MN ?KKS"K KK

You might also like

Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 32

प्रति वेद्य

भार ीय सव च्च न्यायालय

दीवानी अपीलीय अति कारिर ा

सिसविवल अपील सं.- 6438/2019(विवशेष अनुवि याति का


(सिसविवल) सं.-11110/2018 से उद्घ ृ )

ुस् फा ....…अपीलार्थी'(गण)

बना

उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य ………प्रत्यार्थी'(गण)

विनण/ य

न्याया ीश, हे न् गुप्ता:-

(1)- अनु ति प्रदान की गई।

(2)- पकड़ी गई ट्रक का ालिलक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के

30 अक्टू बर, 2017 के आदेश से व्यथिर्थी अपीलार्थी' है

सि@स ें 12.11.2016 को कलेक्टर द्वारा एवं

03.08.2017 को सि@ला न्याया ीश द्वारा संयक्त


ु प्रां
आबकारी अति विनय 1910 [
संक्षेप ें 'अति विनय '] की ारा 60

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
एवं 72 के उल्लंघन के लिलये वाहन को @ब् करने के आदेश

असफल रहे।

(3)- आबकारी विवभाग की एक टी एवं पुलिलस अति कारिरयों

17.11.2015 को अति विनय की ारा 60 एवं 72 र्थीा

भार ीय दंड संविह ा 18602 [संक्षेप ें 'आईपीसी']


की ारा 420, 467,

468 एवं 471 के अपरा के अन् ग/ 154 काटू / न अबै

शराब, एक 315 बोर कट्टा और दो जिं@न्दा कार ूस की @ब् ी

के सम्बन् ें प्रार्थीवि की द@/ करायी गई। विववे ना उप-विनरीक्षक

सत्यवीर जिंसह के द्वारा की गयी।:

(4)- 17 विदसम्बर 2015 को सि@ला सि@स्ट्रेट @ो विक सि@ले

का कलेक्टर भी हैं, अपीलार्थी' को ‘कारण ब ाओ नोविटस’

@ारी दी गई। यह दशा/ने के लिलए दी गई विक पकड़ी गई ट्र क को

क्यों न @ब् कर ली @ाय। विनसार अह द पुत्र न@ीर की सेंन्ट्र ो

कार के संन्दभ/ ें यह दशा/ने के लिलए ‘कारण ब ाओ नोविटस’

@ारी की गई विक कार को क्यों न @ब् कर लिलया @ाय

(5)- विनसार अह द के द्वारा विदये गये प्रार्थी/ ना पत्र पर ुख्य

न्यातियक सि@स्ट्रेट, ुज़फ्फर नगर द्वारा 15 ा / 2016 को

सेंन्ट्रो कार को छोड़ने का आदेश विदया गया।


mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
(6)- अपीलार्थी' ने स्वयं को विदये गये ‘कारण ब ाओ नोविटस’

सि@स ें विक उसने वाहन को छोड़ने की ाँग की र्थीी क्योंविक यह

उसकी आ@ीविवका का एक ात्र सा न है और उसे आर्थिर्थीक

नुकसान होगा, के प्रति उत्तर ें सि@ला सि@स्ट्रेट के स क्ष

23.09.2016 को आपलित्त द@/ की। ऐसे ‘कारण ब ाओ

नोविटस’ के अनुसरण ें सि@ला सि@स्ट्रेट ने विनसार अह द और

अपीलार्थी' के वाहनों की @ब् ी और नीला ी और विवक्री से प्राप्त

आय सरकारी ख@ाने ें @ ा कराने का आदेश विदया हालांविक

अपीलार्थी' को अति विनय की ारा 72 के अन् ग/ ट्रक का


बा@ार ूल्य रूपयें 4,50,000/- भुग ान करने का विवकल्प

विदया। विनसार को कार छुडाने के लिलए रू. 1,20,000/-

भुग ान करने का आदेश विदया।

(7)- अपीलार्थी' ने विवद्व सि@ला @@, राज्य सरकार द्वारा न्यक्त



न्यातियक प्रति कारी के स क्ष अपील दायर की। सि@से

03.08.2017 को खारिर@ कर विदया। ्-पश्चा उक्त आदेश

को उच्च न्यायालय के स क्ष दी गई ुनौ ी व / ान अपील ें

आक्षेविप आदेश द्वारा असफल रही।

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
(8)- उच्च न्यायालय ने यह अव ारिर विकया विक दण्ड प्रविक्रया

संविह ा 19733 [संक्षेप ें 'संविह ा']


की ारा 5 के सन्दभ/ ें इस

अति विनय के अन् ग/ @ब् की गई सम्पलित्त के बारे ें विनपटारे

ें यह अति विनय , विवथिशष्ट एवं स्र्थीानीय अति विनय है इसलिलए

संविह ा ें विनविह प्राव ानों को सम्पलित्त के व्य्यन ें उसी ात्रा

क प्रयोग विकया @ा सक ा है @हाँ क की वह अति विनय की

ारा 72 से असंग न हो। उच्च न्यायालय ने इस न्यायालय

द्वारा राज्य(राष्ट्रीय रा@ ानी क्षेत्र विदल्ली) बना नरेन्दर 4 [(2014)

13 एससीसी 100]
के ा ले ें विकये गये आदेश को ाना है।

(9)- अपीलार्थी' की ओर से विवद्व अति वक्ता सुश्री प्रीति का

विद्ववेदी ें @ोर दे े हुए कहा विक विूं क प्रार्थीवि की शराब की अबै

स्करी के सम्बन् ें द@/ की गई है इसलिलए सि@स्ट्रेट @ो विक

केवल विव ारण करने ें सक्ष हैं , वाहन को छोड़ने सम्बन्धिन्

आदेश देने ें भी सक्ष हैं। विव ारण पूण/ होने पर ही सि@स्ट्रेट

वाहन की @न्धिब्त्त का आदेश देगा। इसप्रकार क/ विदया गया है

विक कलेक्टर के पास वाहन @ब् करने का आदेश देने की

अति करिर ा नहीं है। ध्य प्रदेश राज्य व अन्य बना ुकर

राव 5 [(2008) 14 एससीसी 624] के ा लें ें विदये गये विनण/ य पर भरोसा

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
विकया @ा ा है। यह भी क/ विदया गया है विक नरेन्दर के ा ले

