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15 अपर्ैल, 1957, देिखए अिधसूचना सं० का० िन० आ० 1180, िदनांक 4 अपर्ैल, 1957, भारत का राजपतर्, 1957, भाग 2, खण्ड 3, पृष्ठ 730 ।
1962 के िविनयम सं० 12 की धारा 3 और अनुसूची ारा अिधिनयम गोवा, दमण और दीव पर उपाण्तरण सिहत िवस्तािरत िकया गया ।
यह अिधिनयम 1963 के िविनयम सं० 7 की धारा 3 और अनुसूची 1 ारा (1-10-1963 से) पािण्डचेरी म पर्वृ हुआ ।
यह अिधिनयम 1963 के िविनयम सं० 6 की धारा 2 और अनुसूची 1 ारा (1-7-1965 से) दादरा और नागर हवेली पर िवस्तािरत और पर्वृ घोिषत िकया गया ।
2
1997 के अिधिनयम सं० 16 की धारा 2 ारा (24-1-1997 से) कितपय शब्द का लोप िकया गया ।
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1997 के अिधिनयम सं० 16 की धारा 3 ारा (24-1-1997 से) धारा 3 के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
(च) ऐसे अन्य कायर् या बात करना जो उस सरकार ारा इस िनिम बनाए गए िनयम ारा अिधकिथत की जाएं,
िविधपूणर् होगा ।
3ग. आक्षेप की सुनवाई—(1) भूिम म िहतब कोई व्यिक्त धारा 3क की उपधारा (1) के अधीन अिधसूचना के पर्काशन की
तारीख से 21 िदन के भीतर उस उपधारा म उिल्लिखत पर्योजन या पर्योजन के िलए भूिम के उपयोग पर आक्षेप कर सके गा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन पर्त्येक आक्षेप िलिखत रूप म सक्षम पर्ािधकारी को िकया जाएगा और उसम उस आक्षेप के आधार
उपविणत ह गे और सक्षम पर्ािधकारी आक्षेपकतार् को व्यिक्तगत रूप से या िविध व्यवसायी के माध्यम से सुने जाने का अवसर पर्दान
करे गा और ऐसे सभी आक्षेप की सुनवाई करने के पश्चात् और ऐसी और जांच, यिद कोई हो, करने के पश्चात् िजसे सक्षम पर्ािधकारी
आवश्यक समझे, उन आक्षेप को, आदेश ारा, या तो मंजूर करे गा या नामंजूर करे गा ।
स्पष्टीकरण—इस उपधारा के पर्योजन के िलए “िविध व्यवसायी” का वही अथर् है जो अिधवक्ता अिधिनयम, 1961 (1961
का 25) की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (झ) म है ।
(3) सक्षम पर्ािधकारी ारा उपधारा (2) के अधीन िकया गया कोई आदेश अंितम होगा ।
3घ. अजर्न की घोषणा—(1) जहां धारा 3ग की उपधारा (1) के अधीन सक्षम पर्ािधकारी को उसम िविनिदष्ट अविध के भीतर
कोई आक्षेप नह िकया गया है या जहां सक्षम पर्ािधकारी ने उस धारा की उपधारा (2) के अधीन आक्षेप को नामंजूर कर िदया है वहां
सक्षम पर्ािधकारी तद्नुसार के न्दर्ीय सरकार को एक िरपोटर्, यथाशक्य शीघर्, पर्स्तुत करे गा और ऐसी िरपोटर् की पर्ािप्त पर के न्दर्ीय
सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, यह घोषणा करे गी िक भूिम धारा 3क की उपधारा (1) म उिल्लिखत पर्योजन या पर्योजन के िलए
अिजत की जाए ।
(2) उपधारा (1) के अधीन घोषणा के पर्काशन पर, भूिम आत्यंितक रूप से सभी िवल्लंगम से मुक्त के न्दर्ीय सरकार म िनिहत
हो जाएगी ।
(3) जहां िकसी भूिम की बाबत अिधसूचना उसके अजर्न के िलए धारा 3क की उपधारा (1) के अधीन पर्कािशत की गई है
िकन्तु उपधारा (1) के अधीन कोई घोषणा उस अिधसूचना के पर्काशन की तारीख से एक वषर् की अविध के भीतर पर्कािशत नह की गई
है वहां उक्त अिधसूचना का कोई पर्भाव नह होगा :
