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कोहरे की चादर ने मानो हर चीज को ठक रखा हो कि चांद की रोशनी और घने कोहरे से रात में
ठं डी हवा के झोंके | सुबह होने में अभी कु छ वक्त बाकी था साथ वाली सड़क से जं गल के किनारे
ओक के पेड़ के नीचे सर से पैर तक सफे द रं ग के सूती कपड़ों में लिपटी एक डेड बॉडी पडी है ,
उसके सीने पर एक लकड़ी का क्रॉस रखा था लाश के पास ही सड़क पर बैठे दो किसान लाश
का पहरा दे रहे हैं | उनमें से एक लं बा छोटी उम्र का लड़का है जिसकी काली घनी आई ब्रोज और
बेहद पतली मुछे हैं, उसने बाघ के जूते पहने हैं और बदन पर फटी-पुरानी भेड़ की खाल लपेट
रखी है |
वह टांगें फै लाए मजे से गीली घास पर बैठा है | वह अपनी लं बी गर्दन झुकाता है और एक गहरी
सांस लेता है और दूसरा किसान सुखी हड्डीवाला मरियल-सा बूढ़ा उसके फे स पर पतली मूं छे
अपने दोनों हाथ घुटनों पर रखें वह जलती हुई आग को देखे जा रहा था कैं प फायर की रोशनी में
दोनों के चेहरेलाल हो गए हैं | वह दोनों चुपचाप बैठे के सन्नाटे के बीच बस एक ही आवाज सुनाई
सो मत जाना सोमा यह यं ग मैन ने बूढ़े से कहां - कौन मैं, मैं तो नहीं सो रहा, बकरे जैसी दाढ़ी
कोई बात नहीं यहां अके ले बैठने में डर लगता है, तुम कु छ बात करो सोमा, बड़े अजीब आदमी हो
तुम कोई और होता तो हं सी मजाक करता या कहानियां सुनाता या गाने गाता पर तुम, तुम जैसा
तो कोई नहीं होगा , यहां ऐसे बैठे हो जैसे खेत में कोई पुतला हो |
तुमसे ढं ग से बोला भी नहीं जाता जब बोलते हो तो लगता है डरा रहे हो | 50 साल के बुड्ढे हो गए
पर अक्ल बच्चों जैसी है कि तुम्हें बुरा नहीं लगता कि तुम इतने गवार हो | आय ऍम सॉरी मैं
और तुम ये बात समझ लो कि तुम्हारी बेवकू फी देखकर हम भी शर्मिंदा हैं वैसे तुम् एक सीधे
साधे किसान हो दिल के भी साफ हो, पर तुम्हारी एक ही प्रॉब्लम है तुम अक्ल से जरा पैदल हो |
कभी थोड़ा दिमाग से भी काम लो माना कि ऊपर वाले ने तुम्हें बुद्धि नहीं दी पर तुम खुद से भी
तो कभी कु छ एफर्ट किया करो सोमा | जब कोई सही सलाह दे तो अच्छे से कान खोलकर सुन
आयी बात समझ में ! थोड़ा एफर्ट करो अगर दिमाग नहीं घिसोगे तो मरते दम तक गं वार के
गं वार रहोगे |
तभी अचानक जं गल से एक लं बी दर्द भरी कराहने की आवाज़ आती है, पत्तियों के बीच कु छ
खड़खड़ाहट होती है जैसे कोई पेड़ के ऊपर से नीचे गिरा हो | और उसके बाद लगा जैसे कोई जोर
से पुकार रहा हो | यं ग मैन चौंककर बूढ़े की तरफ देखता है, लगता है कोई उल्लू छोटी चिड़िया का
पर क्यों सोमा इस टाइम तक तो सारी चिड़िया गर्म जगहों में उड़कर चली जाती है | मुझे नहीं
पता क्या है , आज कल सुबह बड़ी सर्दी होती है इतनी ठं ड पड़ रही है | बगुला बड़ा नाज़ूक पं छी हैं
मैं बगुला नहीं हु पर ठं ड से जैम गया हूँ | आग में थोड़ी और लकड़ियां डालो न | सोमा उठ कर
