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इकाई-2 : परु ातनता

पाठ-1 : �लेटो (429-347 ई.पू )


डॉ. िनशांत कुमार
अनुवादक : गिरमा शमार्

2.1 संरचना

2.1.1 मह�वपूणर् कायर्


2.1.2 शोध प्रिविध

.in
2.1.3 सक
ु रात एवं �लेटो
ज्ञान के �प� का िस�धांत

es
2.1.4
2.1.5 दाशर्िनक शासक

di
2.1.6 �लेटो की िशक्षा �यव�था की आलोचना
2.1.7 शासन के अ�य �व�प tu
ls
2.1.8 क्या �लेटो आधुिनक अिधनायकवाद का अग्रदत
ू था?
ca

2.1.9 अ�यास प्र�न


2.1.10 संदभर् सच
ू ी
iti

�लेटो को �यापक �प से ग्रीक काल के सबसे मह�वपूणर् राजनीितक दाशर्िनक� म� से एक


ol

माना जाता है । वह सक
ु रात के िश�य और अर�तू के िशक्षक तथा प्राचीन ग्रीस म� अ�ययन
.p

की सबसे लोकिप्रय सं�थान के सं�थापक थे। उनका ज�म एक कुलीन पिरवार म� हुआ था
तथा उनके माता-िपता ग्रीस म� अिभजात और शासक� के वगर् से संबंिधत थे। �लेटो पर
w

सक
ु रात और पाइथागोरस के िवचार� के दशर्न का प्रभाव था, पर�तु त�कालीन ग्रीस के
w

राजनीितक और सामािजक संदभर् ने �लेटो को सबसे अिधक प्रभािवत िकया था। उनका ज�म
w

महान एथेिनयन राजनेता पेिरक�स की म�ृ यु के ठीक एक साल प�चात ् हुआ था। यह एथ�स
और �पाटार् के बीच प्रिस�ध पेलोपोनेिसयन यु�ध की अविध भी थी। इस यु�ध म� �पाटार् की
िवजय ने तथा एथ�स की पराजय ने वहाँ की राजनीितक पिरि�थितय� को भी प्रभािवत कर
िदया था, िजसने �लेटो के दशर्न म� लोकतंत्र से संबंिधत िवचार� को प्रभािवत िकया, लेिकन
उनके जीवन की सबसे मह�वपूणर् घटना िजसने उनकी �मिृ त पर गहरा प्रभाव डाला और
उनके दशर्न को प्रभािवत िकया, वह थी 399 ईसा पूवर् म� सक
ु रात का िन�पादन (ह�या)।
सक
ु रात की म�ृ यु के प�चात ् �लेटो, अपने �वयं के जीवन के िलए डरते हुए, एथ�स छोड़कर
इटली, िसिसली और िम� जैसे �थान� की यात्रा पर प्र�थान कर गए थे। उ�ह�ने 388 ईसा

20
पूवर् म� वापसी की और अकादमी की �थापना की, जो यूरोप के इितहास म� िव�विव�यालय�
के सबसे पुराने मॉडल� म� से एक है । इस सं�थान म� छात्र� को कई िवषय� म� प्रिशिक्षत िकया
जाता था, िजसम� जीव िवज्ञान, राजनीित, खगोल िवज्ञान, गिणत शािमल थी। यहाँ के
पा�यक्रम म� सक
ु रात और पाइथागोरस का प्रभाव �प�ट �प से अवलोिकत िकया जा सकता
था। उदाहरण के िलए, गिणत को इतना मह�व िदया गया था िक सं�थान के गेट पर अंिकत
था िक “िज�ह� गिणत का ज्ञान नहीं है , उ�ह� यहाँ प्रवेश करने की आव�यकता नहीं है ।” �लेटो
को िव�वास था िक उनके िवचार� को वा�तिवक �यावहािरक दिु नया म� अनव
ु ािदत िकया जा
सकता है अगर उनका कुशलता से पालन िकया जाए। उनका �ढ़ िव�वास था िक एक
दाशर्िनक शासक बनाने की उनकी �ि�ट को साकार िकया जा सकता है और इसका परीक्षण

.in
करने के िलए वह िसिसली म� िसरै क्यूज़ के नए शासक डायोिनिसयस को पढ़ाने के िलए
सहमत भी हुए। हालाँिक, उनके प्रयोग� का वांिछत पिरणाम नहीं िनकला और वे िनराश

es
होकर एथ�स लौट आये थे। बाद म� , जैसा िक �यापक �प से जाना जाता है , उनके लेखन म�
इस ि�थित से एक बहाव को दे खा जा सकता है । अपने जीवन के अंितम वष� म� �लेटो ने

di
अकादमी म� �याख्यान दे ने म� समय िबताया और 80 वषर् की आयु म� 347/348 ईसा पूवर् म�
tu
अपने भतीजे �पीिसपस को अकादमी की िज�मेदािरय� को स�पते हुए उनकी म�ृ यु हो गई।
ls
2.1.1 मह�वपूणर् कायर्
ca

�लेटो �वारा कई मह�वपण


ू र् काय� की रचना की गयी, जो िविभ�न िवषय� से संबंिधत थे।
िजसम� गोिगर्यास के अंतगर्त समाज म� नैितकता के प्र�न को िचि�नत िकया गया; मेनो
iti

(Meno) म� ज्ञान की प्रकृित के बारे म� चचार् की गयी। Apology के अंतगर्त �लेटो सक


ु रात
ol

के ट्राय�स को का�पिनक �प से प्र�तुत करने का प्रयास करते है , जहाँ सक


ु रात �वयं को
.p

नाि�तकता एवं यव
ु ाओं को भ्र�ट करने के आरोप� के िव��ध िनरपराधी प्र�तत
ु करने का
w

प्रयास कर रहे ह�; िक्रटो (Crito) म� �लेटो ने रा�य के कानून� का पालन करने की
आव�यकता के बारे म� सक
ु रात के औिच�य को आगे िव�तािरत िकया है ; और Phaedo म�
w

�लेटो सक
ु रात के िन�पादन की िफर से क�पना करता है और �प� के िस�धांत, आ�मा की
w

प्रकृित आिद जैसे िवचार� के बारे म� चचार् करते ह�। �लेटो ने अनेक ग्र�थ� की रचना की
जैसे— Theatetus, Promenades, Sophist, Philebus, और Timaeus, पर�तु Republic,
Laws और Statesman को आज भी मह�वपूणर् ग्रंथ� म� शािमल िकया जाता है ।

2.1.2 शोध प्रिविध

�लेटो की शोध प्रिविध िनगमना�मक, टे लीलॉिजकल और �वं�वा�मक कही जा सकती है ।


िनगमना�मक प�धित म� एक दाशर्िनक पहले सामा�य िस�धांत� को िनधार्िरत करता है और
िफर इसे िवशेष अवलोकन� से जोड़ता है । यह आगमना�मक प�धित के िवपरीत है जहाँ

21
सामा�य िन�कषर् िवशेष घटना के अवलोकन के आधार पर प्रा�त िकए जाते ह�, इसका
िव�लेषण समान घटनाओं के साथ तुलना के आधार पर होता है । हालाँिक, नेटटलिशप जैसे
िव�वान यह मानते ह� िक �लेटो को इनम� से िकसी एक िविध से सह स�बि�धत नहीं िकया
जा सकता है वह आगमना�मक प�धित का भी उपयोग करते है , िवशेषकर उन िवचार� म�
जहाँ वह प्रथाओं के आधार पर िस�धांत प्रा�त करते ह�। हालाँिक, अर�तू के िवपरीत, �लेटो
के �वारा प्रयोग म� लाये जाने वाली िविध के संदभर् म� कोई ि�थरता प्रा�त नहीं होती है ।
�लेटो अपनी िचंतन शैली के अंतगर्त टे लीलॉिजकल िविध का भी प्रयोग करते ह�।
टे लीलॉिजकल का ता�पयर् होता है “एक उ�दे �य वाली व�तु”। यह िविध मानती है िक जो भी
व�तु अि�त�व म� है वह प्रकृित के अनु�प सदै व अपने िनि�चत उ�दे �य की प्राि�त के िलए

.in
िनरं तर अग्रसर रहती है । इस िविध म� ल�य पर अिधक बल दे ने के कारण यह दाशर्िनक
जाँच के िलए प्रक्षेप वक्र को पिरभािषत करती है । यह �लेटो के �वारा रा�य की �याख्या

es
करते हुए अवलोिकत िकया जा सकता है । वही �लेटो की �वं�वा�मक प�धित प्राचीन ग्रीक
परं परा एवं िवशेष �प से सक
ु रात �वारा से प्रेिरत थी। �लेटो की रचना िरपि�लक म� इस ही

di
िविध का प्रयोग िकया गया है , जहाँ प्र�न करने को इस प�धित का एक अिनवायर् भाग माना
tu
गया है । यह इस िवचार से प्रवािहत होता है िक सभी ज्ञान हमारी आ�मा म� समािहत ह� और
ls
एकमात्र कठनाई इसे अनाविरत करने से स�बि�धत है , जो प्र�न� के मा�यम से ही अनाविरत
ca

