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Subject – Hindi

IV Semester
Course – BCA
Course Code – 21HIN1T343
Course Title – Hindi Natak Sahitya aur Antarjal Par
Patrikaen, Chitta Lekhan
कामना (नाटक) – जयशंकर प्रसाद
अंतरजाल पर पत्रिकाएँ और त्रिट्टा लेखन
_________________________________________________________________

त्रिषय सूिी
अंतरजाल पर पत्रिकाएँ
1. वेब या अंतरजाल पत्रकाररता
2. अंतरजाल पत्रकाररता में ववज्ञापन

ब्लॉग लेखन / त्रिठ्ठा लेखन


1. ब्लॉग लेखन / विठ्ठा लेखन का स्वरूप, इवतहास एवं ववकास
2. ब्लॉग लेखन / विठ्ठा लेखन के प्रकार
3. ब्लॉग लेखन / विठ्ठा लेखन की सामग्री
4. ब्लॉग लेखन / विठ्ठा लेखन के अंग
5. ब्लॉग लेखक / विठ्ठा लेखक के गणु
6. ब्लॉग लेखन / विठ्ठा लेखन की पद्धवतयााँ
7. ब्लॉग लेखन / विठ्ठा लेखन की आलोिना
8. ब्लॉग लेखन / विठ्ठा लेखन का महत्व
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अंतरजाल पर पत्रिकाएँ
01 - िेब या अंतरजाल पिकाररता
यह पत्रकाररता 21 वीं सदी की ववविष्ट देन है। इसे ऑनलाइन पत्रकाररता या इंटरनेट पत्रकाररता
भी कहा जाता है। इसमें काम करने के वलए पत्रकार को न के वल वेब लेखन में पारंगत होना िावहए बवकक वेब प्रकािन
में भी दक्ष होना िावहए। अंतरजाल पत्रकाररता के वलए पामटॉप, लैपटॉप, विजीटल कै मरा, बेतार उपकरणों, मकटी
मीविया, सिं टूकस आवद की प्रयोगात्मक जानकारी होनी िावहए। आज अविकांि समािारपत्र ऑनलाइन समािारपत्र
प्रकावित-प्रसाररत करते हैं। अंतरजाल पत्रकाररता इंटरनेट पर आिाररत है वजसमें तकनीक की प्रिानता है। इसी
तकनीक का उपयोग कर पत्रकार समािार लेखन कर सकता है और पाठक आसानी से कोई भी समािार पढ़ सकता
है और तत्काल प्रवतविया दे सकता है। आज वववभन्न समािारपत्र और टीवी। न्यूज िैनल वनिःिकु क सेवाएं प्रदान कर
रहे हैं। इस प्रकार के समािारपत्र को इलेक्ट्रॉवनक समािारपत्र कहा जाता है। िॉ। अजु न वतवारी वलखते हैं वक ‘ज्ञान
के साथ-साथ प्रवतवदन की घटनाओं को पाठकों तक पहंिाने की महत्वाकांक्षी योजना का नाम ही ‘इलेक्ट्रॉवनक
अखबार ‘ है ।‘
02 - अंतरजाल पिकाररता में त्रिज्ञापन
अवनवायु रूप से सामने आता है। लेवकन आप उसे हटा सकते हैं और अपना पूरा ध्यान समािार,
फीिर, लेखों आवद पर लगा सकते हैं। अंतरजाल पत्रकाररता में पहले यह वदक्ट्कत थी वक पेज का नवीकरण मंद गवत
से होता था लेवकन आज ऐसी वस्थवत नहीं है। बाजार का दबाव, ववज्ञापनों की अविकता, सनसनी और मसालेदार
सामग्री ऑनलाइन समािारपत्रों में अक्ट्सर देखने को वमलती है। अंतरजाल पत्रकाररता के उदय होने से समािारपत्रों
के प्रसार-प्रिार पर प्रभाव तो अवश्य पडा है तथावप उनका महत्त्व कम नहीं हआ है। वतु मान में दोनों परस्पर पूरक
बन गए हैं। इस देि में अभी भी अविकांि जनता अखबार इंटरनेट पर देखने की अपेक्षा खरीदकर पढ़ती है। िॉ। वीणा
गौतम वलखती हैं। वक ‘अखबार आज भी सस्ते हैं, भववष्य में भी सस्ते रहेंगे। आज भी इनकी पहिं सवु हारा वगु के
उस आवखरी आदमी तक है, जो सूिना पाने की वपपासा में पंवि के आवखरी छोर पर खडा है और भववष्य में भी उसी
आवखरी वबंदु के अंत्यज तक अगर सूिना पहिाने का कायु कोई बखूबी कर सके गा, तो वे अखबार ही होंगे, वप्रंट