ें विदया गया विनण/ य ें प्रश्नग ् ा लें के थ्यों पर लागू नहीं

हो ा @ैसा विक उपरोक्त ा लों ें सभी न्यायालयों की

अति कारिर ा विवशेषकर छोड़ दी गयी लेविकन प्रश्नग ् ा ले ें

ऐसी न्धिस्र्थीति नहीं हैं।

(10)- दस
ू री रफ प्रत्यर्थी'यों के विवद्व अति वक्ता न् य

अग्रवाल ने क/ विदया है विक वाहन की @ब् ी अपरा ों के

भा.द.सं. के अन् ग/ ् अथिभयो@न से अलग एक स्व न्ं त्र प्रविक्रया

हैं। अवै शराब की स्करी ें लगे वाहन की @ब् ी अति विनय


के विवथिभन्न प्राव ानों के अन् ग/ कलेक्टर की अनन्य

अति करिर ा ें आ ा है। विवद्व अति वक्ता ने योगेन्द्र कु ार

@यसवाल एवं अन्य बना विवहार राज्य एवं अन्य 6 [(2016) 3 एससीसी

183]
के ा ले को ध्य प्रदेश राज्य बना उदय जिंसह 7 [AIR 2019

एससी 1597]
की रह ही ाना हैं।

(11)- इससे पहले की ह सम्बन्धिन् पक्षों के सम्बन् ों ें

विव ार करें, कn को स झने के लिलए अति विनय के कुछ

प्राव ानों को स क्ष रखना आवश्यक होगा। अति विनय का

अध्याय IX आबकारी विवभाग के अति कृ अति कारिरयों

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
और सक्ष पुलिलस अति कारिरयों को अति विनय के

अन् ग/ अपरा ों की @ाँ करने की शविक्त प्रदान कर ा

है। अति विनय की ारा 50 विवविनर्दिदष्ट आबकारी और

पुलिलस अति कारिरयों को विगरफ् ार करने और विनरूद्ध करने

की शविक्त प्रदान कर ी है @बविक अध्याय 10 अपरा ों

और अति विनय के उपबन् ों का उल्लंघन करने पर लगाये

@ाने वाले @ु ा/ने से सम्बन्धिन् हैं। अति विनय की ारा

72 उन वस् ुओ ं से सम्बन्धिन् हैं, @ो @ब् की @ा

सक ी है। प्रासंविगक प्राव ान इस प्रकार है:-

“49. कुछ अति कारिरयों की इस अति विनय के अ ीन अपरा ों

के @ाँ करने की शविक्त- (1) इस अति विनय के अ ीन दण्डनीय

अपरा ों की @ाँ उप -विनरीक्षक के पद के नी े और राज्य


सरकार द्वारा इस हे ु उपबन्धिंन् कोई अति कारी ऐसे क्षेत्र ें @हाँ

पर उसकी अति कारिर ा हो कर सक ा है।


(2) ऐसी विववे ना के सन्दभ/ ें कोई अति कारी उन शविक्तयों का

प्रयोग कर सकेगा @ैसी विकसी संज्ञेय अपरा के ा ले ें विकसी


र्थीाने का भार सा क अति कारी दण्ड प्रविक्रया संविह ा 1973 के

अध्याय 12 के अन् ग/ कर ा है। और यविद इस संम्ब ें

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
विवशेष : सक्ष विकया @ाय, ऐसा अति कारी सि@स्ट्रेट की

@ानकारी के विबना, और कारणों को लिललिख रूप से अंविक


करके इस अति विनय के अ ीन, सि@स ें विक उसने विववे ना की

है, दण्डनीय विकसी सम्बन्धिन् व्यविक्त या सम्बन्धिन् स झे @ाने


वाले व्यविक्त के विवरूद्ध काय/ वाही को रोक सक ा है।

50. विगरफ् ार करने @ब् करने और विनरूद्ध करने की शविक्त:-


आबकारी, पुलिलस, न क, कोई अफी या भू-रा@स्व विवभाग का

कोई ऐसा अति कारी @ो राज्य द्वारा संस् ु स् र से नी े ना हो


और ऐसे विनव/ न् नों के अ ीन @ो राज्य सरकार प्राति कृ करें ,

ारा 60, 62, 63 या ारा 65 के अ ीन दण्डनीय अपरा


को करिर कर े पकड़े गये व्यविक्त को विबना वारण्ट के विगरफ् ार

कर सक ा है; और ऐसे ादक या अन्य पदार्थी/ सि@से वह इस


अति विनय के अन् ग/ @ब् करने योग्य स झ ा है उसे @ब् या

विनरूद्ध कर सक ा है सि@से इस अति विनय के या आबकारी


रा@स्व से सम्बन्धिन् त्स य प्रवृ विकसी अन्य विवति के

अन् ग/ राज्य द्वारा अति हरण के योग्य स झने का उसके पास


कारण है; और विकसी व्यविक्त या विकसी पात्र, गाड़ी, पशु, पैकेट,

तिडब्बा, या आवरण को सि@स ें वह ऐसी वस् ु के होने के संदेह का


सम्यक् कारण है।
XX XX XX

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
70. अपरा की संज्ञान.- (1) कोई भी सि@स्ट्रेट संज्ञान नहीं

लेगा-(क) ारा 60, ारा 63, ारा 64-क, ारा 65, के


अन् ग/ अपरा ों का सिसवाय स्वयं की @ानकारी या संदेह या

विकसी आबकारी अफसर की थिशकाय या रिरपोट/ के; या


(ख) ारा 64, ारा 66, ारा 67 या ारा 68 के अ ीन

दण्डनीय अपरा ों के सिसवाय कलेक्टर की थिशकाय या रिरपोट/ के


या उसके द्वारा सा ान्य या विवशेष आदेश से इस हे ु अति कृ

विकसी आबकारी अति कारी के;


(2) राज्य सरकार के विवशेष संस् ुति के सिसवाय कोई भी

सि@स्ट्रेट इस अति विनय के अ ीन दण्डनीय अपरा ों का संज्ञान


नहीं लेगा @ब क विक कथिर्थी रूप से कारिर अपरा के घटी

होने से एक वष/ के भी र अथिभयो@न संन्धिस्र्थी नही हो @ा ा।

XX XX XX

72.कौन सी वस् एु ं @ब् विकये @ाने योग्य होंगी.- (1) @ब भी


इस अति विनय के अन् ग/ दण्डंनीय कोई अपरा विकया गया हो

ो-

क) ऐसी प्रत्येक ादक बस् ु सि@सके सम्बन् ें ऐसा अपरा

विकया गया हो,

ख) ऐसा प्रत्येक भभका, ब / न, औ@ार या उपकरण और स स्

सा ान सि@नके द्वारा उक्त अपरा विकया गया हो,

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
ग) प्रत्येक ादक बस् ु @ो विवति पूव/क आया की गई हो ,

