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NCERT Solution

पाठ – 01
माता का आँचल

उ तर1: ब चे को दय पश नेह क पहचान होती है । ब चे को वपदा के समय अ या धक


ममता और नेह क आव"यकता थी। भोलानाथ का अपने पता से अपार नेह था पर
जब उस पर वपदा आई तो उसे जो शां*त व +ेम क छाया अपनी माँ क गोद म/ जाकर
0मल1 वह शायद उसे पता से +ा2त नह1ं हो पाती। माँ के आँचल म/ ब चा वयं को
सुर45त महसूस करताहै ।

उ तर2: भोलानाथ भी ब चे क वाभा वक आदत के अनस


ु ार अपनी उ7 के ब च8 के साथ खेलने
म/ : च लेता है । उसे अपनी 0म; मंडल1 के साथ तरह-तरह क > ड़ा करना अ छा लगता
है । वे उसके हर खेल व हुदगड़ के साथी ह@। अपने 0म;8 को मजा करते दे ख वह वयं को
रोक नह1ं पाता। इस0लए रोना भूलकर वह दब
ु ारा अपनी 0म; मंडल1 म/ खेल का मजा
उठाने लगता है । उसी मDनाव था म/ वह 0ससकना भी भूल जाता है ।

उ तर3: मुझे भी अपने बचपन के कुछ खेल और एक - आध तुकबिGदयाँ याद ह@:-

1. अटकन - बटकन दह1 चटाके।


बनफूल बंगाले।
2. अNकड़ - बNकड़ बOबे बो,
अ सी नQबे पूरे सौ।
उ तर4: भोलानाथ व उसके साथी खेल के 0लए आँगन व खेत8 पर पड़ी चीज8 को ह1 अपने खेल का
आधार बनाते ह@। उनके 0लए 0मSी के बतTन, प थर, पेड़8 के प ते, गील1 0मSी, घर के
समान आVद व तुएँ होती थी िजनसे वह खेलते व खश
ु होते। आज जमाना बदल चक
ु ा है ।
आज माता- पता अपने ब च8 का बहुत Wयान रखते ह@। वे ब च8 को बेXफ> खेलने-घूमने
क अनुम*त नह1ं दे ते। हमारे खेलने के 0लए आज X>केट का सामान, 0भGन-0भGन तरह
के वीYडयो गेम व कO2यूटर गेम आVद बहुत सी चीज़/ ह@ जो इनक तल
ु ना म/ बहुत अलग
ह@। भोलानाथ जैसे ब च8 क व तुएँ सुलभता से व [बना मू\य खचT Xकए ह1 +ा2त हो
जाती ह@ परGतु आज खेल साम]ी व*न0मTत न होकर बाज़ार से खर1दनी पड़ती है । आज
के युग म/ खेलने क समय-सीमा भी तय कर ल1 जाती है । अतः आज खेल म/ व छं दता
नह1ं होती है ।
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उ तर5: पाठ म/ ऐसे कई +संग आए ह@ िजGह8ने मेरे Vदल को छू 0लए -

(1) रामायण पाठ कर रहे अपने पता के पास बैठा हुआ भोलानाथ का आईने म/ अपने को
दे खकर खश
ु होना और जब उसके पताजी उसे दे खते ह@ तो लजाकर उसका आईना रख दे ने
क अदा बड़ी 2यार1 लगती है ।
(2) ब चे का अपने पता के साथ कु"ती लड़ना। 0श थल होकर ब चे के बल को बढ़ावा दे ना
और पछाड़ खा कर गर जाना। ब चे का अपने पता क मंछ
ू खींचना और पता का इसम/
+सGन होना बड़ा ह1 आनGदमयी +संग है ।
(3) ब च8 eवारा बारात का वांग रचते हुए समधी का बकरे पर सवार होना। द\
ु हन को 0लवा
लाना व पता eवारा द\
ु हन का घँघू ट उठाने ने पर सब ब च8 का भाग जाना, ब च8 के
खेल म/ समाज के +*त उनका :झान झलकता है तो दस
ू र1 और उनक नाटक यता, वांग
उनका बचपना।
(4) कहानी के अGत म/ भोलानाथ का माँ के आँचल म/ *छपना, 0ससकना, माँ क चंता, ह\द1
लगाना, बाबू जी के बुलाने पर भी मन क गोद न छोड़ना ममT पश g"य उपि थत करता
है ; अनायास माँ क याद Vदला दे ता है ।
उ तर6:

1. गाँव8 म/ हरे भरे खेत8 के बीच व5


ृ 8 के झुरमुट और ठं डी छांव8 से *घरा क ची 0मSी एवं
छान का घर हुआ करता था आज jयादा तर गाँव8 म/ पNके मकान ह1 दे खने 0मलते है ।

2. पहले गाँव8 म/ भरे पूरे पkरवार होते थे। आज एकल सं कृ*त ने जGम 0लया है ।

3. अब गाँव म/ भी वlान का +भाव बढ़ता जा रहा है ; जैसे - लालटे न के थान पर


[बजल1, बैल के थान पर mै Nटर का +योग, घरे लू खाद के थान पर बाज़ार म/ उपलQध
कृ[;म खाद का +योग तथा वदे शी दवाइय8 का +योग Xकया जा रहा है ।

4. पहले क तुलना म/ अब Xकसान8 (खे*तहर मज़दरू 8) क संnया घट रह1 है ।

5. पहले गाँव म/ लोग बहुत ह1 सीधा-सादा जीवन pयतीत करते थे। आज बनावट1पन दे खने
0मलता है ।

