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Wa0012.
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Verma
अध्याय 5
दस्तावेजी साक्ष्य के ववषय में
(OF DOCUMENTARY EVIDENCE)
धारा 61. दस्तावेजों की अन्तववस्तु का सबूत-
▪ दस्तावेजों की अन्तववस्तु या तो प्राथममक या द्ववतीयक साक्ष्य द्वारा साबित की जा सकेगी।
स्पष्टीकरण 1 -
▪ जहााँ कक कोई दस्तावेज कई िल
ू प्रनतयों िें निष्पाददत हैं, वहााँ हर एक मूल प्रतत उस दस्तावेज का प्राथममक साक्ष्य है ।
▪ जहााँ कक कोई दस्तावेज प्रनतलेख िें निष्पाददत है और एक प्रनतलेख पक्षकारों िें से केवल एक पक्षकार या कुछ पक्षकारों द्वारा
तिष्पाददत ककया गया है , वहााँ हर एक प्रततलेख उि पक्षकारों के ववरुद्ध, जजन्होंिे उसका तिष्पादि ककया है , प्राथममक साक्ष्य है ।
स्पष्टीकरण 2 -
▪ जहााँ कक अिेक दस्तावेजें एकरूपात्िक प्रकिया द्वारा ििाई गई हैं, जैसा कक मद्र
ु ण, मशला मुद्रण या फोटो चित्रण में होता है , वहााँ
उिमें से हर एक शेष सबकी अन्तववस्तु का प्राथममक साक्ष्य है ककन्तु जहााँ कक वे सब ककसी सामान्य मूल की प्रततयााँ हैं, वहााँ वे िूल
की अन्तववस्तु का प्राथममक साक्ष्य िहीं हैं।
दृष्टान्त
▪ यह दमशवत ककया जाता है कक एक ही सिय एक ही िल
ू से िदु ित अिेक प्लेकार्व ककसी व्यक्तत के कब्जे िें रखे हैं।
▪ इि प्लेकार्ों िें से कोई िी एक अन्य ककसी िी अन्तववस्तु का प्राथममक साक्ष्य है , ककन्तु उििें कोई भी मूल की अन्तववस्तु का
प्राथममक साक्ष्य िहीं है ।
4. उि पक्षकारों के ववरुद्ध, जजन्होंिे उन्हें तिष्पाददत िहीं ककया है , दस्तावेजों के प्रततलेख (प्रततरूप, मुसन्िा);
5. ककसी दस्तावेज की अन्तववस्तु का उस व्यक्तत द्वारा, जजसिे स्वयं उसे दे खा है , ददया हुआ मौणखक वत्त
ृ ान्त |
दृष्टान्त
(क) ककसी िूल का फोटोचचि, यद्यवप दोिों की तुलिा ि की गई हो तथावप यदद यह साबबत ककया गया हो कक फोटोचिबत्रत वस्तु मूल
थी, उस मूल की अन्तववस्तु का द्ववतीयक साक्ष्य है ।
(ख) ककसी पि की वह प्रनत क्जसकी तल
ु िा उस पि की, उस प्रनत से कर ली गई है जो प्रनतमलवप यन्ि द्वारा तैयार की गई है , उस पि
की अन्तववस्तु का द्ववतीयक साक्ष्य है , यदद यह दमशवत कर ददया जाता है कक प्रततमलवप -यन्त्र द्वारा तैयार की गई प्रतत मूल से बिाई
गई थी।
(ग) प्रनत की िकल करके तैयार की गई ककन्तु तत्पश्चात ् िल
ू से तल
ु िा की हुई प्रनतमलवप द्ववतीयक साक्ष्य है , ककन्तु इस प्रकार तल
ु िा
िहीं की हुई प्रतत मूल का द्ववतीयक साक्ष्य िहीं है यद्यवप उस प्रतत की, जजससे वह िकल की गई है , मूल से तुलिा की हुई थी।
(घ) ि तो िूल से तुलिाकृत प्रनत का मौणखक वत्त
ृ ान्त और ि मूल के ककसी फोटोचित्र या यन्त्रकृत प्रतत का मौणखक वत्त
ृ ान्त मूल का
द्ववतीयक साक्ष्य है ।
▪ धारा 64.
▪ धारा 65. वे अवस्थाएाँ, क्जििें दस्तावेजों के सम्िन्ध िें द्ववतीयक साक्ष्य ददया जा सकेगा
▪ ककसी दस्तावेज के अजस्तत्व, दशा या अन्तववस्तु का द्ववतीयक साक्ष्य तिम्िमलणखत अवस्थाओं में ददया जा सकेगा-
(क) जिकक यह दमशवत कर ददया जाये या प्रतीत होता हो कक िूल ऐसे व्यक्तत के कब्जे िें या शतत्याधीि है , क्जसके ववरुद्ध उस
दस्तावेज का साबित ककया जािा ईक्प्सत (चाहा गया) है , अथवा
जो न्यायालय की आदे मशका की पहुाँच के िाहर है , या आदे मशका के अध्यधीि िहीं है , अथवा जो उसे पेश करिे के मलए वैध रूप िें
आिद्ध है ; और जि कक ऐसा व्यक्तत धारा 66 िें वर्णवत सच
ू िा के पश्चात ् उसे पेश िहीं करता है ;
(ख) जिकक िूल के अजस्तत्व, दशा या अन्तववस्तु को उस व्यजतत द्वारा जजसके ववरुद्ध उसे साबबत ककया जािा है या उसके दहत
प्रतततिचध द्वारा मलणखत रूप में स्वीकृत ककया जािा साबबत कर ददया गया है ;
(ग) जिकक िूल िष्ट हो गया है या खो गया है अथवा उसकी अन्तववस्तु का साक्ष्य दे िे की प्रस्थापिा करिे वाला पक्षकार अपिे स्वयं
के व्यततिम या उपेक्षा से अद्िूत अन्य ककसी कारण से उसे युजततयत
ु त समय में पेश िहीं कर सकता;
(घ) जिकक िूल इस प्रकृनत का है कक उसे आसािी से स्थािान्तररत िहीं ककया जा सकता।
(ङ) जिकक मल
ू धारा 74 के अन्तगवत एक लोक दस्तावेज है;
(ि) जि कक िूल ऐसी दस्तावेज है जजसकी प्रमाणणत प्रतत का साक्ष्य में ददया जािा इस अचधतियम द्वारा या िारत में प्रवत्त
ृ ककसी
अन्य ववचध द्वारा अिज्ञ
ु ात. है ;
(छ) जिकक िूल ऐसे अिेक लेखाओं या अन्य दस्तावेजों से गदित है , जजिकी न्यायालय में सुववधापूवक
व परीक्षा िहीं की जा सकती
और वह तथ्य जजसे साबबत ककया जािा है , सम्पण
ू व संग्रह का साधारण पररणाम है;
अवस्थाओं (क), (ग) और (घ) िें दस्तावेजों की अन्तववस्तु का कोई िी द्ववतीयक साक्ष्य ग्राह्य है ।
अवस्था (ख) िें वह मलर्खत स्वीकृनत ग्राह्य है ।
अवस्था (ङ) या (ि) िें दस्तावेज की प्रिार्णत प्रनत ग्राह्य हैं, ककन्तु अन्य ककसी भी प्रकार का द्ववतीयक साक्ष्य ग्राह्य िहीं
अवस्था (छ) िें दस्तावेजों के साधारण पररणाि का साक्ष्य ककसी ऐसे व्यजतत द्वारा ददया जा सकेगा जजसिे उिकी परीक्षा की है और
ऐसी दस्तावेजों की परीक्षा करिे में कुशल है ।
धारा 65क. इलेतरातिक अमिलेख से सम्बजन्धत साक्ष्य के बारे में ववशेष प्रावधाि –
▪ इलेतरानिक अमभलेखों की अन्तववस्तुयें धारा 65 (ख) के प्रावधािों के अिुसार साबित की जा सकेंगी।
1. इस अचधनियि िें अन्तवववष्ट ककसी चीज के होते हुए भी, इलेतरानिक अमभलेख िें अन्तवववष्ट कोई सूचिा, जो कागज पर िुदित है
और कम्प्यूटर द्वारा उत्पाददत प्रकाशीय या चुम्िकीय िाध्यि िें भाण्र्ाररत, अमभमलर्खत या िकल की गयी है क्जसे
एतक्स्ििपश्चात ् कम्प्यट
ू र उत्पादि के रूप िें निददव ष्ट ककया जाएगा, दस्तावेज भी होिा िािी जाएगी, यदद इस धारा में वणणवत शतों
का समाधाि प्रचिगत सि
ू िा और कम््यूटर के सम्बन्ध में ककया जाता है और ककसी कायववाही में , ककसी और सबूत या मूल को पेश
ककए बबिा, मूल की ककसी अन्तववस्तु या उसमें अचधकचथत ककसी तथ्य के, जजसका प्रत्यक्ष साक्ष्य ग्राह्य होगा, साक्ष्य के रूप में ग्राह्य
होगी।
2. कम्प्यट
ू र उत्पादि के सम्िन्ध िें उपधारा (1) िें निददव ष्ट शतें निम्िमलर्खत होगी, अथावत ्-
(क) सूचिा के अन्तवववष्ट करिे वाले कम्प्यूटर उत्पाद का उत्पादि कम्प्यूटर द्वारा उस अवचध के दौराि ककया गया था, क्जसिें
कम्प्यूटर का नियमित प्रयोग कम्प्यूटर के प्रयोग पर वैध नियंिण रखिे वाले व्यक्तत द्वारा उस अवचध िें नियमित रूप से ककए गए
ककसी कियाकलाप के प्रयोजि के मलए सच
ू िा का भाण्र्ाररत या संसाचधत करिे के मलए ककया गया था;
(ख) उतत अवचध के दौराि, इलेतरानिक अमभलेख िें अन्तवववष्ट प्रकार की सूचिा या इस प्रकार की सूचिा, क्जसिें इस प्रकार
अन्तवववष्ट सूचिा प्राप्त की जाती है , नियमित रूप से उतत कियाकलाप के सािान्य अिि
ु ि िें कम्प्यूटर िें भरी गयी थी।
(ग) उतत अवचध के ताक्त्वक भाग के दौराि कम्प्यट
ू र सिुचचत ढं ग से संचामलत हो रहा था, या यदद संचामलत िहीं हो रहा था, जि
ककसी ऐसी अवचध के सम्िन्ध िें , क्जसिें वह सिुचचत रूप से संचामलत िहीं हो रहा था या अवचध के उस भाग के दौराि संचालि से
िाहर था, ऐसा िहीं था, जो इलेतरानिक अमभलेख या उसकी अन्तववस्तुओं की शुद्धता को प्रभाववत करे और;
(घ) इलेतरानिक अमभलेख िें अन्तवववष्ट सूचिा उतत कियाकलाप के सािान्य अिुिि िें कम्प्यट
ू र िें भरी गयी ऐसी सच
ू िा से पुिः
उत्पाददत की जाती है या व्युत्पन्ि होती है ।
3. जहााँ ककसी अवचध िें ककसी कियाकलाप के जो नियमित रूप से उस अवचध िें की गयी हैं, जैसा कक उपधारा (2) के खण्र् (क) िें
वर्णवत है , प्रयोजि के मलए सच
ू िा को भण्र्ाररत या संसाचधत करिे का कायव नियमित रूप से कम्प्यट
ू द्वारा ककया गया था, चाहे -
(क) उस अवचध के दौराि संचामलत कम्प्यूटरों के संयोजि द्वारा, या
(ख) उस अवचध के दौराि उत्तरोत्तर संचामलत ववमभन्ि कम्प्यट
ू रों द्वारा, या
(ग) उस अवचध के दौराि उत्तरोत्तर संचामलत कम्प्यूटरों के ववमभन्ि संयोजि द्वारा, या
