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1857 का विद्रोह

इविहास

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1857 का विद्रोह
िर्षों से विटिश विस्तारिादी नीवियों, आर्थि क शोर्षण और प्रशासटनक निाचारों के संचयी प्रभाि ने भारि के सभी लोगों पर
प्रविकूल प्रभाि डाला था। यह उग्र असंिोष 1857 के हहिं सक विद्रोह के रूप में फू ट पडा जिसने तिटटश साम्राज्य को झकझोर
कर रख दिया। आइए िेखें 1857 के तिद्रोह का तििरण:

विर्षय
 1857 का तिद्रोह

 कारण

 आजथि क

 प्रशासटनक

 सामाजिक-धातमि क

 रािनीतिक धातमि क

 सैन्य

 ित्काल कारण

 युद्ध के िौरान

 मेरठ में शुरुआि

 एकिा के प्रिीक के रूप में बहािुर शाह

 नागररकों द्वारा समजथि ि

 तिद्रोह के केंद्र

 तिद्रोह का िमन

 तिद्रोह की तिफलिा

 अखखल भारिीय भागीिारी का अभाि

 िगों की अनुपस्थिति

इतिहास | 1857 का तिद्रोह पृष्ठ 2


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 खराब हजथयार और उपकरण

 असंगठठि और असमन्विि

 कोई एकीकृि तिचारधारा नहीं

 तिद्रोह की प्रकृति

 तिद्रोह के पररणाम

 रानी की उद्घोषणा, 1858, एन एक्ट फॉर ि बेटर गिनणमेंट ऑफ़ इं टिया

 पील कमीशन

 तिद्रोह का महत्व

 अभ्यास के ललए मुख्य परीक्षा के प्रश्न

1857 का विद्रोह
 १८िीं और १९िीं शिाब्दी में विटिश राजनीविक और आर्थि क नीवियों ने भारि के लोगों का विरोध टकया। पहले भारि के
तिदभन्न क्षेत्रों में छोिे पैमाने पर विद्रोह उभर रहे थे।
 लेटकन, 1857 का विद्रोह सबसे बडा और सबसे प्रभािशाली था।
 हालााँटक, 1757 और 1857 के बीच की अिजध पूरी िरह से शांतिपूणण और समस्या मुक्त नहीं थी। यह धातमि क रािनीतिक दहिं सा,
आदििासी आं िोलनों, टकसान तिद्रोह, कृतष िंगों और नागररक तिद्रोहों के रूप में किाचटनक लोकदप्रय तिस्फोटों की एक श्ृंखला
है।
 1857 का विद्रोह इन सभी विद्रोहों की एक साथ पररणवि थी।

स्तरों: NCERT पुस्तक

दृश्य: १८५७ का विद्रोह

इतिहास | 1857 का तिद्रोह पृष्ठ 3


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कारण
1857 के तिद्रोह के कारण सामार्जक-सांस्कृविक, आर्थि क और राजनीविक जैसे सभी पहलुओ ं से उभरे।

इन पहलुओ ं को जिटटश नीतियों से प्रेररि टकया गया था जिसने समाज के सभी िगों को प्रभाविि टकया था।

आइए कारणों को समझिे हैं:


आर्थि क:

 जिटटश नीतियों ने भारि के पारंपररक आर्थि क ढांचे को नष्ट कर दिया।

 उदाहरण के ललए अं ग्रेिों द्वारा लगाए गए भारी शुल्क के कारण भारिीय सामान बािार में अनाकर्षषक रहे।

 अं ग्रेिों की राजस्व नीवियां िास्ततिक में शोर्षणकारी थीं।

 उदाहरण के ललए, किण का भुगिान न करने के कारण टकसान गंभीर गरीबी और दयनीय जीिन शैली का सामना
करिे हैं।