मीविया ही होगा।‘ (सूिना प्रौद्योवगकी, वहंदी और अनवु ाद, वास्तव में फै क्ट्स और टेलीफोन की अपेक्षा इंटरनेट ने
पत्रकाररता को तीव्रता दी है, गवत दी है।
कं प्यूटर अब भारी-भरकम नहीं होगा। इसे रूमाल की तरह जेब में रखा ओर ‘वाल पेपर’ की तरह
लटकाया जा सके गा। पत्रकार अब तकनीकी दृवष्ट से सक्षम, सािन संपन्न हो िला है।‘ आज सूिनाओं का मंथन कर
उपभोिा के वलए उपयुि सूिना वनकालना अब सरल नहीं है। तकनीक के प्रयोग ने इसे जवटल बना वदया है। सूिना
पाने, संभालने और उसे समािार के रूप में ढालना अब एक व्यवि के हाथ में नहीं है, बवकक यह काम संस्थानों ने
संभाल वलया है। अब अलग-अलग वविेषज्ञ िावहए, अलग-अलग ववश्लेषक िावहए और अलग-अलग संपादक िावहए,
जो खेल, अथु , राजनीवत आवद पर अपनी सिि और बेबाक वटप्पणी दे सकें । अब समािार को जकदी से जकदी
वस्तवु नष्ठ रूप में पाठक तक, संग्राहक तक पहिं ाने की वजम्मेदारी संवाददाताओं, संपादकों और प्रबंि संपादकों की
है। अब िीघ्रता, नवीनता और त्वरा का महत्व है, समय का सवाु विक महत्व है। ई-पत्रकाररता के मूल में कं प्यूटर है
वजससे सूिना, आंकिें, वित्र, गीत-संगीत सभी में अद्भुत बदलाव आया है। प्रकािन, वित्रण और ववश्लेषण संपादन में
कं प्यूटर का योगदान नकारा नहीं जा सकता। अब इंटरनेट पर समािारपत्र पढ़ने और उसे िाउनलोि करने की सवु विा
है वजसने पत्रकाररता को गवतिील बना वदया है।
लैपटॉप, विजीटल कै मरा, बेतार उपकरणों, मकटी मीविया, सिंटूकस आवद की प्रयोगात्मक
जानकारी होनी िावहए। आज अविकांि समािारपत्र ऑनलाइन समािारपत्र प्रकावित-प्रसाररत करते हैं। अंतरजाल
पत्रकाररता इंटरनेट पर आिाररत है वजसमें तकनीक की प्रिानता है। इसी तकनीक का उपयोग कर पत्रकार समािार
लेखन कर सकता है और पाठक आसानी से कोई भी समािार पढ़ सकता है और तत्काल प्रवतविया दे सकता है।
आज वववभन्न समािारपत्र और टीवी न्यूज िैनल वनिःिुकक सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इस प्रकार के समािारपत्र को
इलेक्ट्रॉवनक समािारपत्र कहा जाता है। िॉ। अजु न वतवारी वलखते हैं वक ‘ज्ञान के साथ-साथ प्रवतवदन की घटनाओं
को पाठकों तक पहंिाने की महत्वाकांक्षी योजना का नाम ही 'इलेक्ट्रॉवनक अखबार ' है।'
समािार, फीिर, लेखों आवद पर लगा सकते हैं। अंतरजाल पत्रकाररता में पहले यह वदक्ट्कत थी वक
पेज का नवीकरण मंद गवत से होता था लेवकन आज ऐसी वस्थवत नहीं है। बाजार का दबाव, ववज्ञापनों की अविकता,
सनसनी 1 और मसालेदार सामग्री ऑनलाइन समािारपत्रों में अक्ट्सर देखने को वमलती है। अंतरजाल पत्रकाररता के
उदय होने से समािारपत्रों के प्रसार-प्रिार पर प्रभाव तो अवश्य पडा है तथावप उनका महत्त्व कम नहीं हआ है। वतु मान
में दोनों परस्पर परू क बन गए हैं। इस देि में अभी भी अविकांि जनता अखबार इंटरनेट पर देखने की अपेक्षा खरीदकर
पढ़ती है। िॉ। वीणा गौतम वलखती हैं वक ‘अखबार आज भी सस्ते हैं भववष्य में भी सस्ते रहेंगे। आज भी इनकी पहंि
सवु हारा वगु के उस आवखरी आदमी तक है, जो सूिना पाने की वपपासा में पंवि के आवखरी छोर पर खडा है और
भववष्य में भी उसी आवखरी वबंदु के अंत्यज तक अगर सूिना पहिाने का कायु कोई बखूबी कर सके गा, तो वे अखबार