(घ) ककसी अन्य ढं ग िें , क्जसिें उतत अवचध के दौराि, एक या अचधक कम्प्यट
ू रों का उत्तरवती संचालि, चाहे क्जस िि िें हो, और
एक या अचधक कम्प्यूटरों का संयोजि शामिल हो,
ककया गया हो, वहााँ उस अवचध के दौराि उस प्रयोजि के मलए प्रयुतत सभी कम्प्यूटरों को इस धारा के प्रयोजि के मलए एक कम्प्यूटर
गदित करिे वाला िािा जाएगा और इस धारा िें कम्प्यट
ू र के प्रनत निदे श का तद्िस
ु ार अथावन्वयि ककया जाएगा।
4. ककसी कायववाही िें , जहााँ इस धारा के पररणािस्वरूप साक्ष्य िें कथि दे िे की वांछा की जाती है , निम्िमलर्खत चीजों िें से ककसी को
करिे वाला, अथावत ्-
(क) इलेतरानिक अमभलेख को, क्जसिें कथि अन्तवववष्ट है और उस ढं ग का वववरण है , क्जसिें इसका उत्पादि ककया गया था,
पररलक्षक्षत करते हुए;
(ख) ककसी युक्तत की, जो उस इलेतरानिक अमभलेख के उत्पादि िें अन्तग्रवस्त है , ऐसी ववमशक्ष्टयों को दे ते हुए, जो यह दमशवत करिे
के प्रयोजि के मलए सिचु चत हो कक इलेतरानिक अमभलेख का उत्पादि कम्प्यट
ू र द्वारा ककया गया था;
(ग) िािलों िें से ककसी पर क्जससे उपधारा (2) िें वर्णवत शतें सम्िक्न्धत हैं, ववचार करते हुए;
प्रिाणपि को, जो सुसंगत युक्तत के संचालि या सुसंगत कियाकलापों के प्रिन्धि (जो भी सिुचचत हो) के सम्िन्ध िें उत्तरदायी पदीय
क्स्थनत ग्रहण करिे वाले व्यक्तत द्वारा हस्ताक्षररत ककया जािा तात्पनयवत है , ककसी मामले का, जो प्रमाणपत्र में अचधकचथत है , साक्ष्य
मािा जायेगा और इस उपधारा के प्रयोजिों के मलए यह उसे अचधकचथत करिे वाले व्यजतत के सवोत्तम ज्ञाि तथा ववचवास में
अचधकचथत ककये जािे वाले मामले के मलए पयाव्त होगा।
5. इस धारा के प्रयोजिों के मलए-
(क) सच
ू िा कम्प्यूटर िें प्रदाि की गयी िािी जाएगी, यदद उसे ककसी सिचु चत रूप िें उसको प्रदाि की जाती है और चाहे इसे सीधे या
(िािवीय हस्तक्षेप सदहत या के बििा) ककसी सिचु चत उपकरण के द्वारा प्रदाि ककया जाता है ;
(ख) चाहे ककसी पदधारी द्वारा ककए गए कियाकलापों के अिि
ु ि, सूचिा उि कियाकलापों के अिुिि के अनतररतत अन्यथा संचामलत
कम्प्यूटर द्वारा उि कियाकलापों के प्रयोजिों के मलए भण्र्ाररत या संसाचधत ककये जािे की की जाती है , ति वह सच
ू िा, यदद सम्यक्
रूप से उस कम्प्यट
ू र को प्रदाि की जाती है , उि कियाकलापों के अिि
ु ि िें उिको प्रदाि की गयी िािी जाएगी;
(ग) कम्प्यूटर उत्पाद को कम्प्यूटर द्वारा उत्पाददत ककया गया िािा जाएगा, िाहे वह इसके द्वारा सीधे उत्पाददत ककया गया हो या
मािवीय हस्तक्षेप सदहत या के बबिा ककसी उपयुतत उपकरण द्वारा उत्पाददत ककया गया हो।
स्पष्टीकरण -
▪ इस धारा के प्रयोजिों के मलए, सूचिा के, जो अन्य सूििा से व्युत्पन्ि हुआ हो, प्रतत तिदे श उसके प्रतत तिदे श होगा, जो संगणिा,
तुलिा या ककसी अन्य प्रकिया द्वारा व्युत्पन्ि हुआ हो ।
सूििा का पररणाम -
▪ न्यायालय यह उपधाररत करे गा कक प्रत्येक दस्तावेज क्जसे पेश करिे की अपेक्षा की गई थी जो पेश करिे की सूचिा के पश्चात ्
पेश िहीं की गई है , ववचध द्वारा -अपेक्षक्षत प्रकार से अिुप्रिार्णत, स्टाक्म्पत और निष्पाददत की गई थी ( धारा 89)।
▪ धारा 163 के अिस
ु ार, जि कोई पक्षकार ककसी दस्तावेज को क्जसे पेश करिे की उसिे दस
ू रे पक्षकार को सच
ू िा दी है , िााँगता है
और ऐसी दस्तावेज पेश की जाती है और उस पक्षकार द्वारा जजसिे उसके पेश करिे की मांग की थी, तिरीक्षक्षत हो जाती है तब
यदद उसे पेश करिे वाला पक्षकार उससे ऐसा करिे की अपेक्षा करता है तो वह उस दस्तावेज को साक्ष्य के रूप में दे िे के मलए
आबद्ध होगा।
▪ धारा 164 के अधीि जि कोई पक्षकार ककसी ऐसी दस्तावेज को पेश करिे से इन्कार कर दे ता है क्जसे पेश करिे की सच
ू िा उसे
मिल चुकी है ति वह तत्पश्चात ् उस दस्तावेज को दस
ू रे पक्षकार की सम्िनत या न्यायालय के आदे श के बििा साक्ष्य के रूप िें
उपयोग िें िहीं ला सकेगा।
▪ सूचिा के नियिों से सम्भाव्य कदििाइयों से और अन्याय से िचािे के मलए परन्तुक िें वर्णवत की गई छह अवस्थाओं के
अनतररतत इस धारा के दस
ू रे पैरा के अधीि न्यायालय को यह शक्तत है कक वह ककसी िी अन्य अवस्था में , जजसे वह उचित समझे
सि
ू िा दे िे की अतिवायवता से ककसी पक्षकार को अमिमजु तत प्रदाि कर सकता है ।
महत्वपूणव बबन्द ु
▪ दस्तावेज की अन्तववस्तु प्राथममक साक्ष्य या द्ववतीयक साक्ष्य से साबबत ककया जा सकता है
▪ न्यायालय के निरीक्षण के मलए जो दस्तावेज पेश ककया जाता है वह स्वयं प्राथममक साक्ष्य है ।
▪ ककसी दस्तावेज की अन्तववस्तु को जो व्यक्तत दे खा है वह उसका मौणखक वत्त
ृ ान्त दे सकता है । इस प्रकार ककसी दस्तावेज की
अन्तववस्तु का मौणखक वत्त
ृ ान्त द्ववतीयक साक्ष्य है ।
▪ दस्तावेज की अन्तववस्तु प्राथमिक साक्ष्य द्वारा साबित ककया जायेगा लेककि धारा 65 में दी गई पररजस्थततयों में द्ववतीयक साक्ष्य
ददया जा सकता है ।
▪ दस्तावेज को पेश करिे के मलए सूचिा दी जािी आवश्यक है (धारा 66)। सूििा ददये जािे पर दस्तावेज जजस व्यजतत के कब्जे में
है वह पेश िहीं करता है तो पक्षकार उस दस्तावेज का द्ववतीयक साक्ष्य पेश कर सकता है ।
धारा 67.
जजस व्यजतत के बारे में अमिकचथत है कक उसिे पेश की गई दस्तावेज को हस्ताक्षररत ककया था या मलखा था, उस व्यजतत के
हस्ताक्षर या हस्तलेख को साबबत ककया जािा -
▪ यदद कोई दस्तावेज ककसी व्यक्तत द्वारा हस्ताक्षररत या पूणत
व ः या भागत, मलखी गई अमभकचथत है , तो यह साबबत करिा होगा
कक वह हस्ताक्षर या उस दस्तावेज के उतिे का हस्तलेख जजतिे के बारे में यह अमिकचथत है कक वह | उस व्यजतत के हस्तलेख में
है , उसके हस्तलेख में हैं।
व्याख्या
▪ जि ककसी दस्तावेज को साक्ष्य के रूप िें उपयोग िें लाया जाता है ति िहत्वपूणव प्रश्ि यह उिता है कक तया प्रस्तुत की गई
दस्तावेज असली है । इससे सम्िक्न्धत नियि धारा 67 से धारा 73 िें ददये गये हैं। इस धारा का सम्बन्ध दस्तावेज के तिष्पादि
के सबूत से है ।
▪ यह धारा केवल यह आवश्यकता निधावररत करती है कक जब कोई दस्तावेज, जो पण
ू त
व ः या िागतः हस्तमलणखत हो या हस्ताक्षररत
हो, न्यायालय के समक्ष पेश की जाती है तो उस दस्तावेज के हस्ताक्षर और हस्तलेख को साबबत ककया जािा िादहए।
तिष्पादि -
▪ इस अचधनियि िें 'निष्पादि' शब्द की कहीं भी पररभाषा िहीं दी गई है ककन्तु 'निष्पादि' से हस्ताक्षररत अमभप्रेत है। ककसी
दस्तावेज के तिष्पादि का मामूली तौर पर यह अथव लगाया जाता है कक उस दस्तावेज पर अपिी सहमतत के रूप में पक्षकार द्वारा
हस्ताक्षर ककये गये हैं। दस्तावेज पर हस्ताक्षर करिे वाले व्यजतत को दस्तावेज का तिष्पादक कहते हैं।
▪ जहां ककसी दस्तावेज का अिुप्रिार्णत होिा ववचध द्वारा अपेक्षक्षत है , वहां निष्पादि से वह सम्पूणव संकिया लक्षक्षत होती है , क्जसके
अन्तगवत निष्पादक द्वारा हस्ताक्षर करिा और उसका सिथवि करिे वाले साक्षी द्वारा उसे अिुप्रिार्णत करिा, दोिों ही िातें
आती हैं। ककन्तु यह धारा उि दस्तावेजों पर लागू होती है । जजसका अिप्र
ु माणणत होिा ककसी ववचध के अिस
ु ार आवचयक िहीं है ।
कोरा कागज दस्तावेज की कोदट में िहीं आता है ।
(ii) ऐसे व्यक्तत के साक्ष्य से, क्जसिे उस व्यजतत को दस्तावेज मलखते हुए या उि पर हस्ताक्षर करते हुए दे खा है । (धारा 67)
(iii) उि ववशेषज्ञों की राय के साक्ष्य द्वारा जजन्होंिे प्रचिगत हस्तलेख की तुलिा मसद्ध हस्तलेख से की है । (धारा 45)
(iv) ककसी व्यक्तत के साक्ष्य द्वारा जो उस व्यक्तत के हस्तलेख से, क्जसके द्वारा प्रश्िगत लेख मलखा या हस्ताक्षररत ककया गया
अिि
ु ानित ककया जाता है , पररचचत हो। (धारा 47)
(v) न्यायालय द्वारा प्रश्िाधीि लेख या हस्ताक्षर की दस
ू रों से तुलिा करके क्जिके िारे िें न्यायालय को सिाधािप्रद रूप िें साबित
कर ददया गया है कक वे असली हैं (धारा 73)
(vi) ककसी ऐसे व्यक्तत द्वारा की गई स्वीकृनत से क्जसके िारे िें यह अमभकचथत है कक उसिे दस्तावेज हस्ताक्षररत ककया था या मलखा
था;
(vii) उपधारणा द्वारा;
(viii) अन्य पररक्स्थनतजन्य साक्ष्य द्वारा ।
धारा 67 क.