परं तु उक्त एक वषर् की अविध की संगणना करने म ऐसी अविध या अविधय को, िजनके दौरान धारा 3क की उपधारा (1) के
अधीन जारी की गई अिधसूचना के अनुसरण म की गई कोई कारर् वाई या कायर्वाही न्यायालय के आदेश ारा रोक दी जाती है,
अपविजत िकया जाएगा ।
(4) उपधारा (1) के अधीन के न्दर्ीय सरकार ारा की गई िकसी घोषणा को िकसी न्यायालय म या िकसी अन्य पर्ािधकारी ारा
पर्श्नगत नह िकया जाएगा ।
3ङ. कब्जा लेने की शिक्त—(1) जहां कोई भूिम धारा 3घ की उपधारा (2) के अधीन के न्दर्ीय सरकार म िनिहत हो गई है और
सक्षम पर्ािधकारी ारा ऐसी भूिम की बाबत धारा 3छ के अधीन अवधािरत रकम के न्दर्ीय सरकार ारा धारा 3ज की उपधारा (1) के
अधीन सक्षम पर्ािधकारी के पास जमा कर दी गई है वहां सक्षम पर्ािधकारी िलिखत सूचना ारा स्वामी तथा ऐसे िकसी अन्य व्यिक्त को
िजसका ऐसी भूिम पर कब्जा हो, यह िनदेश दे सके गा िक वह उस भूिम का कब्जा सक्षम पर्ािधकारी को या उसके ारा इस िनिम
सम्यक् रूप से पर्ािधकृ त िकसी व्यिक्त को सूचना की तामील से साठ िदन के भीतर अभ्यिपत या पिरद करे ।
(2) यिद कोई व्यिक्त उपधारा (1) के अधीन िदए गए िकसी िनदेश का पालन करने से इं कार करता है या असफल रहता है तो
सक्षम पर्ािधकारी—
(क) महानगर क्षेतर् के भीतर आने वाले िकसी क्षेतर् म िस्थत िकसी भूिम की दशा म, पुिलस अधीक्षक को;
(ख) खंड (क) म िनिदष्ट क्षेतर् से िभन्न िकसी क्षेतर् म िस्थत िकसी भूिम की दशा म, िजले के कलक्टर को,
आवेदन करे गा और, यथािस्थित, ऐसा आयुक्त या कलक्टर सक्षम पर्ािधकारी को या उसके ारा सम्यक् रूप से पर्ािधकृ त व्यिक्त को भूिम
का अभ्यपर्ण पर्वितत कराएगा ।
3च. उस भूिम म पर्वेश करने का अिधकार जहां भूिम के न्दर्ीय सरकार म िनिहत हो गई है—जहां भूिम धारा 3घ के अधीन
के न्दर्ीय सरकार म िनिहत हो गई है वहां के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी व्यिक्त के िलए यह िविधपूणर् होगा िक वह
राष्टर्ीय राजमागर् या उसके िकसी भाग के िनमार्ण, अनुरक्षण, पर्बंध या कायार्न्वयन के िलए उससे संबंिधत कोई अन्य कायर् करने के िलए
भूिम म पर्वेश करे और अन्य आवश्यक कायर् करे ।
3छ. पर्ितकर के रूप म संदय
े रकम का अवधारण—(1) जहां इस अिधिनयम के अधीन कोई भूिम अिजत की जाती है वहां
ऐसी रकम संद की जाएगी, जो सक्षम पर्ािधकारी के आदेश ारा अवधािरत की जाएगी ।
(2) जहां इस अिधिनयम के अधीन िकसी भूिम पर उपयोग का अिधकार या सुखाचार की पर्कृ ित का कोई अिधकार अिजत
िकया जाता है वहां उस भूिम के स्वामी को और िकसी ऐसे अन्य व्यिक्त को, िजसका उस भूिम म उपभोग का अिधकार ऐसे अजर्न के
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कारण िकसी भी रूप म पर्भािवत हुआ है, ऐसी रकम संद की जाएगी जो उस भूिम के िलए उपधारा (1) के अधीन अवधािरत रकम के
दस पर्ितशत पर संगिणत की जाएगी ।
(3) उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन रकम का अवधारण करने के पूवर् सक्षम पर्ािधकारी अिजत की जाने वाली भूिम म
िहतब सभी व्यिक्तय से दावा आमंितर्त करते हुए दो स्थानीय समाचारपतर् म, िजनम से एक देशी भाषा म होगा, पर्कािशत
सावर्जिनक सूचना देगा ।
(4) ऐसी सूचना म भूिम की िविशिष्टय का िववरण होगा और उस भूिम म िहतब सभी व्यिक्तय से व्यिक्तगत रूप से या