ही होंगे, वप्रंट मीविया ही होगा।'
'इंटरनेट' आज पत्रकारों को वह सामग्री भी उपलब्ि करवा रहा है वजसकी ककपना तक पत्रकारों
को नहीं थी। समय की बित और अनवु ाद करने में सवु विा आज इंटरनेट की महत्त्वपणू ु देन है। ई- पत्रकाररता में अब
पत्रकार वववभन्न संिार संसािनों से युि है। अब उसके पास मोबाइल फोन, फै क्ट्स, लेपटॉप, पेजर, इंटरनेट, ईमे ल
की सवु विा है। िॉ। अजु न वतवारी के अनस ु ार 'कुछ वदन पहले तक साइवकल पर दौडते संवाददाता दृवष्टगत होते थे।
गांव-गांव, तहसील, कस्बे से वलफाफे आते थे, संपादकीय ववभाग पोस्ट ऑवफस बना रहता था जहां पत्रों की छं टनी
होती थी। कुछ वररष्ठ पत्रकार विकला-विकलाकर, रंककाल पर समािार भेजते तो कुछ टेलीग्राफ करते थे। असवु विाओं
वाला संपादकीय कायाु लय होता था, कं पोवजंग कक्ष तो काजल की कोठरी होती जो वहां से वनकलता कावलख लगाए
रहता था । खरु दरु े - मटमैले कागज पर उपसंपादकों की टोली सािनारत रहती थीं।' इन सारी वस्थवतयों को िमत्कारी
ढंग से ई- पत्रकाररता ने बदलकर रख वदया है। अब कलम और स्याही का स्थान कं प्यूटर ने ले वलया है, उसी पर प्रूफ
रीविंग हो जाती है और उसी पर पेज मेंवकग और उसी से समािार, फीिर आवद प्रकावित होने के वलए मुद्रण वाले
स्थान पर भेज वदए जाते हैं। अन्यत्र वे वलखते हैं वक अब 'मानव अपने वविारों को ईमेल से प्रेवषत कर सके गा। विजीटल
नई तकनीक है वजससे मिीन और र मनष्ु य के बीि संवाद स्थावपत हो सकता है। 'बाइट' अब सूिना प्रेषण की
महत्वपणू ु इकाई है। 'बाइटस' द्वारा मानव से मानव, मिीन से मानव, मिीन से मिीन के मध्य संवाद हो सके गा।
इंटरनेट के आगमन से अब संवाददाताओं पर वनभु रता कम होने लग है। साथ ही भ्रामक समािारों
से बिना संभव हो पाया है। इसी प्रकार समािारों के संकलन एवं ववश्लेषण में पाठक की भूवमका बहत महत्त्वपूणु नहीं
होती थी जबवक आज व्यवि इंटरनेट करोडों लोगों के साथ वमलकर सूिना- समद्रु में गोता लगाकर अपनी मनिाही
सूिनाएाँ प्राप्त कर सकता है। अब संवाददाता को अविक सिेत रहना पडता है। कारण, आज का पाठक इंटरनेट पर
सूिनाओं से वनरंतर संपकु में रहता है। इंटरनेट के माध्यम से वकसी भी पाठक को ववश्व की अनेकानेक घटनाएाँ वववभन्न
स्रोतों से वनरंतर प्राप्त होती रहती हैं जबवक संवाददाता वनवित समय-सीमा में बाँिकर कायु करने के वलए बाध्य है।
उसे वनिाु ररत स्थान के अनुरूप ही अपना समािार वलखना होता है। उसे अपने पूरे पाठकवगु की रुवि को भी ध्यान
में रखना पडता है। समािारपत्रों का प्रकािन भी एक वनयत समय पर वनयवमत रूप से करना आवश्यक है। दूसरी ओर
इंटरनेट के वलए कोई समय- सीमा नहीं है। यही कारण है वक अब प्रातिःकाल समािारपत्र आने से पूवु ही अविकांि
पाठकों को उन यमातारों की जानकारी इंटरनेट अथवा दरू दिु न के माध्यम से वमल िक ु ी होती के है। इंटरनेट के बढ़ते
प्रभाव के कारण संपादकीय ववभाग पर भी पाठकों की रुवि को बनाए रखने के वलए वनरंतर दबाव बढ़ रहा है। इसी
कारण आजकल समािारपत्रों के कलेवर, साज- सज्जा, स्तंभ आवद में व्यापक पररवतु न वदखाई देने लगा है। कम्प्यूटर
और इंटरनेट के आववष्कार से पूवु अविकतर पत्रकारों को अपने वदन-प्रवतवदन के समािारों की पष्ठृ भूवम वलखने के
