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गीत -अगीत

-रामधारी सिंह दिनकर


प्रश्नोत्तर :
1. नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गल ु ाब क्या सोच रहा है ?
नदी अपने विरह की पीड़ा को किनारों से कहते हुए बह जाने पर गल ु ाब अपने
मन में सोच रहा है कि यदि विधाता उसे स्वर (आवाज़) दे ते तो वह भी अपने पतझर के
सपनों को दनिु या को सन
ु ा सकता है ।

2. जब शक ु गाता है , तब शकु ी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है ?


जब शक ु गाता है तब शकु ी प्रसन्नता से भर उठती है और अपने पंखों को फैलाकर अंडे
सेंकने का काम करती है । उसका मन खश ु ी से भर जाता है । शकु ी के मन में भी स्नेह से भरे
गीत उमड़ पड़ते हैं जो प्रकट नहीं होते।

3. प्रेमी जब गीत गाता है ,तब प्रेमिका की क्या इच्छा होती है ?


जब प्रेमी गीत गाता है तब प्रेमिका उसका स्वर सनु कर आकर्षित होकर घर से बाहर
निकाल आती है । वह एक नीम के पेड़ की छाया में छिपकर गीत सन ु कर प्रेम -मग्न हो
जाती है । उसकी इच्छा होती है कि वह भी अपने प्रेमी के गीत में एक कड़ी बन जाए। प्रेमी
उसके बारे में कुछ गाये।

4. प्रथम छं द में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।


प्रथम छं द में कवि ने प्रकृति का मानवीकरण किया है । जब नदी तेज़ गति से बहती है या
पहाड़ों की ऊँचाई से झरने के रूप में गिरती है तो कलकल की आवाज़ निकलती है । यह
आवाज़ ऐसी लगती है कि वह अपने मन की विरह-वेदना को गीत के रूप में किनारों को
सन ु ा रही है ।
उसी नदी के किनारे पर एक पौधे पर लगा गलु ाब उस आवाज़ को सन ु कर
अपने मन में सोचता है कि यदि भगवान ने उसे स्वर दिया है तो वह भी पतझड़ के अपने
दःु ख को दनि ु या को सन ु ाता ।
5. प्रकृति के साथ पश-ु पक्षियों के संबध
ं की व्याख्या कीजिए।
प्रकृति के साथ पश-ु पक्षियों का गहरा संबधं है । पश-ु पक्षियों के बिना प्रकृति की कलपना
नहीं कर सकते हैं। वे अपने रं गों, रूपों, आकारों और उड़ान से प्रकृति को जीवंत बनाते हैं।
प्रकृति में संतल
ु न बनाए रखने में उनका बड़ा योगदान है । काले बादलों को दे खकर मोर
नाचता है । चातक पक्षी भी स्वाती नक्षत्र की वर्षा की बँदू ों से अपनी प्यास बझ ु ाती है ।
कविता
में भी कहा गया है कि सर्यू की सन ु हरी किरणों के तोते के शरीर को छूने से प्रसन्न होकर
वह
गाता है ।

6. मनष्ु य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है ?


मनष्ु य का भी प्रकृति के साथ अटूट रिश्ता है । प्रकृति के साथ मनष्ु य छे ड़-छाड़ करता है तो
प्रकृति बाढ़ ,तफ़ू ान के रूप में उसे आंदोलित करती है । मनष्ु य को प्रकृति के साथ संतल
ु न
बनाए रखना है नहीं तो उसका विकराल रूप दे खना पड़ता है । आजकल की प्राकृतिक
आपदाएँ अधिकतर मनष्ु य के प्रकृति के साथ छे ड़छाड़ का ही परिणाम है ।

7. सभी कुछ गीत है , अगीत कुछ नहीं होता । कुछ अगीत भी होता है क्या?स्पष्ट कीजिए।
सभी कुछ गीत नहीं है , अगीत का भी अस्तित्व होता है । जब मन के भावों को स्वरों में
प्रकट कर लेते हैं तो वे गीत का रूप धारण कर लेते हैं। जब मन के भावों को स्वरों का रूप
नहीं मिलता तो अगीत हो जाते हैं। दोनों का संबध ं मन के भावों से है । मन में उठने वाले
भाव अगीत हैं जिसमें ही गीत का जन्म होता है । गीत मख ु र होते हैं ,अगीत मौन होते हैं।
दोनों अपनी-अपनी जगह सद ंु र हैं।
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