की जा सकती है ।

2.1.3 सक
ु रात एवं �लेटो
iti

सक ु रात की म�ृ यु का �लेटो पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। सक


ु रात ने उ�ह� इस �तर तक
ol

प्रभािवत िकया िक उनके अिधकांश संवाद सक ु रात और एथ�स के अ�य उ�लेखनीय नागिरक�
.p

के म�य वातार्लाप के �प म� िलखे गए ह�। सक


ु रात सदै व �लेटो के संवाद का मख्
ु य पात्र रहे
w

ह�। वा�तिवकता म� सक
ु रात के लेखन के आभाव म� �लेटो के लेखन कोष के मा�यम से ही
हम सक
ु रात के बारे म� अिधकांश जानकारी एकित्रत कर पाते ह�।
w

ु रात के स�गुण� के िवचार� और उनकी �वं�वा�मकता की प�धित से गहराई


�लेटो सक
w

से प्रभािवत थे, जो उनके अपने लेखन म� �प�ट �प से अवलोिकत होता है । सोिफ�ट, जो


सक
ु रात के मख्
ु य दाशर्िनक प्रित�वं�वी थे, उनका मानना था िक प�
ु य/स�गण
ु म� उन
चीज�/व�तुओं को प्रा�त करने की क्षमता शािमल है जो आपको सख
ु प्रदान करती हो जैसे—
धन, स�मान, ि�थित आिद। इसिलए, उनका मानना था िक ज्ञान भी शिक्त प्रा�त करने का
एक साधन होता है , िजससे आनंद प्रा�त हो सकता है । दस
ू री ओर, सक
ु रात के िलए स�गुण
खश
ु ी का आधार था और स�गण
ु जो उ�कृ�टता या जीवन के उ�च अंत को प्रा�त करने की
क्षमता िवकिसत करने म� िनिहत था। उ�ह�ने तकर् िदया िक ज्ञान ने हम� वह क्षमता दी और

22
हम� िसखाया िक हम� अपना जीवन कैसे जीना चािहए, इसिलए ज्ञान सव��च सदगण
ु था।
वा�तव म� उनका मानना था िक यह साहस, ज्ञान आिद जैसे िविभ�न गण
ु � का योग है ।
उ�ह�ने इसे िव�तािरत करते हुए कहा िक सारा ज्ञान हमारे भीतर समािहत था और ज�रत
उस ज्ञान को सही तरीके से अनुभव करने की थी। इसिलए, उ�ह�ने सभी प्राथिमक गण
ु � के
पूवर् ज्ञान पर जोर िदया और इस ज्ञान को िनकालने के िलए उ�ह�ने जो िविध प्र�तत
ु की वह
�वं�वा�मकता थी।

जॉजर् सबाइन ने अपनी पु�तक ‘ए िह�ट्री ऑफ पॉिलिटकल �योरी’ (1973) म� तकर् िदया
िक िरपि�लक का मल
ू िवचार सक
ु रात के िस�धांत से प्रेिरत था िक सदगुण ज्ञान है ;
िरपि�लक की रचना करके �लेटो ने सक
ु रात के इस िस�धांत को राजनीितक दशर्न के

.in
इितहास म� एक मह�वपूणर् �थान प्रदान करा िदया था।

es
2.1.4 ज्ञान के �प� का िस�धांत

di
पाइथागोरस से प्रभािवत होकर �लेटो ने अपने दशर्न म� सावर्भौिमक िवचार को पूणर् और
संपूणर् स�य के �प म� माना और इसे िवशेष या भाग से ऊपर रखा था। इस ि�थित से
tu
तािकर्क �प से जो िस�धांत िनकलता है वह यह है िक िवशेष या भाग को संपूणर् के
ls
पिरप्रे�य म� दे खा जाना चािहए। उनके �प� या िवचार� का िस�धांत, ग्रीक श�द “Edios” से
ca

िलया गया है , जो उनके ज्ञान के िवचार से अिभ�न �प से संबंिधत है । सक


ु रात की तरह,
�लेटो ने भी माना िक ज्ञान प्रा�त िकया जा सकता है और इसकी दो मह�वपण
ू र् िवशेषताएँ
iti

ह�— पहला, यह ज्ञान िनि�चत और अभ्रांत था; और दस


ू री बात, इसे मात्र ��य या अवलोिकत
ol

होने वाली व�तुओं से पथ


ृ क् करने की आव�यकता थी। �लेटो के अनुसार स�चा ज्ञान �थाई
एवं अपिरवतर्नशील होता है जो “आदशर्” की �ेणी म� सि�मिलत होता है जो की भौितक व�तु
.p

एवं ज्ञान से िभ�न होता है । �लेटो के िचंतन म� “�प”, “िवचार” एवं “ज्ञान” — यह सभी
w

“आदशर्” ज्ञान होते ह� तथा िज�ह� हम अपनी इि�द्रय� से अनभ


ु व करते ह�, वह मात्र
w

“वा�तिवक” होते ह�। इस ही कारण वह “आदशर्” एवं “वा�तिवक” म� िवभाजन करते ह�। �लेटो
मानते ह� िक आदशर् �प ही �थाई होता है ।
w

�लेटो ने ��यमान दिु नया (डोक्सा) या (एिप�टे म) इंिद्रय� की दिु नया के बीच अंतर
िकया। डोक्सा को वह िवचार� की दिु नया के �प म� दे खते ह�, जबिक स�चा ज्ञान एिप�टे म के
�वारा िव�व म� �थािपत होता है ।

�लेटो के अनुसार, एक दाशर्िनक वह होता है , जो स�य की िनरं तर खोज म� रहता है ।


स�य या वा�तिवकता को समझने के िलए उनका गहन प्रयास उ�ह� जानने के िस�धांत को
िवकिसत करने के िलए प्रेिरत करता है और यह दशर्नशा�त्र से शु� होता है , िजसे
एिप�टे मोलॉजी कहा जाता है । इस प्रकार, �लेटो के अनुसार, एक स�चा दाशर्िनक हमेशा

23
वा�तिवक या स�य की खोज म� रहता है । दस
ू री ओर, सामा�य लोग जो दाशर्िनक नहीं ह�, वे
जो कुछ भी इंिद्रय� के मा�यम से दे खते ह� उसे वा�तिवकता मानते ह�, हालाँिक यह केवल
प्र�यक्ष वा�तिवकता होती है । �लेटो के अनस
ु ार, ऐसे लोग� का ज्ञान का िवचार पथरीली गफ
ु ा
म� बंधी जंजीर� म� जकड़े पु�ष� के समह
ू के समान होता है । यह ऐसे पिरि�थित िजसम�
जंजीर से बंधे होने के कारण वे अपने शरीर की कोई हरकत नहीं कर पा रहे ह�, यहाँ तक िक
अपना कंधा भी नहीं िहला पा रहे ह�। उनके सामने गफ
ु ा की दीवार है और उनके पीछे एक
जलती हुई आग है । अपने पीछे की रोशनी के प्रभाव के �प म� , वे सामने की दीवार पर
छाया दे खते ह�। चँ िू क उनके िलए अपनी आँख� िकसी अ�य िदशा म� डालना संभव नहीं है , वे
इन छायाओं को सामने दे खने के िलए मजबूर ह� और वे इस झठ
ू ी और मायावी छाया को

.in
वा�तिवक मानते रहते ह�। हालाँिक, एक कैदी की जंजीर टूट जाती है और वह इधर-उधर
जाने की कोिशश करता है । उसे अपार पीड़ा का अनभ
ु व होता है । अनेक प्रयास� के प�चात ्,

es
वह गफ
ु ा से बचने की कोिशश करता है लेिकन प्रवेश �वार पर रोशनी उसे असहज कर दे ती
है । वह वापस भागना चाहता है , पर�तु उसे गफ
ु ा से बाहर िनकालना होगा। एक बार जब वह

di
बाहर िनकलता है , तो वह सरू ज की रोशनी से लगभग अंधा हो जाता है इसिलए, वह पानी
म� जानवर� और पौध� की छाया को दे खना श� tu
ु कर दे ता है और िफर सीधे इनम� से प्र�येक
ls
रचना को दे खता है और तब उसे ज्ञात होता है िक स�चाई उससे अलग है , जो उसने गफ
ु ा
ca

के अंदर इतने लंबे समय तक दे खा और माना। अंत म� , वह सय


ू र् को दे खता है और महसस

करता है िक यह वह सब कुछ है , जो हम दे ख सकते ह�, या यह ज्ञान का उ�चतम �ोत है ।
iti

