने बड़े इसरार से कहा- “भाभी, एक बात कहूं पर Qो@मस कkरये, हां
कFहयेगा…”

“हां… अरे इoती {यारH से8सी ननद को Jकसकe FहTमत है मना करने कe…”

गुmडी- “भाभी, आज कूल से आ रहH थी तो वो @मला था, बहुत kर8वेट कर रहा था…”

“Jकस बात कe?” समझ तो मN रहH थी पर मN चाहती थी कe वो खुलकर बोले।

गुmडी- “वहH, उसी के @लये। @मलना चाहता है कुछ दे र के @लये…”

“अरे साफ-साफ 8य नहHं कहती चोदना चाहता है तुझे Jफर से। नहHं, अभी दो Fदन हH तो हुए हN…”

गुmडी- “{लHज भाभी, दे “खये मN आपकe सब बात मानूंगी। मेरH अ,छ. भाभी…”

“अ,छा बोल, तेरा भी मन कर रहा है …” उसके गाल पे चुटकe काटकर मNने पूछा।

गुmडी- “हां भाभी, बहुत…”

“तो ठ.क है दो-तीन Fदन मK तुTहारा कुछ जग


ु ाड़ करवा दं ग
ू ी…”

तब तक Jकचेन का काम खतम करके हम लोग बाहर आ गये थे और मN नाइटH पहन रहH थी। मNने उसको भी
वैसी हH गुलाबी आbमोट पारदशl नाईटH पहनने को कहा।

तो पहले तो उसने थोड़ा नखड़ा बनाया Jफर मान गई।

मNने उसे Jफर छे ड़ा- “अरे इस नाइटH मK एक बार अपने भैया के सामने चलH गयी ना तो बना चोदे छोड़Kगे नहHं…”

गुmडी- “धoत भाभी…” अबकe वो Jफर शरमा गयी।

“अरे ये शरमाना छोड़ मेरH बZनो, दे ख तझ


ु े दे खकर उनका खड़ा हो जाता है जो आज तन
ू े खुद पकड़कर दे ख
@लया। मन तो तेरा भी करता है । वैसा मत हtथयार और कहHं @मलेगा नहHं और तू खुद मान चुकe है कe तम

85
दोन का पहले से कुछ च8कर था, तो ये @मडल 8लास Fह{पो¨ेसी छोड़ और खुलकर मजा ले, ऐसा मौका Jफर
दब
ु ारा @मलेगा नहHं। और वो तो शरमाते हH रहते हN तुTहK हH पहल करनी होगी…”

“जो हुकम मेरH भाभी…” हँसकर वो बोलH और हम दोन ने कसकर एक दस


ू रे को पकड़ @लया।

तब तक मेरH sनगाह, `ाअर मK रखे ‹डbडो और वाइ^ेटर पर पड़ी जो शाम को मNने उसे Fदया था। मNने उसे
समझाया कe आज रात कम से कम 20 @मनट तक ‹डbडो से चूसने कe Qैि8टस करे और दो-तीन बार और कैसे
‘रै बीट’ से चूत और ि8लट दोन पे एक साथ मजा लेते हN।

जब मN चलने के @लये मुड़ी तो वो मेरे चूतड़ को दबाकर हँसकर बोलH- “बहुत मटक रहे हN ना, आज लगता है
इधर हमला जuर होगा…”

मN मुˆकुरा दH।

उसने मेरH गा~ड कe दरार मK उँ गलH लगाते हुए मुझे tचढ़ाते हुए, हँसकरर गुनगुनाया, बच के रहना रे बाबा, बच
के रहना रे ।

जब मN ऊपर बेडuम मK पहुँची तो वो बेताब थे। चŸर के अंदर तंबू तना हुआ था। मNने नाइटH उतारH हH थी और
गुलाबी लेसी ^ा उतार रहH थी कe उZहने मुझे अपने ऊपर खींच @लया और ^ा के ऊपर से हH मेरे जोबन का रस
लेने लगे।

“हे इoते बेसबरे 8य हो रहे हो? आ तो गयीं हूं ना तुTहारे पास…”

उनके ऊपर का चŸर हट चक


ु ा था और वो सारे कपड़े उतारकर लेटे थे, ल~ड तो मारे जोश के बेताब था। एक
झटके मK उZहने मेरH ^ा उतार फKकe और कस-कसकर मोटH-मोटH चूtचय का रस लेने लगे। कभी चाटते, कभी
मेरे कड़े-कड़े चूचूक पकड़कर चूसते। Jफर एक झटके मK जैसे कोई Jकसी “खलाने कe गु‹ड़या को उठा ले, उZहने
मझ
ु े उठाकर अपने ऊपर बैठा @लया।

मेरH पNटH सीधे उनके मुँह पे थी और वह लेसी पNटH के ऊपर से हH रसपान करने लगे। Jफर पNटH थोड़ी सी सरका
के, उZहने अपनी जीभ मेरH चूत के चार ओर Jफरानी शुu कर दH। मेरH तो मती के मारे आँखK मुंदH जा रहH
थीं कe उZहने पNटH भी खींच फKकe। अब मN उनके ऊपर खड़ी सी थी और वे अपने हठ से, जीभ से कसकर मेरH
चूत रगड़ रहे थे और मN भी उसी तरह जवाब दे रहH थी। उZहने कसकर मेरH चूत कe दोन फांक को अपने
हठ के बीच जकड़ा और चूसने लगे। उनकe जीभ कभी मेरH बुर के भीतर घस
ु के, उसे ल~ड कe तरह चोदती,
कभी ि8लट को सहलाती।

मN अपनी चूत मK तेज सरसराहट महसूस कर रहH थी, मेरे मुँह से @ससJकयां sनकल रहH tथं, मेरH चूत पानी-पानी
हो गयी थी, और तभी उZहने मेरH ि8लट को हbके से काट @लया। मेरH पूरH दे ह कांपने लगी मुझे लगा कe मN
झड़ने जा रहH हूं, पर राजीव… उZहने मझ
ु े उसी हालत मK उठाकर बतर पे पटक Fदया और मेरH टांगK दहु रH
करके अपना मोटा ल~ड एक झटके मK मेरH बुर मK पेल Fदया। उZहने इoता करारा ध8का मारा कe इoते Fदन से
उनसे चुदवाने के बाद भी मेरH चीख sनकल गयी।

चूत के अंदर सुपाड़ा, उसे फैलाता चीरता पूरH ताकत से घुसा।, और अगले ध8के मK वो सीधे मेरH ब,चेदानी से
जा टकराया और मN कसकर झड़ने लगी। मेरH आँखK बंद हो गयी थीं, दे ह पूरH तरह कांप रहH थी, चूत @सकुड़-फैल
रहH थी और लग रहा था अंदर-अंदर हH पानी sनकल रहा है । वो वहHं ‰क गये पर उनके शरारती हाथ, वो वैसे हH
ि8लट को छे ड़ते रहे । मN जैसे हH थोड़ी सामाZय हुई उZहने कसकर ध8के लगाने शुu कर Fदये, जैसे कोई मोटा
Pपटन फुल पीड से अंदर-बाहर हो। परू ा का पूरा ल~ड बाहर sनकालकर वो परू H ताकत से अंदर पेल दे ते। जैसे
कोई धsु नया ‰यी धुने, वैसे उZहने मझ
ु े धुन के रख Fदया।

86
लेJकन कुछ दे र मK मN भी जवाब दे ने लगी। जब वो ध8का मारते तो जवाब मK मN भी नीचे से उoते हH जोश से
चत
ू ड़ उछालती, जब उनके नाखून मेरे तन और कंध पे sनशान बनाते तो मN भी उसी जोश से उनकe पीठ
खरच लेती। और मेरH चूत भी कस-कसकर अब उनके ल~ड को sनचोड़ रहH थी। ध8का मारने के बाद वो अपने
ल~ड के बेस से मेरH ि8लट रगड़ दे ते, तो मN गनगना उठती। लेJकन मN भी अपनी चूत उठाकर कसकर जवाब
दे ती। चोदते-चोदते हH उZहने उठाकर मझ
ु े अपनी गोद मK बैठा @लया और अब वो मझ
ु े पकड़कर ऊपर-नीचे करके
चोद रहे थे।

मNने भी उZहK कसकर अपनी बाह मK बांध @लया और अपनी रसीलH चtू चयां उनके चौड़े सीने पे रगड़ने लगी।
उनके न जाने Jकतने हाथ हो गये थे और Jकतने हठ। वो कभी मेरे sनपल मसलते रगड़ते, कभी ि8लट, कभी
कचकचाकर चूची काट लेते, कभी गाल और कभी sनपल चूसने लगते। चोदते-चोदते हH उZहने मुझे घोड़ी बनाकर
कस-कसकर चोदना शu
ु कर Fदया।

और अब हम लोग खूब मती मK बोल रहे थे- “हे बोल मजा आ रहा है चुदवाने मK …”

“ओ‚ह… हां लग रहा है … हां ऐसे हH और कसकर पेलो, पूरH ताकत से ओ‚ह…”

“ले ले मेरा परू ा ल~ड ले ले…”

“दो… दो हां राजा हां ऐसे हH… ओ‚ह… चोदो, चोद दो मेरH चत
ू …”

“लो रानी ओ‚ह… कैसी मत चूत है तT


ु हारH ओ‚ह…”

“ऐसी हH चोदना मेरH ननद कe भी, बड़ी रसीलH चूत उसकe भी है । फाड़ दे ना सालH कe बड़ी चुदवासी है …”

“अरे पहले तू तो चुदा, हां चोद दं ग


ू ा उसकe भी…”

“चोद-चोदकर भोसड़ा बन दे ना उसकe चूत का…”

“हां रानी हां ओह ओह…”

और Jफर हम दोन एक साथ झड़ने लगे। बहुत दे र तक उनके वीयw कe धार मेरH चूत मK बरसती रहH और मNने
भी sनचोड़कर उनकe एक-एक बद
ंू अपनी बरु मK सोख लH। लग रहा था कोई तफ ू ान गजु र गया हो। काफe दे र
तक हम लोग अगल-बगल लेटे रहे ।

Jफर उनके चौड़े सीने पे अपना सर रखकर मN बोलH- “हे एक बात कहूं? लेJकन पहले बोलो मानोगे…”

“अरे तेरH बात टालने कe मेरH FहTमत, बोल ना… कभी टालH है तेरH कोई बात…” {यार से मेरे हठ को चूमते हुये
बोले।

“अरे तेरे माल के बारे मK। दे खो, आज कैसे तुTहK खुलकर लाइन मार रहH थी, अपने जोबन का नजारा Fदखा रहH
थी। अब तो बना चोदे उसको तम
ु छोड़ना मत, लेJकन मN आगे कe बात कह रहH थी। होलH मK हम आयKगK ना
तब उसके भी इTतहान खतम हो चुके हगे और छुF”यां शुu हो जायKगी। तब हम लोग उसको साथ ले चलKगK
Jफर, मN उसको तुTहारH रखैल बनाना चाहती हूं…”

“मतलब?” अब वो उठकर बैठ गये थे।

और मN उनके सीने पे अपने नाखून से उनके sनपल िƒलक कर रहH थी- “मतलब ये कe वो तुTहारH रखैल बनकर
रहे गी, तम
ु जब चाहोगे, जैसे चाहोगे, जहां चाहोगे, उसकe ले सकते हो, रात मK अपने साथ हH सुलायKगे तT
ु हारा
सारा काम भी करे गी…”

“वो तो ठ.क है , पर तेरा 8या फायदा होगा? जानम…” मुझे बांह मK भरकर मेरH चूtचयां हbके से दबाते वो बोले।

87
मN दे ख रहH थी कe अब उनका ल~ड एक बार Jफर से टनटनाने लगा था।

“अरे तुTहK मजा @मलेगा, सुख @मलेगा तो मुझे भी तो अ,छा लगेगा। तम


ु अ8सर दौरे पे चले जाते हो तो मुझे
भी कंपनी रहे गी। अरे मN भी उसे भोगूंगी। अभी तो से8सी “खलौन से काम चलाती हूं, पर वो साथ रहे गी तो
उससे बFढ़या “खलौना और कहां? उससे चटवाऊँगी, अपना शहद चखाऊँगी उसे और…”

“@सफw शहद या खारा शरबत भी…” हँसकर वो बोले।

“सब कुछ…”

“सब कुछ मतलब… शरबत के अलावा भी?”

“और 8या, शरबत के अलावा और भी, कुछ भी नहHं छोडूग


ं ी सब कुछ Pपलाऊँगी, “खलाऊँगी, पचा पचाया, हर
चीज का वाद चखाऊँगी और सीधे से नहHं मानेगी ना तो हाथ पैर बांधकर। जबरदतीर सब कुछ ‡े Zड कर दं ग
ू ी,
सब ‡ाई करवाऊँगी उससे, आ“खर मेरH {यारH ननद जो है , पर पहले बोलो…”

“हां हां… एकदम बहुत सहH आइ‹डया है तुTहारा…”

“तो ठ.क है कल से ये तुम दोन का भाई बहन का नाटक बंद। अब कल से तम


ु उसे एक मत चुदवासी माल
कe तरह ‡Hट करना…”

“एकदम मेरH रानी…” मत होकर उZहने अब मुझे अपनी गोद मK बठा @लया था और कसकर मेरH चूची मसल
रहे थे। उनका ल~ड भी अब खूंटे कe तरह मेरH गा~ड मK धंस रहा था।

“सालH खुद हH इoती चुदवासी हो रहH है तो मN 8य छोडूं…” मेरा गाल काटते हुये वो बोले।

“और 8या? एक और बात… तम


ु ने दे खा कe खाना तो वो अ,छा बनाती हH है , मNने सोचा कe अब वो तT
ु हारा
सारा काम धाम करे । होलH के बाद गोलH (वो नौकरानी जो मेरे मायके से आई थी और िजसका मेरे मायके वालH
होने के कारण ये सालH कe तरह भी इˆतेमाल कर @लया करत थे) दो महHने कe छु”ी जायेगी। तो वो रहे गी काम
मK भी हे bप रहे गी।

“छु”ी 8य?”

“अरे बयाने…” हँसकर मN बोलH।

“अरे … पर तुम तो कह रहH थी Jक उसका मदw Jकसी काम का नहHं है तो वो?”

“अरे बनते हो। उसके गौने के पहले तो एक हƒते तक तम


ु ने उसे रगड़ के चोदा था, Fदन मK तीन-तीन बार और
वो उसका फFटw @लटH पीरHयड था, खुद हH गा@भन Jकया और अब? गौने मK वो गयी तो उसने अपने मदw को
बेवकूफ बनाया। Jकसी तरह उसका डलवा @लया। और वो बेचारा तो ऊपर हH झड़ गया पर उसने उसको ये
समझाया कe उसी ने उसको गा@भन Jकया है …”

उनका ल~ड उस समय मेरे चत


ू ड़ के बीच, सीधे मेरH गा~ड मK घस
ु ने कe तैयारH कर रहा था और मN भी उZहK
छे ड़ते हुये, उनके ल~ड पे अपनी गा~ड कसकर रगड़ रहH थी और मेरH उं ग@लयां उनके सुपाड़े को छे ड़ रहH थीं। वो
कसकर अपनी दो उं ग@लयां मेरH चत ू मK डालकर अंदर-बाहर करते हुये बोले- “अरे मेरH ससरु ाल वा@लयां बड़ी
चालाक होती हN…”

“और 8या तभी तो अपनी से8सी ननद को पटा रहH हूं तुTहारे @लये। हां एक बात और, जो तT ु हारे बास हN ना
@मटर मख
ु जl, तT
ु हK मालूम हH है ना उZहK 8या पसंद है , और 12 लोग को बाइपास करके स8सेना का Qमोशन
कैसे हुआ? और सारे टे ~डर वाले काम उसे कैसे @मल गये और @मसेज़ मुखजl को तो मN अ,छ. तरह जानती हूं,
वsनता मंडल कe हे ड हN, और उनकe JकटH मK भी मN जाती हूं, वहां @सफw लेिबयन JफbमK होती हN और उZहK @सफw
88
जवान लड़Jकयां पसंद हN। इस मामलK मK उनका टे ट अपने हसबNड से @मलता है । तो स8सेना ने तो अपने Jकसी
बाबू के जkरये… और वो भी ऐसी हH थी… उसके आगे तो ये तो…”

“सच कहती हो? मुखजl तो दे खकर Fदवाना हो जायेगा, पर ये मानेगी?”

“वो सब तुम मुझ पे छोड़ दो पर बस तुम कल से चालू हो जाओ। जरा उसको पकड़ो, {यार से सहलाओ, दबाओ।
वैसे िजस तरह तम
ु दे ख रहे थे, मुझे लग रहा था Jक तुम मेरH ननद कe कोरH गा~ड के भी आ@शक हो गये हो।
बना मारे बेचारH कe गा~ड छोड़ोगे नहHं…”

“तT
ु हारH ननद कe गा~ड तो मN बाद मK माuंगा, पर पहले उसकe भाभी कe गा~ड अभी मार लूं…”

“इसका मतलब, मारोगे जuर उस बेचारH कe…” हँसते हुये मNने अपने को छुड़ाने कe को@शश कe पर उनसे मN कहां
बच पाती।

उZहने उठाकर मुझे पेट के बल पटक Fदया और मेरे पेट के नीचे ढे र सारे कुशन लागाकर मेरH गा~ड हवा मK
उठा दH और मेरे पीछे आ गये। वो अपना मोटा ल~ड मेरH गा~ड मK सटा रहे थे, लेJकन कुछ सोचकर उZहने
ल~ड मेरH चूत मK पेल Fदया। उनके वीयw और मेरे चूत के रस से मेरH चूत अ,छ. तरह सनी थी, इस@लये एक
ध8के मK हH आधा ल~ड घुस गया। 5-6 ध8के मारने के बाद उZहने ल~ड sनकालकर अपनी दो उँ गलH अंदर कर
दH और उसे लगे चत
ू मK घम
ु ाने।

चूत तो वैसे हH पानी फKक रहH थी। 5-6 ध8के उँ गलH से मारने के बाद उसे बाहर sनकालकर, उZहने Jफर ल~ड
पेल Fदया। और 7-8 ध8क के बाद उसे sनकालकर Jफर दो उं ग@लयां अZदर कर दHं। दो तीन बार ऐसे हH बारH-
बारH से उँ गलH और ल~ड से करके, उZहने उँ गलH मेरH गा~ड मK ठे ल दH। चूत से गीलH होने से उँ गलH सट से
मेरH गा~ड मK घस
ु गयी और Jफर उZहने उसे घुमा-घुमा के मेरH गा~ड अ,छ. तरह गीलH कर लH। उस समय
उनका ल~ड मेरH चूत का मंथन कर रहा था। Jफर मेरH कमर पकड़कर उँ गलH sनकालकर एक झटके मK उZहने
ल~ड मेरH गा~ड मK घस
ु ेड़ Fदया।

पहले ध8के मK हH परू ा सुपाड़ा घस


ु गया, और बना ‰के उZहने 4-5 ध8के और कसकर मारे और आधा ल~ड
मेरH गा~ड मK घस
ु गया। ददw के मारे जैसे मेरH जान sनकल गयी। लग रहा था जैसे Jकसी ने मु8का मेरH गा~ड
मK पेल Fदया हो। मेरे मँुह से चीख sनकल गयी। पर वो कहां मानने वाले थे, वो कस-कसकर मेरH चtू चयां मसलने
लगे।

“हे अपनी बहना कe गा~ड समझ रखा है 8या, जो इस बेदद´ से मार रहे हो, बहुत ददw हो रह है {लHज एक
@मनट ठहरो…”

“अरे बहना कe नहHं उसकe भौजाई कe गा~ड समझकर मार रहा हूं, आज इoती tचtचया 8य रहH है …” और जैसे
जवाब मK उZहने ल~ड थोड़ा सा बाहर sनकालकर चूची कसकर दबाते हुए, पूरा पेल Fदया। और Jफर तो वो धका-
पेल उZहने मेरH गा~ड मारनी शुu कe।

“हे मेरा पेट आज अ,छ. तरह भरा है , {लHज जरा…”

“अरे तभी तो आज और मजा आ रहा है , अब नेचुरल लु^ीकKट लगकर पूरा अंदर तक जा रहा है …” वो बोले।

और सच मK एकदम सटासट जा रहा था। अब मझ


ु े भी परू ा मजा आ रहा था। मN भी हर ध8के का जवाब अपने
चूतड़ के ध8के से दे रहH थी। Jफर उZहने आधा ल~ड जब बाहर था, उसे पकड़कर गोल-गोल घम
ु ाना शुu Jकया।
मुझे तो लगा कe जैसे मेरH गा~ड मK कोई मथनी से मथ रहा हो। मेरे पेट मK अजीब उमड़-घम
ु ड़ चालू हो गयी।
एक बार उZहने मुझे मजाक मK एनीमा लगा Fदया था बस वैसे हH लग रहा था। बस लग रहा था कe कुछ kरस
रहा है।
89
उधर दस
ू रH ओर उZहने अपनी दो उं ग@लयां मेरH चूत मK कसकर डालकर चोदना शुu कर Fदया और अंगूंठे से
ि8लट रगड़ने लगे। मेरH मती से हालत खराब हो रहH थी। मN गा~ड भींच रहH थी उनके ल~ड पे। गा~ड मारते-
मारते उZहने पोज़ बदला और Jफर मुझे अपनी गोद मK बठा @लया। ल~ड अभी भी मेरH गा~ड मK था। वो मेरH
कमर पकड़े मुझे ल~ड पे उठा बठा रहे थे और मN भी उनका साथ दे रहH थी। एक बार वो झड़ चुके थे इस@लये
जbदH झड़ने का सवाल हH नहHं था।

थोड़ी दे र ऐसे गा~ड मारने के बाद Jफर उZहने मुझे पलटा और अब कुsतया कe तरह करके फुल पीड से मेरH
गा~ड मारनी चालू कर दH। मेरH गा~ड बरु H तरह फैलH थी, चरचरा रहH थी और ऊपर से उनके कसकर ध8के।
अब बरु मK तीन उं ग@लयां घुस चुकe थी और वो भी रगड़ के चोद रहH थी। इस दह
ु रे हमले से मN जब झड़ी तो
थोड़ी दे र मK वो भी दो चार कसकर ध8के मार-मार के, लग रहा था उनका सुपाड़ा मेरH आंत मK घस
ु रहा है , झड़
गये। झड़ते समय उZहने मेरे चत
ू ड़ और ऊपर उठा Fदये िजससे सारा रस गा~ड मK हH जाय और मNने भी कस-
कसकर गा~ड sनचोड़ के सारा वीयw गा~ड मK हH सोख @लया। काफe दे र तक ल~ड गा~ड मK पड़े रहने के बाद जो
उZहने sनकाला तो वीयw और मेरH गा~ड के रस के साथ वो बाहर आया।

मेरH हालत खराब थी। ल~ड sनकलने के बाद भी गा~ड फट रहH थी ददw के मारे । थोड़ी दे र तो बस पड़ी रहH। वो
मुझे सहलाते रहे , चूमते रहे । मेरH नजर `ाअर पर पड़े गुmडी के लेसी ^ा और पNटH पे पड़ी। जब शाम को हम
लोग ’लू Jफbम दे ख रहे थे तो उसी समय मNने उतार लH थी और पNटH मK तो उसकe चूत का सारा रस @लथड़ा
था। मुझे एक शरारत सूझी।

मN उनके सीने पे चढ़कर बैठ गयी और उनका हाथ अपनी ^ा और पNटH से डबल बेड के बेड पोट से बांध Fदया,
और झुक के उनको चूम @लया। मN झुक कर अपनी रसीलH चूtचयां उनके हठ के पास ले जाती और जब वो उसे
ू ने के @लये मँुह बढ़ाते तो मN उसे दरू कर लेती। Jफर अपनी मत चtू चयां उनके गाल पे सहलाती, उनको
चस
Fदखाकर अपने हाथ से अपनी चूtचयां मसलती रगड़ती।

Jफर अपने हाथ मK ले उZहK ललचा के पछ


ू ती- “चाFहये?”

वो बोले- हां।

Jफर मNने गुmडी कe लेसी ^ा उठाकर अपने जोबन पे लगाकरके पूछा- “हे , Jकसकe है ?”

“उसकe…” उनकe सांस ‰क रहH थी मती के मारे ।

उनके मँुह पे उसे सहलाते हुए आँख नचाकर मN बोलH- “अरे नाम लेते शरमा रहा है , नाम बोल…”

“गुmडी कe…” थूक sनगलते हुए वो बोले।

“दे ख, इसमK उसके छोटे -छोटे Jकशोर गुदाज मत Jकशोर जोबन रहते हN िजZहK दे खकर तT
ु हारा मन करता है ।
बोल 8या मन करता है ?”

“दबाने का, पकड़ने का, रगड़ने का…”

“तो दबाता 8य नहHं, ले दे ख इसे इन मत चूtचय वालH ^ा को…” और उसे मNने उनकe आँख पे सहलाया,
छाती पे सहलाया और हठ से लगाकरके बोलH- “चूम ले इसको, इसमK तेरे उस मत माल कe चूtचयां बंद रहती
हN…”

और उZहने उसे चूम @लया।

उसे उनके सीने पे रखकर मNने उसकe छोटH सी लेसी पNटH उठाकर उनसे पूछा- “और ये Jकसकe है …”

“उसी कe… गुmडी कe…”

90
“अरे साफ-साफ 8य नहHं बोलता, कe तेरH {यारH {यारH बहना कe है , िजसमK उसकe गुलाबी कसी चूत sछपी रहती
है । एकदम tचकनी है सालH कe एक झांट भी नहHं है …”

मNने कन“खय से दे खा तो उनका ल~ड एकदम तन गया था तो कहा- “8य, उसी सालH कe चूत के बारे मK
सोचकर ये तनतना गया है ना? चोद 8य नहHं दे ता सालH को अगर इoता मन करता है तो? ले संघ
ू , अपने माल
कe चूत कe खुशबू…” और उसकe पNटH को मNने उनकe नाक पे लगा Fदया और कस-कसकर रगड़ने लगी। और
थोड़ी दे र नाक पे रगड़ने के बाद मN उसे उनके मुँह पे लगाते हुए बोलH- “ले चूस, चख, अपने माल कe कसी-कसी
चत
ू का वाद…”

और Jफर मNने उसकe ^ा उठा लH- “हे घूरता रहता है ना उसकe चूची, बड़ा मन करता है उसके जोबन के दशwन
का। कल मNने उसकe चूची तेरे हाथ मK ना दH तो कहना, और Jफर अगर बना मसले छोड़ा तो, ले दे ख अपनी
बहना का…” और ये कहते-कहते मNने ^ा कसकर उनकe आँख पे प”ी कe तरह बांध दH, और Jफर दोन हाथ से
उनके गाल को दबाकक उनके मुँह को tचयार के खोल Fदया और पNटH ठूसकर कसकर बांध दH।

Jफर कहा- “आज तेरH Jकˆमत अ,छ. है Jक उस कम@सन कe चूत का रस खूब चाटने को @मल रहा है , मन
भरकर चाट, एकदम उसकe चत
ू के रस मK सराबोर है…”

और Jफर उZहK इसी तरह छोड़कर मN, नीचे कe तरफ गयी। हमारे बेड पे ढे र सारे कुशन पड़े रहते थे। जैसे कुछ
दे र पहले उZहने मेरे चत
ू ड़ के नीचे कुशन लगाये थे उसी तरह मNने भी उनके चत
ू ड़ के नीचे लगाकरके उसे खब

अ,छ. तरह उठा Fदया। और Jफर उनकe दोन टांग को मोड़कर उसके बीच मK बैठकर मN उनके बाbस पे धीमे-
धीमे Jकस करने लगी। मेरH जीभ उनके बाbस और गा~ड के बीच कe जगह को चाट रहH थी और Jफर धीरे से
मN सीधे उनकe गा~ड के छे द तक पहुँच गयी।

एक झटके मK मNने वहां कसकर एक चुTमा ले @लया और उनकe ओर मुँह करके बोलH- “8या तम
ु सोचते हो Jक
तुTहH गा~ड मार सकते हो। तुम अपने माल कe चूत का रस लो और मN तेरH गा~ड मारती हूं…”

मNने दोन हाथ से कसकर उनके चूतड़ sछतरा Fदये थे। मेरे लंबे नाखून उनकe गुदा के छे द को छे ड़ रहे थे। Jफर
पूरH ताकत से उस छे द को फैलाकर मNने ढे र सारा थूक वहां लगा Fदया और जब
ु ान से उसे रगड़ने लगी। उनकe
गा~ड @सहर रहH थी, कांप रहH थी। लेJकन मNने अपनी एक उँ गलH अंदर ठे ल दH और उसे हbके से अंदर-बाहर
करने लगी। थोड़ी हH दे र मK आलमोट परू H उं गलHं अंदर थी। उँ गलH से कुछ दे र मजा लेने के बाद, जब उसे
sनकाल तो अब उनकe गा~ड थोड़ी खुलH।

थोड़ी दे र मNने जीभ को उस अधखल


ु े छे द के चार ओर घम
ु ाया, रगड़ा और Jफर मNने खब
ू ढे र सारा थक
ू लेकर
वहां लगाया और अपनी जीभ कड़ी करके अंदर ठे ल दH। धीरे -धीरे करके काफe जीभ अंदर पहुँच गयी। पहले जीभ
अंदर करने मK मुझे “झझक होती थी कe अंदर 8या-8या? लेJकन अब तो मN खुद… और मुझे लगा कe मेरH जीभ
मK कुछ लगा। मNने जीभ को वहां और रगड़ा और उoतेजना से मेरे sनपल भी खड़े हो गये थे। दोन हाथ से मNने
चूतड़ को और फैलाया और हbके-हbके जीभ से अपने Pपया कe गा~ड मारने लगी। जीभ खूब गा~ड के अंदर घम

रहH थी और उसके अंदर जो कुछ भी था। मN खूब वाद ले लेकर मजे से गा~ड मार रहH थी और Jफर अंत मK
मNने कसकर गा~ड को चसू ते हुए अपनी जीभ बाहर sनकालH। िजससे जैसे उनके ल~ड को मेरH गा~ड का वाद
@मला था उसी तरह मेरH जुबान को भी।

जब मNने मुँह उठाकर कुछ गहरH सांस लH तो मेरH sनगाह उन से8स “खलौन पर पड़ी जो मNने अपनी ननद को
Fदखाने के @लये sनकाले थे। उZहHं मK एनल-बीडस भी थीं, नीलH नीलH @स@लकान कe। उसे मN उठाकर ले आई
और Jफर उसे मुँह मK डालकर गीला Jकया। उनकe गा~ड फैलाकर वहां थूक के, मNने सबसे छोटH वालH बीड को
अंदर ठे ला। वो आसानी से अंदर चलH गयी। शुu मK उसके दाने छोटे थे आधे इंच के करHब।

91
मN उनकe गा~ड फैलाकर कस-कसकर थूक लगाती और एक-एक करके अंदर सरकाती। बाद के दाने बड़े होते चले
गये और एक इंच तक के थे। बेचारे उनके हाथ बंधे थे और मँुह भी बंद था, वरना कभी भी दो चार दाने से
yयादा, शुu के छोटे वाले, उZहने डालने नहHं Fदया। वो ग-ग करते रहे पर आज मN भी मती मK थी। सारH कe
सारH… यहां तक Jक आ“खरH वालH भी जो डेढ इंच कe थी मNने अंदर डालकर हH दम @लया। वो जेलH वालH बीडस
थी और उनकe गा~ड मK Fहल-डुल रहH थीं।

मेरH इन सब हरकत से उनके ल~ड का बुरा हाल था। वह बुरH तरह तZनाया हुआ था। अगर वो बंधे न होते तो
Jफर तो मेरा बरु ा हाल होता। मNने उधर दे खा तो मझ
ु े याद आया कe जब उZहने पहलH बार मेरे ए-टू-एम (ऐस टू
माउथ, यानी गा~ड मारने के बाद सीधे मुँह मK) Jकया था तो लगभग उZहK जबरदती हH करनी पड़ी थी। मेरे लंबे
बाल खींचकर मेरे नाक Pपंच करके उZहने जबरन मेरा मुँह खुलवा के ल~ड अंदर ठे ला था। और Jफर जब तक
मNने साफ सफ
ू करके अ,छ. तरह चाट के साफ नहHं Jकया, तब तक उसे उZहने sनकाला नहHं। शu
ु मK एक दो
बार तो ऐसा हH रहा Jफर जब मुझे वाद लग गया तो मNने उनको धZयवाद Fदया कe, उसके बना मN अपना
kरये8शन ओवरकम नहHं कर पाती। और अब तो मN खुद… वो जैसे हH गा~ड से बाहर sनकालते मN खुद।

लेJकन आज इसमK मN भी मN इZहK तंग करने के मूड मK थी। हरदम मN सीधे सुपाड़े से शुu करती थी पर आज,
मNने नीचे से चाटना शुu Jकया और खूब धीरे -धीरे उZहK तड़पाते हुये और कुछ दे र ऐसा करने के बाद, सीधे मNने
सुपाड़ा ग{प कर @लया जैसी कोई नदHदH लड़कe लालHपाप चूसे उस तरह। आज उनके सुपाड़े मK कुछ yयादा हH
मेरH गा~ड का माल… शायद जो वो गोल-गोल घम
ु ा रहे थे या मुझे जो एनीमा कe जो एहसास हो रहH थी या मेरH
ननद रानी ने जो मुझे जबरदसती इoता “खला Fदया था। उससे तो मN खैर अ,छ. तरह sनपटूंगी। लेJकन मNने
चूस-चूसकर चाट चूट कर सब कुछ साफ कर Fदया और Jफर एक बार पूरा ल~ड हलक तक लेकर चूसा। जब मNने
हठ हटाये तो ल~ड एकदम चमक रहा था।

मNने खुद से कहा चढ़ जा बेटा कुतब


ु @मनार पे। लेJकन मN अभी और मजा लेने और दे ने के मूड मK थी। मN Jफर
उनकe टांग के बीच जा बैठ. और ल~ड पकड़कर मुFठयाने लगी जो एकदम पoथर कe तरह कड़ा था। Jफर मNने
अपने 36डी तन कe ओर दे खा। वे भी उoतेजना से कठोर हो रहे थे और मेरे sनपल भी एकदम खड़े थे। मNने
अपनी चूtचय से उनके ल~ड को पकड़ा, पहले हbके से और Jफर कसकर दबाकर मN उसे रगड़ने लगी। वो भी
कमर Fहला रहे थे, अपनी बहन कe पNटH से हbकe आवाजK sनकाल रहे थे। वो दो बार झड़ चुके थे इस@लये उनके
जbदH झड़ने का कोई सवाल नहHं था। थोड़ी दे र चtू चय से चोदने के बाद, मNने अपने खड़े sनपल को उनके पी-
होल मK लगाकरके कसकर घस
ु ेड़ने कe को@शश कe और उससे उनके सुपाड़े पे भी रगड़ा। उoतेजना से उनकe बुरH
हालत थी।

मNने सोचा, अब बहुत तंग कर @लया। मN दोन टांगK फैलाकर उनके ऊपर आ गयी। मेरH चूत उनके सुपाड़े से रगड़
खा रहH थी। थोड़ी दे र इसी तरह छे ड़ने के बाद अपने भगो¥ठ को फैलाकर मN नीचे आई और उनका थोड़ा सा
सुपाड़ा मNने अपनी रस से गीलH बरु मK ले @लया और हbके-हbके रगड़ने लगी। बेचारे उनकe तो हालत खराब हो
रहH थी। धीरे -धीरे सुपाड़े को अपनी चूत मK रगड़ते हुए मNने और जोर लगाया और जैसे हH सुपाड़ा अंदर घस
ु ा, मN
‰क गयी और कस-कसकर उसे अपनी चूत के अंदर भींचने लगी।

वो कभी अपने चूतड़ ऊपर करते, कभी पNटH ठूंसे मुँह मK ग-ग करते। पर मN अपनी पीड से मजा ले रहH थी।
झक
ू के मNने उनके sनपल पहले तो Jकस करके चस
ू े Jफर हbके से काट @लया। उनकe बेताबी का मN खूब मजा
उठा रहH थी। Jफर मNने धीरे से सरकाते हुए उनका लगभग आधा ल~ड अपनी चूत मK घट @लया। अब मदw कe
तरह उनके कंधे पकड़कर मNने हbके-हbके ध8के लगाने चालू Jकये। कुछ दे र मK उनका पूरा ल~ड मेरH चूत मK था।
थोड़ा झक
ु के कभी मN उनके गाल को चूमती, कभी कान के ला’स को काट लेती, कभी उनके sनपल को, और
कभी झुक के उनके सीने पे अपनी चूची कसकर रगड़ती।

92
मNने हbके से ध8के भी दे ने शुu Jकये और कभी कमर गोल-गोल घम
ु ाकर कभी अंदर-बाहर करके। जbद हH मेरH
चद
ु ाई कe रƒतार बढ़ गयी और अब जब उनका परू ा ल~ड अंदर गया तो मNने चत
ू को कसकर 8वीज करके
sनचोड़ना शुu Jकया। वो बेचारे कसमसा रहे थे, कभी अपना चूतड़ उठाने कe को@शश करते तो मN कसकर पूरH
ताकत से दबा दे ती। चूत से परू H ताकत से ल~ड को sनचोड़ते हुए मN ऊपर ले आई जैसे मुँह से चूस रहH हऊँ
और Jफर सपु ाड़े तक आने के बाद मNने पोजीशन बदलH, मNने उनके पैर थोड़े फैलाये और अपने पैर अंदर कर
@लये। अब मेरे पैर एकदम सटे थे और मेरH चूत भी कस गई थी। मNने पैर तो @सकोड़ हH @लये थे, चूत भी
कसकर भींच लH।

चूत इoती टाइट हो गयी कe उनका मूसल जैसा ल~ड, थोड़ी दे र आगे पीछे होकर मNने हbके-हbके अंदर-बाहर
Jकया और थोड़ी दे र मK हH, मNने कसकर चोदना शुu कर Fदया। ल~ड का बेस सीधे मेरे ि8लट को रगड़ रहा था
और सप
ु ाड़ा ब,चेदानी को चोट मार रहा था। वो भी चत
ू ड़ उठा रहे थे और मN तो इoती मत हो रहH थी कe
बस… मN 8या-8या बोल रहH थी- “हे मजा, आ रहा है चुदाई का… दे ख मN कैसे कस-कसकर चोद रहH हूं। ले और
ले…”

वो बेचारे 8या बोलते उनके मुँह मK गुmडी कe पNटH जो ठुंसी थी। कमर पकड़कर धका-पेल चुदाई करते हुये मN उZहK
चैलKज कर रहH थी- “हे मेरH ननद के यार चोद ना… हां ऐसी हH चोदना उस मत माल कe, गुmडी कe चूत…”

उZहने वीकारोि8त मK सर Fहलाया।

“बोल चोदे गा ना अपनी {यारH बहना को, गुmडी को?”

अबकe वो कसकर सर Fहला रहे थे, ग-ग कe आवाज sनकाल रहे थे।

“हे बहनचोद, जैसे गुmडी को चोदे गा ना वैसे चोद… इसी बतर पे आज वो गा~ड रगड़ रहH थी बहुत मत चूत
है तेरे माल कe… हां हां और जोर से…”

अब वो परू H ताकत से अपने चत


ू ड़ उछाल रहे थे। झक
ु के मN उनके ऊपर लेट गयी और हbके-हbके अपनी चूची
उनकe छाती पे रगड़ने लगी। मेरे शरारती हाथ उनके बाbस को छे ड़ रहे थे, मेरH चूत ल~ड को भींच रहH थी। Jफर
मNने अपनी टांगK उनकe टांग के बीच से sनकाल लH और पहले कe तरह बैठ गयी और अब उनके कंधे पकड़कर
ु Jकया। थोड़ी दे र मK मNने उनके हाथ खोल Fदये लेJकन आँखK और मँुह उसी तरह बंद
हचक-हचक के चोदना शu
रहने Fदये। उZहने तुरंत मुझे बांह मK कसकर भींच @लया। कुछ दे र बाद मN उनकe गोद मK थी, उनके भूखे हाथ
मेरे तन कुचल मसल रहे थे।

इoती तगड़ी चुदाई से हम दोन झड़ने के करHब पहुँच गये थे। उZहने मुझे साइड मK Jकया और अब हम दोन
साथ-साथ पूरे जोश से ध8के लगा रहे थे और झड़ने के कगार पे थे। उZहने एक हाथ मझ
ु े पकड़ा था और दस
ू रे
से वो मेरH चtू चयां मसल रहे थे। अचानक उZहने मेरH ि8लट पकड़कर कसकर Pपंच कर दH और मN झड़ने लगी।
मNने उनकe गा~ड मK घस
ु ी एनल बीडस खींची और वो भी साथ-साथ झड़ने लगे। मेरH चूत उनके गाढ़े सफेद वीयw
से भर गयी। जब उनका झड़ना बंद हो गया तो मNने दब
ु ारा बाकe बची बीडस भी खींची और अब वो Jफर एक
बार कसकर झड़ने लगे। मNने उनका ’लाइड फोbड और मुँह मK ठूंसी पNटH sनकाल Fदया और उ।ससे पकड़कर दोन
को उनके रस से @लथेड़कर ल~ड पे खूब रगड़-रगड़कर मसला। अब ^ा और पNटH दोन हH मेरे सNया के वीयw से
सराबोर हो रहH थी।

रात थोड़ी हH बची थी। हम लोग वैसे हH सो गये थे। जब सुबह मN उठ. तो भी उनका @लंग मेरH चूत मK था। आगे
और पीछे दोन हH ओर सफेद गाढ़H मलाई भरH थी। मNने नाइटH पहनी और नीचे Jकचेन मK आ गई। जब मN बेड-
टH बना रहH थी तभी गुmडी आ गयी।

93
वो भी मेरH मैtचंग नाइटH मK थी। मेरH हालत दे खकर बालH- “भाभी लगता है रात मK भैया ने खूब मलाई
“खलायी…”

“अरे ननद रानी, जलती 8य हो, लो तम


ु भी खाओ…” और मNने अपनी चूत मK दो उँ गलH डालकर मलाई ऐसे
sनकाला जैसे कोई कूप से वनीला आईस¨eम sनकाले, और उसके मँुह मK डाल दH।

वो भी अब प8कe sछनार हो गयी थी, सटासट चट कर गयी।

“हे तुमने ^श Jकया था या नहHं?” मNने पछ


ू ा।

गुmडी- “अरे लो भाभी, अभी कर लेती हूं…” और उसने उसे अपने दांतो पे भी रगड़ @लया।

हम दोन हँसने लगे। चाय पीते समय मN राजीव के @लये बेड-टH रख रहH थी कe मेरे पेट मK गुड़गुड़ शu
ु हो गयी।
मNने उनसे बोला- “हे मेरा पेट… जरा मN बाथuम जा रहH हूं…”

गुmडी- “लगता है , कल पीछे भी कसकर कुदाल चलH है …” आँखK नचाके वो शरारत से बोलH।

“सब तुTहारे कारण हुआ, मNने उZहK जरा तT


ु हारा नाम लेकर छे ड़ Fदया कe तुम गुmडी के मत चूतड़ दे ख रहे थे
तो मेरH गा~ड…”

गुmडी- “अरे भाभी उनकe {यारH बहना कe गा~ड का नाम लेकर छे ‹ड़येगा तो 8या आपकe गा~ड बचेगी…”

“अ,छा, yयादा बोल रहH हो। तT


ु हK पीछे वालH ¨eम भी “खलानी चाFहये थी…”

गुmडी- “अरे तो “खलाया 8य नहHं? मN बड़े वाद से ग{प कर लेती। लेJकन अभी आप जbदH जाइये…”

“अ,छा, मेरे सNयां कe {यारH बहना जरा ऊपर जाके अपने भैया को ये बेड-टH कe ‡े पहुंचा दHिजये, और हां, चाय
के साथ और कुछ मत दे ने लगना…” अब मेरH छे ड़ने कe बारH थी।

वो चाय लेकर चूतड़ बड़े से8सी ढं ग से मटकाते हुए ऊपर गयी, और मुड़कर बोलH- “भाभी, आपने तो रात भर
Fदया, तो कुछ नहHं… अब तो ये तो हम दोन पे है …”

जब मN बाथuम से लौटH तो वो तब तक लौटH नहHं थी। मN ^ेकफाट कe तैयारH करने लगी। वो थोड़ी दे र मK आई
तो उसके गाल को Pपंच करके मNने पछ
ू ा- “हे चुदवाने लगी थी अपने भैया से 8या? जो इoती दे र लगी…”

गुmडी- “नहHं भाभी, लेJकन उसके अलावा बाकe सब कुछ…” वो मुˆकुराकर बोलH।

“मतलब, खुलकर बताओ वनाw मN खोलकर चेक कuंगी…” उसके उभार पे Pपंच करते मN बोलH।

गुmडी- “भाभी, मझ
ु े लगता है , भैया 8Zƒयूज़ हो गये, हमारH नाइटH एक जैसी है ना इस@लये, Jफर वो थोड़े सोये
थे…”

“बताती है भैया कe दल
ु ारH या उZहK ‹डफKड करती रहे गी…”

गुmडी- “बताती हूं ना… जैसे हH मNने उZहK उठाया तो उZहने मुझे अपनी बांह मK भींच @लया और एक झटके मK
नाइटH खींचकर हाथ मेरH ^ा पे डाल Fदये और ऊपर से मेरा सीना कसकर दबाने लगे। नाइटH तो अलग हो गई
और झटका झटकe मK ^ा भी थोड़ी सी। इस@लये उनके हाथ अंदर जाके मेरे उभार को कसकर दबाने लगे, और
आपने ये नहHं बताया था कe वो ऐसे सोते है … मेरा मतलब बना कपड़े के…”

“तन
ु े उZहK बताया नहHं कe त…
ू या तझ
ू े भी मजा आ रहा था…”

गुmडी- “सच पूछो तो भाभी मजा तो आ हH रहा था, इस गफलत मK , शुu मK मNने सोचा कe भैया को खुद पता
चल जायेगा कe आप नहHं है लेJकन उसके बाद मN बोलने कe हालत मK नहHं थी। मेरे दोन हठ उनके हांठ के

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बीच दबे थे और वो कस-कसकर चूस रहे थे और Jफर जब उZहने जोर-जोर से मेरा सीना दबाना शुu कर Fदया
तो… वो तो थोड़ी दे र बाद जब वो नीचे हाथ ले गये तब तक मेरे हठ छूट गये और मN उनसे बोलH कe… Jफर
हम दोन अलग हो गये…”

“चल तेरे Fदन कe शu


ु आत तो अ,छ. हो गयी…” उसका गाल सहलाते हुए मN बोलH।

गुmडी- “^ेकफाट मK 8या बनी रहH हN भाभी?”

“अभी तो उनके @लये आमलेट बना रहH हूं, उZहK नाˆते मK यहH अ,छा लगता है …” अंडे फKटते हुए मN बोलH।

गुmडी- “भाभी मुझे भी @सखा दHिजये ना, मN बना दं ग


ू ी…”

“त…
ू पर तू तो वेजीटे kरयन है , अंडा…”

गुmडी- “अरे , भाभी बनाना हH तो है कोई खाना तो नहHं?”

मNने उसे समझा Fदया और वो बनाने लगी। मN भी तब तक ^ेड सKकने और चाय बनाने लगी। आमलेट बनाते
बनाते वो बोलH- “दे खो भाभी, @मलकर काम Jकतना जbदH और अ,छा होता है …”

“अरे तो सब काम @मलकर करना पड़ेगा ननद रानी…” मNने छे ड़ा।

गुmडी- “अरे आपकe ये ननद पीछे हटने वालH नहHं है , भाभी…” हँसकर वो बोलH और तैयार होने के @लये चल दH।

जब तक मNने ^ेकफाट लगाया, वो कूल के @लये तैयार होकर आ गयी और राजीव के ठ.क सामने बैठ गयी।

मNने छे ड़ा- “हे सुना है Jक आज कुछ लोग कe गुड-माsन¡ग हो गयी…”

दोन मुˆकुरा Fदये। उनकe ओर आमलेट बढ़ाते हुए मNने उZहK बताया- “हे आज आमलेट गुmडी ने बनाया है , ऐसे
दं ू या ^ेड मK…”

“^ेड के साथ…” अखबार रखते हुए वो बोले- “अरे गुmडी ने बनाया है । तो िजसने बनाया है वो दे …” उसकe ओर
दे खते हुए वो बोले।

“गुmडी, आज तुTहH दो ना अपने भैया को…” ¤वीअथl ढं ग से मN मुˆकुराकर बोलH।

गुmडी- “अरे भाभी दे दं ग


ू ी। और आज 8या, हर रोज…” उसी अंदाज मK मुˆकुराकर उसने भी ^ेड मK आमलेट लगाते
हुए जवाब Fदया। उसने जब उनकe ओर बढ़ाया तो सीधे उZहने मुँह मK ले @लया और बचा हुआ वो भी घट
गयी।

आज मN दे ख रहH थी Jक दोन एक दस
ू रे को खल
ु कर दे ख रहे थे। उनकe sनगाहK एक दस
ू रे कe दे ह को सहला रहH
थीं और वो तो खुलकर कूल `ेस मK उसके टाप से छलकते हुए उसके जोबन को खा जाने वालH sनगाह से दे ख
रहे थे।

जब वह कूल जाने के @लये उठ. तो मNने उसे अपने पास {यार से खींचकर पछ
ू ा- “हे ^ा-पNटH वहH पहनी है ना,
जो मेरे बेडuम से सुबह लाई थी…”

गुmडी- “हां भाभी…”

“और, वो वाला तेल लगाया कe नहHं?”

