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रसायन शास्त्र : पररचय

रसायन शास्त्र (Chemistry)


विज्ञान की िह विसके अतं र्गत पदार्ग के र्णु , सर्ं ठन, सरं चना एिं उनमें होने िाले पररितगनों का अध्ययन वकया
िाता है। रसायन शास्त्र की उत्पवि वमस्र में हुई। वमश्र के वमट्टी का रंर् काला होने के कारण इनका नाम के वमस्ट्री
पड़ा। काली वमट्टी को िहां के लोर् के मी या के वमया कहते र्े। प्राचीन काल में रसायन विज्ञान को में रसायन को
कै मी टेवकंर् कहा िाता र्ा। रसायन शास्त्र का िनक Lavoisier को माना िाता है। कार्गवनक रसायन
शास्त्र ( Chemisty ) का िनक Friedrich Wöhler को माना िाता है।
रसायन विज्ञान के मुख्यत: तीन शाखाएं हैं –
1. अकार्गवनक (Inorganic) - अकार्गवनक रसायन शास्त्र के अंतर्गत सभी तत्िों एिं उनके यौवर्कों का
अध्ययन वकया िाता है।
2. कार्गवनक (Organic) - कार्गवनक रसायन के अंतर्गत वसर्ग कार्गन के यौवर्कों का अध्ययन वकया िाता
है।
3. भौवतक रसायन शास्त्र (Physical chemistry) - भौवतक रसायन के अंतर्गत रासायवनक
अवभवियाओ ं के वनयम और उनके वसद्ांतों का अध्ययन वकया िाता है।
रसायन विज्ञान के िैज्ञावनक के नाम और खोज , Chemistry Inventions

खोि खोिकताग

1. र्ोरॉन र्ैलसु ाक, र्ेनार्ग

2. नाइरोिन रदरर्ोर्ग

3. ऑक्सीिन शीले और प्रीस्ट्टले

4. फ्लोरीन एच. म्िायसन

5. सोवर्यम र्ेिी

6. मैग्नीवशयम िे. ब्लैंक/र्ेिी

7. ऐलवु मवनयम आस्ट्टेर्

8. इलेक्रॉन िे. िे. र्ॉमसन

9. न्यरू ॉन िेम्स चैर्विक

10. पॉविरॉन कालग एण्र्रसन

11. प्रोटॉन र्ोल्र्स्ट्टीन

12. हाइड्रोिन एच. कै िेवण्र्स

13. हीवलयम लोके यर

14. लीवर्यम ए. अर्े र्सन

15. र्ॉस्ट्र्ोरस एच व्रैण्र्


16. क्लोरीन सी.र्ब्ल्य.ू शीले

17. ऑर्गन रै मिे और रै ले

18. पोटैवशयम र्ेिी

19. कै वल्शयम र्ेिी

20. मैंर्नीि िे.िी. िान

21. वनवकल एर्. िांसटेर््ट

22. विक
ं ए.एस. मारग्रार्

23. िमेवनयम सी.ए. विन्कलर

24. रूवर्वर्यम र्नु सेन एिं वकरचॉर्

25. मॉवलब्र्ेनम पी.िे. िेम

26. पैलेवर्यम िोलेस्ट्टोन

27. आयोर्ीन िी.कोटागइि

28. टंग्सटन िे.एिं एर्. एल्यअ


ू र

29. प्लैवटनम ए.र्ी. ओलाि

30. पोलोवनयम मैर्म क्यरू ी

31. रे वर्यम पीयरे क्यरू ी,मैर्म क्यरू ी

32. यरू े वनयम क्लैप्रोर्


33. नावभक रदरर्ोर्ग

34. मेसॉन यक
ु ािा

35. सह-संयोिकता लईु स

36. िैद्यतु संयोिकता कोसेल

37. उत्प्रेरण र्िीवलयस

38. PH मापिम सारे न्सन

39. समस्ट्र्ावनक सॉर्ी

40. भारी िल यरू े

41. परमाणु िमांक मोसले

42. आधवु नक आितग सारणी मोसले

43. विक वनयम र्ोर्रीवनयर

44. क्िाण्टम वसद्ातं मैक्स प्लांक

45. अपििगन वसद्ांत पाउली

46. तरंर् यांविकी वसद्ांत र्ी ब्रोग्ली

47. िवमक रचना वनयम अर्र्ाऊ

48. कृ विम रे वर्यो सवियता िवू लयट

49. िर्ग विस्ट्र्ापन वनयम सॉर्ी ि र्े िेन्स


50. द्रव्यमान संरक्षण का वनयम लैिोवियर

51. र्वु णत अनपु ात का वनयम र्ाल्टन

52. सापेवक्षकता का वसद्ांत आइन्सटीन

53. द्रव्यमान ऊिाग समीकरण आइन्सटीन

54. र्ैसों का विसरण वनयम ग्राह्म

55. चाल्सग का वनयम चाल्सग

56. तनतु ा वनयम ओस्ट्टिाल्र्

57. विद्यतु अपघटन का वनयम र्ै रार्े

58. आितग सारणी वर्वमरी मैण्लीर्

59. अष्टक वनयम न्यल


ू ैण्र््स

60. परमाणु वसद्ांत िॉन र्ाल्टन

61. र्ोर वसद्ातं नील्स र्ोर

62. अवधकतम र्हुलता वसद्ांत हुण्र््स

63. अवनवितता वनयम हाइिेनर्र्ग

64. रे वर्यो सवियता हेनरी र्ेक्िेरेल

65. वस्ट्र्र अनपु ात का वनयम प्राउट

66. व्यत्ु िम अनपु ात का वनयम ररचर


67. प्रकाश विद्यतु प्रभाि आइन्टीन

68. एिोर्ार्ो की पररकल्पना एिोर्ार्ो

69. र्ॉयल का वनयम रॉर्टग र्ॉयल

70. आंवशक दार् का वनयम र्ॉल्टन

71. परासरण दार् का वनयम िकग ले

र्ाल्टन के अनसु ार, पदार्ग का सक्ष्ू मतम कण परमाणु होता है विसे खंवर्त नहीं वकया िा सकता | लेवकन उनके
ू ा है वक परमाणु कई प्रकार के अवतसक्ष्ू म कणों के संयोर् से र्ने होते हैं , विनके
प्रयोर्ों द्वारा प्रमावणत हो चक
इलेक्रॉन, प्रोरॉन, और न्यरू ॉन प्रमख ु है | इन तीनों कणों को परमाणु के मौवलक कण ( fundamental
particles ) कहते हैं |

कै थोड ककरणें और इलेक्ट्रॉन – कााँच की एक नली ( Descharge tube ) में वकसी र्ैस को लेकर
अत्यंत कम दार् ( 0.01 mm Hg ) तर्ा उच्च विभिांतर ( 10, 000 V ) पर विधतु – धारा प्रिावहत
करने पर विसर्ग नली के कै र्ोर् से एक प्रकार की वकरणें वनकलती है िो सीधी रे खा में र्मन करते हुए सामने की
दीिार पर पड़ती है | इन वकरणों का नाम कै र्ोर् वकरण रखा र्या है |

कै थोड ककरणों के गुण –


1. ये वकरणें कै र्ोर् से वनकलकर अवततीव्र िेर् से सीधी रे खा में र्मन करती है |
2. इनके मार्ग में अपारदशगक िस्ट्तु के रखने पर िस्ट्तु की छाया कै र्ोर् के दसू री तरर् र्नती है |
इससे प्रमावणत होती है की ये वकरणें सीधी रे खाओ ं में चलती है |

3. इन वकरणों के मार्ग में हल्का पाद – चि ( Paddle wheel ) रखने पर यह अपनी धरु ी

पर नाचने लर्ती है |
4. िैधतु या चंर्ु कीय क्षेि के प्रभाि से ये वकरणें विचवलत होती है इनके विचलन की वदशा से ज्ञात
होता है वक ये ॠण आिेवशत है |

विसर्ग नली में वभन्न – वभन्न र्ैसों तर्ा वभन्न – वभन्न धातओ ु ं के कै र्ोर्ो का प्रयोर् करने पर पता
चलता है वक हर हालत में एक ही प्रकार के कण वनकलते हैं | अत: ॠण आिेवशत ये कण प्रत्येक तत्ि के प्रत्येक
परमाणु के मौवलक अियि ( Fundamental Constituents ) है | टॉमसन ( Thomson )
ने इन कणों के आिेश ( e ) और द्रव्यमान ( m ) का अनपु ात ( e/m ) प्रयोर्ों द्वारा ज्ञात वकया | इन्होंने
विवभन्न विसर्ग नावलयों का उपयोर् वकया, विवभन्न धातओ ु ं के इलेक्रोर्ो की काम में लाया तर्ा विसर्ग नवल मे
विवभन्न र्ैसों का प्रयोर् वकया | हर हालत में e/m का मान ( 1.76 x 108 ) कूलॉम/ ग्राम ही पाया र्या |
इससे वसद् होता है वक ये कण सभी परमाणुओ ं के मौवलक अियि है | इन्ही कणों का नाम इलेक्रॉन (
electron ) रखा र्या |
इलेक्ट्रॉन की किशेषताएँ –
1. आिेश – इलेक्रॉन ॠण आिेश से यक्त ु कण है िो प्रत्येक तत्ि के परमाणु में अवनिायग रूप से
उपवस्ट्र्त रहता है | इलेक्रॉन के आिेश का मान ( 1.60 x 10-19 ) कूलॉम ( C ) होता
है |
2. द्रव्यमान – e/m और e के मानों ( values ) से इलेक्रॉन का द्रव्यमान ( m ) ज्ञात
वकया िाता है |
टॉमसन – प्रयोर् से, e/m = 1.76 x 108 C/g
वमवलकन – प्रयोर् से, e = 1.60 x 10-19 C

= 9.11 x 10-28 g
= 9.11 x 10-31 kg
ऐनोड ककरणें और प्रोटॉन – यवद विसर्ग नली के कै र्ोर् में र्ारीक़ वछद्र कर वदया िाए और वनम्न दार् (
0.01 mm ) तर्ा अवधक विभिांतर ( 10, 000 V ) पर विधतु – धारा प्रिावहत की िाए तो कुछ विशेष
प्रकार की वकरणें ऐनोर् वकरण ( anode ray ) कहते हैं | चाँवू क ये वकरणें धन आिेश ये यक्त
ु होती है, अत:
इन्हें धन वकरणें ( Positive rays ) भी कहते हैं |

ऐनोड या धन ककरणों के गण ु –
1. ऐनोर् वकरणें सीधी रे खा में, परंतु कै र्ोर् वकरणों की विपरीत वदशा में र्मन करती हे | इसके
मार्ग में अपारदशगक िस्ट्तु के रखने पर िस्ट्तु की छाया र्नती है |
2. ऐनोर् वकरणों के मार्ग में हल्का पाद-चि ( Paddle-wheel ) रखने पर यह अपने धरु ी
पर नाचने लर्ता है |
3. इन वकरणों की प्रकृ वत विसर्ग नली में प्रयक्तु र्ैस की प्रकृ वत पर वनभगर करती है | विवभन्न र्ैसों के
वलए आिेश ( e ) और द्रव्यमान ( m ) का अनपु ात वभन्न – वभन्न होता है | विसर्ग नली में
हाइड्रोिन र्ैस का प्रयोर् करने पर इस अनपु ात e/m का मान अवधकतम होता है | हाइड्रोिन
से प्राप्त धन वकरणें एक ही प्रकार के धनात्मक कणों की र्नी होती है | इन्ही कणों को प्रोटॉन (
Protons ) कहते हैं |
H → H+ ( प्रोटॉन )
प्रोटॉन के गुण
1. आिेश -प्रोटॉन एक धन आिेश से यक्त ु कण है | इसका आिेश इलेक्रॉन के आिेश के
र्रार्र, वकंतु विपरीत वचन्ह िाला होता है | इसके आिेश का पररमाप 1.602 x 10-
19 C होता है | इस आिेश को इकाई धन आिेश + 1 कहते हैं |

2. द्रव्यमान – प्रोटॉन इलेक्रॉन से लर्भर् 1838 र्णु ा भारी होता है | प्रोटॉन पर द्रव्यमान H
परमाणु के द्रव्यमान के लर्भर् र्रार्र होता है | इसका सापेक्ष द्रव्यमान = 1.005757 =
1 amu होता है | इसका वनरपेक्ष द्रव्यमान = 1.67 x 10-24 g होता है |
टॉमसन का परमाणु मॉडल ( Thomson Model of the Atom ) – िे िे टॉमसन ( Sir J
J Thomson ) ने 1883 में सिगप्रर्म परमाणु का एक मॉर्ल प्रस्ट्ततु वकया िो एक तरर्िू की तरह र्ा |
इसके अनसु ार परमाणु में धन आिेश तरर्िू की तरह र्ा | इसके अनसु ार परमाणु में धन आिेश तरर्िू के
खानेिाले लाल भार् की तरह वर्खरा है िर्वक इलेक्रॉन धनािेवशत र्ोले में |

सर जे जे टॉमसन के अनुसार,
1. परमाणु एकड़ धन आिेवशत र्ोलकार वपंर् होता है | विनमें इलेक्रॉन धॅसे रहते हैं |
2. ॠणात्मक और धनात्मक आिेश पररमाण में समान होते हैं | इसवलए परमाणु िैधतु ीय रूप से
उदासीन होते हैं |
रदरफोडड का परमाणु मॉडल ( Rutherford model of the Atom ) – रदरर्ोर्ग
ने इलेक्रॉन परमाणु के भीतर वकस प्रकार से व्यिवस्ट्र्त है यह िानने के वलए 1911 में एक प्रयोर् वकया इस
प्रयोर् के अंतर्गत रे वर्योसविय पदार्ग रे वर्यम द्वारा तीव्र र्वत से वनकले α – कोणों का सोने के पिर पर प्रहार
कराया र्या |
इस प्रयोग से रदरफोडड को कनम्नकलकित सच
ू नाएँ कमली –
1. अवधकांश α- कण अपने मार्ग से वर्ना विचवलत हुए स्ट्िणग पतर को पार करके सीधे वनकल
िाते हैं |
2. कुछ α – कण अपने मार्ग से र्ोड़ा विचवलत हो िाते हैं |
3. र्हुत ही कम α – कण ( 1,00,000 में से एक कण ) टकराकर अपने मार्ग पर पनु : िापस
आ िाते हैं |
4.
इस प्रयोग से रदरफोडड ने कनम्नाांककत कनष्कषड कनकाले –
1. परमाणु से अवधकतर स्ट्र्ान ररक्त है | विसके कारण अवधकतर α- कण उसमें से सीधे वनकल
िताए हैं |
2. धन आिेवशत α- कणों का सभी वदशाओ ं में विचवलत होना यह दशागता है की परमाणु के मध्य
स्ट्र्ान पर कोई समान आिेश ( धन आिेश ) उपवस्ट्र्त है |
3. चाँवू क स्ट्िणग – पिर से टकराकर िापस लौटनेिाले α- कणों की संख्या र्हुत कम होती है, अत:
परमाणु के अदं र उपवस्ट्र्त धन आिेवशत िस्ट्तु का आयतन अत्यतं ही कम होता है |
रदरफोडड ने परमाणु का नाकिकीय मॉडल के अनुसार,
1. परमाणु का संपणू ग द्रव्यमान उसके नावभक में होता है |
2. परमाणु के अदं र अवधकाश ं स्ट्र्ान ररक्त ( empty ) होते हैं |
3. परमाणु में ॠण आिेवशत इलेक्रॉनों और धन आिेवशत प्रोटॉनों की संख्याएाँ समान होने के
कारण परमाणु विधतु : उदासीन होता है |
4. नावभक का आयतन परमाणु के आयतन की तल ु ना में कार्ी कम होता है |
5. इलेक्रॉन नावभक के चारों ओर िृतीय पर्ों पर चक्कर लर्ाते हैं | इन िृतीय पर्ों को कक्षाएाँ (
ordit ) कहते हैं |
6.
रदरफोडड मॉडल के दोष –
1. रदरर्ोर्ग के अनसु ार, इलेक्रॉन नावभक के चारों ओर चक्कर लर्ाया करते हैं, यह सही नहीं
लर्ता, क्योंवक इस प्रकार का परमाणु कभी स्ट्र्ायी नहीं हो सकता |
2. रदरर्ोर्ग मॉर्ल की कक्षाओ ं में उपवस्ट्र्त इलेक्रॉनों की सख्ं या वनवित नहीं की र्ई र्ी |
न्यूरॉन का अकिष्कार – रदरर्ोर्ग ने यह देखा वक हाइड्रोिन को छोड़कर अन्य सभी तत्िों के परमाणु का
द्रव्यमान परमाणु में उपवस्ट्र्त प्रोटॉनों के कुल द्रव्यमान से कम-से-कम दो र्नु ा होता है | इससे रदरर्ोर्ग ने यह
वनष्कषग वनकाला वक परमाणु में अिश्य ही कोई उदासीन ( आिेशहीन ) कण विद्यमान होना चावहए विसका
द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लर्भर् र्रार्र हो |
1932 में सर िेस चैर्विक ( Sir Jemes Chadwick )र्ेररलयम धातु पर α – कणों से
आघात कराकर इन उदासीन कणों का पता लर्ाया इन कणों की िैधतु उदासीनता के कारण इनका नाम न्यरू ॉन (
Nertron ) रखा र्या | इनका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लर्भर् र्रार्र होता है |

न्यूरॉन के गुण –
1. न्यरू ॉन पर कोई आिेश नहीं करता है, अर्ागत् यह एक उदासीन कण है |
2. न्यरू ॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लर्भर् र्रार्र होता है | न्यरू ॉन , प्रोटॉन के सार्
परमाणु के कें द्र-स्ट्र्ान नावभक ( Nucleus ) में उपवस्ट्र्त रहता है | न्यरू ॉन का द्रव्यमान
1.67 x 10-24 g या 1.008 amu ज्ञात वकया र्या है |
बोर का परमाणु मॉडल ( Bohr model of th Atom ) – नील्स र्ोर ने 1913 में परमाणु की
संरचना के संर्ंध में संशोवधत वसद्ांत प्रस्ट्ततु वकया विसे र्ोर का परमाणु मॉर्ल कहा िाता है |
इसके अनसु ार –

1. परमाणु में इलेक्रॉन नावभक के चारों ओर कुछ वनवित ऊिाग िाले िृताकार कक्षाओ ं में घमू ते हैं
|
2. िर् इलेक्रॉनों वकसी वनवित कक्षा में रहकर नावभक के चारों ओर चक्कर लर्ाते है तो उसकी
ऊिाग का ह्रास नहीं होता है |
3. इन कक्षाओ ं को ऊिाग स्ट्तर या ऊिाग शेल कहते हैं |
4. इलेक्रॉन एक कक्षा से दसू रें कक्षा पर कूद सकता है | िर् कोई इलेक्रॉन आंतररक कक्षा से
र्ाहरी कक्षा में कूदता है तो ऊिाग का अिशोषण होता है, वकंतु िर् इलेक्रॉन र्ाहरी कक्षा से
आंतररक कक्षा में कूदता है तो ऊिाग का उत्सिगन होता है |
किकिन्न कक्षाओ ां में इलेक्ट्रॉनों का कितरण – विवभन्न कक्षाओ ं में चक्कर लर्नेिाले इलेक्रॉनों का वितरण
र्ोर-व्यरू ी योिना के अनसु ार होता है |
इसके अनसु ार,

1. वकसी कक्षा में इलेक्रॉनों की अवधकतर संख्या को सिू 2n2 से प्राप्त वकया िाता है िहााँ n
कक्षा की संख्या है |
अत: प्रर्म ( K ) कक्षा में
इलेक्रॉनों की अवधकतम संख्या = 2 x 12 = 2,
वद्वतीय ( L ) कक्षा में इलेक्रॉनों की अवधकतम संख्या = 2 x 22 = 8,
तृतीय ( M ) कक्षा में इलेक्रॉनों की अवधकतम सख्ं या = 2 x 32 = 18
2. सर्से र्ाहरी कक्षा में इलेक्रॉनों की अवधकतम संख्या 8 हो सकती है |

3. िर् र्ाहरी कक्षा में इलेक्रॉनों की अवधकतम संख्या पणू ग हो िाती है िर् इलेक्रॉन नए कक्षा में प्रिेश
करने लर्ते हैं |
तत्िों की परमाणु सांरचना (Atomic Structure
of Elements )

