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VisionIAS Hindi Magazine October 2023 October 2023
VisionIAS Hindi Magazine October 2023 October 2023
1. राजव्यिस्था एिं शासन (Polity and Governance) _____ 6 2.4. भारत-मालदीि (India Maldives) _____________ 37
1.1. शहरी स्थानीय वनकायों का क्षमता वनमााण {Capacity 2.5. संयुक्त राष्ट्र मानिावधकार पररषद (United Nations
Building of Urban Local Bodies (ULBs)} _________ 6 Human Rights Council: UNHRC) ______________ 40
1.2. राजनीवत का अपराधीकरण (Criminalization of 2.6. दवक्षण चीन सािर (South China Sea) _________ 42
Politics) _____________________________________ 9 2.7. नािोनो-काराबाख क्षेत्र (Nagorno-Karabakh Region)
1.3. कानून वनमााताओं के संसदीय विशेषावधकार __________________________________________ 44
(Parliamentary Privileges of Lawmakers) _______ 11 2.8. संवक्षप्त सुर्खायां (News in Shorts) _____________ 45
1.4. अंतरााज्यीय जल वििाद (Inter-State Water Dispute) 2.8.1. भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने रुपे िोमेवस्र्क कािा
___________________________________________ 13 स्कीम (DCS) समझौते पर हस्ताक्षर ककए {India Uae Sign
1.5. सािाजवनक सेिा वितरण में प्रौद्योविकी की भूवमका (Role Rupay Domestic Card Scheme (DCS) Agreement}
of Technology in Public Services Delivery)______ 16 ________________________________________ 45
1.6. भारत में उपभोक्ता संरक्षण (Consumer Protection in 2.8.2. अंतरााष्ट्रीय आपरावधक न्यायालय (International
India) ______________________________________ 18 Criminal Court: ICC) ______________________ 46
1.7. अनुसूवचत जनजावत और अन्य परं पराित िन वनिासी (िन 2.8.3. व्यापक परमाणु परीक्षण प्रवतबंध संवध
अवधकारों की मान्यता) अवधवनयम, 2006 या िन अवधकार (Comprehensive Nuclear Test Ban Treaty: CTBT)
अवधवनयम (FRA) {Scheduled Tribes and other ________________________________________ 46
Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest 2.8.4. अंतरााष्ट्रीय संिरठत अपराध के वखलाफ संयुक्त राष्ट्र
Rights) Act, 2006 or Forest Right Act (FRA)} ____ 21 अवभसमय (United Nations Convention Against
1.8. संवक्षप्त सुर्खायां (News in Shorts) _____________ 24 Transnational Organised Crimes: UNTOC) ___ 47
1.8.1. िैर-कानूनी िवतविवधयां (रोकथाम) अवधवनयम 2.8.5. एवशया-प्रशांत प्रसारण विकास संस्थान (Asia-Pacific
(UAPA), 1967 के तहत ‘िैर-कानूनी संिठन’ (‘Unlawful Institute For Broadcasting Development: AIBD) 47
Association’ Under UAPA, 1967) 2.8.6. हहंद महासािर ररम एसोवसएशन (Indian Ocean
1.8.2. प्रथम सूचना ररपोर्ा (FIR) का ऑनलाइन पंजीकरण Rim Association: IORA)____________________ 48
{Online Registration of First Information Reports 2.8.7. अंतर-संसदीय मंच (Inter-Parliamentary Forum:
(FIR)}____________________________________ 24 IPU) ____________________________________ 49
1.8.3. आधार विश्व की सबसे भरोसेमंद विवजर्ल आई.िी. है: 3. अथाव्यिस्था (Economy) _______________________ 50
कें द्र सरकार (Centre Claims Aadhaar as the Most 3.1. एम.एस. स्िामीनाथन का योिदान (Contributions of M.
Trusted Digital Id in The World) _____________ 25 S. Swaminathan) ___________________________ 50
1.8.4. के बल र्ेलीविजन नेर्िका (विवनयमन) अवधवनयम, 3.2. भारतीय कृ वष अनुसंधान पररषद (Indian Council of
1995 {Cable Television Networks (Regulation) Agricultural Research: ICAR) _________________ 52
Act, 1995} ________________________________ 25 3.3. राष्ट्रीय हल्दी बोिा (National Turmeric Board: NTB)
1.8.5. सरना संवहता (Sarna Code) _____________ 26 __________________________________________ 54
2. अंतरााष्ट्रीय संबध
ं (International Relations) _________ 27 3.4. नोबेल पुरस्कार, 2023 (Nobel Prizes 2023) ____ 55
2.1. इज़रायल-हमास युद्ध (Israel-Hamas War) ______ 27 3.4.1. अथाशास्त्र में नोबेल पुरस्कार (2023): श्रम बल में
2.1.1. योम ककप्पुर युद्ध (Yom Kippur War) _______ 30 मवहलाएं (Nobel Prize in Economics: Women in
2.2. भारत-कनािा संबंध (India Canada Relations) __ 32 Labour Force) ____________________________ 56
2.3. भारत- दवक्षण कोररया (India South Korea) _____ 34 3.5. संवक्षप्त सुर्खायां (News in Shorts) _____________ 58
नोर्:
वप्रय अभ्यर्थायों,
करें र् अफे यसा को पढने के पश्चात् दी ियी जानकारी या सूचना को याद करना और लंबे समय तक स्मरण में रखना आर्र्ाकल्स को समझने वजतना
ही महत्िपूणा है। मावसक समसामवयकी मैिज़ीन से अवधकतम लाभ प्राप्त करने के वलए, हमने वनम्नवलवखत नई विशेषताओं को इसमें शावमल
ककया है:
विवभन्न अिधारणाओं और विषयों की आसानी से पहचान तथा उन्हें स्मरण में बनाए रखने के वलए मैिज़ीन में बॉक्स,
तावलकाओं आकद में विवभन्न रंिों का उपयोि ककया िया है।
पढी िई जानकारी का मूल्यांकन करने और उसे याद रखने के वलए प्रश्नों का अभ्यास बहुत जरूरी है। इसके वलए हम
मैिज़ीन में प्रत्येक खंि के अंत में स्मार्ा किज़ को शावमल करते हैं।
सुर्खायों में रहे स्थानों और व्यवक्तयों को मानवचत्र, तावलकाओं और वचत्रों के माध्यम से िस्तुवनष्ठ तरीके से प्रस्तुत ककया
िया है। इससे त्यात्मक जानकारी को आसानी से स्मरण रखने में मदद वमलेिी।
हाल ही में, क्षमता वनमााण आयोि (CBC)1 ने आिासन एिं शहरी काया मंत्रालय (MoHUA) के सहयोि से शहरी स्थानीय वनकायों (ULBs) के क्षमता
वनमााण पर एक राष्ट्रीय कायाशाला का आयोजन ककया। इसका उद्देश्य पूरे भारत में ULBs की क्षमता विकास के वलए एकीकृ त दृविकोण को बढािा देना है।
• इस कायाशाला में तीन मुख्य पहलों के शुरुआत की घोषणा की िई। ये पहलें हैं:
o MoHUA की क्षमताओं को बढाने के वलए िार्षाक क्षमता वनमााण योजना (ACBP)2।
o 6 ULBs के वलए पायलर् आधार पर िार्षाक क्षमता वनमााण योजना (ACBP)। ये ULBs हैं- अहमदाबाद, भुिनेश्वर, मैसूरु, राजकोर्, नािपुर
और पुणे।
o ULBs के वलए क्षमता वनमााण योजना तैयार करने हेतु व्यापक र्ू लककर्: इसका उद्देश्य ULBs की संिृवद्ध और विकास में मदद करने के वलए
आिश्यक संसाधन उपलब्ध कराना है।
• ULBs लघु आकार िाले स्थानीय वनकाय होते हैं। ये एक वनवश्चत या पररभावषत आबादी िाले शहर या कस्बे को प्रशावसत या प्रबंवधत करते हैं।
o शहरी शासन (स्थानीय सरकार) संविधान में राज्य सूची की प्रविवि संख्या 5 का विषय है। राज्य सूची का विषय होने के कारण ULBs का
प्रशासवनक ढांचा और कानून अलि-अलि राज्यों में अलि-अलि
है।
• 74िें संविधान संशोधन अवधवनयम, 1992 के तहत शहरी स्थानीय
सरकारों को औपचाररक रूप से सरकार के तीसरे स्तर के रूप में मान्यता
दी िई।
o 74िें संविधान संशोधन अवधवनयम में तीन प्रकार के ULBs के
िठन का प्रािधान है:
▪ निर पंचायत (Nagar panchayats): ‘ग्रामीण क्षेत्र से
शहरी क्षेत्र में पररिर्तात हो रहे क्षेत्र’ के वलए,
▪ निरपावलका पररषद (Municipal councils): ‘छोर्े शहरी
क्षेत्रों’ के वलए, और
▪ निर वनिम (Municipal corporations): ‘बडे शहरी क्षेत्रों’
के वलए।
o अवधवनयम के द्वारा राज्य सरकारों को अवधकार प्रदान ककया िया
है कक-
▪ िह इन वनकायों को अपने अवधकार क्षेत्र से राजस्ि एकत्र
करने संबंधी कु छ काया, अवधकार और शवक्त सौंपें; तथा
▪ वनधााररत समय पर इनका चुनाि कराया जाना अवनिाया करें ।
o ULBs के कायों में वनम्नवलवखत शावमल हैं:
▪ निर वनयोजन वजसमें शहरी वनयोजन भी शावमल है,
▪ भूवम उपयोि तथा भिनों, सडकों एिं पुलों के वनमााण का विवनयमन,
▪ शहरी िरीबी उन्मूलन, आकद।
ULBs के क्षमता वनमााण हेतु ककए िए उपाय
• शहरी स्थानीय वनकायों के वलए क्षमता वनमााण योजना (CBULB)3: इसका उद्देश्य बेहतर प्रशासन और वित्तीय प्रबंधन हेतु क्षमता वनमााण के जररए शहरी
स्थानीय सरकारों को मजबूत करना है, जैसा कक 11िीं पंचिषीय योजना में बताया िया है।
• “शहरी विकास के वलए क्षमता वनमााण” (CBUD)4 पररयोजना: यह विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त योजना है। इसके उद्देश्य हैं:
o चुहनंदा ULBs (जो आर्थाक संिवृ द्ध के कें द्र हैं) का क्षमता वनमााण करना,
o शहरों के बेहतर प्रबंधन के वलए उनके कौशल में सुधार करना तथा शहरी िरीबी को कम करना।
• राष्ट्रीय शहरी विवजर्ल वमशन: MoHUA ने 2021 में इस वमशन की शुरुआत की थी। यह भारत के शहरी स्थानीय वनकायों में नािररक-कें कद्रत विवजर्ल
िांवत लाने पर आधाररत है। इसका उद्देश्य देश में विवजर्ल ििनेंस के वलए एक रूपरे खा प्रदान करने हेतु एक साझा विवजर्ल अिसंरचना तैयार करना है।
यह रूपरे खा तीन स्तंभों या 3Ps, यथा- ‘व्यवक्त (People), प्रकियाएं (Processes) और प्लेर्फामा’ को ध्यान में रखती है।
o इस वमशन को संचावलत करने का काया नेशनल इंस्र्ीट्यूर् ऑफ अबान अफे यसा (NIUA) को सौंपा िया है।
▪ NIUA की स्थापना 1976 में हुई थी। यह शहरी विकास एिं प्रबंधन हेतु अनुसध
ं ान, प्रवशक्षण और सूचना प्रसार के वलए कायारत एक प्रमुख
संस्थान है।
• जिाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी निीकरण वमशन (JNNURM): यह वमशन वनम्नवलवखत पर ध्यान कें कद्रत करता है:
o शहरी अिसंरचना और सेिा वितरण प्रणाली में दक्षता लाना,
o सामुदावयक भािीदारी को बढािा देना, और
आिे की राह
• प्रवशक्षण: िुणित्तापूणा प्रवशक्षण कं र्ेंर् विजाइन ककया
जाना चावहए। इसमें क्लासरूम-आधाररत प्रवशक्षण और
ऑन-फील्ि प्रवशक्षण की जरूरतों िाले कं र्ेंर् शावमल
होने चावहए।
o वनजी, शैक्षवणक तथा िैर-सरकारी प्रवशक्षण और
अनुसंधान संिठनों को इसमें शावमल करने से
क्षमता वनमााण संस्थानों की कमी को पूरा ककया
जा सकता है।
• पेशेिरों की दक्षता में िृवद्ध: निरपावलका विभािों में
एक मजबूत और दक्ष कायाबल के वनमााण हेतु कै िर
प्रणाली विकवसत की जानी चावहए और इन्हें विशेष
कायों हेतु विवशि प्रवशक्षण भी प्रदान ककया जाना
चावहए। इसका एक उदाहरण है- इंजीवनयररं ि
विभाि।
o इसके अलािा, निरपावलका की पेशेिर दक्षता को
बढाने के वलए निरपावलका कै िर, विशेष रूप से
बडे ULBs में विशेष कौशल िाले पेशेिरों की पाश्वा वनयुवक्त (लैर्रल हायररं ि) की जा सकती है।
• जािरूकता पैदा करना: नािररकों को संिरठत करने, उनकी सकिय भािीदारी सुवनवश्चत करने और जनता के बीच जािरूकता पैदा करने के वलए
अवभयान चलाए जा सकते हैं। इनमें शैक्षवणक संस्थानों, िैर-सरकारी संिठनों, इत्याकद की भी मदद ली जा सकती है।
• राजकोषीय विकें द्रीकरण: स्थानीय शासन के प्रभािी संचालन के वलए वित्तीय विकें द्रीकरण एक आिश्यक पहलू है। जहां तक संभि हो संसाधन जुर्ाने
के साथ-साथ व्यय के मामलों में स्िायत्तता प्रदान करने पर भी ध्यान कदया जाना चावहए।
o इससे स्थानीय संस्थानों को प्रवशक्षण हेतु धन आिंरर्त करने और विकास संबंधी कायों को प्रभािी ढंि से पूरा करने की उनकी क्षमता बढेिी।
• तालमेल: स्थानीय शासन के वनकायों के बीच तालमेल बढाने और एकरूपता लाने के वलए स्थानीय वनकायों की संरचनाओं को संस्थाित बनाना
चावहए। इससे अप्रत्यक्ष रूप से ULBs की संस्थाित और मानि संसाधन क्षमता में िृवद्ध होिी।
हाल ही में “भारत के लोक सभा और राज्य सभा के ितामान सांसदों का विश्लेषण5 2023” शीषाक से एक ररपोर्ा जारी की िई है।
• इस ररपोर्ा को एसोवसएशन फॉर िेमोिे रर्क ररफॉम्सा (ADR) और नेशनल इलेक्शन िॉच ने जारी ककया है।
• ररपोर्ा के मुख्य हबंदओं
ु पर एक नज़र:
o ितामान सांसदों पर आपरावधक मामले: विश्लेषण ककए िए सांसदों में से 40 प्रवतशत सांसदों ने अपने वखलाफ आपरावधक मामले दजा होने की
घोषणा की है।
o ितामान सांसदों पर िंभीर आपरावधक मामले: 25 प्रवतशत सांसदों ने अपने वखलाफ िंभीर आपरावधक मामले दजा होना स्िीकार ककया है। ऐसे
मामलों में हत्या, अपहरण, मवहलाओं के वखलाफ अपराध आकद शावमल हैं।
o आपरावधक मामलों िाले ितामान सांसदों के अवधकतम प्रवतशत िाले राज्य/ कें द्र शावसत प्रदेश: इसे राज्यों/ कें द्र शावसत प्रदेशों का िम है:
लक्षद्वीप>के रल>वबहार>महाराष्ट्र।
• 1999 में IIM6, अहमदाबाद के प्रोफे सरों के एक समूह ने ADR की स्थापना की थी।
o इसका उद्देश्य वनिााचन और राजनीवतक सुधारों के क्षेत्र में वनरं तर काया करते हुए शासन व्यिस्था में सुधार करना एिं लोकतंत्र को मजबूत करना
है।
राजनीवत के अपराधीकरण का प्रभाि
• भ्रिाचार का संस्थाित होना एिं विश्वास में कमी आना: भ्रिाचार तब उत्पन्न होता है, जब कानून के शासन (Rule of law) की अिहेलना की जाती
है और यह राजनीवत के
अपराधीकरण से संबद्ध हो जाता
है।
o रांसपेरेंसी इं र्रनेशनल द्वारा
जारी ककए िए करप्शन
पसेप्शन्स इं िेक्स, 2022 के
अनुसार भारत 180 देशों में
से 85िें स्थान पर है।
o इसके अवतररक्त, यकद
आपरावधक पृष्ठभूवम िाले
राजनेता लोक पद धारण
करते हैं, तो इससे राजनीवतक
व्यिस्था में जनता का
विश्वास कम होने लिता है।
• राजनीवतक दलों का
अपराधीकरण: ऐसा इस कारण
होता है, क्योंकक आपरावधक तत्ि
राजनीवतक दलों पर वनयंत्रण
हावसल करके उनका अपने वनजी
लाभ हेतु उपयोि करने लिते हैं।
इससे दल के आंतररक लोकतंत्र पर
भी प्रवतकू ल प्रभाि पड सकता है।
5 Analysis of Sitting MPs from Lok Sabha and Rajya Sabha of India
6 Indian Institute of Management/ भारतीय प्रबंधन संस्थान
9 www.visionias.in ©Vision IAS
• जांच और अवभयोजन एजेंवसयों7 की कायाप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाि: अपराधी और राजनेताओं के बीच सांठिांठ के कारण एजेंवसयों की कायाप्रणाली
नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है।
o 2017 में सुप्रीम कोर्ा ने अपनी एक रर्प्पणी में कें द्रीय अन्िेषण ब्यूरो (CBI) को “हपंजरे में बंद तोता” तथा “अपने मावलक की आिाज” कहा था।
• दोषवसवद्ध दर में विरािर्: सुप्रीम कोर्ा की एवमकस क्यूरी ररपोर्ा8, 2022 के अनुसार, देश भर में कानून-वनमााताओं के वखलाफ 5,097 मामले लंवबत
हैं।
चुनाि सुधारों से संबवं धत अलि-अलि आयोि/
• स्ितंत्र एिं वनष्पक्ष चुनाि पर प्रभाि: अपरावधयों द्वारा चुनािों में धन और बाहुबल के
सवमवतयां:
उपयोि के कारण चुनाि स्ितंत्र एिं वनष्पक्ष तरीके से आयोवजत नहीं हो पाते हैं।
• एन.एन. िोहरा सवमवत ररपोर्ा (1993): इस ररपोर्ा
o सेंर्र फॉर मीविया स्र्िीज के अनुसार, 2019 के लोक सभा आम चुनािों के दौरान में राजनीवत के अपराधीकरण पर यह त्य प्रकर्
लिभि 8 वबवलयन िॉलर खचा ककए िए थे। ककया िया था कक देश के अलि-अलि वहस्सों में
मौजूद आपरावधक िुर्ों, पुवलस, नौकरशाहों और
राजनीवत के अपराधीकरण को रोकने के वलए ककए िए उपाय
राजनेताओं के बीच सांठिांठ स्पि रूप से सामने
• कानूनी उपाय: लोक प्रवतवनवधत्ि अवधवनयम, 1951 की धारा 8(3) के अनुसार, कोई भी आई है।
• अन्य आयोि: संविधान के कामकाज की समीक्षा के
कानून-वनमााता (विधायक/ सांसद) वजसे कम-से-कम दो िषा के कारािास की सजा सुनाई
िई हो तो िह दोषी ठहराए जाने की वतवथ से सदन की सदस्यता के वलए अयोग्य माना वलए राष्ट्रीय आयोि (2001), दूसरा प्रशासवनक
जाएिा। साथ ही, ऐसे व्यवक्त को सजा पूरी होने की वतवथ से 6 िषा तक चुनाि लडने से सुधार आयोि (2008) आकद।
• दोवषयों के चुनाि पर आजीिन प्रवतबंध: भारतीय वनिााचन आयोि ने 2004 और 2016 में प्रकावशत प्रस्तावित चुनाि सुधारों में इसका उल्लेख ककया
था।
• हाइवब्रि वनिााचन प्रणाली: 170िें विवध आयोि की ररपोर्ा में हाइवब्रि प्रणाली के संदभा में सुझाि कदया िया था। इसके अनुसार चुनािों का आयोजन
75% फस्र्ा पास्र् द पोस्र् (FPTP) वसस्र्म तथा 25% आनुपावतक प्रणाली के माध्यम से ककए जाने की सलाह दी िई थी।
o विशेषज्ञों के अनुसार, फस्र्ा पास्र् द पोस्र् वसस्र्म प्रत्येक चुनाि में उम्मीदिारों को बडी रावश खचा करने के वलए प्रोत्सावहत करती है।
• झूठा हलफनामा दावखल करने पर दंि: विवध आयोि ने ‘चुनािी अयोग्यता’ शीषाक िाली अपनी 244िीं ररपोर्ा में सुझाि कदया था कक झूठा हलफनामा
दावखल करने पर दंि को बढाया जाना चावहए और न्यूनतम 2 िषा के कारािास की सजा दी जानी चावहए। साथ ही, ऐसे अपराध को भी अयोग्यता
का आधार बनाया जाना चावहए।
• राजनीवतक दलों में आंतररक लोकतंत्र: संविधान के कामकाज की समीक्षा के वलए राष्ट्रीय आयोि (NCRWC) की ररपोर्ा ने राजनीवतक दलों में आंतररक
लोकतंत्र के वलए एक समर्पात कानून का सुझाि कदया था।
• लोक प्रवतवनवधत्ि अवधवनयम, 1950 में संशोधन: ऐसे व्यवक्तयों को चुनाि लडने से रोका जाना चावहए, वजनके ऊपर जघन्य अपराधों के आरोप लिे
हुए हैं।
• अन्य सुधार: भारत के चुनािी तंत्र में सुधार के वलए िापस बुलाने का अवधकार (Right to recall), चुनािों में राज्य द्वारा वित्त-पोषण, त्िररत न्यावयक
प्रकिया जैसे उपाय ककए जाने की आिश्यकता है।
संबवं धत सुर्खायां
एसोवसएशन फॉर िेमोिे रर्क ररफॉम्सा (ADR) और नेशनल इलेक्शन िॉच ने ‘हेर् स्पीच से संबवं धत घोवषत मामलों िाले ितामान सांसदों/ विधायकों का विश्लेषण’
ररपोर्ा भी जारी की है।
• ररपोर्ा के मुख्य हबंद:ु कु ल 107 ितामान सांसदों (33) और विधायकों (74) ने हेर् स्पीच देने से संबंवधत मामलों की घोषणा की है।
हेर् स्पीच के बारे में
• विवध आयोि की 267िीं ररपोर्ा में कहा िया है कक “हेर् स्पीच” को भारत के ककसी भी कानून में पररभावषत नहीं ककया िया है।
o हालांकक, कु छ कानून की धाराएं (जैसे- IPC की धारा 153A, 153B ि 295A) िाक् स्ितंत्रता के अपिाद के रूप में िाक् (या स्पीच या भाषण) के
चुहनंदा रूपों पर रोक लिाती हैं।
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ा ने भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सात-न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ का िठन ककया है। यह पीठ पी.िी. नरवसम्हा
राि िाद (1998) में पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा कदए िए वनणाय पर पुनर्िाचार करे िी।
• िौरतलब है कक पी.िी. नरवसम्हा राि िाद (1998) में सुप्रीम कोर्ा द्वारा कदया िया वनणाय झारखंि मुवक्त मोचाा (JMM) ररश्वत मामले (1993) से
जुडा हुआ है। ज्ञातव्य है कक 1993 में नरवसम्हा राि सरकार ने अविश्वास प्रस्ताि से बचने के वलए कवथत तौर पर सभी दलों के कई सांसदों को ररश्वत
दी थी।
• वनणाय के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 105(2) और 194(2) के तहत सांसद ि विधायक को प्राप्त कानूनी उन्मुवक्त संसद ि विधान-मंिल में ककसी
भी भाषण या मत के वलए ररश्वत के आरोप में आपरावधक मुक़दमे से भी संरक्षण प्रदान करती है।
o सुप्रीम कोर्ा ने अब इस वनणाय पर पुनर्िाचार करने का फै सला ककया है।
▪ संविधान के अनुच्छेद 105(2) और 194(2) में यह वलखा हुआ है कक िमश: संसद ि विधान-मंिल में सांसदों ि विधायकों द्वारा कही िई
ककसी बात या कदए िए मत के संबध
ं में उनके वखलाफ ककसी न्यायालय में कोई कारा िाई नहीं की जाएिी।
• संसदीय विशेषावधकार विधावयका के सदस्यों को प्राप्त कानूनी प्रवतरक्षा है। इनके तहत कानून वनमााताओं को उनके विधायी कताव्यों के दौरान ककए िए
कु छ कृ त्यों या कदए िए बयानों के वलए वसविल या दावण्िक
दावयत्ि से सुरक्षा प्रदान की जाती है।
विशेषावधकार का उल्लंघन (Breach of privilege)
• अब तक न तो संसद और न ही ककसी राज्य विधान-मंिल ने
• यकद कोई व्यवक्त या प्रावधकारी ककसी सदस्य या सदन के संसदीय विशेषावधकार
ऐसा कोई कानून बनाया है जो सदनों, उनके सदस्यों और
की उपेक्षा करता है या उसे कमजोर करता है, तो इसे ‘विशेषावधकार का उल्लंघन’
सवमवतयों की शवक्तयों, विशेषावधकारों एिं उन्मुवक्तयों को कहा जाता है।
पररभावषत करता हो। सदन की अिमानना (Contempt of the House)
o यहां यह ध्यान कदया जाना चावहए कक संसद ने अभी तक • विशेषावधकार का उल्लंघन सदन की अिमानना से अलि होता है।
सभी विशेषावधकारों को विस्तृत रूप से संवहताबद्ध करने
• इसे ऐसे ककसी भी काया के रूप में पररभावषत ककया िया है जो-
के वलए कोई विशेष कानून नहीं बनाया है। ये
o संसद के ककसी भी सदन के काम-काज में बाधा उत्पन्न करता है, या
विशेषावधकार पांच स्रोतों पर आधाररत हैं, अथाात:्
o जो ऐसे सदन के ककसी सदस्य या अवधकारी के कताव्य के वनिाहन में बाधा
▪ संिैधावनक प्रािधान,
उत्पन्न करता है, या
▪ संसद द्वारा बनाए िए अलि-अलि कानून, o वजसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे पररणाम उत्पन्न करने की प्रिृवत्त होती
▪ दोनों सदनों के वनयम, है।”
▪ संसदीय परं पराएं, और विशेषावधकार के उल्लंघन या सदन की अिमानना के वलए सजा
• विशेषावधकारों के उल्लंघन या अिमानना के दोषी पाए िए व्यवक्त की हनंदा की
▪ न्यावयक व्याख्याएं।
जा सकती है, चेतािनी दी जा सकती है या जेल भेजा जा सकता है।
• के िल संसद को ही यह सुवनवश्चत करने का अवधकार है कक सदन
• सदन द्वारा ककसी दोषी को अिमानना के वलए वहरासत या जेल भेजने की अिवध,
के विशेषावधकारों का उल्लंघन या सदन की अिमानना हुई है
अथिा नहीं। ककसी भी न्यायालय को यह शवक्त नहीं सौंपी िई सदन के सत्र की अिवध तक सीवमत होती है।
है। • यकद सदन के सदस्य दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें सदन से वनलंवबत ककया जा
o सदन का कोई भी सदस्य सभापवत या अध्यक्ष की सहमवत सकता है या उन्हें वनष्कासन का सामना करना पड सकता है।
से विशेषावधकार हनन से जुडा प्रश्न उठा सकता है।
िे कौन-से प्रािधान हैं, जो सांसदों/ विधायकों को अवभयोजन (Prosecution) से छू र् प्रदान करते हैं?
• उपयोि: संसदीय विशेषावधकारों का दायरा तथा सीमाएं अभी तक सुवनवश्चत नहीं की िई हैं। कु छ उदाहरणों में , विशेषावधकार सांसदों को अवभयोजन
से बचाते हैं, क्योंकक जब सदन का सत्र चल रहा होता है तो दीिानी मामले शुरू नहीं ककए जा सकते हैं।
• दुरुपयोि: संसद तथा विधान-मंिल के सदस्यों द्वारा शवक्तयों और अवधकारों के दुरुपयोि के कई मामले सामने आए हैं। इसके पररणामस्िरूप नािररकों
के मूल अवधकारों का उल्लंघन हुआ है।
• वनरीक्षण का अभाि: सदन के सदस्यों को उनके विशेषावधकारों का व्यवक्तित या आवधकाररक लाभ/ वहत के वलए दुरुपयोि करने से रोकने हेतु ककसी
भी स्पि तंत्र का अभाि है।
• वनधााररत प्रकिया का अभाि: विशेषावधकार हनन के मामलों से वनपर्ने के वलए संसद ने अभी तक प्रकियाओं का कोई फ्रेमिका वनधााररत नहीं ककया
है। इस पर के िल अत्यािश्यक पररवस्थवतयों के आधार पर ही विचार होता है।
o उदाहरण के वलए- इस मत पर स्पिता का अभाि है कक क्या आरोपी को सुनिाई का मौका कदया जाना चावहए अथिा क्या उसे कानूनी प्रवतवनवधत्ि
का अवधकार कदया जाना चावहए या नहीं आकद।
• प्राकृ वतक न्याय के विरुद्ध: विशेषावधकार वनयमों का उल्लंघन िस्तुतः कानून वनमााताओं (राजनेताओं) को अपने ही मामलों का न्याय करने की अनुमवत
देता है। यह वहतों के र्कराि का कारण बनता है। यह अनुच्छे द 50 के तहत शवक्तयों के पृथक्करण के वसद्धांत का भी उल्लंघन करता है। साथ ही, यह
वनष्पक्ष सुनिाई के समथाकों के प्रवतकू ल है।
• संिैधावनकता का उल्लंघन: संवहताबद्ध विशेषावधकारों की अनुपवस्थवत सदन को यह वनधााररत करने की असीवमत शवक्त प्रदान करती है कक
विशेषावधकार का उल्लंघन कब और कै से होता है।
आिे की राह
कानून वनमााताओं को रक्षा प्रदान करना आिश्यक है। हालांकक, संविधानिाद सुवनवश्चत करने के वलए विशेषावधकारों को संवहताबद्ध करना, विशेषावधकारों
के उल्लंघन के मामले में मानक संचालन प्रकिया स्थावपत करना आकद के वलए तत्काल उपाय ककए जाने की आिश्यकता है। इसके अलािा, संसद अपने
सदस्यों द्वारा संसदीय विशेषावधकारों के दुरुपयोि की वनिरानी के वलए विवशि कानून बनाकर स्पि सीमाएं स्थावपत कर सकती है।
हाल ही में, कें द्रीय मंवत्रमंिल ने अंतरााज्यीय नदी जल वििाद (ISRWD)10 अवधवनयम, 1956 के तहत कृ ष्णा जल वििाद अवधकरण-II (KWDT-II) के
विचार के वलए कई विषयों को मंजूरी दी है।
अन्य संबवं धत त्य
• KWDT-II ‘अविभावजत’ आंध्र प्रदेश को आिंरर्त ककए िए कृ ष्णा नदी के जल को तेलंिाना और आंध्र प्रदेश के बीच वितररत करने के संबंध में वनणाय
देिा।
1.5. सािा ज वनक से िा वितरण में प्रौद्योविकी की भू वमका (Role of Technology in Public
Services Delivery)
सुर्खायों में क्यों?
भारत के वनयंत्रक एिं महालेखा परीक्षक (CAG)12 ने नािररकों को सेिा वितरण में संचार एिं सूचना प्रौद्योविकी (ICT) के उपयोि को बढाने की
आिश्यकता पर जोर कदया है।
• ‘ई-ििनामर्ें ’ एक ऐसा उपाय है वजसके जररए विवजर्ल तकनीक का इस्तेमाल कर सरकारी सेिाएं प्रदान की जाती हैं। इसमें सरकार के बीच तथा
सरकार और जनता
के मध्य सूचना एिं
संचार प्रौद्योविकी
के जररए सेिाओं
का वितरण होता
है।
• परं पराित रूप से
सरकारी सेिाएं
विवभन्न विभािों
द्वारा अलि-अलि
स्थानों पर भौवतक
उपवस्थवत
(अवधकारी आकद
को भेजकर) और
अक्सर कािजी
प्रपत्रों का उपयोि
करके पहुंचाई जाती
रही हैं।
• विवजर्ल साधनों के
जररए सरकार
नािररकों को ककसी
भी समय, कहीं भी
और ककसी भी
प्लेर्फॉमा या
वििाइस पर
जानकारी और सेिाएं प्रदान कर सकती है।
• प्रौद्योविकी के उपयोि से नािररकों को अपना काम करिाने के वलए अलि-अलि सरकारी कायाालयों में जाने और कतारों में खडे होने की आिश्यकता
नहीं होती है। इससे नािररकों के समय और धन, दोनों की बचत होती है।
o उदाहरण: ई-हस्ताक्षर सेिा नािररकों को सरकारी कायाालयों में आए वबना कानूनी रूप से स्िीकाया ऑनलाइन दस्तािेजों पर तत्काल ई-हस्ताक्षर
करने की सुविधा प्रदान करती है।
• विवजर्ल ररकॉ्सा को आसानी से साझा ककया जा सकता है तथा बाद में इस्तेमाल के वलए उन्हें बनाए रखा जा सकता है। इसके पररणामस्िरूप
सरकारी विभािों की दक्षता बढ जाती है।
o उदाहरण: सडक पररिहन और राजमािा मंत्रालय के ‘िाहन (VAHAN) प्लेर्फॉमा’ पर उपलब्ध िेर्ा को अलि-अलि राज्यों के रवजस्र्रों से एकत्र
ि प्रॉसेस ककया जाता है।
• विवजर्ल ररकॉिा को समय-समय पर अपिेर् ककया जा सकता है और लीके ज का आसानी से पता लिाया जा सकता है। इस प्रकार, यह फजी लाभार्थायों
तथा लीके ज की संभािना को काफी हद तक समाप्त कर देता है।
o उदाहरण: आधार कािा को मनरे िा के जॉब कािा से जोडने पर लाखों फजी लाभार्थायों की पहचान की िई तथा उन्हें हर्ा कदया िया।
• ककसी विशेष लेन-देन के मूल या आरं भकताा का पता उस वसस्र्म/ वििाइस से लिाया जा सकता है , जहां से यह लेन-देन शुरू ककया िया था। इससे
जिाबदेही बढती है तथा भ्रिाचार कम होता है।
o उदाहरण: नािररकों के वलए अलि-अलि प्लेर्फॉम्सा पर उपलब्ध विस्तृत जानकारी उन्हें वनयमों ि विवनयमों को बेहतर तरीके से समझने में
सहायता प्रदान करती है। साथ ही, यह उन्हें दोषी अवधकाररयों के वखलाफ वशकायत दजा करने की सुविधा भी प्रदान करती है।
• अलि-अलि स्रोतों से प्राप्त िेर्ा को आपस में जोडकर बेहतर लोक नीवतयों का वनमााण ककया जा सकता है।
o उदाहरण: पैन कािा तथा आधार कािा को आपस में हलंक करने से एक वनवश्चत आय सीमा से अवधक आय अर्जात करने िाले व्यवक्तयों का िेर्ा
एकत्र करके सरकारी राजकोष बढाने में मदद वमल सकती है। इससे कर राजस्ि में िृवद्ध के साथ-साथ काले धन में कमी लाने में भी मदद वमलती
है।
सेिा वितरण में प्रौद्योविकी के इस्तेमाल से संबवं धत चुनौवतयां
• देश में आज भी लोिों के मध्य विवजर्ल वििाइि बना हुआ है। अवधकांश लोि अभी भी विवजर्ल प्रौद्योविककयों और इनके उपयोि से अिित नहीं हो
पाए हैं।
• सरकार में कु शल कायाबल की भी कमी है। पररणामस्िरूप, उनके वलए बडे पैमाने पर प्रौद्योविकी को अपनाना करठन हो जाता है।
• साइबर सुरक्षा के समक्ष खतरा अत्यवधक हचंता का विषय है। ऐसा इसवलए, क्योंकक ये सेिाएं सरकार और जनता के महत्िपूणा िेर्ा को वनयंवत्रत भी
करती हैं।
• देश के कई सरकारी संस्थानों में पयााप्त विवजर्ल अिसंरचना का अभाि है।
• अवधकतर सेिाओं में आपसी जुडाि (Interoperability) का अभाि है। यह उन्हें सामूवहक नेर्िका के स्थान पर पृथक नेर्िका में काया करने पर वििश
करता है।
आिे की राह
• विवजर्ल साक्षरता को बढािा देना चावहए तथा समाज में इसके लाभों को स्पि करना चावहए।
• आिश्यकताओं की पूर्ता के वलए अलि-अलि कौशल कायािमों के जररए कु शल कायाबल का वनमााण करना चावहए।
• देश में िेर्ा सुरक्षा बढाने के वलए कानूनी ढांचे का वनमााण करना चावहए।
• देश में साइबर सुरक्षा अिसंरचना को मजबूत करना चावहए।
• सेिाओं के दायरे को व्यापक बनाने के वलए विवजर्ल अिसंरचना में सुधार करना चावहए तथा सेिाओं के आपसी जुडाि में िृवद्ध करनी चावहए।
हाल की कु छ ररपोट्सा से पता चलता है कक उपभोक्ता संरक्षण आयोि (CPA)13 के समक्ष लंवबत मामलों की संख्या में विरािर् आई है। कदसंबर, 2022 में
लंवबत मामलों की संख्या 5.55 लाख थी, जो वसतंबर, 2023 में घर्कर 5.45 लाख हो िई थी।
• उपभोक्ता संरक्षण अवधवनयम (CPA), 2019 के अनुसार, िह व्यवक्त उपभोक्ता कहलाता है जो ककसी िस्तु या सेिा को खरीदने या प्राप्त करने के वलए,
भुितान करता है या भुितान करने का िचन देता है, अथिा कु छ वहस्से का भुितान करता है या कु छ वहस्से का भुितान करने का िचन देता है , या
भविष्य में भुितान करने के वलए कोई अनुबंध करता है।
o यह इलेक्रॉवनक माध्यमों से या र्ेलीशॉहपंि अथिा िायरे क्र् सेहलंि या मल्र्ीलेिल माके रर्ंि के जररए खरीदे िए/ प्राप्त ऑफलाइन और ऑनलाइन
दोनों तरह के लेन-देन पर लािू होता है।
• हालांकक, यकद कोई व्यवक्त िस्तुओं को पुनः बेचने के वलए या उसका िावणवज्यक उपयोि करने के वलए खरीदता है या सेिाओं का लाभ उठाता है , तो
उसे उपभोक्ता नहीं माना जाता है। साथ ही, िह CPA, 2019 के दायरे में भी नहीं आता है।
• त्यों पर आधाररत विकल्प: बाजार में नकली/ खराब िुणित्ता िाले उत्पादों की आपूर्ता में िृवद्ध हुई है। ऐसे में CPA अपने वनयमों का पालन कराकर
उत्पादों से जुडी सूचनाओं का प्रचार-प्रसार करता है।
• CPA, 2019: यह कें द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्रावधकरण (CCPA)15 की स्थापना का प्रािधान करता है। यह उपभोक्ताओं के अवधकारों के उल्लंघन,
अनुवचत व्यापार प्रथाओं आकद से संबंवधत मामलों की देख-रे ख करता है।
• उपभोक्ता संरक्षण (वजला आयोि, राज्य आयोि और राष्ट्रीय आयोि के अवधकार क्षेत्र) वनयम16, 2021: उपभोक्ता वििादों का सरल, शीघ्र और िहनीय
समाधान प्रदान करने के वलए CPA, 2019 में राष्ट्रीय, राज्य और वजला स्तर पर 3-स्तरीय अधा-न्यावयक तंत्र के िठन का प्रािधान ककया िया है।
• कॉन्फोनेर् प्रोजेक्र् (ConfoNet Project): इसे देश में उपभोक्ता मंचों का कम्प्यूर्रीकरण करने और कं प्यूर्र नेर्िर्किं ि के वलए शुरू ककया िया है। इसे
CPA, 1986 की पृष्ठभूवम में लािू ककया िया है।
o इसका उद्देश्य उपभोक्ता संरक्षण से जुडे न्यावयक प्रशासन के काम-काज में दक्षता, समन्िय, पहुंच और िवत में सुधार करना है। साथ ही, इसके
जररए पूरे देश में उपभोक्ता वशकायत वनिारण आयोिों में ICT17 संबध
ं ी अिसंरचना की स्थापना की िई है।
• एकीकृ त वशकायत वनिारण तंत्र (INGRAM)18 पोर्ाल: इसे उपभोक्ता मामलों के विभाि के तत्िािधान में जािरूकता पैदा करने, सलाह देने और
उपभोक्ता संबध
ं ी वशकायतों का वनिारण करने हेतु विकवसत ककया िया है। इसके अवतररक्त, यह उपभोक्ता संबंधी वशकायतों को दजा करने के वलए एक
कें द्रीय रवजस्री के रूप में भी काया करता है।
• ई-दावखल पोर्ाल: यह उपभोक्ताओं को संबंवधत उपभोक्ता फोरम से आसानी से संपका करने के वलए परे शानी रवहत, त्िररत और ककफायती सुविधा
प्रदान करता है। इस सुविधा से देश भर के उपभोक्ताओं को अपनी वशकायत वनिारण के वलए यात्रा करने और शारीररक रूप से उपवस्थत होने की
आिश्यकता समाप्त हो िई है।
• प्रमाणन वचन्ह प्रदान करना (Certification markers): यह िुणित्ता मानकों के संबंध में उपभोक्ताओं को सुरक्षा प्रदान करता है तथा उनके प्रवत उन्हें
जािरूक करता है।
14 Right to know
15 Central Consumer Protection Authority
16 Consumer Protection (Jurisdiction of District Commission, State Commission and National Commission) Rules
17 Information Communication Technology/ सूचना एिं संचार प्रौद्योविकी
18Integrated Grievance Redressal Mechanism
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भारत में विवभन्न प्रमाणन वचन्ह (Certification markers)
• ककसी िावणवज्यक उत्पाद पर प्रमाणन वचन्ह को आमतौर
पर िैधता का वचन्ह या इस त्य का आश्वासन माना
जाता है कक विवनमााता ने उत्पाद का परीक्षण ककया है।
साथ ही, ऐसा वचन्ह ग्राहकों को यह संदेश देता है कक
विवनमााता ने यह सुवनवश्चत ककया है कक उत्पाद कदए िए
िुणित्ता मानकों के अनुरूप हैं।
• भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)19 भारत का राष्ट्रीय मानक
संिठन है। यह अंतरााष्ट्रीय मानकीकरण संिठन20 (ISO
मानक) और इंर्रनेशनल इलेक्रोर्ेकिकल कमीशन
(IEC) का सदस्य है।
o BIS भारत में सभी औद्योविक मानकीकरण
प्रणावलयों और औद्योविक उत्पाद प्रमाणन
प्रकियाओं को वनयंवत्रत करता है।
• लंवबत मामलों की संख्या: हालांकक, लंवबत मामलों की संख्या घर् रही है, कफर भी राज्य और कें द्र दोनों स्तरों पर लंवबत मामलों की कु ल संख्या अभी
भी बहुत अवधक है। इसके पररणामस्िरूप वशकायत वनिारण हेतु प्रतीक्षा अिवध बढ जाती है और वििाद समाधान में देरी होती है।
• संस्थानों में ररक्त पद: देश के कई उपभोक्ता फोरम (जैसे- पुण,े कदल्ली आकद) में अिसंरचना और मानि शवक्त दोनों की कमी है, वजससे उपभोक्ता
वशकायतों का समाधान करने में करठनाई आती है।
• भूवमकाओं और शवक्तयों के संबंध में स्पिता का अभाि: जांच, पूछताछ और तलाशी एिं जब्ती जैसे कायों के संबंध में कें द्रीय उपभोक्ता संरक्षण
प्रावधकरण (CCPA) की भूवमका में स्पिता की कमी बनी हुई है।
o इसके अलािा, उत्पादों को िापस लेने या विवनमााताओं को दंवित करने हेतु जांच के मामलों में CCPA के अवधकारों का दायरा स्पि नहीं है।
• अवधकार बनाम कताव्य: उपभोक्ता संरक्षण का मूल उद्देश्य जािरूक उपभोक्तािाद का विकास करना तथा उपभोक्ताओं को उनके वहतों की रक्षा करने
के प्रवत उनकी वजम्मेदारी का एहसास कराना है। हालांकक, CPA अनन्य रूप से के िल उपभोक्ताओं के कताव्यों/ वजम्मेदाररयों को वनधााररत नहीं करता
है।
आिे की राह
• विज्ञापन: विज्ञापनों में दी िई जानकारी को विवनयवमत करने हेतु विज्ञापन कोि और मानक विकवसत करने के वलए सरकारों को विवनमााताओं,
वितरकों और उपभोक्ता संिठनों के साथ सहयोि करना चावहए।
1.7. अनु सू वचत जनजावत और अन्य परं प राित िन वनिासी (िन अवधकारों की मान्यता) अवधवनयम,
2006 या िन अवधकार अवधवनयम (FRA) {Scheduled Tribes and other Traditional
Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Act, 2006 or Forest Right Act
(FRA)}
सुर्खायों में क्यों?
