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Chemistry Hindi Printable @PdfhubRebornNew
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खोि खोिकताग
2. नाइरोिन रदरर्ोर्ग
5. सोवर्यम र्ेिी
22. विक
ं ए.एस. मारग्रार्
34. मेसॉन यक
ु ािा
र्ाल्टन के अनसु ार, पदार्ग का सक्ष्ू मतम कण परमाणु होता है विसे खंवर्त नहीं वकया िा सकता | लेवकन उनके
ू ा है वक परमाणु कई प्रकार के अवतसक्ष्ू म कणों के संयोर् से र्ने होते हैं , विनके
प्रयोर्ों द्वारा प्रमावणत हो चक
इलेक्रॉन, प्रोरॉन, और न्यरू ॉन प्रमख ु है | इन तीनों कणों को परमाणु के मौवलक कण ( fundamental
particles ) कहते हैं |
कै थोड ककरणें और इलेक्ट्रॉन – कााँच की एक नली ( Descharge tube ) में वकसी र्ैस को लेकर
अत्यंत कम दार् ( 0.01 mm Hg ) तर्ा उच्च विभिांतर ( 10, 000 V ) पर विधतु – धारा प्रिावहत
करने पर विसर्ग नली के कै र्ोर् से एक प्रकार की वकरणें वनकलती है िो सीधी रे खा में र्मन करते हुए सामने की
दीिार पर पड़ती है | इन वकरणों का नाम कै र्ोर् वकरण रखा र्या है |
3. इन वकरणों के मार्ग में हल्का पाद – चि ( Paddle wheel ) रखने पर यह अपनी धरु ी
पर नाचने लर्ती है |
4. िैधतु या चंर्ु कीय क्षेि के प्रभाि से ये वकरणें विचवलत होती है इनके विचलन की वदशा से ज्ञात
होता है वक ये ॠण आिेवशत है |
विसर्ग नली में वभन्न – वभन्न र्ैसों तर्ा वभन्न – वभन्न धातओ ु ं के कै र्ोर्ो का प्रयोर् करने पर पता
चलता है वक हर हालत में एक ही प्रकार के कण वनकलते हैं | अत: ॠण आिेवशत ये कण प्रत्येक तत्ि के प्रत्येक
परमाणु के मौवलक अियि ( Fundamental Constituents ) है | टॉमसन ( Thomson )
ने इन कणों के आिेश ( e ) और द्रव्यमान ( m ) का अनपु ात ( e/m ) प्रयोर्ों द्वारा ज्ञात वकया | इन्होंने
विवभन्न विसर्ग नावलयों का उपयोर् वकया, विवभन्न धातओ ु ं के इलेक्रोर्ो की काम में लाया तर्ा विसर्ग नवल मे
विवभन्न र्ैसों का प्रयोर् वकया | हर हालत में e/m का मान ( 1.76 x 108 ) कूलॉम/ ग्राम ही पाया र्या |
इससे वसद् होता है वक ये कण सभी परमाणुओ ं के मौवलक अियि है | इन्ही कणों का नाम इलेक्रॉन (
electron ) रखा र्या |
इलेक्ट्रॉन की किशेषताएँ –
1. आिेश – इलेक्रॉन ॠण आिेश से यक्त ु कण है िो प्रत्येक तत्ि के परमाणु में अवनिायग रूप से
उपवस्ट्र्त रहता है | इलेक्रॉन के आिेश का मान ( 1.60 x 10-19 ) कूलॉम ( C ) होता
है |
2. द्रव्यमान – e/m और e के मानों ( values ) से इलेक्रॉन का द्रव्यमान ( m ) ज्ञात
वकया िाता है |
टॉमसन – प्रयोर् से, e/m = 1.76 x 108 C/g
वमवलकन – प्रयोर् से, e = 1.60 x 10-19 C
= 9.11 x 10-28 g
= 9.11 x 10-31 kg
ऐनोड ककरणें और प्रोटॉन – यवद विसर्ग नली के कै र्ोर् में र्ारीक़ वछद्र कर वदया िाए और वनम्न दार् (
0.01 mm ) तर्ा अवधक विभिांतर ( 10, 000 V ) पर विधतु – धारा प्रिावहत की िाए तो कुछ विशेष
प्रकार की वकरणें ऐनोर् वकरण ( anode ray ) कहते हैं | चाँवू क ये वकरणें धन आिेश ये यक्त
ु होती है, अत:
इन्हें धन वकरणें ( Positive rays ) भी कहते हैं |
ऐनोड या धन ककरणों के गण ु –
1. ऐनोर् वकरणें सीधी रे खा में, परंतु कै र्ोर् वकरणों की विपरीत वदशा में र्मन करती हे | इसके
मार्ग में अपारदशगक िस्ट्तु के रखने पर िस्ट्तु की छाया र्नती है |
2. ऐनोर् वकरणों के मार्ग में हल्का पाद-चि ( Paddle-wheel ) रखने पर यह अपने धरु ी
पर नाचने लर्ता है |
3. इन वकरणों की प्रकृ वत विसर्ग नली में प्रयक्तु र्ैस की प्रकृ वत पर वनभगर करती है | विवभन्न र्ैसों के
वलए आिेश ( e ) और द्रव्यमान ( m ) का अनपु ात वभन्न – वभन्न होता है | विसर्ग नली में
हाइड्रोिन र्ैस का प्रयोर् करने पर इस अनपु ात e/m का मान अवधकतम होता है | हाइड्रोिन
से प्राप्त धन वकरणें एक ही प्रकार के धनात्मक कणों की र्नी होती है | इन्ही कणों को प्रोटॉन (
Protons ) कहते हैं |
H → H+ ( प्रोटॉन )
प्रोटॉन के गुण
1. आिेश -प्रोटॉन एक धन आिेश से यक्त ु कण है | इसका आिेश इलेक्रॉन के आिेश के
र्रार्र, वकंतु विपरीत वचन्ह िाला होता है | इसके आिेश का पररमाप 1.602 x 10-
19 C होता है | इस आिेश को इकाई धन आिेश + 1 कहते हैं |
2. द्रव्यमान – प्रोटॉन इलेक्रॉन से लर्भर् 1838 र्णु ा भारी होता है | प्रोटॉन पर द्रव्यमान H
परमाणु के द्रव्यमान के लर्भर् र्रार्र होता है | इसका सापेक्ष द्रव्यमान = 1.005757 =
1 amu होता है | इसका वनरपेक्ष द्रव्यमान = 1.67 x 10-24 g होता है |
टॉमसन का परमाणु मॉडल ( Thomson Model of the Atom ) – िे िे टॉमसन ( Sir J
J Thomson ) ने 1883 में सिगप्रर्म परमाणु का एक मॉर्ल प्रस्ट्ततु वकया िो एक तरर्िू की तरह र्ा |
इसके अनसु ार परमाणु में धन आिेश तरर्िू की तरह र्ा | इसके अनसु ार परमाणु में धन आिेश तरर्िू के
खानेिाले लाल भार् की तरह वर्खरा है िर्वक इलेक्रॉन धनािेवशत र्ोले में |
सर जे जे टॉमसन के अनुसार,
1. परमाणु एकड़ धन आिेवशत र्ोलकार वपंर् होता है | विनमें इलेक्रॉन धॅसे रहते हैं |
2. ॠणात्मक और धनात्मक आिेश पररमाण में समान होते हैं | इसवलए परमाणु िैधतु ीय रूप से
उदासीन होते हैं |
रदरफोडड का परमाणु मॉडल ( Rutherford model of the Atom ) – रदरर्ोर्ग
ने इलेक्रॉन परमाणु के भीतर वकस प्रकार से व्यिवस्ट्र्त है यह िानने के वलए 1911 में एक प्रयोर् वकया इस
प्रयोर् के अंतर्गत रे वर्योसविय पदार्ग रे वर्यम द्वारा तीव्र र्वत से वनकले α – कोणों का सोने के पिर पर प्रहार
कराया र्या |
इस प्रयोग से रदरफोडड को कनम्नकलकित सच
ू नाएँ कमली –
1. अवधकांश α- कण अपने मार्ग से वर्ना विचवलत हुए स्ट्िणग पतर को पार करके सीधे वनकल
िाते हैं |
2. कुछ α – कण अपने मार्ग से र्ोड़ा विचवलत हो िाते हैं |
3. र्हुत ही कम α – कण ( 1,00,000 में से एक कण ) टकराकर अपने मार्ग पर पनु : िापस
आ िाते हैं |
4.
इस प्रयोग से रदरफोडड ने कनम्नाांककत कनष्कषड कनकाले –
1. परमाणु से अवधकतर स्ट्र्ान ररक्त है | विसके कारण अवधकतर α- कण उसमें से सीधे वनकल
िताए हैं |
2. धन आिेवशत α- कणों का सभी वदशाओ ं में विचवलत होना यह दशागता है की परमाणु के मध्य
स्ट्र्ान पर कोई समान आिेश ( धन आिेश ) उपवस्ट्र्त है |
3. चाँवू क स्ट्िणग – पिर से टकराकर िापस लौटनेिाले α- कणों की संख्या र्हुत कम होती है, अत:
परमाणु के अदं र उपवस्ट्र्त धन आिेवशत िस्ट्तु का आयतन अत्यतं ही कम होता है |
रदरफोडड ने परमाणु का नाकिकीय मॉडल के अनुसार,
1. परमाणु का संपणू ग द्रव्यमान उसके नावभक में होता है |
2. परमाणु के अदं र अवधकाश ं स्ट्र्ान ररक्त ( empty ) होते हैं |
3. परमाणु में ॠण आिेवशत इलेक्रॉनों और धन आिेवशत प्रोटॉनों की संख्याएाँ समान होने के
कारण परमाणु विधतु : उदासीन होता है |
4. नावभक का आयतन परमाणु के आयतन की तल ु ना में कार्ी कम होता है |
5. इलेक्रॉन नावभक के चारों ओर िृतीय पर्ों पर चक्कर लर्ाते हैं | इन िृतीय पर्ों को कक्षाएाँ (
ordit ) कहते हैं |
6.
