153 - Dicey-Rule of Law PDF

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Department Of Public Administration

Mohan Lal Sukhadia University, Udaipur


Paper- M2PAD02-CT-08- Administrative Law

Topic- Dicey On Rule Of Law

विधि या कानून के शासन से तात्पयय है इच्छा के स्थान पर कानून द्िारा


शासन । यह ब्रिटिश शासन की परम्परा है और िही अपने िास्तविक अथय में
कततपय मौजद
ू है, यद्यवप प्रत्येक दे श में शासन का मल
ू ािार विधि का
शासन ही होता है । डायसी इंग्लैण्ड के प्रससद्ि विधि व्यक्ता हुए हैं । उनके
अनसु ार प्रशासतनक विधि, विधि के शासन का उल्लंघन है ।

विधि का शासन- डायसी का मत (Rule of Law-View of Dicey):


लाडय हे िािय के अनस
ु ार विधि के शासन का अथय तनरं कुशता के स्थान पर
कानून की श्रेष्ठता और सिोच्चता है । िस्तुतः कानून का शासन एक
”सामान्य कानून” के अनुसरण पर जोर दे ता है , जजसके तहत सभी व्यजक्त
चाहे राजा हो या रं क, अमीर हो या गरीब, सरकारी व्यजक्त हो या गैर
सरकारी, एक समान कानूनों से एक ही न्यायालय द्िारा शाससत होते हैं ।
इसका आशय यह भी है कक प्रचसलत विधि का उल्लंघन करने पर ही व्यजक्त
को दजण्डत ककया जाएगा ।

प्रो. डायसी विधि के शासन के प्रबल समर्थक हुए हैं उन्होने अपनी पुस्तक
Introduction to the Study of the Law of the Constitution (1885) मैं इस
अििारना का उलेख ककया था और उनके अनुसार ब्रिटे न में ही यह अपने
ननम्नललखित तीन िास्तविक अर्ों में मौजूद है :

1. सामान्य कानून की सिोच्चता:


दे श में सामान्य कानन
ू ही सिोच्च है , जजस पर ककसी स्िेच्छाचारी शजक्त का
प्रभाि नहीं है । प्रत्येक व्यजक्त केिल कानून द्िारा ही शाससत है ।

2. कानून के समक्ष समानता:


कानून के समक्ष सब व्यजक्त एक समान है चाहे उनकी सामाजजक, आधथयक,
राजनैततक है ससयत कुछ भी हो । सबके सलए एक ही कानून है ।

3. स्ियं संवििान कानून की दे न है :


इंग्लैण्ड में नागररक अधिकारों का स्रोत सामान्य कानून है जो न्यातयक
तनणययों के द्िारा लागू है । िहााँ वििान स्ियं ही इन तनणययों-कानूनों के
पररणामस्िरूप विकससत हुआ है ।

प्रशासकीय विधि– डायसी का मत (Administrative Law-


Dissociation of Votes):
डायसी द्िारा टदये गये कानन
ू के शासन का अथय इंग्लैण्ड में कततपय
अपिादों से अपना मल
ू स्िरूप खो गया है, जैसे सरकारी कासमयकों के विरूद्ि
नागररक छह माह के भीतर ही मुकदमा ला सकते हैं, पादररयों पर चचय के
कानून लागू है ये कानून के समक्ष समानता का उल्लंघन है ।

इसी प्रकार इंग्लैण्ड में भी प्रदत्त व्यिस्थापन के तहत काययपासलका को अनेक


वििायी शजक्तयां प्राप्त हो गयी हैं जजससे विकससत प्रशासतनक विधि में एक
ही सामान्य कानून की अििारणा को ध्िस्त ककया है । गह
ृ सधचि की इच्छा
पर तनभयर है कक ककसे ब्रिटिश नागररकता प्रदान करें या न करें ।

डायसी ने इसे विधि के शासन का उल्लंघन माना । लाडय हे िािय ने इसे नई


तनरं कुशता की संज्ञा दी । डायसी के अनस
ु ार प्रशासतनक विधि, कानन
ू के
शासन का स्थान नहीं ले सकती । यह ककसी भी तरह से कानून का पयायय
भी नहीं हो सकता ।

यद्यवप आितु नक जटिलताओं से तनपिने में एक उपाय के तौर पर का हो


रहा है , ककन्तु इससे प्रशासन की तनरं कुशता में िद्
ृ धि होती है । साथ ही एक
दे श-एक कानन
ू की अििारणा भी ध्िस्त होती है । यह असमानता को जन्म
दे ती है । यद्यवप डायसी ने भी स्िीकारा है कक आिश्यकताओं की पूततय के
प्रशासकीय कानून आिश्यक है ।

उपयुक्त वििेचन से स्पष्ि है कक का शासन एक सामान्य सिोच्च कानून


मार की िकालात करता है , िह अन्य दे शों के साथ स्ियं इंग्लैण्ड में भी नहीं
दे ता । िहां भी प्रशासकीय विधि का विकास तीव्र से रहा है परन्तु ऐसा होते
हुए भी यह नहीं कहा जा सकता कक इंग्लैण्ड में या अन्य दे शों में कानून का
शासन समाप्त हो गया है ।

प्रशासकीय विधि के सलए विख्यात फ्ांस में भी अधिकांश व्यिस्था पर


सामान्य विधि ही लागू होती है और कानन
ू का शासन आज प्रत्येक दे श की
संिैिातनक शासन व्यिस्था का मूलािार है ।

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