इस का�या�मक कथा, या गफ
ु ा के �पक के आधार पर, �लेटो ने िन�कषर् िनकाला है िक
ol

िजन लोग� को दाशर्िनक �ि�ट से वंिचत िकया जाता है , वे गफ


ु ा म� जंजीर और बंधी हुए इन
लोग� के समान ह�। इसके िवपरीत, एक स�चे दाशर्िनक के िलए ज्ञान की प्रिक्रया वा�तिवक
.p

को प्र�यक्ष से अलग करके शु� होती है और िफर एक पारलौिकक दिु नया म� एक सावर्भौिमक
w

िवचार की खोज करने का आर�भ होता है ।


w

�लेटो ने �प� को �ेणीब�ध �प से �यवि�थत करने की क�पना की थी। वा�तव म� ,


w

ज्ञान की पूरी धारणा और उसकी प्राि�त की प्रिक्रया को सीिढ़य� के �प म� �यवि�थत िकया


जाता है िक स�चे ज्ञान के प्र�येक साधक को चरम या सव��च �प तक पहुँचने के िलए
यात्रा करने की आव�यकता होती है , जो �लेटो के अनुसार ‘�प’ है । ज्ञान का यह उ�चतम
�तर, गफ
ु ा के �पक म� सय
ू र् की तरह है जो अ�य सभी िवचार� पर प्रकाश डालता है । अतः
�लेटो यह तकर् दे ते ह� िक दाशर्िनक शासक ही उस स�य की प्राि�त कर सकता है क्य�िक
उसने िशक्षा �यव�था के मा�यम से वह उ�च कोिट के ज्ञान की प्रि�त हो जाती है ।

24
2.1.5 दाशर्िनक शासक

एक दाशर्िनक कौन है ?

�लेटो ने कहा िक दाशर्िनक “वह था जो ज्ञान से �यार करता था, ज्ञान के िलए जन
ु ून रखता
था, हमेशा िजज्ञासु और सीखने के िलए उ�सक
ु था”। वह स�य का प्रेमी था और िजसने
अपने आप को चेतना और ज्ञान के ऐसे �तर तक उठाया था जो कभी भी धमर् के मागर् से
िवचिलत नहीं हो सकता था।

दाशर्िनक को शासन क्य� करना चािहए?

“जब तक दाशर्िनक राजा नहीं होते ह�, या इस दिु नया के राजाओं और राजकुमार� के पास

.in
दशर्न की भावना और शिक्त नहीं होती है , और राजनीितक महानता और ज्ञान एक म�

es
िमलते ह� .... शहर� को उनकी बरु ाइय� से कभी �वतंत्रता नहीं प्रा�त होगी— न ही मानव
जाित, जैसा िक मझ
ु े िव�वास है — और तभी इस रा�य म� जीवन की संभावना होगी और एक

di
िदन की रोशनी को दे खेगा”—प�
ु तक V िरपि�लक।

tu
दाशर्िनक शासक का िस�धांत �लेटो के आदशर् रा�य की आधारिशला थी। उनके अनुसार,
एक अ�छा शासक न केवल प्रजा के जीवन के संरक्षण के िलए, वरन ् उसे पिरवितर्त करने के
ls
िलए भी उ�रदायी था। सक
ु रात के िस�धांत से प्रभािवत होकर िक “स�गण
ु ज्ञान है ”, �लेटो
ca

का मानना था िक राजनीितक बुराइय� और अ�याय को िमटाया जा सकता है , अगर िव�वान


लोग� को शहर-रा�य की राजनीित के शीषर् पर �थान प्रदान िकया जाए। दाशर्िनक शासक ही
iti

वह है , िज�ह� अ�छे , �याय, स�दयर्, स�य, साहस और अ�य नैितक गण


ु � के िवचार का ज्ञान
ol

होता है । िविभ�न �प� को केवल तकर्संगत िदमाग वाले लोग ही दे ख सकते थे क्य�िक उनम�
.p

चेतना के उ�चतम �तर तक पहुँचने की क्षमता होती है ।


w

दाशर्िनक� के पास न केवल सही प्रकार का ज्ञान होता है , वरन ् वह शासन के कायर् के
w

िलए सबसे उपयुक्त थे, क्य�िक उनका कोई िनजी िहत नहीं होता है । �लेटो ने इस कथन को
मह�व दे ते हुए कहा िक लोकिप्रय धारणा के िवपरीत, दाशर्िनक अलगाव म� नहीं रहते थे,
w

बि�क राजनीित सिहत समाज की गितिविधय� म� सिक्रय �प से भाग लेने के इ�छुक होते ह�,
यिद उनकी भिू मका का स�मान िकया जाता है । उनके अनुसार एक दाशर्िनक एक अ�छी
िवधाियका बना सकता है , क्य�िक उसके पास अ�छाई का िवचार होता है और वह उस ही के
अनस
ु ार िविध का िनमार्ण करता है ।

उ�ह�ने रा�य-िश�प की तुलना आ�मा-िश�प से की और कहा िक राजनीित के क्षेत्र को


लोग� के क�याण के िलए आव�यक िवशेषज्ञता के साथ नैितक भी होना चािहए। एक
दाशर्िनक अपनी िशक्षा और प्रिशक्षण के आधार पर इस क्षेत्र के िलए आव�यक गण
ु � का

25
िवकास कर सकता है । उनके पास शांत �ि�टकोण, एक �व�थ िदमाग और एक अ�छा चिरत्र
होगा। वह एक अ�छे शासक के िलए आव�यक गण
ु � को भी िवकिसत करते ह�, िजसम� उ�च
िदमाग, साहस, अनश
ु ासन, स�चाई, सावर्जिनक उ�साह, ज्ञान और आिथर्क िवचार� से रिहत
िहत शािमल ह�। �लेटो का मानना था िक जब हम बीमार होते ह� तो सव��म िचिक�सक से
संपकर् करते ह�, ठीक उस ही प्रकार एक बीमार �यव�था के िलए भी िनपुण �यिक्त की
आव�यकता होती है , जो अपने ज्ञान, अनुभव, अ�यास एवं सकारा�मक �ि�टकोण से एक
उिचत िदशा प्रदान कर सके और �लेटो के अनस
ु ार ऐसे गण
ु मात्र दाशर्िनक शासक के अंतगर्त
ही अवलोिकत िकए जा सकते ह�।

�याय �यव�था

.in
�लेटो के अनस
ु ार रा�य वह
ृ द �तर पर �यिक्तय� की इ�छा होता है । वह रा�य के जैिवक

es
िस�धांत म� �ढ़ िव�वास रखते थे। हालाँिक �लेटो ने रा�य को अपने िव�लेषण के प्रारं िभक
�प म� िलया पर�तु उनका �याय का िस�धांत रा�य से नहीं बि�क �यिक्त से आर�भ होता

di
है । �यिक्त के जीवन म� �याय का आधार क्या है , जो मनु�य को �यायपूणर् बनाता है ?
tu
�यिक्तगत जीवन से संबंिधत इस नैितक प्र�न के साथ ही �लेटो ने �याय के अपने िस�धांत
की शु�आत की है ।
ls
�लेटो वह आ�व�त थे िक एक �यिक्त और रा�य के बीच कोई मौिलक अंतर नहीं होता
ca

है , हालाँिक �लेटो के अनुसार रा�य �यिक्त का एक बड़ा �प होता है और जैसा िक उनका


iti

मानना था िक जब भी कोई चीज आकार म� बड़ी होती है तब ऐसी पिरि�थित म� प्रकृित का


िव�लेषण करना हमेशा सिु वधाजनक होता है , तो वह �याय क्या है ? इसका उ�र खोजने के
ol

िलए �यिक्त के जीवन के �थान पर रा�य के जीवन से आरं भ करते ह�।


.p

िरपि�लक म� �लेटो ने �याय के अपने िस�धांत को सेफलस, पोलेमाचर्स, थैिसमैचस,


w

ु रात जैसे िविभ�न पात्र� के बीच एक चचार् के उ�पाद के �प म�


ग्लौकॉन, एिडम�टस और सक
w

प्र�तुत िकया है । सक
ु रात, �लेटो के प्रितिनिध के �प म� अ�य लोग� को इस प्र�न पर
w

आमंित्रत करते ह� और उ�ह� �वं�वा�मकता के मा�यम से शािमल करते ह�। इस प्रिक्रया म�


सक
ु रात को गहन पछ
ू ताछ के मा�यम से अ�य सभी �वारा अग्रेिषत �याय के िवचार को
�व�त करने के �प म� प्र�तुत िकया गया है ।