सि@सका परिरवहन विकया गया हो, @ो विनर्दि की गई हो, कब्@े ें


रखी गई हो या खण्ड (क) के अ ीन @ब् की @ाने योग्य विकसी

ादक बस् ु के सार्थी-सार्थी या उसके अति रिरक्त बे दी गई हो,

घ) प्रत्येक पात्र, संवेष्टन और आ रण सि@स ें यर्थीा पूव क्त कोई

ादक बस् ु या कोई स ान, भभका, ब / न, औ@ार या उपकरण


हो या ऐसे पात्र या संवेष्टन की विकसी अन्य अन्यव/ स् ु (यविद कोई

हो) के सार्थी-सार्थी पाया @ाय, और

ड़) प्रत्येक पशु, गाड़ी, @लयान या अन्य या अन्य वाहन @ो ऐसे

पात्र या संवेष्टन के लाने ले @ाने के लिलए प्रयोग विकया @ाए, @ब्


विकये @ाने योग्य है।

2) यविद अथिभलिललिख विकये @ाने वाले कारणों से कलेक्टर को यह


स ा ान हो @ाये विक कोई अपरा विकया गया है सि@सके कारण

ऐसी बस् ु या पशु उप ारा (1) के अ ीन अति हरण विकये @ाने का


दायी हो गया है, ो वह ऐसी वस् ु या पशु का अति हरण करने का

आदेश दे सक ा है " ाहे ऐसे अपरा के लिलए अथिभयो@न संन्धिस्र्थी


विकया गया हो या न विकया गया हो:"

प्रति बन् यह है विक उप ारा (1) ें विनर्दिदष्ट विकसी बस् ु


( ादक बस् ु को छोड़कर) या पशु की न्धिस्र्थीति ें उसके स्वा ी को

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
यह विवकल्प विदया @ायेगा विक वह उसके अति हरण के बदले ें

उसका अथिभग्रहण विकये @ाने के विदनांक को उसके बा@ार ूल्य से


अनति क @ु ा/ना का भुग ान करें, सि@से कलेक्टर पया/प्त स झे।

3) @हां अथिभग्रहरण की रिरपोट/ प्राप्त होने पर या अथिभगृही बस् ु


का सि@सके अन् ग/ "कोई पशु, गाड़ी, @लयान या अन्य वाहन

भी है, विनरीक्षण करने पर कलेक्टर की यह राय हो विक कोई ऐसी


बस् ु या पशु शीघ्र ा से क्षीण और दबु / ल या प्राकृति क रूप से क्षण

होने वाला है या अन्यर्थीा लोकविह ें ऐसा करना स ी ीन है ,"


वहा ऐसी बस् ु ादक बस् ु को छोड़कर या पशु को विनला ी द्वारा

या अन्य प्रकार से बा@ार ूल्य पर बे ने का आदेश दे सक ा है।

4) @हां कोई ऐसी बस् ु या पशु को उपयुक्त प्रकार से बे ा @ाय,

और--

क) उप ारा (2) के अ ीन या उप ारा (6) के अ ीन

पुनर्दिवलोकन पर कलेक्टर द्वारा अन् ोगत्वा @ब् ी का आदेश न


विदया @ाय या न बना रहने विदया @ाय; या

ख) उप ारा (7) के अ ीन अपील पर विदये गये आदेश ें ऐसा


आपेतिक्ष हो; या

ग) उस अपरा के लिलए सि@सके सम्बन् ें वस् ु या पशु का


अथिभग्रह विकया @ाए, अथिभयो@न संन्धिस्र्थी विकये @ाने की दशा ें

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
न्यायालय के आदेश से ऐसा करना अपेतिक्ष हो , वहा विवक्रय-व्यय

की कटौ ी करने के पश्चा ् विवक्रय-आग का भुग ान उसके


हकदार व्यविक्त को विकया @ायेगा।

5) (क) इस ारा के अ ीन @ब् ी का आदेश ब क नहीं विदया


@ायेगा @ब क विक उसके स्वा ी या व्यविक्त को सि@ससे उसे

अथिभगृही विकया @ाय-

(I) ऐसे आ ार सूति कर े हुए सि@न पर इस प्रकार @ब् ी

प्रस् ाविव है, कोई लिललिख नोविटस;

(ii) ऐसे युविक्तयुक्त स य के भी र @ैसे नोविटस ें विवविनर्दिटष्ट विकया

@ाय, लिललिख अभ्यावेदन देने का अवसर; और

(iii) उस विवषय ें सुनवाई का युविक्तयुक्त अवसर, न दे विदया @ाय।

(ख) विकसी पशु, गाड़ी, @लयान या अन्य वाहन को @ब् करने


का कोई आदेश नहीं विदया @ायेगा यविद उसका स्वा ी कलेक्टर के

सन् ोषानुसार यह साविब कर दे विक पशु , गाड़ी, @लयान या


अन्य वाहन का प्रयोग उसके स्वा ी, अथिभक ा/; यविद कोई हो,

और प्रभारी व्यविक्त की @ानकारी या ौनानु ति के विबना, विवविनविषद्ध


ाल को ले @ाने के लिलए विकया गया र्थीा और इन ें से प्रत्येक ने

इस प्रकार प्रयोग विकये @ाने के विवरूद्ध सभी युविक्तयुक्त और

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
आवश्यक पूव पाय विकये र्थीे और इस उपबन् का कोई प्रति कूल

प्रभाग खण्ड (क) के उपबन् ों पर नहीं पड़ेगा।

(ग) @हां पर उप ारा (2) के या @ैसे केस हो, के अ ीन

अति हरण के आदेश के एक ास के भी र कलेक्टर को प्रार्थी/ ना


पत्र विदया गया हो, उप ारा के अन् ग/ वस् ु के स्वा ी या पकड़े

गये @ानवर के अति हरण के आदेश को नकार े हुए, यह दर्थिश


करने के लिलए विक आदेश का क्यों पुनर्दिवलोकन न हो और उसे सुने

@ाने का क/संग अवसर प्रदान करने के पश्चा ् कलेक्टर को यह


स ा ान हो @ा ा है विक आदेश ें स्पष्ट : रिरकाड/ की भूल सि@स ें

कानून की भूल शावि ल है, वह पुनर्दिवलोकन पर ऐसा आदेश दे


सक ा है @ैसा वो उति स झे।

(6) @हां उप ारा (2) के अ ीन विदये गये @ब् ी के विकसी आदेश


से एक ास के भी र कलेक्टर को, इस विनवि त्त आवेदन-पत्र विदये

@ाने पर या, यर्थीान्धिस्र्थी , उक्त उप ारा के अ ीन @ब् ी से इंकार


करने के आदेश से एक ाह के भी र अथिभगृही वस् ु या पशु के

स्वा ी को या उस व्यविक्त को सि@सके कब्@े से उसे अथिभगृही


विकया गया हो, कलेक्टर द्वारा स्वप्रेरणा से यह कारण ब ाने का

नोविटस @ारी करने के पश्चा ् विक क्यों न आदेश का पुनर्दिवलोकन


विकया @ाय और उसे सुनवाई का युविक्तयुक्त अवसर देने के पश्चा ् ,

कलेक्टर का यह स ा ान हो @ाय विक कोई ूल है सि@सके

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
अन् ग/ विवति सम्बन् ी भूल भी है , वहां वह पुनर्दिवलोकन करके