इलेतरातिक हस्ताक्षर के बारे में सबूत -
▪ सुरक्षक्षत इलेतरानिक हस्ताक्षर के िािले िें के मसवाय, यदद ककसी हस्ताक्षरकताव का इलेतरातिक हस्ताक्षर इलेतरातिक अमिलेख
पर तियत ककया गया अमिकचथत ककया जाता है , तो इस तथ्य को साबित ककया जािा चादहए कक ऐसा इलेतरातिक हस्ताक्षर
हस्ताक्षरकताव का इलेतरातिक हस्ताक्षर है ।
धारा 68.
ऐसी दस्तावेज के तिष्पादि का साबबत ककया जािा जजसका अिप्र
ु माणणत होिा ववचध द्वारा अपेक्षक्षत है –
▪ यदद ककसी दस्तावेज का अिुप्रिार्णत होिा ववचध द्वारा अपेक्षक्षत है तो उसे साक्ष्य के रूप िें उपयोग िें ि लाया जाएगा, जि तक
कक कि से कि एक अिुप्रिाणक साक्षी, यदद कोई अिुप्रमाणक साक्षी जीववत और न्यायालय की आदे मशका के अध्यधीि हो तथा
साक्ष्य दे िे के योग्य हो, उसका तिष्पादि करिे के प्रयोजि से ि बल
ु ाया गया हो।
▪ परन्तु ऐसी ककसी दस्तावेज के निष्पादि को साबित करिे के मलए, जो ववल िहीं है और जो िारतीय रजजस्रीकरण अचधतियम,
1908 के उपबन्धों के अिुसार रजजस्रीकृत है , ककसी अिुप्रमाणक साक्षी को बुलािा आवचयक ि होगा जब तक कक उसके तिष्पादि
का प्रत्याख्याि उस व्यजतत द्वारा जजसके द्वारा उसका तिष्पादि होिा तात्पवववत है , ववतिददव ष्ट ि ककया गया हो।
व्याख्या
▪ धारा 68 से धारा 71 ऐसी दस्तावेजों के सम्िन्ध िें लागू होती है क्जिका ककसी ववचध द्वारा अिप्र
ु िार्णत होिा अनिवायव है। और
जजि पर आवचयक अिुप्रमाणि अंककत है । ऐसी दस्तावेजों का तिष्पादि, जजिका अिुप्रमाणणत होिा अतिवायव िहीं है , धारा 72
के अिुसार हस्ताक्षर और हस्तलेख साबबत करके साबबत ककया जा सकता है । यदद ऐसी दस्तावेजें हैं क्जिका अिुप्रिार्णत होिा
अपेक्षक्षत िहीं है , ककन्तु वे अिुप्रिार्णत हैं, तो िी उिका तिष्पादि धारा 72 के अन्तगवत उसी तरह साबबत ककया जा सकता है
मािों वे अिुप्रमाणणत िहीं थे।
▪ यह धारा ऐसी दस्तावजों को लागू होती है , क्जिका साक्षक्षयों द्वारा अिप्र
ु िार्णत होिा ववचध द्वारा अपेक्षक्षत है , जैसे कक ववल ।
लेककि यदद ककसी दस्तावेज का अिुप्रमाणणत होिा ववचध द्वारा अपेक्षक्षत िहीं है ककन्तु पक्षकार उसे साक्षक्षयों द्वारा अिप्र
ु माणणत
करा लेते हैं, तो इस अिावचयक कायववाही के कारण यह धारा लागू िहीं होगी।
▪ अिप्र
ु िाणि शब्द का अथव है कक ककसी व्यक्तत िे उस दस्तावेज पर इस तथ्य के पररसाक्ष्य के रूप िें हस्ताक्षर ककया है कक उसिे
दस्तावेज को निष्पाददत ककये जाते हुए दे खा था । अिुप्रमाणक साक्षी वह होता है जजसिे तिष्पादक को हस्ताक्षर करते हुए दे खा
हो और तत्पचिात ् उस तथ्य के प्रमाणस्वरूप उसिे उसके अपिे हस्ताक्षर ककये हो।
▪ अिप्र
ु िाणि का उद्दे श्य यह है कक कोई व्यक्तत इस िात की पक्ु ष्ट कर सके कक दस्तावेज पर हस्ताक्षर स्वेच्छा से ककये गये थे।
इससे इस बात की सुरक्षा रहती है कक दस्तावेज का तिष्पादि असली है ।
ऐसे दस्तावेज के तिष्पादि का साबबत ककया जािा जजसका अिुप्रमाणणत होिा ववचध द्वारा अपेक्षक्षत है ( धारा 68 ) -
▪ ऐसी दस्तावेजें क्जिका अिुप्रिार्णत होिा ववचध द्वारा अपेक्षक्षत है , निम्िमलर्खत तरीकों से साबित की जाती है -
(1) कि से कि एक अिुप्रिाणक साक्षी का दस्तावेज का निष्पादि साबित करिे के मलए िुलाया जािा आवश्यक है , यदद ऐसा साक्षी-
(क) जीववत है ;
(ख) न्यायालय के आदे मशका के अध्यधीि है , और
(ग) साक्ष्य दे िे के योग्य है ।
▪ ककन्तु धारा 68 के परन्तक
ु के अिस
ु ार यदद दस्तावेज ववल िहीं है और रजजस्रीकृत है तो जब तक कक उस दस्तावेज के तिष्पाददयों
द्वारा उसके तिष्पादि से इन्कार ि ककया गया हो तब तक अिुप्रमाणक साक्षी को बुलािा आवचयक िहीं होगा ।
(2) यदद ककसी दस्तावेज का कोई भी अिुप्रिाणक साक्षी िहीं मिल सकता है तो दस्तावेज को साबित करिे वाले पक्षकार को यह साबित
करिा होगा कक-
(i) कि से कि एक अिुप्रिाणक साक्षी का अिुप्रिाणि उसी के हस्तलेख िें है , और
(ii) दस्तावेज का निष्पादि करिे वाले व्यक्तत का हस्ताक्षर उस व्यक्तत के हस्तलेख िें है (धारा 69)
(3) यदद अिुप्रिार्णत दस्तावेज के ककसी पक्षकार िे उस दस्तावेज का अपिे द्वारा तिष्पादि ककया जािा स्वीकार ककया है तो
तिष्पादि साबबत करिे के मलए ककसी अिुप्रमाणक साक्षी को बुलािे की आवचयकता िहीं रहती । ऐसी स्वीकृतत उस पक्षकार के ववरुद्ध
तिष्पादि का सबत
ू होती है । (धारा 70)
(4) यदद अिुप्रिाणक साक्षी दस्तावेज के निष्पादि से इन्कार करता है या उसके निष्पादि के िारे िें याद िहीं कर पाता है तो उस
दस्तावेज का निष्पादि अन्य साक्ष्य द्वारा साबबत ककया जा सकता है । (धारा 71)
इस प्रकार धारा 68 को पढ़िे से स्पष्ट है कक ककसी ऐसे दस्तावेज का, जजस का अिुप्रमाणणत होिा ववचध द्वारा अपेक्षक्षत है , उपयोग
साक्ष्य के रूप में तब तक िहीं ककया जाएगा जब तक कम से कम एक अिुप्रमाणक साक्षी उसका तिष्पादि साबबत करिे के मलए ि
बुलाया गया हो।
धारा 69.
जब ककसी िी अिुप्रमाणक साक्षी का पता ि िले, तब सबूत -
▪ यदद ऐसे ककसी अिप्र
ु िाणक साक्षी का पता चल सके अथवा यदद दस्तावेज का यि
ू ाइटे र् ककं गर्ि िें निष्पाददत होिा तात्पवववत
हो तो यह साबित करिा होगा कक कम से कम एक अिुप्रमाणक साक्षी का अिुप्रमाणि उसी के हस्तलेख है , तथा यह कक दस्तावेज
का तिष्पादि करिे वाले व्यजतत का हस्ताक्षर उसी व्यजतत के हस्तलेख में हैं।
व्याख्या
▪ धारा 68 के अिुसार जहााँ ककसी दस्तावेज का अिुप्रिार्णत होिा ककसी ववचध के अिुसार आवश्यक है और वह दस्तावेज धारा 68
के परन्तुक के अन्तगवत िहीं आती है , वहााँ उसका तिष्पादि साबबत करिे के मलए कम से कम एक अिुप्रमाणक साक्षी को बुलािा
अतिवायव है ।
▪ धारा 69 के अन्तगवत यदद ककसी दस्तावेज का कोई भी अिुप्रिाणक साक्षी िहीं मिल सकता है तो दस्तावेज साबित करिे वाले
पक्षकार को यह साबित करिा होगा कक-
(क) कि से कि एक अिप्र
ु माणक साक्षी का अिप्र
ु माणि उसी के हस्तलेख में है , और
(ख) दस्तावेज पर उसके निष्पादक के ही हस्ताक्षर हैं। हस्ताक्षर के अन्तगवत चिन्ह या अंगठ
ू े के तिशाि िी आते हैं और उन्हें उसी प्रकार
साबबत ककया जाता है जजस प्रकार कक ककसी व्यजतत के हस्ताक्षर को साबबत ककया जाता है।
व्याख्या
यह धारा उि अिुप्रिार्णत दस्तावेजों को लागू होती है क्जिका अिुप्रिार्णत होिा ववचध द्वारा अपेक्षक्षत है । इस धारा के उपबन्ध धारा
69 के परन्तुक के रूप में है और जहााँ ककसी दस्तावेज का तिष्पादि स्वीकार कर मलया जाए वहााँ ककसी िी अिुप्रमाणक साक्षी को
बुलाया जािा आवचयक ि होगा।
व्याख्या
▪ जि अिुप्रिाणक साक्षी दस्तावेज का निष्पादि अस्वीकार कर दे ता है या उसे उसके तिष्पादि का स्मरण ि हो वहााँ दस्तावेज का
तिष्पादि अन्य साक्ष्य द्वारा ककया जा सकता है ।
▪ दस्तावेज साबित करिे वाले पक्षकार को असहाय होिे से िचािे के मलए और न्याय दे िे िें की रूकावटों को हटािे के उद्दे श्य से ही
इस धारा का नििावण ककया गया है । केवल इस तथ्य से कक ककसी दस्तावेज के अिुप्रमाणक साक्षक्षयों िे अपिे हस्ताक्षरों को
अस्वीकार कर ददया है , दस्तावेज अववचधमान्य िहीं होगा यदद ववचवसिीय प्रकार के साक्ष्य से यह साबबत कर ददया जाए कक
साक्षक्षयों िे ममथ्या पररसाक्ष्य ददया है ।
धारा 72.