गुmडी- “हां…” हbके से मुˆकुरा केवो बोलH।

“अरे वहH जो तम
ु लाये थे ना इसके @लये, ‘सुडौल’ तन के उभार मK वPृ š के @लये…” राजीव को समझाते हुये मN
बोलH- “और वो लगाया है कe नहHं?”

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उसके उभार मK हाथ लगाकरके मNने चूची मसाज़र चेक Jकया- “फरक पड़ रहा है ना, दे खो कैसे बढ़ गये हN इसके
उभार…” मNने उनसे कहा और उनके हाथ पकड़कर उसके उभार पे लगा Fदये।

अबकe मNने दे खा Jक वो FहचJकचाये नहHं, बbकe उZहने खुद हbके से उसके जोबन दबा Fदये और वो भी… उसने
भी अपने रसीले उभार उचका के उनके हाथ मK थमा Fदये।

“हे तुझे दे र हो रहH होगी, चल, आज मN तुझे कूल छोड़कर आता हूं…” वो उसे छोड़ने चल Fदये। उनके हाथ,
उसके कंधे पे थे।

***** *****07 भाग-7

आज उसका हाफ डे था, इस@लये दोपहर को हH कूल से आ गयी। साथ मK उसकe एक सहे लH भी थी। गोरH,
गदरायी, तीखे नाक न8श, बड़े उभार और चत
ू ड़ दे खकर लग रहा था Jक खेलH खायी है ।

गुmडी- “मेरH सहे लH है भाभी, Fदया…” गुmडी ने पkरचय कराया।

“Fदया, अरे Jकसको-Jकसको Fदया…” मNने हँसकर उसका हाथ पकड़कर पूछा।

“अरे भाभी ये पूsछये Jक Jकसको-Jकसको नहHं Fदया, मेरH सहे @लय मK सबसे पहले इसी ने… ये तो अदला-बदलH
QोDाम मK भी…” हँसकर गुmडी बोलH।

Fदया ने आँखK तरे र के गुmडी को दे खा तो गुmडी ने उससे बोला कe भाभी से मN कुछ sछपाती नहHं और ये मेरH
सबसे अ,छ. सहे लH भी हN।

मN भी Fदया को गले लगाती बोलH- “हे , ननद-भाभी मK 8या शरम?”

गुmडी ने उसकe पोल खोलH Jक जब वो 8वीं मK पढ़ती थी तो एक Fदन उसके बड़े भाई ने उसे, sछपकर जव वो
एक ’लू Jफbम दे ख रहH थी तो दे खते हुए पकड़ @लया, और उसी समय चोद Fदया और तबसे उन दोन मK
लगातार…”

“और ये अदला-बदलH QोDाम 8या है ?” मNने उoसुकता से पूछा।

Fदया बोलH- “भाभी, मेरH एक सहे लH पे भैया का Fदल आ गया था और उसका भाई मझ
ु े चाहता था। एक Fदन
हम चार लोग साथ-साथ Pप8चर दे खने गये और Jफर लौट के… Jफर तो रे गुलर हम दोन के भाई साथ-साथ
जाते थे इस@लये घर से पर@मशन भी @मल जाती थी और कोई शक नहHं करता था…”

“दे ख गुmडी, सबक सीख अपनी सहे लH से…” मNने छे ड़ा।

Fदया- “अरे भाभी, मेरH 8लास मK अकेले यहH बची है , जो 8लास के नाम पे दाग है …” हँसकर Fदया ने मेरा साथ
Fदया।

“अरे तुझे एक खुश खबरH सुनाऊँ Fदया, अब ये भी मेरे तेरे Dुप मK yवाइन कर गयी है …”

अब गुmडी कe आँख तरे रने कe बारH थी। वो बात बदलते हुए बोलH- “भाभी, मN जरा कूल कe `ेस चK ज करके
आती हूं, तब तक आप लोग बात करK …”

Fदया- “अरे तूने बताया नहHं, और अभी तो हािपटल चलना था ना तझ


ु े मेरे साथ?” Fदया बोलH।

“अरे बैठो जbदH 8या है , 8या हुआ तुTहारH भाभी को…” मNने पछ
ू ा।

Fदया- “अरे वहH जो भा@भय को होता है , भाई कe मेहनत का कमाल। उनके ब,चा होने वाला है …”

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तब तक गुmडी |ाक चK ज करके आ गयी। (छोटH सी |ाक, िजससे उसकe गोरH-गोरH जांघK साफ Fदख रहH थीं
और लग रहा था कe घर मK पहनने के @लये जो मNने उसके @लये uल बना रखा था, बना ^ा और पNटH के, उसे
उसने फालो Jकया था।)

गुmडी- “हे Fदया, भाभी को बताओ ना, कल हािपटल वालH बात…” गुmडी ने उसे उकसाया।

Fदया- “अरे कल रात मK मN वहHं थीं। जो रे सीडKट डा8टर था वो तो सुनता हH नहHं था और नसw के पास गयी तो
उसने उbटे मुझसे पूछा कe जब तुTहारH भाभी डलवा रहH थीं, तब तो हँसकर डलवा रहH हगी आर अब जब
sनकलने वाला है तो 8य चीख रहH हN?”

वहHं पास मK एक और औरत थी वो बोलH- “इoता ददw हो रहा है कe अब मN कान पकड़ती हूं दब
ु ारा नहHं
करवाऊँगी…”

पर नसw ने कहा- “अरे मNने बहुत दे खा है , साल भर के अंदर दब


ु ारा आ जाओगी पेट फुला के…”

ऐसे खल
ु कर मजाक हो रहे थे कe तब तक राजीव वहां आ गये। उनको दे खकर सब लोग खड़े हो गये। वो Fदया
कe सीट पे बैठ गये। सब लोग बैठे पर Fदया खड़ी रहH और कोई सीट थी नहHं।

मNने उसे चैलKज Jकया- “हे बैठ जाओ ना, अपने भैया के गोद मK , 8य डरती हो 8या, कe…”

Fदया- “अरे भाभी डरना 8या? िजसके मन मK चोर हो वो डरे …” ये कहकर वो राजीव कe गोद मK बैठ गयी।

“और 8या Fदया, जैसे तेरे भैया वैसे मेरे, मजे से बैठ…” गुmडी ने उसके और उसके भैया के kरˆते कe ओर इशारा
करते हुए छे ड़ा।

राजीव टH-शटw और शाटw मK ख़ूबसूरत लग रहे थे। Fदया उनकe ओर वासना भरH sनगाह से दे ख रहे थे। और
राजीव भी। एक खूबसूरत टHनेजर गोद मN बैठ. हो तो… उनका खड़ा होना शुu हो गया था। उनकe आँखK बार-बार
उसके नशीले उभार कe ओर जा रहH थीं। और द¥ु ट Fदया भी, हbके-हbके अपना भारH से8सी चूतड़ उस पे रगड़
रहH थी।

“हे , कुछ गड़ तो नहHं रहा है?” मNने उसे छे ड़ा।

गुmडी- “अरे गड़ भी रहा होगा तो ये बोलेगी नहHं…” गुmडी ने भी मेरा साथ Fदया।

थोड़ी दे र मK Fदया उठ गयी और गुmडी से बोलH- “अ,छा चल अब तू बैठ, जरा मN बाथuम होकर आती हूं…”

उनके शाटw मK उनका खड़ा खूंटा एकदम साफ-साफ Fदख रहा था।

“ठ.क तो कह रहH है ये। FहTमत हो तो बैठकर Fदखा दे …” मN गुmडी से बोलH।

गुmडी- “अरे भाभी आपकe ननद हूँ, ये 8य भूल जाती हN आप…” और उनकe गोद मK जाके बैठ गयी। बैठने मK
उसकe छोटH सी |ाक @सकुड़ के बलकुल ऊपर तक उठ गयी थी।

जैसे हH Fदया बाहर गयी, मNने उसकe |ाक बbकुल कमर तक खींच दH और उनका शाटw भी नीचे सरका Fदया।
अब तो सटाक से उनका तZनाया ल~ड सीधे sनकलकर उसकe जांघ के बीच मK आ गया। मNने दोन को इस
तरह पकड़ रखा था कe वो Fहल नहHं सकते थे। काफe दे र तक उनका ल˜डा उसकe चत
ू पे ठोकर मारता रहा।
कसमसाने कe दोन ए8टHंग कर रहे थे, पर मुझे मालूम था कe मजा दोन को आ रहा है।

जब Fदया कe आने कe आहट हुई तो दोन ने अपने कपड़े ठ.क Jकये।

गुmडी-“हे तुम बाथuम मK इoती दे र? कुछ और तो नहHं कर रहH थी, भैया कe गोद मK बैठकर कुछ गड़बड़ तो नहHं
हो गया था?”

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Fदया- “8या पता भाभी…” उसने भी उसी अंदाज मK हँसकर जवाब Fदया।

गुmडी- “मN तैयार होकर आती हूं अभी…” गुmडी उठते हुए बोलH।

“चल, मN तेरे कपड़े sनकालकर दे ती हूं और हां तब तक तम


ु लोग को जो गड़बड़ करना हो कर लेना…” Fदया और
राजीव से मN बोलH।

गुmडी जब लौटH तो उसपे आँख नहHं Fटकती थी। लाइ¨ा का टाईट शोbडरलेस टाप, और वो इoता टाईट था कe
उसके उभार साफ-साफ Fदख रहे थे और लो-कट भी, गहराई कटाव सब कुछ और उसके अंदर एक पुश-अप हाफ
कप ^ा थी। उसके उभार कम से कम दो नंबर yयादा लग रहे थे और sनपल ना @सफw ^ा से थोड़े sनकले हुए थे
बbकe टाप से रगड़ खाते हुए उनकe झलक साफ Fदख रहH थी। और उदर दशwना तो जीZस थी हH उसके चूतड़
के पूरे उभार साफ Fदख रहे थे और वो इतनी लो-कट थी कe sनतंब के दरार भी। राजीव कe sनगाह तो उसके
जोबन पे Jफर मत चूतड़ पे tचपक गयी थीं

“हे कैसे और कब तक लौटोगी तुम?” मNने पछ


ू ा।

Fदया- “भाभी थोड़ी दे र तो हो जायेगी…” Fदया बोलH।

कोई बात नहHं हम लोग भी शाPपंग के @लये जायKगे और दे र से हH आयKगे और लौटने का…”

Fदया- “डkरये मत मN छोड़ दं ग


ू ी आपकe ननद को…” हँसकर Fदया बोलH।

गुmडी- “अरे नहHं भाभी, मN आ जाऊँगी…” और वो दोन हँसते “खल“खलाते चल दHं।

दे र शाम जब वो लौटH तो मN Jकचेन मK खाने कe तैयारH कर रहH थी, राजीव अपने Jकसी दोत के यहां गये थे।
वो बड़ी खुश-खुश लग रहH थी।

मNने पछ
ू ा- “हे , Jकसके साथ आई और बड़ी चहक रहH है tच‹ड़या, 8या कोई खास बात हुई हािपटल मK …”

गुmडी- “भाभी, नीरज के साथ आई। उसकe बाइक पे, बड़ी अ,छ. बाइक है । पूछ रहा था इoते Fदन से Fदखी नहHं
तो मN बोलH जनाब आप हH कौन से Fदखे तो हँसकर उसने मान @लया। उसक पैरKटस आये हN तीन-चार Fदन मK
चले जायKगे, Jफर वो अकेला रहे गा…”

“8य बाइक हH अ,छ. लगी या बाइक वाला भी…”

गुmडी- “बाइक वाला भी, माटw , डै@शंग लग रहा था, जींस और टH-शटw मK। Fदया तो एकदम जल गयी। वो सोच
भी नहHं सकती थी कe इoता ख़ूबसूरत लड़का मुझे इस तरह से… मुझे दे खकर खुद आया और वो बहाने बनाकर
बात कर रहा था और जब मNने कहा कe मुझे घर जाना है तो तुरंत वो कहने लगा Jक मेरH बाइक पे चलो ना।
और जानबझ
ू के उसे जलाने के @लये जब मN बाइक पे बैठ. ना तो उसकe कमर पे हाथ बांध @लया, और Jफर तो
वो ऐसी जलH…” हँसकर गुmडी बोलH।

“अरे दे खना एक Fदन शहर के सारे लड़के तेरे दHवाने हगे पर बता हािपटल मK 8या हुआ?”

गुmडी- “अरे भाभी हािपटल मK वो जो Fदया कह रहH थी ना डा8टर, वो रे जीडKट डा8टर वहHं गाइनेक मK पी॰जी॰
कर रहा है । जो कल एकदम उन लोग को घास नहHं डाल रहा था ना… अनज
ु नाम है उसका। जब मN गयी ना
तो मझ
ु से न @सफw {यार से @मला बbकe काफe भी Pपलायी। बहुत दे र तक हम बातK करते रहे । बbकe उसने
मुझसे कहा कe मN इंटर करने के बाद मे‹डकल मK ए‹डमशन ले लूं। भाभी, उसने अपने कमरे पे मुझे बुलाया है …”

मNने भी कहा- “जब तक ये यहां भतl हN तो मN आती जाती रहूंगी…”

तो बोला- “अरे तो मN तो रहूंगा ना उसके बाद, तो Jफर 8या नहHं आओगी। ऐसी बातK कर रहा था कe…”

98
“दे खने मK कैसा था…”

गुmडी- “भाभी, बहुत ख़ूबसूरत, लंबा, तगड़ा 8या मसbस थीं, और हँसता खूब था…”

मN हँसने लगी।

गुmडी- “8य हँस रहH हN आप?” चJकत होकर उसने पूछा।

“मदw मK जानती हो तीन चीजK दे खनी चाFहए। और ये बात मेरH मTमी ने मुझे तब बतायी थी जब तुTहारे भैया
मझ
ु े दे खने आये थे। आँखK- आँखK खुश-खुश होनी चाFहयK और ये भी कe वो नजरK @मला पा रहा है या नहHं। और
मTमी ने ये भी बोला था कe वो छुप के तुTहारे सीने कe ओर दे ख रहा है कe नहHं। अगर उसकe आंख से वो
तुTहारे कपड़े उतारकर चु-चोदन ना करे तो बेकार, बोर होगा वो… और दस
ू रH चीज हN उसके हठ- मुˆकान, सKस
आफ ‚यूमर, और उसपे ‹डपKड करता है कe वो चूमने के @लये Jकतना बेताब है । और तीसरH चीज है उसके चत
ू ड़-
Jकoते छोटे , कड़े और सªत मलस हN वहां कe…”

गुmडी- “पर भाभी चत


ू ड़ 8य…”

“अरे पगलH ध8के लगाने के @लये, चोदने के @लये ताकत कe जuरत पड़ती है ना। मेरH भाभी ने कहा था Jक एक
और मसल होती है । तो मTमी ने कहा Jक ले ये तेरा काम है कe नंदोई कe वो वालH मसल चेक कर लेना, तो
कैसा है तेरा ये डा8टर, इस टे ट मK …”

गुmडी- “भाभी चौथी का तो अब तक नहHं मालूम पर बाकe तीन मK तो एकदम 10 मK 10, sनगाहK तो उसकe
एकदम मेरे सीने पे हH tचपकe थीं और बात-बात पे जोक सुनाता था और कई तो एकदम नान-वेज…”

“अरH ननद रानी, तेरे उभार हN हH ऐसे। अ,छा एक बात इनके @लये मN कुछ चोलH @सलवा के ले आई हूं, जो तमु
लोग का बार डांसर कe लाइफ वाला {ले हो रहा है ना उसके @लये बाबी टे लसw के यहां से। मN आज गयी थी
उसके यहां तेरH `ेस लाने और अपनी नाप दे ने। मN तेरे @लये कुछ और कपड़े दे आई हूं, तू दो तीन Fदन मK उधर
जाना तो नाप भी दे दे ना और उसके पैसे भी…”

गुmडी- “भाभी, आपने @सफw नाप Fदया या और कुछ?” अब मेरH tच‹ड़या भी चहकने लगी थी।

“अरे तेरे भैया साथ थे। पर तू जायेगी ना तो दे दे ना सब कुछ। बहुत याद कर रहा था तझ
ु े, बहुत {यार से तेरे
@लये चो@लयां @सलH हN उसने…”

गुmडी- “भाभी एक बात और सब


ु ह से मN परे शान थी आपको बताने के @लये , पर जब कूल से आई तो Fदया
साथ थी। और Jफर मN उसके साथ चलH गयी। आज वो @मला था, अंशुल। बहुत kर8वेट कर रहा था, {लHज
भाभी बस एक बार। वो कह रहा था कe Jकसी तरह, थोड़ी दे र के @लये भी। तीन Fदन बाद नरस उसे गांव जाना
है , वो 6-7 Fदन बाद हH लौट पायेगा। भाभी {लHज…”

“हे बहुत @सफाkरश कर रहH है । पहले tच–ी का जवाब तक नहHं दे ती थी और अब… उसको बोल दे ना, जब गांव से
लौट आयेगा तब तक इंतेजार करे …” बहुत मिु ˆकल से मN अपनी मुˆकुराहट रोक पा रहH थी।

गुmडी- “भाभी, आप ठ.क कह रहH हN पर वो बचारा आ“खर इoते Fदन से मेरे पीछे पड़ा था, मN उसे @लƒट भी
नहHं दे ती थी तब भी लगा रहा आ“खर। भाभी आप चाहK गी तो उसका मN मन रख लूंगी। दब
ु ारा मN आपसे kर8वेट
नहHं कuंगी। {लHज भाभी…”

“ओके, ननद रानी तम


ु भी 8या याद करोगी। परस रात मK तुTहारे भैया नहHं रहK गे। वो सुबह हH चले जायKगK और
अगले Fदन आयKगे। तो बल ु ा लो परस रात को अपने यार को। और थोड़ी दे र 8य? बात तो सहH है , बहुत
तड़पाया है तुमने बेचारे को। चलो परस रात भर मजे करो। खुश हो जायेगा तेरा यार। तुTहारे कमरे का जो

99
दरवाजा बाहर खुलता है ना, उसे खोलकर रखना और बाहर वाले गेट कe डु{लHकेट चाभी अपने यार को दे दे ना।
उसको समझा दे ना कe जब लाइट बंद हो तो उसके ठ.क 15 @मनट बाद आ जाये…”

गुmडी- “अरे भाभी, आप बहुत-बहुत अ,छ. हN ओ‚ह… kरयलH भाभी पूरH रात भर? मN सोच भी नहHं सकती थी।
भाभी मN कुछ भी, कुछ भी कर सकती हूं आपके @लये, मेरH अ,छ. भाभी…” और उसने मझ ु े गले से लगा @लया।

और मNने भी उसे कसकर भींच के गाल पे कसकर चूमते हुए कहा- “ननद रानी, अभी तो Jफलहाल तम
ु मेरH
Jकचेन मK मदद करो, जरा आज खाने कe जbदH है …”

गुmडी- “एकदम भाभी, कल भैया को जbदH थी आज लगता है Jक आपको जbदH है और ये जस


ू 8या बना रहH
हN, लाइये, मN बना दे ती हूं।

“अनार का जस
ू , तT
ु हारे भैया के @लये। बहुत ताकत दे ता है …”

उसने मुझसे @म8सी ले लH और बनाने लगी और मुझे छे ड़ते हुये वो बोलH- “भाभी, आजकल भैया को कुछ yयादा
हH ताकत कe जuरत पड़ रहH है …”

मN कुछ पलट के जवाब दे ती उससे पहले उसने पूछा- “भाभी, भैया को सबसे yयादा 8या पसंद है ?”

“तेरे ये से8सी मTमे…” मNने उसके उभार को दबाते हुए tचढ़ाया।

गुmडी- “वो तो मुझे मालूम है , मेरा मतलब है , खाने मK …”

“खाने मK, खाने मK उZहK नान-वेज बहुत अ,छा लगता है और नान-वेज मK सब कुछ, तंदरू H tचकेन, मटन कोरमा,
बरयानी…”

गुmडी- “पर भाभी, ये सब तो कभी बनता नहHं…” उसने आˆचयw से पूछा।

“तेरे मारे ननद रानी तू जो नTबरH भगsतन है , शš


ु शाकाहारH। वो सोचते हN Jक पता नहHं तुTहK बरु ा लगे? अ,छा
चल इसको J|ज़ मK रख, चल तुझे उनके सब काम बता दं …
ू ” और मN उसे लेकर उनके कमरे मK गयी। मNने उसे
बताया कe जब वो आते हN तो सबसे पहले उनका जत
ू ा उतारना झुक के और Jफर मोजे, अपने घट
ु ने पे उनका
पैर रख के। हां थोड़ा बहुत पैर का, तलव
ु  का मसाज भी कर दे ना और चाहना तो आगे भी बढ़ सकती हो। ये
इधर लHपर रखे हN वो दे दे ना। और उनकe शटw भी मN हH उतारती हूं। और Jफर उसे आbमारH खोलकर Fदखाया
Jक कहां उनकe शटw, टH-शटw अंडर-गाम™टस रखे हN।

एक बंद खाने को दे खकर उसने पछ


ू ा- ये 8या है ?

मN टालती रहH पर बहुत कहने पे मNने खोला। वो उनकe बार थी।

गुmडी- “हे भाभी ये। ऐसे sछपा के 8य?”

“वो भी तुTहारे चलते रानीजी उZहK पता है तुTहK शायद बुरा लगे…”

गुmडी- “भाभी, पर भैया ने कब से? शादH के पहले तो वो नहHं…”

“अरे िजंदगी का हर मजा आ“खर आदमी कभी ना कभी लेना शुu करता है , उनकe सास का इसमK बड़ा हाथ है ,
अपने दामाद को बरबाद करने मK । मेरे मायके मK सभी लेते हN, लेडीज भी…”

उसे बंद करके हम लोग Jकचेन मK आ गये। वो कुछ सोच रहH थी। थोड़ी हH दे र मK राजीव आ गये। वह अनार
का जस
ू लेकर उनके पास चलH गयी। जब तक वो उZहK ‘|ेश’ करती रहH, मNने जbदH-जbदH खाना बना @लया।
खाने के बाद वो ऊपर चले गये और हम लोग Jकचेन समेटने मK ।

100
ऊपर जाने के पहले जब मN दध
ू लेकर गुmडी के कमरे मK गयी तो मNने उसे समझाया- “सुन, परस तेरा रात भर
का QोDाम है ना तो आज से ‹डbडो, कN‹डल सब बंद। हां, वो कसरत तुम करती हो ना? जो मNने बताया था,
सोने के पहले सब कपड़े उतारकर शीशे के सामने अपने हर अंग को दे खना, उसे हbके-हbके छूना…”

गुmडी- “हां भाभी…”

“और वो जो ‘जे’ कe ‘हाउ टू बकम ए सेZसुअस वोमेन’ वालH Jकताब मK दH गयी है वो, अपनी बाडी को छूना,
बाडी से छू के पशw कe संवेदना बढ़ाना, और वो जीभ कe कसरत और सबसे जuरH है , के-जेल मNने कहा था ना
हर घंटे पे, अपनी चूत कe मbस को @सकोड़ के बस सारा Œयान वहHं लगाना…”

गुmडी- “हां भाभी, वो मN करती हूं यहां तक कe 8लास मK भी…”

“शाबाश, हां तम
ु उँ गलH कर, बbकe जuर करना रात मK कम से कम तीन बार झड़ना लेJकन हर बार को@शश
करना कe िजतनी दे र टाल सको और हां @सफw उँ गलH कe Fटप अंदर डालकर और बना ि8लट को छुए। और हां
आज बना कुछ भी पहने सोना। सोने के पहले बतर पे रोल करना और अपने यार या यार के बारे मK
सोचना…”

जब मN मुड़ने लगी तो कुछ और याद आया- “हे , कल तम


ु 8लास गोल कर दे ना। तT
ु हारे भैया कल सुबह हH चले
जायKगे और Jफर हम Fदन भर मती करK गK। मN तT
ु हK से8स पोिज़शZस के बारे मK बताऊँगी। तम
ु रात मK कोक
शा— और कामसू— से 64 आसन के बारे मK भी पढ़ लेना। सुबह तुTहारा टे ट होगा…” और उसको कसकर एक
गुडनाइट Jकस लेकर मN ऊपर राजीव के पास चल दH।

अगले Fदन राजीब बहुत सुबह हH चले गये थे। जब मN बेड-टH लेकर गुmडी के पास पहुँची तो वो बना कुछ पहने
लेटH थी। बेड-टH के बाद, उसने कपड़े पहनने कe को@शश कe पर मNने मना कर Fदया। मN बोलH- “चलो पहले
कसरत करते हN…”

वो बोलH- “भाभी, ये बेइमानी है मN कुछ नहHं पहने हूं और आप…”

“मान गये बात तुTहारH ननद रानी…” और मNने भी नाइटH उतार दH।

पहले मNने योगा और Qाणायाम से शुuआत कe। मNने उसे समझाया कe से8स के दौरान इसका कैसे इˆतेमाल कर
सकते हN और सहH ^ीFदंग से कैसे टे @मना बढ़ती है । उसके बाद Tयुिजक लगाकरके साथ-साथ हम दोन ने
एरोबी8स कe। Jफर मNने जेन फडा का कैसेट लगाके उसके साथ कसरत कe। मNने उसे खास तौर से पेिbवक
मसbस, जांघ, पैर और कमर कe कसरत करवाई। उसके बाद kरलै8शेसन टे ि8नक। Jफर कहा- “अब रोज 30-
45 @मनट तक तुम ये करना और अब चलो वो वालH कसरत…”

हम दोन पलंग पे आमने सामने बैठ गये। मNने उससे कहा- “अब तम
ु आँख बंद करके अपने एक-एक बाडी पाटw
को छुओ, उसके पशw को इZyवाय करो और उस समय @सफw उसी अंग को महसूस करो और थोड़ा जोर से उस
अंग का नाम लो…”

उसने आँख से शu
ु Jकया पर जब वह सीने तक पहुंची तो, वो थोड़ा Fहचकe और बोलH- “सीना…”

“ना… अब तम
ु वहH श’द इˆतेमाल करोगी जो तुTहK बताया था, बोलो चूची और Jफर से शुu करो…” मNने कहा।

अबकe उसने कोई Fहचक नहHं महसूस कe और अपनी चूत, गा~ड सबको उसी तरह पशw करके बोलH।

“ठ.क है अब तम
ु आँखK बंद करके मेरे हर अंग को छुओ और उसके नाम लो…” उसके बाद यहH कसरत मNने कe।
मNने उसके हर अंग छुये और उसने नाम @लया और Jफर हम दोन ने साथ-साथ। ठ.क है चलो नाˆता कर लो
और उसके बाद तुTहारH ‡े sनंग होगी।

101
गुmडी- “भाभी, {लHज अब तो कपड़े पहन लK …” कमरे से बाहर sनकलने के पहले वो बोलH।

“ना ना… Jकससे शरमा रहH है? कल रात भर यार के साथ तो नंगी रहे गी, और मेरे सामने…”

बरामदे मK डाइsनंग टे बल पे नाˆता करके हम लोग Jफर कमरे मK आ गये। मN अपना ‘›वाय बा8स’ भी साथ ले
आई- “चल ये मान कe मN तेरा यार हूं, अंशुल या कोई भी लड़का, मदw। मN एक मदw कe तरह तुझे tचपकाऊँगी,
चूमूंगी और तू kरपांड करना, जैसे अपने यार के साथ करे गी…”

गुmडी- “ठ.क है भाभी…” वो बोलH।

मNने उसे अपने आ@लंगन मK भर @लया और हठो पे चूम @लया। उसने भी कसकर kरपांड Jकया।

“उं हू… ऐसे नहHं, पहले लड़के को शu


ु आत करने दो। Jफर हbके से हठ Fहला के kरपांड करो, और Jफर जब वो
कस-कसकर चूमने लगे तो Jफर तम
ु भी। और वो अगर जीभ मुँह मK डाले तो उसे कुछ दे र बाद हbके से चूसो
और अपनी जीभ का भी इˆतेमाल करो। चलो Jफर से…”

अबकe जब मNने चूमा तो उसके हठ हbके से Fहले, जैसे हवा के जोर से कोई फूल लहरा जाये।

“एकदम ठ.क… जानती हो कामसू— मK इसे सफुरक कहते हN। ठ.क अब कस के…” और Jफर मNने धीरे से उसके
हठ पे दबाव बढ़ाया और चूमते-चूमते, चूसने लगी।

वो भी अब kरपांड कर रहH थी। Jफर मNने उसके हठ के बीच अब जीभ घस


ु ेड़ दH। कुछ ‰क के वो जीभ हbके
से चूसने लगी, और Jफर तो थोड़ी दे र मK जीभ कe लड़ाई शुu हो गयी। कुछ दे र चूमने के बाद मNने हठ हटाये
तो वो मझ
ु े दे ख रहH थी।

“एकदम सहH 10 मK 10, लेJकन एक बात- जब लड़का हठ हटा ले तो इसका मतलब ये नहHं कe तुम चूम नहHं
सकती और चूमना @सफw हठ पे हो ये भी जuरH नहHं। तम
ु उसकe आँख, गाल, ठुmडी कहHं भी चूम सकती हो
और हां, मदw अ8सर कान के लो’स पे बड़े सK@सFटव होते हN। एक बात और… शुu मK तT
ु हK कम पहल करनी
चाFहये 8यकe कुछ मदw असुर•त होते हN, और कुछ शुu मK खुद पहल करना चाहते हN पर बाद मK तम
ु एकदम
जम के बराबरH कर सकती हो। चल, एक बार Jफर से। और जैसे मN कuं ना, वैसे तम
ु kरपीट करो…”

हम लोग ने दब
ु ारा चुंबन ¨eड़ा शुu कर दH। अबकe हम लोग खुलकर जीभ का इˆतेमाल कर रहे थे। कभी मN
उसकe जीभ को हbके से चूसती तो कभी वो मेरH जीभ चूसती, कभी मN हbके से जीभ िƒलकर करती, कभी
उसके मुँह मK घुमाती, कभी जीभ एक दस
ू रे का पीछा करती और एक बार तो मNने हbके से काट भी @लया।

अबकe जब हम लोग अलग हुए तो मN बोलH- “इसे |Kच Jकस कहते हN, और सच मK इसमK बहुत मजा आता है …”

गुmडी- “हां भाभी…”

“और Jकस के समय, सर चेहरा कैसे पकड़ना चाFहये, ये भी इTपाट™ ट है । Jकस के बाद ये Œयान दे ना चाFहये कe
अचानक बाडी कांटै8ट ना टूटे । और हठ हमेशा अ‡ै ि8टव होने चाFहये। इस@लये कुछ मेक-अप हो ना हो, हbकe
@लपिटक हमेशा होनी चाFहये, और तेरे हठ पे तो वेट-लुक बहुत सKसुअस लगेगा। अचछा चल अब मेन कोसw
पे…”

हम दोन पलंग पे आ गये। मNने उससे कोक शा— और कामसू— दोन sनकालकर लाने को कहा। मNने सबसे
पहले @मशनरH पोजीशन से शu
ु आत कe- “दे ख ये सबसे कामन पोजीशन है , इसमK मदw ऊपर रहता है । लेJकन एक
बात और… शुuआत मK तुTहारH उमर मK ये जuरH है Jक टांगK िजतना फैला सकती हो उससे भी yयादा फैलाओ,
और टांगK ऊपर रखो। अगर कम ददw से चुदाना है तो ये जuरH है । हां तो इस आसन मK फायदा ये है कe पूरH दे ह
संपकw मK रहती है ।

102
मदw के @लये ये मजा है कe वो मन भरकर चूची दबा सकता है , चुTमी ले सकता है ।

और तT
ु हारे @लये- तुम हbके-हbके उसके ध8के के साथ अपने चूतड़ उठाओ। टांगK वो अपने कंधे पे रख सकता
है , घट
ु ने से मोड़कर टांगK फैला सकता है , या कसकर मोड़कर दोहरा कर सकता है । अ8सर शुuआत, टांग को
कंधे पे रखकर होती है । ये फोटो दे खो, टांग कe पोजीशन… और ये दे खो थोड़ा सा अलग है इसमK मदw थोड़ा सा
और आगे बढ़के लेटा है औरत के ऊपर, और दोन टांगK सीधे करके लेटे हN।

इसमK दो फायदा है - कई बार टांगK उठाये-उठाये दख


ु ने लगती हN तो वो आराम @मल जाता है और दस
ू रा जो
yयादा मजे वालH बात है , इसमK ि8लट सीधे , ल~ड के बेस से रगड़ खाती है । इसमK भी ढे र सारे वैरHयेसन हN। तम

उसकe पीठ, चूतड़ पकड़ सकती हो। अ,छा, §योरH बहुत हो गयी। चल, अब तझ
ु े Qैि8टकल करके बताती हूं…”

गुmडी- “Qैि8टकल… वो कैसे भाभी?”

“वो ऐसे…” और मNने अपना ‡ै प-आन sनकाला। Jफर कुछ सोचकर उसमK अपना सबसे पतला और छोटा 6 इंच
का वाइ^ेटर सेट Jकया। उसके @सरे पे वैसलHन लगाकर गुmडी कe चूत के मुँह पे भी लगाया और उसके सामने
बैठकर उसकe टांगK अपनी कंधे पे ले लH। मNने चत
ू का मँुह फैलाकर अंदर थोड़ा सा पेल Fदया और कहा- “दे ख, हां
इसी तरह तम
ु िजoती टांगK चौड़ी करके और उठाकर रखोगी उoता हH आराम होगा चुदवाने मK । और जब वो तुझे
चूमे, चूची पकड़े तो तम
ु भी उसे बाह मK ले सकती हो…”

Jफर मNने पोज बदलH और उसकe टांग को घुटने से मोड़कर, फैलाकर हbके-हbके चोदना शुu Jकया और बताया
कe इस तरह थोड़ा टांग को आराम @मलता है । इस आसन मK जब ल~ड थोड़ा अंदर चला जाय तो तुTहK भी
ध8के लगाना चाFहये। एक हाथ से उसके चूतड़ को उठाके मNने धीरे -धीरे पूरा वाइ^ेटर अंदर घस
ु ेड़ Fदया। अब मN
उसकe चूची रगड़ रहH थी और गाल चूम रहH थी।

उसकe आंख मK आँखK डाल के, मNने समझाया- “अब तुम कNची कe तरह टांगK ऊपर करके चूतड़ पे बांध लो, और
जब ल~ड अंदर जाय तो उसे साथ-साथ दबाकर के, खींच सकती हो…”

उसने वैसे हH Jकया। थोड़ी दे र उस तरह करने के बाद, हम दोन ने टांगK एक साथ सीधी कर लHं और मNने उसे
थोड़ा आगे करके वाइ^ेटर के बेस से उसकe ि8लट को रगड़ना शुu Jकया। मजे से उसकe आँखK बंद होने लगीं। मN
बोलH- “ये असलH फायदा है इसका, दे ख ि8लट कe इसमK रगड़ाई कैसे होती है …” इसी तरह करके मNने सारे
वैkरयेसन बताये और उनके फायदे भी।

“दे ख, हर तरह कe साइज, पीड वाले मदw , मोटे और पतले, तझ


ु े @मलKगे। तो अगर ये मालूम हो तो तुम उसी
तरह से पोजीशन बदल के पूरा मजा ले सकती हो। और ये तो हुई आसन कe बात उसी के साथ है कैसे ध8के
लगायेगा वो। हम औरत के साथ सबसे गड़बड़ बात ये है कe yयादातर JकताबK मद© के @लये @लखी रहती हN
इस@लये मN तुTहK इतना ‹डटे ल मK समझा रहH हूं…”

गुmडी- “भाभी, आप तो मुझे एकदम ए8पटw बना दK गी…”

“अरे और 8या? दे ख J¨केट वाल को, कोई शाट पढ़ो तो Jकतना ‹डटे ल मK बताते हN Jक Jकस बाल पे 8या
फुटवकw होगा, कहां जोर दे ना होगा। लेJकन उसकe तैयारH करके नेट मK Qैि8टस करके कैसे वो हर बाल पे चौके
छ8के जड़ते हN। इसी तरह से मेरH ननद पढ़ के Jफर Qैि8टस करके चुदाई मK चौके छ8के मारे गी…” और ये कह
के, मNने उसकe दोन Jकशोर चूtचय को कसकर पकड़कर एक करारा ध8का मारा।

गुmडी- “हां भाभी…” कहकर उसने भी चूतड़ उठाकर, ध8के मारकर जवाब Fदया।

मNने उसे उसी तरह, पकड़े पकड़े उठाकर गोद मK बठा @लया और उसे @सFटंग पोजीशन के बारे मK बताने लगी,
कe इसमK मदw कसकर चूची का मजा ले सकता है , चूम सकता है ।
103
मN उसकe पीठ और चूतड़ पकड़कर हbके ध8के मार रहH थी और वो भी गा~ड Fहला-Fहला के जवाब दे रहH थी।
एकदम पैदायसी चद
ु 8कड़ थी मेरH ननद और जरा सी ‡े sनंग से वो प8कe sछनार बनने वालH थी। और मN भी
उसकe ‡े sनंगं मK कोई कोर-कसर बाकe नहHं छोड़ने वालH थी।

मNने उसे समझाया- “दे ख कामस—


ू मK भी इस पोजीशन के बड़े तरHके बताये गये हN। अगर मख
ु से मख
ु , जंघाओं
से जंघायK, बाह से बाहK जुटH रहती हN, ऐसे… हां इसी तरह, तो उसे कुमw-आसन कहते हN अगर तT
ु हारH जंघाओं के
बीच कe गुफा मK डालकर, वो अपने sनतंब भ˜रे कe तरह घम
ु ाता है , तो उसे मकwट आसन कहते हN। जब तुTहारे
उरोज उसके सीने से रगड़ खा रहे ह और तम
ु दोन अपनी पैर ¨ास करके अपनी एं‹ड़यां सटाकर झल
ू े कe तरह
आगे पीछ होते हुए चुदाई करो तो उसे दो@लत या झूला आसन कहते हN…” इस तरह मNने बैठकर चुदाई के सारे
पोज उसको अ,छ. तरह Fदखाये।

गुmडी- “पर भाभी, इसमK नुकसान 8या है ?”

“दे ख, पहले फायदा समझ ले- गोद मK बैठकर चुदाने मK चुTमा चाटH, चूची कe रगड़ा रगड़ी का खूब मजा है पर
इसमK कसकर ध8के, नहHं लग सकते। इसी@लये ये आसन अ8सर शुu या अंत मK नहHं इˆतेमाल करके, चुदाई के
बीच मK करते हN। इससे मजे का समय बढ़ जाता है …” धीरे -धीरे दोपहर हो गयी थी तो मNने कहा- अब इंटरवल
कe छु”ी, बाकe 8लास नहा धो के, खाने के बाद लगेगी…”

नहा हम साथ-साथ रहे थे, और उसमK भी छे ड़ खानी जारH थी। वो बोलH- “भाभी, आज आपको मN साबन

लगाऊँगी, जैसे भैया से आप लगवाती हN…” और हाथ मK साबन
ु लेकर पहले तो उसने मेरH पीठ पे लगाया और
Jफर दोन तन पे रगड़ने लगी।

मN 8य पीछे रहती। मNने नोज़ल शावर लेके, सीधे उसकe चूत पे हमला Jकया और उसकe चूत के बीच मK, Jफर
ि8लट पे कसकर धार छोड़ी और का- “दे ख शावर से भी कैसे मजा ले सकते हN…”

शायद शावर का हH असर था, वो बोलH- “भाभी, मुझे आ रहH है …”

“8या? बताओ ना…” मुˆकुराहट दबाकर मN बोलH।

गुmडी- “वहH… जोर से लगी है …”

“खुलकर बोलो… तो करने दं ग


ू ी…” उसे पकड़कर मN बोलH।

गुmडी- “मुझे पेशाब लगी है , बहुत जोर से…” Jकसी तरह रोकती हुई वो बोलH।

“उं हूं रानी ऐसे नहHं, जैसे मNने तुTहK बाकe चीजK @सखाई है ना, वैसे बोलो…”

गुmडी- “ओहो भाभी, मत


ू ना है मझ
ु े…”

“अरे तो मूतो ना, टायलेट तो है। जाकर बैठ जा…”

गुmडी- “ऐसे कैसे, आपके सामने? आप {लHज थोड़ी दे र बाहर चलH जाइये ना या आँखK बंद कर लHिजये…”

“दे ख, हनीमून मK तT
ु हारे भैया ने @सफw इसी@लये मुझे हड़काया था। हम लोग साथ-साथ नहा रहे थे और यहH बात
मNने भी कहH तो वो डांट के बोले कe जब हम हर काम साथ-साथ बना Jकसी शमw के कर रहे हN तो इसमK कौन
सी शमw। हमK सारे शारHkरक फं8शन एक दस
ू रे के सामने करने चाFहये और Jफर और उZहने {यार से समझाया
भी कe, बाडी फं8शन और बाडी ƒलूइड से चूंकe टै बू जड़
ु े रहते हN, इस@लये उसे तोड़ना जuरH है । Jफर वो ये भी
बोले कe लड़क को दे खो, साथ-साथ दHवाल के Jकनारे खड़े हो जाते हN और लड़Jकयां भी, गांव मK तो औरतK साथ-
साथ जाती हN…” उसके म—
ू के sछh पे परू H तेजी से शावर का Qेसर डालती मN बोलH। अब उसकe हालत वाकई
खराब हो गयी थी और वो जांघ को @सकोड़ के बैठ. थी।

104
गुmडी- “भाभी, आप भैया का बदला बहन से ले रहH हN बस {लHज थोड़ी दे र आँखK बंद कर लHिजये और आ“खरH
बार। आगे से मN नहHं कहूंगी, आपके सामने। कर लंग
ू ी…”

“ओके, लो, लेJकन बस एकदम थोड़ी दे र…” और मNने जैसे हH आँखK बंद कe वो बैठ गयी। मN उसके ठ.क बगल मK
खड़ी थी और उसे कन“खय से दे ख रहH थी, जैसे हH सुनहलH धार तेज हुई, मN समझ गयी कe वो ‰क नहHं
सकती। मNने उसे पकड़ @लया और उसने आँखK खोल दH।

गुmडी- “हे भाभी…” बेचारH शमाw रहH थी लेJकन अब उसकe धार ‰क नहHं सकती थी और मN घरू -घरू कर उसे
मूतते दे ख रहH थी।

“अरे 8या शरमा रहH हो…” और जैसे हH वो उठ. मNने अपने साबुन लगे हाथ से उसे… वहां साफ कर Fदया।

गुmडी- “हे भाभी, यहां गंदा…”

“अरे बुšू, कल रात मK अपने यार का लालHपाप चूसेगी तो 8या पूछेगी कe उसने साफ Jकया था? ये सब मन कe
बात है , मNने बताया था ना Jक तीन महHने पहले जब मN अपने किजन कe शादH मK गयी थी तो जीजा ऐसे हH
शरमा रहे थे तुTहारH तरह। और उनकe धार खतम भी नहHं हुई थी कe मNने मुँह मK ले @लया, और चूसने लगी…”

गुmडी- “सच भाभी…” साथ-साथ नहाते हुये उसने पूछा।

“और 8या? उनका मोटा मत ल~ड कसकर मेरH गा~ड मारकर sनकला था और उZहने साफ भी नहHं Jकया था,
ु सोच सकती हो। तेरे भैया भी जब भी मेरH गा~ड मारते हN तो सीधे sनकालकर मेरे मुँह मK डालते हN।
आगे तम
पहले तो थोड़ा बहुत मN Fहचकती थी पर अब तो मुझे भी…”

नहा के हम sनकले तो मNने अपने हाथ से उसके उभार पे ‘सुडौल’ तेल लगाया और उससे बोला कe वो आराम
करे । 8यकe खाने के तरु ं त बाद Jफर उसकe ‡े sनंग चालू होगी। Jकचेन से जब मN sनकलH तो दे खा कe बZनो,
संजीव कपरू को टH॰वी॰ पे तंदरू H tचकेन बनाते न @सफw दे ख रहHं थी बbकe रे सीपी को कापी भी कर रह हH थीं।
मNने कापी पbटH तो उसमK ढे र सारH नान-वेज रे सीपी @लखी थीं।

खाना खाने के बाद हमने थोड़ी दे र आराम Jकया। उस दौरान भी हम दोन कामसू— और बाकe Jकताब से सब
आसन दे ख रहे थे। Jफर मNने उससे झुकने के @लये कहा, और उसके पीछे जाके उसकe टांगK खूब फैला दHं। मNने
उसकe चूत मK अपना थूक लगाकरके गीला Jकया और Jफर एक ध8के मK अपना ‘‡ै प आन’ अंदर घुसेड़ Fदया।
बेचारH कe आह sनकल गयी, लेJकन कमर पकड़कर मN पेलती रहH।

मNने समझया- ““दे ख ये kरयर एZ‡H है , इसमK लड़कe हाथ और घट


ु ने के बल झुक जाती है , और मदw पीछे से
घचाघच चोदता है , जैसे कुsतया चुदवाती है वैसे। इस@लये, इसे डागी पोजीशन भी कहते हN। इसमK मदw को बहुत
मजा आता है 8यकe वो कसकर चूची कe रगड़ाई मसलाई करते हुये हचाहच चोद सकता है । इसके कई तरHके
और भी हN जैसा तुTहK मNने फोटो मK Fदखाया था ना… जैसे तम
ु पेट के बल लेट जाओ, और कुशन या तJकया
लगाकरके वो तुTहारे चूतड़ ऊपर उठाकरके पीछे से चोदे …”

गुmडी- “भाभी, इसमK मझ


ु े 8या करना होगा?” बड़े भोलेपन से उसने पछ
ू ा।

“तT
ु हK ? तम
ु अपनी चूत से ल~ड को @सकोड़ो और हर ध8के के साथ-साथ, जवाब मK पीछे कe ओर अपने चूतड़ से
ध8के मारो कस-कस के…”

गुmडी ने वैसा हH Jकया। मN खचाखच वाइ^ेटर से चोदते हुये बोलH- “दे ख, इस पोजीशन मK लड़कe को मजा खूब
आता है 8यकe ल~ड चूत मK घ,चा-घ,च रगड़ते हुए अंदर जाता है और मदw को भी बहुत अ,छा लगता है
8यकe वह खूब ताकत से चोद पाता है । चूtचय कe जम के रगड़यी मसलाई, साथ-साथ ि8लट को भी छे ड़ने का

105
मजा, और गा~ड मK भी उँ गलH कर सकता है । हां, कई बार घट
ु ने मK ददw होता है , तो अगर तुम घुटने के सहारे
हो तो उसके नीचे कुशन लगा सकती हो…” इसके बाद मNने उसे साइड इZ‡H के तरHके, खड़े-खड़े चद
ु ाने के तरHके
सब @सखाये। मNने बताया कe मदw पीछे से भी, लेटकर ले सकता है , टांगK उठाकर। इसमK tचपका-tचपकe परू H होती
है लेJकन से8स कe पीड धीमी होती है ।

गुmडी- “भाभी, आपको Jकतने आसन पता हN? भैया करते हN इस तरह?” हँसकर उसने पछ
ू ा।

“हां, सोने के पहले। इसको पूsनंग कहते हN 8यकe चTमच कe तरह इसमK एडजट हो जाते हN। ऐसा अकसर वो
अंत मK करते हN और चोदते-चोदते हम सो जाते हN। झड़ के उनका ल~ड मेरH चूत मK हH पड़ा रहता है । वो पीछे से
मेरH चूtचयां पकड़े-पकड़े सो जाते है , और मुझे भी उनकe दे ह का अहसास नींद मK भी होता रहता है । और सुबह
उनका हरदम खड़ा होता है तो वो Jफर से चालू हो जाते हN…”

गुmडी- “और भाभी, जब आप ऊपर होती है तो?”