ऐसा आदेश दे सक ा है, सि@से वह उति स झे।

(7) उप ारा (2) या उप ारा (6) के अ ीन @ब् ी के विकसी

आदेश से व्यथिर्थी कोई व्यविक्त, उसे ऐसा आदेश संसतिू विकये


@ाने के विदनांक से एक ास के भी र, ऐसे न्यातियक प्राति कारी को

अपील कर सक ा है सि@से राज्य सरकार इस विनवि त्त विनयुक्त करें


और न्यातियक प्राति कारी अपीलार्थी' को सुनवाई का अवसर देने के

पश्चा ् उस आदेश की सि@सके विवरूद्ध अपील की @ाय , पुविष्ट,


परिरष्कार या विवखण्डन करने का ऐसा आदेश दे सक ा है @ैसा

वह उति स झे।

(8) @हां ऐसे अपरा के लिलए सि@सके सम्बन् ें ऐसी @ब् ी का

आदेश विदया गया हो, अथिभयो@न संन्धिस्र्थी विकया @ाय, वहा


उप ारा (4) के उपबन् ों के अ ीन रह े हुए उस बस् ु या पशु

का विनस् ारण न्यायालय के अनुसार विकया @ायेगा।

(9) इस ारा के अ ीन कलेक्टर द्वारा विदया गया @ब् ी का कोई

आदेश ऐसे विकसी दण्ड के आरोपण से विनवारण नही करेगा सि@सके


लिलए उससे प्रभाविव व्यविक्त इस अति विनय के अ ीन ांगी।"

(@ोर विदया गया)

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
(12) अपीलार्थी' के विवद्व अति वक्ता का क/ अति विनय की

ारा 72(4)(C) ) ें आये “न्यायालय का आदेश ऐसे अपेक्षा

करें” पद पर आ ारिर है। अति विनय की ारा 72 की उप-

ारा (8) ें प्रयक्त


ु भाषा भी उसके क/ का आ ार है इस बा
का ध्यान रख े हुए विक @हाँ अथिभयो@न ऐसे अपरा के सन्दभ/

ें संन्धिस्र्थी है सि@सके सन्दभ/ ें अति हरण का आदेश विदया गया

र्थीा, ऐसी वस् ु या पशु का विनस् ारण न्यायालय के आदेश के

अनुसार उप ारा (4) के प्राव ानों के अ ीन होगा। हालांविक ह ें

विदये गये कn ें कोई गुण नहीं विदख ा।

(13) इस अति विनय के अन् ग/ आबकारी विवभाग का

अति कारी @ो विक राज्य सरकार द्वारा विवविह श्रेणी से नी े न

हो, कोई ादक पदार्थी/ या कोई वस् ु को सि@स ें उसे विववे ना ,

विगरफ् ार करने और विनरुद्ध करने की शविक्त दी गई है अति हरण

करने का पया/प्त कारण है। इसलिलए , आबकारी अति कारी की

शविक्त अपरा के काय/ ें शावि ल लेखों और वाहनों को @बा

करने के लिलए र्थीा @ां करने के लिलए पुलिलस अति कारी को दी

गई शविक्त के अति रिरक्त है। अति विनय की ारा 70, के संदभ/

ें, कोई भी सि@स्ट्रेट सिसवाय अपने स्वयं के ज्ञान के या संदह


mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
या थिशकाय पर या अति कारी की रिरपोट/ पर संज्ञान नहीं ले

सक ा है। संज्ञान विकसी थिशकाय या कलेक्टर को दी गई

रिरपोट/ या उसके द्वारा सा ान्य या विवशेष आदेश द्वारा अति कृ

विकसी आबकारी द्वारा लिलया @ा सक ा है। अति विनय की 70

की उप ारा (2) स्पष्ट: यह विनषे कर ी है विक विबना राज्य

सरकार की विवशेष सं तिु के और @ब क एक साल के अन्दर

अथिभयो@न संन्धिस्र्थी न हो, सि@स्ट्रेट संज्ञान नही ले सक ा।

(14) अति विनय की ारा 72(1) पशु, गाड़ी, @हा@ या अन्य

संम्प्रेषण की @ब् ी की शविक्त उपयोग कर ा है सि@सके ाध्य


से अपरा कारिर विकया गया है। अति विनय की ारा 72 की

उप- ारा (2) कलेक्टर को विकसी वस् ु या पशु " ाहे ऐसे

अपरा के लिलए अथिभयो@न संन्धिस्र्थी हो या न हो,"। को

अति हरण करने की शविक्त प्रदान कर ा है।इसलिलए पकड़ी गई

पशु या वस् ु के अति हरण की कलेक्टर की शविक्त अथिभयो@न से

स्वंत्र है। न्यायालय योगेन्द्र कु ार @यसवाल के ा ले ें

उड़ीसा विवशेष न्यायालय अति विनय 2006 और विबहार विवशेष

न्यायालय अति विनय 2009 के अन् ग/ अति हरण की गई

सम्पलित्त पर विव ार कर रहा र्थीा। यह अव ारिर विकया गया विक

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
ऐसा अति हरण भ्रष्टा ार विनवारण अति विनय 1988 के अन् ग/

अथिभयो@न के परिरणा से स्व त्र


ं है। न्यायालय ने यह

अव ारिर विकया विक –

"146. व / ान वाद ें, पूरी काय/ वाही इस विनष्कष/ पर पहु ने के

लिलए है विक क्या सरकारी अथिभयो@न पक्ष द्वारा विदये गए आवेदन


और अथिभलेख पर उपलब् सा ग्री के आ ार पर पूरी या

विव ारा ीन संपलित्त ें से कुछ को अवै रुप से कोई न अर्जि@


विकया गया है और आगे कोई न या संपलित्त या दोनों को अपरा

के ाध्य से अर्जि@ विकया गया है। उक्त विनष्कष/ पर पहु ने के


पश्चा ्, @ब् ी का आदेश पारिर विकया गया है। उड़ीसा के

अति विनय की ारा 17 का @ब् ी का आदेश अपील की


विवषयबस् ु है। इसके अलावा, ारा 19 के अन् ग/ यह

प्राव ाविन विकया गया है @हां ारा 15 के अन् ग/ @हां @ब् ी


का आदेश बदल विदया गया है या अपील ें उच्च न्यायालय द्वारा

अवै कर विदया गया है। या विवशेष न्यायालय द्वारा प्रभाविव


व्यविक्त को दोष ुक्त कर विदया गया है , ो न या संपलित्त या दोनों

प्रभाविव व्यविक्त को वाविपस कर देनी ाविहए। इसप्रकार, इस क/


को स्वीकार करना कठीन है विक यह विव ारण पूव/ दण्ड है और

दनुसार, ह उक्त क/ को त्याग े है।

xx xx xx

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
"149. ह ने पहले ही प्रति पाविद विकया है विक अति हरण एक