वलए मख्ु यतिः अपनी स्मरण-िवि पर वनभु र रहना पडता था। कई बार वे अनमु ान का सहारा लेते थे लेवकन आज
इंटरनेट के कारण सब कुछ सहज और सरल हो गया है। वकसी भी घटना से संबवं ित तथ्य और आाँकडे िाटा बैंक से
सहज ही उपलब्ि हो जाते हैं। इस समय इंटरनेट वविारों की स्वतंत्र अवभव्यवि का सवाु विक प्रभाविाली माध्यम है
और िीरे-िीरे इसने घर-घर में स्थान बनाना प्रारंभ कर वदया है। अब इंटरनेट पर समािारपत्रों में मवु द्रत समािार पढ़े
जा सकते हैं।
अनेक संवाद सवमवतयााँ अब अपने स्तंभ लेखकों एवं संवाददाताओं पर वनभु र रहने की अपेक्षा
इंटरनेट के माध्यम से सूिनाओं का आदान-प्रदान कर रही हैं। वववभन्न कें द्रों को परस्पर जोडकर समािार सवमवतयााँ
सहज ही अपने ग्राहकों को त्वररत सेवा उपलब्ि करवा सकती हैं। इंटरनेट का एक लाभ यह भी हआ है वक अब
वववभन्न सोिल साइट् स, जैसे फे सबक
ु , ट् ववटर आवद पर लोग अपनी बात कहने लगे हैं | समािारों को देने लगे हैं।
अब लोगों के पास अपनी
न्यूज वेबसाइट बनाने का ववककप भी उपलब्ि है। इस प्रकार इंटरनेट ने एक वैकवकपक पत्रकाररता
को जन्म देकर लोगों को अवभव्यवि का एक वविाल आकाि प्रदान वकया है। जो समािार रेवियो, टी0वी0,
समािारपत्रों द्वारा वछपा वलए जाते हैं वे सोिल साइट् स पर उजागर हो जाते हैं। अवभषेक मनु वसंघवी की सीिी से
जडु ा मामला इस संदभु में जीवंत उदाहरण है। वववकलीक्ट्स की साइट ने अंतरजाल पत्रकाररता को एकदम से सारे
संसार के के न्द्र में ला खडा कर वदया। वववकलीक्ट्स ने न के वल आियु जनक सूिनाएं ववश्व समाज को – प्रदान कीं
बवकक परंपरागत पत्रकाररता और रेवियो व टी.वी. पत्रकाररता को भी पीछे छोड वदया। ववश्व की संिार व्यवस्था में
पहली बार ऐसा हआ वक परंपरागत पत्रकाररता और रेवियो और टी.वी. पत्रकाररता अंतरजाल पत्रकाररता का अनुवती
बनी। अंतरजाल पत्रकाररता ने वववभन्न जनांदोलनों को गवत दी है और समाज को वववभन्न मद्दु ों पर एक वकया है। वमस्र
का तख्तापलट, लीवबया की रि िांवत, अन्ना का आंदोलन, टयूनीविया का िांवतपवू ु क तख्तापलट सभी में यह
समाज का सहयोगी और में घटनाओं का तत्काल साक्षी बना है। अंतरजाल पत्रकाररता में सबसे बडी परेिानी यह है
वक 'वेबसाइट और इंटरनेट पर वकसी भी सूिना को पाने, पकडने, प्रसाररत करने के वलए लंबे समय तक अवांवछत
एवं अनावश्यक सूिनाओं के रोल को घमु ाना पडता है। स्िीन पर सूिनाएं आंिी की तरह, वटि् िी दल की तरह
उमडने लगती हैं, उनमें से अपने मतलब की सूिना को पाने - पकडने में जरा-ज्यादा आंख- वमिौली, माथापच्िी
करनी पडती है, उंगवलयों को माउस पर तथा टंकण बटनों पर जरा-ज्यादा ही घमु ाना पडता है।' (िॉ वीणा गौतम,
स्पष्ट है वक अंतरजाल पत्रकाररता में अपार सूिनाएं उपलब्ि होती हैं और तेज गवत से उपलब्ि होती है वक पाठक
उनका पूरी तरह आनंद नहीं ले पाता लेवकन एक सूिना को बार-बार देख कर पढ़ने का आनंद अवश्य अंतरजाल
पत्रकाररता में होता है। संवेदनात्मक संबंि इस प्रकार की सूिनाओं में नहीं बन पाता, कभी सूिनाएं कृवत्रम, अिूरी
और आिारहीन भी होती हैं जो पाठकों को भ्रवमत कर देती हैं। यही कारण है वक आज इंटरनेट पर सेंसर की बात की
जाने लगी है।

