कण कण में समाये हो, घट घट में छाये हो । हो आकाश से भी व्यपाक, नर रूप आये हो । । किरपा पे भरोसा है, एक दिन तुम आओगे । हो व्यासपीठ आसीन, सत्संग सुनाओगे । । क्यो रूठे हो हमसे, हम तेरे बच्चे है । जैसे भी हैं तेरे ही हैं, झूठे या सच्चे है । । हम भूल भटके हैं, नश्वर ही में अटके है । ना जाने किन किन माताओं के गर्भ में उल्टे लटके है । । आ जाओ हमे बचाओ, भवबन्ध से मुक्त कराओ । तुम्हें हम कै से पुकारें , हम हैं तेरे सहारे । वो ब्रह्म को छू ती वाणी, करुणा से युक्त सुनाओ । । आ जाओ अब गुरुवार , तुम्हरी राह निहारे । । श्री लीलाशाह जी की वो मिठाई, जो तुमने तो पूरी खायी । श्रद्धा है भरोसा है इक दिन तुम आओ गे । हमको बस झलक दिखायी, फिर क्यो छु प गए जाकर साई । । जिज्ञासु भक्तों को सत्संग सुनाओ गे । । वो जेल नही जग में, जो तुमको बांध सके । त्रिलोकी में कौन है जो, तेरी आज्ञा लांघ सके । । सत राह , भूलकर , नश्वर में अटके हैं । फिर भी बंधते हो तुम, ये समझ न पाए हम । मैं मेरे के , चक्कर में , गर्भों में फँ सते हैं । । कै से समझे हम, अज्ञान में रहते हम । । सर्वेश्वर , विश्वेश्वर , तुम्ही हो सर्वाधार । हो निराकार फिर भी, आकार लिया तुमने । हे अनंत , अन्तरयामी , करते हैं तुम्हें प्रणाम । । विदेही होकर भी, देह धार लिया तुमने । । जैसे भी हैं , तेरे ही हैं , झूठे हैं या सच्चे । तुम व्यापक हो इतने, नही दूर कभी हमसे । क्यों रूठे हो , हमसे बापू , हम हैं तेरे बच्चे । । आंखों से ओझल हो, पर दूर नही मन से । । ओ .... हम शरणागतों को , सत मारग दिखाओ गे । तेरी ही करुणा से तो हम भजन ये गाते है । जिज्ञासु भक्तों को .......... । । तेरी करुणा से ही तो हम तुझे मानते है । । श्रद्धा है भरोसा है......... । समता में आप बिराजे, ममता से दूर हो तुम । जिज्ञासु भक्तों को .......... । श्रद्धा है भरोसा है......... । है आत्म नशा छाया, आनंद भरपूर हो तुम । । ब्रह्म तुम्हीं हो, ब्रह्म वही हो, ब्रह्म ही ब्रह्म में खेल रहा । दूर कहाँ है कोई किसी से, रब से रब का मेल यहाँ । । हो निराकार , बन साकार , आए हो धरती पर । तन से तन की दूरी तो, सभव है इस जग में । आत्म मस्ती , समता में , बैठे हो गुरुवर । । दूर कहाँ है कोई किसी से, सब रब ही तो है रब में । । ज्ञान सुनें , ध्यान धरें , आयें गुरु के द्वारे । दूर कहाँ हो बापू हमसे, हर पल साथ हमारे हो । राग द्वेष , ब्यापे नहीं , निरंजन निहारे । । दे दो हमको अमिय दृष्टि, हर पल तेरे नज़ारे हों । । दे दो हमको , अमिय द्रष्टि , समता हो प्यारी । दे दो हमको समता प्यारी दूर हो अहंता ममता सारी । हर पल देखें , तेरे नज़ारे , हे धीरज धारी । । ओ .... तुम सी हो निष्ठा बापू , (कोई) युक्ति बताओ गे । राग द्वेष से दूर रहे हम, आत्म नशे में चूर रहे हम । । जिज्ञासु भक्तों को .......... । । गुरुवर की महिमा को जानें, गुरुवर की आज्ञा को मानें । श्रद्धा है भरोसा है......... । उपयोगी उद्योगी होकर, सेवा करें अहम को खोकर । । जिज्ञासु भक्तों को .......... । श्रद्धा है भरोसा है......... । हम ऐसा जीवन दिव्य बनाएं । कि हम जहाँ कहीं भी जाएं । । तर्ज – पियवा से पाहिले हमार रहलू ...... लोग कहें ये बापू के चेले । बापू वो जो ब्रह्म से खेले । ।