दण्ड नही है और इस प्रकार अनुच्छे द 20(1) का उलंघन नही


हुआ है। राज्य के विवद्ववान अति वक्ता ने अ.प्र राज्य बना गाँ ी

[अ. प्र राज्य बना गाँ ी (2013) 5 एससीसी 111:(2013)2


एससीसी (विक्र.) 884]. के विनण/ य पर @ोर विदया। इस वाद ें, उस

न्धिस्र्थीति ें विव ार के लिलए @ो बिंबन्द ु उभरा हुआ र्थीा : @ब


अनुशासनात् क काय/ वाही प्रारम्भ की गई ब एक प्रकार का

दण्ड आरोविप करने योग्य र्थीा और @ब दण्ड आरोविप विकया ो


विनय ें बदलाव के कारण एक दस
ू रा दण्ड @ो विक उससे
अति क र्थीा, आरोविप विकया गया। उच्च न्यायालय ने ाना विक @ो
दण्ड संशोति विनय के अनुसार लगाया गया वह दो बड़े @ु ा/ने

के बराबर @ो विक पुराने विनय ें नही र्थीी इस विवषय का विनपटारा


कर े हुए न्यायालय ने बड़े @ु ा/ने से सम्बंति कानूनो और

विनय विन ा/ण शविक्त को संदर्थिभ विकया। [ प्यारे लाल श ा/ बना


@म् ू & कश् ीर इन्डस्ट्रीयल लिल टेड., (1989),3 एससीसी

448: 1989 एससीसी (L&S) 484 ] ) 484 ] के वाद ें सि@स ें यह


अव ारिर विकया गया विक कोई भी ऐसे आ रण के आ ार पर

दण्डी नही विकया गया विक उसे कारिर करने के विदन दण्डनीय
नही र्थीा। उसके त्पश्चा ् दो @@ बें ने [ के. सावं सिसहं बना

पं@ाब राज्य, AIR 1960 एससी 266: 1960 Cri LJ 410] ें

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
प्राति कारी को संदर्थिभ विकया सि@स ें की यह अव ारिर विकया

गया है: ( गाँ ी के वाद ें [अ. प्र राज्य बना गाँ ी; (2013) 5
एससीसी 111: (2013) 2 एससीसी (Cri) 884] , एससीसी
pp. 133-34, para 46)

"46…….'28….व / ान ा ले ें दण्डादेश अति रोविप विकया

गया और अति रोविप सभी अर्थी/ दण्ड ाहे सा ान्य या अविनवाय/ ,


अपीलार्थी' द्वारा अर्जि@ अपरा के ाध्य से अर्जि@ विकये गये

नराशी से क नहीं र्थीे। दण्ड संविह ा 420 के अन् ग/


असीवि राशी का अर्थी/ दण्ड लगाया @ा सक ा र्थीा। संविव ान

का अनुच्छे द 20(1) दो भागो ें है। पहला भाग विकसी व्यविक्त का


अपरा के लिलए दोष सिसद्ध को विनषे कर ा सिसवाय अपरा के

रूप ें आरोविप काय/ को कारिर कर े स य ् स य प्रवृलित्त


विवति के उल्लं न के। अनुच्छे द का दस
ु रा भाग अपरा कारिर

कर े स य ् स य प्रवृलित्त विवति ें विवविह दण्ड से अति क


दण्ड देने का दण्ड संविह ा 420 के अन् ग/ दण्डनीय है @ो विक

विनतिश्च ही अपरा कारिर कर े स य एक प्रवृलित्त विवति है। कैद


की स@ा @ो अपीलार्थी' पर अति रोविप की गयी र्थीी, वह विनतिश्च

ही ारा 420 के अन् ग/ स्वीकृ दण्ड से अति क नही र्थीा।


@ु ा/ने का दण्ड भी अपरा को कारिर कर े स य प्रवृलित्त विवति

ें यर्थीा विवविह राथिश से अति क नही र्थीा। @ैसे विक इस ारा के

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
अन् ग/ असीवि @ु ा/ना लगाया @ा सक ा है। " "(के.सावं

जिंसह वाद ें [के. सावं जिंसह बना पं@ाब राज्य, AIR


1960 एससी 266 : 1960 Cri LJ 410 ] AIR p 275, para
28)"

(15) हाल ही ें उदय जिंसह के ा ले ें ध्य प्रदेश राज्य एवं

अन्य बना कल्लो बाई 8 [(2017) 14 एससीसी 502]


और संभागीय वन

अति कारी एवं अन्य बना @ी. वी. सु ाकर राव एवं अन्य 9 [(1985)
4 S) 484 ] CC 573]
के ा ले ें यह सिसद्द करने के लिलए विक आपराति क

काय/ वाविहयाँ अति हरण काय/ वाविहयों से अलग, इस न्यायालय ने


इस न्यायालय के पहले के विनण/ य को संदर्थिभ विकया। न्यायालय
ने यह विन ा/रिर विकया विक:

"22. 2017 ें कल्लो बाई (उपरोक्त) के ा ले ें ध्य प्रदेश वन

उप@ (व्यापार विवविन य) अति विनय 1969 के प्राव ानो का


विनव/ न कर े हुए इस न्यायालय की एक अन्य दो सदस्यीय

न्यायपीठ ने ऐसा ही दृविष्टकोण अपनाया। अति विनय ें विकये गये


संशो नो के ल े ारा 15-A से 15-D को वन अति विनय

ध्य प्रदेश राज्य के संब ें यर्थीा संशोति ें अति हरण


काय/ वाविहयो को उपवंति करने हे ु @ोड़ा गया। @ी.वी सु ाकर

(उपरोक्त) के ा ले सविह एक अन्य ा ले को उदघृ कर े हुए

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
न्याय ूर्ति एन.वी.र न ने दो सदस्यीय न्यायपीठ की ओर से बोल े

हुए यह अव ारिर विकया विक:

"23. आपराति क अथिभयो@न अति हरण काय/ वाविहयों से अलग है ये

दोनो काय/ वाविहयाँ अलग और सा ानान् र है और प्रत्येक का एक


अलग उद्देश्य हो ा है। अति हरण काय/ वाविहयों का उद्देश्य उत्पाद

और अपरा कारिर करने के लिलए प्रयुक्त सा नों के अति हरण के


संब ें त्वरिर और प्रभावी विनण/ यन को संभव बनाना है @बविक

अथिभयो@न का उद्देश्य अपरा ी को दंन्धिण्ड करना हो ा है।


अति विनय की यो@ना ें अति हरण के लिलए एक स्व ंत्र प्रविक्रया का

विव ान है। अलग काय/ वाही के विव ान का आशय को आगे


दरु
ु प्रयोग को रोकना है।"

