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- बीकानेर ररयासि -सरदार ससिंह

Class -09 12. 1857 के क्ाांति के समय प्रमुख ररयासिी शासक के बारे में

- करौली ररयासि -मदनपाल

- बांदी ररयासि -राम ससिंह


अध्याय- 1 (1857 की क्ाांति)
- अलवर ररयासि- रवनय ससिंह/बन्ने ससिंह

13. 1857 के क्ाांति के समय प्रमुख ररयासिी शासक के बारे में


1. मराठों ने मई 1711 ईस्वी में प्रथम बार राजस्थान के ककस ररयासि से
- जैसलमेर ररयासि -रणजीि ससिंह
धन एकत्रिि ककया था- मेवाड़
- झालावाड़ ररयासि -पृथ्वी ससिंह
2. अप्रैल 1734 में बांदी के प्रशासक बुद्ध ससिंह ने मराठा सहायिा प्राप्त करके
ककसे गद्दी से हटा कदया था- दलेल ससिंह - प्रिापगढ़ ररयासि -दलपि ससिंह

3. ककस ररयासि के उत्तराधधकारी सांघर्ष को लेकर मराठों ने हस्तक्षेप 14. 1857 के क्ाांति के समय प्रमुख ररयासिी शासक के बारे में

राजस्थान में ककया था - बांदी - डांगरपुर ररयासि- उदय ससिंह

4. राजस्थान में मराठों के शुरुआिी दौर में ककसने चौथ और सरदेशमुखी - ससरोही ररयासि- सशव ससिंह
कर वसला था - पेशवा बाजीराव
- बाांसवाड़ा ररयासि- लक्ष्मण ससिंह
5. मराठों ने मारवाड़ में प्रवेश कर सोजि रायपुर ,जैिारण परगना में चौथ
15. अांग्रेजों िारा 1818 की सांधधयों के िहि राजस्थान की ररयासिों से सलया
वसलना कब प्रारांभ ककया - 1742
जाने वाला कर था - खखराज
6. मराठों को राजस्थान से बाहर ननकालने के सलए हुरडा सम्मेलन का
16. अांग्रेजों के कप्तान ब्लैक की हत्या ककस ररयासि की राजमािा भकटयानी
आयोजन कब ककया जो असफल रहा - 17 जुलाई 1734
को अधधकार च्यि करने के प्रयास से क्ु द्ध होकर वहाां के लोगों ने कर दी थी
7. जयपुर व मराठों की सेनाओां के बीच िुांगा का युद्ध कब हुआ - 1787
- जयपुर
8. चार्ल्ष मैटकोफ के साथ राजस्थान की ककस ररयासि ने सवषप्रथम 1818
17. 1857 की क्ाांति के समय तिकटश पोसलकटकल एजेंट के बारे में
की सांधध की - करौली
- कोटा ररयासि- मेजर बटषन
9. 1823 में अांग्रेजों से सांधध करने वाली अांतिम ररयासि थी - ससरोही
- जोधपुर ररयासि -मैक मोशन
10. 1857 के क्ाांति के समय प्रमुख ररयासिी शासक के बारे में
- भरिपुर ररयासि- मोररसन
- कोटा ररयासि- राम ससिंह
18. 1857 की क्ाांति के समय तिकटश पोसलकटकल एजेंट के बारे में
- जोधपुर ररयासि -िख्त ससिंह
- ससरोही ररयासि- जेडी हॉल
- भरिपुर ररयासि- जसवांि ससिंह
- उदयपुर ररयासि-शावसष
11. 1857 के क्ाांति के समय प्रमुख ररयासिी शासक के बारे
- जयपुर ररयासि -ईडन
- जयपुर ररयासि -रामससिंह रििीय

- धौलपुर ररयासि -भगवांि ससिंह


19. 1857 की क्ाांति के समय 6 छावननयों में शाममल 28. जय दयाल, रिनलाल िथा मेहराब खान के नेिृत्व में कोटा में क्ाांति
कब हुई- 15 अक्टबर 1857
- नसीराबाद ,नीमच
29. 15 अक्टबर 1857 कोटा में क्ाांतिकाररयों के पररणाम थे
- देवली ,ब्यावर
- कोटा के महाराव राम ससिंह को एक सांधध पि पर हस्ताक्षर करने के सलए
- एररनपुरा, खेरवाड़ा
रववश ककया नजसमें 9 शिें थी
20. 15वीं व 29वीं बांगाल नेकटव इन्फें ट्री का सांबांध ककस छावनी से था
- मेजर बटषन व उसके पुिों की हत्या कर दी गई, बटषन की गदषन परे कोटा
- नसीराबाद शहर में घुमाई गई

21. 28 मई 1857 नसीराबाद छावनी में रवद्रोह के बारे में - 22 माचष 1858 को मेजर रोबोट्स नसीराबाद से सेना लेकर पहुांचे,

- अांग्रेज अधधकारी स्पोकटसवुड व न्यबरी की हत्या कर दी करौली के शासक मदन पाल के सहयोग से

- लेफ्टिनेंट लॉक और कै प्टन हाडी घायल हो गए - जय दयाल और मेहराब खान को पकड़कर फाांसी दे दी गई

- अांग्रेज अधधकाररयों ने नसीराबाद से ब्यावर में शरण ली 30. मेवाि व गुजषर जाति के लोगों ने कहाां क्ाांति में सहयोग ककया -भरिपुर

22. नीमच में 1857 क्ाांति कब हुई - 3 जन 1857 32. 1857 की क्ाांति के समय नवाब रवलायि खाां ,ममयाां उस्मान और
सादुल्ला खाां मुगल सम्राट से ममलकर तिकटश सत्ता के रवरुद्ध क्ाांति का
23. एररनपुरा रा छावनी में क्ाांति की शुरुआि कब हुई - 21 अगस्त 1857
र्ड्यांि रचा इनका सांबांध ककस ररयासि से था - जयपुर
24. 8 ससिांबर 1857 रबथोड़ा युद्ध के बारे में
33. क्ाांति के समय टोंक में क्ाांतिकाररयों का नेिृत्व ककसने ककया –
- रबथोड़ा का मैदान पाली नजले में स्थस्थि है
आलम खाां
- जोधपुर महाराजा िख्त ससिंह ने ससिंघवी कु शल राज व अनार ससिंह के
नेिृत्व में सेना भेजी

- इस युद्ध में अनार ससिंह मारा गया िथा ससिंघवी कु शल राज जान बचाकर अध्याय- 2 (राजस्थान के प्रमुख क्ाांतिकारी)
भाग गया
1. भरिपुर के ककस शासक ने अांग्रेजों से सांधध के बावजद होलकर को
25. 18 ससिांबर 1857 को कौन सा युद्ध हुआ नजसमें अांग्रेजी सेना के लॉरेंस अांग्रेजों को नहीं सौंपा था - रणजीि ससिंह
की हार हुई- चेलावास/ काले गौरव का युद्ध
2. आछो गोरा हट जा, राज भरिपुर को रै गोरा हट जा भरिपुर गड़बान को
26. 18 ससिांबर 1857 चेलावास के युद्ध के बाद क्या पररणाम ननकले बाांको, ककलो रे बाांको गोरा हट जा करविा का सांबांध ककस सारहत्यकार से है
- होम्स के नेिृत्व में 20 जनवरी 1858 को आऊवा पर आक्मण ककया गया - बाकी दास
- कु शाल ससिंह आऊवा के ककले को छोड़कर सलांबर चला गया, जहाां रावि 3. बाांकी दास के बारे में
के सरी ससिंह ने उन्हें शरण दी
- बाांकीदास मारवाड़ के शासक मानससिंह के राज् करव व काव्य गुरु थे
- कु शाल ससिंह की जाांच के सलए टेलर आयोग बना
- आयो अांग्रेज मुल्क रे ऊपर बाकी दास की रचना है
27. 1857 की क्ाांति के समय रावि के सरी ससिंह ककस ठठकाने के जागीरदार
- उनकी ग्रांथावली नागररक प्रचाररणी सभा से िीन खांडों में प्रकासशि हो
थे - सलांबर
चुकी है
4. सारहत्यकार सयषमल ममश्रण के बारे में 16. रवजय ससिंह पनथक िारा राजस्थान के सरी का प्रकाशन सवषप्रथम कहाां
से ककया गया - वधाष
- ममश्रण बांदी के राजा माधो ससिंह के दरबारी करव थे
17. राजस्थान के सरी, नवीन राजस्थान, िरुण राजस्थान का सांबांध ककस
5. वीर सिसई में 1857 की क्ाांति का वणषन है यह ककसकी रचना है
क्ाांतिकारी से था- भप ससिंह
- सयषमल ममश्रण
18. राजस्थान व जयपुर में क्ाांतिकारी गतिरवधधयाां फै लाने का श्रेय ककसे
6. आऊवा युद्ध पर करविा सलखने वाले सारहत्यकार थे- करव त्रगरवरदान जािा है- अजुषन लाल सेठी

7. सीकर नजले के डांगजी व जवाहर जी चाचा भिीजा थे उनमें डांगजी के बारे 19. अजुषन लाल सेठी ने जयपुर में जैन सशक्षा प्रचार सममति की स्थापना
में कब की - 1905

- डांगरी शेखावटी रबग्रेड में ररसालदार थे 20. जयपुर में जैन वधषमान रवद्यालय, छािावास ,पुस्तकालय क्ाांतिकाररयों

- डांगजी को उसके साले भैरू ससिंह ने धोखे से पकड़वा कदया को प्रसशक्षण देने के सलए ककसने खोला,नजससे जोरावर ससिंह, प्रिाप ससिंह,
माननक चांद्र, मोिी चांद व रवष्णु दत्त जुड़े हुए थे - अजुषन लाल सेठी
- डांगजी को आगरा दुगष में बांद ककया गया
21. ननम्न में से ककस पुस्तक का सांबांध अजुषन लाल सेठी से था
- डांगर जी का ननधन जोधपुर दुगष में हुआ
- शुद्र मुरि , स्त्री मुरि , महेंद्र कु मार
8. घडसीसर (बीकानेर के पास) जब डांगर जी व जवाहर जी को अांग्रेजों
िारा जोधपुर सेना की सहायिा से घेरा गया िो जवाहर जी भाग कर कहाां 22. के सरी ससिंह बारहठ के बारे में कथन बिाइए

चले गए थे - खैरखट्टा - इनका जन्म 1872 देवपुरा गाांव शाहपुरा में हुआ

9. 1804 जाट पररवार में जन्मे लोठ जी ननठारवाल का सांबांध ककस नजले से - इनके कमषभमम कोटा थी जहाां इनकी मृत्यु 1841 को हो गई
था - सीकर
- 1903 मेवाड़ महाराणा फिेह ससिंह को चेिावनी रा चांगट्या सलखकर
10. बाल नाई ,साांख लुहार व करणा भील के साथ ममलकर लोठ जी कजषन दरबार में जाने से रोका
ननठारवाल ने आगरा दुगष से ककसको छु ड़वाया था- डांगर जी
- 1910 में वीर भारि सभा की स्थापना की
11. 1857 की क्ाांति के प्रथम शहीद राजस्थान के मांगल पाांडे अमर चांद
23. के सरी ससिंह बारहठ ने अपने भाई जोरावर ससिंह, पुि प्रिाप ससिंह
बाांठठया का सांबांध ककस नजले से है - बीकानेर
,जामािा ईश्वरदान आसशया को ककसके पास क्ाांति का व्यावहाररक अनुभव
12. अमरचांद बाांठठया का जन्म 1793 को हुआ जबकक उन्हें 1858 को फाांसी व प्रसशक्षण लेने के सलए भेजा था - मास्टर अमीरचांद
कहाां दी गई - ग्वासलयर
24. के सरी ससिंह बारहठ ने अश्व घोर् की ककस रचना का रहिंदी में अनुवाद
13. रवजय ससिंह पनथक का जन्म 1882 को उत्तर प्रदेश के ककस गाांव में हुआ ककया था- बुद्ध चररि

- गुठावली 25. भारि में एकमाि के सरी ससिंह बारहठ कै सा क्ाांतिकारी था नजन्होंने

14. वीर भारि समाज व राजस्थान सेवा सांघ की स्थापना ककसने की भारि मािा की दास्ताां की श्रृांखलाओां को काटने के सलए अपने समस्त
पररवारों को स्विांििा के युद्ध में झोंक कदया यह ककस क्ाांतिकारी ने कहा
- रवजय ससिंह पनथक
- रासरबहारी बोस
15. रबजोसलया ककसान आांदोलन के ककस चरण का नेिृत्व रवजय ससिंह
पनथक िारा ककया गया - रििीय 26. प्रिाप चररि, दुगाषदास चररि, रूठी रानी, जसवांि चररि, राज ससिंह चररि
,कु सुमाांजली नामक ग्रांथ ककसने सलखे- के सरी ससिंह बारहठ
27. 1912 में जोधपुर के महांि प्यारेलाल की हत्या काांड में के सर ससिंह 39. झुांझुन के सरदार हरलाल ससिंह के बारे में
बारहठ को ककस जेल में 20 वर्ष की सजा दी गई - हजारीबाग
- इनका जन्म 1901 झुांझुन के हनुमानपुरा गाांव में हुआ
28. के सरी ससिंह बारहठ के पुि प्रिाप ससिंह बारहठ का जन्म 1893 को कहाां
- उन्होंने 'रवद्याथी भवन झुांझुन' की स्थापना कर राजनीतिक व सामानजक
हुआ - शाहपुरा
गतिरवधधयाां स्थारपि की
29. प्रिाप ससिंह बारहठ के बारे में
- कु शल नेिृत्व के कारण ही इन्हे 'सरदार' की उपाधध दी जािी है
- क्ाांतिकारी मास्टर अमीरचांद िथा अजुषन लाल सेठी के विषमान पाठशाला
40. 1947 में प्रजामांडल आांदोलन के दौरान ककसने कहा था 'कक जब िक
में प्रसशक्षण सलया
मेरी जान रहेगी ,िब िक मैं गाांव रास्ता पाल की पाठशाला बांद नहीं होने
- बनारस काांड में त्रगरफ्तार कर बरेली जेल में 5 वर्ष की सजा दांगा'- नानाभाई खाट

- 1918 में 22 वर्ष की आयु में शहीद हो गई 41. राजस्थान के कप्तान उपनाम से कौन से क्ाांतिकारी जाने जािे है

30. मेरी माां रोिी है िो उसे रोने दो नजससे सैकड़ों मािाओां को ने रोना पड़े - दुगाष प्रसाद चौधरी
यकद मैंने कदल का भेद खोल कदया िो यह मेरी वास्तरवक मृत्यु होगी और
42. दुगाष प्रसाद चौधरी ने अजमेर में जयपुर से प्रकासशि ककस समाचार पि
मेरी मािा पर अममट कलांक लगेगा, यह वाक्य अांग्रेज अधधकारी क्लीवलैंड
का सांपादन ककया था- दैननक नवज्योति
से ककसने कहे- प्रिाप ससिंह बारहठ
43. सीकर के जमना लाल बजाज के पत्नी जानकी देवी बजाज के बारे में
32. राजस्थान के ककस ररयासि के राजा ने प्रिाप ससिंह बारहठ के आगमन
बिाइए- 1954 में पदम रवभर्ण ममला
पर प्रतिबांध लगाया था - बीकानेर
44. 1897 में श्रीमाधोपुर, सीकर में ककस क्ाांतिकारी मरहला का जन्म हुआ
33. राजस्थान के जतिनदास बालमुकुांद रबस्सा का जन्म 1908 को कहाां
था- अांजना देवी चौधरी
हुआ- डीडवाना के पीपलवा गाांव में
45. 15 अक्टबर 1912 को खाचरोद, मध्य प्रदेश में ककस क्ाांतिकारी का
34. बालमुकुांद रबस्सा ने चरखा सांघ व खद्दर भांडार की स्थापना कहाां की
जन्म हुआ था- रत्ना शास्त्री
- नागौर
46. वह क्ाांतिकारी मरहला नजसका रववाह 7 वर्ष की उम्र में हो गया था िथा
35. जोधपुर में भख हड़िाल के दौरान बालमुकुांद रबस्सा की मृत्यु कब हुई 11 वर्ष की छोटी आयु में रवधवा हो गई और रफर उन्होंने गाांधीवादी नेिा
लादराम जोशी के साथ पुनरविवाह ककया था- रमा देवी
- 19 जन 1942
47. अांजना देवी चौधरी ककस क्ाांतिकारी की पत्नी थी- रामनारायण चौधरी
36. सागरमल गोपा का सांबांध ककस ररयासि से था - जैसलमेर
48. रास्ता पाल, डांगरपुर में 13 वर्ीय भील बासलका कालीबाई अपने
37. आजादी के दीवाने ,रघुनाथ ससिंह का मुकदमा, जैसलमेर में गुांडाराज
सशक्षक सेगाभाई की जान बचाकर कब शहीद हुए - 20 जन 1947
पुस्तकों का सांबांध ककस क्ाांतिकारी से था - सागरमल गोपा
49. सीहोर के ठाकु र मानससिंह िारा सोतिया का बास नामक गाांव में
38. जैसलमेर के सागरमल गोपा के बारे में
ककसान मरहलाओां के साथ दुव्यषवहार के रवरोध में ककसके नेिृत्व में
- इनका जन्म 3 नवांबर 1900 को जैसलमेर में हुआ कटराथल में 1934 में 10000 मरहलाओां ने आांदोलन ककया - श्रीमिी

- इन्होंने जैसलमेर के ित्काल महारावल जवाहर ससिंह के अत्याचारों का ककशोरी देवी

रवरोध ककया था 50. ककशोरी देवी ककसकी पत्नी थी- सरदार हरलाल ससिंह
- 24 मई 1941 को जेल में डाल कर अमानवीय यािनाएां की गई और अप्रैल
1947 को ममट्टी का िेल लगाकर जला कदया गया
अध्याय- 3 (राजस्थान के ककसान आांदोलन) 13. चेिराम ,टीकराम ककसान ककस हत्याकाांड में शहीद हुए थे - कुां दन गाांव
हत्याकाांड

14. जयपुर राज्य में ककसान आांदोलन के समय 1922 में सीकर के ठठकाने
1. रबजोसलया ककसान आांदोलन भारि का सबसे बड़ा अरहिंसात्मक व सबसे दार थे - कल्याण ससिंह
लांबा चलने वाला आांदोलन था यह विषमान में ककस नजले में है - भीलवाड़ा
15. 1947 में शेखावाटी ककसान आांदोलन की समातप्त ककसके प्रयासों से हुई
2. रबजोसलया ककसान आांदोलन में सबसे ज्यादा ककस जाति ने भाग सलया
- हीरालाल शास्त्री
- धाकड़
16. 1914 में ठठकाने दार पृथ्वी ससिंह की मृत्यु के बाद ठठकानेदार कौन बना
3. 1894 में रबजोसलया के ककस ठठकानेदार की मृत्यु हो गई थी उसके बाद जो अल्पवयस्क था नजस कारण जागीरी प्रशासन कोटष ऑफ वाडषस
रबजोसलया ठठकाने पर करों में वृनद्ध हुई - गोरविंदास (महाराणा) के ननयांिण में चला गया- के सरी ससिंह

4. रबजोसलया ककसान आांदोलन ककिने चरणों में चला था- 3 17. रबजोसलया ठठकाने में ऊपर माल क्षेि के लोग ककसी महात्मा कहकर
पुकारिे थे - रवजय ससिंह पनथक
5. 1921 में बेंग ककसान आांदोलन का नेिृत्व ककसने ककया था -
रामनारायण चौधरी 18. हररयाली अमावस्या के कदन ऊपर माल पांच बोडष की स्थापना कब हुई

6. एक सत्य घटना - 1906 पृथ्वी ससिंह ने िलवार बधाई कर लगाया - 1917

7. 1897 में लागबाग करो के रवरुद्ध मृत्यु भोज पर ककस गाांव में एकत्रिि हुए 19. 1921 में मेनाल के भेरू कुां ड से ककस ककसान आांदोलन की शुरुआि
थे- त्रगरधरपुरा हुई - बेंग ककसान आांदोलन

8. रबजोसलया ककसान आांदोलन िीन चरणों में हुआ इनका क्म 20. रबजोसलया ककसान आांदोलन के दौरान रवद्या प्रचाररणी का गठन
ककसने ककया- रवजय ससिंह पनथक
- प्रथम चरण- 1897से1915, साधु सीिाराम दास
21. रबजोसलया ककसान आांदोलन को राष्ट्रीय स्तर की पहचान कदलाने में
- रििीय चरण -1915 से 1923, रवजय ससिंह पनथक
गणेश शांकर रवद्याथी के ककस समाचार पि का योगदान रहा- प्रिाप
- िृिीय चरण- 1927 से 1941, मासणक्य लाल वमाष
22. नींमचना हत्याकाांड कब हुआ - 14 मई 1925
9. 1996 पृथ्वी ससिंह ने िलवार बधाई कर लगाया था यह था-
23. 1921-25 में अलवर ककसान आांदोलन का कारण था
उत्तराधधकारी कर
- जांगली सअरों का प्रभाव
10. राव कृ ष्ण ससिंह नें 1903 में ₹5या₹13 चांवरी कर लगाया था यह था
- महाराजा जयससिंह िारा लगान दर बढ़ाना(इजारा पद्धति)
- पुिी के रववाह पर कर
24. रबजोसलया ककसान आांदोलन के दौरान ककस प्रमुख नेिा ने अपने
11. बरड़ क्षेि में बांदी ककसान आांदोलन का नेिृत्व ककसने ककया ननजी सत्रचव महादेव भाई को ऊपर माल में ककसानों की स्थस्थति की जाांच
- नैन राम शमाष करने के सलए रबजोसलया भेजा था- महात्मा गाांधी

12. 2 अप्रैल 1923 को डाबी गाांव में नानक जी भील व देवीलाल गुजषर 25. 11 फरवरी 1922 को रबजोसलया ककसानों व ठठकानेदार के बीच
शहीद हो गए इनका सांबांध ककस ककसान आांदोलन से था समझौिा हुआ उस समय राजस्थान के AGG कौन थे - एजीजी होलेंड

- बांदी ककसान आांदोलन 26. 1922 मे समझौिे के िहि रबजोसलया ठठकाने के ककिने कर समाप्त कर
कदए थे - 35
27. 1941 में रबजोसलया ककसान आांदोलन समाप्त हो गया इसके बारे में 37. सीकर में 20 से 29 जनवरी को ककस वर्ष रवशाल जाट प्रजापति
महायज्ञ का आयोजन ककया गया - 1934
- इस समय रबजोसलया ककसान आांदोलन का नेिृत्व मासणक्य लाल वमाष
कर रहे थे 38. 1937 में उदरासर (बीकानेर) में लागबाग के रवरुद्ध आवाज उठाने वाले
नेिा थे - जीवन चौधरी
- इस समय मेवाड़ के दीवान रवजय राघवाचायष व राजस्व मांिी डॉ मोहन
ससिंह मेहिा थे 39. दधवाखारा ककसान आांदोलन के प्रमुख नेिा नजन्हें बीकानेर महाराजा
ने श्रीगांगानगर में 100 मुरब्बे जमीन देने की पेशकश थी लेककन उन्होंने
- 44 वर्ष िक चलने वाला यह आांदोलन समाप्त हो गया
स्वीकार नहीं ककया- हनुमान ससिंह
28. गोरविंद ननवास गाांव के नारायण जी पटेल का सांबांध ककस आांदोलन से
40. जुलाई 1946 में बीकानेर प्रजा पररर्द के सम्मेलन में रायससिंहनगर में
था - रबजोसलया
ककसान शहीद हो गए थे - बीरबल ससिंह
29. बेंग ककसान आांदोलन के िहि 1923 में शहीद हुए ककसान थे
41. हनुमानगढ़ में ननयुि मुांससफ मनजस्ट्ट्रेट नजन्होंने राजनीतिक जन
- रूपा जी कृ पा जी जागरण में आकर सरकारी नौकरी छोड़ दी थी - हरदत्त ससिंह चौधरी

30. बेंग ककसान आांदोलन के दौरान हुए समझौिे को बोल्शेरवक समझौिे 42. बीकानेर ककसान आांदोलनों नेिाओां में प्रमुख नजन्होंने 'ककसान
की सांज्ञा दी गई यह ककनके बीच हुआ - ठाकु र अनप ससिंह व राजस्थान यननयन क्यों'पुस्तक सलखी थी - कुां भाराम आयष
सेवा सांघ
43. मारवाड़ लोक पररर्द की स्थापना कब हुई - मई 1938
31. भरिपुर ककसान आांदोलन के बारे में
44. डाबड़ा (डीडवाना) हत्याकाांड कब हुआ- 13 माचष 1947
- 1931 में भरिपुर में नया भमम बांदोबस्त लाग कर करो में वृनद्ध की गई
45. मोिीलाल चौधरी का सांबांध ककस ककसान आांदोलन से था
- आांदोलन का नेिृत्व 23 नवांबर 1931 को भोजी लांबरदार ने ककया
- मारवाड़ ककसान आांदोलन
- नवांबर 1931 में भोजी लांबरदार के त्रगरफ्तार के साथ आांदोलन समाप्त
46. िसीमों काांड का सांबांध ककस ररयासि से था - धौलपुर
हुआ
47. राधा कृ ष्ण बोहरा ,ककशनलाल शाह, सी आर चौपासनी वाला,
32. अलवर में मेव ककसान आांदोलन का नेिृत्व ककसने ककया –
मथुरादास माथुर ,िारकादास पुरोरहि मोिीलाल चौधरी ,मीठालाल
यासीन खान ,रवजय शांकर का सांबांध ककस ककसान आांदोलन से था- मारवाड़ ककसान

33. महात्मा गाांधी ने ककस हत्याकाांड को जसलयाांवाला बाग हत्याकाांड की आांदोलन

दोहरी डायरशाही की सांज्ञा दी- नीमचना हत्याकाांड 48. 1942 चांद्रावल गाांव में उत्तरदाई शासन कदवस बनाने के समय

34. अलवर भरिपुर क्षेि में ककसने 1932 में अांजुमन खाकदम उल इस्लाम ममठालाल ,रवजय शांकर व अन्य ककसान का घायल हो गई इसका सांबांध

नामक सांस्था स्थारपि करके मेव आांदोलन को सांगठठि ककया - मोहम्मद ककस लोक पररर्द से था - मारवाड़

हाडी

35. ककस ककसान आांदोलन की गांज कें द्रीय असेंबली व तिटेन के हाउस
ऑफ कॉमांस में गांजी - सीकर ककसान आांदोलन

36. धापी दादी व ककशोरी देवी का सांबांध ककस ककसान आांदोलन से था

- सीकर
अध्याय- 4 (जनजाति आांदोलन) 12. नवांबर 1913 में मानगढ़ पहाड़ी पर जब भीड़ एकत्रिि हुए िो अांग्रेजों की
िरफ से भीलों के सम्मेलन को कु चलने के सलए कौन सी कां पननयाां पहुांची

- मेवाड़ भील कोर


1. मेर रवद्रोह को दबाने के सलए मारवाड़ बटासलयन की स्थापना कब व
- 104 वेलेजली राइफर्ल्
मुख्यालय कहाां बनाया गया - 1822ब्यावर
- सािवीं राजपि रेजीमेंट
2. 1818 से 1824 के बीच अजमेर का झाक क्षेि ककस जाति के रवद्रोह के
सलए चचाष में रहा- मेर 13. राजस्थान का जसलयाांवाला बाग हत्याकाांड मानगढ़ धाम हत्याकाांड कब
हुआ - 17 नवांबर 1913
3. भीलों के िारा अपने क्षेिों से गुजरने वाले माल व यात्रियों से कौन सा
कर वसलिे थे - बोलाई 14. 17 नवांबर 2013 मानगढ़ हत्याकाांड में अांग्रेजी दस्तावेजों के अनुसार
कु ल ककिने भील मारे गए- 100
4. 1841 में गठठि मेवाड़ भील कोर का मुख्यालय कहाां रखा गया
15. 17 नवांबर 1913 मानगढ़ धाम हत्याकाांड के बाद गोरविंद त्रगरी की स्थस्थति
- खेरवाड़ा, उदयपुर
थी
5. मेवाड़ भील कोर के िहि मेवाड़ के भील क्षेिों में कहाां पर दो छावननयाां
- गोरविंद त्रगरी व पुांजीया को बांदी बना सलया गया
स्थारपि की गई- खेरवाड़ा, कोटडा
- गोरविंद त्रगरी को पहले आजीवन कारावास ,रफर 10 वर्ष और रफर 7 वर्ष के
6. 1856 में महाराणा ने मेहिा सवाई ससिंह को उदयपुर राज्य के ककस क्षेि
पश्चाि ररहा कर कदया गया
में भील रवद्रोह को दबाने हेिु भेजा- कालीबास
- सांथ, डांगरपुर ,बाांसवाड़ा ,कु शलगढ़ व ईडर राज्य में प्रवेश ननर्ेध ककया
7. 1873-74 के दौरान त्रचलकारी व शेरगढ़ गाांव के भील छापामार
गतिरवधधयों में लगािार रवद्रोह कर रहे थे यह ककस राज्य के अांिगषि आिा - सरकारी ननगरानी में अहमदाबाद सांभाग के अांिगषि पांचमहल नजले के
था- बाांसवाड़ा झालोद गाांव में रहने लगे

8. भीलों में जनजागृति लाने वाले गोरविंद त्रगरी डांगरपुर में ककस गाांव के 16. मोिीलाल िेजावि का जन्म उदयपुर राज्य के ककस गाांव के अांदर हुआ
ननवासी थे - बेड़सा
- कोसलयरी गाांव ,झाडोल
9. गोरविंद त्रगरी का सांबांध ककस पररवार से था- बांजारा
17. मोिीलाल िेजावि का सांबांध ककस जाति से था- ओसवाल बननया
10. गोरविंद त्रगरी के बारे में
18. भीलों में जनजागृति फै लाने के सलए 1921में एकी आांदोलन की
- इन्होंने दयानांद सरस्विी की प्रेरणा से भीलों की सेवा की शुरुआि ककसने की - मोिीलाल िेजावि

- कोटा,बांदी अखाड़े के साध राजत्रगरी के सशष्य बने 19. उदयपुर के बाद मोिीलाल िेजावि के नेिृत्व में आकदवासी आांदोलन का
दसरा महत्वपणष कें द्र कौन सा बना था - ससरोही
- 1883 में ससरोही में सांप सभा की स्थापना की
20. महात्मा गाांधी,पनथक जी व राजस्थान सेवा सांघ के नेिाओां की सहायिा
- उन्होंने भगि आांदोलन चलाया
से ससरोही आकदवासी आांदोलन को समाप्त करने का प्रयास ककसने ककया
11. गोरविंद त्रगरी ने 1908 से 1910 िक राजपिाना छोड़कर सांथ व ईडर के जो है जो असफल रहा- रामाकाांि मालवीय
भीलों में कायष ककया यह ककस राज्य में था - गुजराि
21. 5 मई 1922 को अांग्रेजी सेना ने बलोररया नामक गाांव पर आक्मण
ककया और उस क्षेि को जला कदया यह ककस ररयासि में था - ससरोही
22. 1851 में उदयपुर राज्य के जहाजपुर परगना के ककस जनजाति ने 38. ककस जनजाति के लोगों को पाबन्द करने हेिु जयपुर ररयासि में 1930
अांग्रेजों के रवरुद्ध रवद्रोह कर कदया था - मीणा में जरायम पेशा कानन लाग ककया गया था - मीणा

23. मीणाओां के रवद्रोह को दबाने के सलए देवली छावनी को कब गठठि ककया 39. जरायम पेशा कानन रद्द हुआ - 1952
गया - 1855
40. ककसकी अध्यक्षिा में मीणा जाति का एक रवशाल सम्मेलन अप्रैल,
24. मानगढ़ हत्याकाांड के बाद गोरवन्द त्रगरर िथा डांगर के पटेल पुन्जा धीर 1944 में नीम का थाना में हुआ था- सांि मगनसागर
को बांदी बना कर कहााँ रखा गया - सांिरामपुर की जेल , अहमदाबाद की
41. 28 अक्टबर, 1946 को मीणों का रवशाल सम्मेलन कहााँ आयोनजि
साबरमिी जेल
हुआ नजसमें चौकीदार मीणों ने चौकीदारी के काम से इस्तीफा देकर मुरि
25. गोरवन्द त्रगरर की मृत्युदांड की सजा को ककसने आजीवन कारावास की कदवस मनाया- बागावास
सजा में बदल कदया- आर.पी. बारो
42. भगि आांदोलन शीर्षक के नाम से पुस्तक के लेखक हैं- वी के रवसशष्ट
26. गुरु गोरवन्द त्रगरर की सजा को कम करिे हुए उन्हें कब सांिरामपुर जेल
43. ननम्नसलखखि में से कौन सा शेखावटी के पांचपाणे में सस्थम्मसलि नहीं
से ररहा ककया गया - 1 जुलाई, 1923
है - त्रचड़ावा
27. सुरजी भगि' का सांबांध ककससे था- भीलों में धाममिक एवां सामानजक
44. जुलाई 1921 में मोिीलाल िेजावि ने भील आांदोलन कहाां से प्रारांभ
सुधारों से
ककया था - कोटडा,उदयपुर
28. गुरु गोरवन्द त्रगरर का ननधन कब हुआ - 30 अक्टबर, 1931

29. मानगढ़ धाम में 'शहीद स्मारक' का लोकापषण ककया गया- 2


ससिम्बर, 2002 अध्याय-5 (राजस्थान में जनजागृति व
30. बााँसवाड़ा की मानगढ़ पहाड़ी पर गुरु गोरवन्द त्रगरी के अनुयाधययों पर
प्रजामांडल आांदोलन)
मेवाड़ राज्य व अांग्रेजी सेना िारा ककये गये भीर्ण नरसांहार का शिाब्दी
समारोह कब प्रारम्भ हुआ- 17 नवम्बर, 2012 1. 1885 में सज्जन कीतिि सुधाकर नामक समाचार पि कहाां से प्रकासशि
होिा था -उदयपुर
31. नीमड़ा हत्याकाांड कब हुआ- 1921
2. 1885 में अांग्रेजी साप्तारहक राजस्थान टाइम्स पि कहाां से प्रकासशि होिा
32. मेवाड़ पुकार नामक 21 सिी मााँगपि िैयार ककया था - मोिीलाल
था - अजमेर
िेजावि ने
3. के सरी ससिंह बारहठ ने एडवडष सप्तम के राज्य रोहण में कदल्ली जाने से
33. नीमड़ा हत्याकाांड ककस आांदोलन से सम्बन्धिि है - एकी आांदोलन
ककस मेवाड़ महाराणा को चेिावनी रा चांगट्या नामक 13 सौरठे सलखकर
34. महात्मा गााँधी ने मोिीलाल िेजावि िारा आांदोलन को वापस लेने के रुका था- फिेह ससिंह
सलए उनके पास ककसे भेजा- मसणलाल कोठारी
4. काांग्रेस की स्थापना कब हुई - 1885
35. ईडर राज्य की पुसलस ने खेडिह्म गााँव से श्री मोिीलाल िेजावि को कब
5. 1888 में काांग्रेस के ककस अधधवेशन में अजमेर के गोपीनाथ माथुर
त्रगरफ्तार ककया- 3 जन, 1929
,ककशनलाल व हररवलास शारदा राज्य के प्रतिननधध के रूप में बनकर गए
36. 1929 में मोिीलाल िेजावि को त्रगरफ्तार कर कहााँ रखा गया- उदयपुर थे- कदल्ली अधधवेशन
जेल
6. राजपिाना मध्य भारि सभा नामक राजनीतिक सांस्था की स्थापना
37. मोिीलाल िेजावि का ननधन हुआ - 5 कदसम्बर, 1963 गणेश शांकर रवद्याथी ,रवजय ससिंह पनथक, जमनालाल बजाज, चाांद करण
शारदा ,त्रगरधर शमाष, स्वामी नरससिंह देव सरस्विी ने कहाां पर की
- कदल्ली चाांदनी चौक स्थस्थि मारवाड़ी पुस्तकालय 19. 1949 में जोधपुर ररयासि का रवलय राजस्थान एकीकरण के ककस
चरण में हुआ - चौथे
7. राजपिाना मध्य भारि सभा के हुए अधधवेशन के बारे में कथन बिाइए
20. बीकानेर में जनजागृति लाने वाले सवषप्रथम चुरू के क्ाांतिकारी थे
- दसरा अधधवेशन- कदसांबर 1919 अमृिसर
- स्वामी गोपाल दास
- िीसरा अधधवेशन -माचष 1920 अजमेर
21. 1936 में बीकानेर प्रजामांडल की स्थापना मगाराम वैद्य ने कहा कक
- चौथा अधधवेशन- कदसांबर 1920 नागपुर
- कलकिा
8. माचष 1920 में राजपिाना मध्य भारि सभा के िीसरे अधधवेशन की
अध्यक्षिा ककसने की- जमनालाल बजाज 22. 1946 में महाराजा गांगा ससिंह की मृत्यु के बाद बीकानेर के नए शासक
बने थे - शादुषल ससिंह
9. कदसांबर 1920 में राजपिाना मध्य भारि सभा के चौथे अधधवेशन
नागपुर में ननवाषत्रचि हुए अध्यक्ष नरससिंह त्रचिंिामसण के लकर जब नागपुर 23. ककस वर्ष बीकानेर एक्ट पास करके रिसदनीय व्यवस्थारपका
नहीं पहुांच सके िो उसकी अध्यक्षिा ककसने की - गणेश नारायण सोमाजी राज्यसभा व धारा सभा ,हाईकोटष व लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई

10. रवजय ससिंह पनथक,रामनारायण चौधरी िथा हररभाई ककिंकर ने - 1947


ममलकर वधाष में राजस्थान सेवा सांघ की स्थापना कब की - 1919
24. 28 अप्रैल 1947 को बीकानेर के प्रतिननधध के रूप में ककसे सांरवधान
11. राजस्थान के राजनीतिज्ञ व क्ाांतिकारी भांवरलाल शमाष का सांबांध ककस ननमाषिी सभा में प्रशासननक अधधकारी के रूप मे ननयुि ककए गए
प्रजामांडल के प्रथम अध्यक्ष बने थे - जोधपुर
- के .एम.पसणक्कर
12. अांग्रेजों की रायबहादुर की उपाधध लौटाने वाले जयपुर के क्ाांतिकारी थे
25. भारि के सांरवधान ननमाषण में बीकानेर से प्रत्यक्ष िौर पर सदस्य के
- जमनालाल बजाज रूप में भाग सलया था- जसवांि ससिंह

13. 15 माचष 1921 को अजमेर में रििीय राजनीतिक सम्मेलन की 26. भारि और पाक रवभाजन के सलए माउांटबेटन योजना कब बनी - 3
अध्यक्षिा ककसने की नजसमें मोिीलाल नेहरू भी उपस्थस्थि थे- मौलाना जन 1947
शौकि अली
27. बीकानेर राज्य के महाराजा नजन्होंने भारिीय सांघ में सस्थम्मसलि होने
14. अांग्रेजों ने जमषनी से सांधध वािाष में भाग लेने के सलए भारि के ष ससिंह
के सलए हस्ताक्षर ककए - शादल
प्रतिननधधत्व करने हेिु पेररस ककसे भेजा था- गांगा ससिंह ससिंह
28. जैसलमेर प्रजामांडल के बारे में
15. 1921 में नरेंद्र मांडल की स्थापना ककसने की नजसकी अध्यक्षिा
- जैसलमेर का पहला समाचार पि रवजय 1920 में प्रारांभ
वायसराय ने की थी - गांगा ससिंह
- 1932 में माहेश्वरी समाज नवयुवक मांडल का गठन ककया गया
16. स्वदेशी वस्त्र पहनने िथा तिलक स्वराज्य कोर् में चांदा देने के कारण
राजस्थान की ककस ररयासि के राजा ने सशव मतिि ससिंह, सांपणाषनांद व - 1945 में मीठा लाल व्यास ने जोधपुर में जैसलमेर प्रजामांडल की
आनांद वमाष को सरकारी नौकरी से ननलांरबि कर कदया था- बीकानेर स्थापना की

17. उदयपुर महाराणा फिेह ससिंह अांग्रेजों के कहने पर ककसे 28 जुलाई 1921 29. 24 अप्रैल 1938 को मेवाड़ प्रजामांडल की स्थापना ककसने की -
को उदयपुर का शासन दे देिे हैं- भपाल ससिंह मासणक्य लाल वमाष

18. फिेह ससिंह के बाद शासक बने भोपाल ससिंह ने अांग्रेज सरकार की इच्छा 30. 1938 में मेवाड़ प्रजामांडल की स्थापना के बाद मेवाड़ के प्रधानमांिी धमष
अनुसार मांत्रिमांडल बनाया उसमें राजस्व रवभाग ककसे सौंपा गया - नारायण ने इसे गैरकाननी सांस्था घोतर्ि ककया बाद में इस पर प्रतिबांध
ममस्टर ट्रैंच कब हटाया गया - 1941
31. जब मेवाड़ प्रजामांडल पर प्रतिबांध लगा िब मसणक्यलाल वमाष मेवाड़ 42. राजस्थान में स्विांििा सांघर्ष को 3 चरणों में रवभानजि ककया जािा है
छोड़कर कहाां चले गए थे - अजमेर इनमें से कथन सही है

32. सत्य कथन - प्रथम चरण -1927 ईस्वी से पवष (सामानजक और मानविावादी
समस्याओां पर कें कद्रि था)
- राजपिाना मध्य भारि सभा -1918
- दसरा चरण- 1927 से 1938(1927 में ऑल इांकडया स्टेट पीपुर्ल् काांफ्रेंस
- राजस्थान सेवा सांघ -1919
की स्थापना)
- अखखल भारिीय देसी लोक पररर्द -1920
- िृिीय चरण -1938 से 1949(1938 हरीपुरा काांग्रेस अधधवेशन के बाद
33. 1931 में गठठि जयपुर प्रजामांडल राजनीति में प्रवेश कब ककया - 1938 प्रजामांडल आांदोलन)

34. प्रजामांडल की स्थापना के बारे में 43. 1941 मेवाड़ प्रजामांडल के प्रथम अधधवेशन के सभापति ककन्हे ननयुि

- मारवाड़ प्रजामांडल -1934 ककया गया नजसमें आचायष जेबी कृ पलानी व रवजय लक्ष्मी पांकडि भी
शाममल हुई - मासणक्य लाल वमाष
- कोटा प्रजामांडल- 1938
44. कदसांबर 1945 में मेवाड़ प्रजामांडल के ननमांिण पर अखखल भारिीय
- बीकानेर प्रजामांडल -1936
देशी राज्य लोक पररर्द का सािवाां अधधवेशन कहाां हुआ - उदयपुर
35. प्रजामांडल की स्थापना के बारे में
45. उदयपुर में 7वें अखखल भारिीय देसी राज्य लोक पररर्द का की
- जैसलमेर प्रजामांडल- 1945 अध्यक्षिा ककसने की- पांकडि जवाहरलाल नेहरु