ब्लॉग लेखन या त्रिठ्ठा लेखन


01 - त्रिठ्ठा लेखन का स्िरूप, इत्रतहास एिं त्रिकास –
1983 से ब्लॉग लेखन का आरम्भ माना जाता हैं । वववकपीविया के वहस्री ऑफ़ ब्लॉव्गंग पर ब्लॉग
लेखन का वगीकरण वकया गया । वजसे हम िार भागों में ववभावजत कर सकते हैं ।
1. 1983 से 1993
2. 1993 से 2001
3. 2001 से 2004
4. 2004 से अबतक वकया गया हैं ।
वहंदी में ज्ञात रूप में पहला ब्लॉग आलोक कुमार का “नौ दो ्यारह’’ को माना जाता हैं । वहीं “छूकर
मेरे मन को” ब्लॉग पर सुनील नेहरा ने “लेबनान.ओ.आर.जी’’ नामक ब्लॉग के लेखक अवमत अग्रवाल को ब्लॉग का
वपता कहा हैं । जो प्रवत महीने ब्लॉग के जररये बीस लाख से भी ज्यादा कमाता हैं ।
वगने िनु े विठ्ठों से आरम्भ हआ, ब्लॉग लेखन आज लगभग पिास हजार के करीब पहिाँ गया हैं ।
ब्लॉग लेखन को विठ्ठा लेखन भी कहा जाता हैं । विठ्ठा जगत या ब्लॉग आज पााँिवे नेत्र या आिार स्तम्भ के समान
कायु करता हैं । विठ्ठा या ब्लॉग के कारण िांवतकारी पररवतु न आया । हमारे संदेिों को सेकंिों में ववश्व के कोने-कोने
में पहिाँ ाया जा सकता हैं । यह वनजी समािार पत्र या मीविया के समान हैं । यहााँ ब्लॉग लेखक को अपना लेख,
आलेख, समािार, रिनाएाँ देने के वलए वकसी समािार या मीविया वाले के पास जाने की जरूरत नहीं बवकक वह खदु
समािार पवत्रका, मीविया का मावलक है । वह जब िाहे, जैसा िाहे अपनी बात को सिि ढंग से रख सकता है । ब्लॉग
में वनजी स्वतंत्रता होती हैं । वहंदी ब्लोगर एवं कथाकार उदय प्रकाि जी इस संम्बंि में कहते हैं, “वनजी स्वतंत्रा के
आिवु नक वविार के वलए भी ब्लॉग की दवु नया में जगह है । ब्लॉग के माध्यम से वकतने साथु क काम और बहसें हो रही
हैं, यह एक अलग मद्दु ा है, लेवकन ब्लॉग लेखक को एक वनजी वकस्म की स्वतंत्रता देता है । उस स्पेस का इस्तेमाल
लेखक अपने तरीके से वनबंि होकर कर सकता है ।’’
िरुु वाती दौर में इसका पाठक कम था । अब इसके पाठक भी बढ गये है । पाठक बढायें भी जा
सकते हैं । ब्लॉग लेखकों का राष्रीय एवं अंतराु ष्रीय ब्लॉग सम्मेलन होता हैं । वनरतर ब्लॉग लेखन एवं सवु श्रेष्ठ
उपयोगी, ज्ञान विु क ब्लॉग को परु स्कार भी वदए जाते है । आज ब्लॉग लेखन अपनी बात रखने के साथ कमाई का
जररया भी बन गया हैं । घर बैठे आप लाखों रुपयों की कमाई कर सकते हैं । जैसे नवसावहत्यकार
navsahitykar.blogspot.in, ब्लॉगवाणी, ब्लॉगवाताु , ब्लॉग प्रहरी, विठ्ठाजगत, विठ्ठा-ििाु , देिी पंवित, अक्षर
ग्राम नेटवकु, वहंदी विठ्ठाकार, वहंदी विठ्ठे , वहंदी-ब्लोगसु , भारतीय विठ्ठो की सूवि, वन इंविया, ब्लॉग अि् िा, देसी
ब्लो्स,स्वगु ववभा, हमारीवाणी, विठ्ठा ववश्व, ब्लॉग सेत,ु पररककपना समूह, याहू पर वहंदी विठ्ठे आवद ब्लॉग जो समूह
रूप में कायु कर सकता हैं । ब्लॉग प्रवसवद्ध का सरल मागु हैं । ब्लॉग अंतजाु ल पर िलने वाल वनिकु क समािार पत्र,
पवत्रका, ववज्ञापक, अवभव्यवि का वह मंि हैं । जो गूगल के द्वारा प्रेवषत वकया जाता हैं । वजसका वेबसाइट के जैसे
प्रयोग भी वकया जा सकता हैं । जहााँ ब्लॉग लेखक अपनी मजी से वबना रोक टोक सावहत्य, समािार, उद्योग, ववज्ञापन,
