Religion

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आर्य महिला पी. जी.

कॉलेज, चेतगंज, वाराासीी


Name: Kirti Pandey

Subject: Sociology

Course: M.A. 1st Year

Topic: Modernisation of Indian Tradition


भारतीय परम्परा का आधुनिकीकरण

प्रोफेीरा र्ोगेन्द्र हींि के अनुीारा भारातीर् ीमाज की परां पराा का आधुहनकीकरास मुख्य रूप ीे
हिहिश शाीन के पहिमी ींपकय का पररासाम रािा िै । हजीके फलस्वरूप र्िां की ींस्कृहत एवं
ीरां चना में पररावतयन हुए। इीके बाद भी र्ि ध्यान राखना जरूराी िै हक पहिमी ींपकय ीे उत्पन्न ीभी
पररावतयनों को आधुहनकीकरास निी किा जा ीकता िै ।भारातीर् परां परााओं का आधुहनकीकरास क्या
िै पारां परराक भारातीर् ीमाज में पररावतयन के प्रकृहत का ीाराां श कराने के हलए कुछ ीमाजशास्त्रीर्
ीामाहजक पररावतयन औरा आधुहनकरास के बीच का अध्यर्न कराे । िालां हक पारां परराक भारात में
ीामाहजक पररावतयन हुए। र्ि मूलतः पूवय आधुहनक प्रकृहत का था, एक पारां परराक ींस्था को दू ीराे द्वाराा
प्रहतस्थाहपत हकर्ा गर्ा औरा ीामाहजक व्यवस्था औरा ींस्कृहत में कोई भी ीामान निीं बदला गर्ा
ऐहतिाहीक रूप ीे भारात मे आधुहनकता हिहिश शाीन की स्थापना ीे शुरू हुईं औरा स्वतंत्रता के
बाद भी जाराी रािी। इन दोनो स्टे ज के बीच आधुहनकता की प्रकृहत औरा हदशा अलग अलग हदख
रािी िैं ।प्रारां भ मे हिहिशो के ीाथ ींपकय ीे एक आधुहनक उप- ींस्कृहत र्ा पहिमी करास की छोिी
परां पराा का हवकाी हवशेष रूप ीे ीत्रिवीं शताब्दी के दौराान बंगाल, मद्राी औरा बाम्बे में जिां
दु भाहषर्ो, व्यापाररार्ों, ीि - हबचौहलर्ों के एक छोिे ीमूि का हवकाी हुआ जो धीराे धीराे हवकहीत
िो रािे िैं । पहिमी हवद्यालर् ीे ीामाहजक करास हकर्ा गर्ा। इीके बाद ऐीे ींप्रदार् का भी उदर्
हुआ ,हजीमें पहिमी ीां स्कृहत ीां स्कृहतक औरा हशक्षा के पहिमी पिलु जैीे िह्म ीमाज, प्राथयना
ीमाज आहद) को शाहमल कराने परा जोरा हदर्ा गर्ा। रूह़िवाहदर्ों के हवरुद्ध भी धमय र्ुद्ध की प्रवृहत
एक ओरा र्े आन्दोलन औरा दू ीराी ओरा उन्नीीवीं ीदी के मध्य में हिहिश शक्ति की एकता ने अंततः
एक आधुहनकता वाली मिान पराम्पराा की स्थापना को जन्म हदर्ा |
आधुनिकीकरण