- ससरोही प्रजामांडल -1939 46. मेवाड़ के सांरवधान का प्रारूप ककसने िैयार ककया था - के एम मुश
ां ी

- अलवर -1938 47. कोटा में प्रजामांडल आांदोलन का श्रेय ककसे जािा है - नैन राम शमाष

36. राजस्थान में जन आांदोलन सवषप्रथम ककस ररयासि से प्रारांभ हुआ 48. अमभन्न हरर ने कोटा प्रजामांडल की स्थापना 1939 में कहाां की
नजसकी अध्यक्षिा नैन राम शमाष ने की थी- माांगरोल
- जोधपुर
49. 1940 में राम िलाई क्षेि में कोटा प्रजामांडल का अधधवेशन आयोनजि
37. मारवाड़ लोक पररर्द को कब गैरकाननी घोतर्ि ककया गया - माचष
ककया उसकी अध्यक्षिा ककसने की- अमभन्न हरर
1940
50. मास्टर शांभ दयाल सक्सेना, नाथलाल जैन ,श्याम नारायण
38. मारवाड़ ररयासि में सुभार् चांद्र बोस का आगमन कब हुआ- जनवरी
सक्सेना ,सेठ मोिीलाल वकील, श्रीमिी वेणी माधव का सांबांध ककस
1938
प्रजामांडल से था- कोटा
39. फलचांद बाफना ,सशवदयाल ,िुलसी दास राठी ककस लोक पररर्द के
51. राजस्थान एकीकरण के दसरे चरण के उपराज प्रमुख बने भीम ससिंह
कडक्टेटर थे नजन्हें त्रगरफ्तार ककया गया - मारवाड़
का सांबांध ककस ररयासि से था- कोटा
40. रमा देवी ,कृ ष्णा कु मारी ,दयावांिी, सारविी देवी माथुर ,सरज देवी
52. ककसान आांदोलन से सांबांधधि नमाणा ग्राम का सांबांध ककस प्रजामांडल
माथुर का सांबांध ककस प्रजामांडल आांदोलन से था - जोधपुर
से था - बांदी
41. जन 1947 में जोधपुर के महाराजा उम्मेद ससिंह की मृत्यु के बाद नए
53. 1931 में बांदी प्रजामांडल की स्थापना ककसकी अध्यक्षिा में हुई-
शासन कौन बने - हणि ससिंह
- काांतिलाल चौथानी
54. जमना लाल बजाज ने जयपुर में चचाष चरखा सांघ की स्थापना कब की 69. 1938 में भरिपुर प्रजामांडल की स्थापना गोपी लाल यादव व मास्टर
आकदत्यनाथ के िारा कहाां की गई - रेवाड़ी
- 1927
70. भरिपुर प्रजामांडल के प्रथम अध्यक्ष ककसे बनाया गया - गोपी लाल
55. 1931 में जयपुर प्रजामांडल की स्थापना कब की जो राजस्थान का
यादव
प्रथम व सबसे प्राचीन प्रजामांडल था - कपरचांद पाटनी
71. 30 कदसांबर 1940 को भरिपुर प्रजा पररर्द का पहला सम्मेलन ककस
56. 1940 में जयपुर प्रजामांडल के अध्यक्ष के सलए ननवाषत्रचि ककया गया
की अध्यक्षिा में हुआ- जय नारायण व्यास
- हीरालाल शास्त्री
72. भरिपुर प्रजा पररर्द का दसरा अधधवेशन 23 मई 1945 को कहाां
57. जयपुर प्रजामांडल का िीसरा अधधवेशन कब हुआ - अप्रैल 1938 आयोनजि ककया गया - बयाना

58. 1942 में भारि छोड़ो आांदोलन के दौरान हीरालाल शास्त्री व जयपुर के 73. िज जनप्रतिननधध सममति का गठन कब ककया गया नजसके नेिा जुगल
प्रधानमांिी नजनके बीच समझौिा हुआ - ममजाष इस्माइल ककशोर चिुवेदी व उप नेिा मास्टर आकदत्यनाथ बने - 1942

59. जब जयपुर प्रजामांडल ने भारि छोड़ो आांदोलन में भाग नहीं सलया िो 74. 1936 में धौलपुर प्रजामांडल की स्थापना ककसने की - कृ ष्ण दत्त
ककसके नेिृत्व में आजाद मोचे(1942) का गठन ककया गया - बाबा हररश्चांद्र पालीवाल

60. ककसकी मध्यस्थिा से आजाद मोचे का जयपुर प्रजामांडल में 1945 में 75. स्वामी श्रद्धानांद को ककस ररयासि में जनचेिना का कायष करने के सलए
रवलय हो गया - पांकडि जवाहरलाल नेहरू जाना चाहिा है - धौलपुर

61. पांकडि हररनारायण शमाष को ककस ररयासि में जनिा में जागृति लाने 76. िससमो काांड का सांबांध ककस प्रजामांडल से है - धौलपुर
का श्रेय कदया जािा है - अलवर
77. 1938 में त्रिलोक चांद माथुर, त्रचरांजीलाल शमाष व मानससिंह ने ककस
62. प. हररनारायण शमाष व कुां ज रबहारी लाल, मास्टर भोलानाथ ने प्रजामांडल की स्थापना की - करौली
ममलकर ककस प्रजामांडल की स्थापना 1938 में की - अलवर
78. भपेंद्र नाथ त्रिवेदी व रवनोद चांद्र के िारा 1943 में ककस प्रजामांडल की
63. जनवरी 1944 में अलवर प्रजामांडल का प्रथम अधधवेशन ककसकी स्थापना की गई- बाांसवाड़ा
अध्यक्षिा में हुआ- भवानी शांकर शमाष
79. भोगीलाल पांड्या ने डांगरपुर प्रजामांडल की स्थापना कब की - 1945
64. बाबा हररश्चांद्र ,त्रचरांजीलाल ममश्र,रवजय देशपाांडे व मुरि लाल मोदी का
80. अमृिलाल पाठक व चुन्नीलाल प्रभाकर िारा 1945 में ककस
सांबांध ककससे था - आजाद मोचाष
प्रजामांडल की स्थापना की गई - प्रिापगढ़
65. 1934 में महात्मा गाांधी ने राजस्थान का दौरा ककया था सवषप्रथम वे
81. गोकु ल भाई भट्ट व वृनद्ध शांकर त्रिवेदी ने ससरोही प्रजामांडल की स्थापना
ककस स्थान पर आई थे - अजमेर
कब की- 1939
66. अलवर के दीवान नजन्हे महात्मा गाांधी की हत्या में ममलीभगि होने के
सांदेह के कारण हटाया गया- एन.बी.ठरे

67. भरिपुर के शासक नजन्होंने रहिंदी को राजभार्ा का दजाष कदया और गाांव


व नगरों में स्वायत्तशासी सांस्थाओां को रवकससि ककया - ककशन ससिंह

68. राजस्थान एकीकरण के समय जाट झांडा खिरे में है नारा ककसने
कदया- मानससिंह
अध्याय-6 (राजस्थान का एकीकरण) 16. राजस्थान के एकीकरण के समय भरिपुर का शासक कौन था

- बृजेंद्र ससिंह
1. ररयासिों से सांबांधधि समस्याओां के समाधान के सलए ररयासिी रवभाग
की स्थापना कब की गई- 5 जुलाई 1947 17. राजस्थान के प्रथम महाराज प्रमुख महाराणा भपाल ससिंह ककस नजले
से सांबांधधि थे- मेवाड़
2. राजस्थान के एकीकरण से सांबांधधि ननम्नसलखखि पर रवचार कीनजए
एवां नीचे कदए गए कु ट का प्रयोग करिे हुए सही उत्तर का चयन कीनजए 18. 1949 में वृहद राजस्थान का प्रधानमांिी ककसे बनाया गया था

- मेवाड़ सबसे प्राचीन ररयासि थी - - हीरालाल शास्त्री

- झालावाड़ सबसे नवीन ररयासि थी 19. राजस्थान सांघ का ननमाषण 25 माचष 1948 को हुआ राजप्रमुख ककसे
बनाया गया - कोटा महाराव
- मारवाड़ क्षेिफल की दृत्रष्ट से सबसे बड़ी ररयासि थी -
20. राजप्रमुख को राज्यपाल का पद नाम कदया गया- 1956 में
- शाहपुरा क्षेि फल व जनसांख्या की दृत्रष्ट से सबसे छोटी ररयासि थी
21. मत्स्य सांघ की राजधानी ककसे बनाया गया- अलवर
3. मेवाड़ में सांरवधान का प्रारूप ककसके िारा िैयार ककया गया था- के एम
मुांशी 23. ननम्न में से राजस्थान सांघ में ककसे शाममल करके सांयुि राजस्थान
का ननमाषण ककया गया- उदयपुर
4. 1 नवांबर 1956 को पुनगषठन के समय राजस्थान में नजलों की सांख्या थी
24. सांयुि राजस्थान सांघ का राज प्रमुख ककसे बनाया गया- भपाल ससिंह
- 26
25. ससरोही का राजस्थान में रवलय कब हुआ- 26 जनवरी 1950
5. मत्स्य सांघ में कौन सा नजला नहीं था - जयपुर
26) एकीकरण के समय ककस मारवाड नरेश ने पाककस्तान में ममलने का
6. राजस्थान एकीकरण में कु ल ककिना समय लगा - 8 वर्ष 7 माह 14 कदन
प्रयास ककया- हनुमांि ससिंह
7. अजमेर मेरवाड़ा के प्रथम एवां एकमाि मुख्यमांिी थे- हरीभाऊ उपाध्याय
27. भारिीय सांरवधान पररर्द मेवाड़ से भेजे जाने वाले दो प्रतिननधध थे
9. 25 माचष 1948 को पवष राजस्थान में ककस ररयासि का रवलय हुआ
- सर टीवी राघवाचारी और मासणक्य लाल वमाष
- बाांसवाड़ा
28. राजस्थान राज्य का विषमान स्वरूप ककस िारीख से है- 1 नवांबर
10. 1 नवांबर 1956 को ननम्नसलखखि में से ककस को ममलाकर राजस्थान 1956
के एकीकरण का कायष पणष ककया गया- अजमेर व सुनेल टप्पा
29. स्विांििा के पश्चाि अजमेर मेरवाड़ा क्षेि की प्रथम रवधानसभा की
11. राजस्थान के एकीकरण श्रेय ककसको है- सरदार पटेल नजसका क्या नाम था - धारा सभा

12. स्विांििा से पवष राजस्थान की ररयासिों में शाांति एवां व्यवस्था का 30. सांयुि राजस्थान के प्रधानमांिी थे- मासणक्य लाल वमाष
उत्तरदाधयत्व ककस पर था- ए जी जी
31. वृहद राजस्थान का ननमाषण हुआ था- 30 माचष 1949 को
13. सरदार पटेल ने 6 चरणों का एकीकरण कराया था कौनसे चरण में
32. सुम्मेसलि
उन्होंने भाग नहीं सलया- सािवें चरण में
सांघ प्रधानमांिी
14. राजस्थान सांभाग के ककस राज्य के नरेश ने सवषप्रथम भारि में
1. मत्स्य सांघ - श्री शोभाराम कु मावि
सस्थम्मसलि पि पर हस्ताक्षर ककए- बीकानेर
2. राजस्थान सांघ - गोकु ल लाल असावा

3. सांयुि राजस्थान- मासणक्य लाल वमाष


33. ननम्नाांककि में से राजस्थान के एकीकरण से सांबांधधि कौन सा युग्म 48. मत्स्य सांघ की ककस ररयासि ने सांयुि वृहि् राजस्थान में रवलय में
सुमेसलि नहीं है आनाकानी की थी- धौलपुर

- राजस्थान सांघ, उदयपुर- सांयुि राजस्थान 49. मत्स्य सांघ का प्रधानमांिी ककसे बनाया गया था- शोभाराम कु मावि

- अलवर भरिपुर धौलपुर करौली- मत्स्य सांघ 50. सुनेल टप्पा जो मांदसौर नजले का भाग था का राजस्थान में रवलय
हुआ- 1 नवांबर 1956
- झालावाड़ बांदी बाांसवाड़ा डांगरपुर कोटा प्रिापगढ़ ककशनगढ़ टोंक शाहपुरा
कु शलगढ़ - राजस्थान सांघ 51. सांयुि राजस्थान का उद्घाटन ककसके िारा ककया गया था -जवाहरलाल
नेहरू
34. सांयुि वृहि् राजस्थान कब अफ्टस्तत्व में आया- 15 मई 1949
52. क्षेिफल की दृत्रष्ट से स्विांििा के समय सबसे बड़ी ररयासि कौनसी थी
35. वृहि राजस्थान की राजधानी ककसे बनाया गया- जयपुर
- मारवाड़
37. राजस्थान ननमाषण के प्रथम चरण में गठठि मत्स्य सांघ में शाममल थे
53. मत्स्य सांघ का राज प्रमुख ककसे बनाया गया- उदय भान ससिंह, धौलपुर
- अलवर भरिपुर धौलपुर एवां करौली ररयासि
54. मत्स्य सांघ का उद्घाटन कहाां ककया गया - भरिपुर के ककले में
38 ) मत्स्य सांघ का राजस्थान में कब रवलय ककया गया- 15 मई 1949
55. अजमेर मेरवाड़ा का राजस्थान में रवलय कब हुआ- 1 नवांबर 1956
39) भारि सरकार ने ककस सममति की ससफाररश पर मत्स्य सांघ को वृहि्
राजस्थान में ममलाया- डॉ शांकर देव राय सममति 56. राजस्थान सांघ का प्रधानमांिी ककसे बनाया गया था- गोकु ल लाल
असावा
40) राजस्थान के एकीकरण की प्ररक्या के समय मत्स्य सांघ की वातर्िक
आय ककिनी थी- 184 लाख रू 57. वहद राजस्थान का उद्घाटन कहाां ककया गया था- जयपुर

41) ककिने रजवाड़ों एवां राज्यों के एकीकरण से राजस्थान राज्य बना- 23 58) राजस्थान सांघ के रवलय पि पर हस्ताक्षर करिे हुए ककस महाराजा ने
कहा था कक मैं अपने डेथ वारांट पर हस्ताक्षर कर- चांद्रवीर ससिंह, बाांसवाड़ा
42) राजस्थान एकीकरण के दौर में मत्स्य सांघ कब अफ्टस्तत्व में आया
60) वृहद राजस्थान के गठन के समय सशक्षा रवभाग ककस ररयासि को
- 25 माचष 1948
प्रदान ककया गया था- बीकानेर
43) राजस्थान ननमाषण के प्रथम चरण का नाम मत्स्य सांघ रखने का
71) बीकानेर महाराजा शादुषल ससिंह ने भारि में सस्थम्मसलि होने के सलए
सुझाव ककसने- श्री के एम मुांशी "
दस्तावेजों पर कब हस्ताक्षर ककए थे- 7 अगस्त 1947
44) राजस्थान ननमाषण के रििीय चरण राजस्थान सांघ की राजधानी ककसे
72.टीकाराम पालीवाल को ककस चुनाव में राजस्थान का प्रथम ननवाषत्रचि
बनाया गया- कोटा
मुख्यमांिी बनाया गया था- 1952
45.25 और 26 जन 1946 को सवषप्रथम राजस्थान यननयन के ननमाषण का
73. पी सत्यनारायण सममति की ससफाररश पर ररयासिों में रवभागों का
सुझाव ककसने कदया था नजसका सम्मेलन उदयपुर में बुलाया गया और
आवांटन ककया गया उनमें सत्य कथन बिाइए
उसमें 22 राजा महाराजा उपस्थस्थि रहे- महाराणा भपाल ससिंह ,मेवाड़
- हाई कोटष- जोधपुर
46. राजस्थान का एकीकरण ककिने चरणों में सांपन्न हुआ- 7
- खननज रवभाग -उदयपुर
47. 30 माचष 1949 को सांयुि राजस्थान में ननम्नसलखखि चार बड़ी
ररयासिों के रवलीनीकरण के बाद वृहि् राजस्थान का गठन हुआ यह - वन व सहकारी रवभाग -कोटा
ररयासिें- जोधपुर बीकानेर जयपुर एवां जैसलमेर
74. नवांबर 1947 को ससरोही को राजपिाना एजेंसी से हटाकर ककस एजेंसी 11. सबेदार चनाराम फागकड़या का जन्म 1923 डलमास की ढाणी में हुआ
के अांिगषि रख कदया था - गुजराि यह ककस नजले में है- सीकर

75. राजस्थान एकीकरण के समय चचाष में रहा हाथल गाांव ककस 12. सेखला जनावास गाांव, जोधपुर में 1 कदसांबर 1923 को जन्मे शहीद
राजनीतिक नेिा से सांबांधधि था, जहाां उनका जन्म हुआ था- गोकु लभाई सैननक ढोकल ससिंह को मरणोपराांि कौन सा पुरस्कार प्रदान ककया गया
भट्ट
- महावीर चक्

13. तिगेकडयर रघुवीर ससिंह राजावि को राष्ट्रपति डॉक्टर सवषपल्ली

अध्याय-7 (राज्य की शौयय परांपरा) राधाकृ ष्णन ने ककस सम्मान से सम्माननि ककया- महावीर चक्

14. ननम्न में से राजस्थान के ककस वीर सेनानी को मरणोपराांि महावीर


1. राजस्थान में कोई छोटा सा राज्य भी ऐसा नहीं नजसमें थमोपोली जैसी
चक् कदया गया- सैननक ढोकल ससिंह
रणभमम में हो और शायद ही ऐसा कोई नगर ना ममले जहाां सलयोनाडष जैसे
वीर पुरुर् पैदा नहीं हुआ है यह कथन ककसका है - कनषल जेम्स टॉड 15. 26 जनवरी 1972 को महावीर चक् से सम्माननि कनषल उदय ससिंह
भाटी का सांबांध ककस नजले से रहा - शेरगढ़ ,जोधपुर
2. यह कथन ककसका है राजस्थान की भमम में ऐसा कोई फल नहीं उगा जो
राष्ट्रीय वीरिा और त्याग की सुगांध से भरपर नहीं झला हो - कनषल जेम्स 16. महावीर चक् से सम्माननि लेफ्टिनेंट कनषल हणि ससिंह का सांबांध ककस
टॉड नजले से है - बाड़मेर

3."आओ बच्चों िुम्हें कदखाएां झाांकी रहिंदुस्तान की" व "हे मेरे विन के 17. वीर सपिों को प्राप्त सम्मान के बारे में
लोगों"नामक प्रससद्ध गीि ककसने सलखा था- करव प्रदीप - लेफ्टिनेंट कनषल सवाई भवानी ससिंह -महावीर चक्
4. 1912 में लॉडष हाकडिंग को मारने के प्रयास में हुए कदल्ली बम काांड में
- ग्रुप कै प्टन चांदन ससिंह- महावीर चक्
राजस्थान के कौनसे क्ाांतिकाररयों की महत्वपणष भममका थी
- नायक सुगन ससिंह- महावीर चक्
- प्रिाप ससिंह बारहठ , जोरावर ससिंह बारहठ
18. राजस्थान के ककस वीर सेनानी को 1971 के युद्ध के बाद पाककस्तान ने
5. ससरोही में गोरविंद त्रगरी ने सांप सभा की स्थापना कब की- 1883
फक्-ए- रहिंद से नवाजा था - लेफ्टिनेंट कनषल हणि ससिंह
6. मेजर पीरू ससिंह शेखावि का जन्म 20 मई 1918 को कहाां हुआ था
19. 13 जन 1999 को िोलोसलिंगा की चोटी पर तिरांगा फहराने वाले नायक
- रामपुर बेरी झुांझुन कदगेंद्र कु मार परस्वाल को ककस सम्मान से सम्माननि ककया गया

7. 18 जुलाई 1948 को कश्मीर में पाककस्तान के कबाईसलयों से मुठभेड़ में - महावीर चक्
शहीद हुए मेजर पीरू ससिंह शेखावि को परमवीर चक् मरणोपराांि कब
20. 1999 को महावीर चक् से सम्माननि नायक कदगेंद्र कु मार परस्वाल का
ममला- 1952
सांबांध ककस नजले से है - सीकर
8. राजस्थान के ककस नजले में मेजर शैिान ससिंह का जन्म 1 कदसांबर 1924
21. राजस्थान के वीर सपिों को ममले अशोक चक् के बारे में
को हुआ था- जोधपुर
- हवलदार शांभ पाल ससिंह- 1961
9. 1962 भारि चीन युद्ध में शहीद मेजर शैिान ससिंह को ककस वर्ष
परमवीर चक् से सम्माननि ककया गया- 1963 - सबेदार लाल ससिंह व सबेदार मानससिंह -1965

10. राजस्थान के ककस वीर सपि को राजस्थान का पहला महावीर चक् - सुल्तान ससिंह राठौड़ व सबेदार सुरेश चांद्र यादव- 2003

प्रदान ककया गया - सबेदार चुनाराम फागकड़या


22. ननभषय ससिंह को पांजाब में वीरिा पवषक बसलदान के सलए 1985 में - तिगेकडयर बाघ ससिंह राठौड़- बीकानेर
अशोक चक् से सम्माननि ककया गया इन का सांबांध ककस नजले से था
- कै प्टन नरपि ससिंह राठौड़ -जोधपुर
- झालावाड़
- मेजर रणवीर ससिंह शेखावि- झुांझुन
23. 2006 में कीतिि चक् से सम्माननि मेजर जेम्स थॉमस का सांबांध ककस
37. सीकर के कै प्टन महेंद्र ससिंह िांवर को मरणोपराांि 1965 में भारि
नजले से है- बीकानेर
सरकार ने कौन सा अलांकरण से नवाजा था - अशोक चक्
24. जमादार छोट ससिंह िथा कै प्टन अररविंद बुरड़क को ककस सम्मान से
38. राजस्थान के वीर सपिों को ममले सम्मान के बारे में
सम्माननि ककया गया था- शौयष चक्
- मेजर भानु प्रिाप ससिंह- सेना मेडल
25. कारत्रगल युद्ध में भाग लेने वाले स्क्वाड्रन लीटर अजय आहूजा िथा
नायब सबेदार रामपाल ससिंह को ककस सम्मान से सम्माननि ककया गया - मेजर सुरेंद्र पननया -रवसशष्ट सेवा

- वीर चक् - कनषल सुमेर ससिंह -शौयष चक्

26. करव प्रदीप का मल नाम था- राम नारायण रिवेदी

27. रामचांद्र नारायण रिवेदी का जन्म 6 फरवरी 1915 को उज्जैन के


बड़नगर में ककस राज्य में हुआ- मध्य प्रदेश

28. पुलवामा हमला कब हुआ था - 14 फरवरी 2019

29. पाककस्तानी ने भारिीय वायुसेना के रविंग कमाांडर अमभनांदन को


भारि को कब सौंपा था - 1 माचष 2019

30. पुलवामा हमले में सीआरपीएफ जवानों पर हमला करने का


नजम्मेवारी जैश-ए- मोहम्मदा ने ली इसमें राजस्थान के ककिने वीर सपि
शहीद हुए थे- 5

31. 15 अगस्त 2019 को रविंग कमाांडर अमभनांदन को कौन सा पुरस्कार


कदया गया- वीर चक्

32. रविंग कमाांडर अमभनांदन ने पाककस्तान के F-16 फाइटर प्लेन को ककस


लड़ाक रवमान से मार त्रगराया था- Mig-21

33. पाककस्तान से लौटने के बाद रविंग कमाांडर अमभनांदन की पहली


पोस्स्टिंग राजस्थान में कहाां की गई - सरिगढ़

34. पुलवामा हमले में शहीद राजस्थान के जवानों के सांबांध में कौन सा
युग्म सही सुमेसलि नहीं है - नारायणलाल- धौलपुर

35. पुलवामा हमले में शहीद हुए राजस्थान के जवान भागीरथ का सांबांध
ककस नजले हैं- धौलपुर

36. राजस्थान के शौयष चक् प्राप्त वीर सेनाननयों


10. इतिहास को िीन कालों में रवभि ककया जािा है नजनमें मुख्य है

CLASS 10 - प्राक युग- यह युग सृत्रष्ट के आरांभ से हड़प्पा सभ्यिा के पवष िक था

- आद्य युग-यह युग हड़प्पा सभ्यिा के काल से 600 ईसवी पवष िक रहा

- ऐतिहाससक युग - यह युग 600 ईसवी पवष से विषमान िक जारी है


अध्याय-1 (राजस्थान का इतिहास एक पररचय)
11. 1870 ईस्वी में सी.ए. हैकेट ने सवषप्रथम कहाां से पत्थर से बनी पवष
PART -1 पार्ाण कालीन हस्त कु ठार(Hand-axe) खोजी थी- जयपुर और इांदरगढ़

1. सन 1800 में सवषप्रथम राजस्थान के सलए राजपिाना शब्द का प्रयोग 12. बी आल्ल्चन ने ककस क्षेि में पवष पार्ाण काल के उपकरण की खोज की
ककसने ककया- जाजष थॉमसन थी- जालौर

2. कनषल जेम्स टॉड ने अपनी पुस्तक एनर्ल् एांड एांटीन्धिटीज ऑफ 13. ककस काल के पत्थर के बने छोटे उपकरणों को माइक्ोसलथ (लघु
राजस्थान मे रायथान या राजस्थान नाम ककस वर्ष कदया- 1829 पार्ाण) उपकरण कहा गया- मध्य पार्ाण काल

3. प्राचीन समय में जाांगल देश कौनसा क्षेि के अन्तगषि आिा था 14. भीलवाड़ा के बागोर और मारवाड़ के तिलवाड़ा नामक स्थानों से प्राप्त
उपकरण ककस काल के हैं- नवपार्ाण काल
- बीकानेर और नागौर के आसपास का क्षेि
15. राजस्थान में िाम्र व िाम्र काांस्य कालीन अवशेर्ों के बारे में
4. मरु और मरुवार के नाम से कौन सा क्षेि जाना जािा था - जोधपुर
- कु राड़ा -नागौर
5. जयपुर अलवर भरिपुर िक रवस्तृि मत्स्य प्रदेश की राजधानी थी
- साबसणया व पगल -बीकानेर
- रवराटनगर
- कोल महोली -सवाई माधोपुर
6. ननम्न में से ककन नजलों का भाग प्राचीन समय में शरसेन राज्य के
अांिगषि आिा था नजसका उल्लेख महाभारि में भी ममलिा है- भरिपुर 16. राजस्थान में िाम्र व िाम्र काांस्य कालीन अवशेर्ों के बारे में
धौलपुर करौली - नांदलालपुरा -जयपुर
7. सुमेसलि बिाइए - ककराड़ोि चीथवाड़ी-जयपुर
- माही नदी के पास का प्रिापगढ़ का काांठल कहलािा था - रपिंड पाडसलया- त्रचत्तौड़गढ़
- प्रिापगढ़ बाांसवाड़ा के मध्य का भभाग छप्पन का मैदान 17. राजस्थान में िाम्र व िाम्र काांस्य कालीन अवशेर्ों के बारे में
- भैसरोडगढ़ से लेकर रबजोसलया िक का क्षेि ऊपर माल - गणेश्वर- सीकर
8. ककस नजले को प्राचीन समय में माांड ल वल्ल के नाम से जाना जािा था - कालीबांगा -हनुमानगढ़
- जैसलमेर - आहाड़, झाड़ोल- उदयपुर
9. सत्य बिाइए 18. राजस्थान में िाम्र व िाम्र काांस्य कालीन अवशेर्ों के बारे में
- डांगरपुर बाांसवाड़ा क्षेि बागड़ कह लािा था - बुड्ढा पुष्कर -अजमेर
- कोटा बांदी का प्रदेश हाडोिी के नाम से प्रससद्ध था - एलाना -जालौर
- सीकर झुांझुनां व चरू का क्षेि शेखावटी नाम से जाना जािा था - मलाह-भरिपुर
19. ककस सभ्यिा का सांबांध लोह युगीन सभ्यिा से है - चौथा स्तर हड़प्पा सभ्यिा के समकालीन है

- नोह,भरिपुर 27. ककस सभ्यिा से प्राप्त कतिस्तान से एक बच्चे के कां काल की खोपड़ी से 6
त्रछद्र ममले हैं नजससे मफ्टस्तष्क शोध बीमारी के इलाज का प्रमाण माना
- जोधपुरा, जयपुर
जािा है - कालीबांगा
- रेढ, टोंक
28. कालीबांगा सभ्यिा के बारे में
20. राजस्थान में ककस क्षेि से प्राप्त लोहे के अवशेर् भारि में लोहा युग के
- यह एक नगरीय सभ्यिा थी
आरांभ होने की सीमा रेखा ननधाषररि करने के महत्वपणष स्त्रोि है
- बिषनों के रांग लाल नजन पर काली और सफे द रांग की रेखाएां खींची ममली
- नोह,भरिपुर
है
21. राजस्थान के ककन सभ्यिाओां से लोहे गलाने की भकट्टया और अस्त्र-
- जिे हुए खेि के साक्ष्य ममले हैं
शस्त्र उपकरण बनाने के कारखानों के अवशेर् ममले हैं - सुनारी, जोधपुरा
29. ककसका सांबांध आहड़ सभ्यिा से रहा
22. लोहे की प्रचुरिा के कारण ककस सभ्यिा को प्राचीन राजस्थान के
टाटानगर की सांज्ञा दी गई है- रैढ, टोंक - अक्षय कीतिि व्यास

23. राजस्थान की ककन सभ्यिाओां से सलेटी रांग के त्रचि मृदभाांड - रिन चांद्र अग्रवाल
सांस्कृति(Painted Grey Ware)के अवशेर् ममले हैं
- एचडी सांकसलया
– रवराटनगर ,जोधपुरा , सुनारी ,नोह
30.ककस सभ्यिा को धलकोट व आघाटपुर के नाम से जाना जािा है- आहड़
24. कालीबांगा सभ्यिा के बारे में
31. अक्षय कीतिि व्यास ने आहड़ सभ्यिा की खोज कब की- 1953
- यह सभ्यिा िर्ििी व सरस्विी नदी घाट (विषमान घग्घर नदी) के क्षेि में
32. ककस सभ्यिा के लोग मृिकों को गहनों व आभर्ण के साथ दफनािे थे
हड़प्पा सभ्यिा से भी प्राचीन रवकससि हुई
जो इनकी मृत्यु के बाद भी जीवन की अवधारणा का समथषन होने का
- यह हनुमानगढ़ नजले में है प्रमाण है - आहड़ सभ्यिा

- पांजाबी भार्ा में कालीबांगा का अथष है काले रांग की चकड़याां 33. कालीबांगा सभ्यिा के बारे में

25. कालीबांगा सभ्यिा के बारे में - लाल काले ममट्टी के बिषन बनाने वाली सांस्कृति का प्रमुख कें द्र था

- 1952 में अमलानांद घोर् ने ककसकी खोज की - इसका दसरा नाम था िाम्रविी नगरी ममलिा है

- 1961-62 में बीबी लाल व बी.के . थापर एवां एमडी खरे ने इसका उत्खनन - उत्खनन से प्राप्त ठप्पो से यहाां रांगाई छपाई व्यवसाय की उन्नि होने का
करवाया अनुमान लगाया जािा है

- उत्खनन में सभ्यिा के 5 स्तर सामने आए - कालीबांगा की िरह मकान बनाने में धप में सुखाई गई ईंटों व पत्थर का
प्रयोग करिे थे
- कालीबांगा की सभ्यिा को दो भागों में बाांटा गया प्राक हड़प्पा सभ्यिा व 2.
हड़प्पा सभ्यिा - इस सभ्यिा का उत्खनन रिन चांद्र अग्रवाल व एचडी सांकसलया के
ननदेशन में हुआ
26. कालीबांगा के उत्खनन में 5 स्तर के प्रमाण माने गए ,

- प्रथम दो स्तर िो हड़प्पा सभ्यिा से प्राचीन है

- िीसरा स्तर हड़प्पा सभ्यिा के समकालीन है


34. उदयपुर कक वह सभ्यिा जो आयड़ नदी के ककनारे 4000 वर्ष पुरानी - काले व नीले रांग के बिषन नजन्हें कृ पर्वणी मृदपाि कहिे थे
पार्ाण धािु युि सभ्यिा के अवशेर् के रूप में सामने आई - आहाड़
42. ककस सभ्यिा से एक रोमन ऐम्फोरा(सुरापाि) व एक यनानी सुराही
35. वह सभ्यिा कौनसी है नजसका राजसमांद नजले के बनास नदी के िट ममली जो इसके रवदेशी व्यापार का कें द्र होने की पुत्रष्ट करिा है- भीनमाल
पर 1957-58 में बीबी लाल के ननदेशन में उत्खनन ककया गया- त्रगलुांड
43. भीनमाल जालौर के सभ्यिा का उत्खनन ककसके िारा करवाया गया
36. त्रगलुण्ड सभ्यिा के बारे में
- आरसी अग्रवाल
- उत्खनन से िाम्रयुगीन सभ्यिा के अवशेर् ममले हैं, नजसका समय 1900-
44. ककस क्षेि का प्राचीन नाम श्रीमाल था- भीनमाल
1700 ई.प. पवष ननधाषररि ककया गया है
45. ईसवाल सभ्यिा ककस नजले में है जहाां से समृद्ध लौह उद्योग के साक्ष्य
- आग में पकी हुई ईंटों के उपयोग ममले हैं
प्राप्त हुए - उदयपुर
- पाांच प्रकार के ममट्टी के बिषन ममले हैं काले,सादे, पॉसलशदार, भरे,लाल व
46. मत्स्य जनपद की राजधानी बैराठ ककस नजले में स्थस्थि है- जयपुर
काले त्रचत्रिि मृदभाांड
47. राजस्थान में ककस सभ्यिा से मौयषकाल व बौद्ध धमष के अवशेर् प्राप्त
- 1998 से 2003 ईस्वी के मध्य पुणे के डॉक्टर वीएस सशिंदे िथा
हुए हैं- बैराठ
पेंससलवेननया रवश्वरवद्यालय (अमेररका) के प्रोफे सर ग्रेगरी पोशल के
ननदेशन में उत्खनन ककया गया 48. जयपुर में स्थस्थि बैराठ सभ्यिा के बारे में

37. भीलवाड़ा में बागोर सभ्यिा ककस नदी के ककनारे है - कोठारी - सभ्यिा की खोज 1936-37 दयाराम बहादुर साहनी ने की 2.उत्खनन
कायष नील रत्न बनजी िथा कै लाशनाथ दीसक्षि ने की
38. 1967 से 1970 िक डॉ बीएन ममश्रा ने कोठारी नदी के िट पर ककस
सभ्यिा का उत्खनन कायष ककया - बागोर - बैराठ से गोल मांकदर व अशोक के स्तांभ के अवशेर् प्राप्त हुए

39. ककस सभ्यिा के उत्खनन से प्रागैतिहाससक काल की सभ्यिा के - बैराठ के समीप अशोक का भाि अमभलेख प्राप्त हुआ है
अवशेर् प्राप्त हुए हैं जो 4000 से 5000 ईसा पवष के माने जािे है-बगोर 49. ककस सभ्यिा से अशोक का भाि अमभलेख प्राप्त हुआ है, जो अशोक के
40. मध्य पार्ाण कालीन सभ्यिा का स्थल और लघु पार्ाण उपकरण का बौद्ध धमष का अनुयाई होने का सबसे पुख्ता प्रमाण माना जािा है- बैराठ
प्रमुख कें द्र िथा जहाां से कृ तर् व पशुपालन के प्राचीनिम साक्ष्य प्राप्त हुए हैं 50. प्राचीन सभ्यिाओां के बारे में
- बागोर - रांग महल- हनुमानगढ़
41. सीकर में काांिली नदी के ककनारे स्थस्थि गणेश्वर सभ्यिा के बारे में - ओसझयाना- भीलवाड़ा
- इसका उत्खनन 1972 में रिन चांद्र अग्रवाल के ननदेशन में हुआ - नगरी -त्रचत्तौड़
- यह 2800 साल पवष की सभ्यिा है 51. प्राचीन सभ्यिाओां के बारे में
- इसे िाम्र युगीन सभ्यिा की जननी व िाम्र सांचयी की सभ्यिा कहा जािा - तिलवाड़ा -बाड़मेर
है
- नगर -टोंक
42. गणेश्वर सभ्यिा के बारे में
- बालाथल -उदयपुर
- यहाां से प्राप्त िाांबे के उपकरणों के पािों में 99 प्रतिशि िाांबा है
52. राजस्थान में आयष सांस्कृति/ वैकदक सभ्यिा के अवशेर् कहाां से ममले हैं
- यहाां से िाांबा हड़प्पा व मोहनजोदड़ो भेजा जािा था
- अनपगढ़ , िरखान वाला डेरा , चक 84
अध्याय-1 (राजस्थान का इतिहास एक पररचय) 10.डॉक्टर गौरीशांकर हीराचांद ओझा सी.वी. वैद्य ने राजपिों को ककसकी
सांिान माना है - वैकदक आयों की सांिान
PART -2 11.पृथ्वीराज रासो ग्रांथ के लेखक चांद्र बरदाई के अनुसार अफ्टि कुां ड से ककस
जाति की उत्पत्रत्त नहीं मानी गई है - राठौड़
1. अांगुिर ननकाय में हमें 16 महाजनपदों की जानकारी प्राप्त होिी है इसका
सांबांध ककस धमष से है- बौद्ध धमष 12.ककस इतिहासकार ने गुरहल राजपिों की उत्पत्रत्त नागर िाह्मण से बिाइए

2.राजस्थान के ककस क्षेि को सशरव जनपद कहिे थे- त्रचत्तौड़ के आसपास - डी.आर. भांडारकर
का क्षेि
13.ककस इतिहासकार ने रबजोसलया सशलालेख में वासुदेव चौहान के
3.327 ई.प.पवष में ककस आक्मण के कारण सुरक्षा और अफ्टस्तत्व की रक्षा उत्तराधधकारी सामांि को वत्स गोि के िाह्मण बिाया है- डॉ. दशरथ शमाष
के सलए पसश्चमोत्तर सीमा से कु छ कबीले मालव,यौधेय और अजुषन
14.ककसी इतिहासकार ने रबजोसलया सशलालेख में राजपिों के िाह्मण वांशी
राजस्थान में आकर बसे थे - ससकां दर
होने के साक्ष्य माना है- डी.आर. भांडारकर
4.आयष जैन के रूप में मत्स्य जाति (मत्स्य जनपद)का उल्लेख सवषप्रथम
15.ककस इतिहासकार ने मेवाड़ के गुरहलोिों को नागर जाति के िाह्मण
ककस में ममलिा है - शिपथ िाह्मण में
गुहदेत्त का वांशज बिाया है- गोपीनाथ शमाष
5.ननम्न में से ककस में मत्स्य जनपद की जानकारी नहीं ममलिी है
16.गुरहल वांश के शासको ने ककस क्षेि मे राज ककया था- मेवाड
- अांगुत्तरननकाय
17.गुरहल वांश को ईरान के शासक नौशेखा से सांबांधधि माना है- अबुल
6.मत्स्य जनपद के बारे में फजल

- महाभारि काल में मत्स्य जनपद के राजा रवराट ने रवराटनगर को 18.गुरहल वांश की उत्पत्रत्त से सांबांधधि
अपनी राजधानी बनाई
- कनषल टॉड इन्हें वल्लभी " के शासकों से सांबांधधि माना है।
- रवराट की पुिी उत्तरा का रववाह अजुषन के पुि अमभमन्यु के साथ हुआ
- नैणसी व गोपीनाथ शमाष इन्हें िाह्माण होने का मि प्रतिपाकदि करिे हैं।
- अमभमन्यु के पुि परीसक्षि कालाांिर में पाांडवों के राज्य का उत्तराधधकारी
- गौरीशांकर हीराचन्द के अनुसार 566 ई० में गुरहल शासन स्थारपि ककया
बना
19.गुरहल के बाद मेवाड के प्रिापी शासक बने थे- बप्पा रावल
- मत्स्य प्रदेश में जयपुर अलवर धौलपुर करौली भरिपुर के कु छ भाग
सस्थम्मसलि थे 20.बप्पा रावल ने 734 मे त्रचिौड़, शासक मानमोरी को परास्त अधधकार
ककया, इसकी जानकारी ममलिी है- राज प्रशफ्टस्त
- मत्स्य प्रदेश का रवस्तार दसक्षण में चांबल की पहाकड़यों िक और पसश्चम में
पांजाब में सरस्विी नदी के जांगलों िक था 21.बप्पा रावल ने मेवाड की राजधानी ककसे बनाया - नागदा

7.राजस्थान के ककस प्रदेश में साल्व जाति रहिी थी नजसके बीच अस्पष्ट 22.कै लाशपुरी में एकसलिंगजी (लकु लीश) मन्दन्दर का ननमाषण ककस शासक
सीमा को लेकर मत्स्य जनपद से सांघर्ष होिा रहिा था- अलवर ने करवाया- बप्पा रावल

8-.ककस महाजनपद ने मत्स्य जनपद पर आक्मण कर उसे अपने क्षेि में 23.गौरीशांकर हीराचन्द्र ओझा के अनुसार बप्पा रावल का वास्तरवक नाम
शाममल कर सलया था , लेककन वह अधधक समय िक इसके अधधकार में भा- कालभोज
नहीं रह सका - चेकद 24. बाछघोर् क्या है- बुद्धचररि िारा सलखखि पुस्तक
9.मत्स्य जनपद को अांतिम रूप से ककसने अपने साम्राज्य में शाममल कर
सलया था- मगध
25.ककस इतिहासकार के अनुसार बप्पा ककसी राजा का नाम नही अरपिु - जालौर दुगष - जलालाबाद
खखिाब था- श्यामलदास
- ससवाणा दुगष - खैराबाद
26.बप्पा रावल की िुलना चार्ल् माटषल (फ्राांसससी सेनापति, नजसने यरोप
40. हम्मीर सससोकदया ने ससिंगोली के युद्ध में मुहम्मद रबन िुगलक को
मे सवषप्रथम मुसलमानो को परास्त ककया था) से करिे हैं- सी.वी. वैद्य
हराया, यह ककस नजले में है- बासवाड़ा
27.मेवाड़ के शासको के शासनकाल के बारे में सही कम बिाइये
41.त्रचिौड़ को मेवाड की राजधानी बनाने वाला शासक था - जैिससिंह
- जैिससिंह, िेजससिंह रिनससिंह
42.राणा हम्मीर ने मेवाड़ में सससोकदया वांश की नींव कब डाली- 1326 ई.
28.जैिससिंह व इल्तुिममश के बीच भिाला का युद्ध कब हुआ - 1227 ई0
43.मेवाड़ का उद्धारक ककस शासक को कहा जािा है- हम्मीर सससोकदयाां
29.भिाला के युद्ध की जानकारी जयससिंह सरी के ककस ग्रन्थ से ममलिी है।
44.ककस शासक को कीतिि स्तम्भ प्रशफ्टस्त में रवर्मघाटी पांचानन की सांज्ञा
- हम्मीर मदमदषन दी गई है- हम्मीर

30.गौरीशांकर हीराचन्द ओझा ने ककस मेवाड़ शासक कदल्ली के गुलाम 45.महाराणा लाखा मेवाड के शासक कब बने- 1382 ई.
वांशो के सुल्तानों के समय का प्रिापी - शासक माना है, नजसकी वीरिा की
46.लाखा की पत्नी हांसाबाई ककसकी बहन थी- रणमल
प्रशांसा उसके रवरोधधयो ने भी की है।- जैिससिंह
47.राजस्थान का भीष्म रपिामह' ककसे कहा जािा है - कुाँ वर चड़ा
31. हम्मीर मदमदषन मे इल्तुिममश को कहा गया है।- हम्मीर
48.14वीं शिाब्दी मे ककस शासक के समय जावर में चाांदी व सोने की खान
32.रावल शाखा का अस्न्तम मेवाड, शासक था - रिनससिंह
ननकली- राणा लाखा
32.जैिससह का मेवाड, शासक के रूप मे शासनकाल था- 1213-1253
49.राणा लाखा के काल में ककस झील का ननमाषण उदयपुर मे एक 'रपच्छ/
33.त्रचिौडगढ़ दुगष का प्रथम साका कब हुआ - 1303 ई. छीिर नामक बनजारे ने करवाया - रपछोला.