उस दस्तावेज का साबबत ककया जािा जजसका अिुप्रमाणणत होिा ववचध द्वारा अपेक्षक्षत िहीं है -
▪ कोई अिुप्रिार्णत दस्तावेज, क्जसका अिुप्रिार्णत होिा ववचध द्वारा अपेक्षक्षत िहीं है , ऐसे साबित की जा सकेगी िािो वह
अिुप्रिार्णत ि हो।
व्याख्या
▪ यदद ककसी दस्तावेज का ककसी ववचध के अन्तगवत अिुप्रिार्णत होिा आवश्यक िहीं है ककन्तु पक्षकार िे स्वयं उत्सादहत होकर
उसका अिुप्रमाणि कर मलया है तो उसके अिुप्रमाणणत होते हुए िी उसे इस प्रकार साबबत ककया जा सकता है जजस प्रकार ककसी
अिुप्रमाणणत ि हुई दस्तावेज के अधीि साबबत ककया जाता है ।
धारा 73.
हस्ताक्षर, लेख या मुद्रा की तल
ु िा अन्यों से जो स्वीकृत या साबबत हैं -
▪ यह अमभनिक्श्चत करिे के मलए कक तया कोई हस्ताक्षर, लेख या िुिा उस व्यक्तत की है , क्जसके द्वारा उसका मलखा या ककया
जािा तात्पनयवत है ककसी हस्ताक्षर, लेख या िि
ु ा की, जजिके बारे में यह स्वीकृत है या न्यायालय को समाधािप्रद रूप में साबबत
कर मलया गया है कक वह उस व्यजतत द्वारा मलखा या ककया गया था उससे जजसे साबबत ककया जािा है , तल
ु िा की जा सकेगी,
यद्यवप वह हस्ताक्षर लेख या मुद्रा ककसी अन्य प्रयोजि के मलए पेश या साबबत ि की गई हो ।
▪ न्यायालय िें उपक्स्थत ककसी व्यक्तत को ककन्हीं शब्दों का अंकों के मलखिे का निदे श न्यायालय इस प्रयोजि से दे सकेगा कक ऐसे
मलखे गए शब्दों या अंकों को ककन्हीं ऐसे शब्दों का अंकों से तल
ु िा करिे के मलए न्यायालय समथव हो सके वे जजसके बारे में
अमिकचथत है कक उस व्यजतत द्वारा मलखे गये थे ।
▪ यह धारा ककन्हीं आवश्यक उपान्तरों के साथ अंगुमल छापों को भी लागू है ।
व्याख्या
▪ हस्तलेख और हस्ताक्षर धारा 45, धारा 47 तथा धारा 67 के उपिन्धों के अिुसार साबित ककये जा सकते हैं। इस धारा िें हस्ताक्षर,
लेख, िि
ु ाओं और अंगमु ल छाप को साबित करिे का एक और ढं ग ददया गया है । यह अमितिजचित करिे के मलए कक तया कोई
हस्ताक्षर, लेख, मुद्रा या अंगुमल चिन्ह उस व्यजतत की है , जजसके द्वारा उसका मलखा जािा तात्पतयवत है ।
▪ न्यायालय द्वारा उसकी, ऐसे दस
ू रे हस्ताक्षर, लेख, िुिा या अंगुमल छाप से, क्जसके िारे िें यह स्वीकृत या साबित कर ददया गया
है , कक वह उस व्यजतत द्वारा मलखा या ककया गया था, तुलिा की जा सकेगी तुलिा न्यायाधीश या ककसी ववशेषज्ञ या हस्तलेख से
पररचित व्यजतत द्वारा की जा सकती है ।
▪ धारा 73 की संवध
ै ानिकता को िुम्िई राज्य ििाि काथूकालू िें चुिौती दी गयी थी जजसमें न्यायालय िे कहा कक अंगुली छापों की
एकरूपता के आधार पर बबिा संपोषक साक्ष्य के दोषमसद्ध ठहरािा अत्यचधक असरु क्षक्षत होता है ।
धारा 73 - क.
अंकीय हस्ताक्षर के सत्यापि के बारे में सबूत –
▪ यह सुनिनिश्चत करिे के मलए, कक तया अंकीय हस्ताक्षर उस व्यजतत का अंकीय हस्ताक्षर है , जजसके द्वारा वह ककया गया
तात्पतत है , न्यायालय-
(क) उस व्यक्तत या नियंिक या प्रिाणकताव प्राचधकारी को अंकीय हस्ताक्षर प्रिाणपि पेश करिे का निदे श दे सकेगा;
(ख) ककसी ववलेख िें ररतत स्थाि है । उि तथ्यों का साक्ष्य िहीं ददया जा सकता जो यह दमशवत करते हों कक उिकी ककसी प्रकार पूततव
अमिप्रेत थी;
(ग) ककसी अन्य व्यक्तत को अंकीय हस्ताक्षर प्रिाणपि िें सच
ू ीिद्ध साववजनिक सूचक शब्द को प्रयोग करिे और उस व्यजतत द्वारा
ककया गया तात्पवपवत अंकीय हस्ताक्षर को सत्यावपत करिे का तिदे श दे सकेगा।
स्पष्टीकरण -
इस धारा के प्रयोजिों के मलए, नियंिक" से ऐसा नियंिक अमभप्रेत है , जो सच
ू िा प्रौद्योचगकी अचधनियि, 2000 की धारा 17 की उपधारा
(1) के अधीि नियत
ु त ककया गया हो।
दस्तावेज को असलीपि होिा कैसे साबित ककया जा सकेगा
साक्ष्य अचधनियि के अधीि दस्तावेजों के असलीपि को साबित करिे के मलए निम्िमलर्खत उपिन्ध हैं-
(1) यदद कोई दस्तावेज ककसी व्यक्तत द्वारा हस्ताक्षररत या मलखी गई अमभकचथत है तो यह साबित करिा आवश्यक होगा कक
दस्तावेज पर उसी व्यक्तत के हस्ताक्षर हैं क्जसके हस्ताक्षर कहे जा सकते हैं और उसी के हस्तलेख िें है क्जसका मलखा वह कहा जाता
है । (धारा 67)
(2) जहााँ ककसी दस्तावेज का अिुप्रिार्णत होिा ककसी ववचध के अिुसार अनिवायव है वहााँ जि तक वह दस्तावेज धारा 68 के परन्तक
ु
के अन्तगवत िहीं आती है उसका निष्पादि साबित करिे के मलए कि से कि एक अिुप्रिाणक साक्षी को, यदद ऐसा साक्षी जीववत हो,
न्यायालय की अचधकाररता के अन्तगवत आता हो और जो साक्ष्य दे िे िें सिथव हो, न्यायालय िें िल
ु ािा आवश्यक है । (धारा 68 )
(3) यदद ककसी दस्तावेज का कोई भी अिुप्रिाणक साक्षी पाया ि जा सके या दस्तावेज का निष्पादि उस दस्तावेज को साबित करिे
के मलए यह साबित करिा होगा कक कि से कि एक अिुप्रिाणक साक्षी का अिुप्रिाणि उसके हस्तलेख िें है और दस्तावेज पर
निष्पादि करिे वाले व्यक्तत के हस्ताक्षर उसी के हस्तलेख िें है । (धारा 69)
(4) ककसी अिुप्रिार्णत दस्तावेज के निष्पादि की ककसी पक्षकार द्वारा दी गई स्वीकृनत उस दस्तावेज के निष्पादि का उसके ववरुद्ध
पयावप्त साक्ष्य होगी, यद्यवप वह ऐसी दस्तावेज है क्जसका अिुप्रिार्णत होिा ववचध द्वारा अपेक्षक्षत है । (धारा 70 )
(5) जहााँ अिुप्रिाणक साक्षी दस्तावेज के निष्पादि से इन्कार करता है या उसको निष्पादि का स्िरण िहीं रखता है वहााँ उसका
निष्पादि अन्य साक्ष्य द्वारा साबित ककया जा सकता है । (धारा 71)
महत्वपूणव बबन्द ु
▪ इलेतरॉनिक अमभलेखों की अन्तववस्तुएाँ धारा 65ख प्रावधािों के अिुसार साबित की जा सकेगी।
▪ धारा 65ख इलेतरॉनिक अमभलेखों की ग्राह्यता से सम्िक्न्धत धारा है ।
▪ इलेतरॉनिक अमभलेखों को साक्ष्य के रूप िें स्वीकार करिे हे तु प्रावधाि सूचिा प्रौद्योचगकी अचधनियि 2000 द्वारा जोडा गया
है ।
▪ सरु क्षक्षत इलेतरॉनिक हस्ताक्षर को साबित करिा आवश्यक िहीं है । (धारा 67क)
▪ अंकीय हस्ताक्षर के सत्यापि के िारे िें न्यायालय सिूत की िााँग कर सकता है ।
▪ यदद ककसी हस्ताक्षरकताव का अंकीय हस्ताक्षर इलेतरॉनिक अमभलेख पर नियत ककया गया अमभकचथत ककया जाता है , तो इस
तथ्य को साबबत ककया जािा िादहए कक ऐसा अंकीय हस्ताक्षर हस्ताक्षरकताव का अंकीय हस्ताक्षर है । सुरक्षक्षत अंकीय हस्ताक्षर
इसका अपवाद है ।
▪ एक रक्जस्रीकृत ववल का निष्पादि मसद्ध करिे के मलए कि से कि एक अिुप्रिाणक साक्षी को िुलािा आवश्यक है ।
▪ मुम्बई राज्य बिाम काथूकालू [ए० आई० आर० 1961 एस० सी० 1808] िें धारा 73 की संवध
ै ानिकता को अिु० 20 (3) के आधार
पर चुिौती दी गयी थी ।
▪ जि दस्तावेज वसीयत ि हो या जिकक दस्तावेज 30 वषव परु ािा हो तो अिप्र
ु माणक साक्षी को बल
ु ािा आवचयक िहीं है ( धारा 68
का परन्तुक एवं धारा 90) I
लोक- दस्तावेजें
(PUBLIC DOCUMENTS)
धारा 74. लोक दस्तावेजें -
निम्िमलर्खत दस्तावेजें लोक दस्तावेज हैं-
(1) वे दस्तावेजें जो-
(i) प्रभुतासम्पन्ि प्राचधकारी के;
(ii) शासकीय निकायों और अचधकरणों के, तथा
(iii) भारत के ककसी भाग के या काििवेल्थ के, या ककसी ववदे श के ववधायी, न्यानयक तथा कायवपालक लोक- आकफसरों के;
कायों के रूप िें या कायों के अमभलेख के रूप िें है ।
(2) ककसी राज्य िें रखे गये प्राइवेट दस्तावेजों के लोक- अमभलेख ।
व्याख्या
सािान्यतया लोक दस्तावेज वह दस्तावेज हैं जो लोक सेवक द्वारा अपिे पदीय कतवव्य के पालि िें तैयार की जाती है । निम्िमलर्खत
दस्तावेज लोक दस्तावेज िािी गई हैं-
(i) शासकीय उद्घोषणाएं, सरकारी गजट, अचधनियि और सरकारी िोदटकफकेशि;
(ii) िक्जस्रे ट द्वारा अमभमलर्खत संस्वीकृनत;
(iii) ितपि क्जि पर ितदाता िे अपिा ित अमभमलर्खत ककया है ;
(iv) खसरा, जिािंदी;
