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बैधनाथ आयुर्वेद गोल्ड उत्पाद
बैधनाथ आयुर्वेद गोल्ड उत्पाद
बैधनाथ आयुर्वेद गोल्ड उत्पाद
विवकत्सीय उपय ग:
श्वास स्वास्थ सोंबोंधी विकार ों में इसके विए जािे का वििे श है ।
सोंिभि:
रसराज सोंिर
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
रस वसोंिूर, अभ्रक भस्म, िाोंिी भस्म, स िा भस्म ,ताम्र भस्म, शद्ध वसोंगरफ इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
फेफडे के विकार ों में इस रसायि का बहुत अच्छा प्रभाि है । यह हृिय और मस्तिष्क विकार ों में उपय गी है ।
सोंिभि:
भैषज्य रत्नािली
सेिि मात्रा:
किू री भैरि रस
घटक द्रव्य:
द्रव्य शद्ध स्वणि भस्म,सहागे की खील ,जायफल, जावित्री, काली वमिि, छ टी पीपल, किू री और कपू र इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
इसका उपय ग िात ज्वर कफ ज्वर और बात प्रधाि सविपात ज्वर में करिा िावहए
सोंिभि:
वसद्ध य ग सोंग्रह
सेिि मात्रा:
गभि विोंतामवण रस
घटक द्रव्य:
कज्जली, स्वणि भस्म ,,लौह भस्म, हरताल स्वणि,माविक भस्म, अभ्रक भस्म , अडसा स्वरस, वपत्तपापडा ,भाोंग ,िशमूल
क्वाथ।
विवकत्सीय उपय ग:
भेषज रत्नािली के अिसार इस रसायि का विवधित प्रय ग करिे से गभििती में ह िे िाली समि परे शावियाों िू र ह ती
है ,गभिस्थ वशश क अच्छी प्रकार से प षण वमलता है , कभी कभी गभाि िस्था में अिािक ह िे िाला रक्तस्राि भी
इसक प्रिाल वपष्टी के साथ प्रय ग करिे से बों ि ह जाता है।
सोंिभि:
भेषज रत्नािली
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
रस वसोंिूर, किू री, स्वणि भस्म ,मिःवशला ,हडताल ,घृ तकमारी रस में शास्त्र विवध से विवमित।
विवकत्सीय उपय ग:
िात विकार ों में उपय गी है। यह औषवध मािवसक विकार, ज्वर ,िय र ग, हाथ पै र ों में कोंपि या पू रे शरीर में कोंपि
इि र ग ों में विशेष रूप से उपय गी है।
सोंिभि:
आयिेि सार सोंग्रह
सेिि मात्रा:
एक एक ग ली विि में ि बार सबह शाम शहि के साथ िबाकर ऊपर से वत्रफला क्वाथ या र ग के अिसार उवित
अिपात के साथ िें ।
ितमिख रस
घटक द्रव्य:
शद्ध पारा ,शद्ध गों धक , अभ्रक भस्म, स्वणि भस्म ,घृ तकमारी स्वरस इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
िात र ग ों की एक प्रवसद्ध औषवध है। मािवसक विकार ों में इसका प्रय ग वकया जाता है । ह्रिय के वलए यह एक
टॉविक की तरह कायि करता है । िय र ग ,खाों सी ,में इसका प्रय ग करिा िावहए। यह पौवष्टक और रसायि भी है ।
सोंिभि:
सेिि मात्रा:
एक ग ली सबह शाम वत्रफला िूणि और शहि में वमलाकर सेिि करिा िावहए।
विोंतामवण ितमिख रस
घटक द्रव्य:
विवकत्सीय उपय ग:
यह यह य गिाही रसायि है । इसके सेिि से समि प्रकार के िात र ग ों में लाभ ह ता है । मस्तिष्क के विकार ों में भी
यह उपय गी है।
सोंिभि:
सेिि मात्रा:
१ रत्ती वत्रफला िूणि और मध के साथ या र ग के अिसार उवित अिपाि के साथ िें
विवकत्सीय उपय ग:
सभी प्रकार के हृिय र ग मैं यह अत्योंत उपय गी है । सप्तधातओों की विबिलता, यकृत श थ, उिर र ग में भी इसका
उपय ग वकया जािा शास्त्र ों में बताया गया है ।
सोंिभि:
वसद्धय ग सोंग्रह