34.1540 ई. में मसलक मोहम्मद जायसी ने ककस ग्रन्थ में अलाउदीन, 50. राणा लाखा व रणमल की बरहन हांसाबाई का पुि था- मोकल
खखलजी के त्रचिौङ आक्मण का कारण रावल रिन ससिंह की पत्नी
51.राणा मोकल के बारे मे असत्य कथन बिाइये
पद‌ममनी को प्राप्त करना बिाया है नजसके समथषक डा. दशरथ शमाष है।
- 1421 ई० मे मेवाड के शासक बने
- प‌द्मावि
- चड़ा सरक्षक बना लेककन बाद में - मेवाड, छोड़कर माांड चला गया
35.गोरा व बादल का सांबांध ककस साके से था- त्रचिौडगढ,
- 1433ई० मे मोकल की हत्या चाचा व मेरा एवां महपा पवार ने की
36.त्रचिौड़ दुगष ( 1303 ई०) के साके की जानकारी ककस ग्रन्थ में मे ममलिा
है- खजाईन-उल-फु िुह 52.महाराणा कु म्भा का शासन कालकम बिाइये - 1433-1468

37.रानी प‌द्मद्मनी ने ककिनी मरहलाओां के साथ त्रचिौडडुगष में जौहर ककया था 53.कुां भा ने ककसान युद्धमें मालवा के शासक महमद खखलजी प्रथम को
हराया था- साांरगपुर
- 1600
54.कुां भा ने मारवाड. से मण्डोर कब छीना था - 1453
38.अलाउदीन खखलजी ने त्रचिौड़ दुगष पर अधधकार कर उसका प्रशासक
ककसे ननयुि ककया- खखज्रखाां 55. ककस मारवाड शासक ने अपनी पुिी श्रृांगारदेवी का रववाह कुां भा के पुि
रायमल से ककया- राव जोधा
39.अलाउद्दीन खखलजी िारा बदले गए दुगो के नाम मे

- त्रचिौडगढ - खखजाबाद
56.कुां भा के रवरुद्ध 1456 में मालवा व गुजराि के शासको के बीच चम्पानेर - रहन्द बादशाह-मालदेव
की सन्धि हुई- महमद खखलजी प्रथम व कु िुबुद्दीन
5. साांगा िारा लड़े गए युद्धों का सही क्म बि बिाइये
57.ककसके अनुसार कु भा को मेवाड के 84 मे से 32 दुगो का ननमाषणकिाष
- खािौली, बाड़ी, गागरौन
माना गया है- श्यामलदास
6. पृथ्वीराज, जयमल व राजससिंह का सबांध ककससे था - साांगा से
58.कु म्भा िारा ननममिि कुां भलगढ़ दुगष का सशल्पी था - मण्डन
7. जब राणा साांगा 1509 ई. मे गद्दी पर बैठा उस समय मालवा शासक थे।
59.कु भा ने ककस दुगष में कुां भस्वामी िथा श्रृांगार चवरी मन्दन्दर का ननमाषण
करवाया- त्रचिौड़-दुगष - नाससरुदीन

60.ककस शासक ने जयदेव के गीि गोरवन्द टीका में गुरहलोि नागर िाह्मण 8. गागरौन युद्ध (1519) में राणा साांगा ने महमद खखलजी के रवरुद्ध
गुहेदत्त की सन्तान स्वीकार ककया है- कु भा ककसकी सहायिा की - मेकदनीराय

61.एकसलिंग महात्म्य ग्रन्थ के लेखक है- कान्हा व्यास 9. खािौली का युद्ध 1517 मे हुआ यह विषमान मे ककस नजलें में है- कोटा

62.कुां भा ने ककन गन्थों पर टीका सलखी थी- गीि गोरवन्द, सांगीि रत्नाकार 10. बाड़ी युद्ध (1518) में साांगा ने ककसको हराया था - इिाहीम लोदी

63.ननम्न मे से ककस ग्रन्थ की व्याख्या कु भा ने की थी- चण्डीशिक 11. पानीपि का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल 1526 को ककस-ककस के बीच हुआ

64.कुां भा के काल में अत्रि व महेश ने ककस प्रशफ्टस्त की रचना भी - बाबर व इिाहीम

- कीतििस्तम्भ प्रशफ्टस्त 12. खानवा युद्ध 17 माचष 1527 ई. के युद्ध में बाबर ने ककस शासक को
हराया था - राणा साांगा

13. ननम्न में से ककस युद्ध मे राणा साांगा को ने बाबर को हराया था


अध्याय-1 (राजस्थान का इतिहास एक पररचय) - बयाना युद्ध-16 फरवरी 1527

PART -3 14. राणा साांगा के बारे मे

1. राजगुरू, हालगुरू, अमभनव भारिाचायष, रहन्द सुरिाण दान गुरु की - मृत्यु 30 जनवरी 1528
उपाधध से सम्माननि शासक थे - कु म्भा - मृत्यु बसवा (दौसा) मे हुई
2. कुां भा के बारे मे - समाधध व छिरी माण्डलगढ़ में है।
- कु भा 1433 मे मेवाड़ की गदी पर बैठा 15. राणा साांगा के बाद मेवाड़ के शासक बने थे - रिनससिंह
- सारांगपुर युद्ध रवजय के बाद रवजय स्तम्भ का ननमाषण करवाया 16. पन्नाधाय ने अपने पुि चन्दन का बसलदान देकर मेवाड के ककस
- अस्न्तम समय मे उन्माद रोग हो गया था शासक को बनवीर से बचाया था- उदयससह

3. महाराणा साांगा मेवाड की गद्दी पर कब बैठे - 1509 17. कथन

4. सत्य - उदयससह को बनवीर से बचाकर कुां भलगढ़ दुगष में रखा गया

- रहन्दपि - साांगा - उदयससह का 1537 ई में मालदेव के सहयोग से कुां भलगढ़ में राज्यामभर्ेक
हुआ
- रहन्द सुरिाण - कु म्भा
- उदयससह ने उदयासागर झील व मोिी मगरी महलो का ननमाषण करवाया
18. जयमल व फत्ता मेवाड़ के ककस शासक के सेनापति थे- उदयससहां 35. मेवाड. मुगल सन्धि के समय मेवाड़ के शासक थे- अमरससिंह

19. उदयससिंह ने उदयपुर शहर कब बसाया - 1559 36. मेवाड़ के शासक राजससिंह का कालक्म बिाइये- 1652-1680

20. अकबर ने त्रचिौड़ दुगष पर आक्मण कब ककया जो त्रचिौड़ का िीसरा 37. राजससिंह ने कहाां की राजकु मारी चारुमति से औरांगजेब के रवरुद्ध
साका कहलािा है- 1567 ई. जाकर रववाह ककया- ककशनगढ़

21. अकबर ने त्रचिौड़ दुगष के आक्मण के समय जयमल - फिा की वीरिा 38. महाराणा प्रिाप के बारे मे
से प्रभारवि होकर ककस ककले के बाहर उनकी हाथी पर सवार पत्थर की
- जन्म - 9 मई 1540 ई.
मतििया लगवाई- . आगरा
- राज्यामभर्ेक- 1572 ,गोगुन्दा
22. राणा उदयससिंह ने मावली युद्ध में ककसे मारकर मेवाड. गद्दी प्राप्त की
- रपिा - उदयससिंह
- बनवीर
39. जब महाराणा प्रिाप का दसरी बार कुां भलगढ़ मे राज्यामभर्ेक हुआ िब
23. अमरससिंह ने ककस वर्ष प्रिाप के रवरुद्ध अमभयान कर रहे अब्दुरषहीम
कदल्ली के शासक थे- अकबर
खानखाना के पररवार की मरहलाओां को शेरपुर मुगल सशरवर से बांदी
बनाया था- 1580 40. अकबर िारा प्रिाप को समझाने के सलए भेजे गये सशष्टमण्डल के बारे

24. कदवेर युद्ध (अक्टबर 1582) में अमरससिंह िारा ककस मुगल सबेदार को - प्रथम सशष्टमण्डल - जलाल खाां
मार त्रगराया था - सुल्तान खाां - रििीय- मानससिंह,
25. कदवेर युद्ध को मेवाड के मेराथन की सांज्ञा ककसने दी थी- कनषल जेम्स - चिुथष- टोडरमल
टॉड
41. 18 जन 1576 को हल्दीघाटी युद्ध मे प्रिाप की सेना के हरावल दस्ते का
26. महाराणा प्रिाप ने चावण्ड को राजधानी कब बनायी जो अगले 12 वर्ष नेिृत्व ककसने ककया - हकीम खाां सरी
िक रही- 1585
42. हल्दीघाटी युद्ध में ककसने महाराणा प्रिाप को सकां ट मे देखकर उनका
27. महाराणा प्रिाप की छिरी व उनका अस्न्तम सांस्कार कहाां हुआ था मुकुट धारण ककया - साला बींदा
- बाडोली 43. हल्दीघाटी युद्ध के बारे गे कहे गए इतिहासकारो के बारे मे
28. यह ककसका कथन है कक आल्पस पवषि के समान अरावली में कोई भी - खमनौर का युद्ध - अबुल फजल
ऐसी घाटी नही जो प्रिाप के ककसी न ककसी वीर कायष, उज्ज्वल रवजय या
- गोगुन्दा का युद्ध - बदाांयनी
उससे अधधक कीतिियुि पराजय से परवि न हुई हो- कनषल जेन्सरॉड
- हल्दीघाटी का युद्ध (मेवाड की धमोपल्ली ) - कनषल जेम्स टॉड
29. महाराणा प्रिाप की शासन अवधध बिाइये- 1572-1597
44. 1679 ई औरांगजेब के जनजया कर का रवरोध ककसने ककया था
30. महाराणा प्रिाप की जब मृत्यु हुई उस समय उनकी आयु थी - 57 वर्ष
- राजससिंह
31. हल्दीघाटी युद्ध मे मुगल सेनापति था- मानससिंह
45. मुगल- मारवाड सांघर्ष में राजससिंह की स्थस्थति रही थी- उसने राठौडो
32. महाराणा प्रिाप के बाद अमरससिंह मेवाड के शासक कब बने - 1597
का साथ कदया
33. 1613 ई. मे जहााँगीर अजमेर पहुाँचकर मेवाड के रवरुद्ध अमभयान
46. गोमिी नदी के पानी को रोककर राजससिंह ने राजसमांद झील का
ककसके नेिृत्व मे करिा है- खुरषम
ननमाषण करवाया इसके बारे मे
34. मुगल- मेवाड. सन्धि कब हुई - 5 फरवरी 1615 ई.
- झील के उिरी ककनारे पर नौ चौकी की पाल स्थस्थि है 12. रावल सुखराज, सजा व देवीदास ककस शासक के सहयोगी थे

- राजप्रशफ्टस्त की रचना रणछोड़ भट् िारा दी गई - चन्द्रसेन

- 25 काले सांगमरमर सशलायो पर उत्तीणष यह प्रशफ्टस्त रवश्व की सबसे बड़ी 13. अकबर ने ककस अवधध में जोधपुर को खालसा घोतर्ि ककया था
प्रशफ्टस्त है।
- 1581-83

14. मारवाड का रपिृहन्ता ककस शासक को कहा जािा है- मालदेव

अध्याय-1 (राजस्थान का इतिहास एक पररचय) 15. त्रगरी सुमेल युद्ध मालदेव व शेरशाह सरी के बीच कब हुआ- 5 जनवरी
1544
PART -4
16. जैसलमेर के राम लणकरण की पुिी ऊमादे जो इतिहास में रूठीरानी
के नाम से प्रससद्ध थी, ककसकी पत्नी थी - मालदेव

1. कनषल जेम्स टॉड ने राठौड़ों की वांशावसलयों के आधार पर राठौड़ों की 17. बीकानेर शासक राव जैिसी को मालदेव ने ककस युद्ध मे हराया .
उत्पत्रत्त माना है- सयषवांशी
- पाहेबा साहेबाां
2. मारवाड़ के राठौड़ वांश का सांस्थापक व मल पुरुर् (आकद पुरुर्) थे नजन्हें
18. जैिा व कां पा ककस युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए नजसमे शेरशाह सरी को
कन्नौज के गहङवाल जयचांद का वांशज माना जािा है- राव सीहा
कहना पड़ा 'एक मुट्ठी बाजरे के सलए मैं रहन्दुस्तान "की बादशाहि खो
3. मांडोर को राजधानी बनाने वाला राठौड़ शासक था - राव धुहङ देिा।" - त्रगरी सुमेल युद्ध

4. जोधपुर की चाांद बावड़ी का ननमाषण ककस राठोर शासक की पत्नी ने 19. जब शेरशाह सरी ने हुमायाँ को हराकर भगा कदया िो उसे जोधपुर के
करवाया था- राव चड़ा ककस शासक के पास शरण लेना चाहिा था - राव मालदेव

5. कौनसा मारवाड. शासक पांगल के भाकटयो िारा 1423 ई. में मारा गया 20. मालदेव ने अपने ककस पुि को उदयससिंह व राम के ज्येष्ठ होिे हुए भी
था - शव चड़ा उत्तराधधकारी ननयुि ककया - चन्द्रसेन

6. रणमल का प्रभाव मेवाड की शासन व्यवस्था पर कब िक रहा- 1438 21. शाहजहाां के उिराधधकार सांघर्ष में जसवन्त ससिंह ने ककसका साथ कदया
था- दारा का
7. मारवाड. के शासको का सही कालक्म बिाइयें
22. जसवन्त ससिंह की मृत्यु नवम्बर 1678 को कहाां हुई थी - जमरूद्ध
- राव चड़ा, राव कान्हा, राव रणमल, राव जोधा
23. सरि ममश्र, नरहररदास, नवीन करव, बनारसीदास ककस शासक के
8. अकबर ने ककस वर्ष हुसैन कु ली खाां को चन्द्रसेन पर अधधकार करने के
दरबारी करव थे - जसवन्त ससिंह
सलए भेजा- 1564
24. ननम्न में से जसवन्त ससिंह प्रथम के दरबारी करव थे- मुहणोि नैणसी
9. जब चन्द्रसेन ने 1570 के नागौर दरबार में अकबर की अधीनिा नहीं
स्वीकार की, िब अकबर ने जोधपुर का प्रशासक 1572 मे ककसे ननयुि 25. धरमि युद्ध मे दारासशकोह की िरफ से हार जाने के कारण ककस
ककया- रायससिंह शासक की पत्नी उदयराणी ने ककले के िार खोलने से इनकार कर कदया
था - जसवन्त ससिंह
10. अकबर के अमभयान के समय चांद्रसेन की स्थस्थति थी
26. जसवन्त ससिंह को महाराजा की उपाधध ककस मुगल बादशाह ने दी
- भावाजण, ससवाणा, रामपुरा, पीपलोद, काणजाां
- शाहजहााँ
11. चन्द्रसेन की िुलना महाराणा प्रिाप से ककस सारहत्यकार ने की -
रवश्वेश्वरनाथ रेऊ
27. चन्द्रसेन के उपनाम के बारे मे 38. राव जोधा को जोधपुर का प्रथम प्रिापी शासक मानने वाले रविान थे -
हीराचन्द्र ओझा
- मारवाड. का प्रिाप
39. मारवाड के शासको का कालक्म रवभाजन में असत्य बिाईए
- प्रिाप का अग्रगामी
- चन्द्रमेन- (1562-1581)
- भला रबसरा राजा
- मालडेव - ( 1531-1562)
28. अकबर ने चन्द्रसेन की मृत्यु के बाद उदय ससिंह को जोधपुर का शासक
कब ननयुि ककया- 1583 - राव जोधा - (1438-1489)

29. उदयससिंह ने अपनी पुिी नजसका रववाह जहागीर से ककया था 40. खानवा युद्ध में मारवाड की िरफ से सेना लेकर कोन आया था

- जगि‌गुसाई - राव सािल

30. सत्य कथन बिाइये 41. जोधपुर राज्य की ख्याि मे ककस वांश को राजा रवशवुिमान के पुि राजा
वृहदबल से पैदा होना सलखा है।- राठौड़
- उदयससिंह को अकबर ने मोटा राजा की उपाधध दी
42. राठौड़ वांश के राजाओ को सयषवांशी व िाह्माण भल्लराव की सन्तान
- जगि गुसाई के खुरषम (शाहजहो) का जन्म हुआ
ककसने माना है - दयालदास
- चन्द्रसेन व उद‌यससह, राम के बीच लोहावट का युद्ध हुआ
43. मारवाड के राठौड़ो को कन्नौज की शाखा से उत्पन्न ककस सारहत्यकार
32. जसवन्त ससहप्रथम जब मारवाड की गद्दी पर बैठा उस समय उसकी ने माना है- मुहणौि नैणसी
आयु थी - 11वर्ष
44. मारवाड़ का कौनसा शासक स्विांििा प्रेमी था नजसने मुगलों की
33. जसवन्त ससिंह प्रथम के बारे मे अधीनिा स्वीकार नहीं की- चांद्रसेन

- मारवाड के शासक 1438 मे बने 45. राठौड़ शासक राव चांद्रसेन की घोड़े पर सवार प्रतिमा कहाां स्थस्थि है

- राज्याननर्ेक के समय उन्हे राजा का खखिाब व 4000 मनसब प्रदान - सारण


ककया
46. राठौड़ वांश के राव मालदेव का राज्यामभर्ेक कहाां सांपन्न हुआ - सोजि
- जसवांि ससिंह अल्प व्यस्क होने पर जोधपुर राज्य का मांिी अशोप ठाकु र
47. राजस्थान के िाज महल का ननमाषण ककस शासक ने करवाया -
राज ससिंह कुां पावि को ननयुि
सरदार ससिंह
34. राव जोधा ने जोधपुर शहर कब बसाकर उसे राजधानी बनाई - 1459
48. कृ ष्णा कु मारी रववाद को लेकर जयपुर और जोधपुर के शासकों में
35. रणमल की हत्या 1438 ई. के बाद राव जोधा मेवाड, से भागकर कौन सा युद्ध होिा है - त्रगगोली का युद्ध
सवषप्रथम ककिंस क्षेि को जीििा है- मण्डोर
49. मारवाड़ के ककस शासक को सन्यासी राजा की उपाधध दी गई है
36. राव जोधा ने मेहरानगढ़ दुगष का ननमाषण ककन पहाड़ी पर करवाया
- मान ससिंह
- त्रचकड़याटक
50. ननम्न में से राव चांद्रसेन से सांबांधधि शासक है-
37. राव जोधा ने ककस कदल्ली सुल्तान को हराकर प्रससनद्ध प्राप्त की
- अकबर
- बहलोल लोदी
- महाराणा प्रिाप

- उदय ससिंह
51. महादेव की पत्नी रानी उमा दे कहाां सिी हुई थी - गुांदोज 65. मारवाड़ के राजकु मार अजीिससिंह के सुरसक्षि पालन पोर्ण हेिु वीर
दुगाषदास राठौड़ को मेवाड़ के ककस शासक ने अपने यहााँ शरण देकर के लवा
52. राव सीहा ने राठौड़ वांश की स्थापना करने के बाद अपनी राजधानी
की जागीर प्रदान की थी- महाराणा राजससिंह
ककसे बनाया - खेड़ा
66. मारवाड़ (जोधपुर) का कौनसा शासक नाथ सम्प्रदाय का अनुयायी हो
53. मुगलों की अधीनिा स्वीकार करने वाला मारवाड़ का प्रथम शासक था
गया िथा उसने जोधपुर में नाथ सम्प्रदाय के मठ 'महामांकदर' का ननमाषण
- उदय ससिंह करवाया- महाराजा मानससिंह

54. राव चांद्रसेन का जन्म कब हुआ - 1541 67. ककशनगढ़ की राठौड़ वांश की ररयासि की स्थापना ककसने की थी?

55. सर ससिंह को सवाई की उपाधध ककस मुगल बादशाह ने दी - अकबर - जोधपुर शासक मोटाराजा उदयससिंह के पुि ककशनससिंह ने

56. गज ससिंह को दल थांबन की उपाधध ककस शासक के िारा दी गई 68. जोधपुर शासक अजीिससिंह िारा जोधपुर रवजय के पश्चाि् अपनी

- जहाांगीर लड़की का रववाह सवाई जयससिंह के साथ ककया गया। उसका नाम था

57. मारवाड़ के राठौड़ों की कु लदेवी हैं- नागणेची मािा - सरजकाँ वर

58. पाहेब साहेबा के युद्ध के बाद मालदेव ने बीकानेर का प्रशासक ककसे 69. मारवाड़ के महाराजा जसवांिससिंह प्रथम का राजतिलक कहााँ ककया

बनाय- कुां पा गया - आगरा

59. मारवाड़ की पन्नाधाय ने ककस शासक को औरांगजेब के चांगुल से 70. जोधपुर नरेश जसवन्तससिंह की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधधकारी कुाँ वर

छु ड़ाया था - अजीि ससिंह अजीिससिंह ने वीर दुगाषदास की सहायिा से जोधपुर का राज्य वापस कब
प्राप्त ककया- सन् 1707 में
60. वीर दुगाषदास ने राठौड़ वांश के राजकु मार अजीि ससिंह को ससरोही में
ककसके पास रखा - पुष्करणा िाह्मण जय देव 71. जोधपुर के ककस महाराजा ने अांग्रेजों की अधीनिा स्वीकार की थी?

61. जोधपुर शासक राव मालदेव िारा बनाये गये दुगष कौनसे हैं - मानससिंह

- मालकोट (मेड़िा) का ककला 72. ककस शासक की मृत्यु पर औरांगजेब ने कहा था कक 'आज कु फ्र (धमष
रवरोध) का दरवाजा टट गया है- महाराजा जसवांिससिंह प्रथम
- पोकरण दुगष व ररया दुगष
73. मारवाड़ में राठौड़ वांश के ननम्नसलखखि प्रारांमभक शासकों को
- सोजि का ककला
कालक्मानुसार व्यवस्थस्थि कीनजए
62. जोधपुर के ककस शासक का देहान्त आगरा में हुआ व उनका अांतिम
- राव सीहा
सांस्कार यमुना ककनारे ककया गया- राव गजससिंह
- राव अस्थान
63. जोधपुर के महाराजा जसवांिससिंह के पुि अजीिससिंह का जन्म कहााँ हुआ
था- लाहौर - राव दहड

64. मारवाड़ के ककस शासक के रबना जीरवि उत्तराधधकारी के मृत्यु हो जाने - राव रागपाल

पर मुगल बादशाह औरांगजेब िारा जोधपुर का राज्य मुगल साम्राज्य में


ममला सलया गया था- महाराणा जसवांिससिंह प्रथम
अध्याय-1 (राजस्थान का इतिहास एक पररचय) 14. ककस शासक को औरांगजेब ने माही भरातिव की उपाधध दी थी -
अनुपससिंह
PART -5 15. 1570 नागौर दरबार में बीकानेर के ककस शासक ने मुगलो की
अधधनिा स्वीकार की.- कल्याणमल.

16. बेसल रक्सण रुकमसण ग्रन्थ के लेखक कौन है नजसे दुरसा आडा ने 5वे
1. राव रबका मारवाड़ के ककस शासक का पुि था- जोधा
वेद व 19वें पुराण की सांज्ञादी है- पृथ्वीराज राठौड़
2. राब बीका ने जाांगल प्रदेश मे राठौड़ वांश की नीव कब डाली - 1465
17. ननम्न मे से ककसने अकबर के शासन के दौरान बलच रवद्रोह के दमन
3. राव बीका ने बीकानेर शहर कब बसाया - 1488 में महत्वपणष भममका ननभाई- रायससिंह
4. राव शेखा की पुिी से रववाह कर ककस क्षेि को बीका ने राठौड़, सत्ता का 18. 1574 में महाराजाधधराज की उपाधध धारण कर बीकानेर शासक बने
दसरा के न्द्र बनाया- पगल
- रायससह
5. राव बीका ने बीकानेर शहर की स्थापना ककसके सहयोग से की
19. रायससिंह के बारे मे असत्य बिाइये
- करणी मािा , जाट सरदार नरा
- बीकानेर में जनागढ दुगष का ननमाषण करवाया
6. 'देशनोक मे करणी मािा के मल मन्दन्दर का ननमाषण ककसने करवाया
- जनागढ़, के दरवाजे पर जयमल फत्ता की पार्ाण मतििया लगवाई
- राव बीका
- जनागढ दुगष में रायससिंह प्रशफ्टस्त अांककि करवाई
7. बीकानेर के शासकों का कालक्म, (शासन अवधध) बिाइये
20. रायससिंह के बारे मे असत्य बिाइए
- बीका, लणकरण, जैिसी, कल्याणमल
- रायससिंह को मुगल दरबार का स्तांभ कहा जािा था
8. ककस बीकानेर शासक ने शाहजहाां के दसक्षण अमभयानों में महत्वपणष
- रायससिंह अकबर का दसरा व जहााँगीर का प्रथम रवश्वासपाि शामक था
भममका ननभाई थी - कणषससिंह
- रायससिंह के काल मे बीकानेर त्रचिवला की शुरुआि हुई
9. बीकानेर के कणषससिंह व नागौर के अमरससिंह के बीच ककस गाांव की सीमा
रववाद को लेकर मिीरे री राड़ 1644 में हुई - जाखननया गाांव 21. बीकानेर शासक लणकरण नारनौल के नवाब अबीमीरा से लड़िा
हुआ 1526 मे ककस युद्ध मे मारे गए- धौसी युद्ध
10. त्रचिंिामसण भट्ट के ककस ग्रन्थ मे कणषससिंह को 'जाांगलधर बादशाह' कहा
गया है- शुकसप्तति 22. ककस ग्रन्थ में राव लणकरण को 'कसलयुग का कणष कहा गया है।

11. सारहत्य रचना के बारे मे - जैिसी रो छन्द

- शुक सप्तति - त्रचन्तामसण भट् 23. राव लणकरण के बारे मे

- कणषभर्ण - गांगानांद मैनथल - लणकरण राव बीका का पुि था

- काव्य डाककनी - रायससिंह - 1505-1526 िक शासन रहा

12. गांगानांद मैनथल ककस शासक के दरबारी करव थे- कणषससिंह - कमषचन्द्रवशोकीिषन काव्यम में इनकी िुलना कणष से की गई

13. रायससिंह की मृत्यु कहााँ हुई- बुरहानपुर


24. जैिसी ने 1534 ई0 मे काबुल के मुगल शासक व हुमायाँ के भाई 39. ककस शासक के शासनकाल में आनांद राम ने पहली बार गीिा का
कामरान को परानजि ककया इसकी जानकारी ममलिी है। राजस्थानी भार्ा में अनुवाद ककय- अनप ससिंह

- राव जैिसी रो छन्द मे 40. बीकानेर के ककस शासक की मृत्यु के बाद उनके पाांच बेटों ने बीकानेर
राज्य को 5 भागों में बाांट सलया नजसको पांचपाना कहा जािा है - सादुषल
25. बीकानेर पर मालदेव के आक्मण के समय राव जैिसी ने अपने मांिी
ससिंह
नागराज को ककसके पास सहायिा के सलए भेजा- शेरशाह सरी
41. बीकानेर के ककस शासक ने नोिा (रववाह ननमांिण कर )िथा
26. खानवा युद्ध में बीकानेर की िरफ से ककस शासन ने भाग सलया था
िख्नशीनी कक भाछ (उत्तराधधकारी कर) समाप्त ककया था- सादुषल ससिंह
- कल्याणमल
42. बीकानेर महाराजा नजनका जन्म बीकानेर में हुआ था जबकक मृत्यु
27. बीकानेर के राठौड़ शासकों की कु लदेवी हैं- करणी मािा 1943 में बांबई में हुई थी- गांगा ससिंह

28. बीकानेर के राठौड़ वांश के प्रिापी शासकों का सही कालानुक्म 43. 1931 में रामदेवरा में बाबा रामदेव जी के मांकदर का ननमाषण ककसने
कौनसा है - राव रबका, राव लणकरण, राव जेिसी, राव कल्याणमल करवाया- गांगा ससिंह

29. भारि सांघ की अधधममलन पि पर हस्ताक्षर करने वाले राजस्थान के 43. बीकानेर के ककस शासक को आधुननक भारि का भागीरथ िथा
प्रथम शासक कौन थे- बीकानेर के सादुषल ससिंह प्रथम राजस्थान का भागीरथ उपनाम से जाना जािा है - गांगा ससिंह

30. बीकानेर के ककस शासक के शासनकाल को बीकानेर त्रचि शैली का 44. ककसके शासनकाल में बीकानेर राठौड़ री ख्याि में जोधपुर व
स्वणषकाल कहिे हैं- अनप ससिंह बीकानेर के राठौड़ वांश का वणषन ककया गया- सरि ससिंह

31. गांगा लहरी ,दशम भागवि रा दहा ग्रांथ के लेखक हैं - पृथ्वीराज राठौड़ 45. ककस शासक ने देशनोक में करणी मािा के मांकदर को आधुननक

32. बीकानेर के ककस शासक ने राजपिों में कन्याओां को न मारने की स्वरूप कदया- सरिससिंह

आण जारी करवाई - रिन ससिंह 46. बीकानेर के ककस शासक को श्री राजराजेश्वर महाराजाधधराज

33. बीकानेर में रिन रबहारी मांकदर का ननमाषण ककसने करवाया- रिन महाराजा सशरोमसण श्री गज ससिंह िथा 7000 मनसब का खखिाब कदया

ससिंह - अहमद शाह


34. अांग्रेजों ने ककस बीकानेर शासक की सहायिा से प्रसन्न होकर कटब्बी
परगने व 40गाांव उपहार में कदए थे- सरदार ससिंह

35. बीकानेर के ककस शासक ने सवषप्रथम बीकानेर में सिी प्रथा व जीरवि अध्याय-1 (राजस्थान का इतिहास एक पररचय)
समाधध प्रथा पर रोक लगाई- सरदार ससिंह

36. ककस शासक ने पहली बार बीकानेर में रहमालय की नकदयों के पानी
PART - 6
को लाने का सपना देखा िथा उसी के काल में बीकानेरी भुनजया बनाने की
शुरुआि हुई थी- डांगर ससिंह
1. चौहानो की उत्पत्रत्त िाह्माांश वांश से मानिे है- दशरथ शमाष
37. वह शासक ककसने दसक्षण भारि से अनेक मतिियाां लाकर बीकानेर के
2. चौहानो की उत्पत्रत्त के सांबांध कथन
33 करोड़ देवी देविाओां के मांकदर में रखवाई- अनप ससिंह
- गौरीशांकर हीराचन्द्र ओझा सयषवांशीय क्षत्रिय मानिे हैं
38. मसणराम ककस शासक के दरबारी करव थे नजन्होंने अनप व्यवहार
सागर, अनप रवलास ,िीथष रत्नाकर ग्रांथ सलखे- अनप ससिंह - अचलेश्वर मन्दन्दर के लेख मे इन्हे चन्द्रवांशीय माना है (
- चन्द्रबरदाई इन्हें अफ्टिकु ण्ड से उत्पन्न मानिे हैं। 12. अजमेर के ककस चौहान शासक ने कदल्ली की िोमर शासक को
परानजि करके कदल्ली को अपने राज्य का अांग बना सलया था- रवग्रहराज
3. 973 ई. के हर्षनाथ लेख से ककस चौहान शासक की रवजयों का उल्लेख
चिुथष
ममलिा- रवग्रहराज रििीय
13. रवग्रहराज चिुथष चौहान को रविानों का आश्रय दािा होने के कारण
4. ककस ग्रन्थ मे चौहान शासक गोरवन्द िृिीय की उपाधध वैरीधट्ट (
ककस उपनाम से जाना जािा था - करव बाांधव
शिुसांहारक ) ममलिी है- पृथ्वीराज रवजय
14. पृथ्वीराज िृिीय की आवश्यकिा के दौरान शासन कायष में उसके
5. सत्य कथन बिाइये
प्रधानमांिी का सहयोग और मागषदशषन रहिा था, यह प्रधानमांिी कौन थे
- रवग्रहराज रििीय ने गुजराि के चालुक्य शासक मलराज को परास्त
- कै मास
ककया
15. कौन पृथ्वीराज चौहान िृिीय के समकालीन शासक नहीं था
- फररश्ता के अनुसार गोरवन्द िृिीय ने गजनी शासक को मारवाड, मे
आगे बढने से रोका था - कन्नौज का गहड़वाल शासक जयचांद्र

- 551 ई. में वासुदेव चौहान ने चौहान वांश की नीव डाली - गुजराि का नरेश भीम रििीय

6. चौहान शासको का सही कालक्म बिारये - गौर प्रदेश का शासक मोहम्मद गोरी

- अजयराजा, अणोराज, रवग्रहराज चिुथष 16. चौहानों का मल स्थान माना जािा है - सपादलक्ष

7. ककस सारहत्यकार ने रवग्रहराज चिुथष के बारे में कहा कक वह कासलदास व 17. शाकां भरी के चौहान वांश के सांस्थापक कौन थे- वासुदेव चौहान
भवभति की होड कर सकिा था- ककलहोनष
18. अजमेर नगर ककसने बसाया - अजयराज
8. मेवाड़ पर शाकां भरी के चौहान शासकों का अधधकार कब हुआ
19. अजय देव के नाम से चाांदी के ससक्के ककस चौहान शासक ने चलाई
- 12 वीं सदी
- अजयराज
9. शाकां भरी से ननकलने वाली शाकां भरी चौहानों की सबसे प्राचीन शाखा
20. पृथ्वीराज िृिीय का जन्म कहाां हुआ - अन्दन्हपाटन ,गुजराि
कौन सी थी- नाडोल के चौहान
21. िराइन के प्रथम युद्ध में ककसकी रवजय हुई - पृथ्वीराज चौहान िृिीय
10. ननम्नसलखखि में से कौन सा शासक जालौर के चौहान वांश से सांबांधधि
था 22. हररके सल नाटक ककसके िारा रत्रचि है- रवग्रहराज चिुथष

- कीतििपाल 23. ननम्न में से कौन रविान पृथ्वीराज चौहान िृिीय के दरबार में था

- समर ससिंह - चांद्रवरदाई ,, जनादषन ,, जयानक

- उदय ससिंह 24. िराइन का प्रथम युद्ध ककन-ककन के बीच हुआ - चौहान िुकष

11. चौहान वांश के प्रिापी शासक रवग्रहराज रििीय ने अन्दन्हल पाटन के 25. ककस शासक के शासनकाल को चौहान शासन काल का स्वणष काल
ककस चालुक्य शासक को परानजि करके उसे कर देने को रववश ककया था कहा जािा है - बीसलदेव

- मलराज प्रथम 26. ककस चौहान शासक ने पुष्कर में वराह मांकदर का ननमाषण करवाया था

- अणोराज

27. सम्राट पृथ्वीराज चौहान िृिीय के रपिा कौन थे- सोमेश्वर


28. पृथ्वीराज िृिीय ककस वर्ष अजमेर के शासक बने- 1177 - मकराना सशलालेख में जालौर साके की जानकारी ममलिी है

29. िराइन के युद्ध का रवस्तृि रववरण ककस ग्रांथ में प्राप्त होिा है - ससवाना दुगष के साके में अलाउद्दीन खखलजी के सेनापति नाहर खाां व
भोज मारे गए
- पृथ्वीराज रासो
42. दुगों के नामों के बारे में असत्य कथन बिाइए
30. चौहान वांश के सांस्थापक वासुदेव की राजधानी कौन सी थी -साांभर
- जलालाबाद- जालौर
31. अजमेर के चौहानों को .................के चौहानों के नाम से जाना जािा है
- खैराबाद- ससवाणा
- स्पादलक्ष
- बख्तरबांद- रणथांबोर
32. ककस चौहान शासक ने शाकां भरी के स्थान पर अजमेर को राजधानी
बनाया - अजयराज 43. चौहानों पर प्रथम मुस्लस्लम आक्मण ककस चौहान शासक के काल में
हुआ- दुलषभराज
33. अजय राज ने अजमेर शहर कब बसाया- 1113
44. वीर सािल देव और सोम ककस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे
34. ननम्नसलखखि 4 चौहान शासकों को कालक्म के अनुसार व्यवस्थस्थि
कीनजए - रवग्रहराज चिुथष , पृथ्वीराज रििीय , सोमेश्वर , पृथ्वीराज िृिीय Ans. 1308 में ससवाना दुगष के युद्ध

35. अणोराज के बारे में ननम्नसलखखि कथनों पर रवचार कीनजए 45. इतिहास में मालदेव मांछाला के नाम से कौन रवख्याि है- मालदेव
सोनगरा
- अपनी राजकाल के प्रारांभ में उसने एक गजनबी आक्मण को खदेड़ कदया
46. अलाउद्दीन खखलजी की ननम्नाांककि रवजयो को कालक्म अनुसार
- उसने चालुक्य नरेश जय ससिंह ससद्ध राज की पुिी से रववाह ककया
व्यवस्थस्थि कीनजए - रणथांबोर , त्रचत्तौड़ , ससवाना , जालौर
- वह अपने ही पुि के िारा मारा गया
47. अणोराज के बारे में ननम्नसलखखि कथनों पर रवचार कीनजए
36. पृथ्वीराज िृिीय व मोहम्मद गौरी के मध्य ककिने युद्ध लड़े गए - 2
- अपनी राजकाल के प्रारांभ में उसने एक अजनबी आक्मण को खदेड़ कदया
37. पृथ्वीराज चौहान िृिीय का समकालीन चालुक्य शासक कौन था
- उसने चालुक्य नरेश जय ससिंह ससद्ध राज की पुिी से रववाह ककया
- भीमदेव रििीय
48. जालौर के चौहान शासकों में से कौन से राजा को कदल्ली के ककस
38. सफी सांि ख्वाजा मोइनुद्दीन त्रचश्ती ने ककसके शासनकाल में सुल्तान के आक्मण का सामना नहीं करना पड़ा- चात्रचिंगदेव
राजस्थान का भ्रमण ककया था- पृथ्वीराज चौहान िृिीय
49. रणथांबोर दुगष पर कदल्ली सुल्तान अलाउद्दीन खखलजी के आक्मण
39. ककस शासक िारा बनाए गए सांस्कृि महारवद्यालय को कु िुबुद्दीन ऐबक करने का मुख्य कारण क्या था - अलाउद्दीन के रवद्रोही सैननक नेिा
ने ढाई कदन की झोपड़ी में बदल कदया - रवग्रहराज चिुथष मुहम्मद शाह को हम्ममीर िारा शरण देना

40. कथन सत्य है 50. हमीर देव चौहान का कौनसा शासक जलालुद्दीन खखलजी से युद्ध

- सपादलक्ष चौहानों का मल स्थान माना जािा है करिे हुए मारा गया- गुरदास सैनी

- अरहछिपुर चौहानों की प्राचीनिम राजधानी थी 51. हमीर देव चौहान के साथ रवश्वासघाि करने वाले सेनापति थे

- पृथ्वीराज िृिीय अजमेर के चौहानों का अांतिम शासक था - रणमल -रति पाल

41. कथन हैं 52. हम्मीरासो ग्रांथ के रचधयिा है - जोधराज

- सुवणष त्रगरी दुगष का साका 1311 में हुआ


53. पृथ्वीराज िृिीय की आवश्यकिा के दौरान शासन कायष में उसके
प्रधानमांिी का सहयोग और मागषदशषन रहिा था, यह प्रधानमांिी कौन थे
अध्याय-1 (राजस्थान का इतिहास एक पररचय)
- कै मास

54. ककस चौहान शासक ने पुष्कर में वराह मांकदर का ननमाषण करवाया था
PART – 7 (कछवाह वांश)
- अणोराज

55. ककि एक महान राजा है इस उपाधध से कीतििपाल को ककसने नवाजा 1. ककस इतिहासकार के अनुसार कछवाहा वांश के शासकों को कु मष नामक
रघुवांशी शासक की सांिति होने से ये कमष वांशीय कहलाने लगे और
- मोहनोि नैंसी
साधारण भार्ा में ने कछवाहा कहा जाने लगा- कनषल जेम्स टॉड
56. अलाउद्दीन खखलजी ने ककस दुगष पर आक्मण ककया िब उसके दो
2. कछवाह वांश प्रारांभ में ककस वांश के सामांि थे- चौहान
सेनापति नाहर खाां व भोज मारे गए थे- ससवाना
3. दुल्हे राय ने बड़ गुजषरों को हराकर कछवाह वांश की प्रथम राजधानी थी
57. वीरमदेव सोनगरा री बािा िथा का कान्हडदे प्रबांध ग्रांथ के लेखक है
- दौसा
- पदमनाभ
4. दुल्हेराय ने मीणाओां को परास्त करके अपनी दसरी राजधानी ककसे
58. चौहान वांश के ककस शासक को नागभट्ट रििीय के दरबार में वीर की
बनाया- रामगढ़
उपाधध दी गई - गवक
5. 1207 में ककसने आमेर में मीणाओां को प्राप्त करके उसे अपनी राजधानी
59. िारागढ़ दुगष को राजस्थान का नजिाल्टर ककसे इतिहासकार ने कहा है
बनाया - कोककल देव
- रवशप हेबर
6.ककस वर्ष भारमल ने अकबर के साथ अपनी पुिी हरका बाई का रववाह
60. चांद्रवरदाई का जन्म 1148 में कहाां हुआ- लाहौर साांभर में ककया था- 1562

