10381Atmosphere (वायुमंडल) Hindicrwill

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वायुमंडल / atmosphere

पथ्
ृ वी के चारों और ललपटा हुआ गैसों का ववशाल आवरण (giant cover of gases) जो पथ् ृ वी का
अखंड अंग है और उसे चारों तरफ से घेरे हुए है ,और एक कम्बल या ब्लंकेट की तरह काम करके
पथ्
ृ वी के तापमान को जीवन के ललए मत्वपण ू ण बनाता हें वह वायम
ु ड
ं ल (Atmosphere) कहलाता है .
➢ वायुमंडल का भार 5.6×1025 टन है एवं इसके भार का लगभग आधा भाग धरातल से 5500
ककमी. की ऊँचाई पर पाया जाता है .
➢ आधुननक अनुसध
ं ानों से स्पष्ट होता है कक वायुमंडल की अंनतम ऊँचाई (ववस्तार) 16 हजार
कक.मी. से 32 हज़ार ककलोमीटर के बीच है .

वायम
ु ड
ं ल की संरचना / Composition of the Atmosphere
वायुमंडल का संगठन/संघटन (Composition of atmosphere) ननम्नललखखत तत्वों से हुआ है –

गैस (GASES)
भौनतक दृष्ष्ट से वायुमंडल ववलभन्न गैसों का सष्म्मश्रण है . 10 प्रमुख गैस वायुमड
ं ल के संगठन/संघटन
के सन्दभण में महत्वपण
ू ण भलू मका ननभाते हैं –

गैसें (Gases) volume in percentage आयतन (%)

नाइट्रोजन/ nitrogen 78.03

ऑक्सीजन/ oxygen 20.99

आगणन/argon 0.93

काबणन डाईऑक्साइड/carbon dioxide 0.03

हाइड्रोजन/hydrogen 0.01

ननयोन/neon 0.0018

हीललयम/helium 0.0005

किप्टान/krypton 0.0001

जेनान/xenon 0.000005

ओजोन/ozone 0.0000001

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प्रमुख गैसें

नाइट्रोजन (NITROGEN)

• यह जैववक रूप से ननष्ष्िय और भारी गैस (gas) है .


• यह वायुमंडलीय गैसों का सवणप्रमुख भाग है मात्रा में 78% हें ।
• इसका चिण वायुमंडल, मद
ृ ामंडल और जैवमंडल में अलग-अलग होता है .
• लेग्यलू मनस पौधे राइजोबबयम बैक्टीररया द्वारा वायम
ु ंडलीय नाइट्रोजनी पोषक तत्वों की पनू तण
करते हैं और नाइट्रोजन को नाइट्रे ट के रूप में ग्रहण करता है .
• यह नाइट्रट्रक ऑक्साइड के रूप में अम्ल वषाण (Acid Rain) के ललए उत्तरदाई है .

ओक्सीजन /Oxygen

• यह प्राणदानयनी गैस है ष्जसकी मात्रा वातावरण में 21% है


• पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण किया के द्वारा इसे वायुमंडल में छोडते हैं ।
• इस भारी गैस का संघनन वायुमंडल के नीचले भाग में है .

काबणन डाईऑक्साइड (CARBON DIOXIDE)

• पौधे प्रकाश संश्लेषण किया के द्वारा काबणन डाईऑक्साइड से ग्लूकोज और काबोहाइड्रेट बनाते हैं.
इसकी मात्र वातावरण में 0.03% हें .
• इसकी बढ़ती मात्रा से तापमान में वद्
ृ धध होती है । क्योटो प्रोटोकौल (1997 ई.) के द्वारा इसकी
मात्रा में कमी ककए जाने के बारे में वैष्श्वक सहमनत बनी है ।
• ववववध कारणों से इस गैस की सांद्रता (Gas concentrations) में वद्
ृ धध के कारण ग्लोबल वालमिंग
एवं जलवायु पररवतणन की समस्या उत्पन्न हो रही है .

आगणन (Argon)
• यह एक अकिय गैस है और इसकी मात्र वय्मंडल में 0.93% हें ।
• इसके अलावा वायुमंडल में हीललयम, ननऑन, किप्टन, जेनन जैसी अकिय गैसें भी अल्प मात्रा
में मौजद
ू रहती हैं ।

ओजोन (OZONE)
ओजोन की परत को सबसे पहली बार खोज च्र्लेस फब्री और हे नरी बबस्सों के द्वारा 1913 में की
गई थी .