सवर्प्रथम, उ�ह�ने सेफलस और पोलेमाचर्स (िपता-पत्र


ु की जोड़ी) के कथन की िनंदा की,
िक �याय का संबंध प्र�येक �यिक्त को उसका हक/िह�सा दे ने या “दस
ू र� के िलए जो उिचत
है ” (सेफालस के अनुसार) या “दो�त� के िलए अ�छा करना और द�ु मन� को नुकसान
पहुँचाना” से संबंिधत था। (जैसा िक पोलेमाचर्स �वारा तकर् िदया गया)। �लेटो का मानना है
िक �याय के इस पारं पिरक िस�धांत का नैितक �प से प्र�येक �यिक्त को हर िकसी का

26
भग
ु तान करने और उसके अनुसार नैितक जीवन जीने के िलए िववश करना था, लेिकन वह
इस सझ
ु ाव पर संदेह रखते ह� िक क्या इस िस�धांत का हर समय पालन िकया जा सकता
है ? सक
ु रात (�लेटो) जहाँ मानते ह� िक �याय के िस�धांत� को सावर्भौिमक और सभी के िलए
समान �प से लागू होने की आव�यकता है और यहीं सेफलस और पोलेमाचर्स के िवचार� की
अपनी-अपनी सीमाएँ ह�। उ�ह�ने �याय के थ्रेिसमाचस (जो एक सोिफ�ट थे) के िवचार को भी
खािरज कर िदया, िजसम� उ�ह�ने दावा िकया िक �याय मजबूत के िहत� का प्रितिनिध�व
करता है । इस ही प्रकार, उ�ह�ने ग्लक
ू ॉन और एिडम�टस �वारा अग्रेिषत �याय के िवचार का
भी खंडन िकया। बि�क, �लेटो के िलए �याय मनु�य की आंतिरक प्रकृित से संबंिधत था, जो
बाहरी कानून के मा�यम से अनु�प नहीं हो सकता था।

.in
�याय का स�दभर् �लेटो �वारा प्रयोग िकए गए ग्रीक श�द ‘िडकाइओिसन/Dikaiosyne’

es
से िमलता-जल
ु ता है । जैसा िक अंग्रेजी म� समझा जाता है िक इस श�द का अिधक �यापक
अथर् ‘�याय’ है । ‘िडकाइओिसन’ का अथर् “उिचत या सही” होगा और यह सामािजक बंधन की

di
भावना को भी दशार्ता है ।

tu
यही कारण है िक �लेटो का �याय का िवचार न तो कानन
ू ी है और न ही �याियक, न
ही यह अिधकार� और कतर्�य� जैसी अवधारणाओं से संबंिधत है जैसा िक आधुिनक
ls
राजनीितक दाशर्िनक इसे पिरभािषत करते ह�। वह इसका उपयोग “सामािजक नैितकता” के
ca

एक िनि�चत �प को �यक्त करने के िलए करता है िजसे वह समाज के िवकास के िलए


आव�यक मानता था। �लेटो का मत था िक समाज म� चार प्राथिमक गण
ु होते ह�— ज्ञान,
iti

साहस, संयम और �याय। इन सब म� �याय अ�य तीन गण


ु � पर िनभर्र था और यिद समाज
ol

का प्रबंधन और संतुलन इस तरह से िकया जाता है िक अ�य तीन गण


ु � को प्रभावी ढं ग से
.p

रखा जाए, तो �याय का �यान रखा जा सकता है ।


w

ु � के िवचार की �याख्या करते हुए, �लेटो ने इकाई के �प म� �यिक्त के साथ


स�गण
w

शु�आत की क्य�िक उनका मानना था िक जो िस�धांत �यिक्त के िलए अ�छे ह�, वे भी


समान �प से लागू ह�गे और बड़े पैमाने पर समाज के िलए अ�छे ह�गे। वह पाइथोग्रास के
w

तीन आ�माओं और तीन वग� के िवचार से प्रभािवत थे और अपने �याय के िस�धांत को


िवकिसत करने के िलए �लेटो इसे ही अपनाते ह�। उ�ह�ने तकर् िदया िक प्र�येक मानव आ�मा
के तीन पहलू होते ह�— तकर्संगतता, आ�मा और क्षुधा। इनम� से प्र�येक भाग एक िवशेष
प्रकार के गुण से मेल रखता है । अतः िववेक का गुण बु�िध है , आ�मा का गुण साहस है
और क्षुधा का गण
ु संयम है ।

प्र�येक आ�मा म� , इनम� से एक भाग दस


ू र� की तुलना म� अिधक प्रभावशाली होता है
और इसिलए आ�मा के उस िवशेष भाग से जड़
ु ा गण
ु उस �यिक्त के �वभाव म� अिधक

27
प्रितिबंिबत होता है । �लेटो के अनुसार, िजस �यिक्त म� तकर्संगत क्षमता अिधक प्रभावशाली
है , वह शासक वगर् का प्रितिनिध�व करने के िलए उपयक्
ु त है , क्य�िक वे अपने ज्ञान के
मा�यम से अ�छे के िवचार को समझने की क्षमता रखते थे। इस ही प्रकार, िजनम� आ�मा
की प्रमख
ु क्षमता थी, उ�ह� साहसी होना चािहए और इसिलए सहायक बनने के िलए सबसे
उपयुक्त ह�। वह बहादरु ह� और शहर की अ�छी तरह से रक्षा कर सकते ह� और समाज के
सामा�य अ�छे के िलए भौितक िहत� का �याग करने के िलए तैयार थे। �लेटो के अनुसार
शासक वगर् और सहायक वगर् िमलकर अिभभावक वगर् का गठन कर� गे। िजन �यिक्तय� की
आ�मा म� भख
ू की भावना दस
ू र� पर हावी होती है , वे भौितक व�तुओं के प्रित मोह रखते ह�
और संयम उनका गण
ु था इसिलए वे �यापार, �यवसाय या िविनमार्ण और उ�पादन क्षेत्र

.in
जैसी नौकिरय� के िलए उपयुक्त थे।

es
�लेटो के अनुसार, �यिक्त के �तर पर �याय का अथर् है िक प्र�येक �यिक्त अपनी
�वाभािवक योग्यता के अनु�प कायर् करता है , िजसका अथर् है िक कायर् �यिक्त की आ�मा के

di
प्रमख
ु पहलू पर आधािरत होना चािहए। तभी वह जोश के साथ कायर् कर पाएगा और उसम�
उ�कृ�टता प्रा�त करे गा। �याय का अथर् एक तरह से सामंज�य या संतुलन और िकसी �यिक्त
की प्रकृित के िविभ�न पहलओ
tu
ु ं को उस �यिक्त की िवशेषता के अनुसार कतर्�य स�पकर
ls
आदे श दे ना था।
ca

इसी तरह, �लेटो ने तकर् िदया िक रा�य के �तर पर �याय का अथर् यह होगा िक
शासक�, यो�धाओं और उ�पादक वगर् के तीन वगर् ऐसे लोग� से बने ह� िजनकी आ�माएँ
iti

संबंिधत िवशेषताओं को दशार्ती ह� और ऐसे प्र�येक वगर् के सद�य� ने दस


ू रे की गितिविधय�
ol

म� ह�तक्षेप िकए िबना अपने काय� का प्रदशर्न करना होगा। �याय का अथर् था “एक वगर्,
.p

एक कतर्�य; एक आदमी, एक कायर्।” दस


ू र� के काम म� ह�तक्षेप या िकसी की प्रकृित के
िवपरीत वगर् म� गितशीलता अ�याय की ि�थित पैदा कर सकती है ।
w
w

एथेिनयाई/ एथ�स वासी लोग� का मानना था िक वे ऑटोचथोनस/ autochthonous थे,


अथार्त ् वे िजस िम�टी पर रहते थे, उसके ब�चे थे, न िक पूवज
र् � के वंशज जो अ�य भिू म से
w

आए थे। यह वह भ्रम था, िजसे �लेटो ने िरपि�लक म� धातुओं के अपने िमथक म� प्रयोग
िकया था, िजस से उ�ह�ने �याय के अपने िवचार को वैधता प्रदान करने के िलए प्र�तािवत
िकया था। �लेटो ने तकर् िदया िक अिभभावक� को यह ‘महान भ्रम’ फैलाना चािहए िक प�
ृ वी
उनकी माँ है , और प�
ृ वी के ब�च� के �प म� वे अपने शरीर म� कुछ धातु घटक� के साथ पैदा
हुए थे। कुछ अपने शरीर म� सोने के साथ पैदा हुए थे (जो िक दाशर्िनक या शासक होने के
िलए थे), अ�य चाँदी के साथ (जो सहायक होने के िलए िनपुण थे), और कुछ पीतल के साथ
(जो िक िकसान होने के िलए थे)। यह ‘महान झठ
ू ’ दो उ�दे �य� की पिू तर् करे गा। यह िव�वास

