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परीक्षा पू र्व अभ्यास प्रश्न पत्र (2023-24)

कक्षा – 12 (सेट अ )
वर्षय - विन्दी

समय – 3 घं टा पू र्ाांक – 80

विर्दे श :-

i. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं |


ii. प्रत्येक प्रश्न के निए आवं नित अंक उसके सम्मुख अंनकत है |
iii. प्रश्न क्रमां क 1 से 5 तक 32 वस्तु निष्ठ प्रश्न हैं | प्रत्येक उप-प्रश्न पर 1 अंक निर्ाय ररत हैं |
iv. प्रश्न क्रमां क 6 से 15 तक कुि 10 प्रश्न हैं | प्रत्येक प्रश्न पर 2 अंक निर्ाय ररत हैं | शब्द सीमा िगभग 30 शब्द हैं |
v. प्रश्न क्रमां क 16 से 19 तक कुि 4 प्रश्न हैं | प्रत्येक प्रश्न पर 3 अंक निर्ाय ररत हैं | शब्द सीमा िगभग 75 शब्द हैं |
vi. प्रश्न क्रमां क 20 से 23 तक कुि 4 प्रश्न हैं | प्रत्येक प्रश्न पर 4 अंक निर्ाय ररत हैं | शब्द सीमा िगभग 120 शब्द हैं |
vii. प्रश्न क्रमां क 6 से 23 तक सभी प्रश्ननं के आं तररक नवकल्प निए गए हैं |
viii. यि प्रश्न पत्र अभ्यास मात्र के विए िै l यि आर्श्यक ििी ं वक र्ावषवक परीक्षा में इसी तरि के
अथर्ा यिी प्रश्न पू छे जाएँ l

1. सिी वर्कल्प का चयि कर विखिए - (1x6=6)


i. निराक गनरखपुरी के अिुसार घुििनं में िेकर मााँ बच्चे कन क्या करती है ?
(अ) िहिाती है (ब) बाि में कंघी करती है
(स) कपड़े पहिाती है (ि) प्यार से िे खती है

ii. कौि-सा रस हमारे मि में उत्साह का सं चार करता है ?


(अ) वीर ( ब) शां त
(स) हास्य (ि) रौद्र

iii. ‘भक्तिि ‘ पाठ के रचिाकार हैं -


(अ) मीराबाई (ब) महािे वी वमाय
(स) सु भद्रा कुमारी चौहाि (ि) जर्शंकर प्रसाि

iv. ‘अपिे मरे नबिा स्वगय िही ं निखता’ का अर्य है -


(अ) स्वर्ं प्रर्त्न करिे पर ही काम बिता है (ब) नवपनि में पड़े नबिा अच्छा िि िही ं नमिता
(स) प्रर्त्न नकए नबिा वास्तनवकता सामिे िही ं आती (ि) स्वर्ं ही सब कार्य करिा पड़ता है

v. मराठी भाषा में निखी ‘जूझ’ कहािी का नहन्दी अिुवाि नकसिे नकर्ा है ?
(अ) मिनहर श्याम जनशी िे (ब ) ओम र्ािवी िे
(स ) केशव प्रर्म वीर िे (ि ) ऐि फ्रैंक िे

vi रे निर्न िािक में निम्न में से क्या अनिवार्य है ?


(अ) अनभिर् (ब ) दृश्य
(स ) सं वाि (ि ) गीत

2. ररक्त स्थाि ं की पूवतव कर विखिए – (1x6=6)

i. िीपा हुआ चौका अभी ……………..पड़ा है । (गीिा/िीिा)


ii. नजि छं िनं में वर्णों की गर्णिा की जाती है वे -------छं ि कहिाते हैं । (वनर्णय क / मानिक / अिंकार)
iii. ‘पहिवाि की ढनिक’ पाठ की नवर्ा ................. है । (कहािी/व्यं ग्य)
iv. ‘हाििार साहब’ अब भी िही समझ पाए‘ वाक्य में 'भी' ----------- शब्द है । ( निपात /र्ौनगक )
v. िेखक आिंि र्ािव की मां र्ू प में........... र्ाप रही र्ी। (कंिे /ईंि)
vi. मुद्रर्ण की शुरुआत...............में हुई। (चीि/जमयिी)