61. आल्हा और उदल का सांबधां ककस युद्ध से था- महोबा 7. शासकों के कालक्म के बारे में

62. हार से ननराश होकर जलालुद्दीन खखलजी ने ककस दुगष के बारे में कहा - भारमल -(1547-1573)
कक ऐसे 10 दुगों को मैं मुसलमानों के एक बाल के बराबर भी नहीं समझिा
- मानससिंह (1589-1614)
- रणथांबोर
- ममजाष राजा जयससिंह- (1621-1667)
63. 1299 में रहिंदघाटवाटी युद्ध में हम्मीर का कौन सा सेनापति मारा गया
8. भांगवांिदास ने अपनी पुिी मानबाई का रववाह ककससे ककया नजससे
- भीम ससिंह खुसरो का जन्म हुआ- सलीम

64. अमीर खुसरो ने ककस दुगष के बारे में कहा कक आज क्ु फ का घर 9. 1589 में भगवान दास की मृत्यु कहाां हुई - आगरा लाहौर रबहार आमेर
इस्लाम का घर हो गया- रणथांबोर
10.मानससिंह ने ककन दो मुगल सम्राटों की सेवा की - अकबर ,जहाांगीर
65. रवजयाकदत्य ककस शासक का दरबारी करव था - हमीर देव चौहान
11.1569 में मानससिंह ने अकबर के ककस अमभयान में सुजषन हाड़ा को
66. राय रपथौरा िथा दल पुांगल की उपाधध ककस चौहान शासक को प्राप्त थी मुगल अधीनिा स्वीकार कराने में महत्वपणष भममका ननभाई जो मान ससिंह

- पृथ्वीराज िृिीय का पहला सैन्य अमभयान था- रणथांबोर अमभयान

67. पृथ्वी भट का सांबधां ककससे है - चांद्रवरदाई से 12.मान ससिंह की मृत्यु 1614 में कहाां हुई थी- एलीचपुर
13.अकबर ने ककस अमीर शासक को फजषन्द व राजा िथा 7000 का - चांद्र महल ,सससोकदया रानी का महल ,जल महल का ननमाषण
मनसब कदया था - मानससिंह
- मावठा झील िथा गौकड़या सांप्रदाय के मांकदर का ननमाषण करवाया
14.भगवान दास की मृत्यु के बाद ककस वर्ष मानससिंह आमेर के शासक बने
27.जयपुर का प्रथम राजपि शासक नजसने सिी प्रथा की रोकथाम हेिु
- 1589 प्रयास की िथा रवधवा रववाह को मान्यिा प्रदान करने हेिु ननयम बनाए

15.मानससिंह प्रथम के बारे में - सवाई जय ससिंह

- 1573 में मानससिंह महाराणा प्रिाप के पास सांधध का िीसरा प्रस्ताव लेकर 28. जयपुर के ककस शासक के समय जयपुर की जनिा ने कै प्टन ब्लैक
गए नामक अांग्रेज की हत्या की थी- सवाई जयससिंह िृिीय

16.ममजाष राजा जयससिंह (1621-1667) िक ककिने मुगल बादशाहों का काल 29.ककस शासक के समय जयपुर में लाडष लुडलो ने कन्या वध, दहेज प्रथा,
देखा था- 3 सिी प्रथा, बाल रववाह पर रोक लगाई- राम ससिंह रििीय

17.ककस वर्ष मानससिंह प्रथम ने उड़ीसा जीिकर पहली बार उसे मुगल 30. ककस शासक का शासनकाल ब्ल पॉटरी कला का स्वणष काल
साम्राज्य का अांग बनाया - 1592 कहलािा है- राम ससिंह रििीय

18.ममजाष राजा जयससिंह िारा ककए गए सैन्य अमभयान के बारे में 31.सवाई रामससिंह रििीय के काल में स्वामी दयानांद सरस्विी जयपुर
ककिनी बार आए- 2
- 1615 में शाहजहाां के साथ बीजापुर और गोलकुां डा अमभयान पर दसक्षण
भारि गया 32. मानससिंह रििीय की 1970 में पोलो खेलिे हुए घोड़े से त्रगर जाने से
मृत्यु कहाां हुई थी - लांदन
19.ममजाष राजा जयससिंह िारा ककए गए सैन्य अमभयान के बारे में
33.ककस जयपुर शासक को बब्बर शेर के नाम से जाना जािा था माधो
- ममजाष राजा जयससिं सशवाजी के साथ 1662 में पुरांदर की सांधध हुई
ससिंह प्रथम - रििीय
20.जयससिंह रििीय को सवाई की उपाधध ककस मुगल बादशाह ने दी
34.ककस शासक के शासनकाल में बृज बल्लभ करव के िारा 'जयपुर
- औरांगजेब बाहर' नामक ग्रांथ की रचना की गई- माधो ससिंह रििीय
21.सवाई जयससिंह ने ककिने मुगल बादशाहों का काल देखा था- 7 35.ककस शासक के शासनकाल में सेना की भिी और वेिन के सलए बक्शी

22.सवाई जय ससिंह का जन्म कब हुआ था - 1688 नामक अधधकारी की ननयुरि की गई- जगि ससिंह रििीय

23.औरांगजेब के उत्तराधधकारी सांघर्ष के जाजऊ के युद्ध में सवाई जयससिंह ने 36.प्रिाप ससिंह के समय ककस त्रचिकार ने ईश्वर ससिंह का आदमकद त्रचि
ककसका साथ कदया था- आजम बनाया था - सारहब राम

24.औरांगजेब के बाद मुअज्जम बहादुर शाह के नाम से शासक बना और 37.ककस शासक को जयपुर के बदनाम शासक के रूप में जाना जािा है

उसने आमेर में सवाई जयससिंह के स्थान पर रवजय ससिंह को शाससि घोतर्ि - जगि ससिंह रििीय
करके आमेर का नाम क्या रखा - मोममनाबाद
38.सवाई प्रिाप ससिंह के सांगीि गुरु थे- चाांद खाां
25.1734 में ककस जयपुर शासक ने नाहरगढ़ ककले का ननमाषण करवाया
39.बृजपाल भट्ट ,िारकानाथ भट्ट, चाांदखाां , गणपति भारिी करवयों का
- सवाई जय ससिंह सांबांध ककस शासक से था - प्रिाप ससिंह
26.सवाई जयससिंह िारा करवाए गए ननमाषण कायों के बारे में

- जयगढ़ दुगष में जयबाण िोप का ननमाषण कराया


40. 22 करव 22 ज्योतिर् िथा 22 सांगीिज्ञ नजन्हें गुणीजन खाना कहा 50.ककस सशलालेख में कछवाह राज वांश के शासकों को रघुवांश तिलक
जािा था इन सांगीिज्ञ को गांधवष बाईसी कहिे थे यह ककसके दरबार की कहा गया है - आमेर
शोभा बढ़ािे थे- प्रिाप ससिंह
51.मानससिंह ने कबला अमभयान के बाद आमेर का नया झांडा पचरांगा
41.कोटा शासक छिसाल व जयपुर शासक माधो ससिंह के मध्य भटवाड़ा का (नीला, पीला ,लाल ,हरा ,काला) बना कदया, इससे पहले ककस रांग का था
युद्ध कब हुआ नजसमें जयपुर की सेना परानजि हुई- 1761
- सफे द
42.राजपिों का एकमाि शासक नजसने मराठों के दबाव से आत्महत्या
52.जयपुर राज्य की भमम सांबांधी ररकॉडष को कहा जािा था - अड़सट्टा
ककया - ईश्वर ससिंह
53.ककस शासक ने आमेर राज्य को 12 बागों में बाांट सलया इससलए आमेर
43.माधो ससिंह प्रथम िारा लड़े गए युद्ध
ररयासि 12 कोटडी के नाम से प्रससद्ध - देव पृथ्वीराज
- ककोड़ा का युद्ध-1759
54.ममजाष इस्माइल जयपुर के ककस शासक के प्रधानमांिी थे- मानससिंह
- भटवाड़ा का युद्ध- 1761 रििीय

- माांवला -मांडोली का युद्ध- 1767 55.आधुननक जयपुर शहर का ननमाषिा उपनाम से ककसे जाना जािा है

43. जयपुर के ककस शासक को जागृि देव व भोममया देव के उपनाम से - ममजाष इस्माइल
जाना जािा है- ईश्वर ससिंह

44.सवाई जयससिंह ने 1741 में मांगवाना/गांगवाना के युद्ध में ककन ररयासि


की सेनाओां को हराया- जोधपुर नागौर
अध्याय-1 (राजस्थान का इतिहास एक पररचय)
45. सवाई जयससिंह रििीय के बारे में
PART – 8
- जय ससिंह ने भरिपुर जाट शासक बदन ससिंह को बृजराज की उपाधध दी
1. 1669 में मधुरा क्षेि के जाटो ने ककसके नेिृत्व में औरांगजेब के रवरुद्ध
- मुहम्मद शाह ने जय ससिंह को राजराजेश्वर श्री राजाधधराज सवाई की
रवद्रोह ककया था- गोकु ल
उपाधध दी
2. 1688 ई. में राजाराम की मृत्यु के बाद जाटो का नेिृत्व ककसने ककया
- जयससिंह ने यस्लक्लड के ग्रांथ एसलमेंट्स ऑफ़ ज्योमेट्री का सांस्कृि में
अनुवाद ककया - चड़ामन

46.जयपुर के ककस शासक को आधुननक चाणक्य कहा जािा है 3. भरिपुर के स्विांि जाट राज्य का सांस्थापक था - चडामन

- सवाई जय ससिंह 4. जाट राजा चडामन के बारे

47.आमेर का पहला शासक नजसने आमेर ककले की सैन्य ककलाबांदी की - इनका शासनकाल (1695-1721 ई.) िक रहा
थी- रवष्णु ससिंह
- चडामन ने मथुरा व आगरा के मुगल इलाको मे मुगलों का प्रतिरोध
48.हाया बारहठ, हरीनाथ, सुांदर दास, पुांडरीक रवट्ठल, दाद दयाल ककस ककया
शासक के दरबारी रविान थे- मानससिंह ममजाष
- कच्छवाह नरेश रबशनससह ने चडामन का दमन करने का प्रयास रक्या
49.अकबर ने आमेर के ककस शासक को राजा व अमीर-उल- उमरा की लेककन असफल रहा
उपाधध दी - भारमल
5. ककस जाट राजा को सवाई जयससिंह ने िजराज की उपाधध व डीग जागीर
प्रदान की थी - बदनससिंह
6. ननम्न मे से ककस दुगष का ननमाषण बदनससिंह ने नही करवाया था 20. परमार वांश का साम्राज्य ककस क्षेि मे पनपा था - आब

- बयाना 21. गुजराि के शासक मलराज सोलांकी से परानजि होने के कारण आब के


शासक धरणीवराह को ककस राजपुि शासक की शरण लेनी पड़ी- धवल
7. ककस जाट राजा ने कच्छवाह वांश के शासको के साथ ममििा रख
साम्राज्य रवस्तार ककया - बदनससिंह 22. वह परमार शासक नजसने मोहम्मद गौरी के रवरुद्ध युद्ध मे गुजराि की
सेना का सेनापतित्व ककया - धारावर्ष
8. जाट शासको के शासनकालकृ म के बारे मे
23. आब के परमार वांश का सांस्थापक माना जािा था नजनकी वांशावली
- सरजमल-(1756-1763)
उत्पलराज से प्रारम्भ होिी है - धमराज
- बदन ससिंह - (1723-1756)
24.परमार राजा सोमससिंह के समय आब के देलवाड़ा में लणावसही
- चड़ामन - (1695-1721) नामक नेममनाथ का मन्दन्दर ककसने बनवाया- वास्तुपाल

9. महाराजा सरजमल ने ककस दुगष का ननमाषण करवाकर उसे राजधानी 25. परमारो की राजधानी चन्द्राविी पर अधधकार कर ककसने चौहान सत्ता
बनाई- लोहागढ स्थारपि की- नाडौल के राव लम्बा

10. सवाई जयससिंह के उिराधधकार सांघर्ष मे सरजमल जाट ने ककसका 26. सवाई जयससिंह ने बांदी के ककस शासक को हराकर दलेल ससिंह को
साथ कदया थ - ईश्वरी ससिंह शासक ननयुि ककया- बुद्ध ससिंह

11. पानीपि के युद्ध में परानजि मराठो को ककसने सहायिा व शरण दी थी 27. बुदी के उिराधधकारी सांघर्ष को लेकर मराठो का राजस्थान में हस्तक्षेप

- सरजमल हुआ. इसमें ककस शासक की पत्नी ने मल्हार राव होल्कर को राखी
बायकर भाई बनाया - सवाई जयससिंह
12. 1763 ई. में सरजमल जाट की मृत्यु ककसके रवरुद्ध युद्ध मे हुई नजसकी
सरजमल जाट के प्रतििन्दी नजीब खान ने मृत्यु कक पुख्ता पुत्रष्ट होने पर 28. मल्हार राव होल्कर व राणोजी ससन्धिया के नेिृत्व में मराठो का बांदी

रवश्वास ककया था - रुहेलो के रवरुद्ध पर अधधकार कब हुआ- 22 अप्रैल 1734

13. सरजमल जाट के बारे में ककसने कहा है कक उसमे अपनी जाति के सभी 29. हुरड़ा सम्मेलन 17 जुलाई 1734 में अध्यक्षिा ककसने की थी

गुण शरि, साहस, चिुराई, ननष्ठा व कभी पराजय स्वीकार न करने वाली - जगि ससह रििीय
अदम्य भावना, रवद्यमान धे - कासलकारांजन काननगो
30. हुरड़ा सम्मेलन मे ररयासिो के शासको िारा भाग सलया गया
14. करौली के यादव वांश की स्थापना 1040 ई० मे ककसने की- रवजयपाल
- जयपुर-सवाई जयससिंह
15. रवजयपाल ने यादव वांश की राजधानी ककसे बनाया था- बयाना
- जोधपुर-अभयससिंह
16. 1650 ई में करौली को राजधानी बनाने वाला शासक था - धमषपाल
- नागौर - बख्तससिंह
रििीय
31. हुरडा सम्मेलन में शाममल शासको के बारे में
17. करौली में मदनमोहन मन्दन्दर का ननमाषण ककसने करवाया- गोपाल
पाल - बांदी-दलेल ससिंह

18. 9 नवम्बर 1817 को 1818 ई. की सन्धि करने वाली प्रथम ररयासि - करोली - गोपालदास
करौली थी उस समय वहाां के शासक थे - हरवक्षपाल
- ककशनगढ़-राजससिंह
19. 1857 की क्ास्न्त के समय करौली के शासक थे - मदनपाल
32. हुरडा सम्मेलन के बारे मे
- यह सम्मेलन सवाई जयससिंह ने बुलवाया 42. सत्य कथन

- यह सम्मेलन मराठो के रवरुद्ध सांगठन बनाने के सलए था - 1787 िुांगा युद्ध मे प्रिापससिंह रवजय हुए

- इसमें बीकानेर से जोरावरससिंह व कोटा से सुरजनशाल ने भाग सलया - 1790 पाटन युद्ध मे मराठा रवजय हुए

33. हुरडा सम्मेलन मे समझौिा होने के बाद मराठो के रवरुद्ध कायषवाही - 1800 मालपुरा युद्ध मे मराठा रवजय हुए
करने के सलए कहाां एकत्रिि होने का प्रस्ताव रखा - रामपुरा
43. मेवाड के भीमससिंह की पुिी कृ ष्णा कु मारी को लेकर ककन दो ररयासिों
34. हुरडा सम्मेलन मे समझौिा होने के बाद मराठो के रवरुद्ध कायषवाही के बीच त्रगिंगोली का युद्ध हुआ- जयपुर जोधपुर
करने के सलए कहाां एकत्रिि होने का प्रस्ताव रखा- रामपुरा
44. कृ ष्णा कु मारी का रववाह मानससिंह से करने या उसकी हत्या करने की
35. जयपुर के उिराधधकार सांघर्ष मे जयपुर का शासक बना ईश्वरी ककसका सलाह मेवाड़ शासक भीम ससिंह को ककसने दी- अम्मीरखाां रपण्डारी
पुि था - सरजकुां वरी
45. ककस मारवाड शासक ने 1756 में एक सन्धि के िहि िारागढ़ दुगष,व 50
36. माधोससिंह की मािा का नाम था- चन्द्रकुां वरी लाख रुपये युद्ध क्षतिपतिि के रूप में मराठो को कदए- रवजयससिंह

37. राजमहल युद्ध 1 माचष 1747 के बारे मे 46. राजस्थान की कौनसी ररयासिे मराठो के प्रभुत्व से बची रही थी

- माधोससह व ईश्वरी ससिंह के बीच हुआ - जैसलमेर-बीकानेर

- माधो ससह ने मल्हारराव होलकर से िथा ईश्वरससिंह ने राणोजी ससन्धिया


से सहायिा ली

- राजमहल स्थान टोक में स्थस्थि है अध्याय- 2 (राजस्थान के प्रमुख लोक देविा)
38. बगरू युद्ध अगस्त 1748 के बारे मे
PART-1
- माधोससिंह की सहायिा पेशवा मल्हारराव होल्कर ने की

- ईश्वरी ससिंह की सहायिा सरजमल जाट ने की.


1. लोक देविा पांच पीर में शाममल है - गोगाजी , पाबजी , रामदेवजी
- इस युद्ध मे माधोससिंह की जीि हुई
2.साांपों के देविा के रूप में पजे जािे हैं - गोगाजी
- युद्ध के बाद में 13 कदसम्बर 1750 ई. को ईश्वरी ससिंह ने आत्महत्या कर ली
3.साांपों िथा नागों के देविा के रूप में पजे जािे हैं- िेजाजी
39. ककस जयपुर शासक ने 1751ई- मे मराठो का जयपुर शहर मे
4.लोक देविा पाबजी का बोधत्रचन्ह क्या है - भाला
कत्लेआम करवा कदया- माधोससिंह प्रथम
5.ककस लोक देविा ने देवल चारणी की गाय छु ड़ाने के सलए अपने
40. िुांगा युद्ध (1787) के बारे मे
प्राणोंत्सगष की- पाबजी
- सवाई प्रिाप ससिंह व मराठा महादजी ससन्धिया के बीच हुई
6.मारवाड़ में सवषप्रथम ऊां ट लाने का श्रेय ककस लोक देविा को है - पाबजी
- सवाई प्रिापससिंह का सहयोग जोधपुर महाराजा रवजयससिंह व सशवपुर
7.गोगामेडी में गोगा जी का रवशाल मेला कब भरिा है - भाद्रपद कृ ष्ण
और करौली के शासको ने ककया
नवमी
- मुगल फौजदार मोहम्मद बेग हमदानी ने भी प्रिापससिंह का साथ कदया
8.प्लेग रक्षक व ऊां टों के देविा के रूप में लोकतप्रय है- पाबजी
41. पाटन का युद्ध सवाई जयससिंह व मराठो के बीच कब हुआ- 20 जन 1790
9.कोल मांड में पाबजी का मेला कब भरिा है - चैि
10.राईका जाति के आराध्य लोक देविा हैं- पाबजी 32.काला िथा बाला व कृ तर् कायों का उपकारक देविा ककसेमाना जािा है

11.के सर कालमी ककसकी घोड़ी थी - पाबजी - िेजाजी

12.ननम्न में से कौन से लोक देविा अजुषन के वांशज माने जािे हैं - रामदेव 33.राजस्थान की सबसे बड़ी पड़ का सांबांध ककस लोकदेविा से है
जी
- देवनारायण जी
13.ककस लोक देविा की मांगेिर को साांप ने डस सलया था- गोगाजी
34.ककस लोक देविा के बारे में यह मान्यिा है कक उनकी पजा करने वाले
14.ककस लोक देविा को कृ ष्ण का अविार के साथ रवष्णु का अविार भी भोपो की वांश वृनद्ध नहीं होिी - मेहा जी
कहा जािा है- रामदेव जी
35.मारवाड़ के पांच पीरों में ककसका प्रमुख स्थान बैंगटी गाांव फलोदी है-
15.गोगा जी का जन्म ककस नजले में हुआ- चरू हड़बजी

16.लोक देविा गोगा जी के गुरु कौन थे - गोरखनाथ 36.देवनारायण जी की फड व काव्य बगड़ावि कौन बाांचिा है - गुजषर भोपे

17.ककस लोक देविा को जाहर पीर के नाम से भी पजा जािा है - गोगाजी 37.राजस्थान के प्रथम लोक देविा नजन पर डाक कटकट जारी ककया गया

18.रामदेव जी का जन्म कहाां हुआ- उण्डकासमेर - देवनारायण जी

19.लोक देविा रामदेव जी का रववाह ककसके साथ हुआ- ननहालदे 38.ककस रवशेर् तिनथ को गुजषर समुदाय दध को जमाने व बेचने का कायष
नहीं करिे - भाद्रपद शुक्ला छठ
20. रामदेव जी से सांबांधधि है - हड़बजी , डाली बाई , आईजी मािा
39.लोकदेविा हड़बजी का वाहन क्या है- ससयार
21.कामड़ जाति की न्धस्त्रयों िारा िेरहिाली नृत्य ककस लोक देविा की भरि
में ककया जािा है- रामदेवजी 40.ककस लोकदेविा के आशीवाषद से राव जोधा ने मांडोर को मेवाड़ से मुि
करवाया था- हड़बजी
22.रामदेव जी की पड़ प्रमुखि: राजस्थान के ककन नजलों में बाांची जािी है
41.बैंगटी ककस सांि का परवि स्थल है- हड़बजी
- जैसलमेर बीकानेर
42.ककस नजले में कल्ला जी की काले पत्थर की प्रतिमास्थारपि है- डांगरपुर
23.रामदेव जी ने जीरवि समाधध कहाां ली - राम सरोवर ,रुसणचा
43.गोगा जी के थान ककस वृक्ष के नीचे होिे हैं - खेजड़ी
24.राजस्थान के एकमाि लोक देविा जो एक करव भी थे - रामदेव जी
44.मेहा जी माांगसलया ककस शासक के समकालीन थे - राव चड़ा
25.कौन सा मेला साांप्रदाधयक सद्भाव के सलए प्रससद्ध है - रामदेव जी का
मेला 45.मेहा जी का तप्रय घोड़ा - ककरड़ काबरा

26.छोटा रामदेवरा नाम से प्रससद्ध रामदेव जी का मांकदर ननम्न में से ककस 46.कल्लाजी की ससद्ध पीठ कहाां स्थस्थि है - रनेला
राज्य में है- MP (मध्य प्रदेश)
47.ककस देविा को शेर्नाग का अविार व चार हाथों वाले देविा माना जािा
27.लोक देविा देविा िेजाजी का वाहन क्या है - घोड़ी है - कल्लाजी

28.राजस्थान में सवाषधधक महत्वपणष लोक देविा माने जािे हैं - िेजाजी 48.रानी रूपादे ककस लोक देविा की रानी थी नजनका मांकदर तिलवाड़ा के
पास माला जाल गाांव में स्थस्थि है- मस्लल्लनाथ जी
29.वीर िेजाजी का जन्म कहाां हुआ- खरनाल
49.कौन से देविा बरसाि के देविा के रूप में प्रससद्ध है - मामादेव
30.ककसने लाछा गुजरी की गाय मेर की मीणाओां से छु ड़वाने के सलए अपने
जीवन की आहुति दे दी - िेजाजी 50.तिलवाड़ा, बाड़मेर में ककस लोक देविा का मेला भरिा है - मस्लल्लनाथ
जी
51.िेजाजी के चबिरे को थान िथा पुजारी को कहा जािा है- घोड़ला 66.मुहणौि नैणसी, महाकरव आसशया मोडजी व लोगों में प्रचसलि मान्यिा
के अनुसार ककस लोकदेविा का जन्म बाडमेर के जना नामक ग्राम मे
52. परबिसर का मेला ककस लोक देविा की स्मृति में आयोनजि ककया
अप्सरा के गभष से हुआ - पाबजी
जािा है - िेजाजी
67.जायल नरेश जींदराव खींची से देवल चारणी की गाय को छु डाने वि
53.अकबर के रवरुद्ध त्रचत्तौड़गढ़ आक्मण के समय कौन से लोक देविा युद्ध
इस वर्ष पाबजी वीरगति को प्राप्त हुए- 1276
करिे हुए मारे गए - कल्ला जी
68.ककस लोकदेविा का सांबांध सवाई भोज व सेंट खटाणी गुजषर से था
54.कौनसे लोकदेविा शेखावटी क्षेि में धनी लोगों को लट कर उनका धन
गरीबों को जरूरिमांदों में बाांट कदया करिे थे- डांगर जी, जवाहर जी - देवनारायण जी

55.लोक देविा के सररया कुां वर जी के थान पर ककस रांग का ध्वज फहराया 69.ककस लोकदेविा का रववाह जयससिंह देव परमार की पुिी पीपलदे से हुआ
जािा है- सफे द
- देवनारायण जी
56.भमम के रक्षक देविा के रूप में कौन लोकतप्रय हैं- भोममया जी
70.देवनारायजी के पजा स्थल आसीद (भीलवाडा) मे मेला कब लगिा है।
57.झोरड़ा नागौर में ककस लोक देविा का मांकदर स्थस्थि है- हररराम जी
- भाद्रपद शुक्ल सप्तमी
58.ककस लोक देविा ने कुां डा पांथ चलाया था - मस्लल्लनाथ जी
71.मल्लीनाथ जी के बारे
59.मस्लल्लनाथ जी का वास्तरवक नाम था - गाांगदेव राठौड़
- जन्म 1358 ई.में हुआ
60.रपिा जेवर व मािा बाछल का सांबांध ककस लोक देविा से है - गोगाजी
- रपिा रावल सलखा व मािा जाणीदे थे
61.ककस लोकदेविा की अपने मौसेर भाईयो अरजन-सुजषन के साथ
- रानी रूपाांदे की प्रेरणा से 1389 ई. मे उगमवासी भाटी के सशष्य बने
सम्पति रववाद को लेकर युद्ध हुआ और वीरगति को प्राप्त हुए- गोगाजी
72.लनी नदी ककनारे तिलवाड़ा में मल्लीनाथ जी का पशु मेला कब भरिा
62.गोगाजी को मुस्लस्लम गोगापीर व रहन्द ककस रूप में पजा करिे हैं।. है - चैिमाह

- नागराज 73.रामदेवजी के बारे मे

63.िेजाजी के बारे मे – - िांवर वांशीय अजमालजी व मािा मैणादे थी

- जन्म - 1073 ई. माघ शुक्ल चिुदषशी - पत्नी अमरोट के दलजी सोढा की पुिी ने नेिलदे थी

- रपिा - िाहडजी - जन्म उड़कासमेर सशव िहसील बाडमेर मे हुआ

- मािा- रामकुां वरी 74.ककस लोकदेविा का बापणी (जोधपुर) में भाद्रपद कृ ष्णा अष्टमी को मेला
भरिा है - मेहाजी माांगसलया
64.िेजाजी के बारे में
75.हडब जी के बारे मे
- पत्नी-पेमलदे
- राव जोधा के समकालीन थे
- ससुराल - पनेर
- भडेल के महाराज साांखला के पुि थे
- प्रिीक त्रचन्ह - नजहवा पर सपषदांश
- जोधा ने बेंगटी गाांव हड़बजी को प्रदान ककया
65.पाबजी का जन्म 1239 ई. कोलुमण्ड मे हुआ इनके रपिा थे - धाांधल जी
15. अचलदास खींची री वचननका के सांि पीपा ने ननम्न में से ककस शासक
को युद्ध में परानजि ककया था- रफरोजशाह िुगलक

16. सांि रैदास के सम्बि में ननम्न में से सत्य कथन है?

- ये जाति से चमार' थे।


कक्षा- 10 अध्याय- 2 (राजस्थान के प्रमुख संत
- वह 'रामानन्द' के सशष्य थे
सम्प्रदाय)
- इनकी 4 खम्भों की छिरी त्रचत्तौड़गढ़ में बनी है।
1. सांि जाांभोजी का जन्म स्थल कौनसे नजले में है- पीपासर
17. ननम्न में से ककस मरहला सांि (प्रससद्ध कृ ष्ण उपाससका) का सम्बि
2. मीरा ने अपना अस्न्तम समय कहाां रबिाया था - िाररका मेवाड से था- भरी बाई

3.ककस सांि को दजी समुदाय अपना आराध्य मानिा है - पीपा जी 18. राजस्थान की दसरी मीरा' कहलाने वाली राना बाई का जन्म कहााँ पर
हुआ था- हरनावा (नागौर)
4. पाशुपि सम्प्रदाय के प्रविषक हैं- लकु लीश
19. समदड़ी (बाड़मेर) में पीपा जी का मेला कब भरिा है- चैि पसणिमा
5.अष्ट छाप करव मांडली का सांगठन ककया- रवट्ठलनाथ ने
20. ककस रविान ने सांि पीपा की जीवनी सलखी है?- गारसा द िासी
6. ननम्न में से कोनसा सम्प्रदाय 'हांस सम्प्रदाय' के नाम से भी जाना
जािा है- ननम्बाकष सम्प्रदाय 19. सांि दाददयाल का जन्म ककस स्थान पर हुआ था - अहमदाबाद

7. लालनाथ जी, चोखनाथ जी और सवाईदास जी सन्त ककस सम्प्रदाय से 20. ससकन्दर लोदी ने राजस्थान के ककस सांि के प्रभाव से गौहत्या पर व ह
थे- जसनाथी सम्प्रदाय वृक्ष की कटाई पर प्रतिबांध लगाया था - जाम्भो जी

8. मुगल सम्राट अकबर िारा नजस सन्त को फिेहपुर सीकरी आमांत्रिि 20. दादु पथ में 'नागा' साधु वगष ककसने प्रारम्भ ककया- सुन्दर दास
ककया गया था, वह था -दाद दयाल
21. सांि रज्जब जी के बारे में ननम्न में से सत्य कथन है ?
9. बखनाजी, सांिदास जी, जगन्नाथ दास और माधोदास नामक सांिों का
- इनकी प्रधान पीठ साांगानेर में है।
सांबांध ननम्नसलखखि में से ककस सम्प्रदाय के साथ था - दाद पांथ
- दादु की मृत्यु के बाद इन्होंने आाँखों पर आजीवन पट्टी बाांधे रखी
10. राजस्थान के वे प्रससद्ध सन्त नजन्होंने यह सलखा था कक ‘ईश्वर ननत्य है,
सवोपरर है, मनुष्य वासनाओां का दास है’‌- रैदासजी - इनके उपदेश रज्जब वाणी व सवषगी में सांकसलि हैं ।

11. दाद पांथ के बारे में ननम्नसलखखि में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है – 22. जैसलमेर के शासक राजा जैिससिंह ने गुरू जम्भेश्वर के कहने पर ककस
स्थान पर एक िालाब का ननमाषण करवाया था, जो रवश्नोई समाज के सलए
Ans. दाद-पांथी मृिकों के शव को जलाने में रवश्वास करिे हैं।
पुष्कर के समान परवि िीथष है- जाम्भा (फलौदी)
12. रससक सांप्रदाय का प्रविषक कोन था - अग्रदास
23. सांि रामचरण जी के गुरू का नाम है - कृ पाराम
13. ककस सन्त ने मुस्लस्लम आक्मणकारी नाकदरशाह के आक्मण की
24. 1997 में सांि सुांदरदास जी पर ककिने रुपए का डाक कटकट जारी हुआ -
पहले से भरवष्यवाणी की थी
₹2
- सांि चरणदास
25. सांि सुन्दरदास के बारे में ननम्न में से सत्य कथन है ?
14. जाम्भोजी जहाां प्रवचन करिे थे, वह क्या कहलािा था - सथारी
- इनका जन्म 'दौसा में 1596 ई में हुआ था ।

- इनका ननधन साांगानेर में हुआ था।


- इन्होंने दादु पांथ में नागा साधु वगष प्रारम्भ ककया था । 40. बासलन्दजी के गुरू कौन थे - दाद दयाल जी

26. ननम्न में से ककस सम्प्रदाय के प्रविषक ने अपने सम्प्रदाय के सलए 42 41. ननम्न में से कौन सा दादपांथ का उप-सांप्रदाय नहीं है- सिनामी
ननयम बनाए थे - चरांदासी सांप्रदाय
42.'अलखखया सम्प्रदाय' की स्थापना ककसने की- लाल त्रगरी
27. ननम्न में से कौनसे सांि आजीवन दल्हे के वेश में रहकर दादपांथी
43. सची-1 व सची-2 का ममलान
सांप्रदाय का व्याख्यान ककया - रज्जब जी
सची-1 सची-2
28. ननरजनी सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ कहााँ स्थस्थि है - गाढ़ा (नागौर)
अ. िारकाधीश - काांकरोली
29. ननम्न में से कौनसा सम्प्रदाय सगुण व ननगुषण भरि का ममश्रण है-
चरणदासी सम्प्रदाय ब. श्रीनाथजी - नाथिारा

30. जयपुर के ककस शासक ने गौड़ीय सम्प्रदाय को सवाषधधक बढ़ावा कदया?- स. मथुराधीश - कोटा
जयससिंह रििीय द. गोरवन्द देवजी - जयपुर
31. ककस सम्प्रदाय में 'जाल वृक्ष' व 'मोर पांख' को परवि माना जािा है- 44. सांि रामचरण जी का जन्म कहााँ पर हुआ था - सोडा ग्राम (टोंक)
जसनाथी सांप्रदाय
45. सांि दाद ने अपने सवषप्रथम उपदेश ककस स्थान पर कदये थे - साांभर
32. जहाां दाद ने अपना अांतिम समय रबिाया था, उस स्थान का नाम था -
46. दादु पांथ में 'खालसा वगष' ककसने प्रारम्भ ककया- गरीबदास
नारायणा
47. मुकाम (बीकानेर) में रवश्नोई सम्प्रदाय का मेला कब भरिा है?
33 सांि दयाबाई सशष्य थी - सांि चरणदास की
- फाल्गुन अमावस्या व आसश्वन अमावस्या
34. राजस्थान के ककस सन्त िारा 'सत्यभामाजी नुां रूसण' की रचना की
गयी – मीराबाई 48. नरायणा (जयपुर) में दादुपथीयों का मेला कब भरिा है- फाल्गुन
शुक्ल अष्टमी
35. काजी हमीदुद्दीन सुहरावदी को ककस स्थान पर सवषप्रथम काजी बनाया
गया था - नागौर 49. राजस्थान के प्रमुख सांि िथा उनके िारा स्थारपि सम्प्रदाय

36. सची-1 सची-2 - रामचरणजी - राम स्नेही सम्प्रदाय

a. शेख हमीदुद्दीन ममठे सहाबली - गागरौन - लालत्रगररजी - अलखखया सांप्रदाय

b. मौलाना नजयाऊद्दीन - जयपुर - हररदासजी - ननरांजनी सांप्रदाय

c. शेख नजमुद्दीन - फिेहपुर - सांिदासजी - गदांड़ सम्प्रदाय

d. शेख बाबा इस्ट्हाक - खाट 50. ककस सम्प्रदाय में 'जुगल सरकार' (सीिा-राम) की पजा की जािी है -

37. वैष्णव सम्प्रदाय के पुत्रष्ठमागष से सम्बांधधि के न्द्र- 1. नाथिारा , 2. - रामानुज सम्प्रदाय


काांकरौली
51. मलकनाथ ककस पांथ के साधु थे - गरीबदासी पांथ
38. आचायष िुलसी ने “आणुव्रि आन्दोलन”‌का सुिपाि कब ककया - 1949
52. ननम्बाकष सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ राजस्थान में स्थस्थि है - सलेमाबाद
ई.
53. सांि धन्नाजी के मेले में राजस्थान के अलावा ककस राज्य से सवाषधधक
39. िेरापांथी सांप्रदाय ककस धमष से जुड़ा है- जैन धमष
अनुयायी आिे हैं- पांजाब
54. सुमेसलि युग्म 68. 'सन्याससयों के सुल्तान' के नाम से ककसे जाना जािा है - हमीद्-उद्-
दीन नागौरी
- सांि पीपा - त्रचन्तावणी
69. ननम्न में से असत्य को अलग कीनजए- सांि रैदास - सगुण सांि
- रैदास - रैदास की परची
70. ककस सांि के चौपड़े के वल दीपावली के कदन ही बाहर ननकाले जािे है
- सांि धन्ना-धन्ना जी की आरिी
- सांि मावजी
55. राजस्थान के ककस सांि ने साधुओां को सैन्य प्रसशक्षण देकर एक सैन्य
दल 'लश्करी' बनाया था - बालानांदाचायष 71. राजस्थान में वल्लभ सांप्रदाय की एक महत्वपणष पीठ है- नाथिारा

56. जाम्भोजी िारा रत्रचि ककस ग्रन्थ को रवश्नोई 'पााँचवा वेद' मानिे हैं 72. सांि पीपा का बचपन का नाम था - प्रिापससिंह खींची

- जम्भ सांरहिा/गीिा 73. चरणदासी सम्प्रदाय के बारे में ननम्न में से सत्य कथन है?

57. ननम्न में से ककस सांप्रदाय का सांबांध अफ्टि नृत्य से है - जसनाथी - चरणदास का बचपन का नाम 'रणजीि' था ।

58. डेहरा (अलवर) में चरणदासी सम्प्रदाय का मेला कब भरिा है? - इन्होंने गुरू शुकदेव से दीक्षा लेकर अपना नाम चरणदास रखा।

- बसन्त पांचमी - इस सम्प्रदाय के सांि पीले वस्त्र पहनिे हैं ।

59. गुरू जाम्भोजी का ननवाषण ककस स्थान पर हुआ था – 74. सांि रामचरण जी के उपदेश ककस रचना में सांकसलि हैं- अणषभवाणी

लालासर (बीकानेर) 75. नाथपांथ के महान सांि ननम्न में से कौन है -- भिृषहरर

60. ककस सफी सांि ने नागौर के पास 'सुचाल' गााँव में अपना के न्द्र 76. सन्त पीपा के अनुसार मोक्ष का साधन है - भरि
बनाकर शाांतिपवषक प्रचार ककया- शेख हमीदउद्दीन
77. नाथ सम्प्रदाय की गद्दी स्थस्थि है - जोधपुर
61. ननरजनी सम्प्रदाय के प्रविषक सांि हररदास जी का मल नाम था ?
78. सांि मीराां बाई का बचपन का नाम था - पेमल
- हररससिंह साांखला
79. राजस्थान का 'उत्तर- िोिाकद्र' कहलािा है- गलिा
62. ननम्न में से ककस सांि को ख्वाजा मुईनुद्दीन त्रचश्ती ने 'सुल्तान-उल-
80. परनामी सम्प्रदाय के बारे में ननम्न में से सत्य कथन है
िरीकीन' की उपाधध दी - शेख हमीदुद्दीन नागौरी
- इस सम्प्रदाय में 'कु लजम स्वरूप' ग्रन्थ की पजा की जािी है।
63. नमो भगविे वासुदेवाय' मांि ककस सांप्रदाय से सांबांधधि है-
- इसकी प्रमुख पीठ पन्ना (मध्यप्रदेश) में है ।
वैष्णव सांप्रदाय
- इसके प्रविषक प्राणनाथ' जी थे।
64. ककस लोकसांि के समाधध स्थल पर उनकी पत्नी की याद में 'भांवरी
ओढ़नी' हमेशा चढ़ी रहिी है - जसनाथ जी 81. अलखखया सम्प्रदाय के बारे में ननम्न में से सत्य कथन है ?