अिभकतार् के माध्यम से अथवा धारा 3ग की उपधारा (2) म िनिदष्ट िविध व्यवसायी के माध्यम से सक्षम पर्ािधकारी के समक्ष ऐसे समय
और स्थान पर उपसंजात होने की और ऐसी भूिम म अपने-अपने िहत की पर्कृ ित का िववरण देने की अपेक्षा की जाएगी ।
(5) यिद उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन सक्षम पर्ािधकारी ारा अवधािरत रकम िकसी पक्षकार को सवीकायर् नह है,
तो उक्त रकम िकसी पक्षकर के आवेदन पर के न्दर्ीय सरकार ारा िनयुक्त िकए गए मध्यस्थ ारा अवधािरत की जाएगी ।
(6) इस अिधिनयम के उपबन्ध के अधीन रहते हुए, माध्यस्थम् और सुलह अिधिनयम, 1996 (1996 का 26) के उपबन्ध इस
अिधिनयम के अधीन पर्त्येक माध्यस्थम् को लागू ह गे ।
(7) सक्षम पर्ािधकारी या मध्यस्थ, यथािस्थित, उपधारा (1) या उपधारा (5) के अधीन रकम का अवधारण करते समय,
िनम्निलिखत को ध्यान म रखेगा—
(क) धारा 3क के अधीन अिधसूचना के पर्काशन की तारीख को भूिम का बाजार मूल्य;
(ख) भूिम का कब्जा लेने के समय िहतब व्यिक्त को ऐसी भूिम को अन्य भूिम से पृथक् करने के कारण हुआ
नुकसान, यिद कोई है;
(ग) भूिम का कब्जा लेते समय िहतब व्यिक्त को उसकी अन्य स्थावर संपि को िकसी रीित से या उसके उपाजर्न
पर हािनकारक रूप से पर्भाव डालने वाले अजर्न के कारण हुआ नुकसान, यिद कोई है;
(घ) यिद भूिम के अजर्न के पिरणामस्वरूप िहतब व्यिक्त अपना िनवास या कारबार के स्थान बदलने के िलए
िववश है तो ऐसे पिरवतर्न से आनुषंिगक उिचत व्यय, यिद कोई है ।
3ज. रकम का जमा और संदाय िकया जाना—(1) धारा 3छ के अधीन अवधािरत रकम के न्दर्ीय सरकार ारा भूिम का कब्जा
लेने से पहले सक्षम पर्ािधकारी के पास ऐसी रीित से जमा कराई जाएगी जो उस सरकार ारा इस िनिम बनाए गए िनयम ारा
अिधकिथत की जाए ।
(2) उपधारा (1) के अधीन रकम के जमा कर िदए जाने के पश्चात् यथाशीघर्, सक्षम पर्ािधकारी रकम के न्दर्ीय सरकार की ओर
से उसके हकदार व्यिक्त या व्यिक्तय को संद करे गा ।
(3) जहां उपधारा (1) के अधीन जमा की गई रकम म कई व्यिक्त िहतब होने का दावा करते ह वहां सक्षम पर्ािधकारी उन
व्यिक्तय को अवधािरत करे गा जो, उसकी राय म, उनम से पर्त्येक को संदय
े रकम पर्ाप्त करने के हकदार ह ।
(4) यिद उक्त रकम या उसके िकसी भाग के पर्भाजन के बारे म या िकसी ऐसे व्यिक्त के बारे म िजसको उक्त रकम या उसका
कोई भाग संदय े है, कोई िववाद उत्पन्न होता है तो सक्षम पर्ािधकारी उस िववाद को आरं िभक अिधकािरता वाले उस पर्धान िसिवल
न्यायालय को, िजसकी अिधकािरता की सीमा के भीतर वह भूिम िस्थत है, िविनश्चय के िलए िनदिशत करे गा ।
(5) जहां माध्यस्थम् ारा धारा 3छ के अधीन अवधािरत रकम सक्षम पर्ािधकारी ारा अवधािरत रकम से अिधक है वहां
मध्यस्थ ऐसी अितिरक्त रकम पर धारा 3घ के अधीन कब्जा लेने की तारीख से उस रकम का वास्तव म जमा िकए जाने की तारीख तक
नौ पर्ितशत पर्ित वषर् की दर से ब्याज अिधिनण त कर सके गा ।
(6) जहां मध्यस्थ ारा अवधािरत रकम सक्षम पर्ािधकारी ारा अवधािरत रकम से अिधक है वहां उपधारा (5) के अधीन
अिधिनण त ब्याज सिहत, यिद कोई है, अितिरक्त रकम के न्दर्ीय सरकार ारा ऐसी रीित से, जो उस सरकार ारा इस िनिम बनाए
