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Instapdf - in Annapurna Chalisa Hindi 155
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म ाँ अन्नपूर् ा
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च लीस
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Lyrics in Hindi
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॥ दोहा ॥
विश्वेश्वर पदपदम की रज विज शीश लगाय ।
अन्नपूर्णे, ति सुयश बरि ौं कवि मवतलाय ।
॥ च पाई ॥
वित्य आिौं द कररर्णी माता, िर अरु अभय भाि प्रख्याता ।
जय ! स दौं यय ससौंधु जग जििी, असिल पाप हर भि-भय-हरिी ।
श्वेत बदि पर श्वेत बसि पुवि, सौं ति तुि पद सेित ऋविमुवि ।
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काशी पुराधीश्वरी माता, माहेश्वरी सकल जग त्राता ।
िृिभारुढ़ िाम रुद्रार्णी, विश्व विहाररसर्ण जय ! कल्यार्णी ।
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पवतदेिता सुतीत सशरोमसर्ण, पदिी प्राप्त कीन्ह वगरी िौं वदवि ।
पवत विछोह दुुः ि सवह िवहौं पािा, योग अवि तब बदि जरािा ।
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देह तजत सशि चरर्ण सिेहू, रािेहु जात वहमवगरर गेहू ।
प्रकटी वगररजा िाम धरायो, अवत आिौं द भिि मँ ह छायो ।
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चन्द्रकोवट रवि कोवट प्रकाशा, तब आिि महँ करत वििासा ।
माला पुस्तक अौंकुश सोहै, कर मँ ह अपर पाश मि मोहै ।
df अन्न्पूर्णे ! सदापूर्णे, अज अििघ अिौं त पूर्णे ।
कृ पा सागरी क्षेमौंकरर माँ , भि विभूवत आिौं द भरी माँ ।
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कमल विलोचि विलससत भाले, देवि कासलके चण्डि कराले ।
तुम कै लास माौंवह है वगररजा, विलसी आिौं द साथ ससौंधुजा ।
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