परमाणु सांख्या ( Atomic Number ) – परमाणु के नावभक में उपवस्ट्र्त प्रोटॉनों की कुल संख्या को
परमाणु संख्या ( Atomic number ) कहते हैं | परमाणु संख्या को Z द्वारा सवू चत वकया िाता है |
इलेक्ट्रॉकनक किन्यास ( Electronic Configuration )– वकसी परमाणु की विवभन्न अक्षाओ ं में
इलेक्रॉन की व्यिस्ट्र्ा को उस परमाणु का इलेक्रॉवनक विन्यास ( Electronic Configuration )
कहते हैं |
कुछ तत्िों के इलेक्ट्रॉकनक किन्यास
कार्गन 2, 4
ऑक्सीिन 2, 6
सोवर्यम 2, 8, 1
ऐलवु मवनयम 2, 8, 3
र्ॉस्ट्र्ोरस 2, 8, 5
क्लोरीन 2, 8, 7
नाइरोिन 2, 5
फ्लोरीन 2, 7
मैग्नीवशयम 2, 8, 2
वसवलकन 2, 8, 4
द्रव्यमान सख्ां या ( Mass Number ) – परमाणु के नावभक में उपवस्ट्र्त प्रोटॉनों की सख्ं या और न्यटू ॉनों
की संख्या के योर्र्ल को उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या ( Mass number ) कहते हैं, अर्ागत्
द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यरू ॉनों की संख्या

= परमाणु संख्या ( Z ) + न्यरू ॉनों की संख्या ( n )

अर्ागत् A = Z + n

या n = A – Z

न्यरू ॉन की सख्ं या = द्रव्यमान सख्ं या ( A ) – परमाणु सख्ं या ( Z )


परमाणु की द्रव्यमान संख्या और परमाणु संख्या को वनम्नांवकत तरीके से व्यक्त वकया िाता है |

परमाणु द्रव्यमान ( Atomic mass ) = प्रोटॉन का द्रव्यमान + न्यरू ॉन का द्रव्यमान + इलेक्रॉन का


द्रव्यमान

= ( प्रोटॉनों की संख्या x 1 प्रोटॉन का द्रव्यमान ) + ( न्यरू ॉनों की संख्या x 1 न्यरू ॉन का द्रव्यमान ) + (


इलेक्रॉनों की संख्या x 1 इलेक्रॉन का द्रव्यमान )

चाँवू क प्रोटॉन का द्रव्यमान =1, न्यरू ॉन का द्रव्यमान = 1 और इलेक्रॉन का द्रव्यमान 0 होता है,

अत: परमाणु द्रव्यमान = ( प्रोटॉनों की संख्या x 1 ) + ( न्यरू ॉनों की संख्या x 1 ) + ( इलेक्रॉनों की संख्या
x0)

द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यरू ॉनों की संख्या

अत: परमाणु द्रव्यमान का मान द्रव्यमान संख्या के लर्भर् र्रार्र होता है |

समस्थाकनक ( Isotops )- एक ही तत्ि के परमाणु विसकी परमाणु संख्याएाँ समान, वकंतु द्रव्यमान संख्याएाँ
वभन्न – वभन्न होती है, समस्ट्र्ावनक कहलाते हैं |
िैसे –
क्ट्लोरीन के समस्थाकनक

हाइड्रोजन के समस्थाकनक
समस्थाकनक के गुण –
1. इलेक्रॉनों की सख्ं या समान होती है |
2. वकसी तत्ि के समस्ट्र्ावनकों के भौवतक र्णु वभन्न – वभन्न होते हैं |
समस्थाकनकों के कुछ उपयोग ( Uses of isotopes ) – सस्ट्ं र्ावनकों के कुछ उपयोर् इम्नावलवखत है
|
1. यरू रवनयम के एक समस्ट्र्ावनक ( U – 235 ) का उपयोर् परमाणु भट्टी ( Atomic
Reactor ) में ईधन ं के रूप में होता है |
2. कैं सर के उपचार में कोर्ाल्ट के समस्ट्र्ावनक ( Co – 60 ) का उपयोर् होता है |
3. घेंघा रोर् के इलाि में आयोर्ीन के समस्ट्र्ावनकों का उपयोर् होता है |
समिाररक ( Isobars ) – िैसे तत्िों को समभाररक कहा िाता है विनका परमाणु द्रव्यमान समान होता है,
वकंतु परमाणु संख्याएाँ वभन्न-वभन्न होती है |िैसे –
आगडन , पोटैकशयम और कै कशशयम के समिाररक
समन्यरू ॉकनक ( Isotones ) – विवभन्न तत्िों के िे परमाणु विनमे न्यरू ॉन की सख्ं या समान होती है वकंतु

द्रव्यमान संख्या तर्ा परमाणु सख्ं या दोनों ही वभन्न होते हैं, समन्यरू ॉवनक कहलाते हैं | िैसे –
सांयोजकता ( Valency ) -वकसी तत्ि का परमाणु वितने इलेक्रॉनों का त्यार्, ग्रहण या साझा करता है,
उतना ही उस तत्ि की संयोिकता होती है |
िैसे तत्ि विनकी र्ाहरी कक्षा में 1 से लेकर 4 इलेक्रॉन होते हैं ⇒ सयं ोिकता = र्ाहरी कक्षा में इलेक्रॉनों की
संख्या

• सभी पदार्ग छोटे-छोटे कणों से वमलकर र्ने हैं |


• पदार्ग के कण इतने छोटे होते है वक हम कल्पना भी नहीं कर सकते है | उदहारण : पोटैवशयम परमैर्नेट
का एक छोटा कण को यवद एक वर्लास पानी में र्ाल वदया िय तो यह परु े वर्लास को रंर्ीन र्ना देता है,
अर्ागत एक छोटा कण वर्लास में पानी के वितने कण है उतने भार्ों में विभावित हो िाता है और सभी
कणों के सार् वमल िाता है, तो आप अंदािा लर्ाइए वक पदार्ग के कण वकतने छोटे होते है |
पदार्ग के कणों की विशेषताएाँ:
(i) पदार्ग के कणों के र्ीच ररक्त स्ट्र्ान होता है |
(ii) पदार्ग के कण वनरन्तर र्वतशील होते है |
(iii) पदार्ग के कण एक दसु रे को आकवषगत करते है |
(i) पदाथड के कणों के बीच ररक्त स्थान होता है : कै से नमक, शकग रा, र्ेटोल या पोटैवशयम परमैर्नेट िैसे
पदार्ग असानी से िल के कणों के र्ीच वमल िाते है ? ऐसा क्यों? ऐसा इसवलए वक पदार्ग के कणों के र्ीच
पयागप्त ररक्त स्ट्र्ान होते है |
(ii) पदाथड के कण कनरन्तर गकतशील होते हैं : पदार्ग के कण वनरन्तर र्वतशील होते हैं, अर्ागत उनमें र्वति
ऊिाग होती है | तापमान र्ढ़ने पर कणों की र्वत तेि हो िाती है, इसवलए हम कह सकते है वक तापमान र्ढ़ने से
कणों की र्वति ऊिाग भी र्ढ़ िाती है |
(iii) पदाथड के कण एक दुसरे को आककषडत करते है : पदार्ग के कणों के र्ीच एक र्ल कायग करता है |
यह र्ल कणों को एक दसु रे से र्ाधं े रखता है | इस आकषगण र्ल का सामर्थयग अलर्-अलर् पदार्ों में अलर्-
अलर् होता है | सर्से अवधक आकषगक र्ल ठोस पदार्ों में होता है और सर्से कम र्ैसों में होता है | यही
कारण है वक र्ैसों के कण कम आकषगक र्ल के कारण र्ै ले रहते है िर्वक ठोस कठोरता से िड़ु े रहते है |
पदाथड की अिस्थाएँ :
पदार्ग की तीन अिस्ट्र्ाएाँ है :
ठोस, द्रव्य और र्ैस
ककसी िी पदाथड के अिस्थाओ ां का बनना :
ठोस, द्रि और र्ैस ये तीनों अिस्ट्र्ाएाँ उसके कणों के विवभन्न विशेषताओ ं के कारण होता है | यवद वितने ही
इनके कणों के र्ीच की दरु ी र्ढ़ेर्ी और आकषगण र्ल कम होर्ा, िे पदार्ग उतनी कम ठोस से द्रि और द्रि से र्ैस
की ओर र्ढ़ता िायेर्ा |
ठोस का गण
ु धमड:
(1) इनका वनवित आकार तर्ा स्ट्पष्ट सीमाएाँ होती है |
(2) वस्ट्र्र आयतन अर्ागत सपं ीर््यता नर्ण्य होती है |
(3) र्ाह्य र्ल लर्ने पर भी ठोस अपने आकार को र्नाये रखता है |
(4) अतं राणक
ु र्ल ठोसों में द्रि तर्ा र्ैस से अवधक होता है |
द्रि के गुणधमड:
(1) द्रि का वनवित आकार नहीं होता है |
(2) इनका आयतन वनवित होता है |
(3) द्रिों में र्हाि होता है और इनका आकार र्दलता रहता है |
(4) इनका अंतराणक
ु र्ल ठोस से कम होता है |
गैस के गण
ु धमड :
(1) ठोसों एिं द्रिों की तल
ु ना में र्ैसों की संपीर््यता (compression) कार्ी अवधक होता है |
(2) इनके कणों के र्ीच अंतराणक
ु र्ल सर्से कम होता है |
(3) र्ैसों को आसानी से दर्ाया िा सकता है |
(4) इनका विसरण कार्ी तीव्रता से होता है |

शद्
ु ” शब्द का अर्ग होता है पदार्ग में कोई वमलािट न हो परन्तु एक िैज्ञावनक भाषा में सभी िस्ट्तएु ाँ शद्
ु नहीं है।

शद्
ु पदार्ग से तात्पयग है वक उस पदार्ग में मौिदू सभी कण समान रासायवनक प्रकृ वत के हो।

या

एक शद्
ु पदार्ग एक ही प्रकार के कणों से वमलकर र्ना होता है ।

पदाथड क्ट्या है?

पदार्ग एक प्रकार का द्रव्य है िो वक भौवतक प्रिमों द्वारा अन्य प्रकार के द्रव्य में पृर्क नहीं वकया िा सकता है।

वमश्रण क्या है- वमश्रण एक पदार्ग है िो दो या अवधक तत्िों अर्िा यौवर्कों का, (रासायवनक रूप से संयक्त
ु हुए
वर्ना) र्ना होता है। उदाहरण-िाय,ु र्ैसों िैसे ऑक्सीिन, नाइरोिन, कार्गन र्ाइ-ऑक्साइर् और िल िाष्प
आवद वमश्रण है।

कमश्रण के प्रकार:
वमश्रण दो प्रकार के होते हैं:
(1) समांर्ी वमश्रण (Homogeneous mixtures)
(2) विषमांर्ी वमश्रण (Heterogeneous mixtures)

1. समां ागी कमश्रण-िे वमश्रण विनमें पदार्ग परस्ट्पर पणू ग रूप से वमवश्रत होते हैं समं ार्ी वमश्रण कहलाते हैं।
उदाहरण-िल में शकग रा का विलयन संमार्ी वमश्रण है।

2. किषमाांगी कमश्रण- िे वमश्रण विसमें पदार्ग पृर्क रहते हैं और एक पदार्ग छोटे कणों के रूप में, दसू रे पदार्ग
में हर िर्ह र्ै ला रहता है, विषमार्ं ी वमश्रण कहलाते हैं।
उदाहरण- शक्कर और र्ालू का वमश्रण, एक विषमांर्ी वमश्रण है।

विलयन: विलयन दो या दो से अवधक पदार्ों का समार्ं ी वमश्रण है।

उदाहरण- नींर्ू िल, सोर्ा िल आवद विलयन के उदाहरण हैं।


वकसी विलयन को दो भार्ों विलायक और विलेय में र्ााँटा िाता है।
विलयन का िह घटक िो दसू रे घटक को विलयन में वमलाता है. उसे विलायक कहते हैं।

कमश्रण को पृथक करने के तरीके :

1.िाष्पीकरण (Evaporation)-
इस प्रविया में वमश्रण के दो पदार्ों में से एक पदार्ग का िाष्पीकरण हो िाता है।

2.अपके न्द्रीकरण (Centrifugation)-


िर् वकसी पदार्ग को तेिी से घमु ाया िाता है तो भारी कण नीचे की तरर् दर्ाि र्ालते हैं तर्ा हल्के कण ऊपर
चले िाते हैं।
उदाहरण-दधू से िीम पृर्क करना।

3.पथ ृ क्ट्करण कीप (Deferential entraction funnel)-


दो अघल ु नशील द्रि (िो दोनों एक सार् नहीं घलु सकते) को आसानी से पृर्क्करण कीप द्वारा अलर् कर सकते
हैं।
पृर्क्कारी कीप का स्ट्टॉप काकग खोलने से पानी दसू रे र्ीकर में इकट्ठा कर सकते हैं तर्ा दसू रे र्ीकर में र्चा तेल
इकट्ठा कर सकते हैं।

अनप्रु योर् (Application)-


पानी से तेल पृर्क करना।

4.उर्धिडपातन किकध (Sublimation)


दो पदार्ों के र्ीच एक पदार्ग उध्िगपावतत हो िाता है (सीधे ठोस से र्ैस में पररिवतगत हो िाता है) िर्वक दसू रा
ऐसे ही रहता है।
5. क्रोमैटोग्राफी (Chromatography)
मल
ू वसद्ान्त- वकसी वमश्रण में रंर्ीन यौवर्क, रंवित कणों को पृर्क कर सकते हैं। वकसी सोखने िाले वर्ल्टर पेपर
की सहायता से िर् पानी (या वकसी भी विलयन) के कण ऊपर की ओर दो अलर्-अलर् रंर् के सार् िाते हैं तो
िोमेटोग्रार्ी पेपर द्वारा दोनों पृर्क हो िाते हैं। क्योंवक दोनों रंर् अलर्-अलर् र्वत से सोख वलये िाते हैं।

अनप्रु योर् (Application)-


1.रंर् (र्ाई) को पृर्क करने के वलए।

2.क्लोरोवर्ल से रंिक (Pigment) पृर्क करने के वलए।

3.खनू से ड्रर् पृर्क् करने में।

6. आसिन किकध (Distillation)-


दो घटकों (Component) के र्ीच एक का क्िर्नांक दसू रे से कम होता है। यह विवध दो या दो से अवधक
घल
ु नशील द्रिों को अलर् करने के वलए वकया िाता है।
उदाहरण-िर् पानी और एवसटोन के वमश्रण
को र्मग वकया िाता है, क्योंवक एवसटोन का क्िर्नाक ं (Boiling point) कम होता है, यह र्मग होकर
िावष्पत होकर ट्यर्ू में चला िाता है िहााँ यह वर्र द्रि र्न िाता है। इस प्रकार एवसटोन र्ीकर में एकि हो िाता
है िर्वक पानी फ्लास्ट्क में ही रह िाता है।

7. कक्रस्टलीकरण (Crystallisation)

मल
ू वसद्ान्त वकसी वमश्रण से अशवु द्यों को दरू करने के वलए पहले वकसी उपयक्त
ु विलयन में घोलना
और विस्ट्टलीकरण द्वारा एक संर्ठन को पृर्क करना।
उदाहरण-कॉपर सल्र्े ट के विस्ट्टल को (अशद् ु ) पहले सल्फ्यरू रक अम्ल में घोलते हैं और वर्र र्मग करके विलयन
को पृर्क वकया िाता है। िो विलयन र्ना र्ा उसे परू ी रात रख कर छोड़ वदया िाता है, अतः के िल शद् ु कॉपर
सल्र्े ट के विस्ट्टल र्नते हैं िर्वक अशवु द्यााँ सल्फ्यरू रक अम्ल में ही रह िाती है। इस विलयन को वर्ल्टर पेपर
की सहायता से छान वलया िाता है और शद् ु विस्ट्टल प्राप्त कर वलए िाते हैं।

परमाणु एिां अणु (Atom & Molecule)

परमाणु (Atom) वकसी भी पदार्ग की िह इकाई होती है, िो पदार्ग की प्रिृवि को समझने के अवत
आिश्यक होती है। वकसी भी पदार्ग में उसके सक्ष्ू मतम इकाई के र्णु ों की पनु रािृवि ही होती है। जैसे – लोहे के
1 Kg के टुकड़े में िही र्णु होंर्े, िो लोहे के एक परमाणु में होते हैं। अतः पदार्ों की वियाशीलता को उनके
द्वारा वनवमगत र्ंध, उनके स्ट्र्ावयत्ि आवद को उस पदार्ग की सर्से छोटी इकाई (परमाणु) से समझा िा सकता है।
यही परमाणु (Atom) आपस में सयं क्त ु होकर अणु (Molecule) र्नाते हैं। अणु
(Molecule) प्रकृ वत में स्ट्ितंि रूप से अवस्ट्तत्ि रखता है।

Table of Contents

• परमाणु (Atom)
• अणु (Molecule)
• परमाणु और अणुओ ं में अंतर (Difference between atoms and
molecules)
परमाणु (Atom)

वकसी भी पदार्ग का िह सक्ष्ू मतम कण, िो स्ट्ितिं सिा में नहीं रहता है, वकन्तु रासायवनक अवभविया में भार्
लेता है, परमाणु (Atom) कहलाता है। िैसे – H, Cl, Na ये सभी परमाणु हैं और िातािरण में इन
परमाणओ ु ं (Atoms) का स्ट्ितंि अवस्ट्तत्ि नहीं होता, िातािरण में ये परमाणु अपने यौवर्कों में ये अणुओ ं
(Molecules) के रूप में विद्यमान रहते हैं।
परमाणु की सांरचना (Structure of Atom)
लर्भर् 400 ई.प.ू ही भारतीय एिं यनू ानी दाशगवनकों (Indian and Greek
philosophers) द्वारा परमाणओ ु ं के अवस्ट्तत्ि को प्रस्ट्तावित वकया र्या र्ा। उनके अनसु ार परमाणु
(Atom) द्रव्य (Matter) के मल ू संरचनात्मक भार् होते हैं, तर्ा वकसी भी पदार्ग (Matter) के
लर्ातार विभािन के पिात अंततः परमाणु प्राप्त होते हैं, विसे और अवधक विभावित नहीं वकया िा सकता।
परमाणु (atom) शब्द की उत्पवि ग्रीक भाषा से हुई है, विसमें atomio का अर्ग अविभाज्य’
(non-divisible) होता है।
िषग 1886 ई. में र्ोल्र्स्ट्टीन (E. Goldstein) ने एक नए विवकरण ‘के नाल रे ’ की खोि की। ये
वकरणें धनािेवशत विवकरण र्ीं, विसके द्वारा अंततः दसू रे अिपरमाणक ु कणों की खोि हुई। 19िीं शताब्दी तक
यह ज्ञात हो र्या र्ा वक परमाणु (atom) में एक नकारात्मक आिेश िाला कण होता है। सिगप्रर्म िे. िे.
र्ॉमसन (J.J. Thomson) द्वारा परमाणु में नकारात्मक आिेश (negative charge) िाले
कण इलेक्रान (electrons) का पता लर्ाया र्या र्ा। अतः प्रारंवभक अिस्ट्र्ा में यह माना र्या
वक परमाणु समान धनात्मक और नकारात्मक आिेश िाले कणों से वमलकर र्ना होता है, िो एक-दसू रे के
प्रवत उदासीन करते हैं । परमाणु की संरचना को व्यक्त करने के विवभन्न िैज्ञावनकों द्वारा वदए र्ए कुछ परमाणु मॉर्ल
वनम्नवलवखत है –

▪ र्ाल्टन का परमाणु वसद्ातं (Dalton’s atomic theory)


▪ िे िे र्ॉमसन का परमाणु मॉर्ल (JJ Thomson’s Atomic Model)
▪ रदरर्ोर्ग का परमाणु मॉर्ल (Rutherford’s atomic model)
▪ र्ोर का परमाणु मॉर्ल (Bore’s atomic model)
अणु (Molecule)