झाड़ियों के पीछे चला जाता है, वो आग में डालने के लिए सूखी लकड़ियां इकट्ठा कर रहा था |
काफी नर्वस लग रहा था बकरी दाढ़ी वाला बुढ़वा पहले की तरह चुप-चाप बैठा की तरफ देखता
रहा है रात के सन्नाटे को चीरती एक भारी आवाज़ गूं जी किसी के धीरे से चलने की आवाज
रोशनी में एक आदमी अपने कं धों पर थैला रखे उनके सामने आकर खड़ा हो गया था तो उस
आदमी ने अपनी भारी आवाज में हुआ था मैंने दूर से यहां पर आप जलती हुई देखी तो बड़ा खुश
हुआ पहले मुझे लगा कि कोईआदमी अपने घोड़े चढ़ाने लाया है फिर मुझे लगा नहीं ऐसा नहीं है
क्योंकि कोई घोड़ा तो नजर ही नहीं आ रहा था मैंने सोचा कोई चोर तो नहीं बैठे क्या पता किसी
अमीर आदमी को लूटने का इं तजार कर रहे हो अरे वही जिप्सी लोग जो अपने देवताओं को
कु र्बानी चढ़ाते हैं और यह खयाल आते ही मैं खुशी से उछल पा मैंने खुद से कहा जाओ मोदी जी
गॉड के सर्वेंट जाओ और मैं सीधा शहीद होने यहां गया जैसे कोई कीड़ा में खुद जलने आता है हैं
और अब मैं तुम्हारे सामने यहां खड़ा हूं पर तुम्हारी शक्ल सूरत देखकर तो नहीं लगता कि तुम
दोनों चोर हो और ना ही कोईडाकू लुटेरे भगवान तुम्हारा भला करें तो फोटो गुड इवनिंग दोनों
एक साथ हुआ था इं सानों क्या तुम यह बताओ कि यहां से कि कै से जा सकते हैं यह तुम रोड पर
चले लू चलने के बाद हमारा गांव अनोवा तो फिर वहां से नदी के किनारे पहुं चकर और तुलसी के
पास से दो मील की दूरी पर भगवान तुम्हें सुखी रखें लेकिन तुम लोग यहां क्यों बैठे हो उस
आदमी ने पूछा हम यहां बैठकर की रखवाली कर रहे हैं यह देखिए इधर पर है लुट क्या बोला
तुमने डेड बॉडी होली मदर आदमी हैरानी से चिल्लाकर बोला उसने देखा सफे द कपड़े से ठगी हुई
एक लाश पड़ी है जिसके ऊपर एक क्रॉस रखा है अचानक अपनेसामने एक लाश पड़ी देखकर
उस आदमी की हालत खराब हो गई डर के मारे उसके घुटने कांपने लगे उसका मुं ह खुला का
खुला रह गया और पलक झपकाए बिना बुलाए की तरफ देखे जा रहा था ऐसा लग रहा था जैसे
उसके पैर वहीं ज़मीन में गाड़ करें करीब 2 से 3 मिनट तक वह इस हालत में खड़ा रहा फिर धीरे से
बड़बड़ाने लगा ओ लॉर्ड हरी मधुर मैं तो चुपचाप अपने रास्ते पर जा रहा था अचानक यह सब
क्या हो गया वैसे तुम कौन हो चर्च के पादरी यं ग मैंने पूछा कि नो अब मैं तो एक मनुष्य इसे दूसरी
मोनेस्ट्री घूमता रहता हूं तुम जानते हो मीबुद महल पहले कार्तिक को ब्रेड का फॉरमैन वेल मैं उसी
का भतीजा हूं तो गॉड अब पर तुम यहां क्यों रूठे हो हम्म रखवाली कर रहे हैं हमें करने को बोला
गया है अच्छा अच्छा हां यह वाला आदमी अपनी आं खों पर हाथ रखते हुए अब और यह
किसकी है एक बेचारा अब पर मैं का यहां से चलो भाइयों मुझे घबराहट हो रही है मुर्दों से बड़ा डर
है तो उसकी रखवाली ऐसे हो रही है जैसे यह कोई फे मस जनरल लिए अभिशप्त हो क्या
किस्मत है बेचारे की वैसे क्या हुआ था इसके साथ इसे किसी ने मारा था या भगवान जाने क्या