28
िदलाएगा िक वह एक बड़े पिरवार का िह�सा है , अ�य सभी सद�य उसके भाई ह�, और यह
सभी को जीवन म� अपने �थान को �वाभािवक �प से �वीकार करने के िलए प्रेिरत करे गा
इसिलए, दस
ू र� के साथ ह�तक्षेप करने या उनके �यवसाय� को अ�वीकार करने के बजाय, वे
अपने संबंिधत कायर् क्षेत्र म� उ�कृ�टता पर �यान क�िद्रत कर� गे। आ�मा को तीन भाग� म�
िवभािजत करने के िवचार से प्र�येक म� एक िवशेष गण
ु प्रदिशर्त होता है , जो इस बात की
पुि�ट करता है ।

आ�म का भाग स�गण


ु वगर्

तकर् ज्ञान शासक

.in
आ�म (spirit) साहस सहायक/सैिनक

es
क्षुधा संयम उ�पादक

�लेटो ने यहाँ तीन मह�वपण


ू र् िवचार� को आगे बढ़ाया है । सबसे पहले, प्र�येक �यिक्त एक

di
“कायार्�मक इकाई” था, िजसके पास एक िवशेष प्रकार का कायर् करने का गण
ु था िजसके
tu
िलए वह �वाभािवक �प से इ�छुक था और उसे इस काम को ठीक से करने पर �यान दे ना
ls
चािहए और इसम� उ�कृ�टता प्रा�त करनी चािहए। दस
ू रा, वह समाज को अपनी प्राकृितक
प्रविृ � के अनस
ु ार �म िवभाजन के आधार पर एक सामंज�यपण
ू र् इकाई के �प म� दे खता है ,
ca

िजसके िस�धांत �थायी ह� और इसम� कोई दोष नहीं होना चािहए। तीसरा, उपरोक्त दो
iti

िट�पिणय� के आधार पर यह समझा जा सकता है िक �लेटो ने समाज का एक जैिवक


िस�धांत प्र�तुत िकया, िजसके तहत कायार्�मक िवशेषज्ञता को बरकरार रखा जाना चािहए
ol

और जब तक इकाइयाँ अ�छा प्रदशर्न नहीं करती, तब तक समाज क्रम म� रहता है और


.p

प्रगित करता रहता है ।


w

िशक्षा �यव�था
w

�लेटो के �वारा एक दाशर्िनक शासक की क�पना की गयी थी तथा ऐसे रा�य की संक�पना
w

म� �लेटो �वारा सबसे अिधक िशक्षा �यव�था को मह�व िदया गया था। �लेटो के दाशर्िनक
शासक एवं अिभवावक/अिभजात वगर् को भी उस िशक्षा �यव�था के �वारा ही चयिनत करने
की प्रिक्रया सि�मिलत थी। िशक्षा का �येय मात्र औपचािरक ज्ञान प्रदान करना नहीं था, वरन ्
िशक्षा �यव�था का िनमार्ण नैितक सध
ु ार के िलए थे िजससे �यिक्त की क्षमताओं का िवकास
िकया जा सके। �लेटो की िशक्षा �यव�था का वणर्न उनकी II, III एवं X पु�तक म�
सि�मिलत है ।

29
�लेटो ने िशक्षा की दो िवपरीत प्रणािलय� को िमलाने का प्रयास िकया है — “�पाटर् न मॉडल
जो सै�य उ�कृ�टता और अनुशासन पर आधािरत तथा एथेिनयन मॉडल जो रचना�मकता
और �यिक्तगत उ�कृ�टता पर आधािरत था।

�लेटो की िशक्षा �यव�था की िन�निलिखत िवशेषताएँ थीं—

 उनकी िशक्षा प्रणाली केवल अिभभावक वगर् के िलए थी, िजसम� शासक और सहायक
शािमल थे। वह तत
ृ ीय �ेणी अथार्त ् िनमार्ता वगर् की िशक्षा को मह�व नहीं दे ते ह�।

 �लेटो के �वारा रा�य िनयंित्रत एवं रा�य �वारा संचािलत िशक्षा �यव�था को
प्रो�सािहत िकया गया था।

.in
 िशक्षा पा�यक्रम को संतुिलत शारीिरक, मानिसक, बौ�िधक और नैितक िवकास के
मा�यम से मानव �यिक्त�व को समग्र �प से िवकिसत करने के िलए तैयार िकया

es
गया था।

di
 िशक्षा प्रणाली का उ�दे �य कुशल कायर्बल का िनमार्ण करना और �यिक्तय� की

tu
क्षमताओं का िवकास करना भी था, तािक उ�ह� उनकी प्राकृितक क्षमता के अनु�प
कायर् प्रदान िकया जा सके।
ls
 िशक्षा �यव�था से सक्षम प्रशासक, सक्षम सैिनक और उ�कृ�ट िनमार्ता तैयार िकए जा
ca

सके।
iti

 �लेटो के �वारा मिहला एवं पु�ष दोन� के िलए समान िशक्षा प्रणाली की �यव�था की
ol

गयी थी।
.p

 प्रारं िभक िशक्षा 6-18 वषर् तक िनधार्िरत की गयी थी। इस �तर के पा�यक्रम म�
मख्
ु य �प से संगीत और िज�नाि�टक को शािमल करने के िलए एक साथ कोमल
w

और उग्र िवशेषताओं को सि�मिलत िकया गया। उ�ह�ने ब�च� �वारा पढ़ी जाने वाली
w

कहािनय�, सािह�य, संगीत और कहािनय� पर रा�य के स�सरिशप की िसफािरश की


w

थी। ब�च� को आलसी या मौत से डरने से रोकने के िलए उदास या स�


ु त संगीत
िब�कुल मना था।

 इसके प�चात ् दो साल का अिनवायर् सै�य प्रिशक्षण िनधार्िरत िकया गया था। सै�य
प्रिशक्षण के दौरान आ�म-भोग और िवलािसता िनषेध था और प्र�येक ब�चे को
आव�यकता होने पर अपनी भिू म की रक्षा करने के िलए सव��म क्षमताओं से लैस
करने के िलए सख्त अनुशासन का पालन िकया जाता था।

30
 20 वषर् की उम्र म� , सभी को एक परीक्षा दे नी थी। जो लोग इस परीक्षा म� असफल हो
जाते ह� वे �यवसायी, क्लकर् आिद की नौकरी करते ह�। जो उ�ीणर् होते ह�, वे अपनी
िशक्षा जारी रख सकते ह�।

 अगले 10 वष� तक िशक्षा जारी रखने वाल� को तन और मन से प्रिशिक्षत िकया


जाता है । िदमाग को तेज करने के िलए पा�यक्रम म� अंकगिणत, �यािमित और
खगोल िवज्ञान शािमल थे।

 िफर से, 30 साल की उम्र म� इस �तर पर परीक्षा द� । जो उ�ीणर् ह�गे वे िशक्षा जारी
रख सकते ह�। जो इस �तर पर असफल होते ह�, वे सहायक बनने के योग्य होते ह�।

.in
 जो िशक्षा जारी रखते ह�, उनके िलए �वं�वा�मकता, त�वमीमांसा, दशर्न और
तकर्शा�त्र म� 5 साल का और प्रिशक्षण होगा। यह िशक्षा का उ�चतम �तर है और

es
सभी इसे समझने म� सक्षम नहीं ह�। 35 वषर् की आयु म� छात्र� को सरकार म� काम
करने का प्र�यक्ष अनभ
ु व प्रा�त करने के िलए सै�य और राजनीितक कायार्लय� म�

di
किन�ठ पद� पर इंटनर् के �प म� रखा जाएगा। प्र�यक्ष अनुभव प्रा�त करने के िलए वे
tu
वहाँ 15 वष� तक काम कर� गे और इस अविध के दौरान उनका �वं�वा�मकता का
ls
प्रिशक्षण और अ�यास जारी रहे गा।
ca

 �लेटो के अनुसार 50 वषर् की आयु म� , उ�मीदवार दाशर्िनक शासक की नौकरी लेने के


िलए परू ी तरह से तैयार और सस
ु ि�जत होते ह� क्य�िक उ�ह�ने उ�चतम प्रकार का
iti

ज्ञान और प्रिशक्षण प्रा�त िकया है ।


ol

2.1.6 �लेटो की िशक्षा �यव�था की आलोचना


.p

�लेटो के �वारा प्रितपािदत िशक्षा �यव�था की इस �तर पर आलोचना की गयी िक यह


w

�यवहार म� अलोकतांित्रक है क्य�िक इस िशक्षा �यव�था के अंतगर्त उ�पादक वगर् को �लेटो


�वारा सि�मिलत ही नहीं िकया गया था तथा स�पूणर् पा�यक्रम म� गिणत को अ�य िवषय�
w

से अिधक मह�व प्रदान िकया गया था, जो पा�यक्रम की िववधता पर प्र�न िचि�नत करता
w

है । इितहास एवं सािह�य जैसे िवषय� को अिधक मह�व न दे ना भी �लेटो की िशक्षा �यव�था
की आलोचना का एक कारण रहा था। िशक्षा �यव�था की ल�बी अविध का िनधार्रण भी कई
आलोचक� का क�द्र िबंद ु रहा, क्य�िक उनका मानना था िक ऐसी िशक्षा �यव�था म� �यिक्त
की �वाय�ता ल�ु त हो जाती है ।