रदरफोडड मॉडल के दोष –
1. रदरर्ोर्ग के अनसु ार, इलेक्रॉन नावभक के चारों ओर चक्कर लर्ाया करते हैं, यह सही नहीं
लर्ता, क्योंवक इस प्रकार का परमाणु कभी स्ट्र्ायी नहीं हो सकता |
2. रदरर्ोर्ग मॉर्ल की कक्षाओ ं में उपवस्ट्र्त इलेक्रॉनों की सख्ं या वनवित नहीं की र्ई र्ी |
न्यूरॉन का अकिष्कार – रदरर्ोर्ग ने यह देखा वक हाइड्रोिन को छोड़कर अन्य सभी तत्िों के परमाणु का
द्रव्यमान परमाणु में उपवस्ट्र्त प्रोटॉनों के कुल द्रव्यमान से कम-से-कम दो र्नु ा होता है | इससे रदरर्ोर्ग ने यह
वनष्कषग वनकाला वक परमाणु में अिश्य ही कोई उदासीन ( आिेशहीन ) कण विद्यमान होना चावहए विसका
द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लर्भर् र्रार्र हो |
1932 में सर िेस चैर्विक ( Sir Jemes Chadwick )र्ेररलयम धातु पर α – कणों से
आघात कराकर इन उदासीन कणों का पता लर्ाया इन कणों की िैधतु उदासीनता के कारण इनका नाम न्यरू ॉन (
Nertron ) रखा र्या | इनका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लर्भर् र्रार्र होता है |
न्यूरॉन के गुण –
1. न्यरू ॉन पर कोई आिेश नहीं करता है, अर्ागत् यह एक उदासीन कण है |
2. न्यरू ॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लर्भर् र्रार्र होता है | न्यरू ॉन , प्रोटॉन के सार्
परमाणु के कें द्र-स्ट्र्ान नावभक ( Nucleus ) में उपवस्ट्र्त रहता है | न्यरू ॉन का द्रव्यमान
1.67 x 10-24 g या 1.008 amu ज्ञात वकया र्या है |
बोर का परमाणु मॉडल ( Bohr model of th Atom ) – नील्स र्ोर ने 1913 में परमाणु की
संरचना के संर्ंध में संशोवधत वसद्ांत प्रस्ट्ततु वकया विसे र्ोर का परमाणु मॉर्ल कहा िाता है |
इसके अनसु ार –
1. परमाणु में इलेक्रॉन नावभक के चारों ओर कुछ वनवित ऊिाग िाले िृताकार कक्षाओ ं में घमू ते हैं
|
2. िर् इलेक्रॉनों वकसी वनवित कक्षा में रहकर नावभक के चारों ओर चक्कर लर्ाते है तो उसकी
ऊिाग का ह्रास नहीं होता है |
3. इन कक्षाओ ं को ऊिाग स्ट्तर या ऊिाग शेल कहते हैं |
4. इलेक्रॉन एक कक्षा से दसू रें कक्षा पर कूद सकता है | िर् कोई इलेक्रॉन आंतररक कक्षा से
र्ाहरी कक्षा में कूदता है तो ऊिाग का अिशोषण होता है, वकंतु िर् इलेक्रॉन र्ाहरी कक्षा से
आंतररक कक्षा में कूदता है तो ऊिाग का उत्सिगन होता है |
किकिन्न कक्षाओ ां में इलेक्ट्रॉनों का कितरण – विवभन्न कक्षाओ ं में चक्कर लर्नेिाले इलेक्रॉनों का वितरण
र्ोर-व्यरू ी योिना के अनसु ार होता है |
इसके अनसु ार,
1. वकसी कक्षा में इलेक्रॉनों की अवधकतर संख्या को सिू 2n2 से प्राप्त वकया िाता है िहााँ n
कक्षा की संख्या है |
अत: प्रर्म ( K ) कक्षा में
इलेक्रॉनों की अवधकतम संख्या = 2 x 12 = 2,
वद्वतीय ( L ) कक्षा में इलेक्रॉनों की अवधकतम संख्या = 2 x 22 = 8,
तृतीय ( M ) कक्षा में इलेक्रॉनों की अवधकतम सख्ं या = 2 x 32 = 18
2. सर्से र्ाहरी कक्षा में इलेक्रॉनों की अवधकतम संख्या 8 हो सकती है |
3. िर् र्ाहरी कक्षा में इलेक्रॉनों की अवधकतम संख्या पणू ग हो िाती है िर् इलेक्रॉन नए कक्षा में प्रिेश
करने लर्ते हैं |
तत्िों की परमाणु सांरचना (Atomic Structure
of Elements )
परमाणु सांख्या ( Atomic Number ) – परमाणु के नावभक में उपवस्ट्र्त प्रोटॉनों की कुल संख्या को
परमाणु संख्या ( Atomic number ) कहते हैं | परमाणु संख्या को Z द्वारा सवू चत वकया िाता है |
इलेक्ट्रॉकनक किन्यास ( Electronic Configuration )– वकसी परमाणु की विवभन्न अक्षाओ ं में
इलेक्रॉन की व्यिस्ट्र्ा को उस परमाणु का इलेक्रॉवनक विन्यास ( Electronic Configuration )
कहते हैं |
कुछ तत्िों के इलेक्ट्रॉकनक किन्यास
कार्गन 2, 4
ऑक्सीिन 2, 6
सोवर्यम 2, 8, 1
ऐलवु मवनयम 2, 8, 3
र्ॉस्ट्र्ोरस 2, 8, 5
क्लोरीन 2, 8, 7
नाइरोिन 2, 5
फ्लोरीन 2, 7
मैग्नीवशयम 2, 8, 2
वसवलकन 2, 8, 4
द्रव्यमान सख्ां या ( Mass Number ) – परमाणु के नावभक में उपवस्ट्र्त प्रोटॉनों की सख्ं या और न्यटू ॉनों
की संख्या के योर्र्ल को उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या ( Mass number ) कहते हैं, अर्ागत्
द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यरू ॉनों की संख्या
अर्ागत् A = Z + n
या n = A – Z
चाँवू क प्रोटॉन का द्रव्यमान =1, न्यरू ॉन का द्रव्यमान = 1 और इलेक्रॉन का द्रव्यमान 0 होता है,
अत: परमाणु द्रव्यमान = ( प्रोटॉनों की संख्या x 1 ) + ( न्यरू ॉनों की संख्या x 1 ) + ( इलेक्रॉनों की संख्या
x0)
समस्थाकनक ( Isotops )- एक ही तत्ि के परमाणु विसकी परमाणु संख्याएाँ समान, वकंतु द्रव्यमान संख्याएाँ
वभन्न – वभन्न होती है, समस्ट्र्ावनक कहलाते हैं |
िैसे –
क्ट्लोरीन के समस्थाकनक
हाइड्रोजन के समस्थाकनक
समस्थाकनक के गुण –
1. इलेक्रॉनों की सख्ं या समान होती है |
2. वकसी तत्ि के समस्ट्र्ावनकों के भौवतक र्णु वभन्न – वभन्न होते हैं |
समस्थाकनकों के कुछ उपयोग ( Uses of isotopes ) – सस्ट्ं र्ावनकों के कुछ उपयोर् इम्नावलवखत है
|
1. यरू रवनयम के एक समस्ट्र्ावनक ( U – 235 ) का उपयोर् परमाणु भट्टी ( Atomic
Reactor ) में ईधन ं के रूप में होता है |
2. कैं सर के उपचार में कोर्ाल्ट के समस्ट्र्ावनक ( Co – 60 ) का उपयोर् होता है |
3. घेंघा रोर् के इलाि में आयोर्ीन के समस्ट्र्ावनकों का उपयोर् होता है |
समिाररक ( Isobars ) – िैसे तत्िों को समभाररक कहा िाता है विनका परमाणु द्रव्यमान समान होता है,
वकंतु परमाणु संख्याएाँ वभन्न-वभन्न होती है |िैसे –
आगडन , पोटैकशयम और कै कशशयम के समिाररक
समन्यरू ॉकनक ( Isotones ) – विवभन्न तत्िों के िे परमाणु विनमे न्यरू ॉन की सख्ं या समान होती है वकंतु
द्रव्यमान संख्या तर्ा परमाणु सख्ं या दोनों ही वभन्न होते हैं, समन्यरू ॉवनक कहलाते हैं | िैसे –
सांयोजकता ( Valency ) -वकसी तत्ि का परमाणु वितने इलेक्रॉनों का त्यार्, ग्रहण या साझा करता है,
उतना ही उस तत्ि की संयोिकता होती है |
िैसे तत्ि विनकी र्ाहरी कक्षा में 1 से लेकर 4 इलेक्रॉन होते हैं ⇒ सयं ोिकता = र्ाहरी कक्षा में इलेक्रॉनों की
संख्या
शद्
ु ” शब्द का अर्ग होता है पदार्ग में कोई वमलािट न हो परन्तु एक िैज्ञावनक भाषा में सभी िस्ट्तएु ाँ शद्
ु नहीं है।
शद्
ु पदार्ग से तात्पयग है वक उस पदार्ग में मौिदू सभी कण समान रासायवनक प्रकृ वत के हो।
या
एक शद्
ु पदार्ग एक ही प्रकार के कणों से वमलकर र्ना होता है ।
पदार्ग एक प्रकार का द्रव्य है िो वक भौवतक प्रिमों द्वारा अन्य प्रकार के द्रव्य में पृर्क नहीं वकया िा सकता है।
वमश्रण क्या है- वमश्रण एक पदार्ग है िो दो या अवधक तत्िों अर्िा यौवर्कों का, (रासायवनक रूप से संयक्त
ु हुए
वर्ना) र्ना होता है। उदाहरण-िाय,ु र्ैसों िैसे ऑक्सीिन, नाइरोिन, कार्गन र्ाइ-ऑक्साइर् और िल िाष्प
आवद वमश्रण है।
कमश्रण के प्रकार:
वमश्रण दो प्रकार के होते हैं:
(1) समांर्ी वमश्रण (Homogeneous mixtures)
(2) विषमांर्ी वमश्रण (Heterogeneous mixtures)
1. समां ागी कमश्रण-िे वमश्रण विनमें पदार्ग परस्ट्पर पणू ग रूप से वमवश्रत होते हैं समं ार्ी वमश्रण कहलाते हैं।
उदाहरण-िल में शकग रा का विलयन संमार्ी वमश्रण है।
2. किषमाांगी कमश्रण- िे वमश्रण विसमें पदार्ग पृर्क रहते हैं और एक पदार्ग छोटे कणों के रूप में, दसू रे पदार्ग
में हर िर्ह र्ै ला रहता है, विषमार्ं ी वमश्रण कहलाते हैं।
उदाहरण- शक्कर और र्ालू का वमश्रण, एक विषमांर्ी वमश्रण है।
1.िाष्पीकरण (Evaporation)-
इस प्रविया में वमश्रण के दो पदार्ों में से एक पदार्ग का िाष्पीकरण हो िाता है।
7. कक्रस्टलीकरण (Crystallisation)
मल
ू वसद्ान्त वकसी वमश्रण से अशवु द्यों को दरू करने के वलए पहले वकसी उपयक्त
ु विलयन में घोलना
और विस्ट्टलीकरण द्वारा एक संर्ठन को पृर्क करना।
उदाहरण-कॉपर सल्र्े ट के विस्ट्टल को (अशद् ु ) पहले सल्फ्यरू रक अम्ल में घोलते हैं और वर्र र्मग करके विलयन
को पृर्क वकया िाता है। िो विलयन र्ना र्ा उसे परू ी रात रख कर छोड़ वदया िाता है, अतः के िल शद् ु कॉपर
सल्र्े ट के विस्ट्टल र्नते हैं िर्वक अशवु द्यााँ सल्फ्यरू रक अम्ल में ही रह िाती है। इस विलयन को वर्ल्टर पेपर
की सहायता से छान वलया िाता है और शद् ु विस्ट्टल प्राप्त कर वलए िाते हैं।
परमाणु (Atom) वकसी भी पदार्ग की िह इकाई होती है, िो पदार्ग की प्रिृवि को समझने के अवत
आिश्यक होती है। वकसी भी पदार्ग में उसके सक्ष्ू मतम इकाई के र्णु ों की पनु रािृवि ही होती है। जैसे – लोहे के
1 Kg के टुकड़े में िही र्णु होंर्े, िो लोहे के एक परमाणु में होते हैं। अतः पदार्ों की वियाशीलता को उनके
द्वारा वनवमगत र्ंध, उनके स्ट्र्ावयत्ि आवद को उस पदार्ग की सर्से छोटी इकाई (परमाणु) से समझा िा सकता है।
यही परमाणु (Atom) आपस में सयं क्त ु होकर अणु (Molecule) र्नाते हैं। अणु
(Molecule) प्रकृ वत में स्ट्ितंि रूप से अवस्ट्तत्ि रखता है।
Table of Contents
• परमाणु (Atom)
• अणु (Molecule)
• परमाणु और अणुओ ं में अंतर (Difference between atoms and
molecules)
परमाणु (Atom)
वकसी भी पदार्ग का िह सक्ष्ू मतम कण, िो स्ट्ितिं सिा में नहीं रहता है, वकन्तु रासायवनक अवभविया में भार्
लेता है, परमाणु (Atom) कहलाता है। िैसे – H, Cl, Na ये सभी परमाणु हैं और िातािरण में इन
परमाणओ ु ं (Atoms) का स्ट्ितंि अवस्ट्तत्ि नहीं होता, िातािरण में ये परमाणु अपने यौवर्कों में ये अणुओ ं
(Molecules) के रूप में विद्यमान रहते हैं।
परमाणु की सांरचना (Structure of Atom)
लर्भर् 400 ई.प.ू ही भारतीय एिं यनू ानी दाशगवनकों (Indian and Greek
philosophers) द्वारा परमाणओ ु ं के अवस्ट्तत्ि को प्रस्ट्तावित वकया र्या र्ा। उनके अनसु ार परमाणु
(Atom) द्रव्य (Matter) के मल ू संरचनात्मक भार् होते हैं, तर्ा वकसी भी पदार्ग (Matter) के
लर्ातार विभािन के पिात अंततः परमाणु प्राप्त होते हैं, विसे और अवधक विभावित नहीं वकया िा सकता।
परमाणु (atom) शब्द की उत्पवि ग्रीक भाषा से हुई है, विसमें atomio का अर्ग अविभाज्य’
(non-divisible) होता है।
िषग 1886 ई. में र्ोल्र्स्ट्टीन (E. Goldstein) ने एक नए विवकरण ‘के नाल रे ’ की खोि की। ये
वकरणें धनािेवशत विवकरण र्ीं, विसके द्वारा अंततः दसू रे अिपरमाणक ु कणों की खोि हुई। 19िीं शताब्दी तक
यह ज्ञात हो र्या र्ा वक परमाणु (atom) में एक नकारात्मक आिेश िाला कण होता है। सिगप्रर्म िे. िे.
