Professional Documents
Culture Documents
CH 1
CH 1
पाठ – 01
माता का आँचल
(1) रामायण पाठ कर रहे अपने पता के पास बैठा हुआ भोलानाथ का आईने म/ अपने को
दे खकर खश
ु होना और जब उसके पताजी उसे दे खते ह@ तो लजाकर उसका आईना रख दे ने
क अदा बड़ी 2यार1 लगती है ।
(2) ब चे का अपने पता के साथ कु"ती लड़ना। 0श थल होकर ब चे के बल को बढ़ावा दे ना
और पछाड़ खा कर गर जाना। ब चे का अपने पता क मंछ
ू खींचना और पता का इसम/
+सGन होना बड़ा ह1 आनGदमयी +संग है ।
(3) ब च8 eवारा बारात का वांग रचते हुए समधी का बकरे पर सवार होना। द\
ु हन को 0लवा
लाना व पता eवारा द\
ु हन का घँघू ट उठाने ने पर सब ब च8 का भाग जाना, ब च8 के
खेल म/ समाज के +*त उनका :झान झलकता है तो दस
ू र1 और उनक नाटक यता, वांग
उनका बचपना।
(4) कहानी के अGत म/ भोलानाथ का माँ के आँचल म/ *छपना, 0ससकना, माँ क चंता, ह\द1
लगाना, बाबू जी के बुलाने पर भी मन क गोद न छोड़ना ममT पश g"य उपि थत करता
है ; अनायास माँ क याद Vदला दे ता है ।
उ तर6:
2. पहले गाँव8 म/ भरे पूरे पkरवार होते थे। आज एकल सं कृ*त ने जGम 0लया है ।
5. पहले गाँव म/ लोग बहुत ह1 सीधा-सादा जीवन pयतीत करते थे। आज बनावट1पन दे खने
0मलता है ।
भोलानाथ के पता के Vदन का आरOभ ह1 भोलानाथ के साथ शु: होता है । उसे नहलाकर पूजा
पाठ कराना, उसको अपने साथ घूमाने ले जाना, उसके साथ खेलना व उसक बालसल
ु भ > ड़ा
से +सGन होना, उनके नेह व +ेम को pयNत करता है ।
1. माता- पता के साथ व0भGन +कार क बात/ करके अपना 2यार pयNत करते ह@।
2. माता- पता को कहानी सुनाने या कह1ं घुमाने ले जाने क या अपने साथ खेलने को कहकर।
3. वे अपने माता- पता से रो-धोकर या िज़द करके कुछ माँगते ह@ और 0मल जाने पर उनको
व0भGन तरह से 2यार करते ह@।
4. माता- पता के साथ नाना-+कार के खेल खेलकर।
5. माता- पता क गोद म/ बैठकर या पीठ पर सवार होकर।
6. माता- पता के साथ रहकर उनसे अपना 2यार pयNत करते ह@।
उ तर11: + तुत पाठ म/ ब च8 क जो द*ु नया रची गई है उसक पyृ ठभू0म पूणत
T या ]ामीण जीवन
पर आधाkरत है । + तुत कहानी तीस के दशक क है । त काल1न समय म/ ब च8 के पास
खेलन-कूदने का अ धक समय हुआ करता था। उनपर पढ़ाई करने का आज िजतना दबाव
नह1ं था। ये अलग बात है Xक उस समय उनके पास खेलने के अ धक साधन नह1ं थे। वे
लोग अपने खेल +कृ*त से ह1 +ा2त करते थे और उसी +कृ*त के साथ खेलते थे। उनके
0लए 0मSी, खेत, पानी, पेड़, 0मSी के बतTन आVद साधन थे। आज तीन वषT क उ7 होते
ह1 ब च8 को नसTर1 म/ भत करा Vदया जाता है । आज के ब चे वYडयो गेम, ट1.वी.,
कO2यूटर, शतरं ज़ आVद खेलने म/ लगे रहते ह@ या Xफर X>केट, फुटबॉल, हॉक , बेड0मzटन
या काटूTन आVद म/ ह1 अपना समय बीता दे ते ह@।
उ तर12:
1 फणी"वरनाथ रे णु का उपGयास 'मैला आँचल' पठनीय है ।
2 नागाजुन
T का उपGयास 'बलचनमा' आँच0लक है ।