वकसी भी पदार्ग का िह सक्ष्ू म कण िो स्ट्ितिं अवस्ट्तत्ि रखता है और विसमें पदार्ग के सभी र्णु विध्यमान रहते
हैं, अणु (Molecule) कहलाता हैं। अणु (Molecule) परमाणुओ ं के सरल अनपु ात में संयोर् से
वमलकर र्नता है। जैसे – H, Cl, H2O ये तीनों ही अणु (Molecule) हैं। अणु एक ही प्रकार के
परमाणओु ं से या विवभन्न प्रकार के परमाणओ ु ं से वमलकर र्ना हो सकता है।

द्रव्यमान सरां क्षण का कनयम :-

इस वनयम के अनसु ार , ” द्रव्यमान का उदय या विनाश संभि नहीं है । वकसी भी रासायवनक अवभविया के

दौरान पदार्ों के द्रव्यमान का िोड़ उस अवभविया के उत्पादों के द्रव्यमानों के िोड़े के र्रार्र होर्ा ।

कस्थर अनुपात का कनयम :-

इस वनयमानसु ार कोई शद्


ु रासायवनक यौवर्क सदैि उन्हीं तत्िों से वनवमगत होर्ा विनसे िह वमलकर वनवमगत

हुआ है , तर्ा इन तत्िों के द्रव्यमान का अनपु ात सदैि समान होर्ा , वर्र चाहे यह यौवर्क वकसी भी स्ट्र्ान से

प्राप्त वकया र्या हो अर्िा वनमागण वकसी भी पद्वत द्वारा वकया र्या हो ।

डाशटन का परमाणु कसद्धान्त :-

रासायवनक सयं ोिन के वनयम पर आधाररत र्ॉल्टन के परमाणु वसद्ान्त , ‘ द्रव्यमान सरं क्षण का वनयम ‘

तर्ा ‘ वस्ट्र्र अनपु ात के वनयम ‘ को वसद् करता है ।


डॉशटन के परमाणु कसद्धान्त के महत्िपूणड अांश :-

• सभी द्रव्य परमाणओ


ु ं से वनवमगत होते हैं ।
• परमाणु अविभाज्य सक्ष्ू मतम कण होते हैं िो रासायवनक अवभविया में न तो उत्पन्न होते हैं न ही
उनका इसमें विनाश होता है । ( यह अंश द्रव्यमान संरक्षण के वनयम को वसद् करता है )
• वदए र्ए तत्ि के सभी परमाणुओ ं के द्रव्यमान एिं रासायवनक र्णु धमग समान होते हैं ।
• वभन्न – वभन्न तत्िों के परमाणओ
ु ं के द्रव्यमान एिं रासायवनक र्णु धमग वभन्न – वभन्न होते हैं ।
• वभन्न – वभन्न तत्िों परमाणु परस्ट्पर छोटी पणू ग संख्या के अनपु ात में संयोर् कर यौवर्क का वनमागण
करते हैं । ( यह अशं वस्ट्र्र अनपु ात के वनयम को वसद् करता है )
• वकसी भी यौवर्क में परमाणओ
ु ं की सापेक्ष संख्या एक प्रकार से वनवित होती हैं ।
परमाणु :-

आधवु नक परमाणु वसद्ान्त के अनसु ार परमाणु वकसी भी तत्ि का िह सक्ष्ू मतम भार् है िो वकसी

रासायवनक अवभविया में वर्ना अपने रासायवनक एिं भौवतक र्णु धमों को र्दले , उस अवभविया में प्रयक्त
ु होता

है ।

परमाणु तत्ि के सक्ष्ू मतम भार् है विन्हें वकसी भी शवक्तशाली सक्ष्ू मदशी से भी देखा नहीं िा सकता ।

परमाणु किज्या का मापन :-

परमाणु विज्या नैनोमीटर में मापी िाती है।


• 10-⁹ m = 1nm
• 1m = 10⁹ nm
परमाणु द्रव्यमान :-

वकसी भी तत्ि के एक परमाणु का द्रव्यमान उसका परमाणु द्रव्यमान कहलाता है ।

िषग 1961 में IUPAC ने ” परमाणु द्रव्यमान की इकाई ” या ” u ” को परमाणुओ ं के द्रव्यमान का

मापक माना ।

परमाणु द्रव्यमान की इकाई :-

एक परमाणु द्रव्यमान की इकाई का द्रव्यमान एक C¹² समस्ट्र्ावनक के 1 / 12 िें वहस्ट्से के द्रव्यमान के

र्रार्र होता है ।

परमाणु ककस प्रकार अकस्तत्ि में रहते हैं :-

ज्यादातर तत्िों के परमाणु अत्यवधक अवभवियाशील होने के कारण कभी भी मक्त


ु ािस्ट्र्ा में नहीं पाए िाते

। के िल वनवष्िय र्ैसों के परमाणु ही मक्त


ु ािस्ट्र्ा में पाए िाते हैं ।

अणु :-
वकसी अणु का वनमागण दो या उससे अवधक परमाणओ
ु ं के र्ीच रासायवनक र्ंध उत्पन्न होने के कारण होता

है ।

अणु , ( तत्िों को छोड़ ) वकसी भी पदार्ग की िह सक्ष्ू मतम इकाई है । िो स्ट्ितिं रूप से रह सकता है और

यह उस पदार्ग के सारे र्णु धमों को प्रदवशगत कर सकता है िैसे की , H₂0 अणु िल के सम्पणू ग र्णु धमों को

प्रदवशगत करता है ।

वकसी भी अणु का वनमागण एक ही तरह के परमाणु या वभन्न – वभन्न प्रकार के परमाणओ


ु ं के र्ीच

रासायवनक र्धं होने के कारण हो सकता है ।

परमाणुकता :-

वकसी एक अणु में उपवस्ट्र्त परमाणओ


ु ं की संख्या को परमाणक
ु ता कहते हैं ।

रासायकनक सिू :-

वकसी यौवर्क का रासायवनक सिू उसके संघटक का प्रतीकात्मक वनरूपण होता है ।

रासायकनक सूि की किशेषताएँ :-


रासायवनक सिू के संघटकों की संयोिकताएाँ या आिेश र्रार्र होने चावहए ।

धातु एिं अधातु के यौवर्क की रासायवनक सिू की सरं चना में धातु को पहले वलखा िाता है में तर्ा अधातु

को उसके र्ाद ।

र्हुपरमाणविक आयन के रासायवनक सिू में आने की वस्ट्र्वत में , इस आयन को ब्रेवकट में रखा िाता है ।

वर्र संयोिक अर्िा आिेश को ब्रेवकट के नीचे लर्ाते हैं ।

रासायकनक सिू कलिने के कनयम :-

• सर्से पहले तत्िों के परमाणुओ ं के वचह्नों को वलखा िाता है ।


• अर् इन वचह्नों के नीचे इनकी सयं ोिकताओ ं को वलखा िाता है ।
• अर् संयोवित परमाणओ
ु ं की संयोिकताओ ं को िास करते हैं ।
• पररणामस्ट्िरूप पहला परमाणु दसू रे परमाणु की संयोिकता ग्रहण करता है तर्ा दसू रा परमाणु पहले
िाले परमाणु की संयोिकता को ग्रहण करता है ।
• संयोिकताओ ं को िास करके रासायवनक सिू तैयार हो िाता है ।
आणकिक द्रव्यमान :-

वकसी भी एक अणु में उपवस्ट्र्त परमाणओ


ु ं के द्रव्यमानों के िोड़ को आणविक द्रव्यमान कहा िाता है ।

परमाणु द्रव्यमान की भााँवत इसका मािक भी परमाणु की द्रव्यमान इकाई ही होता है ।


सूि इकाई द्रव्यमान :-

वकसी पदार्ग का सिू इकाई द्रव्यमान उसके सभी सघं टक परमाणओ


ु ं के परमाणु द्रव्यमानों का योर् होता है ।

सूि द्रव्यमान एिां आणकिक द्रव्यमान में अांतर :-

सिू द्रव्यमान एिं आणविक द्रव्यमान में के िल अंतर यही है वक यहााँ पर हम उस पदार्ग के सिू इकाई

द्रव्यमान का उपयोर् करते हैं , विसके सघं टक आयन होते हैं ।

आयन :-

आयन एक परमाणु या परमाणओ


ु ं का समहू होता है विस पर कुछ आिेश ( धनात्मक आयन या ऋणात्मक

) अिश्य उपवस्ट्र्त रहता है ।

• धनािेवशत आयन – Na⁺, K⁺ , Ca²+, Al³+


• ऋणािेवशत आयन– CI⁻ , S²⁻ , OH⁻ , SO₄²⁻
मोल- सक
ां शपना :-

वकसी स्ट्पीशीि ( परमाणु , अणु , आयन अर्िा कण ) के एक मोल में मािाओ ं की िह संख्या है िो ग्राम

में उसके परमाणु अर्िा आवण्िक द्रव्यमान के र्रार्र होती है । वकसी पदार्ग के एक मोल में कणों की संख्या

वनवित होती है विसका मान 6.022×10²³ होता है ।


मोलर द्रव्यमान :-

मोलर द्रव्यमान वकसी भी पदार्ग के एक मोल कणों के द्रव्यमानों का िोड़ होता है ।

अर्ोचर कणों से र्ने होते हैं, विन्हें परमाणु ( Paramanus ) कहते हैं | संस्ट्कृत में परम ( Param )
का अर्ग ” अंवतम ” और अणु ( anu ) का अर्ग ” कण ” होता है | ये परमाणु विवभन्न अनपु ात में संयोर् करके
पदार्ग का वनमागण करते हैं |
ग्रीक दाशगवनक र्ेमोविट्स ( Democrites ) और लसु ीपस ( Leucippus ) ने अवं तम कणों
को एटोमोस ( atomos ) कहा, विसका अर्ग ग्रीक भाषा में अविभाज्य होता है |
रासायकनक सांयोग के कनयम ( Laws of Chemical Comberation ) – तत्िों के संयोर् से
यौवर्कों के र्नने की प्रवियाएाँ कुछ वनयमों के अनसु ार यौवर्कों के र्नने की प्रवियाएाँ कुछ वनवक्षत वनयमों के
अनसु ार होती है, विन्हें रासायवनक संयोर् के वनयम कहते हैं |
1. पदाथड की अनश्ररता का कनयम – ( The Law of Conservation of
matter ) – इस वनयम का प्रवतपादन 1774 में लाभ्िािे ने वकया र्ा | इस वनयम के
अनसु ार, रासायवनक अवभवियाओ ं के र्लस्ट्िरूप पदार्ों का कुल द्रव्यमान अपररिवतगत रहता
है |
C + O → CO2
2. कनकित अनुपात का कनयम ( The Law of Constant Proportions ) – इस वनयम
का प्रवतपादन 1789 में प्राउस्ट्ट ( Proust ) ने वकया र्ा | इनके अनसु ार, वकसी रासायवनक यौवर्क के
सभी शद् ु नमनू ों के एक ही प्रकार के तत्ि भार के विचार से हमेशा एक वनवित अनपु ात में परस्ट्पर संयक्त ु रहते हैं |
डाशटन के परमाणु कसद्धाांत की मान्यताएँ ( Assumptions of Dalton’ s atomic
theory ) –
1. सभी पदार्ग अत्यंत सक्ष्ू म कणों से र्ने होते हैं विन्हें परमाणु कहते हैं और िे परमाणु खंवर्त नहीं
वकए िा सकते हैं |
2. वकसी भी रासायवनक प्रविया द्वारा परमाणओ ु ं का न तो वनमागण ही वकया िा सकता है और न ही
नष्ट |
3. वकसी तत्ि के सभी परमाणु समान होते हैं |
4. विवभन्न तत्िों के परमाणु विवभन्न आकार, द्रव्यमान, रासायवनक र्णु िाले होते हैं |
5. रासायवनक संयोर् में दो या अवधक तत्िों के परमाणु परस्ट्पर संयोर् करके यौवर्क र्नाते हैं |
6. रासायवनक संयोर् में विवभन्न तत्िों के परमाणु सरल सांवख्यक अनपु ात में संयोर् करते हैं |
7. एक ही तत्ि के परमाणु एक से अवधक अनपु ात में दसू रे तत्ि के परमाणु के सार् एक से अवधक
यौवर्क र्ना सकते हैं |
डाशटन के परमाणु कसद्धाांत के दोष ( Defects of Dalton’s Atomic Theory )-
1. र्ाल्टन के अनसु ार, परमाणु को खंवर्त नहीं वकया िा सकता है वकंत,ु अर् यह प्रमावणत हो
चक ू ा है वक परमाणु को छोटे – छोटे कणों ( इलेक्रॉन, प्रोरॉन, न्यरू ॉन आवद ) में विभावित
वकया िा सकता है |
2. परमाणु वसद्ांत के अनसु ार, एक ही तत्ि के सभी तत्ि के परमाणु विवभन्न द्रव्यमान िाले भी
होते हैं ; सही नहीं है | तत्ि के परमाणु विवभन्न द्रव्यमान िले भी होते है , विन्हें समस्ट्र्ावनक
कहा िाता है |
3. परमाणु वसद्वात के अनसु ार, विवभन्न तत्िों के परमाणु विवभन्न द्रव्यमान िाले होते हैं, िो सही
नहीं है | विवभन्न तत्िों के परमाणु समान द्रव्यमान िाले भी होते हैं विन्हें समभाररक कहा िाता
है |
परमाणु ( Atom ) – वकसी तत्ि का अंवतम सक्ष्ू मतम कण, िो रासायवनक अवभवियाओ ं में भार् ले सकता
है, परमाणु कहलाता है |
परमाणु की किशेषताएँ –
1. वकसी तत्ि के सभी परमाणु सदृश होते हैं, वकंतु िे अन्य तत्िों के परमाणओ ु ं से वभन्न होते हैं |
2. तत्ि का प्रत्येक परमाणु तत्ि के सभी र्णु ों को प्रदवशगत करता है |
3. परमाणु का व्यास लर्भर् 10-15 m होता है |
परमाणुओ ां और तत्िों के सक ां े त ( Symbols of Atoms and Elements ) – प्राचीन
कीवमयार्र पारस पत्र्र की खोि में संलग्न र्े | उनका विश्वास र्ा वक इन पत्र्रों की सहायता से वकसी धातु को
सोना में पररिवतगत वकया िा सकता है | इस कायग की र्प्तु रखने के उछे श्य से िे उस समय तक ज्ञात तत्िों को कुछ
विशेष संकेतों द्वारा व्यक्त करते र्े |
र्ाद में ,िॉन र्ाल्टन ने तत्िों का वचविय वनरूपण वकया लेवकन आधुवनक समय में तत्िों का
विवभन्न प्रकार के सक ं े तों द्वारा दशागया िाता है |

इसके वलए कुछ विशेष वनयम है –

1. तत्ि के अग्रं ेिी नाम का प्रर्म अक्षर सक


ं े त के वलए िाता है
िैसे –

तत्ि संकेत

Hydrogen
( हाइड्रोिन ) H
Oxygen (
ऑक्सीिन
) O
Carbon (
कार्गन ) C
Sulphar (
सल्र्र ) S
2. िो दो या अवधक तत्िों के नाम के प्रर्म अक्षर एक ही है, तो ऐसी वस्ट्र्वत में तत्ि के नाम का प्रर्म अक्षर
और उसके र्ाद िाले कोई अन्य प्रधान अक्षर को एक सार् वमलाकर तत्ि का संकेत वदया िाता है |

िैसे –

तत्ि संकेत

Calcium (
कै वल्सयम ) Ca
Bromine
( ब्रोमीन ) Br
Calcium (
कै वल्सयम ) Ca
3. कुछ तत्िों के संकेत उनके लैवटन नामों से वलए र्ए है –
िैसे –

तत्ि लेंवटन नाम संकेत

Sodium (
सोवर्यम ) Natrium Na
Potassium
( पोटैवशयम ) Kalium K
Iron ( आयरन
) Ferrum Ca
सक
ं े त का महत्ि –

1. संकेत वकसी विशेष तत्ि का वनरूपण करता है |


2. यह तत्ि के एक परमाणु को व्यक्त करता है |
अणु ( Molecule ) – यौवर्क का सक्ष्ू मतम कण अणु कहलाता है |
अणु की किशेषताएँ –
1. वकसी विशेष पदार्ग के सभी अणु सदृश होते हैं |
2. विवभन्न पदार्ों के अणु वभन्न-वभन्न होते हैं |
3. वकसी पदार्ग के अणओ ु ं के र्णु उस पदार्ग के र्णु ों का प्रवतवनवधत्ि करते हैं |
4. अणु दो या दो से अवधक परमाणओ ु ं से र्ना होता है |
5. परमाणु एक मिर्तू आकषगण र्ल द्वारा र्ंधे रहते हैं , विसे रासायवनक र्ंधन कहते हैं |
ताकत्िक अणु ( Elementary molecules ) – वकसी तत्ि के सभी अणु सदृश परमाणओ ु ं के र्ने
होते हैं, इन्ही अणओु ं को तावत्िक अणु कहते हैं |
िैसे – H2 – हाइड्रोिन के दो परमाणु
Cl2 – क्लोरीन के दो परमाणु
नोट – कुछ ऐसे भी तत्ि है िो मक्त ु परमाणु के रूप में पाए िाते हैं |
िैसे – हीवलयम ( He ) वनऑन ( Ne ) आर्गन ( Ar )

यौकगक के अणु ( Compound molecules ) – वकसी यौवर्क के अणु में विवभन्न तत्िों के दो या
अवधक परमाणु रहते हैं |
ू ोि ( C6 H12 O6 ) | C के 6, H के 12 तर्ा O के 6 परमाणु है |
िैसे – ग्लक
परमाणुकता ( Atomicity ) – वकसी पदार्ग के एक अणु में उपवस्ट्र्त परमाणओ
ु ं की संख्या परमाणक
ु ता
कहलाती है |
िैसे –

पदाथड परमाणुकता

H2 2
CH4 5
H2O 3
परमाणक
ु ता के आधार पर अणओ
ु ं के प्रकार –
1. एक परमाणुक अणु ( Monatomic molecules ) – 1 परमाणु िाले एक अणु
एक परमाणु अणु कहलाते हैं | िैसे – He, Ne, Ar
2. किपरमाणुक अणु ( Diatomic molecules ) – 2 परमाणओ ु ं से र्ने अणु
वद्वपरमाणक ु अणु कहलाते हैं | िैसे – H2 , O2 , N2
3. किपरमाणुक अणु ( Triatomic molecules ) – 3 परमाणओ ु ं से र्ने अणु
विपरमाणक ु अणु कहलाते हैं, िैसे – H2 O, O3 , CO2
4. चतुष्थडपरमाणुक अणु ( Tetratomic molecules ) – 4 परमाणओ ु ं से र्ने
च्तष्ु र्गपरमाणकु अणु कहलाते हैं | िैसे – NH3 , P4 , SO3
5. बहुपरामणुक अणु ( Polyatomic molecules ) – चार से अवधक परमाणओ ु ं
से र्ने अणु र्हुपरमाणक ु अणु कहलाते हैं | िैसे – CH4 , C6 H12 O6 , H2 SO4
आयन ( lons ) – िर् कोई तत्ि अपने र्ाह्यतम कक्षा के इलेक्रॉन को त्यार् या ग्रहण कर अपना अष्टक परू ा
करता है तो िह आयन र्न िाता है |

यवद कोई तत्ि अपने इलेक्रॉन ग्रहण करता है तो िह धनायन र्ना िाता है |

यवद कोई तत्ि इलेक्रॉन ग्रहण करता है तो िह ॠणायन र्न िाता है |

सयां ोजकता ( Valency ) – तत्ि के परमाणु में दसू रे तत्िों के परमाणओ ु ं के सार् सयं ोर् करने की क्षमता,
संयोिकता कहलाती है |
1. एकर्ंधक ( Monovalent ) : 1 संयोिकता िाले
2. वद्वर्धं क ( Divalent ): 2 सयं ोिकता िाले
3. विर्ंधक ( Trivalent ): 4 संयोिकता िाले
• नोट – कुछ तत्िों की संयोिकता पररितगनशील होती है | िैसे Fe – 2 या 3, Au – 1 या