गए िनयम ारा अिधकिथत की जाए, सक्षम पर्ािधकारी के पास जमा की जाएगी और उपधारा (2) से उपधारा (4) के उपबंध ऐसे जमा
को लागू ह गे ।
3झ. सक्षम पर्ािधकारी को िसिवल न्यायालय की कितपय शिक्तयां ह गी—सक्षम पर्ािधकारी को इस अिधिनयम के पर्योजन
के िलए, िनम्निलिखत िवषय की बाबत वे सभी शिक्तयां ह गी जो िसिवल पर्िकर्या संिहता, 1908 (1908 का 5) के अधीन िकसी वाद
का िवचारण करते समय िसिवल न्यायालय को ह, अथार्त् :—
(क) िकसी व्यिक्त को समन करना तथा उसको हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीक्षा करना;
(ख) िकसी दस्तावेज के पर्कटीकरण और पेश िकए जाने की अपेक्षा करना;
(ग) शपथ-पतर् पर सा य लेना;
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िकसी ऐसे पुल को िविनिदष्ट कर सके गी िजसके पर्योग के संबंध म इस उपधारा के अधीन फीस उद्गर्हणीय नह ह गी ।]
(2) जब ऐसी फीस इस पर्कार उद्गर्गृहीत की जाएं तब वे इस अिधिनयम के अधीन बने िनयम के अनुसार संगृहीत
की जाएंगी ।
(3) जो कोई फीस उन सेवा या पर्सुिवधा के िलए, जो अनुसच ू ी म िविनिदष्ट िकसी राजमागर् के नौघाट, अस्थायी पुल
और सुरंग के पर्योग के सम्बन्ध म की गई या दी गई ह, इस अिधिनयम के पर्ारं भ के ठीक पूवर् उद्गर्हणीय थी यिद और जब तक िक वह
उपधारा (1) ारा पर्द शिक्त का पर्योग करके पिरवितत न कर दी जाए, तो और तब तक वह उद्गर्हणीय बनी रहेगी ।
8. [राज्य सरकार या नगरपािलका से करार]—राष्टर्ीय राजमागर् (संशोधन) अिधिनयम, 1997 (1997 का 16) की धारा 4
ारा (24-1-1997 से) िनरिसत ।
[8क. राष्टर्ीय राजमाग के िवकास और अनुरक्षण के िलए करार करने की के न्दर्ीय सरकार की शिक्त—(1) इस अिधिनयम म
3
िकसी बात के होते हुए भी, के न्दर्ीय सरकार, िकसी सम्पूणर् राष्टर्ीय राजमागर् या उसके िकसी भाग का िवकास और अनुरक्षण करने के
संबंध म, िकसी व्यिक्त से करार कर सके गी ।
(2) धारा 7 म िकसी बात के होते हुए भी, उपधारा (1) म िनिदष्ट व्यिक्त, उसके ारा की गई सेवा या दी गई पर्सुिवधा
के िलए ऐसी दर से फीस के संगर्हण और पर्ितधारण के िलए हकदार होगा, जो के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा ऐसे सम्पूणर्
राष्टर्ीय राजमागर् या उसके िकसी भाग के िनमार्ण, अनुरक्षण, पर्बन्ध और पर्वतर्न म अन्तवर्िलत व्यय, िविनिहत पूंजी पर ब्याज, उिचत
पर्त्यागम, यातायात की मातर्ा और ऐसे करार की अविध को ध्यान म रखते हुए, िविनिदष्ट करे ।
(3) उपधारा (1) म िनिदष्ट व्यिक्त को ऐसे करार की िवषयवस्तु के भाग रूप राष्टर्ीय राजमागर् पर उसके उिचत पर्बन्ध के
िलए मोटर यान अिधिनयम, 1988 (1988 का 59) के अध्याय 8 म अन्तिवष्ट उपबन्ध के अनुसार यातायात का िविनयमन और
िनयंतर्ण करने की शिक्तयां ह गी ।
1
1977 के अिधिनयम सं० 30 की धारा 2 ारा अंत:स्थािपत ।
2
1993 के अिधिनयम सं० 1 की धारा 2 ारा (23-10-1992 से) अंत:स्थािपत ।
3
1995 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 2 ारा अंत:स्थािपत ।
5
8ख. राष्टर्ीय राजमागर् को क्षित पहुंचाने वाली िरिष्ट के िलए दण्ड—जो कोई, िकसी ऐसे कायर् ारा िरिष्ट करे गा, िजससे
धारा 8क की उपधारा (1) म िनिदष्ट िकसी राष्टर्ीय राजमागर् को यातर्ा या सम्पि पर्वहण के िलए अगम्य या कम िनरापद बना िदया