(v) ित्ृ यु और जन्ि रक्जस्टर;
(vi) चगरफ्तारी वारण्ट;
(vii) सरकारी लगाि की पुस्तक;
(viii) प्रथि इवत्तला ररपोटव ;
(ix) जेल रक्जस्टर;
(x) आयकर अमभलेख आदद ।
(xi) सक्षि अचधकारी द्वारा वस्तओ
ु ं की कीित निधावरण आदे श
(xii) सचव वारण्ट जारी करिे का आदे श
(xiii) क्जलाधीश द्वारा फसल काटिे की ररपोटव
(xiv) न्यायालय का निणवय
(xv) वसीयत
(xvi) एक पंजीकृत वविय ववलेख
(xvii) एक उच्च न्यायालय का निणवय
(xviii) एक मसववल न्यायालय का निणवय
(xix) शव परीक्षण ररपोटव
(xx ) पमु लस चालाि
(xxi) एक प्राइवेट वतफं ववलेख
(xxii) ितदाता सच
ू ी
(xxiii) पमु लस र्ायरी
(xxiv) पंजीकृत पाररवाररक िंटवारा
(xxv) प्रभुता सम्पन्ि प्राचधकारी के कायों का अमभलेख
(xxvi) शासकीय निकाय के कायों का अमभलेख
व्याख्या
▪ ऐसे सि दस्तावेजें, जो धारा 74 के अन्तगवत िहीं आती, प्राइवेट दस्तावेजे हैं। इन्हें इस अचधनियि की धारा 61 से धारा 73 के
उपिन्धों के अिुसार साबित ककया जा सकता है । इिके अन्तगवत संववदा, पट्टा ववलेख, बन्धक, वविय ववलेख, ववल आदद आते
हैं।
▪ हर लोक आकफसर क्जसकी अमभरक्षा िें कोई ऐसा लोक दस्तावेज है , क्जसके निरीक्षण करिे का ककसी भी व्यक्तत को अचधकार है ,
िााँग ककये जािे पर उस व्यक्तत को उसकी प्रनत उसके मलए ववचधक फीस चक
ु ाये जािे पर प्रनत के िीचे इस मलर्खत प्रिाण- पि के
सदहत दे गा कक वह यथाक्स्थनत, ऐसे दस्तावेज की या उसके िाग की शुद्ध प्रतत है तथा ऐसा प्रमाण-पत्र ऐसे आकफसर द्वारा
ददिांककत ककया जायेगा और उसके िाम और पदामिधाि से हस्ताक्षररत ककया जायेगा तथा जब किी ऐसा आकफसर ववचध द्वारा
ककसी मुद्रा का उपयोग करिे के मलए प्राचधकृत है तब मद्र
ु ायुतत ककया जायेगा तथा इस प्रकार प्रमाणणत ऐसी प्रततयााँ प्रमाणणत
प्रततयााँ कहलाएगी।
स्पष्टीकरण -
▪ जो कोई आकफसर पदीय कतवव्य के िािूली अिुिि िें ऐसी प्रनतयााँ पररदाि करिे के मलए प्राचधकृत है , वह इस धारा के अथव के
अन्तगवत ऐसी दस्तावेजों की अमिरक्षा रखता है , यह समझा जायेगा।
व्याख्या
▪ इस धारा िें ऐसी लोक दस्तावेजों के सिूत के िारे िें उपिन्ध है क्जिका निरीक्षण करिे का ककसी भी व्यक्तत को अचधकार है ।
सामान्य तियम यह है कक हर व्यजतत को ऐसी दस्तावेज का जजसमें उसका तिजी दहत तिदहत है या जो उसके दहत के संरक्षण से
सम्बजन्धत है , तिरीक्षण का अचधकार है ।
▪ इस धारा के अन्तगवत क्जस पक्षकार को धारा 74 िें लोक दस्तावेज का निरीक्षण करिे का अचधकार है वह कनतपय नििन्धिों पर
उिकी प्रनत की िांग कर सकता है । कोई व्यक्तत ववचधक फीस दे कर केवल उन्हीं लोक दस्तावेजों की प्रिार्णत प्रनतयााँ प्राप्त कर
सकता है क्जसका वह निरीक्षण कर सकता है । धारा 76 से स्पष्ट है कक सिी लोक दस्तावेजों की प्रमाणणत प्रततयााँ प्रा्त िहीं की
जा सकती।
व्याख्या
▪ धारा 77 िें यह कहा गया है कक ऐसी प्रमाणणत प्रततयों को लोक दस्तावेजों या उिके िागों की अन्तववस्तु को साबबत करिे के मलए
पेश ककया जा सकता है । प्रमाणणत प्रततयााँ, ववचध द्वारा, मूल के रूप में ही मािी जाती हैं।
(3) हर मजेस्टी द्वारा या वप्रवी कौंमसल द्वारा या हर 7 मजेस्टी की सरकार के ककसी वविाग द्वारा तिकाली गई उद्घोषणाएाँ, आदे श
या ववतियम-
▪ लन्दि गजट िें अन्तवववष्ट या तवीन्स वप्रन्टर द्वारा िुदित होिा तात्पनयवत होिे वाली प्रनतयों या उद्धरणों द्वारा;
व्याख्या
▪ वास्तव िें धारा 79 से धारा 90 इस िात पर आधाररत है कक प्रनतकूल सिूत के अभाव िें यह उपधारणा की जाती है कक सभी कायव
उचचत रूप से ककये गये हैं। इस उपधारणा का खण्र्ि ककया जा सकता है । कोई पक्षकार ककसी िी प्रमाण पत्र की सत्यता पर आपवत्त
कर सकता है और यह साबबत कर सकता है । कक प्रमाणणत प्रतत सत्य प्रततमलवप िहीं है ।
धारा 80. साक्ष्य के अमिलेख के तौर पर पेश की गई दस्तावेजों के बारे में उपधारणा -
▪ जि कभी ककसी न्यायालय के सिक्ष कोई ऐसी दस्तावेज पेश की जाती है , क्जसका ककसी न्यानयक कायववाही िें या ववचध द्वारा
ऐसा साक्ष्य लेिे के मलए प्राचधकृत ककसी आकफसर के सिक्ष ककसी साक्षी द्वारा ददये गये साक्ष्य के ककसी भाग को अमभलेख या
ज्ञापि होिा, अथवा ककसी कैदी या अमभयत
ु त का ववचध के अिुसार मलया गया कथि या संस्वीकृनत होिा तात्पनयवत हो और
क्जसका ककसी न्यायाधीश या िक्जस्रे ट द्वारा उपयत
ुव त जैसे ककसी आकफसर द्वारा हस्ताक्षररत होिा तात्पनयवत हो, ति
न्यायालय यह उपधाररत करे गा-
▪ कक वह दस्तावेज असली है , कक उि पररक्स्थनतयों के िारे िें , क्जिके अधीि वह मलया गया था, कोई भी कथि, क्जसका उसको
हस्ताक्षररत करिे वाले व्यक्तत द्वारा ककया जािा तात्पनयवत है , सत्य है तथा कक ऐसा साक्ष्य कथि या संस्वीकृनत सम्यक् रूप से
ली गई थी।
व्याख्या
धारा 79 िें दस्तावेजों के केवल असली होिे की उपधारणा की जाती है , ककन्तु धारा 80 के अन्तगवत दस्तावेज के असली होिे की
उपधारणा के अनतररतत यह भी उपधाररत ककया जाता है कक दस्तावेज उन्हीं पररक्स्थनतयों िें मलखी गई थी क्जिके िारे िें उसिें कथि
ककया गया है ।
धारा 81.
राजपत्रों, समािारपत्रों, पामलवयामें ट के प्राइवेट एतटों और अन्य दस्तावेजों के बारे में उपधारणाएाँ —
▪ न्यायालय हर ऐसी दस्तावेज का असली होिा उपधाररत करे गा क्जसका लन्दि गजट या कोई शासकीय राजपि या बिदटश िाउि
के ककसी उपनिवेश, आचित दे श या कब्जाधीि क्षेि का सरकारी राजपि होिा या कोई सिाचार पि या जिवल होिा, या िाउि
यूिाइटे र् ककं गर्ि की पामलवयािें ट के प्राइवेट एतट की तवींस वप्रंटर द्वारा िुदित प्रनत होिा तात्पनयवत है तथा
▪ हर ऐसी दस्तावेज का, जजसका ऐसी दस्तावेज होिा तात्पतत है जजसका ककसी व्यजतत द्वारा रखा जािा ककसी ववचध द्वारा तिददव ष्ट
है , यदद ऐसी दस्तावेज सारतः उस प्ररूप में रखी गई हो, जो ववचध द्वारा अपेक्षक्षत है और उचित अमिरक्षा में पेश की गई हो, असली
होिा उपधाररत करे गा।
व्याख्या
इस धारा के अन्तगवत न्यायालय निम्िमलर्खत दस्तावेजों के असली होिे की उपधारणा करे गा-
(i) शासकीय राजपि
(ii) सिाचार पि या जिवल
(iii) ऐसी दस्तावेज क्जसका ककसी व्यक्तत द्वारा रखा जािा ककसी ववचध द्वारा निददवष्ट है , यदद ऐसी दस्तावेज सारतः उस प्ररूप में
रखी गई हो जो ववचध द्वारा अपेक्षक्षत है , और उचित अमिरक्षा में पेश की गयी हो।
▪ यद्यवप इस धारा के अधीि ऐसी दस्तावेज के, जजसका समापि होिा तात्पवपवत है , असली होिे की उपधारणा की गई है । तथावप
सामान्य तियम के अिुसार उसको उसमें संप्रकामशत अन्तववस्तु का सबूत िहीं मािा जा सकता।
▪ सिाचार पि के असली होिे की उपधारणा करिे का यह अथव िहीं होता कक वह उसी व्यजतत द्वारा जजसका होिा तात्पवववत हो,
मदु द्रत और प्रकामशत कराया गया था।
▪ इस धारा के अन्तगवत की जािे वाली उपधारणा का खण्र्ि ककया जा सकता है ।
धारा 81 - क.
इलेतरातिक रूप में राजपत्रों के बारे में उपधारणा -
▪ न्यायालय प्रत्येक इलेतरानिक अमभलेख की, जो शासकीय राजपत्र होिा तात्पवपवत है या
▪ ककसी ववचध द्वारा ककसी व्यक्तत द्वारा रखे जािे के मलए तिदे मशत इलेतरातिक अमिलेख होिा तात्पवववत है , असमलयत की
उपधारणा करे गा,
▪ यदद ऐसा इलेतरानिक अमभलेख सारिूत रूप से ववचध द्वारा अपेक्षक्षत रूप में रखा जाता है और समुचित अमिरक्षा में पेश ककया
जाता है ।
व्याख्या
▪ इलेतरानिक शासकीय राजपि या ववचध द्वारा ककसी व्यक्तत द्वारा रखे जािे के मलए निदे मशत इलेतरानिक अमभलेख के िारे िें
न्यायालय उपधारणा करे गा कक वह असली है । इसके मलए आवचयक है कक ऐसा इलेतरातिक अमिलेख सारित
ू रूप से ववचध द्वारा
अपेक्षक्षत रूप में रखा जाता है और समुचित अमिरक्षा में पेश ककया जाता है ।
धारा 82.