र्ॉमसन (J.J. Thomson) द्वारा परमाणु में नकारात्मक आिेश (negative charge) िाले
कण इलेक्रान (electrons) का पता लर्ाया र्या र्ा। अतः प्रारंवभक अिस्ट्र्ा में यह माना र्या
वक परमाणु समान धनात्मक और नकारात्मक आिेश िाले कणों से वमलकर र्ना होता है, िो एक-दसू रे के
प्रवत उदासीन करते हैं । परमाणु की संरचना को व्यक्त करने के विवभन्न िैज्ञावनकों द्वारा वदए र्ए कुछ परमाणु मॉर्ल
वनम्नवलवखत है –
वकसी भी पदार्ग का िह सक्ष्ू म कण िो स्ट्ितिं अवस्ट्तत्ि रखता है और विसमें पदार्ग के सभी र्णु विध्यमान रहते
हैं, अणु (Molecule) कहलाता हैं। अणु (Molecule) परमाणुओ ं के सरल अनपु ात में संयोर् से
वमलकर र्नता है। जैसे – H, Cl, H2O ये तीनों ही अणु (Molecule) हैं। अणु एक ही प्रकार के
परमाणओु ं से या विवभन्न प्रकार के परमाणओ ु ं से वमलकर र्ना हो सकता है।
इस वनयम के अनसु ार , ” द्रव्यमान का उदय या विनाश संभि नहीं है । वकसी भी रासायवनक अवभविया के
दौरान पदार्ों के द्रव्यमान का िोड़ उस अवभविया के उत्पादों के द्रव्यमानों के िोड़े के र्रार्र होर्ा ।
हुआ है , तर्ा इन तत्िों के द्रव्यमान का अनपु ात सदैि समान होर्ा , वर्र चाहे यह यौवर्क वकसी भी स्ट्र्ान से
प्राप्त वकया र्या हो अर्िा वनमागण वकसी भी पद्वत द्वारा वकया र्या हो ।
रासायवनक सयं ोिन के वनयम पर आधाररत र्ॉल्टन के परमाणु वसद्ान्त , ‘ द्रव्यमान सरं क्षण का वनयम ‘
आधवु नक परमाणु वसद्ान्त के अनसु ार परमाणु वकसी भी तत्ि का िह सक्ष्ू मतम भार् है िो वकसी
रासायवनक अवभविया में वर्ना अपने रासायवनक एिं भौवतक र्णु धमों को र्दले , उस अवभविया में प्रयक्त
ु होता
है ।
परमाणु तत्ि के सक्ष्ू मतम भार् है विन्हें वकसी भी शवक्तशाली सक्ष्ू मदशी से भी देखा नहीं िा सकता ।
मापक माना ।
र्रार्र होता है ।
अणु :-
वकसी अणु का वनमागण दो या उससे अवधक परमाणओ
ु ं के र्ीच रासायवनक र्ंध उत्पन्न होने के कारण होता
है ।
अणु , ( तत्िों को छोड़ ) वकसी भी पदार्ग की िह सक्ष्ू मतम इकाई है । िो स्ट्ितिं रूप से रह सकता है और
यह उस पदार्ग के सारे र्णु धमों को प्रदवशगत कर सकता है िैसे की , H₂0 अणु िल के सम्पणू ग र्णु धमों को
प्रदवशगत करता है ।
परमाणुकता :-
रासायकनक सिू :-
धातु एिं अधातु के यौवर्क की रासायवनक सिू की सरं चना में धातु को पहले वलखा िाता है में तर्ा अधातु
को उसके र्ाद ।
र्हुपरमाणविक आयन के रासायवनक सिू में आने की वस्ट्र्वत में , इस आयन को ब्रेवकट में रखा िाता है ।
सिू द्रव्यमान एिं आणविक द्रव्यमान में के िल अंतर यही है वक यहााँ पर हम उस पदार्ग के सिू इकाई
आयन :-
वकसी स्ट्पीशीि ( परमाणु , अणु , आयन अर्िा कण ) के एक मोल में मािाओ ं की िह संख्या है िो ग्राम
में उसके परमाणु अर्िा आवण्िक द्रव्यमान के र्रार्र होती है । वकसी पदार्ग के एक मोल में कणों की संख्या
अर्ोचर कणों से र्ने होते हैं, विन्हें परमाणु ( Paramanus ) कहते हैं | संस्ट्कृत में परम ( Param )
का अर्ग ” अंवतम ” और अणु ( anu ) का अर्ग ” कण ” होता है | ये परमाणु विवभन्न अनपु ात में संयोर् करके
पदार्ग का वनमागण करते हैं |
ग्रीक दाशगवनक र्ेमोविट्स ( Democrites ) और लसु ीपस ( Leucippus ) ने अवं तम कणों
को एटोमोस ( atomos ) कहा, विसका अर्ग ग्रीक भाषा में अविभाज्य होता है |
रासायकनक सांयोग के कनयम ( Laws of Chemical Comberation ) – तत्िों के संयोर् से
यौवर्कों के र्नने की प्रवियाएाँ कुछ वनयमों के अनसु ार यौवर्कों के र्नने की प्रवियाएाँ कुछ वनवक्षत वनयमों के
अनसु ार होती है, विन्हें रासायवनक संयोर् के वनयम कहते हैं |
1. पदाथड की अनश्ररता का कनयम – ( The Law of Conservation of
matter ) – इस वनयम का प्रवतपादन 1774 में लाभ्िािे ने वकया र्ा | इस वनयम के
अनसु ार, रासायवनक अवभवियाओ ं के र्लस्ट्िरूप पदार्ों का कुल द्रव्यमान अपररिवतगत रहता
है |
C + O → CO2
2. कनकित अनुपात का कनयम ( The Law of Constant Proportions ) – इस वनयम
का प्रवतपादन 1789 में प्राउस्ट्ट ( Proust ) ने वकया र्ा | इनके अनसु ार, वकसी रासायवनक यौवर्क के
सभी शद् ु नमनू ों के एक ही प्रकार के तत्ि भार के विचार से हमेशा एक वनवित अनपु ात में परस्ट्पर संयक्त ु रहते हैं |
डाशटन के परमाणु कसद्धाांत की मान्यताएँ ( Assumptions of Dalton’ s atomic
theory ) –
1. सभी पदार्ग अत्यंत सक्ष्ू म कणों से र्ने होते हैं विन्हें परमाणु कहते हैं और िे परमाणु खंवर्त नहीं
वकए िा सकते हैं |
2. वकसी भी रासायवनक प्रविया द्वारा परमाणओ ु ं का न तो वनमागण ही वकया िा सकता है और न ही
नष्ट |
3. वकसी तत्ि के सभी परमाणु समान होते हैं |
4. विवभन्न तत्िों के परमाणु विवभन्न आकार, द्रव्यमान, रासायवनक र्णु िाले होते हैं |
5. रासायवनक संयोर् में दो या अवधक तत्िों के परमाणु परस्ट्पर संयोर् करके यौवर्क र्नाते हैं |
6. रासायवनक संयोर् में विवभन्न तत्िों के परमाणु सरल सांवख्यक अनपु ात में संयोर् करते हैं |
7. एक ही तत्ि के परमाणु एक से अवधक अनपु ात में दसू रे तत्ि के परमाणु के सार् एक से अवधक
यौवर्क र्ना सकते हैं |
डाशटन के परमाणु कसद्धाांत के दोष ( Defects of Dalton’s Atomic Theory )-
1. र्ाल्टन के अनसु ार, परमाणु को खंवर्त नहीं वकया िा सकता है वकंत,ु अर् यह प्रमावणत हो
चक ू ा है वक परमाणु को छोटे – छोटे कणों ( इलेक्रॉन, प्रोरॉन, न्यरू ॉन आवद ) में विभावित
वकया िा सकता है |
2. परमाणु वसद्ांत के अनसु ार, एक ही तत्ि के सभी तत्ि के परमाणु विवभन्न द्रव्यमान िाले भी
होते हैं ; सही नहीं है | तत्ि के परमाणु विवभन्न द्रव्यमान िले भी होते है , विन्हें समस्ट्र्ावनक
कहा िाता है |
3. परमाणु वसद्वात के अनसु ार, विवभन्न तत्िों के परमाणु विवभन्न द्रव्यमान िाले होते हैं, िो सही
नहीं है | विवभन्न तत्िों के परमाणु समान द्रव्यमान िाले भी होते हैं विन्हें समभाररक कहा िाता
है |
परमाणु ( Atom ) – वकसी तत्ि का अंवतम सक्ष्ू मतम कण, िो रासायवनक अवभवियाओ ं में भार् ले सकता
है, परमाणु कहलाता है |
परमाणु की किशेषताएँ –
1. वकसी तत्ि के सभी परमाणु सदृश होते हैं, वकंतु िे अन्य तत्िों के परमाणओ ु ं से वभन्न होते हैं |
2. तत्ि का प्रत्येक परमाणु तत्ि के सभी र्णु ों को प्रदवशगत करता है |
3. परमाणु का व्यास लर्भर् 10-15 m होता है |
परमाणुओ ां और तत्िों के सक ां े त ( Symbols of Atoms and Elements ) – प्राचीन
कीवमयार्र पारस पत्र्र की खोि में संलग्न र्े | उनका विश्वास र्ा वक इन पत्र्रों की सहायता से वकसी धातु को
सोना में पररिवतगत वकया िा सकता है | इस कायग की र्प्तु रखने के उछे श्य से िे उस समय तक ज्ञात तत्िों को कुछ
विशेष संकेतों द्वारा व्यक्त करते र्े |
र्ाद में ,िॉन र्ाल्टन ने तत्िों का वचविय वनरूपण वकया लेवकन आधुवनक समय में तत्िों का
विवभन्न प्रकार के सक ं े तों द्वारा दशागया िाता है |
तत्ि संकेत
Hydrogen
( हाइड्रोिन ) H
Oxygen (
ऑक्सीिन
) O
Carbon (
कार्गन ) C
Sulphar (
सल्र्र ) S
2. िो दो या अवधक तत्िों के नाम के प्रर्म अक्षर एक ही है, तो ऐसी वस्ट्र्वत में तत्ि के नाम का प्रर्म अक्षर
और उसके र्ाद िाले कोई अन्य प्रधान अक्षर को एक सार् वमलाकर तत्ि का संकेत वदया िाता है |
िैसे –
तत्ि संकेत
Calcium (
कै वल्सयम ) Ca
Bromine
( ब्रोमीन ) Br
Calcium (
कै वल्सयम ) Ca
3. कुछ तत्िों के संकेत उनके लैवटन नामों से वलए र्ए है –
िैसे –
Sodium (
सोवर्यम ) Natrium Na
Potassium
( पोटैवशयम ) Kalium K
Iron ( आयरन
) Ferrum Ca
सक
ं े त का महत्ि –
यौकगक के अणु ( Compound molecules ) – वकसी यौवर्क के अणु में विवभन्न तत्िों के दो या
अवधक परमाणु रहते हैं |
ू ोि ( C6 H12 O6 ) | C के 6, H के 12 तर्ा O के 6 परमाणु है |