जाए या बना िदया जाना वह सम्भाव्य जानता हो, वह दोन म से िकसी भांित के कारावास से, िजसकी अविध पांच वषर् तक की हो
सके गी, या जुमार्ने से, या दोन से, दिण्डत िकया जाएगा ।]
9. िनयम बनाने की शिक्त—(1) के न्दर्ीय सरकार इस अिधिनयम के उ ेश्य को कायार्िन्वत करने के िलए िनयम राजपतर् म
अिधसूचना ारा बना सके गी ।
(2) िविशष्टत: और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना ऐसे िनयम िनम्निलिखत सभी िवषय या
उनमसे िकसी के िलए उपबन्ध कर सकगे, अथार्त् :—
(क) वह रीित, िजससे और वे शत िजन पर राष्टर्ीय राजमागर् या उसके िकसी भाग के िवकास या अनुरक्षण से
सम्बिन्धत कोई कृ त्य राज्य सरकार या के न्दर्ीय सरकार अथवा राज्य सरकार के अधीनस्थ अिधकारी या िकसी पर्ािधकारी
ारा िकए जा सकगे;
[(कक) वह रीित िजससे धारा 3ज की उपधारा (1) और उपधारा (6) के अधीन सक्षम पर्ािधकारी के पास रकम
1
जमा की जाएगी;]
2
[(ख) वे दर िजन पर िकसी राष्टर्ीय राजमागर् पर, नौघाट , स्थायी पुल , अस्थायी पुल और सुरंग के पर्योग 3 [और
िकसी राष्टर्ीय राजमागर् के खंड के पर्योग] के संबंध म की गई सेवा के िलए धारा 7 के अधीन फीस उद्गृहीत की जा सकगी
और वह रीित िजससे ऐसी फीस संगृहीत की जाएंगी;]
(ग) राष्टर्ीय राजमाग का िनयतकािलक िनरीक्षण और िनरीक्षण िवषयक िरपोट का के न्दर्ीय सरकार को
िदया जाना;
(घ) राष्टर्ीय राजमाग पर िकए गए काम से सम्बिन्धत िरपोट;
(ङ) कोई अन्य िवषय िजसके बारे म इस अिधिनयम के अधीन उपबन्ध िकया जाना चािहए ।
[(3) इस धारा के अधीन बनाया गया पर्त्येक िनयम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघर्, संसद् के पर्त्येक सदन के समक्ष जब
4
वह सतर् म हो कु ल तीस िदन की अविध के िलए रखा जाएगा । यह अविध एक सतर् म अथवा दो या अिधक आनुकर्िमक सतर् म पूरी हो
सके गी । यिद उक्त सतर् के या पूव क्त आनुकर्िमक सतर् के ठीक बाद के सतर् के अवसान के पूवर् दोन सदन उस िनयम म कोई पिरवतर्न
करने के िलए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे पिरवितत रूप म ही पर्भावी होगा । यिद उक्त अवसान के पूवर् दोन सदन सहमत
हो जाएं िक वह िनयम नह बनाया जाना चािहए तो तत्पश्चात् वह िनष्पर्भाव हो जाएगा । िकन्तु िनयम के ऐसे पिरवितत या
िनष्पर्भाव होने से उसके अधीन पहले की गई िकसी बात की िविधमान्यता पर पर्ितकू ल पर्भाव नह पड़ेगा ।]
10. अिधसूचना , िनयम आिद का संसद् के समक्ष रखा जाना—इस अिधिनयम के अधीन िनकाली गई सभी अिधसूचनाएं
या िकए गए सभी करार िनकाले या िकए जाने के पश्चात् यथाशक्य शीघर् संसद् के दोन सदन समक्ष रखे जाएंगे 5 *** ।
1
1997 के अिधिनयम सं० 16 की धारा 5 ारा (24-1-1997 से) अंत:स्थािपत ।
2
1977 के अिधिनयम सं० 30 की धारा 3 ारा खण्ड (ख) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
3
1993 के अिधिनयम सं० 1 की धारा 3 ारा (23-10-1992 से) अंत:स्थािपत ।
4
1977 के अिधिनयम सं० 30 की धारा 2 ारा अंत:स्थािपत ।
5
1977 के अिधिनयम सं० 30 की धारा 4 ारा कितपय शब्द का लोप िकया गया ।
6
अनुसूची
(धारा 2 देिखए)
राष्टर्ीय राजमागर्
कर्म सं० राष्टर्ीय राजमागर् सं० राष्टर्ीय राजमागर् का िववरण
1 2 3