 खाद्य सुरक्षा में गांिों ने आत्मटनभषरिा खो दी।

 उिाहरण के ललए जिटटश नीतियों ने कृवर्ष के व्यािसायीकरण को जन्म हदया र्जससे खाद्य फसलों की मांग कम हो गई।
गेहाँ और चािल की िगह गन्ना, कपास, नील, चाय आदि ने ले ली।

 कारीगरों और हस्तशशल्प की दुदषशा।

 उिाहरण के ललए, भारिीय राज्यों के तिलय से जशल्प श्तमकों का संरक्षण समाप्त हो गया। भारिीय हस्तर्शल्प िहन
करने योग्य नहीं रह गए और कई कारीगर अपना काम छोडकर अपने गृहनगर में कृवर्ष करने चले गए।

 हस्तशशल्प का विनाश आधुटनक उद्योगों के विकास के साथ नहीं था।

 विऔद्योगीकरण:

 यूरोपीय बाजार में भारिीय उत्पाद के टनयाषि पर अत्यवधक कर लगाया जािा था।

 उिाहरण के ललए 80% से अजधक िैररफ िस्त्रों पर लगाया गया था।

 विटिश उत्पादों को शून्य आयाि शुल्क हमला।

 जिटटश आयािों को रेलिे, िहािों आदि िैसे पररिहन के आधुटनकीकरण का लाभ तमला।

 इससे भारिीय स्वावमत्व िाली विटनमाषण लागि में कमी आई।

इतिहास | 1857 का तिद्रोह पृष्ठ 4


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स्त्रोि: www.hindustantimes.com

दृश्य: अं ग्रेजों द्वारा राजस्व संग्रह

प्रशासन:
 पुललस अजधकाररयों और न्यायपाललका द्वारा बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण व्यिस्था में विश्वास की कमी हुई।

 उच्च पदों से भारिीयों का टनष्कासन लशलक्षि भारिीयों में एक बडा असंिोष था।

 कलाकारों, संगीिकारों, निषटकयों ने भारिीय शासकों का संरक्षण खो हदया। उनका जीिन दयनीय हो गया।

सामार्जक-धाहमि क:
 उच्च नस्लीय अलगाि शुरू टकया गया था। िैस े भारिीय सैटनकों, क्लकों के साथ सम्मानिनक व्यिहार नहीं टकया िािा था।

 जिटटश प्रशासन भारिीयों के प्रति हठी था।

 प्रशासन सिैि भारिीयों की ओर विरस्कार की दृहष्ट से देखिा था।

 धाहमि क विकलांगिा अवधटनयम, 1850 ने संपति तिरासि में प्राप्त करने के पहले के प्रथागि टनयम को बदल हदया। इसने ईसाई धमष में
धमाांिरण को हहिं दू संपवि के िाररस होने के योग्य बना हदया। अतधटनयम से पहले, इसे िूस रे धमण में पररितिि ि होने पर दहिं ि ू संपति का
िाररस करने की अनुमति नहीं थी। इससे लोगों की धावमि क भािनाओं को ठे स पहंची है।

 सिी प्रथा का उन्मूलन, 1829, विधिा पुनविि िाह अवधटनयम, 1856, और लडटकयों के बीच शशक्षा को बढािा देना भारिीयों की
भािनाओ ं को उनके सामार्जक रीवि-ररिाजों में हस्तक्षेप के रूप में आहि करिा है।

राजनीवि:
 सहायक गठबंधन, प्रत्यक्ष विलय, चूक का र्सद्ांि आहद जैसी रािनीतिक नीतियों ने समाज के सभी िगों विशेर्षकर शासकों को
प्रभाविि टकया।

इतिहास | 1857 का तिद्रोह पृष्ठ 5


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 इसने राजाओं और राज्यों का अिमूल्यन टकया। ऐसा लगा टक राजा के सम्मान में वगरािि आई है।

 इसे उनकी व्यहष्टत्व के विनाश के रूप में ललया गया था।

 नैविकिा का पूणष नुकसान हुआ था र्जसे राजाओ ं ने वबल्कुल भी स्वीकार नहीं टकया था।

सैन्य:
 इसने सेना में एकरूपिा ला िी। उच्च िणष िगष के लोग टनम्न िगष के लोगों के साथ समान स्थस्थवि में काम करने के ललए अटनच्छुक
थे।