प�नी एवं स�पि� का सा�यवाद


�लेटो का उ�दे �य एक ऐसे प्रितभावादी समाज का िवकास करना था जो भ्र�टाचार, �वाथर्
और भाई-भतीजावाद से मक्
ु त हो। उ�ह�ने �ढ़ता से �वीकार िकया िक िविभ�न �प� म�

31
भ्र�टाचार समाज के पतन का प्राथिमक कारण था और इसिलए इसके मल
ू कारण को
समझकर इस खतरे को शु� म� ही समा�त करने की आव�यकता है । यहाँ वह �पाटर् न समाज
से प्रेिरत थे, इसिलए वह संरक्षक वगर् म� गण
ु � को िवकिसत करना चाहता थे तािक वे उस
ल�य से िवचिलत न ह�, िजसे वे प्रा�त करने के िलए उ�ह� प्रिशक्षण िदया जाता है । यह इस
िव�वास पर भी आधािरत था िक एक ही लोग� के बीच राजनीितक और आिथर्क शिक्त की
एकाग्रता से अ�याचार हो सकता है । इस समझ के आधार पर, उ�ह�ने संपि� और पि�नय� के
सा�यवाद के िस�धांत� को अपने िवचार म� सि�मिलत िकया जो केवल अिभभावक वगर् के
िलए लागू था तािक यह सिु नि�चत िकया जा सके िक वे भ्र�ट प्रथाओं म� शािमल न ह�।

उनका मानना था िक अिभभावक वगर् बैरक म� सैिनक� की तरह एक साथ रह� गे। इससे

.in
उ�ह� एकता की भावना िमलेगी और वे �यूनतम संपि� के साथ रहना सीख�गे। उ�ह� िकसी भी
प्रकार के र�न, सोना या चाँदी रखने की अनम
ु ित नहीं थी और उनके अि�त�व के िलए मात्र

es
आव�यक �यूनतम संपि� के िलए अनुमित दी गई थी। उ�ह� घर आिद सिहत िकसी भी

di
संपि� या िनजी �थान के �वािम�व की अनुमित नहीं थी। िनवार्ह और आजीिवका के िलए
उ�ह� उ�पादक वगर् से माल का केवल िनि�चत कोटा प्रा�त हो सकता था।
tu
तीसरे वगर् या उ�पादक वगर् को संपि� रखने की अनुमित थी लेिकन वे भी बहुत अिधक
ls
संपि� का उपयोग नहीं कर सकते थे। इस प्रणाली म� उ�पादक वगर् की संपि� पर अिभभावक
ca

वगर् की िनगरानी की अनुमित प्रदान की गयी थी और यिद अमीर और गरीब के बीच की


खाई बहुत बढ़ जाती है , तो उनकी संपि� को पन
ु िवर्तरण के िलए रा�य के िनयंत्रण म� लेने
iti

का प्रावधान भी सि�मिलत था।


ol

उसी तरह पि�नय� का सा�यवाद भी केवल उन अिभभावक� के िलए लागू था, जो समाज
.p

म� िकसी भी प्रकार के भाई-भतीजावाद को समा�त करना चाहते थे। �लेटो �वाथर्, ई�यार्, घण
ृ ा
w

जैसी नकारा�मक भावनाओं से सावधान करते थे, िजससे पिरवार की सं�था को प्रो�सािहत
िकया जा सके।
w

उ�ह�ने एकांगी िववाह की सं�था को मिहलाओं के प्रित भेदभाव के �प म� दे खा। उ�ह�ने


w

कहा िक प�
ु ष� और मिहलाओं दोन� के साथ समान �यवहार िकया जाना चािहए और तकर्
िदया िक मिहलाओं को भी िवधायक और शासक बनने की अनुमित दी जानी चािहए।
पि�नय� के सा�यवाद का उनका िस�धांत पारं पिरक िववाह, िवशेष �प से �थायी एकांगी
िववाह पर हमला है । उ�ह�ने इस िवचार को खािरज कर िदया िक िववाह आ�याि�मक िमलन
या सं�कार था। हालाँिक, उ�ह�ने अभी भी मानव जाित के प्रजनन और िनरं तरता के िलए
यौन संबंध को एक मह�वपूणर् �प माना। स�चाई यह है िक उ�ह�ने िववाह को केवल ब�चे
पैदा करने के िलए संभोग के उ�दे �य की पूितर् के �प म� दे खा। यिद ऐसा था, तो वह इस

32
बारे म� अिधक िचंितत थे िक ब�च� की सव��म न�ल कैसे पैदा की जाए और इसिलए
उ�ह�ने यौन संघ के िनयंित्रत �प का प्र�ताव रखा। इसम� केवल सवर्�े�ठ पु�ष (बहादरु और
य�
ु ध म� अ�छे ) और मिहलाओं (सद
ंु र) को जोड़ा जाएगा। उ�ह�ने माना िक प�
ु ष� के िलए
सबसे अ�छी शादी की उम्र 25-55 और मिहलाओं के िलए 20-40 थी। पूरी प्रणाली को
दाशर्िनक शासक �वारा िनयंित्रत िकया गया था, जो खुली लॉटरी की प्रणाली के मा�यम से
जोड़ी की �यव�था करे गा, लेिकन आंतिरक �प से जोड़े को इस तरह से प्रबंिधत करे गा िक
सवर्�े�ठ प�
ु ष� ने सवर्�े�ठ मिहलाओं के साथ खाया। ग�ु त प्रबंधन की भी अनम
ु ित है , क्य�िक
केवल दाशर्िनक शासक को लॉटरी म� उ�मीदवार� के संबंध� के बारे म� पता होगा और यह
सिु नि�चत करे गा िक पुत्र-माँ, िपता-पुत्री की जोड़ी न बने।

.in
इस िवषय पर �लेटो की समझ इतनी मह�वपण
ू र् है िक वह गभर्पात के सभी �प� की

es
अनुमित दे ता है , क्या भ्रण
ू के िवकृत होने की कोई संभावना है या िविनयिमत िववाह के
बाहर या िनधार्िरत आयु सीमा के बाहर सेक्स से पैदा हुआ है , क्य�िक उसे यकीन है िक ऐसे

di
ब�चे �व�थ नहीं ह�गे और समाज के िलए बोझ होने का प्रमाण। वह उन ब�च� की ह�या
की भी अनुमित दे ता है , जो कुछ प्रकार के िवकलांग� के साथ पैदा होते ह�। एक बार एक
tu
�व�थ ब�चे के ज�म के बाद, उसे रा�य �वारा बनाए गए क्रेच और नसर्री म� ले जाया जाता
ls
है और वहाँ अ�य ब�च� के साथ उठाया जाएगा। उ�ह� कभी पता नहीं चलेगा िक उनके
ca

माता-िपता कौन थे और संभोग साथी या िकसी िवशेष ब�चे के माता या िपता को भी उनके
िर�ते के बारे म� कभी पता नहीं चलेगा। �लेटो के िलए यह अज्ञानता एक आनंद है , क्य�िक
iti

उनका मानना था िक िकसी के ब�च� के बारे म� कोई भी ज्ञान सभी पु�ष� और मिहलाओं को
ol

सभी ब�च� को अपना मानने और प्र�येक को समान �प से �यार करने के िलए प्रेिरत
.p

करे गा।

�लेटो अपने सा�यवाद म� अपनी धारणा और समझ के आधार पर एक बहुत ही जिटल


w

प्रणाली प्र�तुत करता है । इन समझ की कई सीमाएँ ह�। उदाहरण के िलए, िव�वान� ने इंिगत
w

िकया है िक वह संपि� को एक बुराई के �प म� मानता है , जबिक संपि� का एक पुर�कृत


w

म�
ू य भी हो सकता है तािक यह �यिक्तय� को कड़ी मेहनत करने के िलए प्रेिरत करे । इसी
तरह उ�पादक वगर् को संपि� का अिधकार प्रदान करने से अिभभावक� के बीच ई�यार् पैदा हो
सकती है , िजसके पिरणाम हो सकते ह�। इसी तरह, िववाह के बारे म� उसके वा�य �प म�
उसके िवचार गहरे सम�याग्र�त ह�।

यह भागीदार� के बीच भावना�मक बंधन को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दे ता है और


केवल यौन संबंध� पर �यान क�िद्रत करता है , और यहाँ तक िक उनका यह िव�वास भी है
िक सबसे अ�छी न�ल केवल मजबूत प�
ु ष� और सद
ंु र मिहलाओं के बीच िववाह से पैदा हो