3. विम्नविखित कथि ं के समक्ष सत्य या असत्य विखिए- (1x6=6)


i. ‘मर्ु शािा’ बच्चि की प्रनसद्ध कृनत है ।
ii. सं िेह अिंकार के प्रर्नग से अंत तक सं शर् बिा रहता है ।
iii. िुट्टि बचपि में गार् चराता र्ा।
iv. ‘कािा अक्षर भैं स बराबर’ का अर्य साक्षर हनिा है ।
v. 'जूझ' कहािी गनिाि उपन्यास का अंश है ।
vi. कहािी का िाट्य रूपान्तरर्ण असं भव है ।

4. सिी ज ड़ी का वमिाि कर विखिए – (1x7 =7)

स्तम्भ (अ) स्तम्भ (ब)

i शं गार काि (क) बड़ा बौद्ध स्तू प


ii बािि राग (ख) रीनतकाि
iii वर्णय के बनििे में िगा समर् (ग) मार्का
iv िैहर (घ) पल्लवि
v भाव- नवस्तार (ि.) कर्ािक
vi सबसे ऊाँचा चबू तरा (च) र्नत
vii कहािी का केन्द्रीर् नबन्िु (छ ) निरािा
(ज) मािा
(झ ) िागाजुयि

5. विम्नविखित प्रश्न ं के उत्तर एक-एक र्ाक्य में विखिए – (1x7 =7)

i. िू रिशयि वािे कैमरे के सामिे बै ठे अपानहज से बार-बार प्रश्न क्यनं पूछते हैं ?
ii. नवस्तृ त किेवर वािे काव्य कन क्या कहते हैं ?
iii. ‘शेर के बच्चे’ का असि िाम क्या र्ा?
iv. अिासि का क्या अर्य है ?
v. ‘तकिीकी’ शब्द अंग्रेजी के नकस शब्द का नहं िी पर्ाय र् है ?
vi. रनजी-रनिी की तिाश में आए र्शनर्र पंत कन नकसिे शरर्ण िी?
vii. िे ि िाइि नकसे कहते हैं ?

6. कनव हररवं श रार् बच्चि कन र्ह वास्तनवक सं सार क्यनं अच्छा िही ं िगता ? (2)
अथर्ा
निशाओं कन मृिंग की तरह बजािे से क्या तात्पर्य है ?

7. िई कनवता के िन कनव एवं उिकी एक-एक रचिा का िाम निक्तखए। (2)

अथर्ा

प्रगनतवाि के िन कनवर्नं एवं उिकी एक –एक रचिा का िाम निक्तखए।

8. ओज गु र्ण का एक उिाहरर्ण निक्तखए। (2)


अथर्ा
नबम्ब नकतिे प्रकार के हनते हैं ?
9. नवरनर्ाभास अिंकार की पररभाषा उिाहरर्ण सनहत निक्तखए। (2)
अथर्ा
सनरठा छं ि में नकतिी मािाएाँ हनती हैं ?उिाहरर्ण सनहत निक्तखए।

10. निबं र् नकसे कहते है ? नकन्ी ं िन निबं र्कारनं एवं उिके िन-िन निबं र्नं के िाम निक्तखए| (2)
अथर्ा
गद्य की नवर्ाओं कन प्रमुख एवं गौर्ण नवर्ाओं में वगीकृत करके निक्तखए l

11. िेखक जै िेन्द्र कुमार के अिुसार ‘बाजारूपि’ से क्या तात्पर्य है ? (2)


अथर्ा
नशरीष कन कािजर्ी अवर्ू त क्यनं कहा गर्ा है ?
12. अर्य के आर्ार पर वाक्य के प्रकार निक्तखए । (2)
अथर्ा
राजभाषा नकसे कहते हैं ? नकन्ी ं िन राज्य की राजभाषा निक्तखए।