1. 1 िदल्ली, अम्बाला, जालन्धर और अमृतसर को िमलाने वाला तथा भारत और पािकस्तान
की सीमा तक जाने वाला राजमागर् ।
2. 1क जालन्धर, माधोपुर, जम्मू, बिनहाल, शर्ीनगर, बारमूला और ऊरी को िमलाने वाला-
राजमागर् ।
1
[2क. 1ख राष्टर्ीय राजमागर् सं० 1-क पर बंटोट म इसके जंक्शन से पर्ारं भ होकर, डोडा को
िकश्तेवर से जोड़ने वाला राजमागर्, राष्टर्ीय राजमागर् होगा ।]
2
[3. 2 िदल्ली, मथुरा, आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी (बनारस), मोहिनया, बरही,
पालिसट, बै वती, बारा और कलक ा को िमलाने वाला राजमागर् ।
4. 3 आगरा, ग्वािलयर, िशवपुरी, इं दौर, धुिलया, नािसक, थाणा और बम्बई को िमलाने
वाला राजमागर् ।
3
[4क. राष्टर्ीय राजमागर् सं० हुबली के िनकट राष्टर्ीय राजमागर् सं० 4 पर 403/800 िक. मी. से आरं भ होने वाला और
4 का नया संरेखण अयोध्या नगर पंगापुर-गोकु ल-रिवटल-कालाघाट जी-हिलयाल से होते हुए, कनाटर्क म
धारवाड़ कस्बे के िनकट राष्टर्ीय राजमागर्-4 पर 433/200 िक. मी. पर समाप्त होने
वाला राजमागर् ।]
5. 4 थाना के िनकट कर्म सं० 4 म िविनिदष्ट राजमागर् के साथ अपने जंक्शन से पर्ारं भ होने
वाला और पूना, बेलगांव, हुबली, बंगलौर, रानीपट और मदर्ास की िमलाने वाला
राजमागर् ।
4
[5क. 4क बेलगाम, अन्मोद, प डा और पणजी को जोड़ने वाला राजमागर् ।]
5
[5ख. 4ख न्हावा शेवा पोटर् कं प्लेक्स के समीप पनवेल-उरान राज्य राजमागर् से अपने जंक्शन से
आरं भ होने वाला, िजसकी एक राह राष्टर्ीय राजमागर् सं० 4 पर कलमनािल पर समाप्त
हो जाती है और दूसरी राह पलस्पी पर राष्टर्ीय राजमागर् सं० 17 को पार करके आगे
बढ़ते हुए राष्टर्ीय राजमागर् सं० 4 पर समाप्त होती है ।]
6. 5 बहारगोरा के िनकट कर्म सं० 7 म िविनिदष्ट राजमागर् के साथ अपने जंक्शन से पर्ारं भ
होने वाला और कटक, भुवनेश्वर, िवशाखापटणम, िवजयवाड़ा और मदर्ास को िमलाने
वाला राजमागर् ।
4
[6क. 5क हिरदासपुर के समीप राष्टर्ीय राजमागर् सं० 5 पर अपने जंक्शन से आरं भ होकर यह
राजमागर्, पारादीप प न पर समाप्त होता है ।]
7. 6 धुिलया के िनकट कर्म सं० 4 म िविनिदष्ट राजमागर् के साथ अपने जंक्शन से पर्ारं भ होने
वाला और नागपुर, रायपुर, संबलपुर, बहारगोरा और कलक ा को िमलाने वाला
राजमागर् ।
6
[7क. राष्टर्ीय राजमागर् सं० महाराष्टर् से धुलै के समीप राजमागर् सं० 6 पर अपने जंक्शन से आरं भ होकर यह
6 का िवस्तार राजमागर्, गुजरात म सूरत म समाप्त होता है ।]
1
भारत का राजपतर्, 1977, भाग 2, खंड 3(ii) म पृ० 2224 पर अिधसूचना सं० का०आ० 1980, तारीख 25 मई, 1977, ारा अंत:स्थािपत ।
2
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1975, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 1720 म अिधसूचना सं० का०आ० 380(अ), तारीख 25 जुलाई, 1975 ारा अंत:स्थािपत ।
3
भारत का राजपतर्, असाधारण, भाग 2, खंड 3(ii), म अिधसूचना सं० का०आ० 230(अ), तारीख 19 माचर्, 1998 ारा अंत:स्थािपत ।
4
भारत का राजपतर्, 1971, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 4708 म अिधसूचना सं० का०आ० 3344, तारीख 21 जुलाई, 1971 ारा अंत:स्थािपत ।
5
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1984, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 865 म अिधसूचना सं० का०आ० 865(अ), तारीख 12 नवंबर, 1984 ारा अंत:स्थािपत ।