सेिि मात्रा:
१-१ ग ली सबह शाम शहि से स्तखलाएों
जय मोंगल रस
घटक द्रव्य:
द्रव्य वहोंगल त्थ पारा, शद्ध गों धक, सहागे की खील, ताम्र भस्म, िोंग भस्म ,स्वणि माविक भस्म, सेंधा िमक ,काली वमिि
,काों त लौह भस्म, िाों िी भस्म इत्यावि शास्त्र क्त विवध से विवमित।
विवकत्सीय उपय ग:
यह औषवध परािे बखार के वलए प्रवसद्ध ििा है। हृिय ,मस्तिष्क और शरीर के सभी अों ग ों पर अच्छा प्रभाि ह ता है ।
सोंिभि:
भैषज्य रत्नािली
सेिि मात्रा:
एक एक ग ली जीरे के िूणि और शहि या शहि के साथ िें ।
घटक द्रव्य:
मावणक्य वपष्टी ,पिा वपष्टी, मक्ता वपष्टी, प्रिाल वपष्टी, कहरिा वपष्टी, िाोंिी िकि, स िा िकि, िाररयल िूणि, किू री ,अोंबर
इत्यावि,शास्त्र क्त विवध से विवमित।
विवकत्सीय उपय ग:
यह हृिय क बल िे िे िाला उत्तम य ग है। घबराहट ,धडकि बढ़िा इत्यावि लिण ों में इस के सेिि से आराम
वमलता है।
सोंिभि:
घटक द्रव्य:
कज्जली ,स्वणि भस्म, िैक्ाों त भस्म, रौप्य भस्म, ताम्र भस्म, अभ्रक भस्म ,म ती भस्म ,शोंख भस्म इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
इसके सेिि से शरीर में खूि की कमी िू र ह ती है । यह सभी प्रकार के ज्वर ,िात विकार ों जैसे पै रालाइवसस में
उपय गी है । इसके सेिि से पािि ठीक ह ता है एिों शरीर में ऊजाि ि स्फूवति आती है ।
सोंिभि:
भैषज्य रत्नािली
सेिि मात्रा:
एक टै बलेट सबह 1 टे बलेट शाम क शहि के साथ विि में ि बार
पिा भस्म
घटक द्रव्य:
शद्ध पिा भस्म , हरताल ,आों मलासार गों धक इत्यावि के साथ शास्त्र क्त विवध से विवमित।
विवकत्सीय उपय ग:
यह पवष्ट िधिक है , सविपात ज्वर ,विष विकार ,प्यास , पाोंड और श ध क िू र करता है । अवि क प्रबल बिता है ।
सोंिभि:
रसरत्नसमच्चय
सेिि मात्रा:
आधी से एक रत्ती पिा भस्म मक्खि, मलाई, िू ध या पाि के रस या शहि के साथ िें ।
बों गेश्वर रस
घटक द्रव्य:
शद्ध पारा ,बों ग भस्म ,शद्ध गों धक, िाोंिी भस्म ,कपू र, अभ्रक भस्म, स्वणि भस्म ,और म ती भस्म इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
इस औषवध के सेिि से िए परािे सब प्रकार के प्रमेह र ग ों में लाभ ह ता है । बहुमूत्र , शक् िय, मोंिावि ,आम ि ष,
रक्तवपत्त आवि विकार ों में यह उपय गी है । यह रसायि, िाजीकरण ,काों वत िधिक, और िबि लता िाशक है ।
सोंिभि:
भेषज रत्नािली
सेिि मात्रा:
बसोंत कसमाकर रस
घटक द्रव्य:
प्रिाल भस्म, रसवसोंिूर, म ती वपष्टी, अभ्रक भस्म ,रौप्य भस्म ,स्वणि भस्म, शतािरी, अडूसा स्वरस ,गिा ,कमल के
फूल, िोंिि एिों किू री इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
यह एक आयिेविक रसायि है एिों सोंपूणि शरीर के वलए टॉविक की तरह कायि करता है । सभी प्रकार के प्रमेह र ग
विशेषकर मधमेह में इसके विए जािे का वििे श है । इसके अलािा धात िीणता ,शारीररक कमज री, अस्थमा
,श्वेतप्रिर ि धात िौबि ल्य में इसका उपय ग वकया जाता है। यह मस्तिष्क और हृिय क सामर्थ्ि प्रिाि करिे में
उपय गी है ।
सोंिभि:
वसद्ध य ग सोंग्रह
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
स्वणि भस्म, मक्ता भस्म, काली वमिि, पारि, गों धक ,ताम्र भस्म ल ह भस्म इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