(16) अति विनय की ारा 72 की उप ारा (2) के परन् ुक ें

ालिलक को बा@ार ल्
ू य से अनति क ऐसा @ु ा/ना @ो विक

कलेक्टर पया/प्त स झे , अति हरण के बदले अदा करने का

विवकल्प विदया गया है। इस प्रकार इसका विनविह ार्थी/ यह है विक

कलेक्टर को विकसी क्षेत्राति कार की शविक्त दी गई है।कलेक्टर

को आगे ऐसा @ु ा/ना अति रोविप करने की शविक्त दी गई है @ो

@ब् ी की ति थिर्थी पर बस् ु के बा@ार ूल्य से अति क की न हो।

इस प्रकार सा न या बस् ु के अति हरण की शविक्त पूण/ :

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
कलेक्टर ें विनविह है , सिसवाय कुछ परिरन्धिस्र्थीति यों के @ब

अति हरण के स्र्थीान पर बा@ार ूल्य से अनति क @ु ा/ना भी

अति रोविप विकया @ा सक ा है लेविकन केवल कलेक्टर द्वारा।

(17) अति विनय की ारा 72 की उप- ारा (3), उप- ारा (2)

का अपवाद है सि@स ें @ब् ी की रिरपोट/ प्राप्त होने पर या @ब्

बस् ु के विनरीक्षण पर पशु, गाड़ी, पात्र या अन्य सा न सविह , @ो

विक शीघ्र ही नष्ट होने वाली है या प्राकृति क रूप से खराब होने

वाली है या साव/ @विनक विह ें ऐसा करना आवश्यक है ,

कलेक्टर ादक पदार्थी/ को छोड़कर ऐसी वस् ु या पशु की विवक्री,


नीला ी या अन्यर्थीा आदेश दे सक ा है। इसलिलए, यविद कोई भी

@ब् वस् ु @ल्द खराब होने वाली हो या प्राकृ ति क रुप से नष्ट

प्राय हो, कलेक्टर ऐसी वस् ु को साव/ @विनक विनला ी द्वारा विवक्री

करने के लिलए स र्थी/ है। लन्धिम्ब अति हरण प्रविक्रया वाली पशु या

वस् ु की विवक्री करने की शविक्त भी प्रदान की गई है यविद ऐसी

करना साव/ @विनक विह ें आवश्यक हो। ऐसे प्राव ान कलेक्टर

को यह शविक्त प्रदान कर े है विक वह अति हरण आदेश देने से

पहले सा न व पशु के विवक्री का आदेश दे सके यविद उसे इस

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
बा का विवश्वास हो विक ऐसा करना साव/ @विनक विह ें आवश्यक

है।

(18) वस् ु या पशु की विवक्री से प्राप्त न के विव रण के बारें ें

अति विनय की ारा 72 की उप ारा (4) ें विव ार विकया गया

है। यह ऐसी न्धिस्र्थीति से संबतिं है @ब अति हरण का आदेश

कलेक्टर द्वारा न विदया गया हो या उप ारा (7) के अन् ग/

अपील पर विदए गए आदेश से ऐसा अपेतिक्ष हो। न्यायालय के

आदेश के संबं ें भी विबक्री से प्राप्त आग के विव रण की ऐसी

ही शविक्त, यविद वस् ु या पशु की @ब् ी से संबतिं अपरा का


अथिभयो@न संन्धिस्र्थी हो, दी गयी है। इसप्रकार उप ारा (4)

अति विनय की ारा 72 की उप ारा (3) के संबं ें @ब्

वस् ु या पशु की विबक्री से प्राप्त राथिश के विनस् ारण से संबतिं

है। दस
ू रे शब्दों ें , नीला ी या अन्य ाध्य से उप ारा (3) के
अन् ग/ विबक्री पूण/ हो ी है लेविकन विबक्री से प्राप्त आय का

विव रण अपरा के अथिभयो@न संन्धिस्र्थी होने संबं ी न्यायालय

के आदेश सविह अति विनय की ारा 72 की उप ारा (4) ें

विवविह रीति से विकया।

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
(19) अति विनय की ारा 72 की उप ारा (5) अति विनय की

ारा 72 की उप ारा (3) से संबतिं प्रविक्रयाओँ और कलेक्टर

की पशु, गाड़ी, पात्र या अन्य ाध्य सविह @ब् बस् ु की

विवक्री की शविक्त पर विनब/ न से संबतिं है। अति विनय की ारा

72 की उप ारा (6) कलेक्टर की उप ारा (2) के अ ीन विदए

गये विनण/ य के पुनर्दिवलोकन की शविक्त प्रदान कर ी है।

(20) अति विनय की ारा 72 की उप ारा (7), अति विनय की

ारा 72 की उप ारा (6) या उप ारा (2) के अ ीन अति हरण

के आदेश के विवरूद्ध न्यातियक प्राति कारी , @ैसा विक राज्य


सरकार विनयक्त
ु करें, अपील का अति कार प्रदान कर ी है। दस
ू रे
शब्दों ें , अति विनय की ारा 72 की उप ारा (3) के अन् ग/

आने वाली शीघ्र नष्ट होने वाली या प्राकृति क रूप से नष्टप्राय, से

अन्यर्थीा अति हरण आदेश न्यातियक प्राति कारी के यहाँ अपीलका

विवषय है। अति विनय की ारा 72 की उप ारा (3) के अन् ग/

@ब् की गई, @ल्द खराब होने योग्य या प्राकृति क रूप से

नष्टप्राय वस् ु या पशु या अन्यार्थीा साव/ @विनक विह ें आवश्यक,

के संबं ें विदए गये आदेश के संबं ें अपील का प्राव ान नहीं

है।

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
(21) ह यह पा े है विक संविह ा की ारा ४ के सम्बं ें भां .

दं. सं के अ ीन अपरा ों की छानबीन , @ाँ ,

बिंव ारण और अन्यर्थीा इस संविह ा के प्राव ानों के अनुरूप विकये

@ायेगें। यह आगे उपबन् कर ा है विक विकसी अन्य विवति के

अ ीन सभी अपरा की विववे ना, छानबीन, विव ारण और

अन्यर्थीा इन्ही प्राव ानों के ही अनुरूप विकये @ायेगें , लेविकन ्

स य प्रवृत्त विकसी अति विनय , @ो ऐसे अपरा ों से संबतिं

विव ारण, छानबीन विववे ना या अन्यर्थीा के स्र्थीान या रीति का

विवविनय न करे, के अ ीन।अति विनय की ारा 4 की उप ारा 2


के अन् ग/ अपरा ों का विव ारण, छानबीन विववे ना संविह ा के

प्राव ानों के अनुरूप लेविकन विववे ना का स्र्थीान और रीति का

विवविनय न करने वाले संविह ा के उपबं ों के अ ीन विव ारिर

विकये @ाएगें। ूंविक वाहन के अति हरण की प्रविक्रया ारा ें

विवविह है, अति विनय के प्राव ान ही लागू होंगे न विक संविह ा का

अध्याय xxxiv संविह ा की ारा 5 विवशेष या स्र्थीानीय विवति

या विकसी विवशेष अति कारिर ा या विकसी अन्य विवति द्वारा विवविह

विकसी विवथिशष्ट विवविह प्रविक्रया या प्रदत्त शविक्त या त्स य प्रवृत्त

विकसी विवति का संरक्षण कर ा है।

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
(22) हालांविक, @हां अथिभयो@न को अपरा के संबं ें