13. निम्ननिक्तखत वाक्यनं कन नििे शािुसार पररवतय ि कर निक्तखए - (2)


i वह भाग्यवाि स्त्री िही ं है । ( नवनर्सू चक वाक्य )

ii नशक्षक के कक्षा में आते ही छाि खड़े हन गए l ( सं र्ुि वाक्य )

अथर्ा

िनकनक्ति नकसे कहते हैं ? उिाहरर्ण सनहत निक्तखए ।

14. र्शनर्र बाबू के चररि की कनई िन नवशेषताएाँ निक्तखए। (2)

अथर्ा

'जूझ' कहािी के आर्ार पर आपकन कौि-कौि से जीवि मूल्य ग्रहर्ण करिे की प्रेरर्णा नमिती है ?निक्तखए l

15. कहािी िेखि के कनई िन उद्दे श्य निक्तखए l (2)

अथर्ा

नप्रंि माध्यम की प्रमुख नवशेषताएाँ निक्तखए।

16 . रघुवीर सहार् अथर्ा हररवंशरार् बच्चि की काव्यगत नवशेषताएाँ निम्ननिक्तखत नबन्िु ओं के आर्ार पर निक्तखए- (3 )

i. िन रचिाएाँ ii. भावपक्ष iii. किापक्ष

17. हजारीप्रसाि निवे िी अथर्ा र्मयवीर भारती की सानहक्तत्यक नवशेषताएाँ निम्ननिक्तखत नबन्िु ओं के आर्ार पर निक्तखए -(3 )

i. िन रचिाएाँ ii. भाषा-शैिी iii. सानहत्य में स्र्ाि

18. सार-सं क्षेपर्ण की तीि नवशेषताएाँ निक्तखए l (3 )

अथर्ा

सं गीत कक्षा में प्रवे श हे तु एक नवज्ञापि बिाकर निक्तखए ।

19. निम्ननिक्तखत अपनठत गद्यां श अर्वा काव्यां श कन पढकर िीचे निखे प्रश्ननं के उिर निक्तखए- (3 )

प्रकृनत और मिुष्य का सं बंर् ऐनतहानसक दृनि से कािी बाि में शुरू हुआ , क्यनंनक प्रकृनत पहिे से र्ी, मिुष्य बाि में आर्ा।
िेनकि अपिे नवकास के क्रम में मिुष्य िे शीघ्र ही प्रकृनत पर अपिी इच्छा आरननपत करिी चाही। और तब से , सं घषय और
स्वीकृनत का एक िनमहषयक िािक मिुष्य और प्रकृनत के बीच चिा आ रहा है । आज भी मिुष्य प्रकृनत का ही पुि है । जन्म ,
जीवि, र्ौवि, जरा, मरर्ण आनि अपिी अिेक क्तस्र्नतर्नं में वह आज भी प्राकृनतक निर्मनं से मुि िही ं हन सका है ।इसके
बावजूि निरं तर उसकी चेिा र्ही रही है नक वह ज्ञाि-नवज्ञाि की अपिी सामूनहक उद्यमशीिता के बि पर प्रकृनत कन पूर्णयतः
अपिे वश में कर िे। र्ह इनतहास मिुष्य की नवजर् और प्रगनत का इनतहास है । र्ा उसकी पराजर् और िु गय नत का, इसे वह
स्वर्ं भी ठीक-ठीक िही ं समझ सका है । पर नजसे हम मिुष्य की जर्गार्ा कहकर पुिनकत हन रहे हैं , वह असि में मिुष्य
की पराजर् और उसके आत्महिि की गार्ा है ।

प्रश्न

1. उपर्ुय ि गद्यां श का शीषयक निक्तखए।


2. मिुष्य क्या ठीक-ठीक िही ं समझ सका है ?
3. नवकास के क्रम में मिुष्य िे क्या और नकस पर आरननपत कर रखा है ?
अथर्ा