65. दादुदयाल की ककन दो रचनाओां का सांकलन उनके सशष्यों ने ककया है? - इसके प्रविषक 'लालत्रगरी' थे ।

- हरड़ेवाणी, अांगवधु - लालत्रगरी का जन्म सुलखननया गााँव (चुरू) में हुआ था।

66.ननम्न में से कौन सा जसनाथी सम्प्रदाय का मुख्य कें द्र है - - इनका प्रमुख ग्रन्थ 'अलख स्तुति प्रकाश'है
किररयासर 82. सांि दाददयाल के गुरू का नाम है ?- बुढ़न जी
67. परणामी सांम्प्रदाय के उपदेश ककस ग्रांथ में सांग्ररहि है-कु जलम स्वरूप 83. जाम्भो जी के बारे में ननम्न में से सत्य कथन है ?
- ये 'गोरखनाथ' के सशष्य थे। - सत्यभामा न रुसुणो

- इनका प्रवचन स्थल 'साथरी' कहलािा है। - नरसी मेहिा की हुांडी

- इन्हें 'गुांगा व गहला' भी कहा जािा है । - रुक्मणी मांगल ,पदावली

84. सांि दाद के 52 प्रमुख सशष्य क्या कहलािे हैं- 52 स्तम्भ 100. मीरा महोत्सव ककस नजले में मनाया जािा है - त्रचत्तौड़गढ़

85. साखी पद, आध्यात्म बोध व अनभै प्रबोध नामक रचनाएाँ ककस सांि 101. मीरा महोत्सव का आयोजन ककस माह में ककया जािा है - आसश्वन
की है - गरीबदास
102. ननम्न में से ककस मांकदर में मीरा की मतिि लगी हुई है
86. 'लसाकडया' आांदोलन के प्रणेिा कौन थे - सन्त मावजी
- चारभुजा नाथ मांकदर
87. ननम्न में से कौन दाद पांथ की शाखाओां में सस्थम्मसलि नहीं है - रहन्त
- कुां भ स्वामी मांकदर
88. सलेमाबाद में ननम्बाकष चायष पीठ की स्थापना ककसने की - परशुराम
- जगि सशरोमसण मांकदर
देव
103. मीरा अपने अांतिम समय ककस मांकदर में गई और वही त्रगरधर गोपाल
89. सांि चरण दास जी का जन्म राजस्थान के ककस नजले में हुआ था
में रवलीन हो गई - रणछोड़ मांकदर
- अलवर
104. धमष जहाज', 'भरि पदारथ एवां 'नासके ि लीला' रचनाएां ननम्न में से
90. राजस्थान में, कृ ष्ण को समरपिि वैष्णव सांप्रदाय का 'िारकाधीश' नाम ककस सांि की हैं- चरणदास
से प्रससद्ध मुख्य पीठ कहााँ है - काांकरोली
105. ननम्न में से जयपुर के ककस शासक ने सवषप्रथम नागा दादपांनथयों को
91. ककस सांि ने 'सांि गुन सागर' और 'नाम - माला' की रचना की दाद सेना में भिी ककया था - सवाई जय ससिंह

92. दाद दयाल जी के बचपन का नाम था- महाबली 106. राजस्थान में धाममिक आांदोलन का श्रीगणेश करने का श्रेय जािा है।

93. राजस्थान का कबीर ककसे कहा जािा है - दाद दयाल जी - धन्ना

94. दाद पांथ के पांचिीथष में कौन सा शाममल नहीं है - बयाना- जयपुर 107. धन्नाजी का जन्म धुवन गााँव मे 1415 को जाट पररवार मे हुआ। यह
ककस नजले मे है - टोंक
95. दाद सांप्रदाय के सत्सांग स्थल को कहा जािा है - अलख दरीबा
108. धन्ना जी के बारे मे सत्य बिाइये
96. दाद दयाल जी के ग्रांथों के बारे में सत्य
- ये रामानांद के सशष्य थे
- उपदेश -दाद जी री वाणी व दाद जी का दहा
- ये ननगुषण भरि के उपासक थे
- दाद जी की 2623 साखखयाां में 445 पद सांग्ररहि है
- नाम-स्मरण को ही ईश्वर प्रातप्त का प्रमुख साधन माना
- उपदेश व लेखन की भार्ा सांधुक़्कडी
109. सन्त पीपाजी ककस ररयासि के शासक थे- गागरौन (झालावाड.)
97. दादपांथी साधु आपस में अमभवादन में ककस नाम को पुकारिे हैं
110. 'त्रचिावनी' ग्रन्थ के लेखक है- पीपा
- सिराम
111. पीपाजी के बारे मे सत्य बिाइये।
98. मािो बाई व नानी बाई ककस सांि की पुिी व सशष्या थी - दाद दयाल जी
- गुफा- टोडाभीम (टोंक)
99. ननम्न में से कौन सा ग्रांथ मीरा िारा रत्रचि है
- छिरी - गागरौन (झालावाड)
- मन्दन्दर - समदडी (बाड़मेर) - जन्म धोनीदुव (अलवर) श्रावण कृ ष्ण पांचमी के कदन

112. ककस शासक ने अपना शासन व राजपाट त्याग कर अपनी रानी सीिा - मृत्यु- नगला (भरिपुर)
के साथ रामनाथ के सशष्य बन गए - पीपाजी
- समाधध - शेरपुर
113. दजी समाज के अनुयायी ककस सन्त के मेले पर प्रतिवर्ष चैि शुक्ल
125. सन्त हररदास जी के बारे मे कथन
पसणिमा को भाग लेिे हैं।- पीपाजी
- मल नाम हररससिंह साांखला' था .
114. सन्त जाांभोजी का जन्म 1451ई. की भाद्रपद कृ ष्ण अष्टमी को कहाां हुआ
- ननगुषण भरि पर जोर कदया
- पीपासर (नागौर)
- ननरांजनी सम्प्रदाय प्रारम्भ ककया
115. हमीरजी जाणी जाट व रूपादे के पुि कौनसे सन्त थे- जसनाथ जी
- राजप्रकाश व हररपुरुर् की वाणी प्रमुख ग्रन्थ
116. ककस सन्त ने गोरखमासलया (बीकानेर) में 12 वर्ष िक कठोर िपस्या
की थी- जसनाथजी - डीडवाना में 1543 ई. को देहान्त हुआ

117. लोह पाांगल नामक िाांत्रिक का घमण्ड चकनाचर करने वाले सन्त थे 126. दायुदयाल जी के बारे मे कथन

- जसनाथ जी - ज्येष्ठ कृ ष्ण अष्टमी 1603 ई0 में ननधन हुआ

118. नजस वर्ष जसनाथ जी व जाम्भोजी का परस्पर ममलन हुआ था- 1500 - पानथिव शरीर को भेराणा की पहाड़ी के नीचे दाद खोल' नामक स्थान पर
रख कदया
119. राव लणकरण को बीकानेर का राजपद पाने का वरदान देने वाले
सन्त थे - जसनाथजी - दाद जी ने 1585 ई. मे अकबर से फिेहपुर सीकरी मे मुलाकाि की

120. जसनाथ जी के किरीयासर धाम पर वर्ष के ककन िीन महीनो में मेले 127. मीरा बाई के बारे मे सत्य
लगिे हैं - चैि, आसश्वन, माघ - अस्न्तम समय गुजराि मे िाररका के डाकोर स्थस्थि रणछोड़ मन्दन्दर में
121. लालदास जी के बारे मे सत्य बिाइये 1547 ई में कृ ष्ण मतिि मे रवसलन हो गई

- लालदासी सम्प्रदाय के प्रविषक थे - रववाह 1516 में भोजराज के साथ हुआ

- जन्म अलवर के धोलीदुव गाांव मे 1504 में हुआ - जन्म कु ड़की (पाली) मे 1498 मे हुआ

- रपिा-चाांदमल व मािा समदा थी 128. सन्त राना बाई के बारे में सत्य

122. लालदास जी के बारे में सत्य ' बिाइये - रपिा रामपाल व मािा गांगाबाई थी

- लावदास जी ने तिजारा के फकीर गदन त्रचश्ती से दीक्षा ली - पालड़ी के सन्त चिुरदास की सशष्या थी

- मेव मुसलमान इन्हें पीर मानिे हैं - हरनावा (नागौर) में भाद्रपद शुक्ल ियोदशी को मेला लगिा है।

- लालदास की चेिावननया प्रमुख काव्य ग्रन्थ 129. सन्त मावजी के बारे कथन

123. नगला में 1648 ई० में 108 वर्ष की आयु मे ककस सन्त का ननधन - जन्म 1714 ई. में साबला गाांव मे
हुआ - लालदासजी - ननष्कलांक सम्प्रदाय के प्रविषक
124. लालदास जी के बारे में सत्य कथन बिाए - बेणेश्वर धाम की स्थापना की
- धोलागढ़ में पाांच बडे ग्रन्थ सलखे, नजनके छन्दों की सांख्या 72 लाख 96 5. भगौररया होली का प्रचलन ककस क्षेि मे है - मेवाड
हजार बिलाई
6. सत्य कथन
- मावजी के ग्रन्थ चौपडा दीपावली के कदन ही बाहर ननकाले जािे है।
- लट्ठमार होली - श्रीमहावीरजी
130. ककस सन्त को रवष्णु का दसवे अविार 'कस्ल्क अविार' मानिे है।
- पत्थर मार होली - बाड़मेर
- मावजी
- होली पर गीदड नृत्य - शेखावाटी क्षेि
131. रामचरण के बारे में सत्य कथन
7. जैन धमष का परवि उत्सव पयुषर्ण ककस माह में मनाया जािा है।
- जन्म माघ शुक्ल चिुदषशी 1719 को सोडा गाांव मे हुआ
- भाद्रपद
- जन्म बखिराम व देऊजी के घर हुआ
8. ककस उत्सव का अस्न्तम कदन सांवत्सरी कहलािा है- पयुषर्ण
- मेवाड़ के दान्तडा ग्राम में 1751 मे कृ पारामजी से दीक्षा ली
9. वह त्योहार नजसे बकरा ईद भी कहिे है, नजलरहज्ज की दसवी िारीख को
132. नांवल सम्प्रदाय की पीठ जोधपुर मे ककसने स्थारपि की - नवलदासजी ईिाहम िारा अपने तप्रय पुि इस्माइल की कु बाषनी की याद मे मनाया जािा
से - ईदुलजुहा
133. महतर्ि नवलराम/ नवलदास जी का जन्म कहाां हुआ था-
10. ककस महीने के अस्न्तम कदन मुहम्मद साहब के नािी हुसैन इमाम की
हरसोलाव (नागौर)
कु बाषनी के उपलक्ष में िानजये ननकालिे है- मुहरषम
134. सवषगी सम्प्रदाय के बारे सत्य कथन
11. मुस्लस्लम त्योहारो के बारे मे सत्य
- इसकी पीठ सीकर के धोद िहसील के साांगसलया गाांव मे स्थस्थि है
- शबेराि का त्योहार बड़ी खुशी का होिा है।
- इस सम्प्रदाय की स्थापना 1649 में लक्कड़दास महाराज ने की
- मुहम्मद साहब के जन्म व मरण की स्मृति मे बारावफाि का त्योहार
- अनुयाधययों का मुख्य अमभवादन जय साहेब' है। मनािे हैं

- रमजान की समातप्त का कदन इदुल-रफिर कहलािा है

अध्याय- 3 (राजस्थान के उत्सव, त्योहार व मेल)े 12. ईस्टर, गुड फ्राइडे, रक्समस डे का सांबांध ककस धमष से है- ईसाई

13. मेले व नजलों से सांबांधधि सुमेसलि

- धुलेव का के सररया मेला - उदयपुर


1. वह त्योहार जो चैि कृ ष्णा प्रतिपदा से लेकर चैि शुक्ल िृिीया' िक चलिा
है और होली के राख के रपण्ड बनाकर जो अकु रो के साथ सशव व पावषिी की - दधधमति मािा मेला - नागौर
पजन ककया जािा है- गणगौर
- अन्नकट मेला - नाथिारा
2. कनषल जेम्स ने ककस शहर की गणगौर सवारी का वणषन ककया।
14. रवक्म सांवि 1121 में मोरहल के हटङ ने रेवासा (सीकर) में ककसका
- उदयपुर मन्दन्दर बनवाया- जीण मािा

3. राजस्थान मे त्योहार का आगमन व समापन ककस महीने वर्ष से होिा है 15. सीकर मे खादुश्यामजी का मेला कब भरिा है- फाल्गुन

- श्रावण-चैि 16. टोक के मालपुरा िहसील में कडग्गीपुरा में कल्याणजी का श्रावण माह
की अमावस्या को मेला लगिा। यह ककस भगवान को समरपिि है - रवष्णु
4. कोड़ा मार होली कहााँ की प्रससद्ध है- मभनाय
17. करौली में श्री महावीर का मेला चन्दनगाांव में ककस नदी के ककनारे 28. खलकाणी मािा का गधो का मेला कहाां आयोनजि होिा
भरिा है - गांभीर
- भावगढ, बांध्या गाांव, जयपुर
18. बैलगाड़ी मेले के नाम से प्रससद्ध मेला है- हङबुजी मेला)
29. धींगा गणगौर कहाां की प्रससद्ध है- उदयपुर

30. जलझलनी एकादशी कब मनाई जािी है- भाद्रपद शुक्ल एकादशी


19. चाकस, जयपुर में शीिला मािा मन्दन्दर का ननमाषण ककसने करवाया
31. रबना ईसर की गणगौर कहाां पजी जािी है- जैसलमेर
- माधोससिंह
32. कथन
20. शीिलामािा के बारे मे कथन
- गुरु पसणिमा आर्ाढ़ पसणिमा को मनाई जािी है
- उिर भारि में महामाई 'पसश्चम भारि में माई अनामा' व राजस्थान
- ननजषला एकादशी जेष्ठ शुक्ल एकादशी को मनाई जािी है
सेंडल मािा व शीिला मािा के रूप में माना जािा है।
33. सुगांध दशमी पवष ककस धमष से जुड़ा है - जैन
- उपनाम - चेचक की देवी
34. िारकीन का उसष मेला लगिा है- नागौर
- मेला चैि कृ ष्णा अष्टमी को लगिा है
35. गणेश चिुथी कब मनाई जािी है - भाद्रपद शुक्ला चिुथी
21. कै लादेवी का मन्दन्दर करौली मे ककस पवषि पर स्थस्थि है- त्रिकु ट पवषि
36. प्रबोधधनी एकादशी कहिे हैं- देवउठनी ग्यारस को
22. यह कै लादेवी देवी के बारे मे कथन है.
37. काममका एकादशी को ककस देविा की पजा की जािी है- रवष्णु
- मन्दन्दर मे देवी की दो मतिियाां है दारहनी िरफ देवी की मतिि है नजन्हें लक्ष्मी
नाम से जाना जािा है। 38. डोला यािा उत्सव कहााँ मनाया जािा है?- बाराां

- बायी िरफ चामुण्डा मािा की मतिि है। 39. रमजान की 27 वीं िारीख को मनाया जाने वाला मुस्लस्लम त्यौहार है

- मन्दन्दर के सामने हनुमानजी का मन्दन्दर भी है। - शबेकद्र

- मेले मे लागररया नृत्य होिा है। 40. अजमेर नजले का कौन सा स्थान घोड़ा मार होली उत्सव हेिु प्रससद्ध है

23. कोलायि (बीकानेर) मे करपल मुनन कब का मेला कब भरिा है। - मभनाय

- कातििक पसणिमा 41. करवा चौथ का व्रि रखा जािा है- कातििक कृ ष्ण चिुथी

24. ख्वाजा मोइनुद्दीन त्रचश्ती की दरगाह पर बड़ी देग व छोटी देग का 42. ननम्न में से कौन सा त्यौहार सावन के महीने में नहीं आिा है
ननमाषण ककसने करवाया- अकबर-जहाांगीर - जन्माष्टमी
25. सन्त सैयद फरवरूदीन की मजार कहाां स्थस्थि है, नजसे मजार-ए- 43. साांझी पवष जोक मालवा व ननमाड़ अांचल का प्रमुख पवष है ननम्न में से
फखरी भी कहिे हैं - गसलयाकोट, सागवाड़ा िहसील (इांगरपुर) ककस में लोकतप्रय है- कुां वारी कन्या
26. डुगरपुर मे बेणेश्वर धाम की स्थापना सन्त मावजी ने ककस गाांव में की 44. "अशोकाष्टमी "मनाई जािी है- चैि शुक्ल अष्टमी
- नवाटापुरा 45. ननम्न पांरियों पर रवचार करें
27. बेणेश्वर मे भगवान सशव का सशवसलिंग ककिने स्थानो से खस्ण्डि है - गणगौर - चैि शुक्ल िृिीया
नजसकी पजा होिी है- 5
- छोटी िीज - श्रावण शुक्ल िृिीया
- रवजयदशमी - अश्वनी शुक्ला दशमी 46.‘थदड़ी' त्योहार ककस धमष या जाति के अनुयायी मनािे हैं- ससिंधी

- देवोत्थान एकादशी - कातििक शुक्ल एकादशी 47.कोलायि में करपल मुनन का मेला भरिा है- कातििक पसणिमा को

46.'श्राद्ध पक्ष' नजसके दौरान पवषजों की पजा की जािी है, कब मनाया जािा 49.दुगाषष्टमी ककस तिनथ को मनाई जािी है - आसश्वन शुक्ला अष्टमी
है- भाद्रपद शुक्ल पसणिमा से असश्वन कृ ष्ण अमावस्या
50.ननम्न में से कौनसा पवष सदैव अांग्रेजी कलैण्डर के रहसाब से एक
47. ननम्न में से कौन सा कथन सत्य है ननसश्चि तिनथ 14 जनवरी को ही मनाया जािा है ?- मकर सांक्ाांति

- त्रचि कृ ष्ण अष्टमी को घुड़ला त्यौहार मनाया जािा है

- बड़ी िीज को सत्तवा िीज भी कहिे हैं


अध्याय- 4 ( राजस्थान के वस्त्र व आभर्ण )
- पत्थर मार होली बाड़मेर की प्रससद्ध है

48. चेटीचांड ककस तिनथ को मनाया जािा है - चैि शुक्ल रििीया


1. राजस्थान में कहावि" मारू थारे देश में उपजै िीन रिन, इक ढोला.
49. पीपल पसणिमा कब मनाई जािी है- ज्येष्ठ पसणिमा दुजी मारवण िीजो कां समल रांग। इसमे कसमल रांग कौनसा है- लाल रांग
50. आांवला नवमी / अक्षय नवमी ककस तिनथ को मनायी जािी है? 2. अटपटी, अमरशाही, उदेशाही, खांजरशाही, सशवशाही, रवजयशाही व
- कातििक शुक्ल नवमी शाहजहानी ककसके प्रकार है- पगड़ी के

32. मारवाड़ के ककस शासक की मृत्यु 'गणगौर' के कदन हुई थी ? 3. पगकड़यो के बारे मे सत्य

- राव सािल - मोठडे की पगडी - रववाह पर

33. ननम्न में से ककस स्थान पर 'फलों की होली' खेली जािी है ? - लहररया पगड़ी - श्रावण में

- गोरवन्द देव जी (जयपुर) - मदील पगड़ी- दशहरे पर

34.रक्समस का त्योंहार कब मनाया जािा है - 25 कदसम्बर 4. िुर,े सरपेच, बालाबन्दी, धुगधुगी, गोसपेच, पछे वडी, लटकन, फिेफेच का
प्रयोग ककसमे होिा है - पगड़ी में
35. अांग्रेजी कै लेण्डर के 'माचष' महीने में रवक्म सांवि के कौनसे महीने होिे
हैं- फाल्गुन-चैि 5. िनसुख, दुिई, गाबा, गदर, ममरजाई, डोढी, कानो, डगला ककस वस्त्र के
उपनाम है- अांगरखी के
36. 'वट सारविी व्रि' ककस तिनथ को मनाया जािा है- ज्येष्ठ अमावस्या
6. चोल, ननचोल, पट, दुकल, 'असुक, वसन ककस वेशभर्ा के प्रकार है।
38. ननम्न में से ककस स्थान पर 'दध दही की होली' खेली जािी है?
- साड़ी के
- नाथिारा (राजसमांद)
7. चीर-पटोरी, चोरसो, ओढ़नी, चदडी, धोरावली, लहररया ककसके प्रकार है।
40.ककस सांवि को 'मालव सांवि' और 'कृ ि सांवि' के नाम से भी जाना
जािा है? - रवक्म सांवि् - साड़ी के

43. जैसलमेर पिांग महोत्सव का आयोजन कब होिा है- फरवरी 8. जयपुर में स्थारपि 36 कारखानों में से सींवन खाना, रांगखाना,
छापाखान जैसे कु छ वस्त्रो से सांबांधधि थे इनका ननमाषण ककसने करवाया
44. उत्सव मेला कहाां आयोनजि ककया जािा है- हल्दीघाटी
- सवाई जयससिंह
45. रबश्नोईयों का कुां भ कहाां जाने वाला जांभेश्वर जी का मेला कहाां आयोनजि
होिा है- मुकाम 9. पोमचा के बारे मे सत्य कथन
- पोमचे का अथष है कमल फल के अमभप्राय युि ओढ़नी - ससर

- पीला पोमचा बेटे जन्म पर स्त्री पहनिी है। 25. थमण्यो, थेड्यो, आड, मठ्या, झालरा, ठुस्सी ककस अांग के आभर्ण है

- गुलाबी पोमचा बेटी जन्म पर स्त्री पहनिी है। - गला

10. प्रिापसाही, राजाशाही, समुद्र लहर ककसके प्रकार है- लहररये के 26. िुलसी, बजटी, हालरो, तिमसणया, पोि, चन्द्रहार, चांपाकली, हसांहार,
सरी, कण्डी ककस अांग के आभर्ण है - गला
11. कहाां के रांगरेज और नीलगर 'राजाशाही' लहररया रांगिे थे नजसमे
चमकदार गुलाबी रांग की आड़ी रेखाएां बनिी है - जयपुर 27. कणषफल, पीपलपिा, फल झमका, अांगोट्या, झेला, लटकन,टोटी ककस
अांग के आभर्ण है - कान
12. आड़ी धाररयाां के वल एक ओर से हो िो वह लहररया िथा दोनो ओर से
एक-दसरे को काटिी हुए आ रही हो िो उसे कहिे हैं - मोठडा 28. ननम्न मे से कौनसी चडी लाख से ननममिि नही होिी है - कािरया

13. समुद्र लहर का लहररया कहाां का प्रससद्ध- जयपुर 29. नोगरी, चाांट, गजरा, गोखरू, कािरया ककस अांग के आभर्णय है - हाथ

14. ककस िकनीक में चुनरी के बांधज


े सवाषधधक लोकतप्रय है - बद्ध 30. बींटी, दामणा, हथपान, छडा आभर्ण है - हाथ की उांगली के

15. लहररया व पोमचा कहाां का प्रससद्ध है - जयपुर, शेखावाटी 31. लांगर, नपुर ,झाांझर, नेवरी ककस अांग के आभर्ण है- पैर

16. ससटी पैलेस, जयपुर में ककस शासक की अांगरखखया अपनी सुगांधधि रांग 32. नथ, बेसर, बारी, भोगली, काांटा, चुनी, चोप, भवरकड़ी ककस अांग के
के सलए पृससद्ध है - रामससिंह रििीय आभर्न है - नाक

17. बाड़मेर मे अजरख तप्रन्ट में ककन रांगो का प्रयोग होिा है- लाल व नीले 33. दािों मे सोने के पत्तर कक खोल बनाकर चढ़ाई जािी है। उसे कहिे थे

18. आहाड व भीलवाडा में मुख्य रूप से ककस रांग की चुननी की छपाई होिी - रखन
है - लाल व काले
34. दािों के बीच में सोने की कील जड़वाना कहलािा है - चप
19. बगरू (जयपुर) अपने स्याह बैगर छपाई के सलए रवख्याि है इसमें
35. चाांदी के आभर्णों 'िारकशी' (धािु के बारीक िारों से ननममिि) के सलए
कौनसा रांग प्रयुि होिे हैं - काला व लाल
प्रससद्ध है- नाथिारा (राजसमांद)
20. सिी िाने पर बादले के बाने से बुनी बैल को कहा जािा- गोटा
36. काांच के बीच सोने का बारीक काम थेवाकला कहााँ की प्रससद्ध है
21. लप्पा, लप्पी, बाकडी ककसके प्रकार हैं- गोटा
- प्रिापगढ़
22. गोटे के बारे में सत्य बिास्ये
37. राजस्थान का कौनसा नजला 'आभर्ण व रत्न व्यवसाय के सलए रवश्व
- खण्डेला (सीकर) गोटा उद्योग के सलए प्रससद्ध है प्रससद्ध है- जयपुर

- चौडा गोटा लप्पा व कम चौङाई वाला लप्पी कहलािा है। 38. बच्चों के आभर्ण के बारे में सुमेसलि

- चौडाई के अनुसार गोटा चौमास्या, आठमास्या होिा। - कण्ठ - हांसुली

23. अलग-अलग रांग के कपड़ों को रवरवध कडजाइनों में काटकर कपड़े पर - पाांव- कड़े
ससलाई की जािी है नजसे पेचवकष कहिे हैं यह कहाां का प्रससद्ध है
- कान- मोिी/लांग
- शेखावटी
39. पाांवों मे पहनाई जाने वाली पिली सॉकली नजसमें घुघररयाां फााँद दी
24. बोर, बोरला, शीशफल, रखडी कटकडा ककस अांग के आभर्णा है जािी है, कहलािी है- पैंजणी , झाांझरया
40. मुरकी आभर्ण ककस अांग मे पहना जािा है- कान 54. आिमसुख से आशय है-

41. आभर्ण के बारे मे असत्य बिाइये- टोटी-हाथ - िेज सदी में पुरूर्ों िारा ओढा जानें वाला वस्त्र

42. आभर्ण के बारे में' सत्य 55. ननम्न में से ककसे ‘सौन्दयष प्रसाधन प्रेमी सभ्यिा’‌कहिे हैं, क्योंकक वहाां
के लोग को सजने-सांवरने का अधधक शौंक था - कालीबांगा
- हथफल - हाथ
56. ककस सभ्यिा की मरहलाएां मृणमय एवां चमकीले पत्थरों की मसणयों के
- नोगरी- हाथ
आभर्ण पहनिी थी- कालीबांगा व नोह
- गोखरू - हाथ
57 पछे वड़ा क्या है - ओढने वाला मोटा वस्त्र
43. ननम्न में से कौनसा आभर्ण ससर का है- रखडी , बोर , टीला
58. मरहलाओां की ओढ़नी ‘पोमचा’‌का रांग कौन-सा होिा है - पीला
44. नेवरी शरीर के ककस भाग पर पहना जािा है - पाांव
59. नरमुखा’‌आभर्ण है - हाथ का
45. सत्य बिाए
60. फासलयो, घुमालो, लपेटो, अमलो आकद नाम है- पगड़ी के
- ओगननया - कान
61. तिलका क्या है - मरहलाओां का वस्त्र
- गोखरू - हाथ
62. जालौर का लेटा गाांव प्रससद्ध है - खेसले के सलए
- झेला-कान
63. चोल, पटोरी, चोरलो व ननचोल ककसके प्रकार हैं - साकड़यों के
46. सुमेसलि
64. आकदवासी मरहलाओां की पाांव की रपन्जकड़या ककस धािु की होिी थी -
- पोि-गला
पीिल
- तिमसणयाां-गला
66. ननम्न में से आभर्णों का शरीर के ऊपर से नीचे कोनसा क्म सही है
- अगोन्या - कान - रखड़ी, सुरसलया, चांनी, रखन, बजण्टी, गोखरू, अरसी, हीरानामी

47. (आभर्ण- अांग) सुमेसलि 67. पांवरी कहलािी है - दुल्हन की ओढ़नी

- मुदड़ी - अांगुली 68. लगड़ा एक प्रकार है - ओढ़नी का

- टड्डा- बाज 69. ‘खोयि’‌वस्त्र सम्बन्धिि है - भील जनजाति से

- नेवरी- पैर 70. सांठ की साकड़यों के सलए प्रससद्ध है - सवाईमाधोपुर

48. गुडदा आभर्ण- कान का 71. नाांदणा नामक लहांगे का प्रचलन है - आकदवाससयों में

49. कमर में पहना जाने वाला आभर्ण है- सटका 72. सीकर का पाटौदा गाांव प्रससद्ध है - लांगडों के सलए

50. काांठला गले का आभर्ण है- बच्चो का 73. रबरजस या िीचेस वस्त्र है- पुरुर्ों का कमर से नीचे का वस्त्र

51. नवरत्न आभर्ण है- बाज का 74. ननम्नसलखखि में से कौनसा आभर्ण राजस्थान में न्धस्त्रयों िारा गले

52. ननम्न मे से माथे पर बाधने वाला आभर्ण कौनसा है में नहीं पहना जािा है - ओगननया

- रखड़ी 75. पावली भाांि की ओढ़नी कहलािी है- कटकी

53. पोमचा क्या है - रांगाई की शैली 76. रवधवा मरहलाअें िारा ओढ़े जाने वाली काले रांग की ओढ़नी कहलािी है
- चीड़ का पोमचा 3. राजस्थानी त्रचिकला भी जन्मभमम जो अजन्ता त्रचिशैली से पणषिया
प्रभारवि है - मेवाड
77. ऐरांगपत्तौ सम्बन्धिि है- न्धस्त्रयों के कान का आभर्ण
4. दराष, कालीससिंध घाटी, माउण्ट आब व ईडर में त्रचत्रिि शैलाश्रयों की खोज
78. ‘सवाभळको’‌है- न्धस्त्रयों के ससर का आभर्ण
ककसने की - वी.एस. वाकणकर
79. राजस्थान के मेवाड़ क्षेि में पुरुर्ों की पगड़ी क्या कहलािी है - पग्गड़
5. रवशुद्ध राजस्थानी त्रचिकला का जन्म कब माना जािा हैं –
80. ममरजाई, दुिई और डगला ककसके प्रकार हैं - अांगरखी के
1500 ई. लगभग
81. कौपीन है- सांन्याससयों िारा पहना जाने वाला रवशेर् प्रकार का लाँगोट
6. राजस्थानी त्रचिकला का वैज्ञाननक रवभाजन आनांद कु मार स्वामी ने
82. मारवाड़ में ‘दामणी’‌क्या है - एक प्रकार की ओढनी 1916 ककस पुस्तक में ककया- राजपि पेकटग्स

83. ससर और माथे पर पहने जाने वाले मरहलाओां के आभर्णों का सही 7. डब्ल्य. एच- िाउन ने ककस ग्रन्थ में राजस्थानी त्रचिकला को राजपि
क्म क्या है - शीशफल-सुमांग-टीका कला ककस नाम कदया है- इस्ण्डयन पेकटिंग्स

84. ‘िेधड़’‌आभर्ण पहना जािा है - न्धस्त्रयों के पैरों में 8. ककस रविान ने राजपि कला को राजस्थानी त्रचिकला नाम कदया
85. ननम्न में से सत्य कथन है - - रायकृ ष्णदास

- बांधेज का काम मल रूप से चढ़वा जाति के मुसलमानों िारा ककया जािा 9. त्रचिकला व इनकी उपशैसलयों के बोर मे सत्य
है।
- मेवाङ शैली - सावर, शाहपुरा, बनेडा, बागौर उपशैली
- सद्यः प्रसिा को पोमचा (पीला) पहनाने की प्रथा है।
- मारवाड. शैली - नागौर, घाणेराव, ररया, मभणाय, जननयाां उपशैली
- बांधेज की चनड़ी, साफे िथा लहररये जोधपुरी हस्तकला में सबसे पहला
- दुढाङ शैली - उननयारा, ईसरदा, सामोद,सझलाय, शेखावाटी शैली
स्थान रखिे हैं।
10. मेवाड़ का प्रथम त्रचत्रिि ग्रन्थ 1260 में श्रावक प्रतिक्मण सुि चुसणि
86. राजस्थान में िाराभाांि की ओढ़नी ककस वगष की मरहलाओां में प्रचसलि
कमलचन्द्र ने ककसके राज्यकाल मे त्रचत्रिि ककया - िेजससिंह
है - आकदवासी
11. डग्लस बैरेट व बेससल गे ने चौरपांचासशका शैली का उद्गम माना है
87. ‘िनसुख’,‌‘गदर’,‌‘गाबा’,‌एवां ‘डोढ़ी’‌क्या है - पुरूर्ों के वस्त्र
- मेवाड़ शैली से

12. उदयससह के काल में भागवि पुराण का पररजाि अविरण' का त्रचि


अध्याय -5 (राजस्थानी त्रचिकला व लोककलाएां) ककसने बनाया- नानाराम

(Part-1) 13. 1592 ई० में प्रससद्ध कृ ति ढोलामारु जो राष्ट्रीय सांग्रहालय, नई कदल्ली मे


सुरसक्षि है ककस शैली से सांबांधधि है- चावण्ड शैली

14. चावण्ड त्रचिशैली का स्वणषकाल ककस शासक के समय 'को कहा जािा
1. राजस्थान में सवाषधधक प्राचीन उपलब्ध त्रचत्रिि ग्रन्थ 1060 ई. मे रत्रचि है- अमरससह प्रथम
ओध ननयुषरि वृति व वैकासलका सि चसणि के भांडार कहाां ममले हैं
15. अमरससिंह के समय रागमाला (1605 ई0) ग्रन्थ का त्रचिण ककसने
- जैसलमेर ककया- ननसारदीन
2. आलननया, दराष के शैलाश्रय त्रचत्रिि कहा ममलें हैं- कोटा
16. मेवाड की लघु त्रचिशैली का स्वणषकाल ककस शासक के शासनकाल को 31. "महाराजा अभयससिंह नृत्य देखिे हुए "त्रचि के त्रचिकार है - डालचन्द
कहा जािा है- जगिससह प्रथम.
32. मारवाड त्रचिशैली पर नाथ सम्प्रदाय का प्रभाव ककस शासक के समय
17. साहबदीन व मनोहर ककसके दरबारी त्रचिकार थे- मेवाङ शासक पड़ा - मानससिंह
जगिससिंह प्रथम
33. अमरदास भाटी, दानाभाटी, शांकरदास ,माधोदास ,रामससह भाटी,
18. ककस मेंवाड़ शासक ने राजमहल में "त्रचिेरो की ओवरी नाम से एक सशवदास ककस शैली के त्रचिकार थे- जोधपुर शैली
त्रचिशाला की स्थापना की नजसे 'िस्वीरा रो कारखानों के नाम से पुकारा
34. खांजन पक्षी के त्रचि प्रमुख रूप से ककस त्रचि शैली की रवशेर्िा है
गया - जगिससह-प्रथम
- जोधपुर
19. ककस मेवाड़ शासक के काल में रबहारी सिसई, सुन्दर श्रृांगार, मुल्ला
दो प्याजा के लिीफे व कलीला -दमना ग्रांथों पर आधाररि त्रचि बने 35. ननम्न मे से त्रचिशैली व उनमे प्रयुि रांगो के बारे में सत्य कथन

- सांग्राम ससिंह रििीय - देवगढ़-शैली - पीलें रांगों का प्रयोग

20. पुत्रष्टमागीय सम्प्रदाय का सांबांध ककस त्रचि शैली है- नाथिारा शैली - जोधपुर शैली - लाल, पीले रांगो का प्रयोग

21. नाथिारा शैली ककन शैसलयो का मममश्रि रूपा है - उदयपुर व िजशैली - नाथिारा शैली - हरे-पीले रांगो का प्रयोग

22. नारायणा, चिुभुषज ,रामसलिंग ,चम्पालाल, धासीराम,िुलसीराम ककस 36. बीकानेर त्रचिशैली का आगमन ककस शासक के समय हुआ- रायससिंह
शैली के त्रचिकार थे- नाथिारा शैली 37. बीकानेर त्रचिशैली मे रायससिंह के समय ककस ग्रांथ के प्रारम्भम्भक त्रचि
23. नाथिारा त्रचिशैली के बारे मे सत्य ममलिे हैं - भागवि पुराण

- वल्लभ सम्प्रदाय का प्रभाव है 38. उस्ता अली रजा व उस्ताहाममद रुक्नुद्दीन ककस शैली के त्रचिकार है।

- हरे- पीले रांगो का अधधक प्रयोग हुआ है - बीकानेर

- कमला व इलायची प्रमुख मरहला त्रचिकार थे 39. मथेरण व उस्ता कला का सांबांध ककस त्रचिशैली से है - बीकानेर

24. देवगढ, ठठकाना 1680 ई. में रावि िाररकादास चडावि ने ककस मेवाड़ 40. बीकानेर त्रचिशैली मे उस्ताकला का स्वणषकला ककस शासक के
शासक के समय स्थारपि ककया- जयससिंह शासन काल का रहा - अनुपससिंह

25. ककस ठठकाने के सामान 'सौलहवें उमराव' कहलािे थे- देवगढ़. 41. बीकानेर शैली के त्रचिकार रामलाल, अलीरजा, हसन ककसके दरबारी
त्रचिकार थे - अनप ससिंह
26. देवगढ़ शैली ककस शैली का समस्िि रूप है- मारवाड,, जयपुर, मेवाड.
42. शाहजहाां व औरांगजेब शैली की पगकड़यों के साथ ऊाँ ची मारवाड़ी
27. ककस शैली को सवषप्रथम "डॉ. श्रीधर अांधारे' िारा प्रकाश मे लाया गया
पगकडया व राजपति सांस्कृति की छाप ककस शैली मे देखने को ममलिी है
- देवगढ़
- बीकानेर
28. 1623 ई0 में पाली के प्रससद्ध वीर पुरुर्- रवठ्ठलदास चाांपावि के सलए
43. राधा कृ ष्ण की लीलाओां व वल्लभ सम्प्रदाय का सांबधां ककस शैली से है
रागमाला त्रचिावली' 'ककसने त्रचत्रिि की- वीर जी
- ककशनगढ़
29. ककस मारवाड़, शासक के काल में सामिी सांस्कृति का सजीव त्रचिण व
मारवाड शैली के सबसे सुन्दर व प्राणवान त्रचि बने - अजीिससिंह 44. ककशनगढ़ त्रचि शैली का स्वणषकाल कहलािा है- सावांि ससहां का

30. डालचन्द ककस मारवाड, शासक के दरबारी त्रचिकार थे- अभयससिंह 45. बणी-ठणी त्रचि के बारे मे कथन
- यह त्रचि मोरध्वज ननहालचन्द्र ने बनाया 56. मभतित्रचिो से सुसज्जज्जि आमेर के गणेशपोल का ननमाषण 1639
ककसने में ककस ने करवाया- ममजाष राजा जयससिंह
- . एररक कडककन्सन ने भारि की मोनासलसा कहाां
57. जयपुर में छिीस कारखानों का ननमाषण ककसने करवाया
- 1973 में बणी-ठणी पर डाक कटकट जारी ककयाां
- सवाई जयससिंह
- यह त्रचि सावांिससिंह (नागरीदास) के समय त्रचत्रिि हुआ
58. ककस शासक के समय- सरिखाना आमेर से जयपुर आ गया था
46. मभति त्रचिो के सलए प्रससद्ध रांगमहल (बांदी) का ननमाषण ककसने
- ईश्वरी ससिंह
करवाया - छिसाल
59. सारहबराम व लालचांद त्रचिकारो का सांबांध ककस त्रचि शैली से है
47. बांदी के त्रचिशाला का ननमाषण ककसने करवाया - उम्मेद ससह
- जयपुर
48. बांदी शैली की रवशेर्िायो मे सत्य कथन हैं
60. सारहबराम ने ककस शासक का बङे व्यरि त्रचि (आदमकद -पोट्रेट) त्रचि
- पशु-पक्षी त्रचिण का रवशेर् महत्व
बनायो- ईश्वरी ससिंह
- सफे द गुलाबी, लाल रहिंगल, हरे रांग का प्रयोग
61. नानकराम, सीिाराम, सरध्वज, मलराज, बदनससिंह, रामनाथ,
- सुरजन, अहमदअली, रामलाल, श्रीककशन, साधुराम प्रमुख त्रचिकार थे सवाईराम, लालडीदास ककन शैली के त्रचिकार है - ककशनगढशैली

49. कोटा त्रचिशैली का स्विांि अफ्टस्तत्व स्थारपि करने का श्रेय ककस 62. जननयााँ के चााँद िारा अककि राजा पाबजी का सन 1698 का व्यरि त्रचि
शासक को जािा है- रामससह ककस शैली का सुदर उदाहरण हैं - अजमेर

50. ककस शासक के समय कोटा त्रचिशैली में. कृ ष्ण भरि को रवशेर् महत्व 63. ककस त्रचिशैली मे रहन्द, मुस्लस्लम व ईसाई धमष को समान प्रश्रय ममला
कदया नजससे वल्लभ सम्प्रदाय का प्रभाव कदखाई पडिा है - भीम ससिंह
- अजमेर
51. कोटा शैली का सवाषधधक रवकास ककस शासक के समय हुआ था
64. कथन
- उम्मेद ससिंह
- वृद्धावस्था का त्रचि नागौर शैली में प्रमुखि:से हुआ
52. कोटा त्रचिशैली के बारे मे सत्य बिारये
- पारदशी वेशभर्ा नागौर शैली की रवशेर्िाएां है
- नाररयो व राननयों के सशकार के दृश्य त्रचि
- ममल जैसलमेर शैली का प्रमुख त्रचि है
- हल्के हरे, पीले, नीले रांग का प्रयोग
- जैसलमेर शैली की एक प्रमुख रवशेर्िा है कक इस पर मुगल या जोधपुर
- रघुनाथ, गोरवन्दराम, डाल, लच्छीराम व नर मोहम्मद प्रमुख त्रचिकार शैली का प्रभाव नहीं है यह एकदम स्थानीय शैली है
है।
- नारायण, छज्जु,अ कृ पाराम मारवाड की उपशैली घाणेराव शैली के
53. 1591 ई0 मे यशोधरा-चररि नामक त्रचि ककस शैली में त्रचत्रिि हुआ, त्रचिकार थे

- आमेर 65. लाल त्रचिेरा ककन शासकों के समय का एक प्रमुख त्रचिकार था

54. 1588 में रज्मनामा की प्रति अकबर के सलए कहााँ िैयार की गई थी - माधोससिंह व ईश्वरी ससिंह

- सरिखाना, जयपुर 66. रामसेवक, गोपाल, हुकमा, त्रचमना, सासलगराम ,लक्ष्मण ककस
55. ककस शासक ने रससकतप्रया व कृ ष्ण रुरक्मसण वेसल नामक ग्रन्थ शासक के सरिखाने'मे त्रचिकार थे - प्रिापससिंह

अपनी रानी चन्द्राविी के सलए 1639 ई0 मे बनवाये थे-ममजाष राजा जयससिंह


67. 1857 ई0 में "महाराजा स्कल आटषस एण्ड क्ाफ्टट्स की स्थापना 81. अलवर शैली के रामगोपाल, रामप्रसाद, जगमोहन, रामसहाय
जयपुर में ककसके समय हुई ,जो विषमान में राजस्थान स्कल ऑफ आट्सष ,नेपासलयाां कलाकार ककस शासक के समय थे, नजन्होंने इस शैली को
के नाम से जाना जािा है- रामससिंह रििीय अस्न्तम समय िक जीरवि रखा - जयससिंह

68. राजस्थान में सवषप्रथम आलागीला पद्धति का प्रारम्भ कहााँ हुआ 82. ककस त्रचिशैली में पुरुर्ों के मुख की आकृ ति आम की शक्ल में व
न्धस्त्रयो के कद कु छ ठठगने, उठी हुई वेसणया में बनाए गए हैं- अलवर
- आमेर
83. वेश्याओां के त्रचि ककस शैली मे ही बने है - अलवर
69. चने से िैयार पलस्तर को घोट कर त्रचकना कर मभति त्रचिण करना
कहलािा है- आलागीला, आराइश , मोराकसी 84. उननयारा शैली पर ककन शैसलयो का मममश्रि प्रभाव कदखाई देिा है

- जयपुर व बांदी

70. ईसरदा, ससवाड, सझलाय, उसणयारा, चौम, सामोद, मालपुरा ठठकाने की 85. राम-सीिा, लक्ष्मण व हनुमान के उसणयारा शैली मे ककसने त्रचि
त्रचिकला पर ककस शैली का प्रभाव पड़ा - जयपुर बनाए - मीरबमक्स

71. राव राजा प्रिाप ससिंह के समय अलवर शैली ककस वर्ष जयपुर से अलग 86. काशी, मीरबकस भीम, रामलखन त्रचिकारो का सांबांध ककस शैली से
स्विांि अफ्टस्तत्व मे आई- 1775 है - उसणयारा

72. राव प्रिापससिंह के समय जयपुर के वे कलाकार जो अलवर आये 87. ककस शैली के मभत्रत्त त्रचिो के कारण उसे ओपन आटष गैलेरी कहा जािा
है- शेखावाटी
- सशवकु मार व डालराम
88. शेखावाटी त्रचि शैली के बारे मे सत्य कथन
73. राजगढ़ के महलो में शीशमहल का त्रचिण ककसके शासन कला काल
मे हुआ- बख्तावर ससहां - इस पर जयपुर शैली के मभत्रत्तत्रचिों का प्रभाव है

74. बलदेव, डालराम, सालगा व सासलगराम ककस त्रचिशैली के कलाकार - त्रचिण में कत्थई, नीले व गुलाबी रांग का प्रयोग
थे - अलवर
- फ्राांस के नदीन ला प्रेन्स ने फिेहपुर की हवेसलयों के मभति त्रचिो का
75. ककस शासक का अलवर त्रचिवला के उत्कर्ष मे वही स्थान है, जो मुगल सरांक्षण ककया है।
त्रचिकला मे अकबर का था - रवनयससह
88. बगिा, कां वला प्रथम, कां वला रििीय, हरचन्द,चोखा व बैजनाथ ककस
76. रवनय ससिंह त्रचिकला का प्रसशक्षण ककससे सलया था- बलदेव शैली के त्रचिकार है- देवगढ़