 सैन्य नीतियों ने िाति, धमण, प्रिीकों, प्रथाओ ं आदि के प्रारंहभक विशेर्षार्धकारों को कम कर हदया;

 सामान्य सेिा स्थापना अवधटनयम, 1856 ने र्सपाहहयों के शलए देश में कहीं भी सेिा करना अटनिायष कर हदया।

 इसने जिटटश प्रशासन के प्रति समग्र आक्रोश पैदा टकया।

िात्काशलक:
 कंपनी की सेन ा में सेिा की शिें और भािनाएं िेजी से धाहमि क विश्वासों के साथ संघर्षष में आिी हैं और अपने र्सपाहहयों का
उत्पादन करिी हैं।

 भारिीय र्सपाही यूरोपीय के अधीन महसूस कर रहे थे क्योंटक िे कडी मेहनि के बािजूद समान पदोन्नवि और भिे नहीं दे
रहे थे।

 यह र्चिं गारी िब बढी िब अं ग्रेिों ने एनफील्ड राइफल्स पेश की।

 इन एनफील्ड राइफलों में कागज में ललपिे िाउन बेस का इस्तेमाल टकया गया था। इस कागि को मुंह भरने से पहले
कािना पडिा था। इसमें सुअर की चबी और गौमांस होिे थे।

 गाय हहिं दओ
ु ं के शलए पवित्र थी और सुअर मुसलमानों के शलए िर्जि ि था।

 भारिीयों ने िाना टक उनके धमष खिरे में हैं, जिसने 10 मई 1857 को मेरठ में मंगल पांडे द्वारा तिद्रोह को िन्म दिया।

युद् की अिवध
शुरुआि में मेरठ:

 10 मई 1857 को मेरठ में विद्रोह शुरू हुआ।

 यह उिर में पंजाब और दलक्षण में नमषदा से लेकर पूिष में वबहार और पलिम में राजपुिाना िक सेना का जमािडा था।

इतिहास | 1857 का तिद्रोह पृष्ठ 6


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 इस घटना से पहले, मंगल पांडे ने 8 अप्रैल 1857 को बैरकपुर में अपनी यूटनि के साजेंि मेजर को इन एनफील्ड राइफलों के
इस्तेमाल के खखलाफ गोली मार दी थी।

 धमाका मेरठ में हआ जहां 90 लोगों ने एनफील्ड राइफल्स लेने से इनकार कर हदया। उन्हें 10 साल के कारािास की सजा सुनाई
गई।

 यह 9 मई को िैनाि भारिीय सैटनकों के बीच एक सामान्य तिद्रोह का दहस्सा था।

 अगले दिन, भारिीय सैटनकों ने अपने कैि साजथयों को ररहा कर दिया, अपने अजधकाररयों को मार िाला और सूयाणस्त के बाि
दिल्ली के ललए रिाना हो गए।

स्त्रोि:www.wikipedia.com

मंगल पांडे

एकिा के प्रिीक के रूप में बहादुर शाह:


 हदल्ली के मुगल सम्राि बहादुर शाह को एकिा के प्रिीक के रूप में घोवर्षि टकया गया था।

 इस एकल कायण के साथ, र्सपाहहयों ने सैटनकों के एक विद्रोह को एक क्रांविकारी युद् में बदल हदया था, िबटक तिद्रोह में
भाग लेने िाले सभी भारिीय प्रमुखों ने मुगल सम्राट के प्रति अपनी िफािारी की घोषणा की।

 इससे यह भी पिा चलिा है टक विद्रोही राजनीवि से प्रेररि थे। यद्यदप धमण एक कारक था, तिद्रोदहयों का व्यापक दृदिकोण
धातमि क पहचान से प्रभातिि नहीं था बस्थल्क एक आम दुश्मन के रूप में अं ग्रेजों की धारणा से प्रभाविि था।