33
सकती है , यह गहरा त्रिु टपूणर् है और जैसा िक िचिक�सा िवज्ञान म� प्रगित ने िदखाया है , यह
है तकर्हीन भी। साथ ही, यिद एक सं�था के �प म� पिरवार को �व�त कर िदया जाता है , तो
यह समाज के संतल
ु न को भी प्रभािवत कर सकता है क्य�िक पिरवार समाजीकरण प्रिक्रया म�
पहला और सबसे मह�वपूणर् चरण प्रदान करता है , िजस पर अर�तू ने भी जोर िदया था।
इसके अलावा, यह िव�वास िक यिद कोई नहीं जानता िक उनका ब�चा कौन है , तो उ�ह�
सभी ब�च� से �यार करना चािहए, क्य�िक उनका अपना भी उ�टा हो सकता है , क्य�िक यह
संभव है िक सभी ब�च� को समान �प से नजरअंदाज िकया जाए और भावना�मक बंधन� के
अभाव म� , उ�ह� उिचत दे खभाल न िमले।

इस त�य के आधार पर िक �लेटो ने सा�यवाद के कुछ �प� का सझ


ु ाव िदया था, कुछ

.in
िव�वान� ने �लेटो और माक्सर् के बीच तुलना करने का प्रयास िकया है । सी.सी. मैक्सी ने

es
दावा िकया है िक �लेटो सा�यवाद के सभी �प� का पूवव
र् तीर् था। हालाँिक इस िन�कषर् म� कुछ
योग्यता हो सकती है , �लेटो की माक्सर् के सा�यवाद के िवचार से तुलना काफी अितरं िजत

di
ु ध �प से राजनीितक प्रकृित
है । �लेटो सा�यवाद का एक िस�धांत प्रदान करता है , जो िवश�
का था, जबिक माक्सर् का िवचार प्राथिमक �प से आिथर्क है । दस
ू रे , �लेटो का सा�यवाद दो
tu
वग� के शासक� और सहायक� के िलए सीिमत है , जबिक माक्सर् के सा�यवाद का उ�दे �य
ls
संपूणर् सामािजक �यव�था का मौिलक पिरवतर्न है , जो एक वगर्हीन समाज की ओर ले जाता
ca

है । �लेटो के िलए सा�यवाद को िवकिसत करने का कारण उसका डर था िक समाज भ्र�ट हो


सकता है , लेिकन माक्सर् सा�यवाद को एक ऐसे समाज की प्राकृितक पिरणित के �प म�
iti

दे खता है , जो उ�पादन की शिक्तय� और उ�पादन के संबंध� के बीच संघषर् के मा�यम से


ol

िवकिसत होता है और आिदम सा�यवाद के चरण� से गज


ु रता है , गल
ु ामी, सामंतवाद और
.p

पँज
ू ीवाद। जैसा िदखाई दे ता है , माक्सर् के दशर्न म� मौजद
ू सा�यवाद का िवचार �लेटो से बहुत
अलग है ।
w

2.1.7 शासन के अ�य �व�प


w

�लेटो का आदशर् रा�य दाशर्िनक शासक का शासन था, जहाँ �याय की जीत होगी और सभी
w

वगर् अपने �यिक्तगत गण


ु � के आधार पर अपने-अपने कतर्�य� म� लगे रह� गे। आदशर् ि�थित
म� , जैसा िक �लेटो ने बताया है , कारण आ�मा और भख
ू पर शासन करे गा। लेिकन �लेटो ने
रा�य के अ�य �प� और उनकी अि�थरता और क्षय के कारण� की भी जाँच की। उ�ह�ने ऐसे
चार शासन� के बारे म� चचार् की—समयवाद, कुलीनतंत्र, लोकतंत्र और अ�याचार। उ�ह�ने तकर्
िदया िक इनम� से प्र�येक शासन, अपने अंतिनर्िहत चिरत्र के कारण, अ�याचार म� िगरावट के
िलए बा�य था। ऐसा लगता है िक उ�ह�ने इन सभी पितत �प� को यह सझ
ु ाव दे ने के िलए
सच
ू ीब�ध िकया है िक यिद आदशर् रा�य का स�मान और �ढ़ता से �थािपत नहीं िकया

34
जाता है , तो यह धीरे -धीरे लोग� को बदतर रा�य� म� ले जा सकता है , िजससे दाशर्िनक-राजा
के शासन के बारे म� उनके िवचार को वैध बनाने का प्रयास िकया जा सकता है ।

 Timocracy— आदशर् रा�य से पतन का पहला �प िटमोक्रेसी था। आने वाली पीिढ़य�
म� प्रितभा का अभाव होने और सही भावना से िशिक्षत न होने पर शासक वगर् की
गण
ु व�ा के साथ-साथ समाज का पतन होना तय है । शासन के इस �प म� शासक
अिभजात वगर्, म�
ू यवान धन और भौितक चीज� बु�िध और ज्ञान से ऊपर और
सैिनक� और सहायक� को दाशर्िनक� से अिधक म�
ू यवान माना जाता है ।

 कुलीनतंत्र— जब स�गण
ु � म� और िगरावट आती है , और धन क�द्रीयता अिजर्त करता

.in
है , तो यह कुछ अमीर या कुलीनतंत्र का शासन बन जाता है । अमीर और गरीब के
बीच की खाई धीरे -धीरे बढ़ती है , और धन की लालसा कानून के शासन को कमजोर

es
कर सकती है । पिरणाम�व�प, गरीब िवद्रोह कर� गे।

 लोकतंत्र— इसकी िवशेषता लाइस�स, िफजल


ू खचीर्, अराजकता और इ�छाओं और भख

di
पर शासन करती थी। कुलीनतंत्र म� गरीब� के िवद्रोह का उ�पाद। यह अ�यायपूणर् था
tu
और �लेटो ने इसकी तुलना ‘भीड़तंत्र’ से की, क्य�िक जीवन के िकसी भी क्षेत्र के लोग
ls
राजनीित म� भाग ले सकते थे। पोिषत म�
ू य� के संबंध म� गण
ु व�ा के बजाय मात्रा
मख्
ु य मानदं ड थी। अ�यिधक अराजकता के कारण, एक क�द्रीय, मजबत
ू नेता को
ca

िनयंत्रण करने के िलए आमंित्रत करना अिनवायर् था और अ�याचारी उठ खड़ा होगा।


iti

 अ�याचार— सरु क्षा और सरु क्षा के नाम पर, अ�याचारी लोग� के जीवन को िनयंित्रत
ol

करे गा और सभी �वतंत्रताओं को कम करे गा। �लेटो अ�याचार से बाहर िनकलने का


कोई रा�ता नहीं सझ
ु ाता है ।
.p

2.1.8 क्या �लेटो आधिु नक अिधनायकवाद का अग्रदत


ू था?
w
w

कई िव�वान� ने तकर् िदया है िक �लेटो का राजनीितक िस�धांत अिधनायकवाद के आरं िभक


संकेत प्र�तत
ु करता है । इनम� से कई िव�वान उदार लोकतंत्र की परं पराओं से स�ब�ध रखते
w

ह� और अिधकार� एवं �वतंत्रता के म�


ू य� को �थािपत करने पर बल दे ते ह� और इन आदश�
के आधार पर वे अ�य लेखन की तुलना करते ह�। इनम� से अिधकांश िट�पिणय� का संदभर्
जमर्नी म� नाजीवाद और इटली म� फासीवाद के िवकास की प�ृ ठभिू म के साथ-साथ पूवर्
सोिवयत संघ सिहत पव
ू ीर् यरू ोप के कई िह�स� म� क�यिु न�ट रा�य� के िवकास की प�ृ ठभिू म
थी। अिधनायकवाद की आव�यक िवशेषताओं म� से एक �यिक्त की �वाय�ता और गिरमा
को अ�वीकार करना है । इस िवचार पर, कई आधुिनक लेखक� ने �लेटो को अिधनायकवाद के
पैरोकार के �प म� पहचाना है । उनका कहना है िक �लेटो के राजनीितक िवचार� म� �यिक्त

35
की अलग पहचान/अि�मता को शायद ही मा�यता दी जाती है । उनके अनुसार �लेटो
राजनीितक स�ा को अद�य और सावर्भौिमक �प से �वीकायर् बनाना चाहता था।

क्रॉसमैन (1939) ने अपनी पु�तक “�लेटो टुडे” म� तकर् िदया है िक �लेटो के िवचार और
िचंतन एक खतरनाक कॉकटे ल पेश करते ह� जो उनके अपने समय के और समकालीन काल
के िलए भी िब�कुल खतरा था। उ�ह�ने तकर् िदया िक �लेटो का उ�दे �य एथ�स म� प्रचिलत
�यव�था म� सध
ु ार करके एक आदशर् समाज का िनमार्ण करना था। वह वगर् संघषर्, िशक्षा की
खराब �यव�था और राजनीितक �यव�था के भीतर की खािमय� सिहत कई ऐसी बुराइय� की
पहचान कर के ऐसी �यव�था के पक्षधर थे।