आधुहनकीकरास ीमाज में बडे पैमाने परा िोने वाले ीास्कृहतक, आहथयक, ीाहिक्तिक ीे जुडी हुई एक
प्रहकर्ा िै र्ि पारां परराक ीमाज के ीाथ - ीाथ अन्योन्यात्मक का प्रहतहनहधत्व कराता िै ।
आधुहनकीकरास एक प्रहिर्ा ीे पिले एक हवचारा िै । इीहलए इीके अथय औरा व्याख्या परा ीामाहजक
हीद्धां तो के बीच कोई ीिमहत निीं िै । आधुहनकता की अवधारासा हीद्धां त के माध्यम ीे पहिम दे शों,
ीमाजों का हवकाी कैीे हुआ इीकी व्याख्या के रूप में उभराी।
आधुहनकरास को ीम्भव बनाने के हलए कई ीामाहजक औरा रााजनीहतक पूवाय पेक्षाओ की पिचान की गई। इनमे
कुछ पूवाय पेक्षाए िैं :-
1. हशक्षा का ब़िा हुआ स्तरा
2. जनींचारा माध्यमो का हवकाी
3. ीुहवधाजनक परराविन औरा ींचारा
4. लोकतां हत्रक रााजनीहतक ींस्थाएं
5. अहधक शिरा औरा आबादी
6. धमय का मित्त्व, ीावयजहनक प्रभाव
7. श्रम का कां प्लेक्स हिवीजन
8. ीकल पररावारा परा हवस्तृत पररावारा का स्थान
9. ऐीे मनुष्ों को पूराा कराने के हलए पारां परराक आश्रमों के स्थान परा स्माराकों औरा ीेवाओं के हलए स्थान
हनधाय रास के हलए बाजारा हवकहीत हकर्ा गर्ा।
परम्परा
र्ोगेंद्र हींि के पारां परराक ीे लेकरा मूल्य हवषर्ो तक में आधुहनकरास की शुरुआत ीे पिले भारातीर् ीमाज
की ीम्पूसय ीमाहजक व्यवस्था को शाहमल हकर्ा गर्ा िै । र्े मूल्य हवषर् इं िैहलक्स, ीमानता, तिस्थता औरा
उत्कृष्ठता के हीद्धां त आर्ोहजत हकए गए थें।र्े चारा मूल्य हवषर् भारातीर् ीामाहजक ींराचना के अन्य तत्वों
के ीाथ गिरााई ीे जुडे हुए थे।
1. जाहत औरा उपजाहत -- जाहत औरा उपजाहत स्तराीकरास की व्यवस्था में अभ्यहथयर्ों का चर्न हकर्ा गर्ा
था र्ि प्रकृहत व्यवीाहर्क जीवन चि (आश्रम) औरा नैहतक धमय (धमय ) की हिन्दू हवचाराधाराा में भी था।
2. ीमग्रता का अथय ीमग्रता का अथय व्यक्ति औरा ीमूि के बीच का एक ीम्बद्ध िै , हजीमें ीमग्रता औरा
अहधकारा के ींबंध को पिले के बाद में शाहमल हकर्ा गर्ा था। र्िां व्यक्ति को निीं बक्ति ीमुदार् र्ा
ींघ को प्राथहमकता दी गई िै ।
3. हिन्दू धमय में स्वार्त्तकमय के हीद्धां त, आत्मा के मंत्र औरा पररावतयन के चिीर् दृहिकोस का प्रतीक था।
पारां परराक ीमाज में ीाम्प्रदाहर्कता की तठस्था की मूल्य प्रसाली के माध्यम ीे दशाय र्ा गर्ा।

4. हनराीक्षस के हीद्धान्त में र्ि भी माना गर्ा िै हक मूल्यां कन के गैरा - अपहवत्र र्ा अपहवत्र पैमानों ीे प्राप्त
मूल्यां कन के आधारा परा पारां परराक हीद्धां तो की मान्यता को कभी भी चुनौती निी की जा ीकती िैं ।
ीाक्षात्कारा पराम्पराा के अन्य मूल्य हवषर्ों की एकीकरास के ीाथ ीाथ र्ुक्तिकरास में र्ोगदान दे ने वाली
एक ीुपरा अवधारासा का गठन हकर्ा गर्ा।
निष्कर्ष
इसमें समाज की परं पराओं का आधुनिकीकरण नकया गया अर्ाषत समाज

की अवस्था में पररवतषि नकया गया। जो समाज के निए बहुत आवश्यक हैं |

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