 बहादुर शाह ने भारि के सभी प्रमुखों और शासकों को पत्र शलखकर विटिश शासन से लडने और बदलने के शलए
भारिीय राज्यों का एक संघ बनाने का आग्रह टकया।

 बंगाल सेना ने िल्द ही तिद्रोह कर दिया िो िेिी से फैल गया।

इतिहास | 1857 का तिद्रोह पृष्ठ 7


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 अिध, रोहहलखंड, दोआब, बुंदेलखंड, मध्य भारि, वबहार के बडे हहस्से और पूिी पंजाब ने विटिश सिा को हहला हदया।

नागररकों को शाहमल टकया गया:


 जसपादहयों के तिद्रोह के साथ नागररक विशेर्ष रूप से उिर-पलिमी प्रांिों और अिध में थे।
 तिद्रोह में टकसानों, दुकानदारों, हदहाडी मजदूरों, धावमि क हभक्षुओ,ं पुजाररयों और र्सविल सेिकों की व्यापक भागीिारी थी जिसने
इसे िास्ततिक िाकि के साथ-साथ एक लोकदप्रय तिद्रोह का चररत्र दिया।
 नागररकों तिशेषकर टकसानों और जमींदारों ने साहूकारों पर हमला टकया और उनकी लेखा पुस्तकों और मृत्यु ररकॉडष को नष्ट कर
हदया।
 उन्होंने र्िटिश कानून अदालिों, राजस्व अर्धकाररयों, राजस्व अहभलेखों और पुललस स्टेशनों पर भी हमला टकया।
 अं ग्रेजों से लडिे हुए कुल 1,50,000 सैटनक मारे गए और 1,00,000 नागररक मारे गए।
 एक महीने के भीिर, तिद्रोह भारि के तिदभन्न दहस्सों में फैल गया।

विद्रोह के केंद्र:

विद्रोह के केंद्र नेिा

दिल्ली बहािुर शाह िफर और िनरल बख्त खान।

लखनऊ बेगम हज़रि महल और तबरजिस कादिर

कानपपुर नाना साहेब और िात्या टोपे

बरेली खान बहािुर खान

फैिाबाि मौलिी अहमिुल्ला

झााँसी लक्ष्मी बाई

आगरा कुंिर जसिं ह

बाघपि शाह महल

इतिहास | 1857 का तिद्रोह पृष्ठ 8


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स्त्रोि : NCERT Book

1857 के विद्रोह के नायक

विद्रोह का महत्व
 लंबे समय िक और कडिाहि भरी लडाई के बाद 20 र्सिंबर, 1857 को अं ग्रेिों ने दिल्ली पर कब्जा कर ललया।

 बहादुर शाह को कैद कर शलया गया और रंगून भेज हदया गया िहााँ 1862 में उनकी मृत्यु हो गई।

 उनके सभी पुत्रों को पकड ललया गया और उन्हें हदल्ली में खूनी दरिाजा कहा जािा था।

 कानपुर और लखनऊ पर हफर से कब्जा करने के शलए सैन्य अहभयान शुरू टकया गया था।

 6 हदसंबर, 1857 को, कानपुर में नाना साहहब हार गए और 1859 में नेपाल भाग गए।

 िांत्या िोपे को उसके सबसे करीबी सहयोगी ने धोखा हदया और अप्रैल 1859 में मध्य भारि के जंगलों में मार डाला।

 रानी झांसी को जून 1858 में सर ह्यूरोज ने युद् के मैदान में मार हदया था।

 1859 िक, कुंिर र्सिं ह, भक्त खान, बरेली के खान बहादुर खान, राि साहहब और मौलिी अहमदुल्ला सभी मर चुके थे और
अिध की बेगम को नेपाल में तिपने के ललए मिबूर टकया गया था।

