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!! बायत भाता की आयती !!

आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की ।


आरती भारत माता की, ज़गत के भाग्य विधाता की ।
सिय ऩय हिभ गगरयवय िोिै , चयण को यत्नाकय धोए,
दे वता गोदी भें िोए, यिे आनंद, िुए न द्वन्द, िभर्ऩित छं द,
फोरो जम फर्ु िप्रदाता की, जगत के बाग्म र्वधाता की
आरती भारत माता की, जगत के भाग्यविधाता की ।

जगत में ऱगती है न्यारी, बनी है इसकी छवि न्यारी,


कक दनु नयाॉ दे ख जऱे सारी, दे खकर झऱक, झुकी है ऩऱक, बढी है
ऱऱक,
कृऩा बरसे जहाॉ दाता की, जगत के भाग्य विधाता की
आरती भारत माता की, जगत के भाग्यविधाता की ।

गोद गंगा जभन


ु ा रिये , बगवा पिय पिय पिये ,
रगे िैं घाव फिुत गिये , िुए िैं खण्ड, कयें गे अखण्ड,
दे कय दं ड भौत ऩयदे शी दाता की, जगत के बाग्म र्वधाता की
आरती भारत माता की, जगत के भाग्यविधाता की ।

ऩऱे जहाॉ रघक


ु ु ऱ भष
ू ण राम, बजाये बॉसी जहाॉ घनश्याम,
जहाॉ का कण कण तीरथ धाम, बडे हर धमम, साथ शुभ कमम,
ऱढे बेशमम बनी श्री राम दाता की, जगत के भाग्य विधाता की
आरती भारत माता की, जगत के भाग्यविधाता की ।

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