• वायुमंडल में अनत अल्प मात्र में पाए जाने वाले ओजोन का सवाणधधक सांद्रण 20-35 कक.मी. की
ऊँचाई पर है .
• ओजोन सूयण से आने वाली घातक पराबैगनी ककरणों को रोकती है .

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• वतणमान में CFC एवं अन्य ओजोन क्षरण पदाथों की बढ़ती मात्र के कारण ओजोन परत का क्षरण
एक गंभीर समस्या के रूप में उभरी है .1985 में अंटाकणट्रटक के उपर ओजोन की परत में छे द
पाया गया.
• गैसों में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, काबणन डाईऑक्साइड आट्रद भारी गैसें हैं जबकक शेष गैसें हलकी
गैसें हैं और वायम
ु ंडल के ऊपरी भागों में ष्स्थत हैं.
• काबणन डाईऑक्साइड एवं ओजोन अस्थायी गैसे हैं जबकक नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन और
ननयोन स्थायी गैसें हैं.

जलवाष्प (WATER VAPOUR)

• वायुमंडल में आयतानुसार 4% जलवाष्प की मात्र सदै व ववद्दमान रहती है .


• जलवाष्प की सवाणधधक मात्र भूमध्य रे खा के आसपास और न्यूनतम मात्र ध्रुवों के आसपास होती
है .
• भूलम से 5 ककमी. तक के ऊंचाई वाले वायुमंडल में समस्त जलवाष्प का 90% भाग होता है .
• जलवाष्प सभी प्रकार के संघनन एवं वषणण सम्बन्धी मौसमी घटनाओं के ललए ष्जम्मेदार होती है .
• ज्ञातव्य है कक वायुमंडल में जलमंडल का 0.001 % भाग सुरक्षक्षत रहता है .

धूल कण (DUST MITES)

• इसे एयरोसोल भी कहा जाता है . ववलभन्न स्रोतों से वायुमंडल में जानेवाले धूलकण आद्रण ता ग्राही
नालभक का कायण करते हैं.
• धूलकण सौर ववककरण के परावतणन और प्रकीणणन द्वारा ऊष्मा अवशोवषत करते हैं.
• वणाणत्मक प्रकीणणन के कारण आकाश का रं ग नीला और सूयोदय और सूयाणस्त के समय-समय
ट्रदखने वाला रं ग धूलकणों की ही दे न है .
• ऊषाकाल एवं गोधूली की तीव्रता एवं उसकी अवधध के ननधाणरण में धूलकणों की प्रमुख भूलमका
होती है .
• धूलकण एवं धुएँ के कण आद्रता ग्राही नालभकों का भी कायण करते हैं.
• धूलकणों का सवाणधधक जमाव ऊपोष्ण व औद्योधगक क्षेत्रों में एवं न्यूनतम जमाव ध्रूवों के ननकट
पाया जाता है .
वायुमंडल को दो भागों में ववभाष्जत ककया जाता हें
सममंडल (Homosphere)
ववषम मंडल (Hetrosphere)
सममंडल
• इसकी औसत ऊँचाई सागर ताल से 80 -90 कक.मी. तक है ष्जसमें क्षोभमंडल, समताप मंडल और
मध्य मंडल शालमल है .
• इस मंडल में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, आगणन, काबणन डाईऑक्साइड, ननयोन, हीललयम व हाइड्रोजन
आट्रद गैस सदै व सामान अनुपात में रहते हैं.

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ववषम मंडल
इसमें नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीललयम व हाइड्रोजन की अलग-अलग आष्ववक परतें लमलती हैं

• नाइट्रोजन परत – 90-200 कक.मी. की ऊँचाई तक.


• ऑक्सीजन परत – 200-1100 कक.मी. की ऊँचाई तक.
• हीललयम परत – 1100-3500 कक.मी. की ऊँचाई तक.
• हाइड्रोजन परत – 3500-10000 ककमी. की ऊँचाई तक.

वायमु ंडल की परतें


layers of earth’s atmosphere.
The layers are: 1. Troposphere 2. Stratosphere 3. Mesosphere 4. Ionosphere 5. Exosphere.