“अ,छा तो तेरा खुद चोदने का मन कर रहा है ? चल वो भी @सखा दे ती हूं। पर ये Œयान रखो कe Jकसी भी
आसन मK तीन बातK होनी चाFहये, पहलH बात उसमK तुम दोन कTफरटे बल हो, दस ू रा उसमK चद
ु ाई के साथ और
8या-8या कर सकते हो और तीसरा उसमK आगे-पीछे ध8का लगाने मK Jकतनी आसानी है । और इसके अलावा
मौके और मूड पे भी ‹डपKड करता है । उस Fदन तुTहारे घर पे इoते मेहमान थे पर राजीव मK मुझे इशारा करके
बाथuम मK बल
ु ाया और खड़े-खड़े मNने साड़ी उठा लH और उZहने @सफw िजप खोलH। टांग उठाकर मNने जम के
चुदवा @लया। हां जो मNने तुTहK ए8सरसाइज़ बतायी थी ना वो जuरH हN टांग, जंघाओं, कमर इन सबकe मजबूती
के @लये। तभी चुदाई का भरपूर मजा ले सकती हो…”

Jफर मNने उसे औरत ऊपर आकर कैसे चोद सकती है , खूब ‹डटे ल मK समझाया। मN वाइ^ेटर इˆतेमाल तो कर रहH
थी पर इस बात का Œयान रख रहH थी Jक वो कहHं झड़ ना जाये या yयादा उoतेिजत न हो 8यकe Jफर उसका
Œयान सीखने कe बजाय मजा लेने मK लग जाता। लेJकन हालत तो हम दोन कe खराब हो रहH थी।

वो बेचारH खुलकर बोलH- “भाभी बहुत मन कर रहा है …”

“ठ.क है लेJकन बहुत हो गया मदw बने। चल, अब लड़Jकय कe तरह मजा लेते हN…”

गुmडी- “हां भाभी हां। बस, मुझे Jकसी तरह एक बार झाड़ दो…”

“उं हं , ऐसे नहHं मNने तT


ु हK इoती ‡े sनंग दH, चल पहले मुझे गुuद•णा तो दे । चाट मेरH बुर…”

गुmडी- “ठ.क है भाभी, लेJकन आपको मुझे @सखाना पड़ेगा…”

“एकदम, चल नीचे मेरH टांग के बीच बैठकर Jकस कर पहले, अरे सीधे चूत पे नहHं पहले आस-पास…”

और उसने ऐसा हH करना शुu Jकया।

मेरH चूत तो पहले हH गीलH हो रहH थी। अब एकदम पानी फKकने लगी- “हां चूस अब, जैसे संतरे कe फांक चूसती
है ना वैसे हH पहले हbके-हbके। हां, अब कस-कसकर… हां, अब जीभ अंदर ठे ल, हां हां ऐसे हH…”

अब उसने कस-कसकर चूसना शुu कर Fदया। वो एकदम नेचुरल थी। उसके Jकशोर हठ के बीच मेरH चूत
एकदम मत हो रहH थी। मNने अपने घुटने @सकोड़ के उसके सर को कसकर दबा @लया। अपने दोन हाथ से
उसके सर को दबाकर उस क,ची कलH के मँुह को अपनी चूत पे कस-कसकर रगड़ रहH थी। तब तक उसकe जीभ
ने मेरH ि8लट को भी ढूँढ़ @लया था और वो उसे कसकर चाट रहH थी। उसकe अनगढ़ चुसाई ने मेरH चूत कe
चूस-चूस के हालत खराब कर दH। मN भी कसकर उसका सर पकड़कर उसका मुँह चोद रहH थी। थोड़ी दे र मK उसने
मेरा सारा रस झाड़ Fदया।

106
थोड़ी दे र तो मN आँखK बंद करके चुपचाप पड़ी रहH। Jफर जब मNने उसकe ओर दे खा तो मN मुˆकुराये बना नहHं रह
सकe। वह मेरH चत
ू के रस कe एक-एक बद
ंू चाटकर, पी रहH थी।

मुझे दे खकर मेरH ओर अपनी बड़ी-बड़ी Jकशोर आँखK उठाकर बोलH- “भाभी, अब मेरH…”

“एकदम… मेरH ननद रानी…” और उसको खींचकर मNने अपने साथ पलंग पे @लटा @लया।

पहले तो मNने उसके गुलाबी हठो पे कसकर एक चुTमा @लया और Jफर मेरे हठ सरक कर उसके छोटे -छोटे
रसीले उभार पे आ गये। मNने न @सफw उZहK कसकर चूमा बbकe उसके चूचुक को अपने मुँह मK लेकर कसकर
चूसा भी। बेचारH कe हालत खराब हो गयी, पर अभी असलH Jकला तो बाकe हH था, उसका रस कूप। मेरH जीभ
वहां अगल-बगल घम
ू ती रहH, टहलती रहH। पर मजे मK बेताब वो अपने चूतड़ उछालने लगी तो मुझे दया आ गयी
और एक झटके मK मेरे हठ ने उसके पतले गुलाबी रस कe फांक को एक झटके मK गड़प कर @लया। मेरे हठ
उसे कसकर चूस रहे थे और जीभ कसकर चाट रहH थी।

थोड़ी हH दे र मK वो झड़ने के कगार पे आ गयी। पर मN इoती आसानी से उसे छोड़ने वालH थोड़ी थी। थोड़ा सरक
के मNने अपनी दोन जांघK उसके सर के दोन ओर इस तरहकर लH कe मेरH चत
ू ठ.क उसके मँुह के ऊपर थी।
थोड़ा ‰क के मN Jफर चालू हो गयी। अबकe मNने उसके चूत के दोन पपोट को दे खा, एकदम गुलाबी और कसकर
सटे । मN सोचने लगी कe कुछ हH Fदन मK ल~ड के ध8के खाकर इनकe रं गत कैसे बदलने वालH है । मNने उZहK
उँ गलH से फैलाकर अपनी जब
ु ान अंदर कर दH और उसकe चत
ू चोदने लगी।

थोड़ी दे र मK वो Jफर गा~ड पटकने लगी। कुछ दे र तक ऐसे हH चोदकर मNने जीभ sनकालH। मNने दोन हाथ से
उसके चूतड़ कसकर पकड़ रखे थे। जब मेरH जीभ उसकe चूत से sनकलकर पीछे कe ओर बढ़H तो मेरH शैतान
उं ग@लय ने उसकe गा~ड के छे द को फैलाने कe को@शश कe। मNने ढे र सारा थूक मुँह मK बनाकर उसकe गा~ड के
छे द पे लगा Fदया। एकदम कसा, tचपका।

गुmडी- “नहHं भाभी, उधर नहHं, {लHज मेरH चूत चूसो ना…”

“8य नहHं ननद रानी। 8या गा~ड अपने भैया से चुसवाओगी। चल पहले मेरH चूत चूस…” और मNने अपनी बुर
उसके मुँह पे कसकर दबाकर सील कर Fदया। वो बेचारH पहले तो ग-ग करती रहH, Jफर चूसने लगी। अब मNने
अपने हठ उसकe गा~ड पे कसकर लगाकरके दो चार चुTमे ले @लये और बोलH- “अरे ननद रानी घबड़ाती 8य
है । इसमK भी मोटे -मोटे ल~ड घस
ु Kगे। अ,छा ले मN तेरH गा~ड चूम रहH है और तो तू बदक रहH है । ले, तू भी मेरH
गा~ड चाट, चूत मरानी…”

और ये कहकर थोड़ा सरक के मNने अपनी गा~ड भी उसके मुँह पे लगा दH। मN इतनी कसकर उसके मुँह पे बैठ.
थी कe गा~ड चाटने के अलावा उसके पास और कोई चारा नहHं था। मNने दो उँ गलH लगाकरके पूरH ताकत से
उसकe कसी सकरH कंु वारH गा~ड बड़ी मिु ˆकल से, बहुत थोड़ी सी फैलायी और Jफर वहां चूमकर अपनी जीभ कe
Fटप अंदर डाल दH। थोड़े दे र उसे इस तरह छे ड़कर, वापस मNने उसकe चूत चाटनी शुu कर दH और उसके मुँह मK
भी अपनी चूत दे दH।

उसके ऊपर से मुँह उठाकर मNने कहा- “दे ख, इसे हH 69 कहते हN इसमK हम दोन कैसे साथ-साथ मजा ले रहे हN।
तुTहारे भैया को भी ये बहुत पसंद है । मN नीचे से उनका ल~ड चूसती हूं और वो ऊपर से मेरH चूत। मुझे भी
बहुत अ,छा लगता है कई बार तो वो अपनी नाक भी मेरH ि8लट पे रगड़ते हN…” और हम दोन ने Jफर से एक
दस
ू रे को चूसना चालू कर Fदया। इस बार जब वो झड़ने के कगार पे पहुँची तो मN ‰कe नहHं। मNने उसके ि8लट पे
जीभ कस के रगड़ी और वो कस-कसकर झड़ने लगी। लेJकन वो भी अब शैतान हो चुकe थी, उसने मेरH ि8लट
अपने हठ मK लेकर कसकर चूसा और हbके से काट भी @लया। मN भी साथ-साथ झड़ने लगी। दे र तक हम दोन
साथ-साथ झड़ते रहे ।
107
जब हम उठे तो शाम होने वालH थी। तब तक मुझे कुछ याद आया तो उसके चूतड़ पे, कसकर मार के मN बोलH-
“हे , हम भी गजब के… अरे तेरे यार को तो कल का QोDाम बताया हH नहHं। बेचारा बेताब होगा…”

गुmडी- “हां भाभी, आज मNने कूल तो गोल हH कर Fदया। वो बेचारा इंतेजार कर रहा होगा। अब?”

“ऐसा कर तू आज Tयिू ज़क 8लास जा और…”

गुmडी- “पर भाभी, आज तो Tयूिज़क 8लास है हH नहHं…”

“अरे तो उससे 8या होता है , तझ


ु े तो मालूम हH है उसका अडडा, जहां वह अपने दोत के साथ…”

गुmडी- “पर भाभी, वहां उसके साथ उसके दोत भी हगे। 8या सोचK गे वो?”

“अरे अब तझ
ु े उसके दोत के सोचने कe Jफ¨ पड़ी है , ऐसी शरमाती रहे गी तो मजे ले चुकe। अरे , उसे दोत
से थोड़ा दरू बुला के QोDाम समझा दे ना, वरना वो बेचारा रात भर तड़पता रहे गा। चल ये |ाक पहन और जा…”
उसके जाने के बाद मNने येलो कलर का एक शलवार-सूट पहन @लया और उसके @लये पोटw स शटw और शाटw
sनकाल Fदया।

वो कुछ दे र बाद जब आई तो खुशी से गुनगुना रहH थी और सीधे Jकचेन मK घस


ु गयी। जब वो बाहर sनकलH तो
मNने उसको एक टHन पोटw स ^ा दH और कहा Jक इसे पहन लो।

पहनते हुये वो बोलH- “भाभी, आपने सहH कहा था। वो बेचारा बहुत परे शान था कe मN कूल 8य नहHं आई? कहHं
मेरH तबीयत कुछ और? जब मNने QोDाम बताया तो वो खुशी से पागल हो गया। 8यकe परस सुबह हH उसे
अपने गांव वापस जाना है। लेJकन एक बात गड़बड़ हो गई…”

“8या जbदH बता, ये पोटw स टH-शटw पहन…”

गुmडी- “भाभी, वहां Fदया @मल गयी थी। वो मुझे उससे बात करते दे खकर जल के खाक हो गयी, अब वो सबसे
जाकर गायेगी Jक मN चुदाना चाहती थी। पर वो भी बात Jकये हH जा रहा था…”

“अरे तो 8या हुआ? गाने दे । खुद तो Jकतने साल से अपने सगे भैŠया से चुदा रहH है और… अ,छा ले ये शाटw
पहन…”

गुmडी- “लेJकन भाभी एक अ,छ. बात भी उसने बतायी, मNने तम


ु से उस डा8टर लड़के के बारे मK बताया था ना।
वो बोल रहH थी कe जब वो उससे @मलती है तो वो मेरे बारे मK हH प¢
ू ता है और अब कल-परस उसकe भाभी
Jफर दा“खल हगी तो वो कह रहH थी Jक मN जuर आऊँ। मेरे कहने से वो डा8टर उनकe बहुत मदद कर दे ता
है …”

पोटw स शटw मK उसके उभार खूब “खल के Fदख रहे थे और शाटw तो छोटा था हH, उसकe गोरH जांघK एकदम साफ-
साफ Fदख रहH थीं। मNने उसे रै केट पकड़ा Fदया और हाथ पकड़कर बाहर ले आई।

गुmडी चJकत रह गयी- “अरे भाभी, ये 8या?”

“ये तेरे भैया से कहकर मNने बैड@मंटन कोटw बनवा Fदया है अब हम रोज यहां खेलKगK…” हम दोन नK खेलना शुu
Jकआ। जब वो झुकती या शाट मारती तो उसके उभार खूब “खल रहे थे। कालेज के Fदन मK मN भी बै‹डमंटन
चैिTपयन थी और गुmडी भी अ,छा खेलती थी।

थोड़ी दे र तक तो खेल ठ.क चला। कुछ दे र मK मNने दे खा कe उसका Œयान बंट रहा है । वो बार-बार सामने दे खती,
िजधर नीरज का घर था। मNने पीछे मुड़कर दे खा तो कोई छाया सी उसके घर मK घस
ु ती Fदखी। मNने जब पछ
ू ा तो
मुˆकुराकर उसने हामी भरH कe नीरज हH था और अपने घर से उसे दे ख रहा था। हमने खेल खतम Jकया लेJकन
साथ-साथ दो नैनो का खेल भी चल रहा था।
108
नीरज बार-बार बाहर आ जाता। पहले तो वो @सफw दे ख रहा था, लेJकन बाद मK दोन ओर से इशारे भी चालू हो
गये। और सच पsू छये तो, मN चाहती भी यहH थी।

दो खेल पूरा करके हम अंदर आ गये। मN Jकचेन मK जाने वालH थी कe उसने मुझे रोक Fदया- “नहHं भाभी, आज
आप Jकचेन मK नहHं जायKगी…”

“8य…” चJकत होकर मNने पूछा।

गुmडी- “इस@लये मेरH अ,छ. भाभी Jक जैसा आपने कहा था भैया कल सुबह हH चले जायKगे और Jफर परस दे र
रात और वो भी शायद आपका इतना लंबा उपवास रहे गा तो इस समय का आप सदप
ु योग कर लHिजये। Jकचेन
और भैया के बाकe काम मेरे िजTमे और वो ‘काम’ आपके…” आँखK नचाकर शरारत से वो बोलH।

जैसे हH वो आये, उनकe आँखK गुmडी के छलकते जोबन और शाटw से बाहर झांकती जांघ पे पड़ीं। हम सब साथ
कमरे मK आये। गुmडी ने उनके जूते उतारे , कपड़े Fदये।

मNने पछ
ू ा- “नाˆता 8या करK गK?”

वो बोले- “नाˆता नहHं बस खाना जरा जbदH, कल सुबह हH sनकलना है …”

गुmडी- “अरे इoता अ,छा नाˆता सामने है तो नाˆते कe 8या जuरत। भैया तो आपका हH नाˆता करK गK…” मेरे
गाल पे tचकोटH काटकर गुmडी ने tचढ़ाया।

“अ,छा बोलH, भैया कe बहना…” राजीव को Fदखाकर उसके sनतTब पे कसकर दबाते हुए मN बोलH।

“सहH तो कह रहH है मेरH बहना…” कहकर राजीव ने मेरे गाल को कसकर सहलाया। अब हम तीन के बीच शरम
लगभग खतम सी हो गयी थी।

“तेरH बहन कe… फुŸी माuं…” कहकर कसकर गुmडी कe चूची मसलकर मN बोलH।

“मेरH बहन कe तो बाद मK दे खना पर पहले अपनी फुŸी बचा…” और वहHं उZहने मुझे पलंग पे @लटा @लया और
कसकर चूमने लगे।

गुmडी- “ठ.क है आप दोन अपने काम मK लग जाइये और मN अपने। खाना बनते हH मN बता दं ग
ू ी। भाभी, ^ेक
करके आ जाइयेगा…” और बना दरवाजा बंद Jकये वो मुˆकुराते हुये चलH गयी।

राजीव तुरंत चालू हो गये। बना इंतजार Jकये उZहने मेरH शलवार का नाड़ा खोला और… बेताब तो मN भी हो रहH
थी। दो राउं ड लगातार तूफानी चुदाई के बाद जैसे हH हम सुता रहे थे कe आवाज आई- “‹डनर तैयार है …”

जब हम लोग बाहर पहुंचे तो दं ग रह गये। िजस तरह ‹डनर लगाया गया था, उसके साथ हH आइस बकेट मK एक
बोतल भी रखी थी और œलासेज भी।

“‹डनर तो बहुत से8सी लग रहा है …” राजीव बोले।

“और ‹डनर बनाने वालH?” मNने छे ड़ा।

“वो तो से8सी है हH…” हँसकर वो बोले। और वातव मK टNक-टाप मुिˆकल से उसके उभार को ढक रहे थे, और
टाईट और लो-कट भी थे। उसके sनपल साफ-साफ Fदख रहे थे। घर मK तो वो ^ा पहनती हH नहHं थी, और कटw
भी घट
ु ने से बहुत ऊपर।

राजीव के पास आकर गुmडी ने उनके œलास मK पहले तो आइस 8यब


ू रखे और Jफर बड़े अंदाज से िहकe ढालH।
मझ
ु से उसने पछ
ू ा- “भाभी आप 8या लK गी हाडw या साƒट? अपने लोग के @लये मNने कोbड ‹`ंक रखा है …”

109
“अरे मुझे तो हर चीज हाडw पसंद है। तुझे इoते Fदन मK इतना भी पता नहHं चला। और हां तू कैसी साकe है । दरू
से दे रहH है गोद मK बैठकर दे ना…”

गुmडी- “लHिजये भाभी, और वो राजीव कe गोद मK बैठ गयी। साथ मK खाने के @लये उसने एक {लेट मK Fट8का
और कबाब पेश Jकये और अपने हाथ से एक Fट8का उठाकर सीधे राजीव के हठ के बीच बड़ी अदा से Fदया
और कहा- “लHिजये भैया, मेरे हाथ से बनाया हुआ Fट8का…”

“वाह… ये तो बहुत वाFद¥ट हN। पर ये तो tचकेन…” वो खुश होकर बोले।

“तू ने बनाया है tचकेन Fट8का? तू तो {योर शाकाहारH है , हाथ तक नहHं लगाती थी…” चJकत होकर मNने पूछा।

गुmडी- “अरे भाभी, आप हH तो कहती थीं ना Jक हर चीज को कभी ना कभी पहलH बार शुu करना पड़ता है । तो
मNने भी सोचा कe आप और भैया जब मजा लेते हN तो मN 8य पीछे रहूं…” मजे से उनके हाथ से बचा हुआ
tचकेन Fट8का लेकर ग{प करती हुई वो इठलाते हुए बोलH।

“अरे तो Jफर ये चीज 8य बची है , ये भी चखा दो ना इसको…” राजीव से उनके œलास कe ओर इशारा करते हुए
मN “खल“खला के बोलH।

“एकदम…” और राजीव ने साइड से उसके उभार को पकड़कर अपनी ओर खींचा, और अपना œलास उसके गुलाबी
हठ पे लगाकरके Qेस Jकया।

थोड़ा नखड़ा Fदखाने के बाद वो गटक गयी। Jफर 8या था, उसी œलास से हम तीन… थोड़ी दे र मK हम तीन ने
पूरH बोतल खालH कर दH और उसके बहुत नखड़े Fदखाने पे भी मN उसको तीन चार पेग Pपलवा के हH मानी। हम
तीन हH हbके नशे मK थे। राजीव कe उं ग@लयां अब खुलकर उसके Jकशोर उभार पे भटक रहH थीं, और उसके
बाद जब उसने खाने कe ‹डशेज खोलHं तो… वाकई पूरH दावत थी, तंदरू H tचकेन, मटन कोरमा, बरयानी।

जब उसने राजीव कe {लेट मK एक लेग पीस रखी तो थोड़ा सा खाकर हH वो बोले- “वाह…” और गुmडी कe ओर
बढ़ाकर बोला- “ले तू भी तो खा…”

उसने उसको लेकर इस तरह से चाटना करना शुu Jकया कe Jकसी मोटे @शˆन को चाट रहH हो। Jफर एक बार मK
गड़प कर गयी। मNने अपना हाथ राजीव कe शाटw मK डाला तो उनका मोटा ल~ड ये सीन दे खकर के एकदम तZना
गया था।

“हे , तेरा इंटरकोसw के बाद 8या इरादा है ?” राजीव के ल~ड को मुFठयाते हुए मNने पूछा।

गुmडी- “भाभी…” tचकेन लेग को उसी तरह चाटते हुए, उसने बुरा सा मुँह बनाया।

“अरे , तेरH भाभी का मतलब है कe इंटर का कोसw के बाद तू 8या करे गी?” राजीव ने बात सTहालH।

गुmडी- “ओके… मN तो समझी थी Jक यहां Jकसी सड़े से कालेज मK बी॰एससी॰ कuंगी और 8या? यहां और…”

“हे तू पी॰एम॰टH॰ कe कोtचंग 8य नहHं करती। आकाश कोtचंग मK अ,छ. जान पहचान है इनकe…” मNने उसे
सलाह दH।

गुmडी- “पर भाभी, उसका इं‡Kस बहुत कड़ा होता है और Jफर उसमK कहां एड@मशन हो पायेगा…” वो बालH।

“अरे तू उसकe परवाह ना कर, PपछलH बार जब वो फंसा था ना पेपर आउट मK , उसकe तो मार हH लेते, उस
समय मNने हH बचाया था। साल भर के कोसw का बहुत अ,छा kरजbट होता है , तो मN कuं ना बात? अरे मेरH
ननद कब से कड़े से डरने लगी? और हां तू हमारे साथ रहना, लेJकन पेइंग गेट बनके रहना पड़ेगा, बोल तैयार
है ?”

110
गुmडी- “एकदम भाभी… 8या पे करना पड़ेगा…”

“करना नहHं करवाना पड़ेगा। मेरा मतलब है ‘काम’ करना पड़ेगा…”

गुmडी- “भाभी, आपकe ये ननद ‘काम’ से भागने वालH नहHं। िजoती बार कFहयेगा उoती बार, Fदन रात, हमेशा
तैयार रहे गी…”

और हम तीन असलH मतलब समझ के हँसने लगे। राजीव ने उसकe आंख मK आखK डालकर पूछा- “प8का…”

और उसने उनका हाथ कसकर पकड़कर कहा- “एकदम प8का…”

तय ये हुआ कe जब हम लोग होलH मK आयKगK तो वो हमारे साथ चलेगी और ए‹डमशन टे ट दे दे गी और उसके


बाद हम लोग के साथ साल भर रह के कोtचंग करे गी।

राजीव इतने उoतेिजत थे कe वहHं मुझे चोदना शुu कर दे ते। मNने उZहK समझाया कe तरु ं त मN Jकचेन समेट के
ऊपर अभी आती हूं।

पर गुmडी हँसकर बोलH- “नहHं भाभी, आप जाइए ना मN सब समेट दं ग


ू ी…”

“मेरH अ,छ. {यारH ननद, चल कल मN तेरा सारा बदला चुका दं ग


ू ी। लेJकन याद रखना आज कोई कNडल, उँ गलH
कुछ नहHं। @सफw आराम…” मN भी अ,छ. तरह से नशे के शu
ु र मK थी। मNने उसके टाप को उठाकर उसके Jकशोर
जोबन कसकर दबा Fदये। जब मNने दे खा कe राजीव भी उधर दे ख रहे हN, तो टाप sनपल तक उठाकर उZहK Fदखाते
हुए उसे कसकर रगड़ Fदया।

उस रात राजीव ने सारH रात मुझे कसकर रगड़ के चोदा। एक @मनट भी नहHं सोये हम, बस चुदवाती रहH,
चुदवाती रहH मN। राजीव तो अगले Fदन सुबह चले गये।

जब वो कूल से आई तो मNने पूछा- “हे मNने कहा था गZने का रस… ले आई?”

गुmडी- “हां भाभी…” और उसने मुझे दो œलास गZने का ताजा रस पकड़ा Fदया।

“Jकoता पैसा लगा?” मNने पछ


ू ा।

“कुछ नहHं भाभी, |e…” हँसते हुए वो बोलH।

“8य, 8या मेरा नंदोई लगता था? तूने गZने वाले को भी यार बना @लया 8या? या उसे चूtचय कe झलक Fदखा
दH जो |e मK दे Fदया…” मNने tचढ़ाया।

गुmडी- “अरे भाभी ये सब तो आप अपनी F‡क बता रहH हN। असल मK वहां नीरज @मल गया। उसने मुझे गZने
का रस Pपलाया और जब मN ये खरHदने लगी तो उसका भी पैसा उसने दे Fदया…”

“अरH वो अपने गZने का रस तT


ु हK Pपलाने के च8कर मK है, लाइन मार रहा होगा…”

गुmडी- “आपने सहH समझा, भाभी। कह रहा था कe उसके पैरKटस तीन चार Fदन के बाद 10-15 Fदन के @लये
बाहर जा रहे हN। तब वो yयादा |e हो जायेगा…” हँसकर वो बोलH।

“और वो तेरा यार, िजसके साथ आज @मलन कe रात है , @मला था कe नहHं?”

गुmडी- “अरे भाभी, वो तो सुबह हH। पता नहHं बेचारा कब से राह दे ख रहा था, जैसे हH मN घर से sनकलH, उसी
समय @मला। मNने उसे Jफर से सब कुछ समझा Fदया कe ठ.क रात के 10:00 बजे जैसे घर कe लाइट बुझे…”

“अ,छा तो चल अब चाय पीकर तू दो तीन घंटे आराम कर, आज तेरH पूरH रगड़ाई होने वालH है , उसके बाद मN
तुTहK तैयार करती हूं…” मN बोलH।

111
और चाय पीकर वो सो गयी और मN अपने काम मK लग गयी।

“चल बZनो उठ, अब टाइम हो गया है …” मNने उसे जगाया और बाथuम मK ले गयी। वहां गुनगुने पानी मK मNने
बाथटब मK गुलाब कe पंखु‹ड़यां डालकर पहले हH तैयार कर रखा था।

सब कपड़े उतारकर वो उसमK लेट गयी। उसके लंबे मोटे घने काले बाल बाहर sछतरा रहे थे। एक सुगंtधत
आयुवqFदक शैTपू से मNने उसके बाल शैTपू Jकये। उसके लंबे गोरे हाथ और पतलH उं ग@लय मK अ,छ. तरह
मैनी8योर Jकया, नाखून उसके लंबे थे तो उZहK शेप Jकया और Jफर उसे बैठाकर उसके पैर फूट-बाथ मK डालकर
रखा। उसकe पुरानी पा@लश उतारH, पैर कe उं ग@लय के नाखून फाइल Jकये, अंगु@लय के बीच से रगड़-रगड़ के
साफ Jकया और Jफर अ,छ. तरह ºब Jकया।

गुmडी- “हां भाभी, बहुत अ,छा लग रहा है …”

“अभी और अ,छा लगेगा मेरH बZनो…” तभी मेरH sनगाह उसकe झांट पे गयी। उसने साफ तो Jकया था पर
हbकe-हbकe Fदख रहHं थी। मNने पछ
ू ा- “8य, कब साफ Jकया ये घास फूस?”

गुmडी- “भाभी 4-5 Fदन हो गये…”

अरे तो चल Jफर मN इZहK साफ करती हूं और Jफर मNने सारे बाल, कांख से लेकर नीचे तक ¨eम लगाकरके साफ
Jकये और हालांकe उसके पैर tचकने थे Jफर भी एPपलेटर से उZहK एकदम हH tचकना Jकया। Jफर कहा- “चल अब
Jफर से लेट जा टब मK। अब मN तेरे बाल धोती हूं…” और बाल धोने के बाद Jफर चंदन के साबुन से उसे मल-मल
के नहलाया। जब वह तौ@लये से पछकर sनकलH तो एकदम |ेश लग रहH थी। Jफर मN उसे अपने कमरे मK ले
गयी मेक-अप करने के @लये।

जब मN मेहंदH लगाने बैठ., तो गुmडी बोलH- “नहHं भाभी, ये नहHं इसकe 8या जuरत है ?”

“अरे बZनो इसकe तो सबसे yयादा जuरत है , जब तम


ु अपने मK हदH लगे हाथ से उसका ल~ड पकड़ोगी तो
एकदम तZना के खड़ा हो जायेगा…” Jफर मेकअप शुu करने के साथ मNने उसे समझाया कe मेकअप कe 8या
खास बातK हN। हर लड़कe के चहरे मK कुछ खास बातK हN वो हाइलाइट करनी चाFहये इसी तरह शरHर मK ।

“भाभी मेरे चेहरे मK और शरHर मK 8या खास है …”

“सब कुछ मेरH बZनो, बस तम


ु जानती नहHं कe तम
ु 8या हो। एक Fदन तुम शहर मK आग ना लगा दो तो
कहना, सारे ल˜डे तेरा नाम लेकर मुटठ मारK गK। तेरH हाइ चीक-बोZस, ये शापw हठ िजसके @लये लड़Jकयां मरती हN
तेरे एकदम नेचुरल हN। और तेरे शरHर मK तेरे मTमे, तेरH पतलH कमर और लK डर बाडी |ेम पे ये तो जान मारते
हN। तू थोड़ा सा Œयान दे ना तो बस… तेरा शरHर एकदम मे,योर हो रहा है और तेरा चेहरा भोला-भाला ब,च
सरHखा, बस इसी पे तो लोग मरते हN। और हां, मेक-अप के पहले ये तय कर लो कe 8या मौका है तT
ु हK कैसा
लक
ु दे ना है …” उसके चेहरे का फे@सयल करते हुए मNने उसे समझाया।

फेस-पैक लगाकरके थोड़ी दे र के @लये मNने छोड़ Fदया। चंदन पाउडर, मलाई और हbदH कe मNने खास ¨eम बनाई
थी। वो मNने उसके परू े दे ह मK लगाई, खासकर उरोज पे। Jफर उसे पलट के उसके sनतंब, जंघाओं को अ,छ.
तरह गूंथ के मा@लश करते हुए सारH थकान sनकाल दH।

गुmडी- “भाभी बहुत आराम लग रहा है । मN इतनी हbकe लग रहH हूं Jक मन कर रहा है जैसे सो जाऊँ…”

“सो जा, रात भर तो रात-जगा होना हH है …” उसके गुलाबी चूतड़ को दबाते और मसलते हुए मुझे एक शरारत
सूझी और मNने उस लेप मK थोड़ा और सुगंtधत चंदन का तेल @मलाया और उसे ढे र सारा, अपनी बीच कe उँ गलH
मK लपेटकर उसकe गा~ड थोड़ी फैलाकर अंदर तक घस
ु ेड़ Fदया।

112
गुmडी- “हे भाभी…” वो tचbलायी।

“अरे सारH रात गमकती रहे गी और वो तेरा यार ढूँढ़ता रहे गा कe कहां से महक आ रहH है …” मN बालH।

उसका फेस पैक सख


ू चक
ु ा था। उसे उतारकर मNने मेक-अप शu
ु Jकया। कालH कजरारH आँख से उसकe बड़ी घनी
भ˜ह को संवार कर, पलक पे मकारा, बरोsनय मK आई लैशेज, और Jफर काजल कe तीखी रे खा। ऊँची चीक-
बोZस को थोड़ा और हाईलाइट, शापw करके गुलाबी भरे -भरे गाल पे थोड़ा सा uज लगाकर, उसके हठ यूं हH बड़े
रसीले लगते थे। उसके गोरे चेहरे को Œयान मK रखकर मNने गाढ़H लाल @लपिटक चुनी और Jफर ^स से लाइनर
और गीले लुक के @लये @लप-œलास भी लगाया Jफर मैtचंग नेल पा@लश। Jफर पूछा- “हे 8या पहनोगी? वैसे
Jकoती दे र तक तुTहK पहने रहने दे गा वो? लंहगा चलेगा?”

गुmडी- “नहHं भाभी, बहुत फारमल लगेगा…”

“तो ठ.क है , साड़ी चलेगी? मेरे पास एक अ,छ. ^ोकेड कe गुलाबी साड़ी है , लाल बाडरw कe…”

गुmडी- “हां भाभी, साड़ी ठ.क है …”

“आज जरा उसे मेहनत करने दो…” और ये कहकर मNने उसे पNटH और ^ा दH। दोन हH गुलाबी, और लेसी थीं।
पNटH बहुत डीप-कट और ^ा हाफ थी और उसके उभार को और उभार रहH थी। मN अपने गहन का बा8स और
चूड़ी-केस उठाकर ले आई। कुहनी तक लाल लाल चू‹ड़यां, बीच-बीच मK लाख के और अपने सोने के जड़ाऊदार
कंगन, पतलH लंबी उं ग@लय मK अंगूFठयां। Jफर मNने कहा- “गुmडी, मेरH तेरH साइज बराबर है । कभी मN अपनी
जगह तT
ु हK तT
ु हारे भैया के पास भेज दं ग
ू ी तो उZहK पता नहHं चलेगा…”

गुmडी- “हां भाभी, लेJकन एक चीज छोड़ के…” मेरे सीने कe ओर दे खकर शरारत से वो बोलH।

“अरे वो भी मेरे बराबर हो जायKगK, बस इसी तरह यार से रगड़वाती मसलवाती रहो…” उसका बाल बनाते मN
बोलH।

उसके बाल वैसे हH खूब मोटे और लंबे थे उसके sनतंब से भी नीचे। मNने गजरे लगाकरके उसकe चोटH बनाई और
Jफर उसमK लाल सुनहला पkरंदा लगाया। साड़ी तो मेरH हो गयी पर ’लाउज का सवाल था। मुझे एक आइ‹डया
आया- “हे वो चोलH कैसे रहे गी जो तेरे @लये वो बार गलw वाले {ले के @लये @सलवायी है …”

गुmडी- “नहHं भाभी, वो बहुत वैसी है , खुलH-खुलH है…”

“अरे तो 8या हुआ? ले चल पहन…” और मNने ^ा के ऊपर लाल रं ग कe चोलH पहना दH। सच मK वो बहुत लो-कट
थी और बैकलेस, नकु eले उभार वालH, ि‡ं ग से बंधी। मNने उसे पीछे से कसकर बांध Fदया। जोबन खूब उभर के
सामने आ गये और पीठ तो परू H कe पूरH Fदख रहH थी, खूब गोरH और tचकनी, मत-मत। उसकe पीठ सहलाती
मN बोल पड़ी- “बड़ी से8सी और 8ला@सक पीठ है तेरH…”

गुmडी- “8य भाभी, ऐसी 8या खास बात है मेरH पीठ मK?” इठला के उसने पछ
ू ा।

“काम शा— मK @लखा है Jक िजस —ी कe पीठ केले के पoते कe तरह हो, tचकनी और बीच मK गहराई हो, उसमK
काम भावना बहुत Qबल होती है । दे ख तेरH एकदम ऐसी हH है …” उसकe रHढ़ को उँ गलH से सहलाते हुये मN बोलH।

गुmडी- “धoत भाभी…” शमाw के वो बोलH।

साड़ी मNने उसके चौड़े कूbह के नीचे बांध के पहनाई, और नाभी से तो बहुत नीचे, कम से कम एक बीoते नीचे
बांधी और Jफर बाकe t­ंगार, कान मK झुमके, नाक मK एक छोटH सी नथ और Jफर उसकe सरु ाहHदार लंबे गले मK
एक लंबा सा हार िजसका बड़ा सा पK डट
े सीधे उसके, दोन उरोज के बीच जा Fटका, बांह मK बाजब
ू ंद और कमर
मK घूंघ‰ओं वालH सोने कe पतलH सी करधनी पहना दH।

113
जैसे हH मNने उसके पांव कe ओर दे खा तो मेरे मह
ुँ से sनकल पड़ा- “हे असल चीज तो छूट हH गयी…”

गुmडी- “8या भाभी?”

“अरे तू बैठ बताती हूं…” और मN जाके अपनी महावर कe शीशी ले आई और रच-रच के लगाने लगी। उसकe
एं‹ड़यां वैसी हH गुलाबी थीं। खूब गाढ़ा महावर लगाते हुये मN मुˆकुरा रहH थी।

मुझे मुˆकुराता दे खकर उसने मुˆकुराने का कारण पूछा।

मNने हँसकर उसे बताया कe जब मN छोटH थी तो पड़ोस मK मेरH एक नयी-नयी भाभी आयीं। उनकe सास, जेठानी
और ननदK नाईन से कहकर रोज रात को नयी बहू को महावर लगवाती थीं और अगले Fदन उसके पती को
दे खकर सब मुˆकुराती और उसे छे ड़ती।

जब मNने एक Fदन पूछा तो सब और हँसने लगी। और मेरH भाभी ने मुझसे पछ


ू ा- “दे ख उसके कान के पास लाल
रं ग लगा है ना?”

मNने तब Œयान से दे खा कe उनके कान के पास महावर लगा था।

भाभी ने हँसकर कहा- “दे ख इसके पैर का महावर इसके मदw के कान मK कैसे लग गया?”

मेरH एक दस
ू रH भाभी ने छे ड़ा- “अरे टांगK उठवाओगी तो सब पता चल जायेगा…”

***** *****08 भाग-8

Jफर मNने पैर मK अपनी एक खूब चौड़ी सी घूंघu वालH पायल पहनायी और उसके कमरे मK ले गयी। कमरा भी
मNने सजा रखा था। साफ गुलाबी @सbकेन चादर, ढे रे सारे तJकये और कुशन, दो खूब लTबी ऐरोमैFटक कNडbस,
ताजा गुलाब कe महक का uम |ेशनर और पलंग के सामने एक खूब चौड़ा सा शीशा, मेज पे रखी खूब बड़ी सी
एक वैसलHन कe शीशी।

गुmडी ने जब शीशे मK अपना uप दे खा तो खुद लजा गयी।

बड़ी-बड़ी, कान से बातK करती काजल कe रे ख से सजी कजरारH आँखK, सत


ु वां नाक और उसमK Fहलती-डुलती नथ,
जैसे कोई दध
ू मK दो बूंद गुलाबी रं ग के डाल दे , वैसा हbका गुलाबी मदमाता रं ग, पतले रसीले गुलाबी हठ और
गहरH ठुmडी और एक काला सा sतल, लंबी सी सुराहHदार गरदन मK जड़ाऊ हार और उसके नीचे तो बस… बार-बार
छलकते आंचल से झलकते जैसे सोने के थाल मK दो सोने के लmडू रखे ह। उसकe चोलH भी उZहK बांध नहHं पा
रहH थी, ऐसे रसीले ¢लकते मदमाते यौवन के रस कलश, और उसके नीचे, पतला खूब गोरा पेट और गहरH सी
नाभी िजसे चार ओर से मNने सजा Fदया था और एक sनशान नीचे कe ओर बना Fदया था, रस कूप कe ओर।
साड़ी खूब नीचे बंधी थी और उसकe जांघK और चौड़े कूbहे साफ Fदख रहे थे।

“हे इस uप को दे खकर तो वो बेहोश हो जायेगा…” मNने tचढ़ाया।

गुmडी- “नहHं भाभी, वो बेहाश जायेगा तो आपने ये जो रच-रच के t­ंगार Jकया है वो तो बेकार हो जायेगा…”

“अरे नहHं… दे ख आज Jकस तरह वो तेरे t­ंगार का दमन करता है । कल सुबह मN पछ


ू ू ं गी तुमसे इस रात का
फँसाना। हां एक आ“खरH बात गुर कe, मN तुTहK समझा दं -ू पहलH चुदाई मदw कe होती है , शुuआत उसे करने दे ना,
शu
ु मK थोड़ा शमाwना, लजाना और धीरे -धीरे साथ बढ़ाना, जैसे झल
ू े कe पK ग बढ़ाते हN ना उसी तरह। दस
ू रH चद
ु ाई
दोन कe होती है - जब एक बार चुद गयी तो Jफर 8या शरमाना। हां अदायK नखड़े तो जuरH हN। लेJकन इस बार
उसके हर ध8के का जवाब ध8के से दे ना, एकदम खोलकर कचकचा के मजे लेना। और तीसरH चुदाई औरत कe
होती है - yयादातर मदw दो बार के बाद स
ु त हो जाते हN। थोड़े आराम के बाद, तुम पहल करना। अपने रसीले

114
हठ का, हर अंग का इˆतेमाल करके। जब वो एकदम बेकरार हो जाय तभी चुदाई शुu करना। दो बार झड़ने के
बाद जbदH झड़ने का कोई डर तो रहे गा नहHं…”

गुmडी- “ठ.क है भाभी…” वो बार-बार घड़ी कe ओर दे ख रहH थी।

“हे , मुझे मालूम है Jक वो आ गया होगा और हर पल उसके @लये पहाड़ हो रहा होगा। लेJकन तम
ु 10 @मनट
इंतजार करा के हH बoती बझ
ु ा के इशारा करना, और ये दध
ू और बखीर… पहले दध
ू Pपलाना और Jफर एक राउं ड
के बाद ये बखीर…”

गुmडी- “बखीर, ये 8या है भाभी?”

“याद है मNने तम
ु से जो गZने का रस मंगवाया था, उसी से और गुड़ से ये बनती है । गांव मK जो गौने मK दल
ु हन
आती है उसे और दb
ू हे को खास तौर पे ये “खलाया जाता है । ये मानते हN कe इसकe तासीर खीर से yयादा गरम
होती है । गौने कe रात सारH दल
ु हनK बना ‰के चुदवाती हN। अ,छा मN चलती हूं वरना तुम और तT
ु हारा यार दोन
मुझे गालH दK गK…” और मN कमरे से बाहर चलH आई।

मNने बाहर से हH उसके कमरे कe सांकल लगा दH और घर कe बoती बझ


ु ा दH, जैसा तय था। मN बगल के कमरे
मK आ गयी। ये उसके कमरे से सटा था और िजसकe “खड़कe मK मNने एक बड़ा सा छे द Fदन मK हH बना Fदया था।
थोड़े हH दे र मK आहट हुई और गुmडी ने दरवाजा खोला। उसका uप दे खकर तो जैसे उसके यार के होश उड़ गये।
जब वो पास आया तो शमाw के गुmडी ने मुँह फेर @लया। पर उसने कसकर उसे अपनी बांह मK भरकर चूम @लया।
आंचल तो उसका कब का ढलक चुका था और तेज चलती सांस के साथ, उसके सीने का उठना tगरना उसको
और मादक बना रहा था। उसकe पलकK लाज से झुकe थीं। उसके यार ने उसकe ठुmडी पकड़कर उसके रसीले हठ
को चूम @लया और उसे उठाकर पलंग पे ले आकर उसे अपनी गोद मK बैठा @लया।

“हे दे खो ना…” उसका चेहरा उठाकर वो बोला।

गुmडी- “धoत…” शरमाकर Jफर एक बार उसकe Fहरण सी बड़ी-बड़ी आँखK झुक गयीं।

उसने बना ‰के उसके गुलाबी रसीले हठ चूम @लये। गुmडी के हठ पशw होते हH लरज से गये, पर वह बना
‰के गल
ु ाबी गाल पे, कभी गहरे tचबक
ु पे और कभी tचबक
ु पे चूमता रहा। थोड़ी दे र ‰क के जब उसने दब
ु ारा
कसकर अपनी ओर खींचकर उसके हठ चूमे तो बहुत हbके से अबकe गुmडी ने भी जवाब Fदया।

अब 8या था। जैसे अtधकार पूवकw उसकe बांह ने उसे अपनी बांह मK भर रखा था। उसी तरह अब उसके हठ ने
गुmडी के रसभरे अधर को जकड़ @लया और कसकर उसका रसपान करने लगे, और Jफर जीभ भी 8य पीछे
रहती, वो भी मुँह मK घस
ु गयी। अब थोड़ी दे र तक लगातार कसकर रसपान करके जो उसने छोड़ा, तो गुmडी कe
FहTमत बढ़ चुकe थी। उसने भी दो तीन छोटे चुTबन अपने यार के हठ के ले @लये।

“तT
ु हK दे खंू कe तम
ु से बात कuं कe तT
ु हK {यार कuं…” उसके uप मK खोये हुए उसने पछ
ू ा।

“मN बताऊँ? तीन…” हँसकर गुmडी बोलH तो लगा जैसे हजार जलतरं ग एक साथ बज गये ह।

अब वो दोन बार एक दस
ू रे को चूम रहे थे, बांह मK दबा रहे थे। उसका हाथ कभी उसके ढलकते खुले कंध को
सहलाता, कभी पीठ पे सरकता और वो भी उसे कसकर अपनी बांह मK भींच लेती।

तभी गुmडी कe sनगाह टे बल पे रखे दध


ू पे पड़ी तो गुmडी बोलH- “हे मN तो भूल हH गयी थी। तम
ु कहोगे कe
मेहमान को कुछ “खलाया Pपलाया नहHं @सफw…” और वो उसे लेकर Jफर उसकe गोद मK बैठ गयी और अपने मK हदH
लगे हाथ से उसके हठ से लगा Fदया।

दध
ू मK मNने केसर के अलावा @शलाजीत और अनेक ऐसी हH आयव
ु qFदक चीजK @मला रखी थीं।

115
थोड़ा सा पीकर उसने गुmडी को Pपलाया, पर उस बीच उसकe sनगाहK उसके गदराये उभार पे Jफसल रहHं थीं और
उसकe चोलH से झांकती गहराइय पे। और उसकe उं ग@लयां भी उसकe sनगाह के साथ-साथ बार-बार उसकe चोलH
के बंधन पे जाकर uक जाती थीं। पर गुmडी उसके हाथ को रोक लेती थी। अब जब वो बचा हुआ सारा दध

अपने दोन हाथ से पकड़कर उसे Pपलाने लगी तो पीठ पे टहलती उसकe शरारती अंगु@लय को मौका @मल गया
और उसने चोलH के बंधन खोलकर उसे दरू फKक Fदया। उसकe लेसी गल
ु ाबी ^ाईडल ^ा जोबन Fदखा yयादा रहH
थी, sछपा कम रहH थी। पर वो भी कब तक… जbद हH वो भी चोलH के पास जा पहुंची।

पर गुmडी… आज उसे इंतेजार कराने पे तल


ु H थी। उसने अपने रस कलश अपने हाथ से sछपा @लये और कुछ
इशारा करके कहा, जैसे कह रहH हो कe मुझे तो टापलेश कर Fदया और खुद… और वो भी टापलेश हो गया। पर
वो इoती जbदH मानने वालH नहHं थी। उसने बoती कe ओर इशारा Jकया तो उसने बoती भी बुझा दH। पर दोन
बड़ी ऐरोमैFटक कNडल कe रोशनी मK मझ
ु े सब कुछ साफ-साफ Fदख रहा था।

पलंग पे लेटकर अब वो उसके टे sनस बाल साइज के कड़े-कड़े Jकशोर उभार का रस खुलकर ले रहा था। कभी वो
उसे दबाता कभी सहलाता, जैसे Jकसी ब,चे को उसका फेवkरट “खलौना @मल जाये। और उसके हठ भी खुश
होकर उसका रसपान कर रहे थे। और गुmडी… कभी शरमाकर अपनी भारH पलकK झुका लेती, कभी अपने यार के
खुश चेहरे को sनहारने लगती। उसकe दे ह कe @सहरन, और खड़े sनपल बता रहे थे कe वो भी उसी तरह रस ले
रहH है । उसके उरोज जब कसकर उसकe चौड़ी छाती से दबते तो उसका चेहरा “खल उठता और वो भी उसे अपनी
बाह मK बांध लेती।

साड़ी तो कब कe अलग हो चुकe थी थोड़ी दे र मK उसके यार कe उं ग@लयां उसके साये के नाड़े पे भी पहुँच गयीं
और गुmडी के ना ना करने के बाद भी उसने उसे खोलकर हH दम @लया। वो अब बेताब था। थोड़ी हH दे र मK
दोन के सारे कपड़े बतर से नीचे थे। उसका एक हाथ जोबन का रस लेता और दस
ू रा उसके sनचले हठ का।
बार-बार जबरदती करके उसने गुmडी कe टांगK अ,छ. तरह फैलवा के हH दम @लया। कुछ हH दे र मK उसकe
उँ गलH, उसके sनचले गुलाबी रसीले हठ को फैलाकर अंदर घस
ु चुकe थी और उसकe हथेलH उसकe योsन को
कस-कसकर रगड़ रहH थी।

दस
ू रH ओर, उसके Jकशोर sनपल और जोबन को उसके हठ कस-कसकर चूस रहे थे। मती के मारे गुmडी कe
आँखK बंद हो रहH थीं। थोड़ी दे र तक रस लेकर वो उठा और उसकe टांग के बीच जा बैठा। टे बल से वैसलHन कe
शीशी उठाकर पहले तो उसने अपने उिoथत @शˆन पे लगाया।

मN बड़े Œयान से दे ख रहH थी, 6 इंच से yयादा हH लंबा रहा होगा और मोटा भी अ,छा था।

और Jफर दो उँ ग@लय मK लपेट के उसकe योsन मK काफe सारा वैसलHन लगाने के बाद उसने एक मोटा तJकया
उसके sनतंब के नीचे लगाया, उसकe लंबी गोरH टांगK अपने कंधे पे रख लHं और अपना मोटा फूला हुआ लाल
सुपाड़ा उसकe चूत पे रगड़ने लगा। थोड़ी हH दे र मK गुmडी पूरH तरह से गीलH हो रहH थी। एक हाथ से उसकe
Jकशोर गल
ु ाबी कसी योsन के भगो¥ठ को फैलाकर, उसकe कमर को दोन हाथ से कसकर पकड़कर जब उसने
एक ध8का लगाया तो उसका सुपाड़ा थोड़ा सा Jफसलकर अंदर घुसा।

गुmडी के चेहरे पे एक ददw कe रे खा उभर आई लेJकन उसने कसकर अपने हठ भींच @लये। उसने दब
ु ारा परू H
ताकत से ध8का मारा और उसका सुपाड़ा अब उसकe चूत मK धंस गया। गुmडी ने अपने हठ दांत से काट @लये
पर Jफर भी उसकe चीख sनकल गयी।

तब तक मुझे याद आया कe मNने हNडीकैम भी तो रख छोड़ा है और इससे बढ़ के 8या मौका हो सकता है अपनी
{यारH ननद कe तवीर उतारने का। मNने उसे छे द मK लगाकरके चला Fदया।

116
वो कसकर को@शश कर रहा था, उसका हाथ पकड़कर उसकe कुहनी तक भरH लाल चू‹ड़यां चुरमुर-चुरमुर कर रहHं
थीं। Jफर उसने गुmडी के गुलाबी हठ को अपने हठ मK लेकर न @सफw कसकर भींच @लया बbकe अपनी जब
ु ान
भी उसके मुँह मK घुसेड़ दH और उसकe दोन कलाइयां कसकर पकड़ लH।

मN समझ गयी Jक अब असलH हमला होने वाला है । उसने खब


ू करारा, जोरदार ध8का मारा। बेचारH मेरH Jकशोर
ननद… वो बलबला रहH थी, छटपटा रहH थी, कस-कसकर अपने चूतड़ पटक रहH थी। पर बना ‰के उसने दो-
तीन और करारे जबरदत ध8के मारे । मुँह बंद होने पे भी वो ग-ग कर रहH थी, पर अगले ध8के मK पूरा ल~ड
चत
ू के अंदर था।

और उसकe गोरH कलाई कe आधी दजनw से भी yयादा चू‹ड़यां टूट गयीं।

वो ‰क गया। थोड़ी दे र मK उसने उसके मुँह को छोड़ा, और हbके-हbके उसके हठ, गाल, पलक पे चूमते हुए
उसके जोबन सहलाता रहा। धीरे -धीरे जब ददw थोड़ा कम हुआ तो उसने थोड़ा सा ल~ड बाहर sनकालकर हbके-
हbके ध8के लगाने शुu Jकये। अभी भी उसने उसकe गोरH पतलH कलाइयां पकड़ रखी थीं। उसके ध8क कe
आवाज के साथ अब कमरे मK उसके पैर के पायल मK कe ‰नझुन, चू‹डय कe चुरमुर गूंज रहH थी। गुmडी के
चेहरे पे ददw कe जगह एक सख
ु ने ले लH थी।

अब वो भी हbके-हbके अपने छोटे -छोटे चूतड़ उठा रहH थी। उसके महावर लगे पैर ने कसके उसके यार को भींच
@लया था।

Jफर 8या था… उसने भी {यार से कसकर उसकe रसीलH चूtचय को मसलना रगड़ना चालू कर Fदया और उसके
ध8क कe रƒतार और ताकत भी बढ़ गयी। वो पूरा ल~ड बाहर sनकालकर एक बार मK हH पूरH ताकत से ठे ल
दे ता। जैसे कोई Pपटन फुल पीड से अंदर-बाहर हो रहा हो, उसी तरह से उसका ल~ड भी अंदर-बाहर हो रहा
था, सटासट-सटासट, और वो भी अपने चूतड़ उठा-उठा के उसे लHल रहH थी गपागप-गपागप। इस धका-पेल चुदाई
के साथ-साथ उसने हाथ और हठ से भी, कभी वो कसकर उसके खड़े sनपल कसकर चूसता, तो कभी अपनी
उँ ग@लय से उZहK मसलता। और जब ल~ड आbमोट बाहर sनकला होता तो उसकe चूत के रसीले फूल, पूरH तरह
उभरे ि8लट को कसकर मसल दे ता।

मती से गुmडी कe हालत खराब हो गयी थी। तभी उसने उसकe टांग को अपने कंधे से उतारकर बतर पे रख
Fदया। गुmडी ने अपने आप अपनी टांगK खब
ू चौड़ी फैला लHं। थोड़ी दे र तक वो उसके चत
ू ड़ को पकड़कर मसलकर
चोदता रहा और Jफर अचानक उसने अपना ल~ड सुपाड़े तक बाहर sनकाल @लया और चुदाई रोक दH। पर उसके
हाथ कसकर उसके ि8लट और sनपल को छे ड़ रहे थे।

बेचारH गुmडी… उसकe हालत खराब थी। वो बेताबी से बोलH- “हे करो ना… ‰क 8य गये?”