मद्र
ु ा या हस्ताक्षर के सबत
ू के बबिा इंग्लैण्ड में ग्राह्य दस्तावेज के बारे में उपधारणा -
▪ जिकक ककसी न्यायालय के सिक्ष कोई ऐसी दस्तावेज पेश की जाती है क्जसका ऐसी दस्तावेज होिा तात्पनयवत है जो इंग्लैण्र् या
आयरलैण्र् के ककसी न्यायालय िें ककसी ववमशक्ष्ट को साबित करिे के मलए उस दस्तावेज का अचधप्रिार्णकृत करिे वाली िुिा
या स्टाम्प हस्ताक्षर को या उस व्यक्तत द्वारा, क्जसके द्वारा उसका हस्ताक्षर ककया जािा तात्पवपवत है , दावाकृत न्यानयक या
पदीय है मसयत को साबित ककये बििा इंग्लैण्र् या आयरलैण्र् िें तत्सिय प्रवत्त
ृ ववचध के अिुसार ग्राह्य होती,
▪ ति न्यायालय यह उपधाररत करे गा कक ऐसी िि
ु ा, स्टाम्प या हस्ताक्षर असली है और उसको हस्ताक्षररत करिे वाला व्यक्तत वह
न्यानयक या पदीय है मसयत, क्जसका वह दावा करता है , उस सिय रखता था जि उसिे उसे हस्ताक्षररत ककया था;
▪ तथा दस्तावेज उसी प्रयोजि के मलए, क्जसके मलए वह इंग्लैण्र् या आयरलैण्र् िें ग्राह्य होगी।
धारा 83.
सरकार के प्राचधकार द्वारा बिाये गये मािचित्रों या रे खांकों के बारे में उपधारणा -
▪ न्यायालय यह उपधाररत करे गा कक वे िािचचि या रे खांक, जो केन्िीय सरकार या ककसी राज्य सरकार के प्राचधकार द्वारा ििाये
गये तात्पवपवत हैं, वैसे ही ििाये गये थे और वे शद्
ु ध हैं ककन्तु ककसी मामले के प्रयोजिों के मलए बिाये गये मािचित्रों या रे खांकों
के बारे में यह साबबत करिा होगा कक वे सही हैं।
व्याख्या
▪ इस धारा िें यह उपिक्न्धत है कक उि िािचचिों या रे खांकों को जो भारत सरकार के ककसी प्राचधकार द्वारा बिाये गये तात्पवपवत
है , के बारे में उपधाररत ककया जाएगा कक वे उतत प्राचधकार के अन्तगवत ही बिाए गये हैं और वे शद्
ु ध हैं।
धारा 84
ववचधयों के संग्रह और ववतिचियों की ररपोटों के बारे में उपधारणा -
▪ न्यायालय हर ऐसी पस्
ु तक का, जजसका ककसी दे श की सरकार के प्राचधकार के अधीि मदु द्रत, या प्रकामशत होिा और जजसमें उस
दे श की कोई ववचधयााँ अन्तवववष्ट होिा तात्पवपवत है ;
▪ तथा हर ऐसी पुस्तक का जजसमें उस दे श के न्यायालय के ववतिचियों की ररपोटव अन्तवववष्ट होिा तात्पवपवत है , असली होिा
उपधाररत करे गा।
व्याख्या
▪ इस धारा िें केवल धारा 38 के अधीि सस ु तकों के पक्ष िें उिके असली होिे की उपधारणा की गयी है यदद सरकार के
ु ंगत पस्
प्राचधकार के अन्तगवत प्रकामशत कोई पुस्तक, जजसमें उस दे श की ववचध या उस दे श के न्यायालयों के तिणवय प्रकामशत ककये गये
हों, न्यायालय में पेश की जाती है तो न्यायालय इस धारा के अधीि उिके असली होिे की उपधारणा करे गा।
न्यायाधीश, िक्जस्रे ट, भारतीय कौंसल या उपकौंसल या केन्िीय सरकार के प्रनतनिचध के सिक्ष निष्पाददत और उसके द्वारा
अचधप्रिार्णत होिा तात्पचथवत है , ऐसे निष्पाददत और अचधप्रिार्णकृत की गई थी।
व्याख्या
▪ ऐसा दस्तावेज क्जसके द्वारा कोई िामलक अपिे अमभकताव को कोई अचधकार दे ता है , जो ककसी िोटरी पक्ब्लक, न्यायालय के
न्यायाधीश, िक्जस्रे ट, भारतीय कौंसल या उपकौंसल या केन्िीय सरकार के प्रनतनिचध के सिक्ष निष्पाददत हो, के िारे िें
उपधारणा की जाती है कक यह सही रूप िें निष्पाददत तथा अचधप्रिार्णत है ।
व्याख्या
▪ न्यायालय को उपधारणा करिे का अचधकार है कक प्रत्येक करार से सम्बजन्धत इलेतरातिक ररकाडव में पक्षकारों के हस्ताक्षर
इलेतरातिक हस्ताक्षर के प्रारूप में रखे गये हैं और ऐसे हस्ताक्षर के आधार पर ही करारिामा सम्पन्ि कराया गया था।
व्याख्या
यह धारा 2 प्रकार की उपधारणों के िारे िें िताती है । उपधारा (1) कहती है कक सुरक्षक्षत इलेतरानिक अमभलेख से सम्िक्न्धत ककसी
कायववाही िें न्यायालय उपधारणा करे गा कक ऐसे ररकार्व िें पररवतवि िहीं ककया गया है और सुरक्षक्षत प्राक्स्थनत िें ििी हुई है ।
उपधारा (2) कहती है कक जि तक कायववाही िें अन्यथा मसद्ध ि ककया जाये ति तक िािा जायेगा कक इलेतरानिक हस्ताक्षर
हस्ताक्षरकताव द्वारा इलेतरानिक ररकार्व को सही िहरािे के मलए ककया गया है ।
व्याख्या
▪ न्यायालय इलेतरानिक प्रिाण-पि िें दी गयी सच
ू िा की सत्यता की उपधारणा की जायेगी जि तक प्रनतकूल मसद्ध िहीं कर ददया
जाता हस्ताक्षरकताव की सूििा सत्यावपत िहीं है और हस्ताक्षरकताव उसे स्वीकार कर लेता है वहााँ न्यायालय उपधारणा िहीं
करे गा।
धारा 86. ववदे शी न्यातयक अमिलेखों की प्रमाणणत प्रततयों के बारे में उपधारणा -
▪ न्यायालय यह उपधाररत कर सकेगा कक ककसी दे श के जो भारत या हर िैजेस्टी के अचधक्षेिों का भाग िहीं हैं, न्यानयक अमभलेख
की प्रिार्णत प्रनत तात्पवववत होिे वाली कोई दस्तावेज असली और शद्
ु ध है , यदद यह दस्तावेज ककसी ि ककसी रीनत से प्रिार्णत
हुई तात्पवपवत हो जजसका न्यातयक अमिलेखों की प्रततयों के प्रमाणि के मलए उस दे श में साधारणतः काम में लाई जािे वाली रीतत
होिा ऐसे दे श में 'या के मलए केन्द्रीय सरकार के ककसी प्रतततिचध द्वारा प्रमाणणत है ।
▪ जो आकफसर ऐसे ककसी राज्य क्षेि या स्थाि के मलए, जो भारत का या हर िैजस्
े री के अचधक्षेिों का भाग िहीं है , साधारण खण्ड
अचधतियम, 1887 की धारा 3, खण्ड (43) िें यथापररभावषत राजिैनतक अमभकताव है , वह इस धारा के प्रयोजिों के मलए केन्द्रीय
सरकार का उस दे श में , और के मलए, प्रतततिचध समझा जायेगा जजसमें वह राज्य क्षेत्र या स्थाि समाववष्ट है ।
व्याख्या
▪ न्यायालय उपधाररत कर सकेगा कक ववदे शी न्यातयक तिणवय की प्रमाणणत प्रतत असली और शुद्ध है ।
▪ धारा 87. पस्
ु तकों, िािचचिों और चाटों के िारे िें उपधारणा -
▪ न्यायालय यह उपधाररत कर सकेगा कक कोई पुस्तक, क्जसे वह लोक या साधारण दहत सम्िन्धी िातों की जािकारी के मलए दे खे
जा सकते हैं और प्रकामशत िािचचि या चाटव , क्जसके कथि सुसंगत तथ्य हैं और जो उसके निरीक्षणाथव पेश ककया गया उस व्यक्तत
द्वारा तथा उस स्थाि पर मलखा गया और प्रकामशत ककया गया था क्जसके द्वारा या क्जस सिय या क्जस स्थाि पर उसका मलखा
जािा या प्रकामशत होिा तात्पनयवत है ।
व्याख्या
▪ यदद यह साबित कर ददया जाए कक कोई तार संदेश, जो ककसी व्यजतत के िाम िेजा गया था, तार संदेश के गन्तव्य स्थाि के
कायावलय द्वारा उस व्यजतत को दे ददया गया है तो इस धारा के अन्तगवत यह उपधाररत ककया जाएगा कक वह सन्दे श उस सन्दे श
के समरूप ही है जो पारे वषत ककये जािे के मलए उद्गम स्थाि के कायावलय में ददया गया था। यह धारा न्यायालयों को इसकी अिुज्ञा
प्रदाि करती है कक वह प्रा्त हुए तार सन्दे शों को ऐसे मािे, मािो वे िेजे गये मूल सन्दे श हों।
स्पष्टीकरण -
इस धारा के प्रयोजिों के मलए, " प्रेवषती" और " प्रवतवक" अमभव्यक्ततयों का ििशः वही अथव होगा जो उन्हें सूचिा प्रौद्योचगकी
अचधनियि, 2000 की धारा 2 की उपधारा (1) के खण्र् (ख) और (2-क) िें सििुदेमशत ककया गया है ।
व्याख्या
न्यायालय उपधारणा कर सकेगा कक जो संदेश प्रेवषती को भेजिे के मलए तात्पनयवत है और भेजा गया है उस संदेश के अिरू
ु प है क्जसे
कम्प्यूटर िें भरा गया है । भेजिे वाले व्यक्तत के िारे िें न्यायालय कोई उपधारणा िहीं करे गा।
धारा 89. पेश ि की गई दस्तावेजों के सम्यक् तिष्पादि आदद के बारे में उपधारणा
न्यायालय उपधाररत करे गा कक हर दस्तावेज क्जसे पेश करिे की अपेक्षा की गई थी और जो पेश करिे की सूचिा के पश्चात ् पेश िहीं