कफ और िात शामक औषवध है । परािे ज्वर के वलए प्रवसद्ध ििा है । यह औषवध खाों सी, जकाम ,िय र ग,श्वास िली
की सूजि एिों परािे अस्थमा में बहुत ही उपय गी बताई गई है ।
सोंिभि:
मक्तावि िटी
घटक द्रव्य:
म ती वपष्टी ,स्वणि भस्म, िाों िी भस्म ,िागकेसर, गलाब के फूल, केसर ,कपू र, खटाई वपवष्ट , सोंगेशि , ग र िि ,ग िों ती
भस्म ,कमल के फूल इत्यावि
विवकत्सीय उपय ग:
सोंिभि:
वसद्ध य ग सोंग्रह
सेिि मात्रा:
3 साल तक के बच्च ों में एक िौथाई टै बलेट से आधी टै बलेट िू ध के साथ विि में ि बार।
मकरध्वज गवटका
घटक द्रव्य:
विवकत्सीय उपय ग:
यह एक रसायि औषवध है । शारीररक कमज री ि धात िीणता में उपय गी है । यह एक उत्तम िाजीकारक है ।
सोंिभि:
आयिेि सार सोंग्रह
सेिि मात्रा:
मकरध्वज बटी
घटक द्रव्य:
सभी र ग ों की अिस्था में सेिि करिे से काफी लाभकारी ह ता है विशेषता िात विकार ों, सविपात, स्नाय िौबिल्य,
स्मरण शस्तक्त की कमी ,रस ,रक्त आवि धात की कमी आवि विकार ों में इसका प्रय ग वकया जाता है। यह ियस्थापक
एिों उत्तम रासायविक गण ों से यक्त है ।
सोंिभि:
भेषज रत्नािली
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
विवकत्सीय उपय ग:
यह औषवध िय र ग, खाों सी, अस्थमा आवि र ग में उपय गी है । यह फेफडे और हृिय के वलए टॉविक का कायि
करती है ।
सोंिभि:
रसेंद्र सार सोंग्रह
सेिि मात्रा:
मधमेहारी य ग
घटक द्रव्य:
विवकत्सीय उपय ग:
मधमेह ि उसके उपद्रि ों में उपय गी। इसे मधमेह िावशिी गवटका के िाम से भी जािा जाता है ।
सोंिभि:
सेिि मात्रा:
ि से तीि ग ली विि में तीि िार बार या आिश्यकतािसार ताजी हल्दी का रस और आों िला स्वरस के साथ िे या
जामि गठली के िूणि 1 ग्राम के साथ िें या विवकत्सक के परामशि अिसार
महामृत्योंजय रस
घटक द्रव्य:
स्वणि भस्म, रस वसोंिूर ,म ती भस्म, शद्ध गों धक, स्वणिमाविक भस्म,िाों िी भस्म, प्रिाल भस्म, शद्ध टों कण।
विवकत्सीय उपय ग:
यह रसायि उपद्रि रवहत ियर ग , जीणि ज्वर,स्वरभेि कास ,अरुवि, िमि ,पाों डर ग, वपत्त प्रक प जवित समि र ग ों
में उपय गी है ।
सोंिभि:
सेिि मात्रा:
आधी रत्ती से 1 रत्ती तक विि में ि बार काली वमिि िूणि और मध वमलाकर िें ।
महालक्ष्मी विलास रस
घटक द्रव्य:
अभ्रक भस्म, शद्ध गों धक, शद्ध पारा, िोंग भस्म ,स्वणि माविक भस्म, ताम्र भस्म ,कपू र ,जावित्री, जायफल ,विधारा
,धतूरे के बीज ,िाों िी भस्म,स्वणि भस्म इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
यह सस्तििात जैसे भयोंकर ज ड ों के विकार और कफज र ग ों में उपय गी है । इस रसायि का प्रभाि विशेष रूप से
हृिय और रक्तिावहिी वशराओों पर ह ता है।
सोंिभि:
भैषज्य रत्नािली
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
विवकत्सीय उपय ग:
सोंिभि:
वसद्ध य ग सोंग्रह
सेिि मात्रा:
म ती वपष्टी िोंबर िि
घटक द्रव्य:
म ती भस्म और गलाब जल के साथ शास्त्र क्त विवध से विवमित
विवकत्सीय उपय ग:
अम्लवपत्त ,पेशाब की जलि, हाथ पै र ों की जलि, रक्त विकार ों में उपय गी।
सोंिभि:
आयिेि सार सोंग्रह
सेिि मात्रा:
आधी रती से एक रत्ती शहि और िू ध के साथ विि में ि बार।
म ती भस्म
घटक द्रव्य:
विवकत्सीय उपय ग:
कैस्तशशयम का प्राकृवतक स्र त है। इसके सेिि से वपत्त ि ष का शमि ह ता है। बढ़ते हुए बच्च ों में यह अत्योंत उपय गी
है । इसके अलािा ियर ग, अस्थमा, खाों सी और रक्तवपत्त में उसका उपय ग ह ता है ।
सोंिभि:
रसतरों वगणी
सेिि मात्रा:
एक रत्ती से २ रत्ती िू ध या शहि के साथ विि में ि बार सेिि करिा िावहए
म ती भस्म िोंबर िि
घटक द्रव्य:
म ती भस्म क घृ तकमारी स्वरस में शास्त्र क्त विवध से तैयार वकया जाता है ।
विवकत्सीय उपय ग:
कैस्तशशयम की कमी में उपय गी। खाों सी ,अस्थमा ,मािवसक विकार ि अम्ल वपत्त में उपय गी औषवध है।
सोंिभि:
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
मावणक्य वपष्टी, पिा वपष्टी ,मक्ता वपष्टी ,प्रिाल वपष्टी ,कहरिा वपष्टी ,स्वणि िोंग , अों बर, किू री एिों केसर इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
हृिय के वलए बल प्रिाि करिे िाली औषवध है ,ऐसा शास्त्र ों में वििे श है वक इसके सेिि से हृिय की माों सपे वशय ों एिों
मस्तिष्क क शस्तक्त वमलती है । इसके सेिि से तिाि ,श्वास लेिे में तकलीफ, िीोंि की कमी इत्यावि र ग िू र ह ते हैं
एिों स्वास्थ्य के वलए पौवष्टक है ।
सोंिभि:
वसद्ध य ग सोंग्रह
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
रसवसोंिूर, स्वणि भस्म, काों त लौह भस्म ,अभ्रक भस्म, म ती भस्म एिम बों ग भस्म इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
यह औषवध ज्वरिाशक, हृिय ि मस्तिष्क के वलए पवष्टिधिक है । इसका उपय ग मस्तिष्क विकार ों जैसे पिाघात
,सिाां ग बात, और सभी प्रकार की मािवसक कमज ररय ों में विविि ष्ट है ।
सोंिभि:
भेषज रत्नािली
सेिि मात्रा:
रत्नावगरी रस
घटक द्रव्य:
शद्ध पारा, स्वणिमाविक भस्म ,ताम्र भस्म, अभ्रक भस्म, स्वणि भस्म, िाोंिी भस्म ,शद्ध गों धक इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
वसद्ध य ग सोंग्रह
सेिि मात्रा:
आधी रत्ती से एक रत्ती सबह शाम पीपल और धविया के िूणि के साथ मध में वमलाकर िें ।
रौप्य भस्म
घटक द्रव्य:
रौप्य भस्म ,हरताल, गलाब फूल के साथ शास्त्र क्त विवध से विवमित।
विवकत्सीय उपय ग:
इसके सेिि से त्विा िमकिार ि काों वत यक्त ह ती है। यह िात र ग ों में उपय गी है ।
सोंिभि:
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
स्वणि भस्म ,िाोंिी भस्म, अभ्रक भस्म ,लौह भस्म ,प्रिाल भस्म, म ती भस्म एिों रस वसोंिूर इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
आयिेविक टॉविक। इसका उपय ग िातज विकार ों जैसे पै रालाइवसस,उन्माि, सविपात ज्वर और शारीररक ििि में
ह ता है।
सोंिभि:
भेषज रत्नािली
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
स्वणि भस्म ,मक्ता वपष्टी, िैक्ाों त भस्म, रौप्य भस्म, शद्ध वहों गल त्थ पारि ,गों धक इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
इसके सेिि से ग्रहणी, सोंग्रहणी, स्प्रू ,खासी ,ज्वर, खूि की कमी ,प्लीहा विकार ,ों अम्ल वपत्त,िातरक्त ,कष्ठ र ग एिों
सभी प्रकार के अशि र ग ों में लाभ ह ता है , ऐसा शास्त्र ों में विविि ष्ट है ।