“8या कuं? बोलो ना, तT


ु हारा 8या करवाने का मन है ? खल
ु कर बोलोगी, तो क‰ं गा…” उसने छे ड़ा।

गुmडी- “अरे वहH जो अब तक कर रहे थे…” और चूतड़ उठाकर और एक बार Jफर से अपनी लंबी टांगK उसकe
कमर मK लपेट के, कसकर अपनी ओर खींचकर। उसने अपना इरादा साफ-साफ जाFहर Jकया।

“हे मNने @सखाया था ना तुTहK PपछलH बार Jक शरम मत कर। बोल खुल के…” उसकe ि8लट को Pपंच करते हुये
वो बोला।

गुmडी- “हे चोदो ना मझ


ु े…” Jफर चत
ू ड़ उठाते हुए, हbके से वो बोलH।

“हे ऐसे नहHं, कसकर जोर से मेरH जान…” गाल काटते हुए वो बोला।

117
गुmडी- “हे चोद… चोद मेरH {यासी चूत मेरे जानम, कसकर चोद…” अबकe वो परू े जोर से बोलH और अपने हाथ से
उसे कसकर अपनी ओर खींचा।

“हां जान, हां मेरH रानी, अब आयेगा मजा। ले, ले मेरा ल~ड… चोदता हूं, अब कस के। बहुत तड़पाया है तेरH इस
चतू ने…” और अबकe उसका चूतड़ पकड़कर इस तरह से कसकर ल~ड पेला कe इoती चद ु वासी होने के बाद भी
मेरH ननद बलबला गयी। और Jफर तो जैसे तूफान आ गया हो। वह कचकचा के उसके रसीले गाल, भरH-भरH
चूtचयां काटता, बतर पे चूतड़ रगड़-रगड़ के चोदता, कभी बेरहमी से उसकe चूtचयां मसलता, कभी गा~ड।
लगातार उसका मोटा मस
ू ल उसकe ओखलH मK बना ‰के चल रहा था।

और मेरH ननद भी कम नहHं थी। वो भी उसी तरह उसका जवाब दे रहH थी, उसके लंबे खूबसूरत नाखून उसके
कंधे मK गड़ जाते जब वो उसके ध8के के जवाब मK कंधे पकड़कर चूतड़ उछालती, अपनी छोटH पर रसीलH कड़ी
चूtचयां उसके चौड़े सीने पे रगड़ती, अपनी कसी गुलाबी चूत मK उसका मोटा ल~ड कसकर भींच लेती। बहुत दे र
तक वो तूफान चलता रहा, बादल गरजते रहे , घम ु ड़ते रहे , दोन मK कोई पीछे हटने वाला नहHं था। लेJकन जब
बाkरश शुu हुई तो लग रहा था कहHं बादल फट गया हो।

दे र तक, खब
ू दे र तक वो बरसता रहा, वो भीगती रहH और जैसे बहुत कड़ी गरमी के बाद बाkरश हो रहH हो।
खुशी कe वो हालत गुmडी के चेहरे कe थी, जैसे ताल तलैये भर जाने के बाद पानी बाहर sनकलकर अगल-बगल
के खेत को भी डुबो दे ता है उसी तरह उसकe चूत से गाढ़े सफेद वीयw कe धार sनकलकर उसकe गोरH मखमलH
जांघ पे बह रहH थी। दोन एक दस ू रे कe बाह मK उसी तरह बहुत दे र तक पड़े रहे । उसका ल~ड भी उसकe चूत
मK गड़ा घुसा था। थोड़ी दे र बाद वो उठकर उसकe बगल मK लेट गया। कुछ दे र मK उठकर उसने उसकe ओर दे खा।
वो अभी भी थकe पत पड़ी थी। तJकये के पास टूटH लाल चू‹ड़यां, उसके कड़े रस भरे यौवन कलश पे नाखून
और दांत के sनशान और गोरH-गोरH थकe जांघ पे गाढ़े गाढ़े वीयw के थ8के।

“हे yयादा ददw तो नहHं हुआ?” उसने पूछा।

गुmडी- “हे पहले तो जान sनकाल लH और अब…” थकe-थकe मुˆकान के साथ वो बोलH।

उसने झुक के उसे चूम @लया और गुmडी ने भी अपनी बाह मK भरकर उसे हbके से चूमकर जवाब Fदया।

उसे {यार से पकड़कर उसने उठा @लया और गोद मK बैठा @लया और कहा- “मN 8या करता, तम
ु ने इंतजार इoता
करवाया…” वो @शकायत के अंदाज मK बोला।

गुmडी- “झठ
ू े , एक हƒते के अंदर दस
ू रH बार और Jकतनी बार? और Jफर…”

“अरे यार, ये Fदल मांगे मोर। तू इoती मत-मत है Jक बस मन करता है कe तुझे छोडूं हH नहHं…” उसके जोबन
सहलाते हुये वो बोला।

(तब तक हवा के एक तेज झके से “खड़कe परू H तरह खल


ु गयी। मत चांदनी अब उनके दे ह को नहला रहH थी
और अब मN खुलकर सब कुछ दे ख और सुन रहH थी।)

गुmडी- “अ,छा जी… बेइमान, झठ


ू े । अगर ये बात थी तो मझ
ु े छोड़कर गांव 8य जा रहे हो? वहां भी कोई बैठ. है
8या दे ने वालH? मN मना थोड़े हH करती हूँ। जब चाहे तब ले लो, तT
ु हारा हH है पर तम
ु खुद हH…” उसको हbके से
Jकस करती हुई बड़ी अदा से वो बोलH।

“अरे मजबूरH है यार, मेरH बहन चंदा कe कल सगाई है । तT


ु हारे बराबर हH या तुमसे थोड़ी हH बड़ी होगी। हम
लोग को उसके ससुराल जाना है । यहां से sनकलकर मN सीधे बस पकड़कर गांव हH जाऊँगा…” उसकe चूत मK
हbके से उँ गलH करते हुए वो बोला।

118
गुmडी- “अ,छा… तो ये 8य नहHं कहते कe अपनी बहना के @लये ‘हtथयार’ का प8का इंतजाम करने जा रहे हो…”
उसके खड़े होते ल~ड को हbके से पकड़कर मरोड़कर वो उसे tचढ़ाते हुये बोलH।

“हे 8या बोल रहH है तू?” वो बोला।

गुmडी- “अरे मेरे राजा, नाराज 8य होता है , जो तू मेरे साथ करता है ना, तो उस kरˆते से तो वो मेरH ननद हुई
ना… तो Jफर उसके साथ मजाक 8या, मN जम के उसे गालH भी दे सकती हूं…” उसके ल~ड को अब कसकर
मुFठयाते हुए उसने सुपाड़ा परू H तरह खोल Fदया था।

उसकe इस बात से मN बहुत खुश हुई। अब मेरH ननद प8कe तरह से ‡े Zड लग रहH थी।

तब तक गुmडी का Œयान मेज पे रखी बखीर कe ओर गया। उसे लाने के @लये वो उठते हुये बोलH- “हे पर जरा
चेक कर लेना अपने जीजू का ल~ड कe चंदा के लायक है कe नहHं…” उठते हुए उसने उसे Jफर छे ड़ा।

कुछ उसकe बात का असर, कुछ उसके नरम मुलायम चूतड़ कe रगड़ाई और कुछ मKहदH लगे हाथ कe गरमी,
उसके यार का टK टपोल Jफर खड़ा हो गया था। सप
ु ाड़ा तो उसने शरारत मK खोल हH Fदया था। चत
ू ड़ मटकाते बड़ी
अदा से वो बढ़H और Jफर मुड़कर उसके ल~ड को दे खते बोलH- “और वैसे अगर तुTहारे जैसा मूसल होगा तो,
Jफर तो चंदा रानी के मजे हH मजे हN…”

चांदH के कटोरे मK रखी बखीर को लेकर वो आ गयी और अबकe खुद उसकe गोद मK बैठकर बजाय चTमच के
अपनी लंबी नरम उं ग@लय से हH उसे “खलाने लगी।

“अरे ये तो बखीर है एकदम असलH, ईख के रस मK गुड़ मK पगी ये तुमने कहां से सीखा? और तT


ु हK मालूम है
इसका असर? गौने कe दb
ु हन को ये “खलाया जाता है और वो रात भर रगड़ के चद
ु वाती है …” वो खुशी से बोला।

गुmडी- “अरे इoती कस-कसकर तम


ु ने चोदा है , अभी कोई कसर बाकe है 8या? वैसे ये बताओ मेरे राजा Jक इसके
पहले तम
ु ने Jकसको चोदा है ?” मंह
ु मK बखीर दे ते-दे ते शरारत से उसने थोड़ा उसके गाल पे भी लगा Fदया और
Jफर चाट-चाट के साफ Jकया।

उसका यार भी उसे 8य छोड़ता। उसे “खलाते हुये उसने भी थोड़ा उसके उभार पे पोत Fदया और Jफर चाट चूट
के साफ Jकया। गुmडी उसे एक हाथ से “खला रहH थी और दस ू रे हाथ से कस-कसकर उसको मोटे खड़े ल~ड को
रगड़ रहH थी। और वो भी… उसकe भी एक उँ गलH उसकe चूत मK और अंगूठा ि8लट पे था।

गुmडी- “बता न, Jकसको चोदा है सबसे पहले तन


ू े? मेरH कसम, सच मK मN एकदम बुरा नहHं मानग
ूं ी। वैसे भी मेरH
भाभी कहती हN ‘अनाड़ी चुदवैया बुर कe खराबी’ बता ना {लHज, तझ
ु े मेरH कसम…” बड़ी अदा से अपने जोबन
उसकe छाती से रगड़ती कसकर के उसका एक चुTमा लेकर उसने पूछा।

“अ,छा बताता हूं। इसी PपछलH होलH मK गांव मK । मेरH एक kरˆते कe भाभी हN उमर मK मझ
ु से 4-5 साल बड़ी
हगी। उनके पती शादH के बाद हH कमाने के @लये दब ु ई चले गये। साल मK एक बार हH आ पाते हN। ब,चे कोई हN
नहHं। तुTहK तो मालूम है Jक होलH मK गांव मK Jकतना खुbलम-खुbला और वो भी दे वर भाभी मK । Fदन मK होलH
खेलते-खेलते उZहने मेरे पाजामK मK हाथ डालकर खब
ू कसकर मेरे ल~ड मK रं ग लगाया। और Jफर मN 8य
छोड़ता… मNने भी उनकe चोलH के अंदर कस के उनकe बड़ी-बड़ी चूtचयां रगड़ी। उZहने मुझे चैलKज Jकया कe अगर
असलH मदw हो तो शाम को आना होलH खेलने। शाम को जब मN पहुँचा तो पहले तो भांग Pपला के उZहने मुझे
एकदम नशे मK कर Fदया और Jफर…”

गुmडी- “और Jफर तम


ु ने चोदा उनको…” गुmडी बोल पड़ी।

119
“अरे नहHं यार मNने नहHं। उZहने हH, मुझे @लटा के मेरे ऊपर चढ़ गयी और जम के चोदा मुझे। हां नीचे से चूतड़
उठाकर ध8के मN भी लगा रहा था और उनकe मत चtू चय का भी दबा-दबा के चूस-चस
ू के रस ले रहा था, पर
चुदाई उZहने हH कe। जब मN घर लौटा तो मेरH भाभी ने, उZहK सब कुछ पता चल जाता है , आँख नचाके पूछा-
8य लाला, खा आये तम
ु भी सदा»त मK । तब मुझे पता चला कe उस भाभी ने गांव के Jकसी भी लड़के को नहHं
छोड़ा है …”

गुmडी- “तो Jफर तम


ु ने सबसे पहले Jकसको…” आज वो बना जाने नहHं छोड़ने वालH थी।

“रजपsतया को। मेरे घर मK काम करती थी, उसी कe लड़कe। चमाइन थी पर लगती नहHं थी। लोग कहते हN कe
उसकe मां भी Jकसी ^ाहमण से फँसी थी और ये उसी कe बेटH थी, गK हुआ रं ग, गुदाज गदरायी दे ह, चूtचयां चोलH
फाड़ती रहतीं, उतान होकर चलती थी, कुछ Fदन मK हH गौना होने वाला था। Jकसी को हाथ नहHं रखने दे ती थी
ना Jकसी के यहां जाती थी, पर उसकe मां चूंकe मेरे घर काम करती थीं इस@लये वो मेरे घर आती जाती थी
बचपन से। मेरH आँख उस पे बहुत Fदन से गड़ी थी, पर FहTमत नहHं पड़ती थी। लेJकन होलH मK भाभी के साथ
चुदाई के बाद मN थोड़ा और बेधड़क हो गया था। इस@लये होलH के दो चार Fदन के बाद हH भूसे वाले घर मK वह
भूसा sनकाल रहH थी। मNने उसे धर दबोचा…”

वो मटक के बोलH- “बाबू, अपने खेत का गZना “खलवाओ ना…”

मेरे खेत मK फारम का लाल गZना लग था। खब


ू मोटा और लंबा। सब उसके दHवाने, पर हम लोग उसकe जम के
रखवालH भी करते थे। मN हँ सकर बोला- “एकदम… जब कहो और आजकल खेत मK रखवालH भी तो मN हH करता
हूं…” पर मNने दे खा कe वो मेरे पाजामK मK तने तTबू को दे ख रहH थी और मN समझ गया कe वो Jकस गZने कe
बात कर रहH है ।

हँसकर वो बोलH- “बाबू, शहर जाके बड़े हो गये हो…” और sनकलते हुए उसने मेरे तने ल~ड को पाजामे के ऊपर
से दबा Fदया।

मN 8य पीछे रहता, मNने भी चोलH के ऊपर से उसकe चूची कसकर दबाके, बोला- “और तू भी तो बड़ी हो गयी
है …”

उसी Fदन रात मK ख@लहान मK मN सोया था, आ“खरH पहर होगा रात का, गZने के खेत मK सरसराहट सन
ु ायी दH।
उठकर मN चुपचाप खेत के अंदर घस
ु ा, दबे पांव। काफe अंदर एक औरत हं @सये से गZना काट रहH थी। मNने पीछे
से हचाक से जाके दबोच @लया और िजस कलाई मK हं @सया थी उसे पहले पकड़ा कe कहHं वार हH न कर दे पलट
के। और दस
ू रे से उसकe भरH-भरH छाती। जब मुड़कर उसने दे खा तो रजपsतया हH थी।

मNने पछ
ू ा- “हे मेरे हH खेत से गZने कe चोरH…”

“चोरH नहHं बाबू सीना जोरH। चोरH तो अब कuंगी…” और एक झटके मK उसने मेरे पाजामK मK हाथ डालकर मेरा
ल~ड पकड़ @लया और उसका हाथ लगते हH वो मोटे गZने कe हH तरह खड़ा हो गया।

उसकe छाती दबाते-दबाते मNने भी उसका ’लाउज खोल Fदया- “चल “खलाता हूं तझ
ु े आज गZना…” और ये बोल
के उसे वहHं पटक Fदया और चढ़ गया उसके ऊपर। साड़ी उसकe कमर तक करके टांगK फैला दHं। कालH घघंु रालH
झांटK थीं उसकe। चूत फैलाकर पेल Fदया कस के, चूची मसलते मसलते।

गुmडी बोलH- “मNने तो सुना है Jक गांव मK खूब छुआ-छूत चलता है …”

“अरे अब नहHं, पहले था। लेJकन सब साbला |ाड है , छुआ पानी नहHं PपयKगK लेJकन चुTमा चाटH के @लये
छुsछयायKगK। मN वैसे भी ये सब नहHं मानता…” ये बातK सुनते हH गुmडी गरम हो गयी। वो कसकर मठ
ु ठ. मK ल~ड
दबाकर मुFठया रहH थी, और उधर उसने भी चुदाई कe बात सुनाते-सुनाते अब उसकe बरु मK दो उँ गलH एक साथ
120
डालकर तेजी से अंदर-बाहर करने लगा, जैसे उसका ल~ड अंदर-बाहर हो रहा हो और गुmडी कe रसीलH बुर भी
अब अ,छ. तरह पsनया गयी थी।

गुmडी- “Jफर… उसने मना नहHं Jकया तुTहK चोदने से?” उसके सुपाड़े को उँ गलH से रगड़ते हुये गुmडी ने पूछा।

“नहHं यार वो खुद चुदवासी हो रहH हो थी। उसने अपनी तगड़ी टांगK मेरH कमर पे कर लHं और खूब कसकर चूतड़
उछाल के चुदवा रहH थी। मN भी उसकe रसीलH चूची कभी काटकर, कभी चूस के, उसकe गा~ड खेत मK रगड़-रगड़
के पूरH ताकत से चोद रहा था। मN िजतना जोर से चोदता उतना वो और उकसाती। बहुत दे र तक चोदकर मN
झड़ा। और Jफर मNने िजतने गZने उसने काटे थे उसके अलावा 7-8 गZने और काटकर दे Fदये। जब वो बाहर
sनकलH तो ख@लहान मK गK हू कटा रखा था।

उसकe आँख मK चमक दे खकर मN समझ गया और मNने पछ


ू ा- “हे एक बार और…”

और वो मान गयी।

Jफर मचान पे, एक बार और हम लोग ने जम के चद ु ाई कe। जब वो चलने लगी तो मNने उसे 5 क”ा गK हूं भी दे
Fदया और छे ड़ा- “हे ‰क जा तू एक हƒते Jफर तेरा मदw रोज गZना “खलायेगा, लेJकन अभी तो बेचारा इंतजार
कर रहा होगा…”

तो वो चूतड़ मटका के बोलH- “अरे 8या इंतजार बाबू, वो भी मेरH ननद के साथ फंसा है , Fदन रात चोदता है …”

बखीर का आ“खरH कौर खतम करते वो बोला- “मेरH भाभी बड़ी वैसी है … एकदम खुलकर एक से एक गंदे मजाक
करती हN। एक गौने कe दb ु हन आई थी उसको “खलाने के बाद बची हुई बखीर उZहने चंदा को “खला दH और
बोलHं- “ले आज तू भी चद
ु वा रात भर…”

पर एक मेरH पड़ोस कe भाभी बोलH- “अरे कौन है इसका यार? Jकससे ये चुदवयेगी?”

तो मेरH भाभी हँसकर बोलH- “अरे वो… जो मेरा दे वर आया है शहर से, इसका भाई। हरदम पाजामा तना रहता
है …”

बखीर का कटोरा रखने के @लये जब वो उठ. तो दे खा कe उसका ल~ड तो एकदम तZनाया था और खुला हुआ
सुपाड़ा, लाल, गुसाया, मोटा एकदम बेताब लग रहा था। गुmडी ने छे ड़ा- “हे , तो 8या चोदा तुमने चंदा को रात
भर…”

वो बेताब हो रह था। अपना खड़ा ल~ड हाथ मK पकड़कर उसे Fदखाते हुये वो बोला- “चंदा कe छोड़, तू जbदH आ
ये इंतजार कर रहा है …”

पर गुmडी भी… वो पलंग पे पेट के बल लेट गयी और बड़ी अदा से @सर मोड़कर बोलH- “ना बाबा ना… मेरH चत

का एकदम हलवा बन गया है एक बार मK । अब दब
ु ारा नहHं…”

“हे , तो मN इसका 8या इलाज कuं…” हाथ मK मोटा खड़ा ल~ड @लये वो बोला।

गुmडी- “मN बताऊँ, तू ऐसा कर Jक सब


ु ह तो गांव जा हH रहा है , इसे चंदा को दे दे ना। उसकe Qैि8टस भी हो
जायगी, और इसका इलाज भी…” नखड़े से उसे छे ड़कर, वो हँसकर बोलH।

“बताता हूं तझ
ु े चंदा कe…” और उसके बाद उसने कोई खूब भŸी सी गालH हbकe से दH जो मN नहHं सुन पायी पर
गुmडी “खल“खलाने लगी। वो उसके ऊपर आया, पकड़ने।

पर गुmडी पेट के बल हH Jकसी मछलH कe तरह Jफसल sनकलH। लेJकन कब तक बचती वो। उसकe पीठ पे हH
लेटकर उसने उसकe चूtचयां कसकर पकड़ लH और लगा बेरहमी से कुचलने मसलने। उसका ल~ड उसके Jकशोर
मचलते sनतंब के बीच ध8के दे रहा था।
121
दो तीन कुशन लगाकरके उसने उसका पेट ऊपर कर Fदया और गुmडी ने खुद हH अपनी टांगK फैला दHं और उसका
इरादा समझकर अपने हाथ और कुहनी के सहारे अपने चूतड़ उचका Fदये। अब उसने उसकe चत
ू थोड़ी सी
फैलाकर अपना सुपाड़ा सटाया और कमर पकड़कर एक कचकचा के करारा ध8का Fदया। एक बार मK हH परू ा
सुपाड़ा अंदर था।

गुmडी- “उई मां… जान गयी…” गुmडी जोर से tचbलायी।

“हे बहुत बोल रहH थी ना, अब जान जाये चाहे बचे, बना पूरा लHले बचत नहHं है …” वो बोला और कमर कसकर
पकड़े-पकड़े दबु ारा Jफर ठूंस Fदया। 5-6 जोरदार ध8क मK परू ा ल~ड अंदर। वो परू H ताकत से पेल रहा था बना
उसकe चीख पुकार कe परवाह Jकये।

गुmडी- “हे कैसा जा@लम है त?


ू बस… {लHज एक @मनट थोड़ी दे र… ओ‚ह… आ‚ह… लगता है ना… ‰क जाओ
{लHज {लHज…” गुmडी चीख रहH थी, कराह रहH थी।

उसकe चीखK सुनकर मुझे बहुत मजा आ रहा था। मNने कैमरे को जमू करके उसकe चूत पे फोकस Jकया जैसे
Jकसी छोटH बोतल मK कोई जबरन मोटा काकw ठूंस दे , उसकe चूत बरु H तरह फैलH वैसे हH लग रहH थी। एक हाथ
से मN कैमरा पकड़े थी और दस
ू रे से मेरH बुर मK उँ गलH अंदर-बाहर कर रहH थी। कुछ हH दे र मK उसके तन मदw न
और ि8लट कe रगड़यी के साथ, गुmडी ने अपने चूतड़ हbके से पीछे Jकये। इतना इशारा काफe था और अब
उसने कसकर चुदाई शu
ु कर दH।

उसे दे खते हुए, मN सोच रहH थी Jक जbद हH ये मेरH {यारH ननद इसी तरह मेरे सैयां से, हालांकe राजीव का
ल~ड इससे कम से कम दो तीन इंच तो लंबा yयादा होगा हH और मोटा तो इससे बहुत yयादा। लेJकन बहुत
चीखे tचbलायेगी मेरH ये ननद रानी अपने भैया से चुदवाने मK । मुझे उसकe छटपटाहट सोचकर हH मजा आ रहा
था। मNने पास मK दे खा तो मेरा सबसे लंबा वाइ^ेटर रखा था 9 इंच का। मNने उसे उठाकर अपनी चूत पे लगा
@लया। चूत तो मेरH ये सब दे खकर उँ गलH करके गीलH थी हH, गपाक से वो अंदर चला गया। मNने उसे फुल पीड
पे आन कर Fदया और चूतड़ उठाकर कसकर खचाखच अपनी चूत चोदने लगी, ये सोचते हुए कe वो कस-कसकर
मेरH इस ननद को चोद रहे हN।

जब मNने कुछ दे र बाद दब


ु ारा दे खा तो दोन कe चुदाई चरम सीमा पे पहुँच गयी थी। उसका ल~ड सटासट-सटासट
गपागप उसकe चत ू मK आ जा रहा था और वो भी गा~ड मटका के, चत ू ड़ से उसके ध8के के साथ ध8का मार के
जवाब दे रहH थी। वो कसकर उसकe चूtचयां दबाते हुए परू H तेजी से ध8के मार रहा था, उसका Pपटन ऐसा
मोटा ल~ड पूरा बाहर तक आ जाता और Jफर उसे वो जड़ तक पेल दे ता।

गुmडी भी अपने चूतड़ पीछे करके उसके ल~ड कe जड़ तक और कसकर tचपका दे ती।

कभी वह ल~ड को हाथ से पकड़कर उसकe कसी Jकशोर चत


ू मK कस-कसकर गोल घम
ु ाता और कभी एक झटके
मK अंदर ठक दे ता। और मेरH ननद भी कम नहHं थी। जब वो ‰क जाता तो वह अपने sनतंब को गोल-गोल घम
ु ा
के, जैसे उसका ल~ड कोई मथनी हो और वो अपने अंदर कुछ मथ रहH हो, अपनी चूत को कसकर @सकोड़ के
मजे ले रहH थी।

चीख का थान मजे कe @ससकाkरय ने ले @लया था- “हां हां बहुत मजा आ रहा है … हां और चोद… और चोद…”
वो बेशमl से बोल रहH थी।

“ले ले… मजा आ रहा है कुsतया कe तरह चद


ु वाने मK । बोल बोल…” एक हाथ से वो कसकर उसके खड़े sनपल
मसल रहा था और दस
ू रे से उसकe पीठ पे लहराती नाtगन सी चोटH को कसकर खींचकर उसने पूछा।

गुmडी- “हां हां… खब


ू चोद… चोद मेरH चत
ू … बहुत Fदन से तड़प रहा था ना… चोद िजoता चाहे , जैसे चाहे …”

122
कुछ दे र बाद वो उसे घसीट के पलंग के Jकनारे ले गया। उसके चूतड़ बतर के Jकनारे पे थे और वो नीचे खड़ा
हो गया। ल~ड के ध8के खा-खाकर मेरH {यारH ननद कe चत
ू खल
ु H-खल
ु H सी हो गयी थी। उसके पैर पकड़कर
उसने मोड़ Fदये थे और मुझे लग रहा था कe अब वो उसे खड़ा होकर चोदे गा। पर वो झुक गया। मेरH कुछ
समझ मK नहHं आ रहा था।

मेरH ननद कe @ससकkरय ने समझा Fदया Jक 8या हो रहा है ।

वह कस-कसकर उसकe चूत चाट रहा था, चूस रहा था और Jफर उसने अपनी जीभ उसकe बुर मK ढकेल दH और
उससे हH उसे चोदने लगा।

बेचारH गुmडी… उसकe हालत खराब थी, वो @ससक रहH थी, चूतड़ पटक रहH थी। पर वो… और जब उसने कसकर
उसकe मत उoतेिजत ि8लट चूसनी शुu कe तो वो एकदम झड़ने के कगार पे पहुँच गयी, मती से कांपने लगी
तो वो हट गया।

गुmडी- “हे , 8या करते हो? करो ना… चूस लो मेरH चूत… चोदो चोदो… ओह… ओह…” बेचारH।

और वो भी इoता बेदद´ नहHं था। उसने उसकe टांगK फैलाकर एक बार मK हH अपना पूरा ल~ड ख,चाक से परू H
ताकत से पेल Fदया और जैसे हH उसका ल~ड जड़ तक घस
ु ा और ि8लट से रगड़ खाया तो वो झड़ने लगी।
उसकe आँखK बंद हो गयी थीं, उसकe दे ह कसकर कांप रहH थी, चत
ू थरथरा रहH थी, चत
ू ड़ अपने आप कांप रहे
थे। 6-7 @मनट तक वो इसी हालत मK रहH Jफर धीरे -धीरे सामाZय हुई।

उसको दे खकर मN भी इधर मोटा वाइ^ेटर अपनी चूत मK घुसा के गपागप पेल रहH थी।

गुmडी- “हे , इट इज नाट फेयर…” @शकायत के वर मK मुˆकुराकर वो बोलH।

“एवरHtथंग इज फेयर इन लव ऐंड चुदाई माई डा@ल¡ग…” हँसकर उसके हठ को चूमकर वो बोला और हbके-हbके
उसके उरोज को {यार से सहलाने लगा।

थोड़ी हH दे र मK वो Jफर मती के मूड मK आ गयी और उसने अपनी टांगK उसकe कमर मK बांध के अपनी ओर
खींचा।

बस 8या था, इतना इशारा काफe था और उसने चुदाई Jफर चालू कर दH। और 8या धका-पेल चुदाई थी। एक
हाथ से कमर और दस ू रे से उसकe चूची मसलते हुए, उसका गठा तगड़ा बदन, हाथ कe जबरदत मांसपे@शयां,
बजलH कe तेजी से ल~ड अंदर-बाहर हो था। थोड़ी दे र वो कस-कसकर ध8के लगाता और Jफर मजे लेता रहा।
थोड़ी दे र मK मेरH ननद पे भी उसी तरह मती सवार हो गयी और वो भी… और कुछ दे र मK उसने Jफर पोज
बदल दH। उसको जमीन पे खड़ा करके बतर के सहारे उसे झुका Fदया। लगता था कुsतया वाला आसन उसे
बहुत पसंद था, और Jफर मेरH ननद कe टांगK फैलाकर चुदाई चालू कर दH।

मNने जैसा उसे @सखाया था वैसे हH उसने थोड़ी हH दे र मK अपनी एक टांग उठाकर पलंग पे रख दH और अब
उसकe चूत एकदम खुल गयी थी और वो उसे धकाधक चोद रहा था। काफe दे र तक इसी तरह चोदने के बाद
उसने गुmडी को उठाकर पलंग पे @लटा Fदया और अब उसकe टांगK दहु रH करके इस तरह से ध8का लगाया Jक
लग रहा था हर ध8का सीधे उसकe ब,चेदानी पे पड़ रहा था। दोन एक दस
ू रे को बांह मK भरकर कसकर चोद
रहे थे। वो कभी उसके गाल काटता, कभी चूtचयां और वो भी अपने नाखून से उसके छाती, पीठ, कंधे को
कसकर खरच रहH थी, दे र तक। और Jफर झड़े तो दोन साथ-साथ। कसकर उZहने एक दस
ू रे को बांह मK भींच
रखा था।

उधर वो दोन झड़ रहे थे और इधर मN, वाइ^ेटर पे। मेरा बदन भी कांप रहा था और चूत कसकर @सकुड़ रहH
थी।
123
वह दोन इस तरह थके पड़े थे कe मुझे नहHं लग रहा था कe वो जbदH उठK गK । गुmडी के उरोज, जांघ, गाल पे
नाखून, दांत के sनशान पड़े हुए थे। वीयw कe धार, सफेद गाढ़े थ8के उसकe जांघ पे भरे पड़े थे। खल
ु H “खड़कe से
आती ठं डी हवा उनकe दे ह को सहला रहH थी।

लेJकन मNने अपनी ननद को कम करके आंका था। बड़ी प8कe चद


ु वासी थी वो। करHब आधे घंटे इसी तरह पड़े
रहने के बाद वो धीरे से उठ. और एक खूबसरू त अंगड़ाई लेकर अपने यार कe ओर दे खा। वो अधसोया, अलसाया
सा आँखK बंद Jकये पड़ा था। उसने हbके से उसकe आँख पे एक छोटा सा चुTबन @लया। जब उसने आँखK खोलH
तो मुˆकुराकर उसने इशारा Jकया कe तम
ु इसी तरह पड़े रहो। और झक
ु के उसके चेहरे पे ढे र सारे चुTबन बरसा
Fदये, जैसे कोई फूल से लदH शाख खुद झुक के फूल tगरा दे ।

चुTबन उसके चेहरे से सीने पे पहुंचे Jफर गुmडी ने बड़ी शरारत से उसके sनपल, पहले तो हbके से Jकस Jकये ,
Jफर अपनी जीभ से थाडी दे र िƒलक करने के बाद जैसे वो उसके sनपल को कुछ दे र पहले कसकर चूस रहा था,
उZहK चूसना शुu कर Fदया। बेचारा… उसकe तो हालत खराब थी। उसका सोया ल~ड भी अब जाग गया था और
थोड़ी हरकत कर रहा था। गुmडी के हठ थोड़ी दे र उसके sनपल को छे ड़ने के बाद नीचे आये और उसके पेट को
Jकस करती हुई वो आगे बढ़H और सीधे उसकe कालH-कालH झांट के झुरमुट मK खो गयी। उसकe जीभ जैसे वहां
कुछ खोज रहH हो। उिoथत होते @लंग के बेस पे उसने कस-कसकर चाटा।

और जब उसने अपना ल~ड ऊपर Jकया तो गुmडी उसे भी Jकस कर हट गयी और Jफर सर झुका के उसनी
अपनी चोटH मK अब उसके खड़े ल~ड को कसकर बांध @लया और कसकर रगड़ने लगी। बेचारा ल~ड एकदम तैयार
सर उठाकर खड़ा था। लेJकन उसके टाचरw का यहH अंत नहHं था। घुटन के बल बैठकर, उसने अपने छोटे रसीले
जोबन के बीच उZहK ले @लया और लगी दबाने। ल~ड अब एकदम खड़ा था। उसको Fदखाकर उसने अपने गुलाबी
ु ाड़ा अपने मँुह मK लेने कe को@शश कe। पर वो
@लPपटक लगे हठ पे जीभ फेरH और एक बार मK हH उसका सप
बहुत बड़ा था।

Jफर उसने हठ से उसका चमड़ा खोला। उसके मK हदH लगे हाथ बेताब ल~ड को थामे थे। खल
ु े सप
ु ाड़े को पहले तो
उसने अपनी जीभ से चाटा और Jफर हbके से Jकस Jकया। वो उठने के @लये बेताब था लेJकन उसे ध8का दे कर
मेरH ननद खुद उसके ऊपर चढ़ गयी और अपनी चूत उसके सुपाड़े पे रगड़ने लगी।

इतना उसके यार के @लये बहुत था। उसने उसे बांह मK भरकर नीचे खींचकर बगल मK कर @लया और साइड से
हH उसकe टांगK उठाकर सीधे अपना ल~ड उसकe चूत मK {यार से घुसेड़ Fदया और हbके-हbके चुदाई शुu कर दH।
वो भी ताल से ताल @मला रहH थी। कुछ हH दे र मK वो उसके ऊपर था और दोन टांगK फैलाकर कस-कसकर ध8के
लगा रहा था। थोड़ी दे र के बाद उसने गुmडी को अपनी गोद मK खींच @लया और गोद मK बठाकर हH चोदने लगा,
गुmडी ने भी उसे कसकर अपनी बांह मK भर रखा था।

वो अपने उभार उसके सीने पे कस-कसकर रगड़ रहH थी। दोन एक दस


ू रे को कभी {यार से चूमते कभी सहलाते,
ध8के कभी हbके कभी जोर से। लग रहा था जो तफ
ू ान अभी थोड़े दे र पहले चल रहा था वह हbके मंद समीर के
झक मK बदल गया। अभी थोड़ी दे र पहले चुदाई जो Jकसी पहाड़ी नदH कe तरह लग रहH थी, बैचैन, उछलती हूँ-
हूँ करती, Jकनार को तोड़ती, तेज, अब लग रहा था जैसे वहH नदH मैदान मK आ गई हो, मंथर, सoवर, शांत
लेJकन बहाव मK कोई कमी नहHं।

मत होकर दोन एक दस


ू रे के शरHर को भोग रहे थे। कभी दोन अपने हाथ पलंग पे रख के, साथ-साथ @सफw
कमर के जोर से ध8के लगाते। कभी दोन अपने पैर ¨ास करके झल
ू े कe तरह चद
ु ाई का झूला झूलते। बहुत दे र
तक बना Jकसी जbदH के ये चलता रहा। Jफर लगता है जब दोन झड़ने के करHब हुए तो उसने Jफर गुmडी को
अपने नीचे कर @लया और कसकर चुदाई शुu कर दH, और गुmडी ने भी।

124
अब दोन के शरHर के लय ताल सब एक हो गये थे। पहले गुmडी ने झड़ना शुu Jकया, उसका पूरH शरHर पoते
कe तरह कांप रहा, sनतंब अपने आप उठ रहे थे और वो जोर-जोर से @ससJकयां भर रहH थी और उसी के साथ
उसने भी झड़ना शुu कर Fदया। दोन साथ-साथ दे र तक झड़ते रहे , झड़ते रहे , जैसे कोई दे ह वीणा पे @सतार
बजा रहा हो और झाला बज रहा हो। वो वैसे हH उसके अंदर पड़ा रहा जैसे sनकलने कe इ,छा हH ना हो। कुछ
दे र मK सरक कर वो उसके बगल मK लेट गया और दोन मुˆकुराते हुए एक दस
ू रे को दे ख रहे थे।

पर तभी मुगq ने बांग दे दH। सुबह कe पदचाप परू ब से हbकe सी सुनायी दे ने लगी।

उसने जो सामने घड़ी दे खी तो अचानक उठ गया- “हे मेरH बस मK @सफw 20 @मनट बचे हN, मुझे चलना होगा…”
और कपड़े पहनकर झट से तैयार हो गया।

गुmडी भी उसके साथ उठ. और उसको अंकवार मK भरकर पूछा- “हे सामान तुTहारे पास तो कुछ है नहHं। और
Jफर Jकoते Fदन मK आओगे…”

“अरे घर हH तो जा रहा हूं, सामान कe 8या जuरत? बस 5 Fदन मK लौट आऊँगा…” उसे चूमते हुये बाला।

गुmडी- “ये 5 Fदन मेरे @लये 5 साल लगK गK…”

“मुझे मालूम है जानम, पर मेरH भौजाई वैसे हH शक करती हN कe मेरा शहर मK कोई च8कर है इस@लये मN घर
नहHं आता, और अगर… पर तुम tचंता मत करो, लौटते हH मN सारH कसर पूरH कर दं ग
ू ा…” उसकe चूtचयां कसकर
मींजते हुए वो बोला।

गुmडी- “मुझे मालूम है , पर मN डरने वालH नहHं। मN इंतज़ार कuंगी तुTहारा…” हँसकर चुTमी लेकर वो बोलH।

जब मNने उसके चेहरे को दे खा तो बड़ी मुिˆकल से मN अपनी हँसी रोक पायी। आज उसकe भौजाईयां उसकe
अ,छ. दरु गत करने वालH थीं। उसके माथे पे जम के खूब गाढ़े महावर का sनशान, गाल पे काजल और गुलाबी
@लPपटक के दाग, दांत और नाखून के sनशान थे।

गुmडी उसे छोड़कर बाहर का दरवाजा बंद करके लेट गयी और तरु ं त हH सो गयी। मN भी रात भर कe जगी, थकe,
थोड़े हH दे र मK नींद मK खो गयी। जब मN उठ. तो धूप खूब ऊपर तक चढ़ आई थी। आज वैसे भी घर पे हम
दोन हH थे और उसकe छु”ी थी।

जब मN उसके कमरे मK गयी तो वो अभी भी गाढ़H नींद मK थी और सोते मK मुˆकुरा रहH थी जैसे सपने मK भी
उसी कe बांह मK चुद रहH हो। साड़ी सरक गयी थी, उसके गाल पे कचकचा के काटे गये दांत के sनशान, कड़े-
कड़े उरोज पे भी दांत के और नाखून के tचZह, और उसकe गोरH दtू धया, थकe फैलH, जांघ पे गाढ़े सफेद वीयw
कe धार और गाढ़े थ8के, उसकe Jकशोर गुलाबी योsन के हठ अभी भी अधखुले से, जैसे रात भर @लये गये ल~ड
का वाद उन हठ पे हो और वे अभी भी इंतजार कर रहे ह।

मN अपने को रोक नहHं पायी। एक ‹डिजटल कैमरा लाकर मNने उसकe हर एंगल से ढे र सारH फोटुएं खींची, और
चूत और चच ू ी के तो 8लोज अप भी। उसे उसी तरह सोता छोड़कर मN जाके नहा धोके तैयार हुई। वो अभी भी
सो रहH थी और 12:00 बजने वाला था। मझ ु े उसे उठाना हH पड़ा।

मुझे अपनी बांहो मK भरकर गुmडी बोलH- “भाभी, बहुत थकान लग रहH है । रगड़ के रख Fदया उसने…”

“अरे चल झूठ.। मजा आया कe नहHं?” उसके उभार को कसकर दबाते हुये मN बोलH।

गुmडी- “मजा तो बहुत आया। पर अब टांगK नहHं उठ रहH हN…”

125
“अरे रात भर उठये जो रहH होगी। अ,छा चल ये काफe पी, थकान उतर जायेगी…” और मNने उसे एक बड़ा मग
काफe का Fदया। Jफर मNने कुछ सोचा और उससे बोलH- “जरा ‰क…” और ^ांडी लाकर उसकe काफe मK ढे र सारा
@मला Fदया और बोला- “पी…”

हम दोन साथ-साथ काफe पी रहे थे और वो रात कe दातान सुना रहH थी। मNने उससे कहा कe हाथ मँुह धो ले
और मN नाˆता लगाती हूं। नाˆता करने के बाद मNने उसे समझाया कe चाहे िजoती थकe हो चुदाई के बाद, वो
अपनी कसरत जuर करे खास तौर से केजेल। उसके बाद मNने उसे kरलै8सेशन के तरHके भी @सखाये। वो kरलै8स
कर रहH थी और मN खाना बनाने मK लग गयी। मNने उसे बोला- “@सफw अभी |ेश हो ले, दे र हो गयी है इस@लये
नहाना शाम को…” खाने के बाद हम दोन आराम के मूड मK थीं, जगी तो मN भी थी, रात भर उसकe चूत मंथन
का ¹ˆय दे खने मK ।

मNने एक ’लू Jफbम लगाई ‘लेिबयन लटस’ और उससे कहा कe अपने भैया के टाक से बयर sनकाल लाये।
वो दो बोतल ले आई। हम दोन हbके गाउन मK थे और अंदर कुछ नहHं। आज वो भी मूड मK थी और बना ना
नक
ु ु र के बयर गटक रहH थी। जब उसने एक बार Jफर बोला कe रात मK तीन बार चुदवाई।

तो हँसकर मNने उसे FहTमत बंधाते हुए कहा- “अरे तेरे भैया ने सुहाग रात के Fदन 5 बार लगातार, उनका हरदम
खड़ा था और यहH हालत अभी भी है । और उसके बाद हनीमून मK लगातार 25 Fदन… मेरH मTमी ने भी शादH के
पहले मुझे पीरHयड पोटपोन होने वालH दवा Fदलवा दH थी कe िजससे वो 10 Fदन आगे सरक जाय और मेरे
हनीमून मK कोई ’यवधान ना हो। Jकसी भी Fदन 5-6 बार से कम नहHं। तो रानी ये तो अभी शu
ु आत है …”

गुmडी- “अरे भाभी, भैया को 8य ’लेम करती हN। आप चीज हH इतनी मत हN…” वो बोलH।

“अरे तू भी कौन सी कम है । मेरH जान…” कहकर कसकर मNने उसकe चूtचयां दबा दH। बयर कe दोन बोतलK
खालH हो गयी थीं और एक से yयादा उसी ने गटकe थी। Jफbम भी खतम हो गई थी, मNने दस
ू रH लगाई,
‘यरू ोPपयन हाडwकोर पाटw -1’

***** *****

तभी दब
ू े भाभी आयीं। मुझसे उमर मK 4-5 साल बड़ी, गोरH, थोड़ी थूल, दHघw तना, और sनतंब तो ऐसा कe
कोई 40”+ कe गा~ड कe साइज़ का कTपटHशन हो ना तो वो फटw आयK, ऐसी। बहुत हH खुले वभाव कe।
गा@लयां गाने और खुलकर मजाक करने मK उनसे औरतK भी घबड़ातीं थी। से8स मK कोई भी कमw उनसे बचा नहHं
था। खुलकर मजा लेने वालH, कZया Qेमी और खास तौर से क,ची क@लय कe, गुmडी पे भी वो। पर अभी तक
हाथ लगा नहHं पायी थी। गुmडी भी आbमोट उनसे उतनी हH खुलH थी िजoती मुझसे।

गुmडी को दे खकर वो बोलHं- “अरे लगता है आज रात भर इस नZहHं कलH कe कसकर रगड़ाई हुई है …”

उसके गाउन के बटन तो मNने हH खोल Fदये थे, दब


ू े भाभी ने हाथ डालकर उसके Jकशोर उभार पूरH तरह खोल
Fदये। उसके जोबन सहलाती, मजाक मK बोलHं- “बड़ा जा@लम और नासमझ था। Jकतनी कसकर मसला और काटा
है …” और उसके sनपल दबा Fदये।

गुmडी- “अरे भाभी सारH रात, तीन बार। अब तक ददw कर रहा है …” और जैसे इसे Fदखाते हुए कसकर अपनी
जांघK गाउन मK भींच लHं।

“अरे तो थोड़ी अपनी चुनमsु नया को हवा “खलाओ ना… 8या Pपंजडे मK बंद कर रखा है , मN भी तो दे खंू, चारा
घटने के बाद कैसे लग रहH है तेरH बुलबुल…” और उZहने उसके गाउन के नीचे के बटन भी खोल Fदये।

“अरे भाभी ये दे “खये एक साथ दो-दो के। कैसे मजा ले रहH है …” गुmडी ने सामने कe ओर उनका Œयान बंटाया।

126
Jफbम मK एक लड़कe, झुक के एक मोटा ल~ड चूस रहH थी और पीछे से कोई उसके ऊपर चढ़ा हुआ था, जैसे
कोई गाय चारा खा रहH हो और एक तगड़ा सांड आकर पीछे से उसके ऊपर चढ़ जाय।

“अरे तू भी लHलेगी ऐसे एक साथ दो-दो, मेरH बZनो…” दब


ू े भाभी उधर दे खती बोलHं, और कहा- “मN तुझसे भी
छोटH थी, 10वK मK पढ़ती थी। अभी सोलहवां नहHं लगा था और होलH मK एक साथ तीन-तीन। मेरे बड़े जीजा, मेरे
मझले जीजा और उनके एक दोत भी। बड़े जीजा ने तो होलH मK जब मेरH सील तोड़ी थी तो @सफw चौदह साल
कe थी मN…”

“पर भाभी एक साथ तीन-तीन कैसे…” आँखK फैलाकर गुmडी बोलH।

“अरे बुšू, मझले जीजा ने पहले नंबर लगाया, Jफर मुझे खींच के अपने ऊपर ले @लया, और कसकर अपने पैर
मेरH कमर मK बांध Fदया, और Jफर बड़े जीजा। वो तो शुu से हH मेरे चूतड़ के दHवाने थे, उZहने गचागच मेरH
गा~ड मK पेल Fदया। सब @मलH-जल
ु H थी उन लोग कe। और मN चीखी तो जीजा के दोत ने सीधे मेरे मुँह मK …”
दब
ू े भाभी ने अपना Jकसा सुनाया।

“और 8या, बड़ा मजा आता है एक साथ दो-दो घटने मK , मNने तT


ु हK बताया था ना कe कुछ महHने पहले जब मN
अपनी किजन कe शादH मK गयी थी तो मेरे दोन जीजा ने एक साथ सारH रात मेरH सN‹डPवच बनाई, कोई भी छे द
नहHं छोड़ा। मेरH ऐसी कe तैसी हो गयी, पर मजा भी बहुत आया…”

गुmडी- “अरे भाभी आप दोन ए8पटw हN…” हँसकर वो बोलH।

“चल तझ
ु को भी दो-दो का एक साथ मजा दे ते हN। दो-दो मदw न सहH, दो-दो भा@भयां हH सहHं, 8य…” मN दब
ू े
भाभी से बोलH।

उनकe तो मुँह मांगी मुराद @मल गयी- “एकदम…” उZहने बोला और उसका गाउन उतारने मK हम दोन लग गये।

और गुmडी भी… कुछ बीयर का असर, कुछ रात कe चद


ु ाई कe खुमारH, और कुछ Jफbम का। उसपर भी मती
चढ़H हुई थी। उसने भी दब
ू े भाभी कe साड़ी खींचकर उतार दH और थोड़ी हH दे र मK हम सब अपने Qाकृsतक `ेस
मK थे। हम दोन एक साथ उसके छोटे -छोटे रसीले जोबन का मजा ले रहे थे। दबू े भाभी तो खब
ू कसकर उसे दबा
रगड़ रहHं थी, िजoता कसकर कल उसके यार ने भी नहHं मसला होगा। मN उसके रस से भरे खड़े sनपल को मँुह
मK लेकर चूस चुभला रहH थी, जैसे कोई अंगूर चूस रहH हऊँ। बड़ा नशा था उसके चूचुक मK ।

थोड़ी दे र चूची का मजा लेकर दब


ू े भाभी ने नीचे का राता @लया। िजसके @लये वो इतने Fदन से राह दे ख रहHं
थीं। जbद हH उनके हठ उसके शहद कe कटोरH पे थे। वो कस-कसकर चूस रहHं थी, चाट रहHं थी। उनके हाथ
कसकर उसके चूतड़ दबोच रहे थे। और जो चूची उZहने छोड़ी उस पे मेरे हाथ का 8’जा था। दब
ू े भाभी कe जीभ
अंदर थी और वो उसे जीभ से हH इतनी कस-कसकर चोद रहHं थीं कe कोई मदw 8या चादे गा।

बेचारH गुmडी… उसकe हालत खराब थी। वो कस-कसकर अपने चत


ू ड़ पटक रहH थी, चत
ू तो परू H पानी-पानी हो
गयी थी। तभी गुmडी बोलH- “भाभी, दे “खये उसको, पीछे से इतना मोटा बेचारH कैसे ले पायेगी…?”