6
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1998, भाग 2, खंड 3(ii), पर अिधसूचना सं० का०आ० 116(अ), तारीख 9 फरवरी, 1998 ारा अंत:स्थािपत ।
7
1
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1972 भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 443 पर अिधसूचना सं० का०आ० 179(अ) तारीख 7 माचर्, 1972 ारा अंत:स्थािपत ।
2
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1963, भाग 2, खंड 3(ii) पृ० 622 पर अिधसूचना सं० का०आ० 512, तारीख 1 फरवरी, 1963 ारा अंत:स्थािपत ।
3
भारत का राजपतर्, 1978, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 3018 पर अिधसूचना सं० का०आ० 3114, तारीख 18 अक्तूबर, 1978 ारा अंत:स्थािपत ।
4
भारत का राजपतर्, 1960, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 1485 पर अिधसूचना सं० का०आ० 1199, तारीख 4 माचर्, 1960 ारा अंत:स्थािपत ।
5
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1981, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 246 पर अिधसूचना सं० का०आ० 114(अ), तारीख 17 फरवरी, 1981 ारा अंत:स्थािपत ।
6
भारत का राजपतर्, 1971, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 4708 पर अिधसूचना सं० का०आ० 3344, तारीख 21 जुलाई, 1971 ारा अंत:स्थािपत ।
7
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1974, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 1451 पर अिधसूचना सं० का०आ० 442(अ), तारीख 17 जुलाई, 1974 ारा अंत:स्थािपत ।
8
1
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1998, भाग 2, खंड 3(ii) अिधसूचना सं० का०आ० 116(अ), तारीख 9 फरवरी, 1998 ारा अंत:स्थािपत ।
2
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1993, भाग 2, खंड 3(ii) पर अिधसूचना सं० का०आ० 57(अ), तारीख 19 जनवरी, 1993 ारा अंत:स्थािपत ।
3
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1996, भाग 2, खंड 3(ii) पर अिधसूचना सं० का०आ० 87(अ), तारीख 31 जनवरी, 1996 ारा अंत:स्थािपत ।
4
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1997, भाग 2, खंड 3(ii), पर अिधसूचना सं० का०आ० 288(अ), तारीख 31 माचर्, 1997 ारा अंत:स्थािपत ।
5
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1972 भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 443 पर अिधसूचना सं० का०आ० 179(अ) तारीख 17 माचर्, 1972 ारा अंत:स्थािपत ।
6
अिधसूचना सं० का०आ० 147(अ), तारीख 20 फरवरी, 1989 ारा अंत:स्थािपत ।
9
1
भारत के राजपतर्, 1958, भाग 2, खंड 3(ii) पृ० 382 पर अिधसूचना सं० का०आ० 568, तारीख 10 अपर्ैल, 1958 ारा अंत:स्थािपत ।
2
अिधसूचना सं० का०आ० 147(अ), तारीख 20 फरवरी, 1989 ारा अंत:स्थािपत ।
3
भारत का राजपतर्, 1963, भाग 2, खंड 3(ii) पृ० 622 पर अिधसूचना सं० का०आ० 513, तारीख 12 फरवरी, 1963 ारा अंत:स्थािपत ।
4
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1980, भाग 2, खंड 3(ii) पृ० 1296 पर अिधसूचना सं० का०आ० 698 (अ), तारीख 1 िसतंबर, 1980 ारा अंत:स्थािपत ।
5