िैसे – ग्लक
परमाणुकता ( Atomicity ) – वकसी पदार्ग के एक अणु में उपवस्ट्र्त परमाणओ
ु ं की संख्या परमाणक
ु ता
कहलाती है |
िैसे –
पदाथड परमाणुकता
H2 2
CH4 5
H2O 3
परमाणक
ु ता के आधार पर अणओ
ु ं के प्रकार –
1. एक परमाणुक अणु ( Monatomic molecules ) – 1 परमाणु िाले एक अणु
एक परमाणु अणु कहलाते हैं | िैसे – He, Ne, Ar
2. किपरमाणुक अणु ( Diatomic molecules ) – 2 परमाणओ ु ं से र्ने अणु
वद्वपरमाणक ु अणु कहलाते हैं | िैसे – H2 , O2 , N2
3. किपरमाणुक अणु ( Triatomic molecules ) – 3 परमाणओ ु ं से र्ने अणु
विपरमाणक ु अणु कहलाते हैं, िैसे – H2 O, O3 , CO2
4. चतुष्थडपरमाणुक अणु ( Tetratomic molecules ) – 4 परमाणओ ु ं से र्ने
च्तष्ु र्गपरमाणकु अणु कहलाते हैं | िैसे – NH3 , P4 , SO3
5. बहुपरामणुक अणु ( Polyatomic molecules ) – चार से अवधक परमाणओ ु ं
से र्ने अणु र्हुपरमाणक ु अणु कहलाते हैं | िैसे – CH4 , C6 H12 O6 , H2 SO4
आयन ( lons ) – िर् कोई तत्ि अपने र्ाह्यतम कक्षा के इलेक्रॉन को त्यार् या ग्रहण कर अपना अष्टक परू ा
करता है तो िह आयन र्न िाता है |
यवद कोई तत्ि अपने इलेक्रॉन ग्रहण करता है तो िह धनायन र्ना िाता है |
सयां ोजकता ( Valency ) – तत्ि के परमाणु में दसू रे तत्िों के परमाणओ ु ं के सार् सयं ोर् करने की क्षमता,
संयोिकता कहलाती है |
1. एकर्ंधक ( Monovalent ) : 1 संयोिकता िाले
2. वद्वर्धं क ( Divalent ): 2 सयं ोिकता िाले
3. विर्ंधक ( Trivalent ): 4 संयोिकता िाले
• नोट – कुछ तत्िों की संयोिकता पररितगनशील होती है | िैसे Fe – 2 या 3, Au – 1 या
3
सूि ( Formula ) – वकसी भी यौवर्क का वनष्पण हमेशा उसके अणु के द्वारा होता है और अणु को उसमे
ु ं के संकेतों की सहायता से व्यक्त वकया िाता है, विसे सिू कहते हैं |
उपवस्ट्र्त परमाणओ
सिू के प्रकार –
1. सरल या मूलानुपाती सिू ( Simple or Empirical Formula ) – वकसी यौवर्क का िह
सिू िो उस यौवर्क के अणु के उपवस्ट्र्त तत्िों के परमाणुओ ं की संख्याओ ं का सरलतम पारस्ट्पररक अनपु ात व्यक्त
करता है, सरल सिू कहलाता है |
िैसे – र्ेंिीन ( C6 H6 ) का सरल सिू CH होर्ा |
2. अणु सिू या रासायकनक सिू ( Molecular formula or Chemical formula ) –
वकसी रासायवनक यौवर्क का िह सिू िो उस यौवर्क के एक अणु में उपवस्ट्र्त तत्िों के परमाणओ ु ं की िास्ट्तविक
संख्या को व्यक्त करता है, उसे यौवर्कों का अनसु िू कहलाता है |
िैसे – र्ेंिीन का अणसु िू = C6 H6
सूि कलिने की किकध – यौवर्क के अणु में उपवस्ट्र्त तत्िों की संयोिकता को उनके र्ीच अदल – र्दल करके
तत्िों के सकं े तों के नीचे वलख कर वदखाया िाता है |
िैसे – 1. CO2
2. H2 O
कहलाता है |
रासायकनक समीकरण ( Chemical equations ) – वकसी रासायवनक अवभविया में भार्
लेनेिाले पदार्ों के संकेतों और सिू ों का उपयोर् करके अवभविया का संवक्षप्त रूप रासायवनक समीकरण कहलाता
है | रासायवनक अवभवियाओ ं में भार् लेनेिाले पदार्ग अवभकारक ( Reactants ) और उनसे वनवमगत पदार्ग
प्रवतर्ल ( Products ) कहलाते हैं |
सापेक्ष परमाणु द्रव्यमान (Relative atomic mass )– वकसी तत्ि का परमाणु द्रव्यमान एक
संख्या है िो र्ताती है वक उस तत्ि के परमाणु का द्रव्यमान C – 12 परमाणु के द्रव्यमान के 12 िें भार् से
वकतना र्णु ा अवधक है |
ग्राम परमाणु द्रव्यमान ( Gram atomic mass ) – िर् तत्ि के परमाणु द्रव्यमान को ग्राम में व्यक्त
वकया िाता है तो िह ग्राम – परमाणु द्रव्यमान कहलाता है |
ग्राम परमाणओ
ु ं की संख्या =
मोल ( Mole ) – मोल वकसी पदार्ग की िह मािा है विसमें मलू कणों की सख्ं या उतनी ही होती है वितनी C
-12 के ठीक 12 g में उसके परमाणओ
ु ं की संख्या होती है |
तत्ि का 1 मोल = 6.022 x 1023 परमाणु
यौवर्क का 1 मोल = 6. 022 x 1023 अणु
आितग सारणी के छठे नंर्र का तत्ि यह है | यह मानि शरीर में 70% पाया िाता है | कार्गन
पृर्थिी पर 0.02% पाया िाता है तर्ा िायु में कार्गन र्ाइऑक्साइर् के रूप में कार्गन
0.03% पाया िाता है | मुक्त अिस्ट्र्ा में कार्गन हीरे , ग्रैर्ाइट तर्ा कोयला के रूप में पाया
िाता है | सयं ोवित अिस्ट्र्ा में कार्गन मख्ु य रूप से कार्ोंनेट खवनिों में पाया िाता है | कार्गन
सभी िीिों के वनमागण में आिश्यक होता है | कार्गवनक यौवर्क का हमारे दैवनक िीिन में
अत्यवधक महत्ि है हमारे भोिन, कपड़ा, लकड़ी, वखलौना, कार्ि आवद कार्गवनक यौवर्कों
का र्ना है |
जीिन शकक्त का कसद्धाांत
र्िीलीयस ने 1815 ई. में िीिन शवक्त का वसद्ांत वदया विसके अनसु ार सिीि पदार्ों में कार्गवनक यौवर्को
का वनमागण एक अदृश्य िीिन शवक्त द्वारा होता है लेवकन इस धारणा का अंत िर् हुआ तर् िोहलर ने प्रयोर्शाला
में अमोनवयम सयानेट को र्मग करके यरू रया का वनमागण वकया |
ये तीनों कार्गन के र्ने होते हैं लेवकन उनके भौवतक र्णु ों में अंतर होता है | ग्रैर्ाइट में प्रत्येक कार्गन परमाणु तीन
अन्य कार्गन परमाणु से एक तल से सहसंयोिक र्ंधन द्वारा िड़ु कर षटकोणीय िलय र्नाता है िो तीन परतों में
व्यवस्ट्र्त होती है | सहसयं ोिक र्धं न में कार्गन के तीन इलेक्रॉन िड़ु े होते है लेवकन चौर्ा इलेक्रॉन मक्त ु रहता है
विसके कारण ग्रेर्ाइट ऊष्मा तर्ा विधतु का सचु ालक होता है | कार्गन परमाणओ ु ं की िह परते अनरूप दो परतों
के सार् दर्ु गल िान-दर-िाल्स आकषगण र्लों द्वारा िर्ु ी होती है तर्ा ये एक दसू रे के ऊपर वर्सलती है विसके
कारण ग्रैर्ाइट मल ु ायम तर्ा वचकना होता है |
हीरे में कार्गन परमाणु विविमीय संरचना के रूप में सिे होते हैं विनमें प्रत्येक कार्गन चार अन्य कार्गन
ु ं से सयं ोिक र्धं न द्वारा िड़ु े होते हैं | यह सहसयं ोिक र्धं न हीरे की सरं चना को कार्ी मिर्तू ी प्रदान
परमाणओ
करता है विससे हीरा कठोर हो िाता है |
ु तम अपरूप है | इसमें 60 कार्गन परमाणु सहसंयोिक र्ंधन द्वारा िड़ु कर
र्ुलेरीन कार्गन का शद्
र्ूटर्ाॅॅल िैसी आकृ वत र्नाते है| विसमें प्रत्येक कार्गन अन्य तीन कार्गन परमाणओ
ु ं से िड़ु ा होता है, इसे
र्कवमस्ट्टरर्ुलेरीन कहते हैं |
3. किकिम सिू – विविम सिू में सहसयं ोिक र्धं न को अलर्-अलर् रूप में वदखाया िाता है |
ठोस रे खा (—) कार्ि की सतह पर, र्ाटेर् रे खाएाँ (….) कार्ि की सतह के पीछे तर्ा िेि
रे खा ( ) कार्ि की सतह के ऊपर दशागया िाता है |
काबडकनक यौकगकों का िगीकरण – कार्गवनक यौवर्कों की कुल संख्या अनवर्नत होने के कारण इनकों कई
िर्ों में विभावित वकया िाता है | इनमें सर्से साधारण कार्गवनक यौवर्क हाइड्रोकार्गन के होते हैं | ये कार्गन तर्ा
हाइड्रोिन के संयोर् से र्नाते हैं |
कक्रयाशील मूलक – वकसी कार्गवनक यौवर्क में उपवस्ट्र्त िह समहू विस पर यौवर्क का रासायवनक र्णु वनभगर
करता है, उस यौवर्क का वियाशील समहू कहलाता है |
समजातीय श्रेणी ( Homologous series ) – कार्गवनक यौवर्कों का िह समहू विसमे प्रत्येक में –
1. साधारण प्रणाली – प्रारंभ में कार्गवनक यौवर्कों के नाम उनकी प्रावप्त के स्त्रोंत के आधार पर रखे
र्ए | िैसे – र्ॉवमगक अम्ल ( HCOOH ) सिग प्रर्म लाल वचट्टी से प्राप्त वकया र्या र्ा |
लैवटन में लाल वचट्टी को र्ौवमगकस कहते हैं |
2. IUPAC प्रणाली ( International union of pure and applied
chemistry )
सतां प्तृ हाइड्रोकाबडन – सतं प्तृ हाइड्रोकार्गन में कार्गन-कार्गन के र्ीच एकल र्धं होता है |
(a) ऐल्के न – IUPAC प्रणाली में सभी कार्गवनक यौवर्कों को हाइड्रोकर्गनों का व्यत्ु पन्न माना िाता है तर्ा
कार्गवनक यौवर्कों के नाम उनके संर्त के हाइड्रोिन के नाम पर ही आधाररत होती है | ऐल्के न का सामान्य सिू (
CnH2n+2 ) होता है | इसके नामकरण में प्रर्म के चार सदस्ट्यों को साधारण में उनमें उपवस्ट्र्त कार्गन