हम सबकe sनगाह Jफbम कe ओर मुड़ गयी। एक मोटा sनDो, िजसका मस


ू ल ऐसा ल~ड वो चस
ू रहH थी। अब
उसके पीछे चूतड़ के पास खड़ा था और अपना ल~ड उसकe गा~ड पे रगड़ रहा था। Jफर उसने ल~ड को हटाकर
अपनी एक उँ गलH उसकe गा~ड मK पेल दH और इतने पे हH वो ददw से tचbला उठ.। लेJकन वो उँ गलH कसकर
घस
ु ेड़कर अंदर-बाहर कर रहा था।

“अरे ये सब sछनालपना है । जो ल˜‹डया ये कहती है कe वो गा~ड मK नहHं ले सकती है , गा~ड मराने मK नखड़ा
करती है । मN तो कहती हूं उस सालH का हाथ पैर बांध के, गा~ड मK मोटा खूंटा ठक दे ना चाFहये…” कन“खय से
उधर दे खते हुए, दब
ू े भाभी बोलHं।
127
“पर भाभी, गा~ड का छे द इतना छोटा, कसा संकरा…” गुmडी बेचारH सहम के बोलH।

“तो 8या तT
ु हH लोग कe गा~ड संकरH पतलH होती और बेचारे लड़क कe चौड़ी?”

गुmडी िजस तरह दे ख रहH थी, ये साफ था कe उसे दब


ू े भाभी कe बात समझ मK नहHं आई।

दब
ू े भाभी ने अपनी बात जारH रखी- “अरे तू बता, आधे से yयादा मदw कैसे चोदना शुu करते हN। बचपन मK सब
गा~ड मरौवल करते हN। िजन ल˜ड कe वो गा~ड मारते हN, उनकe गा~ड कोई अलग Jकम कe होती है । सब हँस-
हँसकर गा~ड मरवाते हN, मजे ले ले के। तो लड़Jकयां 8य नहHं मरवा सकतीं? उस उमर कe लड़Jकयां तो पकड़ने
पे हH उ‚ह… आ‚ह… करती हN। ये सब नखड़ेबाजी है …”

दब
ू े भाभी बोल रहHं थी तो गुmडी कe चूत मK उनकe जीभ कe जगह, उनकe सधी परु ानी ए8पटw उँ गलH ने ले लH
थी, िजसने न जानी Jकतनी ननद को ब,ची से औरत बनाया था।

“हां और 8या अपने भैया को हH दे खा। जब वह 8:00 मK पढ़ते थे तो सबसे पहले उZहने से8स Jकया था, 7वK के
एक लड़के कe गा~ड मारके, और उसके बाद 12वीं तक लगातार। और जब वो 10वीं मK पढ़ते थे तो एक लड़का
तो… वो कह रहे थे कe इतना नमकeन था कe सारे कूल के टHचर तक उस पे मरते थे। उसकe तो पता नहHं
Jकतनी बार लH होगी उZहने, और इसी का नतीजा है दे खो Jकतने जबरदत चोद ू हN…” मNने भी दब
ू े भाभी कe
बात मK टुकड़ा जोड़ा।

दब
ू े भाभी ने तभी उसकe चूत से उँ गलH sनकालH और उसकe गा~ड मK सहलाते-सहलाते थोड़ी सी अंदर ठे ल दH।
उधर Jफbम मK जो आदमी उस लड़कe कe गा~ड मK उँ गलH कर रहा था उसने बाहर sनकाला। साफ-साफ Fदख रहा
था Jक उसमK कुछ माल मलHदा लगा हुआ है , और कैमरे कe ओर Fदखाकर सीधे उस लड़कe के मुँह मK ठे ल Fदया,
और वो भी वाद से चाट रहH थी। दब
ू े भाभी ने गुmडी कe गा~ड मK घुसी उँ गलH कe ओर इशारा करके, इशारे मK
मुझसे पछ
ू ा कe 8य इसको भी चटनी चटा दं ।ू

मNने आँख तरे र कर मना Jकया। मN नहHं चाहती थी Jक वो बदक जाय, शu


ु मK हH। चटनी 8या मेरा तो उसका
पूरा मन भर हलवा “खलाने का QोDाम था, पचा पचाया। पर पहले मN चाहती थी कe वो अपने भाई से एक बार
चुद जाय, Jफर तो मुझे उसे न @सफw उनकe पूरH रखैल बनाना था, बbकe जब एक बार वो हम लोग के साथ-
साथ रहने लगेगी तो Jफर तो सीधे से नहHं मानेगी तो हाथ पैर बांध के सब कुछ “खलाऊँगी Pपलाऊँगी, और कुछ
उसके भैया से भी उसकe भोलH बहना को। कुछ भी नहHं छोडूग
ं ी।

दब
ू े भाभी मेरा इरादा समझ गयीं और उZहने कसकर एक बार मK उसकe चत
ू -रस से गीलH अपनी उँ गलH गुmडी
कe कोरH गा~ड मK परू H अंदर तक पेल दH। वो बचारH tचbला भी नहHं पायी 8यकe उसके मुँह मK मेरH जीभ घस
ु ी
थी और मेरे हठ उसके गुलाबी हठ को कसकर चूम चूस रहे थे। दब
ू े भाभी के हठ गुmडी के sनचले हठ को
रगड़कर चस
ू ने मK जट
ू े थे।

Jफbम मK सटासट वो लड़कe अपनी गा~ड मK िजस ल~ड को लेने मK बदक रहH थी, उसे हH गपागप घट रहH थी।
उसी के साथ-साथ दब
ू े भाभी कe उँ गलH भी उसी पीड से गुmडी कe गा~ड मK अंदर-बाहर हो रहH थी।

मNने गुmडी के कान मK कहा- “दे ख ले ठ.क से, तेरे भैया का भी ऐसा हH है और इसी तरह हचक के वो तेरH गा~ड
मारK गK और जैसे उसने चटाया था ना, उसी तरह चटायKगे, तू भी सोच-सोचकर वाद ले। थोड़ी दे र मK Jफbम मK
अगला सीन शुu हो गया, गोbडेन शावर का। मNने सोचा इसे आगे बढ़ा दं ू पर दब
ू े भाभी ने मुझे रोक Fदया। इन
चीज मK तो उनकe खास Fदलचपी थी।

सीन मK एक लड़कe दस
ू रH लड़कe के साथ अपनी टांगK फैलाकर उसकe चूत से सुनहरH धार टपका रहH थी। और
एक लड़कe उसे अपने हठ से गटक रहH थी, खब
ू वाद लेकर।

128
“हे , तन
ू े अपनी ननद को इस खारे शरबत का वाद चखाया कe नहHं?” दब
ू े भाभी बोल पड़ीं।

मNने उZहK कसकर घरू ा। वो तो सारा काम चौपट करने मK लगी थीं, चखाना 8या मेरा {लान तो उसे इसकe प8कe
आदत लगा दे ने का था। पर हर चीज धीरे -धीरे अ,छ. लगती है , िजससे वो भी ना बचके।

“हे भाभी, Jकoती गZदH, 8या कर रहH हN ये?” मेरH ननद बचक के बोलH।

“अरे इसमK गZदH 8या बात है? आ“खर तम


ु ल~ड को मजे से लालHपाप कe तरह चूसती हो उसमK से sनकलH
मलाई गटागट लHलती हो। आ“खर वो भी तो इसी ल~ड से sनकलता है और अगर वो गंदा नहHं हुआ तो ये कैसे
गंदा है । और Jफर ये तो कई लोग इलाज के @लये इˆतेमाल करते हN। गो-मू— तो ढे र सारH आयव
ु ेFदw क दवाओं मK
पड़ता है तो गाय का पीना ठ.क है ? और दे ख ये सब मन कe बातK हN। बंद कमरे मK औरत मदw 8या करते हN, या
दो औरतK 8या करती हN? अगर उनको इसमK मजा आता है तो आता है , इसमK अ,छे या बुरे कe कोई बात नहHं।
दे ख कैसे मजे से गटक रहH है वो। एक बार वाद लगने कe बात है …” मNने भी दब
ू े भाभी का साथ Fदया।

तब तक उस सीन मK एक लड़का भी आ गया था और अब सामुFहक… पहले लड़के के ऊपर एक लड़कe ने जम


के तेज धार घलघल सुनहले रं ग कe धार और Jफर लड़के ने। अब गुmडी भी टकटकe लगाकरके दे ख रहH थी और
उसके चेहरे पे उoतेजना साफ झलक रहH थी।

गुmडी- “पर 8या भाभी आप भी भैया के साथ और भैया भी आपके साथ?”

“अरे और 8या? मN तो उZहK अ8सर… और आ“खर जब वो चूत चाटते हN तो कई बार लगा होता है उसमK तो 8या
फकw पड़ता है । और तू भी एक बार ‡ाई कर ना… अ,छा लगेगा…” अबकe दब
ू े भाभी ने मोचाw संभाला।

सवाल मझ
ु से पछ
ू ा गया था लेJकन मN जवाब गोल कर गयी। अगला सीन तो “उसके भी आगे” के टे प का था।
अगर वो मेरH ननद दे ख लेती तो उसे जोर का झटका जोर से लगता, इस@लये मNने बात टालH और दब
ू े भाभी से
कहा- “अरे भाभी, ये Pप8चर तो बहुत डाइवटw कर रहH है और इसके च8कर मK ये ननद साbbलH बच जायगी।
इसको बंद करते हN और जो काम हम लोग कर रहे थे वो शu ु करते हN। आपने तो इसकe शहद कe कटोरH चाट
लH। अब जरा इसे भी तो कस-कसकर रगड़ के चटाइये अपनी और मN इसकe चाटती हूं…”

दब
ू े भाभी को भी तो यहH चाFहये था। वो लेटH गुmडी के ऊपर चढ़ गयी और अपनी चत
ू सीधे उसके मँुह पे रख
ू े भाभी अपनी झांट भरH चूत उसके मुँह पे कस-कसकर रगड़ रहH थी
दH और मN उसकe फैलH टांग के बीच। दब
और मN उसकe संतरK कe फांक ऐसी रस भरH चूत चूस रहH थी। रात भर चुदने के बाद उसकe चूत हbकe सी खुल
गयी थी। मNने अपनी जीभ उसकe कोमल Jकशोर चत
ू मK पेल दH। चत
ू कe दHवालK , मखमल कe तरह मल
ु ायम,
मादक और रसीलH थीं और उZहने मेरH जब
ु ान को इस तरह जकड़ @लया जैसे कोई बछुड़ा हुआ यार बहुत Fदन
बाद @मला हो।

मेरH जीभ भी उसका चूत-रस चख के सुख से पागल हो रहH थी और हठ उसके भगो¥ठ को जकड़ के कस-
कसकर चूस रहे थे। तभी मNने दे खा कe दब
ू े भाभी ने चूत चटवाते हुये Jफbम Jफर से शुu कर दH और अब गुmडी
भी टकटकe लगाके दे ख रहH थी। मेरे हठ ने जैसे हH उसकe ि8लट छूई Jक वो उoतेजना से कांपने लगी और दबू े
भाभी ने मौके का फायदा उठाया।

जैसा मN डर रहH थी वहH हुआ। दब ू े भाभी ने चूत जरा आगे सरका के अपने बड़े-बड़े चूतड़ उसके मुँह पे रख Fदये
पीछे वाले छे द के @लये, पर गुmडी जरा घबड़ा और Fहचक रहH थी। दब ू े भाभी क,ची क@लय के साथ जोर
जबदw ती करके सब कुछ ‘“खलाने Pपलाने’ मK ए8पटw थीं। उZहने बना “झझके अपने चत
ू ड़ थोड़े ऊपर Jकये और
उसकe नाक पकड़कर ‘Pपंच’ कर दH। बेचारH… मजबूरन उसको जbद हH अपना मुँह खोलना पड़ा और दब
ू े भाभी ने
तुरंत अपनी गा~ड उसके मुँह पे रख दH।

129
Jफर बोलH- “चाट… चाट ठ.क से। हां हां चूस और जीभ लगा वरना नाक बंद हH रहे गी…”

मजबरू न उसने चाटना शुu कर Fदया और तब उZहने नाक छोड़ी। उसके हठ पे अब वो कस-कसकर अपनी
गा~ड रगड़ रहH थीं। उसकe एक चूची उनके हाथ मK थी और दस
ू रH मेरे, और उनकe भी कस-कसकर रगड़ाई
मसलाई हो रहH थी। अब मNने Jफर कस-कसकर उसकe चत
ू चस
ू नी शu
ु कर दH। मेरा एक हाथ उसकe गा~ड
सहला रहा था। अब तक मN ि8लट को @सफw छे ड़ रहH थी पर अब मNने ‰क-‰क के उसे चूसना भी शुu कर Fदया
था। एक ण के @लये मN ‰कe और दे खा तो Jफbम मK वो सीन चल रहा था जो मN नहHं चाहती थी कe मेरH
ननद अभी दे खे। गोbडेन शावर से आगे का।

मN डर रहH कe कहHं वह @भनक गयी तो मेरH अब तक कe सारH ‡े sनंग बेकार हो जायेगी पर ये 8या? उसकe
आँखK तो चुTबक कe तरह tचपकe थीं, टHवी से और बजाय @भनकने के वो खूब उoतेिजत लग रहH थी। और दब
ू े
भाभी भी। उZहने दोन हाथ से अपने चूतड़ को कसकर sछतरा @लया था और उससे जबरदती कर रहH थी कe
वो अपनी जीभ और… और अंदर तक डाले, घस
ु ेड़कर अंदर तक चाटे , चूसे।

मN चJकत होकर दे ख रहH थी। गुmडी, Jफbम के सीन का पूरा अनुकरण करके उनकe गा~ड मK अंदर जीभ
घस
ु ेड़कर चस
ू चाट रहH थी। मN Jकतना भी उसे एन@लंगुअस Fदखाती समझाती, शायद हH इतना जbदH @सखा
पाती, िजतना दब
ू े भाभी ने उसे @सखा Fदया था।

जोश मK आकर दब
ू े भाभी बोल रहH थीं- “हां, गुmडी हां और कसकर अरे जीभ अंदर ठे ल और अंदर। हां अब जरा
अंदर के माल का मजा ले। चाट जरा, कसकर चूस हां… हां चूस कसकर गा~ड के रस को…” बहुत दे र तक गा~ड
का वाद उसके Jकशोर हठ और मुँह को लगाकर Jफर उZहने उसे चूत चटाना शुu Jकया।

मN उसे खूब रगड़ के चूस रहH थी और वह भी दब


ू े भाभी कe चूत को उसी तरह बरु मK जब
ु ान डाल के। भाभी उसे
गाइड भी कर रहH थीं। और जब वह झड़ने के पास पहुँची तो मN ‰कe नहHं। यहं तक कe जब वह कस-कसके झड़
रहH तब भी मN चालू थी। दो बार झाड़ने के बाद हH जब उसकe चूत कe हालत खराब हो गयी तभी मNने उसे
छोड़ा।

पर मेरH ननद भी कम नहHं थी उसने भी दब


ू े भाभी कe बुर को दो बार कसकर झाड़ के हH छोड़ा। शाम हो गयी
थी। जब वो वापस जाने लगीं तो गुmडी से मुˆकुराकर कभी अपने घर आने कe दावत दH। हँसकर वो एकदम
मान गयी। दब
ू े भाभी ने मुझसे कान मK कहा कe मN उसे कभी रात भरकर @लये उनके पास भेज दं ,ू आज तो
उZहने @सफw चटा के छोड़ Fदया है Jफर उसे “खला Pपला के प8कe कर दK गी।

हँसकर मN बोलH कe जैसे मN वैसे आप। बीच मK मझ


ु े एक दो Fदन के @लये राजीव के साथ बाहर जाना है तो मN
गुmडी को उZहHं के पास पूरे समय के @लये छोड़ दं ग
ू ी। उनकe आँख मK चमक जाग गयी। गुmडी से जब मNने कहा
तो वो भी एक दो Fदन दब
ू े भाभी के यहां रहने के @लये खुशी से राजी हो गयी।

उनके जाने के बाद गुmडी बोलH- “भाभी, मN जरा नहा के आती हूं, सुबह भी मNने नहHं नहाया था…”

“नहाना धोना जuर पर ^श मत करना। हठ का वाद गायब हो जायेगा, और कहो तो मN भी आ जाऊँ नहला दं ू
तुTहK रगड़-रगड़कर…”

गुmडी- “जो हुकुम भाभी। ^श 8या मN तो कुbला भी नहHं कuंगी। नया-नया वाद मुँह मK लगा है । पर नहा मN
अकेले लूंगी। मुझे मालूम है , आप 8या-8या रगडKगी और नहाने के साथ 8या-8या चालू हो जायेगा…” “खल“खला
के वो बोलH।

“पर ये बहुत फाउल है , तT


ु हे मNने दो-दो बार मजा Fदया। दब
ू े भाभी ने भी दो बार मजा @लया। पर मN सूखी रह
गयी…” @शकायत भरे वर मK मNने कहा।

130
गुmडी- “अरे भाभी कोई बात नहHं… रात मK भैया आयेगK ना तो मN उनसे कह दं ग
ू ी ना… दो 8या चार बार, छ:
बार…” हँसकर मजाक भरे लहजे मK वो बोलH।

“पर अगर तुTहारे भैया आज नहHं लौटे तो? उZहने कहा था कe शायद आज रात भी वो नहHं आयK। पर चलो
कोई बात नहHं, मN उनकe बहना से काम चला लंग
ू ी…”

गुmडी- “नहHं भाभी नहHं, आज मुझे सोना है । कल रात भर चुदH तो परू H दे ह दख


ु रहH है …” और हँसते हुए तौ@लया
लेकर वो बाथuम मK चलH गयी और मN Jकचेन मK चाय बनाने चलH गयी।

मN उसके बारे मK सोच रहH थी Jक 24 घंटे मK Jकतना आगे बढ़ गयी और खास तौर से अभी, जो दोपहर मK हुआ।
मN सोच रहH थी मNने सोचा उसे धीरे -धीरे आगे बढ़ाऊँगी, उसकe कोमलता, उसका बाल सुलभ। पर शायद यहH
ठ.क था। कभी-कभी फाट होना हH अ,छा होता है , लेJकन से8स के साथ उसे और भी चीजK @सखानी हगी
उसकe पसwनाbटH कe Dू@मंग के @लये उसे ढे र सारH JकताबK पढ़नी हगी, िजससे वो हर जगह हर Pवषय पे बात
कर सके, कZवसqशन िकल, ‹`ं8स तो उसने करना शुu कर Fदया है पर उसके बारे मK , Jफर दे ह के Pवकास के
@लये। लेJकन मNने सोचा कe सबसे जuरH चीज है सोच, ए”ी›यड
ू और वो उसका सहH Pवक@सत हो रहा है , हर
चीज को उसकe िपkरट मK लेना, इंजवाय करना।

तब तक वो नहा के आ गयी। {याजी रं ग के tचकन के शलवार सूट मK वो बहुत खूबसूरत लग रहH थी। कोमल
गल
ु ाबी, खल
ु े- ख ल
ु े बाल उसकe पीठ पे लहरा रहे थे।

“हे @सफw नहाया या धोया भी…” मुˆकुराकर शरारत से मNने पूछा।

गुmडी- “धोया भी और खूब रगड़करके अंदर तक…” मेरH बात समझ के नटखट अंदाज मK वो बोलH।

“और ¨eम…” मNने उससे कहा था कe वो टाइट-अगेन ¨eम को खूब अंदर तक नहाने के बाद लगा ले।

गुmडी- “लगा @लया भाभी, ऊपर भी और नीचे भी…” हँसकर वो बोलH।

साथ-साथ चाय पीते हुये मेरH sनगाह उसके चेहरे पे पड़ी- “अरे तुमने मेक-अप जरा भी नहHं Jकया…” मN उसे
हड़का के बोलH।

गुmडी- “8या करना है भाभी, कहHं बाहर तो जाना नहHं है और ना कोई आने वाला है …” हँसकर वो बोलH।

“8या पता, पर मेरH बZनो थोड़ा लाइट मेक-अप तो हमेशा करना चाFहये, कम से कम लाइट @लपिटक, आंख
पे काजल, tचक-बोZस को हाइलाइट कर लो, थोड़ा uज, थोड़ा ’लशर…”

चाय के बाद वो तुरंत गयी और जब लौटH तो इतनी सुंदर लग रहH थी कe… रसीले हठ पे हbकe गुलाबी
@लPपटक, हbका सा uज गाल पे, काजल कe पतलH सी रे खा, उसके बड़े-बड़े रतनारे नैन मK और मK हदH अभी
भी उसके हाथ मK दमक गमक रहH थी।

***** *****09 भाग-9

वो अपने कमरे मK बैठकर कल कूल मK होने वाले `ेस kरहसलw कe ि¨{ट याद कर रहH थी, िजसमK वो एक बार
डांसर का रोल कर रहH थी। मNने उसे एक वायस कbचर कe भी Jकताब दH और थोड़ा समझाया कe डीप-^ीFदंग
कैसे करते हN, आवाज ¸ो कैसे करते हN। वो Qैि8टस कर रहH थी और मN Jकचेन मK नाˆता बना रहH थी, |Kच
सN‹डवच और एग |Kकe। एक {लेट मN दे आई थी और दस
ू रH तैयार कर रहH थी कe उसकe “खल“खलाती आवाज
आई- “भाभी, दे “खये कौन साbला आया है …”

मN समझ गयी गंज


ु ा, मेरH गांव कe दे वरानी का भाई अजय होगा। गंज
ु ा कe शादH के बाद से हो वो इसे साbला
कहकर छे ड़ती थी और वो भी मजे लेता था, उमर मK उससे तीन चार साल बड़ा। वह गांव का था, लेJकन बड़ा हH

131
तगड़ा और गबu जवान, मांसपे@शयां साफ झलकतीं। गुmडी नखड़े Fदखाती थी, उसको छे ड़ती थी लेJकन @लƒट
जरा कम दे ती थी। लेJकन वो भी हारने वाला नहHं था पीछे लगा हH रहता था।

जब मN कमरे के पास पहुँची तो गुmडी कe चीख सुनायी दH- “भाभी दे “खए, ले @लया। साbले ने जबदw ती…”

कमरे मK घस
ु कर मNने जानबूझ के अपनी ननद कe शलवार कe ओर दे खते हुए पछ
ू ा- “अरे 8या ले @लया? मुझे तो
कुछ Fदख नहHं रहा है , हर चीज वैसे हH बंद और पैक है …”

गुmडी- “भाभी, आप भी… आपको भी हरदम वहH एक चीज सूझती है , ये दे “खये…” नखड़े से वो बोलH।

तब मNने दे खा Jक गुmडी जो |Kकe खा रहH थी, उसे उसने उसके मुँह से छ.न लH थी और मजे से खा रहा था-
“अरे ये? मN तो कुछ और हH समझी थी कe… मेरे भाई ने तT
ु हारH 8या ले लH…” हँ सकर मN बोलH।

“अरे दHदH, आप इसको इतनी tचकनी चीजK दे ती हN, दे “खये कैसे मुटा रहH है …” उसके गदराये जोबन को कसकर
घरू ता अजय बोला।

गुmडी- “अरे जाकर अपनी गुंजा दHदH का दे खो ना शादH के बाद कैसे मेरH भैया के मेहनत से… अब दे खो कुछ
Fदन मK पेट भी मुटा जायेगा…” हँसकर tचढ़ाते हुए वो बोलH।

“अ,छा तुम दोन झगड़ा मत करो, मN और ले आती हूं…” कहकर मN वापस Jकचेन मK आ गयी। जब मN लौटH तो
मNने दे खा कe दोन खब
ू घल
ु @मल के बात कर रहे थे। अजय का हाथ गुmडी के कंधे पे था और उं ग@लयां उरोज
के उपरH Fहसे को छू रहHं थीं और वो भी उससे एकदम सटकर बैठ. थी। मNने {लेट सामने कe मेज पे रख दH
और हम तीन @मलकर खाने लगे।

मNने पछ
ू ा- “8या QोDाम है तुTहारा, अजय…”

गुmडी- “अरे भाभी साफ-साफ 8य नहHं पूछती, कब जाओगे…” हँसकर गुmडी बोलH।

“हे , ऐसा नहHं बोलते मेहमान को…” मNने कहा और गुmडी को घरू ा।

“नहHं दHदH, बस थोड़ी दे र मK , एक घंटK मK बस @मलेगी। रात तक गांव पहुँच जाऊँगा…”

“अरे ये कुछ नहHं, खाना खाकर जाओ ना, अब ये मेरH ननद बहुत अ,छा खाना बनाती है …”

“अरे ये खाना बनाती है तब तो कतई नहHं। मझ


ु े एकदम भख
ू नहHं है …” हँसकर वो बोला।

गुmडी- “अरे इतना नखड़ा Fदखा रहे हो, ‰क जाओ ना आज रात…” बड़ी अदा से गुmडी बोलH।

“अरे इतनी सुंदर लड़कe रात कe दावत दे रहH है , तब भी नहHं ‰को तो…” मNने छे ड़ा।

“ठ.क है दHदH, अगर आप इतना कहती हN तो ‰क जाता हूं…” मुˆकुराकर वो बोला।

“झूठे, मेरे कहने से या अपनी… इसके कहने से…”

अब गुmडी के झKपने कe बारH थी लेJकन गुmडी ने पलट वार Jकया- “अ,छा, तो ये दHदH भैया कe @मलH भगत है ।
मेरे भैया कल से नहHं है तो आज रात बताने के @लये आपने अपने भाई को बुलवा @लया। 8य भाभी एक Fदन
मK हH इतनी खुजलH मच गयी…”

“अ,छा मN मान लेती हूं कe तT


ु हारH बात सहH है लेJकन तुTहK मेरH एक बात मंजरू करनी पड़ेगी, बोल?”

गुmडी- “एकदम मंजरू , भाभी आपको तो मालूम हH है कe मN आपकe बात टालती नहHं…”

“प8का?”

गुmडी- “एकदम प8का भाभी…”


132
“तो ठ.क है अगर तुTहारे भैया आ गये तो, जो काम वो मेरे साथ रात भर करK गK वो तT
ु हK भी मेरे भैया के साथ
करना पड़ेगा। अरे यार, मN रोज तुTहारे भैया के साथ तो एक Fदन तुम भी मेरे भैया के साथ… और अजय ये
वादा कर चुकe है तुTहारे सामने तो अगर ये जरा भी ना-नक
ु ु र करे ना तो उसके साथ जोर जबदw ती करने का
तुTहारा एकदम परू ा हक बनता है …”

“एकदम दHदH…” और ये कहकर उसने कसकर उसे अपनी मजबूत बांह मK पकड़ @लया और दबाने लगा।

“दे “खये भाभी, ये साbला… दबा रहा है कस के, Jकतनी ताकत है तम


ु मK , दं गल लड़ते हो 8या?” वो चीख के
बोलH।

“अरे तुम लोग दबाओ, दबवाओ, पकड़ो, पकड़वाओ। मN चलH Jकचेन मK …” Jकचेन मK उनके हँसने “खल“खलाने कe
आवाजK आ रहHं थीं। मN खाना बनाने मK लगी थी।

तभी हँसती मुˆकुराती, गुmडी मेरH हे bप करने Jकचन मK आई।

मNने मˆु कुराकर पछ


ू ा- “हे 8या हो रहा था? बड़ी हँसी आ रहH है …”

गुmडी- “अरे आपके भैया, बड़े वो हN…” मुˆकुराकर वो बोलH।

“अरे जानती है हँसी तो फँसी। मालूम है , तेरा वो पुराना दHवाना है …” मNने कहा।

गुmडी- “मालूम है , भाभी…” Jफस से हँसकर वो बोलH।

“और बहुत तगड़ा भी है …” मNने और कहा।

गुmडी- “ये भी मालूम है , भाभी…” सलाद काटते हुये मुˆकुराकर वो बोलH।

“तो दे दे ना बचारे को इoता 8य तड़पाती है ? तेरा कौन सा sघस जायेगा…”

गुmडी- “ना ना भाभी कल रात भर जगी हूं मN, अब तक टांग मK ददw हो रहा है …”

“अरे तो कोई जuरH है रात भर दो। एक बार भी दे दो तो उसका तो… और Jफर तेरा यार तो 5 Fदन के @लये
गांव गया है । तो वैसे भी तेरH 5 Fदन तक छु”ी है तो Jफर? और ये कौन सा रोज-रोज आता है …”

गुmडी- “वो बात तो आपकe सहH है भाभी, लेJकन…”

“अरे अब लेJकन वेJकन कुछ नहHं बस दे दो बचारे को, खुश हो जायेगा…”

गुmडी- “दे खूंगी, च@लये भाभी आपका भाई भी 8या याद करे गा Jकसी Fदलदार से पाला पड़ा था…” और वो बड़ी
अदा से टे बल पे {लेटK लगानK चूतड़ मटकाते चल दH।

मNने उससे कहा कe वो खाने मK अजय का साथ दे दे । Jफर अगर राजीव लेट आयK तो मN उनके साथ खा लूंगी।
खाना शुu करते हH मेरH ननद को कुछ याद आया और वो ‰क कर बोलH- “भाभी, जब मेरे भैया खाते हN तो आप
जम के गा@लयां सुनाती हN तो आज चुप 8य हN?”

“अरे , तT
ु हारे भैया को मN सुनाती हूं तो मेरे भैया को तू सुना, वो भी अ,छ. वालH, जबदw त…”

गुmडी- “नहHं भाभी पहले आप, Jफर मN सुनाऊँगी प8का, इस साbले को तो वैसे भी मझ
ु े जमकर गा@लयां सुनानी
हN…”

“अ,छा चल तू इoता कह रहH है तो मN सुना दे ती हूं पर उसके बाद तम


ु …” और मN शu
ु हो गयी-

“मोरे भैया, अजय भैया, आंगन म0 आये।


आने को आदर, बैठन को कुसC,
133
खाने को खाना, पीने को पानी और
और सोवन को, संग सोवन को,
मजा दे ने को, टांग उठाने को। अरे ,
हमर& ननद& रानी राजी रे , संग सोवन को,
अरे रात चुदावन को ग<
ु डी रानी राजी,
अरे हमरे भैया से, अजय भैया से चुदावन को
गु<डी ननद& राजी रे ।

“अरे , थNक यू, तम


ु राजी हो। तो खुद हH कह दे ती ना दHदH से कहलवाने कe 8या जuरत थी?” अजय ने उसे
छे ड़ा।

गुmडी- “धoत भाभी, आप भी। ये तो पूरH बेइमानी है । मNने आपसे इस साbले को गालH सुनाने के @लये कहा था,
उलटे आपने मुझे हH गालH सुना दH। ये नहHं चलेगा। कम से कम आप एक और गालH सुनाइये…” मुँह फुलाकर
वो बोलH।

“तो ये 8य नहHं कहती Jक तT


ु हK अजय का नाम लगाकरके और गालH सुनने का मन है लेJकन इसके बाद तुझे
सुनाना पड़ेगा…” मNने उसे tचढ़ाया।

“अरे भाभी ये 8या सुनायेगी, इसे कुछ आता भी है बेचारH शहर वालH, हां एम टHवी के गाने कFहये तो जuर… या
kर@म8स पे नाच दे गी…” अजय ने उसे Jफर छे ड़ा।

गुmडी- “अरे बड़े आये हो तुम… अभी दे खना ऐसी सुनाऊँगी ना Jक तम


ु दोन भाई-बहन पनपनाते Jफरोगे। पर
पहले भाभी। लेJकन ये अजय के नाम से नहHं शुu होनी चाFहये कe…”

“अ,छा चल, अजय के नाम से नहHं तेरे नाम से शu


ु करती हूं सुन…”

“डलवाय लो गु<डी आई बाहर, डलवाय लो,


डDलह0 भैया हमार, डDलहे अजय तोर यार, डDलह0 भैया तोहार,
डलवाय लो अरे ग<
ु डी आई बाहर, चुदवाय लो,
डDलह0 तेलवा लगाई, नह&ं तनको दख
ु ाई,
मजा तोह0 खब
ू आई, दे इह0 नोट चुदवाई,
डलवाय लो, अरे गु<डी आई बाहर, चुदवाय लो,
चो#दह0 चूiचयां दबाई, चो#दह0 टं iगया फैलाई, डलवाय लो,
पड़ी चूतड़े पे थाप, मजा आई #दन रात, चुदवाय लो।

“चल अब तेरा नंबर है …” मNने गुmडी से कहा।

“ठ.क है भाभी…” और वो मुˆकुराकर शुu हो गई-

अजय क बहना Lबकाय, कोई लै लो,


अरे हमर& भाभी Lबकाय कोई लै लो,
अठ%नी म0 लै लो, चव%नी म0 लै लो,
अरे #दल जर जाय मफ
ु त म0 लै लो, अजय क बहना।

134
“अरे ये कौन सी गालH हुई, मN कह रहा था ना दHदH कe आपकe इस ननद को कुछ नहHं आता, हां थोड़े बहुत
Jफbमी गाने और kर@म8स पे कमर मटका लेती हN बस…” अजय ने उसको tचढ़ाया।

“अ,छा साले। कान खोलकर रख सुनाती हूं तझ


ु े…” और गुmडी Jफर से चालू हो गयी-

“अMरया अMरया सा?ले सब बैठे, बीच म0 बैठा अजय सा?ला जी।


अरे उनक ब#हना, हमर& भाभी चल&ं फुलवां चुनने, iगर& पड़ीं Lबछलाई जी।
खDु ल गई साड़ी, फ#ट गई चोल&, अरे बुMरया म0 , अरे भEसड़ी म0 घुस गई लकlड़या जी।
दौड़ा दौड़ा अजय भmया, अरे दौड़ा दौड़ा अजय सा?ला, मंह
ु वा से खींचा लकlड़या जी,
अरे आवा आवा अजय भंड़ुए, हEठवा से खींचा लकlड़या जी।
अMरया अMरया सा?ले सब बैठे, बीच म0 बैठा अजय सा?ला जी,
अरे बहना तु5हार&, अरे भाभी छनरौ, एक पग चलल&, दस
ू र पग चलल&ं,
अरे iगर& पड़ीं भहराई जी, अरे उनक गंlड़यां म0 घुस गयी लकlड़या जी।
दौड़ा दौड़ा अजय भmया, अरे दौड़ा दौड़ा अजय सा?ला, मुंहवा से खींचा लकlड़या जी।

और इन रसीलH गा@लय के साथ और छे ड़-छाड़ भी चल रहH थी। मNने अजय से कहा कe ये ‹डश गुmडी ने बनाई
है इसे जuर टे ट कर लेना।

तो उसने बोला- “नहHं दHदH, मुझे वाद खराब नहHं करना है …”

गुmडी भी कम नहHं थी। उसने अपने हाथ मK लेकर उसे “खलाया और जैसे हH उसने मुँह खोला, सब उसके गाल
पे लपेट Fदया और हँसकर बोलH- “अब अपनी बहना से चाट के साफ करा। उनके हठ के वाद के साथ ये बहुत
मीठा लगेगा…”

पर अजय भी उसे ऐसे थोड़े हH छोड़ने वाला था। उसने कसकर उसका सर पकड़ा और अपने गाल कस-कसकर
उसके हठ पे रगड़ Fदये और बोला- “जरा तेरे हठ का वाद तो चख लंू…”

दब
ु ारा जब गुmडी ने उसे अपने हाथ से “खलाया तो उसने कसकर उसकe उं ग@लयां काट लHं।

वो बेचारH बड़ी जोर से चीखी- “दे खो भाभी, इस साbले ने Jकतने जोर से काट @लया। मना कkरये अपने भैया
को…”

“अरे मेरे मना करने से 8या होगा? अभी तो दे ख वो आगे 8या-8या काटता है …” मN 8य चुप रहती।

दोन एक दस
ू रे को लालच भरH sनगाह से दे ख रहे थे, वो उसकe मत चूtचय को बेशरमी से खुलकर घरू रहा था
और उधर वो भी उसकe मसbस, तगड़ी गठ. दे ह को ललचाई नजर से दे ख रहH थी। उसके उँ गलH काटने का
जवाब गुmडी ने अपने ढंग से Fदया। उसके œलास मK पानी डालते हुए, उसने ढे र सारा पानी उसके पाजामK पे tगरा
Fदया। जाड़े कe रात… वो बचारा अ,छ. तरह भीग गया।

ऊपर से बड़े भोलेपन से उसने सारH बोल Fदया।

मNने अजय को तौ@लया Fदया सख


ु ाने को तो वो बोला- “दHदH, िजसकe गलती है वहH सख
ु ाये, @सफw सारH बोलने से
नहHं होता…”

गुmडी- “एकदम भाभी, लाइये तौ@लया मझ


ु े दHिजये अभी एकदम रगड़कर सख
ु ाती हूं…”

135
और उस द¥ु ट ने तौ@लया मुझसे ले के, उसके ना @सफw गीले पाजामK पे रगड़ा, बिbक कस-कसकर उसके उभरे टK ट
पोल को भी। और उसके तने खंूटे को अपने मK हदH लगे हाथ से हbके से दबा भी Fदया। इस छे ड़छाड़ के बीच वो
दोन खाना खतम हH करने वाले थे कe राजीव आ गये।

अजय को दे खकर वो बोले- “हे साले जी, कब आये तुम? अकेले माल उड़ा रहे हो…”

मNने पछ
ू ा- “हे अभी मNने भी आपके इ्ताजार मK खाना नहHं खाया है। आप बैठ जाइये मN खाना लगा दे ती हूं…”

“नहHं मN बहुत थका हूं, ऐसा करना Jक तुम एक थालH लगाकरके ऊपर ले आना, साथ-साथ खा लKगK…”

और अजय से बोले- “अरे िजसकe बहना अंदर उसका भाई @सकंदर, सारा माल तो तT
ु हारा हH है …” और ऊपर
जाने लगे।

गुmडी- “भैया, आपके @लये एक खुश खबरH। अbपना, आपकe सालH नरस आ रहH है । और उसी Fदन उसके
पैरंटस कहHं बाहर जा रहे हN तो वो दो-तीन Fदन हम लोग के पास हH रहे गी…” गुmडी बोलH।

“अरे ये तो बहुत अ,छ. खबर सुनाई तन


ू े बहुत Fदन हो गये उससे @मले। और जbदH आना…” मुझसे बालते हुए
वो ऊपर चले गये।

अजय ने अब और कसकर गुmडी को अपनी ओर खींच @लया और कसकर खुल के, अपनी बांह मK भरकर बोला-
“दे ख अब तेरे भाई ने भी कह Fदया कe सारा माल मेरा है , तो ये माल भी मेरा हH है …” और कसकर उसकe चूची
दबा दH।

बजाय बदकने के गुmडी और उसकe बांह मK @समट गयी।

खाने के बाद मN और गुmडी टे बल समेटने मK लग गये। गुmडी ने मुझे tचढ़ाया- “भाभी जbदH ऊपर जाइये, भूखा
शेर @मलेगा। बेचारा दो Fदन का भूखा है…”

“लगता है चीते ने नाखून लगा Fदये हN, खाने के पहले हH…” उसके उरोज के खुले Fहसे पे अजय के नाखून के
sनशान पर उँ गलH फेरते हुए मN बोलH।

वो बेचारH शमाw गयी।

“हे नाइटH पहनकर आ ना, अपनी। 8या यहH पहनकर सोओगी…” और मN दध


ू बनाने लगी।

जब वह लौट के आई तो गुलाबी बेबी डाल मK बहुत उoतेजक लग रहH थी। उससे मNने कहा कe ये दध
ू तुTहारे
और अजय के @लये है । तब तक हम दोन उसके कमरे मK पहुँच गये थे।

गुmडी बोलH- “8या भाभी, आपके भैया अभी तक दध


ू पीते ब,चे हN जो दध
ू पीते हN…”

“अगर कोई तुम सा दध


ू ाu @मल जाय दध
ू पीने के @लये तो, जuर…” अजय 8य चुप रहता।

“अरे दध
ू दे ने लायक तो ये परू H हो गयी है अगर आज रात तुम मेहनत कर दो तो। थोड़ा कस-कसकर दह
ु ना…”
हँसकर उसकe कड़ी-कड़ी चूtचयां दबाकर मN बोलH।

“अरे हमारे गांव मK जो गाय दध


ू दह
ु ाने मK थोड़ी भी ना sनकुर करती है ना तो उनके पैर छान के मN दहु ता हूं…”
वो भी अब खुलकर बोल रहा था।

“अब ये बsछया तुTहारे हवाले है , जो करना है करो…” और Jफर अजय के कान मK मN बोलH- “कल ये टांगK sछतरा
के हH चले, ऐसा रगड़ के…”

“हां दHदH, बहुत नखड़ा करती थी, कल सुबह दे खना इसकe 8या हालत होगी…” वो भी धीमे से बोला।

136
“अभी 10:00 बज रहे है , @मलते हN कल सुबह 7:00 बजे। परू े 9:00 घंटे हN तम
ु लोग के पास। और तुTहारा
समय शu
ु होता है अब…” ये कहके मNने दरवाजे कe कंु डी बाहर से लगा दH।

जब मN थालH मK खाना लेकर ऊपर पहुँची तो वो इतने बेताब थे कe खाना तो बाद मK , उZहने मेरा भोजन पहले
शu
ु कर Fदया। और Jफर खाना भी हम लोग ने चद ु ाई करते हुए हH खाया। 4 घंटे तक रगड़ के 3 बार चोदने के
बाद 2-3 बजे के करHब उनकe नींद लगी।

लेJकन मेरH आंख मK नींद कहां, मN तो बस ये सोच रहH थी कe मेरH ननद के साथ 8या हो रहा होगा? दबे पांव
से मN नीचे आई और बगल के कमरे से जहां कल रात भर चुदाई दे खी थी, पीप-होल से दे खने लगी। गुmडी
बतर के सहारे झुकe हुई थी, उसकe आधी दे ह बतर पे थी और चूतड़ हवा मK थे, दोन टांगK बहुत yयादा
लगभग अQाकृsतक ढं ग से फैलH हुई थीं या अजय ने जबरदती फैलवा दH थीं, और वह उसको कुsतया कe
टाइल मK चोद रहा था, वह उसके बीच मK था।

तभी मुझे वहां पड़ा अपना हNडीकैम Fदख गया। कल रात जो मNने उसकe चुदाई कe kरका‹ड¡ग के @लये रखी थी।
मNने उसे लेकर Jफर से kरकाडw करना शुu कर Fदया। अजय का ल~ड पूरH तरह अंदर पैबत था और वो बहुत
बेरहमी से उसकe चtू चयां कुचल मसल रहा था। उसकe चतू गाढ़े सफेद वीयw से लथफथ थी और उसकe धार
बहकर उसकe गोरH दtू धया जांघ और चूतड़ पे पड़ रहH थी। उसके चेहरे पे ददw और मती दोन साफ झलक रहH
थी। उसके हठ से रह-रह के @ससJकयां sनकल रहH थीं।

और जब अजय ने अपना ल~ड बाहर sनकाला तो मN @सहर गयी। बीयर कैन ऐसा चौडा, मोटा था उसका ल~ड।
अब मN समझ गयी कe उसने उसकe टांग इतनी कसकर 8य फैलवा रखी थीं। इसके बना तो इoता मोटा ल~ड
वो उसकe Jकशोर कसी चत
ू मK घस
ु ेड़ हH नहHं सकता था। वह 5-6 ध8के धीरे -धीरे मारता जो चत
ू को रगड़ते
अंदर जाते और Jफर 2-3 ध8के पूरH ताकत से कस-कसकर कमर पकड़कर मारता, जो मN ˆयोर थी Jक सीधे
उसकe ब,चेदानी पे लग रहे हगK । गुmडी पoते कe तरह कांप जाती और कसकर पलंग पे रखा तJकया भींच लेती।
ददw रोकने के @लये वो बार-बार अपने हठ दांत से काट लेती।

