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उत्तर पूर्व (ईशान कोण)

ईशान अर्ाा त ईश्वर का स्र्ान

जब वास्तु पुरुष ब्रह्मा जी के चरण ों में नतमस्तक र्ा उस क्षण जजस जिशा में उसका मुख र्ा
उस जिशा क ईशान क ण कहा गया | ब्रह्म मुहूता में सूया की सबसे पहली जकरण ईशान
क ण में ही पड़ती है | ब्रह्म मुहूता से तात्पया उस समय से है जजस समय सूया का आगमन
त ह चूका ह ता है परन्तु वह जिखाई नहीों िे ता | उस समय बाहर वातावरण में तर्ा मन
के भीतर भी एक ही स्स्र्जत का भाव ह ता है | यह समय जिन एवों रात में जकसी भी अन्य
समय की अपेक्षा बहुत महत्वपुणा समझा जाता है | ब्रह्म मुहूता में पूजा एवों ध्यान करना
सवोत्तम माना जाता है | ईशान क ण क सिै व साफ-सुर्रा रखना चाजहए |

astrovastu का अध्ययन करने पर आप जानेंगे जक कैसे कुोंडली िे खकर ही वास्तुि ष का


पता लगाया जा सकता है |

इसे समझने के जलए हम एक केस स्टडी की सहायता ले ते है :-कुछ समय पहले हमें
वास्तु के जवषय में एक फ़ न आया | उनका व्यवसाय फ ट ग्राफी से सम्बोंजित है | वह
शाजिय ों में वीजडय ररकॉजडिं ग का काया करते है | उनका स्वयों का एक स्टू जडय भी है |

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उन् न
ों े बताया जक जपछले 3 से 4 साल में उनके पास क ई काम नहीों आया | नाममात्र 2,3
शाजिय ों में ररकॉजडिं ग की इसजलए उन्ें फाइनेंस की समस्या र्ी | मेरे पूछने पर उन् न
ों े
बताया की उन्ें पाचन सम्बन्धी परे शानी भी है एवों वह मिुमेह से ग्रजसत है |

इतना सुनकर आप बता सकते है जक इन पररस्स्र्जतय ों में जहााँ फाइनेंस और पेट सम्बन्धी
समस्या सार् ह ,वहााँ घर के अजिक ण में वास्तुि ष ह ता है | अजि क ण शु क्र से सम्बोंजित
ह ता है और फ ट ग्राफी का काम भी शु क्र के अोंतगात आता है अर्ाा त ज्य जतष के अनुसार
आप बता सकते है जक ऐसे व्यस्ि की कुोंडली में शु क्र की महािशा चल रही है |

ईशान क ण मस्स्तष्क क िशाा ता है | नए-नए जवचार आना इसी जिशा से सम्बोंजित है |


जब घर में ईशान क ण अच्छा ह ता है त जिमाग में नए-नए जक्रएजटव आईजडया आते है |
यहााँ मोंजिर बनाना चाजहए | छ टे बच्च का स ने का स्र्ान यहााँ बना सकते है |यहााँ
शौचालय और सीज़ियाों नहीों बनाना चाजहए

पू र्व-उत्तर-पू र्व - यह स्र्ान आनोंि और ख़ुशी का स्र्ान है | यहााँ रहने पर व्यस्ि बहुत
खुश और जनजिन्त रहता है | गभावती स्त्री जब यहााँ रहती है
त उसका व्यवहार शाों त और जचत्त प्रसन्न रहता है इसी
कारण प्राचीन समय में खास इसी स्र्ान पर हमे शा
प्रसूजत गृह बनाया जाता र्ा | इसके पीछे एक
कारण है :- जै सा हम जानते है जक जन्म ले ने वाली
सोंतान का व्यस्ित्व, व्यवहार और मानजसक
अवस्र्ा का जनिाा रण बहुत हि तक गभाा वस्र्ा में
ही ह जाता है | इसका साक्षात् अजभप्राय महाभारत
की कहानी से जलया जा सकता है , जजसमे जब अजुा न,
गभावती सुभद्रा क चक्रव्यूह में जाने की रणनीजत बताते है
और चक्रव्यूह भेिकर उससे बाहर आने की रणनीजत भी जवस्तारपूवाक समझाते है | उस
समय सुभद्रा के गभा में अजभमन्यु र्े | उन् न ों े गभा में ही चक्रव्यूह के जवषय में सुना जक
जकस प्रकार उसमे प्रवेश जकया जाता है , परन्तु जब अजुा न चक्रव्यूह से बाहर आने के जवषय
में बताने लगे त उस समय तक सुभद्रा क नीोंि आ गई और वह स गई | माता के स ते ही
अजभमन्यु भी उसी क्षण गभा में स गए और चक्रव्यूह से बाहर आने के जवषय में वह न जान
सके |

इस कहानी के माध्यम से हम समझ सकते है जक जब बच्चा गभा में ह ता है तब उसका


अस्स्तत्व सम्पूणा तौर पर उसकी माता के व्यवहार पर जनभार करता है | चाहे वह
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सकारात्मक ह या नकारात्मक | जब इस जिशा में (पूवा-उत्तर-पूवा ) गभावती स्त्री का
शयनकक्ष ह ता है त उन्ें अच्छे जवचार आते है | वह नई-नई अच्छी जकताबे प़िती है |
उनमे अध्यात्म की वृस्ि ह ती है और स्वतः इन सब चीज ों का प्रभाव भी बच्चे पर पड़ता है |
पूर्व- पूवा की जिशा सूया की
जिशा ह ती है | सूया याजन राजा
और राजनीजत | यह जिशा
सामाजजक सम्बन्ध का क्षेत्र है |
जीवन में सामाजजक जुड़ाव की
शु रुआत पूवा जिशा से ही ह ती
है | इस जिशा के शु भ ह ने पर
समाज में मेल-ज ल ब़िता है |
ररश्तेिार ों के घर आना जाना
ह ता है | समाज में इज्जत
ब़िती है | राजनीजत का सीिा
सम्बन्ध पूवा जिशा से ह ता है |
यजि पूवा जिशा में क ई ि ष है त
राजनीजत में सफलता जमलना असोंभव ह जाता है | राजनीजत से सम्बोंजित व्यस्ि के घर में
पूवा जिशा में शौचालय नहीों ह ना चाजहए | सािारण व्यस्ि के घर में पूवा जिशा में बने
शौचालय से क ई हाजन नहीों ह ती | इस स्र्ान पर जलजवोंग रूम बनाना उजचत है | यहााँ जब
ल ग बैठकर बात करें गे त उनका सोंबोंि ब़िे गा |

पूर्व-दक्षिण-पूर्व - इस जिशा क सामान्यतः


जचोंता का क्षेत्र कहा जाता है | इस जिशा में
वास्तुि ष ह ने पर व्यस्ि महत्वपुणा जवषय पर
जनणा य ले ने में असमर्ा ह जाता है | यहााँ पर
शौचालय बनाना लाभकारी जसि ह ता है | यहााँ
शयनकक्ष बनाने से बचे क्य की उस अवस्र्ा में
यहााँ स ने वाले व्यस्ि का मन अशाों त और
जचड़जचड़ा ह जाता है |इस जिशा में शौचालय बना
सकते है | यहााँ घूमने वाली वस्तुएाँ रखनी चाजहए जै से जमक्सर और वाजशोंग मशीन आजि|

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