1. क्षोभमंडल (Troposphere):

▪ वायुमंडल की सबसे पहली परत को क्षोभमंडल कहते हैं । इसमें वायुमंडल की कुल रालश का
90 प्रनतशत भाग पाया जाता है ।
▪ ट्रोपोस्फीयर/ववक्षोभ नामक शब्द का प्रयोग नतज्ांस-डड-बोर ने ककया था.
▪ यह ध्रुवों पर 8 ककमी. तथा ववषुवत रे खा पर 18 ककमी. की ऊँचाई तक पाया है ।

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▪ इस मंडल में प्रनत 165 मीटर की ऊँचाई पर 1०C तापमान घटता है तथा प्रत्येक ककमी. की
ऊँचाई पर तापमान में औसतन 6.5०C की कमी आती है । इसे ही सामान्य ताप पतन दर
कहा जाता है ।
▪ इस भाग में गमण और शीतल होने का कायण ववककरण, संचालन और संवहन द्वारा होता है .
▪ वायम
ु ंडल में होने वाली समस्त मौसमी गनतववधधयाँ क्षोभ मंडल में ही पाई जाती हैं ।
क्षोभसीमा के ननकट चलने वाली अत्यधधक तीव्र गनत के पवनों को जेट पवन कहा जाता है ।
▪ इस मंडल की ऊपरी सीमा को क्षोम-सीमा कहते है । क्षोभ सीमा- 57°C तापमान के द्वारा
ननधाणररत की जाती है जो ववषुवत रे खा पर होती है । जैवमंडल इसी क्षोभमंडल तक पाया
जाता है ।
▪ मौसम संबंधी सभी प्रकियाएँ; जैस-े वायु का चलना बादल, वषाण, ट्रहमपात, कोहरा, बबजली की
चमक तथा बादलों की कडक इत्याट्रद इसी मंडल तक सीलमत रहती हैं । जैवमंडल (मानव,
पशु-पक्षी तथा वनस्पनत) के ललए क्षोभमंडल की महत्ता बहुत अधधक है ।

क्षोभ सीमा (TROPOPAUSE)

▪ क्षोभ मंडल और समताप मंडल को अलग करनेवाली 1.5 कक.मी. मोटे संिमण को ट्रोपोपॉज
या क्षोभ सीमा (tropopause) कहा जाता है .
▪ क्षोभ सीमा (tropopause) ऊँचाई के साथ तापमान का धगरना बंद हो जाता है .
▪ इसकी ऊँचाई भूमध्य रे खा पर 17-18 कक.मी. (तापमान- 80 डडग्री सेष्ल्सयस) ध्रुवों पर 8-10
कक.मी. (तापमान -45 डडग्री सेष्ल्सयस)

2. समतापमंडल (Stratosphere):
▪ 1992 में समताप मंडल (stratosphere) की खोज एवं नामाकरण नतज्ांस-डड-बोर ने ककया था.
▪ क्षोभ सीमा से ऊपर 50 कक.मी. की ऊँचाई तक समताप मंडल का ववस्तार है . इस मंडल की
मोटाई ध्रव
ु ों पर सवाणधधक और ववषव
ु त रे खा पर सबसे कम होती है .
▪ इस मंडल में प्रारम्भ में तापमान ष्स्थर होता है , परन्तु 20 ककमी. की ऊँचाई के बाद तापमान
में अचानक वद्
ृ धध होने लगता है । ऐसा ओजोन गैसों की उपष्स्थनत के कारण होता है , जो
कक पराबैंगनी ककरणों को अवशोवषत कर तापमान बढ़ा दे ता है ।
▪ यह मंडल मौसमी हलचलों से मुक्त होता है , इसललए वायुयान और ववमान की उड़ान के ललए
सवोत्तन जोने कहलाता हें

ओजोन मंडल (OZONOSPHERE)

▪ समताप मंडल के नीचले भाग में 15 से 35 कक.मी. के बीच ओजोन गैस का मंडल होता है .
▪ ओजोन गैस सूयण से ननकलने वाली 98% तक की अनतप्त पराबैगनी ककरणों को सोख लेती है .
▪ इस स्तर में प्रनत कक.मी. 5 डडग्री सेष्ल्सयस की दर से तापमान बढ़ता है .
▪ इसी अन्य तापमान के कारण वायुमंडल में ध्वनन एवं नीरवता के वाले उत्पन्न होते हैं.