इस अवधवनयम के लािू होने से पहले के कानूनों में िनों के साथ अनुसूवचत जनजावतयों
(STs) के पारस्पररक संबंधों और िनों पर उनकी वनभारता को कानूनी मान्यता नहीं दी िई
थी।
• FRA की धारा 3(1)(a) िन में वनिास करने िाले जनजातीय समुदायों (FDSTs)21
और अन्य परं पराित िनिावसयों (OTFDs)22 को वनिास के वलए या जीविका के वलए
स्ियं खेती करने हेतु िन भूवम को धाररत करने और उसमें रहने का अवधकार देती है।
• FRA अवधवनयम की धारा 3 के तहत अवधकारों के प्रकार:
o व्यवक्तित िन अवधकार (Individual Forest Rights: IFR): इसके अंतिात
व्यवक्तित या साझा रूप में िन भूवम पर वनिास करने या जीविका हेतु स्ियं-खेती
करने का अवधकार प्रदान ककया िया है।
o सामुदावयक िन अवधकार (Community Forest Rights: CFR): यह िन-वनिासी समुदायों के सभी प्रथाित और परं पराित 23 भूवम उपयोि
अवधकारों को पुनबाहाल करने का प्रािधान करता है।
▪ ध्यातव्य है कक इस अवधकार का प्रयोि िांि की परं पराित या प्रथाित सीमाओं के भीतर ककया जाएिा, भले ही िनों का स्िावमत्ि, ििीकरण
और आकार जैसा भी हो।
o सामुदावयक िन संसाधन प्रबंधन अवधकार (Community forest resource management rights): इसके तहत िांि की सीमा के भीतर या
बाहर पारं पररक रूप से संग्रह ककए जाने िाले लघु िनोपजों24 के स्िावमत्ि, संग्रह करने के वलए पहुंच, उनका उपयोि और वनपर्ान का अवधकार
प्रदान ककया िया है।
25 Sub-Division-Level Committee
26District-Level Committee
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• अवधवनयम से संबवं धत अन्य हचंताएं:
o िन भूवम का अवतिमण: 13 कदसंबर, 2005 (मान्यता की कर्-ऑफ वतवथ) के बाद ककए िए अवतिमणों को वनयवमत करने और अपात्र व्यवक्तयों
के दािों को मंजूरी देने के वलए ग्राम सभा का दुरुपयोि ककया जा सकता है।
▪ जब आिेदन खाररज हो जाता है, तो आिेदक आिे अपील दायर करता है। इस तरह मामला िषों तक चलता रहता है और िन भूवम पर
अवतिमण िषों तक बना रहता है।
o FRA प्रािधानों का उल्लंघन: पहले, संयुक्त िन प्रबंधन (JFM)27 सवमवतयों या पंचायत संस्थाओं के नाम पर अव्यिवस्थत तरीके से भूवम पर
मावलकाना हक़ जारी ककए जाते थे।
▪ उदाहरण के वलए- महाराष्ट्र के िोंकदया वजले के देिरी तालुका में 10 िांिों को CFR संबंधी मावलकाना हक़ कदया िया था। हालांकक, बाद
में पता चला कक वजला स्तरीय सवमवत (DLC) ने ग्राम सभा के बजाय पंचायत के नाम पर मावलकाना हक़ कदया था।
o समन्िय की कमी: इस अवधवनयम के अनुसार- अनुमंिल स्तरीय सवमवत (SDLC), DLC और राज्य स्तरीय वनिरानी सवमवत में राज्य सरकार
के राजस्ि, िन और जनजातीय काया विभािों के अवधकारी शावमल होंिे।
▪ हालांकक, इन विभािों के बीच अवधवनयम के उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु समन्िय की कमी देखी जाती है।
o िनों और िन्यजीिों को नुकसान: पयाािरण संरक्षण से जुडे कई विशेषज्ञों ने हचंता जताई है कक FRA अवधवनयम द्वारा भूवम अवधकारों को स्िीकार
करने और लघु िनोपज के उपयोि की अनुमवत देने के कारण, िन की जैि विविधता कम हो सकती है।
▪ कई मामलों में, िन भूवम पर िृक्ष कार् कदए जाते हैं और कफर FRA के तहत उन पर स्िावमत्ि के अवधकार का दािा ककया जाता है।
आिे की राह
• राज्यों को वनदेश जारी करना: FRA अवधवनयम के तहत, कें द्र सरकार को राज्यों को वनदेश देने की शवक्त है। कें द्र सरकार इस शवक्त का प्रयोि कर
राज्यों को यह वनदेश जारी कर सकती है िे यह देखें कक अवधक संख्या में दािे क्यों खाररज हो रहे हैं।
• अन्य राज्यों के उदाहरणों से सीखना: एक ऐसा ही उदाहरण ओविशा सरकार की ‘मो जंिल जामी योजना (MJJY)’ है। इसमें लाभार्थायों को भूवम का
स्िावमत्ि कदलाने और िन संसाधनों तक पहुंच सुवनवश्चत कराने की योजना बनाई िई है।
• जािरूकता बढाना: ग्राम सभाओं, िन अवधकार सवमवतयों (FRCs) एिं IFR/ CFR दािेदारों के बीच FRA और इसके वनयमों ि विवनयमों के बारे
में जािरूकता बढाने की आिश्यकता है।
• ग्राम सभा का क्षमता वनमााण: चूकं क ग्राम सभा िन भूवम दािों को स्िीकार करने िाला प्राथवमक प्रावधकरण है, इसवलए प्रवशक्षण के माध्यम से ग्राम
सभाओं की क्षमता में सुधार करने पर ध्यान कदया जाना चावहए। इसके वलए प्रभािी तरीके से स्थानीय नौकरशाही की मदद लेने पर भी ध्यान कें कद्रत
ककया जाना चावहए।
• अन्य: िन भूवम संबंधी दािों के वनणाय में मवहलाओं को शावमल ककया जाना चावहए। इसमें नािररक समाज की भूवमका भी बढाई जा सकती है ,
इत्याकद।
1.8.1. िै र -कानू नी िवतविवधयां (रोकथाम) अवधवनयम 1.8.2. प्रथम सू च ना ररपोर्ा (FIR) का ऑनलाइन
(UAPA), 1967 के तहत ‘िै र -कानू नी सं ि ठन’ पं जीकरण {Online Registration of First
(‘Unlawful Association’ Under UAPA, Information Reports (FIR)}
1967)
• विवध आयोि ने अपनी 282िीं ररपोर्ा कानून और न्याय मंत्रालय
• िृह मंत्रालय ने UAPA, 1967 के तहत ‘जम्मू एंि कश्मीर
को सौंप दी है। इस ररपोर्ा का शीषाक है- ‘ऑनलाइन माध्यम से
िेमोिे रर्क फ्रीिम पार्ी’ को “िैर-कानूनी संिठन” घोवषत ककया
प्राथवमकी दजा करने के वलए दंि प्रकिया संवहता, 1973 की धारा
है।
• UAPA, 1967 को व्यवक्तयों और संिठनों की कु छ िैर-कानूनी 154 में संशोधन।’
िवतविवधयों की प्रभािी रोकथाम हेतु अवधवनयवमत ककया िया o दंि प्रकिया संवहता, 1973 की धारा 154 में ककसी संज्ञय
े
था। साथ ही, यह अवधवनयम आतंकिादी िवतविवधयों और उनसे अपराध के घरर्त होने पर प्राथवमकी दजा करने की प्रकिया
जुडे मामलों से वनपर्ने से भी संबंवधत है। का उल्लेख ककया िया है।
• इस अवधवनयम के कु छ मुख्य प्रािधान:
• ररपोर्ा में की िई मुख्य वसफाररशें:
o इस अवधवनयम के तहत ककए िए अपराध संज्ञेय
(Cognizable) होते हैं, अथाात् वबना िारं र् के भी विरफ्तारी o e-FIR को चरणबद्ध तरीके से लािू ककया जाना चावहए।
की जा सकती है। ▪ ऐसे सभी संज्ञय
े अपराधों के मामले में e-FIR दजा करने
o दंि: इसमें मृत्युदंि या आजीिन कारािास का प्रािधान ककया
की अनुमवत दी जानी चावहए, जहां आरोपी के बारे में
िया है। इसके अवतररक्त, यकद ऐसे कृ त्य के पररणामस्िरूप
पता नहीं है या आरोपी के बारे में पता है और उसे 3 साल
ककसी व्यवक्त की मृत्यु हो जाती है, तो सजा के साथ-साथ
जुमााना भी लिाया जा सकता है। तक की जेल की सजा हो सकती है।
o िैर-कानूनी संिठन: o राज्यों के पास अपराधों की सूची का विस्तार करने की शवक्त
▪ ककसी संिठन को िैर-कानूनी घोवषत करना: कें द्र होनी चावहए।
सरकार विशेष आधारों को स्पि करके ककसी भी संिठन o पक्षकारों के वनजता के अवधकार की सुरक्षा सुवनवश्चत की जानी
को िैर-कानूनी घोवषत कर सकती है। इसकी अवधसूचना चावहए।
आवधकाररक िजर् में जारी की जाती है। o मुखवबर/ वशकायतकताा का सत्यापन ककया जाना चावहए और
▪ अवधकरण की अवधकार सीमा: ककसी भी संिठन के िैर- झूठी सूचना देने के वलए सजा का प्रािधान ककया जाना
कानूनी घोवषत होने के 30 कदनों के भीतर अवधसूचना चावहए।
अवधकरण को रे फर की जानी चावहए। o सभी िैर-संज्ञेय अपराधों के मामले में ई-वशकायत दजा करने
o अवधकरण में के िल एक सदस्य (उच्च न्यायालय का न्यायाधीश) की अनुमवत दी जानी चावहए।
होता है।
▪ वशकायत का अथा इस संवहता के तहत कारा िाई करने के
▪ कें द्र को प्रदत्त अन्य शवक्तयां:
वलए मवजस्रेर् के समक्ष मौवखक या वलवखत रूप से िर्णात
✓ ककसी िैर-कानूनी संिठन द्वारा उसके धन के उपयोि
कोई भी आरोप है।
पर रोक लिाना।
o क्षमता वनमााण पर ध्यान देने की जरूरत है।
✓ ककसी िैर-कानूनी संिम (Association) के उद्देश्य
• e-FIR का महत्त्ि:
के वलए उपयोि ककए जाने िाले स्थानों को
अवधसूवचत करना। o नािररक ककसी अपराध की प्राथवमकी आसानी से और कु शलता
o आतंकिादी कृ त्य: से दजा करा सकते हैं।
▪ पररभाषा: इसमें भारत की एकता, अखंिता, सुरक्षा या o वशकायतकताा अपनी वशकायतों पर हो रही कारा िाई को समय-
संप्रभुता को खतरे में िालना अथिा भारत में या ककसी समय पर ऑनलाइन देख सकते हैं।
विदेश में आतंकिादी हमला करने के इरादे से ककया िया o इससे पुवलस स्र्ेशन में लोिों के आने की संख्या को कम करने
कोई भी कृ त्य शावमल है। में मदद वमलेिी।
▪ आतंकिाद से प्राप्त आय को जब्त करना: ऐसा जांच
अवधकारी द्वारा नावमत प्रावधकारी की पूिा अनुमवत से
ककया जा सकता है।
7 अक्र्ूबर को हमास के लडाकों ने “ऑपरे शन तूफान अल-अक्सा (अल-अक्सा फ्लि)” के तहत इज़रायल पर अचानक एक बडा हमला कर कदया था।
इज़रायल ने इस हमले के प्रवतशोध में हमास के वखलाफ युद्ध की घोषणा कर दी।
• ऑपरे शन तूफान अल-अक्सा यहकदयों के पवित्र कदन सब्त (Sabbath) के कदन शुरू ककया िया था। सब्त यहकदयों का उपासना और अिकाश का कदन
होता है।
• हमास ने मात्र 20 वमनर् में इज़रायल पर कफवलस्तीन में मौजूद अन्य संिठन
• फतह (Fatah): यह एक धमावनरपेक्ष राष्ट्रिादी संिठन है। इसका िठन 1948 के इज़रायली-अरब
5,000 रॉके र् दािे थे। इसके कारण इज़रायल
युद्ध के बाद 1950 के दशक के अंत में कु िैत में ककया िया था। इस संिठन के प्रमुख संस्थापक
का आयरन िोम नामक िायु रक्षा प्रणाली इन
हमलों को पूरी तरह से रोक नहीं पाया था। यावसर अराफात थे। इसका उद्देश्य इज़रायल के वखलाफ सशस्त्र संघषा के जररए कफवलस्तीन को मुक्त
o हिाई हमलों से बचने के वलए इज़रायल कराना था।
• कफवलस्तीन मुवक्त संिठन (Palestine Liberation Organisation: PLO): 1964 में कावहरा
ने 2011 में आयरन िोम का विकास
ककया था। यह शॉर्ा-रें ज की िायु रक्षा (वमस्र) में आयोवजत अरब लीि वशखर सम्मेलन में PLO की पररकल्पना की िई थी। इस संिठन
प्रणाली है। का एकमात्र लक्ष्य सशस्त्र संघषा के जररए कफवलस्तीन को मुक्त कराना है।
o आयरन िोम इज़रायल की सबसे उन्नत o PLO को अरब लीि और संयक्त
ु राष्ट्र महासभा ने आवधकाररक तौर पर “कफवलस्तीनी लोिों
ि ‘कम दूरी की तथा जमीन से हिा में के एकमात्र िैध प्रवतवनवध” के रूप में मान्यता दी हुई है।
मार करने िाली’ िायु रक्षा प्रणाली है। o यावसर अराफात के नेतृत्ि में और 1967 के अरब-इज़रायल युद्ध के बाद, फतह PLO में एक
▪ इस प्रणाली में शावमल हैं- एक मुख्य दल बन िया था।
विर्े क्शन और रैफकं ि रिार, एक o 1990 के दशक की शुरुआत में, फतह के नेतत्ृ ि िाले PLO ने आवधकाररक तौर पर घोषणा
युद्ध प्रबंधन ि हवथयार वनयंत्रण की कक िे अपने सशस्त्र प्रवतरोध को त्याि देंि।े साथ ही, िाताा के माध्यम से र्ू -स्र्ेर् समाधान
प्रणाली तथा तामीर इं र्रसेप्र्र को लािू करने का प्रयास करें िे। इन्हीं घर्नाओं के कारण हमास का उदय हुआ।
वमसाइलें। • राष्ट्रीय कफवलस्तीनी अथॉररर्ी (Palestinian Authority: PA): ओस्लो समझौते के तहत जुलाई,
▪ यह 70 ककलोमीर्र की रें ज में आने
1994 में कफवलस्तीनी अथॉररर्ी की स्थापना की िई थी। इसे िाजा और िेस्र् बैंक (पूिी यरुशलेम
िाले ककसी भी रॉके र्, वमसाइल या को छोडकर) के कु छ वहस्सों पर सीवमत स्िशासन के वलए एक अंतररम वनकाय के रूप में िरठत
मानि रवहत हिाई िाहन (UAVs) ककया िया था। इसे तब तक काया करना था, जब तक कक इज़रायल-कफवलस्तीन संघषा का आपसी
को रै क कर के नि कर सकती है। सहमवत से पूणा समाधान नहीं हो जाता।
o इज़रायल ने अपने ऊपर हुए हमले के o ओस्लो समझौता PLO और इज़रायल सरकार के बीच हुआ था। इस समझौते का लक्ष्य र्ू -
जिाब में िाजा पट्टी में हमास के लडाकों
स्र्ेर् समाधान को अमल में लाकर दशकों के संघषा को समाप्त करना था।
के वखलाफ ऑपरे शन “आयरन स्िॉ्सा” o कफवलस्तीनी अथॉररर्ी PLO की एक एजेंसी के रूप में काया करती है। उल्लेखनीय है कक PLO
शुरू ककया है। अंतरााष्ट्रीय वनकायों में कफवलस्तीवनयों का प्रवतवनवधत्ि करता है।
o इस युद्ध के बीच भारत ने इज़रायल में
o इसका नेतृत्ि प्रत्यक्ष तौर पर वनिाावचत प्रेवसिेंर् द्वारा ककया जाता है, जो एक प्रधान मंत्री
फं से अपने नािररकों को सुरवक्षत
और सरकार की वनयुवक्त करता है। प्रधान मंत्री और सरकार को वनिाावचत विधान पररषद का
वनकालने के वलए “ऑपरे शन अजय” समथान प्राप्त होना आिश्यक है।
संचावलत ककया है। • ितामान में, कफवलस्तीनी अथॉररर्ी िेस्र् बैंक के कु छ वहस्सों को वनयंवत्रत करती है और इसके प्रमुख
हमास (HAMAS) के बारे में महमूद अब्बास हैं। महमूद अब्बास PLO और फतह के प्रमुख के रूप में भी काया कर रहे हैं।
• हमास या इस्लावमक रे वजस्र्ेंर् मूिमेंर् की स्थापना 1987 में हुई थी। यह िाजा, िेस्र् बैंक और पूिी यरुशलेम पर इज़रायल के कब्जे का विरोध करने
के वलए शुरू हुए पहले इं वतफादा (कफवलस्तीनी विद्रोह) के पररणामस्िरूप शुरू हुआ था।
• 2005 में इज़रायल सैन्य ि असैन्य दोनों स्तरों पर िाजा से बाहर वनकल िया था। इज़रायल के हर्ने के तुरंत बाद हमास िाजा में िास्तविक प्रवतवनवध/
प्रावधकरण बन िया था।
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• हमास, इज़रायल को मान्यता नहीं देता है। यह संिठन इज़रायल के वखलाफ सशस्त्र प्रवतरोध और इज़रायल के स्थान पर एक इस्लामी कफवलस्तीनी
राष्ट्र के वनमााण के वलए प्रवतबद्ध है।
• संयुक्त राज्य अमेररका, यूरोपीय संघ, इज़रायल आकद ने हमास को एक आतंकिादी संिठन घोवषत कर रखा है।
• ितामान में जारी युद्ध के मूल कारण 75 साल पहले इज़रायल राष्ट्र की स्थापना से पहले से मौजूद हैं। उल्लेखनीय है कक भूवम के वजस भाि पर इज़रायल
राष्ट्र का वनमााण हुआ है, कफवलस्तीनी भी उसी भूवम पर अपनी मातृभवू म के रूप में दािा करते हैं।
• कफलीस्तीनी (अरब) और इज़रायली (यहदी) समान रूप से जॉिान नदी एिं भूमध्य सािर के बीच के क्षेत्र पर अपना-अपना दािा करते हैं।
o इस संघषा का कें द्र हबंदु यरुशलेम शहर है। यरुशलेम शहर तीन प्रमुख इब्राहीम धमों (यहदी, इस्लाम और ईसाई) के वलए अत्यवधक महत्त्ि रखता
है। यरुशलेम शहर में मौजूद वििाकदत स्थल-
▪ अल-अक्सा मवस्जद: यह इस्लाम धमा में तीसरा सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। यह िह स्थान है, जहां से पैिंबर मुहम्मद जन्नत िए थे।
▪ पवश्चमी दीिार: यह सबसे पवित्र यहदी स्थल है। यह उस पवित्र पररसर के वनकर् वस्थत है, वजसे यहदी र्ेम्पल माउं र् कहते हैं।
▪ चचा ऑफ द होली सेपल्कर: यह चचा ईसाई धार्माक मान्यताओं के कें द्र में है। कई ईसाइयों का मानना है कक यह चचा उस स्थान को इंवित
करता है जहां यीशु को िू स पर चढाया िया था, दफनाया िया था और िे पुनजीवित हुए थे।
• कफवलस्तीन के मुद्दे का कें द्र में आना: अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर होने के साथ ही कई अरब देश तेजी से इज़रायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने
की कदशा में आिे बढ रहे थे। ऐसा देखा िया कक अरब-इज़रायल संबध
ं ों में सुधार होने के कारण कफवलस्तीन का मुद्दा िौण होता जा रहा है।
o हावलया संघषा ने इस त्य की पुवि की है कक मध्य-पूिा के क्षेत्र में शांवत और वस्थरता सुवनवश्चत करने के वलए कफवलस्तीन के मुद्दे का समाधान
करना अवत आिश्यक है।
• इज़रायल-कफवलस्तीन संबध ं :
o शांवत िाताा: मौजूदा संघषा अनजाने में हमास की वस्थवत को मजबूत कर सकता है और िेस्र् बैंक में कफवलस्तीनी अथॉररर्ी की वस्थवत को कमजोर
कर सकता है। इससे इज़रायल और कफवलस्तीन के बीच शांवत िाताा पर नकारात्मक प्रभाि पड सकता है।
o िाजा में इज़रायल की भािीदारी: 2005 में, इज़रायवलयों ने एक विसएंिेजमेंर् प्लान के अनुसार स्िेच्छा से िाजा छोडने का फै सला ककया था।
▪ हालांकक, अब इज़रायली प्रधान मंत्री ने कहा है कक िाजा में इज़रायल की भूवमका अवनवश्चत काल तक ‘समग्र सुरक्षा’ प्रदाता के रूप में बनी
रहेिी।
• क्षेत्रीय अवस्थरता: सऊदी अरब ने इज़रायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने पर होने िाली िाताा को संभित: वनलंवबत कर कदया है।
o बहरीन ने भी इज़रायल से अपने राजदूत को िापस बुला वलया है, जबकक बोलीविया ने आवधकाररक तौर पर इज़रायल के साथ अपने राजनवयक
संबंध समाप्त कर कदए हैं।
o इससे वमस्र, जॉिान और अरब देशों के साथ इज़रायल के संबंधों में तनाि बढ िया है। यह युद्ध को जल्द-से-जल्द समाप्त करने तथा बंधकों एिं युद्ध
बंकदयों की ररहाई की संभािनाओं को प्रभावित कर सकता है।
• आर्थाक: मौजूदा संघषा िैवश्वक और क्षेत्रीय अथाव्यिस्थाओं को प्रभावित कर सकता है। िैवश्वक अथाव्यिस्था पहले ही रूस-यूिेन युद्ध और महामारी से
प्रेररत मुद्रास्फीवत से जूझ रही है।
o िैवश्वक कमोविर्ी (िस्तु/ हजंस) बाजार: यकद इज़रायल-हमास संघषा लंबे समय तक चलता है, तो इसका असर तेल की कीमतों पर भी पड सकता
है। इससे कमोविर्ी बाजार में बाधाएं उत्पन्न हो सकती
हैं। ऐसा इसवलए, क्योंकक िैवश्वक स्तर पर तेल उत्पादन
में ओपेक (OPEC) देशों की लिभि 32% वहस्सेदारी
है।
o व्यापार: युद्ध का असर स्िेज नहर से होने िाले व्यापार
पर भी पड सकता है। स्िेज नहर, एवशया और यूरोप के
बीच एक प्रमुख समुद्री मािा है। मूल्य के वहसाब से इस
नहर के जररए िैवश्वक व्यापार का लिभि 12% भाि
पूरा होता है।
▪ इस संघषा के पूरे मध्य-पूिा में फै लने से होमुज
ा
जलिमरूमध्य के जररए होने िाला व्यापार खतरे
में पड सकता है। िैवश्वक तेल व्यापार का लिभि
20% भाि होमुाज जलिमरूमध्य के जररए पूरा
होता है।
▪ संघषा में ईरान के शावमल होने से भू-आबद्ध मध्य
एवशया के साथ व्यापार बावधत हो सकता है। मध्य
एवशया कृ वष उत्पादों, कच्चे माल और खवनजों का एक प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है।
o उिारक आपूर्ता: िाजा के ठीक उत्तर में अिवस्थत इज़रायल का अशदोद बंदरिाह पोर्ाश उिारक के वनयाात का एक प्रमुख कें द्र है। िैवश्वक पोर्ाश
आपूर्ता का 3% इसी बंदरिाह के माध्यम से पूरा होता है।
▪ अत: युद्ध के प्रसार से िरीब देशों में खाद्य असुरक्षा बढ सकती है। ऐसा इसवलए, क्योंकक पोर्ाश फसलों की िृवद्ध के वलए बहुत महत्िपूणा
उिारक है।
• मानिीय संकर्: युद्ध के पररणामस्िरूप कवथत तौर पर मानि जीिन के समक्ष खतरा पैदा हो िया है। युद्ध से िाजा में पानी, वबजली, ईंधन, भोजन
और वचककत्सा आपूर्ता प्रभावित हुई है। साथ ही बडी संख्या में मानिीय क्षवत भी हुई है।
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इज़रायल-हमास संघषा का भारत पर प्रभाि
• आर्थाक: भारत से इज़रायल को ककया जाने िाला वनयाात प्रभावित हो सकता है, विशेषकर तब जब इज़राइली बंदरिाहों पर पररचालन बावधत हो
जाएिा। वजन क्षेत्रकों पर सबसे ज्यादा नकारात्मक प्रभाि पडेिा, उनमें पेरोके वमकल्स, ऑयल माके रर्ंि, पेंट्स, पैकेहजंि, कपडा, रसायन आकद शावमल
हैं।
• भू-सामररक: इज़रायल और अरब देशों के बीच संबंधों के सामान्य होने से भारत इज़रायल-कफवलस्तीन मुद्दे पर भारत का रुख
• पवश्चम एवशया के साथ भारत के सामररक वहत जुडे हुए हैं।
को अपनी िैवश्वक एिं आर्थाक वस्थवत को मजबूत करने का अनूठा अिसर प्राप्त
भारत की ऊजाा सुरक्षा हेतु यह क्षेत्र महत्िपूणा है। इसके
हुआ है। इस कारण भारत इस क्षेत्र में ककसी भी तरह के संघषा का प्रबल विरोध
अवतररक्त प्रिासी भारतीयों की उपवस्थवत, व्यापार, वनिेश
करता है।
आकद को देखते हुए भी इस क्षेत्र में शांवत बहुत आिश्यक है।
• कनेवक्र्विर्ी संबंधी प्रयास: युद्ध ने भारत-मध्य पूि-ा यूरोप आर्थाक िवलयारा • इसी आधार पर भारत र्ू -स्र्ेर् समाधान का समथान करता है।
(IMEC)28 पररयोजना पर नकारात्मक प्रभाि िाला है। IMEC की घोषणा हाल o आरं भ में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कफवलस्तीन के विभाजन
ही में भारत, सऊदी अरब, अमेररका और संयुक्त अरब अमीरात ने की थी। की योजना और इज़रायल के प्रिेश के वखलाफ मतदान
ककया था।
o इस िवलयारे का उद्देश्य भारत, संयक्त
ु अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉिान,
o भारत ने 1950 में औपचाररक रूप से इज़रायल को
इज़रायल और यूरोप के बीच िावणज्य, ऊजाा एिं िेर्ा के आिािमन को
मान्यता दी थी और 1992 में उसके साथ पूणा राजनवयक
सुविधाजनक बनाना है। संबंध स्थावपत ककए थे।
वनष्कषा o 2017 से भारत इज़रायल और कफवलस्तीन दोनों के
इज़रायल और हमास के बीच मध्यस्थता संघषा के मूल कारणों का पूरी तरह से समाधान मामले में ‘िी-हाइफनेशन नीवत’ का पालन कर रहा है।
नहीं कर सकती है। कफवलस्तीनी शरणार्थायों और यरुशलेम की वस्थवत जैसे मुद्दों का इस नीवत के तहत भारत ने इज़रायल और कफवलस्तीन
समाधान करना भी आिश्यक है। इज़रायल और हमास के बीच शांवत दोनों पक्षों की दोनों के साथ अलि-अलि स्ितंत्र संबंध स्थावपत ककए
िाताा में शावमल होने की इच्छा और बदलते क्षेत्रीय पररदृश्य के साथ-साथ अंतरााष्ट्रीय हैं।
स्तर पर नेतृत्िकतााओं की भूवमका पर भी वनभार करती है।
हाल ही में, हमास ने चौथे अरब-इज़रायल युद्ध (1973) की 50िीं िषािांठ पर इज़रायल पर हमला ककया। िौरतलब है कक चौथे अरब-इज़रायल युद्ध को
योम ककप्पुर युद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
• प्रथम अरब-इज़रायल युद्ध (1948): इज़रायल द्वारा एक स्ितंत्र राष्ट्र की घोषणा के तुरंत बाद अरब देशों के िठबंधन और कफवलस्तीनी िुर्ों ने उस पर
हमला कर कदया था। इसका कारण यह था कक अरब देश कफवलस्तीनी दािे िाली भूवम पर यहदी राष्ट्र की स्थापना और संयक्त
ु राष्ट्र (UN) के कफवलस्तीन
को दो अलि-अलि देशों में विभावजत करने के प्रस्ताि के वखलाफ थे।
o प्रथम अरब-इज़रायल युद्ध के बाद इज़रायल ने कफवलस्तीन के दािे िाले क्षेत्र के एक बडे वहस्से पर कब्जा कर वलया था और बडी संख्या में
कफवलस्तीवनयों को उनकी भूवम से बाहर कर कदया था।
o कफवलस्तीवनयों के इस जबरन वनष्कासन को अरबी भाषा में “नकबा” या “तबाही” कहा जाता है।
• दूसरा अरब-इज़रायल युद्ध (स्िेज युद्ध) (1956): स्िेज युद्ध में एक तरफ इज़रायल, वब्रर्ेन और फ्रांस की सेनाएं थीं, तो दूसरी तरफ वमस्र ि उसके
सहयोिी देशों की सेनाएं थीं।
o इस युद्ध के कारण मध्य-पूिा में वब्ररर्श और फ्रांसीसी प्रभाि को धक्का पहुाँचा। साथ ही, संयुक्त राज्य अमेररका सबसे प्रभािशाली शवक्त के रूप में
उभर कर सामने आया।
• तीसरा अरब-इज़रायल युद्ध (छह कदिसीय युद्ध) (1967): इस छह कदिसीय युद्ध की शुरुआत वमस्र और सीररया पर इज़रायली हिाई हमले से हुई थी।
साथ ही, इज़रायल ने वमस्र, जॉिान एिं सीररया के वखलाफ जमीनी हमले भी आरं भ कर कदए थे।
o युद्ध के दौरान इज़रायल ने वमस्र के वसनाई प्रायद्वीप और िाजा पट्टी, जॉिान के िेस्र् बैंक एिं पूिी यरुशलेम तथा सीररया के िोलन हाइट्स पर
अवधकार कर वलया था।
• अक्र्ू बर 1973 में, वमस्र और सीररया के नेतत्ृ ि में अरब राष्ट्रों के एक िठबंधन ने यहकदयों के पवित्र कदन ‘योम ककप्पुर कदिस’ पर इज़रायल पर एक
आश्चयाजनक एिं संयुक्त हमला कर कदया था।
• युद्ध का उद्देश्य: वपछले तीन युद्धों के विपरीत वमस्र और सीररया ने यह युद्ध कफवलस्तीवनयों के समथान में नहीं ककया था। यह युद्ध 1967 के छह-
कदिसीय युद्ध में इज़रायल द्वारा अवधकार कर वलए िए अपने-अपने क्षेत्रों को कफर से प्राप्त करने की आशा से ककया िया था।
• महाशवक्तयों की भािीदारी: अमेररका ने इस युद्ध में इज़रायल का समथान ककया और सोवियत संघ ने वमस्र ि सीररया का समथान ककया। इसके कारण
परमाणु हवथयारों से संपन्न विश्व के दो राष्ट्रों के बीच तनाि बढ िया।
• युद्ध विराम: संयक्त
ु राष्ट्र के प्रयासों से युद्ध विराम लािू हुआ।
• कै म्प िेविि समझौता (1978): यह समझौता अमेररका की मध्यस्थता में वमस्र और इज़रायल के बीच हुआ था। इस समझौते ने दोनों देशों के बीच एक
ऐवतहावसक शांवत संवध को संपन्न ककया।
o आवधकाररक तौर पर इस शांवत समझौते का शीषाक “मध्य पूिा में शांवत का फ्रेमिका 30” था। इस समझौते के दो भाि थे-
▪ पहला: इज़रायल-वमस्र समझौता था, जो उनके बीच वद्वपक्षीय वििाद को समाप्त करने से संबंवधत था; और
29 The Three No's' resolution (i.e., no peace with Israel, no recognition of Israel, and no negotiations with Israel)
30Framework for Peace in the Middle East
31 www.visionias.in ©Vision IAS
▪ दूसरा: यह कफवलस्तीवनयों के साथ इज़रायल के संघषा को समाप्त करने एिं अरब के अन्य पडोसी देशों के साथ उसके वििादों का समाधान
करने हेतु वसद्धांतों को वनधााररत करने िाले एक फ्रेमिका से संबंवधत था।
o वमस्र के राष्ट्रपवत अनिर सादात और इज़रायली प्रधान मंत्री मेनके म वबविन को इस समझौते में उनके योिदान के वलए 1978 में शांवत के नोबेल
पुरस्कार से सम्मावनत ककया िया था।
• ओस्लो समझौता (1993): यह समझौता इज़रायल और कफवलस्तीन मुवक्त संिठन (PLO) के बीच हुआ था। इस समझौते ने िेस्र् बैंक के प्रशासवनक
मामलों के प्रबंधन के वलए कफवलस्तीनी प्रावधकरण की स्थापना की थी।
o बदले में, PLO ने र्ू-स्र्ेर् समाधान के आधार पर इज़रायल को मान्यता प्रदान की।
• जॉिान-इज़रायल शांवत संवध (1994): इस संवध के बाद जॉिान (वमस्र के बाद) इज़रायल के साथ शांवत स्थावपत करने िाला दूसरा अरब देश बन िया।
इस संवध के माध्यम से क्षेत्रीय वििादों को सुलझाया िया तथा जॉिान और इज़रायल के बीच राजनवयक संबंधों ि आर्थाक सहयोि को शुरू ककया िया।
o इज़रायल ने यरुशलेम में (विशेष रूप से िहां मौजूद इस्लामी पवित्र स्थलों और संस्थानों के संबंध में) जॉिान की महत्िपूणा ऐवतहावसक भूवमका
को स्िीकार ककया।
• अरब शांवत पहल (2002): इस पहल को सऊदी अरब ने प्रस्तावित ककया था। इसमें इज़रायल के साथ संबध
ं ों को सामान्य करने की पेशकश की िई
थी। इसके वलए इज़रायल को कफवलस्तीनी स्र्ेर्हुि समझौते पर हस्ताक्षर करने थे और 1967 में उसके द्वारा कब्जा ककए िए क्षेत्रों से पूरी तरह से हर्ना
था।
• अब्राहम समझौता (2020): अब्राहम समझौते पर 2020 में इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने हस्ताक्षर ककए थे। इस समझौते में संयुक्त
राज्य अमेररका ने मध्यस्थता की थी। मोरक्को और सूिान भी इस समझौते में शावमल हो िए हैं। हालांकक, सूिान का अभी इज़रायल के साथ समझौता
ककया जाना बाकी है।
o इस समझौते के दो भाि हैं: मध्य-पूिा में शांवत के वलए एक घोषणा-पत्र जारी करना और वद्वपक्षीय समझौते को लािू करना।
o यह घोषणा-पत्र इब्राहीम के संबंध में अरब और यहदी लोिों की साझी िंशािली को मान्यता देता है।
o यह मध्य-पूिा में सभी धमों और राष्ट्रीयताओं के लोिों के बीच सह-अवस्तत्ि, समझ एिं सम्मान के वलए भी प्रयास करता है।
o समझौते ने अवधक-से-अवधक क्षेत्रीय और बहुराष्ट्रीय सहयोि का मािा प्रशस्त ककया है।
▪ उदाहरण के वलए- इज़रायल, भारत, संयुक्त अरब अमीरात और संयक्त
ु राज्य अमेररका ने वमलकर I2U2 समूह की स्थापना की है।
वनष्कषा
ज्ञातव्य है कक योम ककप्पुर युद्ध के बाद हुए शांवत समझौतों (विशेष रूप से कैं प िेविि समझौते) को कभी क्षेत्रीय शांवत की कदशा में मील के पत्थर ि संकेतक
के रूप में देखा जाता था। हालांकक हावलया संघषा ने सािाजवनक चचाा में उनकी प्रभािशीलता को लेकर सिाल खडे कर कदए हैं।
