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Vastu Chapter 2
Vastu Chapter 2
जब वास्तु पुरुष ब्रह्मा जी के चरण ों में नतमस्तक र्ा उस क्षण जजस जिशा में उसका मुख र्ा
उस जिशा क ईशान क ण कहा गया | ब्रह्म मुहूता में सूया की सबसे पहली जकरण ईशान
क ण में ही पड़ती है | ब्रह्म मुहूता से तात्पया उस समय से है जजस समय सूया का आगमन
त ह चूका ह ता है परन्तु वह जिखाई नहीों िे ता | उस समय बाहर वातावरण में तर्ा मन
के भीतर भी एक ही स्स्र्जत का भाव ह ता है | यह समय जिन एवों रात में जकसी भी अन्य
समय की अपेक्षा बहुत महत्वपुणा समझा जाता है | ब्रह्म मुहूता में पूजा एवों ध्यान करना
सवोत्तम माना जाता है | ईशान क ण क सिै व साफ-सुर्रा रखना चाजहए |
इसे समझने के जलए हम एक केस स्टडी की सहायता ले ते है :-कुछ समय पहले हमें
वास्तु के जवषय में एक फ़ न आया | उनका व्यवसाय फ ट ग्राफी से सम्बोंजित है | वह
शाजिय ों में वीजडय ररकॉजडिं ग का काया करते है | उनका स्वयों का एक स्टू जडय भी है |
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उन् न
ों े बताया जक जपछले 3 से 4 साल में उनके पास क ई काम नहीों आया | नाममात्र 2,3
शाजिय ों में ररकॉजडिं ग की इसजलए उन्ें फाइनेंस की समस्या र्ी | मेरे पूछने पर उन् न
ों े
बताया की उन्ें पाचन सम्बन्धी परे शानी भी है एवों वह मिुमेह से ग्रजसत है |
इतना सुनकर आप बता सकते है जक इन पररस्स्र्जतय ों में जहााँ फाइनेंस और पेट सम्बन्धी
समस्या सार् ह ,वहााँ घर के अजिक ण में वास्तुि ष ह ता है | अजि क ण शु क्र से सम्बोंजित
ह ता है और फ ट ग्राफी का काम भी शु क्र के अोंतगात आता है अर्ाा त ज्य जतष के अनुसार
आप बता सकते है जक ऐसे व्यस्ि की कुोंडली में शु क्र की महािशा चल रही है |
पू र्व-उत्तर-पू र्व - यह स्र्ान आनोंि और ख़ुशी का स्र्ान है | यहााँ रहने पर व्यस्ि बहुत
खुश और जनजिन्त रहता है | गभावती स्त्री जब यहााँ रहती है
त उसका व्यवहार शाों त और जचत्त प्रसन्न रहता है इसी
कारण प्राचीन समय में खास इसी स्र्ान पर हमे शा
प्रसूजत गृह बनाया जाता र्ा | इसके पीछे एक
कारण है :- जै सा हम जानते है जक जन्म ले ने वाली
सोंतान का व्यस्ित्व, व्यवहार और मानजसक
अवस्र्ा का जनिाा रण बहुत हि तक गभाा वस्र्ा में
ही ह जाता है | इसका साक्षात् अजभप्राय महाभारत
की कहानी से जलया जा सकता है , जजसमे जब अजुा न,
गभावती सुभद्रा क चक्रव्यूह में जाने की रणनीजत बताते है
और चक्रव्यूह भेिकर उससे बाहर आने की रणनीजत भी जवस्तारपूवाक समझाते है | उस
समय सुभद्रा के गभा में अजभमन्यु र्े | उन् न ों े गभा में ही चक्रव्यूह के जवषय में सुना जक
जकस प्रकार उसमे प्रवेश जकया जाता है , परन्तु जब अजुा न चक्रव्यूह से बाहर आने के जवषय
में बताने लगे त उस समय तक सुभद्रा क नीोंि आ गई और वह स गई | माता के स ते ही
अजभमन्यु भी उसी क्षण गभा में स गए और चक्रव्यूह से बाहर आने के जवषय में वह न जान
सके |
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