 बनारस में, एक विद्रोह का आयोजन टकया गया था र्जसे कनषल नील ने बेरहमी से दबा हदया था, जिसने सभी संदिग्ध
तिद्रोदहयों को मौि के घाट उिार दिया था।

 1859 के अं ि िक, भारिीय जिटटश प्राजधकरण पूरी िरह से पुनः िादपि हो गया था।

 जिटटश सरकार को िेश में आिमी, धन और हजथयारों की भारी आपूतिि करनी पडी।

 भारिीयों को बाद में अपने दमन के माध्यम से पूरी कीमि चुकानी पडी।

इतिहास | 1857 का तिद्रोह पृष्ठ 9


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याद रखने योग्य वबिं द:ु

विटिश टनिासी काहमि क

दिल्ली लेफ्टिनेंट तिलोबी, िॉन टनकोलसन, लेफ्टिनेंट हिसन

कानपुर सर ह्यूग व्हीलर, सर कॉललन कैंपबेल

हेनरी लॉरेंस, जिगेटियर इं गललस, हेनरी हैिलॉक, िेम्स आउट्राम, सर


लखनऊ
कॉललन कैंपबेल

झााँसी सर ह्यू रोि

बनारस कनणल िेम्स नील

स्त्रोि: www.zigya.com

1857 के विद्रोह के महत्वपूणष केंद्र

इतिहास | 1857 का तिद्रोह पृष्ठ 10


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विद्रोह की विफलिा
अखखल भारिीय भागीदारी का अभाि
 सीहमि क्षेत्रीय विस्तार एक कारक था। इसका मिलब है टक भारि के पूिी, दलक्षणी और पलिमी हहस्से कमोबेश
अप्रभाविि रहे।

 अं ग्रेिों के ललए विद्रोहहयों का दमन करना आसान हो गया।

िगों की अनुपस्थस्थवि
 बडे जमींदारों ने 'झगडे की बााँध' के रूप में काम टकया।
 अिध के िालुकदारों ने भूदम बहाली के अपने िािों का समथषन टकया।
 साहूकार और व्यापारी अं ग्रेजों के संरक्षण में रहना पसंद करिे हैं।
 आधुटनक शशलक्षि भारिीयों ने विद्रोह को हपछडे हदखने िाले, सामंिी व्यिस्था का समथणन करने िाले और आधुटनकिा के
शलए पारंपररक रूटढिादी िाकिों की प्रविहक्रया के रूप में देखा।
 कई शासकों ने भाग नहीं ललया। जैसे ग्वाललयर के र्सिं र्धया, इं दौर के होल्कर, पटियाला, र्सिं ध और र्सखों के शासक।
 एक अनुमान के अनुसार कुल क्षेत्रफल का एक चौथाई से अर्धक और कुल जनसंख्या का दसिां हहस्सा से अर्धक नहीं प्रभाविि
हुआ था।

खराब हर्थयार और उपकरण


 भारिीय सैटनक िलिारों और भालों से लड रहे थे और बहुि कम बंदक
ू ें और कस्तूरी से लड रहे थे।

 िे एनफील्ड राइफल्स के सामने कमजोर थे।

 इलेक्ट्रिक िेलीग्राफ ने कमांडर-इन-चीफ को विद्रोहहयों की गविविवधयों और रणनीवि से अिगि कराया।

 इन विद्रोहों को दबाने के शलए अं ग्रेजों को पयाषप्त लाभ हमले।

असंगठठि और अनुर्चि रूप से संगठठि:

 वबना टकसी समन्वय और केंद्रीय नेिृत्व के तिद्रोह खराब िरीके से आयोर्जि टकया गया था।

इतिहास | 1857 का तिद्रोह पृष्ठ 11


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 नाना साहहब, िाविया िोपे, कुंिर र्सिं ह, लक्ष्मीबाई जैसे प्रमुख विद्रोही नेिा िनरललशप में तिटटश तिरोतधयों के ललए कोई
मुकाबला नहीं थे।