भारत और कनािा के बीच वद्वपक्षीय संबंध लंबे समय से चले आ रहे हैं। यह संबंध दोनों देशों के साझा लोकतांवत्रक मूल्यों, बहु-सांस्कृ वतक, बहु-नृजातीय
प्रकृ वत और लोिों के बीच मजबूत संपकों पर आधाररत हैं।
• प्रिासी भारतीय: विश्व में भारतीय प्रिावसयों का एक बडा वहस्सा कनािा में वनिास करता है। यह वहस्सा कनािा की कु ल आबादी के 3 प्रवतशत से
अवधक है।
• आर्थाक: 2022 में
िस्तुओं और
सेिाओं में
वद्वपक्षीय व्यापार
िमशः लिभि
9.9 वबवलयन
िॉलर और 6.5
वबवलयन िॉलर
था।
• विज्ञान और
प्रौद्योविकी के क्षेत्र
में सहयोि: इस
सहयोि के जररए
दोनों देश मुख्य
रूप से नए बौवद्धक
संपदा (IP), प्रकियाओं, प्रोर्ोर्ाइप और उत्पादों को बनाने पर ध्यान देने के साथ-साथ औद्योविक अनुसध
ं ान एिं विकास को भी बढािा देते हैं।
o 1990 के दशक से, भारत और कनािा ने अंतररक्ष विज्ञान के क्षेत्र में सहयोि ककया है। इसरो की िावणवज्यक शाखा एंररक्स ने कनािा के कई नैनो
उपग्रह लॉन्च ककए हैं।
• ऊजाा सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोि: भारत और कनािा ने 2010 में असैन्य परमाणु सहयोि समझौते पर हस्ताक्षर ककए थे। इस समझौते के एक वहस्से के
रूप में कनािा ने भारतीय परमाणु ररएक्र्रों को यूरेवनयम प्रदान ककया है।
o वब्ररर्श कोलंवबया की तरल प्राकृ वतक िैस पररयोजना में इं वियन ऑयल कॉपोरे शन की 10 प्रवतशत वहस्सेदारी है।
• सामररक/ रणनीवतक सहयोि: कनािा की हहंद-प्रशांत नीवत, चीन को “विघर्नकारी िैवश्वक शवक्त” के रूप में स्िीकार करती है। साथ ही, यह नीवत
साझा वहतों को पूरा करने हेतु सहयोि के वलए भारत को “प्रमुख भािीदार” के रूप में रे खांककत करती है।
• ऐवतहावसक विरासत: शीत-युद्ध के दौरान, कनािा नार्ो यानी उत्तरी अर्लांरर्क संवध संिठन (NATO)31 का संस्थापक सदस्य था। उसी दौरान भारत
ने िुर्-वनरपेक्षता की नीवत अपनाई थी।
o इसके अलािा, कनािा ने कश्मीर में जनमत संग्रह का समथान ककया था, जो भारत के वहतों के प्रवतकू ल था।
o 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण करने के बाद कनािा ने भारत के साथ होने िाले परमाणु सहयोि पर अस्थायी रूप से रोक लिा दी थी।
• कनािा की आप्रिासन (Immigration) प्रणाली: यह प्रणाली वििाकदत अतीत िाले व्यवक्तयों को कनािाई नािररकता प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।
कई बार यह देखा िया है कक कनािाई नािररकता लेने िाला व्यवक्त इस वस्थवत का फायदा उठाकर अन्य देशों के विरुद्ध िैर-कानूनी या आतंकी
िवतविवधयों में शावमल हो जाता है।
o इससे ितामान के परस्पर जुडाि िाले िैवश्वक पररदृश्य में वद्वपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाए रखने में एक बडी बाधा उत्पन्न होती है।
• घरे लू राजनीवतक कारक: ितामान कनािा सरकार, खावलस्तान समथाक पार्र्ायों के साथ िठबंधन की सरकार चला रही है, जो भारत विरोधी
िवतविवधयों को प्रोत्सावहत कर रहे हैं।
आिे की राह
• कू र्नीवत को बढािा देना: दोनों देशों में संबंधों में सुधार की कदशा में पहला कदम मौजूदा तनाि को कम करना होना चावहए। इसके अलािा, दोनों
देशों को यथावस्थवत को बनाए रखते हुए अपनी हचंताएं व्यक्त करनी चावहए।
o कू र्नीवत ही आिे बढने का रास्ता होना चावहए, न कक राजनवयकों का वनष्कासन या सेिाओं को वनलंवबत करना।
• प्रिासी संबंधों का प्रबंधन: कनािा को आप्रिासी समुदायों के सशक्तीकरण को संतुवलत करने में सािधानी बरतनी चावहए।
o उसे अनुवचत राजनीवतक या आर्थाक प्रभाि से बचते हुए अपनी िवतविवधयों और प्रभाि का आकलन करना चावहए।
• अवभव्यवक्त की स्ितंत्रता की वजम्मेदारी: हहंसा, अलिाििाद या आतंकिाद का समथान करने िाले लोिों को अवभव्यवक्त की स्ितंत्रता के दुरुपयोि के
वलए वजम्मेदार ठहराया जाना चावहए।
• आतंकिाद के वखलाफ सहयोि: 2018 में स्थावपत आतंकिाद और हहंसक उग्रिाद का मुकाबला करने के वलए सहयोि की रूपरे खा के तहत दोनों देशों
को सहयोि करना चावहए।
वनष्कषा
यह महत्िपूणा है कक दोनों देशों के वलए सहयोि का एक नया फ्रेमिका विकवसत ककया जाए। यह फ्रेमिका अवधक व्यािहाररक हो तथा व्यापार, ऊजाा जैसे
पारस्पररक रूप से लाभप्रद क्षेत्रों पर जोर देता हो।
2023 में भारत और दवक्षण कोररया (RoK)33 ने अपने राजनवयक संबंधों की 50िीं िषािांठ मनाई। भारत-दवक्षण कोररया संबंधों के बारे में
• सभ्यता संबध
ं ी जुडाि:
o 13िीं शताब्दी के एक ग्रंथ, “सैमिुकयुसा या द हेररर्े ज वहस्री ऑफ द थ्री फकं ििम्स” के अनुसार, 48 ईस्िी में अयोध्या की राजकु मारी सुरीरत्ना ने
कोररया के राजा ककम-सुरो से शादी की थी।
o 723 से 729 ईस्िी तक बौद्ध वभक्षु ह्येचो (होंि वजयाओ) ने भारत की यात्रा की थी। उन्होंने “वपलवग्रम र्ू द फाइि फकं ििमस ऑफ इं विया” नामक
अपने यात्रा िृतांत में अपनी यात्रा का उल्लेख ककया है। इसमें उन्होंने भारतीय संस्कृ वत, राजनीवत और समाज के बारे में जानकारी प्रदान की है।
o रिींद्रनाथ र्ैिोर ने 1929 में “लैंप ऑफ द ईस्र्” नामक एक कविता की रचना की थी। इसमें कोररया के समृद्ध इवतहास और उसके उज्ज्िल भविष्य
की व्याख्या की िई है।
• दोनों देशों की भौिोवलक अिवस्थवत में अंतर: भौिोवलक दूरी ने दोनों देशों के बीच संपका को सीवमत ककया है। हालांकक, दोनों देश मुख्य रूप से अपने
आस-पास के क्षेत्रों पर अवधक ध्यान दे रहे हैं।
• रणनीवतक सहयोि में विलंब: शीतयुद्ध की प्रवतद्वंवद्वता ने विदेश नीवतयों में िैचाररक अंतर के कारण दोनों देशों के बीच संपका को सीवमत कर कदया
था। दवक्षण कोररया का मानना था कक भारत सोशवलस्र् िुर् के अवधक करीब है।
o कफर भी, भारत ने कोररयाई प्रायद्वीप में उत्तर कोररया और दवक्षण कोररया, दोनों के साथ संतुवलत संबंध बनाए रखते हुए िुर्वनरपेक्षता की नीवत
अपनाई।
• सहयोि वजतना बेहतर होना चावहए उतना बेहतर नहीं है: दोनों देशों में मजबूत राजनीवतक इच्छा की कमी के कारण सहयोि उतना बेहतर नहीं है
वजतना होना चावहए। दवक्षण कोररया अक्सर अमेररका जैसी प्रमुख शवक्तयों के साथ नजदीकी से जुडा रहा है , जबकक भारत की क्षेत्रीय नीवतयां अभी
भी विकास के चरण में हैं।
• अप्रयुक्त आर्थाक क्षमता: उदाहरण के वलए- CEPA को सीवमत दायरे िाला कहा जाता है। इसवलए CEPA को संशोवधत करने की मंशा 2015 में
व्यक्त की िई थी, लेककन यह अभी तक पूरी नहीं हुई है।
o भारत व्यापार संबंधी तकनीकी बाधाओं, उच्च आयात शुल्क आकद के कारण दवक्षण कोररया के साथ व्यापाररक घार्े (2021-22 में लिभि 8
वबवलयन िॉलर) का सामना कर रहा है।
आिे की राह
• बेहतर सहयोि के वलए एक व्यिवस्थत दृविकोण: ऐवतहावसक रूप से वद्वपक्षीय संबंधों में आर्थाक पररयोजनाओं पर अवधक जोर कदया िया है। हालांकक,
ितामान में दोनों देशों के वलए हहंद-प्रशांत रणनीवत पर ध्यान देने के साथ-साथ संबंधों को अवधक रणनीवतक बनाना महत्िपूणा है।
o न्यूजीलैंि और वियतनाम के साथ-साथ दवक्षण कोररया ने भी िाि वशखर सम्मेलन में भाि वलया है। िाि िस्तुतः ऑस्रेवलया, भारत, जापान
और संयुक्त राज्य अमेररका के बीच एक िठबंधन है।
o कई विशेषज्ञों का मानना है कक इस तरह के सहयोि से िाि का िाि प्लस के रूप में विस्तार ककया जाना चावहए।
• आर्थाक और तकनीकी सहयोि को मजबूत बनाना: चूंकक आर्थाक क्षेत्र में दोनों देशों की दक्षताएं अलि-अलि हैं। इसवलए िे सहयोि के दीघाकावलक,
विन-विन फ्रेमिका (एक ऐसी वस्थवत वजसमें शावमल सभी पक्षों को लाभ होता है) के आधार पर वनणाय ले सकते हैं।
o कोररया में िृद्ध लोिों की आबादी बढ रही है। ऐसे में कोररयाई प्रौद्योविकी तथा भारत की प्रिवतशील युिा आबादी, दोनों वमलकर एक विवनमााण
हब का वनमााण कर सकते हैं।
o स्र्ार्ा-अप, प्रौद्योविकी-संचावलत सेिाओं और विवजर्ल व्यापार, सेमीकं िक्र्र आकद में सहयोि की संभािना अवधक है।
• समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना: दोनों देश संयुक्त HADR36 अभ्यास, समुद्री पायरे सी रोधी अवभयानों और समुद्री िोमेन संबंधी जािरूकता, आपसी
जुडाि में और िृवद्ध आकद की संभािनाओं का पता लिा सकते हैं।
• क्षेत्रीय सहयोि को बढाना: इन दो बडी एवशयाई अथाव्यिस्थाओं को विशेषरूप से हहंद महासािर क्षेत्र (IOR)37 के ककसी ऐसे अन्य देश को सहयोि
करना चावहए वजसे विकास संबंधी सहयोि की आिश्यकता हो।
o आवसयान और इं वियन ओवसयन ररम एसोवसएशन (IORA) दो महत्िपूणा प्लेर्फॉमा हैं। ये प्लेर्फॉम्सा दोनों देशों को ककसी अन्य देश के साथ संबंध
स्थावपत करने में मदद कर सकते हैं।
▪ आवसयान में भारत और दवक्षण कोररया दोनों िायलॉि पार्ानर हैं। IORA में भारत एक संस्थापक सदस्य है और दवक्षण कोररया को िायलॉि
पार्ानर का दजाा प्राप्त है।
• बहुपक्षीय सहयोि: IORA, आवसयान और इंिो-पैवसकफक इकोनॉवमक फोरम (IPEF) जैसे बहुपक्षीय मंच सहयोि के अवधक अिसर प्रदान करते हैं।
ये मंच ककसी अन्य देश के साथ सहयोि के वलए भी अिसर प्रदान करते हैं।
o दोनों देश दवक्षण-पूिा एवशया में अिवस्थत अन्य पक्षकार देशों में आपूर्ता श्रृख
ं ला के अनुकूलन, अिसंरचना, स्िच्छ ऊजाा और िी-काबोनाइजेशन
भािीदारी में सहयोि कर सकते हैं।
भारत और दवक्षण कोररया मध्यितीय महाशवक्तयां और उभरती हुई अथाव्यिस्थाएं हैं। अतः दोनों देश क्षेत्रीय वस्थरता पर अत्यवधक बल दे रहे हैं। इसके
वलए उन्हें वमलकर काम करना चावहए। साथ ही, दोनों देशों को रणनीवत और भािीदारी को मजबूत करने तथा मजबूत वद्वपक्षीय संबंधों की कदशा में मानक
दृविकोण से आिे बढाने पर काया करना चावहए।
मालदीि के निवनिाावचत राष्ट्रपवत ने भारत से यह अपील की है कक िह इस द्वीपीय देश में मौजूद भारतीय सैवनकों को हर्ा ले। यह अपील उनके चुनाि पूिा
आयोवजत “इं विया आउर्” कैं पेन में ककए िए िायदे के अनुसार है।
• प्रोग्रेवसि पार्ी ऑफ मालदीि (PPM) के नेतृत्ि में चलाए िए “इं विया आउर्” कैं पेन ने मौजूदा मालदीवियन िेमोिे रर्क पार्ी (MDP) के विरुद्ध
हावलया चुनािी जीत में महत्िपूणा भूवमका वनभाई है।
• इस कैं पेन के तहत मालदीि में भारत की सैन्य उपवस्थवत का कडा विरोध ककया िया। इसका कारण यह है कक PPM के नेताओं का मानना है कक
मालदीि में भारत की सैन्य उपवस्थवत उसकी संप्रभुता को नुकसान पहुंचा सकती है।
• इस अवभयान की शुरुआत 2010 और 2015 में भारत की ओर से मालदीि को कदए िए दो ध्रुि एििांस्ि लाइर् हेलीकॉप्र्सा (ALH) के उपहार की
प्रवतकिया के रूप में शुरू हुई थी।
o ये हेलीकॉप्र्सा समुद्री मौसम की वनिरानी तथा समुद्री खोज एिं बचाि अवभयान जैसे उद्देश्यों के वलए उपलब्ध कराए िए थे।
o लिभि 70 भारतीय सैवनक भारत की ओर से बनाए िए रिार स्र्ेशनों और वनिरानी करने िाले विमानों का रख-रखाि करते हैं। इसके अलािा
इस द्वीप समूह के विशाल अनन्य आर्थाक क्षेत्र38 की वनिरानी करने और िश्ती के वलए एक भारतीय युद्धपोत भी तैनात रहता है।
• भारत की नेबरहुि फस्र्ा पॉवलसी का अवभन्न अंि: सकदयों से दोनों देशों के बीच सांस्कृ वतक, आर्थाक और व्यापाररक संबध
ं काफी मजबूत रहे हैं। साथ
ही, मालदीि भारत की नेबरहुि फस्र्ा पॉवलसी का एक महत्िपूणा घर्क रहा है।
o इसके अलािा, मालदीि साका यानी दवक्षण एवशयाई क्षेत्रीय सहयोि संिठन (SAARC)39 का भी एक सदस्य देश है।
• सामररक अिवस्थवत: मालदीि अदन की खाडी, होमुज
ा जलिमरूमध्य और मलक्का जलिमरूमध्य जैसे हहंद महासािर के प्रमुख चेकपॉइंट्स के बीच एक
रणनीवतक कडी के रूप में काया करता है।
o मालदीि की रणनीवतक अिवस्थवत भारत के वलए बहुत महत्िपूणा है। इसका कारण यह है कक भारत का मात्रा (Voulme) के वहसाब से 95
प्रवतशत व्यापार और मूल्य (Value) के वहसाब से 68 प्रवतशत व्यापार हहंद महासािर से होता है।
• रक्षा की प्रथम पंवक्त: भारत के पास वस्थत होने के कारण मालदीि आतंकिाद, समुद्री पाइरे सी, मादक पदाथों की तस्करी और अन्य समुद्री खतरों के
विरुद्ध सुरक्षा की प्रथम पंवक्त के रूप में काया करता है।
• हहंद महासािर क्षेत्र (IOR) में चीन के प्रभाि को कम करना: राजनवयक और व्यापार भािीदारी से परे चीन IOR में लिातार अपनी सैन्य उपवस्थवत
बढा रहा है।
• प्रिासी भारतीयों की उपवस्थवत: मालदीि के स्िास््य और वशक्षा क्षेत्रक में भारतीय प्रिासी समुदायों का प्रभुत्ि है।
मालदीि के वलए भारत का महत्त्ि
• मालदीि को मान्यता: 1965 में मालदीि की स्ितंत्रता के बाद इसे मान्यता देने िाला पहला देश भारत था। इसके अलािा, मालदीि के साथ राजनवयक
संबंध स्थावपत करने िाला पहला देश भी भारत था।
• सौहादापण ू ा संबध
ं : मालदीि के साथ भारत के संबंधों में कोई विशेष राजनीवतक वििाद नहीं रहा है।
o समुद्री सीमा संवध, 1976 के जररए दोनों देशों ने वमवनकॉय वििाद को सुलझा वलया था। साथ ही, मालदीि ने वमवनकॉय को भारत के अवभन्न वहस्से
के रूप में मान्यता दी है।
• संकर् के समय सबसे पहले सहायता करने िाला: भारत, मालदीि पर आए कई संकर्ों के दौरान सबसे पहले प्रवतकिया देने िाला देश रहा है। जैसे -
o 1988: तख्तापलर् को रोकने के वलए सैन्य हस्तक्षेप, वजसे ऑपरे शन कै क्र्स नाम कदया िया था;
o 2004: सुनामी के बाद सहायता;
o 2014: जल संकर् के दौरान सहायता;
o 2020: कोविि-19 महामारी के दौरान व्यापक स्तर पर सहायता; आकद।
• वनिल या समग्र सुरक्षा प्रदाता (Net Security Provider): दवक्षण एवशया में एक प्रमुख समुद्री शवक्त के रूप में भारत का यह कताव्य है कक िह अपने
समुद्री पडोसी देशों की सुरक्षा संबंधी हचंताओं को दूर करे ।
o मालदीि, भारत को एक “समग्र सुरक्षा प्रदाता” के रूप में देखता है। मालदीि, भारत की SAGAR/ सािर40 पहल में महत्िपूणा भूवमका वनभाता है।
आिे की राह
• भारत विरोधी धारणा को दूर करना: भारत को मालदीि में अपनी सकारात्मक छवि बनाने पर काम करना चावहए। इसके अलािा, यह संदेश पहुंचाना
चावहए कक भारतीय सहायता (जैसे- िैक्सीन मैत्री) से मालदीि के लोिों को अवधक लाभ वमलेिा।
• युिाओं को रोजिार और उद्यमशीलता: मालदीि में 15-35 िषा की आयु के युिाओं की आबादी 35 प्रवतशत से अवधक है। भारत की भािी पररयोजनाओं
को मालदीि में युिाओं की रोजिार क्षमता और उद्यवमता को बढाने पर लवक्षत ककया जाना चावहए।
• पररयोजनाओं को शीघ्र पूरा करना: भारत को कु शल पररयोजना प्रबंधन और वनिरानी सुवनवश्चत करनी चावहए। साथ ही, पररयोजना में देरी का कारण
बनने िाली ककसी भी बाधा या चुनौती का समाधान करना चावहए।
• नई सरकार के साथ जुडने का प्रयास करना: भारत को निवनिाावचत सरकार के साथ जुडने के वलए एक नए दृविकोण पर काम करना चावहए, ताकक
वपछली सरकार के तहत शुरू की िई पररयोजनाओं को जारी रखा जा सके ।
• भारत को अपने मजबूत पक्षों पर ध्यान देना चावहए: भारत को चीन के वनिेश की जिह आकषाक और संतोषजनक विकल्प देना चावहए। हालांकक,
विकल्प ऐसे होने चावहए जो लोिों के बीच मजबूत संपका बनाने और मालदीि के विकास को बढािा देने को प्राथवमकता देते हों।
वनष्कषा
मालदीि में भारत की उपवस्थवत ऐवतहावसक और समकालीन दृविकोण से हमेशा से मजबूत रही है। मालदीि में सरकारी नेतृत्ि में पररितान के कारण कु छ
हद तक बदलाि आ सकता है। हालांकक, इससे बुवनयादी संबंधों में बदलाि होने की संभािना नहीं है। भारत और मालदीि को ‘नेबरहुि फस्र्ा पॉवलसी’ और
‘सािर (SAGAR)’ पहल के तहत एक-दूसरे के साथ सहयोि करते रहना चावहए।
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानिावधकार पररषद (HRC) के वलए 15 नए सदस्य देशों का चुनाि ककया है। साथ ही, HRC में कफर से शावमल होने
के रूस के प्रस्ताि को अस्िीकार कर कदया है।
• सदस्यता संबध
ं ी मानदंि: पररषद की कई सीर्ें ऐसे देशों के पास हैं वजन पर मानिावधकारों के िंभीर उल्लंघन का आरोप है , जैसे - सऊदी अरब, चीन
और सीररया। ऐसे सदस्य देश पररषद में अपनी उपवस्थवत का उपयोि स्ियं के और दूसरे देशों के विरुद्ध होने िाली जांच को रोकने के वलए करते हैं।
o ऐसा बहुत कम हुआ है कक मानिावधकारों का उल्लंघन करने िाले देशों की सदस्यता को वनलंवबत ककया िया हो।
• कु छ विशेष मुद्दों पर अवधक फोकस और राजनीवतकरण: 2007 से पररषद में इज़रायल द्वारा मानिावधकारों का उल्लंघन चचाा का मुख्य विषय रहा
है। यह इस त्य को रे खांककत करता है कक पररषद कु छ खास मुद्दों को अवधक अहवमयत देती है और इसकी काया -प्रणाली पर सदस्य देशों की राजनीवत
हािी है।
o इसके अलािा, पररषद द्वारा ककसी देश के वलए विशेष रूप से की जाने िाली मानिावधकारों के उल्लंघन की ररपोर्र्िंि में कमी आ रही है। कई
देशों का आरोप है कक पररषद द्वारा विकासशील देशों को िलत तरीके से लवक्षत ककया जा रहा है।
• पहुंच संबध
ं ी बाधाएं: HRC के सत्र में भाि लेने के वलए पयााप्त मात्रा में पूंजी की आिश्यकता होती है। इस कारण ग्लोबल साउथ में मौजूद नािररक
समाज से जुडे कायाकत्ताा एिं मानिावधकार कायाकत्ताा अपने क्षेत्र की समस्याओं से िैवश्वक समुदाय को अिित नहीं करा पाते हैं।
o पररषद में कई विशेष समूहों (बच्चे, पीवडत, संघषा में बचे हुए लोि आकद) की भािीदारी या उनकी समस्याओं पर पयााप्त रूप से ध्यान न कदया
जाना अभी भी हचंता का एक मुख्य विषय है।
• नािररक समाज की भािीदारी: मानिावधकार रक्षकों और िैर-सरकारी संिठनों के प्रवतवनवधयों को अक्सर बाधाओं और प्रवतशोध का सामना करना
पडता है।
• इस क्षेत्र के वलए कोि ऑफ कं िक्र् तैयार करना: 2018 से रुकी हुई कोि ऑफ कं िक्र् िाताा प्रकिया को पुनः शुरू करके इस क्षेत्र के वलए एक आचरण
संवहता तैयार की जानी चावहए।
• संधारणीय मत्स्यन: इस क्षेत्र में अवनयंवत्रत रूप से मछली पकडने संबंधी िवतविवधयों पर रोक लिाने की आिश्यकता है। साथ ही, सभी तर्िती देशों
को सामूवहक रूप से मछली पकडने के वलए संधारणीय तरीकों को अपनाना चावहए।
• रांस बाउं ड्री मैरीर्ाइम पीस पाका (MPP) की स्थापना: इज़रायल और जॉिान के बीच स्थावपत ‘लाल सािर MPP51’ की तरह इस क्षेत्र में भी एक
MPP की स्थापना की जानी चावहए। िौरतलब है कक MPPs को देशों के बीच सहयोि और शांवत को बढािा देने और पाररवस्थवतक तंत्र के संरक्षण
के वलए स्थावपत ककया जाता है।
• नए कृ वत्रम द्वीपों के वनमााण को रोकना: नए कृ वत्रम द्वीपों के वनमााण पर रोक लिाने की आिश्यकता है। कृ वत्रम द्वीपों के वनमााण से समुद्री पाररवस्थवतक
तंत्र को िंभीर नुकसान पहुंचता है।
• समुद्री मािा की स्ितंत्रता सुवनवश्चत करना: इस क्षेत्र से िुजरने िाले सभी नािररक और व्यापाररक जहाजों के बाधारवहत आिािमन की स्ितंत्रता
सुवनवश्चत की जानी चावहए।
2.8.1. भारत और सं यु क्त अरब अमीरात ने रुपे िोमे वस्र्क कािा स्कीम ( DCS) समझौते पर हस्ताक्षर ककए {India
Uae Sign Rupay Domestic Card Scheme (DCS) Agreement}
• NPCI इं र्रनेशनल पेमट्ें स वलवमर्े ि (NIPL) और अल इत्तेहाद स्तर पर संयक्त
ु अरब अमीरात की प्रवतस्पधाात्मक क्षमता को बढाने
में मदद वमलेिी।
पेमट्ें स (AEP) ने संयक्त
ु अरब अमीरात में DCS के कायाान्ियन के
o संयुक्त अरब अमीरात के DCS का लक्ष्य ई-कॉमसा और
वलए एक रणनीवतक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर ककए हैं।
विवजर्ल लेन-देन के विकास में तेजी लाना तथा वित्तीय
o NIPL, नेशनल पेमट्ें स कॉपोरे शन ऑफ इं विया (NPCI) की
समािेशन को बढािा देना है। साथ ही, यह संयुक्त अरब
पूणा स्िावमत्ि िाली एक सहायक कं पनी है।
अमीरात के महत्िाकांक्षी विवजर्लीकरण एजेंिे के साथ
o NIPL अन्य देशों को लाित प्रभािी और सुरवक्षत भुितान
तालमेल वबठाने में भी मदद करे िा।
प्रणाली स्थावपत करने में सहायता प्रदान करता है।
o NIPL द्वारा प्रदान ककए िए DCS का प्रयोि रुपे स्र्ै क के रूप
• इस साझेदारी से भुितान के विकल्पों में विविधता लाने, लेन-देन
में ककया जा सकता है। साथ ही, इसका प्रयोि धोखाधडी की
की लाित को कम करने और भुितान व्यिसाय के मामले में िैवश्वक
2.8.4. अं त राा ष्ट्रीय सं ि रठत अपराध के वखलाफ सं यु क्त सांस्कृ वतक संिठन (UNESCO) के तहत की िई थी। इसका
राष्ट्र अवभसमय (United Nations Convention मुख्यालय कु आलालंपुर (मलेवशया) में है।
Against Transnational Organised o अंतरााष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) और संयुक्त राष्ट्र विकास
Crimes: UNTOC) कायािम (UNDP) भी इसके संस्थापक संिठन हैं।
• UNTOC की 20िीं िषािांठ इर्ली में मनाई िई। अंतरााष्ट्रीय • इसमें भारत सवहत 26 सदस्य देश हैं। इनका प्रवतवनवधत्ि इन देशों
संिरठत अपराध को ऐसी अिैध िवतविवधयों के रूप में पररभावषत के 48 प्रसारण प्रावधकरण करते हैं।
ककया िया है, वजन्हें दो या दो से अवधक देशों में समूहों या नेर्िका • इसका उद्देश्य एवशया-प्रशांत क्षेत्र में एक जीिंत इलेक्रॉवनक
द्वारा वमलकर संचावलत ककया जाता है। इसमें वित्तीय या भौवतक मीविया पररिेश का वनमााण करना है।
लाभ के वलए हहंसा, भ्रिाचार आकद का सहारा वलया जाता है। • AIBD के काया:
• UNTOC को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2000 अपनाया था। इसे o मीविया और संचार विकास के वलए अंतर-क्षेत्रीय संबध
ं ि
सहयोि स्थावपत करना, और
2003 में लािू ककया िया था।
o क्षेत्रीय प्रोग्राहमंि के विकास के वलए एक हथंक-र्ैंक के रूप में
o यह अंतरााष्ट्रीय संिरठत अपराध से वनपर्ने के वलए कानूनी रूप
काया करना।
से बाध्यकारी पहला व्यापक और िैवश्वक साधन है।
(श्रीलंका) में आयोवजत हुई। ▪ िैवश्वक तेल व्यापार का 80% हहंद महासािर क्षेत्र से
o बैठक की थीम थी- ‘क्षेत्रीय संरचना को मजबूत करना: हहंद ▪ इस क्षेत्र में लिभि 1 ररवलयन िॉलर मूल्य की िस्तुओं
Regional Architecture: Reinforcing Indian ▪ IORA सदस्य देशों के बीच लिभि 800 वबवलयन िॉलर
का व्यापार होता है।
Ocean Identity)।’
• भारत के वलए IORA का महत्त्ि:
o ‘कोलंबो विज्ञवप्त’ और ‘IORA विज़न 2030 एंि वबयॉण्ि’
दस्तािेज को अपनाया िया। o यह संिठन चीन सवहत विश्व की बडी शवक्तयों को हहंद
महासािर क्षेत्र में प्रवतद्वंवद्वता से दूर रखने का एक माध्यम है।
o सऊदी अरब का 11िें िायलॉि पार्ानर के रूप में औपचाररक
स्िाित ककया िया। o चूंकक पाककस्तान इस संिठन का सदस्य नहीं है, इसवलए क्षेत्रीय
o श्रीलंका िषा 2023-2025 के वलए IORA की अध्यक्षता सहयोि को बढािा देने के वलए भारत के समक्ष बाधा उत्पन्न
होने की बहुत कम संभािना है।
करे िा। इसके पहले बांग्लादेश IORA का अध्यक्ष था।
▪ भारत िषा 2025-2027 के दौरान अध्यक्ष होिा।
• IORA के बारे में:
o यह 1997 में िरठत एक अंतर-सरकारी संिठन है। यह संिठन
नेल्सन मंिेला के विज़न पर आधाररत है।
o इसका उद्देश्य हहंद महासािर क्षेत्र (IOR) के भीतर क्षेत्रीय
सहयोि और सतत विकास को मजबूत करना है।
o हहंद महासािर क्षेत्र के 23 देश इस संिठन के सदस्य हैं।
o CoM इस संिठन का सिोच्च वनकाय है। इसकी बैठक प्रवतिषा
होती है।
o IOR ने क्षेत्रीय सहयोि के वलए प्राथवमकता िाले छह क्षेत्रकों
तथा सभी क्षेत्रकों से परस्पर संबद्ध 2 मुद्दों की पहचान की है।
इन मुद्दों में शावमल हैं- नीली अथाव्यिस्था और मवहलाओं का
आर्थाक सशक्तीकरण।
o छह प्राथवमकता िाले क्षेत्रकों में शावमल हैं- शैक्षवणक जित,
विज्ञान एिं प्रौद्योविकी; मत्स्य पालन प्रबंधन; पयार्न ि
सांस्कृ वतक आदान-प्रदान; आपदा जोवखम प्रबंधन; समुद्री
सुरक्षा और रक्षा तथा व्यापार एिं वनिेश सुविधा।
o इस संिठन की 'विशेष वनवध' विवभन्न पररयोजनाओं और
कायािमों का समथान करती है।
o ‘हहंद-प्रशांत पर IORA का आउर्लुक’ 1982 के समुद्री कानून
पर संयुक्त राष्ट्र अवभसमय (UNCLOS) तथा अन्य प्रासंविक
संयुक्त राष्ट्र संवधयों का पालन करने का आह्िान करता है।
कृ वष में “सदाबहार िांवत” रूपी आंदोलन का नेतत्ृ ि करने के कारण उन्हें UNEP55 ने “आर्थाक-पाररवस्थवतकी के जनक56” के रूप में सम्मावनत ककया।
• सदाबहार िांवत (Evergreen Revolution): उन्होंने अपने प्रयासों को “सदाबहार” िांवत लाने पर कें कद्रत ककया। इस िांवत को उन्होंने “पाररवस्थवतकी
को नुकसान पहुंचाए वबना हमेशा के वलए उत्पादकता में सुधार” के रूप में पररभावषत ककया।
• तरीका: यह कृ वष की अलि-अलि पद्धवतयों के उवचत वमश्रण पर आधाररत है। इन पद्धवतयों में शावमल हैं - जैविक कृ वष, हररत कृ वष, पयाािरण अनुकूल
कृ वष और प्रभािी सूक्ष्मजीिों पर आधाररत कृ वष।
o उन्होंने पाररवस्थवतक रूप से संधारणीय कृ वष प्रौद्योविककयों को सहज रूप से उपलब्ध कराने के वलए “िू -इकोलॉजी” तरीके की िकालत की।
o उन्होंने कृ वष िवतविवधयों के सभी क्षेत्रों में संरक्षण और विकास के बीच संतुलन बनाने के वलए 4C का प्रस्ताि कदया। ये 4C हैं- संरक्षण
(Conservation), खेती (Cultivation), उपभोि (Consumption) और व्यािसायीकरण (Commercialization)।
• प्रौद्योविकी को अपनाना: उन्होंने हमेशा अग्रणी प्रौद्योविककयों का उपयोि करने और पाररवस्थवतकी संरक्षण की हमारी समृद्ध विरासत के साथ इन्हें
वमलाने की िकालत की।
o उन्होंने कई नए तरीकों से संधारणीय कृ वष एिं ग्रामीण विकास को बढािा कदया। इन नए तरीकों में शावमल हैं: पयाािरण वहतैषी प्रौद्योविकी
आधाररत जैि ग्राम57 तथा आधुवनक सूचना एिं संचार आधाररत ग्राम ज्ञान कें द्रों (VKCs)58 का विकास।
एम.एस. स्िामीनाथन का नीवतित और संस्थाित योिदान तथा ितामान में इनकी प्रासंविकता
• राष्ट्रीय ककसान आयोि (National Commission on Farmers: NCF): NCF का िठन श्री स्िामीनाथन की अध्यक्षता में ककया िया था।
o NCF ने कई वसफाररशें कीं। इनमें से एक है- न्यूनतम समथान मूल्य (MSP)59 को उत्पादन की भाररत औसत लाित से कम-से-कम 50% अवधक
होना चावहए।
o NCF ने ग्राम ज्ञान कें द्रों (VKCs) के िठन, संरक्षण खेती (Conservation Farming) को बढािा, मृदा परीक्षण प्रयोिशालाओं की स्थापना,
ऋण प्रणाली और सािाजवनक वितरण प्रणाली के विस्तार की भी वसफाररशें की।
• एम.एस. स्िामीनाथन ररसचा फाउं िेशन (MSSRF): उन्होंने विश्व खाद्य पुरस्कार से प्राप्त धनरावश से 1988 में चेन्नई में एक अनुसध
ं ान कें द्र की
स्थापना की। इस कें द्र को एम.एस. स्िामीनाथन ररसचा फाउं िेशन (MSSRF) नाम कदया िया।
• पौधों की ककस्मों का संरक्षण: उन्होंने ‘पौधा या पादप ककस्म और कृ षक अवधकार संरक्षण अवधवनयम60, 2001’ को तैयार करने में महत्िपूणा भूवमका
वनभाई थी। भारत ने यह कानून TRIPS61 समझौते के तहत पौधों की ककस्मों को सुरक्षा प्रदान करने के अपने दावयत्ि के तहत बनाया था।
• खाद्य सुरक्षा: उन्होंने खेती के साथ पोषण को एकीकृ त करने के वलए दो कदम सुझाए:
o बायोफोर्र्ाफाइि पौधों का एक आनुिवं शक उद्यान स्थावपत करना: ये उद्यान ककसानों को ऐसे पौधों से पररवचत कराने के वलए स्थावपत ककए जाने
थे जो पौधों को आिश्यक सूक्ष्म पोषक तत्ि और प्रोर्ीन प्रदान कर सकते हैं।
o ‘कम्युवनर्ी हंिर फाइर्सा’ तैयार करना: ये फाइर्सा अपने क्षेत्र की कु पोषण से संबंवधत समस्याओं तथा उन्हें दूर करने के तरीकों से भी अच्छी तरह
पररवचत होंिे।
3.2. भारतीय कृ वष अनु सं धान पररषद (Indian Council of Agricultural Research: ICAR)
सुर्खायों में क्यों?