सोंिभि:
भेषज रत्नािली
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
स्वणि भस्म ,िोंग भस्म, म ती भस्म ,शोंख भस्म ,शस्तक्त भस्म, अभ्रक भस्म इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
सभी प्रकार के ज ड ों में उपय गी। अपि ,वतल्ली िृस्तद्ध, शारीररक कमज री ,मधमेह ,पीवलया ,खूि की कमी ि
आम्लवपत्त में उपय गी औषवध।
सोंिभि:
भेषज रत्नािली
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
शद्ध पारा, शद्ध गों धक, लौह भस्म ,अभ्रक भस्म ,िाोंिी भस्म ,स्वणि भस्म,स्वणि माविक भस्म, िोंशल िि, भाोंग के बीज
इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
यह िीयि विकार जवित र ग ों के वलए एक उपय गी औषवध है । वजि व्यस्तक्तय ों में शारीररक बल का िाश ह गया ह
उिके वलए यह औषवध रसायि एिों िाजीकारक है , ऐसा वििे श शास्त्र ों में है ।
सोंिभि:
शक्िल्लभ रस
सेिि मात्रा:
ि से िार ग ली सबह-शाम वमश्री वमले हुए गमि िू ध के साथ िें ।
घटक द्रव्य:
लौह भस्म ,गों धक, म ती भस्म, अभ्रक भस्म, शद्ध पारि ,स्वणि माविक भस्म एिों स्वणि भस्म इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
आयिेविक रसायि औषधी है । परािी खाों सी, अस्थमा, श्वास र ग, खूि की कमी ,सामान्य कमज री आवि र ग ों में
उपय गी है । यह स्मरण शस्तक्त के वलए भी आयिेि शास्त्र ों में विविि ष्ट है।
सोंिभि:
भैषज्य रत्नािली
सेिि मात्रा:
वशलावजत्वावि बटी
घटक द्रव्य:
विवकत्सीय उपय ग:
मूत्र विकार ि प्रमेह र ग ों में उपय गी। शरीर क शस्तक्त स्फूती प्रिाि करिे में सहायक है ।
सोंिभि:
भेषज रत्नािली
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
कज्जली ,स्वणि भस्म, टों कण भस्म, िाोंिी भस्म ,वत्रकट, धतूरा बीज, ताम्र भस्म, ितजाि त , किूर एिों शोंख इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
सोंिभि:
वसद्ध य ग सोंग्रह
सेिि मात्रा:
सूवतका भरण रस
घटक द्रव्य:
स्वणि भस्म, िाोंिी भस्म, ताम्र भस्म, प्रिाल भस्म, शद्ध पारा, शद्ध गों धक, अभ्रक भस्म, शद्ध हरताल, शद्ध मैिवसल
,शोंठी ,काली वमिि, पीपल, कटकी, इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
इस रसायि का सेिि करिे से सभी प्रकार के सूवतका र ग एिों प्रसूवत में ह िे िाली समस्याएँ में लाभ ह ता है। यह
वत्रि ष व्यावधय ों में लाभकारी है ।
सोंिभि:
य गरत्नाकर
सेिि मात्रा:
आधी रत्ती से एक रत्ती तक आिश्यकतािसार विि में ि बार र गािसार उवित अिपाि के साथ िें
घटक द्रव्य:
शद्ध पारा, शद्ध गों धक, ताम्र भस्म ,अभ्रक भस्म, स्वणि माविक भस्म, स िा भस्म, िाोंिी भस्म ,शद्ध हरताल , िशमूल,
वपत्तपापडा, वत्रफला, वगल य, काकमािी, सोंभालू, पििििा, और अिरक इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
प्रत्येक ज्वर में इसका उपय ग वकया जाता है । यह रसायि आठ ों प्रकार के ज ड ों में उत्तम लाभ करता है ।
सोंिभि:
भेषज रत्नािली
सेिि मात्रा:
एक-एक ग ली सबह शाम परािा गड और पीपल के महीि िूणि के साथ सेिि करिा िावहए।
आइटम क ड:
स्वणि पपि टी
घटक द्रव्य:
विवकत्सीय उपय ग:
अम्ल वपत्त िाशक, आों त ों के वलए सोंक्मण र धी ,ग्रहणी ,सामान्य कमज री ि कमज र स्मरण शस्तक्त में उपय गी।
सोंिभि:
य ग रत्नाकर
सेिि मात्रा:
स्वणि भूपवत रस
घटक द्रव्य:
कज्जली , ताम्र भस्म, ल हा भस्म ,अभ्रक भस्म, काों त लौह भस्म ,स्वणि भस्म ,रौप्य भस्म इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
यह एक आयिेविक रसायि औषधी है । रुमेवटक समस्याओों ,ज ड ों का ििि ,अम्लवपत्त ,खट्टी डकार, ग्रहणी, अस्थमा,
पीवलया आवि र ग ों में इसका उपय ग वकया जाता है । ह्रिय क बल प्रिाि करता है ।
सोंिभि:
य ग रत्नाकर
सेिि मात्रा:
एक रत्ती से ि रत्ती शहि के साथ विि में ि बार
स्वणि भस्म
घटक द्रव्य:
शास्त्र क्त विवध से विवमित स्वणि भस्म
विवकत्सीय उपय ग:
अम्ल वपत्त िाशक ,रक्तिधिक ,हृिय के वलए टॉविक का कायि करता है । इसके सेिि से ियर ग , खूि की कमी
,प्रमेह, मस्तिष्क विकार, त्विा के विकार एिों सामान्य कमज री में लाभ ह ता है ।
सोंिभि:
वसद्ध य ग सोंग्रह
सेिि मात्रा:
ियस् ों में 15 वमलीग्राम से 60 वमलीग्राम ,बच्च ों में विवकत्सक के परामशि अिसार शहि के साथ
घटक द्रव्य:
आयिेविक रसायि औषधी है । सूखी खाों सी ,बलगम यक्त खाों सी, श्वेत प्रिर, ज्वर ,सामान्य कमज री, धात िीणता एिों
प्रमेह र ग ों में उपय गी है ।
सोंिभि:
रसतोंत्रसार ि वसद्ध प्रय ग सोंग्रह
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
स्वणि िकि , शद्ध पारि ,गों धक, सोंस्तखया शद्ध, मिःवशला शद्ध, हरताल शद्ध।, भाििा घृ तकमारी रस के साथ
शास्त्र क्त विवध से विवमित।
विवकत्सीय उपय ग:
ह्रिय र ग ों की प्रवसद्ध औषवध है । यह औषवध हृिय क बल िे ती है एिों मस्तिष्क विकार मैं इि से लाभ ह ता है ।
अस्थमा तथा वसफवलस र ग ों में भी इसके प्रय ग का वििे श शास्त्र ों में है ।
सोंिभि:
वसद्ध य ग सोंग्रह
सेिि मात्रा:
घटक द्रव्य:
स्वणि म ती, किू री यक्त, अष्टािश सोंस्ाररत पारि से विवमित, मकरध्वज ,स्वणि भस्म किू री ,म ती भस्म ,स्वणि बों ग
इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
यह औषवध शारीररक एिों मािवसक िबि लता क िू र करिे एिों ििीि शस्तक्त एिों स्फूवति के वलए उपय गी है । इसका
प्रभाि स्नायमोंडल, बात िावहिी िावडय ,ों मस्तिष्क और हृिय पर लाभकारी ह ता है ।
सोंिभि:
आयिेि सार सोंग्रह
सेिि मात्रा:
1-1 रत्ती विि में ि बार सबह शाम मध, मक्खि, वमश्री ,मलाई के साथ िें ।
स मिाथ रस ( िृहत)
घटक द्रव्य:
शद्ध पारि ,गों धक ,ल हा भस्म ,अभ्रक भस्म ,िाों िी भस्म, िोंग भस्म ,यशि भस्म, स्वणि भस्म ,स्वणि माविक भस्म
इत्यावि।
विवकत्सीय उपय ग:
प्रमेह र ग में उपय गी औषवध विशेषकर मधमेह में इसका प्रय ग करिे से लाभ ह ता है ऐसा शास्त्र ों में िवणित है ।
सोंिभि:
सेिि मात्रा:
हे म गभि प टली रस
घटक द्रव्य:
शद्ध पारा एिों स्वणि भस्म
विवकत्सीय उपय ग:
यह रसायि ,िीपक ,पािक ,वत्रि षिाशक और अवि िधिक है । इस रसायि के सेिि से राजयक्ष्मा , सोंग्रहणी ,श्वास
आवि कवठि र ग ों में लाभ ह ता है ।
सोंिभि:
रस कामधेि
सेिि मात्रा:
एक िौथाई से एक रत्ती सबह शाम मक्खि मलाई आवि के साथ या र गािसार अिपाि के साथ िे ।