व्याख्या
जि िूल दस्तावेज पेश करिे की िांग की गयी हो और उसे पेश करिे की सच
ू िा के पश्चात ् भी वह पेश िहीं करता है तो यह उपधारणा
की जाती है कक वे ववचध द्वारा अपेक्षक्षत प्रकार से निष्पाददत, अिप्र
ु िार्णत और स्टाक्म्पत की गयी है , ककन्तु उस दस्तावेज की
अन्तववस्तु के सम्िन्ध िें कोई उपधारणा िहीं की जा सकती।
इस धारा की तुलिा साक्ष्य अचधनियि की धारा 114 के दृष्टान्त (च) से की जा सकती है । इस दृष्टान्त के अिुसार यदद कोई व्यक्तत
अपिे कब्जे की दस्तावेज को पेश करिे िें असफल रहता है तो धारा 114 के अधीि यह अिुिाि लगाया जा सकता है कक ऐसे व्यक्तत
िे दस्तावेज को पेश करिे से इसमलए इन्कार कर ददया है कक यदद वह दस्तावेज पेश की जाती है तो वह उसके दहतों के ववरूद्ध होगी।
स्पष्टीकरण -
दस्तावेजों का उचचत अमभरक्षा िें होिा कहा जाता है , यदद वे ऐसे स्थाि िें और उस व्यक्तत की दे ख-रे ख िें हैं, जहााँ और क्जसके पास वे
प्रकृत्या होिी चादहए, ककन्तु कोई भी अमभरक्षा अिुचचत िहीं है , यदद यह साबित कर ददया जाये कक उस अमभरक्षा का उद्गि
ववचधसम्ित था या यदद उस ववमशष्ट िािले की पररक्स्थनतयााँ ऐसी हों क्जिसे ऐसा उद्गि अचधसंभाव्य हो जाता है ।
दृष्टान्त
(क) क भू-सम्पवत्त पर दीघवकाल से कब्जा रखता आया है । वह उस भूमि सम्िन्धी ववलेख क्जिसे उस भूमि पर उसका हक दमशवत होता
है , अपिी अमभरक्षा िें पेश करता है । यह अमभरक्षा उचचत है ।
(ख) क उस भू-सम्पवत्त से सम्िद्ध ववलेख क्जिका वह िन्धकदार है , पेश करता है । िन्धककताव सम्पवत्त पर कब्जा रखता है । यह
अमभरक्षा उचचत है ।
(ग) ख की संसगी क, ख के कब्जे वाली भमू ि से सम्िक्न्धत ववलेख पेश करता है , क्जन्हें ख िे उसके पास सरु क्षक्षत अमभरक्षा के मलये
निक्षक्षप्त ककया था। यह अमभरक्षा उचचत है ।
व्याख्या
यह धारा इस सािान्य नियि का अपवाद प्रस्तुत करती है कक जि कोई दस्तावेज न्यायालय के सिक्ष पेश की जाती है तो उसका
निष्पादि साबित ककया जािा चादहए। यदद ववचध द्वारा उसका अिुप्रिाणि आवश्यक है तो भी सक्षि साक्ष्य द्वारा साबित ककया
जािा चादहए।
इस धारा के प्रयोग के मलए दो िातों की आवश्यकता है -
(i) दस्तावेज की अवचध (दस्तावेज 30 वषव पुरािी साबित हो गयी है )
(ii) दस्तावेज का उचचत अमभरक्षा िें पेश ककया जािा उपयत
ु त क्स्थनतयों िें न्यायालय उस दस्तावेज को असली होिे की उपधारणा
कर सकता है ।
उ० प्र० िें 30वषव' के स्थाि िें 20वषव' रख ददया गया है ।
धारा 90- क. पााँि वषीय पुरािे इलेतरातिक अमिलेख के बारे में उपधारणा -
जहााँ कोई इलेतरानिक अमभलेख, जो पााँच वषव पुरािा होिा तात्पवपवत है या साबित ककया गया है , ककसी अमभरक्षा से पेश ककया जाता
है , क्जसे न्यायालय ववमशष्ट िािलें िें सिचु चत सिझता है , वहााँ न्यायालय उपधारणा कर सकेगा कक इलेतरानिक हस्ताक्षर, जो ककसी
ववमशष्ट व्यक्तत का इलेतरानिक हस्ताक्षर होिा तात्पचथवत है , उसके द्वारा या इसके मलए उसके द्वारा प्राचधकृत ककसी व्यक्तत द्वारा
इस प्रकार ककया गया था।
स्पष्टीकरण -
इलेतरानिक अमभलेख को सिुचचत अमभरक्षा िें होिा कहा जाता है , यदद वे ऐसे स्थाि िें , क्जसिें और ऐसे व्यक्तत की दे ख-रे ख के
अधीि, क्जसके पास से स्वाभाववक रूप से हों ककन्तु कोई अमभरक्षा अिचु चत िहीं है यदद वह साबित ककया जाता है कक उसका िल
ू वैध
है या ववमशष्ट िािले की पररक्स्थनतयााँ ऐसी हैं, जो इस िूल को सम्भव ििाये। यह स्पष्टीकरण धारा 81 क को भी लागू होता है
व्याख्या
वषव पुरािे कोई इलेतरानिक अमभलेख हो और उसे न्यायालय िें ककसी ऐसी अमभरक्षा िें लाकर पेश ककया गया है जो उस िािले िें
न्यायालय को सिचु चत लगता हो तो यह उपधारणा होगी कक जो इलेतरॉनिक हस्ताक्षर ककसी व्यक्तत का होिा तात्पयवत है वह वास्तव
िें उसी द्वारा ककये गये थे अथवा ककसी अन्य द्वारा, जो उसके द्वारा प्राचधकृत था ।
महत्वपूणव बबन्द ु
▪ धारा 79 से 85, 85क, 85ख, 85ग, 89, 113ख एवं 114क 'उपधारणा करे गा' से सम्िक्न्धत है ।
▪ धारा 81क, 86, 87, 88, 90, 90क, 113क एवं 114 | 'उपधारणा कर सकेगा' से सम्िक्न्धत है ।
▪ यदद ककसी व्यक्तत को अपिे कब्जे के दस्तावेज को पेश करिे के मलए कहा जाता है और पेश िहीं करता है तो धारा 114 के अधीि
यह अिुिाि लगाया जा सकता है कक ऐसा व्यक्तत यदद दस्तावेज पेश करता तो वह उसके दहतों के ववरुद्ध होता ।
▪ धारा 90 के अन्तगवत 30 वषव परु ािी दस्तावेज के िारे िें उपधारणा की जाती है ।
▪ धारा 90क िें 5 वषीय इलेतरॉनिक अमभलेख के िारे िें उपधारणा की जाती है ।
वस्तुतिष्ठ प्रचि
1. दस्तावेज की अन्तववस्तओ
ु ं के अलावा सभी तथ्यों को िौर्खक साक्ष्य द्वारा साबित ककया जायेगा। यह ककस धारा का मसद्धान्त
है ?
(a) धारा 59
(b) धारा 60
(c) धारा 65
(d) धारा 69
उत्तर (a)
उत्तर (d)
4. दस्तावेजी साक्ष्य को और उसकी अन्तववस्तुओं को ककस साक्ष्य के द्वारा साबित ककया जायेगा ?
7. िौर्खक साक्ष्य हिेशा प्रत्यक्ष होिा चादहए ककस धारा िें िताया गया है ?
(a) धारा 60
(b) धारा 58
(c) धारा 66
(d) धारा 62
उत्तर (a)
8 जहााँ एक ववनििय-पि को पााँच सेट िें तैयार ककया जाता हैं, उििें से ककतिों को साबित करिा आवश्यक है ?
(a) पााँच
(b) तीि
(c) एक
(d) दो
उत्तर (c)
10. िोलिे िें असिथव एक साक्षी अपिा साक्ष्य खुले न्यायालय िें मलखकर दे ता है , इस प्रकार ददया गया साक्ष्य सिझा जायेगा-
(a) दस्तावेजी साक्ष्य
(b) प्राथमिक साक्ष्य
(c) द्ववतीयक साक्ष्य
(d) िौर्खक साक्ष्य
उत्तर (d)
11. अिि
ु ुत साक्ष्य कि ग्राह्य होता है -
(a) कभी ग्राह्य िहीं होता है
(b) शरीर या िि की दशा दमशवत करिे के मलये
(c) कारोिार के सािान्य अिि
ु ि को दमशवत करिे पर
(d) ित्ृ यक
ु ामलक कथि के रूप िें
उत्तर (d)
12. सच
ू ी -1 तथा सूची-II को सि
ु ेमलत कीक्जए तथा िीचे ददये गये कूट की सहायता से सही उत्तर दीक्जए-
सूची-I सूची -II
13. अिि
ु ुत साक्ष्य है :
(a) वह साक्ष्य क्जसका साक्ष्य केवल गवाह द्वारा ददया जाता है ककन्तु वह स्वयं उसका िूल्यांकि िहीं करता है ककन्तु वह ककसी अन्य
व्यक्तत की योग्यता और िूल्य पर आधाररत है
(b) वह साक्ष्य है क्जसकी ररपोटव िाि गवाह दे ता है वह उसको दे खता िहीं है ि ही वह उसकी अिुभूनत करता है
(c) ऐसा साक्ष्य क्जसे उसिे स्वयं घदटत होते िहीं दे खा हैं और ि ही अपिी इक्न्ियों द्वारा अिभ
ु त
ू ककया हो
(d) उपयत
ुव त तीिों ही सत्य हैं
उत्तर (d)
14. अिि
ु ुत साक्ष्य की अग्राह्यता का कारण है :
(a) यह शपथपूवक
व िहीं ददया जा सकता है
(b) इसकी परीक्षा प्रनतपरीक्षा से िहीं की जा सकती
(c) वह व्यक्ततगत क्जम्िेदारी से संिंचधत िहीं होता है
(d) उपयत
ुव त सभी कारणों से
उत्तर (d)
15. अिि
ु त
ु साक्ष्य को कि ग्राह्य ककया जा सकेगा?,
(a) स्वीकृनत और संस्वीकृनत के िािलों िें
(b) पूवव कायववादहयों िें ददये कथि के िािलों िें
16. न्यायालय के सिक्ष संकेत ( इशारे ) िें ककया गया साक्ष्य होगा :
(a) प्रत्यक्ष
(b) अप्रत्यक्ष
(c) प्रत्यक्ष और िौर्खक
(d) इििें से कोई िहीं
उत्तर (c)
17. वादकालीि भरण-पोषण के दावे के एक वाद िें पनत स्थायी रूप से अिेररका का निवासी है । तया उसका ियाि इलेतरॉनिक
उपकरण के द्वारा अमभमलर्खत करिे की अिि
ु नत दी जा सकती है ?