66Genome sequencing
53 www.visionias.in ©Vision IAS
o ICAR ने तर्ीय पाररवस्थवतकी-तंत्र की वनिरानी के वलए इकोवसस्र्म हेल्थ इं िेक्स (EHI) विकवसत ककया है। इसने समुद्री प्रदूषण के प्रभािों को
कम करने के वलए बायोफें स तकनीक को अपनाया है। इसके अलािा ICAR, आिामक विदेशज प्रजावतयों की जल्द पहचान हेतु जािरूकता
अवभयान चलाता है।
o ICAR सभी वहमालयी राज्यों में ‘ठं िे पानी में मत्स्य पालन’ के विकास की कदशा में काया कर रहा है।
• कृ वष यंत्रीकरण में योिदान: इसने वमलेट्स वमल, ड्रोन ररमोर् सेंहसंि, महल्चंि शीर् वबछाने की मशीन जैसी कृ वष संबंधी इंजीवनयररं ि प्रौद्योविककयों
का विकास ककया है।
अंतरााष्ट्रीय कृ वष अनुसध
ं ान सलाहकार समूह (Consultative Group
on International Agricultural Research: CGIAR)
• इसे 1971 में स्थावपत ककया िया था। यह दानदाताओं की एक
रणनीवतक साझेदारी है। यह उन 15 अंतरााष्ट्रीय अनुसध
ं ान कें द्रों का
समथान करता है, जो सरकार, नािररक समाज संिठनों और वनजी
व्यिसायों के सहयोि से काया करते हैं।
• CGIAR एक िैवश्वक अनुसध
ं ान साझेदारी है। इसका मुख्य उद्देश्य
खाद्य-सुरवक्षत भविष्य सुवनवश्चत करना है। यह जलिायु संकर् की
वस्थवत में भोजन, भूवम और जल प्रणावलयों का पुनरुद्धार करने के
प्रवत समर्पात है।
• यह पांच प्रभाि क्षेत्रों67 पर अपना ध्यान कें कद्रत ककए हुए है
(इन्फोग्राकफक्स देखें)।
हाल ही में, भारत सरकार ने तेलंिाना में राष्ट्रीय हल्दी बोिा (NTB) के िठन हेतु अवधसूचना जारी की है।
• भारत दुवनया में हल्दी का सबसे बडा उत्पादक, उपभोक्ता और वनयाातक देश है।
वनष्कषा
हल्दी के वलए एक अलि बोिा की स्थापना से भारत में हल्दी की खेती करने िाले ककसानों की एक दशक पुरानी मांि पूरी होिी। साथ ही, इससे भारत को
अंतरााष्ट्रीय बाजार में हल्दी के वनयाात में अपना प्रभुत्ि स्थावपत करने में भी सहायता वमलेिी।
3.4.1. अथा शास्त्र में नोबे ल पु र स्कार (2023): श्रम बल में मवहलाएं (Nobel Prize in Economics: Women
in Labour Force)
सुर्खायों में क्यों?
• वपछली सदी में, उच्च आय िाले कई देशों में िैतवनक कायों में मवहलाओं का अनुपात
बढकर तीन िुना हो िया। यह आधुवनक समय में श्रम बाजार में हुए सबसे बडे
सामावजक और आर्थाक बदलािों में से एक है। हालांकक, लैंविक स्तर पर असमानता
की समस्या अभी भी मौजूद है।
• क्लाउविया िोवल्िन के शोध ने हमें श्रम बाजार में मवहलाओं की ऐवतहावसक और
समकालीन भूवमकाओं के बारे में नई और कई जिह आश्चयाजनक समझ प्रदान की
है।
लैंविक असमानता की वस्थवत
• िैवश्वक वस्थवत: विश्व स्तर पर, लिभि 50 प्रवतशत मवहलाएं िैतवनक रोजिार में हैं, जबकक पुरुषों के मामले में यही अनुपात 80 प्रवतशत है।
o दवक्षण एवशया में, के िल लिभि 25% मवहलाएं ही श्रम बाजार का वहस्सा हैं।
• भारत में वस्थवत: भारत में, 2022 के वलए मवहलाओं की श्रम बल भािीदारी दर 24% और पुरुषों की श्रम बल भािीदारी दर 73.6% थी।
o िषा 2021 के वलए भारत में मवहलाओं में सुभद्य
े रोजिार (Vulnerable employment) दर 77.3% और पुरुषों में 72.9% थी। सुभेद्य रोजिार
स्ि-रोजिार का एक रूप है। इसमें श्रम आय कम होती है और रोजिार सुरवक्षत नहीं होता है।
• U-आकार का संबंध: विकास और मवहला श्रम बल भािीदारी के बीच U-आकार का संबंध है। यहां विकास से आशय प्रवत व्यवक्त सकल घरे लू उत्पाद
से है। इसे वनम्नवलवखत तरीके से समझा जा सकता है:
• U-आकार का किा: पहले, यह मान वलया िया था कक “आर्थाक संिृवद्ध और िेतनभोिी रोजिार में मवहलाओं की संख्या” के बीच एक स्पि सकारात्मक
संबंध है।
o िोवल्िन के U-आकार के किा ने प्रदर्शात
ककया कक श्रम बाजार में मवहलाओं की
भािीदारी और आर्थाक संिवृ द्ध के बीच
ऐवतहावसक रूप से कोई सुसि ं त संबंध
नहीं है।
• सामावजक मानदंि: कानून या रीवत-ररिाज
वजन्हें “वििाह के बाद प्रवतबंध (Marriage
bars)” के रूप में जाना जाता है। ये अक्सर
वििावहत मवहलाओं को श्रम की बढती मांि
के बािजूद रोजिार में बने रहने से रोकते हैं।
o इसके अलािा, मवहलाएं अक्सर वििाह
के बाद लंबे समय के वलए रोजिार छोड
देती हैं। इससे वशक्षा और अन्य कौशल
से जुडे उनके चयन पर नकारात्मक
प्रभाि पडता है। पररणामस्िरुप उन्हें
आने िाले समय में वमलने िाली नौकरी/
कररयर भी प्रभावित होता है।
• तकनीकी निाचार: िभावनरोधक दिाओं का
सेिन बढने से मवहलाएं देर से वििाह करने लिी हैं और वििावहत मवहलाएं भी बच्चों के जन्म में जल्दबाजी करने से बच रही हैं। इसके चलते उनकी
वशक्षा और कररयर की संभािनाओं में िृवद्ध हुई है।
o हालांकक, इसका यह मतलब कतई नहीं है कक मवहलाओं और पुरुषों के बीच आय का अंतर पूरी तरह समाप्त हो िया है। हााँ, इतना जरूर है कक
1970 के दशक के बाद से आय का अंतर काफी कम हो िया है।
• मावसक िेतन प्रणाली: आर्थाक संिृवद्ध, मवहलाओं में वशक्षा के बढते स्तर और िेतनभोिी मवहलाओं का अनुपात दोिुना होने के बािजूद , 1930 और
1980 के बीच आय का अंतर लिभि एक जैसा ही रहा।
o ऐसा आंवशक रूप से पीसिका कॉन्रैक्ट्स (अथाात् काम के अनुसार भुितान संविदा) को त्यािने और आधुवनक िेतन प्रणाली (मावसक िेतन) को
अपनाने के कारण हुआ है।
▪ पीसिका कॉन्रैक्र् में एक कमाचारी को उसके िका परफॉरमेंस के आधार पर भुितान ककया जाता है, न कक उसे कफक्स सैलरी दी जाती है।
• पेरेंर्हुि प्रभाि: बच्चों की देखभाल (के यर इकोनॉमी) में पुरुषों की तुलना में मवहलाएं अवधक वजम्मेदारी उठाती हैं। इससे उनके कररयर में प्रिवत करना
और आय में िृवद्ध करना करठन हो जाता है।
o मौजूदा दौर में श्रम बाजार के कई क्षेत्रक कामिारों से यह अपेक्षा करते हैं कक िे रोजिार में वनरं तर उपलब्ध रहें और वनयोक्ता की अपेक्षाओं के
अनुरूप लचीला बन रहें। िौरतलब है कक बच्चे के जन्म के बाद मवहलाओं के वलए ऐसा करना मुवश्कल हो जाता है।
• मूल्यांकन: जो नीवत वनमााता इन असमानताओं को दूर करना चाहते हैं, उन्हें पहले यह समझना होिा कक ये क्यों मौजूद हैं।
3.5.1. आिवधक श्रम बल सिे क्ष ण (PLFS) ररपोर्ा • PLFS में प्रयुक्त प्रमुख संकेतक:
2022-2023 {Periodic Labour Force o श्रम बल भािीदारी दर (Labour Force Participation
Survey (PLFS) Report 2022-2023} Rate: LFPR): यह कु ल आबादी में श्रम बल में शावमल
• PLFS की शुरुआत 2017 में की िई थी। इसका उद्देश्य रोजिार व्यवक्तयों का प्रवतशत है। इसमें कायारत या काम की तलाश में
लिे लोि या काम करने के वलए उपलब्ध लोि शावमल हैं।
और बेरोजिारी से जुडे मुख्य संकेतकों (जैसे- LFPR, WPR ि o श्रवमक जनसंख्या अनुपात (Worker Population Ratio:
UR) का वनम्नवलवखत आधार पर अनुमान लिाना है: WPR): कु ल जनसंख्या में रोजिार प्राप्त व्यवक्तयों का प्रवतशत।
o ितामान साप्तावहक वस्थवत (CWS)70 में के िल शहरी क्षेत्रों के o बेरोजिारी दर (Unemployment Rate: UR): इसे श्रम
वलए तीन माह के अल्पकावलक समय अंतराल पर प्रमुख बल में शावमल कु ल लोिों में बेरोजिार व्यवक्तयों के प्रवतशत के
रूप में पररभावषत ककया जाता है।
रोजिार और बेरोजिारी संकेतकों का अनुमान लिाना।
o कायाकलाप की वस्थवत (Activity Status): यह वनर्दाि संदभा
o िार्षाक रूप से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में ‘सामान्य
अिवध के दौरान व्यवक्त द्वारा की िई काया िवतविवधयों के
वस्थवत’ तथा CWS दोनों में रोजिार एिं बेरोजिारी संकेतकों आधार पर वनधााररत की जाती है।
का अनुमान लिाना।
पररभाषा • विलफु ल विफॉल्र्र एक ऐसा उधारकताा या िारंर्र 3.5.7. िस्तु एिं से िा कर (GST) पररषद की 52िीं
होता है, जो ऋण चुकाने में सक्षम होने के बािजूद बै ठ क आयोवजत की िई {52nd Goods and
भी ऋण की अदायिी नहीं करता है। इसके तहत Services Tax Council (GST) COUNCIL
न्यूनतम बकाया रावश 25 लाख रुपये या उससे Meeting Held}
अवधक होनी आिश्यक है।
• पररषद द्वारा की िई मुख्य वसफाररशें:
• लाजा विफॉल्र्र िह होता है, वजसकी विफॉल्र् रावश
o वजला खवनज प्रवतष्ठान न्यास एक तरह के सरकारी प्रावधकरण
1 करोड रुपये या उससे अवधक होती है।
हैं और उन्हीं की तरह GST से छू र् के वलए पात्र हैं।
72 Non-performing asset
61 www.visionias.in ©Vision IAS
o शीरे (Molasses) पर GST दर को 28% से घर्ाकर 5% 3.5.8. राष्ट्रीय वनिे श और अिसं र चना कोष
करने की वसफाररश की िई है। (National Investment and Infrastructure
▪ इससे चीनी वमलें िन्ना ककसानों को त्िररत भुितान कर Fund: NIIF)
सकें िी।
o मानि उपभोि के वलए अल्कोहल युक्त मकदरा के वनमााण में • NIIF ने 600 वमवलयन िॉलर के भारत-जापान कोष की स्थापना
उपयोि ककए जाने िाले एक्स्रा न्यूरल अल्कोहल (ENA) को के वलए जापान बैंक फॉर इंर्रनेशनल कोऑपरे शन (JBIC) के साथ
GST के दायरे से बाहर करने की वसफाररश की है। सहयोि ककया है।
▪ ENA उच्च सांद्रता िाला अल्कोहल है। यह o इस कोष में JBIC और भारत सरकार एंकर वनिेशक होंिे।
एक एंकर वनिेशक ककसी नए फं ि में पूंजी लिाने िाला पहला
फामाास्यूरर्कल्स, परफ्यूम, र्ॉयलेर्रीज (साबुन मंजन
वनिेशक होता है।
आकद) इत्याकद के वलए एक प्रमुख घर्क है।
• NIIF के बारे में:
o GSTAT के सदस्यों की योग्यता: वनम्नवलवखत को सुवनवश्चत
o इसे भारत सरकार ने स्थावपत ककया है। यह अंतरााष्ट्रीय और
करने के वलए CGST अवधवनयम, 2017 के प्रािधानों को भारतीय वनिेशकों के वलए एक सहयोिी वनिेश प्लेर्फॉमा है।
अवधकरण सुधार अवधवनयम, 2021 के साथ संरेवखत करना o NIIF प्लेर्फॉमा के तहत सरकार ने तीन फं ि स्थावपत ककए हैं:
होिा। ▪ मास्र्र फं ि,
▪ अध्यक्ष एिं सदस्यों की न्यूनतम आयु 50 िषा होनी ▪ फं ि ऑफ फं ्स, और
चावहए तथा उनका कायाकाल िमशः 70 िषा ि 67 िषा ▪ स्रैर्ेवजक अपॉचुवा नर्ीज फं ि
की आयु तक होना चावहए। o NIIF का उद्देश्य मुख्य तौर पर इकिर्ी और इकिर्ी से जुडे
• GST पररषद के बारे में: विपत्रों में वनिेश करना है।
o संविधान के अनुच्छेद 279A के उपबंधों के अधीन GST
3.5.9. IRDAI ने बीमा िाहक कदशा-वनदे श (BHG)
पररषद की स्थापना की िई है। इस प्रकार, यह एक संिैधावनक
जारी ककए {IRDAI Issued Bima Vahak
वनकाय है। अनुच्छेद 279A को 101िें संविधान संशोधन
Guidelines (BHG)}
अवधवनयम, 2016 के माध्यम से संविधान में जोडा िया है।
• इन कदशा-वनदेशों का उद्देश्य ऐसे मवहला कें कद्रत वितरण चैनल
o अध्यक्ष: कें द्रीय वित्त मंत्री।
स्थावपत करना है, जो प्रत्येक िांि में बीमा समािेशन और
o सदस्य:
जािरूकता बढाने पर कें कद्रत होंिे।
▪ कें द्रीय वित्त राज्य मंत्री या राजस्ि प्रभारी।
o इसका उद्देश्य देश के हर कोने में बीमा की पहुंच और
▪ वित्त या कराधान के प्रभारी मंत्री या प्रत्येक राज्य सरकार
उपलब्धता में सुधार करना है।
द्वारा नावमत कोई अन्य मंत्री।
• बीमा िाहकों के काम का दायरा िांिों में बीमा के बारे में जािरूकता
o काया: GST के कायाान्ियन से संबंवधत मुद्दों पर वसफाररशें
बढाने के अलािा प्रपोज़ल फॉमा भरने, ग्राहकों के वलए KYC प्रकिया
करना।
को सुविधाजनक बनाने, बीमा पॉवलसी जारी करने आकद तक होने
o मतदान के माध्यम से वनणाय लेना: वनणाय के वलए उपवस्थत
की संभािना है।
और मतदान करने िाले सदस्यों के 3/4 बहुमत की आिश्यकता
• यह IRDAI की 'सभी के वलए बीमा' लक्ष्य को प्राप्त करने की
होती है।
रणनीवत का एक वहस्सा है।
▪ िाले िए मतों में कें द्र की वहस्सेदारी 33% होती है।
3.5.10. किरर्कल और सामररक खवनज (Critical
GST अपीलीय अवधकरण (GSTAT) के बारे में:
and Strategic Minerals)
• GSTAT, कें द्रीय GST अवधवनयम, 2017 के तहत एक िैधावनक
• कें द्रीय मंवत्रमंिल ने तीन किरर्कल और सामररक खवनजों वलवथयम,
वनकाय है।
नाइओवबयम तथा दुलाभ भू-तत्िों के खनन के वलए रॉयल्र्ी दरों को
• यह GST कानूनों के तहत अपील का दूसरा मंच है और कें द्र एिं
मंजूरी प्रदान की।
राज्यों के बीच वििाद समाधान का पहला साझा मंच है। पहले स्तर
• किरर्कल खवनजों को ककसी देश के आर्थाक विकास और उसकी
पर अपीलीय प्रावधकरण हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा के वलए अत्यंत आिश्यक माना जाता है। कोई खवनज,
o यह अपीलीय प्रावधकरण या पुनरीक्षण प्रावधकरण द्वारा पाररत
किरर्कल खवनज है या नहीं इसका मापन दो मापदंिों जैसे आर्थाक
आदेशों के वखलाफ अपीलों की सुनिाई करे िा।
महत्त्ि तथा आपूर्ता संबंधी जोवखम पर ककया जाता है।
73 Mines and Minerals (Development and Regulation) Act 75 UN World Tourism Organization
74Average Sale Price
63 www.visionias.in ©Vision IAS
तहत छू र् प्राप्त नहीं की है। इन संबद्ध शुल्कों/करों में शावमल हैं- • इस पररयोजना ने वित्तीय संस्थानों के बीच होलसेल कें द्रीय बैंक
स्थानीय कर, कोयला उपकर, मंिी कर आकद। विवजर्ल मुद्राओं (wCBDCs)76 के सीमा पार व्यापार और
o यह योजना िैवश्वक स्तर पर स्िीकृ त एक वसद्धांत पर आधाररत वनपर्ान का परीक्षण ककया है। इसके वलए इसने पवब्लक ब्लॉकचेन
है। इस वसद्धांत के अनुसार करों और शुल्कों का वनयाात नहीं पर नई विके न्द्रीकृ त वित्त (DeFI) प्रौद्योविकी अिधारणाओं का
ककया जाना चावहए। साथ ही, वनयाात ककए िए उत्पादों पर उपयोि ककया है।
लिने िाले करों और शुल्कों पर या तो छू र् दी जानी चावहए
o होलसेल CBDC का तात्पया कें द्रीय बैंक भंिार में अंतरबैंक
या उन्हें वनयाातकों को िापस कर कदया जाना चावहए।
हस्तांतरण और संबवं धत होलसेल लेन-देन के वनपर्ान से है।
o यह विश्व व्यापार संिठन (WTO) के वनयमों के अनुरूप है। इसे
एंि-र्ू -एंि आईर्ी पररिेश में लािू ककया जा रहा है। 3.5.16. िै वश्वक निाचार सू च कां क (GII) 2023
{Global Innovation Index (GII), 2023}
3.5.14. स्िचावलत ‘स्र्े र् स होल्िर’ प्रमाण-पत्र
(Automatic ‘Status Holder’ Certificates) • विश्व बौवद्धक संपदा संिठन (WIPO) द्वारा जारी “िैवश्वक निाचार
सूचकांक (GII) 2023” में भारत की 40िीं रैं क बरकरार रही।
• िावणज्य एिं उद्योि मंत्रालय ने विदेश व्यापार नीवत, 2023 के
तहत वसस्र्म-आधाररत स्िचावलत ‘स्र्ेर्स होल्िर’ प्रमाण-पत्र जारी
ककए हैं।
• अब प्रमाण-पत्र आई.र्ी. प्रणाली द्वारा जारी ककया जाएिा। यह
प्रमाण-पत्र िावणवज्यक जानकारी और सांवख्यकी महावनदेशालय
(DGCI&S) के पास उपलब्ध पण्य वनयाात पर इलेक्रॉवनक िेर्ा
तथा अन्य जोवखम मापदंिों के आधार पर उपलब्ध कराया
जाएिा।
o स्र्ेर्स होल्िसा ऐसे वबजनेस लीिर होते हैं, वजन्होंने अंतरााष्ट्रीय
व्यापार में उत्कृ ि प्रदशान ककया है और देश के विदेश व्यापार
में अवधक योिदान कदया है।
हाल ही में, भारत के विदेश मंत्री ने अलिाििाद और संिरठत अपराध के बीच बढती सांठिांठ पर नजर बनाए रखने का सुझाि कदया।
• सरल शब्दों में कहें तो एक स्ितंत्र राष्ट्र की मांि करना अलिाििाद है। कई बार इसमें एक अलि ि स्ितंत्र राष्ट्र के वनमााण या मौजूदा राष्ट्र के साथ
संबंधों को नए वसरे से वनधााररत करने की मांि भी की जाती है।
• देश के अलि-अलि राज्यों में कई क्षेत्रों/ समुदायों के बीच राष्ट्र के साथ संबध
ं ों को कफर से तय करने की मांि उठती रही है। इस तरह की मांिों का
स्िरूप और उन्हें पूरा करने के तरीके अलि-अलि हैं, वजन्हें वनम्नवलवखत प्रकार से समझा जा सकता है:
उग्रिाद • यह ितामान शासन व्यिस्था को उखाड फें कने या चुनौती देने के वलए प्रशासन या सरकारी प्रावधकरण के वखलाफ ककया िया
संिरठत ि सशस्त्र विद्रोह है।
• आतंकिाद के विपरीत, उग्रिादी आंदोलन के वलए सामान्यतः समाज के एक ििा से प्रत्यक्ष या नैवतक समथान प्राप्त करना
अवनिाया होता है। इससे उग्रिादी अपनी िवतविवधयों को सही ठहराने की कोवशश करते हैं और िैधावनक सत्ता यानी सरकार
को चुनौती देते हैं।
• उदाहरण के वलए- मध्य और पूिी भारत में िैचाररक विद्रोह या माओिाद या नक्सलिाद।
अलि राज्य की मांि के वलए आंदोलन: ये आंदोलन आम तौर पर तीन रूप धारण कर सकते हैं:
अलि राज्य के वलए • इसके तहत एक या एक से अवधक राज्यों से कु छ क्षेत्र को वमलाकर एक अलि राज्य बनाने की मांि की जाती है।
आंदोलन
स्िायत्तता के वलए • इसके तहत ककसी एक क्षेत्र या एक से अवधक क्षेत्रों के आर्थाक, सामावजक, सांस्कृ वतक और राजनीवतक मामलों में स्िायत्तता
आंदोलन प्राप्त करने हेतु लोिों की सामूवहक लामबंदी की जाती है।
• उदाहरण के वलए- बोिोलैंि, काबी और कदमासा (या कदमासा-कचारी) ने असम राज्य के भीतर स्िायत्तता प्राप्त कर ली है।
अलिाििादी आंदोलन • इसे पूरी तरह से अलिाि के रूप में भी जाना जाता है। इसके तहत अलिाििादी या एक क्षेत्र के लोि अपने देश से अलि होकर
(Secessionist एक संप्रभु देश की मांि करते हैं।
• उदाहरण के वलए - ग्रेर्र नािावलम की मांि।
movement)
हाल ही में, कें द्रीय िृह मंत्री ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)77 द्वारा आयोवजत आतंकिाद-रोधी सम्मेलन को संबोवधत ककया। इस सम्मेलन में उन्होंने न के िल
आतंकिाद से वनपर्ने बवल्क इसके संपूणा इकोवसस्र्म को समाप्त करने की आिश्यकता पर बल कदया। इसके अलािा, िृह मंत्री ने आतंकिाद से वनपर्ने के
वलए कु छ उपाय भी सुझाए।
आतंकिाद से वनपर्ने के वलए भारत का दृविकोण
• कानूनी फ्रेमिका : भारत में आतंकिाद से वनपर्ने के वलए प्रमुख कानून वनम्नवलवखत हैं:
o िैर-कानूनी िवतविवधयां (रोकथाम) अवधवनयम, 1967 {Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967};
o राष्ट्रीय सुरक्षा अवधवनयम, 1980 (National Security Act, 1980); आकद।
• कानून लािू करने के वलए समर्पात एजेंसी: NIA भारत में आतंकिाद-रोधी कानून प्रितान संिठन के रूप में काया करने िाली प्रमुख एजेंसी है।
o इसे ररसचा एंि एनावलवसस हिंि (RAW), इंर्ेवलजेंस ब्यूरो (IB), राज्य पुवलस सेिाओं जैसी अन्य एजेंवसयों सहयोि प्रदान करती हैं।
• आतंकिाद के वित्त-पोषण को रोकना: भारत वनम्नवलवखत संिठनों का सदस्य है:
o वित्तीय कारा िाई कायाबल (Financial Action Task Force: FATF);
o एवशया/ पैवसकफक ग्रुप ऑन मनी लॉहन्ड्रंि; और
o यूरेवशयन ग्रुप।
• हहंसक उग्रिाद की रोकथाम (Countering Violent Extremism): कें द्रीय िृह मंत्रालय, हहंसक उग्रिाद से वनपर्ने िाला प्रमुख मंत्रालय है।
• लोिों का विश्वास जीतना: कट्टरता की संभािनाओं को कम करने के वलए सरकार वनम्नवलवखत विकासात्मक पहल कर रही है:
o वसविक एक्शन प्रोग्राम: सरकारी सुरक्षा बल इस तरह के कायािम के जररए स्थानीय आिश्यकताओं और वस्थवतयों के अनुसार कु छ वसविक
िवतविवधयां करते हैं, जैसे- वचककत्सा वशविरों का आयोजन, स्िच्छता अवभयान, खेलों का आयोजन, सांस्कृ वतक कायािम, वन:शुल्क परामशा, मुफ्त
दिा वितरण आकद।
o उडान योजना: इस योजना का उद्देश्य कौशल विकास के जररए जम्मू-कश्मीर में युिाओं की क्षमता का वनमााण करना है।
• अंतरााष्ट्रीय और क्षेत्रीय सहयोि: भारत ने कई क्षेत्रीय और अंतरााष्ट्रीय आतंकिाद-रोधी मंचों पर प्रभािी भूवमका वनभाई है। भारत ने इन मंचों के जररए
आतंकिाद-रोधी बहुपक्षीय सहयोि को बढािा कदया है।
• संिठन से प्रत्यक्ष तौर पर जुडे वबना भी आतंकी िवतविवधयों को अंजाम देना: वपछले कु छ सालों में यह देखने को वमला है कक आतंकिादी आिश्यकता
पडने पर विवभन्न देशों में फै ले समान विचारधारा िाले समूहों/
व्यवक्तयों के जररए आतंकी कृ त्यों को अंजाम दे रहे हैं। इसके चलते लोन
िुल्फ हमलों में भी िृवद्ध हुई है।
• हवथयारों की बदलती प्रकृ वत: कु छ आतंकिादी समूह अब रासायवनक,
जैविक, रे वियोलॉवजकल या परमाणु (CBRN)79 सामवग्रयों का
उपयोि करने की क्षमता हावसल करने का प्रयास कर रहे हैं।
• प्रौद्योविकी का उपयोि: आतंकिादी अब सूचना प्रौद्योविकी के क्षेत्र में
हुई प्रिवत का व्यापक रूप से उपयोि कर रहे हैं। इसके चलते कहीं से
और कभी भी साइबर हमले का जोवखम तेजी से बढ रहा है।
• आतंकिाद हेतु धन जुर्ाने के नए तरीके : आतंकी िवतविवधयों को अंजाम देने हेतु धन जुर्ाने के वलए विशेष रूप से िाउिफं हिंि प्लेर्फॉमा या िेबसाइट्स
बनाई जा रही हैं।
o ऐसी िवतविवधयों की संख्या और उनकी विविधता को देखते हुए उनका पता लिाना चुनौतीपूणा हो रहा है।
• िैवश्वक स्तर पर आतंकिाद की सिासम्मत पररभाषा का अभाि: िैवश्वक स्तर पर आतंकिाद की पररभाषा को लेकर सिासम्मवत नहीं है। इसके
पररणामस्िरूप ‘आतंकिाद’ की सािाभौवमक रूप से स्िीकृ त पररभाषा का अभाि बना हुआ है।
• अन्य संिरठत अपराधों के साथ सांठिांठ: आतंकिादी िवतविवधयों एिं नकली िस्तुओं के उत्पादन और व्यापार, िनस्पवतयों ि जीिों से संबंवधत अिैध
अपराध, मादक पदाथों की तस्करी आकद के बीच िठजोड भारत के वलए नई हचंताएं पैदा कर रही हैं।
o कफक्की (FICCI) की एक ररपोर्ा की मानें तो मादक पदाथों की तस्करी और आतंकिाद परस्पर रूप से संबंवधत हैं।
• अलि-अलि एजेंवसयों के बीच सहयोि का अभाि: कें द्र और राज्य स्तर पर अलि-अलि आतंकिाद-रोधी एजेंवसयां (ATAs)80 सीवमत सहयोि और
िेर्ा आदान-प्रदान के साथ काम कर रही हैं।
• कानूनी और न्यावयक प्रणाली में देरी एिं जरर्लताएं।
आिे की राह
• NIA का िठन 2008 में ककया िया था। इसे 26/11 के मुंबई आतंकिादी हमलों के बाद बनाए िए राष्ट्रीय जांच एजेंसी अवधवनयम, 2008 के तहत
िरठत ककया िया था।
• उद्देश्य: फोकस्ि कायाबल के साथ राष्ट्रीय स्तर पर आतंकिाद का मुकाबला करने और राष्ट्रीय सुरक्षा-संबधं ी अन्य जांच में बेहतर मानक स्थावपत करना।
• यह िृह मंत्रालय के अधीन काया करती है।
• इसे राज्यों से अनुमवत वलए वबना ही राज्यों में आतंक संबंधी अपराधों से वनपर्ने का अवधकार प्राप्त है।
• राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) अवधवनयम, 2019 ने NIA को भारत के बाहर ककए िए अनुसवू चत अपराधों की जांच करने की शवक्त प्रदान की है।
• राज्यों के साथ सहयोि: यह आतंकिादी मामलों की जांच में सभी राज्यों और अन्य जांच एजेंवसयों को सहायता प्रदान करता है।
• प्रभािी और त्िररत सुनिाई सुवनवश्चत करना: NIA वजन लोिों को विरफ्तार करता है उनके दोषी पाए जाने का दर अवधक रही है। 2022 में NIA
द्वारा की िई विरफ़्तारी के मामले में समग्र दोषवसवद्ध दर (Overall Conviction Rate) लिभि 94% थी।
• िेर्ा कलेक्शन: NIA को सात क्षेत्रों में एक राष्ट्रीय िेर्ाबेस तैयार करने का काया सौंपा िया है। ये क्षेत्र हैं- मादक पदाथा, हिाला, हवथयारों की तस्करी,
नकली मुद्रा, बम विस्फोर्, र्ेरर फं हिंि और आतंकिाद।
• पेशेिर तरीके से िहन जांच: यह उन अपराधों की जांच करता है जहां साक्ष्य एकत्र करना काफी मुवश्कल होता है।
• सतका और पररवस्थवतजन्य उपाय: उदाहरण के वलए- NIA ने जम्मू-कश्मीर में ओिर ग्राउं ि िका सा के वखलाफ कई मामले दजा ककए और उनके स्लीपर
सेल को काफी बेहतर तरीके से समाप्त ककया।
संबवं धत सुर्खायां:
कफक्की ने “वहिन स्रीम्स: अिैध बाजार, वित्तीय प्रिाह, संिरठत अपराध और आतंकिाद के बीच संबध
ं 82” शीषाक से एक ररपोर्ा जारी की
• इस ररपोर्ा में 122 देशों में अलि-अलि अिैध िवतविवधयों से जुडे पहलुओं की जांच की िई है। इसमें संिरठत अपराध करने िालों और अिैध आर्थाक
िवतविवधयों के बीच िठजोड को उजािर ककया िया है। अिैध आर्थाक िवतविवधयों में शावमल हैं: मनी लॉहन्ड्रंि, जाली करें सी का कारोबार, हवथयार ि
नशीली दिाओं की तस्करी, आतंकिाद एिं अन्य संिरठत अपराध आकद।
4.3.1. भारतीय िायु से ना (IAF) का नया ध्िज प्रतीक से वलया िया है। इसका अथा है- िौरि के साथ आकाश को
{New Indian Air Force (IAF) Ensign} छु ओ।
NbIS की विशेषताएं: ये
अिसंरचना की रक्षा भी करते हैं
और अिसंरचना संबध ं ी सेिा भी
प्रदान करते हैं। ये जलिायु
पररितान को सहने में सक्षम होते
हैं। ये पयाािरणीय अखंिता और
जैि विविधता को बढािा देते हैं।
ये सामावजक भलाई को भी
सुवनवश्चत करते हैं। इसवलए यकद
इन्हें व्यापक रूप से अपनाया
जाए, तो ये लचीलेपन को
मजबूत करने में महत्िपूणा
भूवमका वनभा सकते हैं।
• पारं पररक अिसंरचना की
सुरक्षा: NbIS का उपयोि
करके पारं पररक ‘ग्रे’
अिसंरचना की क्षमता में
िृवद्ध की जा सकती है।
NbIS, ‘ग्रे’ अिसंरचना को
सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं
या 'ग्रे' अिसंरचना की
जिह NbIS का भी उपयोि ककया जा सकता है। इस प्रकार यह प्रकृ वत के अनुकूल वनमााण काया करने की कदशा में एक आदशा बदलाि ला सकता है।
• कम लाित: औसत रूप से देखें तो ग्रे अिसंरचना पररयोजनाओं की तुलना में NbIS की लाित 49 प्रवतशत कम है। दूसरे शब्दों में कहें तो ग्रे अिसंरचना
पररयोजनाओं की 51 प्रवतशत लाित में ही प्रकृ वत-आधाररत अिसंरचना समाधान (NbIS) हावसल ककए जा सकते हैं।
• काबान उत्सजान को कम करना: NbIS ककसी अिसंरचना के जीिनचि के दौरान काबान उत्सजान को भी कम करते हैं। इससे भूवम के उपयोि में बदलाि
करने से बचने और अिसंरचना के जीिनकाल को बढाने में मदद वमलेिी।
• सामावजक-आर्थाक पररणाम: NbIS विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में वनणाय लेने और ििनेंस में मवहलाओं की भािीदारी के अिसरों में बढोतरी करते हैं।
o अनुमानों के अनुसार इसके चलते 2030 तक 59 वमवलयन नौकररयां पैदा हो सकती हैं।
o NbIS को व्यापक रूप से अपनाने से SDGs हावसल करने में सहायता वमलेिी।
• ज्ञान की आिश्यकता: NbIS के वलए नए अंतःविषयक ज्ञान और कौशल की आिश्यकता होती है। पारं पररक इंजीवनयरों एिं िास्तुकारों के पास इस
ज्ञान और कौशल का प्रायः अभाि रहता है।
• शोध का अभाि: पाररवस्थवतकी तंत्र सेिाओं का मूल्य वनधााररत करने, प्रकृ वत-आधाररत मूल्यों को मॉिहलंि और लाित-लाभ लेखांकन में एकीकृ त करने
और NbIS के विजाइन की सुिम बनाने िाले शोध का अभाि है।
• जोवखम मूल्यांकन का अभाि: जोवखम वनधाारण के मामले में एक विश्वसनीय और मजबूत प्रकिया के वबना NbIS संबंधी लचीलेपन से वमलने िाले
लाभों का पता लिाना लिभि असंभि है।
• राजनीवतक रूप से अनाकषाक: NbIS कभी-कभी राजनीवतक रूप से अनाकषाक हो सकते हैं क्योंकक यह वनजी लाभ प्राप्त करने के अिसरों को कम
करता है।
• पररपिता अिवध (Gestation period): अिसंरचना संबंधी आिश्यकताओं की पूर्ता हेतु तत्काल आिश्यकता की वस्थवत में NbIS प्रायः एक धीमा
समाधान हो सकता है।
• अनुसध
ं ान: इस संबंध में सािधानीपूिाक समीक्षा, क्यूरेर्ेि, अप-र्ू-िेर्, बहुभाषी और सािाजवनक रूप से उपलब्ध अनुसंधान, पुस्तकालय, विजाइन
मानक और के स स्र्िी आिश्यक हैं।
o विशेषकर LMICs सवहत सभी देशों को NbIS में राष्ट्रीय उत्कृ िता कें द्र स्थावपत करना पडेिा।
• पररणाम से जुडे NbIS: NbIS संबंधी वनिरानी को SDGs हावसल करने की राह में प्रिवत और िैवश्वक साझा लक्ष्यों से जोडना चावहए। इससे NbIS
को अवधक-से-अवधक अपनाने में मदद वमल सकती है।
• विवनयमन: पाररवस्थवतक तंत्र की सुरक्षा और संरक्षण के वलए प्रभािी कानून बनाना जरूरी है ताकक NbIS में अवधक वनिेश को प्रोत्सावहत ककया जा
सके ।
• रे रर्ं ि प्रणाली: रे रर्ंि र्ू ल्स लचीलेपन या संधारणीयता के वलए बाजार के संकेत के रूप में काम कर सकते हैं। साथ ही, इनके चलते बाजार में NbIS
संबंधी प्रमावणत उदाहरण भी उपलब्ध हो सकते हैं।
o उदाहरण के वलए- ग्रीन रे रर्ंि फॉर इंर्ीग्रेर्ेि हैवबर्ेर् असेसमेंर् (GRIHA)
• िैवश्वक मानक: NbIS के वलए वनधााररत िैवश्वक मानक, NbIS पररयोजनाओं में अवधक-से-अवधक वित्त-पोषण के वलए मािा खोल सकते हैं।
• वित्त-पोषण हेतु प्रोत्साहन: ग्रे इंफ्रास्रक्चर की मौजूदा वनमााण प्रकिया में NbIS को एकीकृ त करना चावहए। इससे अिसंरचना के प्रभाि को बढाने ,
अिसंरचना के नुकसान और क्षवत को कम करने और जैि विविधता के नुकसान को रोकने में सहायता वमल सकती है।
वनष्कषा
दीघाकावलक जीिनचि िाले विजाइन पर अिसंरचना संबंधी पररसंपवत्तयों का वनमााण करना आने िाले दशकों में वनिेश को लेकर आश्वस्त रहने और विकास
के पथ के साथ तालमेल वबठाकर आिे बढने के वलए महत्िपूणा होिा। इसके साथ-साथ विनाशकारी जलिायु पररितान और जैि विविधता के नुकसान से
जुडे जीिन के अवस्तत्ि संबंधी जोवखमों से वनपर्ने के वलए अिसंरचना के लचीलेपन को मजबूत करना भी महत्िपूणा है।
5.2. वहमनदीय झील के र्ू र् ने से उत्पन्न बाढ (Glacial Lake Outburst Flood: GLOF)
सुर्खायों में क्यों?