77. गुसलस्ता का सुलेखन व त्रचिाांकन ककसके शासनकाल मे हुआ नजस 89. ककस त्रचि शैली के मभत्रत्त त्रचि 'अजारा की 'ओवरी' व मोिी महल न मे
पर उस समय एक लाख रूपये व्यय हुए थे - रवनयससिंह देखने को ममलिे है- देवगढ

78. जमनादास, छोटेलाल, बकसाराम, नन्दराम जो बलवन्त ससिंह के 90. तिब्बिी इतिहासकार लामा िारानाथ ने 7वीं सदी में मारू देश मे ककस
समय थे ककस शैली से सांबांध था- अलवर त्रचिकार का उल्लेख ककया है, नजसने पसश्चमी भारि में यक्ष शैली को जन्म
कदया - श्रृांगांधर
79. अलवर शैली का "नफीरी वादन"त्रचि ककसके समय त्रचत्रिि हुआ
91. मारवाड मे त्रचिकला की शुरुआि ककसके शासन काल से मानी है।
- सशवदान ससिंह
- मालदेव
80. ककसके शासन काल में मलचन्द व उदयराम ने हाथीदााँि के फलको
पर सक्ष्म त्रचिण ककया - मांगल ससिंह 92. चौखेलाव महल के त्रचि व त्रचत्रिि उत्तराध्ययन सि का सांबांध ककस
शैली है- जोधपुर
14. 1965 में ककस देश में आयोनजि िृिीय अन्तराषष्ट्रीय कठपुिली सामारोह
में उदयपुर के भारिीय लोककला मांडल के कलाकारो ने राजस्थान की इस
अध्याय -5 (राजस्थानी त्रचिकला व लोककलाएां) कला में रवश्व का प्रथम पुरस्कार प्राप्त ककया- रोमासलया

(Part-2) 15. भारिीय लोककला मडल की स्थापना 1952 मे कहााँ हुई - उदयपुर

16. सायाष का सांबांध है - गोदना

17. साांझी पजा ककिने कदनो िक चलिी है- 15


1. सझुली, साांसझुली, ससझी, हॉज्या ककस लोककला के प्रकार है- साांझी

2. साांझी को ककसका रूप मान कर कन्याएां पजन करिी है- पावषिी


18. जब कोई िीथषयािा कर सकु शल घर का लौट आिा है। िो इस खुशी में
3. साांझी ककस त्योहार से पवष श्राद्ध-पक्ष मे बनाई जािी हैं- दीपावली
ककस लोककला को अपनाया जािा है- पुष्कर पेड़ी , पथवारी
4. श्रवणकु मार के माण्डणे ककस पवष पर बनाए जािे हैं - रक्षाबांधन पर
19. ग्रामीण अांचल में 'कोठठया' ककस उपयोग मे आिी है- भण्डारण हेिु
5. भीलवाडा के शाहपुरा में ककस जाति के जोशी त्रचिेरो िारा फड. त्रचिण
20. सोजि (पाली) ककसके सलए प्रससद्ध है नजसे 16वाां जीआई टैग कदया गया
ककया जािा है- छीपा
- मेहन्दी
6. भीलवाड़ा के श्रीलाल जोशी का सांबांध ककस कला से है- फड़
21. िोडा, जीवी, गोल्या, हीरानामी, मक्क्क्या, टणका ककस अांग के आभर्ण
7. देवी-देविाओ के कागज पर बने त्रचि कहलािे - पाने
है- पैर
8. त्रचिौडगढ के बस्सी गाांव के खैराकदयों का पुश्तैनी व्यवसाय है
22. अणि ककस अांग का आभर्ण है- बाज
- कावड बनाना
23. आाँवला ननम्न मे से शरीर के ककन अांगो का आभर्ण है - हाथ , पैर
9. बसली गााँव (त्रचत्तौड़गढ़) के माांगीलाल ममस्त्री का सांबांध ककस कला से है
24. सुमेसलि ककनजए
- कावड
लोककला - सांबांधधि सामग्री
10. कावड कला के बारे मे सत्य कथन
A पान्ने - कागज
- कावड एक मन्दन्दरनुमा काष्ठकलाकृ ति है
B फड़ - कपड़ा
- इसके िारो या कपाटो पर त्रचि अांरि रहिे है
D कावड़ - लकड़ी
- कावड लाल रांग से रांगी जािी है व उसके ऊपर रफर काले रांग से
25. चांदजी का गढ़ा और बोडीगामा’‌स्थान ककस सलए प्रससद्ध हैं -
पौरासणक कथाओां का त्रचिाांकन ककया जािा है।
- िीर बनाने के सलए
11. गोड़सलया क्या है
26. ‘मोिी भारि’‌ककस नजले में पारांपररक कढ़ाई का नाम है – जालौर
- पशुओां के शरीर पर ननशान दागना
27. लकड़ी के बने देव रवमान नजनकी देव झुलनी एकादशी पर झााँकी
12. बास की पिली पिली खपच्चच्चयों को धागे से बाधकर त्रचकनी ममट्टी से
ननकाली जािी है कहलािे हैं - बेवाण
बनाई जाने वाली 'वील' ककस नजले में प्रचसलि है - जैसलमेर
28. राजसमन्द नजले में स्थस्थि मौलेला गाांव ककस लोक कला के सलए
13. ससिंहासन बत्तीसी, पृथ्वीराज सांयोत्रगिा व अमरससिंह राठौड़ खेलो का
रवख्याि है - मृणमय मतििकला
प्रचलन है - कठपुिली
29. जोधपुर में पीने के पानी के बिषनों में कपड़े या चमड़े की एक परि को 44. मतिियों व मांकदरों के अत्यधधक बाहुल्य के कारण बागड़ प्रदेश को मांकदरों
लपेटा जािा है। इन्हें क्या कहिे है - बदले का महाधाम कहा जािा है, इस क्षेि में मुतिियाां ककस रवशेर् पत्थर की बनिी
है - परेवा पत्थर
30. टेराकोटा से मन्नि मतिियााँ या देविाओां की मतिियााँ बनाने की मोलेला
कला में, ममट्टी को मजबि करने और उसे कड़ा बनाने के सलए उसमें ननम्न 45. फौलाद की वस्तुओां पर सोने के पिले िारों की जड़ाई को क्या कहिे हैं -
में से कौन सी सामग्री ममलाई जािी है - चावल की भसी और गधे का
- कोफ्तत्रगरी का काम
गोबर
46. श्री लाल जोश, नजन्हें 2006 में पद्यश्री पुरस्कार ममला था, को ककसके
31. ननम्नसलखखि में से कौन सा शहर नमदा बनाने के सलए प्रससद्ध है -
सलए जाना जािा है- फड़ त्रचिकारी
टोंक
47. जालौर का कौनसा गाांव टेराकोटा के सलए प्रससद्ध है जहाां ‘मामा जी के
32. राजस्थान के सांदभष में पचवेदा (pachevada) क्या है - मोटी सिी घोड़े’‌बनाये जािे हैं - हरजी गाांव
शॉल
48. नजरोही, भाकला, गांदहा ककस उद्योग के नाम है - जटपट्टी
33. नागौर का ‘ब’‌गााँव ककस कलात्मक कायष के सलए प्रससद्ध है ?
49. जयपुर में मीनाकारी की कला महाराजा मानससिंह I िारा __ से लाई
- कच्ची ममट्टी के खखलौने गई- लाहौर

34. रूमा देवी के बारे में ननम्न में से कौनसा कथन सा नहीं है - 50. चााँदी के आभर्णों की िारकशी के सलए राजस्थान का कौन सा
स्थान प्रससद्ध है - नाथिारा
- वे जसरापुर (खेिड़ी) गााँव में पली बढ़ी।
51 कृ पाल ससिंह शेखावि का सांबांध है – राजस्थानी ब्ल पोटरी से
35. राजस्थान का कौन-सा स्थान 'टाई एांड डाई' की कला के सलए प्रससद्ध
है - जोधपुर 52. राजस्थान का कौन सा नजला ‘अजरक’‌तप्रन्ट के सलए प्रससद्ध है
- बाड़मेर
36. चुरामन, काल कु मार, कृ पाल ससिंह शेखावि राजस्थान की ननम्न
लोक कलाओां में से ककससे सांबांधधि हैं - ब्ल पॉटरी

37. राजस्थान में कोफ्तत्रगरी के काम के सलए कौन से नजले प्रससद्ध हैं -
अध्याय -6 (स्थापत्य व सशल्प के रवरवध आयाम)
जयपुर और अलवर
(Part-1)
38. राजस्थान राज्य में मसररया साड़ी के सलए प्रससद्ध स्थान है - माांगरोल
1. सरजपोल, चाांदपोल, घाटगेट, साांगानेरी गेट, अजमेरी गेट, जोरावरससह
39. राजस्थान के ककस क्षेि में ‘पनढ़ारी मोदक’‌प्रससद्ध हैं - बीकानेर
गेट, का सांबांध ककस शहर से है- जयपुर
40. राजस्थान में हाथी दाांि की कलात्मक चकड़याां बनाने का प्रमुख के न्द्र है
2. जैसलमेर शहर ककस सदी में बसाया गया- 12वीं
- जयपुर
3. ककस ग्रन्थ में अजमेर की िुलना इन्दपुरी से की गई- पृथ्वीराज रवजय
41. ‘इांकडगो कला’‌के सलए प्रससद्ध स्थान कौनसा है - बालोिरा
4. महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश के बाद सवाषधधक गढ व दुगष ककस राज्य मे है -
42. जैसलमेर की कशीदाकारी में रबछाने की वस्तु को लोक कला में क्या
राजस्थान
कहा जािा है - राली
5. शुक्नीति के अनुसार राज्य के ककिने अांग माने गए- 7
43. धौलपुर में नकली जेवर बनाने की कला को क्या कहा जािा है - िुकड़याां
6. राजस्थान मे दुगो के स्थापत्य के रवकास का प्रथम उदाहरण ककस
सभ्यिा की खुदाई मे ममलिा है- कालीबांगा
7. जन 2013 में नोमपेन्ह मे हुई वर्ल्ष हेररटेज की बैठक मे यनेस्को की वर्ल्ष - िारागढ (बांदी)
हेररटेज साइड मे शाममल दुगष है
22. नाहरगढ दुगष (जयपुर) के बारे मे कथन
(1) गागरौन (3) आमेर (4) सोनारगढ़
- उपनाम सुदशषनगढ़ ककला
(5) रणथम्भौर (6) कुां भलगढ़ (7) त्रचिौडगढ
- नाहरगढ़ नाम नाहरससिंह भोममया के नाम पड़ा
8. जैसलमेर दुगष ककस दुगष की श्रेणी मे आिा है- धािन
- ननमाषण सवाई जयससिंह ने करवाया
9. त्रचिौडगढ दुगष ककस श्रेणी दुगष में आिा है- एरण, पाररध
- दुगष मे सवाई माधोससिंह ने अपनी नौ पासवानों के सलए एक जैसे 9
10. दुगो के बारे मे सत्य महलो का ननमाषण करवाया था

- ससवाना दुगष - वन दुगष 23. िारागढ़(बांदी) का ननमाषण 14वीं शिाब्दी में ककसने करवाया –

- जालौर दुगष - एरण दुगष राव बरससिंह

- भरिपुर दुगष - पाररख दुगष 24. कनषल जेम्स टॉड के अनुसार िारागढ दुगष (अजयमेरु दुग)ष का ननमाषण
ककसने करवाया - अजयपाल
11. ककस इतिहास ग्रन्थ के अनुसार त्रचिौडगढ दुगष का ननमाषण मौयष राजा
त्रचिाांग (त्रचिंिागद) ने करवाकर इसका नाम त्रचिकोट रखा- वीर रवनोद 25. िारागढ़ दुगष अजमेर को रवश्व का दसरा नजिाल्टर ककसने कहा

12. त्रचिौडगढ़ का ककला ककस पठार पर स्थस्थि है- मेसा का पठार - रवसलयम बेकटक

13. ननम्न मे से कौनसा ऐतिहाससक स्थल त्रचिौडगढ़ दुगष में स्थस्थि है। 26. घांघट, गगडी, फटी बुजष, बान्दरा, इमली, खखडकी, फिेह ककस ककले के
बुजष हैं- िारागढ़
- नवलखा भण्डार , भामाशाह की हवेली , कुां भश्याम मन्दन्दर
27. गजक, मीर बख्श, रबच्छ बाण, धुङघाणीद, गुब्बार ,नुसरि, जमजमा,
- त्रचिाांग मोरी िालाब , श्रृांगार चवरी प्रसाद
कडक रबजली, गजनी खाां, शभुबाण, ककलककला ककस दुगष की िोपे है।
14. मेवाड व मारवाड की सीमा पर कौनसा दुगष स्थस्थि है- कु म्भलगढ़
- मेहरानगढ़
15. कनषल टाड ने ककस दुगष की िुलना सुदृद्ध, प्राचीरो, बुजो, कां गरों के
28. िख्त रवलास, चौखेलाव महल, रबचला महल, श्रृांगार चौकी ककस दुगष
रवचारों से एट्स्कन वास्तु" से की है- कु म्भलगढ
की ईमारिे हैं- मेहरानगढ़
16. झालीबाव बावडी, व झालीरानी का मासलया महल, मामादेव िालाब,
29. चामुण्डा मािा, मुरली मनोहर व आनन्दघन प्राचीन मन्दन्दर ककस दुगष
कु म्भस्वामी रवष्णु मन्दन्दर ककस दुगष में है- कु म्भलगढ
में है- िारागढ़ (अजमेर)
17. रणथम्भौर दुगष का ननमाषण ककसने करवाया था - रणथान देव चौहान
30. चरू दुगष का ननमाषण ठाकु र कु शाल ससिंह ने कब करवाया- 1739
18. जोगी महल, सुपारी महि, रानी महल, त्रिनेश गणेश मन्दन्दर ककस दुगष
31. अकबर दुगष (अजमेर) के बारे मे सत्य
मे हैं- रणथम्भौर
- अकबर ने 1571-72 में दुगष का ननमाषण मुस्लस्लम पद्धति से करवाया
19. पीर सदरुद्दीन की दरगाह ककस दुगष में है- रणथम्भौर
- इसे अकबर का दौलिखाना" व अकबर की मैगजीन' भी कहिे हैं।
20. ससवाणा दुगष का ननमाषण 954 ई० मे ककस परमार शासक ने करवाया
- 1801 में अग्रेजो ने ककले पर अधधकार कर इसे अपना शास्त्रागार
- वीरनारायण
(मैगजीन) बना सलया
21. फल-सागर, नवलसागर, गभष- गुांजन िोप, सशकार बुजष ककस दुगष मे है।
- तिकटश राजदि सर टॉमस रो कक मुलाकाि इसी दुगष में जहााँगीर से हुई 45. मोिी झील से सुजानगांगा नहर ननकालकर ककस दुगष को पानी प्रवारहि
थी होिा है- लोहगढ़

32. जनागढ़ दुगष के ककस िार पर जयमल व फिा की गजारूढ मतिियाां 46. ककस अांग्रेज अफसर ने लौहगढ दुगष पर 5 बार आक्मण ककया, लेककन
स्थारपि है - सरजपोल हर बार असफल रहा- लाडष लेक

33. रिन ननवास, कणषमहल, चीनी बुजष, सुनहरी बुजष, रवक्म रवलास ककस
दुगष से सांबांधधि है- जनागढ़

34. दुगष की प्राचीर व ननमाषण कायष लाल पत्थरों से हुआ इससलए इसे
लालगढ़ दुगष भी कहिे है और इसका ननमाषण रायससिंह ने 1589 ई. में अध्याय -6 (स्थापत्य व सशल्प के रवरवध आयाम)
करवाया वह दुगष है- जनागढ़
मांकदर ,हवेली, छिररयाां ,मकबरे, दरगाह
35. भैंसरोडगढ दुगष के बारे सत्य कथन

- यह चम्बल व बामनी नकदयों के सांगम स्थल पर है (Part-2)


- यह जल दुगष की श्रेणी में आिा है। 1. 7वी सदी में बना मौयषयुगीन गोल बौद्ध मन्दन्दर कहााँ स्थस्थि है- बैराठ

- इसे राजस्थान का वेल्लौर कहा जािा हैं 2. सच्चच्चयामािा, हररहर व सयष मन्दन्दर जो प्रतिहार शैली में बने ककस नजले
मे है- ओससया (जोधपुर)
36. कालीससिंध व आहू नदी के सांगम पर स्थस्थि दुगष है- गागरौन
3. गुजषर प्रतिहार शैली का अस्न्तम व सबसे भव्य मन्दन्दर जो लगभग 1016
37. गागरौन दुगष का ननमाषण डोड परमारों ने ककस शिाब्दी में करवाया
में ननममिि ककया गया- सोमेश्वर ककराङ मन्दन्दर (बाडमेर)
- 11वीं
4. लगभग 850 ई में बना रणछोड जी मन्दन्दर बाड़मेर मे ककस स्थान पर
38. ककस दुगष को डोडगढ या धलरगढ़ के नाम से जाना जािा है- गागरोन स्थस्थि है - खेड़ा

39. गागरौन दुगष में बुलन्द दरवाजे का ननमाषण ककसने करवाय - औरांगजेब 5. मन्दन्दर प्रतिहार शैली से सांबधधि
40. परमार शासक भोज िारा ननममिि सांस्कृि पाठशाला जहाां पर विषमान - कामेश्वर मन्दन्दर (आउवा)
मे िोपखाना मम्भिद है यह ककस दुगष में है - सुवणषत्रगरर
- रणछोड़ जी मन्दन्दर खेडा
41. ककस दुगष के बारे में कहावि है कक यहाां पत्थर के पैर, लोहे का शरीर
- नीलकण्ठे श्वर मांकदर (कै कीन्द्र)
और काठ के घोडे पर सवार होकर ही पहुांचा जा सकिा है- सोनारगढ
6. गुजषर प्रतिहार शैली मे बना है
42. 1733 ई. लौहगढ दुगष का ननमाषण ककसने करवाया - सरजमल
- बाड़ौजी का मांकदर
43. दादी माां का महल, गांगा मन्दन्दर, लक्ष्मण मन्दन्दर, वजीर की कोठी,
जवाहर बुजष, ककशोरी महल ककस दुगष में है- लोहागढ़ - नागदा का सास बहू मन्दन्दर

44. दुगष व नजलो से सांबांधधि सुमेसलि - उदयपुर का जगि अफ्टम्बका मन्दन्दर

- बसन्तगढ़ दुगष - ससरोही - त्रचत्तौड़गढ़ का सममदेश्वर मन्दन्दर

- सोजि दुगष - पाली 7. एकसलिंग नाथ जी के लकु सलश मांकदर का विषमान स्वरूप ककसने कदया

- त्रिमनगर। त्रिभुवनगढ़-करौली - रायमल


8. एक सलगनाथजी मन्दन्दर के बारे मे सत्य - इसे हाड़ोिी का खजुराहो भी कहिे

- मेवाड राजघराने के कु लदेविा - ननमाषण मदेवांसशीय राजा मलय वमाष ने 10 वीं सदी में करवाया

- मेवाड शासक स्वयां को दीवान मानिे थे 16. रणकपुर पाली के जैन मांकदर 15 वीं शिाब्दी में ककस शासक के
शासनकाल में बने- राणा कुां भा
- मन्दन्दर के अहािे में कुां भा िारा ननममिि रवष्णु मन्दन्दर है
17. रणकपुर के जैन मांकदरों के बारे में कथन
9. ककराड के मन्दन्दर (बाड़मेर) के बारे मे सही कथन
- यह भगवान आकदनाथ को समरपिि है
- राजस्थान का खजुराहो कहिे हैं।
- ननमाषण धरणीशाह नामक एक जैन व्यापारी ने करवाया
- ककराडु के मन्दन्दरो मे सबसे सुन्दर सोमेश्वर मांकदर है।
- 1444 खांभों पर स्थस्थि है
- सोमेश्वर मन्दन्दर गुप्तकालीन व क्षेिीय परमार व सोलांकी शैली का
अदभि ममश्रण है। - खांभों का अजायबघर कहा जािा है

- ये मन्दन्दर 11बी-12वीं सदी में प्रतिहार शैली के अस्न्तम मांकदर हैं - मल गभष ग्रह में आकदनाथ की चार मुख वाली मतिि प्रतिस्थारपि है
इससलए यह मांकदर चौमुखा मांकदर भी कहिे हैं
- ये मन्दन्दर बाड़मेर के हाथमा गाांव के समीप पाांच मन्दन्दरो का समह
18. 8वीं सदी में गुजषर प्रतिहार शैली में बने ओससया के मांकदरों में शाममल
10. मानससिंह की पत्नी कनकाविी ने जगि सशरोमसण मन्दन्दर का ननमाषण
मांकदर है- हररहर व सयष मांकदर, महावीर जी मांकदर, पीपला व सच्चच्चयाय
अपने पुि की याद मे कहाां करवाया - आमेर (जयपुर)
मािा मांकदर
11. 1230 ई में देलवाड़ा में बने 22 वें बने जैन िीथषकर नेममनाथ मन्दन्दर का
19. नागदा, उदयपुर में बने सास बहू मांकदर नजनका ननमाषण 1026 ईस्वी में
ननमाषण ककसने करवाया था - वास्तुपाल व िेजपाल
गुरहल शासक श्रीधर शासक ने करवाया ककसको समरपिि है- रवष्णु
12. गुजराि के चालुक्य शासक भीमदेव के मांिी रवमलशाह ने प्रथम जैन
20. इस काल को राजस्थान के मांकदर सशल्प का स्वणष काल कहिे हैं जो
िीथषकर ऋर्भदेव का मांकदर ककस वर्ष बनवाया नजसे रवमल साही मांकदर भी
मांकदर सवषश्रेष्ठ प्रकार के थे- 11वी -13वी
कहा जािा है- 1031 ई.
21. ननम्न में से भममज शैली में बना सबसे प्राचीन मांकदर है-
13. हर्ष मािा मांकदर, आभानेरी (दौसा) के बारे में कथन
सेवाड़ी जैन मांकदर, पाली
- यह मांकदर गुजषर प्रतिहार कालीन कला का उत्कृष्ट उदाहरण है
22. मन्दन्दर भममज शैली का है।
- 11वीं शिाब्दी में महमद गजनवी ने इसे नष्ट भ्रष्ट कर कदया था
- सेवाडी जैन मन्दन्दर (पाली) , महानालेश्वर (मेनाल)
- यह मांकदर एक रवष्णु मांकदर था
- भण्डदेवरा (रामगढ़) , उण्डेश्वर मन्दन्दर (रबजौसलया)
14. बाडोली, त्रचत्तौड़गढ़ के सशव मांकदर के बारे में सत्य कथन बिाइए
23. मन्दन्दरो के बारे में सत्य कथन
- यह पांचायिन शैली में ननममिि मांकदर है
- वमाषण मन्दन्दर - ससरोही , -घाणेराव - पाली , -श्री महावीरजी- करौली
- मुख्य मतिियाां सशव पावषिी की है
24. ननम्न मे से ककस स्थान पर जैन मन्दन्दर है
- मांकदर का ननमाषण हुण शासक िोरमण के पुि ममरहरकु ल ने करवाया था
- नाडौल-नारलाई
15. बाराां के रामगढ़ में स्थस्थि भांडदेवरा के सशव मांकदर के बारे में सत्य कथन
- ओससयाां
- यह एक पांचायि शैली में बना मांकदर है
- रणकपुर 37. दरगाह के बारे में सुमेसलि

25. चाांदखेड़ी का जैन मांकदर ककस नजले में है- झालावाड़ - अब्दुल्ला खाां का मकबरा - अजमेर

26. एकसलिंग जी के मांकदर का ननमाषण कै लाशपुरी, नागदा में बप्पा रावल ने - मीरासाहब की दरगाह-बुदी
ककस सदी में करवाया- 8 वीं
- ममट्ठे शाह की दरगाह-गागरोन
27. फल महल बांदी में स्थस्थि है इसके अलावा दसरा फल महल कहाां स्थस्थि
38. सत्य कथन
है- जोधपुर
- बाांदीकु ई के ननकट आभानेरी की चादी बावडी चाद नामक राजा ने
28. रपछोला झील के जग मांकदर महलों की नींव ककसने रखी- करण ससिंह
बनवायी
29. उदयपुर में जगि ननवास महल व प्रीिम ननवास महल का ननमाषण
- मेवाड़ राजा राजससिंह की पत्नी रानी रामरसदे ने उदयपुर में त्रिमुखी
ककस शासक ने करवाया - जगिससिंह रििीय
बावडी बनवायी
30. सासलम की हवेली, नथमल की हवेली, पटवों की हवेली ककस नजले में
- डांगरपुर में स्थस्थि नौलखा बावड़ी महारावल आस करण की पत्नी
हैं- जैसलमेर
प्रीमलदे ने बनवाई
31. बीकानेर के बच्छाविो की हवेली का ननमाषण कणषससिंह बच्छावि ने कब
- बांदी में रानी जी की बावड़ी का ननमाषण अननरुद्ध की पत्नी नाथावि ने
करवाया- 16वी शिाब्दी में
1699 इ में बनवाई
32. मोहिा, मांदड़ा, रामपुररया हवेली कहाां स्थस्थि है- बीकानेर
39 नांदलाल देवड़ा की हवेली कहाां स्थस्थि है- फिेहपुर (सीकर)
33. ककस नजले की हवेसलयों की सजावट में मुगल, ककशनगढ़ एवां यरोपीय
40. नाटासणयों की हवेली कहाां स्थस्थि है - जयपुर
त्रचिशैली प्रयुि की गई है- बीकानेर
41. गौरीलाल रबयाणी की हवेली कहाां स्थस्थि है- सीकर
34. सुमेसलि
42. सोने-चाांदी की हवेली कहाां स्थस्थि है - महनसर, झुांझुन
- छिरवलास बाग-कोटा
43. पांसारी की हवेली कहाां स्थस्थि है- श्रीमाधोपुर, सीकर
- बड़ा बाग- जैसलमेर
44. रत्नाकर पुांडरीक व पुरोरहि प्रिाप नारायण जी की हवेली ककस नजले
- गैटोर-जयपुर
में है - जयपुर
35. छिररयों के बारे में सुमेसलि
45. बड़े ममयाां, पोकरण व राखी हवेली ककस नजले में है-- जोधपुर
- सवाई जयससिंह की छिरी-गैटोर
46. मालजी का कमरा, रामननवास गोयनका, मांत्रियों की हवेली ककस
- पालीवालो की छिरी - जैसलमेर नजले में है- चरू

- सेठो की छिरी - रामगरढ 47. बागौर की हवेली ककस नजले में है- उदयपुर

36. दरगाह के बारे मे सत्य 48. रूप ननवास, भगि, जालान ,पौद्दार, भगेररया की हवेली कहाां है

- दीवानशाह की दरगाह- कपासन - नवलगढ़,झुांझुन

- अब्दुल पीर की मजार- भवानपुरा, 49. बच्छाविो की हवेली ककस नजले में है- बीकानेर

- ख्वाजा फखरूउद्दीन कक दरगाह- सरवाडा 50. नाथराम पौदार,सेठ जयदयाल के कड़या, सीिाराम ससिंगतिया की हवेली
कहाां है- रबसाऊ, झुांझुन
51. सेठ राधाकृ ष्ण िथा के सरदेव कानेकड़या की हवेली कहाां स्थस्थि है 4. वह नृत्य जो के वल पुरुर् करिे है जो शेखावाटी, कु चामन, डीडवाना
,परबिसर का व्यवासाधयक लोक नृत्य है- कच्छी घोडी नृत्य
- मुकुांदगढ, झुांझुन
5. नृत्य के वल पुरुर् करिे है
52. चार चौक की हवेली िथा चेिराम की हवेली कहाां स्थस्थि है
- गीदड
- लक्ष्मणगढ़, सीकर
- कच्छी घोड़ी
53. िाराचांद रूईया की हवेली कहाां स्थस्थि है- रामगढ,सीकर
- चांग
54. गोपाल ससिंह की छिरी ककस नजले में है- करौली
6. वह नृत्य जो मारवाड़ मे प्रचसलि है और इनके गीिों मे प्राय: बड़ली के
55. मसी महारानी की छिरी ककस नजले में है- अलवर
भैरुजी का गुणगान होिा है- डाांकडया नृत्य
56. सवाई जय ससिंह की छिरी कहाां स्थस्थि है - गैटोर, जयपुर
7. अफ्टि नृत्य के बारे मे सत्य
57. एक जैसे नौ महल ककस दुगष में है- नाहरगढ़ दुगष
- किररयासर बीकानेर मे जसनाथी सांप्रदाय मे प्रससद्ध है।
58. कल्याणमल की छिरी कहाां स्थस्थि है- जैसलमेर
- के वल पुरुर् नृत्य करिे हैं

- अगारो के ढेर को धणा' कहिे हैं

अध्याय -7,8 (लोकसांगीि, लोकनृत्य, लोकनाट्य) 8. घुडला नृत्य कहााँ का प्रतिद्ध- जोधपुर

9. जालौर का प्रससद्ध नृत्य नजससे भिपवष मुख्यमांिी जयनारायण व्यास ने


पहचान कदलवाई - ढोल नृत्य
1. उदयपुर के लोककला मांडल के सांस्थापक देवीलाल सामर ने राजस्थान
10. बम नृत्य के बारे में सत्य कथन
के लोकनृत्यों को उनके प्रचलन वाले क्षेिों की भौगोसलक रवसशष्टिाओ के
आधार पर की ककन िीन भागों में बाांटा है - मेवाि क्षेि का प्रतिि है।

- पहाडी , राजस्थानी , पवी मैदानी - बम शब्द काअथष है नगाड़ा

2. गैर नृत्य के बारे मे सही कथन - थाली, त्रचमटा,ढोलक, नगाड़ा बाधयांि प्रयोग होिा हैं

- मेवाड व बाडमेर क्षेि का लोकनृत्य है 11. ककस नृत्य का प्रारम्भ एक पुरुर् हाथ मे छािा या िलवार

- होली के अवसर पर पुरुर् लकडी की छकड़या लेकर गोल घेरे मे नृत्य लेकर करिा है- वालर नृत्य
करिे है
12. रूपससिंह शेखावि, दयाराम, िारा शमाष ककस नृत्य के कलाकार है।
- प्रमुख वाद्ययांि ढोल, बाांककया व थाली है
- भवाई नृत्य
3. गीदड नृत्य की पहचान
13. हवा में कमल के फल बनाना, 7-8 मटके ससर पर रखकर नृत्य करना,
- शेखावाटी क्षेि मे होली पर ककया जािा है। जमीन पर रखे रुमाल को मुाँह से उठाना, त्रगलास व थाली के ककनारो िथा
िेज िलवार व काांच के टुकड़ो पर नृत्य करना ककस नृत्य की रवशेर्िा है।
- रवशुद्ध रूप से पुरुर्ों का नृत्य है
- भवाई नृत्य
- वाद्ययांि ढोल, डफ, चांग है
14. माांगीबाई व लक्ष्मणदास ककस नृत्य के कलाकार है- िेरहिाली नृत्य
- पुरुर् मरहलाओां के वस्त्र पहनकर भाग लेिे हैं, नजन्हें गणगौर कहिे है
15. सत्य बिाइये - इस ख्याल के मुख्य के न्द्र धोसष्डा, त्रचिौड़, ननम्बाहेडा िथा नीमच है

- कथौरी - मावसलया - सशव-शरि सांबांधी रवचारों के काव्यमय रचनाएां दांगल के नाम से जानिे
है। इसके सांवादों को बोल कहिे हैं।
- शांकररया - कालबेसलयााँ
28. गवरी लोकनाट्य ककस कथा पर आधाररि है- सशव भस्मासुर
- धाकड व चकरी- कां जर
29. गवरी लोकनाट्य के बारे मे कथन
16. असत्य बिाइये
- गवरी का मुख्य पाि बुकडया होिा है।
- माांदल नृत्य- गराससया
- राईया स्त्री रूप में पावषिी व रवष्णु की प्रिीक होिी है।
- मोररया- गराससया
- झामट्या लोकभार्ा में करविा पाठ करिा है
- घमरा - भील
- कु टककडया उसे दोहरािे हुए सिधार का काम करिा है।
17. भीलो का नृत्य - हाथीमना , नेजा , रमणी
- गवरी में के वल पुरुर् पाि होिे हैं अन्य पाि 'खेला' कहलािे हैं।
18. नृत्य कालबेसलया जाति का है- शांकररया , ईडोनी , बागकडया
30. गणपति ,भमररया, भेआवड, मीणा, कान-गुजरी, जोगी. खाड‌सलया भि,
19. चााँद नीलत्रगरी, राव ररड़मल व मीरा मांगल ख्याल ककस कलाकार िारा
लाखा बणजारा, नटड़ी व मािा और शेर के खेल ककस नाटय में होिे हैं
रत्रचि है - लच्छीराम (कु चामनी ख्याल)
- गवरी
20. उगमराज ककस रूमाल के प्रमुख कलाकार है- कु चामनी ख्याल
31. रम्मि मुख्य रूप से कहाां आयोनजि होिी है- जैसलमेर , बीकानेर
21. दुसलया राणा, नानराम जी ककस ख्याल के कलाकार है।
, फलौदी
- शेखावाटी
32. मनीराम व्यास, िुलसीराम, फाग महाराज, सआ महाराज, िेज करव
22. जोगी-जोगन, कान-गुजरी, ममयााँ- बीब, पठान, रसीली िम्बोलन ककस
ककस लोकनाट्य के कलाकार हैं- रम्मि
ख्याल से सांबांधधि है- जयपुरी ख्याल
33. सन् 1943 में 'िेज' करव जैसलमेरी ने स्विांि बावनी' की रचना कर
23. हीर राांझा, भिृषहरर, जयदेव कलाली, ढोला मरवण और आल्हादेव
ककसे भेट की- महात्मा गाांधी
ककस ख्याल से सांबांधधि है- शेखावाटी ख्याल
34. श्रीकृ ष्ण कम्पनी के नाम से रम्मि का अखाड़ा ककसने चाल ककया
24. ककस ख्याल की शुरुआि बम वाद्ययांि के प्रयोग से होिी है - हेला
- िेज करव
25. जयदयाल सोनी, चेिराम, हमीद बेग, िाराचन्द व ठाकु र ओांकार ससिंह
ककस ख्याल के कलाकार है- िुराष कलांगी 35. बीकानेर मे रम्मि कहाां की है।

26. मेवाड़ के शाह अली व िुकनगीर सन्त पीरो ने 400 वर्ष पवष ककल - आचायो की चौक की अमरससिंह राठौड की रम्मि
ख्याल की रचना की - िुराष कलांगी
- रबस्सों की चौक की चौबेल नौटांकी की रम्मि
27. िुराष कलांगी ख्याल के बारे में सही कथन
- कीकाणी व्यासो के चौक की जमनादास जी की रम्मि
- िुराष को सशव' व कलांगी को पावषिी का प्रिीक माना जािा है।
36. चारबैि कला के बारे मे सत्य कथन
- िुकनगीर िुराष के िथा शाह अली 'कलगी' के पक्षकार थे
- चारबैि टोकां नजले का प्रससद्ध लोकनाट्य है।
- इस ख्याल में चांग बजाया जािा है।
- इसका प्रारम्भ टोंक के नवाब फै जुल्ला खाां के शासनकाल मे करीम खाां 47. सवाई प्रिापससिंह के समय जयपुर मे शुरू हुए िमाशा लोकनाट्य के
ननहांग िरा ककया गया बारे मे सही कपन

- लोकनाट्य में गायक डफ बजािा है। - फलजी भट्ट, गोपीकृ ष्ण भट्ट वासुदेव भट्ट इसके कलाकार है।

37. बसन्त, नकाबपोश, सत्यवादी हररश्चन्द्र, राजा भरथरी ककस लोकनाय्य - िमाशे का आयोजन खुले मांच पर होिा है, नजसे अखाड़ा कहिे हैं
के नाटक है - नौटांकी
- गोपीचन्द व हीरा राांझा रसके मुख्य िमाशे है
38. गोर नाट्य का आयोजन ककस जनजाति िारा वैशाख शुक्ल चिुदषशी
48. हेडाऊ मेरी रम्मि का सिपाि ककसने ककया था- जवाहरलाल पुरोरहि
को भख्योर की गणगौर के नाम से ककया जािा है - गराससया
49. ख्यालों से सांबांधधि सत्य है।
39. सनकाकदको की लीलाओां के प्रमुख अखाडे कहाां है- घोसुण्डा , बस्सी
- कन्हैया ख्याल - सवाई माधोपुर, भरिपुर, धौलपुर
40. राधा कृ ष्ण के युगल स्वरूप व रासाकद लीलाओां का आयोजन कहाां
ककया जािा हैं - घोसुांडा - ढप्पाली ख्याल - अलवर

41. राजस्थान मे रासलीला का मुख्य स्थल रहा है. - अलीबख्शी ख्याल - अलवर का मुण्डावर ठठकाना

- फु लेरा , हरदोणा , गुण्डा , असलपुर 50. चाभाि, मायरा, हथलेवा, कां वर कलेवा, जीमणवार, काांकण्डोरा, जला,
जुआ जुई, िोरण, रिजगा, रबदोला लोकगीि ककस अवसर पर गाए जािे है।
42. दल्हे की बाराि जब लड़की वाले के यहााँ चली जािी है, िब पीछे से वर
पक्ष की मरहलाओां िारा वर-वध की नकल के रूप में जो स्वाांग प्रदसशिि - रववाह पर
ककया जािा है उसे कहिे है- टकटया , टटांकी , खोड‌या 51. वर के घर ननकासी के मौके पर धुड़चढी की रस्म के समय गाया जाने
43. परशुराम(के लवा), जानकीलाल भाण्ड (भीलवाडा) का सबांध ककस वाला गीि होिा है- घोड़ी
लोकनाट्य से है- स्वाांगां 52. रववाह से पवष वर को ररश्तेदारो को आमांत्रिि ककया जािा हैं वहाां से
44. सवाई प्रिापससिंह के समय जयपुर मे शुरू हुए िमाशा लोकनाट्य के लौटिे समय कौनसा गीि गाया जािा है- रबदोला
बारे मे सही कथन 53. वध के घर की न्धस्त्रया िारा वर की बाराि का डेरा देखने जािे समय
- फलजी भट्ट, गोपीकृ ष्ण भट्ट, वासुदेव भट्ट इसके कलाकार है। गाया जाना वाला लोकगीि है - जला

- िमाशे का आयोजन खुले मांच पर होिा है, नजसे अखाड़ा कहिे हैं 53. गणगौर का पवष चैि माह में कुां वारी कन्याएां व सधवा न्धस्त्रयों िारा ककिने
कदनों िक अनुष्ठान पवषक आयोनजि ककया जािा है - 16
- गोपीचन्द व हीरा राांझा इसके मुख्य िमाशे है
54. जाद टोने से सांबांधधि गीि गाए जािे हैं - कु रजा
45. हेडाऊ मेरी रम्मि का सिपाि ककसने ककया था- जवाहरलाल पुरोरहि
55. माण्ड गाधयका नजन्होने पधारो म्हारे देश का गायन ककया था
46. ख्यालों से सांबांधधि सत्य है।
- अल्लाह नजल्लाई बाई
- कन्हैया ख्याल - सवाई माधोपुर, भरिपुर, धौलपुर
56. हमसीढो गीि ककन जनजाति में प्रचसलि है नजसे स्त्री व पुरुर् ममलकर
- ढप्पाली ख्याल - अलवर
गािे हैं - भील
- अलीबख्शी ख्याल - अलवर का मुण्डावर ठठकाना
57. पटेल्या, बीत्रछयो, लालर, माछर, नोखीला, नावरी, असवारी क्या है
46. परशुराम, (के लवा), जानकीलाल भाण्ड (भीलवाडा) का सबांध ककस
- लोकगीि
लोकनाट्य से है- स्वाांगां
58. बालकों का चौक च्यानणी गीि ककस पवष पर गाया जािा है।
- गणेश चिुथी पर 6. कौनसी बोली पसश्चमी राजस्थानी मे शाममल है - बागड़ी , मेवाड़ी ,
शेखावाटी
59. कान किरनी, राजाजी राजाजी खोलो कुां वाड़, टम्पो घोड़ी फल गुलाब
रो क्या है- बच्चों के खेिगीि 7. कौनसी बोली पवी राजस्थानी में शाममल है

60. दीपावली के 15 कदन पवष लड़के व लड़‌ककयों का समह प्राय:सबके घर - मेवािी , ढुढाड़ी , अहीरवाटी (राठी)
गािे हुए ननकल जािी है इनमे गीि गािे है
8. थली व गोडवाडी ककसकी उपबोसलयाां है - मारवाड़ी
- लड़को के िारा गाए जाने वाले गीिो को लोवड़ी अथवा हरणी कहिे हैं
9. वह बोली नजसमे छै शब्द का प्रयोग है, इस शब्द का गुजरािी प्रभाव को
- लडककयो िारा गाये जाने वाले गीिो को घड़ल्यो" कहिे हैं इांत्रगि करिा है - ढुढाडी

- ये मेवाड़ मे प्रचसलि है 10. िोरावाटी, राजावाटी, नागरचोल ककसकी उपयोसलया है - ढुढाड़ी

61. सशशु के जन्म के अवसर पर गाये जाने वाले गीि कहलािे हैं - जच्चा 11. ककस बोली में ढुढाड़ी बोली की िरह छै शब्द का प्रयोग ककया जािा है।

62. िीज गीिो का गायन ककस माह में ककया जािा है - श्रावण - हाड़ौिी

63. गणगौर व िीज के अवसर पर प्रमुखिः कौनसा गीि गाया जािा है 12. मेवािी बोली अलवर-भरिपुर मे बोली जािी है। इस पर ककसका प्रभाव
कदखाई देिा है - िजभार्ा
- घमर
13. वह बोली जो बाांसवाड़ा, डुगरपुर मे बोली जािी है, नजसपर गुजरािी
भार्ा का प्रभाव कदखाई देिा है - बागडी

अध्याय -9 (राजस्थानी भार्ा व सारहत्य) 14. रागडी और नीमाड़ी ककस बोली की उपबोसलयाां है - मालवी

15. राजस्थान की बोली नजसका प्रभाव मध्यप्रदेश के रिलाम, झाबुआ क्षेि


मे देखने को ममलिा है- मालवी

1. रव.स. 835 (913 ई.) में उद्योिन सरर िारा सलखखि कु वलयमाला में 16. मालवी बोली राजस्थान के ककस क्षेि में बोली जािी है

मरुभार्ा सरहि ककिनी देशी भार्ाओां का उल्लेख है - 18 - द० पवी राजस्थान

2. ककस वर्ष सवषप्रथम जॉजष अिाहम त्रग्रयसषन ने सलग्वग्वस्स्टक सवे ओफ 17. प्राचीनकाल (वीरगाथा काल) 1050 से 1450 ई. में रणमल छन्द ग्रन्थ
इांकडया में राजस्थानी भार्ा के सलए 'राजस्थानी' शब्द का प्रयोग ककया की रचना ककसने की - श्रीधर व्यास