 िानीय नेिाओ ं की िुलना में र्िटिश अर्धकारी अत्यर्धक कुशल थे।

कोई एकीकृि विचारधारा नहीं

 तिद्रोदहयों को औपटनिेर्शक शासन की स्पष्ट समझ का अभाि था।

 उनके पास कोई ठोस दूरद


ं ेशी कायषक्रम या कोई तिचारधारा नहीं थी।

 उनकी दृहष्ट में राजनीविक दृहष्टकोण और सामार्जक विकल्प नदारद थे।

 तिद्रोदहयों ने ििणमान रािनीति की विहभन्न र्शकायिों और अिधारणाओं के साथ विविध ित्वों का प्रतिटनजधत्व टकया।

 आधुटनक राष्ट्रिाद को भारि की िनिा अभी िक नहीं जानिी थी।

विद्रोह की प्रकृवि
 1857 के विद्रोह की प्रकृवि पर विचार हभन्न हैं।

 यह सर जॉन सीली िैसे कुि जिटटश इतिहासकारों के ललए एक टनकट र्सपाही विद्रोह था। उनके अनुसार, "यह पूरी िरह से
देशद्रोही और स्वाथी र्सपाही विद्रोह था र्जसमें कोई देशी नेिृत्व और लोकहप्रय समथषन नहीं था"।

 डॉ. के. दिा के अनुस ार, "1857 का विद्रोह एक सैन्य प्रकोप था र्जसका लाभ कुछ असंिुष्ट राजकुमारों और जमींदारों द्वारा
शलया गया था और र्जनके हहि नई राजनीविक व्यिस्था से प्रभाविि हुए थे।"

 िी.डी. सािरकर के अनुस ार अपनी पुस्त क में, "1857 के विद्रोह की व्याख्या राष्ट्रीय स्विंत्रिा के एक टनयोर्जि युद् के रूप
में की गई थी र्जसे भारिीय स्विंत्रिा संग्राम 1857 कहा जािा है"।

 िी.आर. होम्स ने कहा टक यह सभ्यिा और बबषरिा के बीच का संघर्षष था।

 जेम्स आउिाम के अनुस ार, तिद्रोह को िबाने में भाग लेन े िाले तिटटश अतधकाररयों में से एक ने कहा, "यह मुसलमानों की
सार्जश है जो इसे हहिं दू शशकायिों की राजधानी बना रही है"।

 यह दहिं ि-ू मुस्लिम एकिा को िोडने का एक िानबूझकर टकया गया प्रयास था।

 हालांटक, आर.सी. मजूमदार इसे न िो पहला मानिे हैं और न ही राष्ट्रीय और न ही स्विंत्रिा संग्राम क्योंटक देश के बडे हहस्से
अप्रभाविि रहे और कई िगों ने भाग नहीं शलया।

इतिहास | 1857 का तिद्रोह पृष्ठ 12


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 टनष्कर्षष यह था टक 1857 का विद्रोह स्विंत्रिा का पूणष कायष नहीं था टक इसने राष्ट्रिाद और अं ग्रेजों से स्विंत्रिा की खोज के
बीज बोए।

विद्रोह के पररणाम:
 1857 का विद्रोह भारि के इविहास में एक महत्वपूणष मोड था; इससे तिटटश सरकार की प्रशासन प्रणाली और नीतियों में
िूरगामी पररििणन हए।

महारानी की उद्घोर्षणा, 1858 ने भारि की बेहिरी के शलए अवधटनयम पाररि टकया

 इसने जिटटश कैतबनेट के एक भाग के रूप में भारि के राज्य सर्चि को टनयुक्त टकया और उन्हें भारिीय सलाहकार पररर्षद (15
सलाह) द्वारा टनदेशशि टकया गया।

 भारि की प्रत्यक्ष र्जम्मेदारी क्राउन द्वारा ग्रहण की गई और कं पनी के शासन को समाप्त कर दिया गया।