हाल ही में, वसकक्कम में वहमनदीय झील के र्ू र्ने से उत्पन्न बाढ (GLOF) की घर्ना घरर्त हुई है।
यह घर्ना दवक्षण ल्होनक झील के दवक्षणी तर्बंध के र्ूर्ने से हुई है।
वसकक्कम में आई आपदा मुख्यतः वनम्नवलवखत कारकों के विनाशकारी संयोजन के कारण उत्पन्न हुई थी।
• वहमनद का वपघलना: वसकक्कम की दवक्षण ल्होनक झील काफी ऊंचाई पर वहमनदीय क्षेत्र में वस्थत है। जलिायु पररितान के कारण वहमनद तेजी से
वपघल रहे हैं, वजसके चलते ल्होनक झील में जल स्तर काफी बढ िया।
• GLOF की घर्ना: जब वहमनदों के वपघलने से प्राप्त जल के कारण वहमनदीय झील में जल की मात्रा चरम हबंद ु तक पहुंच जाती है, तब वहमनदीय
झील के तर्बंध र्ूर् जाते है। इसके कारण आई बाढ को GLOF कहते हैं। इस घर्ना में बादल फर्ने के कारण होने िाली अत्यवधक िषाा की भूवमका के
चलते GLOF का प्रभाि अत्यंत विनाशकारी हो जाता है।
o GLOF, अचानक घरर्त होने िाली एक विनाशकारी घर्ना है। वहमनदीय झील के जल को रोक कर रखने िाले वहमनद या वहमोढ जैसे प्राकृ वतक
तर्बंध के र्ू र्ने से अचानक और बहुत अवधक मात्रा में ढलान की कदशा में जल का प्रिाह होने लिता है। इसके कारण प्रचंि बाढ आती है।
• चुंिथांि बांध: बाढ का पानी लाचेन नदी से होते हुए चुंिथांि में तीस्ता-III जल विद्युत पररयोजना तक पहुंच िया। चुंिथांि बांध से अवतररक्त पानी
छोडे जाने के कारण वस्थवत और भी िंभीर हो िई।
• वहमनदीय झील या वहमानी झील का आकार काफी बडा हो सकता है। इन झीलों का वनमााण वपघलते वहमनद के सामने, ऊपर या नीचे भी हो सकता
है।
o सामान्यतः वहमनद के वपघलने से वहमनदीय झीलों में जल पहुंचता रहता है और झील का आकार भी बढता जाता है। इन झीलों के तर्बंध
असंिरठत वहमोढ, अवस्थर वहम और अिसाद के बने होते हैं। अतः झील में जल की मात्रा अत्यवधक बढ जाने से तर्बंध र्ूर् सकते हैं और जल एिं
मलबे के तीव्र प्रिाह के कारण वनचले इलाकों में काफी हावन हो सकती है।
o ग्लोबल िार्मिंि के कारण ग्लेवशयर वपघल रहे हैं और वहमनदीय झीलों के आकार और संख्या में िृवद्ध हो रही है।
75 www.visionias.in ©Vision IAS
• ककसी भी कारण से वहमनदीय झील में एकवत्रत जल के अचानक और बहुत अवधक मात्रा में ढलान की कदशा में तीव्र प्रिाह के चलते वनचले इलाकों में
आने िाली प्रचंि बाढ को ही GLOF कहते हैं।
• भारत में GLOF संबंधी सुभद्य
े ता
o हाल ही में, इंर्रनेशनल सेंर्र फॉर इंर्ीग्रेर्ेि माउं र्ेन िेिलपमेंर्
(ICIMOD) ने हहंदू कु श वहमालय (HI-WISE) आकलन ररपोर्ा जारी
की है। इस ररपोर्ा के अनुसार िषा 2100 तक िैवश्वक तापमान में
1.5°C से 2°C के बीच की िृवद्ध से वहमनदों का विस्तार 2015 की
तुलना में 30-50% तक कम हो जाएिा।
o हाई माउं र्ेन एवशया (HMA) क्षेत्र में रहने िाले 9 वमवलयन से अवधक
लोि वहमनद झील के र्ू र्ने के कारण खतरे का सामना कर सकते हैं।
यहां हाई माउं र्ेन एवशया क्षेत्र से आशय वतएन शान, पामीर, हहंदू
कु श, काराकोरम, वहमालय और ककवलयान शान की पिात श्रृंखलाओं
से वघरे क्षेत्र से है।
o भारत में वपछले दशक के दौरान िंिा और ब्रह्मपुत्र नदी घारर्यों में
GLOF की कम-से-कम तीन अत्यवधक विनाशकारी घर्नाएं जैसे
के दारनाथ (2013), चमोली (2021) और वसकक्कम (2023) हुई हैं।
• जल के प्रिाह में होने िाली िृवद्ध: अत्यवधक भारी िषाा के कारण छोर्ी और मौसमी नकदयों, सहायक नकदयों एिं मुख्य नदी में जल की मात्रा में
अत्यवधक िृवद्ध हो जाती है। यह अचानक आने िाली बाढ का एक प्रमुख कारण है।
• बादल फर्ना: एक वनवश्चत क्षेत्र में कम समय में ही अचानक अत्यवधक भारी िषाा को बादल फर्ना कहते हैं। बादल फर्ने की भविष्यिाणी करना बेहद
करठन होता है।
• तूफानी िषाा (Rainstorms): IMD के अनुसार, तूफानी िषाा का आशय एक वनवश्चत अिवध में ककसी क्षेत्र में काफी ि अत्यवधक भारी िषाा से है।
• मानि जवनत कारक: बढते कें द्रीकृ त विकास और पयार्न अथाव्यिस्था के विस्तार के चलते संिेदनशील क्षेत्रों में अवनयोवजत तरीके से वनमााण ककए जा
रहे हैं। उदाहरण के वलए:
o भूकंप, भूस्खलन और अन्य आपदाओं की आशंका िाले संिेदनशील क्षेत्रों में जलविद्युत पररयोजनाओं का वनमााण करना।
o पाररवस्थवतकीय रूप से संिेदनशील क्षेत्रों में असंधारणीय और अवनयोवजत अिसंरचनाओं का वनमााण करना।
o मानिजवनत कारणों से ग्रीनहाउस िैसों और प्रदूषकों के उत्सजान के कारण जलिायु पररितान एिं ग्लोबल िार्मिंि में होने िाली िृवद्ध।
• राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्रावधकरण (NDMA): इसने बाढ के प्रबंधन के वलए कदशा-वनदेश जारी ककए हैं। साथ ही, NDMA ने इस दौरान अलि-अलि
कें द्रीय और राज्य एजेंवसयों द्वारा वनभाई जाने िाली भूवमकाओं को भी वनधााररत ककया है।
o इस संबध
ं में NDMA द्वारा जारी ककए िए कदशा-वनदेश:
▪ 2020 में GLOFs के प्रबंधन के वलए कदशा-वनदेश,
▪ 2010 में शहरी बाढ के प्रबंधन के वलए कदशा-वनदेश, और
▪ 2008 में बाढ प्रबंधन के वलए कदशा-वनदेश जारी। (इन्फोग्राकफक देखें)
• संरचनात्मक उपाय: इसमें जलाशयों, तालाबों, तर्बंधों का वनमााण करना; नकदयों के अवतररक्त जल को नहरों में भेजना या अन्य जल-वनकासी सुविधा
का वनमााण करना; अपिाह मािा और जल वनकासी सुविधा में सुधार करना, िार्रशेि प्रबंधन आकद शावमल हैं।
• बाढ संभावित क्षेत्र को जोन में बांर्ना: इसका उद्देश्य बाढ की व्यापकता या उसके आने की बारं बारता के आधार पर क्षेत्रों को अलि-अलि जोन्स में
बांर्ना है। साथ ही, इसका उद्देश्य इन जोन्स के वलए उपयुक्त अिसंरचना के वनमााण के प्रकार भी वनधााररत करना है ।
• अवग्रम चेतािनी प्रणाली: NDMA ने भारत में जोवखम िाली 56 वहमनदीय झीलों में से अवधकांश के वलए ररयल र्ाइम अलर्ा हेतु अवग्रम चेतािनी
प्रणाली स्थावपत करने की योजना बनाई है।
5.3.1. कोरल रीफ ब्रे क थ्रू (Coral Reef विकास और अत्यवधक मत्स्यन िवतविवधयों को कम करना
शावमल हैं।
Breakthrough)
o लचीलापन आधाररत प्रिाल वभवत्त संरक्षण प्रयासों को बढािा
• इंर्रनेशनल कोरल रीफ इवनवशएरर्ि (ICRI) ने ‘कोरल रीफ ब्रेकथ्रू’ देना: इसके वलए 30x30 लक्ष्यों सवहत िैवश्वक तर्ीय सुरक्षा
लॉन्च ककया है। ICRI ने ‘ग्लोबल फं ि फॉर कोरल रीफ्स’ और संयक्त
ु लक्ष्यों के साथ तालमेल वबठाने और उन्हें पार करने की कोवशश
राष्ट्र हाई-लेिल क्लाइमेर् चैंवपयंस के साथ साझेदारी में कोरल रीफ की जाएिी।
ब्रेकथ्रू लॉन्च ककया है। ▪ कु नहमंि-मॉवन्रयल िैवश्वक जैि विविधता फ्रेमिका का
o इस पहल का लक्ष्य उथले जल की उष्णकरर्बंधीय प्रिाल लक्ष्य-3: इसके तहत िषा 2030 तक कम-से-कम 30
वभवत्तयों के कम-से-कम 125,000 ििा कक.मी. क्षेत्र को विलुप्त प्रवतशत स्थलीय और अंतदेशीय जल क्षेत्रों तथा समुद्री
होने से बचाना है। एिं तर्ीय क्षेत्रों को संरवक्षत करने का लक्ष्य रखा िया है।
• लक्ष्य प्राप्त करने के वलए काया-योजनाएं: o प्रिालों के अनुकूल व्यापक निोन्मेषी समाधानों और क्लाइमेर्
o प्रिाल को नुकसान पहुंचाने िाले स्थानीय कारकों को कम स्मार्ा विजाइनों के विकास एिं कायाान्ियन में सहायता करना:
करना: इनमें प्रदूषण के भूवम-आधाररत स्रोतों, विध्िंसक तर्ीय इससे 2030 तक 30 प्रवतशत वनम्नीकृ त प्रिालों की पुनबाहाली
में मदद वमलेिी।
5.3.3. ने र् ज़ीरो रोिमै प (Net Zero Roadmap) है। इसके अवतररक्त, रामसर कन्िेंशन के तहत इसे 'अंतरााष्ट्रीय
महत्त्ि की आद्राभवू म' का दजाा भी प्राप्त है।
• हाल ही में, नेर् ज़ीरो रोिमैप के संबंध में एक ररपोर्ा जारी की िई।
o जीि-जंतु: एश्चुराइन मिरमच्छ, रॉयल बंिाल र्ाइिर, िॉर्र
यह ररपोर्ा “1.5 विग्री सेवल्सयस लक्ष्य को पहुंच में रखने के वलए
मॉवनर्र वछपकली, िंिा िॉवल्फन, ओवलि ररिले र्र्ाल आकद।
एक िैवश्वक मािा90” शीषाक से एक ररपोर्ा जारी की िई। यह ररपोर्ा
o संकर्: यह क्षेत्र बाढ, भूकंप, चििात, समुद्र के स्तर में िृवद्ध
अंतरााष्ट्रीय ऊजाा एजेंसी (IEA)91 ने जारी की है। और समुद्र तर् के क्षरण के प्रवत संिेदनशील है।
• ररपोर्ा के मुख्य हबंद:ु
o ग्लोबल िार्मिंि को 1.5 विग्री सेवल्सयस तक सीवमत करना
करठन होता जा रहा है। हालांकक, उम्मीद अभी भी बनी हुई है
क्योंकक दुवनया भर में स्िच्छ ऊजाा अिसंरचना का विकास हो
रहा है।
o सौर ऊजाा, इलेवक्रक कार जैसी स्िच्छ ऊजाा तकनीकें उन
तकनीकों में से हैं, जो आज और 2030 के बीच उत्सजान में एक
वतहाई कर्ौती कर सकती हैं।
• सुझाि: इस दशक के अंत तक निीकरणीय ऊजाा की क्षमता को 5.3.5. जीिाश्म ईंधन में से मीथे न को कम करने की
वतिुना करने; काबान कै प्चर, यूरर्लाइजेशन एंि स्र्ोरे ज का उपयोि अवनिाया ता (Cutting Methane From Fossil
करने आकद को बढािा देना चावहए। Fuels)
5.3.4. जलिायु पररिता न के कारण सुं द रबन में • इस ररपोर्ा को अंतरााष्ट्रीय ऊजाा एजेंसी (IEA) ने तैयार ककया है। इसे
नु क सान और क्षवत (Climate Impact, Loss & संयुक्त राष्ट्र पयाािरण कायािम (UNEP) और UNEP-संयोवजत
Damage in Sundarbans) क्लाइमेर् एंि क्लीन एयर कोएवलशन (CCAC) के सहयोि से
• भारत ि बांग्लादेश के विशेषज्ञों का मानना है कक जलिायु पररितान तैयार ककया िया है।
के कारण सुंदरबन में नुकसान और क्षवत हुई है। इसे “ग्लोबल o CCAC की स्थापना 2012 में की िई थी। यह एकमात्र
कॉमन्स” के रूप में देखा जाना चावहए। अंतरााष्ट्रीय वनकाय है जो मीथेन, ब्लैक काबान,
o ऐसा इसवलए है, क्योंकक सुंदरबन से बहुत कम काबान उत्सजान हाइड्रोफ्लोरोकाबान जैसे अल्पकावलक जलिायु प्रदूषकों की
होता है, कफर भी यह क्षेत्र जलिायु पररितान से िंभीर रूप से सांद्रता को कम करने के वलए काया करता है। अल्पकावलक
प्रभावित हो रहा है। जलिायु प्रदूषक जलिायु पररितान और िायु प्रदूषण, दोनों के
• ग्लोबल कॉमन्स में ऐसे क्षेत्र और उनके संभावित आर्थाक संसाधन वलए उत्तरदायी होते हैं।
• ररपोर्ा के मुख्य हबंद:ु
शावमल हैं, जो राष्ट्रीय क्षेत्रावधकारों से बाहर हैं। साथ ही, वजन तक
o जीिाश्म ईंधन से मीथेन को कम करने से 2050 तक 0.1°C
सभी देशों की पहुंच है। जैसे- खुला समुद्र, िायुमि
ं ल, अंर्ाका रर्का,
तापमान िृवद्ध से बचा जा सकता है।
बाह्य अंतररक्ष आकद।
90A Global Pathway to keep the 1.5 °C Goal in reach 91 International Energy Agency
o मजबूत जडों का विकास; इसे उिाने पर प्रवतबंध लिा कदया है। इससे पहले तेलंिाना सरकार
ने भी इस पर रोक लिा दी थी।
o आनुिंवशक िुणों का स्थानांतरण आकद।
• कोनोकापास, कॉम्ब्रेर्ेसी कु ल के पुष्पीय पादपों की दो प्रजावतयों का
• भारत विश्व में फॉस्फोरस का सबसे बडा आयातक है। इसका
एक जीनस है। कोनोकापास विश्व के उष्णकरर्बंधीय क्षेत्रों की मूल
अवधकतर वहस्सा पवश्चम अफ्रीका के कै िवमयम से भरे भंिारों से
आता है। प्रजावत है।
o भारत में फॉस्फे र् की चट्टानें मुख्य रूप से के िल दो राज्यों o सजािर्ी पादप के रूप में सािाजवनक स्थानों पर इसका व्यापक
राजस्थान और मध्य प्रदेश में पाई जाती हैं। रूप से उपयोि ककया जाता है।
o कु छ वनक्षेप प्रायद्वीपीय भारत के मध्य भाि में भी मौजूद हैं। o इस िृक्ष में सर्दायों के मौसम में फू ल वखलते हैं। इससे फै लने
जैसे लवलतपुर (उत्तर प्रदेश), मसूरी अवभनवत (syncline) िाले कणों की िजह से आस-पास के लोिों में सदी, खांसी,
और कडप्पा बेवसन (आंध्र प्रदेश) आकद। अस्थमा, एलजी आकद की वशकायतें देखी जाती हैं।
o इस प्रजावत की जडें वमट्टी के अंदर िहराई तक जाकर बडे पैमाने
पर विकवसत होती हैं। इससे दूरसंचार लाइनों, ड्रेनज
े लाइनों
और ताजे जल की आपूर्ता िाले पाइपों को नुकसान पहुंचता है।
• सिोच्च न्यायालय ने िायु िुणित्ता प्रबंधन आयोि (CAQM) को प्लावस्र्क प्रदूषण से वनपर्ने के प्रयासों में प्रभािी मदद वमल
अत्यवधक प्रदूषणकारी पेर् कोक के वितरण से संबवं धत मुद्दों पर सकती है।
विचार करने का वनदेश कदया है। o यह िहरे समुद्र में आर्का या (समुद्री जीि) की पाररवस्थवतक
• पेरोवलयम कोक (पेर् कोक) काबान-युक्त ठोस सामग्री है। इसे अंवतम भूवमका को समझने में योिदान देिा।
िै फकं ि प्रकिया से प्राप्त ककया जाता है। िै फकं ि प्रकिया ऊष्मा- o अन्य PET विग्रेहिंि एंजाइम हैं - PETase, MHETase,
आधाररत के वमकल इंजीवनयररं ि प्रकिया है। THC_Cut1 आकद।
• इसके उच्च कै लोरी मान के कारण इसका उपयोि कोयले के
प्रवतस्थापन के रूप में ककया जाता है। 5.3.13. मै वनस वमस्र्ीररया (पैं िोवलन की नई खोजी
• पेर् कोक हाइड्रोफोवबक होता है। इसका अथा है कक पेर् कोक िषाा के
िई प्रजावत) {Manis Mysteria (Newly
मौसम में नमी नहीं पकडता है।
Discovered Species Of Pangolin)}
• पेर् कोक कम िाष्पशील पदाथा है। ऐसे में इसके िाष्प बनकर
नुकसान होने की संभािना कम हो जाती है। इसके दहन के बाद राख • िैज्ञावनकों ने अत्यवधक संकर्ग्रस्त पैंिोवलन की एक नई प्रजावत की
की कम मात्रा उत्पन्न होती है। खोज की है।
• इसका उपयोि सीमेंर् वनमााण, चूना भट्टी, औद्योविक बॉयलर,
एल्यूमीवनयम एनोि आकद में ककया जाता है।
िीयर जोडों के वलए • िीयर जोडों के वलए एक वसविल • न्यायालय िीयर जोडों के वलए • वसविल यूवनयन की मान्यता की मांि की
वसविल यूवनयन में यूवनयन की मान्यता। वसविल यूवनयन का विकल्प प्रदान िई, ताकक यह सुवनवश्चत ककया जा सके
प्रिेश का अवधकार नहीं कर सकता।
विशेष वििाह • जेंिर-विवशि शब्दों जैसे कक “पवत” • न्यायालय ने SMA को जेंिर- • SMA ने संविधान के समानता संबध
ं ी
अवधवनयम (SMA) और “पत्नी” को अवधक समािेशी शब्दों न्यूरल तरीके से अमान्य करार देने प्रािधानों का उल्लंघन ककया है।
की व्याख्या या व्याख्या करने से यह कहते हुए o साथ ही, यह भी कहा िया कक
“पार्ी” या “स्पाउस” से प्रवतस्थावपत
इनकार कर कदया कक इस तरह की
करना। SMA अनुच्छेद 14 और 15 का
कारा िाइयां विधायी क्षेत्र का
• SMA िीयर वििाहों की अनुमवत न उल्लंघन करने के बािजूद
अवतिमण करें िी और अन्य
असंिैधावनक नहीं है। ऐसा इसवलए
देकर अनुच्छेद 14, 15, 19, 21 और कानूनों पर “व्यापक” प्रभाि िाल
कहा िया, क्योंकक 1954 में
25 का उल्लंघन करता है। सकती हैं।
अवधवनयवमत करते समय SMA का
प्राथवमक उद्देश्य अलि-अलि धमों
के व्यवक्तयों, विशेष रूप से
विषमलैंविक जोडों के बीच वििाह
को सुविधाजनक बनाना था।
िैर-विषमलैंविक • कें द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन • न्यायालय ने CARA द्वारा िीयर • ये कदशा-वनदेश िीयर समुदाय के साथ
जोडों के वलए िोद प्रावधकरण (CARA)95 के कदशा- जोडों पर िोद लेने से लिाए िए भेदभाि करते हैं और इसवलए यह
लेने का अवधकार वनदेश अवििावहत जोडों को संयक्त ु संविधान के अनुच्छेद 15 का भी उल्लंघन
प्रवतबंध को बरकरार रखा।
रूप से बच्चों को िोद लेने की अनुमवत • न्यायालय ने कहा कक वनयमों को है।
नहीं देते हैं। ये कदशा-वनदेश उन िीयर • “िैिावहक” शब्द को हर्ाते हुए इसमें
रद्द करने से हावनकारक,
जोडों के वलए भेदभािपूणा हैं जो वििावहत और अवििावहत जोडों के साथ-
कानूनी रूप से शादी नहीं कर सकते “विनाशकारी” और “असामान्य
साथ िीयर जोडे भी शावमल ककए जाने
हैं। प्रभाि” उत्पन्न हो सकते हैं,
चावहए, वजससे िे भी संयुक्त रूप से एक
वजनका समाधान “के िल बच्चा िोद ले सकें ।
विधावयका और कायापावलका ही
कर सकती हैं।”
• न्यायालयों ने इस मुद्दे को धमावनरपेक्ष कानूनों तक सीवमत रखा है: सुनिाई के दौरान, पीठ ने कहा कक िह इस मुद्दे को के िल विशेष वििाह अवधवनयम
तक ही सीवमत रखेिी और अलि-अलि धमों के व्यवक्तित कानूनों पर चचाा नहीं करे िी।
o उदाहरण के वलए- यकद न्यायालय LGBTQIA+ वििाहों को किर करने के वलए हहंदू वििाह अवधवनयम (HMA) की व्याख्या करता है, तो उसे
दत्तक ग्रहण, अवभभािकता और विरासत से संबंवधत उन अवधकारों को भी ध्यान में रखना होिा, जो ितामान में विषमलैंविक जोडों के वलए
उपलब्ध हैं।
• जनसंख्या की जावत-िार िणना 1881 में वब्ररर्श औपवनिेवशक प्रशासन के तहत शुरू की िई थी और यह 1931 की जनिणना तक जारी रही।
• 1941 में, जावत-आधाररत िेर्ा एकत्र तो ककया िया था लेककन उसे
भारत में जनिणना
प्रकावशत नहीं ककया िया।
• संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत जनिणना संघ सूची का विषय है। यह
• हालांकक, स्ितंत्रता के बाद भारत सरकार ने इस आशंका के साथ
अनुसच
ू ी VII के तहत संघ सूची की प्रविवि 69 के तहत वनर्दाि है।
पूणा जावतित िणना करनी बंद कर दी कक इससे जातीय विभाजन
• जनिणना अवधवनयम, 1948: यह अवधवनयम जनिणना अवधकाररयों के
मजबूत हो सकता है और जावत व्यिस्था बनी रह सकती है।
कताव्यों और वजम्मेदाररयों के साथ-साथ जनिणना आयोवजत करने की एक
o स्ितंत्र भारत में प्रत्येक जनिणना में के िल अनुसवू चत जावत
योजना प्रदान करता है।
(SC) और अनुसवू चत जनजावत (ST) से संबवं धत िेर्ा
• िृह मंत्रालय के तहत, भारत के रवजस्रार जनरल और जनिणना आयुक्त को
प्रकावशत ककया िया है। इसमें अन्य जावतयों से संबंवधत िेर्ा
दशकीय जनिणना आयोवजत करने की वजम्मेदारी सौंपी िई है।
प्रकावशत नहीं ककया जाता है।
• बाद में, इस कायाालय को जन्म और मृत्यु पंजीकरण अवधवनयम, 1969 को
• 2011 में, एक व्यापक कायािम के जररए सामावजक-आर्थाक और
लािू करने का काया भी सौंपा िया।
जावत जनिणना (SECC) आयोवजत की िई थी।
o इसमें वनम्नवलवखत को शावमल ककया िया था:
▪ ग्रामीण विकास मंत्रालय, आिासन और शहरी िरीबी उपशमन मंत्रालय,
भारत के रवजस्रार जनरल और जनिणना आयुक्त कायाालय तथा राज्य
सरकारें / कें द्रशावसत प्रदेशों के प्रशासन।
o 2016 में, जावत से संबवं धत िेर्ा को छोडकर SECC िेर्ा को अंवतम रूप कदया
िया और प्रकावशत ककया िया।
o 2021 में, कें द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ा को सौंपे िए एक हलफनामे में SECC 2011
से प्राप्त जावत/ जनजावत िेर्ा को “दोषपूणा” और “उपयोि के वलए उपयुक्त नहीं”
माना।
जावतित जनिणना के पक्ष में तका जावतित जनिणना के विपक्ष में तका
• संविधान द्वारा सौंपे िए काया: अनुच्छेद 340 एक आयोि की वनयुवक्त का प्रािधान • संिध
ै ावनक प्रािधान: संविधान वपछडे ििों की बात करता है
करता है। यह आयोि सामावजक और शैक्षवणक रूप से वपछडे ििों की वस्थवतयों की न कक वपछडी जावतयों की।
जांच करने के साथ-साथ सरकारों द्वारा उठाए जाने िाले कदमों के बारे में वसफाररशें o संविधान में जावत शब्द का प्रयोि के िल ‘अनुसवू चत
करे िा। जावतयों’ के संबध
ं में ही ककया िया है।
• सामावजक न्याय और आरक्षण नीवत में सुधार: इससे मौजूदा श्रेवणयों में नई जावतयों • िेर्ा की िणना में करठनाइयां: भारत में हजारों की संख्या में
के समािेशन या इन श्रेवणयों में से उन्नत जावतयों (िीमी लेयर) के वनष्कासन के
मौजूद जावतयों और उपजावतयों की संख्या के मद्देनजर,
वनधाारण में सरकार को मदद वमलेिी।
जावतित िेर्ा एकत्र करना तथा उसका उवचत उपयोि करना
o जावतित जनिणना से प्राप्त िेर्ा की सहायता से आरक्षण के लाभों का अवधक
करठन काया है।
न्यायसंित वितरण सक्षम ककया जा सकता है, क्योंकक इससे ‘कोर्ा-विकदन-
o इसके अलािा, लाभ की चाहत में अनेक समूहों द्वारा
कोर्ा’ (उप-ििीकरण या आरक्षण के भीतर आरक्षण) प्रणाली तैयार करना
लामबंदी और जिाबी-लामबंदी जनिणना प्रकिया को
संभि होिा। बहुत हद तक प्रभावित करे िी। इसके पररणामस्िरूप
• नीवत वनधाारण: जावत जनिणना के िेर्ा से उवचत त्यों और साक्ष्यों के आधार पर
फजी या पक्षपातपूणा िेर्ा प्राप्त होिा।
नीवत वनमााण में मदद वमलेिी, ताकक िंवचत-दवमत ििों की जरूरतों तथा मांिों को
o अंतजाातीय वििाह, अनुलोम वििाह (Hypergamy),
पूरा ककया जा सके ।
प्रिासन आकद से संबंवधत मौजूदा जरर्लताओं के कारण
• विविधता और समािेवशता को बढािा देना: इस जनिणना का उपयोि वनिाावचत
करठनाइयां उत्पन्न हुई हैं, वजन्होंने समय के साथ कई
वनकायों, वसविल सेिाओं और अन्य संस्थानों में अलि-अलि जावतयों के प्रवतवनवधत्ि
जावतित जुडाि उत्पन्न ककए हैं।
का ध्यान रखने के वलए ककया जा सकता है। इस प्रकार विविधता और समािेवशता
• राजनीवतक दुरुपयोि की संभािना: ऐसी हचंताएं हैं कक
को बढािा वमलेिा।
जावतित िेर्ा का उपयोि िोर् बैंक की राजनीवत और
पहचान-आधाररत ध्रुिीकरण सवहत राजनीवतक उद्देश्यों के
वलए ककया जा सकता है।
आिे की राह
• राजनीवतक सिासम्मवत बनाना: सामावजक-राजनीवतक हचंतन के ऐसे महत्िपूणा मुद्दों पर व्यापक राजनीवतक सहमवत के जररए वनणाय वलए जाने
चावहए।
• समािेशी परामशा: जावत जनिणना के वनयोजन और कायाान्ियन में सभी वहतधारकों (जैसे - समुदाय के नेताओं, कायाकतााओं और विशेषज्ञों सवहत) को
शावमल करना चावहए।
o प्रकिया की वनष्पक्षता सुवनवश्चत करने के वलए, समाजशावस्त्रयों और अनुसध
ं ान संस्थानों को जावतित जनिणना की प्रकिया में शावमल ककया जा
सकता है।
• जावत और उपजावत की पहचान करना: जनसंख्या में मौजूद सभी संप्रदायों और उपजावतयों की पहचान करने के वलए राज्य और वजला स्तर पर
प्रारं वभक सामावजक-मानि विज्ञान (Socio-anthropological) अध्ययन ककया जा सकता है।
• प्रौद्योविकी का उपयोि: जावत-आधाररत िेर्ा का विश्लेषण और मूल्यांकन करने तथा साथाक वनष्कषा तक पहुंचने के वलए उभरती प्रौद्योविककयों का
उपयोि ककया जा सकता है। उदाहरण के वलए- आर्र्ाकफवशयल इंर्ेवलजेंस, वबि िेर्ा एनावलरर्क्स आकद।
• समय-समय पर समीक्षा और अपिेर् करना: यह समझना होिा कक समय के साथ सामावजक संरचनाएं विकवसत होती हैं और जावतित पहचानें बदल
सकती हैं। इन पररितानों को शावमल करने के वलए लचीलेपन के साथ जनिणना प्रकिया को विज़ाइन करना चावहए। साथ ही, िेर्ा को अपिेर् करने
और इसकी प्रासंविकता बनाए रखने के वलए समय-समय पर समीक्षा की जानी चावहए।
राष्ट्रीय एकता कदिस के अिसर पर युिाओं के वलए मेरा युिा भारत (MY Bharat) नामक प्लेर्फॉमा शुरू ककया िया है।
• भारत सरकार द्वारा स्थावपत ककया जा रहा ‘मेरा युिा भारत’ एक स्िायत्त वनकाय है। इसका उद्देश्य ‘युिाओं के विकास’ और ‘युिाओं के नेतत्ृ ि में
विकास’ के वलए प्रौद्योविकी का उपयोि करके एक व्यापक संस्थाित तंत्र प्रदान करना है।
o यह युिा कायािम और खेल मंत्रालय की एक पहल है। इसका लक्ष्य सामावजक िवतशीलता, शैवक्षक समता और व्यािहाररक कौशल का उपयोि
करके भारतीय युिाओं को सशक्त बनाना है।
• यह मंच युिाओं को व्यिसायों, सरकारी विभािों और िैर-लाभकारी संिठनों के कायािमों से जुडने तथा उनसे सीखने के अिसर प्रदान करता है।
• मेरा युिा भारत (MY Bharat) के तहत 15-29 िषा आयु ििा के युिा लाभावन्ित होंिे। यहां 'युिा' की पररभाषा राष्ट्रीय युिा नीवत में दी िई पररभाषा
के अनुरूप है।
o इस कायािम के तहत विशेष रूप से ककशोरों के वलए बनाई िई योजनाओं के मामले में, लाभाथी 10-19 िषा की आयु ििा के होंिे।
• जनसांवख्यकीय लाभांश प्राप्त करने के वलए: भारत 29 िषा की औसत आयु के साथ दुवनया के सबसे युिा देशों में से एक है।
o भारत की लिभि 65 प्रवतशत आबादी 35 िषा से कम आयु की है, जबकक 50 प्रवतशत आबादी 25 िषा से भी कम आयु की है।
• आर्थाक लाभ: बेहतर वशक्षा और कौशल से लैस युिा आबादी अथाव्यिस्था के विस्तार में मदद कर सकती है।
o दुवनया का तीसरा सबसे बडा स्र्ार्ाअप इकोवसस्र्म भारत में है। ये रोजिार पैदा करने िाले प्रमुख स्रोत के रूप में उभर रहे हैं।
• राजनीवतक सहभाविता: देश के राजनीवतक और सामावजक विकास के वलए यह आिश्यक है कक सभी युिाओं के बीच नािररकता तथा सामुदावयक
सेिा के प्रवत समपाण जैसे िुणों को प्रोत्सावहत ककया जाए।
• सामावजक चुनौवतयों का समाधान: युिाओं पर ध्यान कें कद्रत करके कई सामावजक चुनौवतयों का प्रभािी ढंि से समाधान ककया जा सकता है। उदाहरण
के वलए- लैंविक असमानता; िुणित्तापूणा वशक्षा और स्िास््य देखभाल सेिाओं तक पहुंच का अभाि आकद।
• पयाािरण का संरक्षण: युिा प्राकृ वतक संसाधनों सवहत प्रकृ वत की सुरक्षा और संरक्षण में प्रमुख भूवमका वनभा सकते हैं।
o भारतीय युिा काफी उत्साह के साथ ‘पयाािरण के वलए जीिन शैली (LiFE)96 आंदोलन’ को अपना रहे हैं। साथ ही, िे संधारणीय विकास के वलए
इसके तहत शावमल वसद्धांतों को भी बढािा दे रहे हैं।
• िैवश्वक प्रवतस्पधाात्मकता: ितामान में दुवनया िहनता के साथ परस्पर जुडी हुई है। ऐसे में, कौशल से लैस युिा कायाबल िाले देश िैवश्वक मंच पर प्रभािी
ढंि से प्रवतस्पधाा करने हेतु बेहतर वस्थवत में हैं। भारत के युिा देश की िैवश्वक प्रवतष्ठा में महत्िपूणा योिदान दे सकते हैं।
• वनम्नस्तरीय वशक्षा प्रणाली: इसमें वशक्षा की खराब िुणित्ता (व्यािसावयक वशक्षा पर कम ध्यान देना), उच्चतर वशक्षा तक पहुंच की कमी और उच्च
ड्रॉपआउर् दर शावमल हैं।
• उच्च बेरोजिारी: वशवक्षत युिाओं में बेरोजिारी दर काफी अवधक है। भारत में यह दर अवधकांश विकवसत और विकासशील देशों की तुलना में काफी
अवधक है।
o अंतरााष्ट्रीय श्रम संिठन (ILO)97 के अनुसार, 2022 में भारत में अनुमावनत युिा बेरोजिारी दर 23.22 प्रवतशत थी।
• शोषणकारी कायास्थल: इसमें कम िेतन, लंबी काया अिवध, उत्पीडन (विशेष रूप से मवहलाओं का) और सामावजक सुरक्षा या कानूनी सुरक्षा की
अनुपवस्थवत शावमल है।
• सामावजक मुद्दे: इसमें मादक द्रव्यों का सेिन, हहंसा, अपराध, कट्टरपंथ, सांप्रदावयकता और लैंविक आधार पर भेदभाि शावमल हैं।
o ये समस्याएाँ युिाओं के नैवतक मूल्यों, नािररक भािना, सामावजक वजम्मेदारी और राष्ट्रीय एकता की भािना को प्रभावित करती हैं।
• मनोिैज्ञावनक मुद्दे: असफलता की वस्थवत में खुद की योग्यता पर संशय और आत्मविश्वास की कमी उन्हें अिसाद में धके ल देती है।
o यहां तक कक िे आत्महत्या की हद तक भी चले जाते हैं, जैसे- एजुकेशन हब कोर्ा में देखी िईं हावलया घर्नाएं।
आिे की राह
• राजनीवतक सशक्तीकरण: युिाओं से जुडी समस्याओं के समाधान के वलए लामबंदी करने और उनका पक्ष रखने हेतु युिाओं से संबंवधत संिठनों और
नािररक समाज संिठनों को प्रवशक्षण देना चावहए।
o युिाओं की विवशि आिश्यकताओं और हचंताओं को दूर करने के वलए उन्हें नीवत-वनमााण तथा वनणाय लेने की प्रकियाओं में शावमल करना चावहए।
• कौशल अंतराल समाप्त करना: व्यािसावयक कौशल, इंर्नावशप और एम्बेिेि (Embedded) अप्रेंरर्सवशप विग्री कायािमों को महत्त्ि कदया जाना
चावहए, ताकक यह सुवनवश्चत ककया जा सके कक छात्रों को िास्तविक जीिन की वस्थवतयों में सीखने के व्यािहाररक अनुभि प्राप्त हों।
o सॉफ्र् वस्कल्स, जैसे- रचनात्मकता, वनणायन, रणनीवतक सोच, अन्तिैवक्तक कौशल, नेतृत्ि कौशल, संज्ञानात्मक समझ और समय प्रबंधन को
बढािा देना चावहए।
• स्िास््य और वशक्षा व्यय: साक्ष्य बताते हैं कक बेहतर स्िास््य के पररणामस्िरूप आर्थाक उत्पादकता बढती है।
• पहुंच और भािीदारी को बढािा देना: हावशए के समुदायों और कु छ क्षेत्रों, जैसे- ग्रामीण क्षेत्रों, पूिोत्तर भारत आकद के वलए विशेष पहलों और अवभयानों
की आिश्यकता है।
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष भारत (UNFPA India)98 ने इं विया एहजंि ररपोर्ा , 2023 जारी की है।
• इस ररपोर्ा में भारत के िृद्धजनों के जीिन की दशाओं और कल्याण की िहन समीक्षा की िई है।
• यह ररपोर्ा ‘इं र्रनेशनल इं स्र्ीट्यूर् फॉर पॉपुलश
े न साइं सेज’ (IIPS) के सहयोि से तैयार की िई थी।
• 2010 के बाद से 15 िषा से कम आयु ििा की जनसंख्या में विरािर् के साथ-साथ िृद्धजनों की आबादी में तीव्र िृवद्ध देखी िई है। इससे पता चलता है
कक भारत में िृद्धों की आबादी में िृवद्ध तीव्र िवत से हो रही है।
• िृद्धजनों की िास्तविक आबादी और उसमें िृवद्ध के मामले में अलि-अलि राज्यों में काफी अवधक अंतर है।
o दवक्षणी और पवश्चमी भारत की तुलना में, मध्य और पूिोत्तर क्षेत्रों के राज्यों में युिा आबादी अवधक है।
• सामावजक मुद्दे:
o िृद्धजनों की आबादी में मवहलाओं की
अवधक संख्या (पुरुषों की तुलना में
मवहलाओं की जीिन प्रत्याशा अवधक
है): िृद्धािस्था में िरीबी स्िाभाविक
रूप से जेंिर आधाररत हो जाती है। ऐसा
इसवलए होता है क्योंकक अवधक उम्र की
मवहलाओं के विधिा होने की संभािना
अवधक होती है। िे अके ले जीिन यापन
करती हैं और उनके पास आय का कोई
साधन नहीं होता है। उनकी अपनी
संपवत्त भी कम होती है या उन्हें पूरी
तरह से पररिार पर वनभार रहना पडता
है।
o ग्रामीण क्षेत्रों में िृद्धजनों की अवधक
आबादी: भारत की जनिणना 2011 के
अनुसार, लिभि 71 प्रवतशत िृद्धजन
ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। ऐसा माना
जाता है कक शहरी क्षेत्रों में रहने िाले
िृद्धजनों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में
रहने िाले िृद्धजन आय असुरक्षा, पयााप्त
और िुणित्तापूणा स्िास््य देखभाल तक
पहुंच की कमी और अलिाि के प्रवत
अवधक संिेदनशील होते हैं।
o िृद्धजनों की बढती आबादी: 2000-
2022 के दौरान, देश की कु ल जनसंख्या में 34 प्रवतशत की िृवद्ध हुई, जबकक 60 िषा से अवधक आयु िाले लोिों की जनसंख्या में 103 प्रवतशत
की िृवद्ध दजा की िई।
• िृद्धजनों द्वारा संचावलत स्ियं सहायता समूहों (ESHGs)99 को बढािा देना: ESHGs को आजीविका वमशन से भी जोडा जाना चावहए। इससे िे
अवधक उत्पादक और आत्मवनभार बन सकें िे।
• िृद्धाश्रमों को विवनयवमत करना: िृद्धाश्रमों को सरकारी वनिरानी
में लाया जाना चावहए। साथ ही, इसके वलए एक विवनयामक वनकाय
स्थावपत ककया जा सकता है।
o इस त्य पर ध्यान देना आिश्यक है कक िृद्धािस्था के दौरान
िृद्धजनों की देखभाल िृद्धाश्रम के बजाय घर में बेहतर तरीके
हो सकती है।
• वसल्िर इकोनॉमी को बढािा देना: इसमें उन सभी आर्थाक
िवतविवधयों, उत्पादों और सेिाओं को शावमल ककया िया है, जो 50
िषा से अवधक आयु के लोिों की ज़रूरतों को पूरा करने के वलए
विज़ाइन की िई हैं।
• विवजर्ल इकोवसस्र्म का लाभ उठाना: िृद्ध आबादी के बीच
विवजर्ल साक्षरता को बढािा देने से उनकी उत्पादकता बढेिी। साथ
ही, इससे अथाव्यिस्था में उनके एकीकरण को भी बढािा वमलेिा।
• जािरूकता अवभयान: िररष्ठ नािररकों में उनके वलए बनाई िई
अनेक योजनाओं और कायािमों के बारे में जािरूकता का अभाि है।
o लॉवन्िट्यूविनल एहजंि स्र्िी इन इंविया (LASI) ररपोर्ा के
अनुसार, के िल 12 प्रवतशत िृद्धजनों को ही भरण-पोषण एिं
कल्याण अवधवनयम, 2007 के बारे में जानकारी है।
• अन्य
o िृद्धजनों की देखभाल में कॉपोरे र् क्षेत्रक की भािीदारी को बढािा देना।
o िृद्धजनों के वलए सेिाओं का विस्तार करना। इसमें घर पर ही स्िास््य देखभाल, िे च जैसी सुविधाएं या सुसवज्जत िे-के यर सेंर्र और जीिन संबंधी
सहायक सुविधाएं शावमल हैं।
o आयु-अनुकूल अिसंरचना का विकास करना।
99Elderly SHGs
93 www.visionias.in ©Vision IAS
िैवश्वक स्तर पर की िई पहलें
• मैवड्रि इंर्रनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एहजंि (MIPAA), 2002
• सतत विकास लक्ष्य 3 (SDG 3): सभी उम्र के लोिों का स्िस्थ जीिन और कल्याण सुवनवश्चत करना।
• संयक्त
ु राष्ट्र स्िस्थ िृद्धािस्था दशक: 2020-2030
भारत द्वारा की िई पहलें
• संिध
ै ावनक: अनुच्छेद 41 में िररष्ठ नािररकों का कल्याण सुवनवश्चत करने का उल्लेख है।
• कानून और नीवतयां
o िररष्ठ नािररकों का भरण-पोषण और कल्याण अवधवनयम, 2007
o राष्ट्रीय िृद्धजन नीवत (NPOP), 1999
o िररष्ठ नािररक कल्याण कोष (SCWF), 2016
• सामावजक सुरक्षा और कल्याण योजनाएं:
o इं कदरा िांधी राष्ट्रीय िृद्धािस्था पेंशन योजना (IGNOAPS) (2007): यह राष्ट्रीय सामावजक सहायता कायािम (NSAP) की पांच उप-योजनाओं में
से एक है।
o प्रधान मंत्री िय िंदना योजना (2017): इसका उद्देश्य िृद्धािस्था के दौरान सामावजक सुरक्षा प्रदान करना है।
o अर्ल ियो अभ्युदय योजना (AVYAY-2021): AVYAY एक अम्ब्रेला योजना है वजसमें वनम्नवलवखत योजनाएं शावमल हैं:
▪ िररष्ठ नािररकों के वलए एकीकृ त कायािम योजना
▪ िररष्ठ नािररकों के वलए राज्य काया योजना
▪ राष्ट्रीय ियोश्री योजना (RVY)
▪ िररष्ठ नािररकों के वलए आजीविका और कौशल पहल
▪ वसल्िर इकॉनमी को बढािा
• ररयायतें और छू र्: इसमें रे लिे द्वारा यात्री वमत्र सेिाएं आकद शावमल हैं।
6.5. नोबे ल शां वत पु र स्कार 2023: मवहला अवधकार (Nobel Peace Prize 2023: Women
Rights)
सुर्खायों में क्यों?