भारत का राजपतर्, 1971, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 470 पर अिधसूचना सं० का०आ० 3344, तारीख 21 जुलाई, 1971 ारा अंत:स्थािपत ।
10
1
भारत का राजपतर्, 1971, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 470 पर अिधसूचना सं० का०आ० 3344, तारीख 21 जुलाई, 1971 ारा अंत:स्थािपत ।
2
भारत का राजपतर्, 1998, भाग 2, खंड 3(ii) पर अिधसूचना सं० का०आ० 116(अ), तारीख 9 फरवरी, 1998 ारा अंत:स्थािपत ।
3
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1983, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 501 पर अिधसूचना सं० का०आ० 803(अ), तारीख 7 नवम्बर, 1983 ारा अंत:स्थािपत ।
4
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1968, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 41 पर अिधसूचना सं० का०आ० 39, तारीख 18 िदसम्बर, 1967 ारा अंत:स्थािपत ।
5
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1986, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 476 पर अिधसूचना सं० का०आ० 849(अ), तारीख 18 नवम्बर, 1986 ारा अंत:स्थािपत ।
6
भारत का राजपतर्, असाधारण, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 441, तारीख 6 माचर्, 1992 की अिधसूचना सं० का०आ० 178(अ) ारा लोप िकया गया ।
7
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1972, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 443 पर अिधसूचना सं० का०आ० 179(अ), तारीख 7 माचर्, 1972 ारा अंत:स्थािपत ।
8
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1980, भाग 2, खंड 3(ii) पृ० 1296 पर अिधसूचना सं० का०आ० 698 (अ), तारीख 1 िसतंबर, 1980 ारा अंत:स्थािपत ।
11
1
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1972, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 443, अिधसूचना सं० का०आ० 457(अ), तारीख 4 अगस्त, 1986 ारा लोप िकया गया ।
2
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1986, भाग 2, खंड 3(ii), कर्म सं० 313 पर अिधसूचना सं० का०आ० 458(अ), तारीख 4 अगस्त, 1986 ारा अंत:स्थािपत ।
3
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1990, भाग 2, खंड 3(ii), पर अिधसूचना सं० का०आ० 845(अ), तारीख 6 नवम्बर, 1990 ारा अंत:स्थािपत ।
4
भारत का राजपतर्, असाधारण, 1984, भाग 2, खंड 3(ii), पृ० 568 पर अिधसूचना सं० का०आ० 868(अ), तारीख 17 नवम्बर, 1984 ारा अंत:स्थािपत ।
5
भारत का राजपतर्, असाधारण, भाग 2, खंड 3(ii), कर्० सं० 80 पर अिधसूचना सं० का०आ० 92(अ), तारीख 13 माचर्, 1986 ारा अंत:स्थािपत ।
6
भारत का राजपतर्, 1998, भाग 2, खंड 3(ii) पर अिधसूचना सं० का०आ० 116(अ), तारीख 9 फरवरी, 1998 ारा अंत:स्थािपत ।
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1
अिधसूचना सं० का०आ० 147(अ), तारीख 20 फरवरी, 1989 ारा अंत:स्थािपत ।
2
भारत के राजपतर्, असाधारण, 1997, भाग 2, खंड 3(ii), पर अिधसूचना सं० का०आ० 894(अ), तारीख 24 िदसंबर, 1997 ारा अंत:स्थािपत ।
3
भारत के राजपतर्, असाधारण, 1997, भाग 2, खंड 3(ii), पर अिधसूचना सं० का०आ० 922(अ), तारीख 29 िदसंबर, 1997 ारा अंत:स्थािपत ।