 गिनषर-जनरल शब्द को 'िायसराय' द्वारा प्रविस्थाहपि टकया गया था।

 इसने विलय और विस्तार के युग को समाप्त कर हदया और देशी राजकुमारों की गररमा और अवधकारों का सम्मान करने का
िादा टकया।

 भारिीय राज्यों को अब से विटिश िाज की सिोच्चिा को पहचानना था और िहां एक ही आरोप के दहस्से के रूप में माना
िाना था।

 जिटटश अजधकाररयों के हस्तक्षेप के वबना भारि के लोगों को धमष की स्विंत्रिा का िािा टकया गया था।

 जिटटश प्रशासन ने नस्ल या पंथ पर विचार टकए वबना सरकारी सेिाओं में भारिीयों को समान अिसर देने का िािा टकया लेटकन
इस प्रतिबद्धिा का पालन नहीं टकया गया।

 इसने भारिीयों से िादा टकया टक उनके अर्धकार, रीवि-ररिाज और प्रथाएं कानून बनाकर और उन्हें लागू करके दी जाएं गी।

पील आयोग
 १८५७ के विद्रोह के बाद, भारि की तिटटश सरकार अतधटनयम, १८५८ ने सेना के पुनगषठन पर एक आयोग का गठन टकया।

 पील आयोग की र्सफाररशें इस प्रकार हैं:

इतिहास | 1857 का तिद्रोह पृष्ठ 13


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 जावि, धमष आहद विभाजनों के आधार पर रेजीमेंि के गठन में फेरबदल करना िाटक रेजीमेंिों पर अं कुश लगाया जा
सके और भविष्य में विद्रोह से बचा जा सके।

 भारिीय सैटनक अवधकिम सूबेदार स्तर िक।

 भारिीय सैटनकों को अखबारों और पवत्रकाओ ं से दूर रखना चाहहए।

 भारिीयों को कहीं भी सेिा करने के आदेश का पालन करने के शलए सामान्य सेिा स्थापना अवधटनयम अवधटनयम
िैयार करना।

 भारिीयों को िोपखाने और शस्त्रागार से बाहर रखा गया था।

 यूरोपीय सैटनकों से भारिीय सैटनकों का अनुपाि 1:2 से बढकर 5:2 हो गया।

 इसका उद्देश्य भविष्य में होने िाले टकसी भी िरह के विद्रोह को रोकना और बढने से पहले ही उसे दबा देना था।

विद्रोह का महत्व
 तिद्रोह ने ईस्ट इं टडया कंपनी प्रशासन और उसकी सेना की कवमयों को दिखाया।

 1857 के तिद्रोह का भारि के लोगों पर स्विंत्रिा संग्राम के ललए एक बडा प्रभाि था।

 इसने लोगों और र्सपाहहयों की खुली शशकायिों को सामने लाया।

 इसने अं ग्रेजों के खखलाफ सीधे हर्थयारों से लडने के ललए भारिीयों की कमजोरी को हदखाया।

 इसने भारिीय बुशद्जीवियों को आश्वस्त टकया टक हहिं सा स्विंत्रिा प्राप्त करने का िरीका नहीं है। इसशलए, भारिीय राष्ट्रीय
कांग्रेस का प्रारंहभक राजनीविक चरण नरमपंथी नेिाओ ं द्वारा भेजा गया था।

 इसने र्िटिश शासन के प्रविरोध की स्थानीय परंपराओं को स्थाहपि टकया िो स्विंत्रिा के ललए राष्ट्रीय संघषण के िौरान मििगार
सातबि होंगी।

अभ्यास के शलए मुख्य परीक्षा के प्रश्न:

प्र.1 1857 के तिद्रोह के कारणों और तिफलिाओ ं की चचाण कीजिये। (250 शब्द-15 अं क)


प्र.2 1857 के तिद्रोह के बाि अं ग्रेिों द्वारा लाए गए प्रमुख पररििणन क्या थे? (150 अं क -10 अं क)

इतिहास | 1857 का तिद्रोह पृष्ठ 14

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