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Aap sabhi ko Mera namaskar, aaj main aapki Katha vachak ke Swaroop mein aapke samne

Habib Tanvir dwara likhit kartoos natak prastut karne ja rahi hun..
Jo kabhi dar se Na Dara, Jo har roj Lada, Dushman ko maar giraya, apni himmat ko apni
pahchan banaya, woh aur koi nahin ek saccha janbaaz sipahi kahlaya,....
Prastut natak mein ek aise hi janbaaz ke karnamon ka varnan hai jiska ekmatra Lakshya tha
angrejon ko is Desh se bahar,, itna nidhar tha ki sher ki gufa mein pahunchkar usse दो-दो hath
karne ki himmat rakhne wala battalion ke kheme mein hi Na a pahuncha balki unke Karnal per
Aisa rob khalib Kiya ki uske munh se bhi vah Shabd nikale Jo kisi Shatru ya apraadhi ke liye to
nahin hi bole ja sakte the......
Is natak ke Patra Hain Karnal lieutenant sipahi aur sawar....
Samay hai kuchh San 1799 ka
Ratri ke samay Gorakhpur ke junglon mein Karnal college ke kheme ka andruni hissa. (दो
अं ज़े बैठे बात कर रहे ह, कनल का लज और एक ले ट नट खेमे के बाहर ह, चाँदनी छटक ई है,
अंदर लप जल रहा है।)
कनल: जंगल क जदगी बड़ी खतरनाक होती है।
ले ट नट: ह त हो गए यहाँ खेमा डाले ए। सपाही भी तंग आ गए ह। ये वज़ीर अली आदमीहै या
भूत, हाथ ही नह लगता।
कनल: उसके अफ़साने सुन के रॉ बन ड के कारनामे याद आ जाते ह। अं ेज के खलाफ़ उसके
दल म कस कदर नफ़रत है।
ले ट नट: कनल का लज ये सआदत अली कौन है?
कनल: आ सफ़उ ौला का भाई है वजीर अली का और उसका मन। असल म नवाब आ सफ़उ ौला
के यहाँ लड़के क कोई उ मीद नह थी। वजीर अली क पैदाइश को सआदत अली ने अपनी मौत
खयाल कया।
ले ट नट: मगर सआदत अली को अवध के त त पर बठाने म या मसलेहत थी?
कनल: सआदत अली हमारा दो त है और ब त ऐश पसंद आदमी है इस लए हम अपनी आधी
मुम लकत (जायदाद, दौलत) दे द और दस लाख पये नगद अब वो भी मजे करता है और हम भी।
ले ट नट: सुना है ये वजीर अली अफ़गा न तान के बादशाह शाहे जमा को ह तान पर हमला करने
क दावत (आमं ण) दे रहा है।
कनल: अफ़गा न तान को हमले क दावत सबसे पहले असल म ट पू सु तान ने द फर वजीर अली
ने भी उसे द ली बुलाया और फर शमसु ौला ने भी ।
ले ट नट: कौन शमसु ौला ?
कनल नवाब बंगाल का न वती ( र ते) भाई ब त ही खतरनाक आदमी है।
ले ट नट - इसका तो मतलब ये आ क कं पनी के खलाफ़ सारे ह तान म एक लहर दौड़ गई है।
कनल: जी हाँ, और अगर ये कामयाब हो गई तो ब सर और लासी के कारनामे धरे रह जाएँगे और
कं पनी जो कु छ लॉड लाइव के हाथ हा सल कर चुक है, लॉड वे जली के हाथ सब खो बैठेगी।
ले ट नट: वज़ीर अली क आजाद ब त खतरनाक है। हम कसी न कसी तरीके से इस श स को
गर तार करी लेना चा हए।
कनल: पूरी एक फ़ौज लए उसका पीछा कर रहा ँ और बरस से वो हमारी आँख म धूल झ क रहा
है और इ ह जंगल म फर रहा है और हाथ नह आता। उसके साथ चंद जाँबाज ह। मु भर आदमी
मगर ये दमखम है।
ले ट नट: सुना है वजीर अली जाती तौर से भी ब त बहा र आदमी है।
कनल: बहा र न होता तो यूँ कं पनी के वक ल को क ल कर दे ता?
ले ट नट: तो या वह इतना बहा र है। मानना पड़ेगा। मगर वजीर अली क क म या है?
कनल: क म ये है क कसी तरह नेपाल प च ँ जाए। अफ़गानी हमले का इंतेज़ार करे, अपनी ताकत
बढ़ाए, सआदत अली को उसके पद से हटाकर खुद अवध पर क जा करे और अं ज े को ह तान से
नकाल दे ।
ले ट नट: नेपाल प ँचना तो कोई ऐसा मु कल नह , मुम कन है क प ँच गया हो।
कनल: हमारी फ़ौज और नवाब सआदत अली खाँ के सपाही बड़ी स ती से उसका पीछा कर रहे ह।
हम अ तरह मालूम है क वो इ ह जंगल म है।
(एक सपाही तेजी से दा खल होता है)
कनल:(उठकर) या बात है?
सपाही: र से गद उठती दखाई दे रही है। और साथी साथ ई ट इं डया कं पनी से इस संदेशा भी
आया है।
कनल: सपा हय से कह दो क तैयार रह...
( सपाही सलाम करके चला जाता है)
ले ट नट: (जो खड़क से बाहर दे खने म मस फ़ था) गद तो ऐसी उड़ रही है जैसे क पूरा एक
का फला चला आ रहा हो मगर मुझे तो एक ही सवार नजर आता है। वैसे अब या भेजा है कं पनी
वाल ने हमारे लए संदेशा?
कनल: ( खड़क के पास जाकर) हाँ एक ही सवार है। सरपट घोड़ा दौड़ाए चला आ रहा है। संदेशा क
तो बात ही मत करो इनका तो काम ही है बस यह सब करना। दे खो सीधा हमारी तरफ़ आता मालूम
होता है (कनल ताली बजाकर सपाही को बुलाता है)
कनल
( सपाही
से ) सपा हय से कहो, इस सवार पर नजर रख क ये कस तरफ जा रहा ह ( सपाही
सलाम करके चला जाता है)
ले ट नट शु हे क तो कोई गुज
ं ाइश ही नह तेजी से इसी तरफ़ आ रहा है (टाप क आवाज़
-

ब त करीब आकर क जाती है) सवार ( बाहर से) मुझे कनल से मलना है।
गोरा ( च लाकर) ब त खूब
सवार (बाहर से) सी।
गौरा (अंदर आकर ) जूर सवार आपसे मलना चाहता है। कनल भेज दो।
ले ट नट वज़ीर अली का कोई आदमी होगा हमसे मलकर उसे गर तार करवाना चाहता होगा। कनल
खामोश रहो (सवार सपाही के साथ अंदर आता है)
सवार कनल
सवार
(आते ही पुकार उठता है) त हाई त हाई! साहब यहाँ कोई गैर आदमी नह है आप राजे दल कह द।
द वार हमगोश दारद, त हाई ।
(कनल, ले ट नट और सपाही को इशारा करता है। दोन बाहर चले जाते ह। जब कनल और सवार
खेमे म त हा रह जाते ह तो जरा व फ़े के बाद चार तरफ दे खकर सवार कहता है)

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