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Hindi12 A
Hindi12 A
कक्षा – 12 (सेट अ )
वर्षय - विन्दी
समय – 3 घं टा पू र्ाांक – 80
विर्दे श :-
v. मराठी भाषा में निखी ‘जूझ’ कहािी का नहन्दी अिुवाि नकसिे नकर्ा है ?
(अ) मिनहर श्याम जनशी िे (ब ) ओम र्ािवी िे
(स ) केशव प्रर्म वीर िे (ि ) ऐि फ्रैंक िे
i. िू रिशयि वािे कैमरे के सामिे बै ठे अपानहज से बार-बार प्रश्न क्यनं पूछते हैं ?
ii. नवस्तृ त किेवर वािे काव्य कन क्या कहते हैं ?
iii. ‘शेर के बच्चे’ का असि िाम क्या र्ा?
iv. अिासि का क्या अर्य है ?
v. ‘तकिीकी’ शब्द अंग्रेजी के नकस शब्द का नहं िी पर्ाय र् है ?
vi. रनजी-रनिी की तिाश में आए र्शनर्र पंत कन नकसिे शरर्ण िी?
vii. िे ि िाइि नकसे कहते हैं ?
6. कनव हररवं श रार् बच्चि कन र्ह वास्तनवक सं सार क्यनं अच्छा िही ं िगता ? (2)
अथर्ा
निशाओं कन मृिंग की तरह बजािे से क्या तात्पर्य है ?
अथर्ा
10. निबं र् नकसे कहते है ? नकन्ी ं िन निबं र्कारनं एवं उिके िन-िन निबं र्नं के िाम निक्तखए| (2)
अथर्ा
गद्य की नवर्ाओं कन प्रमुख एवं गौर्ण नवर्ाओं में वगीकृत करके निक्तखए l
अथर्ा
अथर्ा
'जूझ' कहािी के आर्ार पर आपकन कौि-कौि से जीवि मूल्य ग्रहर्ण करिे की प्रेरर्णा नमिती है ?निक्तखए l
अथर्ा
16 . रघुवीर सहार् अथर्ा हररवंशरार् बच्चि की काव्यगत नवशेषताएाँ निम्ननिक्तखत नबन्िु ओं के आर्ार पर निक्तखए- (3 )
17. हजारीप्रसाि निवे िी अथर्ा र्मयवीर भारती की सानहक्तत्यक नवशेषताएाँ निम्ननिक्तखत नबन्िु ओं के आर्ार पर निक्तखए -(3 )
अथर्ा
19. निम्ननिक्तखत अपनठत गद्यां श अर्वा काव्यां श कन पढकर िीचे निखे प्रश्ननं के उिर निक्तखए- (3 )
प्रकृनत और मिुष्य का सं बंर् ऐनतहानसक दृनि से कािी बाि में शुरू हुआ , क्यनंनक प्रकृनत पहिे से र्ी, मिुष्य बाि में आर्ा।
िेनकि अपिे नवकास के क्रम में मिुष्य िे शीघ्र ही प्रकृनत पर अपिी इच्छा आरननपत करिी चाही। और तब से , सं घषय और
स्वीकृनत का एक िनमहषयक िािक मिुष्य और प्रकृनत के बीच चिा आ रहा है । आज भी मिुष्य प्रकृनत का ही पुि है । जन्म ,
जीवि, र्ौवि, जरा, मरर्ण आनि अपिी अिेक क्तस्र्नतर्नं में वह आज भी प्राकृनतक निर्मनं से मुि िही ं हन सका है ।इसके
बावजूि निरं तर उसकी चेिा र्ही रही है नक वह ज्ञाि-नवज्ञाि की अपिी सामूनहक उद्यमशीिता के बि पर प्रकृनत कन पूर्णयतः
अपिे वश में कर िे। र्ह इनतहास मिुष्य की नवजर् और प्रगनत का इनतहास है । र्ा उसकी पराजर् और िु गय नत का, इसे वह
स्वर्ं भी ठीक-ठीक िही ं समझ सका है । पर नजसे हम मिुष्य की जर्गार्ा कहकर पुिनकत हन रहे हैं , वह असि में मिुष्य
की पराजर् और उसके आत्महिि की गार्ा है ।
प्रश्न
21. निम्ननिक्तखत गद्यां श की सं िभय –प्रसं ग एवं नवशेष सनहत व्याख्या निक्तखए – (4)
र्हााँ मुझे ज्ञात हनता है नक बाजार कन सार्यकता भी वही मिुष्य िे ता है जन जािता है नक वह क्या चाहता है । और
जन िही ं जािते नक वे क्या चाहते हैं , अपिी 'पचेनजंग पावर' के गवय में अपिे पैसे से केवि एक नविाशक शक्ति-शैतािी
शक्ति, व्यं ग्य की शक्ति ही बाजार कन िे ते हैं । ि तन वे बाजार से िाभ उठा सकते हैं ि उस बाजार कन सच्चा िाभ िे सकते
हैं । वे िनग बाजार का बाजारूपि बढाते हैं । नजसका मतिब है नक कपि बढाते हैं । कपि की बढती का अर्य परस्पर में
सद्भाव घिी ।
अथर्ा
जानत प्रर्ा कन र्नि श्रम नवभाजि माि निर्ा जाए, तन र्ह स्वाभानवक नवभाजि िही ं है , क्यनंनक र्ह मिुष्य की रुनच
पर आर्ाररत िही ं है । कुशि व्यक्ति र्ा सक्षम-श्रनमक-समाज का निमाय र्ण करिे के निए र्ह आवश्यक है नक हम व्यक्तिर्नं
की क्षमता इस सीमा तक नवकनसत करें , नजससे वह अपिा पेशा र्ा कार्य का चुिाव स्वर्ं कर सके।
22. आपके िगर के िगर पानिका अध्यक्ष कन आपके बािय की निर्नमत साि-सिाई ि हनिे के सं बंर् में नशकार्ती पि
निक्तखए। (4)
अथर्ा
अपिे मामा जी कन गााँ व से वापस आिे पर गााँ व की अपिी मर्ु र स्मृनतर्नं के बारे में एक पि निक्तखए।
23. निम्ननिक्तखत में से नकसी एक नवषर् पर रुपरे खा सनहत सारगनभयत निबंर् निक्तखए – (4)