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Dimostration in Metallic Alchemy - KAARYA SIDDHI SADHNA
Dimostration in Metallic Alchemy - KAARYA SIDDHI SADHNA
Dimostration in Metallic Alchemy - KAARYA SIDDHI SADHNA
dimostration
in metallic
alchemy
LABELS
AATM CHETNA (2)
AATMVISHVAS PRAPTI VIDHAAN (3)
AAVAHAN (44)
AGHOR (4)
ALCHEMY (3)
ANNAPOORNA DEVI (1)
APSARA (17)
AYURVED (8)
BHAIRAV SADHNA (6)
BHAY MUKTI SADHNA (10)
bhoot-pret (5)
BINDU SADHNA (3)
CHAKRA SADHNA (16)
DATTATREY SADHNA (1)
DHAN PRADAYAK SADHNA (24)
One of the mast important bases for predicting the nature of life dhumavati sadhna (1)
spent by person is his personality. From our birth till our death, DHYAN VA SAMADHI (1)
basis of all our activities is our personality. Although word DREAMS (2)
personality is small but its meaning is very vast and it influences GANPATI SADHNA (10)
each and every aspect of our life. Emotional and behavioral GARBHASTH SHISHU CHETNA (2)
procedures inside us constitute our personality. Undoubtedly, GRAH DOSH NIVARAK (9)
person having great personality can attain more and more success GRAHSTH SUKH (1)
in life. On the other hand, negative personality i.e. person having GURU SADHNA (39)
inferiority complex can’t taste that much success in life. HOSPITAL WORK (4)
INFORMATION (3)
If we pay attention, we can say that our mental thoughts and JOB (1)
reaction to our thoughts decides the success or failure of all our KAAL GYAN (11)
works. Definitely, positive and negative thoughts of our mind KAARYA SIDDHI SADHNA (52)
influence our body and work done by our body with definite KHOYE VYAKTI KO BULANE KA PRAYOG
energy. More negative energy accumulates inside us, more (1)
negatively it will affect our personality. During stress/ depression LAGHU PRAYOG (13)
we are not able to carry out work proficiently. Similarly, due to LAKSHMI SADHNA (29)
In this manner, it is completely beneficial procedure for all of us. SAABAR SADHNA (1)
Though it is one day process but sadhak can do this process for as SABAR SADHNA (28)
SADGURUDEV (1)
many days depending upon his capability and condition.
SAFALTA (1)
Sadhak can start this sadhna on any auspicious day. It can be done SAMMOHAN SADHNA (10)
anytime in morning or night. SANGEET (2)
SARASWATI SADHNA (8)
Sadhak should take bath, wear white dress and sit on white aasan SAUBHAGYA DAYAK SADHNA (9)
facing east direction. SEMINAAR (27)
SHAKTI SADHNA (26)
First of all, sadhak should perform Guru Poojan and pray to
SHAMSHAN (2)
Sadgurudev for success in sadhna. SHAP DOSH NIVARAK (3)
SHATRU PAR VIJAY SADHNA (8)
Sadhak should make above yantra on a Bhoj Patra or white paper
SHIV SADHNA (14)
with Tri-Gandh (Kesar, Vermillion and Camphor). Sadhak can use
SHRI HANUMANT EVAM SHRI RAAM
any pencil. Pencil of pomegranate is best. SADHNA (2)
SHRI HANUMANT SADHNA (6)
Sadhak should establish the yantra in front of him and offer rice,
SHRI KRISHNA SADHNA (3)
flowers etc. Sadhak should light oil-lamp during Poojan.