व्यवसाय आवद को घर बैठे लोगों तक पहिाँ ाता हैं ।
वहंदी ब्लॉग लेखन 2004 से लेखन में गवत पकडत हआ नजर आता है । आज ववश्व के सावहत्यकार,
वफकमकार, संगीतज्ञ, वखलाडी, नेता, अवभनेता, वववभन्न कलाकार आवद ब्लॉग का प्रयोग अपनी बात को सिि ढंग
से रखने का जररया बनाएाँ हए हैं । सामन्य तौर पर कागज पर हम अपने पररिय एवं पररजनों को विवठ्ठयााँ वलखा करते
थे । आज संगणक पर अंतजाु ल के जररये हम वकबोिु से अपनी भाषा और मन िाहे फोंट में सम्पणू ु ववश्व के सम्मख ु
अपने वविारों, भावनों, समीक्षाओं, आलोिनाओं, कववताओं, कहावनयों आवद को रख सकते हैं । अवमताब बच्िन,
ओबामा, नरेद्र मोदी आवद ब्लॉग के जररये अपने वविारों को रखते है । आरवम्भक दौर में ब्लॉग लेखन के वलए भाषाई
एवं फोंट की कवठनाई थी । ब्लॉग लेखन के वल अंग्रेजी भाषा में ही होते थे । वकन्तु कई अवप्लके िन, सोफ्टवेअर के
िोि के िलते एक साथ ववश्व की वकसी भी भाषा में अपना सन्देि ब्लॉग पर टंवकत वकया जा सकता था । आज वहंदी
भाषा में ब्लॉग लेखन में िांवत आगई हैं । अंतजाु ल में वहंदी फोंट मंगल एवं यूवनकोि ने वहंदी को वैवश्वक बना वदया है ।
आज ब्लॉग लेखन के वलए अंग्रेजी भाषा का आना जरुरी नहीं हैं । वह अपनी वकसी भी भाषा में ब्लॉग लेखन एवं
संिलन कर सकता हैं । आज ववश्व की सौ से भी अविक भाषाओं में ब्लॉग लेखन वकया जा सकता हैं । साथ ही
अनवु ाद एप्लीके िन के जररये उसे पढ़ा भी जा सकता हैं । हर रोज ब्लॉग में नए नए पररवतु न ब्लॉग लेखन की कवमयों
को पूरा करते हए नजर आ रही है । लेखन, वीवियों, ऑवियो, ववज्ञापन, यु टूब, आवद अंतजाु ल की सारी सामग्री को
मठ्ठु ी में कर वलया हैं । वकसी भी वेब साईट, वववियो, ऑवियो,पत्र-पवत्रकाओं आवद की वलंक ब्लॉग के माध्यम से दी
जा सकती हैं । वलंक का संदभु की भााँती प्रयोग वकया जा सकता हैं ।
2004 से लेकर 2014 तक के ब्लॉग लेखन पर यवद हम नजर दौिायें, तो ब्लॉग लेखन एक वैवश्वक
मंि बनकर उभर कर आ रहा हैं । आज जो अंतजाु ल को जानता हैं । औसतन सौ में से बीस लोग ब्लॉग से जडु े हए
नजर आते हैं । जो वनरतर ब्लॉग लेखन में अपना योगदान कर रहे हैं । हर रोज ब्लॉग लेखन की समध्ृ दी बढ़ते जा रही
हैं । कववता, कहानी, उपन्यास, नाटक सावहत्य की प्रत्येक वविा का प्रस्तवु तकरण एवं अभ्यास होता हआ देखा जा
सकता हैं । ब्लॉग लेखन को लेकर आज कई ववद्वानों ने पस्ु तकों का लेखन वकया हैं । ब्लॉग की लोकवप्रयता के िलते,
आज बाजार में ब्लॉग लेखन, सज ृ न आवद से सम्बन्िी पस्ु तक बाजार में कदम रखते ही हाथों-हाथ वबकते हए नजर
आ रही हैं । वजनमें
 वहन्दी ब्लोवगंग का इवतहास, लेखक-रवीन्द्र प्रभात, प्रकािक-वहन्दी सावहत्य वनके तन, वबजनौर, भारत, वषु -
2011, पष्ठृ – 180, ISBN 978-93-80916-14-9
 वहन्दी ब्लोवगंग: अवभव्यवि की नई िावन्त, संपादक : अववनाि वािस्पवत/रवीन्द्र प्रभात, प्रकािक: वहन्दी
सावहत्य वनके तन, वबजनौर, भारत, प्रकािन वषु : 2011, पष्ठृ : 376,ISBN 978-93-80916-05-7 ३.
 ब्लॉग ििाु : उदय प्रकाि का ब्लॉग, लेवखका: मनीषा पांिेय, प्रकािक: वेबदवु नया वहन्दी जैसी वकताबों का
नाम वलया जा सकता हैं ।