- 1912 ई 18. पवष मध्यकाल - भरिकाल (1450 से 1650ई.) में रत्रचि ग्रन्थों व
लेखको के बारे में सत्य कथन
3. राजस्थानी भार्ा का उद्भव लगभग ककस शिाब्दी से माना जािा है
नजनका रवकास 16वीं सदी िक स्विांि भार्ा में होने लगा - 11-12वीं - रामरासो ग्रन्थ- माधोदास दधवाकडया

4. राजस्थानी भार्ा के रवकास के सांबांध में िीन अपभ्रांश भार्ाओां का - हरररस ग्रन्थ - ईसरदास
उल्लेख ककया जािा है, उनमें सवाषधधक उत्रचि मि माना जािा है.
- नागदमण ग्रन्थ - सायाांजी झुला
- मरुगुजषरी अपभ्रांश
19. पवष मध्यकाल
5. डा. अिाहम त्रग्रयसषन ने राजस्थानी बोसलयो को ककिने वगों में बाटा है।
- भरिकाल (1450से 1650ई.) में रत्रचि ग्रन्थो व लेखको के बारे में सत्य
-5 कथन
- वेसलककसण रूकमसण री - पृथ्वीराज राठौड - रिन रासौ - कुां भकरण

- देरवयाांण ग्रन्थ - ईसरदास 26. माांझल राि, अमोलक बािाां ,ममल, त्रगर ऊां चा ऊां चा गढ़ा, कै रे चकवा
बाि ककसकी रचनाएां हैं - लक्ष्मी कु मारी चण्डावि
- पदावसल - मीराबाई
27. रवजयदान देथा की बािा री फु लवारी ककिने खण्डो में प्रकासशि है - 14
20. उत्तर मध्यकाल
28. रचना रवजयदान देथा (रबज्जी) की है।
- श्रृांगार, रीति व नीति परक काल (1650 से 1850ई.) मे रत्रचि ग्रन्थों के
बारे मे सत्य कथन - सपन तप्रया , अन्तराल , चौधराइन की चिुराई

- रघुनाप रूपक - करव मांछाराम 29. समन्द अर थार, जमारो कहानी सांग्रह के रचधयिा थे- यादेवेन्द्र शमाष

- रानजया रा सोरठा - कृ पाराम जी खखकड़या 30. हूाँ गोरी ककण पीव री, जोग सांजोग, चान्दा सेठाणी उपन्यास के रचधयिा
हैं - यादवेन्द्र शमाष
- चकररया रा सोरठा - साह मोहनराज
31. वचना नथमल जोशी की है।
21. आधुननक काल रवरवध रवर्यों व रवधाओ से युि (1850 से अद्यिन) मे
रत्रचि ग्रांथों के बारे मे सत्य - परण्योडी- कवारी (कहानी सांग्रह)

- वांश भास्कर - सयषमल्ल ममश्रण - आभै पटकी, धोरा रो धोरी (उपन्यास) - एक बीनणी दो बीन (उपन्यास)

- बाकीदास री रख्याि - बाकीदास 32. राजस्थान सारहत्य अकादमी िारा प्रकासशि पत्रिकाररिा है- मधुमति

- वीर सिसई - सयषमल्ल ममश्रण 33. राजस्थानी भार्ा, सारहत्य व सांस्कृति अकादमी, बीकानेर िारा
प्रकासशि पत्रिका है- जागिी जोि
22. दयालदास री ख्याि में बीकानेर के शासक राव बीकाजी से लेकर
ककस शामक िक के इतिहास का वणषन है - अनपससिंह 34. पत्रिका व उनके प्रकासशि रचनाकार के बारे मे सत्य

23. ग्रन्थ व लेखक से सबांधी सुमेसलि - हरावल पत्रिका - सत्यप्रकाश जोशी

- अचलदास खींची री वचननका- सशवदास गाडण - ओल्य पत्रिका - ककशोर कल्पनाकाांि

- रिनससिंह राठौड महेस दासोि री वचननका - जग्गा खखकड़या - मरुवाणी पत्रिका - करव चन्द्रससिंह

- राजप्रकाश ग्रन्थ- ककशोरदास 35. सारहखत्यक पत्रिकाओ के बारे में सत्य

24. सुमेसलि - बीकानेर की वािायन पत्रिका - हरीश भादानी

- महायश प्रकाश. आसशया मानससिंह - अजमेर की लहर पत्रिका - प्रकाश जैन

- सरजप्रकाश - करणीदान - भरिपुर की ओर - रवजेन्द्र

- सगि रासौ-त्रगरधर आससयाां - काकरोली की सम्बोधन - कमर मेवाड़ी

25. सुमेसलि 36. सारहखत्यक पत्रिकाओां के बारे सत्य

- बीसलदेव रासो - नरपति नाल्ह - अलवर की करविा - भागीरथ भागषव

- खुमाण रासो- दलपि रवजय - सम्प्रेण - चन्द्रमानु भारिाज'


- मधुमाधवी - नसलनी उपाध्याय
अध्याय -10 (राजस्थान के पयषटक स्थल)
37. राणे जगपि रा मरस्या ककस मेवार शासक की मृत्यु पर शोक प्रकट
करने के सलए सलखा गया - जगिससिंह PART- 1
38. मुहणौि नैणसी के ककस ग्रन्थ से परगने की आबादी, रेख, भमम
1. कु िुबुदीन ऐबक िारा बनाई गई अढाई कदन की मम्भिद को सबसे ज्यादा
ककस्म, फसलो का हाल, ससिंचाई के साधन आकद की जानकारी प्राप्त होिी है
अलांकृि करने का श्रेय जािा है- इल्तुिममश
- मारवाड़ रा परगना री रवगि

39. द्रोपदी रवनय रचना ककसकी है नजसमें नारी चेिना को जागृि ककया
2. ख्वाजा मोईनुद्दीन त्रचश्ती की दरगाह में िीन मुख्य दरवाजे है उनके
गया है- रामनाथ करवया
नाम व ननमाषणकिाष के बारे मे सत्य कथन बिाये
40. 1960 ई. में प्रकासशि काव्य कृ ति राधा ककसकी रचना है-
- मुख्य िार ननजाम दरवाजे का ननमाषण हैदराबाद नवाब ने करवाया.
सत्यप्रकाश जोशी
- शाहजहााँनी दरवाजे का ननमाषण शाहजहाां ने करवाया
41 . ननम्न मे से कौनसी रचना कन्हैयालाल सेठठया की नहीं है
- बुलन्द दरवाजे का ननमाषण महमद खखलजी ने करवाया
- गोदान
3. जहााँगीर िारा दौलि बाग व शाहजहाां िारा 5 बारहदररयो का ननमाषण
42. रचना के बारे मे सुमेसलि बिाइये ककस झील के ककनारे करवाया गया - आनासागर झील

- कठै ई की व्हैगौ - िेजससिंह जोधा 4. इण्डो सासेननक (भारिीय िथा अरबी) शैली मे ररचडष बाकष िारा मेयो
कॉलेज की स्थापना कब की गई - 1875
- सोजिी गेट, पगफै रो - मसण मधुकर
5. अजमेर मे स्थस्थि सोनीजी की नससया नामक जैन मन्दन्दर का ननमाषण
- बोलै सरणाटौ - हरीश भदाणी
ककस सदी में हुआ - 19 वीं
43. . रचना से सांबांधधि सत्य कथन
6. ककस मन्दन्दर में सयष भगवान की मतिि जिे पहने लगी हुई है।
- बाथाां मे भगोल - हरीश भादाणी
- िह्मा पुष्कर मन्दन्दर
- उिरयो है आभौ- मालचन्द्र तिवाड़ी
7. राजस्थान का िीसरा रोपवे ककस मकदर में सांचासलि में है
- ररन्दरोही - अजुषनदेव चारण
- सारविी मन्दन्दर
44. ननम्न में से कौन सी रचना चांद्रप्रकाश देवल की है
8. िीथषराज पुष्कर झील ककिने घाटो से धघरी हुई है- 52
- कु मकु म
9. सररस्का टाईगर ररजवष के बारे में सत्य कथन
45. राजस्थान का प्रथम आधुननक गद्यकार ककसे कहा जािा है
- 1 नवम्बर 1955 अभयारण्य का दजाष ममला
- सशवचांद्र भरतियाां
- इसका वन क्षेि 1213 वगष ककमी में है.

- बैबलर, न्धिल, के स्ट्ट्रेड सपेन्ट, इांगल, रैड स्परफाडल, सैण्डग्रज, वुडदेकर


पक्षी पाये जािे हैं

10. अलवर मे स्थस्थि भानगढ़ जो भारि में सवाषधधक रहस्यमयी स्थान


माना जािा है इसका ननमाषण ककसने करवाया- माधवससिंह
11. महाराजा बख्तावर ससिंह की रानी मसी रानी की स्मृति मे 80 खम्भों 26. के वलादेव बना राष्ट्रीय उद्यान के बारे मे सत्य कथन
की छिरी का ननमाषण अलवर मे ककसने करवाया- रवनय ससिंह
- 1971 में पक्षी अभयारण्य घोतर्ि
12. अलवर में भिृषहरर मन्दन्दर मे भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को 'मेला लगिा है
- 1985 में रवश्व धरोहर की सची में शाममल
इस मन्दन्दर को नया स्वरूप ककस शासक ने कदया - जयससिंह
- 1981 में रामसर आद्रषभमम साइट में शाममल
13. अलवर मे रुपारेल नदी के पानी को रोककर बनी सससलसेढ झील के
पास बाांध का ननमाषण 1845 ककसने करवाया- रवनयससिंह 27. लोहागढ़ ककला (भरिपुर) के बारे मे सत्य कथन

14. माही बजाज सागर बाांध के बारे में सत्य बिारये- यह डुांगरपर नजले में है - तिकटश सैन्य अधधकारी लाडष कां बरममयर ने 1826 में अधधकार ककया

15. बासवाड़ा मे त्रिपुरा सुांदरी मािा का मन्दन्दर कहाां स्थस्थि है – - कोठीखास, महल खास, मोिी महल व ककशोरी महल दशषनीय स्थल हैं

उमराईगाांव (िलवाड़ा) - जवाहर बुजष का ननमाषण जवाहरससिंह ने 1765 में मुगलों पर रवजय िथा
फिेहबुजष अांग्रेजो पर रवजय स्मारक के रूप में 1806 में बनाई गई
16. बासवाडा में त्रिपुरा सुन्दरी मािा के बारे मे सत्य
28. बांध बारेठा में 'शाही महल' का ननमाषण ककसने करवाया - ककशनससिंह
- उपनाम - िुरिई मािा, त्रिपुरा महालक्ष्मी
29. भरिपुर के गांगा मन्दन्दर के बारे सही कथन
- मेला चैि व आसश्वन नवराि मे मेला भरिा है।,
- यह मन्दन्दर राजपि, मुगल व द्ररवड शैली में बना है।
- काले पार्ाण की ससिंह पर सवार 18 भुजाओां वाली देवी प्रतिमा है।
- यह मन्दन्दर बलवन्त ससिंह िारा 1845 ई० मे बनाना शुरू जो 90 वर्ों िक
17. ककस मािा के मन्दन्दर के उत्तरी भाग में सम्राट कननष्क के समय का एक
ननममिि होिा रहा
सशवसलिंग स्थारपि है- िुरिईमािा
- मन्दन्दर में राजा बृजेन्द्र ससिंह ने देवी गांगा नदी की मतिि की स्थापना की
18. मानगढ धाम, बासवाडा मे ऐतिहाससक मेले का आयोजन कब होिा है।
थी
- मागषशीर्ष पसणिमा
- यहाां गांगा सप्तमी व गांगा दशहरा मेला लगिा है।
19. बोहरा समुदाय मुस्लस्लम सन्त अब्दुल रसल की अब्दुल्ला पीर दरगाह
30. हल्दीघाटी युद्ध में मुगल सेनापति मानससिंह प्रथम ने ककस जगह पर
कहााँ स्थस्थि है- बासवाडा
अपना पड़ावा डाला था - माण्डलगढ़
20. वाल्मीकक कु ण्ड, सीिा कु ण्ड, लक्ष्मणकु ण्ड, सयषकुण्ड कहाां स्थस्थि है।
31. त्रिमतिि स्मारक, बारहठ पररवार की हवेली, रपवनीया िालाब भीलवाडा
- सीिाबाड़ी, बाराां नजले के ककस स्थान पर है- शाहपुरा

21. शेरगढ दुगष जो कोर्वधषन के नाम से जाना जािा है ककस नदी के ककनारे 32. रामस्नेही की मुख्य पीठ रामचरणजी ने शाहपुरा मे कब स्थारपि की-
स्थस्थि है- परवन 1804 ई

22. राजस्थान का ममनी खजुराहो बाराां के रामगढ़ के भण्देवरा मांकदर ककस 33. राजपि शैली में िारागढ दुगष (बांदी) का ननमाषण राजा बरससिंह ने कब
शिाब्दी में बना- 10वीं करवाया- 1354 ई.

23. ककराड के सोमेश्वर महादेव मन्दन्दर ककिने मन्दन्दरों के समह मे है - 5 34. बांदी में महाराजा अननरुद्ध ससिंह ने ककसकी स्मृति में 84 खम्भों की
छिरी का ननमाषण करवाया - धाय भाई देवा
24. नाकोड़ा जी के पाश्वषनाथ जैन मन्दन्दर ककस नजले में है- बाडमेर
35. बांदी में त्रचिशाला का ननमाषण ककसने करवाया - उम्मेद ससिंह
25. भुआ सा' के नाम से प्रससद्ध रानी भररयाणी का मन्दन्दर कहााँ स्थस्थि है।

- जासोल (बाड़मेर)
36. कवीन स्टैपवैल (रानीजी की बावडी) का ननमाषण बांदी शासक अननरुद्ध
की रानी नाथाविी ने कब करवाया - 1699
अध्याय -10 (राजस्थान के पयषटक स्थल)
37. सशल्पकार के बारे में सत्य

- रवजय स्तम्भ - जैिा PART-2


- कीतिि स्तम्भ- जीजा बघेरावल व पुण्य ससिंह

- हवामहल- लालचन्द
1. अल्बटष हॉल की नींव तप्रिंस ऑफ वेर्ल् ने कब रखी- 1876
38. सत्य कथन
2. अल्बटष हॉल (जयपुर) के कडजाइनकिाष थे- स्टीवन जैकब
- रवजयस्तभ्य 9 मांनजला है
3. ईसरलाट (सरगासुली) का ननमाषण 1749 में ककस जयपुर शासक ने
- कीतििस्तम्भ 7 मांनजला है। करवाया - ईश्वरी ससिंह

- लोहागढ ककले में महत्वपणष 8 बुजष है 4. श्रीगोरवन्द देव जी के मन्दन्दर में सवाई जयससिंह ने कहाां से प्रतिमा लाकर
स्थारपि करवायी- वृांदावन
39. ककस ककले के बारे में जेम्स टॉड ने कहा था कक यकद उन्हें राजस्थान मे
एक जागीर की पेशकश की जाए िो वह उसे चुनेगे - भैंसरोड़गढ़ 5. गोर्ल्न फोटष ककस पहाडी पर स्थस्थि है- त्रिकु ट पहाडी

40. राजा चन्द्रा /चााँद िारा ननममिि चााँद बावड़ी (आभानेरी दौसा) में 6. जैसलमेर में 5 मनजिंला पटवों की हवेली का ननमाषण ककसने करवाया
आभानेरी महोत्सव कब आयोनजि ककया जािा है- ससिम्बर-अक्टबर
- गुमान चन्द
41. दशषनीय स्थल धोलपुर में है- वन रवहार , मचकु ण्ड , िालाब-ए- शारह
7. रहिंगलाज मािा के पुनजषन्म मानी जाने वाली िनोट मािा मकदर का
42. 1617 ई. में धौलपुर में शहजादे शाहजहााँ के सशकारगाह के सलए िालाब- ननमाषण जैसलमेर मे ककसने करवाया- नरेश िणुराव
ए-शाही का ननमाषण ककसने करवाया - जहााँगीर
8. जालौर में सुिा मािा मन्दन्दर समुद्र िल से ककिनी ऊां चाई पर स्थस्थि है
43. अजे व वाजे ने डांगरपुर मे लक्ष्मी नारायण मन्दन्दर का ननमाषण
- 1220 मीटर
करवाया मे ककस सन्त के सशष्य थे - मावजी
9. मसलक शाह की मम्भिद का ननमाषण अलाउदीन खखलजी ने बगदाद के
44. बेणेश्वर में 1793 में सन्त मावजी की पुिी जनककु वांरी ने ककस मन्दन्दर
सुल्तान मसलक-शाह के सम्मान मे कहाां करवाया - जालौर
का ननमाषण करवाया - रवष्णु मन्दन्दर
10. गागरोन ककले का ननमाषण 12 वीं सदी में ककसने करवाया था -
45. सैयद फखरुद्दीन की मजार कहाां स्थस्थि है जहाां की दीवारों पर सैयद
बीजलदेव
फखरूदीन की सशक्षाएां सोने के पानी से उत्कीणष है- गसलयाकोट (डांगरपुर)
11. सफी सन्त ममट्ठेशाह की दरगाह ककस दुगष में है- गागरौन दुगष
46. ककस झील के ककनारे श्रीनाथजी मन्दन्दर, रवजय राजराजेश्वर मन्दन्दर,
कालीबाई की मतिि स्थस्थि है - गैब सागर 12. भवानी नाट्यशाला का ननमाषण 1921 में ककस नजले में ककया गया

47. भपि भाटी िारा ननममिि भटनेर दुगष का उल्लेख ककस ग्रन्थ मे ममलिा - झालावाड

है- आईन ए-अकबरी 13. झालरापाटन में भगवान सशव को समरपिि सयषमन्दन्दर का ननमाषण

48. बीकानेर राजा सरिससिंह ने ककस वर्ष भटनेर दुगष पर अधधकार ककया ककस शिाब्दी मे हुआ - 10वीं

था - 1805 14. बौद्ध धमष से सांबांधधि कौलवी गुफाएां कहाां स्थस्थि है- झालावाड़,
15. खेिडी महल का ननमाषण झुांझुन मे ककस वर्ष हुआ था- 1770 29. ककस दरगाह में हजरि सैयद सैफुद्दीन अब्दुल जीलानी िारा सुनहरी
स्याही में सलखा कु रान शरीफ रखा है - बडेे़पीर साहब की दरगाह
16. नाथ सम्प्रदाय का के न्द्र श्रद्धानाथ जी आश्रम कहााँ स्थस्थि है-लक्ष्मणगढ़
30. भगवान आकदनाथ को समरपिि रणकपुर के जैन मांकदर ककस शिाब्दी
17. सफी सन्त कमरूदीन शाह की दरगाह ककस नजले मे है- झुन्झुन
में बने- 15 वीं
18. िारकाधीश मांकदर, ससिंघाननया हवेली, नाकदन तप्रिंस कल्चर सेन्टर व
31. जवाई नदी पर ननममिि जवाई बाांध का ननमाषण ककसने करवाया
फिेहचन्द्र की हवेली कहाां स्थस्थि है- फिेहपुर
- जोधपुर के उम्मेद ससिंह
19. सीकर के फिेहपुर शहर (1508) व फिेहपुर ककला (1516) का ननमाषण
ककसने करवाया- नबाव फिेह मोहम्मद 32. राजस्थान राज्य अमभलेखागार कहााँ स्थस्थि है- बीकानेर

20. राजस्थान का िाजमहल जसवन्त थडा का ननमाषण सरदार ससिंह ने 19 33. 1902 ई० में महाराजा गांगाससिंह िारा बनवाए गए लालगढ़ पैलेस के
वी शिाब्दी मे ककसकी स्मृति मे करवाया- जसवन्त ससिंह रििीय वास्तुकार थे- फ्टस्वटन जैकब

21. मण्डोर जोयपुर शहर के ककस कदशा में स्थस्थि है- उत्तर 34. दशषनीय स्थल बीकानेर में है।

22. मण्डोर के बारे मे - किररयासर

- प्राचीन नाम माण्डवपुर था - राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसाधन के न्द्र

- प्राचीन राठोङो की राजधानी। - लालगढ़ पैलेस

- जोधपुर के शासको की छिररया व स्मारक है 35. 19वीं शिाब्दी मे कु भा िारा बनवाये गये कु म्भलगढ़ ककले का
नवीनीकरण ककस शासक ने ककया - फिेहससिंह
23. दशषनीय स्थल जोधपुर में है।
36. राजस्थान की झील नजसे रवश्व युद्ध के दौरान छः वर्ो िक इम्पीररयल
- मात्रचया सफारी पाकष
एयरवेज' िारा समुद्री रवमान एयर के रूप में उपयोग में सलया जािा था
- बाल -समन्द झील
- राजसमन्द झील
- जसवन्त थड़ा
37. महाराणा प्रिाप के घोडे चेिक की समाधध स्थल स्थस्थि है- बलीचा
24. कसुआ महादेव मांकदर ककस नजले में है- कोटा
38. ककस झील में महात्मा गाांधी की अस्थस्थयों का कु छ अांश भी प्रवारहि
25. कोटा महाराव दुजषनसाल ससिंह की पत्नी नजन्होंने कोटा में ककशोर ककया गया था, जहाां गाांधी घाट का ननमाषण ककया गया - नक्की झील
सागर व जगमन्दन्दर का ननमाषण 1743-45 ई० के मध्य करवाया गया था
39. सुनहरी कोठी या गोर्ल्न मैन्शन (टोंक) को ऐतिहाससक स्मारक कब
- िजकां वर घोतर्ि ककया गया- 7 माचष 1996

26. अभेडा महल, पाकष , िालाब ककस नजले मे हैं- कोटा 40. 1954 मे बाबा फिेह िारा बुड्ढा जोहड गुरुिारा का ननमाषण कहााँ

27. लाडनां (नागौर) के बारे मे करवाया गया, जहाां अमास्वया को मेला लगिा है- श्रीगांगानगर

- सन्त आचायष श्री िुलसी लाडनां के ही थे 41. नेहरू गाडषन ककस झील के ककनारे स्थस्थि है- फिेहसागर

- लाडन मे बनी कोटन की साकडया प्रससद्ध है 42. वह झील जहााँ सौर वैद्यशाला स्थस्थि है, नजसकी नींव ड्यक ऑफ कनॉट
ने रखी थी - फिेहसागर
- लाडन जैन धमष का प्रमुख के न्द्र है

28. बड़े पीर साहब की दरगाह कहााँ स्थस्थि है - नागौर


अध्याय-11 (राजस्थान के प्रमुख व्यरित्व) 13. 1926 में बोरुां दा, जोधपुर में राजस्थान के ककस सारहत्यकार का जन्म
हुआ था - रवजयदान देथा

14. राजस्थान के शेक्सरपयर व रबज्जी उपनाम से प्रससद्ध रवजयदान देथा


1. मेवाड़ की स्वामीभरि पन्नाधाय का जन्म पाांडोली गाांव के हाांकला गुजषर को ननम्न में से कौन से पुरस्कार ममले हैं
के घर में ककस नजले में हुआ- त्रचत्तौड़गढ़
- 1974 में कें द्रीय सारहत्य अकादमी पुरस्कार
2. स्वामी भरि, त्याग और बसलदान की ममसाल पन्नाधाय नजन्होंने अपने
- 2002 में रबहारी पुरस्कार
पुि चांदन का बसलदान देकर उदय ससिंह को बचाया था के पति का नाम था
- 2007 में पदम श्री व 2012 में राजस्थान रत्न
- सरजमल
- उपयुि सभी सत्य है
3. गोराधाय को मारवाड़ की पन्नाधाय कहा जािा है इनके नाम से बावड़ी
ककस नजले में बनी हुई है - जोधपुर 15. 11 ससिांबर 1919 को कन्हैया लाल सेठठया का जन्म कहाां हुआ था

4. जोधपुर में गोराधाय की स्मृति में ककिने खांभों की छिरी का ननमाषण - सुजानगढ़ ,चरू

1711 में करवाया गया- 6 16. दरसा आढा ककस मुगल सम्राट के समकालीन थे - अकबर

5. मारवाड़ की स्वामी भि गोरा धाय के बारे में सत्य कथन 17. करवराज श्यामल दास मेवाड़ के ककस महाराणा के दरबारी करव थे

- इनका जन्म 1646 को माली पररवार में रिनों जी टाक व मािा रूपा के - सज्जन ससिंह , शम्भु ससिंह
घर जोधपुर में हुआ-
18. करवराज श्यामल दास का जन्म 1836 में कहाां हुआ था-
उनका रववाह मांडोर के मनोहर गोपी भलावि के साथ हुआ
धोंकसलया, भीलवाड़ा
- औरांगजेब के चांगुल से दुगाषदास राठौड़ की सहायिा से अजीि ससिंह को
19. गौरीशांकर हीराचांद ओझा का जन्म 1863ई. में कहाां हुआ-
छु ड़ाकर मुकुांदास खींची को सौंपा
रोरहडा गाांव, ससरोही
6. डांगरपुर के ककस शासक ने वागड़ की मीरा गवरी बाई के सलए 1829 में
बालमुकुांद मांकदर का ननमाषण करवाया था - महारावल सशव ससिंह 20. भारिीय प्राचीन सलरप माला नामक ग्रांथ की रचना करने वाले
सारहत्यकार नजन्हें अांग्रेजों ने महामहोपाध्याय व रायबहादुर की उपाधध दी
7. 1857 की क्ाांति के समय ससरोही ररयासि के पोसलकटकल एजेंट कौन थे
थी - गौरीशांकर हीराचांद ओझा
- जेडी हॉल
21."बाप के िीन हत्यारे" नामक कृ ति की रचना की थी- रवजय दान देथा
8. मैं देखिा चला गया ककसकी रचना है- कपर चांद्र कु सलश
22.प्रख्याि माांड गायक का अल्लाह नजला बाई को पदम श्री अवाडष कब
9. गजल गायक जगजीि ससिंह को राजस्थान सरकार ने राजस्थान रत्न ममला- 1982
पुरस्कार से कब नवाजा था - 2012
23.स्वामी के शवानांद के बचपन का नाम था- रबरमा
10. जोधपुर नजले के बोरुां दा कस्बे में बोरूदा नामक सांस्था की स्थापना की
24. पांकडि झाबरमल शमाष को रहिंदी पिकाररिा और सांपादन की सशक्षा
थी- कोमल कोठारी
ककसने दी थी- दुगाष प्रसाद ममश्र
11. ननहालचांद ककशनगढ़ के ककस शासक के दरबारी त्रचिकार था-
25. इांसान पहले इांसान,रफर रहिंद या मुसलमान है- िुलसी
सामांि ससिंह
26. पदम श्री कृ पाल ससिंह शेखावि का सांबांध है- ब्ल पॉटरी
12. दुगाषदास राठौड़ का जन्म हुआ था - सालवा
27.डॉक्टर पीके सेठी ने सवाई मानससिंह त्रचककत्सालय में ककसके सहयोग 38. सांरवधान सभा में राजस्थान के प्रतिननधधत्व के सांदभष में कौन सा युग्म
से कदव्याांगों के सलए नकली पर रवकससि ककया था- रामचांद्र सही सुमेसलि है

28. 1 जुलाई 1946 को झांडा ऊां चा रहे हमारा झांडा ऊां चा रहे हमारा गीि गािे - मासणक्य लाल वमाष -उदयपुर
हुए रायससिंहनगर में शहीद हुए थे - बीरबल ससिंह
- जय नारायण व्यास -जोधपुर
29. मेवाड़ महाराणा ने श्यामलदास को ककस उपाधध से रवभतर्ि ककया था
- बलवांि ससिंह मेहिा -उदयपुर
- करवराज
39. सांरवधान सभा में अजमेर मेरवाड़ा प्राांि का प्रतिननधधत्व ककसने ककया
30. तिकटश भारि सरकार ने ककस करव को के सर-ए- रहिंद की उपाधध से था - मुकुट रबहारी भागषव
सम्माननि ककया था - करवराज श्यामल दास
40. प्रससद्ध पांछीड़ा गीि ककसने सलखा था - मासणक्य लाल वमाष
31. डॉक्टर पीके सेठी को जयपुर फु ट के ननमाषण के सलए ननम्न में से कौन
41. राजस्थान मल के प्रवासी बनारसीदास झुनझुनवाला ने सरवधान
सा पुरस्कार ममला
सभा में कहाां का प्रतिननधधत्व ककया था - रबहार
- रेमन मैग्सेसे अवाडष
42. माांड गाधयका गवरी देवी का जन्म हुआ था- जोधपुर
- डॉक्टर बी सी राय सम्मान
43. कोमल कोठारी का जन्म हुआ था - त्रचिोड़गढ़
- पद्म श्री सम्मान
44. अणुव्रि आांदोलन के सिधार आचायष िुलसी का जन्म हुआ था
32.पांकडि रवश्व मोहन भट्ट का सांबांध है - जयपुर
- नागौर
33. बीकानेर का राठौड़ ख्याि के रचनाकार दयालदास का जन्म 1798
45. पोलम पोल नाम की अपनी ऐतिहाससक वसीयि ककसके िारा सलखी
इसी में बीकानेर के ककस गाांव में हुआ- कु ड़ीया
गई- कपषर चांद कु सलश
34. ननम्न में से कौन सी रचना पांकडि झाबरमल शमाष की है
46. मेवाड़ राजघराने से सांबांधधि लोक सांि चिुर ससिंह का जन्म 1879 में
- सीकर का इतिहास ककस गाांव में हुआ- करजाली

- खेिड़ी का इतिहास 47. त्रगटार में ससिार, सरोद और वीणा के 14 अतिररि िारों के सटीक और
अद्भुि मुहावरों का समिय करके मोहन मीणा का आरवष्कार ककसने
- खेिड़ी नरेश और रववेकानांद
ककया - पांकडि रवश्व मोहन भट्ट
35. राजस्थान में कोई छोटा सा राज्य भी ऐसा नहीं नजसमें थमोपोली
48. अल्लाह नजलाई बाई के बारे में सत्य कथन
जैसी रणभमम में हो और शायद ही ऐसा कोई नगर ना ममले जहाां
सलयोनाडष जैसे वीर पुरुर् पैदा नहीं हुआ है यह कथन ककसका है - इनका जन्म 1 फरवरी 1902 बीकानेर में हुआ

- कनषल जेम्स टॉड - सन 1982 महीने पदम श्री से सम्माननि ककया गया

36. यह कथन ककसका है राजस्थान की भमम में ऐसा कोई फल नहीं उगा - 1983 में रॉयल अल्बटष हॉल में बीबीसी लांदन िारा कोटष ससिंगर का अवाडष
जो राष्ट्रीय वीरिा और त्याग की सुगांध से भरपर नहीं झला हो कदया गया

- कनषल जेम्स टॉड 49. ककस रचना के सलए कन्हैयालाल सेठठया को 1976 में कें द्रीय सारहत्य
अकादमी नई कदल्ली िारा पुरस्कृ ि ककया गया- लींलटास
37."आओ बच्चों िुम्हें कदखाएां झाांकी रहिंदुस्तान की" व "हे मेरे विन के
लोगों"नामक प्रससद्ध गीि ककसने सलखा था- करव प्रदीप 50. कन्हैया लाल सेठठया के बारे में सत्य कथन
- नवांबर 2008 को कोलकािा में कन्हैया लाल सेठठया का ननधन हो गया

- 2012 में इन्हें राजस्थान रत्न व 2004 में पदम श्री ममला

- 1986 में रचना सबद के सलए सयषमल ममश्रण पुरस्कार

- रचना सिवादी के सलए टाकटया पुरस्कार से सम्माननि ककया गया

- 1988 में उन्होंने ननग्रंथ के सलए मतििदेवी पुरस्कार प्रदान ककया गया

51. 20 माचष 1926 को कपषरचांद कु सलश का जन्म ककस नजले में हुआ

- सोडा गाांव, टोंक

52. राजस्थान के प्रससद्ध व्यरियों के जन्म स्थान के बारे में

- कोमल कोठारी- कपासन ,त्रचत्तौड़गढ़

- कृ पाल ससिंह शेखावि -मऊ, सीकर

- अचायष िुलसी -लाडनां ,नागौर

53. राजस्थान के प्रससद्ध व्यरियों के जन्म स्थान के बारे में

- पांकडि झाबरमल शमाष -जसरापुर

- स्वामी के शवानांद- मांगलना गाांव ,सीकर

- कन्हैया लाल सेठठया- सुजानगढ़, चरू

54. प्रससद्ध व्यरियों व उनके क्षेि से सांबांधधि

- पांकडि झाबरमल शमाष -पिकाररिा

- शैिान ससिंह- वीरिा

- गवरी बाई -भरि


10. 1927 में त्यागभमम समाचार पि का सम्पादन ककसके िारा ककया

CLASS – 11 - हररभाऊ उपाध्याय

11. कास्न्तकारी व उनकी पत्नी के बारे में

- रामनारायण चौधरी - अांजना देवी


अध्याय -1,2,3 - हीरालाल शास्त्री- रिना शास्त्री

- मासणक्यलाल वमाष - नारायणी देवी

1. ककसान आन्दोलन के बारे मे 12. के सरी ससिंह बारहठ को कोटा के महन्त साधु प्यारेलाल की हत्या करने
पर ककस जेल में रखा गया. - हजारीबाग
- बरड (बांदी) ककसान आांदोलन - (1921-43)
13. 1915 को सशस्त्र क्ाांति की शुरुआि करने का श्रेय जािा है-
- नीमराणा (अलवर) ककसान आांदोलन - (1923-25)
गोपाल ससिंह खरवा
- शेखावाटी ककसान आन्दोलन- (1924-47)
14. ककसने सलखा कक नजस प्रकार पांजाब को लाला लाजपिराय पर और
2. स्वामी दयानांद सरस्विी राजस्थान मे सवषप्रथम 1865 में ककस
महाराष्ट्र को बाल गांगाधर तिलक पर गवष है, उसी प्रकार राजस्थान को राव
ररयासि मे आए - करौली
गोपालससिंह पर गवष है- के सरीससिंह बारहठ
3. स्वामी दयानांद सरस्विी राजस्थान में दसरी बार आगमन 1881 में
15. 1935 में भागीलाल पाण्ड्या ने हररजन सेवा सममति की स्थापना कहा
कहाां हुआ - भरिपुर
की - डुगरपुर
4. जब दयानांद सरस्विी का उदयपुर आगमन हुआ उस समय उदयपुर के
16. डुगरपुर में वागङ सेवा मन्दन्दर की स्थापना ककसने की-
शासक थे - सज्जन ससिंह
मासणक्यलाल वमाष
5. उदयपुर मे ककस वर्ष दयानांद सरस्विी ने परोपकाररणी सभा की
स्थापना की - 1883 17. मेवाड़ में वह क्ास्न्तकारी मरहला जो अपने 6 माह के पुि को लेकर जेल
गई - नारायणी देवी,
6. 1882 में दयानांद सरस्विी ने सत्याथष प्रकाश के रििीय सांस्करण की
रचना कहाां की- उदयपुर 18. मेवाड़ प्रजामण्डल के प्रथम सत्याग्रही थे - रमेश चन्द्र व्यास

7. स्वामी दयानांद सरस्विी के बाद मेवाड़ में आयष समाज की स्थापना 19. तिकटश सम्राट जेम्स प्रथम के राजपि सर टोमस रो ने जहाांगीर से
ककसने की - रवष्णुलाल पाण्ड् ‌या मैग्जीन ककले मे कब मुलाकाि की थी - 10 जनवरी 1616

8. स्वामी दयानांद सरस्विी के बारे मे 20. त्रचिौडगढ दुगष में ककस वर्ष साका नहीं हुआ था- 1311

- जसवन्त ससिंह रििीय की पासवान नन्ही जान ने 1883 में जोधपुर में 21. जनागढ़ ककले में कु ल ककिने बुजष है - 37
रवर् कदया 22. ककस दुगष का उपनाम घाघरानुमा परकोटा होने के कारण कमरकोट या
- 1883 में अजमेर मे स्वामी जी का ननधन हो गया पाडा है। - सोनारगढ़

- स्वामीजी ने स्वधमष, स्वराज्य, स्वदेशी और स्वभार्ा पर जोर कदया 23. 99 बुजो वाले जैसलमेर ककले मे ढाई साके हुए ककस शासक ने यहााँ
आक्मण ककया था- अलाउद्दीन खखलजी , रफरोज िुगलक , अमीर अली
9. 1923 में ऋतर्दत्त मेहिा ने राजस्थान' नाम का साप्तारहक अखबार कहााँ
से ननकालना प्रारम्भ ककया - ब्यावर
24. त्रचिौड मे स्थस्थि बाडौली सशव मन्दन्दर को प्रकाश में लाने का श्रेय ककसे 40. जयपुर के मसण गाांगुली व उदयपुर के देवीलाल सामर, कोमल कोठारी
जािा है - जेम्स टॉड ने ककस नृत्य को अन्तराषष्ट्रीय ख्याति कदलाई- घुडला नृत्य

25. 15वीं शिाब्दी में बने रणकपुर जैन मन्दन्दर के सशल्पकार थे 41. नृत्य व उसके सांबांधी वाधयांि के बारे मे

- देपाक - िेरहिाली नृत्य -मांजीरा, िानपुर, चौिारा

26. राजस्थान में तिनथयुि मन्दन्दरो मे सबसे प्राचीन (689ई.) मन्दन्दर है। - चरी नृत्य - बाांककया, ढोल, थाली

- शीिलेश्वर मन्दन्दर - गीदड नृत्य - नगाडा, ढोल, डफ, चांग

27. ओससया के जैन मन्दन्दर ककस नजले मे हैं- जोधपुर 42. कौनसा कालबेसलया नृत्य प्रेम कहानी पर आधाररि होने के कारण
स्त्री-पुरुर् दोनो के िारा प्रस्तुि ककया जािा है- शांकररया नृत्य
28. हाथी व लाल ककस हवेली के सशल्पकार थे - नथमल की हवेली
43. चेिराम, हमीद बेग, िाराचन्द्र व ठाकु र ओांकार ससिंह, सोनी जयदयाल
29. जैसलमेर मे पटवों की हवेली का ननमाषण ककसने करवाया
ककस लोकनाट्य के कलाकार है- िुराष कलांगी
- गुमानचन्द बापना
44. रम्मि लोकनाथ में लावणी रवर्य ककससे सांबांधधि है-
30. टीबडेवाला व ईसरदास मोदी की हवेली ककस नजले में है - झुांझुन
देवीदेविाओ की पजा से सांबांधधि गीि
31. नन्दलाल देवड़ा, कन्हैयालाल गोयनका की हवेसलयो कहााँ स्थस्थि है।
45. सुमेसलि
- फिेहपुर (सीकर)
- मसररया साडी - कै थुन (कोटा)
32. लाल पत्थर की गोलेछा व टाकटया पररवार की हवेसलयाां कहााँ स्थस्थि है।
- बालीचे व दररया - जयपुर व टोंक
- खींचन (जोधपुर)
- बादले - जोधपुर
33. यक्ष-यक्षी की मतिियों के अवशेर् ककस सभ्यिा से ममले है- नोह
46. जोधपुर नजले के सालावास गाांव ककस हस्तकला के सलए प्रससद्ध है
34. शुगांकालीन जखबाबा की रवशालकाय प्रतिमा ककस सभ्यिा से ममली
- दररयो के सलए
है -नोह
47. हरजी गाांव (जालौर) प्रससद्ध है- ममट्टी के मामाजी के घोड़े के सलए
35. गुप्तोत्तर काल मे बना कसमा सशव मन्दन्दर ककस नजले में है - ससरोही
48. कीमिी व अद्धष कीमिी पत्थरों की कटाई और जड़ाई के सलए प्रससद्ध
36. मन्दन्दर व नजले से सांबांधधि
नजला है- जयपुर
- कसुआ,मन्दन्दर - कोटा
49. प्रिापगढ मे थेवाकला (काांच पर सोने का सक्ष्म त्रचिाांकन)मे ककस काांच
- के कीन्द मन्दन्दर-पाली का प्रयोग ककया जािा है- रांगीन बेल्जियम् काांच

- मेनाल मन्दन्दर-त्रचिौड़ 50. दाब तप्रन्ट के बारे मे

37. ककस दुगष में कु म्भा नें कु म्मस्वामी मन्दन्दर नामक रवष्णु मन्दन्दर नही - मोम का दाब- स० माधोपुर
बनाया था- बदनौर
- ममट्टी का दाब - बालोिरा
38. अबुल फजल ने ककस दुगष को बख्तरबन्द रहा है - कु म्भलगढ़
- गेहूाँ के बींधण का दाबु - साांगानेर व बगरू
39. नृत्य के वल पुरुर् प्रधान नृत्य है- अफ्टि नृत्य , कच्छी घोडी , गवरी नृत्य
51. बांधेज कला के बारे में
- बांधेज कला जयपुर की प्रससद्ध है 6. ममट्टी व नजलो से सबांधी

- बांधेज कला बाधो व रांगों (Tie,Die) के सलए प्रससद्ध है - लाल व पीली ममट्टी - सवाई माधोपुर, भीलवाडा, अजमेर

- जाजम की छपाई त्रचिौड़गढ़ में की जािी है - लाल-लोमी मृदा- डुगरपुर, उदयपुर

- गोटे का काम जयपुर व खांडेला (सीकर) का प्रससद्ध है - लाल व काली मृदा- त्रचिौडगढ, उदयपुर

52. कै मल हाइड ट्रेननिंग उस्ता कला का प्रसशक्षण सांस्थान है- बीकानेर 7. ननम्न में से कौनसी परम्परागि जल सरांक्षण की रवधध नहीं है- नाली

53. पदमश्री से सम्माननि बीकानेर के रहस्सामुद्दीन ककस कला के 8. परम्परागि जल सांरक्षण की रवधध है- कु ई , कुां डी , खडीन , टाांका
कलाकार थे - उस्ताकला
9. खीचन गाांव (जोधपुर) ककस वन्यजीव का आकर्षण के न्द्र होिा है
54. साांगानेरी तप्रन्ट में ककन रांगो का प्रयोग मुख्यिः होिा है- काला व लाल
- कु रजा पक्षी
55. साांगानेरी तप्रन्ट को अन्तराषष्ट्रीय स्तर पर लोकतप्रय बनाने का श्रेय जािा
10. राष्ट्रीय मरू उद्यान की स्थापना कब हुई - 1981
है- मुन्नालाल गोयल
11. वन्यजीव सुरक्षा अधधननयम 1972 की धारा 37 के अनुसार राजस्थान
56. बाड़मेर के अजरक तप्रन्ट में ककस रांग का प्रयोग होिा है ।
मे ककिने आखेट ननतर्द्ध क्षेि है- 33
- लाल व नीले
12. मृगवन के बारे मे
57. सही सत्य कथन
- सांजय उद्यान मृगवन -शाहपुरा (जयपुर )
- मरहलाओां की चुनरी -जोधपुर
- सज्जनगड, मृगवन-उदयपुर
- लहररया- जयपुर
- अशोक रवहार मृगवन - जयपुर
- लाख का काम लक्ष्मणगढ़ (सीकर), इांदरगढ़( बांदी)
13. विषमान में राजस्थान मे ककिने मृगवन है- 7

