Class12 हिंदी 11. भक्तिन

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सीबीएसई क ा - 12 िहंदी कोर आरोह

पाठ – 11
भि न

पाठ के सार - पाठ का सारांश- भि न जसका वा तिवक नाम ल मी था, ले खका ‘महादेवी वमा’ क सेिवका है| बचपन म ही
भि न क माँ क मृ यु हो गयी। सौतेली माँ ने पाँच वष क आयु म िववाह तथा नौ वष क आयु म गौना कर भि न को ससुराल भेज
िदया। ससुराल म भि न ने तीन बेिटय को ज म िदया, जस कारण उसे सास और जठािनय क उपे ा सहनी पड़ती थी| सास
और जठािनयाँ आराम फरमाती थी और भि न तथा उसक न ह बेिटय को घर और खेत का सारा काम करना पड़ता था।
भि न का पित उसे बहत चाहता था। अपने पित के नेह के बल पर भि न ने ससुराल वाल से समझौता कर अपना अलग घर
बसा लया और सुख से रहने लगी, पर भि न का दभ
ु ा य, अ पायु म ही उसके पित क मृ यु हो गई। ससुराल वाले भि न क
दस
ू री शादी कर उसे घर से िनकालकर उसक संप हड़पने क सा जश करने लगे। ऐसी प र थित म भि न ने अपने केश मुंडा
लए और सं या सन बन गई। भि न वािभमानी, संघषशील, कमठ और ढ़ संक प वाली ी है जो िपतृस ा मक मा यताओं
और छल-कपट से भरे समाज म अपने और अपनी बेिटय के हक क लड़ाई लड़ती है। घर गृह थी सँभालने के लए अपनी बड़ी
बेटी दामाद को बुला लया पर दभ
ु ा य ने यहाँ भी भि न का पीछा नह छोड़ा, अचानक उसके दामाद क भी मृ यु हो गयी। भि न के
जेठ- जठौत ने सा जश रचकर भि न क िवधवा बेटी का िववाह जबरद ती अपने तीतरबाज साले से कर िदया। पंचायत ारा
कराया गया यह संबध
ं दख
ु दायी रहा। दोन माँ-बेटी का मन घर-गृह थी से उचट गया, िनधनता आ गयी, लगान न चुका पाने के
कारण जम दार ने भि न को िदन भर धूप म खड़ा रखा। अपमािनत भि न पैसा कमाने के लए गाँव छोड़कर शहर आ जाती है और
महादेवी क सेिवका बन जाती है। भि न के मन म महादेवी के ित बहत आदर, समपण और अिभभावक के समान अ धकार भाव
है। वह छाया के समान महादेवी के साथ रहती है। वह रात-रात भर जागकर िच कारी या लेखन जैसे काय म य त अपनी मालिकन
क सेवा का अवसर ढू ँढ लेती है। महादेवी, भि न को नह बदल पायी पर भि न ने महादेवी को बदल िदया|| भि न के हाथ का
मोटा-देहाती खाना खाते-खाते महादेवी का वाद बदल गया, भि न ने महादेवी को देहात के िक से-कहािनयाँ, िकंवदंितयाँ कंठ थ
करा दी। वभाव से महाकंजूस होने पर भी भि न, पाई-पाई कर जोड़ी हई रािश को सहष महादेवी को समिपत करने को तैयार हो
जाती है। जेल के नाम से थर-थर काँपने वाली भि न अपनी मालिकन के साथ जेल जाने के लए बड़े लाट साहब तक से लड़ने को
भी तैयार हो जाती है। भि न, महादेवी के जीवन पर छा जाने वाली एक ऐसी सेिवका है जसे ले खका नह खोना चाहती।

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