.in
हालाँिक, क्रॉसमैन ने इस बात पर प्रकाश डाला िक �लेटो की कई धारणाएँ थीं, जो
सम�याग्र�त थीं जैसे—

es
क) वह जनता की बु�िध और तकर्संगतता पर िव�वास नहीं करता था और इसिलए एक
िवशेष वगर् का समथर्न करता था;

di
ख) उनका िव�वास है िक दाशर्िनक शासक को सही और गलत की पूरी समझ है और
वह अपने िवचार� म� अचूक है ; tu
ls
ग) उनका िव�वास है िक समाज म� शांित और स�भाव बनाए रखने और अनुशासन पर
आधािरत एक श�
ु ध सामािजक �यव�था बनाए रखने के िलए िविभ�न �वतंत्रताओं
ca

का दमन मह�वपूणर् था।


iti

इसिलए क्रॉसमैन ने दावा िकया िक �लेटो को �वतंत्रता, समानता और लोकतंत्र जैसे उदार
ol

लोकतंत्र के बुिनयादी लोकाचार के िव��ध अवलोिकत िकया जा सकता है , क्य�िक उ�ह� इन


म�
ू य� के पिरणाम� को संतुिलत करने और िनयंित्रत करने की �यिक्तय� की क्षमता पर
.p

िव�वास नहीं था।


w

इस ही प्रकार, बिलर्न (1969) ने तकर् िदया िक �लेटो का दशर्न �यिक्तगत �वतंत्रता जैसे
w

अिभ�यिक्त की �वतंत्रता, या पसंद की �वतंत्रता के िलए कोई स�मान नहीं िदखाता है ।


w

उ�ह�ने यह भी बताया िक �लेटो के िवचार� ने एक अनुशािसत सामािजक �यव�था प्र�तुत


करके बहुवचन जीवन शैली के िकसी भी प्रकार को अ�वीकार कर िदया, जहाँ प्र�येक वगर् के
िलए भिू मका और सीमाएँ अ�छी तरह से पिरभािषत ह�। हालाँिक, सबसे अिधक िवरोध कालर्
पॉपर (1945) से हुआ, िज�ह�ने अपनी प� ु तक ओपन सोसाइटी एंड इ�स एिनमीज़ म� �लेटो,
हे गेल और माक्सर् जैसे दाशर्िनक� पर खुले/�वतंत्र समाज के द�ु मन होने का आरोप लगाया।
उनके अनुसार एक खुला/�वतंत्र समाज, राजनीितक संरचना और �यव�था के असहमितपूणर्
िवचार� और आलोचना�मक िव�लेषण के िलए अनुमित दे ता है । इसम� �वतंत्र िवचार और
अिभ�यिक्त, कारर् वाई की �वतंत्रता और उदार म�
ू य� पर आधािरत िशक्षा की �वतंत्र �यव�था

36
शािमल थी। इसके मल
ू म� �यिक्त था और �यिक्त के अिधकार� और �वतंत्रता का �यान
रखा जाता था। इसके िवपरीत, जैसा िक पॉपर कहते ह�, अिधनायकवादी �यव�थाएँ
खल
ु े/�वतंत्र समाज के िस�धांत� के िवपरीत होती ह�। उनके िलए, �लेटो का राजनीितक दशर्न
और दाशर्िनक शासक को दी गई िनरपेक्षता के साथ आदशर् रा�य की उनकी �ि�ट गैर-
लोकतांित्रक थी और चरम क�द्रीकरण की भावना को दशार्ती थी। पॉपर मानते ह� की �लेटो
सामािजक पिरवतर्न की िकसी भी संभावना को अ�वीकार करता है और यथाि�थित की
वकालत करता है । इसके अलावा पॉपर बताते ह� िक �लेटो के शासक अिभजात वगर् के िलए
सबसे �यादा मायने रखता है और उनका सारा �यान अिभभावक वगर् पर है , जो समान �प
से गैर-लोकतांित्रक है और समानता के िस�धांत� के िव��ध है ।

.in
इन अवलोकन� के आधार पर पॉपर �लेटो को अिधनायकवाद के प्रारं िभक दशर्न का

es
प्रितिनिध�व करने का दावा करता है ।

ू री ओर, एच.डी. र�िकंग जैसे िव�वान भी ह� जो अपने काम “�लेटो और �यिक्त” म�


दस

di
तकर् दे ते ह� िक इस िन�कषर् पर आना अनुिचत होगा िक, उनके राजनीितक दशर्न म� , �लेटो
tu ु ः, उनके राजनीितक
ने �यिक्त को परू ी तरह से नजरअंदाज/अ�वीकार कर िदया। व�तत
िवचार� म� ऐसे कई सा�य ह�, जो इस बात का खंडन करते ह� िक वह �यिक्त के प्रित
ls
उदासीन थे। उ�धरण के िलए सबसे पहले, यह �यिक्त के जीवन के आसपास ही है जैसे
ca

�लेटो ने �याय के अपने िस�धांत को पेश िकया। दस


ू रा, उ�ह�ने महसस
ू िकया िक समग्र �प
से समाज और रा�य का क�याण, अंितम िव�लेषण म� �यिक्त की मानिसकता, चिरत्र और
iti

शरीर म� उ�कृ�टता की उपलि�ध पर िनभर्र होता है । तीसरा, उ�ह�ने �यिक्तगत प्रकृित और


ol

चिरत्र की िविवधता को उिचत स�मान िदया। उ�ह�ने �वीकार िकया िक �यिक्त हर मामले
.p

म� एक दस ृ क् होते ह�। चौथा, उ�ह�ने न केवल �यिक्त को उस वगर् के संदभर् म� दे खा


ू रे से पथ
िजससे वह संबंिधत था, बि�क कुछ िवषय� म� , इसम� शािमल �यिक्तय� के संदभर् म� एक वगर्
w

का म�
ू यांकन भी िकया।
w

जोड (1966) िट�पणी करते ह� िक य�यिप फासीवाद और �लेटो के रा�य के बीच कई


w

समानताएँ ह�, िफर भी उनम� मल


ू भत
ू अंतर भी ह�। सबसे आधारभत
ू अंतर� म� से एक, जोड ने
प्रकाश डाला वह यह है िक �लेटो का उ�दे �य सामा�य अ�छे और �याय के िस�धांत� को
बनाए रखने के िलए एक रा�य का िनमार्ण करना है , जबिक फासीवाद इन आदश� के
िव��ध था इसिलए जोड़ का तकर् है िक आधुिनक फासीवाद की �लेटो से तुलना करना
अितशयोिक्त होगी।

जैसा िक अवलोिकत होता है , �लेटो पर िट�पणी करने और उसकी �याख्या करने वाले
िव�वान� के बीच एक िवभाजन है पर�तु �लेटो के िवचार� की तुलना अिधनायकवाद के

37
आधुिनक �प� से करना अितशयोिक्तपूणर् होगा। यहाँ तक की पॉपर जैसे उनके आलोचक भी
�प�ट संबंध �थािपत करने म� िवफल रहे ह�। अिधक-से-अिधक वह यह कथन प्र�तत
ु करते ह�
िक �लेटो के िवचार उदार लोकतंत्र �वारा मनाए गए म�
ू य� के समथर्क नहीं ह�, पर�तु क्या
उदार लोकतंत्र का समथर्क होना आपको एक अिधनायकवादी िवचारक के �प म� �थािपत नहीं
करता है ? उदार लोकतंत्र और अिधनायकवाद के बीच एक �िवआधारी के िनमार्ण पर
आधािरत �यूनतावाद के चरम �तर के साथ इन िवचार� म� गंभीर सीमाएँ िदखाई दे ती ह�, जो
वा�तव म� मौजद
ू नहीं है । यह समझना होगा िक िकसी भी िवचारक का संदभर् मह�वपण
ू र् है
और इसिलए िवशेष िवचार� और उसके मापदं ड� की आधुिनक समझ के आधार पर िकसी
िवचारक को आरोिपत या �याय करना उसके राजनीितक दशर्न के साथ कोई �याय नहीं

.in
करता है और प�धितगत कठोरता की परीक्षा म� िवफल होने के िलए बा�य है ।

es
2.1.9 अ�यास प्र�न

di
1. फामर् क्या ह�? उदाहरण� का उपयोग करते हुए �लेटो के �प� के िस�धांत की �याख्या
पर चचार् कीिजए।
tu
………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
ls
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..
ca

.…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..
iti

2. दाशर्िनक शासक कौन है ? �लेटो क्य� सोचता है िक दाशर्िनक शासन करने के िलए
ol

सबसे उपयुक्त ह�?


.p

………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
w

……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..
w

.…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..
w

3. �लेटो के गणरा�य म� �याय के िवचार का िव�लेषण कर� और चचार् कीिजए।

………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..
.…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..

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