उ तर7: मुझे भी मेरे बचपन क एक घटना याद आ रह1ं है ।


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म@ आँगन म/ खेल रहा था कुछ ब च/ प थर से पेड़ पर फँसी पतंग *नकालने का +यास कर रहे
थे।
एक प थर मुझे आँख पर लगा। म@ जोर8 से रोने लगा। मुझे पीड़ा से रोता हुआ दे खकर माँ भी
रोने लगी Xफर माँ और पता जी मुझे डॉNटर के पास ले गए। डॉNटर ने जब कहा डरने क
बात नह1ं है तब दोन8 क जान म/ जान आई।
उ तर8: माता का अँचल म/ माता- पता के वा स\य का बहुत सरस और मनमोहक वणTन हुआ है ।
इसम/ लेखक ने अपने शैशव काल का वणTन Xकया है ।

भोलानाथ के पता के Vदन का आरOभ ह1 भोलानाथ के साथ शु: होता है । उसे नहलाकर पूजा
पाठ कराना, उसको अपने साथ घूमाने ले जाना, उसके साथ खेलना व उसक बालसल
ु भ > ड़ा
से +सGन होना, उनके नेह व +ेम को pयNत करता है ।

भोलानाथ क माता वा स\य व मम व से भरपूर माता है । भोलानाथ को भोजन कराने के 0लए


उनका 0भGन-0भGन तरह से वांग रचना एक नेह1 माता क ओर संकेत करता है । जो अपने
पु; के भोजन को लेकर चिGतत है । दस
ू र1 ओर उसको लहुलुहान व भय से काँपता दे खकर माँ
भी वयं रोने व च\लाने लगती है । अपने प;
ु क ऐसी दशा दे खकर माँ काsदय भी दख
ु ी हो
जाता है । माँ का ममतालु मन इतना भावुक है Xक वह ब चे को डर के मारे काँपता दे खकर रोने
लगती है । उसक ममता पाठक को बहुत +भा वत करती है ।

उ तर9: लेखक ने इस कहानी के आरOभ म/ Vदखाया है Xक भोलानाथ का jयादा से jयादा समय


पता के साथ बीतता है । कहानी का शीषTक पहले तो पाठक को कुछ अटपटा-सा लगता है
पर जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है बात समझ म/ आने लगती है । इस कहानी म/ माँ के
आँचल क साथTकता को समझाने का +यास Xकया गया है । भोलानाथ को माता व पता
दोन8 से बहुत +ेम 0मला है । उसका Vदन पता क छ;छाया म/ ह1 शु: होता है । पता
उसक हर > ड़ा म/ सदै व साथ रहते ह@ , वपदा होने पर उसक र5ा करते ह@। परGतु जब
वह साँप से डरकर माता क गोद म/ आता है और माता क जो +*तX>या होती है , वैसी
+*तX>या या उतनी तड़प एक पता म/ नह1ं हो सकती। माता उसके भय से
भयभीत है , उसके द:ु ख से दख
ु ी है , उसके आँसू से uखGन है । वह अपने प;
ु क पीड़ा को
दे खकर अपनी सुधबुध खो दे ती है । वह बस इसी +यास म/ है Xक वह अपने पु; क पीड़ा
को समा2त कर सके। माँ का यह1 +यास उसके ब चे को आ मीय सुख व +ेम का अनुभव
कराता है । उसके बाद तो बात शीशे क तरह साफ़ हो जाती है Xक पाठ का शीषTक 'माता
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का आँचल' Nय8 उ चत है । पूरे पाठ म/ माँ क ममता ह1 +धान Vदखती है , इस0लए कहा
जा सकता है Xक पाठ का शीषTक सवTथा उ चत है । इसका अGय शीषTक हो सकता है - 'माँ
क ममता'।

उ तर10: ब चे माता- पता के +*त अपने +ेम क अ0भpयिNत कई तरह से करते ह@ -

1. माता- पता के साथ व0भGन +कार क बात/ करके अपना 2यार pयNत करते ह@।
2. माता- पता को कहानी सुनाने या कह1ं घुमाने ले जाने क या अपने साथ खेलने को कहकर।
3. वे अपने माता- पता से रो-धोकर या िज़द करके कुछ माँगते ह@ और 0मल जाने पर उनको
व0भGन तरह से 2यार करते ह@।
4. माता- पता के साथ नाना-+कार के खेल खेलकर।
5. माता- पता क गोद म/ बैठकर या पीठ पर सवार होकर।
6. माता- पता के साथ रहकर उनसे अपना 2यार pयNत करते ह@।
उ तर11: + तुत पाठ म/ ब च8 क जो द*ु नया रची गई है उसक पyृ ठभू0म पूणत
T या ]ामीण जीवन
पर आधाkरत है । + तुत कहानी तीस के दशक क है । त काल1न समय म/ ब च8 के पास
खेलन-कूदने का अ धक समय हुआ करता था। उनपर पढ़ाई करने का आज िजतना दबाव
नह1ं था। ये अलग बात है Xक उस समय उनके पास खेलने के अ धक साधन नह1ं थे। वे
लोग अपने खेल +कृ*त से ह1 +ा2त करते थे और उसी +कृ*त के साथ खेलते थे। उनके
0लए 0मSी, खेत, पानी, पेड़, 0मSी के बतTन आVद साधन थे। आज तीन वषT क उ7 होते
ह1 ब च8 को नसTर1 म/ भत करा Vदया जाता है । आज के ब चे वYडयो गेम, ट1.वी.,
कO2यूटर, शतरं ज़ आVद खेलने म/ लगे रहते ह@ या Xफर X>केट, फुटबॉल, हॉक , बेड0मzटन
या काटूTन आVद म/ ह1 अपना समय बीता दे ते ह@।

उ तर12:
1 फणी"वरनाथ रे णु का उपGयास 'मैला आँचल' पठनीय है ।
2 नागाजुन
T का उपGयास 'बलचनमा' आँच0लक है ।

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