02 - ब्लॉग लेखन / त्रिठ्ठा लेखन के प्रकार


1) िैवक्षक ब्लॉग
2) मनोरंजन ब्लॉग
3) व्यावसावहक ब्लॉग
4) वैयविक ब्लॉग
5) पत्र-पवत्रकाओं के ब्लॉग
6) ववज्ञापन ब्लॉग

03 - ब्लॉग लेखन / त्रिठ्ठा लेखन की सामग्री


1) गणु वत्ता
2) ववश्वसनीयता
3) प्रभाविावलता
4) अवभव्यवि की िैली
ब्लॉग लेखन की सामग्री एवं ब्लॉग लेखक की गणु वत्ता उसकी श्रेष्ठता सावबत करती हैं । ब्लॉग
लेखक वजतना गणु वान, प्रवतभावान, ज्ञान सम्पन्न, बहज्ञ, अद्यतन संगणक, अंतजाु ल एप्लीके िन की जानकारी रखने
वाला होना उसका ब्लॉग उतना ही प्रभाविाली एवं असरकारक होगा । तथा वह प्रवसध्दी के विखर पर बडी सरलता
से पहिाँ जाएगा । ब्लॉग लेखन में ब्लॉग लेखक का तटस्थ होना जरुरी होता हैं । पवू ु ग्रह दवू षत ब्लॉग लेखक या सामग्री
ववश्वनीयता खो बैठती है । पाठकों का रुझान वहााँ से कम हो जाता हैं ।

04 - ब्लॉग लेखन / त्रिठ्ठा लेखन के अंग


1) लेखक
2) ववषय
3) अवभव्यवि
4) पाठकतक पहिाँ ाना
ब्लॉग लेखन की सामग्री कई प्रकार की हो सकती हैं । कला, सावहत्य, ववज्ञान, गवणत, उद्योग,
व्यवसाय, ववज्ञापन आवद । जब वह िोि पूणु अिूक कलात्मक रूप से ब्लॉग में प्रस्ततु होता है । तब वह अपने उद्देश्य
की सफलता प्राप्त कर सकता हैं । ब्लॉग लेखन में लेखक, ववषय और अवभव्यवि तीन मख्ु य आिारस्तम्भ होते हैं ।
लेखक का बहज्ञ, ज्ञानवान होना पहली ितु होती हैं । तो दूसरी ब्लॉग में प्रस्ततु वकया जाने वाला ववषय । ववषय की
सििता ब्लॉग लेखक की गररमा में वृद्धी करता हैं । यहााँ मात्र ववषय की सििता से ही काम नहीं बनता अवपतु
उसकी अवभव्यवि की िैली कै सी हैं । उस पर भी उसकी प्रभाविावलता, लोकवप्रयता भी जिु ी होती हैं । अंतमें ब्लॉग
को पाठक तक पहिाँ ाना भी एक महत्वपूणु अंग होता हैं । ब्लॉग वजतना पाठकों तक पहिाँ ेगा उसकी सफलता एवं
ववफलता वनभु र करेगा ।

05 - ब्लॉग लेखक / त्रिठ्ठा लेखक के गुण


बहुज्ञता : ब्लॉग लेखक का बहज्ञ होना, ब्लॉग के स्तर को बढ़ाता हैं । समाजनीवत, राजनीवत, िमु नीवत, अथु नीवत,
अंतररक्ष, अंतजाु ल, ववज्ञान, गवणत आवद का कम से कम सामान्य ज्ञान हो ।
ज्ञानसम्पन्नता : तटस्थता : ब्लॉग लेखक अपने वविारों को प्रस्ततु करते समय यवद वह अपने वविारों में तटस्थता
रखता है । यह उसे प्रवतमा को ऊाँिा करने वाला कदम होगा ।
अद्यतन जानकारी : ब्लॉग लेखक को अद्यवत जानकारी रखना िावहए । तावक वह प्रत्येक ववषय के साथ न्याय
दे सके ।
त्रिषय में पारंगता : ब्लॉग लेख वजस लेख को प्रस्ततु कर रहा हैं । उसमें उसका परांगत होना आवश्यक होता है ।
सदभाि : इस सन्दभु में वहंदी ब्लॉग आलोिक और इवतहासकार रववन्द्र प्रभात का कथन उकलेखनीय है, “हर
ब्लोगर की अपनी एक अलग पहिान है, कोई सावहत्यकार है तो कोई पत्रकार कोई समाजसेवी है तो कोई
संस्कृवतकमी, कोई काटूुवनस्ट है तो कोई कलाकार । हर ब्लोगर के सोिने का अपना एक अलग अंदाज है, एक अलग
ढंग है प्रस्ततु करने का । आलग-अलग वनयम है, अलग-अलग िलन वकन्तु वफर भी एक सद्भाव है जो आपस में सभी
को जोडता है ।’’