पता किसी ने खून किया था याशायद खुद मरा हो हां अब कौन जाने भाइयों क्या मालूम अब
तक उसकी आत्मा स्वर्ग पहुं च चुकी हो उसकी आत्मा अभी भी बॉडी के पास है यह मैंने बोला
तीन दिनों से आत्मा लाश के पास भटक रही है अच्छा बड़ी ठं डी रात है भाई दांत बज रहे हैं अच्छा
तो दोस्तों मैं चलता हूं हां सीधा इसी रास्ते पर जब तक तुम गांव पहुं च जाओ है और फिर रिवर
बैंक से राइट हां लेना मत भूलना हां रिवर बैंक से पका तो फिर मैं अब तक यहां पर खड़ा हूं मुझे
चलना चाहिए दोस्तों बाय-बाय दोस्तों लं बी चोटी वाला आदमी सड़क पर पहुं चा पर पांच कदम
चलने के बाद अचानक रुक गया कि मैं इसे दफनाने के लिए पैसे रखना भूलगया अब भले
इं सानों तुम्हें पैसे दूं क्या तुम्हें पता होगा आ तुम बेहतर जानते हो क्योंकि तुम तो मॉनेस्ट्रीज घूमते
रहते हो अगर वह चमर है तो उसकी आत्मा को शांति मिलेगी और अगर उसने सुसाइड किया है
तो यह पाप है सही कहा तुमने ब्रदर और हो सकता है कि इस ने सुसाइड किया हो इसलिए मैं
अपने पैरों को अपने पास ही रखता हूं कोई मुझे ₹1000 दे भी तो मैं यहां नहीं रुकने वाला तब
अलविदा भाइयों लं बे-चौड़े वाला धीरे-धीरे वहां से चला गया फिर अचानक दोबारा रुख किया
मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं वह बढ़ाया मैं यहां आपके पास बैठकर सुबह होने का वेट
करूं या फिरअपने रास्ते जाऊं मुझे तो डर भी लग रहा है बड़ी डरावनी रात है इस आदमी का भूत
मुझे अं धेरे में डराता रहेगा मैं तीन सौ मील पैदल चलकर आया हूं पर कु छ नहीं हुआ था और जब
घर पहुं चने वाला हूं तो यह मुसीबत आ गई अब मैं आगे नहीं जा सकता और यह बात तो सच है
कि फिर बड़ा डरावना मौज है यह देखो मुझे किसी से डर नहीं लगता न भाइयों से न चोरों से और
ना ही अं धेरे से पर मुर्दों से बरा डर लगता है भले इं सानों मैं तुम्हारे पैर पड़ता हूं मुझे मेरे गांव पहुं चा
दो कोई नहीं देख रहा यह तुम्हें मेरी कसम है किसी को पता नहीं चलेगा आज तो मेरी हेल्प करोगे
तो गौतुम्हारी दस गुना ज्यादा हेल्प करेगा ओल्ड मैन मेरे साथ और मैं भीख मांगता हूं बोलो तुम
चुप क्यों हो अरे यह क्या बोले का यह बड़ा सीधा सा आदमी है मैंने कहा वो तो तुम आ जाओ मेरे
साथ मेरे दोस्त मैं तुम्हें ₹5000 दूं गा कि ₹5000 के लिए तो शायद मैं आ जाऊं यं ग मैंने अपना
सिर खुजाते हुए बोला अ फोन पर मुझे मना किया गया है अगर हमारा सीधा सादा जो मैं यहां
पर अके ला रुक जाए तो मैं तुम्हें गांव छोड़ने आ सकता हूं जो मावा क्या तुम यहां कै से रोकोगे हां
ठीक है रुक जाऊं गा सीधे सदस्यों ने जवाब दिया ठीक है तो तुम मेरे साथ चलो वाले खड़ा
हुआऔर उसके साथ कु छ देर तक उनके बोलने और चलने की आवाज़ आती रही फिर धीरे-
पड़ती चली गई तब एक बड़ी सी काली परछाई डेड बॉडी के ऊपर की ओर कि अब पैन में आप
अपने आपके लिए मिस्ट्री छोड़ दिया कि आगे क्या हुआ का यह मनुष्य को मार देगा आइटम