परमाणओ ु ं की संख्या को ग्रीक संख्याओ ं के नाम के अंत में ( एन ) अनल ु ग्न िाता है |
ग्रीक संख्या
एका 1
र्ाइ 2
टाइ 3
टेरा 4
पेंटा 5
हेक्सा 6
हेप्टा 7
ऑक्टा 8
नोन् 9
र्ेका 10
ऐशके न ( Cn H2n + 2 )
प्रथम दस िीचे श्रृांिला िाले सांतृप्त हाइड्रोकाबडन
नाम सिू संरचना सिू
मेर्ेन CH4
ऐर्ेन C2 H6
प्रोपेन C3 H8
ब्यटू ेन C4 H10
पेंटेन C5 H12
हेक्सेन C6 H14
हेप्टेन C7 H16
ऑक्टेन C8 H18
नोनेन C9 H20
ऐकशकल ( Cn H2n + 1 )
सरं चना
नाम सिू सिू
मेवर्ल CH3
एवर्ल C2 H5
प्रोवपल C3 H7
वकसी संरचना में कार्गन श्रृंखला में िड़ु े ऐवल्कल समहू ों के आधार पर कार्गवनक यौवर्कों के नाम र्दलकर हैं |
ऐकशकन या ओकलकफन – ऐवल्कन में कार्गन वद्वर्धं होता है | IUPAC प्रणाली के अनसु ार नामकरण में
इसके संर्त ऐल्के न के नाम से ‘ एन’ हटाकर उसकी िर्ह पर ‘ईन’ िोड़ वदया िाता है | ऐवल्कन का सामान्य
सिू Cn H2n होता है |
ऐकशकन ( Cn H2n )
IUPAC सरं चना
नाम सिू सिू
एर्ीन C2 H4
प्रोपीन C3 H6
ऐलकाईन या ऐसीकटलीन – ऐल्काइन में कार्गन-कार्गन है विर्ंध होता है | IUPAC प्रणाली के अनसु ार
ु ग्न िोड़ वदया िाता है |
नामकरण में इनके संर्त ऐल्के न के नाम से (एन) हटाकर उसकी िर्ह पर (आइन) अनल
ऐल्काइन का सामान्य सिू Cn H2n – 2 होता है |
ऐशकाइन ( Cn H2n – 2 )
साधारण सरं चना IUPAC
नाम सिू सिू नाम
H-C ≡
ऐसीवटलीन C2 H2 C-H एर्ाइन
मेवर्ल
ऐसीवटलीन C3 H4 प्रोपाइन
ऐरोमैकटक यौकगक – र्ेंिीन के सदृश यौवर्कों को ऐरोमैवटक यौवर्क कहा िाता है | र्ेंिीन ( C6 H6 )
ऐशकोहॉल – साधारण प्रणाली के अनसु ार ऐल्कोहॉल के नामकरण में ऐल्कोहॉल में उपवस्ट्र्त ऐवल्कल समहू के
नाम में ऐल्कोहॉल शब्द िोड़ वदए िाते हैं | ऐल्कोहॉल का सामान्य नाम ऐल्कोहॉल तर्ा सामान्य सिू Cn H2n
+ 1 OH होता है |
IUPAC प्रणाली के अनसु ार ऐल्कोहॉल का नामकरण में ऐल्कोहॉल के अनुरूपी ऐल्के न के नाम में ऑल
िोड़ा िाता है |
ऐल्के न + ऑल → ऐल्के नॉल
साधारण IUPAC
सिू सरं चना नाम नाम
मेवर्ल
CH3 OH ऐल्कोहॉल मेर्ेनॉल
एवर्ल
C2 H5 OH ऐल्कोहॉल एर्ेनॉल
प्रोवपल
C3 H7 OH ऐल्कोहॉल प्रोपेनॉल
ईथर – ईर्र का सामान्य सिू ( Cn H2n + 1 )2 O या C2n H2n + 2 O होता है | ईर्र का नाम
ऑक्सीिन से िुड़े ऐवल्कल समहू ों में ईर्र शब्द िोड़कर वकया िाता है |
साधारण
सिू सरं चना नाम
एवर्ल –
मेवर्ल
CH3 OC2 H5 ईर्र
र्ाईमेवर्ल
CH3 OCH3 ईर्र
IUPAC प्रणाली में ईर्र को ऐशकॉक्ट्सीऐशके न कहते हैं |
IUPAC
सिू सरं चना नाम
र्ाइमेवर्ल
CH3 COCH3 कीटोन
एवर्लमेवर्ल
CH3 COC2 H5 कीटोन
IUPAC प्रणाली के अनसु ार कीटोन का नामकरण में सर्ं त के ऐल्के न के नाम में (ओन) अनल
ु ग्न िोड़ा िाता
है |
IUPAC
सिू संरचना नाम
CH3COCH3 प्रोपेनोन
CH3COC2H5 ब्यटू ेनान
काबोकक्ट्सकलक अम्ल – कार्ोवक्सवलक अम्ल का सामान्य सिू CnH2n+1 COOH होता है |
IUPAC प्रणाली के अनसु ार कार्ोवक्सवलक अम्ल के नामकरण में संर्त ऐल्के न के नाम में ओइक अम्ल
अनल ु ग्न िोड़ वदया िाता है |
ऐल्के न + ओइक अम्ल → ऐल्के नोइक अम्ल
IUPAC साधारण
सिू संरचना नाम नाम
मेर्ेनोइक र्ॉवमगक
HCOOH अम्ल अम्ल
एर्ेनोइक ऐवसवटक
CH3COOH अम्ल अम्ल
समाियिी ( Isomer ) – िे कार्गवनक यौवर्क विसके अनसु िू समान होते हैं लेवकन भौवतक और
रासायवनक र्णु वभन्न–वभन्न होते हैं , समाियिी कहलाते हैं और ऐसी घटना समिायिता कहलाती है |
CH3 —
CH2 — एवर्ल
C2H6O OH ऐल्कोहॉल
CH3 —
O— र्ाइमेवर्ल
CH3 ईर्र
समाियिता के प्रकार :- समाियिता के दो प्रकार होते हैं |
1. सांरचनात्मक समाियिता
2. किकिम समाियिता
1. सांरचनात्मक समाियिता – कार्गवनक यौवर्कों के अणु में उपवस्ट्र्त परमाणुओ ं एिं समहू ों के विवभन्न
प्रकार से िड़ु े होने के कारण िो समाियिता होती है, उसे सरं चनात्मक समाियिता कहते हैं |
संरचनात्मक समाियिता के तीन प्रकार होते है :-
CH3 —
CH2 —
CH2 —
C5H12 CH2 — CH3 n – हेक्टेन
2–
मेवर्लपेटेन
(b) स्थान समाियिता -वियाशील समहू के स्ट्र्ान में वभन्नता के कारण उत्पन्न होनेिाली समाियिता को
स्ट्र्ान समािरािता को कहते हैं |
CH3 —
CH2 —
C3H8O CH2 — OH प्रोपेनॉल
2 – प्रोपेनॉल
(c) कक्रयाशील समाियिता – िर् दो या दो से अवधक यौवर्कों के अनसु िू एक ही हो वकंतु उनमें उपवस्ट्र्त
वियाशील समहू वभन्न-वभन्न हो | तो इस घटना को वियाशील समाियिता कहते हैं |
CH3 —
CH2 —
C2H6O OH एर्ेनॉल
CH3 —
O — र्ाइमेवर्ल
CH3 ईर्र
2. किकिम समाियिता – विविम समाियवियों का संरचना सिू समान होता है वकंतु परमाणओ ु ं एिं समहू ों की
स्ट्र्ावनक व्यिस्ट्र्ा या विन्यास वभन्न होते हैं | विविम समाियिता के दो प्रकार होते हैं :-
(a) ज्याकमतीय समाियिता – यह समाियिता िैसे ऐवल्कनों या उनके व्यत्ु पन्नों द्वारा प्रदवशगत होती है विनके
वद्वर्ंध से िड़ु े प्रत्येक कार्गन के सार् दो वभन्न-वभन्न समहू िुड़े हों |
C4H8 वसस-2-ब्यटू ेन
रांस-2-ब्यटू ेन
(b) प्रकाकशक समाियिता – एक कार्गन परमाणु से चार वभन्न परमाणु या समहू िड़ु े हो तो ऐसे कार्गवनक
नोट – कार्गवनक यौवर्कों के रासायवनक र्णु उनेक वियाशील मल ू क पर वनभगर करते हैं |
हाइड्रोकाबडन ( Hydrocarbon ) – हाइड्रोकार्गन को पेरोवलयम से तर्ा हिा की अनपु वस्ट्र्वत में कायेले
को र्मग करके प्राप्त वकया िाता है | हाइड्रोकार्गन के कोयले को र्मग करके प्राप्त वकया िाता है हाइड्रोकार्गन के
भौवतक र्ुण इनकी श्रृंखला के सार् र्दलती है |
दहन ( Combusion ) – दहन िह प्रविया है विसमे , सतं प्तृ हाइड्रोकार्गन िायु की उपवस्ट्र्वत में नीले लौ
के सार् िलकर कार्गन र्ाइऑक्साइर् और िल र्नाते हैं |
CH4 + 2O2 → CO2 + 2H2 O + ऊष्मा
2C2 H6 + 7O2 → 4CO2 + 6H2 O + ऊष्मा
LPG – प्रोपेन, ब्यटू ेन तर्ा आइसोब्यटू ेन
पेरोल – C6 — C2 के सतं प्तृ हाइड्रोकार्गन
ककरोकसन – C11 — C15 के के संतप्तृ हाइड्रोकार्गन
डीजल – C15 — C18 के संतप्तृ हाइड्रोकार्गन
CNG – 80% CH4
हैलोज़कनकारण ( Halogenation ) – विसररत सयू ग के प्रकाश की उपवस्ट्र्वत में ऐल्के न के सभी
हाइड्रोिन परमाणु र्ारी – र्ारी से क्लोरीन परमाणु द्वारा प्रवतस्ट्र्ावपत हो िाते है | इस अवभविया को प्रवतस्ट्र्ापन
अवभविया कहते हैं तर्ा यह परू ी विया हैलोिनीकरण कहलाती है |
एशकीन ( Alkene ) – ऐल्के नों की तल ु ना में ऐवल्कन अवधक वियाशील होते हैं | लेर् उतप्रेरक की
उपवस्ट्र्वत में ऐवल्कन हाइड्रोिन से अवभविया कर संतप्तृ हाइड्रोकार्गन र्नाता है | इस अवभविया को
एशकोहॉल ( Alcohol
) – ऐवल्कन हैलाइर् को िलीय सोवर्यम हाइड्रॉक्साइर् के सार् र्मग करने पर ऐल्कोहॉल प्राप्त
होता है |
व्यापाररक विवध में ऐल्कोहॉल को चीनी या स्ट्टाचग के वकण्िन द्वारा प्राप्त वकया िाता है |
एर्ोनोइक अम्ल का साधारण नाम ऐवसवटक अम्ल है 6 – 8% तनु ऐवसटीन अम्ल को वसरका कहते है |
विसका उपयोर् आचार र्नाने में रक्षक के रूप में होता है |
ु ऐवसवटक अम्ल िमकर र्र्ग -िैसा ठोस विस्ट्टल में पररिवतगत हो िाता है िो 290K
ठंर्ा वकए िाने पर शद्
(27°C) ताप पर वपघल िाता है |
साबनु और अपमाजडक ( Soap and detergent ) – उच्च श्रृख ं ला िाले कार्ोवक्सवलक अम्लों
(C12 – C20) को िसीय अम्ल कहा िाता है | इन उच्च िावसय अम्लों में पावनवटक अम्ल (
C15H31COOH ) वस्ट्टएवटक अम्ल ( C17H35COOH ) तर्ा ओलेइक अम्ल (
C17H33COOH ) उल्लेखनीय है |
साबुन बनाने की किकध – साबुनीकरण ( Soapnification )
िनस्ट्पवत तेल या िसा को सोवर्यम हाइड्रॉक्साइर् विलयन के सार् र्मग करने से सार्नु तर्ा वग्लसरॉल र्नता है
अपमाजडक – अपमािगक उच्च ऐल्कोहॉल के हाइड्रोिनसल्र्े ट व्यत्ु पन्न के सोवर्यम लिण होते हैं |
अपमािगक कठोर या मीठे िल में तेिी से घुल िाता है तर्ा या कठोर िल के सार् अविलेय कै वल्सयम अर्िा