SIDDHASHRAM SADHNA (2)
Thereafter, sadhak should perform Ganesh Poojan and do Nyas. SOOKSHM SHAREER (6)
SOORYA YA AGNI (2)
KAR NYAS SOUNDARYA (7)
AING KLEEM SHREEM ANGUSHTHAABHYAAM NAMAH STROT PRAYOG (1)
AING KLEEM SHREEM TARJANIBHYAAM NAMAH surya vigyan (4)
AING KLEEM SHREEM MADHYMABHYAAM NAMAH SWAPN SIDDHI (2)
AING KLEEM SHREEM ANAAMIKAABHYAAM NAMAH SWAR VIGYAN (1)
should not be immersed. It can be used for chanting in future YAKSHINI SADHNA (30)
कोई भी व्यक्ति के जीवन किस प्रकार से आगे बीतेगा उसका एक अति महत्वपूर्ण
आधार उसका व्यक्तित्व है. हमारे जन्म से ले कर हमारी मृत्यु तक हमारे सारे क्रिया SUBSCRIBE VIA E-MAIL
कलापों का एक बड़ा आधार हमारा ही व्यक्तित्व होता है, वस्तुतः व्यक्तित्व शब्द Posts
भले ही छोटा हो लेकिन इसका वृहद वृत्तांत हो सकता है जो की हर एक व्यक्ति के All Comments
जीवन में महद रूप से सभी कार्यमें असरकरता है. हमारे अंदर की भावनात्मक एवं
व्यवहारात्मक प्रक्रिया को ही हमारा व्यक्तित्व कहते है. निःसंदेह एक उच्चतम
व्यक्तित्व का धनि व्यक्ति जीवन में ज्यादा से ज्यादा सफलता की प्राप्ति कर सकता TA-TVAM-ASI
है, वहीँ दूसरी तरफ नकारात्मक व्यक्तित्व अर्थात अपने मानस में हिन् भावनाओं
को ले कर चलने वाले व्यक्तित्व पूर्ण व्यक्ति अपने जीवन में सफलता का उतना
स्वाद नहीं ले पाते है.
Asti-tva
देखा जाए तो हमारे मानस के विचार एवं विचार पर होने वाली प्रतिक्रिया ही
हमारे सारे कार्यों की सफलता या असफलता का निर्धारण करती है क्यों की कहीं न POPULAR POSTS
कहीं सकारात्मक एवं नकारात्मक विचारों का असर हमारे मस्तिस्क से हमारे (कु छ अनुभूत टोटके )KUCHH
शरीर एवं शरीर से हमारे कार्यों के ऊपर एक निश्चित ऊर्जा का आघात तो करता ANUBHOOT TOTKE
ही है. हमारे अंदर जितनी ही ज्यादा नकारात्मक उर्जा का संग्रह होगा उतना ही कौऐ का एक एक पूरा काला पंख
कही से मिल जाए जो अपने आप ही
हमारे व्यक्तित्व के ऊपर उसका नकारात्मक प्रभाव होगा. हम तनाव में रहें या निकला हो उसे “ॐ काकभूशुंडी
अवसाद से घिरे रहें तो निश्चय ही हमारे कार्य योग्य रूप से नहीं होते, वहीँ कई नमः सर्वजन मोहय मोहय वश्य वश्य कु रु कु रु
स्वाहा” इस मंत्...
बार आत्मविश्वास की कमी के कारण भी कई प्रकार के कार्य हम कर नहीं पाते है.
अद्भुत टोटका तंत्र (AMAZING
प्रस्तुत साधना प्रयोग व्यक्तित्व के विकास के सन्दर्भ में है जहां पर साधना के TOTKA TANTRA)
पंच तत्व अपने आप मे ही महत्वपूर्ण
माध्यम से नकारात्मक उर्जा को दूर कर हमारे अंदर स्पष्ट एवं पूर्ण उर्जा को भरा है और यह हमारे आसपास किसी न
जा सके . यह साधना यूँ तो सभी साधको के लिए उपयोगी ही है क्यों की इस किसी रूप मे होते ही है. अतः इन
तत्वों की अवलेहना भी कई बार विविध स्वास्थ्य
साधना से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते है जो की न सिर्फ भौतिक परन्तु सबं...
अध्यात्मिक जीवन के लिए भी आवश्यक है.
आकस्मिक धन प्राप्ति साधना -
AKASMIK DHAN PRAPTI
साधक के अंदर ही हिन् भावना का शमन होता है फल स्वरुप उसे जीवन सबंधित SADHNA
नयी द्रष्टि की प्राप्ति होती है तथा जीवन को पूर्ण रूप से जीने की एक उमंग व्याप्त जीवनकाल मे व्यक्ति को अपनी
इच्छाओ की पूर्ति तथा योग्य रूप से
होती है. जीवन निर्वाह करने के लिए कितने ही कष्ट उठाने
पड़ते है. कितने समय तक परिश्र...