र्द्यनप सिा परमार्य ही में स्वार्य र्े हम मािते ,


पर कमय से िि-कामिा करिा ि हम र्े जािते ।
नवख्यात जीवि-व्रत हमारा िनक-नहत एकान्त र्ा,
'आत्मा अमर है , िे ह िश्वर,' र्ह अिि नसद्धान्त र्ा ।।
प्रश्न

1. उपर्ुय ि गद्यां श का शीषयक निक्तखए।


2. अतीत में हमारा अिि नसद्धां त क्या र्ा ?
3. ‘िश्वर’ शब्द का नविनम शब्द निक्तखए।

20. . निम्ननिक्तखत काव्यां श का सं िभय -प्रसं ग सनहत भावार्य निक्तखए - (4)

र्ू त कहौ, अवर्ू त कहौ, रजपूतु कहौ, जनिहा कहौ कनऊ।


काहू की बे िी सनं बे िा ि ब्याहब , काहूकी जानत नबगार ि सनऊ।
तु िसी सरिाम गु िामु है राम कन, जाकन रुचै सन कहै कछु ओऊ।
मााँ गी कै खैबन, मसीत कन सनइबन, िैबनकन एकु ि िै बकन िनऊ।‘
अथर्ा
उसे पािे की कननशश में
भाषा कन उििा पििा
तनड़ा मरनड़ा
घुमार्ा निरार्ा नक बात र्ा तन बिे
र्ा निर भाषा से बाहर आए –
िेनकि इससे भाषा के सार् सार्
बात और भी पेचीिा हनती चिी गई l

21. निम्ननिक्तखत गद्यां श की सं िभय –प्रसं ग एवं नवशेष सनहत व्याख्या निक्तखए – (4)

र्हााँ मुझे ज्ञात हनता है नक बाजार कन सार्यकता भी वही मिुष्य िे ता है जन जािता है नक वह क्या चाहता है । और
जन िही ं जािते नक वे क्या चाहते हैं , अपिी 'पचेनजंग पावर' के गवय में अपिे पैसे से केवि एक नविाशक शक्ति-शैतािी
शक्ति, व्यं ग्य की शक्ति ही बाजार कन िे ते हैं । ि तन वे बाजार से िाभ उठा सकते हैं ि उस बाजार कन सच्चा िाभ िे सकते
हैं । वे िनग बाजार का बाजारूपि बढाते हैं । नजसका मतिब है नक कपि बढाते हैं । कपि की बढती का अर्य परस्पर में
सद्भाव घिी ।

अथर्ा

जानत प्रर्ा कन र्नि श्रम नवभाजि माि निर्ा जाए, तन र्ह स्वाभानवक नवभाजि िही ं है , क्यनंनक र्ह मिुष्य की रुनच
पर आर्ाररत िही ं है । कुशि व्यक्ति र्ा सक्षम-श्रनमक-समाज का निमाय र्ण करिे के निए र्ह आवश्यक है नक हम व्यक्तिर्नं
की क्षमता इस सीमा तक नवकनसत करें , नजससे वह अपिा पेशा र्ा कार्य का चुिाव स्वर्ं कर सके।

22. आपके िगर के िगर पानिका अध्यक्ष कन आपके बािय की निर्नमत साि-सिाई ि हनिे के सं बंर् में नशकार्ती पि
निक्तखए। (4)

अथर्ा

अपिे मामा जी कन गााँ व से वापस आिे पर गााँ व की अपिी मर्ु र स्मृनतर्नं के बारे में एक पि निक्तखए।

23. निम्ननिक्तखत में से नकसी एक नवषर् पर रुपरे खा सनहत सारगनभयत निबंर् निक्तखए – (4)

i. नवज्ञाि की ओर भारत के बढते किम


ii. स्वास्थ्य का महत्त्व
iii. सानहत्य और समाज
iv. चााँि पर भारत के किम
v. मे री पसंि की पुस्तक
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