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DASTAK ACADEMY

विशेषण

संज्ञा या सर्वनाम की वर्शेषता बताने र्ाले शब्द को विशेषण कहते हैं।

उदाहरण -

'वहमालय एक वर्शाल पर्वत है।' यहााँ "विशाल" शब्द "विमालय" की वर्शेषता बताता है; इसवलए र्ह वर्शेषण है।

वर्शेषण के भेद―

1.गुणिाचक विशेषण- विन शब्दों से संज्ञा के गुण अथर्ा दोष का बोध होता है;उन्हें गुणर्ाचक वर्शेषण कहते हैं।

गुणर्ाचक वर्शेषण के प्रमुख भेद वनम्न हैं -

भाििाचक- शूरर्ीर,कायर,बलर्ान,दयालु,वनदव य,अच्छा,बुरा आवद।

कालिाचक- अगला,वपछला,नया,पुराना आवद।

स्थानिाचक- ग्रामीण,शहरी,मैदानी,पहाड़ी,पंिाबी,वबहारी इत्यावद।

आकारिाचक- टे ड़ा-मेड़ा, सुंदर,भद्दा,लम्बा,ऊाँचा, नीचा,विगना,चौड़ा इत्यावद।

समयिाचक- प्रातःकालीन, सायंकाल, मावसक,त्रैमावसक,दै वनक इत्यावद।

दशािाचक- स्वस्थ, रोगी,दु बला,कमिोर आवद।

रं गिाचक- लाल,हरा,पीला, नीला,काला,बैंगनी,नारं गी इत्यावद।

2.संख्यािाचक विशे षण- वकसी र्स्तु की वर्शेषता को संख्या या वगनती में बताने र्ाले वर्शेषण संख्यार्ाची वर्शेषण
कहलाते हैं , इसे वनम्न भागों में बााँटा िा सकता है ―

अ) वनवित संख्यािाचक विशेषण – िो शब्द वकसी संज्ञा या सर्वनाम की वनवित संख्या का बोध कराये उसे वनवित
संख्यार्ाचक वर्शेषण कहते हैं -

िैसे-

मेरे पास दस पेन हैं ।

मुझे आि एक चॉकलेट वमली ।

यहााँ दस और एक वकसी वनवित संख्या का बोध करा रहे हैं ।

ब) अवनवित संख्यािाचक विशेषण- िो वर्शेषण शब्द वकसी संज्ञा की वनवित संख्या का बोध न कराते हो;अवनवित
संख्यार्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं।

िैसे-

मुझे लगभग पााँच पेन वमले।

शायद दस लोग वर्ियी होते ।

यहााँ संख्या के साथ लगभग,शायद,िैसे शब्द िुड़े रहते हैं ।


स) विभागबोधक विशेषण- िो वर्शेषण शब्द वकसी संज्ञा को बााँ टने के वलए प्रयुक्त होते हैं , वर्भागबोधक वर्शेषण
कहलाते हैं।

िैसे-

सभी छात्र दो-दो करके वनकलें।

अवभमन्यु ने दस-दस योद्धाओं को एक र्ार में मार वगराया।

3.पररमाणिाचक विशेषण- विन संज्ञाओं की गणना के स्थान पर माप-तौल होती है;उनकी वर्शेषता(माप-तौल,पररमाण)
बताने र्ाले शब्द पररमाणर्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं ।

इसके दो भेद हैं-

1. वनवित पररमाणिाचक विशेषण- िो वर्शेषण शब्द वकसी संज्ञा की वनवित मापतौल व्यक्त करते हैं;वनवित
पररमाणर्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं।

िैसे-

एक वकलो चीनी दीविए।

दो मीटर कपड़ा दीविये ।

पााँच लीटर दू ध , दो मीटर कपड़ा आवद ।

2. अवनवित पररमाणिाचक विशे षण- विन शब्दों से र्स्तुओं की वनवित मापतौल का बोध न हो;अवनवित
पररमाणर्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं।

िैसे- मुझे थोड़ा पानी वमलेगा ।

4.सािवनावमक विशेषण- िो सर्वनाम शब्द संज्ञा के वलए वर्शेषण का कायव करते हैं;उन्हें सार्वनावमक वर्शेषण कहते हैं।

िैसे- यह,र्ह,िो,कौन,क्या,कोई आवद शब्द संज्ञा से पूर्व प्रयुक्त होकर वर्शेषण का कायव करते हैं।

िैसे- र्ह लड़का बदमाश है ।

इस परीक्षाथी ने नकल की है ।

र्ह नेता वर्धायक है ।

तुलनात्मक विशेषण-

“जो शब्द संज्ञा शब्दों की विशे षता उतार-चढ़ाि के साथ व्यक्त करते िैं;यिी उतार-चढ़ाि तुलनात्मक विशेषण
में रखा गया िै।

सरल शब्दों में -

“दो या दो से अवधक िस्तुओ ं या भािों के गुण,मान आवद के परस्पर वमलान का विशेषण ‘तु लनात्मक विशेषण’
किलाता िै ।*

वहंदी में इस वर्षय पर अवधक चचाव नहीं होती, वकन्तु इसके तीन भेद माने गए हैं -

अ)मूलािस्था- इसमें तुलना न होकर,वर्शेषता सामान्य रूप से सीधे व्यक्त की िाती है;िैसे-

कोमल,गुरु,वनम्न आवद ।
ब)उत्तरािस्था- इसमें वर्शेषता का दो के मध्य तुलनात्मक वर्शेषण होता है;विसमें एक की अवधकता और एक की न्यूनता
वदखाई िाती है ।

उदाहरण- राम श्याम से अवधक समझदार है ।

स)उत्तमािस्था- इसमें अनेक में से वकसी एक को सबसे अवधक गुणशाली या दोषी बताया िाता है।

िैसे-

राहुल कक्षा का सबसे अवधक परिश्रमी छात्र है ।

तुलनात्मक वर्शेषणों के रूप-

मूलािस्था उत्तरािस्था उत्तमािस्था

कोमल कोमलतर कोमलतम

लघु लघुतर लघुतम

बृहत् बृहत्तर बृहत्तम

उच्च उच्चतर उच्चतम

अवधक अवधकतर अवधकतम

• िो शब्द वर्शेषणों की भी वर्शेषता बताते हैं उन्हें ‘प्रवर्शेषण’ कहते हैं ।


• पं० कामताप्रसाद गुरु ने इसे ‘अन्तवर्वशेषण’कहा है।

िैसे- अचवना अत्यंत सुंदर है;यहााँ अचवना सुंदर है वकंतु अवधक वर्शेषता अत्यंत द्वारा व्यक्त हो रही है;

यहााँ अत्यंत प्रवर्शेषण है ।

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