पद्य खंड-पाठ 3-मनुष्यता

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स्पशर्य-पद्य खंड-पाठ 3

मनुष्यता
-मै थलीशरण गुप्त

By Ansh & Vedant


बहु वकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1 - मृत्यु से कभी क्यों नहीं डरना चा हए?
(क) मृत्यु एक न एक दन आनी ही है ; मनुष्य जीवन नश्वर है
(ख) मृत्यु से न डरने से लोग हमारी तारीफ़ करें गे
(ग) िजससे लोग हमें सालों तक याद करें
(घ) ता क हम कभी न मरें

उत्तर- (क) मृत्यु एक न एक दन आनी ही है ; मनुष्य जीवन नश्वर है


प्रश्न 2 - क व ने सुमत्ृ यु कसे कहा है ?
(क) जो मरने के बाद भी अमर रहे
(ख) जो महान उद्दे श्य के लए मरे
(ग) जो परोपकार, सेवा, त्याग और ब लदान का जीवन िजए
(घ) सद्गुणों के कारण मरने के बाद िजसे लोग याद करें

उत्तर- (घ) सद्गुणों के कारण मरने के बाद िजसे लोग याद करें
प्रश्न 3 - कबूतर को बचाने के लए कसने अपना माँस दान कया?

(क) शुद्धाथर्य रं तदे व ने


(ख) महात्मा बुद्ध ने
(ग) उशीनर के राजा श व ने
(घ) प्रह्लाद ने

उत्तर- (ग) उशीनर के राजा श व ने


प्रश्न 4 - उदार व्यिक्त को कौन पूजता है ?
(क) घरवाले
(ख) भगवान
(ग) समस्त सृिष्ट
(घ) सरस्वती

उत्तर- (ग) समस्त सृिष्ट


प्रश्न 5 - क व ने धन को केसा बताया है ?

(क) तुच्छ
(ख) हाथ का मैल
(ग) जीवन दे ने वाला
(घ) सुख दे ने वाला

उत्तर- (क) तुच्छ


प्रश्न 6 - ‘अखंड आत्म भाव भरने’ का अ भप्राय है -

(क) सबको अपनाना


(ख) सबमें आत्मीयता का भाव भर दे ना
(ग) सबको एकता के सूत्र में परोना
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (ख) सबमें आत्मीयता का भाव भर दे ना


प्रश्न 7 - अमत्यर्य अंक का अथर्य है -

(क) मृत्यु अंक


(ख) भाग्यशाली अक्षर
(ग) दे वता की गोद
(घ) राक्षस की गोद

उत्तर- (ग) दे वता की गोद


प्रश्न 9 - ‘तभी समथर्य भाव है क तारता हु आ तरे ’ का आशय है -

(क) व्यिक्त में अकल्याण की भावना हो


(ख) व्यिक्त दूसरों का कल्याण करे
(ग) व्यिक्त को भलाई करनी चा हए
(घ) तीनों में से कोई नहीं

उत्तर- (ख) व्यिक्त दूसरों का कल्याण करे


प्रश्न 10 - इस पाठ से आपको क्या सीख मलती है ?

(क) मनुष्य को न:स्वाथर्य जीवन जीना चा हए


(ख) वश्व बंधुत्व की भावना को बढ़ाना चा हए
(ग) उपयुक्
र्य त दोनों
(घ) हमें नडरता, उदारता, परोपकार, कमर्यशीलता, धैयश
र्य ीलता, परस्परावलंब
आ द जैसे गुणों को अपनाते हु ए जीना चा हए

उत्तर- (घ) हमें नडरता, उदारता, परोपकार, कमर्यशीलता, धैयश


र्य ीलता,
परस्परावलंब आ द जैसे गुणों को अपनाते हु ए जीना चा हए
धन्यवाद

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