अपरा के लिलए संस्र्थीाविप विकया @ा ा है, सि@स ें अति विनय

की ारा 72 के उप- ारा (4) के प्राव ानों के अ ीन

न्यायालय के आदेश के अनुसार वस् ुओ ं या @ानवरों का

विनपटान विकया @ाना है। न्यायालय द्वारा पारिर आदेश @हां

अति विनय की ारा 72 की उप ारा (8) के संदभ/ ें अपरा

के लिलए अथिभयो@न की स्र्थीापना की @ा ी है, अति विनय की

ारा 72 की उप ारा (4) के प्राव ानों के अ ीन है। इस

प्रकार, प्राव ान विफर से अथिभयो@न के स ापन पर @ब् ी के


बाद विबक्री आय के विव रण से संबतिं है।

(23) विकसी भी आपराति क अदाल के स क्ष उत्पन्न संपलित्त

के विव ो न की शविक्त, ाहे वह ारा 451, 452 या 457 के

संदभ/ ें अं रिर हो या अन्धिन् हो , विबक्री आय के विव रण के

संबं ें आदेश को छोड़कर अदाल ें उपलब् नहीं होगी।

इसलिलए, आपराति क अदाल या सि@स्ट्रेट के पास उपलब्

संविह ा की ारा 451, 452 या 457 के ह शविक्त न केवल

लंविब ुकद े के संबं ें, बन्धिल्क ुकद े के स ापन के बाद

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
संपलित्त के विनपटान के संबं ें अति विनय ें विनविह प्राव ानों

के सार्थी असंग है।

(24) क/ विदया गया विक नरेन्द्र पर फैसला व / ान ा ले के

लिलए लागू नहीं है, सि@से आपराति क अदाल के रूप ें स्वीकार

नहीं विकया @ा सक ा है, सि@स पर अथिभयो@न दायर विकया गया

है, विकसी भी वस् ुओ ं या @ानवर को रिरहा करने का क्षेत्राति कार

नहीं होगा ाहे वह अं रिर या अंति हो , @ैसा विक प्रश्नग

अति विनय ें ऐसे प्राव ान है @ो संविह ा ें विनविह प्राव ानों के

प्रति कूल है । नरेन्द्र के ा ले ें इस अदाल ने कना/टक राज्य


[(2002) 9 एससीसी 90]
बना के.ए. कुन्धिंन् दा ेद 10 के विनण/ य पर

भरोसा विकया और @ो विनम्नानुसार आयोसि@ है:

"13. ह ारी राय ें, संविह ा की ारा 451 का सा ारण


उपबं संपलित्त की अथिभरक्षा और व्ययन के संबं ें या उस

ा ले के लिलए संविह ा की ारा 452 या ारा 457 के अ ीन


उस पर कब्@ा करने के हकदार विकसी व्यविक्त को नष्ट ,

अथिभग्रहण या परिरदान करके, संपलित्त के विनपटान का आदेश


करने के लिलए सि@स्ट्रेट को प्राति कृ कर ा है, यविद विकसी

अति कारी द्वारा अथिभगृही विकया @ा ा है और @ां या विव ारण


के दौरान विकसी दांतिडक न्यायालय के स क्ष पेश नहीं विकया
mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
@ा ा है, र्थीाविप, @हां कोई कानून उसके अति हरण और

विनपटान के संबं ें विवशेष उपबं कर ा है , संपलित्त के @ब् ी


का आदेश करने के लिलए प्राति कृ कर ा है।

14. ह ने अति विनय के ुख्य त्वों को विनर्दिदष्ट विकया है और


इससे स्पष्ट है विक @ब् विकए गए वाहन को उपायुक्त के स क्ष

प्रस् ु करना होगा, सि@से बदले ें उसके @ब् विकए गए या


उसके वास् विवक ालिलक को @ारी करने की शविक्त प्रदान विकया

गया है। अति विनय की ारा 59 (1) के ह उपायुक्त के


स क्ष @ब् संपलित्त को प्रस् ु करने की आवश्यक ा है , इसके

बाव@ूद विकसी भी अन्य विवति ें कुछ भी शावि ल नहीं है , और,


इसलिलए भी @ब् की शविक्त है। इ ना ही नहीं इस अति विनय

की ारा 61 के संदभ/ ें विकसी भी विवति के लागू होने के स य


विकसी भी अन्य विवति ें कुछ विनविह हो े हुए भी , इस

अति विनय के ह विकसी भी अपरा का कारिर होने ें प्रयोग


की गई संपलित्त के संबं ें कोई भी आदेश देने का क्षेत्राति कार

है।

15. व / ान ा ले ें, विव ातियका ने न केवल ारा 59 ें,

बन्धिल्क अति विनय की ारा 61 ें भी एक सव परिर का उपयोग


विकया है। @ैसा विक स्र्थीाविप है , एक सव परिर उसिल्ललिख

प्राव ानों पर वाद के ा ले ें अनुभाग के अति विनयवि विहस्से

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
को प्रभाव देने के लिलए एक विव ायी युविक्त है। इसलिलए, संविह ा

की ारा 451, 452 और 457 ें अति विनय के प्राव ानों के


अनुसार प्राप्त होनी ाविहए और इस अति विनय के ह वाहन

को @ब् करने के ा ले से विनपटान के दौरान सि@स्ट्रेट या


उस ा ले के लिलए उच्च न्यायालय के विनष्कष/ , सुरक्षा पर वाहन

के अं रिर अथिभरक्षा या उसके उन् ुविक्त से संबंति आदेश


पारिर करने की कोई शविक्त से कोई ब ाव नहीं है।"

(25) हालांविक, विदल्ली आबकारी अति विनय , 2009 की ारा 61

सभी न्यायालयों के क्षेत्राति कार को रोक ी है लेविकन ,

अति विनय ें स ान प्राव ानों की अनुपन्धिस्र्थीति ें भी , व / ान

ा ले ें विनर्थिण सिसद्धां लागू हो ा है क्योंविक अति विनय

संविह ा के प्राव ानों से असंग है।

(26) शराब के अवै परिरवहन ें पाए @ाने वाले वाहन को

@ब् करना एक अपरा है सि@सकी @ां एक आबकारी

अति कारी के सार्थी-सार्थी एक पुलिलस अति कारी द्वारा की @ा

सक ी है। लेविकन @ब् ी की अनन्य शविक्त अति विनय की ारा

72 की उप ारा (2) के संदभ/ ें कलेक्टर के पास विनविह है।

@ब् की गई वस् ुओ ं या @ानवरों की विबक्री की काय/ वाही @ो

विक @ल्द खराब होने वाली या प्राकृति क क्षरण के अ ीन हैं ,

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
अगर बे ी @ा ी हैं, ो अति विनय की ारा 72 के उप ारा