मुझे लग रहा था कe िजस तरह से उसने उसकe टागK फैलावा रखी थीं उससे, उसकe चूत को थोड़ा आराम जuर
@मल रहा होगा। पर टांगK और जांघK ददw से चूर हो रहH हगी। थोड़ी दे र तक इस तरह कस-कसकर चोदने के बाद
उसने अपना ल~ड पूरH तरह अंदर घस
ु ेड़कर, उसकe टांगK सटवा दHं। वो इतने पे हH नहHं ‰का, उसने उससे
जबरदती Jकया कe वो अपनी टांगK कN ची कe तरह एक दस
ू रे मK फंसा ले।

मेरा तो Fदल दहल गया। मN समझ गयी कe वो कौन सा आसन इˆतेमाल करने जा रहा है। इस तरHके से चोदने
से तो दो ब,च कe मां को भी पशीना आ जाता है और एकदम कंु वारH क,ची चत
ू कe तरह चद
ु ती है वो। अगर
ऐसे, Jकसी भसडीवालH को भी चोदK तो उसे सुहागरात का मजा आ जाता है और ये बचारH तो वैसे हH Jकशोर
क,ची कलH है और ऊपर से अजय का ल~ड भी।

अब अजय ने अपनी टांगK चौड़ी करके, उसके बीच मK उसकe टांगK कसकर दबोच लHं। वो बचारH अब अपनी टांग
एक इंच भी नहHं फैला सकती थी। अजय ने अब कस-कसकर उसकe चूtचयां बतर पे हH रगड़ना शुu कर Fदया,
परू H ताकत से। ददw के मारे वो चीख उठती थी। अजय ने एक हाथ आगे बढ़ाकर उसकe जांघ के बीच मK करकर,
लगता है कसकर उसकe ि8लट को मसल Fदया, 8यकe मती के मारे जोर से उसकe @ससकe sनकल गयी। अब
वह कभी बेरहमी से उसकe चtू चयां कसकर बतर पे रगड़-रगड़ के उसकe चीख sनकाल दे ता, तो कभी ि8लट को
रगड़ के @ससकe।

लगता है वो इस च8कर मK , अपनी कसी चूत मK फंसे ल~ड को भूल चुकe थी।

तभी अजय ने उसके चूतड़ पकड़कर अपना ल~ड धीरे -धीरे बाहर Jकया।
137
जैसे कुsतया कe चूत मK कुoते के ल~ड कe गांठ बन जाती है एकदम वहH हाल गुmडी कe हो रहH थी। उसने
उसकe टांगK tचपका के अपनी टांग से ऐसे बांध रखी थीं कe उसे सचमच
ु कुsतया का हH मजा @मल रहा होगा।
और Jफर जब उसने वापस अपना ल~ड अंदर Jकया तो उसका मोटा हल’बी ल~ड, उसकe कसी चूत कe दHवाल
को रगड़ता, sघसता, छ.लता अंदर बड़ी मुिˆकल से जा रहा था। लेJकन वो भी परू H ताकत से ठे ल रहा था और
उधर गुmडी बेचारH… चीख-चीख के उसकe बरु H हालत हो रहH थी। एक आँसू का कतरा उसकe Fहरणी सी आँख से
सरक के उसके गोरे गुलाबी गाल पे आ गया।

बेरहम ने चूमकर वो आँसू साफ कर Fदया। लेJकन साथ हH कचकचा के िजस तरह से उसका गाल काटा, वो दाग
दो-तीन Fदन तक तो जाने वाला नहHं। धीरे -धीरे उसका आधा ल~ड हचक के, चूत मK फंसा-फंसा जाने लगा। अब
उसने उसकe गोरH पीठ पे sछतराये फैले खूबसूरत काले बाल को लपेट के चोटH सी बनाई और एक हाथ से
पकड़कर इस तरह खींचा कe जैसे कोई खब
ू सरू त अरबी घोड़ी कe लगाम पकड़कर खींचK।

जैसे हH ददw से उसका मुँह खुला, उसने अपनी एक उँ गलH उसके मुँह मK घस
ु ेड़ दH, और जोर से बोला- “चोप, जरा
भी आवाज बाहर sनकलH तो… चूस मेरH उँ गलH… जरा ददw का मजा लेना सीख। इस ददw मK हH तो असलH मजा है ।
ददw को @सफw बदाwˆत ना करो उसे मजे कe तरह लो। आ“खर ददw और मजे मK कोई अंतर नहHं है @सफw तT
ु हारा
मन उसे Jकस तरह लेता है । अगर तम
ु उसको भी मजे कe तरह लेना शुu करोगी ना तो नये-नये तरह-तरह के
मजे तुTहK @मलने शुu हो जायKगK। तेरH चूत, चूची, चूतड़ सब मजे दे ने के @लये हN। अब एकदम आवाज बंद और
कसकर चूस मेरH उँ गलH। िजतना कसकर इसे चूसेगी उतना हH तुझे आसानी होगी…”

अब वो सचमुच कसकर जैसे कोई ल~ड चूस रहH हो, उसकe उँ गलH चूस रहH थी। वो दस
ू रे हाथ से {यार से उसके
उभरे हुए कोमल sनतंब सहला रहा था। अचानक उसने कसकर एक दोहoथड़ उसके चूतड़ पे लगाया। उसके मुँह
मK उसकe उँ गलH घस
ु ी हुई थी इस@लये बेचारH चीख 8या पाती, लेJकन उसके चेहरे पे ददw कe लहर दौड़ गयी। पर
वह इतने पे ‰का नहHं… दो, तीन, चार वो और ताकत से मार रहा था। उसके गोरे -गोरे चूतड़, चोट से लाल हो
गये। पर मेरH आँखK Pवमय से फैल गयी जब मNने गुmडी के चेहरे को Œयान से दे खा। ददw के साथ एक नये
Jकम का मजा उसके चेहरे पे फैल रहा था, एक ऐसा मजा जो उसने पहले कभी ना चखा हो।

अजय ने चोदना कुछ दे र के @लये रोक Fदया था। उसका आधा ल~ड उसकe चूत मK अटका था और चूतड़ पे
पड़ता उसका हाथ अब सीधे गा~ड के छे द पे पड़ रहा था। वह एक उँ गलH से उसे रगड़ भी रहा था। कैमरे को
मNने वहां ज़म
ू Jकया, उसकe कसी-कसी गा~ड का टाइट छे द। तभी उसने वो उँ गलH िजसे गुmडी चूस रहH थी,
उसके मुँह से बाहर sनकाला, और उसकe गा~ड पे लगाकरके रगड़ने लगा और Jफर पूरH ताकत से अंदर घस
ु ेड़
Fदया। ददw के मारे उसकe हालत खराब थी पर वो इसका भी मजा ले रहH थी।

मN सोचने लगी कe इसका मतलब है Jक इसे ददw मK भी मजा। इस बात ने तो उसकe ‡े sनंग और मजे कe नयी
ढे र सारH संभावनायK खोल दH थीं। पहले दब
ू े भाभी ने और अब अजय। लगता है ये सब चीजK वातव मK इसे
अ,छ. लगती हN और राजीव को तो बी॰डी॰एस॰एम॰ बहुत पसंद है। मNने Jफर Œयान Fदया तो अजय कe उँ गलH
अब उसकe गा~ड मK परू H तरह घुसी थी। मुझे लगा कe रात िजस तरह इसने अजय के साथ भर पेट खाया है ,
इसका पेट तो एकदम और गा~ड भी। और मेरा अंदाज एकदम सहH sनकला, जब अजय ने उँ गलH गा~ड से बाहर
sनकालH तो उस पे साफ-साफ गा~ड का माल Fदख रहा था।

सटासट-सटासट गा~ड से उँ गलH अंदर-बाहर हो रहH थी। दस


ू रे हाथ से वो कस-कसकर उसकe ि8लट को रगड़
मसल रहा था और थोड़ी दे र मK उसी पोज मK उसने अपना पूरा-पूरा ल~ड बाहर sनकालकर चोदना भी शुu कर
Fदया। गा~ड मK उँ गलH अंदर जाती तो ल~ड बाहर आता और चत
ू मK ल~ड अंदर जाता तो गा~ड से उँ गलH बाहर।

गुmडी कमर Fहला-Fहला के @ससकारH भर-भर के मजे ले रहH थी।

138
थोड़ी दे र मK उसने अंदर-बाहर के साथ उँ गलH गा~ड मK गोल-गोल घम
ु ाना भी शुu कर Fदया और अब तो जब वो
बाहर आती तो उसमK … और कुछ दे र बाद उँ गलH परू H तरह पेलकर छोड़ दH और दस
ू रे हाथ से ल~ड को पकड़कर
गोल-गोल घम
ु ाने लगा। मN सोच सकती थी कe अजय कe मजबूत टांग के बीच फँसी, उसकe tचपकe टांगK और
Jफर गुmडी कe क,ची चूत। उसकe बुर कe 8या बरु H हालत हो रहH होगी। तभी अचानक उसकe पीठ पे उसके
बाल को Jफर लगाम कe तरह खींचा और अबकe कसकर ददw के मारे उसका मँुह खल
ु गया। अजय ने उसी के
साथ उसकe गा~ड से अपनी उँ गलH sनकाल लH थी, और उसकe…

तभी एक खटका हुआ। मझ ु े लगा कe कहHं राजीव कe नींद ना खल


ु गयी हो और मझु े अपने बगल मK ना पाकर
वो कहHं नीचे ना आ जायK। मNने कैमरे को आटो पे लगा Fदया और सोचा कe चलो बाकe का हाल कल Jफbम मK
दे ख लग
ंू ी, और मN ऊपर चलH आई।

सुबह मेरH नींद जbदH खुल गयी। बेड-टH लेकर जब मN ऊपर राजीव के पास जा रहH थी तो उसके कमरे के पास
से गुजरH तो जो आवाजK sनकल रहHं थीं उससे साफ पता चल रहा कe ‘मैराथन’ अभी भी चल रहा है । 7:00
बजा, 8:00 बजा, आ“खर मNने जाकर बाहर से जो रात मK कंु डी बंद कe थी खोल दH। मNने नाˆता लगा @लया और
उनके दरवाजे पे जाकर हbकe सी दतक दH।

मNने और राजीव ने नाˆता शुu भी कर Fदया कe अजय बाहर आया और हम लोग के साथ बैठ गया। मNने उसके
{लेट मK आमलेट और सN‹डवच रखा। थोड़ी हH दे र मK गुmडी भी बाहर आई। मेरH sनगाहK उस पे Fटक के रह गयीं।
sछतरH फैलH टांगK, जैसे चलने मK उसे तकलHफ हो रहH हो, गाल पे कचकचा के काटने के sनशान और सबसे बढ़
के उसके उरोज के उपरH भाग पे लगी खरचK , जैसे जबरदत सुहागरात के बाद कोई दb
ु हन sनकलकर बाहर
आये बbकe उससे भी yयादा।

अजय के मुँह से उसने आमलेट छ.न के एक झटके मK ग{प कर @लया, उसके {लेट से सN‹डवच भी उठा लH और
उसके बगल मK बैठ गयी। अजय ने भी अब बड़े अtधकारपव
ू कw हाथ उसके कंधे पे रख Fदया बbकe उसके हाथ,
थोड़ा और नीचे झक
ु के उसके उरोज को छे ड़ने भी लगे। बजाय उसका हाथ अपने सीने से हटाने के वो और
उसके पास आकर सट गयी और उसके {लेट से लेकर खाने लगी।

अजय ने @शकायत कe- “दHदH, दे “खये अपनी लालची ननद को, सब मेरH {लेट का खा ले रहH है …”

मेरे मँुह से sनकलते-sनकलते रह गया कe रात भर घट के पेट नहHं भरा, पर मN बोलH- “अरे कोई बात नहHं तू
और ले और ये |ूटट ¨eम भी लो ना, कल गुmडी ने बनाई थी तेरे @लये…”

तभी मेरH sनगाह घड़ी पे पड़ी और मN चीख पड़ी- “अरे गुmडी, तेरे कूल का टाईम हो गया है । दे र हो रहH है ।
ऐसा कर मNने तेरH यन
ू ीफामw Qेस कर दH है , झट से पहन ले, अब नहाने धोने का टाइम तो है नहHं। लौट के नहा
लेना…”

गुmडी- “ठ.क है भाभी, तब तक आप इस गांव के साbले को “खलाइये । बड़ा भूखा है, बेचारा…” और उठते हुए
उसने अजय के मुँह से Jफर आमलेट का बचा टुकड़ा छ.न के गड़प कर @लया।

मN सोच रहH थी कe चलो कम से कम कूल यूनीफामw मK उसके उरोज के दाग तो नहHं FदखKगे।

वो तैयार होकर आई और बोलH- “भाभी, आज तो मेरे {ले कe `ेस kरहसwल भी है । उसकe `ेस…”

“हां हां, रखी है तेरे बैग के पास ले ले…” मN बोलH पर मN सोच रहH थी कe वो `ेस तो ‘सब Fदखता है ’ टाइल कe
है और आज तो कूल मK सब दांत के, नाखून के sनशान।

तभी अजय बोल पड़ा- “चल मN तझ


ु े अपनी बाइक पे छोड़ दे ता हूं, मुझे भी sनकलना हH है …” और मN उन दोन
को छोड़ने बाहर तक आई।
139
मNने हbके से गुmडी से पूछा कल Jकतनी बार हुआ?

तो मुˆकुराकर उसने एक हाथ से 4 उं ग@लयां Fदखाकर इशारा Jकया, 4 बार।

वो दोन धीमK धीमे बातK कर रहे थे पर मझ


ु े सब कुछ सुनाई दे रहा था।

गुmडी- “हे कब आओगे ?” गुmडी बड़े {यार से उसका हाथ पकड़कर बोलH।

“तम
ु जब कहो…” बाइक टाटw करता वो बोला।

गुmडी- “मN तो कहती हूं, तम


ु जाओ हH नहHं…” लरजते हुए वो बोलH।

“हे मन तो मेरा भी यहH करता है पर… अगले हƒते प8का है । टांग फैलाकर बैठ…” अजय ने उससे कहा।

गुmडी- “रात भर टांग फैलवाये रहा। चैन नहHं @मला जो बाइक पे भी… दख
ु ता है यार…”

मN समझ रहH थी कe इस तरह कटw फैलने के बाद जो छोटH सी पNटH उसने पहनी है , उसके चूतड़ राते भर सीट
से रगडKगK। अजय अपनी {लKडर टाटw करके उसे लेकर चल Fदया। और मुड़कर मN सोचती रहH, Fदल कe बती
भी अजीब बती है , लूटने वाले को तरसती है ।

जब तक मN मुड़ती राजीव ने मझ
ु े पकड़ @लया और अंदर ले जाकर नाˆते कe टे बल पे हH सीधे @लटा Fदया। मेरा
गाउन इसी बीच उतर चुका था। उसने टे बल पे से |ूटट ¨eम का बाउल उठाया और सीधे मेरH चूत पे उड़ेल
Fदया। चूत फैलाकर अपनी उँ गलH से काफe कुछ उसने दो उं ग@लय से चूत के अंदर ठे ल Fदया और बाकe मेरH
चत
ू पे लपेट Fदया। लेJकन उसको इससे संतोष नहHं था। बाउल मK ¨eम के साथ-साथ कुछ |ूटट कe पीसेज बची
थीं, कुछ मNग, संतरे और चेरH। वो भी उसने चूत के अंदर कर Fदये। कुछ ¨eम सरक के मेरे Pपछवाड़े तक भी
पहुँच गयी।

अब उसने उपनी जीभ से ¨eम चाटनी शुu कe। पहले चूत के आस-पास, Jफर मेरे चूत के हठ पे। और जब
उसने दे खा कe कुछ बहकर पीछे कe दरार मK पहुँच गया है , तो वह वहां भी 8य छोड़ता। उसने अपनी जीभ मेरH
गा~ड कe दरार मK डालकर खूब कस-कसकर चाटना शu Jकया और एक-एक बद ूं चाट गया। अब Jफर चूत का
नंबर था और उसने जैसे कोई चTमच से कूप sनकाले, उसी तरह अपनी लंबी मोटH जब
ु ान मेरH चूत मK घस
ु ेड़ दH
और लपेट के चाटने लगा।

मेरH मती के मारे हालत खराब हो रहH थी और मN कस-कसकर चूतड़ पटक रहH थी। पर वह 8य छोड़ता,
अपनी जीभ से उसने मेरH चत
ू से मNगो कe कुछ पीसेज sनकालHं और उZहK मजे से चस
ू के मेरे मँुह मK दे Fदया।
मN भी उZहK रस लेकर चुभलाने लगी। तब तक उसकe sनगाह बाउल पे पड़ी िजसमK |ेश ¨eम रखी थी। वो उसने
सारH कe सारH मेरH चूtचय पे उड़ेल दH। अब जब उसके हठ मेरH चूत चूस रहे थे, जीभ अंदर ¨eम साफ कर रहH
थी। उसके हाथ ने कस-कसकर मेरH चtू चय पे ¨eम @लथेड़नी, रगड़नी, मसलनी शu
ु कर दH। तभी उसकe जब
ु ान
को चेरH @मल गयी। उसने Fटप पे लेकर उसे बाहर sनकालकर दोन होठ पे लेकर उसे ि8लट पे रगड़ना शुu कर
Fदया।

थोड़ी दे र मK हH मN झड़ने के कगार पे थी। बना ‰के, उसनी मेरH टांगK मोड़कर मुझे दोहरा कर Fदया, और एक हH
ध8के मK हचाक से अपना ल~ड इतना कसकर पेला कe मेरH ब,चेदानी तक कांप गयी और मN तेजी से झड़ने
लगी, और मेरे हाथ ऐसे कांपK कe सारH {लेटK, ¨ाकरH टे बल के बाहर खनखनाती हुई नीचे। पर हम लोग अभी इन
चीज पे Œयान दे ने कe हालत मK नहHं थे। उसका ल~ड कचकचा के मुझे हचक-हचक के चोद रहा था। उसके हाथ,
मेरH बड़ी-बड़ी ¨eम मK @लपटH चूtचय को कसकर मसल रहे थे, और थोड़ी दे र मK मN भी अपने चूतड़ कस-कसकर
उछाल रहH थी, अपनी चूत @सकोड़ के उसके मोटे मूसल को अपने अंदर भींच रहH थी। उसका हर ध8का सीधे
मेरH ब,चेदानी पे लग रहा था और ल~ड का बेस मेरH ि8लट को रगड़ रहा था।
140
मेरH चूची को कसकर रगड़ते हुए उसने कहा- “हे , तेरH ननद अब बड़ी चुदवासी हो गयी है , लगता है अब हर
समय ल~ड के @लये {यासी रहती है …”

“मेरH ननद या तेरH {यारH बहन?” हँसकर अपनी टांग से उसे अपनी ओर खींचकर मN बोलH।

“जो भी कहो…” और ल~ड को सुपाड़े तक बाहर sनकालकर एक ध8के मK अंदर तक ठे ल Fदया।

“अरे जब तक ये असलH ल~ड तेरH बहना को नहHं @मलता ना, उसकe sछनाल चूत कe {यास नहHं बझ
ु ेगी…” मNने
कसकर चूत मK उसके ल~ड को 8वीज Jकया।

“तो Fदलवा दे ना… उसकe मत चूtचयां और चूतड़ दे खकर हH ये फनफना जाता है …” वो बोले।

“तो चोद दे ना सालH को इंतजार Jकस बात का? परस से तो मेरे ‘वो Fदन’ शu
ु हो जायKगK तब तो तुTहK उसे हH
चोदना पड़ेगा। वो भी तो तुमसे चुदवाने के @लये बेताब है …”

Jफर तो उन पे वो जोश चढ़ा कe सटासट मुझे चोदने लगे, फुल पीड से, और तब तक चोदते रहे जब तक मN
और वो दोन एक साथ झड़ नहHं गये। और जब उZहने ल~ड बाहर sनकाला तो मेरे हठ ने उसे ग{प कर
@लया। वीयw से सना मोटा ल~ड, साथ मK मेरH चूत के रस के साथ मK चूत मK बची |ूट ¨eम का एक अजब वाद
@मल रहा था मुझे उनका ल~ड चूसने मK आज। और थोड़ी दे र मK वो भी मेरे चूत का रस।

वहHं फशw पर हH हम दोन @स8टH-नाइन का मजा लूट रहे थे। थोड़ी दे र चस


ू ने चाटने का मजा लेने के बाद
उZहने अपना ल~ड मेरे मुँह से बाहर sनकाला। बरु H तरह फनफना रहा था वह। एक कुसl के सहारे मुझे झुका के
उZहने Jफर कसकर चोदना शुu कर Fदया। मN भी चूतड़ मटका के पीछे से ध8के लगाके उनकe चुदाई का जवाब
दे रहH थी। रात कe परू H कसर sनकाल रहे थे वो। दो बार कसकर और चोदकर हH छोड़ा उZहने। और Jफर
नहाना धोना भी हम लोग ने साथ-साथ Jकया, िजसमK ‘सब कुछ’ शा@मल था। वो मेरH चूत कसकर चूस रहे थे
और मN उनके मुँह पे बैठ. थी।

तभी मुझ ‘लगी’ तो मNने उनसे कहा- “हे हटो जरा, मुझे उठने दो। जरा मN करके आती हूँ, बड़ी जोर से लगी है …”

“अरे तो यहHं कर लो ना, पहले कभी Jकया नहHं है 8या?” मेरे मू— sछh को छे ड़ते वो बोले।

“हे नहHं {लHज, यहां ठ.क नहHं। अपने घर कe बात और थी। तब तो रोज Pपलाती थी…” मNने हठ Jकया।

“अरे भूल गयी, अपने मायके मK बना नागा। चल…”

और अबकe जब उZहने वहां छे ड़ा तो मN uक नहHं पायी, और शुu हो गयी और कहा- “हे जब वो हमारे यहां
चलेगी ना तो जब उसे तेरH रखैल बनाऊँगी, तो उसे भी PपलायKगK खारा शरबत…” मNने अपने मन कe बात कहH।

“एकदम और मN भी। तेरH गु‹ड़या रहे गी जो चाहे “खलाना Pपलाना…”

***** *****

नहाने के बाद खाना खाकर वो अपने एक दोत के यहां चल Fदये और मN गुmडी का इंतजार करने लगी। कुछ हH
दे र मK वो आई, चहकती, खुश, जैसे बादल पे चल रहH हो और उसी बार डांसर वालH `ेस मK। 8या मत माल
लग रहH थी। गहरH कटH कसी चोलH मK उसकe गोलाइय का कसाव, गहराई, पूरH अंदर तक Fदख रहH थ। पतलH
कमर, कूbह तक बंधी साड़ी, खल
ु H पीठ, गोरे कंध से सरकता बरबस आंचल। उसके हाथ मK एक tगƒट रै {ड
पैकेट था।

“हे आज tच‹ड़या कुछ yयादा हH चहक रहH है । और ये पैकेट, Jकसने Fदया, 8या है?” मNने उसके मत मटकते
चूतड़ को, दबोच के मुˆकुराकर पूछा।

141
गुmडी- “नीरज @मला था, भाभी। इंतेजार कर रहा था बचारा, कूल के गेट पे। सारH सहे @लयां जल गयीं। सईदा
ने तो ये भी कहा है कe, सब
ु ह छोड़ने कोई और, और लेने कोई और, तम
ु तो सबका नंबर डका गयी। बात ये है,
भाभी Jक Jकतनी लड़Jकयां खुद उसका इंतजार करती हN और यहां वो मेरा इंतजार कर रहा था। उसी कe बाइक
पे आई हूं, इoता ख़ूबसूरत डै@शंग लग रहा था। झांटK सुलग रहH थीं सा@लय कe। उसके पैरKटस आज हH गये हN
और आज हH वो कूल के गेट पे। बेचारा बहुत सीधा है । कह रहा था Jक बस थोड़ी दे र के @लये मेरे घर पे आ
जाओ। शाम को तो उसको दक
ु ान पे बैठना होता है ना। उसी ने Fदया है ये पैकेट, चाकलेट हN। इTपोटq ड…”

हम दोन ने @मलकर पैकेट खोला। उसमK वातव मK इTपोटq ड @लकर चाकलेट थे, रम भरा। एक उसने अपने मँुह
मK गड़प Jकया और एक मNने।

“हे पर इस `ेस मK, तT


ु हारH सहे @लय को तुTहारH रात कe दातान का अंदाज़ तो नहHं लगा?” उसके उरोज पे
लगी खरच और sनशान पे उँ गलH सहलाते हुये मNने पूछा।

गुmडी- “अरे भाभी, हमाम मK सभी नंगे। वहां Jकसकe साबूत बची है , सभी तो चुदवाती Jफरती हN, फँसी हN Jकसी
ना Jकसी से। हां दे ख सब रहH थीं पर इसका फायदा भी हुआ। जो जज करने बाहर से आयीं थीं ना, सबने जम
के तारHफ कe मेरH। एक तो कह रहH थीं, Jकतने परफे8ट sनशान हN, एकदम लगता है रात भर कहHं ‘बैठ के’
आई है और मेरे ठुमके कe तो सब दHवानी हो गयीं। भाभी, सब कह रहH थीं कe हमारा {ले तो फटw आयेगा हH,
बेट ऐ8‡े स मेरा प8का है …”

और होता भी 8य ना, मुज़रा से लेकर शकeरा तक, सबकe अदायK तो मNने उसे @सखायीं हH थी और ऊपर से झुक
के, अदा से, गहराई Fदखाना, उचका के जोबन कe झलक, चूतड़ Dाइं‹डंग। सब कुछ।

“पर तू ये `ेस 8य पहनकर आई, ऐसी खुलH-खुलH। तेरH यन


ू ीफामw?” मNने अचरज से पूछा।

गुmडी- “भाभी, अरे वो सालH सईदा और Fदया। सईदा दे खने मK तो चुFहया जैसी, सीधी। पर पहले उन सबका
QोDाम खतम हो गया और Jफर जब हम लोग चK ज करके टे ज पे गये तो उन द¥ु ट ने हमारH यन
ू ीफामw sछपा
दH और कहा कe यहH पहनकर जाओ। हम भी बोले- अरे डरते हN 8या? और ठसके से चल Fदये…”

“अ,छा, तू चलकर नहा धो। सुबह ऐसे हH चलH गयी थी। ठ.क से नहाना। नीरज पे अ,छा इTQेशन पड़ना
चाFहए। मN तब तक खाना लगाती हूं और तेरे @लये `ेस sनकालती हूं।

गुmडी- “ठ.क है भाभी…” कहकर मचलकर वो नहाने चल दH।

मNने उसके @लये एक गहरे गले कe टाइट वेटनw `ेस sनकालH िजसमK उसका शरHर तो ढं का रहे पर उसके सारे
उभार और कटाव अ,छ. तरह Fदखाई दK , और खाना लगाने मK लग गयी।

तैयार होकर वो इoती सुंदर लग रहH थी जैसे करHना कपूर। लंबी, गोरH, जानदार उभार, पतलH कमर बड़ी-बड़ी
आँखK। उसने हbका मेक-अप Jकया था जो बहुत हH अ,छा लग रग रहा था।

“हे आज चुदवा मत लेना। थोड़ा उसको तड़पाना, इंतजार करने दे ना…” मNने समझाया।

गुmडी- “ठ.क है भाभी…” वो जाने के @लये बेताब थी।

“और जbदH आना, आधे घंटे के अंदर…”

गुmडी- “एकदम, भाभी…” और चंचल Fहरणी कe तरह वो sनकल भागी।

आधा घंटा, एक घंटा, डेढ घंटा वो नहHं आई। मN इंतजार कर रहH थी। पूरे दो घंटे के बाद वो कहHं Qगट हुई।
अंगूठे और उँ गलH के सहारे , चद
ु ाई के इंटरनेशनल @सTबल को Fदखाते हुए मNने पछ
ू ा- “8य, हुआ 8या?”

142
गुmडी- “नहHं भाभी। आपने मना Jकया था तो…” वो बहुत खुश लग रहH थी। और उसके दोन हाथ tगƒट पै8स से
भरे हुए थे। उसने मझु े Fदखाया, रे वलान का इंपोटे डw मेक-अप Jकट, ढे र सारH चाकलेट और पीटर पैन कe से8सी,
लेसी इTपोटq ड ^ा और पNटH का सेट। पNटH 8या रे ड कलर कe से8सी थांग थी।

“हे उससे बोलती, पहना दे ता ना…” हँसकर मN बोलH।

गुmडी- “अरे भाभी उसे इतना सीधा मत समझना, एक तो वो पहना के हH माना…” “खल“खला के वो बोलH, और
उसने अपने `ेस का शोbडर ‡ै प नीचे सरका Fदया। एक {यारH सी गुलाबी हाफ कप लेसी ^ा मK उसके जोबन
छलक रहे थे। Jफर मुझे बाह मK कसकर भरकर वो बोलH- “भाभी {लHज, मेरH एक kर8वेट है , {लHज मेरH अ,छ.
भाभी, मना मत करना…”

“ठ.क है बोल। आज तक तेरH कोई बात मNने टालH है , पर पहले मेरH फeस…” और मNने भी उसे कसकर भींच के,
उसकe ^ा का कप सरका के उसके गुलाबी sनपल अपने मुँह मK ले @लये और चूसने लगी। और कुछ दे र चूस के
बोलH- “बोल, लेJकन ये बता। 8या-8या Jकया उसने?”

गुmडी- “भाभी, आलमोट सब कुछ, @सवाय उसके जो आपने मना Jकया था। हां कल उसने kर8वेट Jकया है
मुझसे अपने साथ चलने को, उसके फामw-हाउस पे। कल संडे है , इस@लये उसकe भी दक
ु ान बंद रहे गी। यहां पे वो
कहता है कe उसके सव™टस रहते हN और Jकसी ने उसके पैरKटस से कह Fदया तो… इसी@लये। 5-6 Fदन मK उसके
पैरKटस Jफर आ जायKगे। {लHज भाभी, खालH Fदन भर कe बात है । बहुत kर8वेट कर रहा था। कह रहा था Jक
इतने Fदन से इसी Fदन का इंतजार था उसे…” वो बोलH।

“और तेरH पहले वालH ^ा पNटH…”

गुmडी- “वो उसने अपने पास रख लH, sनशानी के तौर पे। पर भाभी कल का QोDाम पूरा आपके ऊपर है । कुछ
कkरये ना…”

“चल ठ.क है दे खती हूं, पर पहले घस


ू तो दे मझ
ु े…” और उसकe `ेस कमर तक नीची करके, उसकe ^ा से दोन
कबत
ू र को मNने आजाद कर Fदया और दोन को बारH-बारH से चूसने लगी।

थोड़ी दे र मK हH वो @ससJकयां भर रहH थी।

“अ,छा बोल, पकड़ा था उसका। Jकतना बड़ा है …” ‰क के मNने पूछा।

गुmडी- “भाभी अ,छा खासा लंबा है , मोटा भी है । पकड़ाया तो था उसने पर… मारे शमw के मNने आँखK बंद कर
लH…” हँसकर वो बोलH।

“अ,छा, तो सारH अदा, लटके झटके सीख @लये तन


ू े…” मNने tचढ़ाया।

वह बस “खस से हँस दH।

“बस एक Qो’लम है । कल तेरे भैया घर पे रहK गे तो Fदन भरकर @लये कैसे? चल मN कोई राता sनकालती हूं।
और हां मN जा रहH हूं, चाय बनाने और तू ये `ेस उतारकर अपने असलH uप मK आ जा, |ाक मK । और तुझे तो
आज Tयिु जक 8लास मK भी जाना होगा।

गुmडी- “हां भाभी, बस मN ये `ेस चK ज करके आती हूं अभी…”

चाय पीते हुए मNने उससे कहा- “मेरH {यारH ननद रानी, मेरा एक काम कर दोगी, Tयिु जक 8लास के बाद। जरा
खलHल के यहां चलH जाना, उसे पेमKट दे ना है । ये ले 500 uपये। और हां अपनी नाप भी दे दे ना उसे, तेरे @लये
मN कुछ कपड़े दे आई थी उसे। जरा जbदH जाना। आजकल वो दक
ू ान थोड़ा जbदH बंद कर दे ता है । और वैसे भी

143
पहले तझ
ु े Tयिु जक 8लास से yयादा तो यार के साथ आँख मटकौवल मK समय लगता था। पर अभी तो वो गांव
गया है । जbदH जाना, ये नहHं कe Jकसी नये यार को पटाने लग जाना…”

गुmडी- “ठ.क है , भाभी…” चाय का {याला रखते हुए वो बोलH।

“अरे ‰क जरा, ये बता तेरे यार के जो दोत थे ना, जो उसके साथ रहते थे। उनमK से तो कोई तझ
ु े लाइन नहHं
मारता…”

गुmडी- “मारते हN भाभी। लड़क को तो आप जानती हH हN। कुछ-कुछ बोलते रहते हN। कोई तो ƒलाइंग Jकस भी
दे ते हN…”

“अरे तू Jफर जवाब 8य नहHं दे ती। बेचार का थोड़ा तो Fदल रख Fदया कर, जरा आंख कe बांकe अदा, थोड़ा
कमर और चत
ू ड़ मटका के, कभी मुˆकान, कभी जलवे…”

गुmडी- “ठ.क है भाभी…” मुˆकुराकर वो बोलH और जैसे हH वो चलने को हुई मNने Jफर रोक @लया।

“मालूम है मNने उसे बोला है Jक आज तेरH वो नाप वैसे हH लेगा जैसे वो मेरH चोलH कe लेता है , तो Jफर अपनी
ये चmढH बनयाइन उतारकर जा ना…”

और उसने मेरे सामने, दोन उतारकर मुझे दे Fदया और चूतड़ मटकाती चल दH। 8लास उसकe 7:00 बजे खतम
होती थी। मN सोच रहH थी वो साढ़े सात बजे तक आ जायेगी। लेJकन 8:00 बज गया, Jफर 8:30, Jफर 9:00
मुझे tचंता होने लगी। मNने सोचा कe खुद चलकर दे खूं 8या? बस अ,छ. बात ये थी कe राजीव भी अभी नहHं
आये थे, अपने दोत के यहां से।

सवा नौ बजे वो आई, टांगK थोड़ी फैलH, थकe-थकe सी। हाथ मK एक दोना िजसमK ताजी इमरsतयां थीं। उसने
uपये मुझे पूरे के परू े वापस कर Fदये।

“हे 8या हो गया? मNने तझ


ु से नाप दे ने को कहा था। तू 8या-8या दे आई? और ये पैसा, 8या @लया नहHं उसने।
अ,छा चल मN तेरे @लये गरम चाय ले आती हूं। बैठ और पूरH बात बता…”

चाय पीते हुए ‰क-‰क कर गुmडी ने सारा Jकसा बताया- “भाभी, पैसे के बदले उसने कुछ और ले @लया…”
हँसकर वो बोलH।

“वो तो मुझे लग रहा है , लेJकन तू साफ-साफ बता। शुu से…” मN बोलH।

गुmडी- “भाभी, मुझे पहुँचने मK थोड़ी दे र हो गयी थी। वो शटर tगरा हH रहा था। मुझे दे खकर, उसने मुझे तो
अंदर कर @लया और Jफर अंदर से शटर tगरा के नाप लेने कe तैयारH करने लगा।

मुझसे पछ
ू ा- “8य, अपनी भाभी कe तरह नाप दे गी या…”

गुmडी- “भाभी कe तरह…” मNने बोल Fदया।

Jफर तो उसने शटर पे अंदर से लाक लगा Fदया और मुˆकुराकर कहा कe अब `े@संग uम मK जाने कe कोई
जuरत नहHं है यहHं लेता हूं। Jफर बोला कe तुTहारH भाभी अपने हाथ से अपना सीना उघाड़ के दे ती हN नाप। तू
भी उघाड़ ले। सीना तो भाभी मNने उघाड़ Fदया पर मारे शमw के मेरH आँखK अपने आप बंद हो गयी। और जब
उसने सीने के नीचे फeता लगाया ना… भाभी मेरH तो हालत खराब हो गई। मेरे sनपल अपने आप खड़े हो गये।
Jफर उसने वहां से sनपल तक, Jफर सीने को। मN एकदम गीलH हो गयी थी। और Jफर जब सीना नाप के वो
कमर का नाप लेने लगा तो मNने आँख खोलH। भाभी, 8या मोटा मजबूत लंबा खूंटा था। उसका पाजामा पूरH तरह
तना था। लेJकन उसकe गलती नहHं थी। शु‰आत मझ
ु से हH हो गयी। जब उसने मेरा नाड़ा खोला, अंदर कe नाप

144
लेने के @लये तो मेरा हाथ अपने आप चला गया। मNने उसके पाजामे का नाड़ा खोल Fदया और उसका मोटा सªत
ल~ड बाहर आ गया और उसके बाद तो उसने Jफर मझ
ु े वहHं कपड़ के ढे र पे @लटा के।

“कैसा था ल~ड उसका?”

गुmडी- “जबदw त भाभी, लेJकन उसका सुपाड़ा तो एकदम अलग, उस पे कोई चमड़ा नहHं था और उसका रं ग भी
गुलाबी नहHं था, धूसर था। लगभग उसके ल~ड जैसा हH, और इतना सªत कe उसे दे खकर हH भाभी मेरा कं‡ोल
अपने ऊपर से एकदम खतम हो गया। झुक के मNने उसे पकड़कर चूम @लया। इतना मोटा था कe मेरे मुँह मK
8या घस
ु ता, लेJकन मेरे हठ अपने आप उसे चूमने चाटने लगे। एक अलग ढं ग का, जैसा आपने बताया था ना
मेरH जीभ बना कुछ सोचे समझे उसके सुपाड़े के पीछे वाले Fहसे पे चाटने लगी। थूक लगा-लगा के एकदम
गीला कर Fदया। बहुत हH कड़ा, बना चमड़े के एकदम अलग…”

“उन लोग के यहां बचपन मK हH ब,चे के ल~ड से आगे वाला चमड़ा काट दे ते हN। इसे खतना कहते हN…” उसकe
बात काटकर मNने, समझाया।

पर गुmडी चालू थी- “भाभी, उसने मझु े Jफर @लटा के वहHं बहुत रगड़ा मेरH चत
ू पे। और मNने भी, जैसा आपने
समझाया था ना, टांगK खूब पूरH ताकत से फैला दH थी, एकदम हवा मK उठाकर। और जब उसने चूची पकड़कर
पेला ना, तो सच बताऊँ भाभी, मेरH तो जान sनकल गयी। आँख के सामने तारे नाच गये। उसका सुपाड़ा जब
घस
ु ा ना तो लगा Jकसी ने परू ा म8
ु का मेरH चत
ू मK पेल Fदया हो। रगड़ते sघसटते बस भाभी बता नहHं सकती, मN
तड़प रहH थी, फड़फड़ा रहH थी लेJकन उस बेरहम ने शुu से हH फुल पीड मK । जbदH उसको भी थी और मुझे
भी। हचाक-हचाक रगड़ के चोद रहा था बना एक @मनट भी ‰के, पीड धीमी Jकये। लेJकन आधे घंटे से yयादे
हH चोदकर झड़ा और मN तो दो तीन बार झड़ चक
ु e थी तब तक…” Jकसा सुनाते-सुनाते वो Jफर गरम हो गयी
थी।

मN भी ऊपर से {यार से अपनी ननद के मTमे सहला रहH थी। मTमे दबाते हुए मNने पूछा- “Jफर आगे 8या हुआ?
बोल ना…”

गुmडी- “अरे भाभी मN शायद तब भी बच के। लेJकन वो पाजामा पहन हH रहा था कe उसके सुपाड़े को दे खके मेरा
ु ेड़ने लगा। मNने मुँह
मन नहHं माना। मNने ललचा के उसकe एक चुTमी ले लH। अब बस… वो उसे मेरे मुँह मK घस
नहHं खोला तो उसने मेरH नाक कसकर बंद कर दH और जैसे हH मNने सांस के @लये मँुह खोला, उसने मेरे बाल
पकड़कर कसकर घस
ु ेड़ Fदया। उस समय तो चुदाई के बाद तो वो थोड़ा ढHला सा था, चुदाई के जट बाद। लेJकन
मुँह कe गमl पाकर तो वो ऐसे फूलने लगा। लेJकन भाभी, मN भी उसके सुपाड़े को कसकर चूसने लगी, नीचे से
जीभ से चाट रहH थी। ‹डbडो पे आपने जैसे Qैि8टस करवायी थी ना। थोड़ी हH दे र मK मझ
ु े लग रहा था मेरा गाल
फट जायेगा इoता मोटा हो गया। लेJकन मेरा सर पकड़कर वो पेलता हH रहा। पूरे हलक तक घटा के हH, हलक
पे मुझे उसके सुपाड़े कe चोट लग रहH थी। करHब आधा ल~ड तो उसने जबरदती करके चुसा हH Fदया था। कुछ
दे र बाद उसने sनकाला और मझ
ु े अपनी मशीन के सहारे sनहुरा Fदया और Jफर उसी तरह ऐसे कस-कसकर चोदा
और अबकe तो भाभी और दे र तक। मN अपनी टांगK कसकर फैलाये हुए थी लेJकन हर ध8का जोरदार था। बहुत
दे र तक बना ‰के चोदता रहा और जब झड़ा तो मN उठ नहHं पा रहH थी। Jकसी तरह कपड़ा पहना और वापस
आई। पैसे उसने मेरे सीने के बीच मK वापस डाल Fदये । अभी तक भाभी बस उसका मोटा सप
ु ाड़ा मेरH आँख के
सामने नाच रहा है …”

“अरे पठान का ल~ड है कोई मामल


ू H चीज नहHं है । दे ख, उसका कारण है। जो तुम सप
ु ाड़े के रं ग कe बात कर रहH
हो ना… तो सुपाड़े के ऊपर चमड़ा ना होने से वो रगड़ खा-खाकर वैसा हो जाता है । और इसका एक बहुत बड़ा
फायदा ये होता है कe बचपन से हH रगड़ खा-खाकर वो ‹डसKसेटाइज हो जाता है । और इस@लये चुदाई मK रगड़

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खाकर वो जbदH नहHं झड़ता। कई Qे भी आते हN जैसे 8लाइमे8स, वो सुपाड़े को ‹डसK@सटाइज़ हH करते हN,
िजससे मदw जbदH ना झडK पर उनके साथ तो नेचरु ल ‹डसK@सटाइजेशन हो जाता है …” मNने उसे समझाया और
हँसकर बोलH- “इसी@लये मेरH ननद रानी, FहZद
ु तान कe yयादातर लड़Jकयां खान कe दHवानी होती हN, शाह‰ख
खान, सलमान खान, फरदHन खान और पहले के जमाने मK , Jफरोज़ खान, संजय खान। और तूने भी तो अपने
कमरे मK शोहे ब अªतर का पोटर लगा रखा है । तो इसका मतलब है मन हH मन तू भी Jकसी कe… 8य बोल है
कोई?”

गुmडी- “धoत भाभी…” शमाw के वो हँस दH। कुछ दे र ‰क के बोलH- “लेJकन भाभी आपको इतना सब कैसे मालूम
है कहHं आपने Jकसी…”

“एकदम चुदाई के मामले मK मN एकदम धमw sनरपे हूं, मNने Jकoती बार। सच मK उसका मजा हH अलग है , अरH
बुšू, वैरायटH इज द पाइस आफ लाइफ। और वैसे मालूम है तेरे भैया भी हनीमून मK तो वो हरदम चालू हH
रहते थे। इस@लये उनका सुपाड़ा भी हरदम खुला हH रहता था और पNट से रगड़ खा-खा के। तो तू भी, जब भी
मौका @मले छोड़ना नहHं…” उसके गाल को Pपंच करके मN बोलH।

गुmडी- “अरे भाभी मN हH बुšू हूं। मेरH सहे लH है ना सईदा। उसका भाई अरमान, उससे तीन चार साल बड़ा है ,
अलHगढ़ मK पढ़ता है । टे sनस चैिTपयन है युsनव@सट´ का, िव@मंग मK भी। बाडी बिbडंग करता है । बड़ा हNडसम
है । मेरे पीछे पड़ा है कस के। अभी जब छुF”य मK आया था ना तो, उसका बस चलता तो… और वो सईदा भी।
खल
ु कर उकसाती रहती है उसको…”

“8य सईदा फँसी है 8या उससे?”

गुmडी- “अरे नहHं भाभी। वो बचारH बड़ी सीधी है , उस तरह कe लड़कe नहHं है । वो तो मेरे पीछे पड़ी है कe मN दे
दं ू उसके भाई को…”

“तो… तो 8या सईदा का Jकसी से च8कर नहHं है । अब तक कोरH है …” मNने और छे ड़ा।

गुmडी- “भाभी आप भी। अब इतना भी सीधी नहHं है वो। 8या नाम है उसका? अरे अंजम
ु । अ,छ. खासी फँसी है
उसके साथ। जबसे चौदह कe हुई, तबसे चुदवा रहH है , उससे। बगल मK हH घर है , जब चाहते हN तब। और भाभी,
वो उसकe खास सगी बुआ का लड़का है …” हँसकर वो बोलH।

“ठ.क वहH kरˆता। जो तुTहारा और राजीव का है । 8य?” हँसकर, उसकe चूची दबाकर मN बोलH।

“धoत भाभी। आप भी…” शमाw के उसके गाल गुलाब हो गये।

“अरे तू शरमाती 8य है , अजन


ुw और सुभhा मK भी तो यहH kरˆता था। तो बोल कब QोDाम है राजीव के साथ?”
मNने Jफर tचढ़ाया।

गुmडी- “जब आप कहK । आप @सफw बोलती हN Fदलवाती कभी नहHं। आपकe ये ननद पीछे हटने वालH नहHं…” अब
वह वापस अपने रं ग मK आ गयी।

“और ये दोने मK इमरती। ये कहां से लायी?”

हँसते हँसते गुmडी दहु रH हो गयी- “अरे भाभी, जब बाबी टे लसw से sनकलो तो राते मK कbलू हलवाई कe दक
ू ान
पड़ती है ना। वहHं गरमा-गमw इमरsतयां बन रहHं थीं। दक
ु ान पे उसका लड़का नZद ू बैठा था। आजकल उसको
हमारे कूल कe कNटHन का ठे का @मल गया है , और वो वहHं बैठता है । मुझे दे खकर उसने बुला के इमरती “खलाई
भी और ये दH। जब मN पैसा दे ने लगी तो बोला कe अरे तम
ु से मN पैसा थोड़ी लूंगा मुझे तो…”

और हँसकर मNने बोला- “अभी इंतजार करो…”

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“अरे बचारे का Fदल तोड़ Fदया तुमने…” इमरती खाती मN बोलH।

गुmडी- “नहHं भाभी। मNने मना थोड़े Jकया बचारे को। बस इंतजार करने को बोला है …” वो भी इमरती खाते-खाते
हँसकर बोलH।

“अ,छा चल हाथ मुँह धोकर Jकचेन मK आ जा। खाना लगवाने मK मेरH मदद कर। तेरे भैया आते हH हगे…”

खाना लगवाते हुए उसने Jफर कहा कe कल के QोDाम का 8या होगा।

जानबझ
ू के मNने पछ
ू ा- “कौन सा QोDाम…”

गुmडी- “अरे भाभी वहH नीरज के साथ। फामw-हाउस जाने का कुछ तो राता sनकालो ना भाभी। {लHज…”

“अ,छा चल, तू भी 8या याद करे गी। मNने ये सोचा है कe एक मेरH सहे लH है । उसके पीछे ये बहुत Fदन से पड़े
हN। यहHं रहते हN वो लोग। आज मNने उससे बात कर लH है , कल एक kरसाटw मK @मलने के @लये। जब वो आयKगK
तो मN उनसे बात कर लूंगी। वो तो तरु ं त राजी हो जायKगK। तुTहK तो कतई वो नहHं ले चलना चाहK गK पर ऊपर-ऊपर
पूछKगK । तो तू कह दे ना कe तेरा टे ट है , तझ
ु े पढ़ना है इस@लये तू नहHं चल पायेगी। हां और जो वो तेरH सहे लH है
ना, जो उस Fदन आई थी…”

गुmडी- “Fदया, िजसकe भाभी कe ‹डलHवरH…”

“हां हां वहH। तो तू ये भी कह दे ना कe तू बीच मK हो सकता है Jक Fदया के यहां जाय, yवाइंट टडी के @लए।
तो मN तुझे डु{लHकेट चाभी दे दं ग
ू ी…”

गुmडी- “पर भाभी, आपकe सहे लH तो शादHशुदा होगी ना…” वो बोलH।

गुmडी- “अरे यार, तझ


ु े आम खाने से मतलब है या? कल तू नीरज के साथ Fदन भर उसके फामw-हाउस पे मती
करना ना। अ,छा चल बताती हूं। ये वैPपंग के च8कर मK थे, तो वो दोन अब मान गये है …”

गुmडी- “वैPपंग… मतलब भाभी?”