06 - ब्लॉग लेखन / त्रिठ्ठा लेखन की पद्धत्रतयाँ


1) पद्यात्मक :- कववता, ग़जल, दोहा, मि ु क।
2) गद्यात्मक :- कहानी, व्यं्य, लघु कथा, उपन्यास आवद ।
3) आलोिनात्मक : लेख, आलेख, व्यं्यात्मक, व्यावहाररक, भावात्मक, वणु नात्मक, वववरणात्मक आवद ।
07 - ब्लॉग लेखन / त्रिठ्ठा लेखन की आलोिना
वहंदी ब्लॉग लेखन के साथ यवद हम ब्लॉग आलोिना का अध्ययन करते है तो ज्ञात होगा वक
आलोिना के ही कारण ब्लॉग लेखन, ब्लॉग की जानकारी का विठ्ठा एकमश्ु त रूप में वमलने लगा । अंतजाु ल पर ब्लॉग
आलोिना के संदभु में खोज करते समय वववकपीविया पर इससे जिु ी जानकारी प्राप्त हई वजसे उसी वस्तवथ में यहााँ
प्रस्तुत वकया जा रहा है । ‘’ हालांवक वहन्दी विट्ठों की आलोिना की िुरुआत वषु -2007 में हई, जब रवीन्द्र प्रभात ने
विट्ठाकारी में एक नया प्रयोग प्रारम्भ वकया और ‘ब्लॉग ववश्लेषण’ के द्वारा ब्लॉग जगत में वबखरे अनमोल मोवतयों से
पाठकों को पररवित करने का बीडा उठाया। 2007 में पद्यात्मभक रूप में प्रारम्भ हई यह कडी 2008 में गद्यात्मिक
हो िली और 11 खंिों के रूप में सामने आई। वषु 2009 में उन्होंने इस ववश्ले्षण को और ज्यादाा़ व्यापक रूप प्रदान
वकया और वववभन्न प्रकार के वगीकरणों के द्वारा 25 खण्िों में एक वषु के दौरान वलखे जाने वाले प्रमख ु विट्ठों का
लेखा-जोखा प्रस्ततु वकया। इसी प्रकार वषु 2010 में भी यह अनष्ठु ान उन्होंने पूरी वनष्ठा के साथ संपन्न वकया और
21 कवियों में तथा 2011 और 2012 में 25 खंिों में ब्लॉग जगत की वावषु क ररपोटु को प्रस्तुत करके एक तरह से
ब्लॉग आलोिना कमु और इवतहास लेखन का सूत्रपात वकया। ब्लॉग जगत की सकारात्मक प्रववृ त्तयों को रेखांवकत
करने के उद्देश्य से अभी तक वजतने भी प्रयास वकये गये हैं, उनमें ब्लॉगोत्सव एक अहम प्रयोग है। अपनी मौवलक सोि
के द्वारा रवीन्द्र प्रभात ने इस आयोजन के माध्यम से पहली बार विट्ठा जगत के लगभग सभी प्रमख ु रिनाकारों को
एक मंि पर प्रस्तुत वकया और गैर ब्लॉगर रिनाकारों को भी इससे जोडकर समाज में एक सकारात्मीक संदेि का
प्रसार वकया। इनके द्वारा प्रत्येक वषु 51 विट्ठाकारों का सारस्वत सम्मान पररककपना सम्मान के नाम से वकया जाता
है।‘’ [ वहंदी विठ्ठाजगत –वववकपीविया ]

08 - ब्लॉग लेखन / त्रिठ्ठा लेखन का महत्ि


आज सम्पूणु ववश्व मनष्ु य की आिवु नक हाथेली पर आ गया हैं । पलक झपकते ही वह ववश्व का भ्रमण
कर सकता हैं । ब्रम्हांि की जानकारी प्राप्त कर सकता हैं । साथ ही अपने अनभु व, जानकारी, वविार को प्रस्ततु कर
सकता हैं । संगणक, मोबाईल, लैपटॉप, आईपॉि, ट् याब आवद पर अंतजाु ल ने सबकुछ सुवविा जनक बना वदया हैं ।
एक बटन दबाते ही ववश्व के अनंत कोष से इवच्छत वस्तु की जानकारी सहजता से घर बैठे प्राप्त हो सकती हैं । समािार
पत्र, पवत्रकाओं, वेब साईट ने भी जानकारी का खजाना हमारे सम्मख ु खोल वदया हैं । अंतजाु ल की सबसे श्रेष्ठ खोजों
में ब्लॉग, विठ्ठा जगत की खोज ने वैविक मीविया में िवन्तकारी कदम रख वदया हैं । जहााँ हम अपने वविारों,भावनों
के साथ सावहत्य से जिु ी सामग्री को भी प्रस्तुत कर सकते हैं । कई कवव, लेखकों के वलए यह आसान और ववश्व के
कोने-कोने में पहिाँ ने वाला मंि वमल गया हैं । ब्लॉग अवभव्यवि का वह मंि हैं, जो अपनी बात, वविार, संदेिों को
कलात्मक ढंग से िीघ्रता से [ पलक झपकते ही ] पाठकों तक बेरोक-टोक पहिाँ ाता हैं । जो यि प्रावप्त के साथ िन
की भी प्रावप्त का सािन बनता जा रहा हैं । आजकल तो बहत से लोग ब्लॉग लेखन का प्रयोग व्यावसावयक तौर पर
करते हए नजर आते हैं ।

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