नोबेल शांवत पुरस्कार के बारे में
हाल ही में, ईरान की मानिावधकार कायाकताा नरविस मोहम्मदी को नोबेल शांवत पुरस्कार • नोबेल शांवत पुरस्कार अल्फ्रेि नोबेल की िसीयत द्वारा
(2023) से सम्मावनत ककया िया है। स्थावपत पांच मूल नोबेल पुरस्कारों में से एक है।
अन्य संबवं धत त्य • यह पुरस्कार उस व्यवक्त/संिठन को कदया जाता है “वजसने
• नरविस मोहम्मदी एक िैज्ञावनक, पत्रकार और मानिावधकार कायाकताा हैं। िे ईरान राष्ट्रों के बीच बन्धुत्ि, स्थायी सेनाओं को समाप्त करने या
उनमें कमी करने के वलए और पीस कांग्रेस के आयोजन एिं
में मवहलाओं के दमन के विरुद्ध संघषा में अहम भूवमका वनभाती रही हैं। इसके अलािा,
प्रचार के वलए सबसे अवधक या सिोतम काया ककया हो”।
नरविस मोहम्मदी सभी के वलए मानिावधकारों और स्ितंत्रता को बढािा देने के वलए
o यह पुरस्कार व्यवक्तयों और संिठनों दोनों को प्रदान
भी लिातार संघषा करती रही हैं।
ककया जाता है।
• नोबेल सवमवत द्वारा पुरस्कार के वलए नरविस मोहम्मदी का चयन िैवश्वक स्तर पर
• प्रथम नोबेल पुरस्कार 1901 में प्रदान ककया िया था।
राजनीवतक और सामावजक आंदोलनों का नेतत्ृ ि करने िाली मवहलाओं की पहचान
को मान्यता प्रदान करने की प्रवतबद्धता को दशााता है।
िैवश्वक मवहला अवधकार आंदोलन
नारीिाद एक प्रकार से वििादास्पद राजनीवत का एक पहलू है, जो िैवश्वक सामावजक आंदोलन का प्रवतवनवधत्ि करता है। साथ ही, इसका महत्त्ि वनरं तर
बना हुआ है। हालांकक, प्राथवमकताओं और व्याख्याओं में वभन्नता हो सकती है, लेककन अलि-अलि देशों, क्षेत्रों तथा दशकों में नारीिाकदयों द्वारा व्यक्त की
िई मांिों में काफी समानताएं हैं। यह लैंविक असमानता की स्थायी प्रकृ वत और नारीिादी एजेंिे की मांिों को पूरा करने में प्रिवत की िवमक िवत को
रे खांककत करता है।
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ा ने एक वििावहत मवहला के 26 सप्ताह से अवधक िभा का वचककत्सीय समापन (MTP) (संशोधन) अवधवनयम, 2021:
के तीसरे िभा का समापन कराने की मांि िाली यावचका को खाररज कर • यह वनम्नवलवखत मामलों में िभा के समापन की अनुमवत देता है:
o 20 सप्ताह तक की िभाािवध: के िल एक वचककत्सक की सलाह पर िभा
कदया।
के समापन का अवधकार सभी मवहलाओं के वलए उपलब्ध है।
अन्य संबवं धत त्य o 20 से 24 सप्ताह तक की िभाािवध: इस दौरान कम-से-कम दो
वचककत्सकों की सलाह पर और के िल वनम्नवलवखत दो पररवस्थवतयों में
• ितामान यावचका इस आधार पर दायर की िई थी कक यावचकाकताा
ही िभा के समापन की अनुमवत है:
प्रसि उपरांत मनोविकार से पीवडत थी। साथ ही, िह भािनात्मक,
▪ बच्चे को िंभीर बीमारी होने का खतरा होने पर; और
आर्थाक और शारीररक रूप से तीसरे बच्चे को पालने में सक्षम नहीं
▪ िभािती मवहला के जीिन के समक्ष खतरा होने पर।
थी।
o 24 सप्ताह से अवधक की िभाािवध: इस दौरान भ्रूण की विकृ वत के
• न्यायालय ने कहा कक िभाािवध 24 सप्ताह से अवधक हो िई है। यकद
आधार पर और के िल मेविकल बोिा की सलाह पर ही िभा के समापन
न्यायालय यावचकाकताा को िभा समापन की अनुमवत देता है तो िभा का अवधकार उपलब्ध है।
के वचककत्सकीय समापन (MTP) अवधवनयम, 2021 का उल्लंघन • भारत में, भारतीय दंि संवहता की धारा 312 और 313 के तहत िभा
होिा। समापन िैर-कानूनी है, जब तक कक इसे MTP अवधवनयम के तहत
o न्यायालय ने यह भी कहा कक इससे मां को तत्काल कोई खतरा वनधााररत तरीके से नहीं ककया जाता है।
नहीं था और यह भ्रूण की विकृ वत का मामला भी नहीं था।
▪ MTP अवधवनयम के अनुसार, 24 सप्ताह से अवधक की अिवध के बाद िभा के समापन के के िल यही दो अपिाद हैं।
• भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता िाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कक न्यायालय, एक मवहला की स्िायत्तता को मान्यता प्रदान करके
“अजन्मे बच्चे के अवधकार” को समाप्त नहीं कर सकता है।
• इस फै सले ने भारत में मवहलाओं के जनन अवधकारों के संबंध में प्रो-लाइफ बनाम प्रो-चॉइस िाद-वििाद को जन्म कदया है।
प्रो-लाइफ बनाम प्रो-चॉइस िाद-वििाद
प्रो-लाइफ प्रो-चॉइस
प्रो-लाइफ समथाकों का कहना है जन्म देने और जीिन प्रदान करने संबध
ं ी प्रो-चॉइस समथाकों का कहना है कक िभाधारण करना है या नहीं और िभा में
मवहलाओं की क्षमता का समाज को सम्मान करना चावहए। इसके अलािा, ककसी पल रहे बच्चे को जन्म देना है या नहीं, यह तय करना मवहलाओं का मूलभूत
भी मवहला को िभा के समापन के वलए प्रेररत नहीं ककया जाना चावहए। मानिावधकार है।
प्रो-लाइफ के पक्ष में तका प्रो-चॉइस के पक्ष में तका
• मानि जीिन की शुवचता: जीिन की शुरुआत िभाधारण से होती है, इसवलए • जनन अवधकार: िभा के समापन पर रोक लिाना िस्तुतः एक मवहला
िभा का समापन एक प्रकार से हत्या करने के समान है। िभा का समापन एक की दैवहक संप्रभुता और जनन अवधकारों का उल्लंघन है।
ऐसी संस्कृ वत को बढािा देता है वजसमें मानि जीिन को िस्तु के रूप में देखा • जीिन की िुणित्ता: अनैवच्छक िभाधारण माता-वपता के मानवसक
जाता है। स्िास््य पर प्रवतकू ल प्रभाि िाल सकता है। साथ ही, अनैवच्छक जन्म
• हलंि चयन पर आधाररत िभा का समापन: िभा के समापन की अनुमवत देने से बच्चे के पालन-पोषण पर प्रवतकू ल प्रभाि पड सकता है।
से यह संभािना है कक यह वनयोवजत वपतृत्ि (Planned Parenthood) • अपिाद के रूप में विशेष मामले: प्रो-चॉइस का समथान करने िाले
का वहस्सा बन सकता है। इससे हलंि चयन पर आधाररत िभा के समापन का िैिावहक बलात्कार और यौन अपराधों के चलते अनैवच्छक िभाधारण
मािा खुल सकता है। के मामले में या मााँ के जीिन को खतरे में िालने िाले मामलों में िभा के
• िभािती मवहलाओं के वलए सहायता: माता-वपता के मानवसक स्िास््य समापन को जायज ठहराते है।
समस्याओं का समाधान करने के वलए सामावजक और पाररिाररक समथान • अवधक जनसंख्या: मवहलाओं को बच्चे पैदा करने चावहए या नहीं इसके
प्रदान ककया जाना चावहए, न कक िभा का समापन ककया जाना चावहए। बारे में विकल्प चुनने का अवधकार होना चावहए। इससे बेहतर पररिार
• धार्माक और नैवतक विश्वास: कई प्रो-लाइफ समथाकों के विचार धार्माक या वनयोजन में मदद वमल सकती है।
नैवतक मान्यताओं पर आधाररत हैं वजसमें िभा समापन को नैवतक रूप से • सामावजक प्रभाि: वित्तीय करठनाइयों, िरीबी आकद के कारण
अस्िीकाया माना िया है। अनैवच्छक िभाधारण के मामलों से पररिार विघरर्त हो सकते हैं।
• भ्रूण के विकास की समझ में प्रिवत: वचककत्सा प्रौद्योविकी में प्रिवत के साथ,
िभा धारण की अिवध के दौरान फीर्ल िायवबवलर्ी (Foetal viability)
समय से पूिा हो िई है।
• MTP अवधवनयम, 1971 के अनुसार, भारत में िभा समापन एक अहाताप्राप्त अवधकार (Qualified right) है। अतः इसे के िल ककसी मवहला के अनुरोध
के आधार पर नहीं ककया जा सकता है।
• न्यायपावलका ने विधायी ढांचे के तहत अजन्मे बच्चे के कल्याण को स्िीकार ककया
है। साथ ही, मवहलाओं की स्िायत्तता का सम्मान करते हुए सािधानीपूिक
ा ,
करुणामय और सूक्ष्म विचारों को भी अपनाया िया है।
• इसके अलािा, सुप्रीम कोर्ा ने यह भी कहा है कक पंजीकृ त वचककत्सकों को िभा
समापन की इच्छु क मवहलाओं पर अवतररक्त कानूनी शतें थोपने से बचना चावहए।
आिे की राह
• यौन वशक्षा: बच्चों और ककशोरों को उम्र के अनुरूप यौन वशक्षा प्रदान की जानी
चावहए। इसमें बच्चों और ककशोरों को ररश्तों, प्रजनन संबध
ं ी जािरूकता और प्रजनन
स्िास््य के बारे में वशवक्षत करना शावमल है।
o इससे समाज में अनैवच्छक िभाधारण और िैिावहक बलात्कार सवहत यौन
अपराध की घर्नाओं को रोकने में मदद वमलेिी।
• प्रजनन संबध ं ी स्िास््य सेिा: इस बात को सुवनवश्चत करने के वलए प्रजनन स्िास््य
सेिाओं को स्थावपत करना और उनका विस्तार करना चावहए कक “हर बच्चा
महत्िपूणा है, हर बच्चे का जन्म सुरवक्षत तरीके से हो, साथ ही हर लडकी और मवहला के साथ िररमा/ सम्मान से व्यिहार ककया जाए”।
o इसमें पररिार वनयोजन में विकल्पों का विस्तार एिं सेिाओं की िुणित्ता बढाने
िभा समापन से संबवं धत कानूनों की िैवश्वक वस्थवत
सवहत प्रसूवतविद्या (वमििाइफरी) पहलों को मजबूत बनाना इत्याकद शावमल
• सेंर्र फॉर ररप्रोिवक्र्ि राइट्स (CPR) के अनुसार, वपछले
होना चावहए।
• िोद लेना: िोद लेने की प्रकिया को सरल बनाया जाना चावहए और िोद लेने के 30 िषों में 60 से अवधक देशों ने अपने िभा समापन
कलंक को समाप्त ककया जाना चावहए। इससे माता-वपता के वलए बच्चे के पालन-पोषण कानूनों को सरल बनाया है।
में आने िाली करठनाइयों को समाप्त करके बच्चे की बेहतर देखभाल सुवनवश्चत की जा • के िल 4 देशों अथाात् अमेररका, वनकारािुआ, अल
सकती है। साल्िािोर और पोलैंि ने िभा समापन की िैधता को
समाप्त ककया है।
• कायास्थल: लैंविक भेदभाि ककए वबना समान काम के वलए समान िेतन, बेहतर िेतन
• दुवनया में 24 देश ऐसे हैं जहां िभा समापन पूरी तरह से
िाला मातृत्ि-वपतृत्ि अिकाश, ररयायती बाल देखभाल जैसी पहलें िभा समापन के प्रवतबंवधत है।
मामलों को कम करने में मददिार सावबत हो सकती हैं।
o मातृत्ि अिकाश का प्रबंध करने हेतु प्रकियाओं तैयार करने के वलए पयााप्त अंतराल प्रबंधन संरचनाएं प्रदान करने की आिश्यकता है। उदाहरण के
वलए- जोमैर्ो ने निजात बच्चों की माताओं की सहायता के वलए एक अवद्वतीय सहायता प्रणाली शुरू की है। इसमें माताओं की सहायता के वलए
एक कमाचारी को वनयुक्त ककया जाएिा, ताकक उन्हें कायास्थल पर हमेशा उपवस्थत रहने की आिश्यकता न हो।
22िें विवध आयोि ने अपनी 283िीं ररपोर्ा में यौन संबंध के वलए सहमवत की आयु 18 िषा से घर्ाकर 16 िषा नहीं ककए जाने की वसफाररश की है।
• विवध आयोि को लैंविक अपराधों से बालकों का संरक्षण (POCSO) अवधवनयम, 2012 के तहत सहमवत की आयु 18 से घर्ाकर 16 िषा करने के
संदभा में विचार करने का प्रस्ताि प्राप्त हुआ था।
• पोक्सो अवधवनयम, 2012 लैंविक हमलों, लैंविक उत्पीडन तथा अश्लील सामवग्रयों (पोनोग्राफी) के अपराधों से बालकों का संरक्षण करने के वलए बनाया
िया था।
o इस अवधवनयम में ऐसे अपराधों की सुनिाई के वलए विशेष न्यायालयों (Special Courts) की स्थापना का भी उपबंध है।
• सहमवत की आयु, िह आयु है, वजसमें ककसी व्यवक्त को कानूनी रूप से यौन कियाओं हेतु सहमवत देने के वलए सक्षम माना जाता है।
• पोक्सो अवधवनयम के तहत एक बालक के रूप में ििीकृ त करने की आयु
विवध आयोि के बारे में
18 िषा वनधााररत की िई है। अतः स्िाभाविक रूप से यह “सहमवत की
• यह एक िैर-सांविवधक वनकाय है। इसका िठन विवध और न्याय
आयु” बन िई है। मंत्रालय की एक अवधसूचना द्वारा ककया िया है।
• विजन: इसका उद्देश्य समाज में सभी को न्याय प्रदान करने और विवध
सहमवत की आयु कम करने के पक्ष में तका के शासन के तहत सुशासन को बढािा देने के वलए कानूनों में सुधार
• पोक्सो अवधवनयम के तहत बढते आपरावधक मामले: हावलया समय में यह करना है।
देखा िया है कक “पोक्सो अवधवनयम” के तहत दजा होने िाले आपरावधक • स्ितंत्रता के बाद, कें द्र सरकार ने 1955 में प्रथम विवध आयोि की
मामलों की संख्या में िृवद्ध हो रही है। स्थापना की थी। भारत के तत्कालीन महान्यायिादी (अर्ॉनी-जनरल)
o लडककयों के माता-वपता चाहते हैं कक पुवलस उन मामलों में आरोवपयों श्री एम. सी. सीतलिाड इसके प्रथम अध्यक्ष थे।
(लडके ) के वखलाफ “पोक्सो अवधवनयम” के तहत मामला दजा करें , o अब तक 22 विवध आयोिों की वनयुवक्त की जा चुकी है। एक
जहां दोनों भाि िए हैं या सहमवत से यौन कियाओं (प्रेम-प्रसंि संबंधी वनवश्चत विचाराथा विषय के साथ इनमें से प्रत्येक का कायाकाल
मामलों) में सवम्मवलत हुए हैं। तीन िषा था।
o संशोधनों के माध्यम से उन ककशोर लडकों को अन्याय से बचाने में o 1833 के चार्ार अवधवनयम के तहत भारत में पहले विवध आयोि
मदद वमलेिी, वजनसे अपराधी की तरह व्यिहार ककया जाता है। का िठन स्ितंत्रता से पूिा ही 1834 में ककया िया था।
• बच्चों का समय से पूिा पररपि होना: सोशल मीविया जािरूकता तथा
इं र्रनेर् कनेवक्र्विर्ी तक सुलभ पहुंच के कारण 14 िषा की आयु के लिभि सभी पुरुष या मवहला कम आयु में ही तरुणािस्था प्राप्त कर लेते हैं। साथ
ही, सही वनणाय लेने के वलए उनकी पयााप्त मानवसक पररपिता हो चुकी होती है।
• यौन स्िायत्तता को मान्यता: यौन स्िायत्तता में िांवछत यौन किया में
शावमल होने का अवधकार और अिांवछत यौन आिामकता से सुरवक्षत भारतीय दंि संवहता के अनुसार सहमवत की आयु
रहने का अवधकार, दोनों शावमल हैं। • यौन संबध
ं ों के वलए सहमवत की आयु 18 िषा तक बढाने के वलए
o मानि यौन िररमा का पूणा सम्मान के िल तभी माना जा सकता है आपरावधक कानून संशोधन अवधवनयम, 2013 द्वारा भारतीय दंि
जब ककशोरों के अवधकारों के इन दोनों पहलुओं को मान्यता दी संवहता की धारा 375 में संशोधन ककया िया। यह संशोधन पोक्सो
जाए। अवधवनयम के तहत उपबंवधत सहमवत की आयु मानदंि के अनुरूप बनाने
• िैवश्वक प्रथाओं को अपनाना: िैवश्वक स्तर पर सहमवत की आयु 13 से के वलए ककया िया।
18 िषा के बीच है। जमानी, ऑवस्रया, हंिरी, इर्ली और पुतािाल में • हालांकक, ककसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबध
ं बनाने का
सहमवत की आयु 14 िषा है। इंग्लैंि और िेल्स में यह 16 िषा है। अपिाद अभी भी कानून में बना हुआ है, बशते कक पत्नी की आयु 15 िषा
से अवधक हो।
सहमवत की आयु कम करने के विपक्ष में तका • यह पोक्सो अवधवनयम से असंित है, क्योंकक पोक्सो अवधवनयम की धारा
• भािनात्मक या मनोिैज्ञावनक पररपिता की कमी: इसके कारण िे यौन 42A आपरावधक कानून संशोधन अवधवनयम, 2013 द्वारा ही शावमल
कियाओं के संदभा में सोच-समझकर वनणाय नहीं ले पाते हैं। की िई थी। यह धारा इसे अन्य कानूनों पर अवधभािी (Overriding)
• वििाह की आयु के साथ ताल-मेल: सैद्धांवतक रूप से सहमवत की आयु बनाती है।
तथा वििाह की आयु को समान नहीं माना जाना चावहए। हालांकक, o इं विपेंिेंर् थॉर् बनाम यूवनयन ऑफ इं विया िाद में, सुप्रीम कोर्ा ने
व्यिहार में देश के सामावजक पररिेश को देखते हुए दोनों आंतररक रूप IPC की धारा 375 के अपिाद 2 की वनम्नानुसार व्याख्या की:
से जुडे हुए हैं। “ककसी पुरुष और उसकी पत्नी (15 से 18 िषा के बीच की आयु) के
• बाल शोषण तथा तस्करी: सहमवत की आयु में कोई भी कमी कई बीच यौन संबंध को बलात्कार नहीं माना जाएिा।”
अपराधों से अपराधी को सुरवक्षत बच वनकलने का मौका प्रदान करे िी।
उदाहरण के वलए- अियस्क लडककयों के दमन, िैिावहक बलात्कार तथा तस्करी सवहत अन्य प्रकार के अपराध से अपराधी सुरवक्षत बच वनकलेंि।े
• बाल वििाह को बढािा: सहमवत की आयु में कमी माता-वपता को अियस्क लडककयों का वििाह करने का अिसर प्रदान करे िी। इससे बाल वििाह के
विरुद्ध सकदयों से चल रहे संघषा पर नकारात्मक प्रभाि पडेिा।
• ककशोर अिस्था में िभा धारण को प्रोत्साहन: सहमवत की आयु में कमी से न के िल कम आयु में वििाह के वलए वििश ककए िए बच्चों के स्िास््य तथा
कल्याण के वलए िंभीर पररणाम उत्पन्न हो सकते हैं, बवल्क ऐसे संबंधों से होने िाली संभावित संतानों के वलए भी स्िास््य संबंधी िंभीर वस्थवतयां
उत्पन्न हो सकती है।
• वनदेवशत न्यावयक वििेक: इसके तहत, यकद न्यायालय यह पाता है कक आरोपी तथा बच्चे के बीच संबंध घवनष्ठ हैं, तो न्यायालय आरोपी को अवधवनयम
के तहत वनधााररत न्यूनतम सजा से कम कोई भी सजा दे सकता है।
o इसके वलए आरोपी और बच्चे के बीच आयु का अंतर तीन िषा से अवधक नहीं होना चावहए।
o इसमें यह भी वसफाररश की िई है कक यकद संबंध में दोनों की मंजूरी हो, आरोपी का कोई आपरावधक इवतहास न हो और अपराध के बाद उसका
आचरण अच्छा हो, इत्याकद तो वििेक का इस्तेमाल ककया जाना चावहए।
• ककशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अवधवनयम 2015 में संशोधन: पोक्सो अवधवनयम के तहत ऐसे मामले वजनमें दोनों पक्षों की आयु
16 से 18 िषा के बीच है, उन्हें आपरावधक न्यायालयों के स्थान पर ककशोर न्याय बोिा द्वारा वनपर्ाया जाना चावहए।
o आयोि ने ककशोर न्याय अवधवनयम की धारा 18 में पररितान करने का सुझाि कदया है। इस धारा के तहत कारािास के अलािा अन्य सजाएं , जैसे-
चेतािनी, सामुदावयक सेिा, परामशा तथा अच्छे आचरण को बनाए रखने की शता पर पररिीक्षा (पैरोल) पर ररहाई संबंधी मामलों के वनस्तारण
का अवधकार ककशोर न्याय बोिा को होिा।
• यौन कियाओं के बारे में जािरूकता फै लाना, कम आयु में यौन संबंध बनाने के दुष्पररणाम, िभावनरोधक तथा सुरवक्षत यौन व्यिहार के बारे में जानकारी
के साथ-साथ पोक्सो अवधवनयम के बारे में भी जािरूकता फै लाई जानी चावहए।
6.8. बाल यौन शोषण सामग्री (Child Sexual Abuse Material: CSAM)
सुर्खायों में क्यों?