3
सूि ( Formula ) – वकसी भी यौवर्क का वनष्पण हमेशा उसके अणु के द्वारा होता है और अणु को उसमे
ु ं के संकेतों की सहायता से व्यक्त वकया िाता है, विसे सिू कहते हैं |
उपवस्ट्र्त परमाणओ
सिू के प्रकार –
1. सरल या मूलानुपाती सिू ( Simple or Empirical Formula ) – वकसी यौवर्क का िह
सिू िो उस यौवर्क के अणु के उपवस्ट्र्त तत्िों के परमाणुओ ं की संख्याओ ं का सरलतम पारस्ट्पररक अनपु ात व्यक्त
करता है, सरल सिू कहलाता है |
िैसे – र्ेंिीन ( C6 H6 ) का सरल सिू CH होर्ा |
2. अणु सिू या रासायकनक सिू ( Molecular formula or Chemical formula ) –
वकसी रासायवनक यौवर्क का िह सिू िो उस यौवर्क के एक अणु में उपवस्ट्र्त तत्िों के परमाणओ ु ं की िास्ट्तविक
संख्या को व्यक्त करता है, उसे यौवर्कों का अनसु िू कहलाता है |
िैसे – र्ेंिीन का अणसु िू = C6 H6
सूि कलिने की किकध – यौवर्क के अणु में उपवस्ट्र्त तत्िों की संयोिकता को उनके र्ीच अदल – र्दल करके
तत्िों के सकं े तों के नीचे वलख कर वदखाया िाता है |

िैसे – 1. CO2

2. H2 O

मूलक ( Radicals ) – परमाणु या परमाणओ ु ं का िह समहू विसकी एक संयोिकता होती है, और िो


रासायवनक अवभवियाओ ं के र्लस्ट्िरूप अपना स्ट्ितंि अवस्ट्तत्ि कायम रखते हुए अपररिवतगत रह िाता है, मूलक

कहलाता है |
रासायकनक समीकरण ( Chemical equations ) – वकसी रासायवनक अवभविया में भार्
लेनेिाले पदार्ों के संकेतों और सिू ों का उपयोर् करके अवभविया का संवक्षप्त रूप रासायवनक समीकरण कहलाता
है | रासायवनक अवभवियाओ ं में भार् लेनेिाले पदार्ग अवभकारक ( Reactants ) और उनसे वनवमगत पदार्ग
प्रवतर्ल ( Products ) कहलाते हैं |
सापेक्ष परमाणु द्रव्यमान (Relative atomic mass )– वकसी तत्ि का परमाणु द्रव्यमान एक
संख्या है िो र्ताती है वक उस तत्ि के परमाणु का द्रव्यमान C – 12 परमाणु के द्रव्यमान के 12 िें भार् से
वकतना र्णु ा अवधक है |

सापेक्ष परमाणु द्रव्यमान =

ग्राम परमाणु द्रव्यमान ( Gram atomic mass ) – िर् तत्ि के परमाणु द्रव्यमान को ग्राम में व्यक्त
वकया िाता है तो िह ग्राम – परमाणु द्रव्यमान कहलाता है |

ग्राम परमाणओ
ु ं की संख्या =

सापेक्ष आणकिक द्रव्यमान ( Relative molecular mass ) – वकसी पदार्ग का आणविक


द्रव्यमान एक संख्या है िो र्तलाती है वक पदार्ग के एक अणु का द्रव्यमान C – 12 के परमाणु द्रव्यमान के
12 िें भार् से वकतना र्णु ा अवधक है |

पदार्ग का आणविक द्रव्यमान =

मोल ( Mole ) – मोल वकसी पदार्ग की िह मािा है विसमें मलू कणों की सख्ं या उतनी ही होती है वितनी C
-12 के ठीक 12 g में उसके परमाणओ
ु ं की संख्या होती है |
तत्ि का 1 मोल = 6.022 x 1023 परमाणु
यौवर्क का 1 मोल = 6. 022 x 1023 अणु

तत्ि के मोलों की संख्या =

यौवर्क के मोलों क संख्या =

कार्गन और इसके यौवर्क ( Carbon And It’s Compound ) – Class 10th


Chemistry | Notes
Leave a Comment / Educational / By Ravi Kant Kumar
• काबडन का परमाणु संख्या 6 होता है तर्ा परमाणु द्रव्यमान 12 u होता है | यह आितग यह

आितग सारणी के छठे नंर्र का तत्ि यह है | यह मानि शरीर में 70% पाया िाता है | कार्गन
पृर्थिी पर 0.02% पाया िाता है तर्ा िायु में कार्गन र्ाइऑक्साइर् के रूप में कार्गन
0.03% पाया िाता है | मुक्त अिस्ट्र्ा में कार्गन हीरे , ग्रैर्ाइट तर्ा कोयला के रूप में पाया
िाता है | सयं ोवित अिस्ट्र्ा में कार्गन मख्ु य रूप से कार्ोंनेट खवनिों में पाया िाता है | कार्गन
सभी िीिों के वनमागण में आिश्यक होता है | कार्गवनक यौवर्क का हमारे दैवनक िीिन में
अत्यवधक महत्ि है हमारे भोिन, कपड़ा, लकड़ी, वखलौना, कार्ि आवद कार्गवनक यौवर्कों
का र्ना है |
जीिन शकक्त का कसद्धाांत
र्िीलीयस ने 1815 ई. में िीिन शवक्त का वसद्ांत वदया विसके अनसु ार सिीि पदार्ों में कार्गवनक यौवर्को
का वनमागण एक अदृश्य िीिन शवक्त द्वारा होता है लेवकन इस धारणा का अंत िर् हुआ तर् िोहलर ने प्रयोर्शाला
में अमोनवयम सयानेट को र्मग करके यरू रया का वनमागण वकया |

अर् तक प्रयोर्शाला में लर्भर् 1 करोड़ 80 लाख कार्गवनक यौवर्कों का वनमागण हो चक


ु ा है |
रासायकनक बांधन ( Chemical Bonding ) – िो दो परमाणु अपनी र्ाह्यतम कक्षा में इलेक्रोनों का
आपस में साझा करके संयोर् करते हैं तर् उनके वनवमगत र्ंधन को सहसंयोिक र्ंधन कहते हैं |

काबडन के अपरूप ( Allotropes of Carbon )


कार्गन के तीन अपररूप होते हैं -हीरा , ग्रैर्ाइट और र्ुलरीन |

ये तीनों कार्गन के र्ने होते हैं लेवकन उनके भौवतक र्णु ों में अंतर होता है | ग्रैर्ाइट में प्रत्येक कार्गन परमाणु तीन
अन्य कार्गन परमाणु से एक तल से सहसंयोिक र्ंधन द्वारा िड़ु कर षटकोणीय िलय र्नाता है िो तीन परतों में
व्यवस्ट्र्त होती है | सहसयं ोिक र्धं न में कार्गन के तीन इलेक्रॉन िड़ु े होते है लेवकन चौर्ा इलेक्रॉन मक्त ु रहता है
विसके कारण ग्रेर्ाइट ऊष्मा तर्ा विधतु का सचु ालक होता है | कार्गन परमाणओ ु ं की िह परते अनरूप दो परतों
के सार् दर्ु गल िान-दर-िाल्स आकषगण र्लों द्वारा िर्ु ी होती है तर्ा ये एक दसू रे के ऊपर वर्सलती है विसके
कारण ग्रैर्ाइट मल ु ायम तर्ा वचकना होता है |

हीरे में कार्गन परमाणु विविमीय संरचना के रूप में सिे होते हैं विनमें प्रत्येक कार्गन चार अन्य कार्गन
ु ं से सयं ोिक र्धं न द्वारा िड़ु े होते हैं | यह सहसयं ोिक र्धं न हीरे की सरं चना को कार्ी मिर्तू ी प्रदान
परमाणओ
करता है विससे हीरा कठोर हो िाता है |
ु तम अपरूप है | इसमें 60 कार्गन परमाणु सहसंयोिक र्ंधन द्वारा िड़ु कर
र्ुलेरीन कार्गन का शद्
र्ूटर्ाॅॅल िैसी आकृ वत र्नाते है| विसमें प्रत्येक कार्गन अन्य तीन कार्गन परमाणओ
ु ं से िड़ु ा होता है, इसे
र्कवमस्ट्टरर्ुलेरीन कहते हैं |

काबडकनक यौकगकों के सिू


कार्गवनक यौवर्को के सिू तीन प्रकार से व्यक्त वकए िाते हैं –

1. लइू स इलेक्ट्रॉन-कबांदु सांरचना – यह संरचना प्रत्येक परमाणु से िड़ु े परमाणुओ ं की तर्ा


सयं ोिन इलेक्रॉन की व्यस्ट्र्ा को दशागता है |
2. सांचरना सूि – संचरना सिू में दो परमाणओ ु ं के र्ीच के र्ंधन इलेक्रॉन को एक रे खा ( – )
दशागया िाता है , विसे एकल र्धं न कहते हैं |

3. किकिम सिू – विविम सिू में सहसयं ोिक र्धं न को अलर्-अलर् रूप में वदखाया िाता है |
ठोस रे खा (—) कार्ि की सतह पर, र्ाटेर् रे खाएाँ (….) कार्ि की सतह के पीछे तर्ा िेि
रे खा ( ) कार्ि की सतह के ऊपर दशागया िाता है |
काबडकनक यौकगकों का िगीकरण – कार्गवनक यौवर्कों की कुल संख्या अनवर्नत होने के कारण इनकों कई
िर्ों में विभावित वकया िाता है | इनमें सर्से साधारण कार्गवनक यौवर्क हाइड्रोकार्गन के होते हैं | ये कार्गन तर्ा
हाइड्रोिन के संयोर् से र्नाते हैं |
कक्रयाशील मूलक – वकसी कार्गवनक यौवर्क में उपवस्ट्र्त िह समहू विस पर यौवर्क का रासायवनक र्णु वनभगर
करता है, उस यौवर्क का वियाशील समहू कहलाता है |

समजातीय श्रेणी ( Homologous series ) – कार्गवनक यौवर्कों का िह समहू विसमे प्रत्येक में –

CH2 – का अन्तर हो समिातीय श्रेणी कहलाते है |


कक्रयाशील मूलक और उनके नाम

काबडकनक यौकगकों का नामकरण


कार्गवनक यौवर्कों के नामकरण की मुख्यत: दो विवधयााँ हैं –

1. साधारण प्रणाली – प्रारंभ में कार्गवनक यौवर्कों के नाम उनकी प्रावप्त के स्त्रोंत के आधार पर रखे
र्ए | िैसे – र्ॉवमगक अम्ल ( HCOOH ) सिग प्रर्म लाल वचट्टी से प्राप्त वकया र्या र्ा |
लैवटन में लाल वचट्टी को र्ौवमगकस कहते हैं |
2. IUPAC प्रणाली ( International union of pure and applied
chemistry )
सतां प्तृ हाइड्रोकाबडन – सतं प्तृ हाइड्रोकार्गन में कार्गन-कार्गन के र्ीच एकल र्धं होता है |
(a) ऐल्के न – IUPAC प्रणाली में सभी कार्गवनक यौवर्कों को हाइड्रोकर्गनों का व्यत्ु पन्न माना िाता है तर्ा
कार्गवनक यौवर्कों के नाम उनके संर्त के हाइड्रोिन के नाम पर ही आधाररत होती है | ऐल्के न का सामान्य सिू (
CnH2n+2 ) होता है | इसके नामकरण में प्रर्म के चार सदस्ट्यों को साधारण में उनमें उपवस्ट्र्त कार्गन
परमाणओ ु ं की संख्या को ग्रीक संख्याओ ं के नाम के अंत में ( एन ) अनल ु ग्न िाता है |
ग्रीक संख्या

एका 1

र्ाइ 2

टाइ 3

टेरा 4

पेंटा 5

हेक्सा 6

हेप्टा 7

ऑक्टा 8
नोन् 9
र्ेका 10
ऐशके न ( Cn H2n + 2 )
प्रथम दस िीचे श्रृांिला िाले सांतृप्त हाइड्रोकाबडन
नाम सिू संरचना सिू

मेर्ेन CH4

ऐर्ेन C2 H6
प्रोपेन C3 H8

ब्यटू ेन C4 H10

पेंटेन C5 H12

हेक्सेन C6 H14

हेप्टेन C7 H16

ऑक्टेन C8 H18
नोनेन C9 H20

र्ेकेन C10 H22


ऐकशकल समूह – ऐवल्कल समहू (R) का सामान्य सिू Cn H2n + 1 होता है | ऐवल्कल समहू नामकरण में
ु ग्न िोड़ वदया िाता है |
इनके संर्त के ऐल्के न के नाम ले ‘एन’ हटाकर इल अनल
ऐल्क + ऐन् + इल → ऐवल्कल

ऐकशकल ( Cn H2n + 1 )
सरं चना
नाम सिू सिू

मेवर्ल CH3

एवर्ल C2 H5

प्रोवपल C3 H7
वकसी संरचना में कार्गन श्रृंखला में िड़ु े ऐवल्कल समहू ों के आधार पर कार्गवनक यौवर्कों के नाम र्दलकर हैं |

ऐकशकन या ओकलकफन – ऐवल्कन में कार्गन वद्वर्धं होता है | IUPAC प्रणाली के अनसु ार नामकरण में
इसके संर्त ऐल्के न के नाम से ‘ एन’ हटाकर उसकी िर्ह पर ‘ईन’ िोड़ वदया िाता है | ऐवल्कन का सामान्य
सिू Cn H2n होता है |
ऐकशकन ( Cn H2n )
IUPAC सरं चना
नाम सिू सिू

एर्ीन C2 H4

प्रोपीन C3 H6
ऐलकाईन या ऐसीकटलीन – ऐल्काइन में कार्गन-कार्गन है विर्ंध होता है | IUPAC प्रणाली के अनसु ार
ु ग्न िोड़ वदया िाता है |
नामकरण में इनके संर्त ऐल्के न के नाम से (एन) हटाकर उसकी िर्ह पर (आइन) अनल
ऐल्काइन का सामान्य सिू Cn H2n – 2 होता है |
ऐशकाइन ( Cn H2n – 2 )
साधारण सरं चना IUPAC
नाम सिू सिू नाम

H-C ≡
ऐसीवटलीन C2 H2 C-H एर्ाइन

मेवर्ल
ऐसीवटलीन C3 H4 प्रोपाइन

ऐरोमैकटक यौकगक – र्ेंिीन के सदृश यौवर्कों को ऐरोमैवटक यौवर्क कहा िाता है | र्ेंिीन ( C6 H6 )

ऐशकोहॉल – साधारण प्रणाली के अनसु ार ऐल्कोहॉल के नामकरण में ऐल्कोहॉल में उपवस्ट्र्त ऐवल्कल समहू के
नाम में ऐल्कोहॉल शब्द िोड़ वदए िाते हैं | ऐल्कोहॉल का सामान्य नाम ऐल्कोहॉल तर्ा सामान्य सिू Cn H2n
+ 1 OH होता है |

IUPAC प्रणाली के अनसु ार ऐल्कोहॉल का नामकरण में ऐल्कोहॉल के अनुरूपी ऐल्के न के नाम में ऑल
िोड़ा िाता है |
ऐल्के न + ऑल → ऐल्के नॉल
साधारण IUPAC
सिू सरं चना नाम नाम
मेवर्ल
CH3 OH ऐल्कोहॉल मेर्ेनॉल
एवर्ल
C2 H5 OH ऐल्कोहॉल एर्ेनॉल
प्रोवपल
C3 H7 OH ऐल्कोहॉल प्रोपेनॉल

ईथर – ईर्र का सामान्य सिू ( Cn H2n + 1 )2 O या C2n H2n + 2 O होता है | ईर्र का नाम
ऑक्सीिन से िुड़े ऐवल्कल समहू ों में ईर्र शब्द िोड़कर वकया िाता है |
साधारण
सिू सरं चना नाम

एवर्ल –
मेवर्ल
CH3 OC2 H5 ईर्र

र्ाईमेवर्ल
CH3 OCH3 ईर्र
IUPAC प्रणाली में ईर्र को ऐशकॉक्ट्सीऐशके न कहते हैं |
IUPAC
सिू सरं चना नाम

CH3 OC2 H5 मेर्ाॅॅक्सीएर्ेन

CH3 OCH3 एर्ाॅॅक्सीएर्ेन


ऐकशडहाइड – ऐवल्र्हाइर् का सामान्य सिू C2n H2n + 2 CHO होता है | IUPAC प्रणाली के
ु ग्न िोड़ वदया िाता है |
अनसु ार ऐवल्र्हाइर् के नामकरण में संर्त ऐस्ट्केन के नाम में (अल) अनल
IUPAC
सिू संरचना सधारण नाम नाम

H – CHO र्ॉमैवल्र्हाइर् मेर्ेनल

CH3 CHO ऐसीटैवल्र्हाइर् एर्ेनल


कीटोन – कीटोन का सामान्य सिू ( Cn H2n + 1 )2 CO या Cn H2n + 1 CO C2n H2n + 1 होता
है | कीटोन का साधारण नाम कार्ोंनील समहू से िुड़े ऐवल्कल समहू ों के नाम में कीटोन शब्द िोड़कर वदए िाते हैं
|
साधारण
सिू संरचना नाम

र्ाइमेवर्ल
CH3 COCH3 कीटोन

एवर्लमेवर्ल
CH3 COC2 H5 कीटोन
IUPAC प्रणाली के अनसु ार कीटोन का नामकरण में सर्ं त के ऐल्के न के नाम में (ओन) अनल
ु ग्न िोड़ा िाता
है |

ऐल्के न + ओन → ऐल्के नोन

IUPAC
सिू संरचना नाम

CH3COCH3 प्रोपेनोन
CH3COC2H5 ब्यटू ेनान
काबोकक्ट्सकलक अम्ल – कार्ोवक्सवलक अम्ल का सामान्य सिू CnH2n+1 COOH होता है |
IUPAC प्रणाली के अनसु ार कार्ोवक्सवलक अम्ल के नामकरण में संर्त ऐल्के न के नाम में ओइक अम्ल
अनल ु ग्न िोड़ वदया िाता है |
ऐल्के न + ओइक अम्ल → ऐल्के नोइक अम्ल

IUPAC साधारण
सिू संरचना नाम नाम
मेर्ेनोइक र्ॉवमगक
HCOOH अम्ल अम्ल
एर्ेनोइक ऐवसवटक
CH3COOH अम्ल अम्ल
समाियिी ( Isomer ) – िे कार्गवनक यौवर्क विसके अनसु िू समान होते हैं लेवकन भौवतक और
रासायवनक र्णु वभन्न–वभन्न होते हैं , समाियिी कहलाते हैं और ऐसी घटना समिायिता कहलाती है |

सिू संरचना नाम

CH3 —
CH2 — एवर्ल
C2H6O OH ऐल्कोहॉल

CH3 —
O— र्ाइमेवर्ल
CH3 ईर्र
समाियिता के प्रकार :- समाियिता के दो प्रकार होते हैं |
1. सांरचनात्मक समाियिता
2. किकिम समाियिता
1. सांरचनात्मक समाियिता – कार्गवनक यौवर्कों के अणु में उपवस्ट्र्त परमाणुओ ं एिं समहू ों के विवभन्न
प्रकार से िड़ु े होने के कारण िो समाियिता होती है, उसे सरं चनात्मक समाियिता कहते हैं |
संरचनात्मक समाियिता के तीन प्रकार होते है :-

(a) श्रिृां ला समाियिता – कार्गन की श्रृख


ं ला में वभन्नता के कारण उत्पन्न होने िाली समाियिता को
श्रृंखला समाियिता कहते हैं |

CH3 —
CH2 —
CH2 —
C5H12 CH2 — CH3 n – हेक्टेन

2–
मेवर्लपेटेन
(b) स्थान समाियिता -वियाशील समहू के स्ट्र्ान में वभन्नता के कारण उत्पन्न होनेिाली समाियिता को
स्ट्र्ान समािरािता को कहते हैं |
CH3 —
CH2 —
C3H8O CH2 — OH प्रोपेनॉल

2 – प्रोपेनॉल
(c) कक्रयाशील समाियिता – िर् दो या दो से अवधक यौवर्कों के अनसु िू एक ही हो वकंतु उनमें उपवस्ट्र्त
वियाशील समहू वभन्न-वभन्न हो | तो इस घटना को वियाशील समाियिता कहते हैं |
CH3 —
CH2 —
C2H6O OH एर्ेनॉल
CH3 —
O — र्ाइमेवर्ल
CH3 ईर्र
2. किकिम समाियिता – विविम समाियवियों का संरचना सिू समान होता है वकंतु परमाणओ ु ं एिं समहू ों की
स्ट्र्ावनक व्यिस्ट्र्ा या विन्यास वभन्न होते हैं | विविम समाियिता के दो प्रकार होते हैं :-
(a) ज्याकमतीय समाियिता – यह समाियिता िैसे ऐवल्कनों या उनके व्यत्ु पन्नों द्वारा प्रदवशगत होती है विनके
वद्वर्ंध से िड़ु े प्रत्येक कार्गन के सार् दो वभन्न-वभन्न समहू िुड़े हों |

