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गप्ु तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्णयग ु माना जाता है । इस काल में भारत ने सभी क्षेत्रों में अभत

ू पर्व
ू विकास
किया। गप्ु तकाल के दौरान भारत में शांति, समद् ृ धि और संस्कृति का विकास हुआ। इस काल में साहित्य, कला,
विज्ञान, वास्तक
ु ला आदि क्षेत्रों में महत्वपर्ण
ू प्रगति हुई।

गप्ु तकाल को स्वर्णयग


ु कहने के निम्नलिखित कारण हैं:

● राजनीतिक एकता: गप्ु तकाल में भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य का उदय हुआ। इस साम्राज्य ने
लगभग परू े भारत को एकजट ु किया। इस राजनीतिक एकता ने भारत के विकास में महत्वपर्ण ू योगदान
दिया।
● सामाजिक समद् ृ धि: गप्ु तकाल में भारत में सामाजिक समद् ृ धि का विकास हुआ। इस काल में लोगों के
जीवन स्तर में सध ु ार हुआ। व्यापार और उद्योगों का विकास हुआ। लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं
की बेहतर सविु धाएं प्राप्त हुईं।
● सांस्कृतिक उन्नति: गप्ु तकाल में भारत में सांस्कृतिक उन्नति हुई। इस काल में साहित्य, कला, संगीत,
नत्ृ य आदि क्षेत्रों में महत्वपर्ण
ू प्रगति हुई। कालिदास, भारवि, अश्वघोष आदि महान साहित्यकारों ने इस
काल में रचनाएं कीं। अमरावती, भरहुत, सांची आदि स्तप ू ों और मंदिरों का निर्माण इस काल में हुआ।
● धार्मिक सहिष्णत ु ा: गप्ु तकाल में धार्मिक सहिष्णत
ु ा का वातावरण था। इस काल में सभी धर्मों को समान
सम्मान दिया जाता था। हिन्द,ू बौद्ध, जैन आदि सभी धर्मों के लोग इस काल में समद् ृ ध और विकसित हुए।

गप्ु तकाल के कुछ प्रमख


ु उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:

● राजनीतिक एकता: गप्ु तकाल में भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य का उदय हुआ। इस साम्राज्य ने
लगभग परू े भारत को एकजट ु किया। इस राजनीतिक एकता ने भारत के विकास में महत्वपर्ण ू योगदान
दिया।
● सामाजिक समद् ृ धि: गप्ु तकाल में भारत में सामाजिक समद् ृ धि का विकास हुआ। इस काल में लोगों के
जीवन स्तर में सध ु ार हुआ। व्यापार और उद्योगों का विकास हुआ। लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं
की बेहतर सविु धाएं प्राप्त हुईं।
● सांस्कृतिक उन्नति: गप्ु तकाल में भारत में सांस्कृतिक उन्नति हुई। इस काल में साहित्य, कला, संगीत,
नत्ृ य आदि क्षेत्रों में महत्वपर्ण
ू प्रगति हुई। कालिदास, भारवि, अश्वघोष आदि महान साहित्यकारों ने इस
काल में रचनाएं कीं। अमरावती, भरहुत, सांची आदि स्तप ू ों और मंदिरों का निर्माण इस काल में हुआ।
● धार्मिक सहिष्णत ु ा: गप्
ु तकाल में धार्मिक सहिष्णतु ा का वातावरण था। इस काल में सभी धर्मों को समान
सम्मान दिया जाता था। हिन्द,ू बौद्ध, जैन आदि सभी धर्मों के लोग इस काल में समद् ृ ध और विकसित हुए।

गप्ु तकाल को स्वर्णयग


ु कहने के प्रमख
ु कारण निम्नलिखित हैं:

● राजनीतिक एकता: गप्ु तकाल में भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य का उदय हुआ। इस साम्राज्य ने
लगभग परू े भारत को एकजट ु किया। इस राजनीतिक एकता ने भारत के विकास में महत्वपर्ण ू योगदान
दिया। इस एकता के कारण भारत में शांति और व्यवस्था कायम हुई। व्यापार और उद्योगों का विकास
हुआ। लोगों के जीवन स्तर में सध ु ार हुआ।
● सामाजिक समद् ृ धि: गप्ु तकाल में भारत में सामाजिक समद् ृ धि का विकास हुआ। इस काल में लोगों के
जीवन स्तर में सध ु ार ह ु आ। व्यापार और उद्योगों का विकास हुआ। लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं
की बेहतर सविु धाएं प्राप्त हुईं।
● सांस्कृतिक उन्नति: गप्ु तकाल में भारत में सांस्कृतिक उन्नति हुई। इस काल में साहित्य, कला, संगीत,
नत्ृ य आदि क्षेत्रों में महत्वपर्ण ू प्रगति हुई। कालिदास, भारवि, अश्वघोष आदि महान साहित्यकारों ने इस
काल में रचनाएं कीं। अमरावती, भरहुत, सांची आदि स्तप ू ों और मंदिरों का निर्माण इस काल में हुआ।
● धार्मिक सहिष्णत ु ा: गप्ु तकाल में धार्मिक सहिष्णत ु ा का वातावरण था। इस काल में सभी धर्मों को समान
सम्मान दिया जाता था। हिन्द,ू बौद्ध, जैन आदि सभी धर्मों के लोग इस काल में समद्
ृ ध और विकसित हुए

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