“मतलब कe मN उसके हसबK ड के साथ और वो मेरH सहे लH राजीव के साथ। या दोन मदw @मलकर मेरे साथ या
उसके साथ। अ,छा चल राजीव आ गये हN जाकर दरवाजा खोल…”

अगले Fदन वैसे हH हुआ। मN और राजीव सब


ु ह हH kरसाटw के @लये चल Fदये। चलने के पहले मNने गुmडी के गाल
पे कसकर Pपंच करके बेट आफ लक बोल Fदया। उसके @लये मNने एक पेटल कलर कe टH-शटw और लो Fहप
हtगंग जींस sनकालकर रख दH थी और ‘सब कुछ’ समझा भी Fदया। जब शाम को हम लोग लौटे तो तब तक वो
घर नहHं लौटH थी।

वो कुछ दे र बाद आई तो मNने राजीव को सुनाते हुए कहा- “हे Fदया के यहां से आ रहH है …”

गुmडी- “भाभी, आपको कैसे पता चला कe मN Fदया के यहां से आ रहH हूं…” मुझसे धीरे से वो बोलH।

“अरे , वो तो मNने ऐसे हH तेरे भैया को सुनाने के @लये कह Fदया था। 8या कहती कe कैसे चुदवा के आ रहH है ?
अ,छा चल Jकचेन मK चलकर बातK करते है । आज मN बाजार से काफe कुछ पैक करवा के ले आई हूं। तेरे भैया
भख
ू े हगे…” और हम दोन Jकचेन मK पहुँच गये।

tचकेन Fट8का और कबाब ओवेन मK रख Fदये गरम होने को। और मN मटन दो {याजा का पैकेट खोल रहH थी
कe गुmडी ने कहा- “भाभी पहले आप बताइये Jक आप और भैया ने कैसे मजा @लया, वैPपंग का। और हां मN
Fदया के यहां से हH आ रहH थी…”

147
“अ,छा चल, बताती हूं। अंजलH, मेरH सहे लH, उसके हसबNड को मNने दे खा नहHं था पहले। उसकe शादH मेरे शादH के
एक साल के बाद हुई और हम लोग जा नहHं पाये थे। हां अंजलH ने बताया जuर था उसके बारे मK। और जब
मNने उसे दे खा तो खूब गोरा tच”ा, लेJकन थोड़ा लड़Jकय जैसा, एकदम नमकeन, tचकना, दब
ु ला पतला। और उसे
दे खकर एक बार तो वो च˜के, लेJकन जैसे पुरानी पहचान हो, खुश होकर बोले- “अरे भसडी के तू? साbले, इतने
Fदन के बाद। कहां मरा रहा था इतने Fदन से और मेरH सालH को फांस @लया। साbले…” और उसे कसकर बांह
मK भर @लया।

गुmडी- “भाभी, भैया ऐसे बोलते हN वो भी Pप’लकलH…” गुmडी चJकत होकर बोलH।

“अरे यार तन
ू े मद© को सुना नहHं कैसे-कैसे बोलते हN आपस मK । हम लोग से भी खुल के…” मNने बात आगे
बढ़ायी। सुन तू टोक मत…”

और वो धीरे से राजीव के कान मK बोला- “लेJकन गु‰, तन


ू े भी बड़ा मत माल फांसा है। पटाखा है एकदम, आगे
पीछे दोन ओर 8या उभार है , एल॰पी॰ है , 8या दोन ओर से? @मला ना भाभी से…”

“एकदम एल॰पी॰ है और वो भी 90 Dमनट वाल&। दोनE ओर चलती है …”


और मेर& ओर मुड़कर बोले- “हे ये सन
ु ील है। मेरा बचपन का दोWत और ये तेर& भाभी…”
मेरा माथा तो पहले से हH ठनका था, लेJकन नाम सुनके प8का हो गया Jक ये वहH है ।

“कौन भाभी…” गुmडी ने पूछा।

“अरे वहH मNने बताया ना था तुझे, िजसके साथ उनकe गड़मरौवल चलती थी। सबसे पहले जब वो 8वीं मK पढ़ते
थे, उसकe गा~ड मारH थी और Jफर 4 साल तक मारते रहे । उसी से मेरH सहे लH अंजलH कe शादH हो गयी थी…”

सुनील- “अरे भाभीजी कहां खो गयीं, ये दे वर कबसे बेचैन था आपसे @मलने के @लये…” एकदम पास आकर वो
हँसकर बोला।

“अरे आपसे तो दोहरा kरˆता है । दे वर का भी और मेरH {यारH सहे लH के पsत के नाते, जीजा का भी…” मNने उसे
कसकर पकड़कर कहा।

सुनील- “तब तो मN दोन ओर से लूंगा…” मेरे sनतंब को कसी शलवार के ऊपर से सहलाता धीरे से वो बोला।

“एकदम… और दे वर का तो अथo ह& होता है, peवतीयो वर। इसDलये तो मQ आई हूं। हां और दे वर का
एक और अथo होता है , जो भाभी से बार-बार मांगे, दे बरु , दे बरु …”

सुनील- “तो दो ना…” वो अपने सीने से मेरे जोबन कसकर दबाकर बोला।

“अरे इसी@लये तो आई हूं, लो ना जी भरकर कोई कसर मत छोड़ना…” जीZस के ऊपर से उसके बbज को दबा
के, खुलकर सहलाते। मN मुˆकुराकर बोलH।

“हे बहनचोद, भसडी के कहां sछपा के रखा है मेरH सालH को…” राजीव ने बेताब होकर उससे पछ
ू ा।

“अरे आ गयी मN। जीजू…” और अंजलH ने आकर सीधे उZहK अपनी गोरH बांह मK कसकर भर @लया। गोरH tच”ी,
बाब कट बाल, टाप से छलकते उसके मत बड़े-बड़े मTमे, कसे-कसे ‡ाउजर को फाड़ते चूतड़, एकदम प8कe
पंजाबी कुड़ी लग रहH थी।

अंजलH- “8या भूल गये सालH कe गालH को…” वो बोलH। मेरH शादH मK सबसे तगड़ी गा@लयां खुलकर उसी ने
सुनाई थी।

148
“और तू भूल गयी कोहबर का वादा, अपने ताले मK जीजा कe तालH लेने का…” उसके मTमे कसकर दबोच के वो
बोले।

अंजलH- “अरे जीजू इसी@लये तो आई हूं। बड़े Fदन से इंतजार था, बड़ी तारHफ सुनी थी इस तालH कe…” और वो
भी खल
ु कर पNट के ऊपर से उनके टK टपोल को दबाकर बोलH।

“हम दोन पुराने |Kड है …” हँसकर सुनील बोला।

मेरे मुँह से sनकलते sनकलते रह गया- “बचपन के…”

कमरे मK पहुँच के तय हुआ कe पहले वाटर पाकw का मजा लKगK उसके बाद खाना और Jफर ‘QोDाम’। वो दोन
बेचारे बेताब थे लेJकन हम जानते थे कe अगर ‘वो’ शुu हो गया तो kरसाटw का मजा धरा का धरा रह जायेगा।
‹`ं8स के @लये भी दोन बेताब थे।

कमरे मK िहकe कe दो-दो बोतलK रखी थीं पर अंजलH ने साफ मना कर Fदया कe दाu के बाद पानी मK जाना
खतरे से खालH नहHं हN।

राजीव बोले- “यार Jफर अपना वो पेशल @सगरे ट हH Pपलाओ…”

सुनील ने मुड़कर @सगरे ट बनाकर सुलगाई और उसको भी दH। जैसे हH दोन ने सु”ा लगाया, मुझे कुछ शक
हुआ। दो चार पफ के बाद मNने अंजलH को इशारा Jकया और उसने राजीव के हठ से और मNने सुनील से @सगरे ट
छ.न लH। वो बेचारे बाहर चले गये हमK गा@लयां दे ते, लाकर uम से कपड़ा लेकर चK ज करने।

जैसे हम दोन ने सु”ा लगाया एकदम ि8लयर हो गया Jक इसमK है कुछ। सीधे हमारे sनपल खड़े हो गये और
चूत मत गीलH। लेJकन हम दोन ने पूरH पीकर खतम कe। कालेज के Fदन याद आ गये। अंजलH हम दोन के
@लये टू-पीस लाइ¨ा कe, बJकनी लाई थी और जानबूझ के थोड़ी छोटH।

वाटर पाकw का ये sनयम था कe वहां `ेस उZहHं से लेनी पड़ती थी। चूtचयां खुलकर ¢लक रहHं थी। हम दोन ने
सारग पहना और बाहर आ गये। वहां दोन लोग, छोटे से वी@मंग ‡ं क मK थे िजसमK से उनके बbज साफ Fदख
रहे थे।

सबसे पहले हम लोग टनेल वाटर राइड मK गये। इसमK एक लंबी टनेल लाइड थी िजसमK खूब तेजी से पानी बह
रहा था और जगह-जगह तेज शावर tगर रहे थे। अंजलH को राजीव ने कसकर अपनी गोद मK tचपका के बैठा
रखा था और उनके हाथ उसके उभार से खेल रहे थे।

अंजलH बेचारH टनेल लाइड मK जाने से घबड़ा रहH थी Jक सुनील ने इशारा Jकया और मNने दोन को हbके से
ध8का दे Fदया। वे लाइड पे Jफसलने लगे। मN भी सुनील कe गोद मK ठ.क उनके पीछे थी। उसका हाथ भी मेरH
बJकनी ^ा मK था। थोड़ी हH दे र मK हम दोन एकदम गीले हो गये। लाइड मK बीच मK जहां तेज धार थी, मNने
अपनी जांघK फैला दHं और धार सीधे मेरH जांघ के बीच।

सुनील भी कम शरारती नहHं था। उसने मेरH पNटH जरा सी सरका दH तो धार सीधे चत
ू पे। हम लोग हो-हो करके,
Jफसलते जा रहे , मजा ले रहे थे और सुनील कe उँ ग@लयां।

अंजलH ने मुझे बताया था कe सुनील प8का चूत चटोरा है और उसकe उं ग@लयां भी। वो चाहे तो घंटे भर तपाता
रहे और चाहे तो 5 @मनट मK राख कर दे । लाईड से sनकलकर हम एक फाल मK गये और और उसके बाद एक
वाटर कैनन पे। जहां पानी कe तेज धार पाइप से आप डाल सकते हN। मNने अंजलH कe जांघ को सKटर करके धार
सीधे उसके सKटर पे डालH। उसकe थांग ऐसी पNटH वैसे हH उसकe tचकनी चूत मK tचपकe हुई थी। अब उसके
sनचले हठ भी साफ Fदख रहे थे।

149
वो बचने के @लये पूल मK कूद गयी जहां सारH वाटर लाइड @मलती थीं और जहां से हमने शुu Jकया था। राजीव
ने उसका पीछा Jकया तो उसने राजीव को Fदखाकर अपनी ^ा उतारकर दरू फKक दH और पानी से बाहर sनकलकर
अपने पानी से भीगे कड़े रस कलश Fदखाकर उसे ललचा रहH थी। जैसे हH राजीव उसकe ओर बढे , वो तैर के
sनकल भागी, जल कe मछलH थी वो। पर राजीव भी कम नहHं थे। जbद हH जहां शैलो एंड था, वहां उZहने उसे
पकड़ @लया।

सुनील कe गोद मK बैठ. मN उन लोग कe जल ¨eड़ा दे ख रहH थी और Fहला-Fहला के अपने चूतड़ उसके खड़े ल~ड
पे रगड़ रहH थी। सुनील का भी एक हाथ मेरH ^ा मK था और दस
ू रा पNटH मK । जाड़े के Fदन होने से वाटर पाकw परू ा
खालH था और हम लोग खुलकर मजा ले रहे थे। जब मेरH sनगाह अंजलH कe ओर पड़ी तो मN मˆु कुराये बना
नहHं रह सकe। तेरे भैया ने उसे कसकर दबोच @लया था। उनके हाथ कसकर उसके रसीले जोबन का रस ले रहे
थे, मसलकर रगड़कर।

और जब मNने पूल के नीले पानी के अंदर झांका तो… अंजलH कe दोन टांगN फैलH हुई थी और राजीव उसके बीच
मK , जैसे कोई मै@सव ‹डक कe Pप8चसw ह ना वैसे हH, खूब मोटा कड़ा और अजंलH कe पतलH कमर पकड़कर पानी
के अंदर हH उसने परू H ताकत लगाकर हचाक से पेल Fदया।

बेचारH अंजलH… मेरे सामने बJकनी पहनने के पहले हH उसने, दो-दो उं ग@लय से अपनी बुर मK पेशल वाटर Qूफ
लु^ीकKट जम के लगाया था, लेJकन Jफर भी उसकe चीख sनकल गयी। उसकe पतलH कमर पकड़कर उठाकर, वो
अब उसे हचक-हचक के पानी के अंदर हH चोद रहे थे। उसकe थांग उZहने सरका दH थी।

इधर सुनील ने भी मेरा बJकनी टाप हटाकर मुझे टापलेश कर Fदया था। उसके एक हाथ कe उं ग@लयां मेरे खड़े
sनपल रोल कर रहH थीं और दस
ू रे हाथ कe दो मोटH-मोटH उं ग@लयां, मेरH चत
ू के अंदर घस
ु कर चत
ू मंथन कर रहH
थी। अंजलH ने सच हH कहा था कe उसकe उं ग@लय मK जाद ू है । और मN भी अपने रसीले चूतड़ उसके ‡ं क के
अंदर तने ल~ड पे रगड़ रहH थी।

और जब मNने अंजलH कe ओर दे खा तो वो दोन जबरदत चुदाई मK मत थे। राजीव का मोटा मूसल जैसा ल~ड
उसकe कसी चूत मK सटासट जा रहा था। अंजलH कe खुलकर @ससJकयां sनकल रहH थीं। वो अपने दोन हाथ से
पूल मK लगे सपोटw को कसकर पकड़े थी और अपने मत चूतड़ से कस-कसकर ध8के दे कर चुदाई का मजा लूट
रहH थी। और जो हालत उन दोन कe थी उससे लग रहा था Jक वो थोड़ी दे र मK हH झड़ने के कगार पे पहुँच
जायKगे। अंजलH कe चूtचयां पानी के बाहर थी और वो उसे कसकर sनचोड़ रहे थे।

और यहां यहH हाल मेरH चूtचय का सुनील कर रहा था। मेरH जांघK खुलकर फैलH थीं जहां न @सफw सुनील अब
उसे खल
ु कर अपनी दो मोटH उँ ग@लय से सटासट चोद रहा था, बbकe अपने ए8पटw अंगठ
ू े से मेरे ि8लट को भी
कसकर रगड़ रहा था।

तभी वहां एक वे‡ेस आई, ‹`ंक सवw करने। मNने उससे ‹`ंक ले @लया। मN खद
ु भी पी रहH थी और अपने हाथ से
सुनील को भी Pपला रहH थी 8यकe उसके तो दोन हाथ यत थे।

लेJकन मझ
ु े एक शरारत सूझी। वहां पूल मK जगह-जगह पानी कe तेज धार tगर रहH थी। मNने वे‡ेस से कहा, और
उसने मुˆकुराकर हामी भरH।

थोड़ी हH दे र मK पानी कe एक मोटH तेज धार घम


ू के पूरH तेजी से राजीव और अंजलH के बीच tगरने लगी और
उसका फोसw इतना था कe अंजलH और राजीव अलग हो गये। और Jफर तो तैर के अंजलH Jकनारे जा लगी और
पूल के बाहर… एक तौ@लये से अपने को सुखाने और छुपाने कe बेकार को@शश करती हुई।

सुनील ने राजीव को छे ड़ा- “8य बास, के॰एल॰पी॰डी॰ कर Fदया सालH ने…”

150
“के॰एल॰पी॰डी॰ 8या होता है , भाभी…” बड़े भोलेपन से गुmडी ने पूछा।

“अरे इoता भी नहHं जानती। खड़े ल~ड पे धोखा…” {यार से उसके गाल पे चपत लगाकरके बात मNने आगे बढ़ायी।

Jफर अंजलH ने बात सTहालH। वो बोलH कe आगे का काम अब कमरे मK और राजीब को उनका ल~ड पकड़कर हH
कमरे मK खींच ले गयी और पीछे -पीछे मN और सुनील। वो दोन इतने द¥ु ट कe हम दोन को टापलेश हH रहना
पड़ा। अंजलH ने ‹`ंक बनाया और हम सबने साथ-साथ पीना शुu Jकया।

राजीव अपने खड़े मोटे ल~ड कe ओर इशारा करके बोले- “सालH, इसका 8या होगा?

अंजलH- “अभी लHिजये जीजू…” और उनकe टांग के बीच बैठकर पहले तो उनके सुपाड़े को चूमा चाटा Jफर ग{प
से अपने मुँह मK ले @लया और कस-कसकर चूसने लगी।

उधर मN सुनील कe गोद मK बैठकर ‹`ं8स बना रहH थी और सुनील कस-कसकर मेरH चूची चूस रहा था। मुझे एक
आइ‹डया आया और मNने œलास से िहसकe अपने मTम पे ढालनी शुu कe और Jफर दोन को बारH-बारH से
Pपलाना शu
ु Jकया। परू ा मती का आलम था।

उधर अंजलH ने भी दो आइस 8यब


ू अपने मुँह मK @लये और थोड़ी िहकe डालकर चुभलाना शुu Jकया और Jफर
एक झटके मK राजीव का ल~ड ग{प कर @लया। एक और आइस 8यूब लेकर वो उसके बाbस पे लगाती रहH और
Jफर पीछे । मTम के बाद अपनी कांख से लगाकरके दोन को शराब Pपलाने लगी। सुनील िहकe से सराबोर
मेरH चूtचयां चाट रहा था, काट रहा था।

अंजलH मुँह से ल~ड को sनकालकर थोड़ी दे र अपने गुलाबी गाल पे सहलाती रहH। Jफर राजीव से बोलH- “8य
बहनचोद, आ रहा है मजा चस
ु वाने का तेरा वो माbल। 8या नाम था यार उनकe उस बहन का जो शादH मK बहुत
चूतड़ मटका रहH थी…”

मN मुˆकुराकर बोलH- “गुmडी…”

तो Jफर वो चालू हो गयी- “हां जीजू, तो तेरH वो बहना भी चूसती है ऐसे मत। अब तक तो उस पे हाथ साफ
करके sछनाल बना Fदया होगा…”

***** *****10 भाग-10

तभी दरवाजे पे नाक हुआ। हम दोन ने अपने को ढकने कe को@शश कe पर तब तक वे‡ेस अंदर थी, लेJकन वो
भी टापलेश। और राजीव और सुनील ने हम दोन को Jफर से टापलेश कर Fदया। बोतलK खतम हो चकु e थीं।
हमने उसे Jफर एक बोतल िहकe और वोदका का आडरw Fदया। खाने के साथ भी चुहल जारH थी। बेचारे राजीव
कe हालत खराब थी। पहले पूल मK अधूरH चुदाई और Jफर अब अंजलH ने चूस-चस
ू के… वो अभी भी उनके खूंटे पे
खल
ु कर बैठ. थी और अपनी गा~ड कe दरार मK उसे रगड़ रहH थी। हम लोग ने खाना शu
ु हH Jकया था कe
सुनील का मोबाइल बजा।

सुनील के चेहरे पे tचंता कe रे खायK दौड़ गयीं। वो हां हां बोल रहा था और हम सब लोग उसी कe ओर दे ख रहे
थे। सुनील ने बताया Jक उसके एक दोत कोहलH के कार का ए8सीडKट हो गया है। उसको तो चोट नहHं आई है ,
हbका जªमी है। लेJकन िजस साइJकल वाले से उसकe ट8कर हुई थी, उसे yयादा चोट लगी है । और पो@लस भी
मौके पे पहुँच गयी है । जो उसकe वाइफ को, जो `ाईव कर रहH थी, को अरे ट करना चाहती है । और आज छु”ी
है तो रात भर उसे हवालात मK रखKगK। कल दोपहर के बाद हH जमानत हो पायेगी।

“कौन कोहलH लोग? वहH िजनके साथ हम लोग ने ‘QोDाम’ Jकया था…” अंजलH बोलH।

मN और राजीव ‘QोDाम’ सुनकर मुˆकुराये बना नहHं रह सके।

151
तभी मुझे कुछ याद आया और मNने भी राजीव से kर8वेट कe Jक- “स8सेना एस॰पी॰ ‡ै Jफक, तो उसका दोत है
और वो जuर मदद कर सकता है । कुछ उस साइJकल वाले को दे Fदला के… वरना रात भर मK तो हवालात मK
पु@लस वाले…”

अंजलH ने भी कहा- “हां जीजू, {लHज… @मसेज कोहलH आपका बहुत एहसान मानK गी…”

तय ये हुआ कe वो दोन अभी वहHं पहुंचKगे और उनकe जमानत ले लKगे। स8सेना से इZहने बात भी कर लH। वो
दोन टK स थे, पर ल~ड दोन के अभी भी खड़े थे। सुनील ने भरोसा Fदलाया कe दो-तीन घंटK मK वो लोग लौट
आयKगे और Jफर उसके बाद कायw¨म चलेगा… और हम लोग से कहा कe खाना वाना खाकर यहHं कमरे मK उनका
इंतेजार करK ।

राजीव ने अंजलH से कहा– “सालH, बचेगी नहHं तू…”

और अंजलH भी राजीव के ल~ड को दबाकर हँसकर बोलH- “कौन सालH बचना चाहती है जीजू। लौट के आइये
मुझे भी बहुत इंतजार है इसका…”

गुmडी- “तो भाभी, 8या वो लोग दो घंटे बाद लौते?” उoसुकता से गुmडी ने पूछा।

“कहां यार… दो घंटे बाद उनका फोन आया कe उस साइJकल वाले को हािपटल मK ए‹डमट कराना पड़ा है और
@मसेज कोहलH कe जमानत भी अभी एक घंटे बाद हो पायेगी। उनके दोत को भी हािपटल मK ए‹डमट कराना
पड़ा है इस@लये वो लोग शाम तक हH आ पायKगK…”

गुmडी- “तो Jफर, 8या Jकया आप लोग ने?”

“अरे 8या करती? जो काम वो करते वो मNने और अंजलH ने पूरH वोदका कe बोतल साफ कर दH। खाना खाया
और जो काम तेरे भैया, अंजलH के साथ करते, वो मNने उसके साथ Jकया…” हँसकर मN बोलH।

गुmडी- “मतलब, भाभी…”

“मतलाब मेरH जान Jक हम लोग ने जम के मजा @लया। दो बार उँ गलH, मुँह और सब कुछ और उसके बाद
@सफw जीभ का इˆतेमाल करके उसने मझ ु े कस-कसकर झाड़ा। अंजलH को आ“खर ‡े Zड मNने हH Jकया था। बहुत
मत चूत चाटती है …” गुmडी के मTमे {यार से दबाकर मN बोलH।

गुmडी- “आपने ‡े Zड Jकया था। मतलब भाभी…”

“अरH वो मेरH बो‹ड¡ग कe uम टw नर थी और मेरH जन


ू ीयर। पहले तो मNने उसकe जबरदत रै tगंग लH और Jफर…
वो मेरH uम पाटw नर। शुu मK जब आई थी, दसवीं पास करके तो एकदम सीधी थी पूरH ब,ची। शुu मK तू थी ना
जैसी एकदम वैसी। लेJकन हमारे कालेज मK बहुत घनघोर रै tगंग होती है …”

गुmडी- “8या होता है रै tगंग मK भाभी? और 8या Jकया था आपने उसके साथ?” गुmडी बेताब हो रहH थी।

“अरे बZनो, 8य बेताब हो रहH है । मे‹ड8ल मK जायेगी ना तो खुद हH जबरदत रै tगंग होगी तेरH। वहां तो कोक
कe बोतल तक घस
ु ा दे ते हN सब कुछ @सखा दे ते हN और मे‹ड8ल मK तो सबसे भयानक… पर मेरे कालेज कe भी
उससे कुछ कम नहHं होती है …”

उसके गाल पे tचकोटH काटकर मNने बोला और आगे कहा- “शu


ु मK 11वीं कe लड़कeय को अलग रखते हN, रै tगंग
के च8कर मK । लेJकन मN सच बताऊँ, टHचरK यहां तक Jक PQं@सपल भी हम लोग के साथ हH थीं बbकe चढ़ाती
रहती थीं। तो मN और चार पांच सीsनयर लड़Jकयां उन सब के कमरे मK रात मK गये और बाहर से सबके कमरे
मK @सटJकsनयां बंद कर दHं कe अगर कोई शोर करे तो वो uम ना खोल सके। Jफर अंजलH के कमरे के बाहर
जाके मNने वाडनw कe आवाज मK कमरा खोलने को कहा। उनकe आवाज कe मN प8कe नकल कर लेती थी। जैसे हH

152
उसने कमरा खोला, मेरH बाकe सहे @लय ने उसका मुँह बंद करके अंदर से कमरा बंद कर @लया और सबसे पहले
उसे `ेस कोड @सखाया गया…”

गुmडी- “`ेस कोड… वो 8या भाभी?”

पूरे एक महHने तक |ेशसw को ^ा और पNटH पहनने कe इजाजत नहHं थी। उनके सारे अंडर-गारमK टस हम लोग
ज’त कर लेते थे, यहां तक कe जो वो पहने रहती थीं और उनके नाम के एक बैग मK बंद कर Fदया जाता था
और |ेशसw फं8सन मK हH सबके सामने उसे ^ा और पNटH पहनने को @मलती थी। यहH नहHं टाप कe दो बटनK
हमेशा खुलH रखनी पड़ती थी और अगर कुछ गड़बड़ हुआ तो एक बटन और… वो बटन तोड़ दH जाती थी और
यहां तक कe उसके कटw कe उं चाइ भी, और कोई भी सीsनयर Fदन रात 8लास, बाजार कहHं भी कटw या टाप
उठाकर चेक कर सकता था कe उस लड़कe ने कहHं ^ा और पNटH तो नहHं पहन रखी है । कम से 8-10 बार Fदन
मK ये चेJकं ग होती थी।

खैर, अंजलH कe ^ा और पNटH जबरन हम लोग ने उतरवाया। शमw के मारे उसकe हालत खराब थी। अपने हाथ
से उसने sछपाने कe असफल को@शश कe। जबरन जब मNने उसका हाथ हटाया तो मN दं ग रह गयी, uई के फाहे
ऐसे मल
ु ायम, लेJकन उमर के Fहसाब से Pवक@सत, बहुत हH मत थे उसके उभार और उसी समय मNने तय कर
@लया था कe मN उसे अपनी बनाकर रहूंगी।

वो tगड़tगड़ाती रहH लेJकन हम लोग ने उसे कपड़े नहHं पहनने Fदया और Jफर उसे ले जाके उससे कहा कe वो
बगल के कमरे कe लड़कe का नाम लेकर बल
ु ाये। थोड़ी हH दे र मK सारH लड़Jकयां नंगी परे ड करते हुए नीचे लाउं ज
मK और उसके बाद तो उन सबकe शामत। सबको नंगी पीटH करायी गयी, हाथ उठाकर, झुक के। सबको @सखाया
गया कe कैसे अपने सीsनयर के सामने झक
ु के अपनी चत
ू और चच
ू ी चेक करायKगी और अपने नाम के आगे चत

मरानो और sछनाल लगाकरके बोलKगी, यहां तक कe 8लास मK भी। और Jफर दो-दो के जोड़े बना के उनसे कहा
गया कe एक दस
ू रे कe खूब कसकर चtू चयां रगड़K और चूत मK उँ गलH करK । जो पहले ‰क जाता था उसकe Pपटायी
भी होती थी। और Jफर उन सबको ल~ड-वंदना और चत
ू -चालHसा @सखायी गयी। हर काम के पहले ल~ड-वंदना
करनी होती थी, नाˆते के पहले, खाने के पहले मेस मK , जो कामन थी।

गुmडी- “ल~ड-वंदना… ये 8या भाभी?”

“अरे जैसे तू शu
ु -शu
ु मK ल~ड और बरु का नाम लेने मK शरमाती थी ना… तो सारH लड़Jकयां शमाwती हN पर ल~ड
के बना Jकसी लड़कe का काम चल सकता है 8या, बोलो? ल~ड-वंदना मK सब लड़Jकयां जोर-जोर से बोलती थीं-

जो भरा नह&ं है झांटE से, बहती िजसम0 वीयo धार नह&ं,


वह लcड नह&ं वह छु%नी है , िजसको चत
ू E से Kयार नह&ं।
और चूत चा@लसा तो परू े 15 पZन कe थी िजसे न @सफw उZहK याद करना था बbकe जब कहा जाय तो जोर-जोर
से सवर सुनाना भी पड़ता था। उसकe शुuआत होती थी-

दज
ू क चांद सी चूत Dलये Tफरती थी एक नार चुदासी।
टांग फैलाकर पेल #दया तो, दज
ू से हो गयी परू णमासी।
लेJकन मNने अंजलH कe इoती जम के रै tगंग करायी कe अंत मK जो कT{टHशन हुआ उसमK वो बग-बी और
कNड@लंग 8वीन दोन कT{टHशन मK फटw आई।

गुmडी- “भाभी, बग-बी और ये 8वीन 8या?”

153
“बग-बी यानी बग-बूबस… मतलब Jकसकe चूtचयां सबसे बड़ी सबसे मत हN और कौन सबसे yयादा दे र तक
दबवा, मसलवा सकती है , Jकसके sनपल Jकoती जbदH खड़े हो सकते हN। और कNड@लंग 8वीन मK सब |ेशसw को
सबके सामने कN ‹डलंग करनी थी और Jकoती मोटH और लTबी घट सकती हN। और सबसे अंत मK |ेशसw मK
ड’लू॰ड’लू॰एफ॰ कe औरत Jक तरह फाइट भी थी िजसमK सामने वालH को न @सफw नंगा करना पड़ता था, बिbक
उसकe चूची मसलने के साथ-साथ चत
ू मK उँ गलH भी कस-कस के। अंजलH इसमK भी फटw आई थी…”

गुmडी- “तो भैया लोग कब आये?” गुmडी बहुत उoतेिजत हो रहH थी और बात बदलते हुये उसने पछ
ू ा।

“अरे उन लोग के आते-आते शाम हो गयी। kरसोटw बंद होने वाला था। इस@लये हम लोग को वहां से वापस
आना पड़ा। राते मK हम लोग हािपटल भी गये। सुनील का वो दोत kरलHज होने वाला था। और वहां @मसेज
कोहलH… तम ु दे खती… उमर मK मुझसे एक दो साल हH बड़ी हगी, गोरH, गदरायी और बहुत हH से8स कe दHवानी।
तेरे भैया पे तो लदH हH पड़ रहH थीं। बार-बार धZयवाद दे रहH थीं…”

अंजलH ने उसे tचढ़ा के कहा- “इZहK दस


ू रे ढं ग से धZयवाद दे ना पड़ता है …”

तो वो कसकर राजीव से tचपक के, अपनी बड़ी-बड़ी छातीयां, उनकe पीठ से रगड़ के बोलH- “अरे मN कौन सी
पीछे हटने वालH हूं, जब चाहK , जैसे चाहK , िजतनी बार चाहK …”

और लौटते हुए सुनील ने बोला भी कe पो@लस वाले तो बयान और तलाशी लेने के बहाने नाप-जोख करना चालू
हH कर Fदये थे और अगर राजीव ने ना बोला होता तो रात भर हवालात मK उनकe अ,छ.-खासी… बेचारे तT
ु हारे
भैया, वो तो एकदम भूखे रह गये। सामने से थालH भी गयी और सालH भी।

अंजलH ने पNट के ऊपर से उनके तZनाये ल~ड को दबाकर Qो@मस Jकया Jक जbद हH वह सूद सFहत ’याज चुका
दे गी।

अगले Fदन तो @मलना मुिˆकल था 8यकe मN आउट आफ आडरw हो चुकe थी। इस@लये तय हुआ कe 4-5 Fदन
बाद अब हम लोग अंजलH के घर पे हH @मलKगे, लगातार दो रात के @लये। मN सोच रहH थी कe उन Fदन तुTहK
दब
ू े भाभी के यहां छोड़ दं ग
ू ी, तT
ु हK कोई Qो’लम तो नहHं होगी?

गुmडी- “नहHं भाभी, और वो इतना कहती भी रहती हN बेचारH। पर आप तो कह रहH थीं कe आपकe आंटH जी कल
से आने वालH हN तो एक Fदन पहले हH…” गुmडी हँसकर बोलH।

“अरे हो जाता है कभी-कभी एकाध Fदन इधर-उधर। शायद अंजलH ने जो कस-कसकर चूसा था उसका असर रहा
हो। तभी तो मN कह रहH थी Jक तT
ु हारे भैया को जबरदत भूख लगी होगी। कल रात भर उZहने उपवास Jकया,
आज कe दावत के @लये सोचकर और आज Fदन मK भी सामने से थालH हट गयी और आज रात मK मेरH ये
हालत है। तू 8य नहHं करा दे ती उनको आज भोजन…” रोटH सKकती हुई मN मुˆकुराकर बोलH।

वो बेल रहH थी और मN सKक रहH थी।

गुmडी- “नहHं भाभी, आज मेरा पेट बहुत भरा है …” वो नखड़े से बोलH।

“और तूने बताया नहHं Jक 8या हुआ नीरज के साथ कहां-कहां भरा उसने? खोलकर बोल…”

गुmडी- “अरे वहH जो होना था भाभी, आप तो सब जानती हN…” उसने Jफर नखड़ा बनाया।

“हे , खल
ु कर बता मेरH ननद रानी। वरना वो जो बेलन है ना तेरे हाथ मK । सीधे तेरH चत
ू मK डाल दं ग
ू ी और तेरे
Pपछवाड़े, तेरH गा~ड मK ये गरम-गरम चमचा, पेल के, फैला दं ग
ू ी…” मNने हड़काया।

गुmडी- “अ,छा बताती हूं भाभी। आप लोग के जाने के थोड़ी हH दे र बाद मN भी sनकल गयी। वो बाहर बाइक पे
इंतजार कर रहा था, और मN उछल के उसके पीछे बैठ गयी। बहुत कसकर तेज चलाता है वो भाभी। मN तो कस

154
के, उसको पीछे से पकड़कर बैठ. थी। 10-12 Jकलोमीटर के बाद जब गांव का राता चालू हुआ ना तो हचके
और बढ़ गये। झटके खा-खाकर तो मेरे चत ू ड़ कe हालत खराब हो रहH थी। थोड़ी दे र मK गांव शu
ु हो गया, दोन
ओर गZने के घने घने खेत, अमराई। एक पनघट के पास हम ‰के। वहां कुछ लड़Jकयां पानी भर रहH थीं और
लगता था उसकe पkरtचत हN। उZहने पानी तो Pपलाया लेJकन खूब चुहल भी कe।

हम लोग Jफर आगे बढे तो वो राता बदल के एक घनी अमराई के अंदर से ले गया। वहां एकदम सZनाटा था।
उसने मुझे उतारकर बाइक पे अपने आगे बैठा @लया और कसकर चूमने लगा। थोड़ी हH दे र मK मुझे आगे कe ओर
झक
ु ा के उसने मेरा टाप हटा Fदया और पहले तो मेरे उभार ^ा के ऊपर से हH कसकर चूमता रहा। Jफर एक
झटके मK उसने मेरH ^ा खोलकर मेरे कबूतर को आजाद कर Fदया और कसकर रगड़ने मसलने लगा। मती के
मारे , मेरH आँखK बंद होने लगीं।

अचानक उसने हbके से मेरे sनपल काट @लये। जैसे हH मेरH आँखK खुलHं तो उसने मुझे अपनी बाह मK भर @लया।
खूब खुलकर हम दोन मती कर रहे थे। Jफर वो मुझे आगे वैसे हH बठाकर ले गया, बाइकर बे’स कe तरह। ^ा
तो उसने पहले हH ज’त कर लH थी। टा{स मK मेरे जोबन साफ Fदख रहे थे। जब हम फामw-हाउस के पास पहुंचे
तो मN तो एकदम दं ग रह गयी।

Jकले कe तरह, चार ओर से फKड, घने पेड़ और गेट पे बहुत तगड़ी @स8योkरटH। @स8योkरटH गाडw ने उसे
जबरदत सैbयूट Jकया। और उसके बाद, पहले तो खूब बड़े घने पेड़ जैसे जंगल और Jफर दरू तक बांस का
झरु मट
ु , और Jफर एक और फKस के बाद खेत, बाग, बड़ा सा लान और Jफर उसका फामw-हाउस। घर 8या महल
लग रहा था। वो मुझे अपने कमरे मK ले गया और वो इoता उतावला हो रहा था भाभी कe उसने सीधे , मुझे
उठाकर अपने बेड पे पटक Fदया।

तभी एक गांव कe सी औरत आई, @सफw साड़ी मK , लंबी खूब गदरायी, बड़े-बड़े साफ Fदखते मTमे, नाम था
sनTमो। उसने पूछा कe कुछ खाने पीने के @लये ले आऊँ?

तो नीरज ने बोला- “अभी नहHं, कुछ दे र बाद…” Jफर अपने और मेरे कपड़े उतारते हुये उसने बताया कe घर मK
@सफw वहH रहती है और उससे कुछ दरु ाव sछपाव नहHं है, sनTमो सब जानती है , और वहH सारा काम करती है।
अंदर आने कe और Jकसी को इजाजत नहHं है इस@लये वहां टोटल Qोइवेसी है ।

भाभी वो इoता बेताब था कe उसका ल~ड… परू H तरह तना, खड़ा मोटा, बना और कुछ Jकये, सीधे मेरH टांगK
उसके कंधे पे और उसने हचाक से पेल Fदया मेरH चूची पकड़कर। और मN भी मती से गीलH हो रहH थी। हचक-
हचक कर खूब ताकत से उसने 8या चोदा… 8या मसbस थीं भाभी? रे गुलर िजम जाता है वो। और मN भी कस-
कसकर उसके हर ध8के का जवाब दे रहH थी, उसकe चौड़ी छाती मK अपनी चूtचयां रगड़ रहH थी। और आधे घंटे
से भी yयादा इस तरह नान-टाप रगड़ के चोदने के बाद, मुझे दो बार झाड़ के हH वो झड़ा। और जब वो मेरे
ऊपर से उठा तो बड़ी दे र तक मN उठ नहHं पायी।

जब उठकर मNने दे खा तो मेरे कपड़े गायब। और पास मK दो चांदH कe œलास मK कुछ पेय, चंदन कe महक सी
और एक {लेट मK @मठाइयां और पे‡H। इसका मतलब जब हम लोग चुदाई मK लHन थे तो sनTमो वहां आई थी।
और अपनी गोद मK बठाकर Pपलाते हुए वो बोला कe ये पेशल शराब चंदन कe है जो @सफw परु ाने रजवाड़ मK
@मलती है । और सच मK भाभी थोड़ी हH दे र मK , मN सब शरम @लहाज भूल चुकe थी और कसकर उसका ल~ड
सहला रहH थी जो थोड़ी हH दे र मK खड़ा हो गया।

खा पीकर एक बार मN Jफर ताकत महसूस कर रहH थी। नीरज ने sनTमो को आवाज दे कर बुलाया और उससे
एक साड़ी मंगवाई। मNने भी सोचा कe, जैसा दे स वैसा भेष। वो मुझे बाहर Fदखाने चल पड़ा। उसने भी @सफw एक
शाटw पहन रखा था। बाहर एक घनी आम कe बtगया थी और जो मN उसके अंदर घुसी तो दे खती रह गयी। एक

155
िव@मंग पूल और उसके बगल मK एक नेचुरल वाटरफाल और चार ओर इoते घने पेड़ कe बाहर से कुछ Fदखायी
ना दे । जैसे हH मN वाटरफाल के पास पहुंची। नीरज ने शरारत से मझ
ु े उसमK ढकेल Fदया और मN एक झटके मK
हH पूरH तरह भीग गयी।

“परू H मंदाJकनी लगती हो…” हँसकर वो बोला।

और जो मNने नीचे झुक के दे खा तो वातव मK मेरH दोन चूtचयां सफेद साड़ी से उसी तरह साफ झलक रहHं थीं,
जैसे ‘राम तेरH गंगा मैलH’ मK मंदाJकनी कe Fदखती थीं। पानी कe धार सीधे मेरH चूtचय पे पड़ रहH थी। शैतानी
मK मNने पहले तो अपना आंचल हटाकर नीरज को खुलकर जोबन का जलवा Fदखाया और Jफर उसे Fदखाते हुए
पानी कe मोटH धार सीधे अपनी गोरH जांघ के बीच लेना शुu कर Fदया, खूब अ,छ. तरह फैलाकर। साड़ी मेरH
जांघ के बीच tचपक गयी थी और मेरे चूत के {यासे हठ साफ Fदख रहे थे और उZहK उछाल के मN पानी से खेल
रहH थी जैसे पानी कe मोटH धार से चुदा रहH हऊँ।

मN जो चाहती थी, वो असर नीरज पे साफ Fदख रहा था। उसका ल~ड उसका शाटw फाड़ रहा था। उसके चेहरे से
उoतेजना साफ झलक रहH थी। मNने उसे भी झरने मK खींच @लया और अपनी मुसीबत बल
ु ा लH। पीछे से मुझे
पकड़कर वो अब कसकर मेरH चूtचयां दबाने लगा और उसकe धींगा-म
ु ती मK मेरH साड़ी परू H तरह खल
ु गयी।
Jफर मN उसको 8य छोड़ती, मNने भी उसकe शाटw पकड़कर नींचे खींच दH। अब दोन परू H तरह नंगे थे। वाटरफाल
के नीचे, वो पीछे से मुझे पकड़कर मेरे उभार कभी मसलता, कभी sनपल पकड़कर खींचता, कभी अपनी उँ गलH
मेरH कसी चत
ू मK सीधे पेल दे ता। और उसका सªत ल~ड भी मेरे चूतड़ कe दरार के बीच कभी गा~ड मK , कभी
बुर मK ठोकर मार रहा था।

मेरा तो मन कर रहा था कe बस वो वैसे हH चोद दे । लेJकन तभी मN JफसलH और मझ


ु े बचाने के @लये जो वो
झुका तो वो सरक के पानी के अंदर। मN Jकनारे पे बैठकर उसे tचढ़ा रहH थी। तभी पानी मK हH खड़े होकर उसने
मेरH जांघK फैला दHं और उसका मुँह सीधे मेरH चूत पे। भाभी 8या ए8पटw चटोरा है । पहले तो जीभ से उसने
थोड़ी दे र हbके-हbके चाटा और Jफर हठ के बीच मK लेकर खुलकर चस
ू ने लगा। ऊपर से मेरे ऊपर अभी भी
झरने के छ.ंटे पड़ रहे थे और नीचे पूल मK खड़े होकर अब उसकe जीभ कस-कसकर मेरH चूत चोद रहH थी। हठ
ि8लट पे रगड़ रहे थे और मN झड़ने के एकदम पास। मेरे चूतड़ अपने आप Fहल रहे थे और तभी कुछ हुआ कe
मN सरक के पानी मK और वो ऊपर जहां मN बैठ. थी।

उसका मत ल~ड खूंटे कe तरह खड़ा था।

मNने उससे बहुत kर8वेट कe वो मेरा हाथ पकड़कर मुझे बाहर sनकाल ले। लेJकन अब उसकe हँसने कe बारH थी।
आ“खर उसने एक शतw रखी कe मN उसका ल~ड चूसंू जैसे वो मेरH चत ू चस
ू रहा था। जो मNने तरु ं त नखड़े से
खाkरज कर दH। लेJकन अब उसका ल~ड {यासा था।

वो कहने लगा- “अ,छा थोड़ा सा… अ,छा @सफw सप


ु ाड़ा…”

मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था Jक उस लालHपाप को ग{प कर लूं पर उसे tचढ़ाने मK , तड़पाने मK भी मजा आ
रहा था।

“अ,छा बस एक Jकस हbका सा…” वो Jफर बोला।

गुmडी- “चलो तम
ु भी 8या याद करोगे Jकस Fदल वालH से पाला पड़ा था…” मN बोलH और अपने गुलाबी हठ उसके
उoतेिजत सप
ु ाड़े के पास ले जाके हटा @लया।

अब तो उसकe हालत खराब हो गयी। मNने एक हाथ से उसका मोटा ल~ड पकड़ा और Jफर अपने रसीले हठ से
पहले तो हbके-हbके उसके सप
ु ाड़े का चमड़ा हटाया और Jफर सीधे उसके गल
ु ाबी सप
ु ाड़े पे Jकस कर @लया। मेरH

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जीभ उसके सुपाड़े के चार ओर, आगे पीछे और Jफर एक बार मK हH मNने उसका सुपाड़ा ग{प कर @लया। मेरे
हाथ उसके बाbस को सहला रहे थे, भींच रहे थे, मेरे Jकशोर हठ उसके सªत ल~ड को रगड़ते हुए उसे और
अंदर ले रहे थे। मेरH मखमलH जीभ नीचे से उसके ल~ड को चाट रहH थी और जbद हH उसका आधा ल~ड मेरे
मुँह के अंदर था। मN कस-कसकर चूस रहH थी, चाट रहH थी और मेरH बड़ी-बड़ी आँखK उसकe आंख मK खुशी दे ख
रहH थीं।

वो भी मेरा सर पकड़कर कसकर अपनी ओर खींच रहा था और कुछ दे र मK परू ा ल~ड अंदर था। वो कस-कसकर
मेरा मँुह चोद रहा था और मN अपने हलक मK उसके सुपाड़े कe धनक महसस
ू कर रहH थी। थोड़ी दे र के @लये जब
मेरा गाल और हलक ददw करने लगे तो मNने उसके ल~ड को बाहर sनकाला और Jफर अपने गाल पे रगड़ के
साइड से चूम चूस के अपनी चूtचय के बीच लेकर दबाना शुu कर Fदया। थोड़ी दे र चूची पे फक करने के बाद
उसका इरादा कुछ और हो गया। उसके पहले मNने उसे Jफर से मँुह मK ले @लया और अब उसका ल~ड शu
ु से हH
कसकर चूसने लगी।

जब वो झड़ने के कगार पे पहुँच गया तो बोलने लगा- “गुmडी, {लHज़… sनकाल लो। अब मN नहHं ‰क सकता। मN
झड़ने वाला हूं। तेरे मुँह मK tगर जाऊँगा। {लHज {लHज…”

मN तो कहना चाहती थी कe तो झड़ ना मेरे राजा Jकसने मना Jकया है ? झड़, तेरे माल का मुँह है । पर मेरा मुँह
तो उसके ल~ड से भरा था, इस@लये मNने जो कर सकता था, Jकया। कसकर उसकe कमर को अपने हाथ से बांध
के उसे अपनी ओर खींचा और खूब कसकर चस ू ते हुए उसकe ओर {यार से ऐसे दे खा कe मानो कह रहH होऊँ Jक
झड़ ना राजा, भर दे मेरे मुँह को। जbद हH वो झड़ने लगा। पर मN बना ‰के उसे उसी तरह चूसती रहH। सारा
का सारा उसका वीयw मN पी गयी। दो चार बद
ूं जो मेरH चूची पे tगरा उसे मNने उँ गलH मK लपेट के बड़े वाद से
गप कर @लया और जो हठ पे लगा था उसे भी चाट @लया।

“हे बताता हूं तुझे…” कहकर वो भी पानी मK आ गया और पकड़ने कe को@शश कe तो मN तैर के भागी। पल ू के
घर कe ओर वाले Jकनारे पे पहुँचते-पहुँचते उसने मझ
ु े पकड़कर अपनी बांहो मK भरकर कहा- “Fदस वाज़ बेट,
एवर है पेZड टू मी…”

मNने हँसकर कहा- “ये तो अभी शुuआत है …”

हम दोन पानी से बाहर sनकल आये। वहां sनTमो ने पहले से हH ‹`ं8स और खाने का सामान रख रखा था।
थोड़ी दे र मK हH हम लोग ताजा दम हो गये।

अब नीरज कe बारH थी। उसने मझ


ु े वहHं घास पे @लटाकर, अबकe उसे कोई जbदH नहHं थी, पहले उँ गलH से Jफर
हठ से बड़ी दे र तक तड़पाता रहा और जब मN झड़ने लगी तो उसने ल~ड मेरे अंदर पेल Fदया। वो थोड़ी दे र
चोदता Jफर ‰क जाता, Jफर चालू हो जाता, Jफर ‰क के मेरH चूtचय का कसकर मजा लेता। कुछ दे र ऐसे चोदने
के बाद उसने मझ
ु े घट
ु ने के बल करके कुsतया कe तरह करके Jफर परू H ताकत से कसकर चोदा। घंटे भर चोदकर
हH वो झड़ा और मN तो न जाने Jकoती बार झड़ चुकe थी।

मNने उसे tचढ़या- “हे तंग हH करोगे या कुछ “खलाओगे भी?”