C4H8 वसस-2-ब्यटू ेन

रांस-2-ब्यटू ेन
(b) प्रकाकशक समाियिता – एक कार्गन परमाणु से चार वभन्न परमाणु या समहू िड़ु े हो तो ऐसे कार्गवनक

यौवर्क के दो प्रकावशक समाियिी होर्ें |


चार विवभन्न समहू ों द्वारा िड़ु े कार्गन को असमवमत कार्गन परमाणु कहते हैं |
काबडकनक यौकगक के बनाने के किकध एिां गुण
कार्गवनक यौवर्कों के स्त्रोत मख्ु य रूप से पेरोवलयम (50%), कोयला (24%) एिं पेड़-पौधे
(26%) होते हैं | पेरोवलयम से पेरॉल, कार्गवनक द्योतक तर्ा अन्य उपयोर्ी कार्गवनक रसायन मख्ु य रूप से
प्राप्त होते हैं कोयला के कालतार (अलकरता), कोक तर्ा अन्य उपयोर्ी कार्गवनक यौवर्क प्राप्त होते हैं | पेड़-
पौधों से प्राप्त कार्गवनक यौवर्कों में चीनी, स्ट्टाचग, ऐल्कोहॉल, रे विन तर्ा रर्र मख्ु य रूप है |

नोट – कार्गवनक यौवर्कों के रासायवनक र्णु उनेक वियाशील मल ू क पर वनभगर करते हैं |
हाइड्रोकाबडन ( Hydrocarbon ) – हाइड्रोकार्गन को पेरोवलयम से तर्ा हिा की अनपु वस्ट्र्वत में कायेले
को र्मग करके प्राप्त वकया िाता है | हाइड्रोकार्गन के कोयले को र्मग करके प्राप्त वकया िाता है हाइड्रोकार्गन के
भौवतक र्ुण इनकी श्रृंखला के सार् र्दलती है |
दहन ( Combusion ) – दहन िह प्रविया है विसमे , सतं प्तृ हाइड्रोकार्गन िायु की उपवस्ट्र्वत में नीले लौ
के सार् िलकर कार्गन र्ाइऑक्साइर् और िल र्नाते हैं |
CH4 + 2O2 → CO2 + 2H2 O + ऊष्मा
2C2 H6 + 7O2 → 4CO2 + 6H2 O + ऊष्मा
LPG – प्रोपेन, ब्यटू ेन तर्ा आइसोब्यटू ेन
पेरोल – C6 — C2 के सतं प्तृ हाइड्रोकार्गन
ककरोकसन – C11 — C15 के के संतप्तृ हाइड्रोकार्गन
डीजल – C15 — C18 के संतप्तृ हाइड्रोकार्गन
CNG – 80% CH4
हैलोज़कनकारण ( Halogenation ) – विसररत सयू ग के प्रकाश की उपवस्ट्र्वत में ऐल्के न के सभी
हाइड्रोिन परमाणु र्ारी – र्ारी से क्लोरीन परमाणु द्वारा प्रवतस्ट्र्ावपत हो िाते है | इस अवभविया को प्रवतस्ट्र्ापन
अवभविया कहते हैं तर्ा यह परू ी विया हैलोिनीकरण कहलाती है |

एशकीन ( Alkene ) – ऐल्के नों की तल ु ना में ऐवल्कन अवधक वियाशील होते हैं | लेर् उतप्रेरक की
उपवस्ट्र्वत में ऐवल्कन हाइड्रोिन से अवभविया कर संतप्तृ हाइड्रोकार्गन र्नाता है | इस अवभविया को

हाइड्रोिनीकरण कहते हैं |


ऐशकाइन ( Alkyne )– हाइड्रोिन के सार् ऐल्काइन की अवभविया दो चरणों में होती है | पहले चरण में
ऐल्काइन लेर् उत्प्रेरक की उपवस्ट्र्वत में हाइड्रोिन के सार् िुड़कर ऐवल्कन र्नाता है िो पनु : एक अणु हाइड्रोिन
से िड़ु कर संतप्तृ हाइड्रोकार्गन र्नाता है |

ऐरोमैकटक हाइड्रोकाबडन ( Aromatic hydrocarbon ) – सल्फ्यरू रक अम्ल की उपवस्ट्र्वत में


र्ेंिीन नाइवरक अम्ल से अवभविया कर नाइरोर्ेंिीन र्नाता है |

• लोहा की उपवस्ट्र्वत में र्ेंिीन क्लोरीन से अवभविया कर क्लोरोर्ेंिीन र्नाता है |

एशकोहॉल ( Alcohol
) – ऐवल्कन हैलाइर् को िलीय सोवर्यम हाइड्रॉक्साइर् के सार् र्मग करने पर ऐल्कोहॉल प्राप्त

होता है |
व्यापाररक विवध में ऐल्कोहॉल को चीनी या स्ट्टाचग के वकण्िन द्वारा प्राप्त वकया िाता है |

एथेनॉल ईधन ां के रूप में


ऐल्कोहॉल (20%) को पेरोल (80%) के सार् वमवश्रत करके ईधन ं के रूप में व्यिहार वकया िाता
है | अत: शवक्त के उत्पादन के वलए प्रयोर् में लाए िाने िाले ऐल्कोहॉल को पािर ऐल्कोहॉल कहते हैं |

मेथेनॉल का उत्पादक प्रिाि


मेर्ेनॉल का मानि शरीर पर उन्मादक प्रभाि पड़ता है तर्ा यह अत्यंत विषैला होता है मेर्ेनॉल लीिर में
ऑक्सीकृ त होकर मेर्ेनॉल में पररणत हो िाता है िो हमारी कोवशकाओ ं के सार् तेिी से अवभविया कर
प्रोटोप्लाज्म को अंर्े के ऑमलेट की तरह िमा देता है | मेर्ेनॉल नेि संर्ंधी वशराओ ं को प्रभावित कर संधापन
उत्पन्न करता है और कभी-कभी व्यवक्त की मृत्यु भी हो िाती है |

मेथीलीकृत कस्पररट या किकृकतकृत कस्पररत


एवर्ल ऐल्कोहॉल का उपयोर् पीने के अवतररक्त अन्य औद्योवर्क एिं प्रयोर्शाला के कायों में भी होता है |
उद्योर्ों एिं प्रयोर्शाला के कायों में प्रयक्त
ु होनेिाले ऐल्कोहॉल में कुछ ऐसे िेषैल पदार्ग वमला वदया िाता है
विससे िह पीने के अयोग्क र्ने हुए एवर्ल ऐल्कोहॉल को विकृ वत कृ त वस्ट्पररट कहते हैं | विकृ वतकृ त ऐल्कोहॉल
र्नाने के वलए पररशोवधत वस्ट्पररट में मेवर्ल ऐल्कोहॉल (5 – 10%) िैसा विषैला पदार्ग वमला वदया िाता है
| इसके अवतररक्त कुछ रंर्ीन पदार्ग वमला वदए िाते हैं विससे विकृ वतकृ त ऐल्कोहॉल का रंर् नीला हो िाए तर्ा
इसकी पहचान हो सके |

काबोकक्ट्सकलक अम्ल ( Carboxylic acid )


प्राइमरी ऐल्कोहॉल के आक्सीकरण से कर्ोंवक्सवलक अम्ल र्नाया िाता है |

एर्ोनोइक अम्ल का साधारण नाम ऐवसवटक अम्ल है 6 – 8% तनु ऐवसटीन अम्ल को वसरका कहते है |
विसका उपयोर् आचार र्नाने में रक्षक के रूप में होता है |

ु ऐवसवटक अम्ल िमकर र्र्ग -िैसा ठोस विस्ट्टल में पररिवतगत हो िाता है िो 290K
ठंर्ा वकए िाने पर शद्
(27°C) ताप पर वपघल िाता है |

साबनु और अपमाजडक ( Soap and detergent ) – उच्च श्रृख ं ला िाले कार्ोवक्सवलक अम्लों
(C12 – C20) को िसीय अम्ल कहा िाता है | इन उच्च िावसय अम्लों में पावनवटक अम्ल (
C15H31COOH ) वस्ट्टएवटक अम्ल ( C17H35COOH ) तर्ा ओलेइक अम्ल (
C17H33COOH ) उल्लेखनीय है |
साबुन बनाने की किकध – साबुनीकरण ( Soapnification )
िनस्ट्पवत तेल या िसा को सोवर्यम हाइड्रॉक्साइर् विलयन के सार् र्मग करने से सार्नु तर्ा वग्लसरॉल र्नता है

विसे सार्नु ीकरण कहते हैं |

कठोर जल के साथ साबुन का आचरण


कठोर िल में कै वल्सयम और मैग्नीवशयम के विलेय सल्र्े ट क्लोराइर्, र्ाइकार्ोनेट लिण उपवस्ट्र्त रहते हैं |
िर् सार्नु कठोर िल के संपकग में आता है तो सार्नु में उपवस्ट्र्त िसा – अम्ल सोवर्यम लिण कै वल्सयम
मैग्नीवशयम लिणों से अवभविया करता है | विसके र्लस्ट्िरूप िसा अम्ल का अविलेय कै वल्सयम या
मैग्नीवशयम लिण र्नता है िो अिक्षेप के रूप में पृर्क हो िाता है इन अविलेय लिणों के र्नाने में सार्न्ु न व्यर्ग
ही खचग हो िाता है |

अपमाजडक – अपमािगक उच्च ऐल्कोहॉल के हाइड्रोिनसल्र्े ट व्यत्ु पन्न के सोवर्यम लिण होते हैं |

अपमािगक कठोर या मीठे िल में तेिी से घुल िाता है तर्ा या कठोर िल के सार् अविलेय कै वल्सयम अर्िा
मैग्नीवशयम लिण नहीं र्नाता है | अत: यह कठोर िल में भी खल ु झार् देता है |

िाकशगां पाउडर ( Washing powder )– सर्ग , मैविक लक्स आवद िावशंर् पािर्र में लर्भर्
15% से 30% अपमािगक रहता है| पाउर्र को शष्ु क रखने के वलए उसमें सोवर्यम सल्र्े ट और सोवर्यम
वसवलके ट वमला वदए िाते हैं | सोवर्यम परर्ोरे ट की उपवस्ट्र्वत में पाउर्र में विरंिक र्णु आ िाता है यह कपड़ों में
सर्े दी लाता है |
धातुओ ां के किकशष्ट गुण
िौकतक गुण ( Physical Properties )
1. इलेक्ट्राॅकनक किन्यास ( Electronic configuration ) – धातओ ु ं के
परमाणु की ब्रहातम कक्षा में साधारणत: 1, 2 या 3 इलेक्राॅॅन होते हैं |
िैसे – Li – 2, 1

Na – 2, 8, 1
Mg – 2, 8, 2

Al – 2, 8, 3

2. किधुतधनात्मक गुण ( Electropositive Property )– धातएु ाँ विधतु धनात्मक होती है


अर्ागत् इनके परमाणुओ ं में इलेक्राॅॅनों को त्यार् करने की क्षमता होती है |

3. अधातिधडनीयता ( Malleability )– धातएु ाँ


अधातिधगनीय होती है अर्ागत् इन्हें हर्ौड़ो से पीटकर इनकी चादरे र्नाई या सकती है |
4. तन्यता ( Ductile ) – धातएु ाँ तन्य होती है अर्ागत् इन्हे खीचकर इनसे तार र्नाए िा सकते है |
5. द्रिणाांक एिां क्ट्िथनाांक ( Melting and boiling Point ) – धातओ ु ं के द्रिणांक एिं
क्िर्नाक ं उच्च होते हैं | लेवकन, सोवर्यम और पोटेवशयम अपिाद है क्योंवक ये वनम्न ताप पर ही वपघलकर
उर्लने िलाते हैं |
6. ऊष्मीय एिां किधुत चालकता ( Thermal and electrical conductivity )– सभी
धातएु ाँ ऊष्मा एिं विधतु की सुचालक होती है | वसल्िर ऊष्मा और विधतु की सर्से अवधक सचु ालक होती है ,
िर्वक लेर् ( सीसा ) धातु सर्से कम ग्रैर्ाइर् अपिाद है िो अधातु होते हुए भी विधतु का सचु ालक होता है |
7. चमक ( Shine ) – धातओ ु ं में एक विशेष प्रकार का चमक होती है विसे धातईु चमक कहते हैं | लेवकन
, ग्रैर्ाइर् तर्ा आयोर्ीन अपिाद है िो अधातु होते हुए भी चमकीला होता है |
8. कठोरता ( Hardness ) – सभी धातएु ाँ कठोर होती है | लेवकन, सोवर्यम, पोटैवशयम और वलवर्यम
अपिाद है विसे चाकू से आसानी से काटा िा सकता है |
9. र्धिकन ( Sound ) – धातओ ु ं को हर्ौड़े से पीटने पर एक विशेष प्रकार की ध्िवन उत्पन्न होती है विसे
धातईु ध्िवन कहते हैं |
10. िौकतक अिस्था ( Physical state) – कमरे के ताप पर धातएु ाँ प्राय: ठोस के रूप में होती है |
लेवकन, पारा एक अपिाद है िो कमरे के ताप पर द्रि के रूप में होती है |
11. धनत्ि ( Density ) – सभी धातओ ु ं का घनत्ि उच्च होता है | लेवकन , पोटैवशयम, सोवर्यम,
मैग्नीवशयम, एलवु मवनयम के घनत्ि वनम्न होता है |
धातुओ ां के रासायकनक गुण ( Chemical properties of Metals )
1. सिी धातुएँ ऑक्ट्सीजन के साथ अकिकक्रया करके ऑक्ट्साइड बनाते हैं |
2Mg + O2 → 2MgO
4Na + O2 → 2Na2O

2. जल के साथ अकिकक्रया –
(i) कुछ धातएु ाँ ठंर्े िल के सार् अवभविया करके हाइड्रोिन र्ैस मक्त
ु करती है तर्ा धातु का ऑक्साइर् या
हाइड्रॉक्साइर् र्नाती है |

2Na + 2H2O → 2NaOH + H2 ↑


2K + 2H2O → 2KOH + H2 ↑
(ii) कुछ धातएु ाँ िल के िाष्प के सार् अवभविया नहीं करती है | िैसे – कॉपर, मरकरी, चााँदी, सोना

नोट: तााँर्ा िल िाष्प के सार् अवभविया नहीं करता है | इसी कारण इसका उपयोर् र्मग िल के टंकी में वकया
िाता है |

(iii) अम्लों के सार् अवभविया – धातएु ाँ अम्लों के सार् विया करके हाइड्रोिन र्ैस मक्त
ु करती है |

2Na + 2HCl → 2NaCl + H2 ↑


2Zn + 2HCl → 2 ZnCl2 + H2 ↑
4. धातु की अन्य धातओ ु ां के लिणों के किलयन के साथ अकिकक्रया कक्रयाशील धातु अपने से
कक्रयाशील धातु के लिण के किलयन से कम कक्रयाशील को किस्थाकपत कर देते हैं |
Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu ↓
Fe + CuSO4 → FeSO4 + Cu ↓
अधातुओ ां के किकशष्ट गुण
अधातुओ ां के िौकतक गुण
1. इलेक्ट्राॅकनक किन्यास ( Electronic configuration ) –अधातओ ु ं के
परमाणु की र्ाह्यतम कक्षा में प्राय: 5, 6 या 7 इलेक्रॉन रहते हैं |
िैसे : S – 2 ,8,6

Cl – 2,8,7

2. किधुतऋणात्मक गुण ( Electronegative Property )- अधातएु ाँ प्राय: विधतु ॠणात्मक

होती है |
3. अधातिधडनीयता और तन्यता ( Malleability and Ductile ) –अधातु आघातिधगनीय
तर्ा तन्य नहीं होती है क्योंवक इसे हर्ैर्ें से पीटने पार ये चरू -चरू हो िाती है |
4. द्रिणाांक एिां क्ट्िथनाांक ( Melting and boiling Point )- अधातओ ु ं के द्रिणाक ं एिं
क्िर्नांक वनम्न होते है| ग्रैर्ाइट एक अपिाद है विसका द्रिणांक एिं क्िर्नांक उच्च होता है |
5. ऊष्मीय एिां किधुत चालकता ( Thermal and electrical conductivity
)- अधातएु ाँ प्राय: ऊष्मा एिं विधतु की कुचालक होती है | ग्रैर्ाइट एिं अपिाद है िो विधतु का सचु ालक होती
है |
6. चमक ( Shine ) – अधातओ ु ं में कोई विशेष प्रकार की चमक नहीं होती है | लेवकन , ग्रैर्ाइट एिं
आयोर्ीन अपिाद है िो चमकीले होते हैं |
7. अधतुओ ां मुलायम होती है |
8. िौकतक अिस्था ( Physical state)- अधातएु ँ कमरे के ताप पर ठोस, द्रि या गैस के रूप में
होती है –
ठोस – कार्गन, सल्र्र

द्रि – ब्रोमीन

र्ैस – ऑक्सीिन, नाइरोिन


9. धनत्ि ( Density ) – अधातओ ु ं के घनत्ि वनम्न होते हैं |
10.र्धिकन ( Sound ) – हर्ौड़े से पीटने पर अधातओ ु ं से कोई ध्िवन नहीं वनकलती है र्वल्क टूटकर चरू -चरू
हो िाती है
अधातुओ ां के रासायकनक गण ु
1.ऑक्ट्सीजन के साथ अकिकक्रया – अधातएु ाँ ऑक्सीिन के सार् सयं ोर् करके अम्लीय ऑक्साइर् र्नाती है
| ये ऑक्साइर् िल में धलु कर अम्ल र्नाते हैं |
C + O2 → CO2
H2O + CO2 → H2CO3
2. क्ट्लोरीन के साथ अकिकक्रया – अधतएु ाँ िल के सार् अवभविया करके क्लोराइर् र्नाती है |
H2 + Cl2 → 2HCl
3. जल के साथ अकिकक्रया – अधातएु ाँ िल के सार् अवभविया नहीं कराती है |
4. अम्लों के साथ अकिकक्रया – अधातएु ाँ अम्लों के सार् प्राय: अवभविया नहीं करती है | लेवकन, कुछ
अधातएु ाँ ऑक्सीकारक अम्लों के सार् अवभविया के सार् अवभविया करके ऑक्सीिन अम्ल र्नाती है |
S + 6HNO3 → H2SO4 + 6NO2 + 2H2O
5. हाइड्रोजन के साथ अकिकक्रया – अधातएु ाँ हाइड्रोिन के सार् सयं ोर् करके हाइड्राइर् र्नाते है |
H2 + S → H2S
उपधातु के गुण
1. उपधातु धातु तर्ा अधातु दोनों के र्णु प्रकट करते हैं |
िैसे :-Silicon ( Si ) , Germanium (Ge) , Arsenic( As)

धातओ ु ां और अधातओ ु ां के बीच अकिकक्रया :-


1. धातु और अधातु परस्ट्पर अवभविया करके आयवनक यौवर्क र्नाती है |
2. अधातु और अधातु परस्ट्पर अवभविया करके सहसंयोिक यौवर्क र्नाती है |
3. धातएु ाँ परस्ट्पर रासायवनक अवभविया नहीं करती है |
इलेक्ट्रॉन – कबांदु सांरचना ( Electron-dot Structure )
वकसी भी रासायवनक र्ंधन के र्नने में परमाणु के र्ाह्यतम कक्षा में इलेक्रॉन ही भार् लेते हैं | ये सयोजी
इलेक्ट्रॉन कहलाते है विनको चतवु दगक वर्न्दओ ु ं ( •) के द्वारा तत्िों के परमाणु के चारों ओर दशागया िाता है विसे
इलेक्रॉन-वर्ंदु संरचना कहते हैं |
कुछ तत्िों के परमाणु की इलेक्रॉन वर्दं ु सरं चाएाँ –
कुछ आयनों की इलेक्रॉन – वर्दं ु सरं चनाएाँ –

