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दण्डासन - विकिपीडिया
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दण्डासन को सामान्य
दण्डासन की विधि
किसी साफ-स्वच्छ, शुद्ध वातावरण व हवादार स्थान
पर कं बल आदि बिछा लें। इस आसन के लिए पहले पेट
के बल लेट जाएं। अपने दोनों पैरों को मिलाकर व
तानकर रखें। इसके बाद अपने दोनों हाथों के बीच
थोड़ी दूरी रखते हुए छाती के बिल्कु ल सीध में हाथ को
कोहनियों से मोड़कर रखें। अब पूरे शरीर को तानते हुए
धीरे-धीरे सांस अन्दर खींचे और पंजों पर शरीर का भार
देते हुए दोनों हाथों के सहारे शरीर को तब तक ऊपर
उठाएं जब तक दोनों हाथ बिल्कु ल सीधा न हो जाएं।
फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे शरीर को नीचे फर्श से
थोड़ा ऊपर रखें और पुन: श्वास लेकर शरीर को ऊपर
ले जाएं। इस प्रकार से श्वास लेकर ऊपर और श्वास
छोड़ते हुए नीचे आते हुए इस क्रिया को कई बार करें।
इस आसन के अंत में सांस को छोड़कर आराम करें।
दण्डासन के लाभ
इस आसन के अभ्यास से बाएं कन्धें तथा छाती के
स्नायुओं का विकास होता है। यह आसन हाथ-पैरों को
सख्त तथा छाती को चौड़ी व मजबूत बनाता है। यह
पंजों व हथेलियों को मजबूत करता है। इससे सांस लेने
की शक्ति बढ़ती है तथा कं ठ फू लता है और शरीर के
सभी अंग पुष्ट होते हैं। इस आसन से हाथों, कं धों तथा
छाती के स्नायुओं का विकास होता है। यह हाथ-पैरों
को शक्तिशाली तथा छाती को चौड़ी व मजबूत बनाता
है। यह पंजों व हथेलियों को मजबूत करता है। इससे
सांस लेने की शक्ति बढ़ती है तथा कण्ठ फू लता है तथा
शरीर के सभी अंग पुष्ट होते हैं। यह आसन उन लोगों
के लिए काफी फायदेमंद है जिन्हें पहलवानी पसंद है
और जो पहलवानों जैसा शरीर बनाना चाहते हैं।
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