(4) और (8) के संदभ/ ें पाए गए व्यविक्त को भुग ान विकया

@ाना आवश्यक है।

(27) अति विनय की ारा 72 की उप ारा (9) स्पष्ट कर ी है

विक कलेक्टर द्वारा विकए गए @ब् ी का कोई भी आदेश विकसी भी

स@ा के आरोपण को नहीं रोक ा है सि@ससे प्रभाविव व्यविक्त इस

अति विनय के ह उत्तरदायी हो सक ा है। इस प्रकार,

अथिभयो@न के

परिरणा स्वरूप स@ा कलेक्टर द्वारा पारिर @ब् ी के आदेश से


अलग है।

(28) ुकर राव के ा ले ें, संविह ा और उस पर वन्य @ीव

(संरक्षण) अति विनय , 1972 के प्राव ानों की @ां की गई।

न्यायालय ने पाया विक अति विनय के ह अपरा के एक

वाहन का उपयोग, इसके अं रिर रिरहाई पर रोक लगाने के

अलावा कुछ भी अनुति हो सक ा है। न्यायालय ने कहा विक

वन्य @ीव (संरक्षण) अति विनय , 1972 की ारा 50 के

प्राव ान और उस ें विकए गए संशो न विकसी भी रह से संविह ा

की ारा 451 के ह वाहन की अं रिर रिरहाई का आदेश


mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
देने के लिलए सि@स्ट्रेट की शविक्त को प्रभाविव नहीं कर े हैं।

न्यायालय ने यह अव ारिर विकया विक

"16. ह क/ को स्वीकार करने ें अस र्थी/ हैं। यह क/ देना

विक अति विनय के ह अपरा के वाहन का उपयोग , विबना


विकसी अन्य वस् ुओ ं के इसके अं रिर रिरहाई पर रोक लगाना

ह ें काफी अनुति लग ा है। ऐसा ा ला हो सक ा है @हां


अति विनय के ह अपरा के लिलए वाहन का इस् े ाल विकया

गया र्थीा, लेविकन वाहन का ालिलक यह विदखाने की न्धिस्र्थीति ें है


विक उसका इस् े ाल उसके कब्@े से ोरी होने के बाद ही

विकया गया र्थीा। उस न्धिस्र्थीति ें , ह यह स झने ें अस र्थी/ हैं


विक विव ारण के लम्बन के दौरान वाहन को ालिलक के पक्ष ें

क्यों नहीं छोड़ा @ाना ाविहए।”

(29) ह पा े हैं विक अति विनय की ारा 72 की उप ारा

(3) कलेक्टर को वाहन छोड़ने के लिलए शविक्त प्रदान कर ी है ,

यविद इसे इस थ्य से अलग @नविह ें स ी ीन ाना @ा ा है,

@ब कोई भी बस् ु या @ानवर @ल्द खराब होने वाली या

प्राकृति क क्षय के अ ीन है। इसलिलए, ुकर राव के आदेश का

आ ार व / ान ा ले ें लागू नहीं है।

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
(30) अति विनय के प्राव ानों की @ां करने के बाद , ह

ान े हैं विक कलेक्टर के पास वाहनों को @ब् करने का अनन्य

क्षेत्राति कार है और यविद @ब् की गई वस् ुओ ं @ल्द खराब होने

वाली या प्राकृति क क्षरण के अ ीन हैं, ो वह अति विनय की

ारा 72 की उप ारा (3) के ह विन ा/रिर रीके से स ान

बे ने का आदेश दे सक ा है। उप ारा (4) विबक्री आय के

विव रण से संबतिं है @ब @ब् की गई वस् ुओ ं बे ी @ा ी है

@ो @ल्द खराब होने वाली या प्राकृति क क्षरण के अ ीन है या

@ब ऐसा करने के लिलए साव/ @विनक विह ें स ी ीन है।


अति विनय की ारा 72 की उप ारा (8) एक ऐसी न्धिस्र्थीति से

संबतिं है @हां अपरा का अथिभयोग लगाया @ा ा है , सि@सके

संबं ें @ब् ी का आदेश विदया गया र्थीा , इस वस् ुओ ं या

@ानवर को न्यायालय के आदेश के अनुसार अति विनय की

ारा 72 उप ारा (4) के प्राव ानों के अ ीन विकया @ाएगा।

अति विनय की ारा 72 की उप ारा (8) ें न्यायालय का

आदेश अथिभयो@न के विनष्कष/ के बाद है , @ो @ब् की गई

वस् ुओ ं से अलग है @ो अति विनय की ारा 72 की उप ारा

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA
(3) द्वारा परिरकन्धिल्प @ल्द खराब होने वाली या प्राकृति क

क्षरण के अ ीन है।

(31) उपरोक्त के द्देन@र , ह ें उच्च न्यायालय द्वारा पारिर

आदेश ें कोई त्रुविट नहीं वि ल ी है @ो व / ान अपील ें

हस् क्षेप की ाँग कर ा है। विूं क उच्च न्यायालय ने ा ले का

अथिभविन ा/रण अति हरण के आदेश के संदभ/ ें कलेक्टर की

अति कारिर ा के प्रश्न के आ ार पर विकया गया है ा ले को उच्च

न्यायालय कलेक्टर के द्वारा अति हरण के आदेश , सि@ला @@

द्वारा यर्थीा-अथिभपुष्ट पर न्यातियक पुनर्दिव ार की शविक्त का प्रयोग


करने के लिलए वापस भे@ा @ा ा है। दनुरूप अपील विनस् ारिर

की @ा ी है।

(ऩ्याय ूर्ति ,एल.नागेश्वर राव)

(न्या ूर्ति , हे न् गुप्ता)

नई विदल्ली;

20 अगस् 2019

mn~?kks"k.kk
Þ{ks=h; Hkk"kk esa vuqokfnr fu.kZ; oknh ds viuh Hkk"kk esa le>us gsrq fufcZa/kr iz;ksx ds fy;s gS vkSj
fdlh vU; mís'; ds fy;s iz;ksx ugh fd;k tk ldrk gSA lHkh O;kogkfjd vkSj ljdkjh mís';ksa ds
fy;s] fu.kZ; dk vaxzsth laLdj.k izkekf.kd ekuk tk;sxk rFkk fu"iknu vkSj fdz;kUo;u ds mís';ksa ds
fy;s ekU; gksxkßA

You might also like