Information Technology (Intermediary Liability Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules
101
• CSAM कोई भी ऐसी सामग्री हो सकती है वजसमें ककसी बच्चे के साथ यौन िवतविवधयों को स्पि रूप दशााया िया हो।
• CSAM ऑनलाइन बाल यौन दुव्यि
ा हार एिं शोषण (OCSAE) का वहस्सा है। इसके अंतिात बच्चों को यौन चैर् में शावमल करना, बाल CSAM का
वनमााण तथा वितरण करना, नाबावलिों के यौन उत्पीडन की लाइि स्रीहमंि जैसी िवतविवधयां शावमल हैं।
o भारत में मई 2023 तक CSAM के प्रसार के लिभि 4.5 लाख मामले दजा ककए िए हैं।
o एक अनुमान के अनुसार िैवश्वक स्तर पर 2-17 िषा की आयु के लिभि 1 अरब बच्चों ने शारीररक, यौन या भािनात्मक हहंसा का सामना ककया
है।
• अपराधबोध, शर्मिंदिी तथा दोषी ठहराना: पीवडत व्यवक्त, दुव्यािहार को रोकने में सक्षम नहीं होने के कारण अपराधबोध से ग्रस्त हो सकते हैं। यहां
तक कक िे इसके वलए स्ियं को भी दोषी मान सकते हैं।
• मानवसक स्िास््य: CSAM का सामना करना हचंता, विप्रेशन तथा पोस्र्-रॉमैरर्क स्रेस विसऑिार (PTSD) जैसे मानवसक तनािों का कारण बन
सकता है। इससे वशक्षा में कम उत्साह, स्ियं को नुकसान पहुंचाने की प्रिृवत्त (जैसे- आत्महत्या) जैसे नकारात्मक प्रभाि उत्पन्न हो सकते हैं।
• सामावजक अलिाि: बचपन में ही ऑनलाइन यौन शोषण का सामना करने बच्चों में आत्म-सम्मान में कमी आती है। यह शोषण करने िालों से बच्चों को
होने िाले हावनकारक अनुभिों के कारण होता है। यह व्यवक्तित संबध
ं ों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है और विश्वास वनमााण को बावधत
करता है। साथ ही, यह पीवडतों में अलिाि तथा अके लेपन को बढाता है।
• मादक द्रव्य तथा शराब का दुरुपयोि: बचपन में यौन शोषण के आघात से उबरने के वलए, पीवडत ककशोरािस्था में ही शराब तथा मादक पदाथों का
सेिन करने लिते हैं। अवधकांश मामलों में यह किया ियस्क अिस्था में भी जारी रहती है।
• रोिों में िृवद्ध: CSAM के कारण कई संिामक और िैर-संिामक रोि हो सकते हैं। इसमें एचआईिी सवहत यौन संचाररत रोि, अनपेवक्षत िभाधारण,
िभापात तथा अन्य बीमाररयां आकद शावमल हैं।
• सूचना प्रौद्योविकी (आईर्ी) अवधवनयम, 2000: आईर्ी अवधवनयम की धारा 66E, 67, 67A और 67B में CSAM सवहत अश्लील या पोनोग्राकफक
सामग्री के ऑनलाइन प्रसारण के वलए कठोर दंि और जुमााने का प्रािधान ककया िया है।
• सूचना प्रौद्योविकी (मध्यस्थ कदशा-वनदेश और विवजर्ल मीविया आचार संवहता) वनयम, 2021: इन वनयमों का उद्देश्य सोशल मीविया प्लेर्फॉमा पर
CSAM के प्रसार पर रोक लिाना है।
o वनयम 3(1)(b) के अनुसार, सोशल मीविया प्लेर्फॉमा को उपयोिकतााओं को पीिोकफवलक (Paedophilic) या बच्चों के वलए हावनकारक सामग्री
पोस्र् करने से रोकने के वलए “उवचत प्रयास करना” चावहए।
o वनयम 4(4) के अनुसार, भारत में बडे सोशल मीविया प्लेर्फॉमों (50 लाख से अवधक उपयोिकताा) को स्िचावलत उपकरणों सवहत प्रौद्योविकी-
आधाररत उपायों को लािू करना अवनिाया है। इससे बाल यौन शोषण को दशााने िाली सूचना की सकिय रूप से पहचान की जा सके िी।
• लैंविक अपराधों से बालकों का संरक्षण (POCSO) अवधवनयम, 2012: यह 18 िषा की आयु से कम के सभी बालक/ बावलकाओं को यौन शोषण, यौन
उत्पीडन तथा अश्लील वचत्र कदखाना/ पोनोग्राकफक सामग्री के अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।
o इसमें कठोर दंिों का प्रािधान है वजन्हें अपराध की िंभीरता के अनुसार ििीकृ त ककया िया है।
• अन्य प्रासंविक कानूनों के अलािा भारतीय दंि संवहता, POCSO अवधवनयम और आईर्ी अवधवनयम के विवभन्न प्रािधानों के तहत आने िाले अपराधों
की जांच के वलए के न्द्रीय अन्िेषण ब्यूरो(CBI) द्वारा OCSAE रोकथाम/ जांच इकाई का िठन ककया िया था।
• वनभाया फं ि के तहत सरकार ने 'मवहलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध रोकथाम (CCPWC)' नामक पररयोजना लािू की है। इसका उद्देश्य
साइबर अपराधों के वखलाफ जािरूकता बढाना है।
• विवजर्ल व्यवक्तित िेर्ा संरक्षण अवधवनयम, 2023 बच्चों के िेर्ा के वलए िेर्ा प्रोसेहसंि इकाइयों पर तीन शतें लािू करता है: 'माता-वपता की सत्यापन
योग्य सहमवत' प्राप्त करना, बच्चों को क्षवत नहीं पहुंचाना, और बच्चों को रैक या मॉवनर्र नहीं करना या उनको लवक्षत विज्ञापन नहीं कदखाना।
• सोशल मीविया प्लेर्फामों द्वारा पहल: CSAM को सकिय रूप से हर्ाने के वलए YouTube बाल यौन शोषण इमेजरी (CSAI) मैच नामक एक
स्िचावलत र्ू ल का उपयोि करता है।
• जािरूकता का अभाि: भारत के CSAM ररपोर्र्िंि प्लेर्फामा की सीवमत जानकारी तथा पहुंच के कारण स्ितः ररपोर्ा ककए िए अपराधों की संख्या
बहुत कम है।
o िषा 2020 में, राष्ट्रीय साइबर अपराध ररपोर्र्िंि पोर्ाल (NCRP) ने बच्चों के वखलाफ 1,102 साइबर अपराध दजा ककए थे। इसके विपरीत,
NCRB को के िल एक ही िषा 2020 में नेशनल सेंर्र फॉर वमहसंि एंि एक्सप्लोइर्ेि वचल्ड्रन (NCMEC) से OCSAE की लिभि 2.7 लाख
ररपोर्ा प्राप्त हुईं थीं।
• बच्चों की सुरक्षा और वनजता का संतुलन: बच्चों के यौन शोषण से संबंवधत सामग्री का पता लिाने के वलए, सोशल मीविया प्लेर्फोमों को एंि-र्ू -एंि
एवन्िप्शन को हर्ाना पड सकता है। इससे ऑनलाइन संिाद की सुरक्षा कमजोर हो सकती है। साथ ही, इससे अनुच्छेद 21 के तहत वनजता के अवधकार
का उल्लंघन भी होिा।
• अनावमता: अपराधी फे क अकाउं र् का उपयोि करके सोशल नेर्िर्किं ि िेबसाइर्ों और चैर् स्पेस के माध्यम से छोर्े बच्चों की कमजोररयों का लाभ
उठाकर उन्हें अपना वशकार बनाते हैं। इससे यौन शोषण करने िालों, उनके सहायकों तथा बाल शोषण सामग्री के दशाकों की पहचान करना करठन हो
जाता है। फलतः इस प्रकार के मामलों में कानूनी कायािाही करना और भी करठन हो जाता है।
• विवजर्ल युि: सोशल मीविया प्लेर्फॉमा का बढता उपयोि, ऑनलाइन कक्षाओं की ओर बडे पैमाने पर स्थानांतरण तथा शैवक्षक ऐप्स का उपयोि भी
बच्चों पर नकारात्मक प्रभाि िाल सकता है।
o िषा 2019-2020 तक, कोविि-19 और वशक्षा जैसी सेिाओं के ऑनलाइन मोि में पररिर्तात होने के कारण बच्चों के वखलाफ साइबर अपराध में
400% की िृवद्ध हुई थी। इन अपराधों में से लिभि 90% में CSAM का प्रकाशन या प्रसारण शावमल था।
आिे की राह
हाल ही में ककए िए एक सिेक्षण के अनुसार, 60% शहरी बच्चे सोशल मीविया तथा अन्य ऑनलाइन प्लेर्फॉम्सा पर प्रवतकदन 3 घंर्े व्यतीत करते हैं।
सकारात्मक नकारात्मक
• संज्ञानात्मक कौशल: कई सोशल मीविया एप्लीके शंस खेलों के • साइबर बुहलंि तथा ऑनलाइन उत्पीडन: बच्चे सोशल मीविया प्लेर्फॉम्सा पर
माध्यम से पढने, वलखने, िणना करने आकद कौशल सीखने में बुहलंि, उत्पीडन या बवहष्कार के वशकार हो सकते हैं। इससे भािनात्मक तनाि,
सहायता कर सकती हैं। हचंता, यहां तक कक अिसाद जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती है।
• सािाभौवमक मूल्य: विश्व भर के लोिों से अंतर्िा या के दौरान • फे क न्यूज: सोशल मीविया एक सहज ि क्षमतािान प्लेर्फॉमा है, वजस पर दूसरों
बच्चों में दूसरों के दृविकोण का सम्मान करने, सािाभौवमक के बारे में झूठी, मनिढंत, शमानाक तथा शत्रुतापूणा सूचनाएं प्रसाररत की जा सकती
नैवतकता ि सािाभौवमक मूल्यों का आदर करने जैसे मूल्य का
हैं।
विकास हो सकता है।
• सामावजक संबध
ं ों में कमी: बच्चे आसपास के लोिों से आमने-सामने वमलने में तनाि
• सामावजक कौशल: सोशल मीविया विविध लोिों के साथ
महसूस कर सकते हैं। साथ ही, अन्य लोिों से संिाद करने के वलए सोशल मीविया
सुिमतापूिाक संचार तथा बातचीत करने की सुविधा प्रदान
के आदी हो सकते हैं।
करता है।
• िास्तविक ि ऑनलाइन ररयवलर्ी में पहचान करने में असमथाता: बच्चों में
• सूचनाओं तक आसान पहुंच: सोशल मीविया विविध विषयों पर
ऑनलाइन ररयवलर्ी ि िास्तविक ररयवलर्ी में भेद करने की क्षमता सीवमत होती
प्रचुर मात्रा में जानकारी प्रदान कर सकता है।
है।
• रचनात्मकता: बच्चे कला, लेखन या िीवियो कं र्ेंर् जैसे अलि-
• फे सबुक विप्रेशन: बच्चों को पयााप्त लाइक्स न वमलने तथा कवथत ऑनलाइन समथान
अलि माध्यमों से अपनी रचनात्मकता व्यक्त करते हैं, अपने खोने का िर रह सकता है।
विचार साझा करते हैं तथा अपनी प्रवतभा का प्रदशान करते हैं। • स्िीन पर अत्यवधक समय वबताना: इससे शारीररक िवतविवधयों में कमी, कम नींद
आना तथा स्िास््य संबंधी अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
आिे की राह
• अवभभािकों का वनयंत्रण: अवभभािक इंर्रनेर् उपयोि के वलए पेरेंर्ल कं रोल सेरर्ंि का विकल्प चुन सकते हैं। उदाहरण के वलए, विवशि िेबसाइट्स
को इंर्रनेर् पर देखने की अनुमवत देना या उन्हें देखने पर प्रवतबंध लिाना।
• बच्चों को सशक्त बनाना: सशक्तीकरण में कई तकनीक शावमल होती हैं, जैसे बच्चों को आयु-उपयुक्त भाषा में कानूनी सीमाओं के बारे में वशक्षा देना;
अपने समुदायों के सांस्कृ वतक ि नैवतक मानदंिों तथा उनकी अपेक्षाओं पर चचाा करना आकद।
• प्रौद्योविकी का उपयोि: बच्चों के वििाइसेज़ को निीनतम सॉफ्र्िेयर तथा िोपनीयता सेरर्ंग्स के साथ अपिेर् करना चावहए। इससे कम-से-कम िेर्ा
संग्रहण ककया जा सके िा।
• विवनयमन: सरकारें ऐसे कानून तथा वनयम बना सकती हैं, जो बच्चों की ऑनलाइन वनजता की रक्षा करें तथा साइबर बुहलंि को रोकें ।
• इं र्रनेर् प्रदाता की भूवमका: िे बाल-कें कद्रत फीचसा ि फं क्शंस, प्रभािी ररपोर्र्िंि, फीिबैक तंत्र आकद के माध्यम से ऑनलाइन बाल यौन शोषण एिं
दुव्यािहार को रोक सकते हैं तथा इस पर प्रवतकिया दे सकते हैं।
• विद्यालय: विद्यालय स्तर पर छात्रों को इंर्रनेर् के सुरवक्षत तथा प्रभािी उपयोि के बारे में वशवक्षत ककया जा सकता है।
• शारीररक िवतविवधयों को प्रोत्सावहत करना: शारीररक िवतविवध को प्रोत्सावहत करने और बच्चों में अनुशासन तथा र्ीम िका की भािना पैदा करने के
वलए "कफर् इंविया मूिमेंर्" जैसी पहल को बढािा कदया जाना चावहए।
• बाल ऑनलाइन सुरक्षा पर अंतरााष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) कदशा-वनदेश (2020): इन कदशा-वनदेशों को अलि-अलि देश और वहतधारक राष्ट्रीय एिं
स्थानीय रीवत-ररिाजों तथा कानूनों के अनुरूप अनुकूवलत करके अपना सकते हैं।
कई विशेषज्ञों के अनुसार भारत में आंतररक प्रिास लिभि सदैि चिीय रहा है। इसके तहत प्रिावसयों का ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर मौसमी प्रिास
होता है।
• चिीय प्रिास की कोई मानक पररभाषा नहीं है। सामान्य तौर पर यह एक से अवधक उत्प्रिास (Emigration) और िापसी से संबद्ध बार-बार होने
िाली प्रिास की घर्ना है।
• वनयोक्ताओं द्वारा शोषण जैसे कक अस्िच्छ और असुरवक्षत काया दशाएं, भारत में आंतररक प्रिावसयों के वलए ककए िए उपाय
सामावजक सुरक्षा का अभाि, न्यूनतम मजदूरी जैसे श्रम मानदंिों का उल्लंघन • अंतरााज्यीय प्रिासी कामिार (वनयोजन का विवनयमन और सेिा
आकद। शतें) अवधवनयम, 1979: यह अवधवनयम अंतरााज्यीय प्रिावसयों के
• रोजिार की प्रकृ वत वनिााह स्तर की होती है। इसवलए बचत या पररसंपवत्त वलए कामकाज की बेहतर दशाएं, न्यूनतम मजदूरी, वशकायत
वनमााण के वलए सीवमत अिसर मौजूद होते हैं। वनिारण तंत्र, दुव्यािहार और शोषण से सुरक्षा आकद सुवनवश्चत
• प्रिास संबंधी िेर्ा का अभाि है। साथ ही, इसकी व्यापकता के संबंध में करता है। साथ ही, यह उनके कौशल की िृवद्ध और सामावजक
जानकारी भी बहुत कम उपलब्ध है। इसके कारण प्रिावसयों को सरकार से सुरक्षा हेतु प्रािधान भी करता है।
बहुत कम नीवतित सहायता वमलती है। o ज्ञातव्य है कक इस कानून को अब उपजीविकाजन्य सुरक्षा,
• प्रिासी िंतव्य क्षेत्रों में राजनीवतक प्रकियाओं में शावमल नहीं हो पाते हैं। स्िास््य और कायादशा संवहता (OSH), 2020 में शावमल
• ज्यादातर प्रिास तनाि और अभािों की िजह से होता है। ऐसा इसवलए, कर वलया िया है।
क्योंकक अवधकांश चिीय प्रिासी िंवचत समूहों से और लिभि वनरक्षर होते • सामावजक सुरक्षा और कल्याण योजनाएं:
हैं। o प्रधान मंत्री जीिन ज्योवत बीमा योजना (PMJJBY) और
• अन्य मुद्दे: सामावजक अलिाि, भाषा संबंधी बाधाएं, रोजिार की प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY): इनके द्वारा
प्राकृ वतक या आकवस्मक मृत्यु के कारण जीिन ि कदव्यांिता
अवनवश्चतता, मेजबान राज्यों में प्रिासी विरोधी भािनाएं आकद।
से जुडे बीमा किर प्रदान ककए जाते हैं।
आिे की राह o प्रधान मंत्री श्रम योिी मान धन पेंशन योजना (PM-SYM):
• राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर चिीय प्रिासी कामिारों पर व्यापक िेर्ा एकत्र इसके तहत मावसक पेंशन के रूप में िृद्धािस्था से जुडी
सामावजक सुरक्षा प्रदान की जाती है।
ककया जा सकता है, उदाहरण के वलए आिवधक श्रम बल सिेक्षण (PLFS)
में िेर्ा संग्रह करना।
• कम लाित पर बीमा पॉवलवसयों, व्यािसावयक सुरक्षा और कौशल िृवद्ध योजनाओं के रूप में सामावजक सुरक्षा किरे ज प्रदान ककया जा सकता है।
हाल ही में, िैवश्वक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2023 जारी ककया िया है। GHI को कं सना िल्िािाइि (आयरलैंि का अंतरााष्ट्रीय मानितािादी संिठन) और
िेल्र्हंिरवहल्फे (जमानी का वनजी सहायता संिठन) जारी करते हैं।
• िैवश्वक प्रिृवत्तयां
o िषा 2015 से, भुखमरी के वखलाफ दुवनया भर में प्रिवत काफी हद तक रुकी हुई है। यह रुकािर् कोविि-19 महामारी, रूस-यूिेन युद्ध, जलिायु
पररितान के प्रभाि जैसे कई संकर्ों के संयुक्त प्रभािों को दशााती है।
o विश्व में सिाावधक भुखमरी दवक्षण एवशया और अफ्रीका (सहारा मरुस्थल के दवक्षण में) में है। दोनों क्षेत्रों के वलए GHI स्कोर 27.0 है।
• भारत से संबवं धत वनष्कषा
o इस सूचकांक में 125 देशों में भारत 111िें स्थान पर है। भारत का GHI स्कोर 28.7 है। इसी आधार पर भुखमरी की िंभीरता िाले GHI पैमाने
पर भारत को ‘िंभीर श्रेणी’ में ििीकृ त ककया िया है।
▪ 2015 में भारत का GHI स्कोर 29.2 था। 2023 का स्कोर 2015 के स्कोर में मामूली सुधार दशााता है।
o भारत में बाल दुबलेपन (Child wasting) की दर 18.7 प्रवतशत है, जो विश्व में सिाावधक है। यह आंकडा देश में अल्पपोषण की िंभीर वस्थवत
को दशााता है।
o इसके अलािा, 15-24 आयु ििा की मवहलाओं में एनीवमया की व्यापकता 58.1% है।
• सूचकांक तैयार करने की पद्धवत संबंधी मुद्दे: GHI के चार में से तीन संकेतक बच्चों के स्िास््य से संबंवधत हैं। इस तरह ये भारत की संपूणा आबादी का
प्रवतवनवधत्ि नहीं करते हैं।
o बाल रठिनापन, दुबलापन और 5 िषा से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर के वलए भुखमरी के अलािा अन्य कारण भी वजम्मेदार हैं। उदाहरण के
वलए- अस्िच्छ पेयजल, स्िच्छता की कमी, आनुिंवशक कारण, दूवषत पयाािरण ि भोजन का सही से सेिन नहीं करना आकद।
• सैंपल के आकार का छोर्ा होना: चौथा संकेतक “अल्पपोवषत आबादी का अनुपात” (PoU)102 3000 लोिों के छोर्े सैंपल साइज से र्े लीफोन-संिाद के
जररए वलए िए ओवपवनयन पोल पर आधाररत है।
o ररपोर्ा में भारत की PoU आबादी को 16.3% होने के अनुमान लिाया िया है। इसके आधार पर ही भारत की रैं क को कम ककया िया है।
• िेर्ा का उपयोि: GHI में बाल दुबलेपन के वलए पोषण रैकर (Poshan Tracker) के िेर्ा की बजाय राष्ट्रीय पररिार स्िास््य सिेक्षण (NFHS)-5
द्वारा जारी बाल दुबलेपन से संबवं धत िेर्ा का उपयोि ककया है। भारत ने इस तरीके पर आपवत्त प्रकर् की है।
o पोषण रैकर पोर्ा ल पर दजा ककए िए िेर्ा से पता चलता है कक पांच िषा से कम आयु के कु ल 7.24 करोड बच्चों में बाल दुबलेपन की व्यापकता
7.2% है।
▪ विश्व स्िास््य संिठन (WHO) ने पोषण रैकर को पोषण पर वनयवमत प्रशासवनक िेर्ा को त्रुरर्हीन रूप से प्रसाररत करने िाले एक उत्कृ ि
प्लेर्फॉमा के रूप में मान्यता दी है।
भारत में भुखमरी से वनपर्ने के वलए सरकार द्वारा शुरू की िई पहलें
• राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अवधवनयम (NFSA), 2013: यह भोजन के अवधकार को कानूनी अवधकार के रूप में मान्यता देता है।
• 80 करोड िरीब लोिों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के वलए प्रधान मंत्री िरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) की शुरुआत की िई है।
• प्रधान मंत्री मातृ िंदना योजना: पंजीकृ त मवहलाओं को पहले बच्चे के जन्म से संबंवधत िभाािस्था के दौरान और प्रसि के बाद की अिवध में पाररश्रवमक
सहायता ि पौविक भोजन के वलए 5,000 रुपये प्रदान ककए जाते हैं।
• पोषण अवभयान (राष्ट्रीय पोषण वमशन): इसका उद्देश्य मुख्य पोषण मापदंिों के अनुसार बच्चों और मवहलाओं के पोषण स्तर में सुधार करना है।
• पोषण रैकर: यह एक ररयल र्ाइम आधाररत वनिरानी प्रणाली है। यह प्रावधकाररयों को पोषण स्तर की प्रिवत को रैक करने और सेिा वितरण की
आपूर्ता श्रृंखला में अंतराल की पहचान करने में सक्षम बनाता है।
• ईर् राइर् मूिमेंर्: इसका उद्देश्य सुरवक्षत, स्िस्थ और संधारणीय भोजन सुवनवश्चत करने के वलए देश की खाद्य प्रणाली को रूपांतररत करना है।
वनष्कषा
ग्लोबल हंिर इं िेक्स (GHI), 2023 विविध संकर्ों के कारण बढती भुखमरी के वखलाफ चल रहे िैवश्वक संघषों को उजािर करता है। GHI तैयार करने के
वलए अपनाई िई पद्धवत की भारत द्वारा आलोचना भुखमरी की व्यापकता के सर्ीक आकलन के समक्ष आने िाली चुनौती को रे खांककत करती है। हालां कक,
6.13.1. आत्महत्या की घर्नाओं को रोकने के वलए o पररिार: वििाद और अशांवत (तलाक, वित्तीय करठनाइयां
स्कू लों हे तु कदशा-वनदे शों का मसौदा (Draft आकद); माता-वपता द्वारा उपेक्षा/ दुव्यािहार; विद्यार्थायों पर
Guidelines for Schools to Prevent प्रवतयोिी परीक्षाओं की तैयारी के वलए दबाि िालना आकद।
Suicide) o समुदाय और समाज: मानवसक बीमारी से जुडा कलंक; मीविया
में आत्महत्या के मामलों की सनसनीखेज और असंिेदनशील
• कें द्रीय वशक्षा मंत्रालय (MoE) ने आत्महत्या की घर्नाओं को रोकने
ररपोर्र्िंि आकद।
के वलए स्कू लों हेतु कदशा-वनदेशों का मसौदा जारी ककया है। इन
कदशा-वनदेशों का मसौदा “UMMEED/ उम्मीद (अंिरस्र्ैं ि,
मोरर्िेर्, मैनज
े , एंपथ
ै ाइज, इं पािर, िेिलप)” शीषाक से जारी ककया
िया है। ये कदशा-वनदेश "ररपोर्ा की िई आत्म-क्षवत के मामले में
संिेदनशीलता ि समझ बढाने और सहायता प्रदान करने के वलए
स्कू लों हेतु वनदेशों" के रूप में काया करें िे।
o 'हर बच्चे का महत्त्ि है'’ अिधारणा, आत्महत्या की रोकथाम के
वलए कदशावनदेश तैयार करने का आधार है।
• आत्महत्या व्यवक्तित और सामावजक कारकों की एक जरर्ल
पररणवत है, वजसके वलए शायद ही कोई एक पररवस्थवत या घर्ना
वजम्मेदार होती है।
o मानवसक स्िास््य देखभाल अवधवनयम 2017, भारत में
आत्महत्या को अपराध की श्रेणी से हर्ा कदया है।
• आत्महत्या की ओर ले जाने िाले कारक:
o व्यवक्तित कारक: बचपन में हुए प्रवतकू ल अनुभि (दुव्यािहार,
हहंसा आकद); सोशल मीविया की लत, मादक पदाथों का सेिन;
जीिन में अच्छा प्रदशान करने का आंतररक दबाि आकद।
o स्कू ल: सावथयों/ वशक्षकों के साथ सकारात्मक संबंधों का
अभाि, धमकाना, अपमान, अलिाि; स्कू ल-पररिार से जुडाि
का अभाि; स्कू ल की ओर से शैक्षवणक दबाि आकद।
(WCD) ने स्िास््य और पररिार कल्याण मंत्रालय तथा आयुष • वनकर् दृवि दोष (मायोवपया)- इसे अितल लेंस (Concave lens)
मंत्रालय के सहयोि से यह प्रोर्ोकॉल आरं भ ककया है। से ठीक ककया जा सकता है।
• यह प्रोर्ोकॉल आंिनिाडी स्तर पर कु पोवषत बच्चों की पहचान और • दूर दृवि दोष (हाइपरमेरोवपया)- इसे उत्तल लेंस (Convex lens)
प्रबंधन के वलए विस्तृत कदशा-वनदेश प्रदान करता है। द्वारा ठीक ककया जा सकता है।
o कु पोवषत बच्चों की पहचान और उनका उपचार वमशन पोषण • प्रेस्बायोवपया- पास की िस्तुओं पर ध्यान कें कद्रत करने की आंखों की
2.0 का अवभन्न पहलू है। क्षमता का धीरे -धीरे कम होना। इसे बायफोकल लेंस द्वारा ठीक
• प्रोर्ोकॉल के मुख्य घर्क: ककया जाता है।
o इसमें कु पोवषत बच्चों के विकास की वनिरानी, एपेर्ाइर् र्ेस्र्,
6.13.5. हक्की वपक्की जनजावत (Hakki Pikki
पोषण वस्थवत प्रबंधन आकद शावमल हैं। Tribe)
▪ एपेर्ाइर् र्ेस्र् में बच्चों को शरीर के िजन के अनुसार
भोजन कदया जाता है। यकद कोई बच्चा भोजन का तीन- • हक्की वपक्की जनजावत के बारे में:
o यह कनाार्क की एक अद्धा-घुमत ं ू जनजावत है।
चौथाई वहस्सा भी ग्रहण नहीं कर पाता है, तो उसे पोषण
पुनसुध
ा ार कें द्र (NRC)109 में भेज कदया जाता है।
108 Residential Education for Students in High Schools 109 Nutritional Rehabilitation Centre
in Targeted Areas/ लवक्षत क्षेत्रों में हाई स्कू ल के विद्यार्थायों के
वलए आिासीय वशक्षा
111 www.visionias.in ©Vision IAS
o इस जनजावत को ‘पवक्षयों का वशकारी या वचडीमार’ के रूप में o इन्हें मातृसत्तात्मक समुदाय माना जाता है।
जाना जाता है। इस जनजावत के लोि परं पराित रूप से पवक्षयों o उनके बोलचाल की भाषा ‘िािरी’ है।
को पकडते और उनका वशकार करते हैं। ▪ यूनेस्को ने िािरी को एंिेंजिा भाषाओं में सूचीबद्ध ककया
है।
▪ ‘हक्की’ शब्द का अथा ‘पक्षी’ और ‘वपक्की’ का अथा ‘वशकारी’
o िे अपनी देशज औषवधयों के वलए जाने जाते हैं।
होता है।
o पवक्षयों के वशकार के उनके पेशे को िैर-कानूनी घोवषत ककए
जाने के बाद, 1970 के दशक में उनका पुनिाास ककया िया।
• 1987 में, ऐनी एल’हुइवलयर और उनके सहयोवियों ने नोबल िैस के माध्यम से अिरक्त लेजर प्रकाश को प्रिावहत ककया। इसके पररणामस्िरूप कई
अलि-अलि ओिरर्ोन उत्पन्न हुए।
o जब एक ओिरर्ोन का वशखर और दूसरे ओिरर्ोन का वशखर, आपस में जुडते हैं, तो िे संपोषी या रचनात्मक व्यवतकरण (Constructive
interference) से िुजरते हैं। इसके पररणामस्िरूप एक बडे वशखर का वनमााण होता है।
7.2. रसायन विज्ञान में नोबे ल पु र स्कार 2023 (Nobel Prize in Chemistry 2023)
पुरस्कार प्रदान ककया िया: यह पुरस्कार िांर्म िॉट्स की खोज और विकास
के वलए कदया िया है।
पुरस्कार विजेता: मौंिी जी. बािेंिी (Moungi G. Bawendi), लुईस ई.
ब्रूस (Louis E. Brus ) और एलेक्सी येककमोि (Aleksey Yekimov)।
इस प्रौद्योविकी को वनम्नवलवखत सवहत कई अन्य क्षेत्रों में भी उपयोि ककया जा सकता है:
• इलेक्रॉवनक्स: इसका उपयोि QLED तकनीक पर आधाररत र्ेलीविजन स्िीन और LED लैंप आकद बनाने में ककया जाता है।
• एििांस सजारी: इसका उपयोि कैं सर जैसे रोिों के उपचार में र्ािेर्ेि ड्रि विलेिरी, नैनोमेविवसन आकद क्षेत्र में ककया जा सकता है। साथ ही,
बायोके वमस्र्, िॉक्र्र आकद जैविक ऊतक की मैहपंि करने के वलए िांर्म िॉट्स का उपयोि कर सकते हैं।
• जालसाजी-रोधी (Anti-counterfeit) उपायों में: इसका उपयोि करें सी और दस्तािेजों पर सुरक्षा माका र के रूप में उपयोि ककया जाता है।
• अन्य संभावित उपयोि: इसका उपयोि िांर्म कं प्यूरर्ंि; पतले सोलर सेल के विवनमााण; फ्लेवक्सबल या लचीले इलेक्रॉवनक्स; अत्यंत सूक्ष्म आकार के
सेंसर बनाने और एवन्िप्र्ेि िांर्म संचार आकद में ककया जा सकता है।
7.3. कफवजयोलॉजी या मे विवसन में नोबे ल पु र स्कार 2023 (Nobel Prize in Physiology or
Medicine 2023)
पुरस्कार प्रदान ककया िया: न्यूवक्लयोसाइि बेस मॉविकफके शन से जुडी हुई महत्िपूणा खोजों के वलए मेविवसन में िषा 2023 का नोबेल पुरस्कार कदया िया।
इन खोजों ने कोविि-19 के विरुद्ध लडाई में प्रभािी mRNA र्ीकों के विकास को संभि बनाया था।
पुरस्कार विजेता: कै र्ावलन काररको (Katalin Karikó) और ड्रू िीसमैन (Drew Weissman)।
• र्ीकाकरण, ककसी वनधााररत रोिजनक के प्रवत शरीर की प्रवतरक्षा प्रणाली को बेहतर ढंि से बचाि करने में सक्षम बनाता है।
• लंबे समय तक पोवलयो, खसरा और यलो फीिर आकद जैसी बीमाररयों से बचाि हेतु मृत या क्षीण िायरस पर आधाररत र्ीके का उपयोि ककया जाता
रहा है।
• तकनीक में प्रिवत होने से र्ीकों को बनाने के वलए एक पूरे िायरस के बजाय िायरस के आनुिवं शक कोि (Genetic Code) के के िल एक वहस्से का
उपयोि ककया जाने लिा। इन र्ीकों को DNA-आधाररत र्ीके के रूप में जाना जाता है।
• हालांकक, सेल कल्चर की सहायता से ही व्यापक पैमाने DNA-आधाररत िैक्सीन बनाना संभि है और इसमें काफी समय भी लिता है। सेल कल्चर के
तहत प्रयोिशाला में वनयंवत्रत दशाओं में कोवशकाओं का विकास ककया जाता है।
o जब हम DNA आधाररत िैक्सीन लििाते हैं, तो हमारी कोवशकाएं िायरस या बैक्र्ीररया के जीन पार्र्ाकल को प्रोर्ीन में बदल देती हैं। इस
प्रोर्ीन को हमारा शरीर एक बाह्य तत्ि के रूप में देखता है। इसके बाद हमारी प्रवतरक्षा प्रणाली इन प्रोर्ीनों से लडने के वलए एंर्ीबॉिी का वनमााण
करने लिती है।
• कोविि-19 िैवश्वक महामारी के प्रकोप के दौरान, घातक और तेजी से फै लने िाले िायरस के वखलाफ तेजी से िैक्सीन की खोज करना बहुत महत्िपूणा
था। ऐसी वस्थवत में mRNA तकनीक महत्िपूणा सावबत हुई, क्योंकक इस तकनीक के आधार पर िैक्सीन का वनमााण काफी कम समय में ही ककया जा
सकता था।
mRNA या मैसज
ें र राइबोन्यूवक्लक एवसि (messenger
Ribonucleic Acid: mRNA) के बारे में
• DNA में हमारे शरीर की सभी आनुिंवशक जानकाररयां
संग्रवहत होती है। mRNA इस आनुिंवशक जानकारी को
वनदेशों के सेर् के रूप में कोवशकाओं तक पहुंचाता है। इन
वनदेशों के आधार पर ही कोवशकाएं प्रोर्ीन का वनमााण
करती हैं।
o RNA में 4 न्यूवक्लयोसाइि क्षार या बेस होते हैं। इन्हें संवक्षप्त रूप से एिेवनन (A), यूरेवसल (U), िुआवनन (G) और साइर्ोवसन (C) के नाम से
जाना जाता है। ये DNA में पाए जाने िाले एिेवनन (A), थायवमन (T), िुआवनन (G) और साइर्ोवसन (C) के अनुरूप आनुिंवशक कोि के अक्षर
हैं।
mRNA र्ीकों ने तेजी से र्ीकों का विकास करने का अिसर प्रदान ककया है, लेककन इसमें कु छ प्रमुख चुनौवतयां भी मौजूद हैं। नोबेल पुरस्कार विजेताओं की
खोज में इन चुनौवतयों का समाधान ककया िया है।
नोबेल पुरस्कार विजेताओं का काया
• समझ: काररको और िीसमैन को पता था कक स्तनधारी कोवशकाओं से प्राप्त RNA में न्यूवक्लयोसाइि के बेस अक्सर रासायवनक रूप से पररिर्तात
(Modified) होते रहते हैं।
• पररकल्पना: उन्होंने पररकल्पना की कक पररिर्तात होने िाले क्षार (बेस) की प्रयोिशाला में वनर्मात इनविरो में अनुपवस्थवत, इंफ्लेमेर्री ररएक्शन की
व्याख्या कर सकती है।
Basics)” की शुरुआत के बाद आरं भ हुआ था। • OTTs िस्तुतः सािाजवनक इंर्रनेर् पर अंवतम उपयोिकतााओं को उपलब्ध कराए जाने िाले
फे सबुक ने इसे भारत में के िल ररलायंस नेर्िका के विवजर्ल कं र्ेंर्, कोई सर्िास या एवप्लके शन्स होते हैं। इन्हें दो समूहों में ििीकृ त ककया िया है-
उपयोिकतााओं और ग्राहकों के वलए मुफ्त में o OTT संचार सेिाएं: ये सेिाएाँ इंर्रनेर् पर ररयल र्ाइम में व्यवक्त-से-व्यवक्त के बीच
उपलब्ध िेबसाइर्ों और विवजर्ल कं र्ेंर् का एक दूरसंचार सेिाएं प्रदान करती हैं, जैस-े व्हाट्सएप, र्ेलीग्राम आकद।
सेर् प्रदान करने के वलए विज़ाइन ककया था।
o OTT एवप्लके शन सेिाएं: इसमें अन्य सभी OTTs सेिाएं, जैस-े मीविया सेिाएं, व्यापार
o फ्री बेवसक्स एक मुफ्त इंर्रनेर् एक्सेस
प्लेर्फॉमा है जो वबना िेर्ा शुल्क के बुवनयादी और िावणज्य सेिाएं, क्लाउि सेिाएं और सोशल मीविया शावमल हैं, उदाहरण के वलए-
ऑनलाइन सेिाओं तक पहुंच प्रदान करता है। फे सबुक, अमेजन, नेर्वफ्लक्स द्वारा प्रदान की जाने िाली सेिाएं आकद।
यह एवशया, अफ्रीका और लैरर्न अमेररका के TSPs और OTT के बीच संबध
ं
60 से अवधक देशों में उपलब्ध है। • जब TSPs अपने वनिेश के वलए शुल्क मांिने के अपने अवधकार का दािा करते हैं, तो इसे एक
• इसको रोकने के वलए राई ने “िेर्ा सेिाओं के वलए नए रूप में नेर् नूरवलर्ी के विरुद्ध एक कदम के रूप में भी देखा जा सकता है।
भेदभािपूणा र्ैररफ का वनषेध विवनयम114, • TSPs द्वारा वनिेश की जाने िाली पूज
ं ीित लाित बहुत अवधक है, क्योंकक िे उपभोक्ताओं को
विवभन्न सेिाओं के लाभ उठाने में सक्षम बनाने के वलए आिश्यक अिसंरचनाओं को स्थावपत
2016” नामक एक नया फ्रेमिका जारी ककया था।
करने में लाखों रुपये खचा करते हैं। OTTs भी इसका एक वहस्सा है।
इसके अंतिात राई ने दूरसंचार सेिा प्रदाताओं को
• TSPs के राजस्ि पर भी प्रभाि पडता है, क्योंकक कु छ OTTs िही सेिाएं प्रदान करते हैं जो
अलि-अलि दरें िसूलने से रोक कदया और नेर्
न्यूरैवलर्ी सुवनवश्चत करने का प्रयास ककया। TSPs प्रदान करते हैं, जैस-े इंर्रनेर् पर कॉल और मैसेहजंि सेिाएं। इस प्रकार OTTs उनके
प्रवतस्पर्धायों के रूप में काया करते हैं।
नेर् न्यूरैवलर्ी की उपेक्षा के वनवहताथा
• TSPs संबध
ं ी विवनयामकीय फ्रेमिका ज्यादा कठोर है और िे सरकार एिं TRAI के वनयमों से
• उपभोक्ताओं के बीच भेदभाि को बढािा: इंर्रनेर्
बंधे हैं, जबकक OTTs पर ऐसे प्रत्यक्ष दावयत्ि नहीं हैं।
सेिा प्रदाता (ISP) ककसी विवशि कं र्ेंर्,
• TSPs द्वारा प्रदान की जाने िाली प्रसारण क्षमता की मांि को OTTs कं र्ेंर् द्वारा बढािा
एवप्लके शन, प्रोिक्र् का पक्ष ले सकते हैं और उसे
वमलता है। इससे शुद्ध िेर्ा खपत में िृवद्ध होती है। यह TSP के पक्ष में है, क्योंकक यह TSPs
बढािा दे सकते हैं। इसके कारण उपभोक्ताओं के
को लाभ प्रदान करता है।
बीच भेदभाि पैदा होिा।
• निाचार को हतोत्साहन: नेर् नूरवलर्ी न होने पर स्र्ार्ा-अप और छोर्ी कं पवनयों के वलए समान अिसर समाप्त हो सकता है। फलतः नए आइविया के
मामले में निाचार हतोत्सावहत होिा तथा वबि र्ेक कं पवनयां और मजबूत होंिी।
• िोपनीयता संबध
ं ी हचंताएं: इंर्रनेर् सेिा प्रदाता (ISP) उपयोिकतााओं की सहमवत के
वबना उनके िेर्ा को एकत्र करने और उसके मुद्रीकरण करने की अपनी शवक्त का दुरुपयोि
कर सकते हैं।
• उपभोक्ता की स्ितंत्रता पर लिाम: इंर्रनेर् सेिा प्रदाता (ISP) द्वारा यह वनदेवशत
करना कक उपभोक्ताओं के वलए क्या सुलभ है या क्या ककफायती है, उपभोक्ताओं की
चुनने की स्ितंत्रता को बावधत करती है।
• विवजर्ल विभाजन को बढािा: यह विवजर्ल विभाजन को बढाता है। इससे हावशए पर
रहने िाले समुदायों के पास आिश्यक ऑनलाइन कं र्ेंर् , शैवक्षक उपकरणों और नौकरी
के अिसरों तक पहुंच कम होती है।
आिे की राह
7.5. भारत की अं त ररक्ष तकनीक सं बं धी क्षमताओं को विकवसत करना (Unlocking India’s Space
Tech Potential)
सुर्खायों में क्यों?