(a) हााँ
(b) हााँ, परन्तु उसे दस
ू रे सक्षि साक्षी के द्वारा साबित ककया जािा होगा
(c) कदावप िहीं
(d) असाधारण िािलों िें न्यायालय पयावप्त कारणों को मलवपिद्ध कर उसकी अिुिनत प्रदाि कर सकता है
उत्तर (d)
(c) धारा 65 िें द्ववतीयक साक्ष्य कि ददया जा सकता है , के िारे िें प्रावधाि िताती है
(d) दस्तावेजी साक्ष्य प्राथमिक साक्ष्य से ही मसद्ध होिा चादहए
उत्तर (d)
23. ककसी दस्तावेज की अन्तववस्तु के िारे िें िौर्खक स्वीकृनतयााँ सुसंगत होती हैं जि
(a) उन्हें साबित करिे की प्रस्थापिा करिे वाला पक्षकार यह दमशवत ि कर दे कक ऐसी दस्तावेज की अन्तववस्तुओं का द्ववतीयक साक्ष्य
दे िे का वह हकदार है
(b) पेश ककया गया दस्तावेज निववववाद है
(c) पण
ू त
व ः सुसंगत िहीं है
(d) कोई भी सत्य िहीं है
उत्तर (a)
24. 'इलेतटॉनिक ररकार्व' (Electronic record) की ग्राह्यता सम्िन्धी प्रावधाि ककस धारा िें है ?
(a) धारा 64-A
(b) धारा 65 C
(c) धारा 65-B
(d) धारा 65-D
उत्तर (c)
25. तया इलेतरॉनिक हस्ताक्षर उस व्यक्तत का इलेतरॉनिक हस्ताक्षर है , क्जसके द्वारा वह ककया गया तात्पवववत है , न्यायालय-
(a) उस व्यक्तत या नियंिक या प्रिाणकताव प्राचधकारी को इलेतरॉनिक हस्ताक्षर प्रिाणपि पेश करिे का निदे श दे सकता है ।
(b) ककसी अन्य व्यक्तत को इलेतरॉनिक हस्ताक्षर प्रिाणपि िें सूचीिद्ध साववजनिक सच
ू िा शब्द को प्रयोग करिे और उस व्यक्तत
द्वारा ककया गया तात्पयवत इलेतरॉनिक हस्ताक्षर को सत्यावपत करिे का निदे श दे सकेगा।
(c) उपयत
ुव त (a) एवं (b) दोिों
(d) उपयत
ुव त िें से कोई िहीं
उत्तर (c)
26. कथि (A) इलेतरानिक दस्तावेजों के िौर्खक स्वीकृनत की अन्तववस्तु हिेशा सुसंगत होती है
कारण (R) इलेतरानिक रूप िें ववद्यिाि कथि स्वीकृनत होती है
कूट :
(a) (A) और (R) दोिों सही है और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है
(b) (A) और (R) दोिों सही है परन्तु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण िहीं है
(c) (A) सही है , ककन्तु (R) गलत है
(d) (A) गलत है , ककन्तु (R) सही है
उत्तर (d)
[ व्याख्या - धारा 22क के अन्तगवत इलेतरानिक अमभलेखों की अन्तववस्तुओं से सम्िक्न्धत िौर्खक स्वीकृनत ति सस
ु ंगत होती है जि
पेश की गयी इलेतरानिक अमभलेख की असमलयत प्रश्िगत होती है । ]
27. इलेतरानिक अमभलेखों की अन्तववस्तु ककस धारा के अन्तगवत साबित ककया जा सकता है -
(a) धारा 47-A
(b) धारा 65-B
(c) धारा 65 C
(d) धारा 73 – A
उत्तर (b)
[ व्याख्या - इलेतरॉनिक अमभलेख की अन्तववस्तु धारा 65 ख के प्रावधािों के अिुसार साबित की जाती है ।] 28. इलेतरानिक अमभलेख
की अन्तववस्तुओं को साबित करिे के मलए निम्िमलर्खत िें से कौि-सा एक नियि सही िहीं है ?
28. इलेतरानिक अमभलेख की अन्तववस्तुओं को साबित करिे के मलए निम्िमलर्खत िें से कौि-सा एक नियि सही िहीं है ?
(a) इसके साथ कथि अन्तवववष्ट करिे वाले इलेतरानिक अमभलेख की पहचाि करिे वाला प्रिाणपि संलग्ि होिा चादहए
(b) कथि ककसी ऐसे व्यक्तत द्वारा हस्ताक्षररत होिा चादहए जो सम्िक्न्धत उत्तरदायी पदीय क्स्थनत पर अध्यासी हो
(c) इसे व्युत्पन्ि करिे वाले उपकरण की ववमशक्ष्टयााँ दे िा आवश्यक िहीं है
(d) यह पयावप्त है कक कथि प्रिार्णत करिे वाले व्यक्तत िे ऐसा अपिे सवोत्ति ज्ञाि एवं ववश्वास िें ककया है
उत्तर (c)
29. धारा 66 के अन्तगवत द्ववतीयक साक्ष्य पेश करिे से पहले िूल दस्तावेज धारक को सच
ू िा दे िा आवश्यक है , परन्तु यह सूचिा
कि अपेक्षक्षत िहीं होगी?
(a) जिकक प्रनतपक्षी यह जािता हो कक उसे पेश करिे की उससे अपेक्षा की जायेगी
(b) जि यह प्रतीत हो कक प्रनतपक्षी िे िल
ू पर कब्जा कपट या िल द्वारा अमभप्राप्त कर मलया है
(c) जिकक प्रनतपक्षी िे उसे खो जािा स्वीकार कर मलया हो
(d) उपयत
ुव त सभी क्स्थनत िें
उत्तर (d)
30. र्ातटर द्वारा प्रदाि प्रिाण पि के सम्िन्ध िें कौि-सा कथि सत्य है :
(a) एक अिुिुत साक्ष्य है
(b) र्ातटर द्वारा उसे साबित करािा चादहए
(c) र्ातटर को यह साक्ष्य दे िा होगा कक वह प्रिाणपि उस र्ातटर द्वारा मलखा गया है ।
31. ककसी दस्तावेज के हस्ताक्षर और मलखावट को ककस प्रकार मसद्ध ककया जा सकता है?
(a) उस लेखक के स्वयं के साक्ष्य द्वारा क्जसिे उसे मलखा हो और हस्ताक्षर ककये हों
(b) उसके द्वारा क्जसिे लेखक को स्वयं दस्तावेज मलखते दे खा हो और हस्ताक्षर करते दे खा हो
(c) हस्तलेख ववशेषज्ञ द्वारा
(d) उपयत
ुव त तीिों सही हैं
उत्तर (d)
35. दस्तावेज को साबित करिे के मलए कि अिुप्रिार्णत साक्षी िुलािा आवश्यक िहीं है?
(a) जि वह दस्तावेज वसीयत ि हो
(b) जि कक दस्तावेज 30 वषव पुरािा हो
(c) जिकक उसे पेश करिे की सच
ू िा उसे दे दी गई क्जसके पास िल
ू दस्तावेज हो और उसिे पेश िहीं ककया है
(d) उपयत
ुव त सभी पररक्स्थनतयों िें
उत्तर (d)
(c) दण्र् प्रकिया संदहता की धारा 154 के अन्तगवत प्रथि सूचिा ररपोटव
(d) उपरोतत सभी
उत्तर (d)
42. साक्ष्य के अमभलेख के तौर पर पेश की गयी दस्तावजों के िारे िें उपधारणा की जाती है -
(a) धारा 79 िें
(b) धारा 80 िें
(c) धारा 85 िें
उत्तर (a)
48. 'इलेतरॉनिक करार' के सम्िन्ध िें उपधारणा सम्िन्धी प्रावधाि ककस धारा िें है ?
(a) धारा 65-A
(b) धारा 85-A
(c) धारा 85 – L
(d) धारा 90-J
उत्तर (b)
49. लोक दस्तावेज की प्रिार्णत प्रनतयााँ प्राप्त करिे की प्रकिया भारतीय साक्ष्य अचधनियि की ककस धारा िें दी है ?
(a) धारा 75
(b) धारा 76
(c) धारा 77
(d) धारा 78
उत्तर (b)
50. भारतीय साक्ष्य अचधनियि की ककस धारा िें प्रिार्णत प्रनतयों के असली होिे की उपधारणा ही गयी है ?
(a) धारा 78
(b) धारा 70
(c) धारा 79
(d) धारा 80
उत्तर (c)
52. अचधनियि की ककस धारा िें 'इलेतरॉनिक संदेश' की उपधारणा सम्िन्धी प्रावधाि है ?
(a) धारा 88
(b) धारा 88-A
(c) धारा 88-C
(d) धारा 90 A
उत्तर (b)
53. ककतिे वषव परु ािे 'इलेतरॉनिक ररकार्व' (पर डर्जीटल हस्ताक्षर की वैधता सम्िन्धी उपधारणा को न्यायालय िान्यता दे गा?
(a) 5 वषव
(b) 10 वषव
(c) 30 वषव
(d) 20 वषव
उत्तर (a)
54. ककतिे वषव पुरािे इलेतरानिक ररकार्व के िारे िें न्यायालय उपधारणा कर सकेगा कक वह प्राचधकृत व्यक्तत द्वारा तैयार ककया गया
है ?
(a) 30 वषव परु ािे
(b) 10 वषव पुरािे
(c) 50 वषव पुरािे
(d) 5 वषव पुरािे
उत्तर (d)
55. िुख्तारिािे जो कक िोटरी के साििे हो, के सम्िन्ध िें उसकी सत्यता के सम्िन्ध िें न्यायालय :
(a) उपधारणा करे गा
(b) उपधारणा कर सकेगा
(c) उपधारणा िहीं करे गा
(d) उपरोतत िें से कोई िहीं
उत्तर (a)
56. तार या फैतस भेजिे वाले व्यक्तत के सम्िन्ध िें कक यह तार भेजिे वाला ही व्यक्तत है , न्यायालय
(a) उपधाररत करे गा
(b) उपधाररत कर सकेगा
(c) उपधाररत िहीं करे गा
(d) उपरोतत िें से कोई िहीं
उत्तर (c)
57. तार घर द्वारा ककसी व्यक्तत को तार भेजा गया। तार उसी व्यक्तत को मिला क्जसका उस तार पर िाि मलखा था, के सम्िन्ध िें
न्यायालय :
(a) उपधाररत करे गा
(b) उपधाररत कर सकेगा
(c) उपधाररत िहीं करे गा
(d) उपरोतत िें से कोई िहीं
उत्तर (b)
58. तीस वषव पुरािे दस्तावेज की उपधारणा सम्िन्धी प्रावधाि ककस धारा िें है?
(a) धारा 90
(b) धारा 87
(c) धारा 80
(d) धारा 88
उत्तर (a)
59. यदद तीस वषव पुरािा दस्तावेज धारा 90 की शतों के िुताबिक न्यायालय िें प्रस्तुत ककया जाता है , तो उसकी अन्तववस्तओ
ु ं के सत्य
होिे के सम्िन्ध िें न्यायालय :
(a) उपधारणा करे गा
(b) उपधारणा कर सकेगा
(c) उपधारणा िहीं करे गा
(d) उपरोतत िें कोई िहीं
उत्तर (b)
61. तीस वषव पुरािी प्रिार्णत प्रनतमलवप, जो कक धारा 90 की शतें पूरी करती हो, के सम्िन्ध िें न्यायालय :
(a) अवधारणा करे गा
(b) अवधारणा कर सकेगा
(c) अवधारणा िहीं करे गा
(d) उपरोतत िें कोई िहीं
उत्तर (b)
62. धारा 85 C के अन्तगवत न्यायालय डर्जीटल हस्ताक्षर के प्रिाणपि के सही होिे की उपधारणा :
(a) कर सकेगा
(b) करे गा
(c) िहीं करे गा
(d) िहीं कर सकेगा
उत्तर (b)