साधक के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है फल स्वरुप उसे हमेशा प्रगतिमय रहने के अमोघ शिव गोरख प्रयोग
लिए आतंरिक प्रेरणा मिलती रहती है. (AMOGH SHIV GORAKH
PRAYOG)
भगवान शिव का वर्णन करना भी
कई साधक भाई बहेनो को संकोच की समस्या होती है, इसी कारण उनका क्या संभव है. एक तरफ वह भोलेपन
व्यक्तित्व उभर कर सब के मध्य नहीं आ पता है इस साधना से साधक के अंदर के की सर्व उच्चावस्था मे रह कर भोलेनाथ के रूप मे
पूजित है वही दू सरी और महाकाल के रूम...
संकोच आदि से धीरे धीरे मुक्ति मिलती है.
HANUMAAN CHALISA KA EK
इस प्रकार यह प्रयोग सभी के लिए एक पूर्ण लाभदायक प्रयोग है. यूँ तो यह एक VISHISHTH PRAYOG
“Sankat Kate Mite Sab Peera
दिवसीय प्रयोग है लेकिन साधक इसको अपने सामर्थ्य अनुसार एवं अपनी स्थिति Jo Sumire Hanumant
के अनुसार जितने दिन करना चाहे कर सकता है. Balbeera” Stotra holds an
important place in both Indian Aagam and
Nigam. Norm...
यह साधना साधक किसी भी शुभ दिन शुरू कर सकता है. साधक यह विधान दिन
या रात्रि के किसी भी समय में कर सकता है. सम्मोहन तंत्र
जीवन में सफलता पाने की चाह किसे नही होती, पर
क्या सफलता इतने आसानी से मिल पति है , शायद
साधक को स्नान कर सफ़े द वस्त्र को धारण कर सफ़े द आसन पर बैठना चाहिए. नही न. आख़िर क्यूँ?????? सफलता की कीमत
क्या है !!! क...
साधक का मुख पूर्व दिशा की और हो.
KAAL TANTRA KI ADBHUT
सर्व प्रथम साधक गुरु पूजन सम्प्पन करे तथा सदगुरु से साधना में सफलता के लिए SADHNA -HAMZAAD SIDDHI
उस खँडहर तक पँहुचते पँहुचते
आशीर्वाद प्राप्त करे. शाम ही हो गयी थी . यहाँ मैं हसद
बक्स से मिलने आया था. सदगुरुदेव
साधक सर्व प्रथम एक भोजपत्र पे या सफ़े द कागज़ पे त्रिगंध से (के सर, कु मकु म, जब सन्यस्त जीवन में थे तो हसद बक्स...
कपूर) उपरोक्त यंत्र का निर्माण करे. साधक किसी भी कलम का प्रयोग कर सकता Tantra Darshan -Hidden secreat of Siddha
है. अनार की कलम श्रेष्ठ है. kunjika Stotram(Parad tantra and Durga
saptsati)
इस यंत्र को साधक अपने सामने स्थापित करे तथा अक्षत, पुष्प आदि समर्पित करे. Dear friends, before revealing
the some of the secreat of this
पूजन में साधक को तेल का दीपक प्रज्वालित्त करना चाहिए. great stotram, I would like to
share with you all ,a little mine
experience, ...
इसके बाद साधक गणेश पूजन आदि सम्प्पन कर न्यास करे.
Simplest Sabar mantra very
करन्यास important inthe time of real
need
in mine previous post. The
ऐं क्लीं श्रीं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः photograph was.. oops ..even
ऐं क्लीं श्रीं तर्जनीभ्यां नमः I shocked to see that.. ha ha . is there any
one, who still like my way of writi...
ऐं क्लीं श्रीं मध्यमाभ्यां नमः
ऐं क्लीं श्रीं अनामिकाभ्यां नमः तंत्र और प्रेत सिद्धि (TANTRA
AUR PRET SIDDHI)
ऐं क्लीं श्रीं कनिष्टकाभ्यां नमः Field of tantra is full of
ऐं क्लीं श्रीं करतल करपृष्ठाभ्यां नमः limitless possibilities ……
There is nothing within it
which we can ignore by saying it as
हृदयादिन्यास impossible. V...