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▪ वतणमान में ओजोन पाटण के क्षरण की समस्या के ननवारण के ललए मोंट्रट्रयल प्रोटोकॉल एवं
अन्य उपायों के जररये ओजोन क्षरक पदाथों आर कड़ाई से रोक लगाई जा रही है .

3. मध्यमंडल (Mesosphere):

▪ इस मंडल की ऊँचाई 50 से 80 ककमी. तक होती है । इसमें तापमान में ऊँचाई के साथ


एकाएक धगरावट आ जाता है ।
▪ मध्य सीमा पर तापमान धगरकर -80 से -100०C तक पहुँच जाता है , जो वायुमंडल का
न्यूनतम तापमान है इस न्यूनतम तापमान की सीमा को “मेसोपास” कहते हैं.

4. आयन मंडल (Ionosphere):


▪ इसकी ऊँचाई धरातल से 80-640 कक.मी. के मध्य है । इसमें ववद्युत आवेलशत कणों की
अधधकता होती है एवं ऊँचाई के साथ तापमान बढ़ने लगता है ।
▪ वायम
ु ंडल की इसी परत से ववलभन्न आवनृ त की रे डडयो तरं गें परावनतणत होती हैं । आयनमंडल
कई परतों में बँटा हुआ है ।
▪ आकाश का नील वणण, सुमेरु ज्योनत, कुमेरु ज्योनत तथा उल्काओं की चमक एवं ब्रहमांड
ककरणों की उपष्स्थनत इस भाग की ववशेषता है .
आयन मंडल को अलग अलग परतों में ववभाष्जत ककया जाता हें जैसे -
D-Layer:
o D का ववस्तार 80-96 कक.मी. तक है इससे दीघण तरं ग-दै ध्यण अथाणत ् ननम्न आवनृ त की
रे डडयो तरं गें परावनतणत होती हैं ।
b. E-Layer:
o E1 परत (E1 layer) 96 से 130 कक.मी. तक और E2 परत 160 कक.मी. तक ववस्तत

हैं.इसे केनेली-हीववसाइड (Kennelly-Heaviside) परत भी कहा जाता है । इससे
मध्यम व लघु तरं ग-दै ध्यण अथाणत ् मध्यम व उच्च आवनृ त की रे डडयो तरं गें परावनतणत
होती है । यहाँ ध्रुवीय प्रकाश (Aurora Light) की उपष्स्थनत होती है । ये उत्तरी ध्रुवीय
प्रकाश (Aurora Borealis) एवं दक्षक्षणी ध्रुवीय प्रकाश (Aurora Australis) के रूप में
लमलती है ।
c. F-Layer:
o F1 और F2 परतों का ववस्तार 160-320 कक.मी. तक है इसे एपलेटन (Appleton) परत
भी कहा जाता है । इससे मध्यम व लघु तरं ग-दै ध्यण अथाणत ् मध्यम व उच्च आवनृ त
की रे डडयो तरं गें पररवनतणत होती है
d. G-Layer:
G परत का ववस्तार 400 कक.मी. तक है इससे लघु, मध्यम व दीघण सभी तरं ग-दै ध्यण अथाणत ्
ननम्न, मध्यम सभी आवनृ त की रे डडयो तरं गें परावनतणत होती है ।

5. बाहयमंडल (Exosphere):
▪ लेमन ष्स्पट्जर ने इस मंडल पर ववशेष जानकारी दी हें

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▪ इसकी ऊँचाई 640-1,000 कक.मी. के मध्य है ।
▪ अद्यतन शोधों के अनुसार यहाँ नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीललयम तथा हाइड्रोजन की अलग-
अलग परतें (different layers) भी होती हैं.इसमें भी ववद्युत आवेलशत कणों की प्रधानता होती
है ।
▪ इस मंडल में 1,000 ककमी. के बाद वायम
ु ंडल बहुत ही ववरल हो जाता है और अंततः 10,000
ककमी. की ऊँचाई के बाद यह िमशः अंतररक्ष में ववलीन हो जाता है ।

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