मैग्नीवशयम लिण नहीं र्नाता है | अत: यह कठोर िल में भी खल ु झार् देता है |
िाकशगां पाउडर ( Washing powder )– सर्ग , मैविक लक्स आवद िावशंर् पािर्र में लर्भर्
15% से 30% अपमािगक रहता है| पाउर्र को शष्ु क रखने के वलए उसमें सोवर्यम सल्र्े ट और सोवर्यम
वसवलके ट वमला वदए िाते हैं | सोवर्यम परर्ोरे ट की उपवस्ट्र्वत में पाउर्र में विरंिक र्णु आ िाता है यह कपड़ों में
सर्े दी लाता है |
धातुओ ां के किकशष्ट गुण
िौकतक गुण ( Physical Properties )
1. इलेक्ट्राॅकनक किन्यास ( Electronic configuration ) – धातओ ु ं के
परमाणु की ब्रहातम कक्षा में साधारणत: 1, 2 या 3 इलेक्राॅॅन होते हैं |
िैसे – Li – 2, 1
Na – 2, 8, 1
Mg – 2, 8, 2
Al – 2, 8, 3
2. जल के साथ अकिकक्रया –
(i) कुछ धातएु ाँ ठंर्े िल के सार् अवभविया करके हाइड्रोिन र्ैस मक्त
ु करती है तर्ा धातु का ऑक्साइर् या
हाइड्रॉक्साइर् र्नाती है |
नोट: तााँर्ा िल िाष्प के सार् अवभविया नहीं करता है | इसी कारण इसका उपयोर् र्मग िल के टंकी में वकया
िाता है |
(iii) अम्लों के सार् अवभविया – धातएु ाँ अम्लों के सार् विया करके हाइड्रोिन र्ैस मक्त
ु करती है |
Cl – 2,8,7
होती है |
3. अधातिधडनीयता और तन्यता ( Malleability and Ductile ) –अधातु आघातिधगनीय
तर्ा तन्य नहीं होती है क्योंवक इसे हर्ैर्ें से पीटने पार ये चरू -चरू हो िाती है |
4. द्रिणाांक एिां क्ट्िथनाांक ( Melting and boiling Point )- अधातओ ु ं के द्रिणाक ं एिं
क्िर्नांक वनम्न होते है| ग्रैर्ाइट एक अपिाद है विसका द्रिणांक एिं क्िर्नांक उच्च होता है |
5. ऊष्मीय एिां किधुत चालकता ( Thermal and electrical conductivity
)- अधातएु ाँ प्राय: ऊष्मा एिं विधतु की कुचालक होती है | ग्रैर्ाइट एिं अपिाद है िो विधतु का सचु ालक होती
है |
6. चमक ( Shine ) – अधातओ ु ं में कोई विशेष प्रकार की चमक नहीं होती है | लेवकन , ग्रैर्ाइट एिं
आयोर्ीन अपिाद है िो चमकीले होते हैं |
7. अधतुओ ां मुलायम होती है |
8. िौकतक अिस्था ( Physical state)- अधातएु ँ कमरे के ताप पर ठोस, द्रि या गैस के रूप में
होती है –
ठोस – कार्गन, सल्र्र
द्रि – ब्रोमीन
क्लोराइर् आयन
सोवर्यम आयन
ऑक्साइर् आयन
कुछ अणओ
ु ं की इलेक्रॉन – वर्ंदु संरचनाएाँ –
हाइड्रोिन ( H2 )
मेर्ेन ( CH4 )
िल ( H2O )
1. धनायन / के टायन
2. ॠणायन / एनायन
1. धनायन ( Positive ions ) – िर् वकसी तत्ि का परमाणु एक या अवधक इलेक्रोनों का त्यार्
करता है तर् िह धनायन कहलाता है |
धनायन की किशेषताएँ –
A. वकसी धनायन में अपने मल ू परमाणु से कम इलेक्रॉन रहते हैं |
B. धनायन पर धन आिेश रहता है |
C. परमाणु के धनायन में पररितगन हो िाने पर भी उसकी परमाणु सख्ं या अपररिवतगत रहती है |
D. धनायन का इलेक्रॉवनक विन्यास उसके वनकटतम उत्कृ ष्ट र्ैस के सदृश होता है |
E. धनायन का आकर उसके मल ू परमाणु के आकार से छोटा होता है |
F. धातु परमाणु के धनायन र्नते हैं |
2. ॠणायन ( Negative ions ) – िर् वकसी तत्ि का परमाणु एक या अवधक इलेक्रोनों का ग्रहण
2. सहसयां ोजक बध ां न – िर् दो परमाणु आपस में इलेक्रॉनों का साक्षा करके अपना अष्टक परू ा करते करते हैं
तर् उसके र्ीच र्ना हुआ रासायवनक र्ंधन सहसंयोिक र्ंधन कहलाता है |
C. किक सहसांयोजक बांधन – िर् दो परमाणु आपस में तीन यग्ु म इलेक्रॉनों का साझा करते हैं तर् उसके र्ीच
र्ना र्धं न विक सहसयं ोिक र्ंधन कहलाता है | विक सहसयं ोिक र्धं न को तीन लकीर (≡) द्वारा सवू चत वकया
िाता है |
• िैधतु सयां ोजक यौकगकों की किशेषताएँ –
1. ये इलेक्रॉनों के पणू ग स्ट्र्ानांतरण के र्लस्ट्िरूप र्नते हैं |
2. ये आयनों से र्ने होते हैं |
3. ये मख्ु यत: विस्ट्टलीय ठोस पदार्ग होते हैं |
4. इनके द्रिणांक और क्िर्नांक उच्च होती है |
5. ये िल में प्राय: विलय वकन्तु र्ेंिीन, ऐसीटोन, क्लोरार्ॉमग आवद कार्गवनक विलायकों में प्राय:
अविलेय होते हैं |
6. िैधतु -अपघटन करने पर ये अपघवटत हो िाते हैं |
2NaCl → 2Na + Cl2
7. ठोस अिस्ट्र्ा में ये विधतु कुचालक वकन्तु िलीय विलयन में अिस्ट्र्ा में विधतु के सचु ालक होते हैं |
8. इनके अणओ
ु ं की कोई वनवित आकृ वत नहीं रहती है |
9. विलयन में ये तेिी से अवभविया करते हैं |
1. मुक्त अिस्था में – िे धातओ ु ं मक्त ु अिस्ट्र्ा में पाई िाती है विन पर िायु के ऑक्सीिन,
िलिाष्प, कार्गन र्ाइऑक्साइर् आवद का कोई प्रभाि नहीं पड़ता है | िैसे – वसल्िर, र्ोल्र्,
प्लैवटनम आवद |
2. सयां क्त
ु अिस्था में – िे धातएु ाँ सयं क्त
ु अिस्ट्र्ा में पाई िाती है | विन पर िायु के ऑक्सीिन,
िलिाष्प, कार्गन र्ाइऑक्साइर् आवद आसानी से विया कर पाते हैं | िैसे – सोवर्यम,
पोटैवशयम, कॉपर |
• िकनज ( Minerals ) – पृर्थिी की परत में विद्यमान धातय ु क्त
ु पदार्ग खवनि कहलाते हैं
|
• अयस्क ( Ores ) – विन खवनि में प्रचरु मािा में धातु विद्यमान होते हैं तर्ा विससे कम
खचग में ही एिं सरलता से धातु प्राप्त की िा सके , उसे अयस्ट्क कहते हैं |
नोट – सभी अयस्ट्क खवनि होते हैं, वकंतु सभी खवनि अयस्ट्क नहीं होते |
र्ेलोमाइट,
मैग्नीवशयम मैग्नोसाइट तवमलनार्ु
अयस्क कई प्रकार के होते हैं –
1. ऑक्साइर् अयस्ट्क – कॉपर, ऐलवु मवनयम, विंक, वटन आइटन आवद |
2. सल्र्ाइर् अयस्ट्क – कॉपर, वसल्िर, विंक, मरकरी लेर्, आइरन आवद |
3. कर्ोंनेट अयस्ट्क – सोवर्यम, कॉपर, कै वल्सयम, मैग्नीवशयम, विंक, लेर्, आइरन आवद |
4. हैलाइर् अयस्ट्क – कै वल्सयम |
धातकु मड ( Metallurgy ) – अयस्ट्कों से धातओ ु ं के वनष्कषगण एिं उनके शोधन की प्रविया धातक ु मग
कहलाती है |
1. गैंग ( Gange ) – अयस्ट्कों में पाए िाने िाले अिाछ ं नीय पदार्ों को र्ैंर् कहते हैं |
2. अयस्क का साांद्रण (Concentration of ore ) – अयस्ट्क में विद्यमान अपद्रव्यों
को र्ैंर् कहते हैं |
3. कनस्तापन ( Calcination ) – अयस्ट्क को उच्च ताप पर िायु की अनपु वस्ट्र्वत या
अपयागप्त आपवू तग में उसके द्रिणांक से कम ताप पर र्मग कर धातु को उसके ऑक्साइर् में
पररिवतगत करने की प्रविया वनस्ट्तापन कहलाती है |
4. िजडन ( Roasting ) – सल्र्ाइर् अयस्ट्कों को िायु की पयागप्त आपवू तग की वस्ट्र्वत में
तीव्रता से र्मग करके धातु को ऑक्साइर् परिावतगत करने की प्रविया भिगन कहलाती है |
5. गालक ( Flux ) – र्ालक िह पदार्ग है विसे वनस्ट्तावपत या भविगत अयस्ट्क एिं कोके के
सार् वनवतत कर वमश्रण को र्मग वकया िाता है ऐसा करने से अयस्ट्कों में विद्यमान अर्लनीय
अपद्रव्य दरू हो पाते है |
6. धातमु ल ( Slag ) – द्रािक अयस्ट्क में उपवस्ट्र्त अद्रिणशील पदार्ग में पररिवतगत कर देता है
विसे धातमु ल कहते हैं |
7. प्रगलन ( Smelting ) – धातु के ऑक्साइर् को कोक के सार् र्मग करके उसे धातु में
पररिवतगत करके प्रविया प्रर्लन कहलाती है |
• धातक ु मग में प्रयक्त
ु विवभन्न चरण वनम्नवलवखत है –
1. अयस्ट्क का साद्रं ण
2. सांवद्रत अयस्ट्क का धातु के ऑक्साइर् में पररितगन
3. धातु के ऑक्साइर् से धातु का वनष्कषगण
4. धातु का शोधन
1. अयस्क के साांद्रण की किकधयाँ –
A. हाथ में चुनकर – अयस्ट्क में विद्यमान र्ड़े आकर अशवु द्यों कई टुकड़ों को हार् से चनु कर
अलर् कर वलया िाता है | वर्र उसे िशर में र्ालकर चणू ग र्ना वलया िाता है |
B. गुरुत्ि पृथक्ट्करण किकध – अयस्ट्क के चनु को िल के सार् घोलकर टेढ़ मार्ग से र्िु ारा िाता
है } विससे अयस्ट्क पीछे छूट िाते हैं और उसमे उपवस्ट्र्त अशवु द्यााँ िल में घल ु कर र्ह िाती
है |
C. फे न प्लिन किकध- अयस्ट्क के भारी चणू ग को िल से भरी एक टंकी में र्ालते हैं तत्पिात उस
िल में र्ोड़ा तेल र्ालकर िायु प्रिाह द्वारा िलको खर्ू आलोवड़त वकया िाता है | विलय