न्यास के बाद साधक निम्न मन्त्र का जाप करे. साधक को २१ माला मन्त्र का जाप
करना है.
ॐ ऐं ऐं क्लीं क्लीं श्रीं श्रीं नमः
(OM AING AING KLEEM KLEEM SHREEM SHREEM NAMAH) Unfollow
साधक को यह जाप स्फटिक माला से करना चाहिए. अगर साधक के पास स्फटिक ABHI TAK KE CONTRIBUTORS
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माला उपलब्ध न हो तो साधक रुद्राक्ष माला से या कर माला से यह मन्त्र जाप Nikhil
करे. ▼ 2021 (1)
Unknown
▼ September
इस प्रकार यह एक दिवसीय प्रयोग पूर्ण होता है. साधक ने जिस यंत्र का निर्माण (1)
किया है उसे पूजा स्थान में स्थापित कर दे. माला का विसर्जन नहीं करना है, यह ऑनलाइन
माला आगे भी साधनाओ में मन्त्र जाप के लिए उपयोग की जा सकती है. कार्यशाला
(workshop)
****NPRU****
► 2020 (3)
► 2018 (7)
► 2017 (8)
Posted by Nikhil at 12:14 PM No comments:
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Labels: AATM CHETNA, AATMVISHVAS PRAPTI VIDHAAN, KAARYA SIDDHI SADHNA
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► 2014 (10)
► 2013 (100)
► 2012 (266)
► 2011 (220)
► 2010 (114)
► 2009 (41)
► 2008 (17)
OM HREENG HOOM OM
After completion of chanting, sadhak has to offer 108 oblations of
pure ghee in fire. If sadhak can’t do this procedure at home, he can
do it in ant Shiva temple. Sadhak should use wood of Bilv tree as
Samidha in oblation. It is easily available. If it is not available in
sufficient quantity then sadhak should keep one piece of wood of
Bilv tree along with wooden blocks of other tress and perform
oblation.
In this manner, this procedure is completed within one night. If
sadhak wants, he can repeat this procedure for 3 or 7 days. Sadhak
gets success in his future endeavours.
भगवान शिव और तंत्र में कोई भेद ही कहाँ है. ६४ तन्त्रो की उत्पत्ति ही भगवान शिव से
मानी गई है. जो सभी देवताओं के भी जो आराध्य है वह भगवान शिव आदि काल से
विश्व के कई कई प्रदेशो में इष्ट रूप में पूजित रहे है, वस्तुतः अति गुढ़ रूप में उनका
प्रतिक चिन्ह शिवलिंग के स्वरुप में विश्व के सभी प्रमुख प्रदेश में उपासना का विषय रहा
है. और इसी शिवलिंग के संदभ में विविध ग्रन्थ एवं तंत्र मत्त में कहा गया है की शिवलिंग
की उपासना से व्यक्ति कु छ भी प्राप्त करने के लिए योग्य हो जाता है तथा भगवान शिव
की उपासना अति शीघ्र फल दायक भी है क्यों की भोलेनाथ अपने साधको की पुकार को
अति शीघ्र सुन लेते है यह तथ्य तो हर कोई जानता ही है.
शिवलिंग के विविध प्रकार तंत्र शास्त्रों में बताए गए है उनमे पारद शिवलिंग का महत्त्व
सब से अधिक है क्यों की यह शिव सत्व शिव की प्रतिकृ ति ही है. रस विज्ञान एवं रस तंत्र
अर्थात पारद विद्या हमारे देश की एक महान विद्या रही है जिसे तन्त्रो में भी अंतिम तंत्र
कहा गया है और इसी पारद तंत्र क्षेत्र की मुख्य उपासना तो पारद शिवलिंग ही रहा है.