14. राजस्थान का ककन खननजों में एकाधधकार प्राप्त हैं-

Class-11. अध्याय -4,5,6,7,8 बोलस्टोनारट, गानेट, जास्पर

15. धात्वत्वक खननज है- सीसा जस्ता , चाांदी , टांगस्टन

16. धात्वत्वक खननज है - मैंगनीज , िाांबा , लौह अयस्क


1. प्रशासननक दृत्रष्ट में राज्य के वनो को ककिने श्रेसणयों में रवभि ककया गया
है- 3 17. सागवा, इटाला, काचला, नरकड़या, लीलवानी ककस खननज की खाने हैं।

2. राज्य में प्रशासननक दृत्रष्ट में कौनसे वन शाममल है - मैगनीज

- आरसक्षि वन , सुरसक्षि बनाएां , अवगीकृ ि वन 18. खान सीसा जस्ता की है - जावर , आगुचा गुलाबपुरा , राजपुरा-दरीबा

3. खेजडा, रोरहडा, बबल, कै र ककस प्रकार के वनों मे आिे हैं। 19. खननज व सबांधधि खान के बारे मे

- उष्ण ककटबांधीय कटीले वन - िाांबा- भगि का बास

4. उप-उष्ण पवषिीय वन ककस नजले में पाये जािे हैं- ससरोही - टांगस्टन -डेगाना

5. ककस वन के पत्तो का उपयोग बीडी बनाने मे होिा है- िेंद - िाांबा - खो-दरीबा
20. उवषरक खननज है- नजप्सम , पाईराईट , रॉक फास्फे ट - के यनष कां पनी

21. बहुमल्य खननज है - पन्ना , िामड़ा , हीरा 38. अांिा बारा रवद्युि पररयोजना के बारे में

22. ननम्न मे से कौनसा रासायननक है- नजप्सम - यह गैस पर आधाररि रवद्युि पररयोजना है

23. ककन नजलो में ऐस्बेस्टास का उत्पादन होिा है - उदयपुर, डुांगरपुर - प्रथम इकाई का प्रारांभ 21 जनवरी 1989 को हुआ

24. फे र्ल्पार खननज का उत्पादन ककस नजले मे होिा है - अजमेर - प्रथम इकाई से 88 मेगावाट रवद्युि उत्पादन होिी है कु ल उत्पादन क्षमिा
413 मेगावाट है
25. प्राकृ तिक सांसाधन है
39. भाखड़ा नाांगल पररयोजना के बारे में
- प्राकृ तिक वनस्पति , मृदा , जल
- यह पांजाब हररयाणा राजस्थान की सांयुि योजना है
26. जलोढ़ मृदा ककसके िारा जमा की जािी है - नकदयों िारा
- गांगानगर हनुमानगढ़ चरू बीकानेर नजलों को रवद्युि प्रदान की जािी है
27. सुमेसलि
- राजस्थान को 168.5 मेगावाट रवद्युि प्राप्त होिी है
खननज - नजला
40. बाांसवाड़ा के बोरखेड़ा में स्थस्थि माही रवद्युि पररयोजना से रवद्युि
(A) रॉक फास्फे ट - उदयपुर
उत्पन्न होिी है- 144 मेगा वाट
(B) नजप्सम - नागौर
41. राजस्थान पांजाब हररयाणा की सांयुि पररयोजना व्यास पररयोजना से
(C) अभ्रक - भीलवाडा राजस्थान को कु ल ककिनी रवद्युि प्राप्त होिी है- 408 मेगा वाट

28. अधात्वत्वक खननज है- िामडा , के र्ल्ाइट , पाइराइट 42. नमषदा नहर पररयोजना से राजस्थान के लाभावास्िि नजले हैं

29. परम्परागि ऊजाष स्त्रोि हैं - कोयला , जल रवद्युि , खननज िेल - बाड़मेर जालौर

30. गैर परम्परागि उजाष सांसाधन है - सौर उजाष , बायोगैस , ज्वारीय उजाष 43. राजस्थान का पहला व देश का दसरा परमाणु सांयांि कहाां स्थारपि है

31. वह कोयला नजसमे 45 से 55 प्रतिशि काबषन की मािा होिी है नजसे - राविभाटा


भरा कोयला भी कहिे हैं - सलिाइट
44. राजस्थान में सांचासलि राविभाटा परमाणु ऊजाष सांयांि के बारे में
32. पलाना (बीकानेर) ककस ऊजाष सांसाधन के खनन के सलए जाना जािा
- यह कनाडा के सहयोग से सांचासलि है
है- कोयला
- यह देश की पहली पररयोजना है जो प्राकृ तिक यरेननयम भारी जल व
33. कोटा सुपर थमषल रवद्युि पररयोजना का प्रारम्भ कब ककया गया
प्रशीिन िारा चासलि है
- 1978
- इसकी पहली इकाई 11 अगस्त 1972 को प्रारांभ की गई नजसकी क्षमिा
34. गुजराि, मध्यप्रदेश, राजस्थान की सांयुि सिपुड़ा रवद्युिगृह से 400 मेगावाट की है
राजस्थान को रवद्युि प्राप्त होिी है- 125MW
- विषमान में इसकी 6 इकाइयाां कायषरि है एवां सािवीं व आठवीं इकाई
35. बीकानेर के पलाना क्षेि मे ककिने मेगावाट का िापरवद्युि गृह स्थारपि ननमाषणाधीन है
है- 60 Mw
45. REDA (राजस्थान ऊजाष रवकास एजेंसी) की स्थापना कब हुई- 1985
36. 1996 में जैसलमेर का कमली िाल चचाष में रहा- गैस उत्पादन
46. फोटो वॉस्ल्टक िकनीक का उपयोग ककस प्रकार की ऊजाष प्राप्त करने के
37. बायिु क्षेि बाड़मेर में िेल भांडारों की खोज ककस कां पनी ने की सलए की जािी है- सौर ऊजाष
47. राजस्थान की प्रथम पवन ऊजाष नीति कब घोतर्ि की गई- 2012 - जयपुर का जनसांख्या घनत्व 598 व्यरि वगष ककलोमीटर

48. जैसलमेर के अमर सागर में राजस्थान की पहली पवन ऊजाष 58. जनगणना 2011 के अनुसार जैसलमेर नजले का जन घनत्व है- 17
पररयोजना अगस्त 1999 में राजस्थान स्टेट पावर कॉरपोरेशन ने ककिनी
59. जनगणना 2011 के सलिंग अनुपाि के बारे में बिाइए
मेगा वाट की शुरू की- 2 मेगावाट
- राजस्थान का सलिंगानुपाि 928
49. सत्य कथन
- सवाषधधक सलिंगानुपाि वाला नजला डांगरपुर है
- राज्य की दसरी पवन ऊजाष पररयोजना देवगढ़ प्रिापगढ़ में RSPCL िारा
2.25 मेगावाट की स्थारपि की - सबसे कम सलिंगानुपाि धौलपुर का है

- राज्य की िीसरी पवन ऊजाष पररयोजना फलौदी में 2.10 मेगा वाट की 60. रवत्त वर्ष 2008-09 में रवकास दर घटने का प्रमुख कारण है
स्थारपि की - वैसश्वक मांदी 2008
- जैसलमेर के बड़ा बाग में 4.9 मेगावाट की पहली ननजी क्षेि की सौर ऊजाष 61. राजस्थान में प्रचसलि मल्यों पर 2011-12 में प्रति व्यरि आय है -
पररयोजना शुरू हुई थी ₹47506
50. राज्य में गैर परांपरागि ककस ऊजाष स्त्रोि के रवकास की सवाषधधक 62. ग्यारहवीं पांचवर्ीय योजना की समयावधध है- 2007-12
सांभावना है- सौर ऊजाष
63. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान की जनसांख्या है
51. पवन ऊजाष के रवकास की उपयुि दशाएां राजस्थान के ककस क्षेि में
- 6.86 करोड़
सवाषधधक है- पसश्चमी राजस्थान
64. 12वीं पांचवर्ीय योजना की समयावधध थी- 2012- 17
52. राजस्थान का प्राकृ तिक गैस पर आधाररि रवद्युि गृह कहाां है- .अांिा
65. 12वीं पांचवर्ीय योजना में सवाषधधक व्यय ककस मद पर हुआ- सेवा क्षेि
53. राज्य के सकल घरेल उत्पादन में सवाषधधक योगदान ककसका है- सेवा
66. राजस्थान में औद्योत्रगक नीति के बारे में
54. राजस्थान की प्रति व्यरि आय प्रचसलि मल्यों पर 1960-61 में थी
- प्रथम औद्योत्रगक नीति 1978
- ₹412
- दसरी औद्योत्रगक की नीति 1990
55. राजस्थान में पांचवर्ीय योजना कब शुरू हुई- 1951
- िीसरी औद्योत्रगक नीति 1994
56. राजस्थान में जनसांख्या वृनद्ध के बारे में
67. फै शन फॉर डेवलपमेंट योजना का सांबांध ककससे है- खादी व ग्रामोद्योग
- 1951-15.20% वृनद्ध
68. वर्ष 2008-09 में ककिने नजलों में अकाल से जनसांख्या प्रभारवि हुई
- 1981-32.97% वृनद्ध
- 12
- 1991-28.44% वृनद्ध
69. कौन सी फसल खरीफ की है- मांगफली , गन्ना , तिल
- 2001-28.41% वृनद्ध
70. कौन सी खरीफ की फसल है- सरजमुखी , मोठ , मक्का
57. 2011 की जनगणना के अनुसार
71. ननम्न में से कौन सी फसल सवाषधधक गांगानगर हनुमानगढ़ में पैदा
- सवाषधधक जनसांख्या वृनद्ध दर -बाड़मेर(32.5%)
होिी है- कपास
- न्यनिम जनसांख्या वृनद्ध दर -श्रीगांगानगर(10.00%)
72. राज्य के औद्योत्रगक रवकास को गति देने वाली शीर्ष सांस्था है- रीको
- जनसांख्या घनत्व 200 व्यरि प्रति वगष ककलोमीटर
73. राजस्थान की 11वीं पांचवर्ीय योजना का अनुमोकदि उदव्यय है- 71732
करोड

74. राज्य में 10वीं योजना में ककस मद पर सबसे अधधक व्यय ककया गया

- ऊजाष

75. राज्य की 11वीं पांचवर्ीय योजना में सकल घरेल उत्पाद वृनद्ध दर लक्ष्य
था- 7.4%

76. मांगला प्रससद्ध है- िेल कु आां

76. राजस्थान में कृ तर् व सांबांध क्षेि वृनद्ध दर ऋणात्मक रही

- 2005-06

76. ककस नजले मेंSEZ रवशेर् आनथिक क्षेि की स्थापना की गई है

- सीिापुरा ,जयपुर

77. चोंपकी,मभवाड़ी रवशेर् औद्योत्रगक समह है- होजरी

78. राज्य में 2011-12 में खाद्यान्न उत्पादन (प्रावधाननक) था

- 209.45 लाख टन

79. राजस्थान की सबसे बड़ी वातर्िक योजना है- 2011-12

80. जना महल ककस नजले मे है- डगां रपुर

81. राज्य पयषटन ननदेशालय की स्थापना कब हुई- 1955

82. राजस्थान राज्य पयषटन रवकास ननगम सलममटेड की स्थापना कबाई

- 1979

83.. राजस्थान में पयषटन को उद्योग का दजाष कब कदया गया- 1989

84. राज्य में हैररटेज होटल योजना कब शुरू हुई- 1991

85. राज्य की प्रथम पयषटन नीति कब घोतर्ि की गई- 2001

86. राज्य सरकार िारा होटल नीति कब घोर्णा की गई- 2006


उत्तराधधकारी कर

कक्षा-12 14. मेवाड व जयपुर में उिराधधकारी कर को ककस नाम से जाना जािा था

- नजराना

15. राजपिाना की ररयासिो में कै द खालसा, िलवार बधाई, नजराना,


अध्याय -1,2 (राजस्थान की मध्य कालीन हुक्मनामा ककस प्रकार के कर थे- उत्तराधधकारी कर

प्रशासननक व्यवस्था) 16. एकमाि ऐसी ररयासि जहाां मध्यकाल में उत्तराधधकारी शुल्क नहीं
सलया जािा था - जैसलमेर

17. राजवी, सरदार, गनायि, मुत्सद्दी ये चार प्रकार की श्रेसणयाां मारवाड मे


1. राजस्थान की सामान्त व्यवस्था ककस पर आधाररि थी- रि व कु लीय
ककसकी थी- सामन्त की
सांबांध
18. मेवाड़ में सामांिों की िीन श्रेसणयाां थी उनके बारे में सत्य कथन बिाइए
2. प्रो राय चौधरी ने सामान्य व्यवस्था का उदय काल माना है-छठी शिाब्दी
- इन्हें उमराव कहा जािा था
3. जागीर शब्द ककस भार्ा से सलया गया है(वनरक्षक परीक्षा 2022)
- प्रथम श्रेणी में सामांि 16,दसरी श्रेणी में 32 व िृिीय श्रेणी के सांबांध गोल
- फारसी
के उमराव कई सौ की सांख्या में होिे थे
4. प्रो इरफान हबीब के अनुसार राज्य िारा प्रदि भमम का वह भाग नजससे
- प्रथम श्रेणी के 16 उमराव में सलांबर के सामांि का रवशेर् स्थान होिा था
उस भ क्षेि से राजस्व वसल करने का वैधाननक अधधकारी होिा था
19. जयपुर के ककस शासक ने सामन्ती श्रेणी को 12 भागों में बाांटा नजसे
- जागीर
बारह कोटडी कहा गया- पृथ्वीराज
5. वह भमम जो राजा के िारा प्रशाससि व ननयांत्रिि होिी है- खालसा
20. कोटा में सामन्त श्रेणी को कहा जािा था- राजवी
6. मनसबदारी प्रथा ककस मुगल शासक ने शुरू की- अकबर
21. डावी (बाई) व जीवणी (दाई) सामन्त श्रेणी व्यवस्था का प्रचलन में थी
7. राजा को सामन्त युद्ध व शाांति के समय चाकरी देिा था यहाां चाकरी का
- जैसलमेर
अथष है- सेवाएां
22. बीकानेर में सामन्त की ककिनी श्रेसणयाां थी - 3
8. मध्यकालीन 'पट्टा रेख' से आप क्या समझिे हैं(वनरक्षक परीक्षा
2022) - पट्टा में सलखा हुआ ननधाषररि कर 23. राजा के बाद राज्य का प्रमुख प्रधान होिा था इसे ररयासिों में जाना
जािा था
9. मध्यकालीन' भरिु रेख' से आप क्या समझिे हैं - राजा िारा सामन्त
को पिि जागीर के पट्टे में उल्लेखखि रेख के अनुसार राजस्व भरिा (जमा - कोटा व बांदी में दीवान

करिा) था - मेवाड़ ,मारवाड़ ,जैसलमेर में प्रधान

10. मध्यकाल मे पटा रेख व भरिु रेख कर था- सामन्त राजा को देिा था - जयपुर में मुसारहब व बीकानेर में मुख्तयार

11. मध्यकाल में रेख' से िात्पयष था- जागीर की अनुमाननि वातर्िक राजस्व 24. भरिपुर में राजा के बाद प्रधान को कहा जािा था- मुम्भख्तयार

12. जोधपुर में पेशकशी व हुक्मनामा ककस प्रकार के कर थे- 25. बक्षी नामक सामांि पर रवभाग होिा था- सैननक
26. सेना व ककलों पर होने वाले खचष का रववरण व सामांिों की रेख का 37. सामन्त प्रशासन का मल स्वरूप था- टेन्ट के समान
रहसाब रखने वाला होिा था- नायब बक्षी
38. राजा के उत्तराधधकारी ननसश्चि करने में ननणाषयक भममका ननभािे थें।
27. मुगल प्रशासननक व्यवस्था के कोिवाल के समान, गैर सैननक
- मुत्सद्दी
कमषचाररयों के रोजगार से सांबांधधि कायष देखिा था- सशकदार
39. खालसा में न्याय का कायष करिे थे - हाककम
28. धमाषथष ,सशक्षण कायष ,सारहत्य लेखन कायष चारण व भाट को अनुदान
स्वरूप दी गई भमम कहलािी है- सासण जागीर भमम, माफी जागीर भमम 40. बापीदार ककसान- अपने खेि के स्वामी

29. वह भमम नजस पर पशुओां का चारा उगाया जािा था 41. प्रो. वी. श्री ममश्रा ने राजस्थान का भगोल पुस्तक में राजस्थान ककया
ककिने भौगोसलक प्रदेशो में बाटा है- 7
- चरागाह भमम , गोचर भमम , चरनोिा भमम
42. 1971 में प्रो राम लोचन ससिंह ने कक राजस्थान को ककिने भागो मे बाटा
30. सत्य कथन
है- 2 वृहत्त प्रदेश , 4 उपभाग , 12 लघुप्रदेश
- बाप्पीदार कृ र्क- भमम का स्थाई स्वामी
43. राजस्थान में थार मस्थल का रवस्तार है।
- गेरबाप्पीदार कृ र्क -खेतिहर मजदर जो भममहीन होिे हैं
- 25° उत्तरी में 30° उत्तरी अक्षाांश
- खालसा भमम- कें द्रीय भमम
- 69°30 पवी देशान्तर से 70°45 पवी देशान्तर
31. भरिपुर के राजा सरजमल के समय 1763 ईस्वी में भरिपुर राज्य की
44. चोटी व ऊां चाई के बारे
कृ तर् की आय प्रतिवर्ष थी - ₹ 17.5लाख
- िारागढ़- 870 मीटर
32. मध्यकाल में लगान वसली की रवधधयो के बारे में
- नाग पहाड़- 795 मीटर
- लाटा/ बाटई रवधध-फसल कटने योग्य होने पर लगान वसली
- आब 1225 मीटर
- कां िा रवधध -खड़ी फसल पर लगान वसली
45. अरावली की चोकटयो का ऊाँ चाई के अनुसार अवरोही क्म बिाइए
- मुकािा ,डोरी व घघरी रवधध
- गुरू सशखर, सेर, कदलवाड़ा, जरगा
33. सत्य कथन
46. पवषि व ऊां चाई
- मुकािा लगान वसली- कर ननधाषरण एक मुश्त का या नगद
- जयगढ़ 648 मीटर
- डोरी लगान वसली- नापे के भभाग का ननधाषरण कर
- भानगढ़ 649 मीटर
- घघरी लगान वसली- शासक, सामांि जागीरदार ककसानों को घघरी या
बीज देिा है वह लगान वसली - ससरावास चोटी 651 मीटर

34. ककस इतिहासकार ने राजस्थान की सामांिी व्यवस्था के सलए इांग्लैंड 47. पवषि श्रेणी अरावली की है- अचलगढ़ , .कुां भलगढ़ , नागपहाड़

की फ्यडल व्यवस्था के समान उल्लेख ककया है- कनषल जेम्स टॉड

35. सामांि व्यवस्था मलि: थी - प्रशासननक सैननक व्यवस्था

36. सामन्त जागीर पर सामन्त का अधधकार था- जन्मजाि


12. 2011 की जनगणना के अनुसार जनसांख्या में राजस्थान का देश में
अध्याय -3,4 (भारिीय अथषव्यवस्था में राजस्थान
स्थान है - अठवाां
की भममका व सामानजक रवकास)
13. राजस्थान राज्य सड़क पररवहन ननगम (RSRTC) की कब हुई- 1964

14. स्विांििा से पवष राजस्थान की ररयासि मे हवाई अड्डा था - जोधपुर


1. ररयासि काल में अड़सट्टा क्या है- जयपुर राज्य का भमम सांबांधी ररकाडष
15. राजस्थान का एकमाि अन्तराषष्ट्रीय हवाई अड्डा ककस नजले मे है - जयपुर
2. ररयासि कालीन राजस्थान में प्रचसलि "चीरा" नाम है
16. पांजाब, हररयाणा, राजस्थान राज्य की सांयुि पररयोजना भाखड़ा
- िहसील प्रशासन का नाांगल में राजस्थान का रहस्सा है- 15.2%

3. जब्ती मध्यकालीन राजस्थान मे एक भ राजस्व प्रणाली थी 17. चम्बल पररयोजना से ककस बाध से रवद्युि उत्पाकदि नही होिी है

- भ-लगान ननधाषरण की एकरवधध - कोटा बैराज

4. जागीरदार िारा अपनी जागीर का दौरा करने के समय ककसानो से 18. मध्यप्रदेश व राजस्थान की सांयुि पररयोजना चम्बल नदी पररयोजना
सलया जाने वाला कर क्या कहलािा था- खखड़की लाग में राजस्थान का रहस्सा है - 50%

5. भ-राजस्व के कमषचाररयो िारा। ककसानों से कर के अलावा जो अवैध 19. चम्बल घाटी पररयोजना में कौनसा बाांध प्रथम चरण में बना
रासश वसल की जािी थी उसे कहा जािा था - दस्तर लाग
- गाांधी सागर , कोटा बैराज
6. सत्य
20. राजस्थान व गुजराि के बीच माही नदी के जल उपयोग करने हेिु
- लाांचौ - खचष की पतिि हेिु सलया जाने वाला कर समझौिा कब हुआ - 1966

- अखराई - राजकोर् में जमा होने वाली रासशपर दी जाने वाली रसीद हेिु 21. सत्य कथन
कर
- जाखम ससिंचाई पररयोजना - प्रिापगढ़
- डाण - एक राज्य से दसरे राज्य मे ले जाने वाले सामान पर कर
- बीसलपुर ससचाई पररयोजना- टोक
7. वे राजपि नजन्होंने राज्य की रक्षा या राजकीय सेवाओां के सलए अपना
- मेजा बाांध पररयोजना - भीलवाडा
बसलदान कदया हो उन्हें नाममाि के कर पर भमम दी जािी थी, कहलािे थे
22. सोना कल्याण, मैल्जक्सकन, सोनासलका, कोरहनर ककस फसल की
- भौममये
ककस्म है - गेहूां
8. जयपुर ररयासि मे आयाि-ननयाषि, सीमा शुल्क िथा चुांगीकर को
23. ज्योति, आर. एस.-6 ककस फसल की ककस्म है- जौ
सामरहक रूप से क्या कहा जािा था- सायर .
24. अमेररकन कपास मुख्यिः ककस नजले में होिी है - श्रीगांगानगर
9. मुसारहब क्या है- ररयासि का प्रधानमांिी
25. 1949 में गठठि मांत्रिमण्डल के प्रथम सशक्षा व गृहमांिी बने थे
10. मध्यकालीन राजस्व व्यवस्था में ककस भमम पर सशकार करने का
अधधकार था - खालसा , चरनौि , कृ तर्भमम - प्रो. प्रेमनारायण माथुर

11. भारि मे ककस वर्ष उदारीकरण का प्रारम्भ हुआ था- 1991-92 26. ककस सरवधान सांशोधन के िहि सशक्षा को राज्य सची से समविी सची
मे डाला गया - 42वें
27. राधाकृ ष्णन आयोग/रवश्वरवद्यालय सशक्षा आयोग का गठन कब ककया 40. सन् 1950-51 मे राजस्थान की साक्षरिा थी - 8.95%

- 1948-49 41. राजस्थान मे ककस वर्ष सशक्षा को समरपिि बजट था- 1993-94

28. मुदासलयर आयोग का गठन कब ककया गया - 1952 42. उपभोिा सांरक्षण अधधननयम कब बना - 1986

29. NCERT (राष्ट्रीय शैक्षसणक अनुसांधान प्रसशक्षण पररर्द) की स्थापना 43. राजस्थान में ककस औध्योत्रगक नीति के िहि 1994 में उदारीकरण का
कब हुई - 1961 ससलससला शुरु हुआ- िीसरी

30. कोठारी आयोग कब गठठि हुआ नजसे सशक्षा आयोग भी कहिे हैं 44. लघु व सीमान्त कृ र्को को कु ओ के ननमाषण व लघु ससिंचाई के सलए कक
कौनसी योजना सांचासलि है- जीवनधारा योजना
- 1964-66
45. डाांग क्षेि रवकास योजना कब शुरू हुई - 1995-96
31. 1964-66 में गठठि कोठारी आयोग के अध्यक्ष थे - दौलि कोठारी
46. अलवर- भरिपुर क्षेि में मेवाि क्षेि रवकास कायषक्म कब शुरू हुआ
32. कोठारी आयोग/ सशक्षा यायोग के अध्यक्ष दौलि कोठारी ककस नजले के
ननवासी थे - उदयपुर - 1987-88

33. 1964-66 कोठारी आयोग के सुझाव अपनाए गए 47. राजीव गाांधी पारम्पररक जल स्त्रोि सांधारण कायषक्म कब लाग ककया
गया- 1999
- इसी आधार पर 1968 में देश की पहली सशक्षा नीति बनी
48. सेवा ननवृि व्यरि अपनी अमभरुत्रच के अनुसार स्वैखच्छक सेवाएां ककस
- 10+2+3 सशक्षा प्रणाली लाग की गई
योजना के िहि प्रदान कर सकिा था- वानप्रस्थ योजना
- राजस्थान मे भी यही सुझाव नीति लाग हुई
49. योजना से सांबांधधि
34. RTE 2009 एक्ट ककस वर्ष देश मे लाग हुआ - 1 अप्रैल 2010
- इन्दन्दरा गाांधी आवास योजना-1996
35. राजस्थान में सवषसशक्षा अमभयान कब प्रारम्भ ककया - 2001
- एकीकृ ि बांजर भमम रवकास योजना - 1992-93
36. वांत्रचि बच्चों को प्रारम्भम्भक सशक्षा से जोड़ने हेिु राज्य सरकार ने सशक्षा
- मरू रवकास योजना - 1991
आपके िार' योजना कब शुरू की - 2001
50. योजना से सांबांधधि
37. राजस्थान मे साक्षरिा बढाने हेिु ककये गये प्रयत्नों में शाममल है।
- साांसद रवकास कायषक्म - (1992-93)
- गुरू ममि योजना - युनीसेफ के रविीय सहयोग से 1994-95 से आरांभ
- जीवन धारा योजना - (1995-96)
- लोक जुफ्टम्बश योजना- यह योजना सीडा के रविीय सहयोग से चलाई गई
- बीस सिी कायषक्म - (1975)
- सरस्विी योजना- यह योजना 1994-95 से लाग हुई, इसके िहि 5वीं
उत्तीणष आशाथी मरहला को प्रसशसक्षि कर सरस्विी बहन बनाया जािा है 51. कौनसी पांचवर्ीय योजना में गरीबी उन्मलन' को शाममल ककया गया है

38. 14 फरवरी 2006 को राजस्थान के ककस नजले में टेलीमेकडसन सेन्टर - पाांचवी पांचवर्ीय योजना
का उद्घाटन हुआ- झालावाड
52. ग्रामीण जनिा को जल सांरक्षण हेिु प्रोत्साहन करने के उद्देश्य से जल
39. राजस्थान स्वास्थ्य रवज्ञान रवश्वरवद्यालय, जयपुर की स्थापना कब हुई चेिना व जल रथ यािाएां कब सांचासलि की गई

- 2004 - 16 मई 2006 से 25 जन 2006


अध्याय -5,6,7,8
16. राजस्थान सरकार ने 18 माचष 2008 को शहरी ननकायों के ननवाषचन
मे मरहलाओ को आरक्षण देने का प्रावधान कर कदया है। - 50%

17. सत्य बिाइए

- नगर ननगम - 5 लाख से अधधक जनसांख्या


1. स्थानीय शासन को साधारणि कहा जािा है- स्थानीय स्वशासन
- नगर पररर्द्-1 लाख से अधधक जनसांख्या, ककिंिु 5 लाख से कम
2. भारिीय सांरवधान में स्थानीय शासन को ककस सची मे रखा गया है
- नगरपासलका - 20हजार से अधधक, ककन्तु एक लाख से कम जनसांख्या
- राज्य सची
18. नगर ननगमों की स्थापना वर्ष बिाइए
3. राजस्थान में प्रथम नगपासलका 1864 मे कहााँ स्थारपि हुई- माउण्ट आब
- जयपुर व जोधपुर नगर ननगम-1992
4. राजस्थान नगरपासलका अधधननयम ककस वर्ष पाररि ककया गया -1959
- कोटा नगर ननगम-1993
5. 74 वे सांरवधान सांशोधन अधधननयम का सांबधां है - शहरी स्वशासन
- बीकानेर व अजमेर नगर ननगम - 2008
6. सभा, सममति व रवदथ जैसी सांख्याओां का उल्लेख ककस वेद मे ममलिा
19. सुमेसलि बिाए
है - ऋग्वेद , अथवषवेद
- नगर-ननगम- महापौर\मेयर
7. महाभारि मे नगरों के शासनाधधकारी को कहिे थे - स्वाथषत्रचिक
- नगर पररर्द- सभापति
8. कौकटल्य के अथषशास्त्र के अनुसार नगर का सबसे बड़ा पदाधधकारी
कहलािा था - नागररक - नगरपासलका - अध्यक्ष

9. पाटसलपुि का प्रशासन 5-5 सदस्यों की ककिनी सममतियाां करिी थी 20. जैव रवरवधिा के कारण ककस राष्ट्रीय उद्यान को यनेस्को िारा "रवश्व
प्राकृ तिक धरोहर" घोतर्ि ककया - के वलादेव
-6
21. राजस्थान वाननकी एवां जैव रवरवधिा पररयोजना ककस देश के सहयोग
10. ककस एक्ट के अन्तगषि प्रेसीडेन्सी नगरो में जस्स्टस ऑफ पीस' की
से चल रही है- जापान
ननयुरि की गई- 1773
22. पाली में रांगाई छपाई उद्योग के कारण कौनसी नदी जल प्रदर्ण के
11. स्थानीय स्वशासन का जनक कहा जािा है- लाडष ररपन
कारण प्रदतर्ि हो रही है - लनी
12. राजस्थान मे छावनी मण्डल स्थस्थि हैं- नसीराबाद
23. राजस्थान के दसक्षण भाग में नाहरू/नारू रोग का कारण कौनसा
13. 74वाां सांरवधान सांशोधन अधधननयम, नगरीय स्वशासन का सांबांध प्रदर्ण है- जल
ककस भाग से है - भाग 9 क
25. ध्वनन का मापन होिा है - डेसीबल
14. 74 वें सांरवधान सांशोधन का सांबांध ककस अनुसची से है - 12
26. वािाषलाप के सलए ककिने डेसीबल ध्वनन आांकी गई- 60
15. 74 वे सांरवधान सांशोधन शहरी स्वशासन मे ककिने रवर्य शाममल हैं
27. ध्वनन प्रदर्ण ननयांिण हेिु राजस्थान कोलाहल ननयांिण एक्ट कब बना
- 18
- 1963

28. राजस्थान में सेम की समस्या ककन नजलो मे देखने को ममलिी है।
- श्रीगांगानगर-हनुमानगढ 41. राज्य मानवाधधकार (सांशोधन) अधधननयम 2006 के अनुसार आयोग
मे अध्यक्ष सरहि ककिने सदस्य होिे - 3
29. चम्बल नदी सबसे अधधक कहााँ प्रदतर्ि है- धोलपुर क्षेि में
42. सांरवधान के ककस अनुच्छेद के िहि बच्चों को सशक्षा उपलब्ध कराने को
30. डाकष जोन ककसे कहिे हैं।- भ-जल की सांकट की स्थस्थति को
मािा-रपिा एवां अमभभावक का मौसलक किषव्य माना गया- अनुच्छेद 51 (क)
31. हररि राजस्थान कायषक्म का सांबांध है - वृक्षारोपण से
43. बालश्रम ननयांिण व प्रतिर्ेध अधधननयम कब पाररि हुआ - 1986
32. सचना का अधधकार अधधननयम 2005 ककस वर्ष परे देश में लाग हुआ
44. कन्या भ्रण हत्या को रोकने के सलए PCPNDC एक्ट कब बना - 1994
- 12 अक्टबर 2005
45. समेककि बाल रवकास योजना कब प्रारम्भ की गई - 1975
33. के न्द्रीय सचना का अधधकार अधधननयम 2005 प्रभावी होने पर
46. राजस्थान राज्य बाल अधधकार सांरक्षण आयोग का गठन कब ककया
राजस्थान सरकार िारा ककस वर्ष के 'राजस्थान सचना का अधधकार
गया- फरवरी 2010
अधधननयम' को ननरस्त कर कदया गया है- 2000
47. RTE 2011 के ककस भाग में बाल अधधकारो का सांरक्षण से सांबांधधि
34. सचना का अधधकार आवेदन को अपने आवेदन पि के साथ ककिने
प्रावधान है- भाग-9
रूपये का शुल्क देना होिा है - 10
48. दुननया का सबसे पहला देश सचना का अधधकार प्रदान करने वाला है
35. सचना के अधधकार अधधननयम के िहि आवेदन के ककिने कदनों के
अन्दर सचना प्राप्त कर सकिे हैं, - 30 - स्वीडन

36. सचना के अधधकार के िहि प्रथम अपील सचना प्रतप्त के बाद 30 कदन 49. सचना आयोग अधधकारी पर अधधकिम ककिना आनथिक दांड आरोरपि
के अन्दर िथा रििीय अपील ननणषय की तिनथ से ककिने कदन के भीिर कर सकिा है- 2500
अपील की जा सकिी है- 90 कदन
50. अन्तराषष्ट्रीय सचना कदवस सवषप्रथम कब मनाया गया
37. सरवधान के भाग 3 मौसलक अधधकार में उल्लेखखि अनुच्छेदों के बारे मे
- 12 अक्टबर 2005
- अनुच्छेद 14-नागररको समान काननी सांरक्षण
51. आ िो सुरगाां ने सरमावै, इण पर देव रमण ने अवै धरिी धोरा री.....
- अनुच्छेद 16 -लोक ननयोजन में अवसर की समानिा ककसने सलखा था- कन्हैयालाल सेठठया

- अनुच्छेद 23 -मानव के अवैध व्यापार, बलपवषक श्रम व शोर्ण का प्रतिर्ेध 52. धुगधुगी ,पछे वडी, लटकन, फिेपचे , बालाबन्दी, सरपेच, िुरे ककसके
प्रकार है- पगड़ी
38. अनुच्छेद के बारे में
53. चोल, ननचोल, पट, दुकल, चीर-पटोरी, चोरसो ककसके प्रकार है - साडी
- अनु. 24- कारखानो में बालको के ननयोजन पर प्रतिबांध
54. लट्ट चकरी, त्रचरमी,मार दडी व डाल कु दावणी सांबांधधि है- खेल से
- अनु. 21- जीवन व दैरहक स्विन्त्रिा
55. िाश, गांजीफा, चरभर, नार-छारी व ज्ञान चोपड िथा चोपङ चौसर,गीटा
- अनु 17 अस्पृश्यिा का ननर्ेध
आकद है - खेल
39. राष्ट्रीय मानवाधधकार आयोग की स्थापना कब हुई- 1993
56. उदयपुर में ककस पवष पर पिांगबाजी का रवशेर् महत्व है- ननजषला
40. राज्य मानवाधधकार आयोग का गठन कब हुआ - 1999 एकादशी
57. मकर सक्ास्न्त पर पिांगबाजी का रवशेर् महत्व ककस नजले का है - 7. 'जागो बहुि सोए' नाटक के रचधयिा नजसे तिकटश सरकार िारा
जयपुर प्रतिबांधधि ककया गया था- वृनद्धचन्द मधुर

8. रस गांधवष, बुलबुल सराय, दुलारी बाई, खेला पोलमपुर नाटको के


रचधयिा है। - मसण मधुकर
अध्याय -9
9. "मानववाद और सारहत्य "पुस्तक के लेखक है - नवल ककशोर
1. रचना से सांबांधधि
10. रचना से सांबांधधि
- धिष रससकलाल उपन्यास- मेहिा लज्जाराम
- रबखरे रवचारो की भरोटी - घनश्याम दास रबड़ला
- नरदेव उपन्यास- रामप्रिाप शमाष
- मेरी सवोदय यािा- भगवान दास के ला
- भगवान बुद्ध की आत्मकथा -यादवेन्द्र शमाष चांद्र
- आांखन देखी - दुगाषप्रसाद अग्रवाल
2. काका, कब िक पुकारू, धरिी मेरा घर, आखखरी आवाज ककसकी रचना
11. रचना से सांबांधधि
है - राांगेय राघव
- चलो चुना लगाए- अिुल कनक
3. सफे द मेमने, पत्तो की रबरादरी, रपिंजरे में पन्ना रचना ककसकी है।
- इशारों इशारों में -ईश मधु िलवार
- मसण मधुकर
- मास्टर का मकान, कु सीसि - यशवन्त कोठारी
4. कथन बिाइये (रचना से सांबांधधि )
12. रचना से सांबांधधि
- बांजर धरिी - मोहर ससिंह यादव
- रेत्रगस्तान में बाढ उत्सव - अनुराग वाजपेयी
- आगन नकदया- अन्नाराम सुदामा
- पौ बारह पच्चीस - भगविीलाल व्यास
- महाभोज, आपका बण्टी- मन्नु भण्डारी
- दुघषटना के इदष त्रगदष - बुलाकीशमाष
- धणी िपे िीर - हररराम मीणा
13. राजस्थान सारहत्य अकादमी के बारे मे
5. रचना से सांबांधधि
- स्थापना 1958 उदयपुर में
- सशगाफ - मनीर्ा कु लश्रेष्ठ
- अकादनी का सवोच्च पुरस्कार-मीरा पुरस्कार
- सही नाप के जिे - लिा शमाष
- माससक पत्रिका - मधुमति
- कु छ अनकही- मृदुला रबहारी
14. पल्लव के सम्पादन में पत्रिका "बनास" कहाां से प्रकासशि होिी है -
- स्वप्न ही रास्ता है - लवली
उदयपुर
6. सत्य बिाइए
15. नन्द चिुवेदी के सम्पादन में पत्रिका' रबन्दु प्रकासशि होिी है '
- भवानी नाट्यशाला- झालावाड
- उदयपुर से
- रामप्रकाश व मानप्रकाश नथएटर- जयपुर
16. प्रकाश जैन के सम्पादन में' पत्रिका 'लहर' कहााँ से प्रकासशि होिी है
- पसश्चमी साांस्कृतिक कला के न्द्र-उदयपुर
- अजमेर 28. आदमी रौ सींग, माटी री महक, मांिी री बेटी, बड़ी बहनजी के
रचनाकार हैं - करणीदान बारहठ
17. नजलो से प्रकासशि होने वाली पत्रिका के बारे मे सत्य बिाए
29. सांबांधधि सत्य कथन है
- वािायन - बीकानेर
- सॉम्ही खुलिौ मारग- नांदभारिाज
- क्यों - भीनमाल
- ककली ककली कटको ,राई राई रेि - बी एल माली
- सांबोधन - काांकरोली
- ममनख रा खोज, अबोली, बुरी गार नजर- बी एल माली
- शेर् - जोधपुर
30. अमावस एकम अर चान्द, मुगिी ककसकी रचना है - मीथेश ननमोही
- कृ ति ओर, सम्प्रेर्ण- जयपुर
31. राजस्थानी शब्द कोश के रचनाकार है- सीिाराम लालस
18. के . के . रबड़ला फाउण्डेशन िारा रबहारी पुरस्कार ककन भार्ायो के
लेखकों को कदया जािा है - रहन्दी, राजस्थानी 32. पहली बार जयपुर सारहत्य महोत्सव ककस वर्ष मनाया गया- 2006

19. रचना सत्यप्रकाना जोशी की है - राधा , बोल भारमली 33. कन्हैयालाल सहल की पहली काव्य कृ ति का नाम था - प्रयोग

20. दीठ, चामल, अपरांच, ओलमो, लाडेकर याकद प्रकार हैं 34. हरीश भदानी िारा सम्पाकदि पत्रिका का नाम था - वािायन

- राजस्थानी पत्रिका के 35. उसने कहा था कहानी ककस पत्रिका में प्रकासशि हुई थी - सरस्विी

21. मरुवाणी, राजस्थली, ईसरलाट, जलमभोग, हरावल आकद प्रकार है 36. राजस्थानी जनमानस में राष्ट्रीय चेिना का शांखनाद ककस करव ने
ककया - सयषमल्ल ममश्रण
- राजस्थानी पत्रिका के
37. छप्पन के दुष्काल का त्रचिण करने वाले करव का नाम है- ऊां मरदान
22. रचना से सांबांधधि
38. राजस्थान के साि प्रमुख करवयों की सहकारी काव्य पुस्तक का नाम
- त्रचि मारो दुख नै - मोहन आलोक
क्या था- सप्त ककरण
- पागी, कावड, िोपनामा - चन्द्रप्रकाश देवल
39. गदल' कहानी सांग्रह के रचधयिा हैं - राांगेय राघव
- बाथा में भगोल, बोलै सरणाटौ- हरीश भदाणी
40. ककस सारहत्यकार ने राजस्थान के सामन्ती अिीि को अपनी
23. माांझल राि, अमोलक वािा, मुमल, त्रगर ऊचा ऊां चा गढा, कै रे चकवा कहाननयों में त्रचत्रिि ककया - यादवेन्द्र शमाष चन्द्र
बाि राजस्थानी सारहत्य कृ तियाां ककसकी है - लक्ष्मीकु मारी चडावि
41. ककसने राजस्थान के रेिीले यथाथष को शब्द बद्ध ककया- मणी मधुकर
24. परण्योडी कां वारी, आभैपटकी, धोरा रौ धौरी, एक बीनणी दो बीन
42. जनादषन राय नगर के उपन्यास जगद्गुरु शांकराचायष में ककिने खांड हैं-
राजस्थानी रचना ककसकी है। - श्रीलाल नथमल जोशी
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25. आधै नै आाँखयाां, गलि इलाज अर माया रौ रांग कहानी सांग्रह ककसके
43. भगवान बुद्ध की आत्मकथा' उपन्यास के रचधयिा हैं - यादवेन्द्र शमाष
है - अन्नाराम सुदामा
44. रवश्वम्भर नाथ आध्याय के रत्रचि उपन्यास है- जाग मछन्दर
26. रािवासौ, मऊ चाली मालवै, अमर चुनड़ी, परभातियौ िारौ, अधरा
सपना के रचधयिा है - नृससिंह राजपुरोरहि , गोरख आया , जोगी मि जा

27. भगवान महावीर उपन्यास के रचधयिा है- नृससिंह राजपुरोरहि

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