अपद्रव्य िल में घल ु िाते हैं और अयस्ट्क के हल्के कणग र्े न के सार् िल के सार् िल की
सतह के ऊपर आ िाते हैं विन्हें अलर् कर वलया िाता है वर्र , सावं द्रत अयस्ट्क को छानकर
सख ु ा देते हैं |
D. गलाकनक पृथक्ट्करण किकध – इस विवध द्वारा ऐसे अयस्ट्कों का अपद्रव्यों के द्रिणांक से कम
हो अशद् ु अयस्ट्क को र्मग कर वपघला देते हैं वर्र उसे एक ढ़ावलनमु ा तल से प्रिावहत करते हैं |
विसमे उपवस्ट्र्त अयस्ट्क आर्े र्ढ़ िाते और अपद्रव्य पीछे छूट िाते हैं |
E. चुांबकीय पथ ृ क्ट्करण किकध – यह विवध िैसे अयस्ट्कों. के वलए प्रयक्त ु होती है िर् अयस्ट्क
और उसमें विद्यमान अपद्रव्यों में कोई एक चंर्ु कीय हो वर्र चम्ु र्क विस अयस्ट्क में होते हैं
उसकों एक विधतु चंर्ु कीय र्ेलनों के र्ेल्क पार र्ालकर मशीन को चालू कर वदया िाता है |
अपद्रव्य चर्ंु कीय होने के कारण चर्ंु क की ओर आकवषगत होकर पि में वर्रता है िर्वक
अचंर्ु कीय पदार्ग उससे दरू होकर एकअलर् पाि में वर्रता है |
F. कनक्षालन – यह विवध िैसे अयस्ट्कों के ली प्रयक्त ु की िाती है िर् अयस्ट्क एिं उसमे विद्यमान
अपद्रिों के रासायवनक र्णु वभन्न-वभन्न होते हों |
इस विवध में अयस्ट्क के चणू ग को एक उपयक्त ु विलायक में र्ालते है | अयस्ट्क इसमें घुल िाता है, िर्वक
अपद्रव्य विलेय अिस्ट्र्ा में ही रह िाते हैं अविलेय अपद्रव्यों को छानकर अलर्कर वलया िाता है |
2. साांकद्रत अयस्क को धातु के ऑक्ट्साइड में पररितडन करना साांकद्रत अयस्क को कनस्तापन या िजडन
किकध िारा धातु के ऑक्ट्साइड में पररितडन ककयाजाता है |
3. धातु के ऑक्ट्साइड से धातु प्राप्त करना
धातु के ऑक्साइर् से धातु प्राप्त करने विवध धातु की वियाशीलता पर वनभगर कराती है इसके वलए वनम्नवलखत
विवधयााँ प्रयक्त
ु होती है –
A. उष्मा िारा अिकरण – वियाशीलता श्रेणी में नीचे के धातओ ु ं के ऑक्साइर् की वसर्ग र्मग
कर देने से ही धातु में पररिवतगत हो िाते हैं |
B. रासायकनक अिकरण – इस विवध में कार्गन या ऐलवु मवनयम के चणू ग को अिकारक के रूप में
प्रयोर् वकया िाता है |
काबडन िारा अिकरण – वियाशीलता श्रेणी में िो िस्ट्तएु ाँ मध्य में होती है | उनके ऑक्साइर् को वसर्ग र्मग
करके धातु में पररणत नहीं वकया िा सकता है| इसके वलए वकसी अिकारक की आिश्यकता होती है | इसमें
धातु के ऑक्साइर् को कोक या कोयला के सार् वमलाकर िायु की वसवमत उपवस्ट्र्वत में एक भटी में वकया िाता
है | इस अवभविया के र्लस्ट्िरूप कार्गन मोनोक्साइर् र्ैस र्नती है | िो धातु के ऑक्साइर् को धातु में अिकृ त
कर देती है इस प्रविया को प्रर्लन भी करते हैं |
ऐलुकमकनयम िारा अिकरण – कुछ धातओ ु ं के ऑक्साइर् कार्गन द्वारा अिकृ त नहीं वकए िा सकते है ऐसी
वस्ट्र्वत में अिकरण की विया ऐलवु मओर्वमगक विवध कहते हैं |
C. िैधुत अपघटन िारा अिकरण – िो धातएु ाँ वियाशीलता श्रेणी के ऊपरी भार् में होती है | उन धातओ ु ं के
द्रवित ऑक्साइर् या क्लोराइर् का िैधतु अपघटन करके धातओ ु ं को प्राप्त वकया िाता है |
4. अशुद्ध धातुओ ां का शोधन
A. िैधुत अपघटन िारा शोधन – िैधतु अपघटन द्वारा शोधन करने के वलए अशद् ु धातु को
ऐनोर् एिं शद् ु धातु की प्लेट को कै र्ोर् के रूप में में इस्ट्तेमाल वकया िाता है | धातु के एक
लिण का विलयन िैधतु अपघटन का कायग करता है | विधतु धारा प्रिावहत करने पर ऐनोर्
शद्ु धातु वनकलकर विलयन में िाती है और विलयन में से उतनी ही शद् ु धातु कै र्ेर् पर
एकवित हो िाती है | विलेय अपद्रव्य विलयन चले िाते हैं िर्वक अविलेय अपद्रव्य ऐनोर् के
नीचे पेंदी के एकल हो िाते हैं िो ( ऐनोर् मर् ) कहलाते हैं |
धातओ ां ारण ( Corrosion of metals ) – धातु की सतह पर िायु की ऑक्सीिन, कार्गन
ु ां का सक्ष
र्ाइऑक्साइर्, िलस्ट्िरूप धातु का संक्षारण कहलाता है |
सांक्षारण रोकने के उपाय
1. धातु की र्ाहरी परत पर ग्रीस या तेल लर्ाकर |
2. धातएु ाँ द्वारा स्ट्ियं रक्षा किच र्ना कर |
3. रंर्ाई करके |
4. धातु की वकसी िस्ट्तु को वपघले हुए िस्ट्ता में र्ुर्ाकर िस्ट्तु की सतह पर िस्ट्ता की एक परत
चढ़ा दी िाती है इस प्रविया में िस्ट्तीकरण कहते हैं |
5. िैधतु अपघटन द्वारा वकसी धातु पर अन्य धातु की परत चढ़ा दी िाती है |
6. धातओ ु ं को वमश्रधातु में पररिवतगत करके |
कमश्रधातु ( Alloy ) – दो या अवधक धातओ ु ं अर्िा एक धातु एिं एक अधातु का वमश्रण वमश्रधातु
कहलाता है | िैसे – पीतल-र्तगन र्नाने में, कॉसा-र्तगन, वसक्का एिं मवू तगयााँ र्नाने में
कमश्रधातु के गुण
1. ये अपने अियिों से अवधक कठोर होते हैं |
2. ये संक्षारण-अिरोधक होते हैं |
3. इसके द्रिणाक ं एिं इनकी विधतु चालकता के अियिों की अपेक्षा कम होते हैं |
4. इनकी र्णु िता इनके अियिों की तल ु ना में र्ढ़ िाती है |
स्टेनलेस इस्पात ( Stainless steel ) – लोहा को इके ल एिं िोवमयम के सार् वमवश्रत कर र्नी
वमश्रधातु स्ट्टेनलेस इस्ट्पात कहलाती है | स्ट्टेनलेस इस्ट्पात कार्ी कठोर एिं िर्ं नहीं लर्ने िाला वमश्र धातु होता है
|
सोना की कमश्रधातु
शद्ु सोना 24 कै रे ट का होता है वकंतु ऐसा सोना अत्यतं मल ु ायम होने के कारण आभषू णों के वनमागण के वलए
ु होता आभूषणों के वनमागण के वलए 22 कै रे ट सोना उपयक्त
अनपु यक्त ु होता है | 22 कै रे ट सोना का अर्ग है वक
इसमें 22 भार् सोना एिं 2 भार् वसल्िर या तााँर्ा वमवश्रत है |
अम्ल ( Acids ) – अम्ल िह पदार्ग है विसका िलीय विलयन स्ट्िाद में खट्टा होता है तर्ा धातु से
ु करता है |
अवभविया कर हाइड्रोिन र्ैस मक्त
Mg + 2HCl → MgCl2 + H2 ↑
अम्ल के गुण
1. अम्लों का िलीय विलयन विधतु का संचालन करता है
2. अम्ल िह पदार्ग है िो िल में घल
ु कर हाइड्रोिन आयन ( H+ ) देता है –
चक
ु ं दर लाल – र्ैंर्नी पीला
अम्ल – िस्म अकिकक्रया –अम्ल-भष्म की अवभविया के र्लस्ट्िरूप लिण तर्ा िल र्नाते हैं |
i. NaOH + HCl → NaCl + H2O
ii. NaOH + H2SO4 → NaHSO4 + H2O
धातु के ऑक्ट्साइड की अम्ल से अकिकक्रया – धातु ऑक्साइर् अम्लों के सार् अवभविया करके लिण तर्ा
िल र्नाते हैं |
i. CuO + H2SO4 → CuSO4 + H2O
ii. ZnO + H2SO4 → ZnSO4 + H2O
अधातु के ऑक्ट्साइड की िष्म से अकिकक्रया – अधातु के ऑक्साइर् भस्ट्म के सार् अवभविया करके लिण
तर्ा िल र्नाते हैं |
CO2 + Ca(OH)2 → CaCO3 + H2O
नोट –
1. धातु के ऑक्साइर् भाष्मीय होते हैं |अधातु के ऑक्साइर् अम्लीय होते हैं |
अम्ल तथा िष्म की जल से अकिकक्रया – तर्ा भस्ट्म िल के सार् अवभविया करके ऊष्मा प्रदान करते हैं |
i. HCl + H2O → H3O+ + Cl– + ऊष्मा
ii. NaOH → Na+ + Cl– + ऊष्मा
अम्ल तथा िष्म की शकक्त के अनुसार प्रकार –
प्रबल अम्ल ( Strong acids ) – िे अम्ल िो िल में घल ु कर लर्भर् पिू गत: आयवनत होकर हाइड्रोिन
आयन ( H+ ) प्रदान करते हैं प्रर्ल अम्ल कहलाते हैं | िैसे – हाइड्रोक्लोररक अम्ल ( HCl ) , नाइवरक
अम्ल ( HNO3 ) , सल्फ्यूररक अम्ल ( H2SO4 )
दुबडल अम्ल ( Weak acids ) – िे अम्ल िो िल में घल ु कर वसर्ग आंवशक रूप में ही आयवनत होते हैं
पणू गत नहीं दर्ु गल अम्ल कहलाते हैं | िैसे – कार्ोवनक अम्ल ( H2CO3 ) , एसीवटक अम्ल (
CH3COOH ) , र्ोररक अम्ल ( H3BO3 ) .
प्रबल िष्म ( Strong bases ) – िे भष्म िो िलीय विलयन में लर्भर् पूणगत आयवनत होकर मािा में
हाइड्राक्साइर् आयन प्रदान करते हैं प्रर्ल भष्म या प्रर्ल क्षार कहलाते हैं | िैसे – सोवर्यम हाइड्रोऑक्साइर् (
NaOH ) , पोटेवशयम हाइड्रोऑक्साइर् ( KOH ) .
दुबडल िष्म ( Weak base ) – िे भष्म िो िलीय विलयन में वसर्ग अंशत: आयवनत होकर कम मािा में
हाइड्राक्साइर् आयन प्रदान करते हैं, दर्ु गल भष्म या दर्ु गल क्षर कहलाते हैं | िैसे – कै वल्सयम हाइड्रोऑक्साइर् [
Ca(OH)2 ] , अमोवनयम हाइड्रोऑक्साइर् ( NH4OH ) .