क्लोराइर् आयन

सोवर्यम आयन

ऑक्साइर् आयन

कुछ अणओ
ु ं की इलेक्रॉन – वर्ंदु संरचनाएाँ –

हाइड्रोिन ( H2 )

मेर्ेन ( CH4 )
िल ( H2O )

कार्गन र्ाइऑक्साइर् ( CO2 )


आयन ( Ions ) – िर् वकसी आयन का परमाणु एक या एक से अवधक इलेक्रोनों का त्यार् या ग्रहण करता
है तर् िह परमाणु आयन र्न िाता है |
आयन के दो प्रकार होते हैं |

1. धनायन / के टायन
2. ॠणायन / एनायन
1. धनायन ( Positive ions ) – िर् वकसी तत्ि का परमाणु एक या अवधक इलेक्रोनों का त्यार्
करता है तर् िह धनायन कहलाता है |

धनायन की किशेषताएँ –
A. वकसी धनायन में अपने मल ू परमाणु से कम इलेक्रॉन रहते हैं |
B. धनायन पर धन आिेश रहता है |
C. परमाणु के धनायन में पररितगन हो िाने पर भी उसकी परमाणु सख्ं या अपररिवतगत रहती है |
D. धनायन का इलेक्रॉवनक विन्यास उसके वनकटतम उत्कृ ष्ट र्ैस के सदृश होता है |
E. धनायन का आकर उसके मल ू परमाणु के आकार से छोटा होता है |
F. धातु परमाणु के धनायन र्नते हैं |
2. ॠणायन ( Negative ions ) – िर् वकसी तत्ि का परमाणु एक या अवधक इलेक्रोनों का ग्रहण

करता है तर् िह ॠणायन कहलाता है |


ॠणायन की किशेषताएँ –
A. ॠणायन में अपने मल ू परमाणु से अवधक इलेक्रॉन रहते हैं |
B. ॠणायन पर ॠण आिेश रहता है |
C. मलू परमाणु के ॠणायन में पररितगन हो िाने पर उसकी परमाणु संख्या अपररिवतगत रहती है |
D. ॠणायन का आकार अपने मूल परमाणु के आकार से र्ड़ा होता है |
E. ॠणायन का आकार अपने मूल परमाणु के आकार से र्ड़ा होता है |
F. ॠणायन के र्णु अपने मल ू परमाणु र्ुणों से वर्लकुल वभन्न होते हैं |
G. अधातु परमाणु से ॠणायन र्नते हैं |
रासायकनक बांधन ( Chemical bonding )
िह रासायवनक र्ल िो वकसी अणु में परमाणओ ु ं को एक सार् र्ााँधकर रखता है रासायवनक र्ंधन कहलाता है
रासायवनक र्धं न दो प्रकार के होते हैं | –

1. िैधतु संयोिन र्ंधन या आयवनक र्ंधन ( Electrovalent bond or ionic


bond )
2. सहसंयोिक र्ंधन ( Covalent bond )
1. िैधुत सांयोजक बांधन या आयकनक बांधन – दो परमाणओ ु ं के र्ीच एक परमाणु से दसू रे परमाणु में या
रासायवनक र्ंधन को िैधतु संयोिक र्ंधन को ध्रिु ीय र्ंधन भी कहते हैं |

2. सहसयां ोजक बध ां न – िर् दो परमाणु आपस में इलेक्रॉनों का साक्षा करके अपना अष्टक परू ा करते करते हैं
तर् उसके र्ीच र्ना हुआ रासायवनक र्ंधन सहसंयोिक र्ंधन कहलाता है |

सहसांयोजक बांधन तीन प्रकार के होते हैं –


A. एकल सहसंयोिक र्ंधन ( Single Covalent bond )
B. वद्वक सहसंयोिक र्ंधन ( Doble Covalent bond )
C. विक सहसयं ोिक र्धं न ( Tripal Covalent bond )
A. एकल सहसयोजक बांधन – िर् दो परमाणु आपस में के िल एक यग्ु म इलेक्रॉनों का साझा करते हैं तर्
उनके र्ीच र्ना र्ंधन एकल सहसंयोिक र्ंधन कहलाता है |
एकल सहसयं ोिक र्धं न को एक लकीर (—) द्वारा सवू चत वकया िाता है |
B. किक सहसांयोजक बांधन – िर् दो परमाणु में दो यग्ु म इलेक्रॉनों का साझा करते हैं उसके र्ीच र्ना र्ंधन
वद्वक सहसंयोिक र्ंधन कहलाता है | वद्वक सहसंयोिक र्ंधक को दो लकीर (=) द्वारा सवू चत वकया िाता है |

C. किक सहसांयोजक बांधन – िर् दो परमाणु आपस में तीन यग्ु म इलेक्रॉनों का साझा करते हैं तर् उसके र्ीच
र्ना र्धं न विक सहसयं ोिक र्ंधन कहलाता है | विक सहसयं ोिक र्धं न को तीन लकीर (≡) द्वारा सवू चत वकया

िाता है |
• िैधतु सयां ोजक यौकगकों की किशेषताएँ –
1. ये इलेक्रॉनों के पणू ग स्ट्र्ानांतरण के र्लस्ट्िरूप र्नते हैं |
2. ये आयनों से र्ने होते हैं |
3. ये मख्ु यत: विस्ट्टलीय ठोस पदार्ग होते हैं |
4. इनके द्रिणांक और क्िर्नांक उच्च होती है |
5. ये िल में प्राय: विलय वकन्तु र्ेंिीन, ऐसीटोन, क्लोरार्ॉमग आवद कार्गवनक विलायकों में प्राय:
अविलेय होते हैं |
6. िैधतु -अपघटन करने पर ये अपघवटत हो िाते हैं |
2NaCl → 2Na + Cl2
7. ठोस अिस्ट्र्ा में ये विधतु कुचालक वकन्तु िलीय विलयन में अिस्ट्र्ा में विधतु के सचु ालक होते हैं |

8. इनके अणओ
ु ं की कोई वनवित आकृ वत नहीं रहती है |
9. विलयन में ये तेिी से अवभविया करते हैं |

• सहसयां ोजक यौकगको की किशेषताएँ –


1. ये इलेक्रॉनों के साझा करने के र्लस्ट्िरूप र्नते हैं |
2. ये उदासीन अणुओ ं से र्ने होते हैं |
3. ये प्राय: ठोस या द्रि होते हैं |
4. इनके द्रिणांक और क्िर्नांक वनम्न होते हैं |
5. ये िल में अविलेय, वकंतु कार्गवनक विलायको में विलेय होते हैं |
6. सहसंयोिक यौवर्क विधुत के कुचालक होते हैं |
7. ठनके अणओ ु ं की वनवित आकृ वत होती है |
8. ये विवलयन में धीरे -धीरे अवभविया करते हैं |
9. इनका िैधतु -अपघटन प्राय: नहीं होता है |
प्रकृकत में धातुओ ां की उपकस्थकत
प्रकृ वत में धातएु ाँ पृर्थिी की परत तर्ा समद्रु ी िल में पाई िाती है ये धातएु ाँ दो रूपों में पाई िाती है |

1. मुक्त अिस्था में – िे धातओ ु ं मक्त ु अिस्ट्र्ा में पाई िाती है विन पर िायु के ऑक्सीिन,
िलिाष्प, कार्गन र्ाइऑक्साइर् आवद का कोई प्रभाि नहीं पड़ता है | िैसे – वसल्िर, र्ोल्र्,
प्लैवटनम आवद |
2. सयां क्त
ु अिस्था में – िे धातएु ाँ सयं क्त
ु अिस्ट्र्ा में पाई िाती है | विन पर िायु के ऑक्सीिन,
िलिाष्प, कार्गन र्ाइऑक्साइर् आवद आसानी से विया कर पाते हैं | िैसे – सोवर्यम,
पोटैवशयम, कॉपर |
• िकनज ( Minerals ) – पृर्थिी की परत में विद्यमान धातय ु क्त
ु पदार्ग खवनि कहलाते हैं
|
• अयस्क ( Ores ) – विन खवनि में प्रचरु मािा में धातु विद्यमान होते हैं तर्ा विससे कम

खचग में ही एिं सरलता से धातु प्राप्त की िा सके , उसे अयस्ट्क कहते हैं |
नोट – सभी अयस्ट्क खवनि होते हैं, वकंतु सभी खवनि अयस्ट्क नहीं होते |

धातु खवनि प्रावप्त-स्ट्र्ान


र्ोरै क्स,
वचली लछाक (
सोवर्यम साल्टपीटर कशमीर )

र्ेलोमाइट,
मैग्नीवशयम मैग्नोसाइट तवमलनार्ु
अयस्क कई प्रकार के होते हैं –
1. ऑक्साइर् अयस्ट्क – कॉपर, ऐलवु मवनयम, विंक, वटन आइटन आवद |
2. सल्र्ाइर् अयस्ट्क – कॉपर, वसल्िर, विंक, मरकरी लेर्, आइरन आवद |
3. कर्ोंनेट अयस्ट्क – सोवर्यम, कॉपर, कै वल्सयम, मैग्नीवशयम, विंक, लेर्, आइरन आवद |
4. हैलाइर् अयस्ट्क – कै वल्सयम |
धातकु मड ( Metallurgy ) – अयस्ट्कों से धातओ ु ं के वनष्कषगण एिं उनके शोधन की प्रविया धातक ु मग
कहलाती है |
1. गैंग ( Gange ) – अयस्ट्कों में पाए िाने िाले अिाछ ं नीय पदार्ों को र्ैंर् कहते हैं |
2. अयस्क का साांद्रण (Concentration of ore ) – अयस्ट्क में विद्यमान अपद्रव्यों
को र्ैंर् कहते हैं |
3. कनस्तापन ( Calcination ) – अयस्ट्क को उच्च ताप पर िायु की अनपु वस्ट्र्वत या
अपयागप्त आपवू तग में उसके द्रिणांक से कम ताप पर र्मग कर धातु को उसके ऑक्साइर् में
पररिवतगत करने की प्रविया वनस्ट्तापन कहलाती है |
4. िजडन ( Roasting ) – सल्र्ाइर् अयस्ट्कों को िायु की पयागप्त आपवू तग की वस्ट्र्वत में
तीव्रता से र्मग करके धातु को ऑक्साइर् परिावतगत करने की प्रविया भिगन कहलाती है |
5. गालक ( Flux ) – र्ालक िह पदार्ग है विसे वनस्ट्तावपत या भविगत अयस्ट्क एिं कोके के
सार् वनवतत कर वमश्रण को र्मग वकया िाता है ऐसा करने से अयस्ट्कों में विद्यमान अर्लनीय
अपद्रव्य दरू हो पाते है |
6. धातमु ल ( Slag ) – द्रािक अयस्ट्क में उपवस्ट्र्त अद्रिणशील पदार्ग में पररिवतगत कर देता है
विसे धातमु ल कहते हैं |
7. प्रगलन ( Smelting ) – धातु के ऑक्साइर् को कोक के सार् र्मग करके उसे धातु में
पररिवतगत करके प्रविया प्रर्लन कहलाती है |
• धातक ु मग में प्रयक्त
ु विवभन्न चरण वनम्नवलवखत है –
1. अयस्ट्क का साद्रं ण
2. सांवद्रत अयस्ट्क का धातु के ऑक्साइर् में पररितगन
3. धातु के ऑक्साइर् से धातु का वनष्कषगण
4. धातु का शोधन
1. अयस्क के साांद्रण की किकधयाँ –
A. हाथ में चुनकर – अयस्ट्क में विद्यमान र्ड़े आकर अशवु द्यों कई टुकड़ों को हार् से चनु कर
अलर् कर वलया िाता है | वर्र उसे िशर में र्ालकर चणू ग र्ना वलया िाता है |
B. गुरुत्ि पृथक्ट्करण किकध – अयस्ट्क के चनु को िल के सार् घोलकर टेढ़ मार्ग से र्िु ारा िाता
है } विससे अयस्ट्क पीछे छूट िाते हैं और उसमे उपवस्ट्र्त अशवु द्यााँ िल में घल ु कर र्ह िाती
है |
C. फे न प्लिन किकध- अयस्ट्क के भारी चणू ग को िल से भरी एक टंकी में र्ालते हैं तत्पिात उस
िल में र्ोड़ा तेल र्ालकर िायु प्रिाह द्वारा िलको खर्ू आलोवड़त वकया िाता है | विलय
अपद्रव्य िल में घल ु िाते हैं और अयस्ट्क के हल्के कणग र्े न के सार् िल के सार् िल की
सतह के ऊपर आ िाते हैं विन्हें अलर् कर वलया िाता है वर्र , सावं द्रत अयस्ट्क को छानकर
सख ु ा देते हैं |
D. गलाकनक पृथक्ट्करण किकध – इस विवध द्वारा ऐसे अयस्ट्कों का अपद्रव्यों के द्रिणांक से कम
हो अशद् ु अयस्ट्क को र्मग कर वपघला देते हैं वर्र उसे एक ढ़ावलनमु ा तल से प्रिावहत करते हैं |
विसमे उपवस्ट्र्त अयस्ट्क आर्े र्ढ़ िाते और अपद्रव्य पीछे छूट िाते हैं |
E. चुांबकीय पथ ृ क्ट्करण किकध – यह विवध िैसे अयस्ट्कों. के वलए प्रयक्त ु होती है िर् अयस्ट्क
और उसमें विद्यमान अपद्रव्यों में कोई एक चंर्ु कीय हो वर्र चम्ु र्क विस अयस्ट्क में होते हैं
उसकों एक विधतु चंर्ु कीय र्ेलनों के र्ेल्क पार र्ालकर मशीन को चालू कर वदया िाता है |
अपद्रव्य चर्ंु कीय होने के कारण चर्ंु क की ओर आकवषगत होकर पि में वर्रता है िर्वक
अचंर्ु कीय पदार्ग उससे दरू होकर एकअलर् पाि में वर्रता है |
F. कनक्षालन – यह विवध िैसे अयस्ट्कों के ली प्रयक्त ु की िाती है िर् अयस्ट्क एिं उसमे विद्यमान
अपद्रिों के रासायवनक र्णु वभन्न-वभन्न होते हों |
इस विवध में अयस्ट्क के चणू ग को एक उपयक्त ु विलायक में र्ालते है | अयस्ट्क इसमें घुल िाता है, िर्वक
अपद्रव्य विलेय अिस्ट्र्ा में ही रह िाते हैं अविलेय अपद्रव्यों को छानकर अलर्कर वलया िाता है |

2. साांकद्रत अयस्क को धातु के ऑक्ट्साइड में पररितडन करना साांकद्रत अयस्क को कनस्तापन या िजडन
किकध िारा धातु के ऑक्ट्साइड में पररितडन ककयाजाता है |
3. धातु के ऑक्ट्साइड से धातु प्राप्त करना
धातु के ऑक्साइर् से धातु प्राप्त करने विवध धातु की वियाशीलता पर वनभगर कराती है इसके वलए वनम्नवलखत
विवधयााँ प्रयक्त
ु होती है –

A. उष्मा िारा अिकरण – वियाशीलता श्रेणी में नीचे के धातओ ु ं के ऑक्साइर् की वसर्ग र्मग
कर देने से ही धातु में पररिवतगत हो िाते हैं |
B. रासायकनक अिकरण – इस विवध में कार्गन या ऐलवु मवनयम के चणू ग को अिकारक के रूप में
प्रयोर् वकया िाता है |
काबडन िारा अिकरण – वियाशीलता श्रेणी में िो िस्ट्तएु ाँ मध्य में होती है | उनके ऑक्साइर् को वसर्ग र्मग
करके धातु में पररणत नहीं वकया िा सकता है| इसके वलए वकसी अिकारक की आिश्यकता होती है | इसमें
धातु के ऑक्साइर् को कोक या कोयला के सार् वमलाकर िायु की वसवमत उपवस्ट्र्वत में एक भटी में वकया िाता
है | इस अवभविया के र्लस्ट्िरूप कार्गन मोनोक्साइर् र्ैस र्नती है | िो धातु के ऑक्साइर् को धातु में अिकृ त
कर देती है इस प्रविया को प्रर्लन भी करते हैं |
ऐलुकमकनयम िारा अिकरण – कुछ धातओ ु ं के ऑक्साइर् कार्गन द्वारा अिकृ त नहीं वकए िा सकते है ऐसी
वस्ट्र्वत में अिकरण की विया ऐलवु मओर्वमगक विवध कहते हैं |
C. िैधुत अपघटन िारा अिकरण – िो धातएु ाँ वियाशीलता श्रेणी के ऊपरी भार् में होती है | उन धातओ ु ं के
द्रवित ऑक्साइर् या क्लोराइर् का िैधतु अपघटन करके धातओ ु ं को प्राप्त वकया िाता है |
4. अशुद्ध धातुओ ां का शोधन
A. िैधुत अपघटन िारा शोधन – िैधतु अपघटन द्वारा शोधन करने के वलए अशद् ु धातु को
ऐनोर् एिं शद् ु धातु की प्लेट को कै र्ोर् के रूप में में इस्ट्तेमाल वकया िाता है | धातु के एक
लिण का विलयन िैधतु अपघटन का कायग करता है | विधतु धारा प्रिावहत करने पर ऐनोर्
शद्ु धातु वनकलकर विलयन में िाती है और विलयन में से उतनी ही शद् ु धातु कै र्ेर् पर
एकवित हो िाती है | विलेय अपद्रव्य विलयन चले िाते हैं िर्वक अविलेय अपद्रव्य ऐनोर् के
नीचे पेंदी के एकल हो िाते हैं िो ( ऐनोर् मर् ) कहलाते हैं |
धातओ ां ारण ( Corrosion of metals ) – धातु की सतह पर िायु की ऑक्सीिन, कार्गन
ु ां का सक्ष
र्ाइऑक्साइर्, िलस्ट्िरूप धातु का संक्षारण कहलाता है |
सांक्षारण रोकने के उपाय
1. धातु की र्ाहरी परत पर ग्रीस या तेल लर्ाकर |
2. धातएु ाँ द्वारा स्ट्ियं रक्षा किच र्ना कर |
3. रंर्ाई करके |
4. धातु की वकसी िस्ट्तु को वपघले हुए िस्ट्ता में र्ुर्ाकर िस्ट्तु की सतह पर िस्ट्ता की एक परत
चढ़ा दी िाती है इस प्रविया में िस्ट्तीकरण कहते हैं |
5. िैधतु अपघटन द्वारा वकसी धातु पर अन्य धातु की परत चढ़ा दी िाती है |
6. धातओ ु ं को वमश्रधातु में पररिवतगत करके |
कमश्रधातु ( Alloy ) – दो या अवधक धातओ ु ं अर्िा एक धातु एिं एक अधातु का वमश्रण वमश्रधातु
कहलाता है | िैसे – पीतल-र्तगन र्नाने में, कॉसा-र्तगन, वसक्का एिं मवू तगयााँ र्नाने में
कमश्रधातु के गुण
1. ये अपने अियिों से अवधक कठोर होते हैं |
2. ये संक्षारण-अिरोधक होते हैं |
3. इसके द्रिणाक ं एिं इनकी विधतु चालकता के अियिों की अपेक्षा कम होते हैं |
4. इनकी र्णु िता इनके अियिों की तल ु ना में र्ढ़ िाती है |
स्टेनलेस इस्पात ( Stainless steel ) – लोहा को इके ल एिं िोवमयम के सार् वमवश्रत कर र्नी
वमश्रधातु स्ट्टेनलेस इस्ट्पात कहलाती है | स्ट्टेनलेस इस्ट्पात कार्ी कठोर एिं िर्ं नहीं लर्ने िाला वमश्र धातु होता है
|
सोना की कमश्रधातु
शद्ु सोना 24 कै रे ट का होता है वकंतु ऐसा सोना अत्यतं मल ु ायम होने के कारण आभषू णों के वनमागण के वलए
ु होता आभूषणों के वनमागण के वलए 22 कै रे ट सोना उपयक्त
अनपु यक्त ु होता है | 22 कै रे ट सोना का अर्ग है वक
इसमें 22 भार् सोना एिं 2 भार् वसल्िर या तााँर्ा वमवश्रत है |