मNने Jफर से अपनी साड़ी पहन लH थी और उसने भी शाटw । वो मुझे लेकर लान मK पहुंचा जहां बारबेक लगा था।
खुद अपने हाथ से सीख-कबाब बनाये आर भी ढे र सारH चीजK। और साथ मK बैकाडl… बहुत मजा आया। हम लोग
ने एक दस
ू रे को छे ड़-छे ड़ के खाया। खाने के बाद वो अपना फामw Fदखाने ले गया, बाग, खेत। हम लोग पेड़ पर
भी चढ़े । एक गZने के खेत के बीच मK तो उसने मुझे पकड़कर चोदना हH शुu कर Fदया था कe मN sनकल भागी।
लेJकन बाहर बाग मK उसने मुझे पकड़ @लया और वहHं एक बांस कe खFटया पे तीसरH बार चोद Fदया। खुलH हवा

157
मK चुदाने मK अलग हH मजा आ रहा था। पहले ऊपर चढ़कर Jफर साइड से चोदते समय एक दो बार उसने मेरH
गा~ड मK उँ गलH भी कर दH। शाम होने पे हम लोग घर मK गये और Jफर वापस शहर…”

“पर तू तो कह रहH थी कe तू Fदया के यहां से…” मNने पूछा।

“हां, राते मK वो @मल गयी। नीरज के साथ बाइक पे दे खते हH मुझे लगा कe वो कैसी सुलग रहH है । उसने रोक
के बताया कe उसकe भाभी को आज हH ब,चा हुआ है और वो ह{ताल जा रहH है । नीरज ने उसे भी @लƒट दे
दH। मNने नीरज से कहा कe मN हािपटल से होकर आ जाऊँगी और जब उसने मुझे Jकसी दH ना भाभी तो बस,
Fदया तो…”

“अरे तो हािपटल मK 8या हुआ? वो बता न…”

गुmडी- “वहH तो बता रहH हूं। वहां वो डा8टर @मल गया, जो मNने बताया ना कe मेरे ऊपर आ@शक हो गया था।
उसने बड़ी सहायता कe उन लोग कe, मेरे च8कर मK । उसने भाभी से कहा कe- “मेरा नेग…”

तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़कर कहा- “ये ले लो मेरH छोटH ननद…”

गुmडी- और Jफर तो वो मुझे हाथ पकड़कर अपने कमरे मK ले गया, उसे भाभी के @लये कुछ टाsनक अपने कमरे
से भेजना था। मNने Fदया से साथ चलने को कहा तो उसने मना कर Fदया कe भाभी अकेले रहK गी। खैर जब मN
उसके कमरे मK पहुँची ना तो टानीक तो एक बहाना था, उसकe और भाभी कe @मलH जल
ु H चाल। हम लोग बात
करते रहे और Jफर कब मN उसकe गोद मK थी पता नहHं। उसने बहुत kर8वेट कe चुTमी दे ने कe तो मN मान
गयी, Jफर उसके बाद वो मेरे सीने पे चुTमी लेने कe िजद करने लगा तो मNने टाप उठा Fदया। मN भूल गयी थी
कe ^ा तो मN नीरज को दे आई थी। Jफर उसके बाद उसकe जाद ू भरH उँ ग@लय ने वो खेल Jकया कe मN पूरH तरह
गीलH हो गयी और जब तक मN सTहलती उसने मुझे पूरH तरह नंगी कर Fदया। Jफर तो वो भी मेरH तरह नंगा हो
गया और उसकe उं ग@लय और जीभ ने ऐसा छे ड़ा, ऐसा मत Jकया Jक भाभी मN उसे मना नहHं कर पायी।

“तो तू उससे भी चद
ु वा आई…”

गुmडी- “हां भाभी और वो भी दो बार। भाभी, पहले तो बतर पे जम के चोदा। वो मेरH चूत कe बहुत तारHफ कर
रहा था। वो गाइनेकोलोिजट है ना, उसे सब पता है । वो कह रहा था Jक मेरH मसbस ऐसी हN वहां कe Jक मN
Jकतनी बार भी चुदवाती रहूं वो एकदम टाइट रहे गी। लेJकन Jफर भी मुझे उसने एक इTपोटq ड ¨eम दH है लगाने
को। और हां, जब मNने ये बताया कe मN Pपल लेती हूं तो उसने कहा कe उसके पास एक इजे8शन है िजसे महHने
मK @सफw एक बार ले लेने पे कोई खतरा नहHं रहता है । अगलH बार जब मेरा पीkरयड खतम होगा तो मN उसके
पास जाकर लगवा सकती हूं। जब मN चलने लगी तो Jफर एक बार टे बल के सहारे sनहुरा के चोदा। पता नहHं इन
मद© का 8या है भाभी Jक एक बार मK इनका मन हH नहHं भरता…”

“अरे , मद© को 8य दोष दे ती है , तेरे जोबन पे sनखार हH ऐसा आया है । चल जbदH कर खाना लगाते हN तेरे भैया
भूखे आ रहे हगे…” Jफर मुझे कुछ आइ‹डया आया और मNने गुmडी के कान मK कहा और उसके भी चेहरे पे भी
चमक आ गयी।

गुmडी बोलH- “आपकe बात ठ.क है , लेJकन भाभी आज मN दे नहHं पाऊँगी। एकदम मेरH जांघK फट रहH हN। भाभी,
5 बार चुदवाने से आज टांगK ददw के मारे , पूरH दे ह टूट रहH है । कल आप जो कहK गी वो…”

“अरे आज मN दे ने को थोड़ी कह रहH हूं। और कल वो छोड़Kगे भी नहHं। आज तो बस जैसा मNने कहा था ना…”

गुmडी- “ठ.क है भाभी। एकदम…” और वो ‹`ंक लगाने और तैयार होने चलH गई।

और मN ऊपर उZहK बल
ु ाने। उनकe हालत खराब थी।

158
Fदन भर कe उoतेजना के बाद ‘बेचारे ’ को कोई kरलHफ नहHं @मलH थी और वो तनतनाया हुआ था। वैसे आज उसे
कोई kरलHफ @मलने वालH भी नहHं थी। मN थोड़ा ऊपर हH ‰क गयी और ‘भाइ-बहन’ के बीच का सीन वहHं से
दे खने लगी। मझ
ु े लगा Jक अभी भी शायद Jकसी के सामने होने से दोन… और खास तौर से राजीव थोड़ा
Fहचकते हN। और मेरH बात सहH sनकलH।

राजीव जैसे हH पहुंचे गुmडी पहले से तैयार खड़ी थी, एक नड


ू ल ‡ै प, लो-कट टाप और छोटH सी लाल कटw मK ,
Jकसी से8सी kर@म8स डांस-गलw कe तरह। œलास मK उनकe फेवkरट िहकe ढालते हुए, उनके बैठते हH वो उनकe
गोद मK बैठ गयी और पहले œलास को लेकर अपनी अधखुलH गोलाईय पे लगाके जैसे œलास कe ठं डक का
अहसास कर रहH हो, Jफर उनके हठ पे लगाया। लेJकन उनके पीने के पहले हH उसने हटा @लया और अपने खूब
गाढ़H लाल रं ग कe @लPपटक लगे हठ पे लगाकरके गटक कर गयी। œलास मK दब
ु ारा उसने एक पFटयाला पेग
बनाया और जहां उसके @लPपटक के ताजा sनशान थे ठ.क वहHं से उसे, परू ा एक बार मK हH Pपला Fदया और
जब वो Pपला रहH थी तो गुmडी के उभार उनके सीने से खूब रगड़ रहे थे।

पर उसने इoते पे हH नहHं छोड़ा। एक कबाब मुँह मK लेकर उZहK वो छे ड़ रहH थी। जैसे हH वो हठ पास लाते वो
मुँह पीछे कर लेती। लेJकन राजीव भी अब मूड मK आ गये थे और कसकर उसका सर पकड़कर कसकर कबाब तो
अपने मुँह मK Jकया हH उसके रसीले हठ भी खुलकर गड़प गये। गुmडी ने अपने को अलग करने कe कोई को@शश
नहHं कe बbकe वो भी खुलकर उनके हठ का रस लेने लगी। इस धींगा-मुती मK उसका एक नूडल ‡ै प नीचे
सरक के tगर गया और उसकe एक गोलाई का उपरH Fहसा अब खुलकर झांक रहा था। पर उसको बना ठ.क
करने कe परवाह Jकये उसने दस
ू रा पेग बनाकर उनको Pपलाना शुu कर Fदया।

राजीव कe sनगाह उसकe गोरH अधखुलH गोलाई पे, जैसे tचपक गयी थीं। पर गुmडी जानबूझ के अनजान बनी हुई
थी। थोड़ी दे र मK , तीन-चार पेग के बाद, कबाब “खलाते हुये गुmडी ने जानबझ
ू के एक टुकड़ा अपनी गहराइय के
बीच tगरा Fदया और उनसे इसरार Jकया कe वो sनकाल दK । राजीव ने sनकाला तो लेJकन अब उसकe दोन
गोलाईयां काफe दरू तक खुल गयी थीं। एक के तो sनपल भी हbके-हbके Fदख रहे थे। इतना राजीव के @लये
बहुत था। उनका हाथ सीधे वहHं पहुँच गया जहां अब तक उनकe ललचाई sनगाह थी और हbके से उसके खल
ु े
उभार को सहलाने लगा।

गुmडी ने उसके हाथ को अपने उरोज पे कसकर दबाकर @ससकe भरकर बोला- “भैया, ये 8या कर रहे हो?”
आवाज उसकe मना कर रहH थी पर उसकe सारH दे ह और खास तौर से उसके सीने पे कसकर दबाते हुए हाथ
खुलकर कह रहे थे कe वह 8या चाहती थी।

अब तो वो खुलकर सहलाने, दबाने लगे।

गुmडी को भी जैसे परवाह नहHं हो। वो Jफर पेग बनाने और उZहK Pपलाने मK लग गयी। लेJकन कटw उसके उठने
और बैठने से जैसे खुल गयी थी और उसके sनतंब अब सीधे उसके पाजामे से रगड़ खा रहे थे। वो खुद खुलकर
अपना सीना उनके सीने से रगड़ रहH थी।

राजीव के @लये ‰कना मुिˆकल हो रहा था। जब मN पहुंची तो उनके दोन हाथ, उसकe Jकशोर चूtचय को रगड़ने
मसलने मK लगे थे। बोतल आधी से yयादा खालH हो चक ु e थी।

हँस के मN बोलH- “लगे रहो लगे रहो…” और खाना sनकालने लगी।

गुmडी उनकe गोद से उठने लगी तो मNने उसके कंधे दबाकर मना कर Fदया और कहा कe तेरे भैया आज बहुत
भूखे और थके हN। तू ऐसे हH आज उनकe गोद मK बैठकर उZहK “खला। Jफर 8या था मेरे सामने हH… बचा खुचा
टाप भी नीचे सरक गया था और वो खुलकर मजे ले रहे थे। खाने मK भी हमने, जो भी कामोoतेजक चीजK हो
सकती थी वो सब बनाई थी।
159
जbद हH लग रहा था कe कहHं उनका पाजामा फाड़ के कहHं उनका @लंग बाहर ना sनकल जाय। खाते-खाते कभी
वो उसकe उं ग@लयां काट लेते, कभी रसीले हठ।

पर मेरH ननद भी कम द¥ु ट नहHं थी। वो कभी अपने गुलाबी गाल उनके गाल पे रगड़ती, और एक बार तो उसने
सीधे अपना खल ु ा हुआ जोबन उनके गाल से रगड़ Fदया, और उZहने भी। 8या करते वो? उसके खड़े sनपल
अपने मुँह मK ले @लये। कटw उसका सरक के कमर तक आ चुका था और घर मK तो वो पNटH पहनती नहHं थी
इस@लये सीधे।

मNने खीर परोसते हुए गुmडी को इशारा Jकया और वो अपने दोन पैर फैलाकर सीधे उनकe कमर के चार ओर
करके, बैठ गयी। मNने एक झटके मK उनके पाजामे का न @सफw नाड़ा खोला बbकe उसे नीचे तक खींचकर उतार
Fदया। अब तो उनका भूखा मोटा खूंटा सीधे, गुmडी कe गोरH जांघ के बीच मK था। गुmडी ने उसे एडyट करने के
बहाने, सीधे उसे अपनी यौवन गुफा के मुहाने पे सेट कर @लया। उनका सुपाड़ा मारे जोश के आधा खुल गया था
और उसके Jकशोर भगो¥ठ के बीच ट8कर मार रहा था।

वो जानबूझ के उZहK धीरे -धीरे खीर “खला रहH थी, अपनी Jकशोर कोमल योsन को उनके मत तZनाये ल~ड पे
रगड़ते, उसे छे ड़ते हुये खीर का अ“खरH कौर “खलाते हुए वो उनके जैसे और नजदHक आई और कसकर अपनी
चूत उनके ल~ड पे ठे ल दH।

सप
ु ाड़ा अब थोड़ा सा चत
ू के अंदर और वो एकदम बेताब। उZहने गुmडी के कान मK कुछ कहा।

पर हँसकर वो उनकe गोद से उठ गयी और खुलकर उनके उिoथत @शˆन को दबाके बोलH- “भैया, आज नहHं कल।
कल प8का। मN एकदम Qो@मस कर रहH हूं। आज मN बहुत थकe हूं…” उनकe आँख कe अबझ
ु {यास जैसे {लHड
कर रहH हो, {लHज… लेJकन वो चूतड़ मटकाती उठ गयी।

मNने भी उनके खड़े ल~ड को पकड़ा और उठाकर ले गई। चलते-चलते गुmडी से मNने कहा- “हे टे बल और Jकचेन
साफ कर दे ना। और मेज पे मNने दध
ू रख Fदया है । सोने से पहले पी लेना…”

गुmडी- “एकदम भाभी…” टे बल साफ करते वो बोलH। उसके यौवन कलश अभी भी टाप के बाहर झांक रहे थे।

मNने उसके दध
ू मK @सडेFटव @मला Fदया था। वो कम से कम 8-10 घंटे सोने वालH थी। कमरे मK पहुँच के मNने
उZहK कसकर तंग करना शुu कर Fदया। वो सTहलते उसके पहले उनका खड़ा बेताब ल~ड मेरे हठ के बीच मK
था। चूस-चूस के, चाट-चाट के मNने उनकe हालत खराब कर दH। कभी मेरH जीभ उनके पी-होल को तंग करती,
कभी बाbस को चस
ू ती चाटती। और वो जब झड़ने के करHब हो जाते तो मN ‰क जाती। दो तीन बार ऐसे करके
जब उनकe हालत खराब हो गयी और मुझे लगा कe अब वो बस झड़ने हH वाले हN तो मNने कसकर उनके ल~ड के
बेस पे दबा Fदया, िजससे उनका ƒलो ‰क गया।

और मN उनसे दरू हट के थोड़ा {यार, थोड़ा गुसे से बोलH- “8य? चोदा 8य नहHं, अपनी उस लाडलH sछनाल
बहन को। अगर मेरH तबयत ठ.क होती या मेरH जगह कोई और होती, अंजलH होती… तो 8या इस तरह बच के,
चूतड़ मटका के जा पाती। कसकर तम
ु पटक के जबरदती चोद नहHं दे ते। अरे वो तेरH रखैल है । तेरा उस पे
मुझसे या अंजलH से कम हक नहHं। पटक के sनहुरा के चोद दे ना चाFहये था कस के। अगर अब वो सालH
sछनाल तझु से बच गयी तो… बोलो, अब अगर @मलH तो 8या करोगे?”

“चोद दं ग
ू ा पटक के सालH को। बना चोदे छोड़ूग
ं ा नहHं। बहुत sछनालपना करती है …”

उसके लोहे से कड़े ल~ड पे थोड़ा पाउधर लगाकरके मN और tचकना कर रहH थी। Jफर मNने उसकe धीरे -धीरे मु–
मारनी शुu कe। मेरे हठ उसे चूम रहे थे, कभी-कभी मN उसके sनपल को िƒलक कर रहH थी। थोड़ी हH दे र मK
Jफर वो एकदम कगार पे था।

160
Jफर मN ‰क गयी और बोलने लगी- “दे ख, तेरH रखैल बनाऊँगी मN उसे। तो थोड़ी जोर जबरदती नहHं करोगे तो
कैसे चलेगा। चीखने-tचbbलाने दो सालH को। कोई छे द मत छोड़ना सालH का। बोलो लोगे मजा पीछे वाले छे द
का?”

“हां हां एकदम। बना गा~ड मारे सालH कe छोड़ूग ं ा नहHं। जब वो चलती है ना चत
ू ड़ मटका-मटका के तो दे खकर
मेरा खड़ा हो जाता है । कैसी है ? तम
ु ने तो दे खी होगी…” वो जोश मK बोले।

“अरH बड़ी मत है , एकदम टाइट, कोरH। अभी तो ढं ग से उँ गलH भी नहHं घटH सालH ने। चीखे tचbलायेगी बहुत
पर उसी मK तो असलH मजा है …” मN मु– मारते-मारते बोलH।

अब वो Jफर एकदम कगार पे थे। मN Jफर ‰क गयी। लेJकन थोड़ी दे र बाद मN उनके ऊपर आ गई और अपनी
बड़ी-बड़ी चूtचय के बीच उनका ल~ड ले @लया और चूtचयां हbके-हbके मसलने लगी। थोड़ी हH दे र मK वो मेरH
चूtचय को इस तरह दबाकर चोद रहे थे जैसे उनकe बहना कe चूत हो। मNने बोला भी- “8य बहन कe चूत
समझ के चोद रहे हो…” और Jफर सारH रात इसी तरह तड़पाया मNने।

मजा तो उZहK खब
ू Fदया लेJकन झड़ने नहHं Fदया, एक बार भी। यहां तक कe एनल वाइ^ेटर से उनकe गा~ड भी
मारH, उनके हाथ गुmडी कe ^ा पNटH से बांध के। जो ’लू-बाbस कहते हN ना एकदम हालत वहH थी। और मNने
उनके सुपाड़े पे Jकस करके बोला- “अब जब तू अपनी बहना को चोदकर कसकर उसकe चूत मK झड़ेगा ना, तभी
कोई और चत
ू @मलेगी तझ
ु े, तब तक भख
ू ा रहना…”

और जब एक बार वो थोड़े @शtथल हुये तो तब उनके बाल मK मNने बफw लगा दH। जाड़े कe रात मK तो मNने एक
काक kरंग भी पहना दH अब तो। और सुबह होने वालH थी तो मNने उZहK ‹`ंक Pपलाया िजसमK वहH सीडेFटव @मला
था जो मNने गुmडी को Pपलाया था। सुबह होते-होते वो घोड़े बेच के सो चुके थे। पर ल~ड का झंडा उनका उसी
तरह फहरा रहा था।

जब मN उठ. तो दे र हो चुकe थी। मN उZहK दे खकर मुˆकुराये बना नहHं रह सकe। वो गहरH नींद मK थे और 12-1
बजे से पहले उनके उठने का सवाल नहHं था, पर उनका ल~ड उसी तरह खड़ा था। मN नीचे पहुंची तो गुmडी भी
तुरंत उठ. हH थी और Jकचेन मK चाय बना रहH थी।

गुmडी मझ
ु े चाय दे ते हुये बोलH- “भाभी कल आपने मझ
ु से, बेचारे भैया को जबरदत टाचरw करवाया…”

“चल कोई बात नहHं आज तू उनसे करवा लेना। टाचरw पर इतनी दया आ रहH है तो दे 8य नहHं Fदया कल बेचारे
को?”

गुmडी- “अरे भाभी डरती हूं 8या मN? करवा लूंगी। करवा तो मN कल हH लेती पर इतनी कसकर थकe थी…” हँसकर
एक मत अंगड़ाई लेते हुए बोलH और पूछा- “भाभी आपने कल 8या Pपलाया Fदया था। जबदw त नींद आई और
थकान एकदम गायब…”

“तो तैयार है तू आज, कुˆती के @लये?” हँसकर मNने छे ड़ा।

गुmडी- “एकदम भाभी। आज Jकसी भी पहलवान से लड़ा दHिजये। आपकe ये ननद पीछे नहHं हटे गी…”

“तT
ु हारे भैया से भी?”

पहले तो वो थोड़ा शमाw गयी Jफर हँसकर बोलH- “एकदम भाभी, रोज तो आप लड़ती हH हN एक बार मN भी लड़
लूंगी…”

हम दोन नहा धोकर तैयार हH हुए थे कe अbपना आ गयी। Jफर तो जैसे कोई तूफान आ गया हो। खूब हँसी
धमाल, धींगा-मुˆती और उसने जो, गुmडी को जम के गा@लयां सुनाz।

161
थोड़ी दे र के बाद जब गुmडी उसके @लये नाˆता बना रहH हH थी तो मNने उसे पूरH दातान सुनायी और ये भी
सुनाया कe वो आज अपने भैया के साथ चुदवायेगी। तब तक गुmडी आ गयी और मN चप
ु हो गयी पर अbपना
को कौन रोक सकता था।

वो जम के सन
ु ाने लगी- “अरे सालH sछनाल, परू H दsु नयां को बांटती Jफरती है और मेरे जीजा को भख
ू ा रखा। तझ
ु े
Jकतना बोल के गयी थी कe पूरा ªयाल रखना। अरे तू मेरH सबसे प8कe सहे लH है तो तू भी तो उनकe सालH हुई
ना… अगर एक बार चुदवा लेती तो कौन सा तेरा sघस जाता। अगर आज तूने जरा भी sछनालपना Jकया ना तो
तेरे हाथ पैर बांध के, पहले तो अपने जीजू से चद
ु वाऊँगी Jफर तेरH गलH के गदह से…”

उसकe बात काटकर दोन हाथ से कान पकड़कर हार मानती हुई गुmडी मुˆकुराकर बोलH- “हां मेरH मां, तू आ
गयी ना तो बस अब तू िजससे कहे गी, िजतनी बार कहे गी, जैसे कहे गी, मN चुदवा लूंगी। पर ये बता कe मनालH
मK गाईड कNप मK तन
ू े 8या मजे उड़ाये। मNने सुना है कe, साउथ से कोई लड़क का काउट का भी कNप आया
था…”

अbपना- “अरे नहHं, मNने अपना सतीoव बचा के रखा। नाड़ा नहHं खोला Jकसी के आगे…” हँसकर अbपना बालH।

मेरे बहुत पूछने पर उसने कबूला कe कNप मK मौज मती तो काफe हुई। पर शुu के दो Fदन तो जान पहचान मK
लग गये और जब तक ‘कुछ हुआ’ तो अगले दो Fदन उसकe एंड़ी मK मच आ गयी, रोहतांग पास के ‡ै Jकं ग मK।
आ“खरH पांच Fदन तो एकदम खुला खेल था। कोई लड़कe नहHं बची लेJकन उZहHं Fदन उसके Pपkरयडस आ गये,
इस@लये। हँसकर वो बोलH- “दHदH कमर के नीचे, कNप मK मN पूरH तरह पPव— थी। और वैसे, कोई लड़कe बची नहHं
थीं। हां कमर के ऊपर कe मN गारं टH नहHं लेती। उस मामले मK तो सच मK मN चNPपयन थी। पर…”

“चल कोई बात नहHं। कमर के नीचे कe कोर-कसर तेरे जीजा पूरH कर दK गK…” मNने कहा।

अbपना- “हां दHदH, 5 Fदन का »त मN उZहHं से तोडूग


ं ीं…” वो हँसकर बोलH Jफर उसने पूछा- “पर वो हN कहां?”

“ऊपर हN शाम कe पाट´ के @लए इंतजार कर रहे हN। थोड़ी दे र मK जाकर उठाकर नाˆता वाता करा दे ना, पर परू H
भूख मत @मटाने लगना…” और मNने उसे कान मK समझाया।

हँस के वो मान गयी।

दोन मत Jकशोkरयां, “खलंदड़, पूरा घर चुहलबािजय, छे ड़छाड़, शैताsनय से भरा। दोन ने शलवार-सूट पहन
रखे थे। अbपना ने गुलाबी और गुmडी ने पीला, धानी। यहां तक Jक चुZनी भी ओढ़ रखी थी पर जवानी कe
उठान सर फाड़े, कहां छुपती है।

दोन साथ-साथ बेड-टH कe ‡े लेकर 12-1 बजे ऊपर गयीं। वो बस कुनमुना रहे थे। पर दोन को दे खकर नींद
गायब हो गई।

“गुड माsन¡ग हो गयी। जीजाजी…” अbपी बोलH।

“अरे तू। बस जरा पास आ जा तो Jफर से गुड नाइट हो जायेगी Fदन दहाड़े…” खुश होकर वो बोले।

अbपना- “अरे पहले आप ठ.क से जग तो जाइये, Jफर दे “खये। लेJकन लगता है आपका कुछ Fहसा पहले से हH
जगा है …” पाजामा फाड़ते टK ट पोल कe ओर इशारा करके वो बोलH।

“अरे भैया, तेरा सपना दे ख रहे थे। उसका असर है…” गुmडी ने भी बड़ी अदा से उधर दे खकर कहा।

“ठ.क है। जो मेरे साथ सपने मK कर रहे थे ना वो तेरे साथ स,ची-मु,ची मK करK गK, दे खना। लेJकन जीजू, मुझे
एक बात कe बड़ी @शकायत है Jक आपने मेरे गैर-हािजरH मK मेरH सहे लH पे जरा भी Œयान नहHं Fदया। जब कe मN
आपसे कहकर गयी थी कe उसे भी आप सालH हH मानK …” अbपी बोलH।

162
“अरे तेरH सहे लH हाथ हH नहHं रखने दे रहH थी…” वो ललचाई नजार से गुmडी को दे खकर बोले।

गुmडी- “मNने ऐसा तो कभी नहHं कहा था। भैया…” अदा से जोबन उभार के वो बोलH।

“अरे कहां हाथ नहHं रखने दे रहH थी। यहां, यहां…” और अbपी ने उनका हाथ पकड़कर गुmडी के उभार पे, जांघ
के बीच लगवा Fदया।

जब वो ‡े लेकर लौट रहHं थीं तो अbपी Jफर वापस गयी- “दे खो जीजू, दHदH ने पहले हH आपको मेरH शतw बतायी
थी ना Jक आप मेरH सहे लH के साथ भी करK गे। तो उस समय तो आपने खुद हH कहा था कe आप उसकe चूत को
चोद-चोद के भोसड़ा बना दK गK और इतने Fदन हो गये लेJकन? तो आज दे “खये अब सबसे पहले ये मेरH सहे लH
कe चूत मK घस
ु ेगा Jफर उसे कुछ और @मलेगा…” उनके पाजामK मK उठे , खूंटे पे पहले Jकस Jफर चूस के वो बोलH।

“एकदम मंजरू , लेJकन थोड़ा सा तो। अभी…” बेताब होकर वो बोले।

हाथ छुड़ा के वो sनकल गयी और दरवाजे से चूतड़ मटका के बड़ी अदा से बोलH- “करती हूं तम
ु से वादा, पूरा होगा
तेरा इरादा थोड़ा सा ठहरो…”

उZहK पूरे Fदन के @लये ऊपर कमरे मK वनवास दे Fदया गया था। ये कहा गया था कe दे र शाम को जब उZहK
बुलाया जाय तभी वो नीचे आ सकते हN। और खाना पीना सब उZहK ऊपर हH @मलेगा, उनकe सेवा मK परू H तरह
कपड़ मK छुपी ढं कe दोन टHनेजसw रहK गी, पर केवल उनकe बांकe नजर के तीर, खल
ु कर मजाक, अदा से जोबन
को उभारना, थोड़ा Fदखाना और Jफर उƒफ करके छुपा लेना। बेचारे बेताब हो रहे थे, सुलग रहे थे और वो दोन
और कसकर आग लगा रहHं थीं।

मN सोच रहH थी कe परस रात को उनका उपवास रहा, कल कe दावत को सोचकर और वहां भी अंजलH के साथ,
वी@मंग पूल मK शुuआत के बाद। और Jफर दब
ु ारा जब उनको अचानक जाना पड़ा। Jफर कल खाने के समय
गुmडी ने, रात भर मNने और अब दोन टHनेजसw कe खूबसूरत छे ड़छाड़। 8या हालत हो रहH होगी, बेचारे कe?

और नीचे Jकचेन मK भी दोन चालू थीं। मामला यहां भी कम गरम नहHं था। रात कe तैयाkरयां चल रहH थीं। जब
मNने अbपी को हँसकर वो पेशल बैगन कe पकौड़ी के बार मK बताया तो वो तो एकदम दह
ु रH हो गयी और गुmडी
को पकड़कर बोलH- “चल आज गाजर का हलवा बनाते हN, तेरे तरHके से…” और उसने गुmडी कe चत
ू मK एक खूब
मोटH गाजर पेल दH। और हलवा तो एक गाजर से बनता नहHं इस@लये ढे र सारH।

पर गुmडी भी कम नहHं थी। उसने कहा- “भैया को सलाद मK मूलH अ,छ. लगती है इस@लये उनकe सालH कe बुर
मK … और उसने अbपी कe बुर मK एक खूब लंबी मोटH जौनपुरH मूलH घस
ु ेड़ दH।

हां, मN ये दे ख रहे थी कe इन सब खेल मK दोन मK से कोई झड़ ना जाये, 8यकe वो तो मेरे सNया के साथ होना
था। उZहK नान-वेज पसंद है तो ढे र सारH नान-वेज ‹डशेज और अbपी तो पंजाबी नान-वेज मK माFहर थी। तंदरू H
tचकेन, कोरमा, हांडी tचकेन और ढे र सारे कबाब।

शाम को उन दोन ने मुझे भी ऊपर हांक Fदया था िजससे मुझे भी फाइनल Qेपेरेशन के बारे मK कुछ पता नहHं
था। हां, उन दोन ने कहा था कe जैसे हH वो बल
ु ायK मN उZहK लेकर आऊँ और उZहK |ेश पाजामा कुताw और अंदर
कुछ नहHं। रात शुu हुई हH थी कe नीचे से आवाज आ गयी।

मझ ु े लग रह कe मN सपना दे ख रहH हूं। इतने Fदन से जो मN ªवाब दे ख रहH थी। जैसे वो जमीन पे उतर आया
है , 8या सच और 8या कbपना, जैसे दोन का अंतर धू@मल हो गया हो। दोन को दे खकर तो मN अपनी आँख पे
Pवˆवास हH नहHं कर पायी। बार-डांसर कe जो `ेस गुmडी ने {ले के @लये बनवायी थी, कसी, लो-कट, उसी मK
दोन और जम के गाढ़ा मेक-अप- आंख मK काजल, मकारा, फाbस आइ लैशेज, गाढ़H लाल @लPपटक और Jफर
yवेलरH- पाजेब, करधनी।
163
जैसे हH वो बैठे, लग रहा था अरे बयन नाइटस का सीन हो। दोन जांघ पे आकर बैठ गयीं और जाम ढालने
लगीं। कभी एक अपने नशीले हाथ से Pपलाती तो कभी दस
ू रH अदा से गाल पे गाल रगड़ के चोलH से छलकते
हुए उभार से जाम टकरा के, Pपला रहH थी। और वो भी एक हाथ से गुmडी कe चूची दबा रहे थे और दस
ू रे से
अbपी कe।

मNने उZहK tचढ़ा के कहा- “आज तो आपकe दावत हो गयी। दान हाथ मK लड़डू हN…”

“एकदम…” अधखुलH चोलH के ऊपर से गुmडी के मादक sनपbस रोल करते वो बोले।

हम चार खुलकर पी, Pपला रहे थे। थोड़ी हH दे र मK सब बहकने लगे। उन दोन के आंचल ढलक रहे थे, ि‡ं ग,
बैकलेश चोलH से जोबन खल
ु कर छलक रहे थे। और उZहने भी गुmडी और अbपी को जम के इसरार करके
Pपलाया। साथ मK तरह-तरह के कबाब, Fट8के। थोड़ी हH दे र मK एक बोतल खालH हो चुकe थी। और गुmडी ने
दस
ू रH बोतल भी खोल दH। छे ड़छाड़ मK उZहने दोन कe ऊपर कe चुनरH हटाकर फKक दH तो वो भी 8य छोड़ती।
उZहने भी उनकe ि‡पटHज करा दH। वो @सफw बsनयान और अपने @सbकेन बा8सर शाटw मK रह गये।

खाना खतम होने के बाद गुmडी ने उZहK चांदH कe तˆतरH से जोड़ा पान sनकालकर अपने हठ मK लेकर पेश
Jकया। मN मुˆकुराये बना नहHं रह सकe 8यकe @सफw मुझे मालूम था कe उसमK 8या है ? वो खास पलंग-तोड़ पान
था। जो मेरH सुहागरात के Fदन मेरH ननद ने बेडuम मK रखा था। और आज उसमK मNने उसके खास मसाल के
साथ-साथ इTपोटq ड PवयाDा का डबल
ु डोज भी डाल Fदया था।

जब गुmडी ने पान Fदया तो पान के साथ उZहने उसके नाजुक हठ भी गड़प @लये और साथ-साथ जीभ उसके
कोमल मुँह मK ठे ल दH। वो भी अब अपने मुँह मK उनकe जीभ चूसने लगी। राजीव के हाथ कस-कसकर उसकe
गोलाइयां नाप रहे थे। जब थोड़ी दे र बाद उZहने छोड़ा तो वो दोन खड़ी हो गयी और मुज़रे कe अदा मK झुक के
सलाम करके नाच चालू हो गया। पीछे Tयिु जक @सटम पे धुन चालू थी।

पहले तो मुज़रे कe अदा मK एक Jफbमी गाने पे और Jफर तो मुज़रा kर@म8स से लेकर लैप-डांस तक सब कुछ।
गुmडी ने गाना शुu Jकया-

चूड़ी टूट& मेर& कलाई म0 , सैयां के संग लड़ाई म0 ।

और झुक के अपनी 8लHवेज Fदखाकर के sनतंब मटका के, सैयां के संग Jकस तरह कe लड़ाई हुई साफ पता चल
रहा था। और वो दोन इस तरह नैन मट8का कर रहHं थीं, कुbहे मटका रहH थीं, अपनी चूtचयां उभारकर उछाल
रहHं थी, एक दस
ू रे को पकड़कर चूमा-चाटH, फोश इशारे कर रहH थीं कe कोई थडw Dेड रं डी भी मात खा जाये ।
और Jफर दस
ू रा गाना अbपी ने शुu Jकया-

अरे , कल& भrरे पे मरने लगी है ।

और राजीव को Fदखाकर उसे चूमने, गाल काटने लगी। नाचते-नाचते दोन उनके पास आ गयीं और अbपी ने
गुmडी को उनकe बांह मK धकेल Fदया। और अब उनकe बारH थी, चूमने और कचकचा के गाल काटने कe। जब
थोड़ी दे र मK गुmडी उनकe बाह से आजाद होकर आई तो अbपी ने एक मदw का uप धारण कर @लया था, tगरH
हुई चुनरH कe पगड़ी बना के। और Jफर तो… गुmडी उसे दे खकर चालू हो गयी-

“लड़ाय लो, लड़ाय लो अँ खया हो लrडे राजा,


सास गयीं गंगा, ससरु गये जमुना, सQया गये ननद& संग,
अरे लगाय लो छतयां, अरे दबाय दो छतयां हो लrडे राजा।
घर म0 हूँ अकेल&, ना संग ना सहेल&,
अरे दबाय दो, अरे लूट लो, अरे चोद दे ओ बुMरया हमार लrडे राजा…”
164
जैसे गुmडी ने कहा दबाय दो छsतया, अbपी ने पीछे से पकड़कर, कसकर उसके जोबन मसल Fदये। और राजीव
को Fदखाकर ललचा के थोड़ी चोलH सरका के झलक भी Fदखा दH। और Jफर तब बड़ी अदा से अपनी कमर आगे
पुश करके गुmडी ने बोला- “चोद दोओ…”

तो Jफर अbपी भी 8य छोड़ती, उसने जोरदार ध8का Fदया और उसका घाघरा उठाकर, उसके भैŠया को भरतपरु
का परू ा दशwन करा Fदया। दोन ने एक बहुत पतलH थांग पहन रखी थी पर उससे 8या sछपता। और इतना हH
नहHं, गुmडी को पकड़कर उसकe टांगK अपनी कमर के सहारे करके इस तरह चोदने का नजारा पेश Jकया कe कोई
चद
ु 8कड़ मदw भी 8या करता। अगला गाना तन-तन का था-

“कैसे दे खा उभरल बाजू बना,


बहुते उठल बा दबाय दा सजना,
मीस-मीस के एके eपसान कै दे ता,
रतया भर दबाय के Lबहान कै दे ता…”

गुmडी ने िजस तरह से अपना सीना उठाकर जोबन दबाने का नाटक Jकया और अbपी ने भी पहले तो चोलH के
ऊपर से Jफर थोड़ा सरका हटा के, और Jफर उसने गुmडी कe पीठ पर से उसकe चोलH के बंद खोल Fदये। अब तो
उसके दोन कबूतर आजाद थे। अbपी ने वो चोलH उठाकर सीधे उनके ऊपर फKक दH। गुडडी ने अपने हाथ से
sछपाने कe को@शश कe पर अbपी कe ताकत के आगे उसकe 8या चलती। अbपी ने दोन हाथ से पकड़कर उसे
उभार के उZहK Fदखाया जैसे उZहK पेश कर रहH हो। और उZहK Fदखा, ललचा के हbके-हbके मजे से दबाना शुu
Jकया। पहलH बार इस तरह खुलकर वो गुmडी के रस कलश दे ख रहे थे।

उनके शाटw मK तना कुतुबमीनार उनकe हालत बता रहा था।

पर गुmडी भी तो आ“खर अbपी कe हH सहे लH थी। उसने बड़ी अदा से उसकe पीठ चूमते हुये, उसकe चोलH के
बंधन खोल Fदये और उसे इस तरह फKका कe वो सीधे उनके खूंटे पे जा tगरा। और अब तो दोन बजलH tगराती
टHनेजसw, जैसे अखाड़े मK कोई पहलवान लड़ते ह, एक दस
ू रH कe चूtचय से चtू चयां रगड़ते, सटा के, और थोड़ी हH
दे र मK दोन उनके पास आ गयीं और वो उनको 8य छोड़तीं। उनको भी टापलेश कर Fदया और अब वो भी @सफw
बा8सरw शाटw मK थे। दोन उरोज उनके ऊपर रगड़ रहHं थी। एक सीने पे तो दस
ू रा गाल पे। अbपी ने तो आज हद
हH कर दH थी। शाटw के ऊपर से हH उनका खंट
ू ा अपने सीने के सहारे पकड़कर रगड़ने लगी। तब तक गुmडी
sछटक के अलग हो गयी और उसने अगला गाना शुu कर Fदया, (ये रतजगे कe ‡े sनंग का असर था)

अरे तनी धीरे -धीरे डाला, बड़ा दख


ु ेला रजऊ,
(इसके बाद उसके चेहरे पे जो ददw उभरा वो कोई उसी कe उमर कe क,ची कलH जब मोटे ल~ड से चुदे और जो
ददw हो, एकदम वैसा था।)

अरे तनी धीरे -धीरे डाला, बड़ा दख


ु ाला रजऊ,
मWत जोबनवा चोल& धईला, गाल तो लेहला काट,
काहे धंसावत बाटा भाला, बड़ा दख
ु ेला रजऊ,
अरे तनी धीरे -धीरे डाला, बड़ा दख
ु ेला रजऊ।
और इस गाने मK तो दोन ने हद हH कर दH। अbपी ने गुmडी को कसकर पटक Fदया और Jफर उसकe टांगK कंधे
पे लेकर और थोड़ी हH दे र मK तो दोन के घाघरे उलट गये थे। गोरH जांघK Fदख रहHं थी। कुछ दे र तक खुलकर
उसकe चूत पे अपनी चूत रगड़ने के बाद, उसने गुmडी कe थांग थोड़ी सी सरकायी, अपनी उं ग@लयां पहले तो चूत
के ऊपर रगड़ी और Jफर उZहK Fदखा के, एक उँ गलH सीधे उसकe चूत मK ठे ल दH। काफe दे र तक उँ गलH करती रहH

165
वो, जब तक गुmडी कe चूत ने पानी नहHं फKक Fदया। और Jफर उसे लेकर सीधे राजीव के पास गयी और उZहK
चटा Fदया। वो भी खूब वाद लेकर गुmडी का चत
ू -रस लेते रहे ।

तब तक गुmडी पीछे से आई और उसने एक झटके मK अbपी कe थांग खींचकर उसे परू H तरह से नंगी कर Fदया।
और जब अbपी गुmडी के पीछे मुड़ी तो गुmडी ने उनका भी शाटw खींचकर, उनका मोटा परू ा तZनाया, बoते भर
लंबा, दो Fदन रात कe भूखा, कुछ इनका उoतेजक नाच गाना और घंटे भर पहले खायी PवयाDा कe डबल डोज से
एकदम लोहे का खंभा हो रहा था। गुmडी तो बस दे खती रह गयी और मौके का फायदा उठाकर, अbपना ने
उसकe भी थांग खींच दH और अब तीन जनमजात नंगे थे।

अbपी यहHं पे नहHं ‰कe। उसने टे बल पे रखे, घर मK बने सफेद म8खन का एक बड़ा लदा उठाया और उनके
ल~ड मK मा@लश करने लगी।

और Jफर गुmडी 8य पीछे रहती। उसने भी म8खन का एक और लदा उठाया और वो भी कस-कसकर गुसाये,
भूखे ल~ड मK मलने लगी। जब उसने उनका मोटा ल~ड अपनी Jकशोर उं ग@लय के बीच पकड़ने कe को@शश कe
तो वो उसकe कलाई इतना मोटा ल~ड उसकe मु–ी मK कहां समाता। वो शमाw गयी।

तो अbपी ने सुपाड़े कe ओर इशारा करके कहा- “अरे उसे खोलकर लगा, पहला ध8का तो वहH लगायेगा…”

गुmडी ने जैसे हH सप
ु ाड़ा खोला। ग
ु से मK जैसे लाल, खब
ू मोटा, फूला, भख
ू ा, सहमते हुए दो उं ग@लय मK म8खन
लेकर उसने वहां भी लगाना शुu कर Fदया। उनका ल~ड इन दोन Jकशोkरय कe मा@लश से एकदम tचकना हो
गया। राजीव ने अbपी को कुछ इशारा Jकया और उसने अपनीं उं ग@लयां म8खन मK कसकर डुबो के, गुmडी कe
चूत मK पेल दH और इतना हH नहHं एक गोला लेकर सीधे उसकe बुर मK उतार Fदया।

गुmडी को उZहने खींचकर अपनी गोद मK बठा @लया था और जबरन अपने पैर से उसकe टांगK फैला रखी थीं
और उधर अbपी उसकe चूत मK जम के म8खन ठे ले जा रहH थी। और म8खन ठे लते हुये वो शरारत से उसकe
उoतेिजत ि8लट भी छे ड़ दे ती।

Jफर वो तीन कमरे मK चले गये जहां एक बड़े से बेड पे इन दोन ने बतर लगा रखा था। आगे गुmडी, पीछे वो
और Jफर उनकe पीठ मK अपनी चूtचयां रगड़ती, ल~ड सहलाती अbपी।

मNने सोचा इतने अ,छे मौके को बना kरकाडw Jकये रखना गलत होगा और मN अपने कमरे से हNडीकैम लाने चलH
गयी। जीजा के साथ उसकe पहलH चुदाई, यार अजय के साथ के साथ रात भर, सब तो मेरे कैमरे मK कैद थे तो
Jफर उसके भैया के साथ चद
ु वाने को kरकाडw करने का मौका मN 8य छोड़ दे ती। जब तक मN लौटH तो दे खा कe
गुmडी कe टांगK कसकर फैलH हुई थीं। वो उसकe दोन टांग के बीच मK उसकe पतलH कमर पकड़े थे।

तब तक गुmडी के मुँह से जबरदत चीख sनकलH।

मN समझ गयी। गनीमत थी कe हम लोग का घर थोड़ा अलग थलग है। और अबकe जब दब


ु ारा उZहने परू H
ताकत से ठे ला तो अbपी इस बार पहले से तैयार थी। उसने गुmडी का मुँह कसकर अपनी चूत मK भींच Fदया।
और वो बेचारH ग-ग कe आवाज sनकालती रहH।

आज उनपर भूत सवार था और वो बस ध8के पे ध8का मारे जा रहे थे।

मN सोचने लगी- कुछ हH Fदन पहले जब हम यहां आये थे तो ये Jकतनी भोलH थी, जरा से मजाक से बदकती
थी और अब… और वो भी खुद Jकतना कहते थे नहHं नहHं वो ब,ची है और अब खुद हH… लेJकन मNने हँसकर
सोचा अभी तो ये शुuआत है । 4-5 Fदन बाद ये दब
ू े भाभी के साथ पूरे Fदन पूरे दो Fदन रात। और जो उZहने
मुझसे Qो@मस Jकया है , अगर उसका आधा भी सच हुआ तो… न तो @सफw वो उसको ‘सब कुछ’ ‘“खला Pपला’
दK गी। बbकe उसे उसका चका भी लगा दK गी। Jकoता मजा आयेगा इस JकशोरH को खारा शरबत Pपलाने मK और…
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और वो अजय के साथ। लगता है ये भी पीड़ा मK आनंद िजसे हो आये, मेरH मधुशाला वाले ढं ग कe है । अब जब
मेरH sनगाह सामने गयी तो ददw कe जगह मजे कe @सकाkरय ने ले लH थी और अब वो भी खल
ु कर चत
ू ड़
Fहला-Fहला के मजे ले रहH थी। दोन के चेहरे पे एक अलग ढं ग कe खुशी। शायद बचपन से छुप-छुप के दोन
यहH चाहते रहे ह। या Jफर चुदाई का नशा हH एसा होता है ।

और मNने Jफर सोचा- ये तो अभी अंगड़ाई है । होलH मK जब हम आयKगK और इसको अपने साथ ले जायKगK। और
Jफर जब मN इसको पूरH ‡े sनंग दं ग
ू ी, उनकe रखैल बनाके रखूंगी। और Jफर जब साल भरकर @लये हम लोग के
साथ रहे गी तो कोई चीज नहHं छोडूग
ं ी। मेरH गांव वालH भाभी तो कह रहH थीं कe अगर मN इसको काsतक मK गांव
भेज दं ू तो वो इसको। जब मNने घड़ी पे sनगाह डालH तो आbमोट एक घंटे हो गये थे दोन को लगे हुए।

मुझसे अब नहHं रहा गया। मN कमरे मK उनके पीछे जाके खड़ी हो गयी, उनकe पीठ से सट के। राजीव ध8के तो
पूरH ताकत से मार रहे थे, लेJकन अभी भी वो आधे हH ल~ड से चोद रहे थे।

मुझको एक शरारत सूझी। और मNने एक उँ गलH सीधे उनकe गा~ड मK डाल दH और tचंहुंक कर उZहने गचाक से
अपना परू ा ल~ड एक बार मK हH उसकe क,ची कसी चूत मK जड़ तक घुसेड़ Fदया।

और अबकe तो गुmडी ऐसा tचbलायी कe बस…

इधर मN उनकe गा~ड मK उँ गलH करती रहH उधर वो कस-कसकर पूरा ल~ड घुसेड़ के, झड़ने के कगार पे थे वो
इoते लंबे उपवास के बाद। और मNने भी अपनी सधी उँ गलH गा~ड मK करते-करते उनके Qो‡े ट पे रगड़ दH। वो
इoती तेज झड़ने लगे, लग रहा था कe गाढ़े सफेद वीयw कe धार सीधे उसकe ब,चेदानी पे पड़ रहH हो। और साथ-
साथ वो भी कांपते हुए झड़ने लगी।

मN मन सोच रहH थी कe कभी वो बना Pपल के हो और इZहK ऐसी हH सीधे ब,चेदानी मK झड़वा के इसे गा@भन
करवा दं ,ू भले हH बाद मK एबारशन करवाना पड़े। दोन झड़ रहे थे दब
ु ारा।

उनके दोन हाथ उसकe कमर पे थे और उसकe Jकशोर चूtचयां लटक रहHं थीं। थन कe तरह से दबाकर मNने उZहK
tचढ़ाया-

“छोट छोट जोबना दाब0 म0 मजा द0 य,


अरे ननद& हमार& अरे बहना तु5हार& चोदे म0 मजा दे य…”

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