यही शिवलिंग ही तो मुख्य सिद्धि एवं ज्ञान का कारक होता है. अगर पूर्ण तंत्रोक्त विधान
से निर्मित विशुद्ध शिवलिंग हो तो व्यक्ति को निश्चय ही कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते है
यह शास्त्र सम्मत है तथा रसाचार्यो का भी यही मत्त है. प्राचीन एवं अर्वाचीन सिद्धो ने
इस दुर्लभ लिंग की महत्ता को निर्विवादित रूप से स्वीकार किया है. तंत्र मत्त के अनुसार
जो पारद व्यक्ति को मृत्यु के मुख के वापस ले आने की सामर्थ्य रखता है क्या वह पारद
हमें हमारी समस्याओ से मुक्ति नहीं दिला सकता? निश्चय ही भोग तथा मोक्ष दोनों
समस्याओ के निराकरण के लिए यह रस लिंग सर्व समर्थ है. तथा इसी रस लिंग से
सबंधित कई कई तांत्रिक विधान सिद्धों के मध्य प्रचलित है. प्रस्तुत प्रयोग भी उसी क्रम
का एक प्रयोग है जिसे पारद शिवलिंग पर सम्प्पन किया जाता है. यह प्रयोग सभी
साधको के लिए सहज है. वस्तुतः यह प्रयोग साधक को दोनों पक्षों में उन्नति प्रदान कर
सकता है. कार्य सिद्धि का अर्थ कोई एक विशेष कार्य से न हो कर साधक के जीवन की
प्रगति के सबंध में है. अगर साधक को परिश्रम करने पर भी उचित परिणाम की प्राप्ति
नहीं होती हो, व्यापार आदि में समस्या हो रही हो, या फिर घर परिवार में किसी न
किसी रूप से कोई समस्या बनी रहती हो तब यह प्रयोग साधक को करना संपन्न करना
चाहिए. अगर साधक का कोई कार्य है जिसको बार बार करने में समस्या आ रही हो या
अटक रहा हो तो उस बाधा का भी निराकरण होता है. इस प्रकार यह प्रयोग सभी
साधको के लिए महत्त्वपूर्ण है.
यह साधन साधक किसी भी सोमवार के दिन करे. साधक यह साधना सुबह के समय या
रात्री में ९ बजे के बाद करे.
साधक स्नान आदि से निवृत हो कर पीले वस्त्रों को धारण करे तथा पीले आसन पर बैठ
जाए.
साधक का मुख उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए. साधक को अपने सामने पीले रंग के
वस्त्र पर पारद शिवलिंग को स्थापित करे. साधक को सदगुरुदेव एवं शिवलिंग का पूजन
करना है, इस पूजन में साधक को पीले रंग के पुष्प को समर्पित करना चाहिए तथा पीले
रंग की मिठाई या फल का भोग लगाना चाहिए. दीपक तेल का हो. साधक किसी भी तेल
का प्रयोग कर सकता है.
पूजन के बाद साधक पारदशिवलिंग पर त्राटक करते हुवे निम्न मन्त्र का २१ माला जाप
करे. यह जाप साधक पीले हकीक माला से या रुद्राक्ष की माला से सम्प्पन करे.
ॐ ह्रीं हूं ॐ
मन्त्र जाप पूर्ण हो जाने पर साधक को शुद्ध घी से १०८ आहुति अग्नि में समर्पित करनी
है. साधक अगर घर पर यह क्रम न कर सके तो किसी शिव मंदिर में भी यह क्रिया कर
सकता है. इस प्रयोग में आहुति की समिधा में बिल्व वृक्ष की लकड़ी का प्रयोग करे यह
आसानी से उपलब्ध हो जाती है अगर पर्याप्त मात्र में यह उपलब्ध न हो पाए तो साधक
को दूसरे वृक्ष की लकडियों के साथ एक टुकड़ा बिल्व वृक्ष की लकड़ी का रख कर हवन
सम्प्पन करे.
इस प्रकार एक ही रात्री में यह प्रयोग पूर्ण होता है. साधक अगर चाहे तो यही क्रम को ३
दिन या ७ दिन तक कर सकता है. साधक को भविष्य में अपने कार्यों में सफलता की
प्राप्ति होती है.
****NPRU****
Posted by Nikhil at 1:32 PM No comments:
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