कदशली का लौह – स्तांि


वदल्ली में कुतुर्मीनार के वनकट 8 मीटर ऊाँ चाई और 6000 kg ििन ऐवतहावसक लौह – स्ट्तंभ 2000 िषग
परु ाना होने के र्ाििदू अपनी पिू ग की अिस्ट्र्ा में ही है यह स्ट्तभं वपटिाॅॅ लोहे का र्ना हुआ इस्ट्पात है
| विसका संक्षारण र्हुत ही धीरे -धीरे होता है | इस स्ट्तंभ की र्ाहरी सतह पर लोहे के चंर्ु कीय ऑक्साइर् की
एक पतली पर िाने के कारण इसका संक्षारण र्ावधत हो र्या है |

अम्ल ( Acids ) – अम्ल िह पदार्ग है विसका िलीय विलयन स्ट्िाद में खट्टा होता है तर्ा धातु से
ु करता है |
अवभविया कर हाइड्रोिन र्ैस मक्त
Mg + 2HCl → MgCl2 + H2 ↑
अम्ल के गुण
1. अम्लों का िलीय विलयन विधतु का संचालन करता है
2. अम्ल िह पदार्ग है िो िल में घल
ु कर हाइड्रोिन आयन ( H+ ) देता है –

3. कुल अम्ल विषैले होते है – कार्ोवनक अम्ल


4. कुछ अम्ल हावनकारक होते है – H2 SO4 , HCl
5. कुछ अम्लों विस्ट्पोटक होते है – नाइवरक अम्ल
पदाथड अम्ल

नींर्,ू सतं रा, वसवरक अम्ल (


कंच्चा, अंर्रू C6 H8 O7 )
मौवलक अम्ल (
सेर् H2 C4 H4 O5 )
टाटगररक अम्ल (
इमली H2 C4 H4 O6 )
ऐसीवटक अम्ल (
वसरका HC3 H5 O3 )
लैवक्टक अम्ल (
दही H2 C9 H14 O4 )
ऑक्िैवलक अम्ल (
टमाटर C76 H53 O46 )
टैवनक अम्ल (
चाय HC6 H7 O6 )
एस्ट्कॉवर्गक अम्ल (
विटावमन C HC6 H7 O6 )
र्ॉवमगक अम्ल (
लाल चींटी HCOOH )
हाइड्रोक्लोररक अम्ल (
आमाशय रस HCl )
िष्म ( Bases ) – भष्म िह पदार्ग है विसका िलीय विलयन स्ट्िाद में कड़िा होता है तर्ा िल के सार्

ु कर हाइड्रॉक्साइर् आयन देता है |


घल
िष्म के गुण
1. भष्म स्ट्िाद में कड़िा होता है तर्ा अम्ल को उदासीन कर लिण र्नाता है |
HCl + NaOH → NaCl + H2 O
2. कुछ भष्म विषैले होते हैं – Ca( OH )2 , Ba ( OH )2
3. कुछ भष्म तीव्र नाशक होते हैं िो चमड़े को िला देता है – NaOH , KOH

अम्ल तथा िस्म का पता लगाने के कलए सूचक : कलटमस


कलटमस पि – वलटमस पि एक रासायवनक सचू क है िो र्ैलोर्ाइट िार्ग के लाइके न पौधे से वनकाला र्या
ु ार्ी रंर् का उदासीन अकग होता है | वर्लटर पेपर के टुकड़े को वलटमस के अम्लीय तर्ा क्षारीय विलयन में
र्ल
र्ालकर सख ु ा वलया िाता है विसमें लाल तर्ा नीला वलटमस पि लाल होता है | नीला वलटमस पि वकसी
अम्लीय विलयन में लाल होता है लाल वलटमस पि क्षारीय विलयन में नीला हो िाता है |
मेकथल ऑरांज पीले रंर् का द्रि होता है विसमें अम्लीय विलयन में र्ालने पर विलयन लाल हो िाता है तर्ा
क्षारीय विलयन में र्ालने पर विलयन रंर्हीन हो िाता है तर्ा क्षारीय विलयन पर र्ालने पर विलयन र्ल
ु ार्ी हो
िाता है |
हशदी अम्लीय विलयन र्ालने पर विलयन को पीला कर देता है तर्ा क्षारीय विलयन को लाल भरू ा कर देता है |
चुकांदर अम्लीय विलयन को लाल र्ैंर्नी कर देता है तर्ा क्षारीय विलयन को पीला कर देता है |
लाल गोपी का पता अम्लीय विलयन को लाल र्ैर्नी कर देता है तर्ा क्षारीय विलयन को हरा कर देता है |
रांग पररितडन ( रांग पररितडन ( क्षारीय
सच
ू क अम्लीय ) )

वलटमस लाल वनला

मेवर्ल ऑरें ि लाल वपला

वर्नॉल्पर्ैलीन रंर्हीन र्ल


ु ार्ी

हल्दी पीला लाल – भरू ा

चक
ु ं दर लाल – र्ैंर्नी पीला

लाल र्ोभी का पिा लाल – र्ैंर्नी हरा


अम्ल तथा िस्म के साथ धातुओ ां की अकिकक्रया – अम्ल तर्ा भस्ट्म के सार् धातओ ु ं की अवभविया कर
ु करता है |
हाइड्रोिन र्ैस मक्त
i. Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2 ↑
ii. Zn + 2NaOH → Na2ZnO2 + H2 ↑
धातु के काबोंनेट एक बाइकबोंनेट से अम्लों की अकिकक्रया – धातु के कार्ोंनेट एिं र्ाइकर्ोंनेट अम्लों के
सार् अवभविया करके लिण िल एिं कार्गनर्ाइऑक्साइर् र्नाते हैं |

अम्ल – िस्म अकिकक्रया –अम्ल-भष्म की अवभविया के र्लस्ट्िरूप लिण तर्ा िल र्नाते हैं |
i. NaOH + HCl → NaCl + H2O
ii. NaOH + H2SO4 → NaHSO4 + H2O
धातु के ऑक्ट्साइड की अम्ल से अकिकक्रया – धातु ऑक्साइर् अम्लों के सार् अवभविया करके लिण तर्ा
िल र्नाते हैं |
i. CuO + H2SO4 → CuSO4 + H2O
ii. ZnO + H2SO4 → ZnSO4 + H2O
अधातु के ऑक्ट्साइड की िष्म से अकिकक्रया – अधातु के ऑक्साइर् भस्ट्म के सार् अवभविया करके लिण
तर्ा िल र्नाते हैं |
CO2 + Ca(OH)2 → CaCO3 + H2O
नोट –

1. धातु के ऑक्साइर् भाष्मीय होते हैं |अधातु के ऑक्साइर् अम्लीय होते हैं |
अम्ल तथा िष्म की जल से अकिकक्रया – तर्ा भस्ट्म िल के सार् अवभविया करके ऊष्मा प्रदान करते हैं |
i. HCl + H2O → H3O+ + Cl– + ऊष्मा
ii. NaOH → Na+ + Cl– + ऊष्मा
अम्ल तथा िष्म की शकक्त के अनुसार प्रकार –
प्रबल अम्ल ( Strong acids ) – िे अम्ल िो िल में घल ु कर लर्भर् पिू गत: आयवनत होकर हाइड्रोिन
आयन ( H+ ) प्रदान करते हैं प्रर्ल अम्ल कहलाते हैं | िैसे – हाइड्रोक्लोररक अम्ल ( HCl ) , नाइवरक
अम्ल ( HNO3 ) , सल्फ्यूररक अम्ल ( H2SO4 )
दुबडल अम्ल ( Weak acids ) – िे अम्ल िो िल में घल ु कर वसर्ग आंवशक रूप में ही आयवनत होते हैं
पणू गत नहीं दर्ु गल अम्ल कहलाते हैं | िैसे – कार्ोवनक अम्ल ( H2CO3 ) , एसीवटक अम्ल (
CH3COOH ) , र्ोररक अम्ल ( H3BO3 ) .
प्रबल िष्म ( Strong bases ) – िे भष्म िो िलीय विलयन में लर्भर् पूणगत आयवनत होकर मािा में
हाइड्राक्साइर् आयन प्रदान करते हैं प्रर्ल भष्म या प्रर्ल क्षार कहलाते हैं | िैसे – सोवर्यम हाइड्रोऑक्साइर् (
NaOH ) , पोटेवशयम हाइड्रोऑक्साइर् ( KOH ) .
दुबडल िष्म ( Weak base ) – िे भष्म िो िलीय विलयन में वसर्ग अंशत: आयवनत होकर कम मािा में
हाइड्राक्साइर् आयन प्रदान करते हैं, दर्ु गल भष्म या दर्ु गल क्षर कहलाते हैं | िैसे – कै वल्सयम हाइड्रोऑक्साइर् [
Ca(OH)2 ] , अमोवनयम हाइड्रोऑक्साइर् ( NH4OH ) .
साांद्र अम्ल ( Concentrated acids ) – िर् वकसी विलयन में अम्ल की मािा अवधक रहती है िो
उसे साद्रं अम्ल कहते हैं |
तनु अम्ल ( Dilute acids ) – वकसी विलयन में अम्ल की मािा अपेक्षाकृ त कम रहती है तो उसे तनु
अम्ल कहते हैं |
नोट – साद्रं अम्ल को तनु अम्ल में पररिवतगत करने के वलए अम्ल की र्ोड़ी मािा को िल में वमला वदया िाता है
|
pH ( Potential of Hydrogen ) : हाइड्रोजन आयन ( H+ ) का साांद्रण
वकसी विलयन में हाइड्रोिन ( H+ ) आयन का सांद्रण के वनधागरण के वलए सारंसन ने 1909 ई ंमें एक स्ट्केल
वदया , विसें pH कहा िाता है |
pH : वकसी विलयन के pH उनमें उपवस्ट्र्त हाइड्रोिन ( H+ ) आयनों की सांद्रता के लघर्ु णक का
ॠणात्मक मान है |
pH = – log [H+]
ु िल में [H+] = 1 × 10-7 होता है |
शद्
अतः िल का pH = – log [10-7] [ log an = n log a ]
= – (-7 ) log 10

= 7 × 1 =7 [ log10 = 1 ]

अम्लीय विलयन का pH मान 7 से कम , उदासीन विलयन का pH मान 7 और क्षारीय विलयन का pH


मान 7 से अवधक होता है |

दैकनक जीिन में pH का महत्ि


1. पाचन तांि में pH का महत्ि – हमारे पेट में हाइड्रोक्लोररक अम्ल र्नाते रहता है िो हमारे
भोिन को पचाने में सहायक होता है | इसका pH 1.0 के लर्भर् कायम रहता है इससे पेट
में अम्ल की मािा एक वनवित सीमा ले ऊपर हो िाती है | तर् पेट में र्ैस और िलन होने
लर्ती है अत: र्ढ़े हुए अम्ल के प्रमाण को नष्ट करने के वलए हलके भस्ट्म का इस्ट्तेमाल करना
पड़ता है , विसे ऐटं ावसर् कहते हैं |
2. pH पररितडन का दॉतों पर प्रिाि – िर् हम शकग रायक्त ु भोिन खाते हैं तर् माँहु में में मौिदू
र्ैक्टीररया द्वारा अपघवटत होकर अम्ल र्नाता है | िर् माँहु का pH 5.5 से कम हो िाता है
तर् दााँत के दतं िल्क क्षवतग्रस्ट्त होने लर्ते हैं र्ढ़ते हुए अम्ल को नष्ट करने के वलए दर्ू पेस्ट्ट,
नीम के दातनू का इस्ट्तेमाल करना पड़ता है |
3. थकान के समय शरीर के मॉसपेकशयों में अम्ल की उत्पकत– शारीररक पररश्रम करने में
लौवक्टक अम्ल र्नता है िो हमारे शरीर की मांसपेवशयों में ददग और कड़ापन ला देता है | इस
अिस्ट्र्ा में मांसपेवशयों में ऑक्सीिन की आपवू तग कम हो िाती है विससे ऊिाग का उत्सिगन
कवठन हो िाता है | मांसपेवसयों में अम्ल के प्रभाि को कम करने के वलए हलका क्षारीय पदार्ग
या िाइटं मेट लर्ाना पड़ता है |
4. अम्ल के प्रयोग से बतडनों के धब्बों को दूर करना – कॉपर के र्तगनों पर भावस्ट्मक कॉपर
ऑक्साइर् की परत िम िाने के कारण उनकी चमक र्दरंर् हो िाती है चाँवु क नींर्ू के रस में
वसवरक अम्ल रहता है | अत: र्रतन की सहत को नींर्ू के एक टुकड़े से रर्ड़कर सार् कर देने
से र्रतन की चमक िापस लौट िाती है | नींर्ू में उपवस्ट्र्त वसवरक अम्ल भावस्ट्मक कॉपर
ऑक्साइर् से अवभविया करके कॉपर वसरेट र्नाता है िो िल के सार् र्ाहर वनकल िाता है |
5. कमट्टी का pH – वमट्टी का pH 7 के आसपास रहने पर ही अवधकांश पौधों की िृवद्
संतोषिनक ढाँर् ले होती है | वमट्टी के अत्यवधक अम्लीय या क्षारीय होने पर पौधों की िृवद्
र्ावधत हो िाती है | वमट्टी के अत्यवधक अम्लीय रहने पर उसमें काली चनू ा भखरा चनू ा या
कै वल्सयम कार्ोनेट र्ालकर उसका pH वनयवित वकया िाता है |
6. pH और जलीय जीि – िल का pH एक वनवित सीमा ( 6-7 ) के अंदर रहने पर ही
उसमें िास करनेिाली मछवलयााँ तर्ा अन्य िीि सरु वक्षत रहते हैं | अम्ल िषाग या अन्य कारणों
से िर् नवदयों तालार्ों का pH र्हुत कम हो िाता है तो िलीय िीिों का अवस्ट्तत्ि संकट में
पड़ िाता है ||
7. प्रकृकत िारा उदासीनीकरण की व्यिस्था – नेटल एक झाड़ी में उर्नेिाला पौधा होता है |
इसके पतों में र्ॅसनेिाले रोएाँ होते हैं यह खिु ली रोएाँ होते है विनके द्वारा मेर्ेनोइक अम्ल (
र्ावमगक अम्ल ) का स्त्राि से होता है | इस खिु ली के उपचार हेतु र्ॉक पौधों के पिे को खिु ली
िाले स्ट्र्ान पर रर्ड़ने से खिु ली दरू हो िाती है |क्योंवक इसके टल में क्षर की उपवस्ट्र्वत रहती है
| र्ॉक पौधे नेटल पौधों के निदीक ही उर्ते हैं |
लिण ( Salt )

अम्लों तर्ा भस्ट्मों की अवभविया से लिण तर्ा िल र्नते हैं |

लिण के दो मल
ू क विद्यमान होते हैं एक मलू क भष्म से प्राप्त होता है विसे िाकष्मक मूलक कहते है , िो धन
आिेवशत होते हैं | दसू रा मल
ू क अम्ल से हाइड्रोिन के विस्ट्र्ापन के र्लस्ट्िरूप प्राप्त होता है विन्हें अम्लीय
मूलक कहते हैं ,िो ॠण आिेवशत होते हैं | सोवर्यम क्लोराइर् (NaCl) में सोवर्यम आया ( Na+ )
भावष्मक मूलक तर्ा क्लोराइर् आयन ( Cl– ) अम्लीय मल ू क है |
लिणों में उपवस्ट्र्त समान भावष्मक मल ू क तर्ा समान अम्लीय मल
ू क के आधार पर लिणों के नामकरण वकए
िाते हैं | िैसे – NaCl तर्ा Na2 SO4 में समान भावष्मक मल ू क सोवर्यम आयन ( Na+ ) है | अतः इन
लिणों को सोकडयम लिण कहा िाता है | इसीप्रकार , NaCl तर्ा KCl में समान अम्लीय मल ू क
क्लोराइर् आयन (Cl– ) है | अत: इन लिणों को क्ट्लोराइड लिण कहा िाता है |
लिणों का िगीकरण ( Classification of Salts )
1. सामान्य लिण – िैसे लिण विनमें विस्ट्र्ापनशील हाइड्रोिन या हाइड्रोिन समहू नहीं होते हैं
सामान्य लिण कहलाते हैं |
िैसे – NaCl, KCl, Na2 SO4 , Na3 PO4
2. अम्लीय लिण – वकसी अम्ल के अणु में उपवस्ट्र्त विस्ट्र्ापनशील हाइड्रोिन परमाणु को धातु द्वारा अंशत:
विस्ट्र्ावप्त करने के र्लस्ट्िरूप र्ने लिण को अम्लीय लिण कहते हैं |
िैसे – H2 SO4 + NaOH → NaHSO4 + H2 O
H2 PO4 + NaOH → NaH2 + H2 O
3. िाकष्मक लिण – िैसे भष्म विनके अणु में एक से अवधक हाइड्रोवक्सल समहू होते हैं अम्लों द्वारा आंवशक
रूप सेस उदासीन होकर ये भावस्ट्मक लिण प्रदान करते हैं |
िैसे – Pb ( OH )2 + HNO3 → Pb ( OH )NO3 + H2 O
लिण के pH
1. प्रर्ल अम्ल तर्ा प्रर्ल भष्म के र्ने लिणों का िलीय विलयन उदासीन होता है तर्ा विलयन का pH मान
7 होता है |

उदाहरण – KCl, NaCl , KNO3


2. प्रर्ल अम्ल तर्ा दर्ु गल भष्म से र्ने लिणों का िलीय अम्लीय होता है तर्ा विलयन का pH मान 7 से
कम होता है |

उदाहरण – NH4 Cl, FeCl3 , CuSO4


3. दर्ु गल अम्ल तर्ा प्रर्ल भष्म से र्ने लिणों का िलीय विलयन क्षारीय होता है तर्ा विलयन का pH मान
7 से अवधक होता है |

उदाहरण – Na2 CO3 , NaHCO3 , NaCN


कुछ उपयोगी लिण
1. सोकडयम क्ट्लोराइड ( साधारण नमक, NaCl )
सोवर्यम हाइड्रॉक्साइर् तर्ा हाइड्रोक्लोररक अम्ल की आवभविया से सोवर्यम क्लोराइर् प्राप्त होता
है |

NaOH + HCl → NaCl + H2O


हमारे देश में नमक का स्त्रोत समदु ी िल एिं चटाने हैं | भारत में 95% सोवर्यम क्लोराइर् की प्रावप्त
समद्रु ी िल के िाष्पीकरण से होती है लेवकन यह नमक खाने योग्य नहीं होता है | इसे खाने योग्य र्नाने के वलए
KI03 या Kl की र्ोड़ी मािा वमला कर आयोर्ीन यक्त ु र्नाया िाता है विससे नमक खाने योग्य र्ना िाता है
सेंधा नमक काला नमक
काला सेंधा नमक को िमीन खोदकर से प्राप्त वकया िाता है | इस नमक में अशवु द् के रूप में लाल वचकनी वमट्टी
के कण वमले होते हैं विससे नमक का रंर् भरू ा हो िाता है |

2. सोकडयम हाइड्रॉक्ट्साइड ( कॉकस्टक सोडा, NaOH ) – सोवर्यम हाइड्रॉक्साइर् को क्लोर-ऐल्कली


विवध द्वारा र्नाया िाता है इस विवध में सोवर्यम क्लोराइर् के िलीय विलयन का विधतु अपघटन करा कर
सोवर्यम तर्ा क्लोरीन को अलर्-अलर् प्राप्त वकया िाता है वर्र सोवर्यम धातु को िल से अवभविया करा कर
सोवर्यम हाइड्रॉक्साइर् प्राप्त वकया िाता है |
2Nacl → 2Na + Cl2
2Na + 2H2 O → 2NaOH +H2
सोकडयम हाइड्रॉक्ट्साइड के उपयोग –
i. सार्नु तर्ा अपमािगक र्नाने में |
ii. कार्ि र्नाने में |
iii. प्रयोर्शाला में अवभकामगक के रूप में |
हाइड्रोजन गैस के उपयोग –
i. िनस्ट्पवत तेल का हाइड्रोिनीकरण कर उन्हें िनस्ट्पवत ही में पररणत करने में |
ii. हैर्र विवध द्वारा अमोवनया र्नाने में |
क्ट्लोरीन गैस का उपयोग –
i. कपड़ो एिं कार्ि को विरंवित करने में |
ii. कीटाणु नाशक होने के कारण पेय िल को करने में |
iii. विरंिक चणू ग र्नाने में |
2. सोकडयम बाइकबोंनेट या सोकडयम हाइड्रोजन काबोंनेट ( िाने का सोडा, NaHCO3 )
सोवर्यम र्ाइकर्ोंनेट को अमोवनया सोर्ा विवध या साल्िे विवध द्वारा तैयार वकया िाता है आमानया सोर्ा विवध
या साल्िे विवध में अमोवनया र्ैस से संतप्तृ िलीय विलयन में कार्गन र्ाइऑक्साइर् र्ैस प्रिावहत करने के
र्लस्ट्िरूप सोवर्यम र्ाइकार्ोंनेट प्राप्त होता है |