साांद्र अम्ल ( Concentrated acids ) – िर् वकसी विलयन में अम्ल की मािा अवधक रहती है िो
उसे साद्रं अम्ल कहते हैं |
तनु अम्ल ( Dilute acids ) – वकसी विलयन में अम्ल की मािा अपेक्षाकृ त कम रहती है तो उसे तनु
अम्ल कहते हैं |
नोट – साद्रं अम्ल को तनु अम्ल में पररिवतगत करने के वलए अम्ल की र्ोड़ी मािा को िल में वमला वदया िाता है
|
pH ( Potential of Hydrogen ) : हाइड्रोजन आयन ( H+ ) का साांद्रण
वकसी विलयन में हाइड्रोिन ( H+ ) आयन का सांद्रण के वनधागरण के वलए सारंसन ने 1909 ई ंमें एक स्ट्केल
वदया , विसें pH कहा िाता है |
pH : वकसी विलयन के pH उनमें उपवस्ट्र्त हाइड्रोिन ( H+ ) आयनों की सांद्रता के लघर्ु णक का
ॠणात्मक मान है |
pH = – log [H+]
ु िल में [H+] = 1 × 10-7 होता है |
शद्
अतः िल का pH = – log [10-7] [ log an = n log a ]
= – (-7 ) log 10
= 7 × 1 =7 [ log10 = 1 ]
लिण के दो मल
ू क विद्यमान होते हैं एक मलू क भष्म से प्राप्त होता है विसे िाकष्मक मूलक कहते है , िो धन
आिेवशत होते हैं | दसू रा मल
ू क अम्ल से हाइड्रोिन के विस्ट्र्ापन के र्लस्ट्िरूप प्राप्त होता है विन्हें अम्लीय
मूलक कहते हैं ,िो ॠण आिेवशत होते हैं | सोवर्यम क्लोराइर् (NaCl) में सोवर्यम आया ( Na+ )
भावष्मक मूलक तर्ा क्लोराइर् आयन ( Cl– ) अम्लीय मल ू क है |
लिणों में उपवस्ट्र्त समान भावष्मक मल ू क तर्ा समान अम्लीय मल
ू क के आधार पर लिणों के नामकरण वकए
िाते हैं | िैसे – NaCl तर्ा Na2 SO4 में समान भावष्मक मल ू क सोवर्यम आयन ( Na+ ) है | अतः इन
लिणों को सोकडयम लिण कहा िाता है | इसीप्रकार , NaCl तर्ा KCl में समान अम्लीय मल ू क
क्लोराइर् आयन (Cl– ) है | अत: इन लिणों को क्ट्लोराइड लिण कहा िाता है |
लिणों का िगीकरण ( Classification of Salts )
1. सामान्य लिण – िैसे लिण विनमें विस्ट्र्ापनशील हाइड्रोिन या हाइड्रोिन समहू नहीं होते हैं
सामान्य लिण कहलाते हैं |
िैसे – NaCl, KCl, Na2 SO4 , Na3 PO4
2. अम्लीय लिण – वकसी अम्ल के अणु में उपवस्ट्र्त विस्ट्र्ापनशील हाइड्रोिन परमाणु को धातु द्वारा अंशत:
विस्ट्र्ावप्त करने के र्लस्ट्िरूप र्ने लिण को अम्लीय लिण कहते हैं |
िैसे – H2 SO4 + NaOH → NaHSO4 + H2 O
H2 PO4 + NaOH → NaH2 + H2 O
3. िाकष्मक लिण – िैसे भष्म विनके अणु में एक से अवधक हाइड्रोवक्सल समहू होते हैं अम्लों द्वारा आंवशक
रूप सेस उदासीन होकर ये भावस्ट्मक लिण प्रदान करते हैं |
िैसे – Pb ( OH )2 + HNO3 → Pb ( OH )NO3 + H2 O
लिण के pH
1. प्रर्ल अम्ल तर्ा प्रर्ल भष्म के र्ने लिणों का िलीय विलयन उदासीन होता है तर्ा विलयन का pH मान
7 होता है |
नोट – चाँवु क ये अपघटन अवभविया ऊष्मा के प्रभाि से कराई िाती है | अत: इन्हें ऊष्मीय अपघटन अवभविया
भी कहते हैं |
3. िैधुत अपघटन अकिकक्रया ( Electrolysis decomposition reaction ) – िह
अपघटन अवभविया िो विधुत धारा प्रिाह के कारण होती है |
|
7. उदासीनीकरण अकिकक्रयाएँ ( Neutralization reaction ) – िह अवभविया विसमें कोई
अम्ल वकसी भरक के सार् अवभविया करके लिण और िल र्नाता है, उदासीनीकरण अवभविया कहलाती है |
ऑक्ट्सीकारक एिां अिकारक – िर् कोई पदार्ग ऑक्सीिन प्राप्त करता है , तर् कहा िाता है वक िह पदार्ग
ऑक्सीकृ त हुआ है इसकें विपरीत िर् वकसी पदार्ग से ऑक्सीिन का वनष्कासन होता है तर् कहा िाता है वक
िह पदार्ग अिकृ त हुआ है | विस पदार्ग का ऑक्सीकृ त होता है िह अिकारक कहलाता है तर्ा विस पदार्ग का
अिकरण होता है , िह ऑक्सीकारक कहलाता है |
दैकनक जीिन में ऑक्ट्सीजन-अिकरण के प्रिाि
1. िोजन का पचना (Digestion of food )– हमारे भोिन में मुख्यत: कार्ोहाइड्रेट
रहता है पाचन विया के िम में यह स्ट्टाचग ( पॉलीसैकेराइट ) अपघवटत होकर ग्लक
ू ोस र्नता है
िो हमारे शरीर की कोवशकाओ ं में उपवस्ट्र्त ऑक्सीिन द्वारा ऑक्सीकृ त होकर कार्गन
र्ाइऑक्साइर् िल और ऊिाग में पररिवतगत हो िाता है | श्वास छोड़ने के िम में कार्गन
र्ाइऑक्साइर् र्ैस हमारे शरीर से र्ाहर वनकल िाती है और ऊिाग से हमारे शरीर का ताप
कायम रहता है एिं हमें शारीररक कायग करने के वलए र्ल प्राप्त होता है |
2. िोजन का दुगडकधत होना ( Food spoilage ) – भोिन में उपवस्ट्र्त िसा और तेल
कार्ी समय के पिात् िायु के ऑक्सीिन द्वारा ऑक्सीकृ त हो िाते है विससे उनके र्ंध एिं
स्ट्िाद अवप्रय हो िाते है |
कुछ उपायों द्वारा भोिन को दवू षत या अवप्रय होने से रोका िा सकता है
1. िसायक्तु भोिन में एक विशेष प्रकार का पदार्ग ( वसवरक अम्ल, लेवसवर्न ) विसे
एंवटऑक्सीर्ेंट कहते हैं |, वमला देने से भोिन का ऑक्सीिन एक िाता है |
2. घरों में भोिन को रे वर्िरे टर में रखकर भी उसकें ऑक्सीकरण को कम वकया िा
सकता है |
3. भोिन को िायरुु द् र्तगनों में रखकर भी ऑक्सीिन को कम वकया िा सकता है |
3. सांक्षारण ( Corrosion ) – िर् कोई धातु ऑक्सीिन के सार् अवभविया करके धातु
ं ारण कहते है |
का ऑक्साइर् र्ना लेता है उसे सक्ष
4. दहन की कक्रया ( Combustion ) – सभी पदार्ों में िलने में ऑक्सीकरण अिकरण
अवभविया का प्रयोर् होता है |
दहन और ज्िाला ( Corrosion and Flame )
दहन – वकसी पदार्ग के ऑक्सीिन में िलने पर ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न होते है िलने की इस विया
को दहन कहते हैं |
दहन में िो पदार्ग िलता है उसे दहनशील या ज्िलन शील पदार्ग कहते हैं | िैसे – लकड़ी, कोयला आवद |
वकछ ऐसे भी पदार्ग है िो िलने नहीं है ये पदार्ग अदहन शील या अज्िलनशील पदार्ग कहलाते हैं िैसे – ईट,
पत्र्र आवद |
ऑक्सीिन की अनपु वस्ट्र्वत वस्ट्र्वत में दहन-कभी-कभी की प्रविया ऑक्सीिन की अनपु वस्ट्र्वत में भी होती है |
नोट – िो पदार्ग दहन की विया में सहायक नहीं होते हैं उन्हें दहन का अपोषक कहते हैं िैसे – कार्गन
र्ाइऑक्साइर् र्ैस |
मोमर्ती की ज्िाला की र्नािट – मोमर्ती की ज्िाला में मुख्यत: तीन भार् होते हैं –
1. कें द्रीय मडां ल ( Central Zone ) – यह नीला देता है इसमें वर्ना िले हुए मोम के
िाष्प रहते हैं यह र्ती को घेरे रहता है इसमें दहन की विया नहीं होती क्योंवक िाष्प ऑक्सीिन
के संपकग में नहीं आ पाते है इसवलए इस भार् को अदहन का क्षेि भी कहा िाता है ज्िाला के
इस क्षेि का ताप सर्से कम रहता है इस क्षेि में वदयासलाई की तीली ले िाने पर तीली नहीं
िलती है |
2. प्रकाशमान मांडल ( Luminous Zone ) – इसमें ऑक्सीिन की अपयागप्त आपवू तग के
कारण मोम के िाष्प का अपणू ग दहन होता है अत: इसमें कार्गन के सक्ष्ू म कण उपवस्ट्र्त रहते है
यह ज्िाला का सर्से र्ड़ा भार् होता है | इसमें से पीला प्रकाश वनकलता है इसमें ज्िाला का
ताप मृदल ु रहता है |
3. प्रकाशहीन मांडल ( Nonluminous Zone ) – इस भार् में मोम के िाष्प का पणू ग
दहन होता है क्योंवक इसमें ऑक्सीिन की आपवू तग पयागप्त होती है यह ज्िाला का सर्से र्मग भार्
होता है इसमें से हल्का लाल प्रकाश वनलाता है |
द्रकििूत पेरोकलयम गैस ( Liqified petrolium gas )
पेरोवलयम र्ैस ब्यटू ेन ( C4 H10 ) , प्रोपेन ( C3 H8 ) और एर्ेन ( C2 H6 ) का वमश्रण है, लेवकन इसका
मख्ु य अियि ब्यटू ेन है | ब्यटू ेन, प्रोपेन और एर्ेन तीव्रता से िलकर पयागप्त ऊष्मा प्रदान करते हैं इसवलए
पेरोवलयम र्ैस एक उिम ईधन ं है | दार् र्ढ़ाने िे तीनों र्ैस असानी से द्रिीमूत हो िाती है इस द्रि को द्रिीमतू
पेरोवलयम र्ैस कहते हैं यह खाना र्नाने के उपयोर् में आनेिाली सामान्य र्ैस है |
2C4 H10 + 13O2 → 8CO2 + 10H2 O + ऊष्मा
द्रवित पेरोवलयम र्ैस के वसवलंर्रों में एक विशेष प्रकार का खरार् र्धं यक्तु एवर्ल मराकै प्टन ( C2 H5 SH )
की अल्प मािा वमला दी िाती है तावक वसवलंर्र में कही र्ैस का ररसाि हो तो उसका पता तरु ं त चल िाए |
कैल्ल्ियम क्लोरो
19 CaOCl2
हाइपोक्लोराइट
24 CHCl3 क्लोरोफॉमा
25 CHI3 आयोिोफॉमा
26 CH4 मेथेन
हाइड्रोक्लोररक
31 HCl
अम्ल
हाइड्रोजन
33 HCN
सायनाइि
ऑथोफॉस्फोररक
36 H3PO4
अम्ल
हाइड्रोजन परा
37 H2O2
ॅक्साइि
38 H2O जल
हाइड्रोजन
39 HI
आयोिाइि
कार्बान
40 CCl4
टे ट्राक्लोराइि
एशथल हाइड्रोजन
41 C2H5HSO4
सल्फेट
कार्बान
42 CO2
िाइऑक्साइि
43 C2H2 एशसटटलीन
44 C2H4 एशथलीन
45 C2H6 एथेन
46 C6H6 र्बेंजीन
47 C6H5CH3 टाॅलूईन
48 C6H5NH2 एननलीन
54 C6H5OH नफनाॅल
55 C3H8 प्रोपेन
56 C4H10 ब्यूटेन
57 C5H12 पेण्टे न
58 NH3 अमोननया
60 NH2CONH2 यूररया
मैग्नीशियम
76 Mg(OH)2
हाइड्रोक्साइि
77 MgCO3 मैग्नीशियम
कार्बोनेट
ड्यूटटररयम
78 D2 O ऑक्साइि
(भारी जल)
80 O2 ऑक्सीजन
81 O3 ओजोन