• ररमोर् सेंहसंि/ भू अिलोकन: इसमें उपग्रह िेर्ा के भंिारण, िेर्ा विश्लेषण एिं विवभन्न कायों हेतु ऍवप्लके शन्स का विकास से संबंवधत सेिाएं शावमल
हैं। इनका उपयोि वनम्नवलवखत क्षेत्रकों में ककया जा
सकता हैं:
o कृ वष: फसल वनधाारण, मृदा का मानवचत्रण, मौसम
की वनिरानी, हसंचाई प्रबंधन आकद में।
o शहरी वनयोजन और विकास: मास्र्र प्लान बनाने,
अबान हीर् आइलैंि की भविष्यिाणी और वनिरानी
करने में।
o आपदा प्रबंधन: आपदाओं के पूिाानम
ु ान और आपदा
पश्चात प्रबंधन में।
o ब्लू इकोनॉमी (मत्स्यन, समुद्र विज्ञान): मछवलयों
का पता और पूिाानुमान लिाने, संभावित
मत्स्य क्षेत्रों का पता लिाने में।
• उपग्रह संचार (Sat Com): इसके तहत उन उत्पादों और
सेिाओं पर फोकस ककया जा सकता है जो प्रसारण, संचार
और इंर्रनेर् कनेवक्र्विर्ी जैसी सेिाओं के वलए संचार
उपग्रहों का उपयोि करते हैं। जैसे-
o सुदरू क्षेत्रों में बैंक शाखाओं के वलए कनेवक्र्विर्ी
प्रदान करने में।
o स्िास््य, वशक्षा और सरकारी सेिाओं का वितरण सुवनवश्चत करने में।
o अन्य क्षेत्रक: इसमें पयार्न, भुितान, व्यापार, विवजर्ल िावणज्य आकद क्षेत्रक शावमल हैं।
• पोवजशहनंि, नेवििेशन और र्ाइहमंि सेिाएं (PNT): इसमें पररसंपवत्तयों की रैफकं ि, हिा, जमीन और समुद्र हेतु नेवििेशन सेिाएं आकद शावमल हैं।
o वनदेशन: इसमें ड्रोन, उद्यमों के वलए नेवििेशन, र्ोल संग्रह, रे लिे आकद को सेिाएं प्रदान की जा सकती हैं।
o नािररक उड्डयन: यहां इसका उपयोि िावणवज्यक उड्डयन, हिाई अड्डा संचालन आकद में ककया जाता है।
o समय तुल्यकालन (Time Synchronization): इसके जररए विवभन्न क्षेत्रकों, जैसे- दूरसंचार, ऊजाा, वित्त आकद के संचालन को और बेहतर
बनाया जा सकता है।
• रणनीवतक उद्देश्यों के वलए अंतररक्ष का उपयोि: जल, थल और िायु के बाद अंतररक्ष को फोथा ऑपरे शन िोमेन के रूप में ििीकृ त ककया िया है। यह
राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीवतक वहतों को पूरा करने के वलए हमेशा से दोहरे उद्देश्य की पूर्ता करने िाला क्षेत्रक रहा है।
o सुरवक्षत संचार: एकीकृ त कमान और वनयंत्रण कें द्र।
o खुकफया जानकारी, वनिरानी और र्ोही काया: इसके तहत रणनीवतक वनिरानी, पररसंपवत्त, समुद्री िोमेन संबंधी सतका ता आकद शावमल है।
• क्षुद्रग्रह, चट्टानी संरचना िाले हपंि होते हैं जो सूया की पररिमा करते हैं। इन्हें आमतौर पर लघु ग्रह भी कहा जाता है। इनका आकार सामान्य ग्रहों की
तुलना में काफी छोर्ा होता है।
• क्षुद्रग्रहों को उनकी अिवस्थवत के आधार पर तीन भािों में बांर्ा िया है:
o मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्र् (Main Asteroid Belt): यह बेल्र् मंिल और बृहस्पवत के बीच मौजूद है। इस बेल्र् में लिभि 1.1-1.9 वमवलयन क्षुद्रग्रहों के
होने का अनुमान है।
▪ मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्र् में सभी क्षुद्रग्रहों का कु ल द्रव्यमान चंद्रमा से भी कम है।
o रोजन (Trojans): ये क्षुद्रग्रह ककसी बडे ग्रह की कक्षा में मौजूद होते हैं, लेककन ग्रह से र्कराते नहीं हैं।
119 Origins, Spectral Interpretation, Resource Identification, and Security - Regolith Explorer
OSIRIS-Apophis Explorer
120
• सौर मंिल के वनमााण संबंध में जानकारी: बेन्नू जैसे क्षुद्रग्रह हमारे सौर मंिल के वनमााण के आरं वभक अिशेष माने जाते हैं। क्षुद्रग्रहों के सैंपल्स के विश्लेषण
से हमें उस समय की पररवस्थवतयों और पदाथों
को समझने में मदद वमल सकती है।
• जीिन की उत्पवत्त: इन सैंपल्स से उन
रासायवनक और काबावनक यौविकों के बारे में
जानकारी वमल सकती है वजन्होंने पृ्िी पर
जीिन की उत्पवत्त में भूवमका वनभाई होिी।
o उदाहरण के वलए- बेन्नू क्षुद्रग्रह के सैंपल्स के
शुरुआती अध्ययन में उच्च काबान पदाथा और
जल के प्रमाण वमले हैं। ये पृ्िी पर जीिन
की उत्पवत्त के वलए उत्तरदायी महत्िपूणा
घर्कों में इन दोनों की भूवमका की और
इशारा करते हैं।
• ग्रह की रक्षा: भविष्य में पृ्िी की रक्षा से जुडे
साझा प्रयासों के वलए बेन्नू जैसे क्षुद्रग्रहों के
संघर्न और संरचना को समझना महत्िपूणा है।
o यह जानकारी पृ्िी की पररिमा कक्षा के
वनकर् मौजूद हपंिों से उत्पन्न होने िाले
संभावित खतरे को शमन करने के वलए
रणनीवत बनाने में मदद कर सकती है।
• अंतररक्ष अन्िेषण प्रौद्योविकी: इस वमशन ने
अंतररक्ष यान विजाइन, नेवििेशन और सैंपल
संग्रह के मामले में उन्नत तकनीक का प्रदशान ककया है। इस उन्नत तकनीक का इस्तेमाल भविष्य के अंतररक्ष वमशनों ककया जा सकता है।
o जाक्सा/ JAXA (जापान की स्पेस एजेंसी) 2024 में मंिल ग्रह के चंद्रमाओं का अध्ययन करने के वलए मार्शायन मून्स एक्सप्लोरे शन (MMX)
वमशन लॉन्च करे िा। इस वमशन के तहत मंिल ग्रह के उपग्रह/ चंद्रमा फोबोस की सतह से सैंपल एकत्र ककए जाएंिे।
o नासा और यूरोपीय अंतररक्ष एजेंसी एक बहु-वमशन अवभयान संचावलत करने पर काम कर रहे हैं। इस वमशन के तहत नासा के मासा 2020
पसीिरें स रोिर द्वारा एकत्र ककए जा रहे सैम्पल्स को पृ्िी पर लाना है।
• संसाधन उपयोि: बेन्नू से लाए िए सैंपल्स के संघर्न का विश्लेषण करके , हम संभावित संसाधनों के बारे में जान सकते हैं और उनके उपयोि की क्षमता
का आकलन भी कर सकते हैं।
o उदाहरण के वलए- मूल्यिान खवनज आकद के वलए क्षुद्रग्रहों का खनन इत्याकद।
• अंतरााष्ट्रीय सहयोि: यह अंतररक्ष अन्िेषण के क्षेत्र में िैवश्वक सहयोि के महत्त्ि और िैज्ञावनक समुदाय की महत्िाकांक्षी पररयोजनाओं पर वमलकर काम
करने की क्षमता का एक बेहतर उदाहरण प्रस्तुत करता है।
o इस प्रकार के सहयोि में अंतररक्ष से सैम्पल एकत्र करने और विशेष रूप से क्षुद्रग्रहों का अन्िेषण करने के वलए िैवश्वक वमशन लॉन्च ककए जा सकते
हैं।
अंतररक्ष से सैंपल एकत्र करने िाले वमशन क्षुद्रग्रहों के अन्िेषण के वलए संचावलत वमशन
• नासा का अपोलो 11 (1969): पहली बार चंद्रमा से नमूने एकत्र ककए िए • नासा का िैलीवलयो वमशन (1991): यह क्षुद्रग्रह िैस्पारा के करीब
और उसे पृ्िी पर लाया िया। उडान भरने िाला पहला अंतररक्ष यान था।
• नासा का जेनवे सस अंतररक्ष यान (2004): इसके तहत सौर पिनों के सैंपल • जापानी अंतररक्ष यान हायाबुसा (2005): यह यान वनयर-अथा
एकत्र ककए िए। क्षुद्रग्रह इर्ोकािा पर उतरा और सैंपल एकत्र करने का प्रयास
• नासा का स्र्ारिस्र् वमशन (2006): इस वमशन के तहत पहली बार धूमके तु ककया।
से सैंपल एकत्र करने और पृ्िी पर लाया िया था। • नासा का िॉन अंतररक्ष यान (2007): इसे क्षुद्रग्रह िेस्र्ा का
• जाक्सा का हायाबुसा2 वमशन (2020): क्षुद्रग्रह रयुिु से सैंपल एकत्र ककए। अन्िेषण करने के वलए लॉन्च ककया िया था।
7.7.1. विश्व स्िास््य सं ि ठन की “रोिों के अं त राा ष्ट्रीय पारंपररक वचककत्सा के बारे में
ििीकरण सू ची” में पारं प ररक वचककत्सा यह उन ज्ञान, कौशल और पद्धवतयों का योि है, वजन्हें देशज तथा अलि-
(Traditional Medicine on World Health अलि संस्कृ वतयों के लोि सेहतमंद बने रहने तथा शारीररक एिं मानवसक
Organisation’s List) बीमारी के वनदान ि उपचार के वलए पीकढयों से उपयोि करते रहे हैं।
• नेशनल आयुष मोरवबविर्ी एंि स्र्ैंििााइज्ि र्ेिोलॉजीज
• आयुष मंत्रालय ने आयुिद
े और संबवं धत वचककत्सा प्रणावलयों को इलेक्रॉवनक्स (NAMASTE) पोर्ाल:
“रोिों के अंतरााष्ट्रीय ििीकरण के 11िें संशोधन121” में शावमल करने o यह पोर्ाल आयुिद
े , वसद्ध और यूनानी वचककत्सा प्रणावलयों के
की मांि की है। इसे पारं पररक वचककत्सा पद्धवतयों पर एक पूरक वलए मानकीकृ त शब्दािवलयां तथा विवभन्न बीमाररयों को
अध्याय के मॉड्यूल-2 के रूप में शावमल करने का अनुरोध ककया कोि प्रदान करता है।
िया है। • आयुष स्िास््य सूचना प्रबंधन प्रणाली (AHIMS):
o मॉड्यूल-2 का विकास नेशनल आयुष मोरवबविर्ी एंि o यह आयुष स्िास््य कें द्रों में स्िास््य देखभाल वितरण
प्रणावलयों और रोवियों की देखभाल से संबवं धत सभी कायों को
स्र्ैं ििााइज्ि र्ेिोलॉजीज इलेक्रॉवनक्स (NAMASTE) पोर्ा ल प्रभािी ढंि से प्रबंवधत करने के वलए एक व्यापक सूचना
और आयुष स्िास््य सूचना प्रबंधन प्रणाली (AHIMS)122 के प्रौद्योविकी मंच है।
कायाान्ियन से प्राप्त ज्ञान पर आधाररत है।
• रोिों का अंतरााष्ट्रीय ििीकरण (ICD) मानि रोिों और मृत्यु से 7.7.2. आयु ष्मान भिः अवभयान (Ayushman
Bhav Campaign)
संबंवधत िेर्ा की व्यिवस्थत ररकॉर्ििंि, ररपोर्र्िंि, विश्लेषण, व्याख्या
तथा तुलना के वलए अंतरााष्ट्रीय मानक है। • यह कें द्रीय स्िास््य और पररिार कल्याण मंत्रालय की एक पहल
o इससे पहले, ICD-11 में मॉड्यूल-1 शावमल ककया िया था। है।
• उद्देश्य: देश के प्रत्येक िांि और कस्बे तक व्यापक स्िास््य देखभाल
इस मॉड्यूल में प्राचीन चीन में विकवसत पारं पररक वचककत्सा
सेिाओं का विस्तार करना।
पद्धवतयों की सूची दी िई हैं, वजनका अब जापान, कोररया जैसे
• इस अवभयान के 3 घर्क हैं:
देशों में आमतौर पर उपयोि ककया जाता है।
o आयुष्मान आपके द्वार 3.0: इसके अंतिात प्रधान मंत्री जन
o ICD-11 जनिरी 2022 से लािू हुआ।
आरोग्य योजना (PM-JAY) के तहत नामांककत उन पात्र
• ICD-11 का महत्त्ि:
लाभार्थायों को आयुष्मान कािा प्रदान ककए जाएंिे, वजन्हें
o इसमें उन वनदान श्रेवणयों की एक सूची दी िई है, वजनके वलए
अभी तक ये कािा नहीं वमले हैं।
अंतरााष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध और तुलना योग्य पारं पररक o आयुष्मान मेल:े हेल्थ आई.िी. कािा बनाने और आयुष्मान
वचककत्सा पद्धवतयों को संग्रह ककया जाता है और ररपोर्ा की भारत कािा जारी करने के वलए आयुष्मान मेले आयोवजत
जाती है।
ककए जाएंिे।
o यह पारं पररक वचककत्सा पद्धवतयों को िैवश्वक पारं पररक
o आयुष्मान सभाएं: इसका उद्देश्य महत्िपूणा स्िास््य
वचककत्सा के मानदंिों और विकास मानक के साथ जोडता है।
योजनाओं और बीमाररयों के बारे में लोिों के बीच
o यह पारं पररक वचककत्सा पद्धवतयों को बीमा किरे ज और
जािरूकता बढाना होिा।
संवितरण (Reimbursement) प्रणावलयों के साथ एकीकृ त
• िैर-सरकारी संिठन, स्ियं सहायता समूह, पंचायती राज संस्थान,
करता है। यह विश्व स्िास््य संिठन (WHO) के सािाभौवमक
युिा समूह, प्राथवमक सहकारी सवमवतयां, इंवियन मेविकल
स्िास््य किरे ज उद्देश्यों के अनुरूप है। एसोवसएशन और कारपोरे र् सामावजक उत्तरदावयत्ि (CSR) फं ि
का उपयोि करने िाली कं पवनयां इस अवभयान का वहस्सा होंिी।
धोिो िांि (सिाश्रेष्ठ पयार्न िांि 2023) मिला िांि (उन्नयन कायािम में चयवनत)
• पयार्न का िह रूप, वजसमें ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण जीिन, कला, संस्कृ वत और विरासत को प्रदर्शात ककया जाता है, उसे ग्रामीण पयार्न कहा जा सकता
है।
o पयार्न मंत्रालय ने ग्रामीण पयार्न की पहचान ग्रामीण भारत के विकास और संिधान के वलए एक विवशि अिसर के रूप में की है।
o ग्रामीण पयार्न के विविध रूपों में कृ वष पयार्न, सांस्कृ वतक पयार्न, प्रकृ वत पयार्न, साहवसक पयार्न और पाररवस्थवतकी पयार्न शावमल हैं।
• ग्रामीण पयार्न िवतविवधयां उन िैर-शहरी (ग्रामीण) क्षेत्रों में सम्पन्न होती हैं, जहां वनम्नवलवखत विशेषताएं पाई जाती हैं:
o वनम्न जनसंख्या घनत्ि;
o भू-दृश्य और भूवम पर कृ वष एिं िावनकी का अवधक विस्तार; तथा
o पारं पररक सामावजक संरचना और जीिनशैली।
ग्रामीण पयार्न से जुडी चुनौवतयां
• वनम्नस्तरीय अिसंरचना: इसके अंतिात आस-पास के शहरों से अवधक दूरी; कनेवक्र्विर्ी का अभाि और खराब पररिहन सुविधाएं शावमल हैं। इसके
अलािा आिास, मनोरं जन सुविधाओं, विद्युत, सूचना ि संचार प्रौद्योविकी संबंधी अिसंरचना सवहत दूरसंचार की अपयााप्तता इत्याकद अन्य समस्याएं
हैं।
• जािरूकता और कौशल की कमी: ग्रामीण आबादी में अक्सर ज्ञान, कौशल और वित्तीय समथान की कमी पाई जाती है। इसके कारण ग्रामीण लोि
पयार्कों तक अपनी सांस्कृ वतक, कलात्मक और वशल्प संबंधी सेिाओं की पहुंच नहीं बना पाते हैं।
• विवजर्ल साक्षरता: िैर-सरकारी संिठन और भारत के पयार्न स्र्ार्ा -अप्स ग्रामीण क्षेत्र में पयार्कों को आकर्षात करने के वलए विवजर्ल साक्षरता ि
सरलीकृ त विवजर्ल समाधान प्रदान कर सकते हैं। इससे सेिा वितरण में सुधार होिा तथा स्थानीय उत्पादों का प्रचार-प्रसार करना संभि हो पाएिा।
• अिसंरचना: समुदाय-आधाररत पयार्न संबंधी अिसंरचना का विकास करके और सािाजवनक-वनजी भािीदारी सुवनवश्चत करके ग्रामीण क्षेत्रों में पयार्न
अिसंरचना की कमी की समस्या का समाधान ककया जा सकता है।
• सरकारी सहायता: ग्रामीण पयार्न को सुविधाजनक बनाने के वलए सरकार मान्यता प्राप्त और उच्च-क्षमता युक्त पयार्न आकषाणों हेतु वित्तीय एिं
अिसंरचनात्मक दोनों प्रकार की सहायता प्रदान कर सकती है। उदाहरण के वलए- िाइ्स के कौशल विकास हेतु सवब्सिी प्रदान करना, एििेंचर िेम्स
से संबवं धत अिसंरचना का वनमााण करना आकद।
• सहयोि और मान्यता: सतत ग्रामीण पयार्न को बढािा देने और पयार्कों को आकर्षात करने के वलए मान्यता प्रदान करने की आिश्यकता है। ऐसा
ग्रामीण विकास पर कें कद्रत अलि-अलि मंत्रालयों की विविध योजनाओं का अवभसरण करके ककया जा सकता है।
• माके रर्ंि: राज्य पयार्न संरचना में ग्रामीण पयार्न का भी एकीकरण करना चावहए। कृ वष-पयार्न, िार्र स्पोट्सा जैसे पयार्नों हेतु स्थलों का वनमााण
करना चावहए ि उनकी माके रर्ंि करनी चावहए। इन उपायों से पयार्कों को ग्रामीण पयार्न के वलए आकर्षात करने में मदद वमलेिी
8.2. प्राचीन भारत में सै न्य प्रणाली (Military Systems in Ancient India)
सुर्खायों में क्यों?
हाल ही में, रक्षा मंत्री ने “भारतीय सैन्य विरासत महोत्सि” (IMHF)127 के उद्घार्न के अिसर पर प्रोजेक्र् ‘उद्भि’ की शुरुआत की है।
• इस पररयोजना की शुरुआत भारतीय थल सेना और एक हथंक र्ैंक यूनाइर्ेि सर्िास इं स्र्ीट्यूशन ऑफ इं विया (USI) के सहयोि से की िई है।
• इस पररयोजना के वनम्नवलवखत उद्देश्य हैं:
o शासन कला और रणनीवतक विचारों से समृद्ध भारतीय विरासत की पुनः खोज करना। यहां ‘उद्भि’ का आशय ‘उत्पवत्त’ से है।
o सुरक्षा संबंधी मौजूदा चुनौवतयों का समाधान करने के वलए समकालीन सैन्य पद्धवतयों के साथ प्राचीन ज्ञान को समवन्ित करना। यह काया
अंतर्िाषयक (Interdisciplinary) अनुसध
ं ान, कायाशालाओं और लीिरवशप सेवमनासा के जररए ककया जाएिा।
o प्राचीन सैन्य विद्या का इस्तेमाल करके आधुवनक सैन्य चुनौवतयों के वलए एक समग्र दृविकोण विकवसत करना।
प्राचीन भारत में सैन्य प्रणाली
प्राचीन भारत का सैन्य ज्ञान बौवद्धक ग्रंथों, शास्त्रों, पांिुवलवपयों, विचारकों, प्रमुख सैन्य अवभयानों तथा शासकों द्वारा वलवखत पुस्तकों के अध्ययन पर
आधाररत है।
• कौरर्ल्य का यथाथािाद: भारत ितामान भू-राजनीवतक चुनौवतयों और अिसरों का कौरर्ल्य के यथाथािाद से आकलन करके लाभ प्राप्त कर सकता है।
उदाहरण के वलए- चीन ि अमेररका के रणनीवतक उद्देश्यों को समझना।
• कौरर्ल्य की विदेश नीवत के स्थायी तत्ि: कौरर्ल्य द्वारा विदेश नीवत के संदभा में सुझाए िए कई तत्ि जैसे- सत्ता के वलए संघषा, राष्ट्रीय वहत, िठबंधन,
शत्रुता और कू र्नीवत आज भी प्रासंविक बने हुए हैं।
• सतका रहना: मंिल वसद्धांत के अनुसार, यकद कोई आपका प्राकृ वतक विरोधी है तो इसका अथा यह नहीं है कक आप उससे वनरं तर संघषा करते रहें, इसकी
बजाय अंतरााष्ट्रीय संबंधों में सतका ता बनाए रखना ज्यादा जरूरी है। उदाहरण के वलए- भारत आमतौर पर पाककस्तान और चीन से लिी अपनी सीमाओं
पर सतका रहता है।
• नैवतक वसद्धांत: वतरुिल्लुिर के नैवतक वसद्धांत आधुवनक संघषों में कारा िाइयों की नैवतकता के मूल्यांकन के वलए शाश्वत रूपरे खा प्रदान करते हैं।
o आधुवनक नेतत्ृ िकतााओं से अपेक्षा की जाती है कक िे नैवतक आचरण का उदाहरण प्रस्तुत करें और अपने अनुयावययों को नैवतक मानकों का पालन
करने के वलए प्रेररत करें ।
हाल ही में, सर सैयद अहमद खान की 125िीं पुण्यवतवथ पर श्रद्धांजवल अर्पात की िई थी।
• उन्होंने एक वसविल सेिक, पत्रकार, वशक्षाविद्, समाज सुधारक और इवतहासकार के रूप में काम ककया था।
• धार्माक दृविकोण
o सर सैयद अहमद खान ने इस्लाम की व्याख्या में इवज्तहाद (स्ितंत्र हचंतन ि तका िाद) की िैधता पर बल
कदया था।
वनष्कषा
सर सैयद अहमद खान का योिदान और उनके विचार ितामान भारत के समक्ष मौजूद कई चुनौवतयों से वनपर्ने के वलए प्रासंविक हैं। इनमें वशक्षा, सामावजक
सुधार, लैंविक समानता, अंतर-धार्माक सद्भाि, सांस्कृ वतक विरासत का संरक्षण आकद शावमल हैं।
• रानी दुिाािती का जन्म बांदा (उत्तर प्रदेश) में महोबा के चंदेल राजिंश में हुआ था। उनका वििाह 1542 ई. में िढा-कर्ंिा के िोंि राजिंश के शासक
दलपत शाह से हुआ था।
o िोंि सबसे बडे जनजातीय समूहों में से एक हैं। यह जनजावत मध्य भारत में वनिास करती है।
• नेतत्ृ ि संभालना: रानी ने 1550 ई. में दलपत शाह की मृत्यु के बाद अपने पुत्र िीर नारायण की
संरक्षक के रूप में िोंि राजिंश की सत्ता संभाली।
• अकबर के साथ संघषा: िह मुिल बादशाह अकबर की समकालीन थी। रानी के शासनकाल के दौरान,
अकबर ने आसफ खान के नेतृत्ि में िोंि साम्राज्य पर आिमण ककया था।
o रानी ने मुिलों की विस्तारिादी नीवत का विरोध ककया था।
• चंदेल मध्य भारत में शासन करने िाला एक राजपूत िंश (जेजाकभुवक्त िंश) था। इस राजिंश की स्थापना 835 ई. में नन्नुक ने की थी।
o प्रमुख शासक: यशोिमान, धंि, विद्याधर, परमर्दादेि, त्रैलोक्यिमान आकद।
• प्रमुख शहर: चंदेल शासकों की राजधानी खजुराहो थी। हालांकक, बाद में इसे बदलकर महोबा कर कदया िया था।
• भाषा: संस्कृ त और प्राकृ त।
• सामावजक व्यिस्था: िणा व्यिस्था सामावजक संिठन का आधार थी। पवत्नयों के रूप में मवहलाओं को पररिार और समाज में उच्च स्थान प्राप्त था।
• खजुराहो शैली के मंकदरों की विशेषताएं (दसिीं शताब्दी के मध्य):
o विषय-िस्तु: िात्स्यायन के कामसूत्र से प्रेररत कामुक मूर्तायां।
o धमा: हहंदू और जैन धमा से संबंवधत हैं।
o सामग्रीः बलुआ पत्थर।
o घर्क: मंकदरों के तीन भाि हैं- िभािृह, मंिप और अधामंिप।
o कदशा: इनका मुख उत्तर या पूिा कदशा की ओर है।
o विवध: मंकदरों का वनमााण अपेक्षाकृ त ऊंचे चबूतरे पर ककया िया है। मंकदर पंचायतन शैली में वनर्मात हैं।
8.5.1. सावहत्य का नोबे ल पु र स्कार (Nobel Prize • GI र्ैि वमलने से याक के संरक्षण में मदद वमलेिी तथा याक चरिाहों
in Literature for 2023) की सामावजक-आर्थाक वस्थवत भी बेहतर होिी।
o अरुणाचली याक को ब्रोकपास नामक जनजातीय याक चरिाहे
• िषा 2023 का सावहत्य का नोबेल पुरस्कार नॉिे के लेखक जॉन फॉसे पालते हैं।
को कदया जाएिा। उन्हें यह पुरस्कार उनके अवभनि नार्कों और िद्य
रचनाओं के वलए कदया जाएिा। फॉसे के नार्कों और सावहत्य ने उन 8.5.4. मााँ दं ते श्व री मं कदर (छत्तीसिढ) {Maa
लोिों को आिाज दी है, जो अपनी बात कहने में सक्षम नहीं थे। Danteshwari Temple (Chhattisgarh)}
• अकादमी ने फॉसे को यह सम्मान नॉिे की नाइनोस्का भाषा में वलखी • यह मंकदर देिी दंतश्व
े री के रूप में छह भुजाओं िाली
कृ वतयों के वलए कदया है। इन कृ वतयों में कई नार्क, उपन्यास, कविता मवहषासुरमर्दानी को समर्पात है। इस मूर्ता को काले पत्थर से
संग्रह, वनबंध, बच्चों की ककताबें और अनुिाद आकद शावमल हैं। बनाया िया है।
o नाइनोस्का नॉिे की दो आवधकाररक भाषाओं में से एक है। o यह भारत की शवक्त-पीठों (कु ल 51) में से एक है।
• सावहत्य में कदए जाने िाले नोबेल पुरस्कार की रावश 11 वमवलयन • यह मंकदर शंवखनी और िंककनी नकदयों के संिम पर वस्थत है।
• वनमााण: इस मंकदर का वनमााण 11िीं-12िीं शताब्दी के दौरान
स्िीविश िोनर (1 वमवलयन िॉलर) है। इसे व्यापक रूप से दुवनया
हछं दक नाििंशी शासकों ने करिाया था।
का सबसे प्रवतवष्ठत सावहवत्यक पुरस्कार माना जाता है।
o बाद में 14िीं शताब्दी में इस मंकदर का जीणोद्धार अन्नमदेि ने
• 1901 से लेकर 2023 तक कु ल 116 बार सावहत्य में नोबेल
करिाया था। िह काकतीय िंश के शासक प्रतापरुद्र का भाई
पुरस्कार प्रदान ककया िया है। अब तक 120 लोिों को इस पुरस्कार था।
से सम्मावनत ककया जा चुका है।
• हाल के िषों में, यह पुरस्कार फ्रांसीसी लेवखका एनी एनााक्स 8.5.5. मे िाडी लघु वचत्रकला शै ली (Mewar
(2022) और तंजावनया के उपन्यासकार अब्दुल रजाक िुरनाह School of Painting)
(2021) ने जीता था। • महाराणा जयहसंह के दरबारी वचत्रकार अल्लाह बख्श ने 4,000
मेिाडी लघु वचत्रों में महाभारत का वचत्रण ककया था।
8.5.2. र्ोर्ो भाषा (Toto Language) • मेिाडी लघु वचत्रकला (17िीं-18िीं शताब्दी) के बारे में:
• र्ोर्ो लिभि 1,600 की आबादी िाला एक आकदम और अलि- o यह राजस्थानी वचत्रकला की एक शैली है। इसका विकास
थलि रहने िाला आकदिासी समुदाय है। उनकी भाषा को र्ोर्ो मेिाड क्षेत्र (राजस्थान) में हुआ था।
भाषा कहा जाता है।
• र्ोर्ो पारा जिह भूर्ान और पवश्चम बंिाल के बीच सीमा रे खा के
ठीक दवक्षण में वहमालय के विररपाद में अिवस्थत है। यह र्ोरसा
नदी के पवश्चमी तर् पर वस्थत है।
• र्ोर्ो भाषा चीनी-वतब्बती पररिार से संबंवधत है।
• र्ोर्ो भाषा की अपनी कोई वलवप नहीं है।
• धनीराम ने र्ोर्ो भाषा वलवप और र्ोर्ो िणामाला बनाई है, वजसके
वलए उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मावनत ककया िया है।
विवभन्न अिसरों पर, भारतीय राजनीवतक व्यिस्था में विवध वनमााताओं के आचरण को
लेकर हचंताएं प्रकर् की िई हैं। ऐसे उदाहरणों में संसद की आचार सवमवत (Ethics
Committee) द्वारा ‘प्रश्न पूछने के बदले पैसा’ (Cash for Query) लेने से जुडे मामलों
की जांच और सदन में मयाादाहीन आचरण के वलए कु छ सांसदों का वनलंबन ककया जाना
शावमल है। ऐसे मुद्दों के देखे जाने के मुख्य कारण सािाजवनक जीिन में मूल्यों का ह्रास है।
नैवतक मूल्य और इसमें शावमल वहतधारक
एक विवध वनमााता के रूप में, व्यवक्त से कु छ मूल्यों को बनाए रखने की अपेक्षा की जाती
है। ये मूल्य संपूणा विवधक पररिेश के सुचारू संचालन में सहायता करते हैं (इन्फोग्राकफक
देखें)।
विवध वनमााताओं के अलािा, सािाजवनक जीिन के नैवतक मूल्यों को बनाए रखने और उन्हें
बढािा देने में विवभन्न वहतधारक भी शावमल होते हैं, जैसे कक प्रवतवनवधत्ि प्रदान करने
और विधायी प्रकिया जुडे अन्य लोि भी इसमें वहतधारक माने जाते हैं।
नािररक/ सांसदों का चुनाि करना और उन्हें जिाबदेह बनाना। जािरूक मतदाता बनना, लोकतांवत्रक प्रकिया में भाि लेना और अपने वनिाावचत
मतदाता प्रवतवनवधयों से नैवतक व्यिहार पर बल देना।
राजनीवतक उम्मीदिारों का चयन एिं समथान करना। यह सुवनवश्चत करना कक उम्मीदिार नैवतक मानदंिों का पालन करें और सत्यवनष्ठा
दल की संस्कृ वत को बढािा दें।
मीविया जनता को सूवचत करना और विवध वनमााताओं एिं उनके सर्ीक और िस्तुवनष्ठ ररपोर्र्िंि करना, खोजी पत्रकाररता के जररए विवध वनमााताओं
कायों के बारे में जनता की राय को आकार देना। को जिाबदेह बनाना और सनसनीखेज या पक्षपातपूणा ररपोर्र्िंि से बचना।
न्यायतंत्र कानून की व्याख्या करना और उसका पालन कानूनी प्रकियाओं का पालन सुवनवश्चत करना और भ्रिाचार या नैवतक उल्लंघन के
सुवनवश्चत करना, कानून वनमााताओं के कायों पर मामलों पर समय पर न्याय देना।
वनिरानी रखना।
वनिााचन स्ितंत्र एिं वनष्पक्ष चुनाि कराना। चुनाि अवभयानों की वनिरानी करना, वनिााचन वनयमों को लािू करना और यह
आयोि सुवनवश्चत करना कक उम्मीदिार नैवतक मानदंिों का पालन करें ।
वनष्कषा
संक्षेप में, विवध वनमााताओं द्वारा नैवतक मूल्यों का पालन करना एक सामूवहक वजम्मेदारी है। इसमें सभी वहतधारकों की सकिय भािीदारी और सतका ता की
आिश्यकता होती है। इससे सत्यवनष्ठा, वनष्पक्षता और लोकतांवत्रक वसद्धांतों का पालन करने िाले राजनीवतक माहौल को बढािा वमलेिा। सभी वहतधारकों
का सहयोि और जुडाि एक मजबूत नैवतक ढांचा स्थावपत करने में योिदान देता है जो एक लोकतांवत्रक समाज के काम-काज को मजबूत करता है।
9.2. आर्र्ा कफवशयल इं र्े वलजें स और मानिावधकार (AI and Human Rights)
पररचय
द नेर्” में कहा िया है कक ऑनलाइन क्षेत्र में मानिावधकारों की वस्थवत वबिड
वहतधारक वहत
सरकार • इनके वहत राष्ट्रीय सुरक्षा, कानून प्रितान और लोक प्रशासन से जुडे हैं। सरकारें AI क्षेत्र में निाचार और आर्थाक विकास को भी
बढािा देना चाहती है।
AI के उपयोिकताा • नािररकों का वहत यह सुवनवश्चत करने से संबंवधत है कक AI प्रौद्योविककयों का उपयोि उन तरीकों से ककया जाए जो मौवलक
(नािररक) अवधकारों, जैसे कक वनजता, अवभव्यवक्त की स्ितंत्रता और भेदभाि से सुरक्षा का सम्मान करते हैं।
वसविल सोसाइर्ी और • इनका मुख्य काया मानिावधकार के मुद्दों के बारे में जािरूकता बढाना और ककसी भी उल्लंघन के वलए सरकारों और कॉपोरेट्स
कायाकताा की वजम्मेदारी तय करना है।
AI िेिलपसा और • इनके वहत अपने क्षेत्रक के विकास, जरर्ल समस्याओं को हल करने का लक्ष्य और एल्िोररथम के पूिााग्रह एिं वनष्पक्षता जैसे
इं जीवनयसा हचंताजनक मुद्दों से संबवं धत हैं।
अंतरााष्ट्रीय संिठन • अंतरााष्ट्रीय वनकायों जैसे कक संयुक्त राष्ट्र का वहत िैवश्वक शांवत, सुरक्षा और विकास में वनवहत है।
हालांकक AI स्ियं एक उपकरण है और मूल रूप से इसका उद्देश्य ककसी को नुकसान पहुंचाना नहीं है। लेककन हाल ही में इसके इस्तेमाल और कायाान्ियन ने
वनम्नवलवखत रूप से हचंताएं बढा दी हैं:
• वनजता का अवधकार: वबि-िेर्ा वनिरानी प्रणावलयां बडी मात्रा में व्यवक्तित
िेर्ा एकत्र करती हैं और उसका विश्लेषण करती हैं। इससे लोिों की सबसे
संिेदनशील जानकारी के प्रकर् होने का खतरा पैदा हो जाता है।
• स्ितंत्र अवभव्यवक्त: राजनीवतक, सामावजक और धार्माक भाषणों को सेंसर करने
के वलए स्िचावलत प्रणावलयां स्थावपत की िई हैं।
o AI वनिरानी लोिों को सेल्फ-सेंसरवशप की सहायता से प्रवतशोध से बचने
के वलए प्रोत्सावहत कर सकती है।
• जानकारी तक पहुंच: प्लेर्फॉमा एल्िोररदम ने विश्वसनीय जानकारी की बजाय
भडकाऊ कं र्ेंर् को बढािा कदया है।
o सरकार समथाक रर्प्पणीकताा बडे पैमाने पर दुष्प्रचार करने के वलए
जेनरे रर्ि AI का उपयोि कर सकते हैं।
• न्यायसंित प्रकिया: AI-सक्षम वनिरानी उपकरण जैसे कक सोशल मीविया मॉवनर्ररं ि “संभावित कारण (Probable cause)” जैसे मानकों को त्याि
देते हैं। ऐसे में ये वनिरानी उपकरण सभी व्यवक्तयों को संभावित रूप से िलत काम करने िाला मानते हैं।
• भेदभाि: एल्िोररथम प्रणावलयां उनके प्रवशक्षण िेर्ा में अंतर्नावहत पूिााग्रह को कायम रख सकती हैं और लंबे समय से चले आ रहे भेदभाि को बढा
सकती हैं।
• संघ बनाना और सभा करना: चेहरे की पहचान करने की क्षमता से युक्त AI वसस्र्म संभावित प्रदशानकाररयों की पहचान कर सकते हैं और उन्हें रैक
कर सकते हैं। इससे राज्य बलों को उन्हें विरफ्तार करने और उनके वखलाफ जिाबी कारा िाई करने में सहायता वमलती है।
• विवजर्ल चुनाि हस्तक्षेप: AI का उपयोि दुष्प्रचार के अवभयानों को बढािा देने, संदेह पैदा करने, विरोवधयों को बदनाम करने और लोक-समथान प्राप्त
करने आकद के वलए िीप फे क बनाने के वलए ककया जा रहा है।
आिे की राह
• AI के युि में सूचना की सर्ीकता की रक्षा: AI को किर करने िाले विवनयमों में िैधता, आिश्यकता और आनुपावतकता के मानिावधकार वसद्धांतों को
शावमल ककया जाना चावहए।
• सामावजक प्रभाि का आकलन: AI प्रौद्योविकी के विकास प्रकिया के दौरान AI के नैवतक और सामावजक प्रभािों पर सकिय रूप से विचार ककया जाना
चावहए।
o सामावजक प्रभाि आकलन (SIA)128 के वलए एक रूपरे खा विकवसत की जा सकती है (जैसा कक विकास पररयोजनाओं के वलए ककया जाता है)।
• जनता और वहतधारकों की
भािीदारी: AI प्रौद्योविककयां
मानिावधकारों को शावमल
करें ि उनका सम्मान करें , यह
सुवनवश्चत करने के वलए
जनता, वहतधारकों और
विशेषज्ञों के साथ पारदशी
और समािेशी संिाद करना
चावहए।
• िैवश्वक सहयोि: AI नैवतकता
और मानिावधकारों के वलए
साझे मानकों और सिोत्तम
प्रथाओं को स्थावपत करने के
वलए अंतरााष्ट्रीय सहयोि ि
समझौतों को प्रोत्सावहत
करना चावहए।
• नैवतक कदशा-वनदेश और
विवनयम: एवसलोमर वसद्धांतों (Asilomar Principles) की तजा पर AI के विकास और उपयोि के वलए नैवतक कदशा-वनदेशों का विकास एिं पालन
ककया जाना चावहए।
वहतधारकों के वहतों को संतवु लत करना चुनौतीपूणा हो सकता है, लेककन एक ऐसा फ्रेमिका बनाना जरूरी है वजससे यह सुवनवश्चत ककया जा सके कक AI
प्रौद्योविककयों का विकास एिं उनका इस्तेमाल मानि अवधकारों की रक्षा और उन्हें बढािा देने के वलए ककया जाए।
• इसके तहत 1 िषा की अिवध के वलए वबना • यह शहरी स्रीर् िेंिसा के वलए सूक्ष्म-ऋण (Micro-Credit) योजना है। इसे 2020 में शुरू ककया िया
कु छ िारं र्ी रखे (कोलैर्रल फ्री) 10,000 था। इस योजना का उद्देश्य कोविि-19 महामारी से प्रभावित स्रीर् िेंिसा को उनके व्यिसायों को कफर
रुपये तक की कायाशील पूंजी के रूप में ऋण से शुरू करने के
कदया जाता है। इस ऋण का समय पर वलए कायाशील
पुनभुि
ा तान करने पर ऋण की दूसरी ककश्त पूंजी ऋण
के रूप में 20,000 रुपये तथा तीसरी ककश्त प्रदान करना
है।
के रूप में 50,000 रुपये के ऋण भी प्रदान
• योजना का
ककए जाते हैं।
प्रकार: यह
• ऋण को समय पर/ शीघ्र भुितान ककए जाने
‘कें द्रीय क्षेत्रक
पर आर्थाक प्रोत्साहन के रूप में 7 प्रवतशत
की एक योजना’ है।
िार्षाक की दर से ब्याज सवब्सिी प्रदान की
जाती है। • मंत्रालय: आिासन और शहरी काया मंत्रालय (MoHUA)
• विवजर्ल लेन-देन करने पर प्रवत िषा • योजना का कायाान्ियन: इस योजना में भारतीय लघु उद्योि विकास बैंक (SIDBI) MoHUA का
1,200 रुपये तक के कै शबैक पुरस्कार कदए कायाान्ियन भािीदार है।
जाते हैं। • योजना की विशेषताएं
o पात्रता: शहरी क्षेत्रों में 24 माचा, 2020 तक या उससे पहले िेंहिंि के काया में लिे सभी स्रीर्
िेंिसा इस योजना के वलए पात्र हैं।
o पात्र िेंिसा की पहचान के वलए मानदंि:
▪ स्रीर् िेंिसा के पास शहरी स्थानीय वनकायों (ULBs)129 द्वारा जारी िेंहिंि प्रमाण-पत्र/
पहचान-पत्र होना चावहए,
▪ ऐसे िेंिसा, वजनका नाम सिेक्षण सूची में दजा है, लेककन उन्हें िेंहिंि प्रमाण-पत्र/ पहचान-पत्र
जारी नहीं ककया िया है,
▪ ऐसे िेंिसा, वजनका नाम ULBs द्वारा ककए िए सिेक्षण की सूची में नहीं है या वजन्होंने
सिेक्षण पूरा होने के बाद िेंहिंि काया शुरू ककया है। ऐसे िेंिसा को ULBs/ र्ाउन िेंहिंि
कमेर्ी (TVC) द्वारा इसके प्रमाण के रूप में अनुशस
ं ा पत्र (LoR)130 जारी ककया िया हो,
▪ ऐसे िेंिसा जो आस-पास के विकास क्षेत्र/ पेरी-अबान/ ग्रामीण क्षेत्रों में िेंहिंि काया करते हैं
और ULBs की भौिोवलक सीमा में आते हैं तथा उन्हें ULB/ TVC द्वारा इस आशय हेतु
अनुशंसा पत्र जारी ककया िया है।
o पात्र राज्य/ कें द्र शावसत प्रदेश: यह योजना के िल उन राज्यों/ कें द्र शावसत प्रदेशों के लाभार्थायों के
वलए उपलब्ध है, वजन्होंने स्रीर् िेंिसा (जीविका का संरक्षण और स्रीर् िेंहिंि का विवनयमन)
अवधवनयम, 2014 के तहत वनयमों को अवधसूवचत ककया है।
o कायाान्ियन अिवध: इस योजना को कदसंबर 2024 तक के वलए बढा कदया िया है।
131 Credit Guarantee Fund Trust for Micro and Small Enterprises
Quality Council of India
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