NaCl + H2O + CO2 + NH3 → NH4Cl + NaHCO3+ HCl


सोकडयम बाइकबोंनेट के उपयोग –
A. पािरोटी को स्ट्पंिी या मल ु ायम र्नाने में
B. पेट की अम्लीयता कम करने की औषवध के रूप में
C. अवग्नशामक यंिों में
D. रसोईघर में खाने के सोर्ा का उपयोर् खस्ट्ता व्यिं न र्नाने के वलए
4. सोकडयम काबोंनेट या धोने के सोडा ( Na2 CO3 ⋅10H2 O )
सोवर्यम कार्ोंनेट को अमोवनया-सोर्ा विवध या साल्िे विवध से तैयार वकया िाता है | अमोवनया-सोर्ा विवध या
साल्िे विवध में अमोवनया र्ैस से सतं प्तृ सोवर्यम क्लोराइर् के सतं प्तृ िलीय विलयन में कार्गन र्ाइऑक्साइर् र्ैस
प्रिावहत करनें पर सोवर्यम र्ाइकर्ोंनेट प्राप्त होता है |

NaCl + H2O + CO2 + NH3 → NH4Cl + NaHCO3+ HCl


सोवर्यम र्ाइकर्ोंनेट को र्मग करके सोवर्यम कार्ोंनेट प्राप्त वकया िाता है

NaHCO3 Na2CO3 + + CO2 + H2O


सोकडयम काबोंनेट के उपयोग –
i. कपड़ा धोने में
ii. कााँच, कार्ि सार्नु आवद के उत्पादन में
iii. िल का स्ट्र्ायी करापन दरू करने में
iv. प्रयोर्शाला में अवभकमगक के रूप में
v. विरंिक चणू ग [ CaOCl2 ब्लीवचर्ं पाउर्र ]
शष्ु क र्झु े हुए चनू े को 40° C तक तप्त कर उसके ऊपर क्लोरीन र्ैस प्रिावहत करने पर विरंिक चणू ग प्राप्त होता
है |
Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 + H2 O
किरांजक चूणड के उपयोग –
i. कीटाणनु ाशक के रूप में
ii. कार्ि एिं कपड़ों के विरंिन में
iii. क्लोरीन, क्लोरार्ॉमग आवद र्नाने में
5. प्लास्टर ऑफ पेररस [ ( CaSO4 )2 H2 O ] या कै कशसयम सशफे ट हेकमहाइड्रेट (
CaSO4 ⋅ H2 O ) –
विप्सम को 120° C तक सािधानीपिू गक र्मग करने के र्लस्ट्िरूप प्लास्ट्टर ऑर् पेररस र्नता है |

2 ( CaSO4 ⋅ 2 H2 O ) ( CaSO4 )2 H2 O + 3H2 O


प्लास्टर ऑफ पेररस के उपयोग –
i. मवू तग र्नाने में
ii. टूटी हुई हवर्यों को र्ैठने एिं िोड़ने में पवटयों के रूप में
जलयोकजत लिण ( Hydrated salts ) – लिण विनमें रिाकरण के िल होते हैं िे िलयोवित लिण
कहलाते हैं | िैसे तवू तया ( CuSO4 ⋅ 5H2O ), धोने का सोर्ा ( Na2 CO3 ⋅ 10 H2 O ) तर्ा
विप्सम ( CaSO4 ⋅ 2H2 O ) विन लिणों में खाकरण के िल नहीं होते हैं िे अनाद्रग लिण कहलाते हैं |
इन िल योवित लिणों को र्मग करने पर ये रिाकरण के िल खोकर अनाद्रग लिणों में पररणत हो िाते हैं |
प्रस्िेद्य लिण ( Precipitated salt ) – िे लिण िो िायु में खल ु ा छोड़ देने पर ये िायु के िलिाष्प
को अिशोवषत कर पसीिने लर्ते हैं , प्रस्ट्िेद्य लिण कहलाते है |िैसे अनांद्रग CaCl2

किकिन्न प्रकार की रासायकनक अकिकक्रयाएँ


रासायवनक अवभवियाओ ं को उनकी प्रकृ वत के आधार पर कई भार्ों में र्ााँटा र्या है –

1. सयां ोजन या सश्ल


ां े षण अकिकक्रयाएँ ( Combination or synthesis
reaction ) – संयोिन या संश्लेषण अवभविया िह है विसमें दो या अवधक पदार्ग ( तत्ि
या यौवर्क ) परस्ट्पर संयोर् करके एक नए पदार्ग का वनमागण करते है | नए पदार्ग के र्णु मल

पदार्ग के र्णु से वर्ल्कुल वभन्न होते है |

2. कियोजन या अपघटन अकिकक्रयाएँ ( Decomposition reaction ) – वियोिन या


अपघटन अवभविया िह अवभविया िह अवभविया है, विसमें वकसी यौवर्क के र्ड़े अणु के टूटने से दो या
ू यौवर्क के र्ुण से वर्ल्कुल वभन्न होते है |
अवधक सरल यौवर्क र्नाते है विसके र्णु मल

नोट – चाँवु क ये अपघटन अवभविया ऊष्मा के प्रभाि से कराई िाती है | अत: इन्हें ऊष्मीय अपघटन अवभविया
भी कहते हैं |
3. िैधुत अपघटन अकिकक्रया ( Electrolysis decomposition reaction ) – िह
अपघटन अवभविया िो विधुत धारा प्रिाह के कारण होती है |

4. एकल किस्थापन अकिकक्रयाएँ ( Single displacement reaction ) – िह अवभविया


विसमें वकसी यौवर्क में उपवस्ट्र्त वकसी परमाणु के समहू को वकसी दसू रें परमाणु द्वारा विस्ट्र्ावपत कर वदया िाता
है, एकल विस्ट्र्ापन अवभविया कहलाती है |

5. उिय किस्थापन अकिकक्रयाएँ ( Double displacement reaction ) – उभय-


विस्ट्र्ापन में दो यौवर्क अपना आयनों का विवनमय या आदान प्रदान करके दो नए यौवर्क का वनमागण करते है |

6. अिक्षेपण अकिकक्रयाएँ ( Precipitation reactions ) – ऐसी अवभवियाएाँ होती है विनमें


कोई प्रवतर्ल ठोस के रूप में विलयन से पृर्क हो िाता है | पृर्क होने िाली ठोस पदार्ग अिक्षेपण कहलाता है

|
7. उदासीनीकरण अकिकक्रयाएँ ( Neutralization reaction ) – िह अवभविया विसमें कोई
अम्ल वकसी भरक के सार् अवभविया करके लिण और िल र्नाता है, उदासीनीकरण अवभविया कहलाती है |

8. प्रकाश रासायकनक अकिकक्रयाएँ ( Photosynthesis Chemical reaction ) – िैसी


रासायवनक अवभवियाएाँ िो प्रकाश की उपवस्ट्र्वत में घवटत होती है प्रकाश रासायवनक अवभवियाएाँ कहलाती है |

9 ऑक्ट्सीकरण-अिकरण अकिकक्रयाएँ ( Oxidation – reduction reaction ) –


ऑक्सीकरण एिं अिकरण अवभवियाएाँ एक विशेष प्रकार की रासायवनक अवभविया है िो सदैि सार्-सार् होती
है | ये रे र्ाॅॅक्स अवभवियाएाँ भी कहलाती है |
ऑक्ट्सीकरण – ऑक्सीकरण िैसी रासायवनक अवभविया विसमें वकसी तत्ि या यौवर्क से ऑक्सीिन का
संयोर् या वकसी यौवर्क से हाइड्रोिन का वनष्कासन होता है |
C + O2 → CO2
अिकरण – िैसी रासायवनक अवभविया विसमें वकसी तत्ि या यौवर्क के सार् हाइड्रोिन का संयोर् या वकसी

यौवर्क से ऑक्सीिन का वनष्कासन होता है |

ऑक्ट्सीकारक एिां अिकारक – िर् कोई पदार्ग ऑक्सीिन प्राप्त करता है , तर् कहा िाता है वक िह पदार्ग
ऑक्सीकृ त हुआ है इसकें विपरीत िर् वकसी पदार्ग से ऑक्सीिन का वनष्कासन होता है तर् कहा िाता है वक
िह पदार्ग अिकृ त हुआ है | विस पदार्ग का ऑक्सीकृ त होता है िह अिकारक कहलाता है तर्ा विस पदार्ग का
अिकरण होता है , िह ऑक्सीकारक कहलाता है |
दैकनक जीिन में ऑक्ट्सीजन-अिकरण के प्रिाि
1. िोजन का पचना (Digestion of food )– हमारे भोिन में मुख्यत: कार्ोहाइड्रेट
रहता है पाचन विया के िम में यह स्ट्टाचग ( पॉलीसैकेराइट ) अपघवटत होकर ग्लक
ू ोस र्नता है
िो हमारे शरीर की कोवशकाओ ं में उपवस्ट्र्त ऑक्सीिन द्वारा ऑक्सीकृ त होकर कार्गन
र्ाइऑक्साइर् िल और ऊिाग में पररिवतगत हो िाता है | श्वास छोड़ने के िम में कार्गन
र्ाइऑक्साइर् र्ैस हमारे शरीर से र्ाहर वनकल िाती है और ऊिाग से हमारे शरीर का ताप
कायम रहता है एिं हमें शारीररक कायग करने के वलए र्ल प्राप्त होता है |
2. िोजन का दुगडकधत होना ( Food spoilage ) – भोिन में उपवस्ट्र्त िसा और तेल
कार्ी समय के पिात् िायु के ऑक्सीिन द्वारा ऑक्सीकृ त हो िाते है विससे उनके र्ंध एिं
स्ट्िाद अवप्रय हो िाते है |
कुछ उपायों द्वारा भोिन को दवू षत या अवप्रय होने से रोका िा सकता है

1. िसायक्तु भोिन में एक विशेष प्रकार का पदार्ग ( वसवरक अम्ल, लेवसवर्न ) विसे
एंवटऑक्सीर्ेंट कहते हैं |, वमला देने से भोिन का ऑक्सीिन एक िाता है |
2. घरों में भोिन को रे वर्िरे टर में रखकर भी उसकें ऑक्सीकरण को कम वकया िा
सकता है |
3. भोिन को िायरुु द् र्तगनों में रखकर भी ऑक्सीिन को कम वकया िा सकता है |
3. सांक्षारण ( Corrosion ) – िर् कोई धातु ऑक्सीिन के सार् अवभविया करके धातु
ं ारण कहते है |
का ऑक्साइर् र्ना लेता है उसे सक्ष
4. दहन की कक्रया ( Combustion ) – सभी पदार्ों में िलने में ऑक्सीकरण अिकरण
अवभविया का प्रयोर् होता है |
दहन और ज्िाला ( Corrosion and Flame )
दहन – वकसी पदार्ग के ऑक्सीिन में िलने पर ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न होते है िलने की इस विया
को दहन कहते हैं |
दहन में िो पदार्ग िलता है उसे दहनशील या ज्िलन शील पदार्ग कहते हैं | िैसे – लकड़ी, कोयला आवद |
वकछ ऐसे भी पदार्ग है िो िलने नहीं है ये पदार्ग अदहन शील या अज्िलनशील पदार्ग कहलाते हैं िैसे – ईट,
पत्र्र आवद |
ऑक्सीिन की अनपु वस्ट्र्वत वस्ट्र्वत में दहन-कभी-कभी की प्रविया ऑक्सीिन की अनपु वस्ट्र्वत में भी होती है |

नोट – िो पदार्ग दहन की विया में सहायक नहीं होते हैं उन्हें दहन का अपोषक कहते हैं िैसे – कार्गन
र्ाइऑक्साइर् र्ैस |

दहन के कलए आिश्यक शतें –


दहन की विया के वलए वनम्नवलवखत तीन शतें आिश्यक है –

1. दहशील पदार्ों की उपवस्ट्र्वत


2. दहन की पोषक पदार्ं की उपवस्ट्र्वत
3. ज्िलन-ताप की प्रावप्त – विस न्यनू तम ताप पर कोई पदार्ं िलना प्रारंभ कहता है उस ताप को
उस पदार्ं का ज्िलन ताप कहते हैं |
मोमबती की ज्िाला ( Flame of Candle )
मोमर्ती एक ज्िलनशील पदार्ग है िो मोम की र्नी होती है मोम ठोस हाइड्रोकर्गनों का वमश्रण होता है
मोमर्ती को िलाने पर मोम वपघलकर र्ती में ऊपर चढ़ता है तर्ा िाष्प में पररिवतगत हो िाता है यही िाष्प िायु
या ऑक्सीिन से िलकर ज्िाला उत्पन्न करता है विसे मोमर्ती की ज्िाला कहते हैं |

मोमर्ती की ज्िाला की र्नािट – मोमर्ती की ज्िाला में मुख्यत: तीन भार् होते हैं –

1. कें द्रीय मडां ल ( Central Zone ) – यह नीला देता है इसमें वर्ना िले हुए मोम के
िाष्प रहते हैं यह र्ती को घेरे रहता है इसमें दहन की विया नहीं होती क्योंवक िाष्प ऑक्सीिन
के संपकग में नहीं आ पाते है इसवलए इस भार् को अदहन का क्षेि भी कहा िाता है ज्िाला के
इस क्षेि का ताप सर्से कम रहता है इस क्षेि में वदयासलाई की तीली ले िाने पर तीली नहीं
िलती है |
2. प्रकाशमान मांडल ( Luminous Zone ) – इसमें ऑक्सीिन की अपयागप्त आपवू तग के
कारण मोम के िाष्प का अपणू ग दहन होता है अत: इसमें कार्गन के सक्ष्ू म कण उपवस्ट्र्त रहते है
यह ज्िाला का सर्से र्ड़ा भार् होता है | इसमें से पीला प्रकाश वनकलता है इसमें ज्िाला का
ताप मृदल ु रहता है |
3. प्रकाशहीन मांडल ( Nonluminous Zone ) – इस भार् में मोम के िाष्प का पणू ग
दहन होता है क्योंवक इसमें ऑक्सीिन की आपवू तग पयागप्त होती है यह ज्िाला का सर्से र्मग भार्
होता है इसमें से हल्का लाल प्रकाश वनलाता है |
द्रकििूत पेरोकलयम गैस ( Liqified petrolium gas )
पेरोवलयम र्ैस ब्यटू ेन ( C4 H10 ) , प्रोपेन ( C3 H8 ) और एर्ेन ( C2 H6 ) का वमश्रण है, लेवकन इसका
मख्ु य अियि ब्यटू ेन है | ब्यटू ेन, प्रोपेन और एर्ेन तीव्रता से िलकर पयागप्त ऊष्मा प्रदान करते हैं इसवलए
पेरोवलयम र्ैस एक उिम ईधन ं है | दार् र्ढ़ाने िे तीनों र्ैस असानी से द्रिीमूत हो िाती है इस द्रि को द्रिीमतू
पेरोवलयम र्ैस कहते हैं यह खाना र्नाने के उपयोर् में आनेिाली सामान्य र्ैस है |
2C4 H10 + 13O2 → 8CO2 + 10H2 O + ऊष्मा
द्रवित पेरोवलयम र्ैस के वसवलंर्रों में एक विशेष प्रकार का खरार् र्धं यक्तु एवर्ल मराकै प्टन ( C2 H5 SH )
की अल्प मािा वमला दी िाती है तावक वसवलंर्र में कही र्ैस का ररसाि हो तो उसका पता तरु ं त चल िाए |

क्रम संख्या रासायनिक सूत्र रासायनिक िाम

1 NaCl सोडियम क्लोराइि

2 NaOH सोडियम हाइड्रोक्साइि

3 Na2CO3 सोडियम कार्बोनेट

4 Na2SO4 सोडियम सल्फेट


5 NaHSO4 सोडियम र्बाइसल्फेट

6 NaHCO3 सोडियम र्बाइकार्बोनेट

7 Na2S2O3 सोडियम थायोसल्फेट

8 NaNO2 सोडियम नाइट्राइट

9 NaNO3 सोडियम नाइट्रे ट

10 Na2O2 सोडियम पराॅक्साइि

11 KOH पोटै शियम हाइड्रोक्साइि

12 KCl पोटै शियम क्लोराइि

13 KCN पोटै शियम साइनाइि

पोटै शियम सल्फेट


14 K2SO4·Al2(SO4)3
एल्युमीननयम

15 K2SO4·Al2(SO4)3·24H2O पोटाि एलम (नफटकरी)

16 CaO कैलशियम ऑक्साइि

17 CaCO3 कैल्ल्ियम कार्बोनेट


कैल्ल्ियम
18 Ca(OH)2
हाइड्रोक्साइि

कैल्ल्ियम क्लोरो
19 CaOCl2
हाइपोक्लोराइट

20 CaSO4 कैल्ल्ियम सल्फेट

21 CaCl2 कैल्ल्ियम क्लोराइि

22 CaH2 कैल्ल्ियम हाइड्राइि

23 CaC2 कैल्ल्ियम कार्बााइि

24 CHCl3 क्लोरोफॉमा

25 CHI3 आयोिोफॉमा

26 CH4 मेथेन

27 CH3COOH एशसटटक अम्ल

28 CH3CN मैशथल सायनाइि

29 CH3NH2 मैशथल अमीन


30 CH3COONa सोडियम ऐसीटे ट

हाइड्रोक्लोररक
31 HCl
अम्ल

32 HNO3 नाइटट्रक अम्ल

हाइड्रोजन
33 HCN
सायनाइि

34 H2SO4 सल््यूररक अम्ल

35 HCOOH फार्मिक अम्ल

ऑथोफॉस्फोररक
36 H3PO4
अम्ल

हाइड्रोजन परा
37 H2O2
ॅक्साइि

38 H2O जल

हाइड्रोजन
39 HI
आयोिाइि
कार्बान
40 CCl4
टे ट्राक्लोराइि

एशथल हाइड्रोजन
41 C2H5HSO4
सल्फेट

कार्बान
42 CO2
िाइऑक्साइि

43 C2H2 एशसटटलीन

44 C2H4 एशथलीन

45 C2H6 एथेन

46 C6H6 र्बेंजीन

47 C6H5CH3 टाॅलूईन

48 C6H5NH2 एननलीन

49 C6H5COOH र्बेंजोइक अम्ल

50 C12H22O11 सुक्रोस (चीनी)

51 C6H12O6 ग्लूकोस या फ्रेक्टोस


52 C2H5CN एशथल सायनाइि

53 C2H4(OH)2 एशथलीन ग्लाइकोल

54 C6H5OH नफनाॅल

55 C3H8 प्रोपेन

56 C4H10 ब्यूटेन

57 C5H12 पेण्टे न

58 NH3 अमोननया

59 NH4Cl अमोननयम क्लोराइि

60 NH2CONH2 यूररया

61 N2O नाइट्रस ऑक्साइि

62 ZnSO4 जजिक सल्फेट

63 ZnO जजिक ऑक्साइि

64 ZnCO3 जजिक कार्बोनेट


65 FeCl2 फेरस क्लोराइि

66 FeCl3 फेररक क्लोराइि

67 NaAlO2 सोडियम एलुडमनेट

68 CuO कॉपर ऑक्साइि

69 CuSO4 कॉपर सल्फेट

70 Cu(NO3)2 कॉपर नाइट्रे ट

71 HgCl2 मरक्यूररक क्लोराइि

72 HgS मरक्यूररक सल्फाइि

73 PbO लेि मोनोऑक्साइि

74 Pb(NO3)2 लेि नाइट्रे ट

75 AgNO3 शसल्वर नाइट्रे ट

मैग्नीशियम
76 Mg(OH)2
हाइड्रोक्साइि

77 MgCO3 मैग्नीशियम
कार्बोनेट

ड्यूटटररयम

78 D2 O ऑक्साइि

(भारी जल)

79 CO(NO3)2 कोर्बाल्ट नाइट्रे ट

80 O2 ऑक्सीजन

81 O3 ओजोन

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