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दख

महादे वी वमाा

कवयित्री महादे वी वमाा ने प्रस्तुत कववता में जजिंदगी के दुःु ख के बारे में बतािा है । जजिंदगी का
दुःु ख प्रकाश में अिंधकार के बादल के समान होता है । मनुष्ि के जीवन में प्रातुःकाल के चािंदी
जैसे सरू ज की रोशनी में दख
ु के काले बादल का छा जाते है । दुःु ख मानव मन में करुणा के
स्त्रोत की तरह बहता है । दुःु ख में ही जीवन का ममा यछपा है । दख
ु एक तार की तरह है,
जहााँ पर अगणणत कम्पन होते है । दुःु ख के कारण मनष्ु ि का जीवन तार की तरह कजम्पत
होने लगता है । दुःु ख में ही अपनों का ज्ञान ममलता है । दुःु ख में जजन्होंने साथ ददिा व सख

में भी साथ दे ता है । मानव दुःु ख में सिंसार के सूने पष्ृ ठ पर अपनी करुण गाथा मलखता है ।
उसका ह्रदि बेहद दख
ु के कारण पत्थर सा बन जाता है । उसमें कोई भी भावना दख
ु के कारण
शेष नहीिं रहती है । मनुष्ि दख
ु के कारण स्वििं को किंजस
ू न होकर दख
ु को सबसे बााँटने के
मलए कहता है । िह दयु निा दख
ु ी लोगों पर हिंसती है । अपने नेत्रों को खोलकर दे खो तो सही
दयु निा हिंस रही है । ऐसे आश्चिा से िह दयु निा यनममात हुई है अनेक पथथक िा राही आते-
जाते रहते है । कोई भी मानव एक दस
ू रे से पररथचत नहीिं है । फिर भी मानव के बगैर दयु निा
की कल्पना नहीिं की जा सकती है । सख
ु हर मानव के जीवन में आता है लेफकन िह एक मग

मररथचका है । मानव के जीवन में इतना दख
ु है फक उसे सुख का अहसास ही नहीिं होता । उसे
लगता है दख
ु ही ज्िादा है । दख
ु ी व्िजतत ददखावा अत्िथधक करता है । वह सोचता है फक
फकसी को भी उसके दख
ु का पता नहीिं चलेगा। िही सोचकर कहता है फक मुझे पतझर से तिा
लेना-दे ना? अथाात मुझे दख
ु से तिा लेना है ? सच्चाई तो िह है फक वह िह सब बातें मात्र
करता है । वास्तव में, दख
ु ी व्िजतत की आिंखो से पानी झरने की तरह बहते है । दख
ु ी इन्सान
के जीवन में अनेक ववचार यनकलते है । कहने का तात्पिा है फक, वह एक तरह से नहीिं सोच
सकता । वह अपने छोटे से मन में सिंपूणा दयु निा को आमिंत्रत्रत कर लाता है । वह हिंमेशा सुख
की खोज में रहता है ।

1
अनु, नोबल कॉलेज, बेंगलुरू ।

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