उन्हें यं ग मैन को उम्मीद करते हैं यह आपको जरूर पसं द आई होगी क्योंकि ओपन एं ड टू र्स हमें
Hello Dosto,
Aaj hum sunenge author Anton Chekhov dwara likhi स्टोरी द डेड बॉडी
Anton Chekhov की स्टोरी द डेड बॉडी एक अगस्त की एक सुनसान रात को दूर खेतों के ऊपर
कोहरे की चादर ने मानो हर चीज को ठक रखा हो कि चांद की रोशनी और घने कोहरे से रात में
एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी
ओक के पेड़ के नीचे डेड बॉडी एक सफे द कपड़े में लिपटी हुई है और उसके सीने पर एक लकड़ी
युवा आदमी बूढ़े आदमी को डांट रहा है क्योंकि वह बहुत अजीब है। वह बात नहीं करता है, वह
हमेशा डरता हुआ रहता है, और वह कभी भी दिमाग से काम नहीं करता है। बूढ़ा आदमी माफी
मांगता है और कहता है कि वह अपनी बेवकू फी के लिए शर्मिंदा है।
अचानक, जं गल से एक लं बी दर्द भरी कराहने की आवाज आती है। किसान चौंक जाते हैं और
आग में और लकड़ियां डाल देते हैं।
थोड़ी देर बाद, एक लं बा-चौड़ा आदमी, जो एक पादरी है, रास्ते पर आता है। वह किसानों से
पूछता है कि वे वहां क्या कर रहे हैं। किसान उसे बताते हैं कि वे डेड बॉडी का पहरा दे रहे हैं।
पादरी को डेड बॉडी देखकर डर लग जाता है। वह किसानों से कहता है कि वह मुर्दों से बहुत डरता
है। वह किसानों से कहता है कि वह उन्हें ₹5000 देगा अगर वे उसे अपने गांव छोड़ देंगे।
युवा किसान मना करता है क्योंकि उसे फोन पर मना किया गया है। लेकिन बूढ़ा किसान सहमत
हो जाता है और पादरी के साथ चल देता है।
युवा किसान अके ला रह जाता है। वह सोने की कोशिश करता है, लेकिन वह डर जाता है। वह
आग में लकड़ियां डालता रहता है और आसपास की आवाजों को सुनता रहता है।
अचानक, वह एक बड़ी काली परछाई देखता है जो डेड बॉडी की ओर बढ़ रही है। कहानी यहीं
समाप्त हो जाती है, और यह एक रहस्य छोड़ देती है कि क्या होगा।
● डर: कहानी में डर एक प्रमुख थीम है। बूढ़ा किसान मुर्दों से बहुत डरता है, और युवा
किसान भी डरता है, लेकिन वह इसे दिखाने से डरता है।
● अं धेरा: अं धेरा भी एक प्रमुख थीम है। कहानी एक अं धेरी रात में होती है, और यह अं धेरा
डर और रहस्य को बढ़ाता है।
● ईमानदारी: कहानी ईमानदारी की भी बात करती है। बूढ़ा किसान अपनी बेवकू फी के
लिए ईमानदार है, और वह अपनी गलतियों को सुधारने की कोशिश करता है।
कहानी का अं त
कहानी का अं त खुला हुआ है, और यह पाठक पर निर्भर है कि वे क्या सोचते हैं कि आगे क्या
होगा। कु छ पाठक सोच सकते हैं कि काली परछाई डेड बॉडी की आत्मा है, और यह बूढ़े किसान
को मार देगी। अन्य पाठक सोच सकते हैं कि यह कोई और है, जैसे कि एक हत्यारा या एक भूत।
कहानी का अं त पाठक को सोचने पर मजबूर करता है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में
बहुत कु छ अनिश्चित है, और हम कभी नहीं जान सकते कि आगे क्या होगा।